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Friday, June 24, 2022

BSEB Class 10 Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Book Answers

BSEB Class 10 Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 10th Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Book Answers
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Bihar Board Class 10th Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 10th Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 10th
Subject Social Science History Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
Chapters All
Provider Hsslive


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Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

प्रश्न 1.
हिन्द-चीन क्षेत्र में कौन-से देश आते हैं ?
(क) चीन, वियतनाम, लाओस
(ख) हिन्द, चीन, वियतनाम, लाओस
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस
(घ) कम्बोडिया, वियतनाम, चीन, थाईलैण्ड
उत्तर-
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस

प्रश्न 2.
अंकोरवाट का मन्दिर कहाँ स्थित है ?
(क) वियतनाम
(ख) थाईलैण्ड
(ग) लाओस
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

प्रश्न 3.
हिन्द-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे
(क) इंग्लैण्ड
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच
उत्तर-
(ग) पुर्तगाली

प्रश्न 4.
हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे ?
(क) फ्रांसीसी
(ख) शासक वर्ग
(ग) कोलोन
(घ) जेनरल
उत्तर-
(ग) कोलोन

प्रश्न 5.
नरोत्तम सिंहानुक कहाँ के शासक थे ?
(क) वियतनाम
(ख) लाओस
(ग) थाईलैण्ड
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

प्रश्न 6.
“द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” किसने लिखा?
(क) हो-ची-मिन्ह
(ख) फान-वोई-चाऊ
(ग) कुआंग
(घ) त्रियु
उत्तर-
(ख) फान-वोई-चाऊ

प्रश्न 7.
मार्च 1946 में फ्रांस एवं वियतनाम के बीच होने वाला समझौता किस नाम से जाना जाता है ?
(क) जेनेवा समझौता
(ख) हनोई समझौता
(ग) पेरिस समझौता
(घ) धर्मनिरपेक्ष समझौता
उत्तर-
(ख) हनोई समझौता

प्रश्न 8.
किस प्रसिद्ध दार्शनिक ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया?
(क) रसेल
(ख) होची मिन्ह
(ग) नरोत्तम सिंहानुक
(घ) रूसो
उत्तर-
(क) रसेल

प्रश्न 9.
हिन्दु-चीनी क्षेत्र में अंतिम युद्ध समाप्ति के समय में अमेरिकी राष्ट्रपति थे-
(क) वाशिंगटन
(ख) निक्सन
(ग) जार्ज बुश
(घ) रुजवेल्ट
उत्तर-
(ख) निक्सन

प्रश्न 10.
होआ-होआ आन्दोलन किस प्रकृति का था?
(क) क्रांतिकारी
(ख) धार्मिक
(ग) साम्राज्यवादी समर्थक
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक
उत्तर-
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में राजा सूर्य वर्मा/द्वितीय ने………..का निर्माण करवाया था।
उत्तर-
अंकोरवाट मंदिर

प्रश्न 2.
……………समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया और …………..रेखा को विभाजक रेखा माना गया।
उत्तर-
जेनेवा समझौता, 17वीं अक्षांश।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह का दूसरा नाम…………..था।
उत्तर-
न्यूगन आई क्वोक

प्रश्न 4.
दिएन-विएन-पुके युद्ध में…………..बुरी तरह हार गए।
उत्तर-
फ्रांस

प्रश्न 5.
अनामी दल का संस्थापक……………. था।
उत्तर-
जोन्गुएन आइ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
एकतरफा अनुबन्ध व्यवस्था क्या थी?
उत्तर-
एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। वहाँ मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 2.
बाओदायी कौन था ?
उत्तर-बाओदायी अन्नाम का शासक था।

प्रश्न 3.
हिन्द चीन का अर्थ क्या है ?
उत्तर-
दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 3 लाख वर्ग कि. मी. फैला क्षेत्र जिसमें आज के वियतनाम लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं।

प्रश्न 4.
जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर-
1954 में लाओस एवं कम्बोडिया के बीच।

प्रश्न 5.
होआ-होआ आनदोलन की चर्चा करें।
उत्तर-
होआ-होआ एक बौद्धिक धार्मिक क्रान्तिकारी आन्दोलन था जो 1939 में शुरू हुआ था। जिसके नेता-हुइन्ह फू-सो था। इसके क्रान्तिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे जिसमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें।)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर-
1498 ई. में वास्कोडिगामा भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढने निकाला तो धीरे-धीरे स्पेन, डच, इंगलैंड एवं फ्रांसीसियों का आगमन इस क्षेत्र में व्यापारिक उद्देश्य से होने लगा। 17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिन्द चीन पहुँच गए। 1747 ई. के बाद ही फ्रांस अन्नाम में रुचि सेने लगा। 1787 ई. में कोचीन-चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नाम, कोचीन-चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आन्दोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई. में अन्नाम को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कम्बोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 में तोकिन में फ्रांसीसी सेना घुस गयी। इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिन्द चीन फ्रांसीसियों की अधीनता में आ गया।

प्रश्न 2.
रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेज का वर्णन करें।
उत्तर-
नापाम एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउंड है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से पिचक जाता और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था। एजेन्ट आरेंज एक जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती थीं एवं पेड़ मर जाते थे। जंगलों को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता। इसका नाम आरेंज पट्टियों वाले ड्रमो में रखे जाने के कारण पड़ा। अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह के संबंध में संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
हो-ची-मिन्ह (न्यूगन आई क्वोक) एक वियतनामी छात्र था जिसने 1917 में पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया, बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया, साथ ही कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर ली। अंततः 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वितनाम कांग सान देंग अर्थात् वियतनाम कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी।

प्रश्न 4.
हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है बतावें?
उत्तर-
हो-ची मिन्ह 2 सितम्बर 1945 ई. को वियतनाम लोकतंत्रीय गणराज्य के सरकार के प्रधान बने और बाद में फ्रांसीसी सेना का प्रत्यक्ष मुकाबला न कर पाने की स्थिति में गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध के लिए मुरिल्ला सेनिक लाओस और कंबोडिया के रास्ते दक्षिणी वियतनाम पर धावा बोलते और पुन: उन्हीं जंगलों में छिप जाते थे। इसी रास्ते को हो-ची मिन्ह मार्ग कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अमेरिका हिन्द चीन में कैसे घुसा, चर्चा करें।
उत्तर-
1945 ई. तक वियतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। अब जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं पर्ल हार्बर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया था। अमेरिका जो फ्रांस का समर्थन कर रहा था सीधे हिन्द चीन में उतरना चाह रहा था। साम्यवादियों के विरोध में उसने ऐसी घोषणा भी कर दी। हिन्द चीन में साम्यवादी प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका कृतसंकल्प था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तो डच एवं ब्रिटिश कंपनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे। चीन में उनका व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी, मुख्य रूप से इंगलैड था। अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द चीनी क्षेत्र उचित लगा जहाँ खड़े होकर वे दोनों तरफ भारत एवं चीन की परिस्थितियों में संभल सकते थे। दूसरे, औद्योगिकीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेशों से होती थी एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध होता था। तीसरे, पिछड़े समाजों को समय बनाने का विकसित यूरोपीय राज्यों का स्वघोषित दायित्व था।

अमेरिका जो पूर्व में फ्रांस का समर्थन कर रहा था वह भी हिन्द चीन में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाह रहा था। साम्यवादियों के प्रभाव को इस क्षेत्र में रोकने के लिए अमेरिका कृत संकल्प था।

प्रश्न 2.
माई ली गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
दक्षिणी वियतनाम एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेर कर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मार कर पूरे गाँव में आग लगा दी। लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था।

इस घटना के कारण अमेरिका की पूरे विश्व में किरकिरी होने लगी। अतः राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द चीन में शांति के संबंध में पाँचसूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
माई ली गाँव की घटना के बाद विश्व में किरकिरी होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने निम्नलिखित पाँचसूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलाने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।

परन्तु इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेंगी। निक्सन ने पुनः आठसूत्री योजना रखी। वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया। अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया। वियतनामियों को चीनी धोखों का अंदेशा होने लगा। 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए कहा।

वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा ऑकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया परन्तु वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं-युद्ध समाप्त के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह करने एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा।

इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं जनवरी 1975 में दोनों वियतनाम मिल गए।

इस प्रकार सात दशकों से ज्यादा चलने वाला यह अमेरिका-वियतनाम युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध में 9855 करोड़ सैनिक मारे गए, लगभग 3 लाख सैनिक घायल हुए, दक्षिणी वियतनाम के 18000 सैनिक मारे गए। अमेरिका के 4800 हेलिकाप्टर एवं जेट नष्ट हो गए। ट्रको की गिनती नहीं।

इस सारे घटना के परिपेक्ष्य में धन जन की बर्बादी के अलावे अमेरिकी शाख को गहरा आघात लगा पूरे हिन्द चीन में वह बुरी तरह असफल रहा। अंततः उसे अपनी सेना हिन्द चीन से हटानी पड़ी और सभी देशों की संप्रभुता अखण्डता को स्वीकार करना पड़ा।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करों
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण तो व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से शुरू किया। उसके बाद भीतरी ग्रामीण इलाको में किसानों का शोषण करना शुरू किया था। तो किन के जीवन का आधार लाल घाटी थी तो कम्बोडिया का मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र एवं कोचीन-चीन का मेकांग का डेल्टा क्षेत्र जबकि चीन से सटे राज्यों में खनिज संसाधन कोयला, टीन, जस्ता टंगस्टन, क्रोमियम आदि मिलते थे, पहाड़ी इलाकों में रबर की खेती होती थी तथा मैदानी क्षेत्र में धान की।

सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जलनिकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा। इन प्रयास का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, खानों, फार्मों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था। जमींदारी अपने विकृत रूप में आ चुकी थी। हालाँकि इसी दौरान पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द चीन तक संरचनात्मक विकास जोरों पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क, सड़क जाल बिछ गया था। परन्तु किसानों, मजदूरों का जीवन स्तर गिरता जा रहा था, क्योंकि सारी व्यवस्था ही शोषण मूलक थी।

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी, परंतु इस क्षेत्र में बसने वाले , फ्रांसीसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अत: आमलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया जाने लगा और सकूल के अंतिम साल की परीक्षा में अधिकतर स्थानीय बच्चों को फेल कर दिया जाता था। स्थानीय जनता एवं कोलोनी की सामाजिक स्थिति में आसमान जमीन का अन्तर था और 1920 के दशक तक आते-आते छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनाने लगे थे। दनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकष्ठा थी।

प्रश्न 5.
हिन्द चीन के राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
हिन्द चीन में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के छिट-फुट विद्रोह का सामना तो प्रारंभिक दिनों से ही झेलना पड़ रहा था। परन्तु 20वीं शताब्दी के शुरू में यह और मुखर होने लगा। वहाँ राष्ट्रवाद का विकास निम्न प्रकार से हुआ

  • 1930 ई. में फान-बोई-चाऊ ने ‘दुईतान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग थे। फान-बोई-चाऊ ने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम’ लिखकर हलचल पैदा कर दी।
  • 1905 में जापान द्वारा रूस को हटाया जाना हिन्द चीनियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।
  • रूसो एवं माण्टेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारों के विचार उन्हें उद्वेलित कर रहे थे।
  • राष्ट्रवादी नेता फान-चू-त्रिन्ह ने राष्ट्रवादी आन्दोलन के स्वतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया।
  • जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्रों ने फान-चू-त्रिन्ह के विचारों से प्रभावित होकर वियतनाम कुवान फुक होई नामक संगठन की स्थापना की।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई ज्यादतियों के कारण 1914 में ही देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक संगठन बनाया जिसका पहला अधिवेशन कैण्टन में हुआ।
  • 1917 में हो-ची-मिन्ह नामक एक वियतनामी छात्र ने पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया।
  • 1925 में हो-ची मिन्ह ने साम्यवाद से प्रेरित होकर ‘वियतनामी क्रान्तिकारी दल’ बनाया।
  • 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर ‘वियतनामकांग सान इंग’ की स्थापना की।
  • 1930 के दशक की विश्वव्यापी मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान दिया। क्योंकि हिन्द-चीन में बेरोजगारी बढ़ती जा रही थी। इस स्थिति से परेशान किसान भी साम्यवाद को अपना . रहे थे और राष्ट्रवादी आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा था।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जेनेवा समझौता कब और किसके बीच हुआ था?
उत्तर-
जेनेवा समझौता फ्रांस और वियतनाम के बीच 1954 में हुआ था।

प्रश्न 2.
वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट क्यों हुआ?
उत्तर-
वियतनाम में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए 1868 में ईसाईयत के विरुद्ध स्कॉलर्स रिवोल्ट हुआ।

प्रश्न 3.
पाथेट लाओ की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
पाथेट लाओ जो एक सैन्य संगठन था। इसकी स्थापना का कारण लाओस में साम्यवादी शासन व्यवस्था की स्थापना करना था।

प्रश्न 4.
1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर-
अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटने को तैयार नहीं हुआ। इस गंभीर स्थिति के समाधान के लिए मई 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन) बुलाया गया।

प्रश्न 5.
वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को क्या कहा जाता था?
उत्तर-
20वीं शताब्दी के आरंभ तक संपूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गए थे। फ्रांसीसी आकर वियतनाम में बसने लगे। वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को कोलोन’ कहा जाता था।

प्रश्न 6.
वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल क्यों स्थापित किए गए?
उत्तर-
पश्चिमी ढंग की शिक्षा देने के उद्देश्य से 1907 में वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल खोला गया था। इस शिक्षा में विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषा की कक्षाएं भी शामिल थीं जो शाम को लगती थीं तथा इनके लिए अलग से फीस ली जाती थी। स्कूल में वियतनामियों को आधुनिक बनाने पर बल दिया गया।

प्रश्न 7.
“पूरब की ओर चलो’ आंदोलन का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
इस आंदोलन का उद्देश्य वियतनाम में फ्रांसीसी सत्ता को समाप्त कर फ्रांसीसियों को वियतनाम से बाहर निकालना था। साथ ही साथ वियतनामी उसके स्थान पर गयेन राजवंश की पुनर्स्थापना करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
हुईन्ह फू सो कौन थे?
उत्तर-
होआ हाओ आंदोलन के संस्थापक हुईन्ह फू सो थे। वह गरीबों की मदद करता था। व्यर्थ खर्च के खिलाफ उनके उपदेशों का लोगों के ऊपर काफी प्रभाव पड़ा था।

प्रश्न 9.
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कब और किसके साथ मिलकर हुई थी?
उत्तर-
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना 1887 में की गई थी। इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कोचिन-चाइना, अन्नाम, तोंकिन, कंबोडिया और बाद में लाओस को मिलाकर बनाया गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वियतनाम में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
वियतनाम में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न तत्वों का योगदान था जिनमें औपनिवेशिक शोषणकारी नीति तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया। 20वीं शताब्दी के शुरूआत में यह विरोध और मुखर होने लगा। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास में फा-बोई-चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखकर राष्ट्रवादियों के बीच हलचल पैदा कर दी। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी।
  • औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी नीति।।
  • किसानों पर बढ़ता बोझा
  • गरीबी तथा बेरोजगारी की समस्या तथा
  • उग्र (रैडिकल) आंदोलनों का प्रभाव।

प्रश्न 2.
होआ-होआ आंदोलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
होआ-होआ आंदोलन वियतनाम में चलाया गया जो उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन था। 1939 में होआ-हाओ आंदोलन आरंभ हुआ। इसका केन्द्र मेकांग डेल्टा था। इस आंदोलन की उत्पत्ति फ्रांसीसी उपनिवेशवादी विरोधी विचारों से हुई थी। इस आंदोलन का प्रणेता हुइन्ह फू सो था। वह जनकल्याण संबंधी कार्य करता था और समाजसुधारक भी था। उसने फिजूलखर्ची, शराबखोरी और बाल कन्याओं की बिक्री की प्रथा का विरोध किया। समाज में उसका व्यापक प्रभाव था। हुइन्ह फूसो के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने कठोर दमनात्मक कारवाई कर होआ-हाओ आंदोलन को दबा दिया। लेकिन यह आंदोलन राष्ट्रवाद की मुख्य धारा से जुड़ गया।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा में नहरे क्यों बनवाई ? इनका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने कृषि के विस्तार के लिए मेकांग डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा के लिए नहरें बनवाई। सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होने से धान की खेती और उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई। एक अनुमान के अनुसार 1873 में जहाँ 2,74,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती होती थी। वह 1930 में बढ़कर 22 लाख हेक्टेयर हो गया। क्षेत्र विस्तार के अतिरिक्त उत्पादन भी बढ़ा। 1931 तक वियतनाम विश्व का तीसरा चावल निर्यातक देश बन गया।

प्रश्न 4.
वियतनाम मुक्ति एसोशिएशन की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
1911 की चीनी क्रांति से वियतनामियों को काफी प्रेरणा मिली थी। चीनी क्रांति के परिणामस्वरूप चीन में मंजू राजवंश का शासन समाप्त हुआ तथा चीनी गणतंत्र की स्थापना की गयी। चीन की घटनाओं से प्रेरित होकर वियतनामी विद्यार्थियों ने वियतनाम मुक्ति एसोशिएसन नामक संस्था की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य राजशाही की पुनर्स्थापना न होकर लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 5.
एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
वियतनाम में एकतरफा अनुबंध व्यवस्था के अंतर्गत बागानों में मजदूरों से काम करवाया जाता था। इस व्यवस्था में मजदूरों को एक एकरारनामा के अंतर्गत को बागान मालिक और मजदूरों के बीच होता था, काम करना पड़ता था। एकरारनामा में मजदूरों को कोई अधिकार नहीं दिया गया। सारे अधिकार मालिकों के पास थे। काम पूरा नहीं होने पर मजदूरों को मालिक दंडित कर सकते थे, उन्हें जेल भिजवा सकते थे। वस्तुतः बागान मजदूरों की स्थिति गुलामों के समान थी। ग्रामीण क्षेत्रों में सामंती व्यवस्था के प्रचलन के कारण किसानों और मजदूरों की स्थिति दयनीय थी।

प्रश्न 6.
बाओदायी के विषय में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
बाओदायी वियतनाम के प्राचीन राजवंश का सम्राट था। जापानियों ने हिन्द-चीन से वापस लौटते समय अन्नाम का शासन ओदायी को सौंप दिया। लेकिन बाओगई साम्यवादियों का सामना करने में असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के सम्राट का पद त्याग दिया। वियतनाम के आजादी के बाद फ्रांसीसी बाओरायी को अपने प्रभाव में लेकर वियतनाम पर अप्रत्यक्ष शासन करते रहे।

प्रश्न 7.
वियतनाम का विभाजन क्यों और कैसे हुआ?
उत्तर-
वियतनाम और फ्रांस के युद्ध में फ्रांसीसियों की बुरी तरह पराजय हुई। अमेरिका ने हिन्द-चीन में हस्तक्षेप करने का निश्चय किया जिससे स्थिति विस्फोटक हो गई तथा तृतीय विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया। ब्रिटेन, फ्रांस युद्ध नहीं चाहते थे तथा समझौता की नीति अपनाई। इसके लिए जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। 1954 के जेनेवा समझौता के द्वारा इंडो-चीन के लाओस और कम्बोडिया स्वतंत्र कर दिए गए। दोनों राज्यों में वैध राजतंत्र एवं संसदीय व्यवस्था लागू की गई।

वियतनाम का विभाजन अस्थाई रूप से दो भागों में कर दिया गया-(i) उत्तरी वियतनाम (ii) दक्षिणी वियतनाम। दोनों राज्यों की विभाजक, रेखा सत्रहवीं समानांतर बनाई गई। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता दी गई। दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की सरकार बनी रही। यह व्यवस्था भी की गई कि 1956 में पूरे वियतनाम के लिए चुनाव करवाए जाएंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह का परिचय दें। उनके विचारों में आप क्या समानता और अंतर देखते हैं ?
उत्तर-
फान बोर्ड चाऊ- (1867-1940) फान बोई चाऊ वियतनाम के महान राष्ट्रवादी थे। उनपर कन्फ्यूशियसवाद का गहरा प्रभाव था। वे वियतनामी परंपराओं के नष्ट होने से दुखी थे। फ्रांसीसी सत्ता के वे विरोधी थे और इसे समाप्त करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आंदोलन चलाया। आंदोलन चलाने के उद्देश्य से 1903 में उन्होंने एक दल का गठन किया जिसका नाम रेवोल्यूशनरी सोसाइटी अथवा दुईतान होई था। इस दल का अध्यक्ष न्यूगेन राजवंश के कुआंग दे को बनाया गया। फान बोर्ड चाऊ की गणना देश के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता के रूप में की जाने लगी। फान बोर्ड चाऊ के ऊपर चीन के सुधारक लियोग किचाओ का भी गहरा प्रभाव था। 1905 में उन्होंने लियांग किचाओ से भेंट की और उनके सलाह पर उन्होंने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” नामक पुस्तक लिखी।

फान चूत्रिन्ह (1871-1926)- फान चू त्रिन्ह वियतनाम के दूसरे विख्यात राष्ट्रवादी थे। इनके और फान बोई चाऊ के विचारों में भिन्न थी। वे राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे। वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए वे राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे। उनकी आस्था गणतंत्रात्मक व्यवस्था में थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वह देश में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा चाहते थे। वे पश्चिमी जगत की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था विशेषतः फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों से प्रभावित थे।

फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह के विचारों में सबसे बड़ी समानता यह थी कि दोनों ही वियतनाम की स्वतंत्रता चाहते थे। लेकिन दोनों में विरोधाभास या भिन्नता यह थी कि फान बोई चाऊ जहाँ वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजशाही का समर्थन और सहयोग लेने के पक्षधर थे, वहीं फान च मिन्ह राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे तथा वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे।

प्रश्न 2.
वियतनाम के स्वतंत्रता संग्राम में हो ची मिन्ह के योगदान का मूल्यांकन करें?
उत्तर-
वियतनामी स्वतंत्रता के मसीहा हो ची मिन्ह थे। उनका मूल नाम न्यूगेन आई क्लोक था। वे पेरिस और मास्को में शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा पूरी करने के पश्चात उन्होंने अपना कुछ समय शिक्षक के रूप में व्यतीत किया। वे मार्क्सवादी विचारधारा से गहरे रूप से प्रभावित थे। उनका मानना था कि बिना संघर्ष के वियतनाम को आजादी नहीं प्राप्त हो सकती है। फ्रांस में रहते हुए 1917 में उन्होंने वियतनामी साम्यवादियों का एक गुट बनाया। लेनिन द्वारा कॉमिन्टन की स्थापना के बाद वे इसके सदस्य बन गए। इन्होंने लेनिन और अन्य कम्युनिस्ट नेताओं से मुलाकात की। यूरोप थाइलैंड और चीन में उन्होंने लंबा समय व्यतीत किया।

साम्यवाद से प्रेरित होकर 1975 में उन्होंने बोरादिन (रूस) में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया। फरवरी 1930 में हो ची मिन्ह ने वियतनाम के विभिन्न समूहों के राष्ट्रवादियों को एकजुट किया। स्वतंत्रता संघर्ष प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए उन्होंने 1930 में वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी (वियतनाम कांग सान देंग) की स्थापना की। इस दल का नाम बाद में बदलकर इंडो चायनीज कम्यूनिष्ट पार्टी कर दिया गया। इसी दल के अधीन और हो ची मिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम ने स्वतंत्रता प्राप्त की। 1943 में न्यूगेन आई क्लोक ने अपना नाम हो ची मिन्ह रख लिया।

हो चीन मिन्ह के नेतृत्व में एक नए संगठन लीग फार दी इंडिपेंडेंस आफ वियतनाम अथवा वियेतमिन्ह की स्थापना की गई। वियेतमिन्ह ने गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेकर फ्रांसीसियों और जापानियों दोनों को परेशान कर दिया। 1945 तक वियेत चिन्ह ने लेनिन पर अधिकार कर लिया। 1944 में विश्वयुद्ध की परिस्थितियाँ बदलने लगी थी। फ्रांस पर से जर्मनी का प्रभुत्व समाप्त हो गया। जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण के बाद अमेरिका विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया।

उसने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। इससे जापान की शक्ति कमजोर हो गई। अतः पोट्सड्म की घोषणा के बाद जापान ने आत्म समर्पण कर दिया और हिंद-चीन से अपनी सेना हटाने लगा। वापस लौटते हुए जापानियों ने अन्नाम का शासक प्राचीन राजवंश के सम्राट बाओदाई को सौंप दिया। बाओदाई साम्यवादियों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के समट का पदत्याग दिया। इससे वियतनामी गणराज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया। सित्मबर 1945 में वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना हुई तथा हो ची मिन्ह इस गणतंत्र के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

प्रश्न 3.
वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका की विवेचना करें।
उतर-
वियतनाम के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। युद्ध और शांति काल दोनों में उन लोगों ने पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग किया। स्वतंत्रता संग्राम में वे विभिन्न रूपों में भाग लेने लगी छापामार योद्धा के रूप में कुली के रूप में अथवा नर्स के रूप में समाज ने उनकी नई भूमिका को सराहा और इसका स्वागत किया। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के साथ स्त्रियाँ बड़ी संख्या में आंदोलनों में भाग लेने लगी। स्त्रियों को राष्ट्रवादी धारा में आकृष्ट करने के लिए बीते वक्त की वैसी महिलाओं का गुण्मान किया जाने लगा जिन लोगों ने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया था।

राष्ट्रवादी नेता फान बाई चाऊ ने 1913 में ट्रंग बहनो के जीवन पर एक नाटक लिखा। इस नाटक ने वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव डाला। ट्रंग बहनें वीरता और देशभक्ति की प्रतीक बन गई। उन्हें देश के लिए अपना प्राण उत्सर्ग करनेवाला बताया गया। चित्रों, उपन्यासों और नाटकों के द्वारा उनका गौरवगान किया गया। ट्रंग बदनों के समान त्रिय् अम् का भी महिमागान किया गया।

ट्रंग बहनों के समान त्रिय् अयू का गुणगान भी देश के लिए शहीद होनेवाली देवी के रूप में प्रस्तुत किया गया। उसके चित्र बनाए गए. जिसमें उसे हथियारों से लैस एक जानवर की पीठ पर बैठे हुए दिखाया गया। इन स्त्रियों के महिमामंडल का वियतनामी औरतों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनसे प्रेरणा लेकर बड़ी संस्था में स्त्रियाँ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगी। युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों के हताहत होने के बाद महिलाओं को भी सेना में शामिल होने को उत्प्रेरित किया गया।

वियतनामी संघर्ष में स्त्रियों ने न सिर्फ युद्ध में ही अपने देश की सेवा नहीं की बल्कि अन्य रूपों में भी अपने राष्ट्र के लिए काम किया। वे सेना में भरती हुई। सुरक्षात्मक व्यवस्था के निर्माण जैसे भूमिगत बंकर और सुरंगों के निर्माण में उन लोगों ने भाग लिया। हवाई पट्टियों का निर्माण किया। हो ची मिन्ह मार्ग द्वारा रसद की आपूर्ति एवं उस मार्ग की मरम्मत का काम किया। अस्पतालों में नसे के रूप में घायलों की सेवा सुश्रुसा की। युद्ध में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। हजारों बमों को निष्क्रिय किया एवं अनेक हवाई जहाजों को मार गिराया। हो ची मिन्ह मार्ग की सुरक्षा एवं इसकी मरम्मत में अधिकांशतः युवतियों का ही योगदान था। उनके सहयोग से ही अंततः वियतनाम का एकीकरण संभव हो सका।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Notes

  • हिन्द चीन-दक्षिण पूर्व एशिया में तत्कालीन समय में लगभग3 लाख (2.80 लाख) वर्ग कि. मी. में फैले उस प्रायद्विपीय क्षेत्र में है जिसमें वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तर सीमा म्यानमार एवं चीन को छूती है तो दक्षिण में चीन सागर है और पश्चिम में म्यानमार के क्षेत्र पड़ते हैं।
  • हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कोलोन कहे जाते थे।
  • 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढ निकाला तो पुर्तगाली ही पहले व्यापारी थे जो भारत के साथ-साथ दक्षिणी पूर्वी एशियायी देशों से जुड़े थे और 1510 ई. मेंमल्लका को व्यापारिक केन्द्र बना कर हिन्द चीन देशों के साथ व्यापार
    शुरू किया, उसके बाद स्पेन, डच, इंगलैण्ड, फ्रांसीसियों का आगमन हुआ।
  • फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तोडच एवं ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था।
  • हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रभुत्व की स्थापना के साथ ही शासन व्यवस्था पर ध्यान दिया गया।
  • हालाँकि कोचीन-चीन ही सीधे फ्रांसीसी प्रशासन में था बाकी के चार प्रांत तोकिन, अन्नाम, कम्बोडिया और लाओस में पुरातन राजवंश कायम रहे और वहाँरेजिडेन्टों की नियुक्ति होती थी।
  • 1945 ई. तक वियसतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। जबकि अब द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं।पर्ल हाबर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया।
  • 25 दिसम्बर, 1955 कोलाओस में चुनाव के बाद राष्ट्रीय सरकार का गठन हुआ और सुवन्न
    फूमा के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • सन् 1954 ई० में स्वतंत्र राज्य बनने के बादकम्बोडिया में सांवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार
    कर राजकुमार नरोत्तम सिंहानुक को शासक माना गया।
  • 18 मार्च, 1970 को कम्बोडियायी राष्ट्रीय संसद ने नरोत्तम सिंहानुक को सत्ता से हटा दिया और जनरल लोननोल के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • कम्बोडिया का नया नाम कम्पुचिया है।
  • प्रसिद्ध दार्शनिकरसेल ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया।
  • हो-ची-मिन्ह वियतनामी राष्ट्रीयता केजनक थे।
  • हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से चलकरलाओस, कम्बोडिया सीमा क्षेत्र से होता हुआदक्षिणी वियतनाम तक जाता था।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन नेवियतनाम में शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की।
  • माई-ली-गाँव दक्षिणी वियतनाम में है जहाँ अमेरिकी सेना ने काफी क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया था।
  • वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट (1868) तथा होआ होआ आंदोलन (1939) में हुआ।
  • 6 मार्च, 1946 कोहनोई समझौता वियतनाम एवं फ्रांस के बीच हुई।

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