BSEB Class 11 Economics Infrastructure Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Infrastructure Book Answers |
Bihar Board Class 11th Economics Infrastructure Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Economics Infrastructure |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 11th Economics Infrastructure Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न 1.
आधरिक संरचना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आधारिक संरचनाओं से अभिप्राय उन सुविधाओं, क्रियाओं और सेवा से है जो अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास में सहायक होती हैं। ये आधारिक संरचनायें औद्योगिक. तथा कृषि उत्पाद, घरेलू तथा विदेशी व्यापार में सहायक सेवायें प्रदान करती हैं। इन सेवाओं में सड़क रेलवे, बन्दरगाह, हवाई अड्डे, बाँध (Dams), पावर स्टेशन तेल तथा गैस की पाइपलान की सुविधायें, पाठशाला, कॉलेज स्वास्थ्य सेवायें, बैंक बीमा तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं की सेवायें शामिल हैं।
ये संरचनायें देश के विकास में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। इन संरचनाओं के विकसित होने से देश की अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्र जैसे कृषि, उद्योग, व्यापार आदि का विकास संभव नहीं है। आधरिक सरंचनायें अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करती हैं।
आधारिक संरचनाएँ दो प्रकार की होती हैं –
- आर्थिक संरचनाएँ तथा
- सामाजिक संरचनाएँ। ऊर्जा, यातयात, संचार आदि आर्थिक संरचनाएं हैं जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि सामाजिक आधारिक संरचनाएँ हैं।
प्रश्न 2.
आधारिक संरचना को विभाजित करने वाले दो वर्गों की व्याख्या कीजिए? दोनों एक-दूसरे पर कैसे निर्भर करते हैं?
उत्तर:
आधारिक संरचनाओं का वर्गीकरण (Classification of infrastructures) आधारित संरचनायें दो श्रेणियों में वर्गीकृत हैं –
1. आर्थिक आधारिक संरचनाएँ (Economic Infrastructure):
आर्थिक आधारिक संरचना से अभिप्राय उस पूँजी स्टॉक से है. जो उत्पादन प्रणाली को प्रत्यक्ष सेवायें प्रदान करती है। जैसे-रेलवे, सड़क, टेलीफोन आदि।
2. सामाजिक आधारिक संरचनाएँ (Social Infrastructure):
सामाजिक आधारिक संरचना से अभिप्राय उस पूँजी स्टॉक से है जो उत्पादकों को अप्रत्यक्ष रूप से सेवायें प्रदान करती हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास आदि सामाजिक आधारिक संरचनायें हैं। आर्थिक आधारिक व सामाजिक आधारिक संरचनाओं का आपसी संबंध (Interrelaton between Economic and Social Infrastructure)-आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं का आपस में काफी संबंध है।
इसे निम्न तथ्यों से समझा जा सकता है –
1. एक-दूसरे की पूरक (Supplementary to each other) सामाजिक तथा आधारित संरचनायें एक दूसरे की पूरक हैं। एक शिक्षित तथा स्वस्थ्य व्यक्ति की ऊर्जा यातयात तथा संचार के साधनों का उचित उपयोग कर सकता है। यदि देश की जनसंख्या अशिक्षित तथा अस्वस्थ्य है तो वह आर्थिक आधारिक संरचनाओं का समुचित उपयोग नहीं कर सकती। इसी प्रकार शिक्षा तथा स्वास्थ्य का ऊँचा स्तर विकसित आर्थिक आधारिक संरचनाओं के अभाव में अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं होगा। भारत में शिक्षित बेरोजगारी का मुख्य कारण आर्थिक आधारिक संरचनाओं का अभाव है।
2. एक दूसरे को विकसित करने में सहायक (Helpful in developing each other):
आर्थिक आधारिक संरचना सामाजिक आर्थिक संरचना को विकसित करती है। उदाहरण के लिये संचार और परिवहन की सुविधायें जितनी अधिक होंगी शिक्षा का उतना ही अधिक विस्तार हो सकेगा। सामाजिक आधारिक संरचना भी आर्थिक आधारिक संरचनाओं को विकसित करती हैं।
प्रश्न 3.
आधारिक संरचना उत्पादन का संवर्द्धन कैसे करती है?
उत्तर:
आधारिक संरचना औद्योगिक व कृषि उत्पादन, घरेलू व विदेशी व्यापार और वाणिज्य के प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग उपलब्ध कराती हैं। इन सेवाओं में सड़क, बन्दगाह, हवाई अड्डे, बाँध, बिजलीघर, तेल, और गैस पाइप लाइन, सुविधाएँ स्कूल-कॉलेज आदि आते हैं। इनमें से कुछ सुविधाओं का प्रत्यक्ष प्रभाव उत्पाद व्यवस्था की कार्य-प्रणाली पर पड़ता है।
जबकि कुछ अन्य अर्थव्यवस्था के सामाजिक क्षेत्रकों के निर्माण में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करते है। आधारिक संरचना ऐसी सहयोगी प्रणाली है जिस पर एक आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता कार्य प्रणाली पर निर्भर करती है। आधुनिक कृषि भी बीजों कीटनाशक दवाइयों और खाद के लिए बड़े पैमाने पर परिवहन के साधनों पर निर्भर करती है। इसके लिए यह आधुनिक सड़कों, रेल और जहाजी सुविधाओं का उपयोग करती है।
2001 की जनगणना के आंकड़े यह बताते हैं कि ग्रामीण भारत में केवल 56% परिवारों में बिजली की सुविधा है जबकि 43% परिवारों में आज भी मिट्टी के तेल का उपयोग होता है। ग्रामीण क्षेत्र में लगभग 90% परिवार खाना बनाने में जैव ईंधन का प्रयोग करते हैं, केवल। 24% ग्रामीण परिवारों में लोगों को नल का पानी उपलब्ध है। लगभग 76% लोग कुँओं, टैंकों तालाबों, झरनों, नदियों, नहरों आदि जल स्रोतों के खुले स्रोतों से पानी पीते हैं।
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण द्वारा किए गए एक अध्ययन से यह पता चलता है कि वर्ष 1996 तक ग्रामीण इलाकों में केवल 6 प्रतिशत लोगों को सफाई की सुविधाएँ प्राप्त थीं। संरचनात्मक सुविधाएँ एक देश के आर्थिक विकास में उत्पादन के साधनों की उत्पादकता में वृद्धि करके और उसकी जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके अपना योगदान करती हैं। अपर्याप्त आधारिक संरचना से स्वास्थ्य पर अनेक प्रकार से बुरा असर पड़ सकता है।
प्रश्न 4.
किसी देश के आर्थिक विकास में आधरिक संरचना योगदान करती है। क्या आप सहमत हैं?
उत्तर:
हाँ हम इस कथन से सहमत हैं।
प्रश्न 5.
भारत में ग्रामीण आधारिक संरचना की क्या स्थिति है?
उत्तर:
भारत ग्रामीण आधारिक संरचना की स्थिति शोचनीय है। हमारी बहुसंख्य आबादी. ग्रामीणों क्षेत्रों में निवास करती है। विश्व में अत्यधिक तकनीकी उन्नति की बावजूद ग्रामीण महिलाएँ अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु फसल का बचा-खुचा, गोबर और जलाऊ लकड़ी जैसे जैव ईंधन का आज भी उपयोग करती हैं। जल और अन्य आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए विद्युत उन्हें दूर-दूर तक जाना पड़ता है।
प्रश्न 6.
ऊर्जा का महत्त्व क्या है? ऊर्जा के व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक स्रोतों में अन्तर कीजिए।
उत्तर:
ऊर्जा का महत्त्व (Importance of Energy):
ऊर्जा का सबसे दृष्टिगोचर रूप बिजली है। किसी देश के आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाली आधारिक संरचना में बिजली अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
ऊर्जा के व्यावसायिक और गैर:
व्यावसायिक स्रोतों में अन्तर (Difference between Commercial and Non-Commerical Sources of Energy):
ऊर्जा के व्यावसायिक और गैर-व्यावसायिक स्रोत होते हैं। व्यावसायिक स्रोतों में कोयला, पेट्रोल और बिजली आते हैं क्योंकि इन्हें खरीदा और बेचा जाता है।
भारत में उपयोग किए जाने वाले समस्त ऊर्जा स्रोतों में इसका भाग 50% से ऊपर है। ऊर्जा के गैर-व्यावसायिक स्रोतों में जलाऊ लकड़ी, कृषि का कूड़ा-कचरा (Waste) और गोबर आते हैं। ये गैर-व्यावसायिक है क्योंकि ये हमें प्रकृति या जंगलों से मिलते है। प्रायः ऊर्जा के व्यावसायिक स्रोत (पन-बिजली को छोड़कर) समाप्त हो जाते हैं, जबकि गैर-व्यावसायिक स्रोत पुनः नवीनीकरण किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
विद्युत उत्पादन के तीन बुनियादी स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
विद्युत उत्पादन के तीन आधारभूत साधन हैं –
- कोयला
- पानी
- आणविक (Nuclear)
प्रश्न 8.
संचारण और वितरण हानि से आप क्या समझते हैं? उन्हें कैस कम किया जा सकता है?
उत्तर:
संचारण हानि:
विद्युत वितरण का संचारण तारों द्वारा किया जाता है। एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने में जो ऊर्जा नष्ट होती है यह संचारण है। इसे आधुनिक तकनीक का प्रयोग का दूर कर सकते हैं।
वितरण हानि:
विद्युत की व्यवस्था अच्छी नहीं है। अनेक स्थानों पर विद्युत चोरी हो रही है। यह वितरण हानि है। इसे नवीन विद्युत का प्रयोग करके दूर कर सकते हैं।
प्रश्न 9.
ऊर्जा के विभिन्न गैर-व्यवसायिक स्रोत कौन से हैं?
उत्तर:
जलाऊ लकड़ी, कृषि का कूड़ा-कचरा, सूखा गोबर आदि ऊर्जा के विभिन्न गैर-व्यवसायिक स्रोत हैं।
प्रश्न 10.
इस कथन को सही सिद्ध कीजिए कि ऊर्जा के पुनः नवीनीकृत स्रोतों के इस्तेमाल से ऊर्जा संकट दूर किया जा सकता है?
उत्तर:
निरन्तर विकास और जनसंख्या वृद्धि से भारत में ऊर्जा की माँग तीव्र हो रही है। वह माँग वर्तमान में उत्पन्न की जा रही ऊर्जा से बहुत अधिक है। ऊर्जा के पुनः नवीनीकरण स्रोतों से बिजली के अतिरिक्त पूर्ति सुनिश्चित की जा सकती है। पुनः नवीनीकृत ऊर्जा स्रोतों पर अधिक से अधिक निर्भरता से सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 11.
पिछले वर्षों के दौरान ऊर्जा के उपभोग प्रतिमानों में कैसे परिवर्तन आया है?
उत्तर:
ऊर्जा की उपभोग प्रवृत्ति में परिवर्तन (Changes in Consumption pattern of energy):
नीचे तालिका में विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न वर्षों में ऊर्जा के उपभोग को दर्शाया गया है –
विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा का उपभोग (प्रतिशत में) (Consumption of energy in various sectors-in Percentage):
स्रोत:
नवीं पचवर्षीय योजना, अयोग, भारतीय सरकार नई दिल्ली।
(Source : Ninth Five Year Plan, Planning Commission, Government of India New Delhi)
प्रश्न 12.
ऊर्जा के उपभोग और आर्थिक संवृद्धि की दरें कैसे परस्पर सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के उपभोग और आर्थिक संवृद्धि में सम्बन्ध (Relation between Consumption of Energy and Economic Growth):
ऊर्जा का सबसे दृष्टिगोचर रूप जिसे प्रायः आधुनिक सभ्यता की प्रगति का द्योतक माना जाता है, में बिजली आती है। किसी देश के आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाली आधारित संरचना में बिजली अत्यंत महत्त्वपूर्ण – है। प्रायः बिजली की माँग की अभिवृद्धि दर सकल घरेलू उत्पाद दर से ऊँची होती है। अध्ययनों से पता चलता है कि 8 प्रतिशत प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त करने के लिए बिजली की पूर्ति में अभिवृद्धि का प्रतिवर्ष दर लगभग 12 प्रतिशत होना चाहिए।
प्रश्न 13.
भारत में विद्युत क्षेत्रक को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?
उत्तर:
भारत में बिजली क्षेत्र को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है –
1. बिजली का अपर्याप्त उत्पादन (Indequate Generation of Electricity):
भारत में बिजली का उत्पादन अपर्याप्त है। सन् 2001 में बिजली का उत्पादन 49,960 किलोवाट घण्टे हुआ था जबकि बिजली माँग 50,227 करोड़ यूनिट थी। इसके अतिरिक्त भारत में हर वर्ष 1,00,000 मेगावाट बिजली अतिरिक्त चाहिए जबकि भारत केवल प्रतिवर्ष 20,000 मेगावाट बिजली अधिक पैदा करने में समर्थ है।
2. उत्पादन क्षमता का क्रम प्रयोग (Less Capacity Utilisation):
भारत में ताप बिजली घरों का उत्पादन क्षमता का कम प्रयोग हो पाता है।
3. बिजली बोर्ड के घाटे (Loss of Electricity Boards):
भारत में बिजली का उत्पादन तथा वितरण पर सरकार का लगभग एकाधिकार है। बिजली का वितरण राज्य के बिजली बोर्ड (SEBs) द्वारा किया जाता है। इस समय लगभग सभी बिजली बोर्ड घाटा उठा रहे हैं। उनके पास इतना धन भी नहीं है कि बिजली खरीदकर भुगतान कर सकें। बिजली बोडौँ को 500 बिलियन से अधिक घाटा हुआ है। इन बोडों के घाटे में कई कारण हैं –
- बिजली की चोरी
- बिजली के वितरण के दौरान बिजली की हानि
- कृषि, सिंचाई तथा लघु उद्योगों को रियासतीदर पर बिजली की आपूर्ति करना आदि
4. साधारण जनता में असन्तोष (Public Unrest):
बिजली की अधिक दर तथा देश के विभिन्न भागों में बिजली की कटौती से साधारण जनता में भारी असन्तोष है।
5. कच्चे माल तथा कोयले की कमी (Shortage of raw material and coal supplies):
ताप विद्युत यन्त्र जो भारत में अधिकांश मात्रा में बिजली पैदा करते हैं, उन्हें कच्चे. माल तथा कोयले की कमी का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 14.
भारत में ऊर्जा संकट से निपटने के लिए किए गए सुधारों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सुधार (Reforms):
भारत में ऊर्जा संकट को निपटने के लिए निम्नलिखित कार्य किए जा रहे हैं –
- विद्युत में आर्थिक एवं सार्वजनिक निवेश किया जा रहा है।
- बेहतर अनुसंधान तथा विकास के उपाय अपनाए जा रहे हैं।
- तकनीकी खोज की जा रही है।
- ऊर्जा के पुनः नवीनकृत स्रोत से बिजली की अतिरिक्त पूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
- व्यापक स्तर पर बिजली उत्पादन के लिए निजी क्षेत्र को आगे लाया जा रहा है।
प्रश्न 15.
हमारे देश की जनता के स्वास्थ्य की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
हमारे देश की जनता के स्वास्थ्य की मुख्य विशेषताएँ (Main Features of the Health of Indians):
हमारे देश की जनता के स्वास्थ्य की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- भारत में विश्व की कुल जनसंख्या की लगभग 17% संख्या निवास करती है, लेकिन इस देश पर विश्व के कुल रोगियों का 20% बोझ है।
- भारत के जी.डी.बी. के आधे से अधिक हिस्से के अन्तर्गत अतिसार, मलेरिया और क्षय रोग जैसी संक्रामक बीमारियाँ आती हैं।
- प्रत्येक वर्ष 5 लाख बच्चे जल संक्रमित रोगों से मर जाते हैं।
- एड्स का खतरा भी छाया हुआ है।
- कुपोषण और टीके की दवा की अपर्याप्त पूर्ति के कारण प्रत्येक वर्ष 22 करोड़ बच्चे मौत का शिकार होते हैं।
- वर्तमानमें 20% से भी कम जनसंख्या जन-सुविधाओं का उपयोग करती है।
- भारत में केवल 38% प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में डॉक्टरों की वाछित संख्या उपलब्ध है और केवल 30% प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों में दवाइयों का पर्याप्त भंडार है।
प्रश्न 16.
रोग वैश्विक मार (GBD) क्या है?
उत्तर:
रोगों का विश्वव्यापी भार एक संकेतक (Indicator) है जिसके द्वारा निपुण व्यक्ति इस बात का अनुमान लगाते हैं कि एक विशेष बीमारी से कितने लोग मरे और कितने लोग बीमारी के कारण अपंगता की अवस्था में कितने वर्ष तक जिये।
प्रश्न 17.
हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की प्रमुख कमियाँ क्या हैं?
उत्तर:
हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की प्रमुख कमियाँ –
- हाल के समय में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रक अपने कर्त्तव्य को निर्वाह में बहुत अधिक सफल नहीं हुआ है।
- भारत में स्वास्थ्य क्षेत्रक में निजी क्षेत्र ने बहुत प्रगति की है, परन्तु निजी क्षेत्र के चिकित्सालय निर्धन व्यक्तियों की पहुंच से बाहर हैं।
- चिकित्सा की भारतीय प्रणाली में शैक्षिक मानवीकरण या अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए किसी प्रकार की रूपरेखा बनाने हेतु कुछ नहीं किया गया।
- भारत में स्वास्थ्य में व्यय सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 3 प्रतिशत है। यह अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम है।
- भारत में विश्व के कुल जनसंख्या की लगभगल 17% संख्या निवास करती है, लेकिन इस देश पर विश्व के कुल रोगों का 20% बोझ है।
प्रश्न 18.
महिलाओं का स्वास्थ्य गहरी चिन्ता का विषय क्यों बन गया है?
उत्तर:
भारत की जनसंख्या का लगभग आधा भाग महिलाओं का है। निम्नलिखित कारणों से उनका स्वास्थ्य गहरी चिन्ता का विषय बन गया है –
- भ्रूण हत्याओं की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं।
- 1991 ई० की जनसंख्या के अनुसार शिशु लिंग का अनुपात 945 से 2001 में 927 हो गया है।
- 15 वर्ष से कम लगभग 3,00,000 लड़कियाँ न केवल विवाहित हैं, अपितु कम से कम एक बच्चे की माँ हैं।
- 15 से 49 आयु वर्ग के समूह में विवाहित महिलाओं में 50% से अधिक रक्ताभाव और रक्तहीन से ग्रसित हैं। यह बीमारी लौह न्यूनता के कारण होती है जिसके परिणामस्वरूप की संभावना बढ़ जाती है। रक्तहीन भारतीय महिलाओं की अवस्थ्यता और मौत का एक बड़ा कारण है।
प्रश्न 19.
सार्वजनिक स्वास्थ्य का अर्थ बताएँ। राज्य द्वारा रोगों पर नियन्त्रण के लिए उठाए गए प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बताएं।
उत्तर:
सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) सार्वजनिक स्वास्थ्य से अभिप्राय है कि नागरिकों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सरकार उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करें। सार्वजनिक अस्पतालों में डाक्टर, नर्स और अन्य अर्द्ध-चिकित्साकर्मी, बड़े अस्पताल में आवश्यक उपकरण और दवाइयों की व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है। कोई भी नागरिक चिकित्सा सुविधा, अरोग्यकारी और निवारक प्राप्ति से वंचित न रहे क्योंकि वह उसकी कीमत अदा नहीं कर सकता पर पूर्णतः प्रतिबंध है।
प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम-रोगों पर नियन्त्रण के राज्य में निम्नलिखित प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम आरम्भ आए हैं –
- गत वर्षों में भारत ने विभिन्न स्तरों पर एक व्यापाक स्वास्थ्य पर आधारिक संरचना और जनशक्ति को विकसित किया है।
- गाँव के स्तर पर सरकार ने अनेक प्रकार के अस्पतालों की व्यवस्था की है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की संख्या में महत्त्वपूर्ण विस्तार हुआ है। इस विस्तार का वर्णन नीचे तालिका में किया गया है –
स्वास्थ्य संरचनात्मक: सेवाएँ: 1951-2000:
प्रश्न 20.
भारतीय चिकित्सा की छह प्रणालियों की सूची बनाइए।
उत्तर:
- आयर्वेद
- योग
- यूनानी
- सिद्ध
- होम्योपैथी
- प्राकृतिक चिकित्सा
प्रश्न 21.
हम स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रमों की प्रभावशीलता कैसे बढ़ा सकते हैं?
उत्तर:
स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रम की प्रभावशीलता निम्न ढंग से बढ़ाई जा सकती है –
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ विकेन्द्रित की जाएँ।
- स्वास्थ्य और सफाई के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए।
- कार्यकुशल व्यवस्थायें प्रदान की जाये।
- सफाई के प्रति जागरूकता उत्पन्न करन के लिए दूरसंचार और प्रौद्योगिक क्षेत्रों की सहायता की जानी चाहिए।
- स्वास्थ्य सेवा सभी को समान रूप से पहुँचानी चाहिए।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक बल दिया जाना चाहिए।
Bihar Board Class 11 Economics आधारिक संरचना Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
आधारिक संरचनायें कितने प्रकार की होती हैं? उनके नाम लिखें।
उत्तर:
आधारिक संरचनायें दो प्रकार की होती हैं –
- सामाजिक, आधास्कि संरचनायें तथा
- आर्थिक आधारित संरचनायें
प्रश्न 2.
आर्थिक संरचनाओं से अभिप्राय उस सहायक ढाँचे से है जो कि कृषि, औद्योगिक एवं व्यापारिक क्षेत्र को विभिन्न प्रकार से एक देश के आर्थिक विकास में योगदान देती हैं?
उत्तर:
आर्थिक संरचनाओं से अभिप्राय उस सहायक ढांचे से है जो कि कृषि, औद्योगिक। एवं व्यापार क्षेत्र को विभिन्न प्रकार की सेवायें प्रदान करता है।
प्रश्न 3.
आधारिक संरचनाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आधारिक संरचनाओं से अभिप्राय उन सुविधाओं, क्रियाओं तथा संस्थाओं से है जो अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के विकास और संचालन में सहायक हैं।
प्रश्न 4.
पंजाब तथा हरियाणा कृषि क्रियाओं में अधिक आगे क्यों हैं?
उत्तर:
पंजाब तथा हरियाणा कृषि क्रियाओं में अधिक आगे इसलिये हैं क्योंकि वहाँ पर सिंचाई की सुविधाएँ अच्छी है।
प्रश्न 5.
बंगलौर शहर अन्य शहरों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
बंगलौर शहर अन्य शहरों से भिन्न है। वहाँ पर विश्वभर की संचार सुविधायें हैं जिनके कारण वहाँ कई बहुराष्ट्रीय (Multinational) कम्पनियाँ कार्यरत हैं।
प्रश्न 6.
आधारिक संरचनाओं के विकास में निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र का योगदान क्यों आवश्यक समझते हैं?
उत्तर:
क्योंकि आधारिक संरचनाओं में सार्वजनिक क्षेत्र का निवेश अपर्याप्त है। अतः इन संरचनाओं के विकास में निजी क्षेत्र का योगदान आवश्यक है।
प्रश्न 7.
भारत में समय से पूर्व मृत्यु (Premature death) के क्या कारण हैं?
उत्तर:
भारत में समय से पूर्व मृत्यु के कारण हैं –
- अशिक्षा
- अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही
- लड़कियों का कम उम्र में विवाहित होना तथा माँ बनाना
- अपौष्टिक भोजन
- गर्भपात
- बीमारियों का शिकार होना
प्रश्न 8.
आधारिक संरचनाएँ किस प्रकार से एक देश के आर्थिक विकास में योगदान देती हैं?
उत्तर:
उत्पादन के कारकों की उत्पादकता में वृद्धि करके तथा लोगों की गुणवत्ता में सुधार लाकार आर्थिक संरचनायें एक देश के आर्थिक सुधार में योगदान देती हैं।
प्रश्न 9.
आर्थिक संरचनाओं में प्रमुखतः किन-किन को शामिल किया जाता है?
उत्तर:
आर्थिक संरचनाओं में प्रमुखतः
- परिवहन तथा संचार
- ऊर्जा एवं सिंचाई
- मौद्रिक एवं वित्तीय संस्थाओं को शामिल किया जाता है
प्रश्न 10.
सामाजिक आधारिक संरचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक आधारिक संरचना से अभिप्राय उस पूँजी स्टॉक से है जो उत्पादकों को अप्रत्यक्ष रूप से सेवायें प्रदान करती हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवायें आदि सामाजिक आधारिक संरचनाओं के उदारहण हैं।
प्रश्न 11.
ऊर्जा के गैर-वाणिज्यिक स्त्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
ईंधन, लकड़ी, पशु-शक्ति, गोबर आदि ऊर्जा के गैर-वाणिज्यिक स्रोत हैं।
प्रश्न 12.
ऊर्जा के परम्परागत वाणिज्यिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के परम्परागत वाणिज्यिक स्रोत कोयला, लिग्नाइट, कच्चा पेट्रोलियम, जल विद्युत हैं।
प्रश्न 13.
ऊर्जा के गैर-परम्परागत वाणिज्यिक स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
ऊर्जा के गैर-परम्परात वाणिज्यिक स्रोत बायो-ऊर्जा तथा वायु शक्ति हैं।
प्रश्न 14.
2001 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण भारत में कितने प्रतिशत परिवारों को रोशनी के लिये बिजली का कनेक्शन (Connection) मिला हुआ है?
उत्तर:
केवल 56% परिवारों को।
प्रश्न 15.
विदेशी भारत में काफी संख्या में इलाज कराने आ रहे हैं। इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
विदेशी भारत में काफी संख्या में इलाज कराने आ रहे हैं। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
- हम आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हैं।
- भारत के डॉक्टरा काफी विशेषज्ञ हैं।
- भारत में इलाज कराने का खर्च तुलनात्मक रूप से कम है।
प्रश्न 16.
किन्हीं तीन बड़ी संख्याओं के नाम लिखें जो न केवल गुणवत्तापूर्ण चित्किसा की शिक्षा देती हैं, अपितु अनुसंधान भी करती हैं तथा विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती हैं।
उत्तर:
- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Science New Delhi)
- पी. जी. आई (Post Graduate Insitute,Chandigrah Co.)
- अखिल भारतीय स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य संस्थान (All India Institute of Hygiene and Public Health, Kolkata)
प्रश्न 17.
बायो ऊर्जा किसे कहते हैं?
उत्तर:
बायो ऊर्जा उस ऊर्जा को कहते हैं जो सदैव पदार्थों या जैव सामग्री से प्राप्त होती है। यह दो प्रकार की होती है –
- बायोगैस, तथा
- बायोमास
प्रश्न 18.
बायोगैस क्या है?
उत्तर:
बायोगैस ऊर्जा का वह स्रोत है जो गोबर गैस संयत्र (Plants) में डालकर उत्पन्न की जाती है। ये संयत्र गैस उत्पन्न करने के साथ-साथ गोबर को खाद में बदल देते हैं। बायोगैस का प्रयोग खाना पकाने, ताप उत्पन्न करने, प्रकाश तथा बिजली पैदा करने के काम में किया जा सकता है।
प्रश्न 19.
बायोमास क्या है?
उत्तर:
बायोमास ऊर्जा का वह स्रोत है जो पेड़-पौधे द्वारा ऊर्जा का उत्पादन करता है। बायोमास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन के लिये वृक्षारोपण को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि गैस पर आधारित तकनीकी के द्वारा बिजली उत्पादन के लिये ईंधन और पशुओं के लिये चारा उत्पन्न हो सके।
प्रश्न 20.
भारत में बिजली उत्पादन एवं वितरण की तीन चुनौतियाँ कौन सी हैं?
उत्तर:
बिजली उत्पादन की तीन चुनौतियाँ (Three challenges of Power production and distribution in India):
- उत्पादन क्षमता का कम प्रयोग
- बिजली बोर्ड के घाटे तथा
- बिजली का उपर्याप्त उत्पादन
प्रश्न 21.
परम्परागत रूप से भारत में आधारिक संरचनाओं के विकास की जिम्मेदारी किसकी रही है?
उत्तर:
परम्परागत रूप से भारत में आधारिक संरचनाओं के विकास की जिम्मेदारी सरकार की रही है।
प्रश्न 22.
अब आधारिक संरचनाओं में निजी क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका क्यों निभा रहा है?
उत्तर:
क्योंकि आधारिक संरचनाओं में भारत का निवेश अपर्याप्त रहा है।
प्रश्न 23.
विद्युत उत्पादन के कोई तीन स्रोत लिखिए।
उत्तर:
विद्युत उत्पादन के तीन स्रोत हैं –
- सौर ऊर्जा
- पवन ऊर्जा, तथा
- ज्वार ऊर्जा
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारत में पिछले 50 वर्षों में सार्वजनिक स्वास्थ्य आधारिक संरचना विस्तार पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य आधारिक संरचना में विस्तार (Expansion in public Health Infrastructure):
- अस्पतालों तथा डिस्पेंन्सरी की संख्या में वृद्धि (Increase in the number of Hospital and Dispensaries): 1951 में अस्पतालों तथा डिस्पेन्सरी की संख्या 9300 थी जो बढ़कर 2000 में 43,300 हो गई।
- बिस्तरों में वृद्धि (Increase in beds): 1950 में अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या 1.2 मिलियन थी जो कि बढ़कर 2000 में 7.2 मिलियन हो गई।
- नों की संख्या में वृद्धि (Increae in nurses): 1951-2000 की अवधि में नौं की संख्या 0.18 लाख से बढ़कर 8.7 लाख हो गई।
- एलोपैथिक डाक्टरों की संख्या में वृद्धि: 1951 में डाक्टरों की संख्या 0.62 लाख थी जो बढ़कर 2000 में 5 लाख हो गई।
- बीमारियों का उन्मूलन (Eradication of diseases): पिछले पचास वर्षों में चेचक आदि बीमारियों का पूर्णतया उल्मूलन किया जा चुका है। पोलियों आदि बीमारियों पर पूर्ण नियन्त्रण. करने का प्रयास जारी है।
प्रश्न 2.
वर्तमान समय में स्वास्थ्य आधारिक संरचना में निजी क्षेत्र क्या भूमिका निभा रहे हैं?
उत्तर:
स्वास्थ्य आधारिक संरचनाओं में निजी क्षेत्र की भूमिका (Role of Private setor in the Public Infrastructure):
वर्तमान समय में स्वास्थ्य आधारिक संरचनाओं में निजी क्षेत्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- भारत में जितने भी अस्पताल हैं उनमें 70% अस्पताल निजी क्षेत्र में है।
- कुल अस्पतालों में जितने बिस्तर हैं उनके 40% बिस्तरे निजी अस्पतालों में पाये जाते हैं।
- लगभग 40% डिस्पेंसरियाँ निजी क्षेत्र में पाई जाती हैं।
- निजी क्षेत्र डिस्पेंसरियाँ 80% बाह्य रोगियों तथा 46% डिस्पेंसरियों में दाखिल रोगियों का इलाज किया जाता है।
- निजी क्षेत्र चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण, चिकित्सा तकनीकी आदि में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रश्न 3.
भारतीय महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
भारतीय महिलाओं के स्वास्थ्य (Indian women’s health):
भारत की जनसंख्या में लगभग 50% महिलायें हैं। पुरुषों की तुलना में वे शिक्षा क्षेत्र, आर्थिक क्रियाओं में भागीदारी तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की प्राप्ति में पीछे हैं। लिंग अनुपात में निरन्तर कमी आ रही है। 1951 मे लिंग
अनुपात 945 था जो कम होकर। 1991 में 927 हो गया। भारत में लगभग 15 वर्ष से कम आयु वाली 3,00,000 लड़कियों न केवल विवाहित हैं अपितु कम से कम एक बच्चे की। माँ हैं। 15-49 वर्ष की विवाहित स्त्रियों में कम-से-कम 50% स्त्रियाँ एनीमिया की शिकार हैं। गर्भपात के कारण भी काफी महिलायें मृत्यु का ग्रास बनती हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सुविधायें अपर्याप्त हैं। उनके स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 4.
निजी पूँजीपति किन कारणों से आधारिक संरचनाओं में निवेश करने की रुचि नहीं रखते?
उत्तर:
आधारिक संरचनाओं में निम्न कारणों से निजी पूंजीपति रुचि नहीं रखते –
- भारी एकमुश्त राशि की आवश्यकता होती है।
- सरकार इन पर नियन्त्रण बनाये रखती है।
- प्रतिफल कम और धीमे होते हैं।
- इस क्षेत्र द्वारा प्रदत्त सेवायें प्रमुख रूप से सार्वजनिक वस्तुओं के स्वरूप की होती हैं।
प्रश्न 5.
भारत की आधारिक संरचनाओं के सम्मुख क्या चुनौतियाँ हैं?
उत्तर:
चुनौतियाँ (Challenges):
- हमारी अर्थव्यवस्था की. आवश्यकताओं की तुलना में आधारिक संरचनायें अपर्याप्त हैं।
- आधारिक संरचना की उपलब्धियों के लाभ मुख्यतः समाज के उच्च व सम्पन्न वर्ग के लोगों को प्राप्त हुए हैं। कमजोर लोग इसके लाभों से वंचित रहे हैं।
- आधारिक संरचना का देश के बड़े शहरों व महानगरों में केन्द्रीयकरण हो गया है।
प्रश्न 6.
भारतीय गाँवों में आधारिक संरचनाओं की सुविधाओं की क्या हालत है?
उत्तर:
भारतीय गाँवों में आधारिक संरचना की सुविधायें बहुत ही कम हैं। गाँव की महिलाएँ अब भी चूल्हा जलाने के लिये घास-फूस, गोबर तथा जलाने की लकड़ी का प्रयोग करती हैं। 2001 की जनगणना से हमें पता चलता है कि केवल 56% घरों को प्रकाश करने के लिये बिजली का कनेक्शन (Connection) मिला हुआ है और 43 प्रतिशत घर अब भी मिट्टी तेल का प्रयोग करते हैं। नलके का पानी केवल 24% लोगों को प्राप्त है।
प्रश्न 7.
ऊर्जा के व्यावसायिक तथ गैर-व्यावसायिक प्रयोग में क्या अन्तर है?
उत्तर:
ऊर्जा के व्यावसायिक प्रयोग से अभिप्राय है ऊर्जा का उत्पादक क्रियाओं जैसे उद्योगों, कृषि, रेलवे, व्यावसायिक क्रियाओं में प्रयोग किया जाता है। इसके विपरीतं ऊर्जा के गैर-व्यावसायिक प्रयोग से अभिप्राय है ऊर्जा का प्रयोग घरेलू कार्यों जैसे खाना बनाने, घरेलू यन्त्रों को चलाने, रोशनी आदि के लिए किया जाता है।
प्रश्न 8.
भारत में बिजली के मुख्य स्रोतों का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में बिजली के मुख्य स्रोत (Main sources of Electricity in India) भारत में बिजली के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं –
- ताप शक्ति (Thermal power): यह कोयले द्वारा प्राप्त की जाती है।
- जल शक्ति (Hydro Electricity): यह नदी के पानी द्वारा प्राप्त की जाती है।
- अणु शक्ति (Atomic Power): इसका उत्पादन अणु पावर स्टेशन द्वारा किया जाता है। भारत में परमाणु ऊर्जा का पहला स्टेशन मुंबई के निकट तारापुर में स्थापित किया गया था।
प्रश्न 9.
ऊर्जा के परम्परागत तथा ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोतों में कोई तीन अंतर बतातें।
उत्तर:
ऊर्जा के परम्परागत स्रोत (Conventional sources of energy):
- इन स्रोतों का उपयोग मनुष्य बहुत पहले से कर रहा है।
- ये सभी स्रोत (जल विद्युत को छोड़कर) समाप्त होने वाले हैं।
- इन स्रोतों से ऊर्जा का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा सकता है।
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत (Non-Conventional sources of energy):
- इसका उपयोग हाल ही शुरू हुआ है।
- ये सभी स्रोत समाप्त नहीं होने वाले हैं।
- इन स्रोतों से ऊर्जा का निर्माण छोटे पैमाने पर किया जा सकता है।
प्रश्न 10.
बिजली बोर्डों के घाटे के कारण लिखें। इस घाटे को दूर करने के लिये सरकार क्या कर रही है?
उत्तर:
घाटे के कारण (Causes of Losses of Electricity Board):
- बिजली की चोरी।
- बिजली के वितरण के दौरान बिजली की हानि।
- कृषि, सिंचाई तथा लघु उद्योगों को रियायती दर पर या कम दर पर बिजली की आपूर्ति।
- बिजली बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार। बिजली बोर्ड के इस हानि को कम करने के लिये सरकार बिजली के वितरण तथा उत्पादन निजी क्षेत्र तथा विदेशी निवेश को प्रोत्साहित कर रही है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
परम्परागत तथा गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोतों में क्या अंतर है?
उत्तर:
ऊर्जा के परंपरागत स्रोत (Conventional Sources of Energy):
- ये वे स्रोत हैं जिनका उपयोग मनुष्य बहुत पहले से कर रहा है।
- परम्परागत ऊर्जा के स्रोत हैं-कोयला, परमाणु ऊर्जा, खनिज-तेल या जल-विद्युत।
- ऊर्जा के सभी परंपरागत स्रोत (जल विद्युत को छोड़कर) समाप्त होने वाले हैं।
- ये प्रदूषण फैलाते हैं।
- ये खर्चीले हैं।
- इनसे ऊर्जा का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जा सकता है।
ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत (Non-conventional Sources of Energy):
- ये वे स्रोत हैं जिनका उपयोग हाल ही में शुरू हुआ है।
- गैर-परम्परागत ऊर्जा के स्रोत हैं-पवन, सूर्य, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, गोबर गैस आदि।
- ऊर्जा के गैर-परम्परागत स्रोत असमाप्त होने वाले हैं।
- ये प्रदूषण मुक्त हैं।
- ये कम खर्चीलें हैं।
- इनसे ऊर्जा का निर्माण स्थानीय (छोटे) पैमाने पर किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
भारत में गैर-परम्परागत ऊर्जा के मुख्य स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर:
इनका वर्णन निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है –
1. बायो ऊर्जा (Bio Energy):
बायो ऊर्जा वह ऊर्जा है जो जीव या जैव सामग्री (Organism of Organic Matter) से प्राप्त होती है।
2. बेहतर चूल्हे (Improved Chulhas):
दिसम्बर, 1983 ई० में राष्ट्रीय बेहतर चूल्हा कार्यक्रम शुरू किया गया। यह अनुमान है कि बेहतर चूल्हा प्रतिदिन 700 ग्राम तक लकड़ी की बचत करता है। देश में 1999 तक लगभग 300 लाख बेहतर चूल्हे प्रयोग में लाए गए हैं। इसे हर वर्ष 100 लाख टन से अधिक जलाऊ लकड़ी की बचत होने के साथ-साथ स्त्रियों की बेगार कम होगी, उनका स्वास्थ्य सुधरेगां व वनों के कटाव पर रोक लगेगी।
3. सौर ऊर्जा (Solar Energy):
सौर ऊर्जा से अभिप्राय ऊर्जा के उस स्रोत से है जो सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा का उत्पादन करता है।
4. शहरी कचरे से ऊर्जा (Energy fromUrban Wastes):
शहरी मैले व गन्दगी को भी ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रयोग किया जा रहा है। दिल्ली में तिमारपुर के पास शहर के ठोस पदार्थों के रूप में कूड़े-कचरे से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए 3.75 मेगावाट क्षमता के बिजली संयत्र की स्थापना की गई है।
5. वायु या पवन ऊर्जा विकास कार्यक्रम (Wind Energy Development Programme):
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वायु का प्रयोग करके ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। भारत में वायु ऊर्जा की क्षमता 20,000 मेगावाट आंकी गई है। अब तक केवल 1,025 मेगावाट क्षमता स्थापित की जा सकी है। वायु ऊर्जा मे जर्मनी, अमेरिका तथा डेनमार्क के बाद भारत का चौथा स्थान है।
6. ऊर्जा ग्राम (Urja Gram):
ऊर्जा ग्राम कार्यक्रम से अभिप्राय उस कार्यक्रम से है जिसके अन्तर्गत गांवों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को स्थानीय रूप से उपलब्ध उन साधनों के इस्तेमाल से पूरा किया जाता है जिनका हर बार नवीकरण (Renewari) किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
विकास में आधारिक संरचनाओं के महत्त्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विकास के लिये एक उपयुक्त एवं विकसित आधारिक संरचना का होना आवश्यक हैं, जैसा कि निम्नलिखित बातों से स्पष्ट है –
1. तीव्र आर्थिक विकास (Repid Economic Development):
आर्थिक आधारिक संरचना जितनी विकसित होगी, देश का आर्थिक विकास में उतनी ही तेजी से होता है। जहाँ एक ओर शिक्षण और शोध से नयी तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है, वहाँ दूसरी ओर कृषि और उद्योग क्षेत्र में इसका उपयोग करने के लिए ऊर्जा, सिंचाई यातयात, संचार व वित्तीय संस्थाओं का विद्यमान होना आवश्यक है।
2. श्रम की आपूर्ति (Supply of Labour):
श्रम की कुशलता में वृद्धि करने के लिए श्रम की गतिशीलता अति आवश्यक है। यह गतिशीलता परिवहन एवं संचार के साधने द्वारा ही प्रदान की जाती है।
3. वित्तं की उपलब्धता (Availability of Finance):
आर्थिक विकास के विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है, जिसकी आपूर्ति मौद्रिक एवं वित्तीय संस्थाओं द्वारा ही प्रदान की जाती है।
4. संसाधनों का उपयोग (Utilisation of Resources):
भूमि पर खेती के लिए नहरों आदि के माध्यम से सिंचाई के साधनों का विकास जरूरी है। अनाज को मण्डी तक ले जाने के लिए यातायात के साधन जरूरी हैं। कृषि की विभिन्न आगतों को खरीदने के लिये वित्तीय ‘संस्थानों का विकास जरूरी है। इसी प्रकार, उद्योगों द्वारा यातायात के साधनों का विकास जरूरी है। मशीनों को चलाने के लिए ऊर्जा के साधनों का होना आवश्यक है।’
5. बजार का विस्तार (Extension of Market):
यातायात और संचार के साधन बाजार के आकार के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संचार माध्यमों से वस्तुओं का व्यापक प्रचार किया जा सकता है तथा बाजार मूल्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकती है। यातयात के कुशल साधनों की सहायता से शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को भी सुदूर स्थित बाजारों तक ले जाया सकता है।
6. श्रम की कार्य-कुशलता में वृद्धि (Increase in Efficiency of labour):
शिक्षा, प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवाओं के कारण श्रम की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 4.
भारत में निम्नस्तरीय स्वास्थ्य के क्या कारण हैं?
उत्तर:
भारत में निम्नस्तरीय स्वास्थ्य के कारण (Causes of Poor Health in India):
भारत में निम्न स्वास्थ्य स्तर के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. अस्वास्थ्यकारक परिस्थितियाँ (Unsanitary Conditions):
भारत का निर्धन वर्ग अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहता हैं। वे उस वातावरण में रहते हैं जहाँ पर पीने के लिये सुरक्षित पानी नहीं मिलता, जहाँ सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है, जहाँ पर मल-मूत्र के निकास का कोई प्रबन्ध नहीं है तथा जहाँ महामारियों ने अपना अड्डा बना लिया है।
2. आवास (Housing):
भारत में काफी जनसंख्या झुग्गियों तथा तंग बस्तियों में रहती हैं। निर्धनों के मकान प्राय: कच्चे होते हैं। उनमें वायु तथा प्रकाशन की कोई व्यवस्था नहीं होती। क छोटी कमरे में कई-कई लोग रहते हैं। इस तरह अधिकांश निर्धन अस्वास्थ्यकर घरों में रहते हैं।
3. पौष्टिकहीनता (Mainutrition):
भारत में खाद्यान्न का अभाव है। खाद्यान्न भी पौष्टिकहीन हैं। इनके फलस्वरूप अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्यायें उत्पन्न होती हैं। ये समस्यायें बच्चों के लिये विशेष रूप से गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। माँ बनने वाली स्त्रियों में पौष्टिकहीनता अधिक पाई जाती है जो स्त्री तथा भावी सन्तान के लिये हानिकारक होती है। पौष्टिकहीनता की स्थिति में संक्रामक रोग शीघ्र फैलाते हैं।
4. ऊँची जन्म दर तथा जनसंख्या में तीव्र दर से वृद्धि (High birth rate and fast growth of population):
देश में जन्म दर बहुत ऊँची है जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा सकता है। लोग गंदी बस्तियों में जहाँ बहुत भीड़भाड़ होती है, रहते हैं। इन गंदी बस्तियों में महामारियाँ बहुत जल्दी फैलती हैं और लोग उनके शिकार बनते हैं। अतः ऊँची जन्म दर और तेज गति से बढ़ती जनसंख्या स्वास्थ्य को निम्न स्तर पर ले जाती है।
प्रश्न 5.
आधारिक संरचना क्षेत्र के निजीकरण एवं व्यावसायीकरण की आवश्यकता किन कारणों से होती है?
उत्तर:
आवश्यकता (Need):
आधारिक संरचना क्षेत्र के निजीकरण एवं व्यावसायीकरण की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है –
1. निवेश के लिये बड़ी राशि की आवश्यकता (Massive investment needs):
आधारिक संरचना क्षेत्र के विकास के लिये काफी मात्रा में निवेश करना पड़ता है। सरकारी खजाने में इतनी बड़ी राशि की व्यवस्था नहीं की जा सकती।
2. सार्वजनिक क्षेत्र में प्रबंधकीय योग्यता का अभाव (Lock of managerial ability in public sector):
आधारिक संरचना क्षेत्र के व्यवस्थित विकास के लिये यह आवश्यक है कि उपलब्ध संसाधनों को विधिवत् तरीकों से जुटाया जाय। उन संसाधनों का विभिन्न उपक्षेत्रों में आवंटन किया जाय, तथा उनके प्रभावी उपयोग के लिये उचित निगरानी सुनिश्चित की जाय। यह तभी हो सकता है जबकि प्रबन्धक कुशल, योग्य, दूरदर्शी ईमानदारी, नीतिवान, निष्ठावान, अनुभवी हों। इस प्रकार के प्रबन्धक की सार्वजनिक क्षेत्र में तो कल्पना भी नहीं की जा सकती। स होता है।
3. विश्वव्यापीकरण (Globalisation):
विश्वव्यापीकरण के कारण भी आधारिक संरचना क्षेत्र में निजीकरण की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।
4. विश्व पूँजी बाजारों की नवीन गति (New Dynamics in World Capital):
पहले की तुलना में वर्तमान में पूंजी की राशि एक देश से दूसरे देश की ओर प्रवाहित हो रही है। इस पूंजी का एक बड़ा भाग आधारिक संरचना क्षेत्र की ओर भी प्रवाहित हो सकता है।
प्रश्न 6.
आपका सामाजिक आधारिक संरचना से क्या तात्पर्य है तथा आप आर्थिक आधारिक संरचना से इसका अन्तर कैसे करेंगे?
उत्तर:
सामाजिक आधारिक संरचना से अभिप्राय उस आधारिक संरचना से है जो आर्थिक क्रियाओं का अप्रत्यक्ष रूप से तथा उत्पादन एवं वितरण प्रणाली को बाहर से अपना योगदान देती है। शिक्षा, प्रशिक्षण तथा शोध (Research), स्वास्थ्य, आवास आदि सामाजिक आधारिक संरचनायें हैं। सामाजिक आधारिक संरचना के फलस्वरूप लोगों की उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। वे अधिक कुशलतापूर्वक उत्पादन कर पाते हैं।
सामाजिक आधारिक संरचनाओं तथा आर्थिक आधारिक संरचनाओं में अन्तर (Difference between social infrastructure and Economic Infrastructure):
सामाजिक आधारिक संरचनायें (Social Infrastructure):
- ये संरचनायें अर्थव्यस्था को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
- ये आर्थिक संरचनाओं के आधार हैं।
- इन संरचनाओं का उद्देश्य मानव तथा उसके वातावरण को सुधारना है।
- ये संरचनाओं प्रबन्धक, इंजीनियर आदि उपलब्ध कराती हैं।
- शिक्षा, प्रशिक्षण तथा शोध स्वास्थ्य आवास आदि सामाजिक संरचनाओं के घटक हैं।
आर्थिक आधारिक संरचनाएँ (Economic infrastructure):
- ये संरचनाएँ अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
- ये सामाजिक संरचनाओं को विकसित करती हैं।
- ये संरचनायें कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि लाने वाला वातावरण तैयार करती हैं।
- ये संरचनाएँ व्यापार तथा उद्योग की बाधाओं को दूर करती हैं।
- परिवहन, संचार ऊर्जा, मौद्रिक, तथा वित्तीय संस्थायें इन आर्थिक संरचनाओं के घटक हैं।
प्रश्न 7.
जन स्वास्थ्य का अर्थ बताइए। बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सकरार ने हाल के वर्षों में क्या उपाय किए हैं? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जन स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Public Health):
जन स्वास्थ्य से अभिप्राय साधारण व्यक्तियों का पूर्ण रूप से भौतिक, मानसिक और सामाजिक रूप से ठीक होना है। रुग्ण्ता खराब स्वास्थ्य की स्थिति है। सार्वजनिक स्वास्थ्य कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे लोगों स्वच्छ वातावरण में रहें, पौष्टिक भोजन का सेवन करें, स्वच्छ पानी का प्रयोग करें। बच्चे बाल्यावस्था में न मरें, बच्चों के बीमार होने पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त हों। इसके अतिरिक्त बच्चों के खेलने तथा सीखने का सुअवसर प्रदान किया जाए न कि उन पर काम करने का दबाव डाला जाए।
वयस्कों को स्वास्थ रहने के लिए स्वच्छ वातावरण होना चाहिए, उन्हें पौष्टिक भोजन और हवादार आश्रय प्राप्त होना चाहिए। बीमार होने पर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान होनी चाहिए। वयस्कों को काम करने का सुअवसर मिलना चाहिए ताकि वे अपना काम करें। भारत में जनन स्वास्थ्य की दिशा में कई उपाय अपनाए गए थे जिनके परिणामस्वरूप हमारे जीवन के स्तर में काफी सुधार हुआ है।
बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा हाल ही में अपनाए गए उपाय (Measures adopted by the Govt in the recentyears to control diseases):
सरकार ने हाल के वर्षों में बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए हैं –
- बच्चों को विभिन्न बीमारियों के लिए टीकाकरण करवाकर सुरक्षित रखा गया है। परिवार कल्याण विभाग सामूहिक कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस, पोलियो, अंधापन आदि से बचाने का प्रयास कर रही है।
- भारत सरकार ने चेचक का उन्मूलन कर दिया है।
- हैजे से मरनेवाले लोगों की संख्या कम करने के लिए प्रयत्न किए गए हैं। हैजे के रोगी की संख्या जो 10 हजार होती थी अब कम होकर एक हजार रह गयी।
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय मलेरिया विरोधी कार्यक्रय भी आरंभ किया है। जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों को मलेरिया, कालाजार, मष्तिष्क ज्वर तथा फाइलेरिया से रक्षा करना है।
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम भी आरम्भ किया है। यह कार्यक्रम पाँच लाख लोगों की रक्षा करता है।
- इसके अतिरिक्त सरकार ने राष्ट्रीय तपेदिक नियन्त्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय घेघा नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय अंधापन निवारण कार्यक्रम भी आरंभ किए हैं।
- एस० टी० डी०; एच० आई० वी० संक्रमण तथा एड्स के निवारण तथा उपचार के लिए सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की है। यह संगठन मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।
- पिछले 15 वर्षों में साफ पीने के पानी के क्षेत्र में भी काफी सुधार किया गया है।
- इसके अतिक्ति सरकार ने कई प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, स्वास्थ्य उपकेन्द्र और समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
शताब्दी के अन्त में भारत में साक्षर अनुपात था –
(a) 116
(b) 2/3
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 2/3
प्रश्न 2.
वर्ष 2001 में भारत में साक्षरों की संख्या हो गई है –
(a) 57 करोड़
(b) 75 करोड़
(c) 50 करोड़
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 57 करोड़
प्रश्न 3.
भारतवर्ष में शिक्षा पर कुल व्यय सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिशत है –
(a) 4 प्रतिशत
(b) 4 प्रतिशत से ज्यादा
(c) 4 प्रतिशत से कम
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 4 प्रतिशत से कम
प्रश्न 4.
हमारे देश में शिक्षा प्रणाली लागू है –
(a) 10 + 2 + 2
(b) 10 + 2 + 3
(c) 11 + 3
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 10 + 2 + 3
प्रश्न 5.
भारत में वर्तमान जीवन प्रत्याशा है –
(a) 65 वर्ष
(b) 70 वर्ष
(c) 60 वर्ष
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 65 वर्ष
प्रश्न 6.
भारत में स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर कुल योजना का खर्च होता है –
(a) 3 प्रतिशत
(b) 7 प्रतिशत
(c) 4.5 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 3 प्रतिशत
प्रश्न 7.
एड्स की रोकथाम का कार्यक्रम है –
(a) राष्ट्रीय स्तर का
(b) राज्य स्तर का
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) राष्ट्रीय स्तर का
प्रश्न 8.
नौवीं योजना में शिक्षा पर व्यय का प्रतिशत है –
(a) 7 प्रतिशत
(b) 2.7 प्रतिशत
(c) 6 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 6 प्रतिशत
प्रश्न 9.
वर्ष 2000 में भारत में बच्चों की मृत्यु दर थी –
(a) 52
(b) 22
(c) 70
(d) 32
उत्तर:
(b) 22
प्रश्न 10.
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् के द्वारा छठा अखिल भारतीय शैक्षिक सर्वेक्षण कराया गया था –
(a) 1986 में
(b) 1993 में
(c) 2000 में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1993 में
प्रश्न 11.
राकेश मोहन समिति का संबंध है –
(a) भारतीय रेलवे
(b) भारतीय भू-परिवहन व्यवस्था
(c) भारतीय नौ परिवहन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) भारतीय रेलवे
प्रश्न 12.
वर्ष 1991 में पूर्ण विद्युतीकृत राज्यों की संख्या थी –
(a) 8
(b) 13
(c) 22
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 13
प्रश्न 13.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं प्रदान करती है –
(a) एयर इंडिया
(b) इंडियन एयर लाइन्स
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) एयर इंडिया
प्रश्न 14.
भारत में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्टों की संख्या है –
(a) 28
(b) 92
(c) 5
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 5
प्रश्न 15.
भारत में एयरपोर्ट प्राधिकरण के अंतर्गत एयरपोर्टों की संख्या है –
(a) 28
(b) 92
(c) 15
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 92
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