Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Monday, June 27, 2022

BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Book Answers

BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Book Answers
BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Book Answers


BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks. These Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 10th
Subject Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 10 Hindi अक्षर-ज्ञान Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

प्रश्न 1.
कविता में तीन उपस्थितियां हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में प्रवेश, बोध और विकास तीन उपस्थितियाँ आयी हैं अक्षर ज्ञान की प्रक्रिया सबसे पहले प्रवेश की वातावरण में प्रारंभ हुई है। प्रवेश के संपूर्ण वातावरण को यहाँ तैयार किया गया है जहाँ अक्षर ज्ञान की रेखाएँ प्रारंभ से अंत तक सिमटती सिकुड़ती ‘क’, ‘ख’ के चित्र अंकित करती हैं। उसके बाद बोध में कुछ परिपक्वता दिखाई पड़ने लगती है जहाँ अक्षर ज्ञान का एक सुदृढ़ वातावरण आता है जो मूल रूप में बोध कराता है और कौतूहल को जगाता है। अंत में विकास क्रम उपस्थित होता है जहाँ निरंतर आगे बढ़कर अक्षर का मूर्त रूप देने का प्रयास सफल होता है। यह एक सफलता है जहाँ से विकास-क्रम का सिलसिला पूर्णरूपेण जारी हो जाता है।

प्रश्न 2.
कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवयित्री छोटे बालक द्वारा प्रारम्भिक अक्षर-बोध को साकार रूप में चित्रित करते हुए कहती हैं कि ‘क’ को लिखने में अभ्यास पुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता है। कर्म पथ भी इसी प्रकार प्रारंभ में फिसलन भरा होता है। ‘क’ को कबूतर मानकर प्रतीकात्मक रूप से अक्षर बोध कराने के सरलतम मार्ग का चित्रण है। साथ ही बालक की चंचलता कबूतर का फुदकना प्रकट करता है। इसी प्रकार ‘क’ की चर्चा में व्यापकता का भाव निहित है।

प्रश्न 3.
खालिस बेचैनी किसकी है ? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
खालिस बेचैनी खरगोश की है। ‘क’ सीखकर ‘ख’ सीखने के कर्म पथ पर अग्रसर होता हुआ साधक की जिज्ञासा बढ़ती है और वह आगे बढ़ने को बेचैन हो जाता है। खरगोश के माध्यम से ‘ख’ सिखाया जाना बच्चा के लिए सरल है। साथ ही खरगोश की तरह चंचल एवं तेज होकर बालक अपनी सीखने की गति तेज करता है। आशा और विश्वास में वृद्धि होता है। बंचैनी का अभिप्राय है आगे बढ़ने की लालसा, जिज्ञासा एवं कर्म में उत्साह।

प्रश्न 4.
बेटे के लिए ” क्या है और क्यों ?
उत्तर-
बेटे के लिए ‘ङ’ उसको गोद में लेकर बैठने वाली माँ है। माँ स्नेह देती है, वात्सल्य प्रेम देती है। सीखने के क्रम में विफलता का मुँह देखता हुआ, कठिनाइयों का सामना करता हुआ जब बच्चा थके हुए अवस्था में आगे बढ़ता है तब माँ स्नेह की गोद में बिठाकर सांत्वना देती हुई आशा की किरण जगाती है। ‘ङ’ भी ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक सीखने के क्रम के बाद आता है। वहाँ स्थिरता आ जाती है, साधना क्रम रुक जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कर्मरत बालक माँ की गोद में स्थिर हो जाता है।

प्रश्न 5.
बेटे को आँस कब आते हैं और क्यों ?
उत्तर-
यहाँ संघर्षशीलता का चित्रण है। सीखने के क्रम में कठिनाइयों का सामना करते हुए बालक थक जाता है। ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक अनवरत सीखते हुए ‘ङ’ सीखने का प्रयास करना कठिन हो जाता है। यहाँ वह पहले-पहल विफल होता है और आँसू आ जाते हैं। कर्म पथ पर
या जीवन पथ पर जब बच्चा अग्रसर होता है और संघर्ष करते हुए, गिरते-उठते चलने का प्रयास करते हुए माँ के निकट जब आता है तब स्नेह का आश्रय पाकर, ममत्व के निकट होकर रो देता है।

प्रश्न 6.
कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह पूर्ण सत्य है कि प्रस्तुत कविता में अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया एक चित्रात्मक शैली में की गई है। यह सृष्टि के विकासवाद का सूत्र उपस्थित करता है। सीखाने के क्रम में जो तीन उपस्थिलियाँ उत्पन्न हुई वे विकास का ही द्योतक है। यहाँ कविता के अंत में

‘कवियत्री’ शायद अव्यय का प्रयोग करके यह स्पष्ट करना चाहती है कि जो अक्षर-ज्ञान में बच्चों को मसक्कत करना पड़ता है वही मसक्कत सृष्टि के विकास में करना पड़ा होगा। शायद सृष्टि का प्रारंभिक कर्म गति से चला होगा।

प्रश्न 7.
कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है ? विचार करें।
उत्तर-
कविता में एक प्रवाह है जो विवासवाद के प्रवाह का बोध कराता है। सांत्वना और आशा सफलता का मूल मंत्र है। विकास क्रम में व्यक्ति जब प्रवेश करता है तब उसे उत्थान-पतन के मार्ग से गुजरना पड़ता है। जैसे अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया अति संघर्षशील होती है। लेकिन अक्षर ज्ञान करवाने वाली ममता की मूर्ति माँ सांत्वना और आशा का बोध कराते हुए शिशु को कोमलता प्रदान करती है और इसी कोमलता में शिशु का प्रयास सफलता के चरम सीमा पर स्थापित करता है।

प्रश्न 8.
व्याख्या करें “गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’ घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
उत्तर-
प्रस्तुत व्याख्येय पक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत ‘अंश में हिन्दी साहित्यं के समसामयिक कवयित्री अनामिका ने अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक-शिक्षण प्रक्रिया में संघर्षशीलता का मार्मिक वर्णन किया है।
कवयित्री कहते हैं कि बच्चों को अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया कौतुकपूर्ण है। एक चित्रमय वातावरण में विफलताओं से जूझते हुए अनवरत प्रयासरत आशान्वित निरंतर आगे बढ़ते हुए बच्चे की कल्पना की गई है। ‘ग’ को सीखना गमले की तरह नाजुक है जो टूट जाता है। साथ ही ‘घ’ घड़े का प्रतीक है जिसे लिखने का प्रयास किया जाता है लेकिन लुढक जाता है अर्थात् गमले की ध्वनि से बच्चा ‘ग’ सीखता है और ‘घडे’ की ध्वनि से ‘घ’ सीखता है।

प्रश्न 9.
‘अक्षर-ज्ञान कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
समकालीन कवियत्री अनामिका ने ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक कविता में अक्षर-ज्ञान कः प्रक्रिया उसमें आने वाली बाधाओं, हताशाओं और अन्ततः संघर्ष कर असफलता को सफलता में बदलने के संकल्प के साथ सृष्टि की विकास-कथा में मानव की संघर्ष-शक्ति को रेखांकित किया है।

कवयित्री कहती हैं कि माँ ने बेटे की चौखट या स्लेट देकर अक्षर-ज्ञान देना शुरू किया लेखन और ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया का सरल और रोचक बनाने के लिए उसने कुछ संकेता प्रतीक दिए। बेटे को बताया-‘क’ सं कबूतर, ‘ख’ से खरगोश, ‘ग’ से गमला और ‘घ’ से घड, आदि। बेटे ने लिखना शुरू किया। कबूतर का ध्यान करने के कारण ‘क’ चौखट में न अँटा, ‘ख भी खरगोश की तरह फुदक गया। इसी प्रकार गमला के चक्कर में ‘ग’ टूट गया और ‘घडा के ध्यान में ‘घ’ लुढ़क गया। लंकिन कठिनाई पैदा हुई ‘ङ’ को लेकर। माँ ने समझाया-‘ड’ और बिन्दु (.) उसकी गोद में बैठा बेटा। कोशिश शुरू हुई किन्तु ‘ङ’ सधता ही नहीं था। ब: कोशिश के बाद भी जब ‘ङ’ की मुश्किल हल न हुई हो तो बेटे की आँखों में आँसू आ : किन्तु ये आँसू ‘ङ’ को साधने के प्रयत्न छोड़ने के न थे, इन आँसुओं में ‘ङ’ को साधने का असफलता को धता बताने का संकल्प था।

इस कविता के माध्यम से सृष्टि-विकास-कथा को प्रस्तुत किया गया है। अक्षर-ज्ञान के क्रम __ में आने-वाली कठिनाइयाँ मानव-जीवन की कठिनाइयाँ हैं। मनुष्य जीवन-संघर्ष के शुरुआती दौर में डगमगाता है, लड़खड़ाता है, फिर भी चलता है। किन्तु कभी-कभी जीवन में ऐसे क्षण आत हैं जब आदमी बेहाल हो जाता है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं किन्तु मनुष्य हारता ना वह अपनी असफलता को सफलता में बदलने के लिए सन्निद्ध हो जाता है। ये आँसू ही सृष्टि-विकास-कथा के प्रथमाक्षर हैं अर्थात् संघर्ष ही मनुष्य की जिन्दगी की फितरत है। यही इस . कविता की भावना है, सार है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित भिन्नार्थक शब्दों के वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट करें-
चौखट-चोखट, बेटा-बाट, खालिस-खलासी, खलिश, थमना-थमकनो, थामना, सपना, साधना, साध, गोदी-गद्दी-गाद, कोशिश-कशिश, विफलता-विकलता।
उत्तर-
चौखट – वह चौखट पर खड़ा है।
चोखट – चोखट दूर गया।
बेटा – वह राम का बेटा है।
बाट – तुम किसकी बाट खोज रहे हो।
खालिस – वह खालिस बेचैनी में है।
खलासी – बस का खलासी भाग गया है।
खलिश – उसके खलिश का क्या कहना?
थमना – उसका पैर थम गया।
थमकना – पैर-थमकना अच्छी बात नहीं है।
थामना – उसने ईश्वर का दामन थाम लिया।
सघना – उसका काम सध गया।
साधना – उसने अपनी साधना पूरी कर ली।
साध – उसने अपना काम साध लिया।
गोदी – शिशु माँ की गोद में बैठा है।
गादी – वह गद्दी पर बैठा है।
गाद – कड़ाही में गाद बैठा हुआ है।
कोशिश – उसने भरपूर कोशिश नहीं की।
कशिश – उसकी कशिश देखने में बनती है।
विफलता – मुझे इस काम में विफलता मिली है।
विकलता – उसकी विकलता बढ़ गई।

प्रश्न 2.
कविता में प्रयुक्त क्रियापदों का चयन करते हुए उनसे स्वतंत्र वाक्य बनाएँ।
उत्तर-
अँटता – यह बक्सा चौखट में नहीं अँटता है।
फुदक – चिड़ियाँ फुदकती है।
उतरना – बंदर पंड़ से उतरता है।
लुढकता – गेंद लुढ़कता है।
सघता – उससे यह नहीं सधता है।
मानता – वह अपने गुरू को भगवान मानता है।
छलक. – आँसू छलक पड़े।

प्रश्न 3.
निम्नांकित के विपरीतार्थक शब्द दें :
बेटा, कबूतर, माँ, उतरना, टूटना, बेचैनी, अनवरत, आँसू, विफलता, प्रथमाक्षर, विकास-कथा, सृष्टि।।
उत्तर-
बेटा – बेटी
कबुतर – कबूतरी
मा – बाप
उतरना -चढ़ना
टूटना – बचना
बंदैनी – शान्ति
अनवरत – यदा-कदा
आँसू – हँसी
विफलता – सफलता
प्रथमाक्षर – अन्त्याक्षर
विकास – कथा अंतकथा
सृष्टि – प्रलय।

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न –
फुदक जाता है जरा-सा !

प्रश्न
(क) कवयित्री तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) काव्यांश का प्रसंग स्पष्ट करें।
(ग) दिये गये पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता-अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री-अनामिका।

(ख) प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री ने अबोध बालक के द्वारा प्रारंभिक अवस्था में अक्षर बोध का मनोरम चित्रण किया है। अक्षर-ज्ञान के क्रम में बच्चा बार-बार गलती करता है, असफल हो जाता है इसकी झलक दिखायी गयी है। किसी प्रतीक के माध्यम से अक्षर बोध आसानी से होता है यह भी कबूतर की चर्चा करके बताया गया है।

(ग) सरलार्थ प्रस्तुत पद्यांश में शुरुआत में बच्चा अक्षर ज्ञान किस प्रकार प्राप्त करता है, क्या कठिनाइयाँ आती हैं, किस प्रकार असफल हो जाता है इन तथ्यों की अभिव्यक्ति है। कवयित्री कहते हैं कि माँ बच्चा को अभ्यास-पुस्तिका में बने खाने के अन्दर ‘क’ लिखना सिखा रही है। वह चाहती है कि ‘क’ को सुन्दरतम रूप में चौखट के अन्दर लिखे। इसके लिए प्रतीक स्वरूप कबूतर को उपस्थित करते हुए बालक को कबूतर के का लिखने को प्रेरित करती है। किन्तु प्रारंभिक अवस्था के कारण लिखित ‘क’ चौखट से बाहर तक छा जाता है। वह उसके अंदर ठीक से नहीं लिखता मानो कबूतर फुदक रहा हो।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत पद्यांश में बताया गया है कि बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया कौतुकपूर्ण होती है। सीखने की उत्सुकता बच्चों को विभिन्न वस्तुओं के माध्यम से जागृत कराया जाता है। इन बातों का इस पद्यांश में मनोरम चित्रण है। बहुत ही सुन्दरतम भाव से इसका चित्रण किया गया है। इसमें बाल सुलभ भाव का दर्शन है।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) प्रस्तुत कविता पूर्ण रूप से चित्रात्मक शैली में लिखी गयी है।
(ii) रस की दृष्टि से वात्सल्य रस की पुट देखी जा रही है।
(iii) बाल मनोविज्ञान का अनोखा सामंजस्य होने के कारण भाषा सरल और सुबोध है।
(iv) खड़ी बोली की इस कविता में तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग मार्मिकता ला देता है।

2. पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिम बेचैनी में।
गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’

प्रश्न
(क) कवयित्री तथा कविता का नाम लिखें।
(ख) प्रसंग लिखें।
(ग) सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री- अनामिका।

(ख) प्रसंग… इस पद्यांश में किसी प्रतीक के माध्यम से बच्चों को अक्षर का बोध आसानी से कराने की बात कही गयी है। साथ ही यह भी बताया गया है कि अक्षर-ज्ञान सीखने में बच्चा बार-बार असफल होता है।

(ग) सरलार्थ… प्रस्तुत पंक्ति में कवयित्री ने चित्रण किया है कि बालक प्रारंभ में बहुत प्रयास से अक्षर ज्ञान प्राप्त करता है। धीरे-धीरे उसे अक्षर का बोध होता है। वह बार-बार अपने मानस-पटल पर अक्षर अंकित करता है और साथ ही साथ बार-बार भूलता भी है। जिस तरह खरगोश अस्थिर होता है, गमला टूट जाता है, घड़ा लुढ़क जाता है उसी प्रकार बच्चा भी चंचलतावश ख, ग, घ इत्यादि अक्षरों के स्मरण-विस्मरण का खेल खेलते रहता है। माँ की गोद में जिस प्रकार बच्चा बैठता है उसी प्रकार किसी अक्षर पर अनुस्वार देने की कल्पना की गई है। इस तरह अनवरत प्रयास, लगातार कोशिश, बार-बार असफल होने के बावजूद विकास-क्रम को कायम करता है।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने बालक के अनवरत प्रयास, उसकी चंचलता एवं स्मरण-विस्मरण को बड़े ही सुन्दर भाव में प्रस्तुत किया है। खरगोश, गमला एवं घड़ा की प्रतीकात्मकता अक्षर-ज्ञान के लिए सरलतम मार्ग है। इस बात की झलक सहज भाव में कराया गया है।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) इस कविता की शैली चित्रात्मक है।
(ii) वात्सल्य रस की पुट है।
(iii) भाषा सरल और सुबोध है।

ङ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’।
“ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिंदु (.) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
माँ-बेटे सधते नहीं उससे
और उन्हें लिख लेने की
अनवरत कोशिश में
उसके आ जाते हैं आँसू।।
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के।

प्रश्न
(क) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) काव्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री- अनामिका।

(ख) प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री बालक के अक्षर-ज्ञान के प्रयास का चित्रण करते हुए कहती है कि ‘ड’ माँ का प्रतीक है और (.) बिन्दु बेटे का साथ ही ‘ङ’ माँ की गोद में बैठे बेटे का। ‘ङ’ को सीखने का प्रयास कठिनतम लगता है और इस क्रम में आँसू आ जाता है। आँसू आ जाना कठिन मेहनत से जूझने का प्रतीक है। साथ ही विकास का क्रम की आशय को अभिव्यक्त करते हुए कहती हैं कि विकास की पहली सीढ़ी वही चढ़ता है जो आशा नहीं खोता, आशान्वित रहते हुए, असफलताओं को धक्का देते हुए, अनवरत प्रयासरत रहकर आगे बढ़ता रहता है।

(ग) सरलार्थ- प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान प्राप्त कर रहे बच्चे का मनोरम चित्रण किया है। बालक ‘ङ’ को साधने का प्रयास करता है लेकिन सधता नहीं है। फिर भी बालक रुकता नहीं भले ही उसे इसे साधने में आँसू आ जाएँ। अनवरत प्रयास सफलता का द्योतक है, विकास का सूत्र है ऐसा बताया गया है।

कवयित्री कहती है कि माँ-बेटे अर्थात् ‘ङ’ व अक्षर को सीखने में बार-बार असफलता हाथ लगती है। यहाँ तक कि उसे सीखने में असफल होने पर आँसू आ जाते हैं। फिर भी बालक सीखने हेतु जूझते रहता है और विकास-क्रम का प्रथम चरण को छू लेता है। इसमें कहा गया है कि बालक की ज्ञान प्राप्ति कौतुकतापूर्ण एवं कठिनतम होता है। फिर भी अनवरत प्रयास, जिज्ञासा उसे पीछे नहीं मुड़ने देती और विफलताओं का डटकर सामना करते हुए अपने साध्य को साध लेता है। जीवन के विकास कथा का यही मूल मंत्र है। केवल अक्षर ज्ञान नहीं बल्कि सृष्टि का विकास-कथा भी अनवरत प्रयास परिश्रम, विफलता, आशा और जिज्ञासा से युक्त रही है।

(घ) भाव-सौंदर्य– प्रस्तुत काव्यांश में बाल मनोविज्ञान का यथार्थ चित्रण हुआ है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान सीखने की प्रक्रिया में माँ की कोमलता और ममता का महत्त्वपूर्ण स्थान माना गया है। अक्षर ज्ञान छोटे बच्चों के निरंतर प्रयास को सम्पूर्ण सफलता का अंतिम चरण माना गया है।

(ङ) काव्य सौंदर्य-
(i) खड़ी बोली की इस कविता में तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग मार्मिकता ला देता है।
(ii) बाल मनोविज्ञान का अनोखा सामंजस्य होने के कारण भाषा सरल और सुबोध है।
(iii) यह कविता पूर्णरूपेण चित्रात्मक शैली में लिखित है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
‘अक्षर-ज्ञान’ किस कवि की रचना है ?
(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) रेनर मारिया रिल्के
(घ) अनामिका
उत्तर-
(घ) अनामिका

प्रश्न 2.
अनामिका किस काल की कवयित्री हैं ?
(क) रीतिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) समकालीन
(घ) आदिकाल
उत्तर-
(ग) समकालीन

प्रश्न 3.
चौखट में बेटे का क्या नहीं अँटता?
(क) क
(ख) ख
(ग) ग
(घ) घ
उत्तर-
(क) क

प्रश्न 4.
बच्चा कहाँ आकर थमक जाता है ?
(क) ‘ख’ पर
(ख) ‘ग’ पर
(ग) ‘घ’ पर
(घ) ‘ङ’ पर
उत्तर-
(घ) ‘ङ’ पर

प्रश्न 5.
कवियत्री अनामिका के अनुसार सृष्टि की विकास-कथा के प्रथमाक्षर क्या हैं ?
(क) सफलता की खुशी
(ख) विफलता के आँसू
(ग) मुक्ति की खोज
(घ) सुख की प्राप्ति
उत्तर-
(ख) विफलता के आँसू

प्रश्न 6.
काव्य-रचना के अलावा अनामिका किन विधाओं में सक्रिय हैं ?
(क) गद्य लेखन और आलोचना
(ख) नाट्य-लेखन
(ग) पत्रकारिता
(घ) उपन्यास-लेखन
उत्तर-
(क) गद्य लेखन और आलोचना

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
………समकालीन हिन्दी कविता की महत्त्वपूर्ण कवयित्री हैं।
उत्तर-
अनामिका

प्रश्न 2.
अनामिका का जन्म में हुआ।
‘उत्तर-
मुजफ्फरपुर

प्रश्न 3.
कबूतर ही है.न ……….जाता है जरा-सा।
उत्तर-
फुदक

प्रश्न 4.
…………से उतर जाता है उसका ‘ख’
उत्तर-
पक्ति

प्रश्न 5.
‘ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ………. ।
उत्तर-
माँ

प्रश्न 6.
…….. सधते नहीं उससे।
उत्तर-
माँ-बेटे

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनामिका को अब तक कौन-कौन पुरस्कार प्राप्त हुए हैं?
उत्तर-
अनामिका को अबतक राष्ट्रभाषा परिषद पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, ऋतुराज साहित्यकार सम्मान और गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 2.
अनामिका की रचनाएँ किस लिए जानी जाती हैं ?
उत्तर-
अनामिका की रचनाएँ समसामचिक बोध और समाज के वंचितों के प्रति सहानुभूति
के लिए जानी जाती हैं।

प्रश्न 3.
किस अक्षर को लिखने की अनवरत् कोशिश में बालक के आँसू निकल आते हैं ?
उत्तर-
‘ङ’ लिखने की अनवरत् कोशिश में बच्चे के आँसू निकल आते हैं।

प्रश्न 4.
बच्चे की आँखों में आँसू क्यों निकलते हैं ?
उत्तर-
बच्चे की आँखों से आँसू न लिखने की विफलता पर निकलते हैं।

प्रश्न 5.
कवियत्री की दृष्टि में विफलता के आँसू क्या हैं ?
उत्तर-
कवियत्री की दृष्टि में विफलता के आँसू सृष्टि की विकास-कथा के प्रथमाक्षर हैं।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न-
फुदुक जाता है जरा-सा!
पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिस बेचैनी में !
गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
“घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
“ड’ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘अक्षर-ज्ञान’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग मनुष्य के बचपन में अक्षर-ज्ञान से है। कवयित्री का कहना है कि बेटा इतना अबोध है कि उसका ‘क’ बनाये गए कोष्ठकों यानी चौखटे में नहीं अँटता है। ‘क’ से कबूतर की संज्ञा देते हुए बच्चा लिखता है बच्चे में और कबूतर में समानता झलकती है। दोनों फुदकने, कूदने, स्वछंद विचरण करने की अवस्था में हैं। दोनों की प्रकृति मिलती-जुलती है। ‘क’ लिखने के क्रम में कोष्ठक से अक्षर इधर-उधर बढ़ जाता है। जिस प्रकार कबूतर स्थिर नहीं सका ठीक उसी प्रकार ‘क’ भी कोष्ठक में नहीं अँटता। कोठे से बाहर इधर-उधर बढ़ जाता है वह कोठे की सीमा-रेखा को लाँघ जाता है। ‘ख’ भी खरगोश की तरह लिखता है ‘ख’ लिखने में भी खरगोश सदृश वह खेसा करता है जिससे ठीक कोई में वह नहीं अँटता।

‘ग’ भी वह ऐसा लिखता है मानो टूटे हुए गमले को दिखाता हो ! वह घड़े की तरह लुढ़कते रूप में ‘घ’ लिखता है। कहने का मूल भाव यह है कि बचपन तो बचपन होता है। उसमें अबोधता, अल्पज्ञता और मासूमियत होती है। चंचलता और निर्मलता का भाव होता है। कबूतर, खरगोश और घड़ा, ये ऐसे प्रतीक रूप हैं जिनसे बच्चे का मनोविज्ञान जुड़ा हुआ है। अक्षर-ज्ञान के क्रम में इन पक्षियों, जंतुओं और पात्रों से उसके बाल-मन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। यहाँ मनोवैज्ञानिक भाव दिखाये गए हैं। बचपन में बच्चा कैसे अक्षर-ज्ञान की ओर उन्मुख होता है और धीरे-धीरे अक्षर-ज्ञान से परिचित होता है। ‘ङ’ पर उसके हाथ रुक जाते हैं। वह ‘ङ’ लिखने में दिक्कतों का अनुभव करता है। बच्चा ङ को माँ और उससे सटं शून्य को बेटा का रूप मानकर अक्षर-ज्ञान सीखता है।

इस अक्षर-ज्ञान द्वारा कवयित्री ने सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक भावों, हमारी सृष्टि की क्षमता का सूक्ष्म चित्रण, सृजन की महत्ता और माँ-बेटे के रिश्ते को ‘ङ’ अक्षर के माध्यम से प्रदर्शित किया है, व्याख्यायित किया है। यहाँ सरल भाव के साथ गूढ़ भावार्थ भी कविता में निहित है। इसमें बचपन से लेकर सृष्टि की सूक्ष्म व्याख्या भी कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान के माध्यम से हमें करायी है। इसमें मनोवैज्ञानिक स्थितियों का सूक्ष्म चित्रण भी है।

प्रश्न 2.
ङ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिन्दु (.) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
माँ-बेटे सधते नहीं उससे
और उन्हें लिख लेने की
अनवरत कोशिश में
उसके आ जाते हैं आँसू।
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के अक्षर-ज्ञान काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग बच्चे के अक्षर-ज्ञान के साथ सृष्टि की सृजन-प्रक्रिया से भी है। यहाँ अक्षर-ज्ञान का वर्णन तो हुआ ही है—माँ-बेटे के बीच के कोमल संबंधों की सूक्ष्म व्याख्या भी की गयी है। कवयित्री अक्षर-ज्ञान के बहाने बच्चे के उर्वर मस्तिष्क के प्रति भी हमें आकृष्ट करती है। यहाँ ‘ङ’ अक्षर-ज्ञान के सिलसिले में बच्चा को माँ के रूप में देखता है तथा ङ के पेट में जो (.) बिन्दु है उसे बेटा मानता है। कवयित्री की सूक्ष्म एवं पैनी दृष्टि की दाद देनी होगी। बच्चे को अक्षर-ज्ञान के साथ सृष्टि के सृजनकारी रूपों से भी परिचय कराती है। यहाँ एक साथ दो ज्ञान उपलब्ध कराकर सज्ञान बनाना अत्यंत ही चिंतन का विषय है।

माँ-बेटे के कोमल एवं प्राकृतिक संबंधों को एक अक्षर ‘ङ’ के माध्यम से व्यक्त कर कवयित्री ने अपनी काव्य प्रतिभा के साथ तेजस्विता का भी परिचय दिया है। माँ बेटे को बार-बार अक्षर-ज्ञान कराकर उसे सिद्ध रूप में स्थिर कर देना चाहती है लेकिन बच्चा अबोध और चंचल है। बार-बार कोशिश के बावजूद भी वह थक जाता है। कभी रोने लगता है। यह उसकी विफलता के आँसू हैं। लेकिन इन आँसुओं में, प्रथमाक्षर-ज्ञान में सृष्टि की विकास-कथा भी छिपी हुई है। अंध युग से अपनी यात्रा को अबाध गति से ले चलते हुए मनुष्य आज यहाँ तक आया है। उसका बचपन उसकी प्रौढ़ता में ढल चुका है। उसका ‘क’ उसकी कुशलता के रूप में दिखायी पड़ता है।
आज वह धीरे-धीरे चलकर विकास-यात्रा के लक्ष्य शिखर तक पहुँच पाया है। उसको इस यात्रा में अनेक यंत्रणाओं, संघर्षों को झेलना पड़ा है।

अक्षर-ज्ञान कवित्री परिचय

समकालीन हिंदी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखनेवाली कवयित्री अनामिका का जन्म 17 अगस्त 1961 ई० में मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ । उनके पिता श्यामनंदन किशोर हिंदी के गीतकार और बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे । अनामिका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० किया और वहीं से पीएच० डी० की उपाधि पायी। सम्प्रति, वे सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापिका हैं।
अनामिका कविता और गद्य लेखन में एकसाथ सक्रिय हैं । वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखती – हैं। उनकी रचनाएँ हैं – काव्य संकलन : ‘गलत पते की चिट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘अनुष्टुप’ आदि आलोचना : ‘पोस्ट-एलिएट पोएट्री’, ‘स्त्रीत्व का मानचित्र’ आदि । संपादन : ‘कहती हैं औरतें’ ‘(काव्य संकलन) । अनामिका को राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार ऋतुराज साहित्यकार सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं।

एक कवयित्री और लेखिका के रूप में अनामिका अपने वस्तुपरक समसामयिक बोध और संघर्षशील वंचित जन के प्रति रचनात्मक सहानुभूति के लिए जानी जाती हैं । स्त्री विमर्श में सार्थक हस्तक्षेप करने वाली अनामिका अपनी टिप्पणियों के लिए भी उल्लेखनीय हैं।

प्रस्तुत कविता समसामयिक कवियों की चुनी गई कविताओं की चर्चित शृंखला ‘कवि ने कहा’ से यहाँ ली गयी है । प्रस्तुत कविता में बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया के कौतुकपूर्ण वर्णन-चित्रण द्वारा कवयित्री गंभीर आशय व्यक्त कर देती हैं।

अक्षर-ज्ञान Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

समकालीन हिन्दी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली कवयित्री और लेखिका के रूप में अनामिका अपने वस्तु परक और समसामयिक बोध और संघर्षशील वंचित जन के प्रति रचनात्मक सहानुभूति के लिए जानी जाती है। स्त्री विमर्श में सार्थक हस्तक्षेप करनेवाली अनामिका अपनी टिप्पणियों के लिए भी उल्लेखनीय हैं।

प्रस्तुत कविता समसामयिक कवियों की चुनी गई कविताओं की चर्चित श्रृंखला ‘कवि ने कहा’ से यहाँ ली गयी है। प्रस्तुत कविता में बच्चों के अक्षर ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। बच्चों का अक्षर ज्ञान वैविध्यपूर्ण होता है। उसके मनोभावों को पढ़ना और उसके सहज बोध के द्वारा सीखाना अध्यापक अध्यापिका की शिक्षण कला का प्रदर्शन होता है। बच्चों को पढ़ाने के लिए स्वयं बच्चा बनना पड़ता है। माँ पहली अध्यापिका होती है। जीवन बोध की पहला अक्षर ज्ञान उसी के द्वारा प्राप्त होता है। ‘क’ लिखाने की प्रक्रिया पूरी भी नहीं होती है कि ‘ख”आकर नीचे उत्तर जाती है। ‘ग’ में बेचैनी दिखती है कि ‘घ’ घड़ा की तरह लुढ़क जाता है। वस्तुतः कवयित्री माँ और बेटे के माध्यम से अक्षर ज्ञान को सहज बोध को अपने ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है। माँ-बेटे अक्षर ज्ञान के लिए अथक परिश्रम करते हैं फिर भी असफलता ही हाथ लगती है। पहली विफलता पर आँसू छलक जाते हैं। ये आँसू ही अक्षर-ज्ञान का पहला अक्षर हैं। सृष्टि की विकास की कथा इसी अक्षर ज्ञान से लिखी हुई है।


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 10th


Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान exam preparation. The BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Solutions


How to get BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 10 Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान, BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks, Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान, Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook solutions, BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान, BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbook solutions, BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy