इयत्ता नववी हिंदी धडा उम्मीद मराठी स्वाध्याय PDF |
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इयत्ता नववी हिंदी धडा उम्मीद स्वाध्याय
मंडळाचे नाव |
Maharashtra Board |
ग्रेडचे नाव |
नववी |
विषय |
हिंदी धडा उम्मीद |
वर्ष |
2022 |
स्वरूप |
PDF/DOC |
प्रदाता |
|
अधिकृत संकेतस्थळ |
mahahsscboard.in |
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इयत्ता नववी हिंदी धडा उम्मीद स्वाध्याय उपाय
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Hindi Lokvani 9th Std Digest Chapter 5 उम्मीद Textbook Questions and Answers
भाषा बिंदु:
प्रश्न 1.
अर्थ की दृष्टि से वाक्य परिवर्तित करके लिखिए।
उत्तर:
संभाषणीय:
प्रश्न 1.
विद्यालय के काव्य पाठ में सहभागी होकर अपनी पसंद की कोई कविता प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
अरे! आ गई है भूली-सी
यह मधु ऋतु दो दिन को,
छोटी सी कुटिया मैं रच दूँ,
नयी व्यथा-साथिन को!
वसुधा नीचे ऊपर नभ हो,
नीड़ अलग सबसे हो,
झारखण्ड के चिर पतझड़ में
भागो सूखे तिनको!
आशा से अंकुर झूलेंगे
पल्लव पुलकित होंगे,
मेरे किसलय का लघु भव यह,
आह, खलेगा किन को?
सिहर भरी कपती आवेंगी
मलयानिल की लहरें,
चुम्बन लेकर और जागकर
मानस नयन नलिन को।
जवा-कुसुम-सी उषा खिलेगी
मेरी लघु प्राची में,
हँसी भरे उस अरुण अधर का
राग रंगेगा दिन को।
अंधकार का जलधि लांघकर
आवेंगी शशि-किरणें।
अंतरिक्ष छिरकेगा कन-कन
निशि में मधुर तुहिन को।
एक एकांत सृजन में कोई
कुछ बाधा मत डालों,
जो कुछ अपने सुंदर से हैं
दे देने दो इनको। लेखनीय
लेखनीय:
प्रश्न 1.
आठ से दस पंक्तियों के पठित गद्यांश का अनुवाद एवं लिप्यंतरण कीजिए।
उत्तर:
Writer Rameshwar Singh Kashyap was very fat. They say that One day, I was going to market on a rikshaw. I saw that an old man, keeping a weighing machine before him, was attracting the attention of people. Having stopped the rikshaw, no sooner did I keep my one feet on the weighing machine than the needle of the machine having made the complete round, began to produe rashing sound, as if it was insulting.
Being terrified, the old man stood with folded hands and then said, please do not keep the other feet! because my whole family depends for its, livelihood on this only machine. The surrounding passers by laughed at this. I thurst back my feet.
आसपास:
प्रश्न 1.
किसी काव्य संग्रह से कोई कविता पढ़कर उसका आशय निम्न मुद्दों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जाती-पाँती से बड़ा धर्म है
धर्म-ध्यान से बड़ा कर्म है
कर्मकांड से बड़ा मर्म है
मगर सभी से बड़ा यहाँ यह छोटा सा इंसान है,
और अगर वह प्यार करे तो धरती स्वर्ग समान है।
जितनी देखी, दुनिया सबकी, देखी दुल्हन ताले में,
कोई कैद पड़ा मस्जिद में, कोई बंद शिवाले में
किसको अपना हाथ थमा , किसको अपना मन दे दूँ
कोई लुटे अंधियारे में, कोई ठगे उजाले में
कवि का नाम – गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’
कविता का विषय – प्रस्तुत कविता ‘धरती स्वर्ग समान है’ में कवि सांप्रदायिक सद्भावना की आवश्यकता प्रतिपादित करते हैं।
कविता का केंद्रीय भाव – ‘धरती स्वर्ग समान है’ कविता के कवि ‘नीरज’ ने मानवतावाद को विश्व का प्रमुख और सत्य धर्म बताया है। कवि कहते है कि आज यदि विश्व में शांति और सद्भावना का साम्राज्य लाना है, तो आवश्यक है कि हम आपस में सौहार्द की भावना का विकास करें; परंतु आज परिस्थितियाँ अत्यंत विषम हैं। इसके लिए मानव-मानव के मध्य की भेदभाव की दीवारें तोड़नी होंगी। धर्मों और संप्रदायों के मध्य उत्पन्न घृणा और द्वेष को समाप्त करना होगा। प्रेम भरे आँसुओं की गंगा में स्नान करके आज हम अपने मन का मैल दूर कर सकते हैं। इस प्रकार प्रस्तुत कविता में कवि ने जाति, धर्म, संप्रदाय आदि के भेदभाव मिटाकर प्रेम एंव एकता से रहने का संदेश दिया है।
कल्पना पल्लवन:
प्रश्न 1.
“मैं चिड़िया बोल रही हूँ’ विषय पर स्वयंस्फूर्त लेखन कीजिए।
उत्तर:
मैं एक छोटी-सी नन्हीं चिड़िया बोल रही हूँ। मैं खुले आसमान में ऊँची-ऊँची उड़ान भरती हूँ। जब मैं बिल्कुल छोटी थी तब मेरी माँ ने मुझे बड़े यत्न से पाला। उस समय वो मुझे घोंसले से बाहर नहीं जाने देती थी। जब मुझे भूख लगती थी; तब वो मुझे अपने चोंच से दाना खिलाती थी। धीरे-धीरे मैं बड़ी होने लगी फिर एक दिन माँ ने मुझे उड़ना सिखाया और धीरे-धीरे मैं इस विशाल गगन में विचरण करने लगी। अब मैं अपना दाना खुद ही चुग लेती हूँ।
कभी-कभी कोई दयालु मनुष्य भी हमें खाने के लिए दाने देता है; तो मैं बहुत प्रसन्न हो जाती हूँ। लेकिन इसके साथ ही साथ कुछ मनुष्य ऐसे भी हैं; जो हमें पिंजरे में कैद करके रखते हैं और हमें मनोरंजन का साधन समझते हैं। यहाँ तक कि हमें बाजार में ऊँचे दामों पर बेचा भी जाता है। इन सब बातों से मेरा हृदय दुखी हो उठता है। अभी कुछ दिनों पहले मेरे साथ एक घटना घटित हो गई जो आप सबको सुनाना चाहती हूँ। ठंडी की एक सुबह मैं पगडंडियों पर फुदक रही थी और नम घास की गुदगुदाती छुअन का आनंद ले रही थी कि तभी एक आवारा कुत्ते ने मुझे अपने जबड़ो में जकड़ लिया।
मैं छटपटा रही थी लेकिन असहाय थी; तभी एक साधारण-सी दिखने वाली लड़की अपनी किताबें फेंककर मेरी तरफ दौड़ी और उस कुत्ते के जबड़े से मेरे प्राण बचाए। मैं बुरी तरह से घायल हो चुकी थी, मेरे पैर भी टूट चूके थे जिसके कारण मैं फूदक नहीं पा रही थी, तभी उसके कोमल हाथों ने मुझे उठा लिया और तब तक मेरी सेवा की जब तक मैं उड़ने के काबिल न हुई। कौन कहता है कि ईश्वर आसमान में होता है; जबकि वो तो नीचे है हम सबके साथ।
पाठ के आँगन में:
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
उत्तर:
कविता से मिलने वाली प्रेरणा:
(क) अपनी मंजिल की तरफ पूरे हौसले से बढ़ना चाहिए।
(ख) लक्ष्य प्राप्त करने के लिए खुद पर भरोसा कर, सच्चाई पर डटे रहना चाहिए।
प्रश्न 2.
‘किताबों में बहुत अच्छा लिखा है, लिखे को कोई पढ़ता क्यों नहीं’ इन पंक्तियों द्वारा कवि संदेश देना चाहते हैं….
उत्तर:
कवि कहना चाहते हैं कि प्राचीन काल से लेकर अब तक विभिन्न विद्वानों के द्वारा अनेक किताबें लिखी गई हैं। इन किताबों में हमारे कर्म, धर्म, संघर्ष, जीवन, देश, काल आदि से संबंधित अच्छी-अच्छी जानकारियाँ विस्तार से दी गई हैं। हमें इन ज्ञानवर्धक तथा प्रेरक बातों को पढ़ना चाहिए तथा अपने जीवन में उतारना चाहिए।
प्रश्न 3.
कविता में आए अर्थ पूर्ण शब्द अक्षर सारणी से खोजकर तैयार कीजिए।
उत्तर:
- महफूज
- मुश्किल
- तालीम
- खुद
- मोहताज
- बुलंदी
- मंजिल
पाठ से आगे:
प्रश्न 1.
भाषा के हिंदी गजलकारों के नाम तथा उनकी प्रसिद्ध गजलों की सूची बनाइए।
उत्तर:
गजलकारों के नाम | प्रसिद्ध गजलें |
1. फ़िराक़ गोरखपुरी | अगर बदल न दिया / इश्क तो दुनिया का राजा है / आँखों में जो बात |
2. बशीर बद्र | अगर यकीं नहीं आता तो आजमाए मुझे / भूल शायद बहुत बड़ी कर ली / गुलाबों की तरह दिल अपना |
3. राही मासूम रज़ा | अजनबी शहर के अजनबी रास्ते / दिल में उजले कागज पर / क्या वो दिन भी दिन है |
4. साहिर लुधियानवी | अक़ायद वहम है मज़हब खयाल-ए-खाम है साक़ी / मैं जिंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए / उदास न हो |
5. इक़बाल | अजब वाइज़ की दींदारी है या रब / सारे जहाँ से अच्छा / असर करे ना करे सुन तो लो मेरी फरियाद |
6. जाँ निसार अख़्तर | अशूआर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं / हमसे भागा न करो दूर / सौ चाँद भी चमकेंगे |
7. मजरूह सुल्तानपुरी | आ निकल के मैदां में दोरुखी के खाने से / मुझे सहल हो गई मंजिलें / कब तक मलूँ जबीं से |
8. मीर तक़ी ‘मीर’ | अश्क आँखों में कब नहीं आता / अपने तड़पने की / बेखुदी ले गई |
9. अमीर खुसरो | जिहाल-ए मिस्की मकुन तगाफुल / छाप तिलक सब छीनी से / बहुत दिन बीते पिया को देखे |
10. मिर्ज़ा ग़लिब | आ कि मरी जान को क़रार नहीं है / आईना क्यों न दूँ / कभी नेकी भी उसके जी में |
Hindi Lokvani 9th Std Textbook Solutions Chapter 5 उम्मीद Additional Important Questions and Answers
(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
1. मंजिल तब मुश्किल नहीं है –
2. थकानों की बात करते हैं –
उत्तर:
1. जब दिल में हौसला हो।
2. कमजोर दिलवाले।
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त दी गई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि पक्षियों को कभी उड़ने की शिक्षा नहीं दी जाती है। वे खुद ही आसमान की ऊँचाई को जान जाते हैं, अर्थात उड़ते-उड़ते आसमान की बुलंदियों तक जा पहुँचते हैं। इसी प्रकार कर्मठ और परिश्रमी व्यक्ति को किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती, वे स्वयं ही हर ऊँचाई को प्राप्त कर लेते हैं। कवि कहते हैं यदि दिल में साहस है तो किसी भी लक्ष्य को हासिल करना कठिन नहीं है। थक जाने की बात तो कमजोर दिल वाले किया करते हैं। अर्थात जिनके अंदर साहस है उनके लिए हर कार्य आसान है।
(ख) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए।
1. इनकी कमी नहीं है –
2. ये हमें तूफान से सुरक्षित रखती हैं –
उत्तर:
1. जीने के बहानों की!
2. मजबूत उम्मीदें
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
उपर्युक्त प्रथम चार पंक्तियों के सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं, जो जीना ही नहीं चाहते। जिन्हें सिर्फ मरना ही है, वे नि:संदेह आत्महत्या कर लें। वरना यहाँ जीने के बहानों की कोई कमी नहीं है अर्थात जीने की बहुत सारी वजह हैं। कवि कहते हैं, खुशबू का काम तो केवल महकना और चारों तरफ फैल कर लोगों को अपने सुगंध से भर देना है। खुशबू कभी भी प्रशंसकों की प्रशंसा से वंचित नहीं होती है। इसी प्रकार मनुष्य को भी खुशबू की तरह गुणी और परोपकारी होकर नि:स्वार्थ भाव से लोगों का कल्याण करते रहना चाहिए, तो वे भी कभी प्रशंसा के मोहताज नहीं होंगे।
कवि कहते हैं कि मनुष्य को पूरी उम्मीद (आशा) के साथ आगे बढ़ना चाहिए। जीवन में आने वाली मुसीबतों और परेशानियों के तूफान से ये उम्मीद ही उन्हें सुरक्षित रखती हैं इसलिए मनुष्य को कभी निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि उम्मीद की छतें बड़ी मजबूत होती हैं।
(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मनुष्य से कहते हैं जीवन में कुछ करने के लिए या लक्ष्य प्राप्त करने के लिए तुम्हारे अंदर पक्का इरादा क्यों नहीं है? तुम्हें अपने आप पर भरोसा क्यों नहीं है? अर्थात मनुष्य में आत्मविश्वास का होना बहुत जरूरी है। कवि मनुष्य से कहते हैं तुम्हें चलने के लिए दो पैर बने हैं अर्थात ईश्वर ने तुम्हें दो पैर दिए हैं, तो तुम उन पैरों पर चलते क्यूँ नहीं हो? यहाँ कवि का तात्पर्य यह है कि तुम अपने पैरों का उपयोग करके अपने लक्ष्य को क्यों नहीं प्राप्त करते हो? अर्थात मनुष्य को आत्मनिर्भर होना चाहिए।
(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए।
कवि द्वारा दी गई सीख –
उत्तर:
(क) खुदकुशी नहीं करनी चाहिए।
(ख) अपने देश की चिंता करनी चाहिए।
(ग) किताबें पढ़नी चाहिए।
प्रश्न 2.
सत्य या असत्य पहचानकर लिखिए।
1. खुदकुशी से स्वर्ग मिलता है।
2. किताबों में बहुत अच्छी बातें लिखी हैं।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
कृति (2): सरल अर्थ
प्रश्न 1.
प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
उत्तर:
कवि मनुष्य से कहते हैं इस संसार में आत्महत्या करने से किसको स्वर्ग मिला है। तू इतनी छोटी-सी बात क्यों नहीं समझता है? अर्थात आत्महत्या करना मूर्खता है।
कवि कहते हैं यह देश सबका अपना देश है। इसके उन्नति की चिंता सबको करनी चाहिए। आखिर सबको इसकी चिंता क्यों नहीं है? अर्थात प्रत्येक देश वासियों को अपने देश के उन्नति की चिंता करनी चाहिए।
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