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BSEB Class 10 Social Science Economics Chapter 6 वैश्वीकरण Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science Economics Chapter 6 वैश्वीकरण Book Answers |
Bihar Board Class 10th Social Science Economics Chapter 6 वैश्वीकरण Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 10th |
Subject | Social Science Economics Chapter 6 वैश्वीकरण |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 10th Social Science Economics Chapter 6 वैश्वीकरण Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. सही विकल्प चुनें।
प्रश्न 1.
नई आथिक नीति में किसे सम्मिलित किया गया?
(क) उदारीकरण
(ख) निजीकरण
(ग) वैश्वीकरण
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(ग) वैश्वीकरण
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के मुख्य अंग कितने हैं ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) चार
उत्तर-
(ग) पाँच
प्रश्न 3.
इनमें से कौन बहुराष्ट्रीय कंपनी है ?
(क) फोर्ड मोटर्स
(ख) सैमसंग
(ग) कोका कोला
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(घ) इनमें से कोई नहीं
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण का अर्थ है ?
(क) विदेशी पूँजी एवं विनियोग पर रोक
(ख) व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
(ग) सरकारीकरण की प्रक्रिया को बढ़ाना
(घ) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(ख) व्यापार, पूँजी, तकनीक हस्तांतरण, सूचना प्रवाह द्वारा देश की अर्थव्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय
प्रश्न 5.
पारले समूह के ‘थम्स अप’ ब्रांड को किस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने खरीद लिया ?
(क) कोका कोला
(ख) एल. जी.
(ग) रिबॉक
(घ) नोकिया
उत्तर-
(क) कोका कोला
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1. वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का …………… अर्थव्यवस्था के साथ समन्वया
2. व्यापार, पूँजी, तकनीक, हस्तांतरण, सूचना प्रवाह के माध्यम से ……… को बढ़ावा मिलता है।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में ……………. भूमिका निभा रही हैं।
4. विदेशी व्यापार विश्व के देशों के बाजारों को …………. का कार्य करते हैं।
5. W.T.O.(World Trade Organisation) की स्थापना सन् ………….. में की गई।
उत्तर-
1. विश्व,
2. वैश्वीकरण,
3. मुख्य,
4. जोड़ने,
5. 1995.
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
वैश्वीकरण वह प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय या एकीकरण किया जाता है ताकि वस्तुओं एवं सेवाओं; प्रौद्योगिकी, पूँजी और श्रम या मानवीय पूंजी का भी निर्बाध प्रवाह हो सके। वैश्वीकरण के अन्तर्गत पूंजी वस्तु तथा प्रौद्योगिकी . का निर्बाध रूप से एक दूसरे देश में प्रवाह होता है। इसको स्पष्ट करते हुए बैंकों मिलनोवीक ने कहा है-“वैश्वीकरण का अर्थ पूँजी, वस्तु, प्रौद्योगिकी एवं लोगों के विचार का स्वतंत्र प्रवाह होता है। कोई भी ऐसा वैश्वीकरण आशिक ही माना जाएगा जिसमें मानवीय सम्पदा के प्रवाह में रुकावट आये।” अर्थात् वैश्वीकरण के अन्तर्गत वस्तुओं के साथ-साथ पूंजी, तकनीक एवं । सेवाओं का भी एक देश से दूसरे देश के बीच बिना किसी रुकावट के प्रवाह होता है। वैश्वीकरण के कारण ही विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं, पूंजी और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। दुनिया के देश एवं लोग एक-दूसरे के अपेक्षाकृत अधिक सम्पर्क में आये हैं।
प्रश्न 2.
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसको कहते हैं ?
उत्तर-
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वे हैं, जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामित्व रखती हैं। जैसे—फोर्ड मोटर्स, सैमसंग, कोका कोला, नोकिया, इंफोसिस, टाटा मोटर्स आदि।
प्रश्न 3.
विश्व व्यापार संगठन क्या है ? यह कब और क्यों स्थापित किया गया ?
उत्तर-
विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है। विश्व व्यापार संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है और देखता है कि इन नियमों का पालन है। विश्व व्यापार संगठन सभी देशों को मुक्त व्यापार की सुविधा देता है। विश्व व्यापार संगठन की स्थापना जनवरी 1995 में उपर्युक्त उद्देश्यों से की गई थी।
प्रश्न 4.
भारत में सन् 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
भारत ने सन् 1991 में कुछ नई नीतियों को अपनाया जिसे नई आर्थिक नीति कहा जाता है। इस नई आर्थिक नीति में व्यापक आर्थिक सुधारों को सम्मिलित किया गया है। भारत में आर्थिक सुधारों का मतलब उन नीतियों से है जिनका प्रारंभ 1991 में आर्थिक व्यवस्था की शक्ति के स्तरों में वृद्धि करने के दृष्टिकोण से किया गया है। ये आर्थिक सुधार उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीतियों पर आधारित हैं। अतः इन्हें हम एल.पी.जी. नीति भी कहते हैं। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि आर्थिक सुधारों को हम नई आर्थिक नीति (New Economic Policy) के नाम से भी पुकारते हैं।
प्रश्न 5.
उदारीकरण को परिभाषित करें।
उत्तर-
सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रणों तथा प्रतिबंधों जैसे- लाइसेंस, कोटा आदि को हटाना उदारीकरण है। आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत सन् 1991 में भारत सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनायी।
प्रश्न 6.
निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
निजीकरण का अभिप्राय, निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंध करना है। आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत भारत सरकार में सन् 1991 से निजीकरण की नीति अपनायी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा किसी क्षेत्र में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्माण पर निम्नलिखित बातों का प्रभाव पड़ता है सस्ते श्रम, सस्ता कच्चा माल, उपभोक्ता बाजार एवं अन्य संसाधन।
कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी लाभ कमाने की दृष्टि से ही किसी अन्य देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाती है, अतः वह सर्वप्रथम यह देखती है कि अमुक देश में सस्ते दर पर श्रमिक उपलब्ध हैं या नहीं। जहाँ सस्ते श्रमिक उपलब्ध होंगे वहाँ की वह अपनी इकाई लगायेगी।
दूसरी बात जो बहुराष्ट्रीय कंपनी के निर्णय को प्रभावित करनी है, वह है सस्ता कच्चा माल। जिस देश के बहुराष्ट्रीय कंपनी की इकाई में प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल की प्रचुरता होगी और सस्ते में उपलब्ध होंगे वहाँ की वह अपनी इकाई लगायेगी।
तीसरी चीज है बाजार। बहुराष्ट्रीय कंपनी यह देखती है कि जिस इकाई को वह लगाने जा रही है उसके उत्पाद के उपभोक्ता उस देश में काफी संख्या में हैं। अतः वहाँ ही वह अपनी इकाई लगाती है। यदि उपभोक्ता ही न मिले तो उत्पादन किसके लिए होगा।
इनके अतिरिक्त अन्य संसाधनों की उपलब्धता पर भी बहुराष्ट्रीय कंपनी ध्यान देती है जैसे यातायात, शक्ति उस देश के लोगों का जीवन स्तर पर्यावरण आदि।
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बतायें।
उत्तर-
वैश्वीकरण के कारण बिहार का आर्थिक परिवेश भी बदलता जा रहा है। आर्थिक विकास के लिए अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी अधिक पूंजीनिवेश की आवश्यकता है। वैश्वीकरण का बिहार के जनजीवन पर न केवल सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं बल्कि इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी है जिसे हम निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।
सकारात्मक प्रभाव –
1. कृषि उत्पादन में वृद्धि-वैश्वीकरण के बाद बिहार के कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बिहार में खाद्यान्नों का उत्पादन 1977-78 में 102 लाख टन था जो 1996-97 में बढ़कर 141 लाख टन हो गया। इसी तरह 1980-83 की अवधि में बिहार में प्रति हेक्टेयर फसलों का औसत मूल्य 3,680 रु. या जो 1992-95 की अवधि में बढ़कर 5,678 रु. हो गया।
2.निर्यातों में वृद्धि वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार से किये गये निर्यातों में वृद्धि हुई है। इन निर्यातों में कुछ खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों का निर्यात, कुटीर तथा लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का निर्यात तथा फलों का निर्यात शामिल है। फलों के निर्यात के अन्तर्गत बिहार लीची, आम तथा मखाना के लिए प्रसिद्ध है।
3. विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग की प्राप्ति-वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार में विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग भी हुआ है और विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग के लिए काफी दिलचस्पी दिखायी गयी है। इससे भविष्य में विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग में काफी वृद्धि की आशा की जा सकती है।
4.शुद्ध राज्य घरेलू उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पादन में वृद्धि-वैश्वीकरण के फलस्वरूप चालू मूल्यों पर राज्य के शुद्ध घरेलू उत्पादन तथा प्रति व्यक्ति शुद्ध घरेलू उत्पादन में वृद्धि हुई है। दूसरे शब्दों में इस अवधि में राज्य की कुल आय तथा प्रति व्यक्तिआय में वृद्धि हुई है।
5.निर्धनता में कमी-वश्वीकरण के पश्चात् राज्य में निर्धनता में उल्लेखनीय कमी हुई है। बिहार में निर्धनता की रेखा से नीचे आनेवाली जनसंख्या 1993-94 में 54.96 थी जो 1999-2000 में घटकर, 42.60% हो गयी।
6. विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता वैश्वीकरण के कारण बिहार के बाजारों में विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुएं उपलब्ध हो गयी हैं। विभिन्न बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मोबाईल फोन, जूते, रेडिमेड वस्त्र आदि अब बिहार के बाजारों में भी उपलब्ध हैं।
7.रोजगार के अवसरों में वृद्धि–वैश्वीकरण के फलस्वरूप रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। उच्च शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त लोगों के लिए विदेशों तथा देश के अन्य भागों में रोजगार के नये अवसर उपलब्ध हुए हैं। वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि बिहार के बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर आज विदेशों में नौकरी कर रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका एवं इंग्लैंड में बड़ी संख्या में सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी कर रहे हैं।
8. बहुराष्ट्रीय बैंक एवं बीमा कम्पनियों का आगमन-वैश्वीकरण का ही प्रभाव है कि बिहार में बहुराष्ट्रीय बैंकों जैसे HSBC बैंक आदि का आगमन हुआ। बिहार में बहुराष्ट्रीय बीमा कम्पनियाँ भारतीय कम्पनियों के साथ मिलकर संयुक्त कम्पनी के रूप में उत्तर रही हैं। जैसे बजाज एलियांज, बिरला सनलाइट, टाटा ए. आई. जी., अवीवा आदि।
नकारात्मक प्रभाव:
(i) कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा-बाहर एक कृषि प्रधान राज्य है। यहाँ बड़े पैमाने पर उद्योग-धंधे काफी कम हैं। राज्य में कृषि पर किया गया निवेश संतोषजनक नहीं है। यहाँ कृषि आधारित उद्योगों के विकास की संभावना काफी है। लेकिन इन उद्योगों में वैश्वीकरण के पश्चात् जितना निवेश होना चाहिए था उतना नहीं हुआ है।
(ii) कटीर एवं लघु उद्योग पर विपरीत प्रभाव-बिहार में बड़े पैमाने के उद्योग-धन्धे कम हैं। यहाँ कुटीर एवं लघु उद्योग ज्यादा हैं। वैश्वीकरण के कारण छोटे पैमाने के उद्योगों जैसे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग के लिए खतरा हो गया है, क्योंकि उनके द्वारा निर्मित वस्तुओं को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं का सामना करना पड़ता है जो क्वालिटी में इनसे अच्छी एवं सस्ती होती हैं। जैसे–चीन द्वारा निर्मित खिलौने से हमारा बाजार पट गया है। चीनी खिलौनों ने हमारे कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
(iii) रोजगार पर विपरीत प्रभाव-चूंकि बिहार में छोटे पैमाने के उद्योग-धंधे ज्यादा हैं । जैसे- कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग आदि। बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं के आने से इन उद्योगों की बहुत सारी इकाइयाँ बंद हो गयीं। जिसके चलते बहुत सारे श्रमिक बेरोजगार हो गये।
(iv) आधारभूत संरचना के कम विकास के कारण कम निवेश-बिहार में पूँजी निवेश उतना नहीं हुआ है जितना वैश्वीकरण के फलस्वरूप देश के अन्य राज्यों में हुआ है। इसका कारण है कि बिहार में आधारभूत संरचना की कमी है। यहाँ सड़क, बिजली विश्वस्तरीय होटल एवं हवाई अड्डा की कमी है।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि वैश्वीकरण के सकारात्मक अथवा लाभकारी प्रभाव इनके नकारात्मक प्रभाव की तुलना में अधिक वजन रखते हैं। वैश्वीकरण का जो भी प्रभाव पड़ा है उससे बिहार को लाभ ही हुआ है।
प्रश्न 3.
भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर-
भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क इस प्रकार हैं
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा, जिससे भारत जैसे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेगा।
- प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि-वैश्वीकरण की नीति के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देशों की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का त्वरित विकास हो सकेगा।
- नयी प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तेयार की गई नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है।
- अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति–वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी-अच्छी गुणवत्ता की उपभोग वसतुओं को सापेक्षतः कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है।
- नये बाजार तक पहुंचना-वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश के लिए दुनिया के बाजारों तक पहुँच का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
- उत्पादन तथा उत्पादिता के स्तर को उन्नत करना-वैश्वीकरण से ज्ञान का तेजी से प्रसार होता है और इसके परिणामस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश अपने उत्पादन और उत्पादिता – के स्तर को उन्नत कर सकते हैं। अतः यह उत्पादिता के अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्राप्त करने के लिए गति न करता है।
- किंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सपार-वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के अन्य देशों ‘ के सम्पर्क में आने से बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र की कुशलता में सुधार होगा।
- मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास- शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण वैश्वीकरण के प्रमुख घटक हैं। इससे मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।
प्रश्न 4.
वैश्वीकरण का आम आदमी पर पड़े प्रभाव की चर्चा करें।
उत्तर-
वैश्वीकरण का आम आदमी पर अच्छा और बुरा दोनों प्रभाव पड़े हैं। सर्वप्रथम अच्छा प्रभाव निम्न है
1. उपयोग के आधनिक संसाधनों की उपलब्धता- वैश्वीकरण के कारण दुनिया के सभी देशों के उच्चतम उत्पादन लोगों को उपयोग के लिए उपलब्ध हो गया है। उदाहरण के लिए पहले जहाँ आम आदमी रेडियो से मनोरंजन प्राप्त करता था। अब उनके लिए विभिन्न कंपनियों के रंगीन
टेलीविजन जैसी चीजों की उपलब्धता हो गई है।
2. रोजगार की बढ़ी हई संभावना वैश्वीकरण के कारण नए-नए क्षेत्र खुल गए हैं। जिससे कुशल श्रमिकों के लिए अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो गए हैं।
3. आधुनिक तकनीक की उपलब्धता वैश्वीकरण के कारण विश्व के विकसित देशों के आधुनिक तकनीक अन्य विकासशील देशों में आसानी से उपलब्ध होने लगे हैं। जिससे आम लोगों के लिए आधुनिकतम तकनीक के उपयोग का दरवाजा खुल गया है। सच कहा जाए तो, भारत जैसे विकासशील देश में आम लोगों पर वैश्वीकरण का बुरा प्रभाव ही पड़ा। वैश्वीकरण से आम लोगों पर निम्नलिखित बुरा प्रभाव पड़ा है
1. बेरोजगारी बढ़ने की आशंका- वैश्वीकरण के कारण आधुनिक संयंत्रों से मशीनी उत्पादन को बढ़ावा मिला है, जिसके कारण समाज के.अधिकतम श्रम शक्ति जो अर्द्धकुशल या अकुशल हैं, ऐसे लोगों में बेरोजगारी के बढ़ने की संभावना हो गई है।
2. उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में बढ़ती हई प्रतियोगिता- विदेशी पूजी एवं विदेशी कंपनियों के बिना किसी प्रतिबंध के आयात होने से आम लोगों में बेरोजगारी फैलने की संभावना बढ़ गई है।
3. श्रम संगठनों पर बरा प्रभाव- श्रमिक संगठनों के द्वारा आम मजदूरों की न्यूनतम माँगों को संगठित रूप से माँग की जाती है जिससे श्रमिकों को सामान्य वेतन एवं सुविधाएं उपलब्ध होने लगती हैं। अब वैश्वीकरण के कारण श्रम कानूनों में लचीलापन आया है जिससे श्रमिक संगठन भी कमजोर हो गया है। इससे आम श्रमिकों को उचित पारिश्रमिक मिलने में कठिनाई आने लगी है।
4. मध्यम एवं छोरे उत्पादकों की कठिनाई- वैश्वीकरण के कारण मध्यम एवं छोटे ‘उत्पादकों के लिए अपने उत्पादन को सक्षम रखने में अनेक कठिनाइयाँ होने लगी हैं। प्रकृति का यह एक सामान्य नियम है कि पानी में बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों को खा जाती हैं। उसी तरह वैश्वीकरण के कारण जो बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ देश में आने लगी हैं, उससे मध्यम और छोटे उद्योग और व्यवसाय के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है।
5. कषि एवं ग्रामीण क्षेत्र का संकट वैश्वीकरण के कारण अब देश और विदेश के बड़े-बड़े पूँजीपति फार्म हाऊस बनाने लगे हैं जिसमें कृषि के क्षेत्र में भी अधिक पूंजी निवेश के द्वारा कम श्रम-शक्ति से ही अधिक उत्पादन प्राप्त करने लगे हैं। इस स्थिति में गाँव के मध्यम एवं छोटे श्रेणी के किसानों के लिए अनेक प्रकार के संकट उत्पन्न हो गए हैं। इस प्रकार वैश्वीकरण के आम लोगों पर कुछ अनुकूल एवं अधिक विपरीत प्रभावों को देखने के बाद हम इस निष्कर्ष पर आते हैं कि वैश्वीकरण से आम लोगों को लाभ से अधिक हानि होने की संभावना है। यह सत्य है कि वैश्वीकरण से पूँजी उत्पाद और आय में वृद्धि होगी।
किन्तु वृद्धि का यह लाभ समा के मुट्ठी भर धनी एवं उच्च शिक्षा प्राप्त लोग ही प्राप्त कर सकेंगे। वैश्वीकरण की स्थिति में ऊँ आय के अमीर व्यक्तियों की आय बढ़ती चली जाएगी और 85 प्रतिशत की सर्वाधिक संख्या में आम लोगों का जीवन कठिन हो जाने की संभावना है।
परियोजना कार्य
अपने विद्यालय के समीप के किसी गाँव या मुहल्ले के निम्न मध्यम वर्ग के दस लोगों से इन बिन्दुओं पर उनकी राय लें और बताएं कि वैश्वीकरण से उन्हें कितना और कैसे लाभ हुआ है?
(क) विगत वर्षों में उनके द्वारा उपभोग की गई वस्तु की संख्या में वृद्धि हुई है अथवा नहीं?
(ख) यदि उनके द्वारा उपभोग की वस्तुओं में वृद्धि है तो क्या
(i) वे वस्तुएँ स्थानीय बाजार की नीर्मित हैं या बड़ी कंपनियों द्वारा
(ii) उनके उपभोग की सामग्रियों में कितनी बहुराष्ट्रीय कंपनी का उत्पादन है।
(iii) वैश्वीकरण को सरल शब्दों में बताकर उनसे पूछे कि उन्हें इससे लाभ हुआ है अथवा नहीं।
इस प्रश्नावली के आधार पर दस पंक्तियों में यह बताएं कि वैश्वीकरण का आम लोगों पर कैसा प्रभाव पड़ा है अच्छा अथवा बुरा।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
Bihar Board Class 10 Economics वैश्वीकरण Additional Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वैश्वीकरण को प्रमुख विशेषता है
(क) वस्तुओं का मुक्त प्रवाह
(ख) पूँजी का मुक्त प्रवाह
(ग) प्रौद्योगिकी का मुक्त प्रवाह
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी
प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के फलस्वरूप दो देशों के उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा
(क) कम होगी
(ख) बढ़ जाएगी
(ग) घटती-बढ़ती रहेगी
(घ) कोई परिवर्तन नहीं होगा
उत्तर-
(ख) बढ़ जाएगी
प्रश्न 3.
बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा दूसरे देशों में निवेश का सबसे सामान्य तरीका है
(क) नए कारखानों की स्थापना
(ख) स्थानीय कंपनियों को खरीद लेना
(ग) स्थानीय कंपनियों से साझेदारी
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी
प्रश्न 4.
सरकार की नवीन आर्थिक नीति का अंग है
(क) उदारीकरण ।
(ख) निजीकरण
(ग) वैश्वीकरण
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी
प्रश्न 5.
वैश्वीकरण से किसके जीवन-स्तर में सुधार हुआ है ?
(क) सभी लोगों के
(ख) संपन्न वर्ग के लोगों के
(ग) अकुशल श्रमिकों के
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(क) सभी लोगों के
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक बहराष्ट्रीय निगम क्या है?
उत्तर-
बहुराष्ट्रीय कंपनी या बहुराष्ट्रीय निगम वह है जिसका एक से अधिक देशों में वस्तुओं के उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनी की क्रियाएँ या व्यापार एक देश में सीमित न होकर अनेक राष्ट्रों में फैली रहती है।
प्रश्न 2.
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अन्य कंपनियाँ से किस प्रकार भिन्न होती है ?
उत्तर-
एक बहुराष्ट्रीय निगम वह है जिसका एक से अधिक देशों में वस्तुओं के उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विभिन्न देशों में पूँजी का निवेश करती है। तथा इनके द्वारा किया गया निवेश अरबों रुपयों में होता है। कोका-कोला, सैंमसंग, इंफोसिस इत्यादि इसी श्रेणी में आते हैं। परंतु अन्य कंपनियों का कार्य छोटे स्तरों पर होता है। एक क्षेत्र विशेष राज्य या देश स्तर पर ही अन्य कंपनियां अपनी उत्पादन प्रक्रिया को करती है।
प्रश्न 3.
विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ता है। कैसे?
उत्तर-
प्राचीनकाल से ही विदेश व्यापार विभिन्न देशों को परस्पर जोड़ने का माध्यम रहा है। दो देशों के बीच मुक्त व्यापार होने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है। बाजार में वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं तथा दो बाजारों में एक ही वस्तु का मूल्य एकसमान होने लगता है। इस प्रकार विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा एकीकरण में सहायक होता है।
प्रश्न 4.
क्या आप मानते हैं कि फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय निगम है ?
उत्तर-
‘फोर्ड मोटर्स’ एक अमेरिकी कंपनी है तथा यह विश्व की बड़ी कार निर्माता कंपनियों में सबसे बड़ी है। उसका उत्पादन 26 अलग-अलग देशों में फैला हुआ हो। फोर्ड मोटर्स एक बहुराष्ट्रीय कंपनी है।
प्रश्न 5.
विदेशी निवेश से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
बहुराष्ट्रीय कंपनी अथवा निगम अपने देश के बाहर दूसरे देशों में जो पूँजी लगाते हैं, उसे विदेशी निवेश कहते हैं। विदेशी निवेश का एकमात्र उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है।
प्रश्न 6.
वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले प्रमुख कारक क्या है ?
उत्तर-
वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले प्रमुख कारक है- प्रौद्योगिकी, परिवहन प्रौद्योगिकी, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेशों का उदारीकरण।
प्रश्न 7.
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होनेवाली प्रगति ने वैश्वीकरण को कैसे संभव बनाया है ?
उत्तर-
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होनेवाली प्रगति वैश्वीकरण और विभिन्न देशों के एकीकरण को संभव बनानेवाले कारकों में एक प्रमुख कारक है। परिवहन प्रौद्योगिकी में सुधार होने से सुदूर स्थानों में अधिक मात्रा में तथा कम समय में वस्तुओं को भेजा जा सकता है। तथा कम समय में वस्तुओं को भेजा जा सकता है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी ने भी विश्व के सभी भागों के निवासी को एक-दूसरे से संपर्क और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने में सुलभता प्रदान की है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अतीत में विश्व के विभिन्न देशों को जोड़ने का प्रमुख माध्यम क्या था? अब वह किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
अतीत से ही विदेश व्यापार विभिन्न देशों की परस्पर जोड़ने का माध्यम रहा है। उस समय व्यापार सामुद्रिक मार्गों से होता था। वर्तमान में विदेशी व्यापार से उत्पादक एवं उपभोक्ता दोनों ही लाभान्वित होते हैं। दो देशों के बीच मुक्त व्यापार होने से वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं। तथा बाजारों में एक ही वस्तु का मूल्य एकसमान होने लगता है। इस प्रकार पहले विदेश व्यापार दो देशों को जोड़ने का काम करता था परंतु आज विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने तथा एकीकरण का काम करता है।
प्रश्न 2.
विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
विदेशी व्यापार में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ या निगम वस्तुओं का विभिन्न देश में व्यापार कर लाभ अर्जित करता था। इसमें उत्पादक और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित होते हैं। विभिन्न कंपनियों में प्रतियोगिता के कारण उनकी वस्तुओं की गुणवत्ता बढ़ जाती है। तथा कीमत में कमी आती है। विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा उनके एकीकरण में सहायक होता है।
विदेशी निवेश द्वारा बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूसरे देशों में उत्पादक कार्यों के निवेश करते हैं। वेदेशी निवेश का मुख्य उद्देश्य कंपनियों द्वारा लाभ अर्जित करना है।
प्रश्न 3.
वैश्वीकरण प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की क्या भूमिका है?
उत्तर-
वैश्वीकरण प्रक्रिया में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है। बहराष्ट्रीय कंपनियों के आगमन से उत्पादन में गुणात्मक परिवर्तन हुए हैं। आरंभ में उत्पादन मुख्यतया किसी देश की सीमाओं के भीतर ही होता था। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का एक से अधिक देशों में वस्तुओं के उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनी विश्व स्तर पर अपनी उत्पाद को बेचता है। इस प्रकार वैश्वीकरण अथवा विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था को जोड़ने में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
प्रश्न 4.
विभिन्न देशों को जोड़ने और उनमें संबंध स्थापित करने के क्या तरीके हो सकते हैं?
उत्तर-
आर्थिक स्वतंत्रता एवं मुक्त व्यापार विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विदेश व्यापार विभिन्न देशों को परस्पर जोड़ने का माध्यम रहा हो। विभिन्न देश इस प्रकार के तरीकों तथा अपनी नीतियों में सुधार कर विभिन्न देशों से संबंध स्थापित कर सकते हैं। इसमें उदारीकरण निजीकरण की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न 5.
विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर-
प्राचीनकाल से ही विदेश व्यापार विभिन्न देशों को परस्पर जोड़ने का माध्यम रहा है। विदेश व्यापार उत्पादकों को घरेलू बाजार अर्थात् अपने देश के बाजार से बाहर के बाजारों में पहुँचने का अवसर प्रदान करता है। विभिन्न देशों के उत्पादकों में प्रतियोगिता के कारण वस्तुओं की लागत अर्थात् उत्पादन व्यय में कमी होती है। इससे कम मूल्य में ऐसी वस्तुओं के उपभोग का भी अवसर मिलता है। जिनका निर्माण देश में नहीं हो सकता है। इस प्रकार विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा उनके एकीकरण में सहायक होता है।
प्रश्न 6.
सचना प्रौद्योगिकी वैश्वीकरण से कैसे जुड़ी हुई है? क्या इसके प्रसार के बिना वैश्वीकरण संभव था?
उत्तर-
वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले कारकों में परिवहन प्रौद्योगिकी से भी अधिक महत्वपूर्ण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास है। विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में इस प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए इस प्रौद्योगिकी की उपलब्धता के कारण लंदन की प्रकाशक कंपनी अपनी प्रकाशन का सभी काम इंटरनेट के माध्यम से भारत के किसी कंपनी को देकर छपाई के कार्यों को कम कीमत में कर लाभ अर्जित कर सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी के विकास से कई प्रकार के नई औद्योगिक इकाईयों का विकास हुआ है। तथा वैश्वीकरण के ये अंग हो गये है। सूचना प्रौद्योगिकी के बिना इस प्रकार के वैश्वीकरण का आज अभाव पाया जा सकता था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बहुराष्ट्रीय निगमों से आप क्या समझते हैं ? इन्होंने किस प्रकार विभिन्न देशों के उत्पादन को जोड़ने का कार्य किया है ?
उत्तर-
बहुराष्ट्रीय कंपनी वह कंपनी है जिसका एक से अधिक देशों उत्पादन पर नियंत्रण एवं स्वामित्व होता है। ये कंपनियाँ विभिन्न देशों में पूँजी का निवेश करती है। जिनको प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश कहते हैं। कोका-कोला, सैमसंग, इंफोसिस इसी श्रेणी में आते हैं। इनके द्वारा किया गया निवेश अरबों रुपयों में होता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विभिन्न देशों के उत्पादन को जोड़ने का कार्य किया है।
इन निगमों का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है। इसलिए ये कंपनियाँ या निगम उन देशों में अपने कारखाने और संयंत्र को स्थापित करते हैं जहाँ कम वेतन पर कुशल श्रमिक उपलब्ध हो, उत्पादन के कारकों की आपूर्ति सुनिश्चित हो तथा सड़क, बिजली पानी आदि जैसे आधारभूत संरचनात्मक सुविधाएँ वर्तमान हो। विदेशी उत्पादकों एवं निवेशकों के प्रति सरकार की नीति भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्थापित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कई बार बहुराष्ट्रीय निगम अन्य देशों की स्थानीय कंपनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करते हैं। बहुराष्ट्रीय निगमों के निवेश का सबसे सामान्य तरीका अन्य देशों की स्थानीय कंपनियों को खरीदना और उसके पश्चात् उत्पादन का विस्तार करना है।
इस प्रकार, बहुराष्ट्रीय निगम कई प्रकार से अपने उत्पादन-कार्य का विस्तार कर रहे हैं। इनकी उत्पादक गतिविधियों से सुदूर स्थानों का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है तथा एक-दूसरे से जुड़ता जा रहा है।
प्रश्न 2.
1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं ? भारत में इन सुधारों की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर-
आर्थिक सुधारों के अंतर्गत वे सभी तरीके शामिल है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए 1991 में अपनाए गए। इन सुधारों का मुख्य बल अर्थव्यवस्था की उत्पादकता और कुशलता में वृद्धि के लिए एक प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण का निर्माण करने पर है। हमारे देश में आर्थिक सुधारों का प्रारंभ विदेशी व्यापार की प्रतिकूलता तथा विभिन्न कारणों से देश में उत्पन्न विदेशी विनिमय के गंभीर संकट की पृष्ठभूमि में हुआ था। अतएव, आर्थिक सुधार की नीतियों में व्यापार एवं पूँजी प्रवाह संबंधी सुधारों को विशेष महत्व दिया गया है।
विगत वर्षों के अंतर्गत एशिया के कई कम विकसित देशों के तीव्र विकास से यह स्पष्ट हो गया है कि प्रशुल्क एवं व्यापार अवरोधों में कमी होने से निर्यात के साथ ही घरेलू बाजार के लिए उत्पादन बढ़ता है। इससे निर्यातों में वृद्धि होती है और आर्थिक संवृद्धि की दर तीव्र होती है। यही कारण है कि जुलाई 1991 से सरकार ने व्यापार के क्षेत्र में ऐसे कई सुधार किए हैं जो हमारे देश को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने में सहायक हुए हैं। इनमें रुपये का अवमूल्यन, व्यापार मंद में और इसके पश्चात चालू मद में रुपये की पूर्ण परिवर्तनशीलता, आयात प्रणाली का उदारीकरण, प्रशुल्क-दरों में कटौती तथा निर्यात-वृद्धि के लिए अपनाए गए उपाय महत्वपूर्ण हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (direct foreign investment) द्वारा सरकार ने पूँजी प्रवाह के अवरोधों को दूर करने का प्रयास किया है।
इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की दृष्टि से 1991 में प्रारंभ किए गए आर्थिक सुधार अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने आर्थिक विकास के लिए जो नीति अपनाई उसमें कई दोष थे। इस नीति के अंतर्गत देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र को आवश्यकता स अधिक महत्व दिया गया था, निजी निवेश एवं आयात-निर्यात पर कई प्रकार के नियंत्रण और प्रतिबंध लगाए गए थे तथा केंद्रीय नियोजन की नीति अपनाई गई थी। यह नीति लगभग 40 वर्षों तक लागू रही तथा बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया गया। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसी समय कुछ अन्य घटनाएँ भी हुई जिनसे हमारा आर्थिक संकट और बढ़ गया।
इनमें सोवियत संघ का विघटन, खाड़ी युद्ध, सरकार के बजट, राजकोषीय घाटे ने अत्यधिक वृद्धि आदि महत्वपूर्ण थे। इसके फलस्वरूप; हमारे विदेशी व्यापार की प्रतिकूलता बहुत बढ़ गई और देश के सामने विदेशी विनिमय का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया। अतः, जुलाई 1991 में भारत सरकार द्वारा आर्थिक नीति में सुधार की रणनीति अपनाई गई। इस नीति को नवीन आर्थिक नीति की संज्ञा दी गई तथा उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण इसके प्रमुख अंग हैं। यही कारण है इस नीति को उदारीकरण, निजीकरण एव वैश्वीकरण(liberalisation, privatisation and globalisation, LPG) की नीति भी कहते हैं।
प्रश्न 3.
उदारीकरण से आप क्या समझते हैं ? इस दृष्टि से भारत सरकार की वर्तमान नीति क्या है?
उत्तर-
प्रायः, सरकारें विदेश व्यापार पर कई प्रकार क नियंत्रण या प्रतिबंध लगा देती हैं जिन्हें व्यापार अवरोधक कहते हैं। किसी भी देश की सरकार व्यापार अवरोधक का प्रयोग अपने विदेश व्यापार में कमी या वृद्धि तथा आयातित वस्तुओं की मात्रा या प्रकार को निर्धारित करने के लिए कर सकती है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने भी विदेश व्यापार पर कई प्रकार के नियंत्रण और प्रतिबंध लगा दिए थे। घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए तथा उन्हें विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह आवश्यक माना गया था।
लेकिन, कुछ समय पूर्व सरकार ने यह अनुभव किया कि अब भारतीय उत्पादकों के लिए विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने का समय आ गया है। अतः, उसने अपनी नवीन आर्थिक नीति के अंतर्गत अर्थव्यवस्था को खोलने तथा अनावश्यक नियंत्रणों को समाप्त करने का एक व्यापक कार्यक्रम अपनाया है जिसे उदारीकरण की संज्ञा दी जाती है।
प्रायः, सरकारें विदेशी व्यापार पर कई प्रकार के नियंत्रण या अवरोध लगा देती है जिन्हें व्यापार अवरोधक (trade barrier) कहते हैं। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने भी विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर कई प्रकार के नियंत्रण और प्रतिबंध लगा दिए थे। घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने तथा देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह आवश्यक माना गया था। 1950 एवं 1960 के दशक भारतीय उद्योगों के विकास के प्रारंभिक चरण थे।
इस अवस्था में विदेशी प्रतियोगिता इनके लिए घातक हो सकती थी। यही कारण है कि इस काल में सरकार ने मशीनरी, पेट्रोलियम, उर्वरक आदि जैसी कुछ अति आवश्यक वस्तुओं के आयात की ही अनुमति प्रदान की थी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि विश्व के सभी विकसित देशों ने अपने विकास के प्रारंभिक काल में घरेलू उत्पादकों को विभिन्न प्रकार से संरक्षण प्रदान किया है।
लेकिन, कुछ समय पूर्व सरकार ने यह अनुभव किया कि अब भारतीय उद्योगों के लिए विश्व प्रतिस्पर्धा का सामना करने का समय आ गया है। अतएव, उसने 1991 में अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए जिन्हें नवीन आकि नीति (NewEconomic Policy, NEP) की संज्ञा दी गई है। इस नीति के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था को अधिक उदार बनाने के लिए सरकार ने विभिन्न नियंत्रणों को समाप्त करने का एक व्यापक कार्यक्रम अपनाया है। इसके अंतर्गत निर्यात एवं आयात की अधिकांश वस्तुओं को लाइसेंस-मुक्त कर दिया गया है तथा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर लगाए गए अधिकांश नियंत्रण और प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।
Bihar Board Class 10 Economics वैश्वीकरण Notes
- वैश्वीकरण प्रक्रिया के माध्यम से विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का समन्वय या एकीकरण किया जाता है। जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं प्रौद्योगिकी, पूँजी और श्रम या मानवीय पूंजी का भी प्रवाह हो सके।
- वैश्वीकरण के कारण ही विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं, पूँजी और प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है।
- वैश्वीकरण निजीकरण एवं उदारीकरण की नीतियों का परिणाम है।
- भारतीय संदर्भ में वैश्वीकरण आर्थिक सुधारों तथा सरकार की नवीन आर्थिक नीति का एक अंग है।
- मक्त व्यापार वैश्वीकरण का आधार है।
- प्राचीनकाल से ही विदेश व्यापार विभिन्न देशों को जोड़ने का माध्यम रहा है।
- बहुराष्ट्रीय निगमों के आगमन के पश्चात् उत्पादन की प्रकृति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए है।
- उदारीकरण का अर्थ है, सरकार द्वारा लगाए गए सभी अनावश्यक नियंत्रणों एवं प्रतिबंधों जैसे परमिट, लाइसेंस, कोटा इत्यादि से अर्थव्यवस्था की मुक्ति।
- निजीकरण का अर्थ है निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उसका प्रबंधन करना।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों का एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण एवं स्वामित्व रखती है।
- होन्डा, पेप्सी, कोका-कोला, नोकिया आदि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उदाहरण है।
- बहुराष्ट्रीय निगमों ने विभिन्न देशों के उत्पादन को जोड़ने का कार्य किया है।
- वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले कारकों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
- विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1994 में हुई तथा 1995 से यह कार्यरत है।
- विश्व व्यापार संगठन का मुख्य उद्देश्य सभी देशों के विदेश व्यापार को मुक्त व्यापार के सिद्धांत के अनुसार संचालित करना है।
- वर्तमान में 149 देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य है।
- भारत विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य देश रहा है।
- विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालयजेनेवा है।
- भारत में वैश्वीकरण की नीति की शुरूआत 1991 में की गई तथा इसने भारतीय ।अर्थव्यवस्था को खोलने का कार्य किया है।
- राज्य-नियंत्रित उद्योगों से हमारा अभिप्राय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों से है।
- भारत में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया1991 से प्रारंभ हुई जिसेनवीन आर्थिक नीति की संज्ञा दी गई है।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं।
- भारतीय उपभोक्ता बाजार में मॉल अपेक्षाकृत नयी अवधारणा है। इसमें एक बड़े भवन को बाजार के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। जिससे उपभोक्ता को एक छत के नीचे आकर्षक कीमत पर अधिक से अधिक वस्तुएँ प्राप्त हो जाती है।
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