AP Board Class 10 Hindi Chapter 5 लोकगीत (निबंध) Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 10th Hindi Chapter 5 लोकगीत (निबंध) Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 10th Hindi Chapter 5 लोकगीत (निबंध) Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 5 लोकगीत (निबंध) |
Provider | Hsslive |
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InText Questions (Textbook Page No. 23)
प्रश्न 1.
हाथों में क्या रचनेवाली है?
उत्तर:
हाथों में मेहंदी रचनेवाली है।
प्रश्न 2.
इस तरह के गीतों को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
इस तरह के गीतों को लोकगीत कहा जाता है।
प्रश्न 3.
किन – किन संदर्भो में लोकगीत गाये जाते हैं?
उत्तर:
त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये लोकगीत गाये जाते हैं।
InText Questions (Textbook Page No. 24)
प्रश्न 1.
लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत विशिष्ट स्थान रखते हैं। मनोरंजन की दुनिया में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। देहाती क्षेत्रों में ये अधिक गाये जाते हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये घर, गाँव, और नगर की जनता के गीत हैं। ये त्यौहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती । इनके रचनेवाले गाँव के आम पुरुष व महिलाएँ होती हैं। लोकगीत की भाषा जनभाषा है। इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाया जाता है।
प्रश्न 2.
लोकगीत और संगीत का क्या संबंध है?
उत्तर:
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती, जब कि शास्त्रीय संगीत में अधिक साधना की जरूरत होती है। संगीत की भाषा साहित्यक होती है जब कि लोकगीत की भाषा जन भाषा है। लोकगीत बाजों की मदद के बिना ही ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।
प्रश्न 3.
‘पहाड़ी’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पहाडी क्षेत्रों में रहनेवाली पिछडी जातियों को ‘पहाडी’ कहा जाता है। पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। उनके अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। गढ़वाला, किन्नौर, काँगडा आदि पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। इन्हें गाने की अपनी – अपनी विधियाँ हैं। उनका अलग नाम ही “पहाडी” कहा जाता है।
InText Questions (Textbook Page No. 25)
प्रश्न 4.
वास्तविक लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहाती की जनता से है। इनमें बडी जान होती हैं। ये गीत अधिकतर दैनिक जीवन की घटनाओं पर आधारित होते हैं। ये ग्रामीण बोलियों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। माहिया, हीर – रांझा, सोहनी महीवाल संबंधी गीत पंजाब के हैं। ढोलामारु आदि राजस्थान के हैं। ये सब लोकगीत बड़े चाव से गाये जाते हैं।
प्रश्न 5.
बारहमासा लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारहमासा लोकगीत तो बारह मासों से संबंधित हैं। इन लोकगीतों में बारह मासों से संबंधित प्रकृति वर्णन के बारे में गीत गाये जाते हैं। जिनमें प्राकृतिक विशेषताओं और महत्व का वर्णन किया जाता है।
प्रश्न 6.
“बिदेसिया’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भोजपुरी में करीब तीस – चालीस बरसों बिदेसिया का प्रचार हुआ है। गानेवालों में अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरे गाने लोकप्रिय नहीं है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। परदेशी प्रेमी की और इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है।
प्रश्न 7.
स्त्रियों के लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के लोकगीत अनंत संख्या में होते हैं। इनका संबंध स्त्रियों से है। इन्हें अधिकतर स्त्रियाँ ही लिखती और गाती हैं। ये गीत ढोलक की मदद से गाती हैं। गाने के साथ नाच का भी पुट होता है।
प्रश्न 8.
लोकगीत किसके प्रतीक हैं?
उत्तर:
लोकगीत हमारी संस्कृति तथा सभ्यता के प्रतीक हैं। आनंद और उल्लास के प्रतीक हैं। लोकगीत उद्दाम जीवन के ही गाँवों के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं। ये त्यौहारों के भी प्रतीक हैं। समस्त मानव जीवन के प्रतीक हैं।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
लोकगीत ग्रामीण जनता का मनोरंजक साधन है। कैसे?
(या)
ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “लोकगीत”
निबन्धकार का नाम : “श्री भगवतशरण उपाध्याय” है
- लोकगीत लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। ये जनता के संगीत है।
- ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं।
- इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
- इनकी रचना करनेवाले भी ज़्यादातर गाँव के लोग हैं।
- स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है।
- लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं।
- इनका सम्बन्ध देहात की जनता से है।
- इनकी रचना करनेवाले अपने गीतों के विषय रोज़मर्रा के जीवन से लेते हैं।
- लोकगीतों की भाषा गाँवों और इलाकों की बोलियों से संबंधित है।
- ये ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी की मदद से गाये जाते हैं।
- ये लोकगीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रसिद्ध हैं।
- इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है।
प्रश्न 2.
हिंदी या अपनी मातृभाषा का कोई लोकगीत सुनाइए।
उत्तर:
मेरी मात्रु भाषा तेलुगु होने के कारण मैं तेलुगु का लोकगीत लिख रहा हूँ।
“కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా
పచ్చిపాల మీద మీగడలేవి ?
వేడిపాల మీద వెన్నల్లు యేవి ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు యేవి ?”
“అత్తరో ఓయత్త ఆరళ్ళు అత్త
పచ్చిపాల మీద మీగడుంటుందా ?
వేడిపాల మీద వెన్నలుంటాయా ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు ఉంటాయా?”
ఇరుగు పొరుగులారా ఓ చెలియలార
అత్తగారి ఆరళ్ళు చిత్తగించరా ?
పెత్తనం లాగేస్తే పేచీలు పోను
ఆరళ్ళ అతయిన సవతి పోరయిన
తల్లిల్లు దూరమైన భరియించలేము.”
కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా |
కోడుకు ఊళ్ళో లేడు మల్లిరిక్కడివి?
“గంపంత మట్చేసి గాలి విసిరింది. ఈ
కొల్లలుగ మల్లెలు కొప్పులో రాలి.
आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।
1. लोकगीत हैं संगीत सीधे जनता के।
2. वास्तव में प्रकार हैं अनंत के गीतों के गाँव।
3. मदद ढोलक की से स्त्रियाँ हैं गाती।
उत्तर:
1. लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं।
2. गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं।
3. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।
इ) दिया गया गद्यांश पढ़िए और इसके मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।
गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठला – इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है? उददाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं।
जैसे : गीत
…………………..
…………………..
उत्तर:
जीवन, इठला – इठलाकर लहराना, अनंत प्रकार, आनंद के स्रोत, उद्दाम जीवन, अनंत संख्यक आदि।
ई) नीचे दिया गया लोकगीत पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
चलत मुसाफिर मोह लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी हलवैया दुकनिया
बर्फी के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी बजजया दुकनिया
कपडा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी पनवडिया दुकनिया
बीड़ा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया। (- शैलेंद्र कुमार)
प्रश्न 1.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर बर्फी के रस लेती है।
प्रश्न 2.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद किस दुकान पर जाती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद कपडे की दुकान पर जाती है।
प्रश्न 3.
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर बीड़ा का रस लेती है।
प्रश्न 4.
इस गीत का मूल भाव क्या है?
उत्तर:
इस गीत का मूल भाव यह है कि पिंजड़े में बंदी चिड़िया स्वेच्छा सुख का मज़ा ले रही है। आनंद के साथ उड रही है।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गयी है? इसके मुख्यांश बिंदुओं के रूप में लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है।
- लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
- विविध बोलियों पर लोकगीत गाए जाते हैं। गीतों का विषय रोजमर्रा के जीवन से लिया जाता है।
- अधिकतर संख्या में लोकगीत औरतें ही गाती हैं। ये मार्मिक होते हैं।
- लोकगीत, शुभ अवसरों पर, मनोरंजन के उद्देश्य से रस्मों को पूर्ति करने हेतु गाये जाते हैं।
- आल्हा, बारह मासा आदि लोकगीत अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।
इस निबंध में विभिन्न गीतों के प्रकार, गाये जानेवाले क्षेत्र, बोलियाँ, विषय आदि पक्षों की चर्चा की गई है।
प्रश्न 2.
जैसे – जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत’ निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। नगरीकरण के कारण शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड रहे हैं इसका प्रभाव लोकगीतों पर पड़ रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में मनोरंजन के विभिन्न साधनों के होने के कारण उनका ध्यान इस ओर से हट रहा है। पाश्चात्य संगीत से लोग उसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। एवं वैश्वीकरण ने लोगों के आचार – विचारों में भी परिवर्तन ला दिया है। अब गाँव में भी लोकगीतों की ओर से मन हट रहे हैं।
आ) ‘लोकगीत’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : लोकगीत
पाठ का लेखक : श्री भगवतशरण उपाध्याय
पाठ की विधा : निबंध
सारांश : हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।
स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लेते हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।
लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।
पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं।
बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढ़ोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है।
इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।
जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है।
गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।
नीति : वैश्वीकरण के कारण लोकगीतों का नाश हो रहा है। इन्हें बचाये रखना हमारा कर्तव्य है।
इ) अपने आसपास के क्षेत्र में प्रचलित किसी लोकगीत का हिंदी में अनुवाद कीजिए।
उत्तर:
लल्ला लल्ला लोरी
मुकेश
लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, मुन्नी करे तमाशा
छोटी – छोटी प्यारी – प्यारी सुन्दर परियों जैसी है
किसी की नज़र ना लगे, मेरी मुन्नी ऐसी है
शहद से भी मीठी, दूध से भी गोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …
कारी रैना के माथे पे, चमके चाँद सी बिंदिया
मुन्नी के छोटे – छोटे नैनों में खेले निंदिया
सपनों का पलना, आशाओं की डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ……….
लता
लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, जीवन खेल तमाशा
आधी मुरझा जाती है, थोड़ी सी कलियाँ खिलती हैं
सारी की सारी खुशियाँ, जीवन में किसको मिलती हैं
या टूटे पलना, या टूटे डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ….
लिखने को लिखवाती मैं, आगे क्या है गाना
लेकिन मैं क्या करती, तेरे पापा को था जाना
मुझसे भी छिपकर, तुझसे भी चोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …..
ई) लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं। अपने शब्दों में इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
- त्यौहारों और विशेष अवसरों पर लोकगीत गाये जाते हैं। ये गाँवों और देहातों में गाये जाते हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
- लोकगीतों को गाने वाली भी अधिकतर गाँवों की स्त्रियाँ ही हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
- इनके लिए कोई साधना की जरूरत भी नहीं होती है। * इसलिए इनमें मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
- इन देहाती गीतों के रचयिता कोरी कल्पना को मान न देकर अपने गीतों के विषय रोजमर्रा के बहते जीवन से लेते हैं जिससे वे सीधे मर्म को छू लेते हैं।
- इनके राग भी साधारणतः पीलु, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। इसलिए भी इन गीतों में ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
- इन लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं।
- इस कारण ये आलादकारक और आनंददायक होते हैं। इसीलिए भी इनमें ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
भाषा की बात
अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
साधना, त्यौहार, देहात (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
- साधना . – शास्त्रीय संगीत गाने के लिए साधना की ज़रूरत होती है।
- त्यौहार – दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है।।
- देहात – लोकगीतों का संबंध देहात की जनता से है।
पर्याय शब्द
- साधना – अभ्यास, तपस्या
- त्यौहार – पर्व, उत्सव
- देहात – गाँव, ग्राम
प्रश्न 2.
सजीव, परदेशी, शास्त्रीय (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए ।)
उत्तर:
विलोम शब्द
- सजीव × निर्जीव
- परदेशी × स्वदेशी
- शास्त्रीय × अशास्त्रीय
वाक्य प्रयोग
- सजीव – जो आज सजीव है कल यह निर्जीव अवश्य होगा।
- परदेशी – यह परदेशी होने पर भी हमारे स्वदेशी जैसे ही भारतीय संस्कृति को अपनाकर रहता है।
- शास्त्रीय – तुम जो राग का आलापना कर रही हो यह शास्त्रीय संगीत का नहीं अशास्त्रीय संगीत का है।
प्रश्न 3.
यह आदिवासी का संगीत है। (वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।)
उत्तर:
यह आदिवासियों का संगीत है।
आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
लोकगीत, लोकतंत्र (इस तरह ‘लोक’ शब्द के साथ बने दो शब्द लिखिए।)
उत्तर:
लोकपालक, लोकसभा
प्रश्न 2.
गायक, कवि, लेखक (लिंग बदलिए। याक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
- गायक – गायिका, गायनी
- कवि – कवइत्री
- लेखक – लेखिका
वाक्य प्रयोग
- गायक – लताजी एक प्रसिद्ध गायिका हैं।
- कवि – हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा सफल कवयित्री मानी जाती है।
- लेखक – सरोजिनी नायुडु एक अच्छी लेखिका भी है।
प्रश्न 3.
धर्म, मास, दिन, उत्साह (“इक” प्रत्यय जोड़कर वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
धार्मिक, मासिक, दैनिक, औत्साहिका
वाक्य प्रयोग
- दशहरा एक धार्मिक पर्व है।
- लोकगीतों से दैनिक जीवन में उत्साह मिलता है।
- विपुला एक मासिक पत्रिका है।
- आज अनेक औत्साहिक गायक गा सकते हैं।
इ) इन्हें समझिए और अतंर स्पष्ट कीजिए।
1. उपेक्षा – अपेक्षा
2. कृतज्ञ – कृतघ्न
3. बहार – बाहर
4. दावत – दवात
उत्तर:
1. उपेक्षा – अपेक्षा
उपेक्षा = उदासीनता, अवहेलना, तिरस्कार आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह “अपेक्षा” शब्द का विलोम शब्द भी है।
अपेक्षा = तुलना, चाह, आशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह उपेक्षा शब्द का विलोम शब्द है।
2. कृतज्ञ – कृतघ्न
कृतज्ञ = अनुग्रहीत, आभारी, ऋणी आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह कृतघ्न का विलोम शब्द है। उपकार मानने वाले को कृतज्ञ कहा जाता है।
कृतघ्न = उपकार न माननेवाला, ना शुक्रा यह कृतज्ञ का विलोम शब्द भी है।
3. बहार – बाहर
बहार = खिलती हुई जवानी, वंसत ऋतु, शोभा मजा, तमाशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
बाहर = स्थान या वस्तु विशेष की सीमा के उस पार, अलग, दूर, अन्यत्र आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग होता है।
4. दावत – दवात
दावत = भोज का निमंत्रण – इस शब्द का अर्थ है।
दवात = इस शब्द का अर्थ है स्याही रखने का बरतन या शीसा।
5. पेड़ पर बड़ा पक्षी है पर उसके छोटे – छोटे पर हैं।
उत्तर:
यहाँ “पर” शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में किया गया है।
1) पर → कारक के रूप में
2) पर → लेकिन के अर्थ में और
3) पर → पंख के अर्थ में।
6. हल चलाने से मात्र ही किसान की समस्याएँ हल नहीं होती।
उत्तर:
यहाँ “हल” शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया गया है।
1) हल = खेत जोतने का एक साधन
2) हल = सुलझाव या परिष्कार
ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
1.
उत्तर:
2.
उत्तर:
1. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।
क्या स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं?
स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं न!
2. लोकगीत के कई प्रकार हैं।
क्या लोकगीत के कई प्रकार हैं?
लोकगीत के कई प्रकार हैं न !
परियोजना कार्य
यहाँ दिये गये चित्र ध्यान से देखिए। ये चित्र भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखे गये एक प्रहसन नाटक से संबंधित हैं। इसी नाटक को कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने कविता के रूप में सृजन किया है। अपने पुस्तकालय या अन्य स्त्रोतों से उस नाटक या कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
यदि हम सूझ – बूझ से काम लेंगे तो बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना भी आसानी से कर सकते हैं। इस भावना पर आधारित प्रहसन नाटक “अंधेर नगरी’ यहाँ प्रस्तुत है।
पात्र
(महंत, नारायणदास, गोवर्धनदास, घासीराम, हलवाई, शिष्य, राजा, फ़रियादी, कल्लू, कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कमाई, गड़रिया, कोतवाल, सिपाही।)
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