Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Thursday, February 3, 2022

इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है मराठी स्वाध्याय PDF

 

इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है मराठी स्वाध्याय PDF
इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है मराठी स्वाध्याय PDF


या लेखात, आम्ही हिंदी सहर्ष स्वीकारा है विषयासाठी इयत्ता ११ मराठी सोल्यूशन्स देऊ. इयत्ता ११ मधील विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकांमध्ये उपस्थित असलेल्या व्यायामांसाठी प्रश्न आणि उत्तरे डाउनलोड आणि कॉपी करण्यास सक्षम असतील.

इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा हैाच्या पुस्तकात महाराष्ट्र बोर्डाच्या अभ्यासक्रमातील सर्व प्रश्नांचा समावेश आहे. येथे सर्व प्रश्न पूर्ण स्पष्टीकरणासह सोडवले आहेत आणि डाउनलोड करण्यासाठी विनामूल्य उपलब्ध आहेत. महाराष्ट्र बोर्ड इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा हैाचे पुस्तक खाली दिले आहे. आम्‍हाला आशा आहे की आमच्‍या इयत्‍ता ११ वीच्‍या हिंदी सहर्ष स्वीकारा हैाचे पुस्‍तक तुमच्‍या अभ्यासात मदत करेल! जर तुम्हाला आमचे इयत्ता ११ चे पुस्तक आवडले असेल तर कृपया ही पोस्ट शेअर करा.


इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है स्वाध्याय

मंडळाचे नाव

Maharashtra Board

ग्रेडचे नाव

११

विषय

हिंदी सहर्ष स्वीकारा है

वर्ष

2022

स्वरूप

PDF/DOC

प्रदाता

hsslive.co.in

अधिकृत संकेतस्थळ

mahahsscboard.in


समाधानासह महाराष्ट्र बोर्ड आठवा स्वाध्याय कसे डाउनलोड करायचे?

महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF डाउनलोड करण्यासाठी खालील स्टेप्स फॉलो करा:

  1. वेबसाइट- Hsslive ला भेट द्या. 'स्वाध्याय' लिंकवर क्लिक करा.
  2. महा बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF पहा.
  3. आता महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय तपासा.
  4. डाउनलोड करा आणि भविष्यातील संदर्भांसाठी जतन करा.

इयत्ता ११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है स्वाध्याय उपाय

इयत्ता ११ स्वाध्याय मधील विद्यार्थी खालील लिंक्सवरून हिंदी सहर्ष स्वीकारा हैाचे उपाय डाउनलोड करू शकतील.


आकलन

1. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न अ.
घटनाक्रम के अनुसार लिखिए –
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है।
(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
(1) कवि दंड पाना चाहता है।
उत्तर :
कवि दंड पाना चाहता है।

(2) विधाता का सहारा पाना चाहता है
उत्तर :
विधाता का सहारा पाना चाहता है।

(3) कवि का मानना है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।
उत्तर :
कवि मानता है कि जो होता-सा लगता है, वह विधाता के कारण होता है।

प्रश्न आ.
निम्नलिखित असत्य कथनों को कविता के आधार पर सही करके लिखिए –
(a) जो कुछ निद्रित अपलक है, वह तुम्हारा असंवेदन है।
उत्तर :
जो कुछ भी जाग्रत है, अपलक है वह तुम्हारा संवेदन है।

(b) अब यह आत्मा बलवान और सक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को वर्तमान में सताती है।
उत्तर :
अब यह आत्मा कमजोर और अक्षम हो गई है और छटपटाती छाती को भवितव्यता सताती है।

काव्य सौंदर्य

2.
प्रश्न अ.
‘जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा हैं’, इस पंक्ति से कवि का मंतव्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि के जीवन में जो कुछ भी है या जो कारण है उसकी सत्ता स्थितियाँ भविष्य की उन्नति या अवनति की सभी संभावनाएँ प्रियतमा के कारण हैं। कवि का हर्ष-विषाद, उन्नति-अवनति सदा उससे ही संबंधित है। कवि ने हर सुख-दुःख सफलताअसफलता को प्रसन्नतापूर्वक इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि प्रियतमा ने उन सबको अपना माना है। वे कवि के जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई हैं।

प्रश्न आ.
‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है’, इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि तुम्हारे हृदय के साथ न जाने कौन-सा संबंध है या न जाने कैसा नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे स्नेह रूपी जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में चारों ओर से सिमटकर चला आता है। ऐसा लगता है मानो हृदय में कोई झरना बह रहा है।

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अपनी जिंदगी को सहर्ष स्वीकारना चाहिए’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जीवन सुख-दुःख का चक्र है। यही जीवन का सत्य है। अनुकूल समय में हमें इस पर विचार करने की आवश्यकता नहीं होती। जब कभी हमारे समक्ष विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो हम किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते हैं। दुःख के प्रमुख कारण बाहरी परिस्थितियाँ, आसपास के व्यक्तियों का व्यवहार, महत्त्वाकांक्षाएँ एवं कामनाएँ हैं। जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियाँ एवं समस्याओं के लिए कोई दूसरा व्यक्ति या भाग्य दोषी नहीं है।

उसके लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है, हमारे कर्मों और व्यवहार की वजह से ही परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं। हमारी ऊर्जा का उपयोग काम में हो परिणाम में नहीं। जो बदला नहीं जा सकता, उसको सहर्ष स्वीकार करें, यही उपाय है।

प्रश्न आ.
‘जीवन में अत्यधिक मोह से अलग होने की आवश्यकता है, इस वाक्य में व्यक्त भाव प्रकट कीजिए।
उत्तर :
आज अगर दुनिया में किसी भी रिश्ते में मोह है, तो वह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं चल पाता। हमें मोह को त्याग देना चाहिए।

जब भी कोई इंसान मोह करता है, तो कहीं ना कहीं उसका ही नुकसान होता है। मोह के कारण हमारी संपत्ति, रिश्ते-नाते सभी बिगड़ जाते हैं इसलिए हमें मोह को अपनी जिंदगी से बिल्कुल पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।

एक इंसान अपनी जिंदगी में अगर मोह करता है तो कुछ समय के लिए ही फायदा होगा, बाद में उसका नुकसान होता है। आज हमारे देश में, परिवार में झगड़े होते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मोह है। मोह के कारण एक-दूसरे को धोखा देते हैं और उससे हमारे रिश्ते खराब होते हैं। मोह करने से हमें जो कुछ हासिल होता है, वह हमारे रिश्ते-नातों से कीमती नहीं होता इसलिए लालच (मोह) बुरी बला है।

रसास्वादन

4. प्रस्तुत नई कविता का भाव तथा भाषाई विशेषताओं के आधार पर रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
(i) शीर्षक : सहर्ष स्वीकारा है।
(ii) रचनाकार : गजानन माधव मुक्तिबोध’।।
(iii) केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत नई कविता में कवि ने जिंदगी में जो कुछ भी (दुख, संघर्ष, गरीबी, अभाव, अवसाद) मिलें उसे सानंद स्वीकार करने की बात कही है। प्रकृति को जो कुछ भी प्यारा है वह उसने हमें सौंपा है। इसीलिए जो कुछ भी मिला है या मिलने की संभावना है उसे सहजता से अपनाना चाहिए।
(iv) रस / अलंकार : मुक्त छंद में लिखी गई इस कविता में गरबीली गरीबी, विचार-वैभव में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(v) प्रतीक विधान : अंधकार, अमावस्या निराशा के प्रतीक है।

(vi) कल्पना : ‘दिल में क्या झरना है?’ पंक्ति में कवि कल्पना करते हैं कि झरने में जैसे चारों तरफ की पहाड़ियों से पानी इकट्ठा होता है और कभी खाली नहीं होता वैसे ही कवि के हृदय में अपनी प्रियतमा के प्रति प्रेम उमड़ता है और बार बार व्यक्त करने पर भी कम नहीं होता।

(vii) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : अब तक तो जिंदगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।’ ये पंक्तियाँ प्रभावी सिद्ध होती हैं क्योंकि जिसे हम प्यार करते हैं उस प्रिय व्यक्ति को जो कुछ भी अच्छा लगता है वह अस्वीकार करना असंभव होता है।

(viii) कविता पसंद आने के कारण : कविता द्वारा हमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष, अवसाद आदि को सहर्ष स्वीकार करने की प्रेरणा मिलती है। अपने प्रिय व्यक्ति का प्रभाव अँधेरी गुफाओं में भी सहारा बनता है। उसका स्नेह हमें कभी कमजोर भी बनाता है। भविष्य में अनहोनी हो जाने का डर भी इसीलिए अत्यधिक प्रेम के कारण ही सताता है। कविता के ऐसे भाव दिल को छू जाते हैं।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए :

प्रश्न अ.
मुक्तिबोध जी की कविताओं की विशेषताएँ –
…………………………………………………
…………………………………………………
उत्तर :

  • प्रगतिवादी दृष्टिकोण
  • जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
  • शोषितों से गहरा लगाव
  • प्रतीक विधान में नयापन

प्रश्न आ.
मुक्तिबोध जी का साहित्य –
उत्तर :
काव्य कृतियाँ :

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है।
  • भूरी – भूरी खाक धूल

आलोचना :

  • तार सप्तक के कवि
  • कामायनी – एक पुनर्विचार
  • भारतीय इतिहास और संस्कृति
  • नई कविता का आत्मसंघर्ष और अन्य निबंध
  • नए साहित्य का सौंदर्य शास्त्र

कहानी संग्रह :

  • विपात्र
  • सतह से उठता आदमी

6.
प्रश्न अ.
निम्नलिखित काव्यांश (पंक्तियों) में उद्धृत अलंकार पहचानकर लिखिए –

(a) कूलन में केलिन में, कछारन में, कुंजों में
क्यारियों में, कलि-कलीन में बगरो बसंत है।
उत्तर :
(‘क’ आवृत्ति) – अनुप्रास अलंकार

(b) केकी-रख की नुपूर-ध्वनि सुन।
जगती-जगती की मूक प्यास।
उत्तर :
यमक अलंकार – जगती – जगती,
(1) जगती – जागना,
(2) जगती – जगत

प्रश्न आ.
निम्नलिखित अलंकारों से युक्त पंक्तियाँ लिखिए –
(a) वक्रोक्ति
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) मैं सुकमारिनाथ बन जोगू।
(ii) कौं तुम? है घनश्याम हम।

(b) श्लेष
…………………………………………………….
…………………………………………………….
उत्तर :
(i) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। – शब्द श्लेष
पानी गए न ऊबरें, मोती मानुष चून।
पानी शब्द का प्रयोग तीन बार लिया गया है। दूसरी पंक्ति में पानी का अर्थ मोती के संदर्भ में चमक या कांति है तो मनुष्य के संदर्भ में इज्जत और ‘चून’ के संदर्भ में जल है।

(ii) जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारे करै, बढे अँधेरा होय – अर्थ श्लेष
बारे का अर्थ – जलाना और बचपन
बढ़े का अर्थ – बुझने पर और बड़े होने पर

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 12 सहर्ष स्वीकारा है Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका
(अ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : जिंदगी में जो कुछ है, ………………… खिलता वह चेहरा है ! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 61)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :
आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) गरीबी के लिए प्रयुक्त विशेषण है :
(ii) कवि अपने उस प्रिय के साथ अपने संबंध इस तरह बताता है :
(iii) कवि अपने दिल की तुलना इससे करता है :
(iv) कवि ने अपने प्रिय की तुलना इससे की है :
उत्तर:
(i) गरवीली
(ii) गहरा
(iii) मीठे पानी के झरने से
(iv) चाँद से

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों मे लिखिए।
उत्तर :
कवि कहता है कि मेरे इस जीवन में जो कुछ भी है, जैसा भी है, उसे मैंने पूरी प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया है। वह इस कारण से, कि जो कुछ भी मेरा है, चाहे वह अभाव हो या संघर्ष ही क्यों न हो, वह सब तुम्हें प्यारा है और जो तुम्हे प्रिय लगता है, वही मेरे लिए प्रसन्नता का सबसे बड़ा कारण बन गया है।

कवि के जीवन में ऐसी निर्धनता है, जिस पर गर्व किया जा सके। गर्व इसलिए कि स्वाभिमान के साथ जीने का सुख इस में निहित (include) है। अभावों के चलते मिलने वाले जीवन के जो गंभीर अनुभव है, विचारों की जो संपन्नता है, विचारों की संपन्नता के कारण उससे मिली हुई जो आंतरिक मजबूती है और हृदय में उमड़ने वाली प्रेम की जो अविरल नदी है, ये सभी हमारे अपने निजी है।

हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण में जो सत्य है, हर दिन हमारे साथ जो घटित होता है, लगातार घटता रहता हैं, उन सब में तुम्हारी ही तरल संवेदना बसी हुई है। तुम मेरे हर सुख-दुःख में आत्मा से सहभागिनी हो इसलिए इन सब चीजों को प्रसन्नता के साथ स्वीकारने की चाहत है।

कवि कहते हैं कि तुम्हारे साथ मेरा न जाने कैसा रिश्ता नाता है कि मैं अपने भीतर समाए हुए तुम्हारे प्रेममय जल को जितना बाहर निकालता हूँ, वह पुन: अंत:करण में भर आता है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहाँ पर प्रेम का सतत बहने वाला कोई झरना ही है या मीठे और शीतल जल का कोई स्त्रोत ही बसा हुआ है। वह कभी रीता नहीं होता है। इधर मेरे अंदर तो प्रेम का ऐसा अटूट प्रवाह है और उधर आकाश में जैसे चंद्रमा रातभर अपनी चाँदनी बरसाता रहता है, ठीक वैसे ही तुम्हारा चेहरा मुझपर स्नेह की अखंड वर्षा करता रहता है।

(आ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं, …………… आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है !! (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :


उत्तर :

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
कवि स्वयं के लिए दंड माँग रहा है क्योंकि
(i) …………………………………….
(ii) …………………………………….
उत्तर :
(i) अपनी प्रियतमा को भूलने का दंड उसे सहर्ष स्वीकार है।
(ii) ममता के भीतर छिपी कोमलता उसे अंदर ही अंदर पीड़ा पहुँचाती है।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए:
उत्तर:
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखित कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है।

कवि अपने प्रिय स्वरूपा को भूलना चाहता है। आप मुझे सजा दीजिए, श्राप दीजिए कि मैं आपको भूल जाऊँ। अनंत अंधकार वाली अमावस्या में डूब जाऊँ। वह उस अंधकार को अपने शरीर व हृदय पर झेलना चाहता है। इसका कारण यह है कि प्रिय के स्नेह के उजाले ने उसे घेर लिया है।

ममता रूपी बादलों की कोमलता ही अब उनके लिए दर्द बन गई है। मेरे अंतरमन में चुभने लगी है। इसके कारण मेरी अंतरात्मा कमजोर और क्षमताहीन हो गई है। जब मैं भविष्य के बारे में सोचता हूँ तो मुझे डर लगने लगता है कि कभी उनके प्रभाव से अलग होना पड़ा तो वह अपना अस्तित्व कैसे बचाए रख सकेगा। अब उसे उसका बहलाना-सहलाना सहन नहीं होता।

कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है।

वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा। विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते है कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है। मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है। वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है।

अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।

(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

पद्यांश : सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ …………… वह तुम्हें प्यारा है। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 62)

प्रश्न 1.
लिखिए :

उत्तर :

(ii) लापता होने पर भी कवि को यह आशा है –
उत्तर :
लापता होने पर भी कवि को यह आशा है कि उसकी प्रियतमा का सहारा उसे मिलेगा।

प्रश्न 2.
निम्न गलत विधान पद्यांश के आधार पर सही करके लिखिए :
(i) कवि अपनी प्रियतमा को दंड देना चाहता है।
उत्तर :
कवि अपनी प्रियतमा से दंड पाना चाहता है।

(ii) कवि ने जीवन में वही स्वीकारा जो उसे प्रिय था।
उत्तर :
कवि ने जीवन में उसे स्वीकारा जो उसकी प्रियतमा को प्रिय था।

प्रश्न 3.
पद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तरः
प्रस्तुत पद्यांश कवि श्री. गजानन माधव मुक्तिबोध’ द्वारा लिखी कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है। कवि कहता है कि मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से दूर होना चाहता हूँ। वह उसी से दंड की याचना करता है। वह ऐसा दंड चाहता है कि प्रियतमा के न होने से वह पाताल की अँधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जाए। कवि दोहराते हैं कि मेरे लापता हो जाने पर भी तुम्हारा ही सहारा मेरे पास रहेगा।

विस्मृति में भी स्मृति का अंश रहता ही है। वे कहते हैं कि जो कुछ भी मेरा है, या जो ऐसा प्रतीत होता है कि वह मेरे जैसा ही है, मेरे जैसा होता हुआ संभव लगता है; वह सब तुम्हारे ही कारण है। तुम्हारे कार्यों के घेरे में है। तुम्हारे कार्यों की समृद्धि का फल है। अब तक जीवन में जो कुछ था और जो कुछ भी है वह सब मैंने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि जो कुछ भी मेरा है, वह तुम्हें प्यारा है।


इयत्ता ११ हिंदी स्वाध्याय उपाय

निष्कर्ष

आम्हाला आशा आहे की महाराष्ट्रावरील हा लेख तुम्हाला '११ हिंदी सहर्ष स्वीकारा है स्वाध्याय' मदत करेल. तुम्हाला काही प्रश्न असल्यास, त्यांना खाली टिप्पणी विभागात मोकळ्या मनाने पोस्ट करा. आम्ही लवकरात लवकर तुमच्याकडे परत येऊ.
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy