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Thursday, February 3, 2022

इयत्ता ११ हिंदी तत्सत मराठी स्वाध्याय PDF

 

इयत्ता ११ हिंदी तत्सत मराठी स्वाध्याय PDF
इयत्ता ११ हिंदी तत्सत मराठी स्वाध्याय PDF


या लेखात, आम्ही हिंदी तत्सत विषयासाठी इयत्ता ११ मराठी सोल्यूशन्स देऊ. इयत्ता ११ मधील विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकांमध्ये उपस्थित असलेल्या व्यायामांसाठी प्रश्न आणि उत्तरे डाउनलोड आणि कॉपी करण्यास सक्षम असतील.

इयत्ता ११ हिंदी तत्सताच्या पुस्तकात महाराष्ट्र बोर्डाच्या अभ्यासक्रमातील सर्व प्रश्नांचा समावेश आहे. येथे सर्व प्रश्न पूर्ण स्पष्टीकरणासह सोडवले आहेत आणि डाउनलोड करण्यासाठी विनामूल्य उपलब्ध आहेत. महाराष्ट्र बोर्ड इयत्ता ११ हिंदी तत्सताचे पुस्तक खाली दिले आहे. आम्‍हाला आशा आहे की आमच्‍या इयत्‍ता ११ वीच्‍या हिंदी तत्सताचे पुस्‍तक तुमच्‍या अभ्यासात मदत करेल! जर तुम्हाला आमचे इयत्ता ११ चे पुस्तक आवडले असेल तर कृपया ही पोस्ट शेअर करा.


इयत्ता ११ हिंदी तत्सत स्वाध्याय

मंडळाचे नाव

Maharashtra Board

ग्रेडचे नाव

११

विषय

हिंदी तत्सत

वर्ष

2022

स्वरूप

PDF/DOC

प्रदाता

hsslive.co.in

अधिकृत संकेतस्थळ

mahahsscboard.in


समाधानासह महाराष्ट्र बोर्ड आठवा स्वाध्याय कसे डाउनलोड करायचे?

महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF डाउनलोड करण्यासाठी खालील स्टेप्स फॉलो करा:

  1. वेबसाइट- Hsslive ला भेट द्या. 'स्वाध्याय' लिंकवर क्लिक करा.
  2. महा बोर्ड ११ स्वाध्याय PDF पहा.
  3. आता महाराष्ट्र बोर्ड ११ स्वाध्याय तपासा.
  4. डाउनलोड करा आणि भविष्यातील संदर्भांसाठी जतन करा.

इयत्ता ११ हिंदी तत्सत स्वाध्याय उपाय

इयत्ता ११ स्वाध्याय मधील विद्यार्थी खालील लिंक्सवरून हिंदी तत्सताचे उपाय डाउनलोड करू शकतील.


आकलन

1. लिखिए :

प्रश्न अ.
बड़ दादा के अनुसार आदमी ऐसे होते हैं –
(a) ……………………………………
(b) ……………………………………
(c) ……………………………………
उत्तर:
(a) इन्हे पत्ते नहीं होते।
(b) इनमें जड़ें नहीं होती।
(c) अपने तने की दो शाखाओं पर ही वे चलते चले जाते हैं।

प्रश्न आ.
वन के बारे में इसने यह कहा –
(a) बड़ दादा ने –
(b) घास ने
(c) शेर ने
उत्तर :
(a) बड़ दादा ने – वन नामक जानवर को मैंने अब तक नहीं देखा।
(b) घास ने – वन को मैंने अलग करके कभी नहीं पहचाना।
(c) शेर ने – वन कोई नहीं है कहीं नहीं है।

प्रश्न इ.
घास की विशेषताएँ –
………………………………………………..
………………………………………………..
………………………………………………..
उत्तर :
(a) घास बुद्धिमती है।
(b) घास से किसी को शिकायत नहीं होती।
(c) उसे सबका परिचय पद तल के स्पर्श से मिलता है।

शब्द संपदा

2.
प्रश्न अ.
पर्यायवाची शब्दों की संख्या लिखिए :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट
उत्तर :
जैसे – बादल – पयोधर, नीरद, अंबुज, जलज ( 3 )
(a) भौंरा – भ्रमर, षट्पद, भँवर, हिमकर ( 3 )
(b) धरा – अवनी, शामा, उमा, सीमा ( 2 )
(c) अरण्य – वन, विपिन, जंगल, कानन ( 4 )
(d) अनुपम – अनोखा, अद्वितीय, अनूठा, अमिट ( 3 )

प्रश्न आ.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द तैयार कर उपसर्ग के अनुसार उनका वर्गीकरण कीजिए –
कामयाब – न्याय – मान
सत्य – मंजूर
मेल – यश – संग
उत्तर :

  उपसर्ग मूल शब्द शब्द
उदा. – गैर
ना

अप

अव
ना
बे
अप
कु
जिम्मेदार
कामयाब
न्याय
मान
सत्य
गुण
मंजूर
मेल
यश
संग
गैर जिम्मेदार
नाकामयाब
अन्याय
अपमान
असत्य
अवगुण
नामंजूर
बेमेल
अपयश
कुसंग

अभिव्यक्ति

3.
प्रश्न अ.
‘अभयारण्यों की आवश्यकता’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
कुछ दिन पहले अखबार में एक खबर आई थी कि मुंबई के ठाणे विभाग की मानवी बस्ती में एक बाघ आया था। इस खबर से लोगों में काफी सनसनी फैली थी। जंगली जानवरों का मानवी बस्ती में आगमन बढ़ रहा है, जिससे मनुष्यों का खतरा बढ़ रहा है। इस बात पर चर्चा होने लगी।

वास्तव में देखा जाए तो जंगली जानवरों के लिए हम खतरा बन रहे हैं। भौतिक विकास के नाम पर जंगलों को खत्म करने से बेचारे जानवरों का जीना हराम हुआ है। जंगलों में रहने वाले अनेक छोटे-छोटे जीव-जंतु अस्तित्वहीन हो रहे हैं। उनका निवास हमने छीन लिया है। इसलिए बेचारों को मानवी बस्ती में घुसना पड़ रहा है। इस कारण अभयारण्यों की आवश्यकता तीव्रता से महसूस हो रही है।

प्रश्न आ.
‘पर्यावरण और हम’, इस विषय पर अपना मत लिखिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

4.
प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए –
(1) बड़ दादा
(2) सिंह
(3) बाँस
उत्तर :
(1) वड़ दादा : ‘तत्सत’ इस कहानी में एक घना जंगल है। इस जंगल में एक बड़ा पुराना बड़ का पेड़ है। उसे सब ‘बड़ दादा’ कहकर पुकारते हैं। बड़ दादा अंत्यंत शांत और संयमी है। वह सबसे स्नेह करता है। एक दिन बड़ दादा की छाँव में बैठे दो आदमियों ने कहा कि यह वन अत्यंत भयानक और घना है।

आदमी किस वन के बारे में बात कर रहे थे, यह जंगल वासी समझ नहीं पाए। वन किसे कहते है? वह कहाँ है? इसे जानने के लिए सब बेचैन थे। अनेक पेड़, प्राणियों के साथ बड़ दादा की चर्चा हुई। किसी को भी ‘वन’ के बारे में जानकारी नहीं थी। कुछ दिन बाद वही आदमी फिर दिखाई दिए।

बड़ ने उन्हें ‘वन’ के बारे में पूछा। आदमी ने बड़ के पेड़ पर चढ़कर ऊपरी हिस्से में खिले हुए नए पत्तों को आस-पास की दुनिया दिखाकर बड़ के कान में कुछ कहा। बड़ दादा को उस वक्त पता चला कि ‘वन’ माने कोई जानवर या पेड़-पौधे नहीं बल्कि उन सबसे वन बना है। वन हम में है और हम वन में हैं इस परम सत्य का उसे पता चला। आखिर वही ‘तत्सत’ था।

(2) सिंह : इस कहानी का सिंह ‘शक्ति’ का प्रतीक है। सिंह पराक्रमी है। वन का राजा है। उसे अपनी शक्ति पर गर्व है। जब बड़ दादा तथा अन्य उसे ‘वन’ के बारे में पूछते हैं तब उसे पता चलता है कि ‘वन’ नामक कोई है? उस ‘वन’ को उसने कभी नहीं देखा था। सिंह उस वन को चुनौती देना चाहता है।

अगर उसका ‘वन’ से मुकाबला हो जाए तो उसे फाड़कर नष्ट करना चाहता है। ‘वन’ को नष्ट करने की भाषा के पीछे उसका अज्ञान है। वन के अस्तित्व पर उसे भरोसा नहीं है। खुद की शक्ति पर अहंकार करने वाले सिंह के शब्द और कृति से उसका बल दिखाई देता है। शक्ति, वीरता, बल और अहंकार का प्रतीक ‘सिंह’ है।

(3) वाँस : ‘तत्सत’ कहानी में गहन वन है जहाँ के पेड़-पौधों को तथा पशुओं को ‘वन’ नामक जानवर के बारे में पता नहीं है। परंतु सबको उसका डर था क्योंकि शिकारियों ने ‘भयानक वन’ की बात आपस में की थी। वन के सभी ‘वन’ नामक भयानक जानवर के बारे में चर्चा कर रहे थे।

तब बाँस भी उस चर्चा में सम्मिलित हुआ। वह थोड़ी सी हवा आते ही खड़खड़ करने लगता था। वह पोला था परंतु बहुत कुछ जानता था। वह घना नहीं था, सीधा ही सीधा था। इसीलिए झुकना नहीं जानता था। उसे लगता था कि हवा उसके भीतर के रिक्त में वन-वन-वन-वन कहती हुई घूमती रहती है।

वाग्मी वंश बाबू अर्थात् बाँस ‘वन’ नामक भयानक प्राणी के बारे में अधिक बता न सके।

प्रश्न आ.
‘तत्सत’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘तत्सत’ यह कहानी प्रतीकात्मक है। यहाँ वन ईश्वर का प्रतीक है और वन में रहने वाले सभी प्राणी, पशु-पक्षी, पेड़ पौधे उसके अंश है। ‘वन’ के अस्तित्व को लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, इनसान में चर्चा छिड़ जाती है। आदमी का कहना है कि, ‘हम सब जहाँ है वहीं वन है। लेकिन पेड़-पौधे और पशु-पक्षी उसकी बात मानने को तैयार नहीं है। बड़ दादा की आदमी के साथ देर तक चर्चा होती है।

आखिर बड़ दादा को साक्षात्कार होता है और वह वन रूपी ईश्वर के अस्तित्व को मानने के लिए तैयार हो जाता है। बड़ दादा से मनुष्य ने जो कुछ कहा, मंत्र रूपी संदेश दिया तब मानो उसमें चैतन्य भर आया। उन्होंने खंड को कुल में देख लिया। उन्हें अपने चरमशीर्ष से कोई अनुभूति प्राप्त हुई।

सृष्टि के अंतिम सत्य को उन्होंने जान लिया। हम आज हैं कल नहीं परंतु ईश्वर है। ईश्वर हम सब में है। ईश्वर के अस्तित्व के बारे में उलझन और समाधान के बीच की उथल-पुथल को जंगल वासी और आदमियों के संवाद द्वारा लेखक ने साकार किया है।

हम सभी का अस्तित्व इस सृष्टि के लिए महत्त्वपूर्ण है परंतु अंत में उस परम शक्तिशाली का अस्तित्व हमें स्वीकार करना ही पड़ता है। यही सत्य है। इसीलिए कहानी का शीर्षक सार्थक है। ‘तत्सत’ का शब्दश: अर्थ है वही सत्य है अर्थात ईश्वर सत्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

5. जानकारी दीजिए:

प्रश्न अ.
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियों की विशेषताएँ –
उत्तर :
जैनेंद्र कुमार जी की कहानियाँ किसी ना किसी मूल विचार तत्व को जगाती है। रोजमर्रा के जीवन की समस्याएँ आपकी कहानियों में उजागर होती हैं। मनोविश्लेषण (psychoanalysis) और मानवीय संवेदना यह आपकी कहानियों की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न आ.
अन्य कहानीकारों के नाम –
उत्तर :
हिंदी साहित्य में जैनेंद्र कुमार जी के अलावा प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय, यशपाल, मन्नू भंडारी, शेखर जोशी, भीष्म साहनी, फणीश्वरनाथ रेणु, मार्कण्डेय आदि अनेक कहानीकारों को श्रेष्ठ कहानीकार माना जाता है।

6. निम्नलिखित रसों के उदाहरण लिखिए :

(a) हास्य
……………………………………………………..
(b) वात्सल्य
……………………………………………………..
उत्तर :
(a) हास्य रस :
बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय?
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय।

(b) वात्सल्य रस :
मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ।
मोसौ कहत मोल को लीन्हौं,
तू जसुमति कब जायौ?

Yuvakbharati Hindi 11th Textbook Solutions Chapter 8 तत्सत Additional Important Questions and Answers

कृतिपत्रिका

(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : शीशम ने कहा, “ये लोग इतने ही ……………………………………………. वह चीतों से बढ़कर होगा।” (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 39-40)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते …………………………………………….
उत्तर :
आदमी ओछे रहते हैं, ऊँचे नहीं उठते क्योंकि इनमें पेड़ों की तरह जड़ें नहीं होती।

(ii) वन चीतों से बढ़कर होगा …………………………………………….
उत्तर :
वन चीतों से बढ़कर होगा क्योंकि आदमी वन को भयानवा बताते थे।

प्रश्न 3.
निम्न शब्दों में अलग अर्थ वाला शब्द छाँटकर लिखिए :
उत्तर :

  • समीर, अनिल, मारुति, हवा – मारुति
  • दिन, तिथि, वार, वेद – वेद
  • प्रीति, स्नेह, प्यार, चाह – चाह
  • नारी, मनुष्य, आदमी, मानव – नारी

प्रश्न 4.
प्रकृति द्वारा निर्मित पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का महत्त्व लिखिए।
उत्तर :
पेड़-पौधे, पशु-पक्षी का पर्यावरण संतुलन में अपना अलग महत्त्व है। पेड़-पौधे हो या पशु-पक्षी सभी को जीवित रहने के लिए आक्सीजन आवश्यक है और आक्सीजन बनाने में पेड़-पौधे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शुद्ध हवा के साथ-साथ फल-फूल, पानी, छाया, आसरा आदि के लिए पेड़ आवश्यक हैं।

पेड़ अपनी हजारों मशीनों (पत्तियों) द्वारा हवा शुद्ध करने के काम में। लगा है। पशु-पक्षी पेड़ के फल खाते हैं और फलों के बीज इधर-उधर डालकर नए वृक्ष उगाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उनके मल-मूत्र से पेड़-पौधों को खाद मिल जाती है और वे भी फलते-फूलते हैं।

मनुष्य द्वारा फैलाए गए प्रदूषण को कम करने में इस तरह पेड़-पौधे और पशु-पक्षी अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। ये इस धरती का शृंगार है जो हमें जीवन प्रदान करने में मददगार सिद्ध हुए हैं। अत: इनकी अहमियत समझकर इन्हें संरक्षण देना हम सबका कर्तव्य है।

(आ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : तब सबने घास से पूछा ……………………………………………………………………………………………………………. कैसे जाना जाए। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 41)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
उत्तर :

  • घास की विशेषता → बुद्धिमती
  • वंश बाबू की विशेषता = वाग्मी
  • भयानक जंतु का नाम → वन
  • घास की इससे बनती है → दुख

प्रश्न 2.
लिखिए : घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) ……………………………………..
(ii) ……………………………………..
उत्तर :
घास के अनुसार पद तल के स्पर्श से सबका परिचय :
(i) पद तल की चोट अधिक मात्रा में देने वाला ताकतवर
(ii) धीमे कदम से चलने वाला दुखियारा

प्रश्न 3.
(i) विलोम शब्द लिखिए :
(1) कठिनाई x ……………………………….
(2) धीमा x ……………………………….
उत्तर :
(1) कठिनाई x आसानी
(2) धीमा x तेज

(ii) अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए :
उत्तर :
(1) जानने की इच्छा रखने वाला – जिज्ञासु
(2) दुःख में फँसा हुआ – दुखियारा

प्रश्न 4.
‘जंगल बचाओ’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
दो साल पहले हम लोग कोंकण में गए थे। समुद्र के साथ-साथ वहाँ हम एक घने जंगल को भी देखने गए थे। उस घने जंगल को देखकर हम लोग सचमुच हैरान हो गए। बड़े-बड़े, विशाल वृक्ष, हजारों तरह के पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के छोटे-छोटे जीव-जंतु देखने का मौका हमें मिला।

पेड़ की शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थी। पेड़ के नीचे फल-फूल बिखरे हुए थे। अलगअलग पछियों की चहचहाट से मन पुलकित हो रहा था। एक अनोखा सुकून, महसूस हो रहा था। तब से मुझे हमेशा लगता है कि ‘जंगल’ बचाना बहुत जरूरी है।

सिर्फ हमारी अंदरूनी सुकून के लिए नहीं बल्कि उन सारे जीव-जंतुओं के लिए भी जिनकी जिंदगी जंगल पर निर्भर है। आज हम अपने स्वार्थ के लिए जंगल बरबाद कर रहे हैं। हमारी भौतिक जिंदगी आबाद हो रही है। जंगल की लकड़ियाँ तोड़कर हम तो एक से एक बड़ी इमारतें खड़ी कर रहे हैं किंतु जानवरों का निवास नष्ट हो रहा है। आजकल शेर, हाथी, बंदरों का मानवी बस्ती में घुसना आम बात हो गई है। इन सबको बचाना हमारा कर्तव्य है।

अत: ‘जंगल बचाओ’ यह अभियान चलाने की जरूरत है।

(ई) निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गद्यांश : उन दोनों आदमियों में से प्रमुख ने विस्मय से …………………………………………………………………………. ‘तो क्या मरोगे?’ (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ क्र. 43)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

प्रश्न 2.
निम्न उद्गार कहने वालों का नाम लिखिए :
उत्तर :

  • “बको मत – बबूल
  • “यह सब कुछ ही वन है।” – प्रमुख पुरुष
  • “ठीक बताओ, नहीं तो तुम्हारी खैर नहीं है।” – कई जानवर
  • “तो क्या मरोगे?’ – आदमी

प्रश्न 3.
विशेषण-विशेष्य की उचित जोड़ियाँ गद्यांश के आधार पर मिलाइए : (आदमी, बोली, पुरुष, सिंह, प्रमुख, वनराज, बेचारे, मानवी)
उत्तर :

  • आदमी बेचारे
  • वोली मानवी
  • पुरुष – प्रमुख
  • सिंह – वनराज

प्रश्न 4.
‘पर्यावरण और हम’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
पर्यावरण मतलब क्या? सच पूछिए तो पर्यावरण हमसे ही बना है। हमारे आस-पास के वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है। अगर पर्यावरण बिगड़ेगा तो हमारा भविष्य भी बिगड़ेगा। यह सब जानते हुए भी आज मनुष्य जंगल को हानि पहुँचा रहा है। जमीन के अंदर का पानी समाप्त कर रहा है और जमीन पर उपलब्ध पानी को प्रदूषित कर रहा है। हवा जहरीली बन रही है। ओझोन वायु की परत पतली हो रही है।

हमारे विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर मानो हम अपने ही पैरों पर कुल्हाडी मार रहे हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों की हानि से भविष्य में मनुष्य के जीवन में गंभीर चुनौतियाँ निर्माण हो सकती है। केदारनाथ पहाड़ी में हुई दुर्घटना हो, या हाल ही में कोकण में हुई दुर्घटना हो – इन जैसी घटनाओं से प्रकृति हमें इशारा दे रही है।

इन इशारों से अगर हम सावधान नहीं होंगे, प्रकृति की रक्षा नहीं करेंगे तो बाढ़, तूफान, भूचाल, सूखा इन जैसे प्राकृतिक संकटों का मनुष्य के अस्तित्व पर हमला संभव है। हमें यह जानना चाहिए कि अगर पर्यावरण सुरक्षित हो तो ही हम सुरक्षित रह पाएँगे।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न :

प्रश्न अ.
टिप्पणियाँ लिखिए।
उत्तर :
(1) साँप : इस कहानी का सर्पराज अर्थात साँप वन का वासी है। वह हमेशा धरती से चिपककर रहता है। चमकीला देह और टेढ़ामेढ़ापन यह उसकी शारीरिक विशेषता है। जहाँ भी छिद्र हो वहाँ उसका प्रवेश हो सकता है। धरती के सारे गर्त को वह जानता है। धरती से पाताल तक उसका वास रहता है।

लेकिन इतना होने पर भी उसे ‘वन’ के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है। साँप के मतानुसार ‘वन’ फर्जी है। धरती के गर्त में ज्ञान की खान है। जहाँ सिर्फ साँप पहुँचता है इसलिए साँप इस कहानी में ‘ज्ञान’ का प्रतीक माना गया है। उसे धरती के अनेक रहस्यों का ज्ञान है। परंतु ‘वन’ के बारे में उसे कुछ पता नहीं है।

(2) घास : ‘तत्सत’ कहानी एक प्रतीकात्मक कहानी है। इस कहानी के अनेक पात्र किसी विशेष गुणों का प्रतीक है। कहानी की ‘घास’ एक सर्वव्यापी वनस्पति है। वह हर जगह व्याप्त है। वह ऐसी बिछी रहती है कि किसी को उससे शिकायत नहीं होती। लोगों की जड़ों को वह जानती है।

पद-तल के स्पर्श से घास सबको पहचानती है। जब उसके सिर पर किसी का स्पर्श इतना जोरदार होता है कि उसे चोट पहुंचे तो वह पहचानती है कि वह ताकतवर है। धीमे कदमों से अगर कोई घास पर से चलता है तो वह जान लेती है कि कोई दुखियारा जा रहा है। दुख से घास का अपनेपन का रिश्ता है।

इस कहानी में ‘घास’ ‘बुद्धिमती’ है, अर्थात बुद्धि का प्रतीक है।


इयत्ता ११ हिंदी स्वाध्याय उपाय

निष्कर्ष

आम्हाला आशा आहे की महाराष्ट्रावरील हा लेख तुम्हाला '११ हिंदी तत्सत स्वाध्याय' मदत करेल. तुम्हाला काही प्रश्न असल्यास, त्यांना खाली टिप्पणी विभागात मोकळ्या मनाने पोस्ट करा. आम्ही लवकरात लवकर तुमच्याकडे परत येऊ.
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