इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागर मराठी स्वाध्याय PDF |
या लेखात, आम्ही हिंदी धडा गागर में सागर विषयासाठी इयत्ता नववी मराठी सोल्यूशन्स देऊ. इयत्ता नववी मधील विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकांमध्ये उपस्थित असलेल्या व्यायामांसाठी प्रश्न आणि उत्तरे डाउनलोड आणि कॉपी करण्यास सक्षम असतील.
इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागराच्या पुस्तकात महाराष्ट्र बोर्डाच्या अभ्यासक्रमातील सर्व प्रश्नांचा समावेश आहे. येथे सर्व प्रश्न पूर्ण स्पष्टीकरणासह सोडवले आहेत आणि डाउनलोड करण्यासाठी विनामूल्य उपलब्ध आहेत. महाराष्ट्र बोर्ड इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागराचे पुस्तक खाली दिले आहे. आम्हाला आशा आहे की आमच्या इयत्ता नववी वीच्या हिंदी धडा गागर में सागराचे पुस्तक तुमच्या अभ्यासात मदत करेल! जर तुम्हाला आमचे इयत्ता नववी चे पुस्तक आवडले असेल तर कृपया ही पोस्ट शेअर करा.
इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागर स्वाध्याय
मंडळाचे नाव |
Maharashtra Board |
ग्रेडचे नाव |
नववी |
विषय |
हिंदी धडा गागर में सागर |
वर्ष |
2022 |
स्वरूप |
PDF/DOC |
प्रदाता |
|
अधिकृत संकेतस्थळ |
mahahsscboard.in |
समाधानासह महाराष्ट्र बोर्ड आठवा स्वाध्याय कसे डाउनलोड करायचे?
महाराष्ट्र बोर्ड नववी स्वाध्याय PDF डाउनलोड करण्यासाठी खालील स्टेप्स फॉलो करा:
- वेबसाइट- Hsslive ला भेट द्या. 'स्वाध्याय' लिंकवर क्लिक करा.
- महा बोर्ड नववी स्वाध्याय PDF पहा.
- आता महाराष्ट्र बोर्ड नववी स्वाध्याय तपासा.
- डाउनलोड करा आणि भविष्यातील संदर्भांसाठी जतन करा.
इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागर स्वाध्याय उपाय
इयत्ता नववी स्वाध्याय मधील विद्यार्थी खालील लिंक्सवरून हिंदी धडा गागर में सागराचे उपाय डाउनलोड करू शकतील.
Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 1 गागर में सागर Textbook Questions and Answers
भाषा बिंदु:
1. निम्नलिखित मुहावरों, कहावतों में गलत शब्दों के स्थान पर सही शब्द लिखकर उन्हें पुनः लिखिए।
प्रश्न 1.
टोपी पहनना
उत्तर:
मुहावरा – टोपी पहनाना
प्रश्न 2.
गीत न जाने आँगन टेढ़ा
उत्तर:
कहावत – नाच न जाने आँगन टेढ़ा
प्रश्न 3.
अदरक क्या जाने बंदर का स्वाद।
उत्तर:
कहावत – बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
प्रश्न 4.
कमर का हार
उत्तर:
मुहावरा – गले का हार
प्रश्न 5.
नाक की किरकिरी होना
उत्तर:
मुहावरा – इज्जत की किरकिरी होना
प्रश्न 6.
गेहूँ गीला होना
उत्तर:
मुहावरा – आटा गीला होना
प्रश्न 7.
अब पछताए होत क्या जब बंदर चुग गए खेत।
उत्तर:
कहावत – अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
प्रश्न 8.
दिमाग खोलना।
उत्तर:
मुहावरा – बुद्धि खोलना।
लेखनीय:
प्रश्न 1.
अपने अनुभव वाले किसी विशेष प्रसंग को प्रभावी एवं क्रमबद्ध रूप में लिखिए।
उत्तर:
मैं संध्या समय नदी किनारे टहलने के लिए गया था। उस वक्त पास के गाँव के दो बच्चे भी नदी किनारे टहलने आए थे। उनमें से एक बच्चे ने अपने साथ लाई हुई कूड़े-कचरे की बैग पानी में फेंक दी। मैं हैरान हो गया और शीघ्रता से चिल्लाकर बोला, “यह तुम क्या कर रहे हो? इस प्रकार नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से जल प्रदूषण बढ़ता है।” मेरे इस कथन का उस बच्चे पर किसी भी प्रकार का असर नहीं हुआ। वह सिर्फ हँस रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा, “तुमने जो कुछ किया है, वह गलत है और तुम्हें आगे चलकर इस प्रकार का कार्य नहीं करना चाहिए।”
अपने दोस्तों के साथ मजाक मस्ती करते हुए उसने कहा कि, उसके ऐसा करने से कुछ भी फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि वह कचरा नहीं फेंकेगा, तो भी नदी प्रदूषित होगी। अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे आड़े हाथों लेते हुए डाँटा फटकारा। तत्पश्चात समझाते हुए कहा कि नदी हमारी माता है। हमें उसका ख्याल रखना चाहिए। जल ही जीवन है और हमें उसे भविष्य के लिए सँभालकर रखना चाहिए। मेरे इस कथन का उस बच्चे पर थोड़ा-बहुत असर हुआ। उसने भविष्य में जल को प्रदूषित न करने की कसम खा ली और अपने इस करतूत पर मुझसे माफी माँगी। मैंने भी उदार हृदय से उसे माफ कर दिया और हम तीनों नदी में फैले हुए कूड़े-कचरे को एकत्रित करने में व्यस्त हो गए।
रचनात्मकता की ओर:
प्रश्न 1.
‘निदंक नियरे राखिए’ इस पंक्ति के बारे में कल्पना पल्लवन अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुहाय।
यह दोहा तब याद आता है जब कोई अपने आलोचकों को उनके आलोचना के बदले सजा देने की बात करता है। यद्यपि आलोचक निश्चय ही हमारी कमियों को गिनवाते हैं, हमें हमारी वास्तविकता का एहसास करवाते हैं परंतु आलोचक वह व्यक्ति होते हैं जिसकी आलोचनाओं की सहायता से हम अपने कार्यों को काफी हद तक सुधार सकते हैं। बड़े बुजुर्गों ने कोई भी चीज बिना अर्थ के नहीं लिखी, निश्चय ही हमारे जीवन में उसका महत्त्वपूर्ण सहयोग है।
आलोचकों का हमारे जीवन में बड़ा सहयोग रहा है, इतिहास गवाह है कि बिना आलोचकों के कोई भी शासक न तो अपना राज्य संभाल पाया है और न ही अपने राज्य का विस्तार कर पाया है। बिना आलोचना के शासक अपने मद में चूर होकर गलतियाँ कर बैठता है और अपने राज्य से हाथ धो बैठता है। आलोचनाएँ हमको शक्ति प्रदान करती हैं, जो हमें अपनी गलतियाँ सुधारने का मौका देती हैं और भविष्य के लिए रणनीति बनाने का अवसर भी प्रदान करती हैं, अत: आलोचनाओं का हमेशा स्वागत करना चाहिए।
ऐसा नहीं है कि ये आलोचनाओं वाला सुझाव केवल किसी एक पार्टी और उसके सदस्यों या किसी एक समाज तक सीमित है। सभी शासकों को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए, शासक ही क्यों हम सभी को ये बात याद रखनी चाहिए कि अगर हम किसी के द्वारा गिनाए हुए कमियों को स्वीकार करके उसमें सुधार नहीं कर सकते तो फिर हम भविष्य में अथाह गलतियाँ करनेवाले हैं, और अगर हम कमियों को सुधार नहीं सकते तो फिर कोई हक़ नहीं कि हम उन आलोचकों को कमियाँ बताने से भी रोकें, ये आलोचकों का जन्म सिद्ध अधिकार था, है, और हमेशा रहेगा। इसलिए आलोचनाओं का स्वागत करें, तथा अपनी कमियों को सुधारें ….।
पाठ के आँगन में:
प्रश्न 1.
‘नर की अरु नल नीर की …………… इस दोहे द्वारा प्राप्त संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य को बहुत ही विनम्र होना चाहिए। व्यक्ति को धन, बल, ज्ञान आदि का अहंकार नहीं करना चाहिए। अहंकार करने से व्यक्ति का मान-सम्मान गिर जाता है। अहंकार करने वालों का दिखावटी सम्मान भले ही कोई करें परंतु दिल से उसका सम्मान कोई नहीं करता। इसलिए हम कितने ही संपन्न, बलशाली और बुद्धिमान क्यों न हों, हमें समाज में झुककर अर्थात विनम्र होकर रहना चाहिए। मनुष्य जितना ही विनम्र होता है, वह उतना ही ऊँचा अर्थात महान होता है।
प्रश्न 2.
शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए।
1. घरू
2. उज्जलुय
उत्तर:
1. घर
2. उज्ज्वल
Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 1 गागर में सागर Additional Important Questions and Answers
(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति क (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. दीन के आँख पर यह चश्मा लगा होता है।
2. चश्मे की विशेषता
उत्तर:
1. लोभ का चश्मा
2. इससे तुच्छ व्यक्ति बड़ा दिखता है।
कृति क (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि बिहारी जी इस दोहे में कृष्ण की भक्ति और कृष्ण प्रेम के संदर्भ में कहते हैं कि कृष्ण के प्रेम में डूबे इस प्रेमी मन की दशा को कोई भी समझ नहीं पाता है। यह मन जैसे-जैसे कृष्ण के प्रेम में डूबता जाता है; वैसे-वैसे निर्मल होता जाता है। अर्थात सारी बुराइयाँ अच्छाइयों में बदल जाती हैं।
लोभी व्यक्ति के व्यवहार का वर्णन करते हुए बिहारी जी कहते हैं कि लोभी व्यक्ति दीन-हीन बनकर घर-घर घूमता है और प्रत्येक व्यक्ति से हाथ फैलाकर याचना करता है। लोभ का चश्मा आँखों पर लगा लेने के कारण उसे तुच्छ व्यक्ति भी बड़ा अर्थात धनवान दिखाई देने लगता है अर्थात लालची व्यक्ति विवेकहीन होकर योग्य-अयोग्य व्यक्ति को भी नहीं पहचान पाता।
(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ख (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
1. इसे खाकर मनुष्य को नशा हो जाता है –
2. गुनी-गुनी कहने से यह गुनी नहीं हो जाता –
उत्तर:
1. धतूरा
2. निगुणी
प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचान कर लिखिए।
1. धतूरे को पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं।
2. गुनी-गुनी कहने से निगुनी भी गुनी हो जाता है।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बिहारी कवि कहते हैं कि सोना धतुरे से सौ गुना अधिक नशीला होता है। धतुरा खाने के बाद इंसान में नशा (पागलपन) पैदा होता है जबकि सोना पाते ही इंसान में अमीरी का नशा (पागलपन) छा जाता है। कवि इस दोहे में बताते हैं कि व्यक्ति नाम से नहीं अपितु अपने गुणों से महान होता है। गुणों से रहित किसी व्यक्ति को सब लोग गुणी-गुणी कहे तो भी गुणहीन व्यक्ति कभी गुणी नहीं हो सकता। क्या आपने कहीं सुना है कि वृक्ष के अर्क (रस) से भी अर्क (सूर्य) के समान प्रकाश होता है अर्थात वृक्ष के रस को भी अर्क कहते हैं और सूर्य को भी अर्क कहते हैं परंतु वृक्ष के रस को अर्क कहने से वह सूर्य जैसा प्रकाशित नहीं हो सकता।
(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ग (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. प्यासे के लिए ये सागर हैं –
2. नीचे होने अर्थात झुकने पर ये दोनों ऊँचे होते हैं।
उत्तर:
1. नदी, कुआँ और सरोवर।
2. मनुष्य और नल का पानी।
कृति ग (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य की और नल के पानी की गति एक समान होती है। नल का पानी जितना नीचे गिरता है, उतना ही ऊपर उठता है और व्यक्ति जितना नीचे झुकता है अर्थांत विनम्र होता है, उतना ही ऊँचा उठता है यानी श्रेष्ठ होता है। कवि कहते हैं कि नदी, कुआँ या सरोवर (तालाब) का पानी अधिक गहरा हो अथवा अधिक उथला (छिछला) हो। प्यासे व्यक्ति के लिए वही सागर है, जहाँ उस व्यक्ति की प्यास बुझ जाए।
(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मन इस सच्चाई पर शंका करता है।
2. लोग इसे उपद्रव गिनते हैं।
उत्तर:
1. बुरे लोगों के बुराई त्यागने पर।
2. निष्कलंक चंद्रमा को देखने को।
प्रश्न 3.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं।
2. मन की रुचि जिससे जितनी होती है, वह उतना ही उसे नापसंद होता है।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त दोहे का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि बुरा व्यक्ति बुराई करना त्याग दे तो भी मन इस सच्चाई पर शंका करता है अर्थात ऐसे लोगों के बुराई त्यागने पर भी मन उनसे बहुत डरता है। जैसे चंद्रमा निष्कलंक है फिर भी लोग उसे देखकर अशुभ-सूचक मानते हैं। समय-समय पर सब सुंदर लगते हैं। कोई भी सुंदर या असुंदर (बदसूरत) नहीं होता है। मन की जिससे जितनी रुचि होती है, उससे उतना ही प्रेम होता है अर्थात वह उसे उतना ही पसंद करता है|
इयत्ता नववी हिंदी स्वाध्याय उपाय
- इयत्ता नववी हिंदी धडा चाँदनी रात मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा बिल्ली का बिलुंगड़ा मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा कबीर मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा किताबें मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा जूलिया मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा ऐ सखि ! मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा डाॅक्टर का अपहरण मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा वीरभूमि पर कुछ दिन मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा वरदान माँगूँगा नही मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा रात का चौकीदार मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा निर्माणों के पावन युग में मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा कह कविराय मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा जंगल मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा इनाम मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा सिंधु का जल मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा अतीत के पत्र मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा निसर्ग वैभव मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा शिष्टाचार मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा उड़ान मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा मेरे पिता जी मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा अपराजेय मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा स्वतंत्रता गान मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा नदी की पुकार मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा झुमका मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा निज भाषा मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा मान जा मेरे मन मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा किताबें कुछ कहना चाहती हैं मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा ‘इत्यादि’ की आत्मकहानी मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा छोटा जादूगर मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा जिंदगी की बड़ी जरूरत है हार..! मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा गागर में सागर मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा मैं बरतन माँगूँगा मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा ग्रामदेवता मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा साहित्य की निष्कपट विधा है-डायरी मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा उम्मीद मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा सागर और मेघ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा लघुकथाएँ मराठी स्वाध्याय PDF
- इयत्ता नववी हिंदी धडा झंडा ऊँचा सदा रहेगा मराठी स्वाध्याय PDF
0 Comments:
Post a Comment