AP Board Class 10 Hindi Chapter 2 ईदगाह (कहानी) Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 10th Hindi Chapter 2 ईदगाह (कहानी) Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 10th Hindi Chapter 2 ईदगाह (कहानी) Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 2 ईदगाह (कहानी) |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 10th Hindi Chapter 2 ईदगाह (कहानी) Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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InText Questions (Textbook Page No. 5)
प्रश्न .1
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?
उत्तर :
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेडों से मिलता है। .
प्रश्न .2
खुशबू भरे फूल हमें क्या देते हैं?
उत्तर :
खुशबू भरे फूल हमें नव फूलों की माला देते हैं।
प्रश्न .3
‘हम भी तो कुछ. देना सीखें’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर :
पथिकों को पेड दुपहर में छाया देते हैं। नव फूलों की माला में फूल हमें खुशबू देते हैं। वे परोपकारी हैं। उसी प्रकार हम भी उन्हें (पेड, फूलों को) देखकर त्याग भाव को अपनाकर दूसरों को कुछ देना है। इसीलिए कवि ने ऐसा कहा है कि “हम भी तो कुछ देना सीखें।
InText Questions (Textbook Page No. 6)
प्रश्न 1.
ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
(या)
ईदगाह पाठ में प्रकृति का चित्रण कैसे किया गया?
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। आज का सवेरा मनोहर और सुहावना है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक है। आसमान पर लालिमा है। सूरज बहुत प्यारा और शीतल है तथा सबको ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है।
प्रश्न 2.
हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
उत्तर:
हामिद भोली सूरतवाला चार – पाँच साल का दुबला पतला लडका है। जो कुछ मिला है, उससे संतुष्ट रहनेवाला आशावादी लडका है। उसके माँ – बाप मर गये। उसकी दादी अमीना ही उसका पालन – पोषण कर रही है। दादी ने उससे कहा कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं और अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज़ है। इसी आश में डूबे हामिद ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है।
प्रश्न 3.
हामिद के खुशी का कारण क्या है?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप तो मर चुके हैं। दादी अम्मा ने उसे बताया कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी चीजें लाने गयी है। हामिद का दिल निर्मल और खुश है। वह ईद का मेला भी देखने जा रहा है। यही हामिद की खुशी का कारण है।
प्रश्न 4.
हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?
(या)
हामिद ने दादी के लिए मिचटा खरीदा क्यों?
उत्तर:
हामिद अपनी दादी को बहुत चाहता है। हामिद की दादी के यहाँ चिमटा नहीं था। तवे से रोटियाँ उतारते वक्त उसके हाथ जल जाते थे। हामिद को ख्याल आया कि वह चिमटा ले जाकर दादी को दे देता तो उसके हाथ नहीं जलते। इसलिए अपनी दादी का कष्ट दूर करने हामिद चिमटा खरीदना चाहता था। खिलौनों की तुलना में चिमटा उपयोगी वस्तु है।
प्रश्न 5.
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं ?
उत्तर:
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों से दादी अम्मा बहुत प्रभावित हुई। उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, रस और स्वाद से भरा मार्मिक प्रेम था। हामिद के त्याग, सद्भाव, विवेक और खासकर दादी के प्रति अपार प्रेम की भावना याद कर दादी का मन गद्गद् हो गया । अपना आँचल फैलाकर हामिद को अनेक दुआएँ देने लगी। आँखों से खुशी की आँसू बहाने लगी।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :
अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
“ईदगाह’ कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार हैं मुंशी प्रेमचंद जी। आधुनिक हिंदी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। ये । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इन्हें उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। इन्होंने लग भग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियों में भारत देश के ग्रामीण जीवन का जीता जागता चित्रण स्पष्ट नज़र आता है। नैतिक मूल्यों का विकास व जागरण ही इनकी रचनाओं का खास विषय है। आपकी कहानियाँ मानस सरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं।
प्रश्न 2.
बालक प्रायः अलग – अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है?
उत्तर:
यह मानी हुयी और सच्ची बात है बालक प्रायः विभिन्न स्वभाव के होते हैं। हामिद तो अपने उत्तम और आदर्शमय स्वभाव से महान ठहरा । यह तो भोली सूरत का, चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। इसके माँ – बाप तो चल बसे थे। लेकिन यह विषय न जाननेवाला हामिद उनके लौट आने की आशा में सदा खुश रहता था। अपनी दादी के प्रति इसे बहुत प्यार था। इसीलिए ईदगाह जाते समय अपनी दादी – माँ को धीरज बँधाता | यह आशावादी लडका था। इसके मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, सहनशीलता संवेदनशीलता जैसी महान भावनाएँ घर कर बैठी थीं। मेले में सभी लड़कों ने अपने मनपसंद खाने और खेलने की चीजें खरीदीं तो हामिद ने अपनी दादी का ख्याल करके उसका कष्ट दूर करने अपने पास रहें पूरे तीन पैसे से चिमटा खरीदा। घर लौटकर उसे प्यार से दादी माँ को दिया। इस तरह हामिद मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, संवेदनशील भवानाएँ रखनेवाला उत्तम बालक था।
आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए।
1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।
उत्तर:
नहीं
2. अमीना हामिद की मौसी थी ।
उत्तर:
नहीं
3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है।
उत्तर:
हाँ
4. हामिद खिलौने खरीदता है।
उत्तर:
नहीं
इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. अमीना का क्रोध तुरंत …………….. में बदल गया।
उत्तर:
स्नेह
2. क़ीमत सुनकर हामिद का दिल ……….. गया।
उत्तर:
बैट
3. हामिद ………… लाया ।
उत्तर:
चिमटा
4. महमूद के पास ………………. पैसे थे।
उत्तर:
बारह
ई) अनुच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
बहुत समय पहले की बात है। श्रवण कुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माता – पिता देख नहीं सकते थे। किंतु उन्हें इस बात का दुख नहीं था। उनका पुत्र सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था। एक दिन माता – पिता ने अपने पुत्र से चारधाम यात्रा की इच्छा व्यक्त की। पुत्र काँवर में बिठाकर अपने माता – पिता को चारधाम की यात्रा पर ले गया। रास्ते में माता – पिता को प्यास लगी। उनके लिए पानी लाने के लिए श्रवण कुमार तालाब के पास पहुंचा। उसी समय राजा दशरथ तालाब के पास वाले जंगल में शिकार कर रहे थे। श्रवण द्वारा तालाब में लोटा डुबाने की ध्वनि सुनकर वे हाथी समझ बैठे। शब्दभेदी बाण चला दिया। इस बाण से श्रवण परलोक सिधार गया। माता – पिता की सेवा में आजीवन आगे रहने वाला श्रवण, इतिहास में सदैव अमर रहेगा।
प्रश्न 1.
माता – पिता की सेवा में कौन तत्पर था?
उत्तर:
माता – पिता की सेवा में श्रवण कुमार तत्पर था।
प्रश्न 2.
श्रवण कुमार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्रवण कुमार माता – पिता की सेवा में तत्पर रहनेवाला आदर्श पुत्र था।
प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सदा + एव = सदैव
प्रश्न 4.
अनुच्छेद के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मातृ – पितृ भक्ति परायण श्रवण कुमार/आदर्श पुत्र।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?
उत्तर:
अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महान स्वभाव वाला था हामिद। इसी स्वभाव से अपनी दादी का कष्ट दूर करने का ख्याल करके उसने चिमटा खरीद लिया। ___ मेरा भी हामिद के जैसा ही स्वभाव है। अपने सुख की परवाह न करके अपनों को सुख पहुँचाना चाहता हूँ। मुझे भी दादी है। वह ठीक तरह से देख नहीं सकती। इसलिए उसे डाक्टर के पास ले जाता और ऐनक खरीदता | उसकी आँखों में रोशनी देखना चाहता हूँ।
प्रश्न 2.
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ कैसी थीं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतल लडका था । वह अपनी दादी अमीना से बहुत प्यार करता था। सदा उसका ख्याल रखते उसे खुश रखना चाहता था। इसलिए जब मेले में भेजने वह डरने लगी तो हामिद ने मैं सबसे पहले आऊँगा बिलकुल न डरना कहकर धीरज बँधाया था। दादी ने उसे तीन पैसे दिये। मेले में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानें थीं। सब लडके अपने मनपसंद चीजें खरीदकर खुश रहे। हामिद ने तो दादी माँ का कष्ट दूर करने चिमटा खरीदा। उसने सोचा कि चिमटा लेकर देने से दादी अम्मा बहुत खुश होंगी। उसके हाथ रोटियाँ उतारते कभी नहीं जलेंगे। वह मुझे हजारों दुआएँ देंगी। पडोसी औरतों को दिखाकर बहुत खुश होगी। कहेगी कि कितना अच्छा लड़का है।
आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
ईदगाह कहानी मानवीय मूल्यों का प्रतिबिंब है। उसका सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी
सारांश :
हिंदी के उपन्यास सम्राट श्री प्रेमचंद की लिखी कहानी है ‘ईदगाह’ प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इस कहानी के ज़रिए आप छात्रों में त्याग, सद्भाव, विवेक जैसे उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं। साथ ही बडे बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना रखने की बात पर ज़ोर देते हैं।
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला, भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं, वह अपनी बूढी दादी अमीना की परिवरिश में रहता है। उससे कहा गया है कि उसके माँ – बाप उसके लिए बहुत अच्छी चीजें लायेंगे। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।
आज ईद का दिन है। सारी प्रकृति सुखदायी और मनोहर है। हामिद के महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। आमीना डर रही है कि अकेले हामिद को कैसे भेजे? हामिद के धीरज बँधाने पर वह हामिद को भेजने राजी होती है। जाते वक्त हामिद को तीन पैसे देती है। सब तीन कोस की दूरी परी स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो खिलौनों को ललचायी आँखों से देखता है, पर चुप रहता है। बाद लोहे की दुकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं, चिमटे को देखकर हामिद को ख्याल आता है कि बूढी दादी अमीना के पास चिमटा नहीं है। इसलिए तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसकी उंगलियाँ भी नहीं जलेंगी।
ऐसा सोचकर दुकानदार को तीन पैसे देकर वह चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मज़ाक उडाते हैं। हामिद तो इसकी परवाह नहीं करता। घर लौटकर दादी को चिमटा देते हैं तो पहले वह नाराज़ होती है। मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती थीं। इसलिए मैं इसे लिवा लाया कहने पर उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और विवेक गुण से उसका मन गद्गद् हो जाता है। हामिद को अनेक दुआएँ देती है और खुशी के आँसू बहाने लगती है।
नीति : ईदगाह कहानी में दादी और पोते का मार्मिक प्रेम दर्शाया गया है।
इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)
मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?
महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?
सम्मी . : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?
हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे।
(वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)
मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।”
हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”
सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा?
(लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)
दोस्तों ने एक साथ सब
मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?
ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए।
(या)
“हामिद में बड़े – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावनाएँ थीं” – ईदगाह कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी
हमारे मानव जीवन में बडे – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का बड़ा महत्व है। बडे – बुज़ुर्ग लोग हमारे जीवनदाता और हमारे सुखमय जीवन के मूल स्तंभ हैं। खासकर हमारी आमूल्य भारतीय संस्कृति हमें सुसंस्कार सिखाती है। बडे – बुज़ुर्ग लोग अनेक कष्ट – सुख झेलकर हमें सुख जीवन बिताने के योग्य बनाते हैं। वे बड़े अनुभवी और कर्तव्य परायण होते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बडे बुजुर्गों का ख्याल रखना, आदर देते उनकी सेवा करना हमारा धर्म और कर्तव्य है। वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं।
वे बूढे होकर काम नहीं कर सकते हैं। ऐसी हालत में हमें आदर के साथ उनकी सहायता करनी चाहिए। उनकी हर आवश्यकता की पूर्ति अपना भाग्य और कर्तव्य समझना है। वे संतुष्ट होकर जो आशीश हमें देते हैं। वे बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं। उनके बताये अनुभव हमारे सुखमय जीवन के सोपान हैं। हमारे आदर और श्रद्धापूर्ण कार्यों से उनको नयी शक्ति मिलती है। वे कष्टदायी बुढापे को भी हँसते बिता सकते हैं। बड़ों का आदर करना हमारा कर्तव्य है। आज के बालक कल के नागरिक बनते हैं। उनमें भी बडे – बुज़ुर्गों के प्रति आदर – श्रद्धा ,स्नेह भावनाएँ जगानी चाहिए।
भाषा की बात
अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
ईद, प्रभात, वृक्ष (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
ईद – ईद मुसलमानों का एक त्यौहार है। |
प्रभात – आज का प्रभात सुहावना है।
वृक्ष – वृक्ष मानव का परम मित्र हैं।
पर्याय शब्द
ईद – रमज़ान, पर्व, ईद – उल – फ़ितर, त्यौहार
प्रभात – प्रातःकाल, सवेरा
वृक्ष – पेड, तरु, पादप
प्रश्न 2.
अपराधी, प्रसन्न (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
अपराधी x निरपराधी
प्रसन्न x अप्रसन्न
वाक्य प्रयोग अपराधी : अपराधी को ही दंड देना चाहिए। निरपराधी को दंड देना दंडनीति नहीं है।
प्रसन्न : वह हर दिन प्रसन्न रहता है लेकिन आज ही वह किसी कारण अप्रसन्न दिख रहा है।
प्रश्न 3.
मिठाई, चिमटा, सड़क (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
वचन
मिठाई – मिठाइयाँ
चिमटा – चिमटे
सड़क – सड़कें
वाक्य प्रयोग
मिठाई : मेरे दादाजी हर साल 15 अगस्त के दिन सबको मिठाइयाँ बाँटते हैं।
चिमटा : लोहे की दूकान में कई चिमटे हैं।
सड़क : भारत देश में तीन प्रकार की सड़कें हैं।
आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
बेसमझ, सद्भाव, निडर (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
बेसमझ – बे ; सद्भाव – सत् । निडर – नि
प्रश्न 2.
दुकानदार, भड़कीला, ग़रीबी (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
दुकानदार – दार ; भड़कीला – ईला ; गरीबी – ई
प्रश्न 3.
मीठा, प्रसन्न, बूढ़ा (भाववाचक संज्ञा में बदलिए।)
उत्तर:
मीठा – मिठास ; प्रसन्न – प्रसन्नता; बूढा – बुढापा
इ) इन्हें समझिए और अभ्यास कीजिए।
प्रश्न 1.
हामिद के बाज़ार से आते ही अमीना ने उसे छाती से लगा लिया।
उत्तर:
यहाँ अपादान कारक “से” का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 2.
हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की।
उत्तर:
इस वाक्य में “कि’ का प्रयोग जोडनेवाले शब्द समुच्चयबोधक के रूप में हुआ। “की” का प्रयोग संबंध कारक और क्रिया रूप में हुआ।
ई) 1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके आधार पर दिये गये वाक्य बदलिए।
2. पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. आह भरना = कष्ट या दुख के कारण ठंडी साँस भरना।
ठंडी आह भरते हुए वह वहाँ से चला गया।
2. सिर झुकाना = नतमस्तक हो जाना।
बड़ों के सामने हमें विनय से सिर झुकाना चाहिए।
3. गले मिलना = प्यार से गले लिपटना/आलिंगन करना
राम ने लक्ष्मण को गले मिला लिया।
4. मज़ाक करना = उपहास करना, परिहास करना
हमें कभी किसी का मज़ाक करना नहीं चाहिए।
5. धावा बोलना = आक्रमण करना
सब बच्चे मिठाई दुकानों पर धावा बोल देते हैं।
6. मन ललचाना = इच्छा करना
मिठाइयों को देखकर बच्चों का मन ललचाना स्वाभाविक ही है।
7. दिल कचोटना = दिल में वेदना होना/दुःखित होना
बूढी दादी अमीना का दिल कचोट रहा है।
8. गदगद हो जाना = प्रसन्नता से फूले न समाना
बूढ़ी माँ को देखकर बेटे का मन गद्गद हो गया ।
9. दिल बैठ जाना निराश होना
कीमत जानकर उसका दिल बैठ गया।
10. भेंट होजाना = मर जाना
गाडी बहुत तेज़ चलाने से चालक की भेंट हुई।
11. छाले पड़ना . = धिक्कत होना (चलते समय)
चप्पल के बिना चलने से छाले पडती हैं।
12. माथे पर हाथ रखना = शोक करना
पिता की मृत्यु पर उसने माथे पर हाथ रखा।
13. पीली पडना – = बीमार पड़ना
हरी सब्ज़ी न खाने से पीले पडजाते हैं।
14. परलोक सिधारना मरजाना
बीमारी के कारण उसने परलोक सिंधारा|
परियोजना कार्य:
वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर – सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढकर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
“पित्रु भक्त बालक’
श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। ये कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते था बहुत समय पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता – पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता – पिता को बहुत प्यार करता था। उसकी माँ ने बहुत कष्ट उठाकर श्रवण को पाला था। जैसे – जैसे श्रवण बड़ा होता गया, अपने माता – पिता के कामों में अधिक से अधिक मदद करता गया।
सुबह उठकर श्रवण माता – पिता के लिए नदी से पानी भरकर लाता। जंगल से लकड़ियाँ लाता। चूल्हा जलाकर खाना बनाता। माँ उसे मना करतीं।
“बेटा श्रवण, तू हमारे लिए इतनी मेहनत क्यों करता है? भोजन तो मैं बना सकती हूँ। इतना काम करके तू थक जाएगा।”
“नहीं माँ, तुम्हारे और पिताजी का काम करने में मुझे जरा भी थकान नहीं होती। मुझे आनंद मिलता है। तुम देख नहीं सकतीं।रोटी बनाते हुए, तुम्हारे हाथ जल जाएँगे।”
“हे भगवान! हमारे श्रवण जैसा बेटा हर माँ – बाप को मिले। उसे हमारा कितना खयाल है।” माता – पिता श्रवण को आशीर्वाद देते न थकते।
श्रवण के माता – पिता रोज भगवान की पूजा करते। श्रवण उनकी पूजा के लिए फूल लाता, बैठने के लिए आसन बिछाता। माता – पिता के साथ श्रवण भी पूजा करता।
माता – पिता की सेवा करता श्रवण बड़ा होता गया। घर के काम पूरे कर, श्रवण बाहर काम करने जाता। अब उसके माता – पिता को काम नहीं करना होता।
एक दिन श्रवण के माता – पिता ने कहा –
“बेटा, तुमने हमारी सारी इच्छाएँ पूरी की हैं। अब एक इच्छा बाकी रह गई है।”
“कौन – सी इच्छा माँ? क्या चाहते हैं पिताजी? आप आज्ञा दीजिए। प्राण रहते आपकी इच्छा पूरी करूँगा।”
“हमारी उमर हो गई अब हम भगवान के भजन के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं बेटा। शायद भगवान के चरणों में हमें शांति मिले।”
“श्रवण सोच में पड़ गया। उन दिनों आज की तरह बस या रेलगाड़ियाँ नहीं थी। वे लोग ज्यादा चल भी नहीं सकते थे। माता-पिता की इच्छा कैसे पूरी करूँ, यह बात सोचते-सोचते श्रवण को एक उपाय सूझ गया। श्रवण ने दो बड़ी – बड़ी टोकरियाँ लीं। उन्हें एक मज़बूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बाँधकर लटका दिया। इस तरह एक बड़ा काँवर बन गया। फिर उसने माता – पिता को गोद में उठाकर एक – एक टोकरी में बिठा दिया। लाठी कंधे पर टाँगकर श्रवण माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने चल पड़ा।
श्रवण एक – एक कर उन्हें कई तीर्थ स्थानों पर ले जाता है। वे लोग गया, काशी, प्रयाग सब जगह गए। माता – पिता देख नहीं सकते थे इसलिए श्रवण उन्हें तीर्थ के बारे में सारी बातें सुनाता। माता – पिता बहुत प्रसन्न थे। एक दिन माँ ने कहा -“बेटा श्रवण, हम अंधों के लिए तुम आँखें बन गए हो। तुम्हारे मुँह से तीर्थ के बारे में सुनकर हमें लगता है, हमने अपनी आँखों से भगवान को देख लिया है।”
“हाँ बेटा, तुम्हारे जैसा बेटा पाकर, हमारा जीवन धन्य हुआ। हमारा बोझ उठाते तुम थक जाते हो, पर कभी उफ़ नहीं करते।” पिता ने भी श्रवण को आशीर्वाद दिया।
“ऐसा न कहें पिताजी, माता – पिता बच्चों पर कभी बोझ नहीं होते। यह तो मेरा कर्तव्य है। आप मेरी चिंता न करें।”
एक दोपहर श्रवण और उसके माता – पिता अयोध्या के पास एक जंगल में विश्राम कर रहे थे। माँ. को प्यास लगी। उन्होंने श्रवण से कहा – बेटा, क्या यहाँ आसपास पानी मिलेगा? धूप के कारण प्यास लग रही है।
“हाँ, माँ। पास ही नदी बह रही है। मैं जल लेकर आता हूँ।”
श्रवण कमंडल लेकर पानी लाने चला गया।
अयोध्या के राजा दशरथ को शिकार खेलने का शौक था। वे भी जंगल में शिकार खेलने आए हुए थे। श्रवण ने जल भरने के लिए कमंडल को पानी में डुबोया। बर्तन में पानी भरने की आवाज़ सुनकर राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पीने आया है। राजा दशरथ आवाज़ सुनकर, अचूक निशाना लगा सकते थे। आवाज के आधार पर उन्होंने तीर मारा। तीर सीधा श्रवण के सीने में जा लगा। श्रवण के मुँह से ‘आह’ निकल गई।
राजा जब शिकार को लेने पहुंचे तो उन्हें अपनी भूल मालूम हुई। अनजाने में उनसे इतना बड़ा अपराध हो गया। उन्होंने श्रवण से क्षमा माँगी।
“मुझे क्षमा करना ए भाई। अनजाने में अपराध कर बैठा। बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?” “राजन, जंगल में मेरे माता – पिता प्यासे बैठे हैं। आप जल ले जाकर उनकी प्यास बुझा दीजिए। मेरे विषय में उन्हें कुछ न बताइएगा। यही मेरी विनती है।” इतना कहते – कहते श्रवण ने प्राण त्याग दिए।
दुखी हृदय से राजा दशरथ, जल लेकर श्रवण के माता – पिता के पास पहुँचे। श्रवण के माता – पिता अपने पुत्र के पैरों की आहट अच्छी तरह पहचानते थे। राजा के पैरों की आहट सुन वे चौंक गए।
“कौन है? हमारा बेटा श्रवण कहाँ है?” बिना उत्तर दिए राजा ने जल से भरा कमंडल आगे कर, उन्हें पानी पिलाना चाहा, पर श्रवण की माँ चीख पड़ी-
“तुम बोलते क्यों नहीं, बताओ हमारा बेटा कहाँ है?”
“माँ, अनजाने में मेरा चलाया बाण श्रवण के सीने में लग गया। उसने मुझे आपको पानी पिलाने भेजा है। मुझे क्षमा कर दीजिए।” राजा का गला भर आया।
“हाँ श्रवण, हाय मेरा बेटा” माँ चीत्कार कर उठी। बेटे का नाम रो – रोकर लेते हुए, दोनों ने प्राण त्याग दिए। पानी को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। प्यासे ही उन्होंने इस संसार से विदा ले ली। सचमुच श्रवण कुमार की माता – पिता के प्रति भक्ति अनुपम थी। जो पुत्र माता-पिता की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें श्रवण कुमार कहकर पुकारा जाता है। सच है, माता – पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।
कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढे माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
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