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Monday, June 27, 2022

BSEB Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Book Answers

BSEB Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Book Answers
BSEB Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Book Answers


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Bihar Board Class 10th Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 10th Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 10th
Subject Hindi व्याकरण वाक्य-भेद
Chapters All
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Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य-भेद Questions and Answers

वाक्य का विभाजन प्रमुखतया दो आधारों पर किया जाता है-

  1. रचना के आधार पर
  2. अर्थ के आधार पर

रचना की दृष्टि से वाक्य के भेद:

रचना की दृष्टि से वाक्य के तीन भेद होते हैं-

  1. सरल,
  2. संयुक्त
  3. मिश्रा

सरल वाक्य

जिस वाक्य में एक क्रिया होती है, उसे सरल वाक्य कहते हैं। सरल वाक्य में एक कर्ता तथा एक क्रिया का होना आवश्यक है। उदाहरणतया-

मोहन स्कूल जाता है।
यहाँ ‘मोहन’ कर्ता है तथा जाता है’ क्रिया है। एक क्रिया होने के कारण यह सरल वाक्य है।
सरल वाक्य में कर्ता और क्रिया के अतिरिक्त कर्म, पूरक, क्रियाविशेषण, संप्रदान, अधिकरण, करण, अपादान घटक हो सकते हैं। यथा-

(क) मोहन हँसता है। (कर्ता-क्रिया)
(ख) राजेश बीमार है। (कर्ता पूरक-क्रिया)
(ग) पुलिस ने चोर को पीटा। (कर्ता-कर्म-क्रिया)
(घ) माता जी न शीला को एक साड़ी दी। (कर्ता-कर्म-कर्म-क्रिया)
(ङ) शीला आपको अपना बड़ा भाई मानती है (कर्ता-कर्म-पूरक-क्रिया)

संयुक्त वाक्य

जिस वाक्य में दो या अधिक मुख्य तथा स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं। ये दोनों पूर्ण अर्थ देने में सक्षम होते हैं। ये और, तथा, फिर, या, अथवा, अन्यथा, किंतु, लेकिन, इसलिए आदि योजकों से जुड़े होते हैं। जैसे-

हम लोग पुणे घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।
(i) हम लोग पुणे घूमने गए।
(ii) (हम) वहाँ चार दिन रहे।

वह आई तो थीकिंत उसने कुछ कहा नहीं था।
(i) वह आई थी।
(ii) उसने कुछ कहा नहीं था।

सत्य बोलोपरत कटु सत्य न बोलो।
(i) सत्य बोलो।
(ii) कटु सत्य न बोलो।

चुपचाप बैठोया यहाँ से बाहर
(i) चुपचाप बैठो।
(ii) यहाँ से चले जाओ।

वे बीमार हैं,अतः आने में असमर्थ हैं।
(i) वे बीमार हैं।
(ii) (वे) आने में असमर्थ हैं।

स्पष्ट है कि संयुक्त वाक्य में उपवाक्यों में जो शब्द दोनों ओर आते हैं, उनमें से एक का’ लोप कर दिया जाता हैं यथा

1. पिताजी चाय पिएँगे। (या) (और)
2. पिताजी कॉफी पिएंगे।

संयुक्त वाक्य
(i) पिताजी चाय या कॉफी पिएंगे।
(ii) पिताजी चाय और कॉफी पिएंगे।

मिश्र वाक्य

मिश्र वाक्य में एक से अधिक उपवाक्य होते हैं। उनमें एक उपवाक्य प्रधान होता है तथा अन्य एक-या-अधिक उपवाक्य उस पर आश्रित होते हैं। ये उपवाक्य परस्पर व्यधिकरण योजकों (जैसे कि, यदि, अगर, तो, तथापि, यद्यपि, इसलिए आदि) से जुड़े हुए होते हैं। उदाहरणतया –
यदि मैं न आया होता तो काम न बनता।
इसमें ‘काम न बनता’ प्रधान उपवाक्य पर ‘यदि मैं न आया होता’। उपवाक्य आश्रित है।

अन्य कुछ उदाहरण
(क) अध्यापक ने बताया कि कल स्कूल में छुट्टी होगी।
(ख) जो लड़का कमरे में बैठा है,वह मेरा भाई है।
(ग) जब मैं छोटा था तब साइकिल खूब चलाता था।
(घ) यदि इस बार वर्षा न हुई तो सारी फसल नष्ट हो जाएगी।

आश्रित उपवाक्यों के भेद –
आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

(क) संज्ञा उपवाक्य- जो उपवाक्य प्रधान वाक्य की किसी संज्ञा या ‘संज्ञा-पदबंध’ के बदले में प्रयुक्त हुआ हो, उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं। जैसे-
रहीम बोला कि मैं कर्नाटक जा रहा हूँ।

यहाँ ‘मैं कर्नाटक जा रहा हूँ’ उपवाक्य प्रधान वाक्य ‘रहीम बोला’ के कर्म के रूप में प्रयुक्त हो रहा है। अतः संज्ञा उपवाक्य है। संज्ञा उपवाक्य से पहले प्रायः ‘कि’ का प्रयोग होता है। कभी-कभी यह लुप्त भी हो जाता है। जैसे-

जान पड़ता है कि माता जी कुछ अस्वस्थ हैं।
इनसे यह न पूछिए कि ये कौन हैं?
तुम नहीं आओगे, मैं जानता था।

(ख) विशेषण उपवाक्य जो उपवाक्य प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताता है, उसे ‘विशेषण उपवाक्य’ कहते हैं। जैसे-

आपकी वह किताब कहाँ है, जो आप कल लाए थे।.
-यहाँ ‘जो आप कल लाए थे’ उपवाक्य ‘वह किताब’ की विशेषता प्रकट कर रहा है, अतः विशेषण उपवाक्य है।

हिंदी में ‘जो’, ‘जिस’, ‘जिसे’, ‘जिसको’ से आरंभ होने वाले उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहलाते हैं। ये कभी वाक्य के प्रारंभ में आते हैं और कभी अंत में। यथा-
जो पैसे मुझे मिले थे, वे खर्च हो गए। (प्रारंभ में).
वे पैसे खर्च हो गए, जो मुझे मिले थे। (अंत में)

अन्य उदाहरण-
वह घर कौन-सा है, जहाँ आपके पिताजी रहा करते थे।
(ग) क्रियाविशेषण उपवाक्य जो उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की कोई विशेषता बताता है, वह क्रियाविशेषण उपवाक्य कहलाता है। इसके पाँच भेद होते हैं-
(i) कालवाची उपवाक्य
ज्योंही मैं स्टेशन पहुंचा, त्योंही गाड़ी ने सीटी बजाई।
जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।

(ii) स्थानवाची उपवाक्य
जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था।
जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।

(iii) रीतिवाची उपवाक्य
मैंने वैसे ही किया है जैसे आपने बताया था।
वह उसी प्रकार खेलता है जैसा उसके कोच सिखाते हैं।

(iv) परिमाणवाची उपवाक्य
‘जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
तुम जितना पढ़ोगे, उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।

(v) परिणाम (कार्य-कारण) वाची उपवाक्य
वह जाएगा जरूर क्योंकि उसका साक्षात्कार है।
यदि मैंने पढ़ा होता तो अवश्य उत्तीर्ण हो गया होता।

स्पष्ट है कि क्रियाविशेषण उपवाक्य में जब’, ‘जहाँ’, ‘जैसा’, ‘ज्यों-ज्यों’ आदि समुच्चयबोधक अव्ययों का प्रयोग होता है।

वाल्य-विश्लेषण

प्रश्न
वाक्य-विश्लेषण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर किसी वाक्य के अंग-प्रत्यंग (कर्ता, कर्ता-विस्तार, कर्म, कर्म-विस्तार, कारक, क्रिया-विशेषण, क्रिया, योजक आदि) को पृथक्-पृथक् करके उनके आपसी संबंधों का अध्ययन-विश्लेषण करना ‘वाक्य-विश्लेषण’ कहलाता है। इसे वाक्य-विग्रह भी कहते हैं।

1. सरल वाक्य का विश्लेषण

सरल वाक्य का विश्लेषण करने के लिए सर्वप्रथम उसको दो भागों में विभाजित किया जाता है-

  1. उद्देश्य
  2. विधेय।

उद्देश्य- वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए, वह ‘उद्देश्य’ कहलाता है। इसके अंतर्गत ‘कर्ता’ तथा ‘उसका विस्तार’ आते हैं।
विधेय— उद्देश्य के संबंध में जो कुछ कहा जाए, वह ‘विधेय’ कहलाता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित पद आते हैं-

  1. कर्म
  2. कर्म का विस्तार (विशेषण या पदबंध)
  3. क्रिया
  4. क्रिया-विस्तार
  5. पूरक
  6. पूरक-विस्तार
  7. अन्य कारकीय पद।

साधारण वाक्य में इन्हीं वाक्यांशों को पृथक्-पृथक् करके स्पष्ट करना होता है। उदाहरणतया
मैदान में चार लड़के फुटबाल खेल रहे हैं।

इसका विश्लेषण इस प्रकार होगा-
उद्देश्य- लड़के (कर्ता)
चार (कर्ता-विस्तार ‘विशेषण’)
विधय – फुटबाल (कर्म)
खेल रहे हैं। (क्रिया पदबंध)
मैदान में। (अधिकरण कारक)

इस वाक्य को विस्तृत करके यों भी लिखा जा सकता है-
सामने वाले बड़े मैदान में, वे चारों काली नेकर पहने लड़के, बिल्कुल नया फुटबाल, बहुत अच्छा, खेल रहे हैं। अब इसका विश्लेषण इस प्रकार होगा-

उद्देश्य- कर्ता-लड़के।
कर्ता-विस्तार-वे चारों काली नेकर पहने
विधेय- कर्म- फुटबाल
कर्म-विस्तार-बिल्कुल नया
क्रिया पदबंध- खेल रहे हैं
क्रियाविशेषण- अच्छा
क्रियाविशेषण-विस्तार- बहुत
अधिकरण कारक- मैदान में
विस्तार–सामने वाले बड़े

2. संयुक्त वाक्य का विश्लेषण

संयुक्त वाक्य में दो उपवाक्य योजक चिह्नों से जुड़े हुए होते हैं। सर्वप्रथम संयुक्त वाक्य का योजक हटाकर उन्हें साधारण वाक्यों में बदलना चाहिए। उन साधारण वाक्यों का उपर्युक्त रीति से विश्लेषण करना चाहिए। उन साधारण वाक्यों में भी एक मुख्य तथा दूसरा उससे जुड़ा रहता है। इस प्रकार प्रथम उपवाक्य प्रधान तथा दूसरा उपवाक्य समानाधिकरण कहलाता है।
संयुक्त वाक्य का विश्लेषण करते हुए निम्नलिखित बातों का उल्लेख करना चाहिए-

  1. प्रधान उपवाक्य
  2. समानाधिकरण उपवाक्य
  3. समुच्चयबोधक (अव्यय)

उदाहरण-

  1. रंजन ने अत्यधिक परिश्रम किया, परंतु वह सफल न हो सका।
  2. हमारे मित्र कल यहाँ से जाएंगे और आगरा पहुँचकर वहाँ ताजमहल देखेंगे।
  3. गाँव वालों ने बाढ़ के पानी को रोकने का बहुत प्रयत्न किया, परंतु वह रुक न सका।
  4. जासूस को अपाधियों का भेद लेना था, इसलिए वह उनके पास ठहर गया।
  5. रात्रि हुई और तारे निकले।
  6. मेरा मित्र रोज विद्यालय जाता है और मन लगाकर पढ़ता है।

विश्लेषण-

3. मिश्र वाक्य का विश्लेषण

मिश्र वाक्य में प्रधान उपवाक्य और गौण उपवाक्य योजक द्वारा संबद्ध रहते हैं। उसके विश्लेषण के लिए पहले प्रधान उपवाक्य की पहचान करनी चाहिए। तत्पश्चात् गौण उपवाक्यों की पहचान करके उनके कार्य का उल्लेख करना चाहिए। योजकों को पृथक् करके साधारण वाक्यों की रीति के अनुसार उनका विश्लेषण करना चाहिए।

मिश्र वाक्य के विश्लेषण में निम्न बातों का उल्लेख करना चाहिए-

  1. मुख्य उपवाक्य
  2. आश्रित उपवाक्य
  3. आश्रित उपवाक्य का प्रकार और मुख्य उपवाक्य से संबंध ।
  4. समुच्चयबोधक अव्यय

उदाहरण –

  1. जो छात्र परिश्रमपूर्वक पढ़ते हैं, वे सफलता अवश्य प्राप्त करते हैं।
  2. आपको सुनकर प्रसन्नता होगी कि उसने अपना कार्य पूर्ण कर लिया है।
  3. हमें चाहिए कि हम वार्ता में ही समय व्यतीत न करें।
  4. यहाँ जो दुष्ट लोग रहते हैं, हम उनका संहार करते हैं।
  5. जब मैं छोटा लड़का था तब साइकिल खूब चलाता था।

विश्लेषण-

वाक्य-संश्लेषण

वाक्य-विश्लेषण का विपरीतार्थक है-वाक्य संश्लेषण। वाक्य-विश्लेषण में एक सुगठित वाक्य को खंड-खंड करके समझा जाता है, जबकि वाक्य-संश्लेषण में खंड-खंड वाक्यों, वाक्यांशों को एक सुगठित रूप प्रदान किया जाता है। दूसरे शब्दों में, एक से अधिक साधारण वाक्यों को एक वाक्य में निबद्ध करना वाक्य-संश्लेषण कहलाता है।

अनेक साधारण वाक्यों का एक साधारण वाक्य में संश्लेषण-

वाक्य-संश्लेषण व्यक्तिगत अभ्यास से आता है। फिर भी इसके लिए कुछ सूत्र हैं

  1. सभी वाक्यों में से किसी एक वाक्य की क्रिया को मुख्य क्रिया के रूप में चुन लेना चाहिए।
  2. अन्य वाक्यों की क्रियाओं को पूर्वकालिक क्रिया, विशेषण पदबंध अथवा संज्ञा पदबंध में बदल देना चाहिए।
  3. आवश्यकता पड़ने पर उपसर्ग और प्रत्ययों के योग से नए शब्दों का निर्माण कर लेना चाहिए।

उदाहरणतया नीचे आठ सरल वाक्य दिए जा रहे हैं

  1. सामने एक मैदान है। (केवल पृष्ठभूमि स्थान की)
  2. मैदान बड़ा है। (मैदान की विशेषता)
  3. मैदान में लड़के खेल रहे हैं। (खेलने की क्रिया, खेलने वाले लड़के, स्थान मैदान)
  4. लड़के गेंद खेल रहे हैं। (खेलने की क्रिया, कर्ता-लड़के, कर्म-गेंद)
  5. लड़के संख्या में दो हैं। (लड़कों की संख्यात्मक विशेषता)
  6. लड़के नेकर पहने हैं। (लड़कों की गुणात्मक विशेषता)
  7. नेकर का रंग काला है। (नेकर की गुणात्मक विशेषता)
  8. गेंद बिल्कुल नई है। (गेंद की गुणात्मक विशेषता)

इन वाक्यों में से मुख्य क्रिया-वाक्य का चयन कीजिए। यथा ‘खेल रहे हैं।’ अब इनके साथ कर्ता, कर्ता-विस्तार, कर्म, कर्म-विस्तार, क्रियाविशेषण तथा अन्य विशेषण जोडिए। उपर्युक्त वाक्यों को ही विशेषण आदि में परिवर्तित कीजिए।
सामने वाले बड़े मैदान में काले नेकर पहने दो लड़के नई गेंद खेल रहे हैं।

उदाहरण-1.
आगरा उत्तर प्रदेश में स्थित है।
आगरा में ताजमहल है।
ताजमहल बहुत सुंदर और दर्शनीय है।
पर्यटके विश्व के कोने-कोने से उसे देखने के लिए आते हैं।

इन चारों वाक्यों का एक ही वाक्य में संश्लेषण इस प्रकार होगा
उत्तर प्रदेश में स्थित आगरा के सुंदर और दर्शनीय ताजमहल को देखने के लिए पर्यटक विश्व के कोने-कोने से आते हैं।

उदाहरण – 2
वहाँ एक गाँव था।
वह गाँव छोटा-सा था।
उसके चारों ओर जंगल था।
उस गाँव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।

वाक्य-संश्लेषण वहाँ चारों ओर जंगल से घिरे एक छोटे से गाँव में आदिवासियों के दस परिवार रहते थे।

उदाहरण-3
वहाँ एक गाँव था।
वह गाँव छोटा-सा था।
उसके चारों ओर जंगल था।

संश्लेषण- उस छोटे से गाँव के चारों ओर जंगल था।
क्रियामलक विशेषणों का महत्त्व वाक्य-संश्लेषण की प्रक्रिया में क्रियामूलक विशेषणों का बहुत महत्त्व है। छात्रों को सरल वाक्यों को क्रिया के कृदंती रूप में बदलने का अभ्यास करना चाहिए। कृदंती रूपों की रचना-प्रक्रिया इस प्रकार है-

वर्तमान कृदंत (-ता, -ती, -ते) चलते हुए, गिरता हुआ, खाती हुई
पूर्ण कृदंत (ने वाला) जाने वाला
अन्य कृदंत (खिलाड़ी, पियक्कड़ आदि)

उदाहरण-

1. चिड़िया आकाश में उड़ रही है + चिड़िया कितनी सुंदर है →
आकाश में उडती हुई चिड़िया कितनी संदर है। आकाश में उठ रही चिड़िया कितनी सुंदर है।
आकाश में उडने वाली चिड़िया कितनी सुंदर है।

2. वह लड़का बहुत थक गया है + लड़का अब पेड़ के नीचे बैठा है →
वह बहुत थका हुआ लड़का अब पेड़ के नीचे बैठा है।

3. यह लड़का मैदान में रोज खेला करता था + वह लड़का आज नहीं आया →
मैदान में रोज खेलने वाला लड़का आज नहीं आया।

अनेक साधारण वाक्यों का मिश्र अथवा संयुक्त वाक्य में संश्लेषण-
अनेक साधारण वाक्यों को मिश्र अथवा संयुक्त वाक्यों में भी संश्लिष्ट किया जा सकता है। इसके लिए भी कठोर परिश्रम और अभ्यास आवश्यक है।

उदाहरण-साधारण वाक्य-

  1. पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था।
  2. कक्षा में उस प्रश्न को कोई हल नहीं कर सका।
  3. मैंने उस प्रश्न को हल कर लिया।

मिश्र वाक्य में संश्लेषण-

1. पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका, मैंने उसे हल कर लिया। ।
अथवा
2. मैंने पुस्तक के उस कठिन प्रश्न को हल कर लिया, जिसे कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका था।
संयुक्त वाक्य में संश्लेषण-पुस्तक के एक कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई नहीं हल कर पायो, लेकिन मैंने कर दिया।

वाक्य-रचनांतरण (रूपांतरण)

एक प्रकार के वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में बदलना वाक्य-रचनांवरण कहलाता है। ” रचना की दृष्टि से वाक्य-रचनांतरण की प्रक्रिया निम्नलिखित है-

1. रचना की दृष्टि से वाक्य-परिवर्तन ।

सरल वाक्य को मिश्र अथवा संयुक्त वाक्य में बदलना; मिश्र वाक्य को सरल अथवा संयुक्त वाक्य में बदलना तथा संयुक्त वाक्य को सरल और मिश्र वाक्य में बदलना इस कोटि के अंतर्गत आता है। यह ध्यान रखने योग्य है कि वाक्य-रचना बदलनी चाहिए, किंतु अर्थ नहीं बदलना चाहिए।

रचनांतरण-प्रक्रिया मिश्र और संयुक्त वाक्यों को सरल वाक्य में बदलते हुए वाक्य-संश्लेषण की प्रक्रिया का उपयोग करना पड़ता है। पहले मुख्य क्रिया का चयनफिर अन्य उपवाक्यों को विशेषण, कृदंती क्रिया आदि रूपों में रखना—यही उचित प्रक्रिया है। सरल वाक्य को मिश्र अथवा संयुक्त वाक्य में बदलते हुए वाक्य-संश्लेषण की विपरीत क्रिया को अपनाना चाहिए। अर्थात् विशेषणों को सरल उपवाक्यों में बदलना चाहिए: कृदंती क्रिया रूपों को गौण उपवाक्यों में बदलना चाहिए। उदाहरणतया-

सरल वाक्य से संयुक्त वाक्य:

1. उसने घर आकर भोजन किया। (सरल)
वह घर आया और उसने भोजन किया। (संयुक्त)

2. वह फल खरीदने के लिए बाजार गया। (सरल)
उसे फल खरीदने थे इसलिए वह बाजार गया। (संयुक्त)

3. मोहन हिंदी पढ़ने के लिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। (सरल)
मोहन को हिंदी पढ़नी है इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। (संयुक्त)

4. रात को आकाश में तारों का मेला लग गया। (सरल)
रात आई और आकाश में तारों का मेला लग गया। (संयुक्त)

सरल वाक्य से मिश्र वाक्य :

1. मोहन शास्त्री जी के यहाँ हिंदी पढ़ने गया है। (सरल)
मोहन शास्त्री जी के यहाँ गया है, क्योंकि उसे हिंदी पढ़नी है। (मिश्र)

2. देश के लिए मर-मिटने वाला सच्चा देशभक्त होता है। (सरल)
जो देश के लिए मर मिटता है, वही सच्चा देशभक्त होता है। (मिश्र)

3. शिक्षक के सामने छात्र शांत रहते हैं। (सरल)
जब तक शिक्षक रहता है, छात्र शांत रहते हैं। (मिश्र)

4. मोहन ने मुझे जल्दी भोजन करने के लिए कहा। (सरल)
मोहन ने कहा कि मुझे जल्दी भोजन करना है। (मिश्र)

संयुक्त वाक्य से मिश्र वाक्य :

1. शीला ने एक पुस्तक माँगी और वह उसे मिल गई। (संयुक्त)
शीला ने जो पुस्तक मांगी थी, वह उसे मिल गई। (मिश्र)

2. मजदूर मेहनत करता है, लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता। (संयुक्त)
मजदूर जितनी मेहनत करता है, उसका उसे उतना लाभ नहीं मिलता। (मिश्र)

3. मोहन बहुत खिलाड़ी है लेकिन फेल कभी नहीं होता! (संयुक्त)
मोहन ऐसा खिलाड़ी है, जो कभी फेल नहीं होता। (मिश्र)

संयुक्त वाक्य से सरल वाक्य

संयुक्त – मजदूर मेहनत करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता।
साधारण – मजदूर को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिलता।
संयुक्त – मोहन बहुत खिलाड़ी है, लेकिन फेल कभी नहीं होता।
सरल – मोहन बहुत खिलाड़ी होने पर भी फेल कभी नहीं होता।
मिश्र – यद्यपि मोहन बहुत खिलाड़ी है, तथापि फेल कभी नहीं होता।
संयुक्त – गरीब मेहनत करते हैं परंतु उन्हें भरपेट रोटी नहीं मिलती।
साधारण – मेहनत करने पर भी गरीबों को भरपेट रोटी नहीं मिलती।
संयुक्त – वह बाजार गया और संतरे लाया।
साधारण – वह बाजार जाकर संतरे लाया।

मिश्र वाक्य से सरल वाक्य :

– जब तक मोहन घर पहुंचा तब तक उसके पिता चल चुके थे।
मोहन के घर पहुंचने से पूर्व उसके पिता चल चुके थे।
– मैंने एक आदमी देखा जो बहुत बीमार था।
मैंने एक बहुत बीमार आदमी देखा।
– अध्यापक ने छात्रों से कहा कि तुम परिश्रमपूर्वक पढ़ो और परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाओ।
अध्यापक ने छात्रों को परिश्रमपूर्वक पढ़कर परीक्षा में अच्छी श्रेणी लाने के लिए कहा।
– उसने कहा कि मैं निर्दोष हूँ।
उसने स्वयं को निर्दोष बताया।
– एक व्यक्ति जो सड़क पार कर रहा था, बस से टकराकर मर गया।
सड़क पार करता हुआ एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया।

मिश्र वाक्य से संयुक्त वाक्य

– यदि वह तेज दौड़ता तो गाड़ी मिल जाती। →
वह तेज दौड़ता तो गाड़ी मिल जाती।।
– मेरी जो गाय काली है वह खेत में चर रही है →
मेरी गाय काली है और खेत में चर रही है।
– जब सभा समाप्त हुई तो सब लोग चले गए →
सभा समाप्त हुई और सब लोग चले गए।
– जो तोता पिंजड़े में है, वह दाल खा रहा है →
तोता पिंजड़े में है और दाल खा रहा है।

वाच्य-परिवर्तन

प्रश्न
वाच्य किसे कहते हैं ? उसके भेदों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
वाच्य’ का शाब्दिक अर्थ है ‘बोलने का विषय क्रिया के जिस रूपांतर से यह जाना जाए कि क्रिया द्वारा किए गए विधान का केंद्र-बिंदु कर्ता है, कर्म है अथवा क्रिया-भाव, उसे वाच्य कहते हैं। उदाहरणतया-
रमेश खेल रहा है।
– इसमें खेलना क्रिया का कथ्य-बिंदु है-रमेश (कर्ता)। अतः यह कर्तृवाच्य वाक्य है।

दूसरा उदाहरण-
रमेश द्वारा फुटबाल खेली जा रही है।
– इसमें खेलने का कथ्य-बिंदु है ‘फुटबाल’ (कर्म)। अत: यह कर्मवाच्य है।

तीसरा उदाहरण-
मुझसे खेला नहीं जा रहा।
– इसमें स्वयं ‘खेला जाना’ (क्रिया-भाव) ही वाक्य का कथ्य-बिंदु है। अतः यह भाववाच्य वाक्य है। उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि वाच्य के तीन भेद होते हैं-

वाच्य के भेद

वाच्य के दो भेद हैं-कर्तृवाच्य और अकर्तृवाच्या
1. कर्तवाच्य-जिस वाक्य में वाच्य-बिंदु ‘कर्ता’ है, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते हैं। जैसे-
बच्चे खेल रहे हैं।
अशोक पुस्तक पढ़ता है।
कन्याएँ ढोलकं बजाएँगी।
इन तीनों वाक्यों में कथ्य-बिंदु कर्ता (बच्चे, अशोक, कन्याएँ) हैं। अत: ये कर्तृवाक्य वाक्य

2. अकर्तृवाच्य जिन वाक्यों में कर्ता गौण अथवा लुप्त होता है, उन्हें अकर्तृवाच्य कहते हैं। इसके दो भेद हैं-(क) कर्मवाच्य तथा (ख) भाववाच्य।
(क) कर्मवाच्य जहाँ वाच्य-बिंदु कर्ता न होकर ‘कर्म’ हो, वहाँ कर्मवाच्य होता है। इन वाक्यों में या तो कर्ता का लोप हो जाता है, या उसके साथ “से’ या ‘के द्वारा’ का प्रयोग होता है। जैसे
रमेश से अब दूध पिया नहीं जा रहा है। (कर्ता + से)
– इस वाक्य में वाच्य-बिंदु ‘दूध’ (कर्म) है। अतः यह कर्मवाच्य वाक्य है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-

दवाईदे दी गई है। (कर्ता का लोप)
पतंगबहुत अच्छी तरह उड़ रही है। (कर्ता का लोप)
हमसे सुंदर चित्रदेखे गए। (कर्ता + से)
रोगी को भोजनदिया गया। (कर्ता का लोप)
यह उपन्यास प्रेमचंदद्वारा लिखा गया। (कर्ता + द्वारा)

(ख) भाववाच्य जिस वाक्य में वाच्य-केंद्र क्रिया हो अर्थात् जहाँ न कर्ता की प्रधानता हो, न कर्म की, बल्कि जहाँ ‘क्रिया का भाव’ ही मुख्य हो, उसे भाववाच्य कहते हैं। भाववाच्य की क्रिया सदा अन्यपुरुष पुल्लिंग एकवचन में रहती है।
उदाहरणतया-
मुझसे अब चलानहीं जाता।
– यहाँ चलने की असमर्थता ही प्रमुख है, कर्ता नहीं। अतः यह भाववाच्य वाक्यहै। अन्य उदाहरण-

गर्मियों में खूबनहाया जाता है।
अबचला जाए।
थोड़ी देरसो लिया जाए।
राधा से रात-भर कैसेजागा जाएगा।

टिप्पणी कर्तृवाच्य में सकर्मक और अकर्मक दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग होता है। … कर्मवाच्य में सकर्मक क्रियाओं का प्रयोग होता है। भाववाच्य में केवल अकर्मक क्रिया का प्रयोग : होता है। कर्मवाच्य के प्रयोग-स्थल निम्नलिखित स्थलों पर कर्मवाच्य वाक्यों का प्रयोग होता है

(क) जब कर्ता का निश्चित रूप से पता न हो या किसी कारणवश उसका उल्लेख न करना चाहते हों। जैसे-
डाकपेटी में चिट्ठी डाल दी गई है।
उसकी घड़ी मेज पर से चुरा ली गई है।
चिट्ठी भेजी गई।

(ख) जब आपके बिना चाहे कोई कर्म अचानक हो गया हो। जैसे-
शोशा गिर गया और टूट गया।
शीशे का गिलास छूट गया।

(ग) जब कर्ता स्वतंत्र रूप से कोई व्यक्ति न हो बल्कि कोई व्यवस्था या तंत्र (सभा, समिति, सरकार आदि हो, या जहाँ व्यक्ति ने जो किया है, वह व्यक्तिगत रूप से नहीं किया है बल्कि पदेन किया है।) जैसे-

सरकार द्वारा गरीबों के लिए बहुत से काम किए जा रहे हैं।
आपको सूचित किया जाता है कि ……….
दंगाग्रस्त लोगों की आर्थिक सहायता पार्टी द्वारा की जा रही है।
रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सभी द्वारा जनहित के अनेक कार्य किए जा रहे हैं।

(घ) सूचना विज्ञप्ति आदि में जहाँ कर्ता निश्चित नहीं है, जैसे-
पटरी पार करने वालों को सजा दी जाएगी।
अभियुक्त को न्यायालय में पेश किया जाए।

(ङ) असमर्थता बताने के लिए ‘नहीं’ के साथ। जैसे-
अब अधिक दूध नहीं पिया जाता।
यह खाना हमसे नहीं खाया जाता।
आजकल गरीब की बात नहीं सुनी जाती।
अब अधिक भोजन नहीं खाया जाएगा।
अब तो पत्र भी नहीं लिखा जाता।

भाववाच्य के प्रयोग-स्थल-

(क) प्रायः असमर्थता या विवशता प्रकट करने के लिए ‘नहीं’ के साथ भाववाच्य का प्रयोग होता है। जैसे-
अब खड़ा तक नहीं हुआ जाता।
अब तो हमसे चला भी नहीं जा रहा।
रातभर कैसे जागा जाएगा?

(ख) जहाँ ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता, वहाँ मूल कर्ता जन-सामान्य होता है, जैसे-
गर्मियों में छत पर सोया जाता है।
अब तो चला जाए।
आओ, जरा घूमा जाए।

वाच्य-परिवर्तन

कर्तवाच्य से कर्मवाच्य बनाने की विधि-

  1. कर्तृवाच्य के कर्ता और कर्म की विभक्तियाँ हटाकर कर्ता के साथ ‘से’, ‘के द्वारा’ या ‘द्वारा’ लगाना चाहिए।
  2. कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया में बदलकर उसके साथ ‘जाना’ क्रिया का (मुख्य क्रिया के लिंग, वचन, पुरुष अनुसार) रूपांतरित रूप जोड़ देना चाहिए।

इन नियमों-विधियों के अनुसार किसी भी कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य में सुगमता से बदला जा सकता है। उदाहरणतया

  1. बालक पत्र लिखता है। – बालक से पत्र लिखा जाता है।
  2. माँ ने पुत्र को सुला दिया। – माँ के द्वारा पुत्र सुला दिया गया।
  3. रजिया ने कपड़े धोए। – रजिया से कपड़े धोए गए।
  4. तुम फूल तोड़ोगे। – तुमसे फूल तोड़े जाएंगे।
  5. रमेश अब दूध नहीं पी रहा है। – रमेश से अब दूध नहीं पिया जा रहा है।
  6. रमेश पतंग उड़ा रहा है। – रमेश द्वारा पतंग उड़ाई जा रही है।
  7. रजिया ने पुस्तक पढ़ी। – रजिया से पुस्तक पढ़ी गई।
  8. अशोक पुस्तक पढ़ता है। – अशोक द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
  9. मोहन फूल तोड़ता है। – मोहन से फूल तोड़ा जाता है।
  10. तुम लिख नहीं सकते।। – तुमसे लिखा नहीं जा सकता।

कर्तवाच्य से भाववाच्य बनाने की विधि-
(क) कर्ता के आगे ‘से’, ‘द्वारा’ अथवा ‘के द्वारा विभक्ति लगा दें।
(ख) मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एकवचन में बदलकर उसके साथ . ‘जाना’ धातु के एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगा दें जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है।

इन नियमों के अनुसार किसी भी कर्तृवाच्य को भाववाच्य में आसानी से बदला जा सकता है। उदाहरणतया-

  1. बच्चे खेलेंगे। – बच्चों द्वारा खेला जाएगा।
  2. लड़की आँगन में सो रही थी। – लड़की के द्वारा आँगन में सोया जा रहा था।
  3. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। – पक्षियों से आकाश में उड़ा जाता है।
  4. मैं अब चल नहीं पाता। – मुझसे अब चला नहीं जाता।
  5. गर्मियों में लोग खूब नहाते हैं। – गर्मियों में (लोगों द्वारा) खूब नहाया जाता है।
  6. बच्चे जागेंगे। – बच्चों द्वारा जागा जाएगा।
  7. राम नहीं सोता। – राम से नहीं सोया जाता।
  8. बच्चा रोता है। – बच्चे से रोया जाता है।

कर्तवाच्य बनाना- कर्मवाच्य या भाववाच्य से कर्तृवाच्य बनाना उपर्युक्त विधि के विपरीत है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

  1. बच्चों से खेला जाएगा। – बच्चे खेलेंगे।
  2. राम से पढ़ा नहीं जाता। – राम नहीं पढ़ता।
  3. सुरेश द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा। – सुरेश कल पत्र लिखेगा।
  4. अमित से दौड़ा नहीं जाता। – अमित दौड़ नहीं सकता।

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