BSEB Class 11 Economics Environment and Sustainable Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Environment and Sustainable Development Book Answers |
Bihar Board Class 11th Economics Environment and Sustainable Development Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Economics Environment and Sustainable Development |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 11th Economics Environment and Sustainable Development Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न 1.
पर्यावरण को कैसे परिभाषित किया जा सकता है? अथवा, पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण को समस्त भूमण्डलीय विरासत और सभी संसाधनों की समग्रता के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमे वे सभी जैविक और अजैविक तत्त्व आते हैं जो एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 2.
जब संसाधन निस्सरण की दर उनके पुनर्जनन की दर से बढ़ जाती है तो क्या होता है?
उत्तर:
जब संसाधन निस्सरण की दर उनके पुनः जन्म की दर बढ़ जाती है तो पर्यावरण जीव पोषण का अपना तीसरा ओर महत्त्वपूर्ण कार्य करने में असफल होता है।
प्रश्न 3.
निम्न को नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय संसाधनों में वर्गीकृत करें –
(क) वृक्ष
(ख) मछली
(ग) पैट्रोलियम
(घ) कायेला
(ङ) लौह अयस्क
(च) जल
उत्तर:
1. नवीकरणीय संसाधन:
वृक्ष, मछली, तथा जल नवीकरणीय संसाधन हैं
2. गैर नवीकरणीय संसाधन:
पेट्रोलियम, कोयला तथा लौह अयस्क गैर नवीकरणीय संसाधन हैं।
प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए आजकल विश्व के सामने ……… और ……….. की दो प्रमुख पर्यावरण की समस्याएँ हैं।
उत्तर:
आजकल विश्व के सामने तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकसित देशों के समृद्ध उपभोग तथा उत्पादन मानक की दो प्रमुख पर्यावरण की समस्यायें हैं।
प्रश्न 5.
निम्न कारक भारत में पर्यावरण संकट में योगदान करते हैं? ये कारक सरकार के समझ कौन-सी समस्याएँ पैदा करते हैं?
- बढ़ती जनसंख्या
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- सम्पन्न उपयोग मानक
- निरक्षरता
- औद्योगीकरण
- वन क्षेत्र में कमी
- अवैध वन कटाई
- वैश्विक उष्णता
उत्तर:
- बढ़ती जनसंख्या से आवास, स्वास्थ्य, शुद्ध वायु, शुद्ध जल आदि की प्राप्ति में कठिनाइयाँ आती हैं –
सरकार के सामने बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न होती है। - वायु प्रदूषण से कई प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं। जैसे हैजा, पीलिया, टायफाइड। इससे सरकार को इन बीमारियों की रोकथाम के लिए काफी व्यय करना पड़ता है।
- जल प्रदूषण से भी कई प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं। जैसे-हैजा, पीलिया, टायफाइड। इससे सरकार को इन बीमारियों की रोकथाम काफी व्यय करना पड़ता है।
- औद्योगीकरण से शहरीकरण को बढ़ावा मिलता है। शहरों में गंदी बस्तियों का निर्माण होता है। कीमतों में वृद्धि होती है।
- अवैध वन कटाई से वातावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बाढ़ आने लगती है। झरने आदि सूख जाते हैं। जलवायु में ग्रीष्मता आ जाती है। वन्य जीव कम हो जाते हैं आदि। अन्य कारकों का दुष्परिणाम इसी प्रकार लिखा जा सकता है।
प्रश्न 6.
पर्यावरण के क्या कार्य है?
उत्तर:
पर्यावरण के निम्नलिखित कार्य होते हैं –
- पर्यावरण नवीनीकरण और गैर-नवीनीकरणीय संसाधनों की पूर्ति करता है।
- यह अवशेष को समाहित करता है।
- यह जननिक और जैविक विविधता प्रदान करके जीवन का पोषण करता है।
- यह सौंदर्य विषयक सेवाएँ प्रदान करता है, जैसे कि कोई सुन्दर दृश्य।
प्रश्न 7.
भारत में भू-क्षय के लिए उत्तरदायी छह कारकों की पहचान करें।
उत्तर:
भारत में भू-क्षय के लिए उत्तरदायी कारक –
- वन विनाश के फलस्वरूप वनस्पति की हानि
- अधारणीय जलाऊ लकड़ी और चारे के निष्कर्षण
- खेती-बाड़ी
- वन भूमि का अतिक्रमण
- वनों में आग और अत्यधिक चराई
- कृषि रसायन का अनुचित प्रयोग जैसे रासायनिक खाद और कीटनाशक
प्रश्न 8.
समझायें कि नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों का अवसर लागत उच्च क्यों होती है?
उत्तर:
अवसर लागत का अधिक होना (High Opportunity Cost):
जब पर्यावरण दूषित हो जाता है तो विकास के क्रम में नदियों और अन्य जल स्रोत प्रदूषित हो जाते हैं और सूख जाते हैं। जल एक आर्थिक वस्तु बन जाती है। इसके साथ नवीनीकरण और गैर-नवीकरण संसाधनों के गहन और विस्तृत निष्कर्षण से अनेक संसाधन लुप्त हो गए हैं और हम नए संसाधनों की खोज में प्रौद्योगिकी व अनुसन्धान पर विशाल राशि व्यय करने के लिए मजबूर हैं।
वायु तथा जल की गुणवत्ता में कमी आई है। दूषित जल तथा वाय में साँस और जल संक्रामक रोगों की घटनाएँ बढ़ी हैं। परिणामस्वरूप व्यय भी बढ़ता जा रहा है। वैश्विक उष्णता और ओजोन क्षय ने स्थिति की ओर गम्भीर बना दिया है, जिसके कारण सरकार को अधिक धन व्यय करना पड़ा। इस प्रकार हम देखते हैं कि नकारात्मक पर्यावरण प्रभावों की अवसर लागत अधिक होती है।
प्रश्न 9.
भारत में धारणीय विकास की प्राप्ति के लिए उपयुक्त उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
भारत में धारणीय विकास की प्राप्ति के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा रहे हैं –
1. ग्रामीण क्षेत्रों में एल.पी.जी., गोबर गैस:
गाँवों में सहायिकी द्वारा कम कीमत पर तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त गोबर संयंत्र आसन ऋण और सहायिकी देकर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
2. शहरी क्षेत्रों में उच्च दाब प्राकृतिक गैस (CNG):
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में उच्च दाब प्राकृतिक गैस (CNG) के ईंधन के रूप में प्रयोग से वायु प्रदूषण बड़े पैमाने पर कम हुआ है और पिछले कुछ वर्षों से हवा स्वच्छ हुई है।
3. वायु शक्ति:
जिन क्षेत्रों में हवा की गति प्रायः तीव्र होती है वहाँ पवन चक्की से बिजली प्राप्तकी जा सकती है। ऊर्जा का यह स्रोत पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता।
4. फोटो सेल द्वारा सौर शक्ति:
भारत में सूर्य किरण के माध्यम से सौर ऊर्जा भारी मात्रा में उपलब्ध है। हम इसका प्रयोग विभिन्न तरीकों से करते हैं। इससे हम कपड़े, अनाज तथा अन्य कृषि उत्पाद सुखाते हैं। सर्दी कमें सूर्य किरण का उपयोग हम गरमाहट के लिए करते हैं। अब फोटो वोल्टिक सेलों की सहायता से सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
5. लघु जलीय प्लांट:
लघु जलीय प्लांट पहाड़ी इलाकों में लगाकर बिजली पैदा की जा रही है जिसका प्रयोग स्तर पर किया जा रहा है। ये प्लांट (प्रखर प्लांट) पर्यावरण के लिए हितकर हैं।
6. पारम्परिक ज्ञान व व्यवहार:
पारम्परिक रूप से भारतीय पर्यावरण के निकट आ रहे हैं। वे पर्यावरण के एक अंग के रूप में रहे हैं न कि उसके नियंत्रक के रूप में। आजकल हम अपनी पारम्परिक प्रणालियों से दूर हो गए हैं जिससे हमारे पर्यावरण और हमारी ग्रामीण विरासत को भारी हानि पहुँची है। अब हम पारम्परिक ज्ञान की ओर ध्यान दें रहे हैं। आजकल सभी सौन्दर्य उत्पाद जैसे बालों के लिए तेल, टूथपेस्ट, शरीर के लिए लोशन चेहरे की क्रीम इत्यादि हर्बल उत्पाद न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं अपितु उनसे कोई हानि नहीं होती।
7. जैविक कंपोस्ट खाद:
पिछले पाँच दशकों में कृषि उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में हमने जैविक कंपोस्ट खाद की अवहेलना की और पूरी तरह रासायनिक खाद का उपयोग करने लगे। इनसे हमें कई हानियाँ हुईं। भूतल जल प्रणाली दूषित हो गई। अतः अब जैविक कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाने लगा है। देश के कुछ भागों में जानवर इसलिए पाले जा रहे हैं जिससे वे गोबर दे सकें।
8. जैविक कीट नियन्त्रण:
हरित क्रांति के पश्चात् अधिक उत्पादन के लिए देश में रासायनिक कीटनाशक का अधिक से अधिक प्रयोग होने लगा। इससे कई प्रतिकूल प्रभाव पड़े। भोज्य पदार्थ दूषित हो गए। दूध, माँस और मछलियाँ दूषित पाई गईं। मृदा जलाशय यहाँ तक की भूतल जल भी कीटनाशकों के कारण प्रदूषित हो गए।
इस चुनौती का सामना करने के लिए अब बेहतर नियन्त्रक विधियों को बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें एक उपाय पौधों के उत्पाद पर आधारित कीटनाशकों का उपयोग है। नीम के पेड़ इसमें काफी उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न जानवर और पक्षियों के बारे में जागरूकता बढ़ी है जो कीट नियन्त्रण में सहायक हैं।
प्रश्न 10.
“भारत में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है।” इस कथन के समर्थन में तर्क दें।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता (Excessive natural resources in India) इस विषय में कोई दो मत नहीं हैं कि प्रकृति भारत पर बहुत ही कृपालु है। प्रकृति ने भारत की गोद को प्राकृतिक संसाधनों से भर रखा है। भारत की भूमि उच्च गुणवत्ता वाली है। यहाँ पर सैकड़ों नदियाँ और उपनदियाँ हैं। यहाँ हरे-भरे वन हैं। यहाँ की मिट्टी काफी उपजाऊ है। यहाँ पर कई प्रकार के खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। देश में विश्व के समस्त लौह-अयस्क भण्डार का 20% उपलब्ध है। हमारे देश के विभिन्न भागों में बॉक्साइट, ताँबा, हीरा, सीसा, भूरा कोयला, मैंगनीज जिंक, यूरेनियम इत्यादि भी मिलते हैं। हिन्द महासागर का विस्तृत क्षेत्र है। यहाँ पर पहाड़ों की श्रृंखलाएँ हैं।
प्रश्न 11.
क्या पर्यावरण संकट एक नवीन परिघटना है? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर:
हाँ, पर्यावरण संकट एक नवीन परिघटना है। इसका कारण यह है कि विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं, में पर्यावरण संसाधनों की माँग पूर्ति से कम थी। प्रदूषण पर्यावरण की अवशोषी क्षमता के भीलर था और संसाधन निष्कर्षण की दर इन संसाधनों के पुनः सृजन की दर से थी। इसलिए पर्यावरण उत्पन्न नहीं हुई थी परन्तु जनसंख्या विस्फोट और जनसंख्या की बढ़ती हुई आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए औद्योगिक क्रान्ति के आगमन से स्थिति बदल गई है। परिणामस्वरूप उत्पादन और उपभोग के लिए संसाधनों की माँग संसाधनों की पुनः सृजन की दर से बहुत अधिक हो गई है। यह प्रवृत्ति आज भी जारी है। अब हमारे सामने पर्यावरण संसाधनों और सेवाओं की माँग अधिक है परन्तु उनकी पूर्ति सीमित है जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया है।
प्रश्न 12.
इनके दो उदाहरण दें –
- पर्यावरणीय संसाधनों का अति प्रयोग
- पर्यावरणीय संसाधनों का दुरुपयोग
उत्तर:
1. पर्यावरणीय संसाधनों का अतिप्रयोग:
(क) कोयला
(ख) पेट्रोलियम
2. पर्यावरणीय संसाधनों का दुरुपयोग:
(क) जल
(ख) पेट्रोलियम
प्रश्न 13.
पर्यावरण की चार प्रमुख क्रियाओं का वर्णन कीजिए। महत्त्वपूर्ण मुद्दों की व्याख्या कीजिए। पर्यावरणीय हानि की भरपाई की अवसर लागतें भी होती हैं। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण चार आवश्यक क्रिया करता है –
1. यह संसाधनों की पूर्ति करता है, जिसमें नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय दोनों प्रकार के संसाधन सम्मिलित होते हैं। नवीकरण-योग्य संसाधन वे हैं जिनका उपयोग संसाधन की पूर्ति निरंतर बनी रहती है। नवीकरणीय संसाधनों के उदाहरणों में वनों में पेड़ और समुद्र में मछलियाँ हैं। दूसरी ओर, गैर-नवीकरण योग्य संसाधन वे हैं जो कि निष्कर्षण और उपयोग करने पर समाप्त हो जाते हैं। उदाहरण के लिए जीवाश्म ईंधन।
2. यह अवशेष को समाहित कर लेता है।
3. यह जननिक और जैविक विविधता प्रदान करके जीवन का पोषण करता है, जैसे कि कोई सुन्दर दृश्य। पर्यावरण इन कार्यों को बिना किसी व्यवधान के तभी कर सकता है, जब तक कि ये कार्य उसको धारण क्षमता की सीमा में है।
4. इसका अर्थ है कि संसाधनों का निष्कर्षण इनके पुनर्जनन की दर से अधिक नहीं है और उत्पन्न अवशेष पर्यावरण की समावेशन क्षमता के भीतर है। जब ऐसा नहीं होता है तो पर्यावरण संकट उत्पन्न होता है। पूरे विश्व में आज यही स्थिति है।
विकासशील देशों में तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या और विकसित देशों के समृद्ध उपभोग तथा उत्पादन मानकों ने पर्यावरण के प्रथम दो कार्यों पर भारी दबाव डाला है। अनेक संसाधन समाप्त हो गए हैं सृजित अवशेष पर्यावरण के प्रथम दो कार्यों पर भारी दबाव डाला है।
अनेक संसाधन समाप्त हो गए हैं और सृजित अवशेष पर्यावरण की अवशोषी क्षमता के बाहर हैं। अवशोषी क्षमता का अर्थ पर्यावरण की अपक्षय को सोखने की योग्यता से है। इसके कारण ही आज हम पर्यावरण संकट की दहलीज पर खड़े हैं।
विकास के क्रम में नदियाँ और अन्य जल स्रोत प्रदूषितं हुए हैं और सूख गए हैं इसने जल को एक आर्थिक वस्तु बना दिया है। इसके साथ ही नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के गहन और विस्तृत निष्कर्षण से अनेक महत्त्वपूर्ण संसाधन विलुप्त हे गए हैं और हम नये संसाधनों की खोज में प्रौद्योगिकी व अनुसंधान पर विशाल राशि व्यय करने के लिए तत्पर हैं।
इसके साथ जुड़ी है पर्यावरण अपक्षय की गुणवत्ता की स्वास्थ्य लागत। जल और वायु में गुणवत्ता की गिरावट (भारत में 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है) ये साँस और जल-संक्रामक रोगों की घटनाएँ बढ़ी हैं। परिणामस्वरूप व्यय भी बढ़ता जा रहा है। वैश्विक पर्यावरण मुद्दों जै, वैश्विक उष्णता और ओजोन क्षय ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है, जिसके कारण सरकार को अधिक धन व्यय करन पड़ा। अत: यह स्पष्ट है कि नकारात्मक पर्यावरण प्रभावों की अवसर लागत बहुत अधिक है।
प्रश्न 14.
पर्यावरणीय संसाधनों की पूर्ति माँग के उत्क्रमण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण के कई कार्य हैं। उनमें एक कार्य संसाधनों का उपभोग करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या तथा विकसित देशों के समृद्ध उपभोग से संसाधनों की माँग में वृद्धि होती जाती है और बढ़ते-बढ़ते यह संसाधनों की आपूर्ति से अधिक हो जाती है। जब संसाधनों की माँग संसाधनों की आपूर्ति से अधिक हो जाती है तो ऐसी स्थिति को पर्यावरण की पूर्ति माँग अतिक्रम कहते हैं। पूर्ति माँग अतिक्रमण की स्थिति में पर्यावरण जीवन पोषण का अपना तीसरा और महत्त्वपूर्ण कार्य करने में असफल हो जाती है और इससे पर्यावरण संकट पैदा होता है। पूरे विश्व में आज भी यही स्थिति है।
प्रश्न 15.
वर्तमान पर्यावरण संकट का वर्णन करें।
उत्तर:
वर्तमान पर्यावरण संकट-पर्यावरण संकट का नवीन परिकल्पना है। विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं में पर्यावरण संकट नहीं था। उस समय पर्यावरण संसाधनों की माँग और सेवाएँ उनकी पूर्ति से बहुत कम थी अर्थात् प्रदूषण पर्यावरण की अवशोषी क्षमता के भीतर था और संसाधन निष्कर्षण की दर इन संसाधनों के पुनः सृजन की दरे से कम थी।
अत: पर्यावरण संकट नहीं था, परन्तु आज विपरीत परिस्थिति हो गई है जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया है। वायु तथा जल प्रदूषित हो गए हैं। नदियाँ और अन्य जल स्रोत प्रदूषित और सूख गए हैं। जल एक आर्थिक वस्तु बन गई है। अवसर लागत में वृद्धि हो गई है। वायु प्रदूषण तथा ध्वनि के फलस्वरूप अनेक बीमारियों ने जन्म लिया है। लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
प्रश्न 16.
भारत में विकास के दो गंभीर नकारात्मक प्रभावों को उजागर करें। भारत की पर्यावरण समस्याओं में एक विरोधाभास है-एक तो यह निर्धनता जनित है और दूसरे जीवन स्तर में संपन्नता का कारण भी है। क्या यह सत्य है?
उत्तर:
भारत में विकास के दो गंभीर नकारात्मक प्रभाव-भारत खनिज पदार्थों के मामलों में एक धनी देश है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ प्रचुरता में पाए जाते हैं। यहाँ भूमि की गुणवत्ता उच्च है। यहाँ पर सैकड़ों नदियाँ और उपनदियाँ हैं। खेती के लिए काफी भूमि है परन्तु भारत में विकास गतिविधियों के फलस्वरूप तथा जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होने पर प्राकृतिक संसाधनों पर बदाव पड़ रहा है।
भारत में भूमि का अपक्षय विभिन्न मात्रा में हो रहा है। जनसंख्या और पशुधन का अधिक घनत्व और वानिकी, कृषि चराई, मानव बस्तियों और उद्योगों के प्रतिस्पर्धा उपभागों से देश के निश्चित भू-संसाधनों पर भारी प्रभाव पड़ा है। देश में प्रति व्यक्ति जंगल भूमि केवल 0.08 हेक्टेयर है जबकि आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह यह संख्या 0.47 हेक्टेयर होनी चाहिए।
भारत में शहरी इलाकों में वायु प्रदूषण बहुत अधिक है। भारत सकार के अनुसार प्रत्येक वर्ष भूमि क्षय से 5.8 मिलियन टन से 8.4 मिलयिन टन पोषक तत्त्वों की हानि होती है। नदियाँ और उपनदियाँ शीघ्र सूख रही हैं और वर्षा की मात्रा भी अनियमित हो गई हैं। ऐसी बीमारियाँ और कीटाणु जो पहले नहीं थे, फसलों को हानि पहुँचा रहे हैं। यह कथन बिल्कुल सत्य है कि भारत की पर्यावरण समस्याओं में एक विरोधाभास है-एक तो निर्धनता जनित है और दूसरे स्तर में सम्पन्नता का कारण भी है।
प्रश्न 17.
धारणीय विकास क्या है?
उत्तर:
धारणीय विकास (Sustainable Development):
धारणीय विकास से अभिप्राय विकास की उस प्रक्रिया से होता है जिसमें वर्तमान जनसंख्यया की आपूर्ति तो होती है, किन्तु भावी पीढ़ी (Generation) के हितों पर किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचता अर्थात् भावी पीढ़ी के हितों को पोषण होता है। धारणीय विकास की अवधारणा वर्तमान पीढ़ी तथा भावी दोनों के हितों की ओर ध्यान देती है।
धारणीय विकास का लक्ष्य उस प्रकार के विकास का संवर्द्धन है जो कि पर्यावरण समस्याओं को कम करें तथा भावी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करे। धारणीय विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि की जानी चाहिए। प्राकृतिक संसाधनों का कुशलतापूर्वक प्रयोग करना चाहिए। पर्यावरण को शुद्ध रखना चाहिए और अर्थव्यवस्था को प्रदूषण से बचना चाहिए।
प्रश्न 18.
अपने आस-पास के क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए धारणीय विकास की चार रणनीतियाँ सुझाइए।
उत्तर:
1. गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतो का प्रयोग-गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के अन्तर्गत हम गोबर गैस प्लांट का प्रयोग कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग प्रायः लकड़ी उपले और अन्य जैविक पदार्थों का प्रयोग ईंधन के रूप में करते हैं। इससे वन विनाश, हरित-क्षेत्र में कमी, मवेशियों केक गोबर का अपव्यय और वायु प्रदूषण जैसे अनेक प्रतिकूल प्रभाव होते हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए कम कीमत पर तरल पेट्रोलियम गैस (LPG) उपलब्ध कराई जा रही है।
इसके अतिरिक्त गोबर गैस संयंत्र आसान ऋण देकर उपलब्ध कराये जा रहे है। जहाँ एक तरल पेट्रोलियम गैस का संबंध है, यह एक स्वच्छ ईंधन है जो कि प्रदूषण को काफी हद तक कम करता है। इसमें ऊर्जा का अपव्यय भी न्यूनतम होता है। गोबर गैस संयंत्र को चलाने के लिए गोबर को संयत्र में डाला जाता है और उससे गैस का उत्पादन होता है, जिसका ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। जो बच जाता है, वह एक बहुत की अच्छा जैविक उर्वरक और मृदा अनुकूलक है।
2. शहरी क्षेत्रों में उच्चदाब प्राकृतिक गैस (CNG):
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में उच्चदाब प्रकृतिक गैस (CNG) को ईंधन के रूप में प्रयोग से वायु प्रदूषण बड़े पैमाने पर कम हुआ है और पिछले कुछ वर्षों से हवा स्वच्छ हुई है।
3. वायु शक्ति:
जिन क्षेत्रों में हवा की गति आमतौर पर तीव्र होती है, वहाँ पवन चक्की से बिजली प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा का यह स्रोत पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं डालता। हवा के साथ-साथ टरबाइन घूमते हैं और बिजली पैदा होती है।
4. लघु जलीय प्लांट:
पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग सभी जगहों में झरने मिलते हैं। इन झरनों में से अधिकांश स्थायी होते हैं। मिनिहाइल प्लांट इन झरनों की ऊर्जा से छोटी टरबाइन चलाते हैं। टरबाइन से बिजली का उत्पादन होता है, जिसका प्रयोग स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है। इस प्रकार के पावर प्लांट पर्यावरण के लिए हितकर होते हैं, क्योंकि जहाँ वे लगाए जाते हैं वहाँ भू-उपयोग की प्रणाली में कोई परिवर्तन नहीं करते। इसका यह भी अर्थ है कि ऐसे प्लांटों के उपयोग से बड़े-बड़े संचरण टावर (Tansmission tower) और तारों की इसमें जरूरत नहीं होती है और संचरण की हानि को रोका जा सकता है।
प्रश्न 19.
धारणीय विकास की परिभाषा में वर्तमान और भावी पीढ़ियों के बीच समता के विचार की व्याख्या करें।
उत्तर:
धारणीय विकास की परिभाषा देते हुए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन में कहा गया है कि धारणीय विकास ऐसा है जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता के समझौता बिना पूरा करे। इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि हमें ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिससे वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकतायें तो पूरी हों परन्तु भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता चाहिए। वर्तमान भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रकृति के पास प्रचुर मात्रा में संसाधन होने चाहिए।
हमें ऐसे विकास की आवश्यकता है जो भावी पीढ़ियों को जीवन की संभावित औसत गुणवत्ता प्रदान करे जो कम से कम वर्तमान पीढ़ी के द्वारा उपभोग की गई सुविधाओं के बराबर हों। ब्रुटलैण्ड कमीशन ने भावी पीढ़ी को एक व्यवस्थित भूमण्डल प्रदान करें। दूसरे शब्दों में वर्तमान पीढ़ी की आगामी पीढ़ी द्वारा एक बेहतर पर्यावरण उत्तराधिकार के रूप में सौंपा जाना चाहिए। कम से कम हमें आगामी पीढ़ी के जीवन के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली परिसम्पत्तियों का भण्डार छोड़ना चाहिए जो कि हमें उत्तराधिकारी के रूप में प्राप्त हुआ है।
Bihar Board Class 11 Economics पर्यावरण और धारणीय विकास Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
संसाधनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? उनके नाम लिखें।
उत्तर:
संसाधनों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –
- नवीनीकरणीय योग्य संसाधन और
- गैर नवीकरणीय योग्य संसाधन
प्रश्न 2.
नवीनीकरणीय योग्य संसाधन किन्हें कहते हैं? उदाहरण दें।
उत्तर:
नवीकरणीय योग्य संसाधन उन संसाधनों को कहते हैं जिनका उपयोग संसाधन के क्षेत्र में समाप्त होने की आशंका के बिना किया जा सकता है अर्थात् संसाधनों की आपूर्ति निरन्तर बनी रहती है। जैसे-वन, जल, सूर्य का प्रकाश आदि।
प्रश्न 3.
गैर नवीकरणीय संसाधन किन्हें कहते हैं? उदारहण दें।
उत्तर:
गैर:
नवीकरणीय संसाधन उन संसाधनों को कहते हैं जो कि निष्कर्षण और उपभोग में समाप्त हो जाते हैं। जैसे-जैसे इन संसाधनों का प्रयोग किया जाता है, वैसे-वैसे इनके भण्डार कम होते जाते हैं। उदाहरण के लिए जीवाश्म ईंधन आदि।
प्रश्न 4.
पर्यावरण अध्ययन की विषय सामग्री क्या है?
उत्तर:
पर्यावरण अध्ययन की विषय सामग्री जैविक और अजैविक घटकों के बीच अन्तः सम्बन्ध है।
प्रश्न 5.
जैविक और अजैविक तत्त्वों के तीन-तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
- जैविक तत्त्व: पक्षी, पशु तथा पौधे।
- अजैविक तत्त्व: हवा, पानी तथा पौधे।
प्रश्न 6.
पर्यावरण के कोई दो कार्य लिखें।
उत्तर:
- पर्यावरण संसाधनों की पूर्ति करता है जिसमें नवीकरणीय तथ गैर-नवीकरणीय। दोनों प्रकार के संसाधन होते हैं।
- यह सौंदर्य विषयक सेवाएँ प्रदान करता है।
प्रश्न 7.
वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण के कारण होने वाली एक-एक बीमारी का नाम लिखें।
उत्तर:
वायु प्रदूषण से दमा की बीमारी तथा जल प्रदूषण से हैजा की बीमारी होती है।
प्रश्न 8.
पर्यावरण की अवशोषी क्षमता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
पर्यावरण की अवशोषी क्षमता का अर्थ पर्यावरण की अपक्षय को सोखने की योग्यता से है।
प्रश्न 9.
पर्यावरण की धारण क्षमता की सीमा से क्या अर्थ है?
उत्तर:
पर्यावरण की धारण क्षमता की सीमा का अर्थ है कि संसाधनों का निष्कर्षण इसके पुनः जन्म की दर से अधिक नहीं है और उत्पन्न अवशेष पर्यावरण की समावेशन क्षमता के भीतर है।
प्रश्न 10.
किस परिस्थिति में पर्यावरण अपना तीसरा कार्य करने में असफल होता है?
उत्तर:
जब संसाधनों का निष्कर्षण इसके पुनः जन्म की दर से अधिक हो जाता है और उत्पन्न अवशेष पर्यावरण की समावेशन क्षमता के बाहर होते हैं तो उस समय पर्यावरण अपना तीसरा कार्य करने में असफल होता है।
प्रश्न 11.
विकासशील देशों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकसित देशों के समृद्ध उपभोग तथा उत्पादन मानकों ने पर्यावरण के किन कार्यों पर भारी दबाव डाला है?
उत्तर:
विकासशील देशों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकसित देशों के समृद्ध उपयोग तथा उत्पादन मानकों ने पर्यावरण के निम्न दो कार्यों पर भारी दबाव डाला है –
- संसाधन पूर्ति तथा
- अपशिष्ट विसर्जन
प्रश्न 12.
आर्थिक विकास का क्या मुख्य लक्ष्य है?
उत्तर:
आर्थिक विकास का मुख्य लक्ष्य बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं व समाजों के उत्पादन को बढ़ाना है।
प्रश्न 13.
विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं में पर्यावरण संकट क्यों नहीं उत्पन्न हुआ?
उत्तर:
क्योंकि विकास की प्रारम्भिक अवस्थाओं में पर्यावरण संसाधनों की माँग की पूर्ति से कम थी। अतः ऐसा संकट नहीं उत्पन्न हुआ।
प्रश्न 14.
धारणीय विकास का लक्ष्य किस प्रकार के विकास का संवर्द्धन है?
उत्तर:
धारणीय विकास का लक्ष्य उस प्रकार के विकास कस संवर्द्धन है जो कि पर्यावरण समस्याओं को कम करे और भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं का पूरा करें।
प्रश्न 15.
विश्व में पर्यावरण पर कितने प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं। उनके नाम लिखें।
उत्तर:
भारत में पर्यावरण पर दो प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं –
- पहला संकट तो निर्धनता जनित पर्यावरण क्षय का होना और
- दूसरा संकट सम्पन्नता तथा तेजी से बढ़ते औद्योगिक क्षेत्रक से हो रहे प्रदूषण का है।
प्रश्न 16.
भारत में पर्यावरण पर कितने प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं? उनके नाम लिखें।
उत्तर:
भारत में पर्यावरण पर दो प्रकार के संकट मंडरा रहे हैं –
- पहला संकट तो निर्धनता जनित पर्यावरण क्षय का होना और
- दूसरा संकट सम्पन्नता तथा तेजी से बढ़ते औद्योगिक क्षेत्रक से हो रहे प्रदूषण का है।
प्रश्न 17.
धारणीय विकास कैस संभव हो पायोगा?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के संवर्द्धन, संरक्षण और परिस्थितिक पुनः जनन क्षमता को बनाए रखने और भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरीय संकटों के निवारण से धारणीय विकास संभव हो पाएगा।
प्रश्न 18.
भारत में वनों की कटाई स्वीकार्य सीमा से कितने क्यूबिक मीटर अधिक होती है?
उत्तर:
भारत में एक वर्ष की कटाई स्वीकार्य सीमा से लगभग 15 मिलियन क्यूबिक मीटर अधिक होती है।
प्रश्न 19.
भारत में एक वर्ष में भूमि का क्षरण कितने प्रतिशत की दर से हो रहा है?
उत्तर:
भारत में एक वर्ष में भूमि क्षरण 5.3 मिलियन टन प्रतिशत की दर से हो रहा है।
प्रश्न 20.
भारत में प्रत्येक वर्ष भूमि क्षय से तट पोषक तत्त्वों की कितनी क्षति होती है?
उत्तर:
भारत में प्रत्येक वर्ष भूमि क्षय से 5.8 मिलियन टन से 8.4 मिलियन टन पोषक तत्त्वों की क्षति होती है।
प्रश्न 21.
भारत के शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण मुख्यतः किन कारणों से होता है?
उत्तर:
भारत के शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण मुख्यतः वाहनों उद्योगों के भारी जमाव और थर्मल पावर संयंत्रों के कारण होता है।
प्रश्न 22.
वाहन उत्सर्जन चिन्ता का प्रमुख कारण क्यों है?
उत्तर:
वाहन उत्सर्जन चिन्ता का प्रमुख कारण इसिलए है क्योंकि यह धरातल पर वायु प्रदूषण का मुख्य स्रोत है और इसका प्रभाव साधारण जनता पर अधिकतम पड़ता है।
प्रश्न 23.
भारत में विश्व के समस्त लौह-अयस्क भण्डार का कितना प्रतिशत भण्डार उपलब्ध है?
उत्तर:
भारत में विश्व के समस्त लौह-अयस्क भण्डार का 20% भण्डार उपलब्ध है।
प्रश्न 24.
भारत में पाए जाने वाले कोई पाँच खनिज पदार्थ लिखें।
उत्तर:
- ताँबा
- लोहा
- सोना
- सीसा, और
- मैंगनीज
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रणबोर्ड के कार्य लिखें।
उत्तर:
केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण के बोर्ड के कार्य (Functions of CPCB) केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के निम्नलिखित कार्य हैं –
- ये बोर्ड जल, वायु और भूमि प्रदूषण से सम्बन्धित सूचनाओं का संकलन और वितरण करते हैं।
- ये बोर्ड सरकारों को जल प्रदूषण के रोकथाम नियन्त्रण और कमी के लिए जल-धाराओं नदियों और कुओं की स्वच्छता के संवर्धन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
- ये वायु की गुणवत्ता में सुधार लाते हैं।
- ये देश में वायु-प्रदूषण के नियन्त्रण द्वारा भी सरकारों को तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 2.
धारणीय विकास क्या है? उन तीन प्रकार की पूंजियों के नाम बताइए जिनका धारणीय विकास के अन्तर्गत संरक्षण किया जाता है?
उत्तर:
धारणीय विकास (Sustainable Development):
धारणीय विकास से अभिप्राय विकास की उस प्रक्रिया से है जिससे वर्तमान जनसंख्या की आवश्यकताओं की आपूर्ति तो होती है भावी पीढ़ी के हितों पर किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचता अर्थात् भावी पीढ़ी के हितों का पोषण होता है। यह अवधारणा इस विश्वास पर आधारित है कि भावी पीढ़ी के कल्याण में वही स्तर प्राप्त हो जो आज हमें प्राप्त है।
पूंजियों के प्रकार (Types of Capital):
धारणी विकास के अन्तर्गत तीन प्रकार की पूंजियों का संरक्षण किया जाता है –
- प्राकृतिक पूँजी (प्राकृतिक संसाधन, शुद्ध हवा, शुद्ध पानी आदि)
- भौतिकी पूँजी (मशीनें, औजार, पूंजी उपकरण आदि) तथा
- मानवीय पूँजी (शिक्षा और तकनीकी प्रगति)
प्रश्न 3.
हमें भावी पीढ़ी के हितों का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
भावी पीढ़ी के हितों का संरक्षण (Protection of the Interest of future generation):
स्थायी विकास की अवधारणा इस बात पर जोर देती है कि वर्तमान पीढ़ी के लोगों के हितों को आधात न पहुँचे अर्थात् भावी पीढ़ी के हितों का भी संरक्षण किया जाना चाहिए।
भावी के पीढ़ी हितों के पक्ष में यह तर्क दिया जाता है कि पिछले वर्षों में विकास के लाभों को तो बहुत बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है, जबकि विकास की लागत (विशेषकर पर्यावरण हानि की लागतों के बारे में भी सोचना चाहिए। संरक्षण के पक्ष में सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि पिछली पीढ़ियों ने जिन अवसरों का लाभ उठाता है भावी पीढ़ियों को उसी प्रकार के अवसरों की गारंटी होनी चाहिए।
प्रश्न 4.
प्राकृतिक संसाधनों में तेजी से बढ़ती हुई माँग के प्रभाव से कौन सी दो समस्याएँ उत्पन्न हुई है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों की तेज गति से बढ़ती माँग के प्रभाव में निम्नलिखित दो समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं –
1. Taichunie net Harri ant 319ra (Scarcity of renewable resources):
जब नवीकरण संसाधनों का उपभोग एक गति से अधिक तेज हो जाता है तो प्रकृति के द्वारा उस। तेज गति से ऐसे संसाधनों की नई आपूर्ति नहीं की जा सकती। परिणामस्वरूप नवीकरणीय योग्य संसाधनों का अभाव हो जाता है।
2. प्रदूषण (Pollution):
प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते प्रयोग से प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। अनेक उत्पादन क्रियाएँ जल, वायु एवं भूमि को प्रदूषित करती हैं। लाखों करोड़ों वर्षों से पर्यावरण यह सहन करता है क्योंकि जनसंख्या सीमित थी तथा प्रकृति पर धीमा ही आघात होता था परन्तु जनसंख्या के बढ़ने के साथ ही प्रदूषण की मात्रा तेज हो गई है। बढ़ता हुआ धुआँ, रसायन, अणु शक्ति का बढ़ता प्रयोग आदि अनेक कारणों से प्रकृति पर जो आघात हो रहा है वह प्रकृति की सहन शक्ति से परे है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
धारणीय विकास के आपका क्या अभिप्राय है? क्या यह वर्तमान पीढ़ी को प्रभावित करने वाली प्रदूषण की समस्या है या भावी पीढ़ी को प्रभावित करने वाली संसाधनों की समाप्ति की?
उत्तर:
धारणीय विकास (Sustainable Development):
धारणीय विकास की अवधारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम राष्ट्र पर्यावरण और विकास सम्मेलन (UNCED) में किया गया। जिसने इसे इस प्रकार परिभाषित किया – “ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति क्षमता के समझौता किए बिना पूरा करें।” मानवीय विकास के फलस्वरूप प्राकृतिक साधनों का बहुत अधिक शोषण होता है। प्राकृतिक संसाधनों का निरन्तर क्षरण हो रहा है। कारखानों तथा यातयात के साधनों से धुआँ उठता है तथा हानिकारक पदार्थ उत्पन्न होते हैं, जो जल तथा वायु प्रदूषण की समस्या पैदा करते हैं।
अतः यह कहा गया है कि धारणीय विकास आर्थिक विकास की वह प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों तथा पर्यावरण को बिना हानि पहुँचाये वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों दोनों के जीवन गुणवत्ता को कायम रखना जिससे आर्थिक विकास के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली दीर्घकालीन शुद्ध लाभ वर्तमान तथा भावी पीढ़ी के लिए अधिकतम हों। धारणीय विकास की अवधारणा का सम्बन्ध प्राकृतिक साधनों के कुशलतम प्रयोग से है।
यह भावी पीढ़ी की जीवन गुणवत्ता की ओर भी ध्यान देती है। यह वातावरण को दूषित होने से बने का प्रयत्न करती है। यह प्रकृति साधनों तथा पर्यावरण को इस प्रकार प्रयोग करने का परमर्श देती है जिसके फलस्वरूप केवल वर्तमान में ही नहीं अपितु भवष्यि में भी आर्थिक विकास की दरे को कायम रखा जा सके। धारणीय विकास वर्तमान पीढ़ी को प्रभावित करने वाली प्रदूषण की समस्या तथा भावी पीढ़ी को प्रभावित करने वाले संसाधनों के निवेश दोनों की समस्या है।
प्रश्न 2.
धारणीय विकास की प्रमुख विशेषताएँ लिखें। (Write down the main feature of Sustainable Development)
उत्तर:
धारणी विकास की प्रमुख विशेषताएँ (Main feature of Sustainable Development):
धारणीय विकास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. पर्यावरण का संरक्षण (Protection of Environment):
धारणीय विकास. पर्यावरण के संरक्षण पर जोर देता है। यह अवधारणा विकास की लागत विशेषकर पर्यावरण हानि की लागत की ओर ध्यान देती है।
2. वर्तमान भावी पीढ़ी की आवश्यकता पर ध्यान देना (Attention towards present and futuregeneration):
धारणीय विकास की अवधारणा इस बात पर आधारित है कि भावी पीढ़ी को कल्याण के उसी स्तर को प्राप्त करने के अवसर मिलने चाहिए जो आज हमें प्राप्त है-दूसरे शब्दों में यह अवधारणा वर्तमान पीढ़ी और भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने पर जोर देती है।
3. वितरणात्मक समानता (Distributive equality):
यह अवधारणा विभिन्न पीढ़ियों के बीच तथा एक पीढ़ी के विभिन्न वर्गों के बीच समानता पर जोर देती है। इस अवधारणा के अनुसार प्राकृतिक साधनों तथा पर्यावरण का इस प्रकार प्रयोग किए जाए जिसके फलस्वरूप केवल वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी विकास की दरे को कायम (Maintain) रखा जा सके।
4. मानवीय पूंजी भौतिक पूंजी तथा प्राकृतिक पूंजी का संरक्षण (Preservation of human capital, physical capital and natural capital):
स्थायी विकस की अवधारणा इस बात पर भी जोर देती है कि मानवीय पूंजी, तथा प्राकृतिक पूंजी का संरक्षण करना चाहिए जिससे भावी पीढ़ियों को कम से कम उतना अवश्य मिल सके जितना वर्तमान पीढ़ी को विरासत में मिला है। इसके लिए संसाधनों का प्रबन्ध इस प्रकार करना चाहिए कि हम वर्तमान आवश्यकताओं की संतुष्टि के साथ-साथइन संसाधनों की गुणवत्ता को भी बढ़ा सकें।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
जैविक घटक में शामिल किया जाता है –
(a) सभी जीव
(b) सभी निर्जीव
(c) जीव एवं निर्जीव दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) सभी जीव
प्रश्न 2.
अजैविक घटक में शामिल करते हैं –
(a) सभी जीव
(b) सभी निर्जीव चीजें
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) सभी निर्जीव चीजें
प्रश्न 3.
वायुमण्डल में कार्बन डाइआक्साइड की सांद्रता बढ़ी है –
(a) 31 प्र.श.
(b) 149 प्र.श.
(c) 200 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 31 प्र.श.
प्रश्न 4.
वायुमण्डल में मिथेन की सांद्रता बढ़ी है –
(a) 31 प्र.श.
(b) 149 प्र.श.
(c) 200 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 149 प्र.श.
प्रश्न 5.
पिछली सदी में वायुमंडल का औसत ताप बढ़ा है –
(a) 0.6°C
(b) 1.1°C
(c) 1.0°C
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 0.6°C
प्रश्न 6.
ओजोन परत के क्षय से कौन सी किरण पृथ्वी पर पहुँच जाती है –
(a) अवरक्त
(b) दृश्य
(c) पराबैंगनी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) पराबैंगनी
प्रश्न 7.
Montreal Protocol किसके प्रयोग पर पाबंदी लगाता है –
(a) कार्बोनेट यौगिक
(b) क्लोरो-फ्लोरो यौगिक
(c) कार्बन यौगिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) क्लोरो-फ्लोरो यौगिक
प्रश्न 8.
चिपको आन्दोलन का संबंध है –
(a) हिमालय में वनों का संरक्षण
(b) कर्नाटक में वनों का संरक्षण
(c) गुजरात में वनों का संरक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) हिमालय में वनों का संरक्षण
प्रश्न 9.
अप्पिको आन्दोलन संबंधित है –
(a) हिमालय में वनों का संरक्षण
(b) कर्नाटक में वनों का संरक्षण
(c) गुजरात में वनों का संरक्षण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कर्नाटक में वनों का संरक्षण
प्रश्न 10.
भारत दुनिया की कितनी प्र.श. आबादी का आश्रय है –
(a) 16 प्र.श.
(b) 20 प्र.श.
(c) 25 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 16 प्र.श.
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