AP Board Class 10 Hindi Chapter 10 नीति दोहे (कविता) Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 10th Hindi Chapter 10 नीति दोहे (कविता) Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 10th Hindi Chapter 10 नीति दोहे (कविता) Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 10 नीति दोहे (कविता) |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 10th Hindi Chapter 10 नीति दोहे (कविता) Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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InText Questions (Textbook Page No. 58)
प्रश्न 1.
कवि ने बिना फलवाले वृक्षों के विषय में क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने कहा है कि बिना फलवाले वृक्ष व्यर्थ ही अपनी अकड़ (घमंड) दिखाते हैं।
प्रश्न 2.
फलदार वृक्ष की विशेषता बताइए।
उत्तर:
फलदार वृक्ष की यह विशेषता है कि वे धरती तक नम (झुक) जाते हैं।
प्रश्न 3.
बुलबुल और कौए में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुलबुल की बोली मीठी होती है पर कौए की बोली मीठी नहीं होती। बुलबुल और कौए में यही अंतर है।
InText Questions (Textbook Page No. 59)
प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
उत्तर:
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है।
प्रश्न 2.
‘साँचे’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
“साँचे” शब्द का अर्थ है “सच्चे”।
प्रश्न 3.
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून – पंक्ति का भाव बताइए।
उत्तर:
पानी (इज्जत) के बिना मनुष्य, पानी (कांति) के बिना मोती और पानी (जल) के बिना चूना व्यर्थ हैं या बेकार है।
प्रश्न 4.
किसके मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है?
उत्तर:
सोने के मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है। धन या सोने में अधिक मादकता होती है। उसे पाते ही मनुष्य घमंडी बन जाता है।
प्रश्न 5.
बिहारी ने नर की तुलना किससे की है?
उत्तर:
बिहारी ने नर की तुलना नल के नीर से की है।
प्रश्न 6.
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को नम्र या विनयशील होना चाहिए।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
नीति वचनों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
- नीति वचनों के प्रभाव से हमारे जीवन में और आचार – विचार में अवश्य परिवर्तन आते हैं।
- नैतिक गुणों के विकास के द्वारा ही हम अच्छे – बुरे, सही – गलत में भेद कर सकते हैं।
- विष्णुशर्मा के पंच – तंत्र की नैतिक कहानियों से हमें यह पता चल रहा है कि राज कुमारों के जीवन में परिवर्तन आया है।
- समाज परिवर्तकों के नीति वचनों के प्रभाव एवं कार्य से ही समाज के आचार – विचारों में भी परिवर्तन आया है।
- उदाहरण के लिए एक जमाने पर समाज में सती – प्रथा, बाल्य विवाह आदि थे। लेकिन समाज सुधारकों
(परिवर्तकों) के नीति वचनों के कारण आजकल के समाज में वे सब गायब होगये।
प्रश्न 2.
वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं है? क्यों?
उत्तर:
वस्तु सेवाओं को उपयोग करने को ही अर्थशास्त्र की परिभाषा में वस्तु विनियोग कहते हैं।
वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उनसे अधिक या ज्यादा वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं हैं। क्योंकि वस्तुओं की उत्पत्ति कम मात्रा में होती है। उसका विनियोग करने वाले तो अधिक मात्रा में रहते हैं। इसलिए वस्तुओं की कमी होती है। इसका और एक कारण आबादी बढ़ना भी है। इस कारण से एक प्रकार का होड़ जनता के बीच में उस वस्तु के लिए होता है। इस स्थिति में एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक या उचित नहीं है।।
आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।
प्रश्न 1.
पाठ से ‘ध्वनि साम्य’ वाले शब्द चुनकर लिखिए। जैसे : रीत, मीत
उत्तर:
सून – चून ; जेतौ – तेतौ ; जोइ – होइ
प्रश्न 2.
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है। उसके अलग – अलग अर्थ क्या हैं?
उत्तर:
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। “पानी” शब्द के अलग – अलग अर्थ इस प्रकार
1. कांति → मोती के लिए चमक या कांति की आवश्यकता है।
2. इज्ज़त (आदर) → मनुष्य के लिए इज्ज़त या आदर भाव की आवश्यकता है।
3. जल → चूने के लिए जल की आवश्यकता है।
इ) भाव स्पष्ट कीजिए।
1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव : इस दोहे में कविवर रहीम “पानी” शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करते हुए कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना ये तीन व्यर्थ व निरुपयोग हैं। पानी के तीन अर्थ ये हैं – इज्जत, चमक और जला कविवर रहीम बताते हैं कि इज्जत या आदर के बिना मनुष्य, चमक या चमक के बिना मोती, जल के बिना चूना व्यर्थ तथा निरुपयोग हैं। इसलिए इन तीनों की रक्षा होनी चाहिए।
2. कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ।
भाव : कविवर बिहारी इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा के बारे में वर्णन करते हैं। कवि यहाँ कनक शब्द को दो अर्थों में प्रयोग किया है। एक – धतूरा, दूसरा – सोना। कवि कहते हैं कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से ही मानव पागल बनता है। लेकिन सोना या धन – दौलत को पाने से ही मनुष्य पागल होजाता है।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
रहीम ने जल के महत्व के बारे में क्या बताया है?
उत्तर:
रहीम ने पानी के तीन अर्थ बताये। इज्जत, चमक और पानी। बिना इज्जत के मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। बिना चमक के मोती का मूल्य नहीं होता | पानी के बिना चूना बेकार है।
प्रश्न 2.
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से क्यों की होगी?
उत्तर:
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से की है। धतूरा एक विषैला पौधा है। इसके फल भी होते हैं। यह पौधा एवं फल नशीले होते हैं। इनसे मादकता होती है।
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से इसलिए की है कि धतूरे से बढ़कर सोने में सौ गुना ज्यादा मादकता हैं। धतूरे को खाने से ही मानव पागल होता है। लेकिन सोने को पाने से ही मनुष्य पागल हो जाता है।
सोने को पाकर मानव सदा उसकी रक्षा करने के बारे में नींद के बिना चिंतित रहता है। उसे सदा चोरों का भय सताता है। इसलिए वह पागल बन जाता है।
आ) किन्हीं दो दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
दोहा -1
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ॥
भाव :
इस दोहे में कविवर रहीम बताते हैं कि मनुष्य जब धनवान बनता है तब वह सुख और संतोष के साथ रहता है। उसके कई मित्र, बंधु बनते हैं। उसका आदर बढ़ता है लेकिन किसी कारणवश वह निर्धनी बन जाता तो कोई भी उसके साथ ठहर नहीं सकते। उसे सहायता नहीं करते। उस विपत्ति के समय मित्र तथा बंधु भी पराये हो जाते हैं। कविवर रहीम कहते हैं कि जो विपत्ति के समय हमारे साथ ठहरते हैं वे ही सच्चे मित्र हैं।
दोहा -2
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव :
कविवर रहीम इस दोहे में पानी शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करके कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना व्यर्थ हैं।
‘पानी’ के तीन अर्थ हैं – चमक या कांति, इज्ज़त और जल।
रहीम कहते हैं कि चमक के बिना मोती, इज्ज़त के बिना मानव और जल के बिना चूना व्यर्थ हैं।
इ) पाठ में दिये गये दोहों के आधार पर कुछ सूक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
- विपत्तियों में जो हमारी मदद करता है वही सच्चा दोस्त है।
- संपत्ति में हमें अधिक बंधु – मित्र होते हैं।
- इज्जत के बिना जीना निरुपयोग (व्यर्थ) है।
- सोना धतूरे का काम करता है।
- नम्रता में ही श्रेष्ठता है।
ई) पाठ में दिये गये दोहों में आपको कौनसा दोहा बहुत अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
पाठ में दिये गये दोहों में मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा। क्योंकि इस दोहे में कवि रहीम के द्वारा बताया गया है कि जो विपत्तियों में हमारे साथ रहकर हाथ बाँटते हैं वेही सच्चे दोस्त हैं। सचमुच सच्चा दोस्त संपत्ति और विपत्ति दोनों समय हमारे साथ रहने से इतिहास में आदर्शवान बनेगा। सच्चा मित्र कहलायेगा। उसे आदर – सत्कार मिलेगा।
भाषा की बात
अ) अर्थ के अनुसार बेमेल शब्द पहचानिए।
1. नीर, पीर, जल, पानी – ………. (पीर)
2. मीत, रीत, मित्र, दोस्त- ……… (रीत)
3. जग, संसार, विश्व, मग – ………… (मग)
1. यमक अलंकार समझिए। यमक का अर्थ ‘दो’ होता है। किसी शब्द की पुनरावृत्ति भिन्न – भिन्न अर्थों में होती है, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण :
कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ । उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ॥
2. दोहा छंद समझिए।
दोहा मात्रिक छंद है। इसके पहले चरण में तेरह मात्राएँ, दूसरे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं। तीसरे चरण में तेरह मात्राएँ और चौथे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
इ) 1. यमक अलंकार का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तजि तीस्थ, हरि राधिका, तन – दुति करि अनुराग |
जिहि ब्रज – केलि निकुंजमग, पग – पग होत प्रयाग||
ई) नीचे दिये गये शब्दों में प्रत्यय पहचानकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. लौकिक
2. नैतिक
3. पौराणिक
उत्तर:
परियोजना कार्य
इस पुस्तक में हर पृष्ठ पर एक – एक नीति वाक्य दिया गया है। उनमें से आपकी मनपसंद – दस नीतियों की सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
मेरी मनपसंद दस नीतियों की सूची
नीतिवाक्य | प्रवाचक |
1. श्रम ईश्वर की उपासना है। | कारलाइल |
2. अपना सामर्थ्य ही सब से श्रेष्ठ बल। | मनुस्मृतिः |
3. शांति के समान कोई तप नहीं, संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है। | चाणक्य |
4. जीवन की महत्वाकांक्षाएँ बालकों के रूप में आती हैं। | रवींद्रनाथ टैगोर |
5. अहंकार छोड़ने पर ही मनुष्य मानवता के पथ पर बढ़ सकता है। | स्वामी विवेकानंद |
6. नारी की सहानुभूति हार को भी जीत बना सकती है। | प्रेमचंद |
7. परोपकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक क़दम है। | वीवर |
8. भय पर आत्मा की शानदार विजय ही वीरता है। | एमियल |
9. राष्ट्रभाषा की जगह एक हिंदी ही ले सकती है। | महात्मा गांधी |
10. संघटित ज्ञान का नाम विज्ञान है। | हेच स्पेन्सर |
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