Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Monday, June 27, 2022

BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Book Answers

BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Book Answers
BSEB Class 10 Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Book Answers


BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks. These Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 10th
Subject Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 10 Hindi विष के दाँत Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

विष के दांत का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने अमीरों की तथाकथित मर्यादा पर व्यंग्य किया है। इसमें गरीबों पर अमीरों के शोषण एवं अत्याचार पर प्रकाश डाला गया है। ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। इस लड़ाई में महल की जीत में भी हार दिखाई गई है। मदन द्वारा पिटे जाने पर खोखा के जो दो दाँत टूट जाते हैं वह अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार का प्रतीक है। मदन अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यही इस कहानी का लक्ष्य है। अतः निसंदेह कहा जा सकता है कि ‘विष के दाँत’ इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है। अमीरों के विष के दाँत तोड़कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लालों के लिए गर्वोल्लास की बात है। इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बन पड़ा है।

विष के दांत कहानी का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सेन साहब के परिवार में उनकी पाँच लड़की थी। सीमा, रजनी, आलो, शेफाली, आरती सबसे छोटा लड़का था काशू बाबू, प्यार से खोखा कहते थे। ।
सेन साहब के परिवार में पाँचों लड़कियों के ऊपर काफी अनुशासन था। लड़का सबसे छोटा था और उसका बहुत बाद में था। इसी कारण से लड़के प्रति मोह होना स्वभाविक था। लड़का के ऊपर अनुशासन का बंधन बहुत ढीला था।

विष के दांत प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर-
सेन साहब एक अमीर आदमी थे। अभी हाल में उन्होंने एक नयी कार खरीदी थी। वे किसी को गाड़ी के पास फटकने नहीं देते थे। कहीं पर एक धब्बा दिख जाए तो क्लीनर और शोफर पर शामत आ जाती थी। उनके लड़कियों से मोटर की चमक-दमक का कोई खास खतरा नहीं था। लेकिन खोखा सबसे छोटा लड़का था। वह बुढ़ापे की आँखों का तारा था। इसीलिए मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी। दरअसल बात यह थी कि खोखा का आविर्भाव तब हुआ था जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गई थी। खोखा जीवन के नियम का जैसे अपवाद था और इसलिए यह भी स्वाभाविक था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद था। इसलिए मोटर को कोई खतरा था तो केवल खोखा से ही। घर में मोटर-संबंधी नियम हो या अन्यान्य मामले उसके लिए सिद्धान्त बदल जाते थे।

विष के दांत कहानी का सारांश बताएं Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 4.
सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी?
उत्तर-
सेन दंपती खोखा में अपने पिता की तरह इंजीनियर बनने की पूरी संभावना देखते थे। उन्होंने उसके शिक्षा के लिए कारखाने से बढ़ई मिस्त्री घर पर आकर एक-दो घंटे तक उसके साथ कुछ ठोंक-ठाक किया करे। इससे बच्चे की उँगलियाँ अभी से औजारों से वाकिफ हो जाएंगी।

प्रश्न 5.
सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
(क) लड़कियाँ क्या है, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।
उत्तर-
‘व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ नलिने विलोचन शर्मा द्वारा लिखित ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। यह संदर्भ सेन परिवार में पाली-पोसी जानेवाली लडकियों की चारित्रिक विशेषताओं . से जुड़ा हुआ है।

सेन परिवार मध्यमवर्गीय परिवार है जहाँ की जीवन-शैली कृत्रिमताओं से भरी हयी है।
सेन परिवार में लड़कियों को तहजीब और तमीज के साथ जीना सिखाया जाता है। उन्हें । शरारत करने की छूट नहीं। वे स्वच्छंद विचरण नहीं कर सकतीं जबकि बच्चा के लिए कोई पाबंदी नहीं है। सेन दंपत्ति ने लड़कियों को यह नहीं सिखाया है कि उन्हें क्या करना चाहिए उन्हें ऐसी तालीम दी गयी है कि उन्हें क्या-क्या नहीं करना है, इसकी सीख दी गयी है। इस प्रकार सेन परिवार में लड़कियों के प्रति दोहरी मानसिकता काम कर रही है। जहाँ लड़कियाँ अनुशासन, तहजीब और तमीज के बीच जी रही हैं वहाँ खोखा सर्वतंत्र स्वतंत्र है। लड़का-लड़की के साथ दुहरा व्यवहार विकास, परिवार और समाज के लिए घातक है। अतः लड़का-लड़की के बीच नस्लीय भेदभाव न पैदा कर उनमें समानता का विस्तार करना चाहिए।

(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धान्तों को भी बदल लिया था।
उत्तर-
व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ नामक कहानी से ली गयी हैं। इस कहानी के रचयिता आचार्य नलिन विलोचन शर्माजी हैं। यह पंक्ति सेन परिवार के लाडले
बेटे के जीवन-प्रसंग से संबंधित है।
कहानीकार ने इन पंक्तियों के माध्यम से यह बताने की चेष्टा किया है कि सेन परिवार एक मध्यमवर्गीय सफेदपोश परिवार है। यहाँ कृत्रिमता का ही बोलबाला है। नकली जीवन के बीच जीते ।। हुए सेन परिवार अपने बच्चों के प्रति भी दोहरा भाव रखता है।

सेन परिवार का बेटा शरारती स्वभाव का है। वह बुढ़ापे में पैदा हुआ है, इसी कारण सबका लाडला है। उसके लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा में कोई पाबंदी अनुशासन नहीं है। वह बेलौस जीने के लिए स्वतंत्र है। उसके लिए सारे नीति-नियम शिथिल कर दिए गए थे। वह इतना उच्छृखल था कि उसके द्वारा किये गए बुरे कर्मों को भी सेन दंपत्ति विपरीत भाव से देखते थे और उसकी तारीफ करते थकते नहीं थे।

सेन दंपत्ति बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते थे, इसी कारण ट्रेनिंग भी वैसी ही दिलवा रहे थे। उसे किंडरगार्टन स्कूल की शिक्षा न देकर कारखाने में बढ़ई मिस्त्री के साथ लोहा पीटने, ठोंकने आदि से संबंधित काम सिखाया जाता था। औजारों से परिचित कराया जाता था। इस प्रकार सेन परिवार अपने शरारती बेटे के स्वभाव के अनुरूप ही शिक्षा की व्यवस्था कर दी थी और अपने सिद्धांतों को बदल लिया था।

(ग) ऐसे ही लडके आगे चलकर गंडे, चोर और डाक
उत्तर-
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी से ली गयी हैं। इसके रचयिता हैं—नलिन विलोचन शर्मा। इस पंक्ति का प्रसंग गिरधारी के बेटे मदन के साथ जुड़ा हुआ है।

एक बार की बात है कि सेन की गाड़ी के पास मदन खड़ा होकर गाड़ी को छू रहा था। जब शोफर ने उसे ऐसा करने से मना किया तो वह शोफर को मारने दौड़ा लेकिन गिरधारी की पत्नी ने बेटे को संभाल लिया। ड्राइवर ने मदन को धक्के देकर नीचे गिरा दिया था जिससे मदन का घुटना फूट गया था.

शरारत की चर्चा ड्राइवर ने सेन साहब से की थी। इसी बात पर सेन साहब काफी क्रोधित हुए थे और गिरधारी को अपनी फैक्टरी से बुलवाकर डाँटते हुए कहा था कि देखो गिरधारी। आजकल मदन बहुत शोख हो गया है। मैं तो तुम्हारी भलाई ही चाहता हूँ। गाड़ी गंदा करने से मना करने पर वह ड्राइवर को मारने दौड़ पड़ा था और मेरे सामने भी वह डरने के बदले ड्राइवर की ओर मारने के लिए झपटता रहा। देखो, यह लक्षण अच्छा नहीं है, ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं। गिरधारी लाल तो जी हाँ, जी हाँ कहने में ही लगा हुआ था। ऐसी सीख देते हुए सेन साहब गिरधरी लाल को बच्चे को सँभालने और शरारत छोड़ने की सीख देते हुए चले गए। यह प्रसंग उसी वक्त का है।

इन पंक्तियों में सेन के चरित्र के दोगलेपन की झलक साफ-साफ दिखती है एक तरफ अपने अनुशासनहीन बेटे को इंजीनियर बनाने का सपना पालनेवाले सेन को उसकी बुराई नजर नहीं आती लेकिन दूसरी ओर गिरधारी लाल के बेटे में उइंडता और शरारत दिखाई पड़ती है। यह उस मध्यवर्गीय परिवार के जीवन चरित्र की सही तस्वीर है। अपने बेटे की प्रशंसा करते हैं, भले ही वह कुलनाशक है लेकिन निर्धन, निर्बल गिरधरी लाल के बेटे में कुलक्षण ही उन्हें दिखायी पड़ते हैं।

(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।
उत्तर-
व्याख्या – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘विष के दाँत’ नामक कहानी से ली गयी हैं जिसके रचियता हैं नलिन विलोचन शर्मा।
यह प्रसंग उस समय का है जब सेन दंपत्ति का बेटा दूसरे दिन शाम के वक्त बँगले के अहाते __ के बगलवाली गली में जा निकला। वहाँ धूल में मदन (गिरधारी लाल का बेटा) आवारागर्द लड़कों . के साथ लटू नचा रहा था। खोखा ने जब यह दृश्य देखा तो उसकी भी तबीयत लटू नचाने के लिए ललच गयी। खोखा तो बड़े घर का था यानी वह हंसों की जमात का था जबकि मदन और वे लड़के निम्न मध्यमवर्गीय दलित, शोषित थे। इन्हें कौओं से संबोधित किया गया। इसी सामाजिक भेदभाव के कारण कहा गया कि हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया। यानी कहने का भाव यह है कि खोखा जो अमीर सेन परिवार का वंशज है, गरीबों के खेल में शामिल होकर खेलने के लिए ललक गया किन्तु यह संभव न हो सका क्योंकि पहले दिन उसके पिता ने उसे और उसकी माँ के साथ पिता को भी प्रताड़ित किया था, उसने अपने अपमान को यादकर छूटते ही खोखा से कहा—अबे, भाग जा यहाँ से। बड़ा आया हैलटू खेलनेवाला ! यहाँ तेरा लटू नहीं है। जा, जा, अपने बाबा की मोटर में बैठ।

इन पंक्तियों के द्वारा कहानीकार सामाजिक असमानता, भेदभाव, गैरबराबरी को दर्शाना चाहता है।

प्रश्न 6.
सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया?
उत्तर-
एक दिन का वाकया है कि ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और सेन के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय : कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया- मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ, और वे ही बातें दुहराकर थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐंठकर रह गए।

प्रश्न 7.
मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर-
कहानीकार ड्राइवर के रूप में सामन्ती मानसिकता को दिखाया है। मदन एक गरीब का बच्चा है उसके सिर्फ मोटर को स्पर्श करने पर उसे धकेल दिया गया है। जिस कारण उसे चोट आ गया। सामन्ती मानसिकता और एक गरीब के व्यवहार की ओर कहानीकार बसा रहे हैं।

प्रश्न 8.
काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?
उत्तर-
काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण था काशू द्वारा मदन से लटू माँगना। मदन देने से इंकार करता है। काशू मारता है फिर मदन भी मारता है।
लेखक इस प्रसंग के द्वारा दिखाने चाहते हैं कि बच्चे में सामन्ती मानसिकता का भय नहीं होता बाद में चाहे जो हो जाय।

प्रश्न 9.
‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए।
उत्तर-
सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को छूने भर के अपराध के लिए मदन न केवल शोफर द्वारा घसीटा जाता है, अपितु बाप गिरधर द्वारा भी बेरहमी से पीटा जाता है। दूसरे दिन खोखा जब मदन की मंडली में लटू खेलने चला जाता है तो मदन का स्वाभिमान जाग उठता है। दोनों की लड़ाई वृहत् रूप ले लेती है। खोखा और. मदन की लड़ाई महल और झोपड़ी की लड़ाई का प्रतीक है। खोखा को मुँह की खानी पड़ती है। इस स्वाभिमान की झगड़ा में झोपड़ी वाले की जीत होती है।

प्रश्न 10.
रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने के बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर-
गिरधर लाल सेन साहब की फैक्ट्री में एक किरानी था और उनके ही बंगले के अहाते के एक कोने में आउट-हाउस में रहता था। सेन साहब द्वारा जब मदन की शिकायत की जाती । तब गिरधर मदन की पिटाई करता था। गिरधर सेन साहब की हर बात को मानने के लिए विवश था। लेकिन एक दिन जब मदन काशू के अहंकार का जवाब देते हुए उस पर प्रहार करके उसके दाँत तोड़ दिये तब उसके पिता उल्लास और गर्व के साथ उसे शाबासी देते हैं। जो काम वह स्वयं नहीं कर पाया था वह उसका पुत्र करके दिखा दिया था। इसलिए वह गौरवान्वित था। मदन शोषण, अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध प्रज्वलित प्रतिशोध का प्रतीक है। उसके निर्भीकता से प्रभावित होकर गिरधर ने उसे छाती से लगा लिया।

प्रश्न 11.
सेन साहब, मदन, काश और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
सेन साहब- कहानी में सेन साहब प्रमुख पात्र हैं। नई-नई उन्होंने गाड़ी खरीदी है। इसीलिए गाड़ी छाया से सब दूर रहे। खासकर खोखा-खोखी।
सेन साहब में दिखावा बहुत अधिक है। अपने पुत्र के संबंध में बहुत बढ़ा-चढ़ाकार बातें करते हैं। अपने बेटे के सामने किसी दूसरे लड़के का प्रशंसा पसंद नहीं करते हैं। सेन साहब सामंती मानसिकता के आदमी है। .

मदन – सेन साहब का एक कर्मचारी गिरधर है जो उन्हीं के आहाते में रहता है। मदन उसी का लड़का है। लड़का साहसी और निर्भीक है। बाल सुलभ शरारत भी उसमें विद्यमान है। इसी कारण जब काशू. उससे झगड़ता है तो मदन भी उसी के भाषा में जवाब देता है।

काशू- काशू बाबू सेन साहब का एकमात्र सुपुत्र है। बहुत लाड़-प्यार के बहुत बिगड़ गया है। शरारत करने में माहिर हो गया है। कहानी का नायक काशू ही है।

गिरधर- गिरधर सेन साहब के फैक्ट्री में काम करने वाला एक कर्मचारी हैं। उन्हीं के अहाते में रहता है। गिरधर बेहद सीधा और सरल कर्मचारी। यदा-कदा इसे सेन साहब का गुस्सा झेलना पड़ता है। गिरधर मदन का पिता है।

प्रश्न 12.
आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर-
हमारी दृष्टि में ‘विष के दाँत’ शीर्षक कहानी का नायक मदन है। नायक के संबंध में पुरानी कसौटी अब बदल चुकी है। पहले यह धारणा थी कि नायक वही हो सकता है. जो उच्च कुलोत्पन्न हो, सुसंस्कृत, सुशिक्षित, युवा तथा ललित-कला प्रेमी हो। परन्तु नायक के संबंध में ये शर्ते अब मान्य नहीं। कोई भी पात्र नायक पद का अधिकारी है यदि वह घटनाओं का संचालक है, सारे पात्रों में सर्वाधिक प्रभावशाली है और कथावस्तु में उसका ही महत्व सर्वोपरि है। इस दृष्टि से विचार करने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि इस कहानी का नायक मदन ही है। इसमें मदन का ही चरित्र है जो सबसे अधिक प्रभावशाली है। पूरे कथावस्तु में इसी के चरित्र का महत्त्व है। खोखे के विष के दाँत उखाड़ने की महत्त्वपूर्ण घटना का भी वही संचालक है। अत: निर्विवाद रूप से मदन ही कहानी का नायक है।

प्रश्न 13.
आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें।
उत्तर-
पाँचो लड़कियाँ तो तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
जैसे कोयल घोंसले में से कब उड़ जाय। चमक ऐसी कि अपना मुँह देख लो।

प्रश्न 14.
‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर-
उत्तर के लिए सारांश देखें।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कहानी से मुहावरे चुनकर उनके स्वतंत्र वाक्य प्रयोग करें।
उत्तर-
आखों का तारा-मोहन अपने माता-पिता के आखों का तारा है।
जीती-जागती मूरत- सेन साहब पुत्री तहजीब और तमीज में जीती जागती मूरत है।
किलकारी. मारना– मोहन अपने मित्र के बातों पर किलकारी मारता है।

प्रश्न 2.
कहानी से विदेशज शब्द चुनें और उनका स्रोत निर्देश करें।
उत्तर-

प्रश्न 3.
कहानी से पाँच मिश्र वाक्य चुनें?
उत्तर-
(i) उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी है।
(ii) सेनों का कहना था कि खोखा आखिर अपने बाप का बेटा ठहरा।
(iii) औरत के पास एक बच्चा खड़ा था, जिसे वह रोकने की कोशिश कर रही थी।
(iv) मैंने मना किया तो लगा कहने जा-जा।
(v) कुर्सियाँ लॉन में लगवा दो, जब तक हम यहाँ बैठते हैं।

प्रश्न 4.
वाक्य-भेद स्पष्ट कीजिए-..
(क) इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ।
(ख) पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे।
(ग) ठीक इसी वक्त मोटर के पीछे खट-खट की आवाज सुनकर सेन साहब लपके, शोफर भी दौड़ा। .
(घ) ड्राइवर, जरा दूसरे चक्कों को भी देख लो और पंप ले आकर हवा भर दो।
उत्तर-
(क) मिश्र वाक्य
(ख) साधारण वाक्य
(ग) साधारण वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरी और सो भी लड़कियाँ, तहजीब और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं। मिस्टर और मिसेज सेन ने उन्हें क्या करना चाहिए, यह सिखाया हो या नहीं, क्या-क्या नहीं करना चाहिए, इसकी उन्हें ऐसी तालीम दी है कि बस। लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है। वे कभी किसी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं। वे दौड़ती हैं, और खेलती भी हैं, लेकिन सिर्फ शाम के वक्त, और चूँकि उन्हें सिखाया गया है कि ये बातें उनकी सेहत के लिए जरूरी हैं। वे ऐसी मुस्कराहट अपने होठों पर ला सकती हैं कि सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनसे कुछ सीखना चाहें, तो सीख लें, पर उन्हें खिलखिलाकर किलकारी मारते हुए किसी ने सुना नहीं। सेन परिवार के मुलाकाती रश्क के साथ अपने शरारती बच्चों से. खीझकर कहते हैं “एक तुम लोग हो, और मिसेज सेन की लड़कियाँ हैं। अब, फूल का गमला तोड़ने के लिए बना है ? तुम लोगों के मारे घर में कुछ भी तो नहीं रह सकता।”

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है ? और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) सेन साहब अपनी पुत्रियों को कैसा मानते थे?
(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए पुत्रियों को क्या सिखाया गया है ?
(घ) सेन साहब के मुलाकाती लोग अपने शरारती बच्चों से खीझकर क्या कहते थे?
(ङ) लेखक ने सेन साहब की पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से क्यों की है ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश ‘विष के दाँत’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा हैं।
(ख) सेन साहब को अपनी पुत्रियों पर पूरा भरोसा था। उनकी सोच थी कि उनकी बेटियाँ तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत हैं। वे किसी भी चीज को तोड़ती-फोड़ती नहीं हैं।
(ग) स्वास्थ्य लाभ के लिए खेलना जरूरी है। खेलने से शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है किन्तु खेल की भी समय-सीमा निर्धारित थी। खेलना-कूदना और दौड़ना शाम में ही ठीक होता है। अतः, समय पालन का पूरा-पूरा निर्देश दिया गया था।
(घ) सेन साहब से मिलने के लिए प्रायः लोग आया-जाया करते थे। वे सेन साहब की पुत्रियों के रहन-सहन से काफी प्रभावित हो जाते थे। मंद मुस्कान, बोली में मिठास आदि उन पुत्रियों के गुण थे। किन्तु मिलनेवालों के बच्चे इन चीजों के विपरीत थे। कभी गमला तोड़ देना, आपस में उलझ जाना उनकी ये आदत बन गयी थीं। अत: उनकी लड़कियों पर रीझकर, अपने बेटे-बेटियों से कहते, एक तुम लोग हो और एक सेन साहब की लड़कियाँ जिनकी चाल-ढाल प्रशंसनीय है।
(ङ) कठपुतलियाँ निर्देशन के आधार पर चलती हैं। उठना, बैठना, चलना आदि सभी क्रियाएँ निर्देश पर ही होती हैं। ठीक उसी प्रकार सेन साहब की बेटियाँ भी निर्देश पर ही काम करती थीं। जोर-से नहीं हँसना, चीजों को नहीं तोड़ना, शाम में खेलना-कूदना आदि सभी काम वे कहने पर ही करती थीं। इसी कारण लेखक ने उन पुत्रियों की तुलना कठपुतलियों से की है।

2. खोखा नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है यह नहीं कि मिसेज सेन अपना और बुढ़ाये का ताल्लुक किसी हालत में मानने को तैयार हों और सेन साहब तो सचमुच बूढ़े नहीं लगते, लेकिन मानने लगते कि बात छोड़िये। हकीकत तो यह है कि खोखा का आविर्भाव तब जाकर हुआ था, जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गयी थी। खोखा जीवन के नियम का अपवाद
था, और यह अस्वाभाविक नहीं था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद हो।
प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) लेखक ने नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा किसे कहा है और क्यों ?
(ग) खोखा घर के नियमों का अपवाद क्यों था?
उत्तर-
(क) पाठ-“विष के दाँत”, लेखक–नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) लेखक ने सेन दम्पत्ति के एक मात्र पुत्र खोखा को नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा कहा है। वस्तुतः सेन दम्पत्ति इस ढलती उम्र में, जब संतानोत्पत्ति की कोई आशा नहीं थी, खोखा. का जन्म हुआ था। इसलिये उसे आँखों का तारा अर्थात् अत्यन्त प्यारा कहा है।
(ग) खोखा ढलती उम्र में सेन दम्पत्ति का एक मात्र पुत्र था। अत: बहुत दुलारा था। घर का अनुशासन लड़कियों पर तो लागू था किन्तु खोखा पर किसी प्रकार की शक्ति नहीं थी। उसपर … कोई पाबंदी न थी। इसलिये बहुत छूट थी।

3. एक दिन का वाकया है कि ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे गपशप कर . रहे थे। उनमें एक साहब साधारण हैसियत के अखबारनवीस थे और सेनों के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा, पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते, सेन साहब ने शुरू किया-मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूँ, और वे ही बातें दुहराकर वे थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका क्या ख्याल है, तब उन्होंने कहा “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” सेन साहब इस उत्तर के शिष्ट और प्रच्छन्न व्यंग्य पर ऐंठकर रह गए।

प्रश्न
(क) पाठ तथा उसके लेखक का नाम लिखें।
(ख) ड्राइंग रूम में कौन बैठे थे ?
(ग) समझदार लड़का कौन था ?
(घ) सेन साहब खोखा को क्या बनाना चाहते थे ?
(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर को सुनने के पश्चात् सेन साहब पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-विष के दाँत
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) ड्राइंग रूम में सेन साहब के कुछ दोस्त बैठे थे।
(ग) समझदार लड़का सेन साहब के रिश्तेदार पत्रकार महोदय का पुत्र था।
(घ) सेन साहब खोखा को इंजीनियर बनाना चाहते थे।
(ङ) पत्रकार महोदय के उत्तर पर सेन साहब ऐंठकर रह गए।

4. शाम के वक्त खेलता-कूदता खोखा बँगले के अहाते के बगल वाली गली में जा निकला। वहाँ धूल में मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था। खोखा ने देखा तो उसकी तबीयत मचल गई। हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया, लेकिन आदत से लाचार उसने बड़े रोब के साथ मदन से कहा- ‘हमको लट्टू दो, हम भी खेलेगा’ दूसरे लड़कों की कोई खास उम्र नहीं थी, वे खोखा को अपनी जमात में ले लेने के फायदों को नजर अंदाज नहीं कर सकते थे। पर उनके अपमानित प्रताड़ित, लीडर मन को यह बात कब मंजूर हो सकती थी। उसने छूटते ही जवाब दिया-“अबे भाग जा यहाँ से ! बड़ा आया है लटू खेलने वाला। है भी लटू तेरे ! जा, अपने बाबा की मोटर पर बैठ।”

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) खोखा शाम के खेलते हुए कहाँ चला गया ?
(ग) मदन क्या कर रहा था ?
(घ) लटू का खेल देखकर खोखा पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ङ) मदन खोखा को खेल में भाग लेने क्यों नहीं दिया ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- विष के दाँत
लेखक का नाम नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) खोखा शाम के वक्त खेलता-कूदता बँगले के अहाते की बगल वाली गली में चला गया।
(ग) मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था।
(घ) लटू का खेल देखकर खोखा की तबीयत मचल गई। उसे खेलने की प्रबल इच्छा हुई।
(ङ) खोखा के व्यवहार ने मदन को आहत कर दिया था। उसके द्वारा प्रताड़ित होने के चलते वह खोखा को खेल में भाग लेने नहीं दिया।

5. मदन घर नहीं लौटा, लेकिन जाता ही कहाँ ? आठ-नौ बजे तक इधर-उधर मारा-मारा फिरता रहा। फिर भूख लगी, तो गली के दरवाजे से आहिस्ता-आहिस्ता घर में घुसा। उसके लिए मार खाना मामूली बात थी। डर था तो यही कि आज मार और दिनों से भी बुरी होगी, लेकिन उपाय ही क्या था! वह पहले रसोईघर में घुसा। माँ नहीं थी। बगल के सोनेवाले कमरे से बातचीत की आवाज आ रही थी। उसने इत्मीनान के साथ भर पेट खाना खाया, फिर दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बातचीत सुनने की कोशिश करने लगा।

प्रश्न
(क) पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
(ख) मदन देर रात तक घर क्यों लौट गया ?
(ग) मदन किस बात के लिए डरा हुआ था ?
(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम क्या किया ?
(ङ) खाना खाने के बाद मदन ने क्या किया ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-विष के दाँत।
लेखक का नाम-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) मदन देर रात तक घर लौट गया, क्योंकि इधर-उधर घूमते रहने के कारण उसे भूख लग चुकी थी।
(ग) मदन को डर था कि अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक मार खानी पड़ेगी।
(घ) घर पहुँचकर मदन ने सर्वप्रथम रसोईघर में घुसकर भर पेट खाना खाया।
(ङ) खाना खाने के उपरान्त मदन ने दरवाजे के पास जाकर अन्दर की बात सुनने की कोशिश करने लगा।

6. चोर-गुंडा-डाकू होनेवाला. मदन भी कब माननेवाला था। वह झट काशू पर टूट पड़ा। दूसरे लड़के जरा हटकर इस द्वन्द्व युद्ध का मजा लेने लगे। लेकिन यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। अहाते में यही लड़ाई हुई रहती, तो काशू शेर हो जाता। वहाँ से तो एक मिनट बाद ही वह रोता हुआ जान लेकर भाग निकला। महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में अक्सर महलवाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में, जब दूसरे झोपड़ीवाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं। लेकिन बच्चों को इतनी अक्ल कहाँ ? उन्होंने न तो अपने दुर्दमनीय लीडर की मदद की, न अपने माता-पिता के मालिक के लाडले की ही। हाँ, लड़ाई खत्म हो जाने पर तुरन्त ही सहमते हुए तितर-बितर हो गए।

प्रश्न
(क) मदन काशू को मारने के लिए क्यों टूट पड़ा?
(ख) यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। इसका आशय स्पष्ट करें।
(ग) महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में महलवाले ही क्यों जीतते हैं ?
(घ) लड़ाई समाप्त होने पर क्या हुआ?
(ङ) मदन और काशू की लड़ाई में अन्य लड़के तमाशबीन क्यों बने रहे?
उत्तर-
(क) लट्टू खेलने के नाम पर मदन और काशू में आपसी विवाद उत्पन्न हो गया। काशू को अपने पिता और उनकी सम्पत्ति पर गर्व रहता था। इस कारण वह मदन को मार बैठा। मदन भी अल्हड़ और स्वाभिमानी प्रवृत्ति का था। अपनी पिटाई उसे नागवार लगी और वह काशू को मारने के लिए टूट पड़ा।
(ख) दो परस्पर असामान्य हैसियतों के बीच की लड़ाई अजीबोगरीब होती है। काशू अमीर बाप का बेटा था और मदन का बाप काशू के पिताजी का ही एक निम्न कोटि का कर्मचारी था। मदन और काशू में कभी भी प्रेम नहीं रहता था। दोनों में सर्प और नेवले की तरह संबंध था। गली का कुत्ता किसी तरह अपना पेट भरता है जबकि महल का कुत्ता स्वामी का स्नेही होता है उसे खाने के लिए विविध प्रकार की व्यवस्था रहती है।
(ग) झोपड़ीवाले महल के अत्याचार से भयभीत रहते हैं। उन्हें भय बना रहता है कि महल का विरोध करना अपने आपको मृत्यु के मुँह में झोकना है। महलों के दया-करम पर ही उनका जीवन निर्भर है। झोपड़ीवाले अपने साथी को मदद करने में हिचकते हैं। यही कारण है कि महलवाले हमेशा झोपड़ीवालों से जीत जाते हैं।
(घ) लड़ाई में जब काशू हार गया और रोता-बिलखता अपने घर में भाग गया तो अन्य लड़के भी वहाँ से तितर-बितर हो गये। उन्हें भय हो गया कि कहीं काशू के पिताजी आकर हमलोगों को मार बैठे।
(ङ) मदन और काशू की लड़ाई को देखनेवाले लड़कों के बाप काशू के पिताजी के यहाँ ही नौकरी करते थे। उन्हें लगा कि यहाँ मौन रह जाना ही समझदारी है। किसी को मदद करने का मतलब अपने ऊपर होनेवाले जुर्म को न्योता देना है। इसी कारण वे तमाशबीन बने रहे।

7. गिरधर निस्सहाय निष्ठुरता के साथ मदन की ओर बढ़ा। मदन ने अपने दाँत भींच लिए। गिरधर मदन के बिल्कुल पास आ गया कि अचानक ठिठक गया। उसके चेहरे से नाराजगी का बादल हट गया। उसने लपककर मंदन को हाथों से उठा लिया। मदन. हक्का-बक्का अपने पिता को देख रहा था। उसे याद नहीं, उसके पिता ने कब उसे इस तरह प्यार किया था, अगर कभी किया था, तो गिरधर उसी बेपरवाही, उल्लास और गर्व के साथ बोल उठा; जो किसी के लिए भी नौकरी से निकाले जाने पर ही मुमकिन हो सकता है, ‘शाबाश बेटे’। एक तेरा बाप है, और तूने तो, खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले। हा हा हा हा !
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) गिरधर निष्ठुरता के साथ आगे बढ़कर क्यों ठिठक गया? (ग) मदन हक्का-बक्का क्यों हो गया ?
(घ) गिरधर ने बेटे मदन को शाबासी क्यों दी? मदन एकाएक गिरधर के लिए प्यारा क्यों बन गया ?
उत्तर-
(क) पाठ-विष के दाँत। लेखक-नलिन विलोचन शर्मा।
(ख) गिरधर पहले तो गुस्से में मदन को मारने के लिए तत्पर हो गया किन्तु तत्काल ही उसे ख्याल आया कि अब तो वह सेन साहब का कर्मचारी है ही नहीं। फिर उनके लड़के के लिए अपने को क्यों मारे? यह सोचकर वह ठिठक गया।
(ग) मदन अक्सर अपने पिता से पिटता था। किन्तु जब पिता ने उसे अपने हाथों में प्यार से उठा लिया तो पिता के इस स्वभाव परिवर्तन पर वह हक्का-बक्का हो गया।
(घ) गिरधर सेन साहब का कर्मचारी था और अक्सर डाँट-फटकार सुनता था। इससे उसमें हीन-भावना घर कर गई थी। जब बेटे के कारण नौकरी से हटाया गया तो सेन साहब का भय समाप्त हो गया और उनके प्रति आक्रोश उभर आया। चूंकि उसके दमित आक्रोश को, उसके बेटे मदन ने सेन साहब के बेटे खोखा के दाँत को तोड़कर, व्यक्त कर दिया था, इसलिए मदन उसका प्यारा बन गया। जो काम गिरधर न कर सका था, उसके बेटे ने कर दिखाया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
विष के दाँत कहानी के रचयिता कौन हैं ?
(क) अमरकांत
(ख) विनोद कुमार शुक्ल
(ग) नलिन विलोचन शर्मा
(घ) यतीन्द्र मिश्रा
उत्तर-
(ग) नलिन विलोचन शर्मा

प्रश्न 2.
खोखा का दूसरा नाम क्या था?
(क) मदन
(ख) गिरधर
(ग) काशू
(घ) आलो
उत्तर-
(ग) काशू

प्रश्न 3.
‘मदन’ किसका पुत्र था?
(क) सेन साहब
(ख) गिरधर
(ग) शोफर
(घ) सिंह साहब
उत्तर-
(ख) गिरधर

प्रश्न 4.
विष के दाँत कैसी कहानी है?
(क) सामाजिक
(ख) ऐतिहासिक
(ग) धार्मिक
(घ) मनोवैज्ञानिक
उत्तर-
(घ) मनोवैज्ञानिक

प्रश्न 5.
‘विष के दाँत’ समाज के किस वर्ग की मानसिकता उजागर करती है ?
(क) उच्च वर्ग ।
(ख) निम्न वर्ग
(ग) मध्य वर्ग
(घ) निम्न-मध्य वर्ग
उत्तर-
(ग) मध्य वर्ग

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
खोखा नाउम्मीद ………. की आँखों का तारा है।
उत्तर-
बुढ़ापे

प्रश्न 2.
सेन साहब को देखकर औरत ……..” गई। .
उत्तर-सहम

प्रश्न 3.
मदन का ……. रुदन रुक गया था। .
उत्तर-
आत

प्रश्न 4.
दूसरे लड़के जरा हटकर इस ……… युद्ध का मजा लेने लगे।
उत्तर-
द्वन्द्व

प्रश्न 5.
मदन के लिए ……” खाना मामूली बात थी।
उत्तर-
मार

प्रश्न 6.
गिरधर ने लपककर मदन को “……” से उठा लिया।
उत्तर-
हाथों

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सेन साहब को कितनी लड़कियाँ थीं ? उनके क्या नाम थे?
उत्तर-
सेन साहब को सीमा, रजनी, आलो, शेफाली और आरती-ये पाँच लड़कियाँ थीं।

प्रश्न 2.
सेन साहब की लड़कियाँ कठपुतलियाँ किस प्रकार थीं ?
अथवा, लेखक ने सेन साहब की लड़कियों को कठपुतलियाँ क्यों कहा है?
उत्तर-
अपने माता-पिता (सेन-दम्पति) के आदेश का वे अक्षरशः पालन करती थीं तथा वही .. कार्य करती थीं जो उन्हें करने के लिए कहा जाता था।

प्रश्न 3.
खोखा सेन दम्पति की नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा क्यों था?
उत्तर-
खोखा सेन दम्पति के बुढ़ापे की संतान था। उसका जन्म ऐसे समय में हुआ था जब उसकी कोई उम्मीद उन दोनों को बाकी नहीं रह गई थी।

प्रश्न 4.
सेन साहब अपने “खोखा” को क्या बनाना चाहते थे ?
उत्तर-
सेन साहब अपने “खोखा” को इंजीनियर बनाना चाहते थे।

प्रश्न 5.
गिरधर कौन था?
उत्तर-
गिरधर सेन साहब की फैक्ट्री में किरानी था।

प्रश्न 6.
मदन ड्राइवर के बीच विवाद क्यों हुआ?
उत्तर-
ड्राइवर के मना करने पर भी मदन सेन साहब की कार को छू रहा था जो दोनों के बीच विवाद का कारण बना।

प्रश्न 7.
सेन साहब ने मदन की माँ को क्या हिदायत दी ?
उत्तर-
सेन साहब ने मदन की माँ को हिदायत दी कि मदन भविष्य में कार को छूना जैसी हरकत नहीं करे।

प्रश्न 8.
काश और मदन की लड़ाई कैसी थी?
उत्तर-
काशू और मदन की लड़ाई हड्डी और मांस की, बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी।

प्रश्न 9.
झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर कौन जीतता है ?
उत्तर-
झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं।

प्रश्न 10.
आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का प्रारंभ किसकी कविताओं से हुआ था ?
उत्तर-
आलोचकों के अनुसार प्रयोगवाद का आरंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ।

विष के दाँत लिखक परिचय

नलिन विलोचन शर्मा का जन्म 18 फरवरी 1916 ई० में पटना के बदरघाट में हुआ । वे जन्मना भोजपुरी भाषी थे। वे दर्शन और संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय पं० रामावतार शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे । माता का नाम रत्नावती शर्मा था। उनके व्यक्तित्व-निर्माण में पिता के पांडित्य के साथ उनकी प्रगतिशील दृष्टि की भी बड़ी भूमिका थी। उनकी स्कूल की पढ़ाई पटना कॉलेजिएट स्कूल से हुई और पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत और हिंदी में एम० ए० किया। वे हरप्रसाद दास जैन कॉलेज, आरा, राँची विश्वविद्यालय और अंत में पटना विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे । सन् 1959 में वे पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष हुए और मृत्युपर्यंत (12 सितंबर 1961 ई०) इस पद पर बने रहे।

हिंदी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक और नई शैली के आलोचक नलिन जी की रचनाएँ इस प्रकार हैं – ‘दृष्टिकोण’, ‘साहित्य का इतिहास दर्शन’, ‘मानदंड’, ‘हिंदी उपन्यास – विशेषतः प्रेमचंद’, ‘साहित्य तत्त्व और आलोचना’ – आलोचनात्मक ग्रंथ; ‘विष के दाँत’ और सत्रह असंगृहीत पूर्व छोटी कहानियाँ — कहानी संग्रह; केसरी कुमार तथा नरेश के साथ काव्य संग्रह – ‘नकेन के प्रपद्य’ और ‘नकेन- दो’, ‘सदल मिश्र ग्रंथावली’, ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ’, ‘संत परंपरा और साहित्य’ आदि संपादित ग्रंथ हैं।

आलोचकों के अनुसार, प्रयोगवाद का वास्तविक प्रारंभ नलिन विलोचन शर्मा की कविताओं से हुआ और उनकी कहानियों में मनोवैज्ञानिकता के तत्त्व समग्रता से उभरकर आए। आलोचना में वे आधुनिक शैली के समर्थक थे । वे कथ्य, शिल्प, भाषा आदि सभी स्तरों पर नवीनता के आग्रही लेखक थे। उनमें प्रायः परंपरागत दृष्टि एवं शैली का निषेध तथा आधुनिक दृष्टि का समर्थन है । आलोचना की उनकी भाषा गठी हुई और संकेतात्मक है । उन्होंने अनेक पुराने शब्दों को नया जीवन दिया, जो आधुनिक साहित्य में पुनः प्रतिष्ठित हुए ।

यह कहानी ‘विष के दाँत तथा अन्य कहानियाँ’ नामक कहानी संग्रह से ली गई है। यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है। कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी । आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सेन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग-भेद जैसे कुसंस्कार छिपाये हुए हैं तो दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरीपेशा निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति की श्रेणी है जो अनेक तरह की थोपी गयी बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस के साथ बचाये रखने के लिए संघर्षरत है । यह कहानी सामाजिक भेद-भाव, लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभारती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की महत्त्वपूर्ण बानगी पेश करती है ।

विष के दाँत Summary in Hindi

पाठ का सारांश

विष के दाँत शीर्षक कहानी के लेखक श्री नलिन विलोचन शर्मा हैं। उन्होंने अपने लेख में । सामंती मिजाज के धनवान् परिवार और उसी पर आश्रित एक गरीब परिवार का चरित्र-चित्रण किया है। कहानी में सेन साहब और उनकी पत्नी को कड़े अनुशासन को पालन करने वाला दिखाया गया है। उनके परिवार में पाँच लड़की के बाद एक लड़का का जन्म होता है। लड़कियों के ऊपर अनुशासन की छड़ी बहुत कड़ी है जिससे लड़कियाँ मानो मिट्टी की मूर्ति बन चुकी है। उसी परिवार में लड़का सबसे छोटा है। सारा अनुशासन घर का नियम-व्यवस्था सब कुछ उसके लिए फे है। लाड़-प्यार में शरारती हो चुका है। अभी उम्र पाँच वर्ष का है लेकिन नौकर, बहन आदि पर हाथ चला देता है।

एक दिन संन साहब अपने दोस्तों के साथ ड्राइंग रूम में गपशप कर रहे थे। उनके एक पत्रकार मित्र भी थे। उसके साथ छोटा लड़का भी था जो काशू बाबू के उम्र का ही था। बात-चीत के क्रम में किसी ने उस लड़के के बारे में जानकारी चाही, बस सेन साहब अपने पुत्र खोखा के बारे में बोलने लगे। इसे इंजीनियर बनाना है। और बोलते ही चले गये। सेन साहब व्यवहार में परिवर्तन हो चुका था अपने पुत्र खोखा के लिए।

उन्हीं अहाते में गिरधर लाल रहता था। उसका छोटा लड़का मदन था जो खोखा के उम्र का था। एक दिन गाड़ी को गन्दा कर रहा था। रात में सेन साहब ने गिरधरलाल को बुलाकर काफी डाँटा। परिणामतः गिरधरलाल ने अपने बेटे मदन को खूब पीटा। रात में सोने वक्त सेनसाहब । मदन की रोने की आवाज सुनकर काफी खुश हुए।

अगले ही दिन काशू बाबू खेलने के लिए बगल के गली में चले गये। जहाँ मदन और अन्य लड़का लटू नचा रहा था। खोखा ने मदन से रौब में लटू माँगा। नहीं मिलने पर मदन पर चूंसा चला दिया। बदले में मदन ने भी घूसा चला दिया। और काशू बाबू के दो दाँत टूट गये। यानी विष के दाँत टूट गये।

शब्दार्थ

बरसाती : पोर्टिको
नाज : गर्व, गुमान
तहजीब : सभ्यता
शोफर : ड्राइवर
शामत : दुर्भाग्य
सख्त : कड़ा, कठोर
ताकीद : कोई बात जोर देकर कहना, चेतावनी
खोखा-खोखी : बच्चा-बच्ची (बाँग्ला)
फटकना : निकट आना
तमीज : विवेक, बुद्धि, शिष्टता
तालीम : शिक्षा
सोसाइटी : शिष्ट समाज, भद्रलोक
रश्क : इर्ष्या
ताल्लुक : संबंध
हकीकत : सच्चाई, वास्तविकता
आविर्भाव : उत्पत्ति, प्रकट होना
दुर्ललित : लाड़-प्यार में बिगड़ा हुआ
ट्रेंड : प्रशिक्षित
दूरदेशी : दूरदर्शिता, समझदारी
फरमाना : आग्रहपूर्वक कहना
फिजल : फालतू, व्यर्थ
वाकिफ : परिचित
वाकया : घटना
हेसियत : स्तर, प्रतिष्ठा, सामर्थ्य, औकात
अखबारनवीस : पत्रकार
प्रच्छन्न : छिपा हुआ, गुप्त, अप्रकट
अदब : शिष्टता, सभ्यता
हिकमत : कौशल, योग्यता
रासत : विदाई
बलौस : नि:स्वार्थ
बेयरा : खाना खिलाने वाला सेवक
चीत्कार : क्रंदन, आर्त होकर चीखना
शयनागार : शयनकक्ष, सोने का कमरा
खलल : विघ्न, बाधा, व्यवधान
कातर : आर्त
खेतयत : कुशलक्षेम
बेडब : बेतरीका, अनगढ़
उज्र : आपत्ति
मजाल : ताकत, हिम्मत, साहस
अक्ल : बुद्धि
दुर्दमनीय : मुश्किल से जिसका दमन किया जा सके
निष्ठुरता : क्रूर निर्ममता


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 10th


Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत exam preparation. The BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Solutions


How to get BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 10 Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत, BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks, Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत, Bihar Board Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook solutions, BSEB Class 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत, BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत, Bihar Board STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbook solutions, BSEB STD 10th Hindi Godhuli Chapter 2 विष के दाँत Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy