BSEB Class 11 Economics Poverty Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Poverty Book Answers |
Bihar Board Class 11th Economics Poverty Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Economics Poverty |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 11th Economics Poverty Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न 1.
निर्धनता की परिभाषा दें।
उत्तर:
निर्धनता को न्यूनतम उपभोग आवश्कताओं को पूरा करने में असर्मथता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, निर्धनता से अभिप्राय जीवन, स्वास्थ तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम आवश्यकताओं की प्राप्ति की असमर्थता है।
प्रश्न 2.
काम के बदले अनाज कार्यक्रम का क्या अर्थ है?
उत्तर:
काम के बदले अनाज कार्यक्रम का अर्थ उस कार्यक्रम से है जिसके अन्तर्गत श्रमिकों को काम के बदले नकदी न देने के स्थान पर एक निश्चित मात्रा में अनाज देना है।
प्रश्न 3.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार का एक-एक उदाहरण दें?
उत्तर:
ग्रामीण स्वरोजगार का एक उदाहरण-मुर्गीपालन । शहरी स्वरोजगार का एक उदाहरण-फोटोस्टेट की दुकान।
प्रश्न 4.
आय अर्जित करने वाली परिसम्पत्तियों के सृजन से निर्धनता की समस्या का सामाधान किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर:
आय अर्जित करने वाली परिसम्पत्तियों के सृजन से रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार मिलने से निर्धनता की समस्या का सामाधान किया जा सकता है।
प्रश्न 5.
भारत सरकार द्वारा निर्धनता पर त्रि-आयामी प्रहार की संपेक्ष में व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत सरकार ने निर्धनता निवारण के लिए त्रि-आयामी नीति अपनाई। इस त्रि-आयामी निति का वर्णन आगे किया गया है –
1. संवृद्धि आधारित निति-यह नीति इस आशा पर आधारित है कि आर्थिक संवृद्धि के अर्थत् सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय की तीव्र वृद्धि के पूर्वार्द्ध प्रभाव समाज के सभी वर्गों तक पहुँच जायेंगे।
1950 से 1960 ई० के दशक के पूर्वार्द्ध में हमारी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य यही था। यह माना जा रहा था कि तीव्र गति दर औद्योगिक विकास और चुने हुए क्षेत्रों में हरित क्रांति के माध्यम से कृषि का पूर्ण कायकल्प निश्चित ही समाज के अधिक पिछड़े वर्गों को लाभान्वित करेगा परन्तु यह रणनीति निर्धनता उन्मूलन में सफल नहीं रही।
2. जनसंख्या की वृद्धि क परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति आय में बहुत ही कमी आई। कृषि तथा उद्योग क्षेत्रों में स्वांगीण वद्धि अधिक प्रभावशाली नहीं रही। धनी तथा निर्धन के बीच की खाई और भी बढ़ गई। आर्थिक संवृद्धि के लाभ निर्धनों तक नहीं पहुँच पाये।
प्रश्न 6.
सरकार ने बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं के सहायतार्थं कौन से कार्यक्रम अपनाये हैं?
उत्तर:
सरकार बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं को निर्वाह के लिए पेंशन देती है।
प्रश्न 7.
क्या निर्धनता और बेरोजगारी के बीच कोई सम्बन्ध है? समझाए?
उत्तर:
निर्धनता से अभिप्राय है जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता के लिए न्यूनतम उपभोग आवश्यकताओं की प्रप्ति की आयोग्ता। निर्धनता के कारणों में बेरोजगारी को भी सम्मिलित करते है। बेरोजगारी वह स्थिति है जब श्रमिक प्रचलित मजदूरी पर काम करना चाहते हैं लेकिन काम नहीं मिलता है। जब देश की श्रम शक्ति बेरोजगारी के कारण बेकार रहती है, ते आय एवं क्रय शक्ति का स्तर गिर जाता है। जिससे निर्धनता बढ़िती है। इस विवरण से स्पष्ट है कि निर्धनता और बेरोजगारी में संबंध है।
प्रश्न 8.
सापेक्ष और निरपेक्ष निर्धनता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न वर्गों, प्रदेशों तथा दूसरे देशों की तुलता में पाई जाने वाली निर्धनता है। जबकि निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता की माप से है।
प्रश्न 9.
मान लिजिए आप एक निर्धन परिवार से हैं और छोटी सी दुकान खोलने के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करना चाहते हैं। आप किस योजना के अन्तर्गत आवेदन देंगे और क्यों?
उत्तर:
मैं निर्धन परिवार से हूँ और मैंने 10वीं कक्षा उत्तीर्ण कर रखी है। मैं छोटी से दुकान खोलने के लिए शिक्षित बेरोजगार ऋण के लिए आवेदन करँगा। क्योंकि शासन की ओर से इस पर 25% सब्सिडी (सहायिकी) प्राप्त होगी।
प्रश्न 10.
ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अन्तर स्पष्ट करें। क्या यह कहना सही होगा कि निर्धनता अनुपात प्रवृति का प्रयोग करें।
उत्तर:
ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अन्तर (Difference between Rural unemployment and Urban unemployment):
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी एवं अल्प बेरोजगारी एक साथ विद्यमान होती हैं और उनके बीच स्पष्ट विभेद करना सम्भव नहीं होता। ग्रामीण क्षेत्र में जनसंख्या की वृद्धि से भूमि पर जनसंख्या का भार बढ़ जाता है। भूमि पर जनसंख्या बढ़ने पर कृषकों की संख्या बढ़ जाती है। जिसके कारण प्रच्छन्न बेरोजगारी की मात्रा में वृद्धि होती है। यहाँ पर शहरी क्षेत्रों की तरह खुली बेरोजगारी नहीं पाई जाती। यहाँ पर मौसमी बेरोजगारी भी पाई जाती है।
इसके विपरीत शहरी क्षेत्र में खुली बेरोजगारी पाई जाती है। शहरों में अशिक्षितों की अपेक्षा शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अधिक होती है। इसका कारण यह है कि जितनी संख्या में लोग शिक्षा प्राप्त करते है, उतनी मात्रा में सेवा क्षेत्र का विस्तार नहीं हो पाता। इसलिए मध्यम वर्ग में शिक्षित बेरोजगार की समस्या गम्भीर रूप धारण करती जा रही है। संपेक्ष में हम कह सकते हैं कि भारत में ग्रामीण क्षेत्र में प्रमुख रूप से अल्प रोजगार, मौसमी बेरोजगारी तथा प्रच्छन्न बेरोजगारी पायी जाती है जबकि शहरी क्षेत्र में खुली बेरोजगारी पाई जाती है।
निर्धनता का गाँवों से शहर में आना:
इसमें कोई दो राय नहीं कि ग्रामीण क्षेत्रों की निर्धनता अब शहरों की ओर भी आ गई है। जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण कृषकों की आर्थिक दशा प्रतिदिन बिगड़ती जाती हैं। जिसके कारण बड़ी जनसंख्या की यह गतिशीलता शहरी आकर्षण का परिणाम नहीं अपितु ग्राम में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध न होने के कारण इन्हें गाँवों से शहर की ओर धकेल दिया। परिणाम स्वरूप निर्धनता गाँव शहर की ओर बढ़ी। इस बात की पृष्टि अग्रलिखित तालिका से की जा सकती है –
गरीबी अनुपात
स्रोत: आर्थिक सर्वेक्षण 2004-2005 ई०।
प्रश्न 11.
भारत के कुछ राज्यों में निर्धनता रेखा के नीचे की जनसंख्या का प्रयोग करके सापेक्ष निर्धनता की आवश्यकता स्पष्ट करें।
उत्तर:
नीचे चार्ट में निर्धनता की राज्य स्तरीय प्रवुतियाँ दिखाई गई हैं।
भारत में निर्धनता की प्रवृत्तियाँ 1973 – 2000
निर्धनों की संख्या (मिलियन)
चित्र से स्पष्ट है कि भारत में 70% निर्धन केवल पाँच राज्यों में सीमित हैं। ये राज्य हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा। 1973-74 में तो इन राज्यों की आधी से अधिक जनसंख्या निर्धनता रेखा से निचे रह गये थे। यद्यपि इन राज्यों में भी निर्धनता का अनुपात कम हुआ है, परन्तु अन्य राज्यो के अपेक्षा उनकी सफलता न के बराबर है। यदि गुजरात को देखें तो वहाँ 1973-2000 के बीच निर्धनता रेखा से नीचे का अनुपात 48% से कम होकर 15% रह गया है। इस अवधि (1973-2000) में पश्चिमी बंगाल की सफलता भी महत्त्वपूर्ण रही सफलता मिली है।
प्रश्न 12.
मान लिजिए कि आप किसी गाँव के निवासी हैं। अपने गाँव से निर्धनता निवारण के कुछ प्रस्ताव दीजिए।
उत्तर:
गाँव से निर्धनता निवारण के प्रस्ताव-गाँव में निर्धनता के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं –
- भूमि का विकास किया जाय।
- खेती में श्रम-प्रधान विधियों का अधिक उपयोग किया जाए।
- पशु-धन का विस्तार किया जाए।
- कृषि का विविधीकरण किया जाए।
- शिक्षा, आवास, स्वास्थ सेवाएँ आदि का विकास किया जाए।
- कृषिजन्य उद्योगों का विकास किया जाए।
Bihar Board Class 11 Economics निर्धनता Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
निर्धनता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निर्धनता से अभिप्राय है जीवन, स्वास्थ तथा कार्य कुशलता के लिए न्यूनतम उपयोग आवश्यकताओं की प्राप्ति की अयोग्यता।
प्रश्न 2.
न्यूनतम मानवीय आवयश्कताओं में किन-किन को शामिल किया जाता है?
उत्तर:
न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र, शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी न्यूनतम मानवीय आवश्यकतायें शामिल होती है।
प्रश्न 3.
न्यूनतम मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति न होने से मनुष्य पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
न्यूनतम मानवीय आवश्कताओं को पूरा न होने से मनुष्य को कष्ट होता है। उसके स्वास्थ तथा भविष्य में निर्धनता से छुटकारा पाना कठिन हो जाता है।
प्रश्न 4.
निर्धनता शब्द का प्रयोग किन दो अर्थों में किया जाता है?
उत्तर:
निर्धनता शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है –
- सापेक्ष निर्धनता (Relative – povert) तथा
- निरपेक्ष निर्धनता (Absolute proverty)।
प्रश्न 5.
सापेक्ष निर्धनता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय विभिन्न वर्गों, प्रदेशों की तुलना में पाई जाने वाली निर्धनता है। सापेक्ष निर्धनता में हम आय के वितरण पर विचार करते हैं। जिस देश या वर्ग के लोगों का जीवन निर्वाह स्तर नीचा होता है उन्हें उच्च निर्वाह स्तर के लोगों की तुलना में सापेक्ष रूप से निर्धन माना जायेगी।
प्रश्न 6.
निरपेक्ष निर्धनता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय किसी देश की आर्थिक अवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्धनता की माप से है। वह सामान्य जीवन की आवश्यकतायें जुटाने के लिये संसाधनों के अभाव को इंगित करता है।
प्रश्न 7.
अधिकांश देशों में किस आधार पर निर्धनता का अनुमान लगाने का प्रत्यन किया जाता है?
उत्तर:
अधिकांश देशों में प्रति व्यक्ति उपभोग की जाने वाली न्यूनतम कैलोरी की मात्रा या इनके उपभोग क लिये आवश्यक प्रति व्यय के आधार पर निर्धनता का अनुमान लगाने का प्रयत्न किया जाता है।
प्रश्न 8.
भारत में निरपेक्ष निर्धनता का अनुमान लगाने के लिए किस धारणा का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
भारत में निरपेक्ष निर्धनता का अनुमान लगाने के लिए निर्धनता रेखा की धारणा का प्रयोग किया जाता है। निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले लोग निर्धन कहलाते हैं।
प्रश्न 9.
निर्धनता रेखा किसे कहते हैं?
उत्तर:
निर्धनता रेखा से अभिप्राय उस रेखा से है जो प्रतिव्यक्ति औसत मासिक व्यय को प्रकट करती है जिसके द्वारा लोग अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं की संतुष्टि कर सकें। इस रेखा के नीचे लोगों की निर्धन माना जाता है।
प्रश्न 10.
भारत में किस आधार पर निर्धनता रेखा को परिभाषित किया गया है?
उत्तर:
भारत में न्यूनतम दैनिक कैलोरी की मात्रा के आधार पर निर्धनता रेखा को परिभाषित किया गया है।
प्रश्न 11.
भारत के कितने लोग निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे हैं?
उत्तर:
भारत में वर्तमान में लगभग 22 प्रतिशत लोग निर्धनता रेख से नीचे रह रहे हैं।
प्रश्न 12.
भारत के किस राज्य में निर्धनता रेखा से नीचे जनसंख्या का प्रतिशत सबसे कम है?
उत्तर:
पंजाब राज्य में।
प्रश्न 13.
उन राज्यों के नाम बनायें, जहाँ लगभग रेखा से नीचे जनसंख्या का प्रतिशत सबसे कम है?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिमी बंगाल तथा उड़ीसा में लगभग 70% लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं।
प्रश्न 14.
1999-2000 में किन दो राज्यों के लोग निर्धनता रेखा के पास पाये गये?
उत्तर:
बिहार और उड़ीसा राज्य में।
प्रश्न 15.
1973 में गुजरात में कितने प्रतिशत लोग निर्धनता रेखा के नीचे रहते थे?
उत्तर:
1973 में गुजरात में 48% लोग निर्धनता रेखा के नीचे रहते थे।
प्रश्न 16.
1973-2000 में निर्धनता रेखा के नीचे रहने वाले लोगों में कितना प्रतिशत की कमी आई?
उत्तर:
15%
प्रश्न 17.
शहरी क्षेत्र में निर्धारित कैलोरी की मात्रा बतायें जिसके आधार पर निर्धन जनसंख्या का प्रतिशत किया जाता है।
उत्तर:
2100 कैलोरी।
प्रश्न 18.
ग्रामीण क्षेत्र में निर्धारित कैलोरी की मात्रा बताइये जिसके आधार पर निर्धन जनसंख्या का प्रतिशत निर्धारित किया जाता है।
उत्तर:
2400 कैलोरी।
प्रश्न 19.
भारत में दो निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के नाम बताइये।
उत्तर:
- जवाहर रोजगार योजना, तथा
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम
प्रश्न 20.
भारत में फैली भंयकर गरीबी के संकेत लिखें।
उत्तर:
भारत में फैली भंयकर गरीबी के संकेत हैं-शहरों में बढ़ती झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों का उमड़ता जमघट, पटरियों और नालों को अपना शयन कक्ष समझने वाला बढ़ता वर्ग, धूल, कीचड़ और गन्दी नालियों में खेलता बचपन।
प्रश्न 21.
किस व्यक्ति का निर्धन व्यक्ति कहते है?
उत्तर:
उस व्यक्ति को निर्धन व्यक्ति कहते हैं, जो जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्य के लिये न्यूनतम उपयोग आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ होता है।
प्रश्न 22.
अप्रैल 1989 में किन दो कार्यक्रम ‘जवाहर रोजगार योजना’ आरम्भ किया गया?
उत्तर:
अप्रैल 1989 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम (NREP) और ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारन्टी कार्यक्रम (RLEGP) को मिलकर एक नया कार्यक्रम, “जवाहर रोजगार योजना” आरंभ किया गया।
प्रश्न 23.
निर्धनता उन्मूलन के निम्नलिखित उपक्रम कब आरंभ किये गये?
उत्तर:
- 15 अगस्त 1983
- अगस्त 1983 तथा
- अप्रैल 1989
प्रश्न 24.
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में 100 दिन का रोजगार कब कानूनी अधिकार बना?
उत्तर:
राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में 100 दिन का रोजगार 2 फरवरी 2006 ई. को कानूनी अधिकार बना।
प्रश्न 25.
योजना आयोग ने किस आधार पर निर्धनता रेखा को परिभाषित किया है?
उत्तर:
भारत के योजना आयोग ने कैलारी-पान के अधार पर गरीबी रेखा को परिभाषित किया है।
प्रश्न 26.
शहरी क्षेत्र मे कौन निरन्तर (लगातार) निर्धनता बनाये हुए हैं?
उत्तर:
शहरी क्षेत्र में ठेला चलाने वाले, गली में एक तरफ बैठने वाले मोची, भिखारी, फूलों का हार बनाने वाली स्त्रियाँ, सिर पर टोकरी रखकर सामान बेचने वाले, कचरा आदि बुनने वाले शहरों क्षेत्रों में लगातार निर्धनता बनाये हुए हैं।
प्रश्न 27.
1999-2000 ई. में ग्रमीण क्षेत्र तथा शहरी क्षेत्र के लिये निर्धनता रेखा कैसे परिभाषित की गई थी?
उत्तर:
1999-2000 ई. में ग्रामीण क्षेत्र के लिये निर्धनता प्रति व्यक्ति 325 रुपये मासिक उपभोग तथा शहरी क्षेत्र के लिये प्रति व्यक्ति 454 रुपये मासिक उपभोग के रूप में परिभाषित की गई थी।
प्रश्न 28.
शहरी क्षेत्र में पांच सदस्य वाले एक परिवार का मासिक उपभोग व्यय 2000 रुपये है। क्या यह परिवार निर्धनता रेखा के नीचे रह रहा है?
उत्तर:
हाँ; यह परिवार निर्धनता रेखा के नीचे रह रहा है क्योंकि यहाँ पर प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय 400 रुपये है जो 454 रुपये से कम है।
प्रश्न 29.
निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम किस पंचवर्षीय योजना से आरम्भ किया गया था?
उत्तर:
निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम तृतीय पंचवर्षीय योजना से आरम्भ किया गया था।
प्रश्न 30.
प्रधानमंत्री रोजगार (PMRY) का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
प्रधानमंत्री रोजगार, योजना का उद्देश्य ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र के निम्न आय परिवार के शिक्षित बेरोजगारों को आर्थिक सहायता देना था ताकि वे अपना छोटा-मोटा व्यवसाय शुरू कर सके।
प्रश्न 31.
स्वर्ण जयन्ती रोजगार योजना (SJSRY) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
स्वर्ण जयन्ती रोजगार योजना का मुख्य उद्देश्य है शहरी क्षेत्र में रहने वाले बेरोजगारों के लिये स्वरोजगार (Self employment) तथा मजदूरी के बदले रोजगार (Wage employment) देने की व्यवस्था करना।
प्रश्न 32.
ग्रामीण रोजगार उत्पन्न कार्यक्रम (REGP) का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
आर० ई० पी० का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोगार के लिये अवसर उत्पन्न करना है।
प्रश्न 33.
स्वरोजगार कार्यक्रम के तीन उदाहरण है?
उत्तर:
- स्वर्ण जयन्ती रोजगार (SISRY)
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) तथा
- ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (REGP)
प्रश्न 34.
स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 1990 से पूर्व वित्तीय सहायता किनको प्रदान की जाती थी?
उत्तर:
स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत 1990 से पूर्व वित्तीय सहायता व्यक्तियों या व्यक्तिगत परिवारों को दी जाती थी।
प्रश्न 35.
भारत में निर्धनता की कोई दो विशेषतायें लिखें।
उत्तर:
- शहरी क्षेत्र में निर्धनता मुख्यत: ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता का परिणाम है।
- भारत में निर्धनता की मात्रा भिन्न-भिन्न राज्यों में भिन्न-भिन्न पाई जाती है।
प्रश्न 36.
कोई दो शहरी निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम लिखें।
उत्तर:
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना
- स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
प्रश्न 37.
बेरोजगारी किस प्रकार निर्धनता से संबंधित है?
उत्तर:
निर्धनता के कारण काम करने वाले व्यक्ति पर आश्रितों की संख्या में वृद्धि हो जाती है। परिणामस्वरूप प्रति व्यक्ति उपभोग में कमी आ जाती है जो कि निर्धनता को इंगित करती है।
प्रश्न 38.
वृद्धि लोगों तथा निर्धन महिलाओं की सहायता के लिए केन्द्रीय सरकार द्वारा कौन-सा कार्यक्रम आरंभ किया गया?
उत्तर:
वृद्ध लोगों तथा निर्धन महिलाओं की सहायता के लिये केन्द्रीय सरकार ने समाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme) आरम्भ किया।
प्रश्न 39.
देश में निर्धनता उन्मूलन के लिए सरकार ने अब तक कौन-कौन सी विधियाँ अपनाई?
उत्तर:
देश में निर्धनता उन्मूलन के लिये सरकार ने अब तक तीन विधियाँ अपनाई –
- आर्थिक विकास
- निर्धनता उन्मूलन कायक्रम तथा
- न्यूतम आवश्यकता कार्यक्रम
प्रश्न 40.
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं (जैसे स्वास्थ्य सेवायें, पेयजल, विधुत, शिक्षा आदि) को उपलब्ध करवाना था। वह कार्यक्रम पांचवीं योजना के अन्तर्गत आरम्भ किया गया।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
आजकल किसान आत्महत्यायें क्यों कर रहे हैं?
उत्तर:
किसान अपने परिवार की आवश्यकताओं तथा भूमि जोतने के लिये महाजनों, साहूकारों तथा बैंको आदि (प्रायः किसान महाजनों से उधार लेते हैं क्योंकि बैंको की अपेक्षा उनसे ऋण लेना आसान होता है) से ऋण लेते हैं परन्तु वे ऋण वापस करने में असमर्थ होते हैं। साहूकरों से लिये गये ऋणों पर ब्याज की दर बहुत अधिक होती है। ऋण की राशि प्रतिदिन बढ़ती जाती है। किसान इन ऋणों को वापस देने में असमर्थ होते हैं। उनकी फसल बहुत कम होती है। वे फसलों की उचित कीमत भी नहीं प्राप्त कर पाते। प्राकृति विपदाओं से उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। फलस्वरूप व अपने मानसिक संतुलन खो बैठता हैं और आत्महत्या कर लेते हैं।
प्रश्न 2.
निर्धनता को दूर करने के लिए छः सुझाव दीजिए।
उत्तर:
निर्धनता को दूर करने के लिए कोई छः सुझाव (Six suggestions for the removel of proverty):
- निर्धनता को दूर करने के लिए सम्पति तथा आय के असमान वितरण को कम किया जाता चाहिए।
- लघु तथा कुटीर उद्योगों के विकास के लिये उपयुक्त सुविधाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- सरकार को सभी को न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये खाद्यान्न, मकान, शिक्षा स्वास्थ, यातायात आदि की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।
- जिन परिवारों में कोई रोजगार प्राप्त व्यक्ति नहीं है, उनके लिए समाजिक सहायता कार्यक्रम बनाया जाना चाहिए।
- स्वरोजगार संबंधी कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
- निर्धनता को दूर करने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
प्रश्न 3.
हमारे निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम इच्छित परिणाम क्यों न प्राप्त कर सके? कारण लिखें।
उत्तर:
इच्छित परिणाम लाने में असफल के कारण (Causes of not achieving desirable results):
- दरस्थ क्षेत्रों की अवहेलना की गई।
- जिला अधिकारिक तथा बैंक प्रबंधकों में असहयोग की प्रवृति।
- अधिकांश सरकारी अधिकारियों का भ्रष्ट होना।
- निर्धनता के अ. की तुलना में इन कार्यक्रमों पर आवाटित संसाधनों की राशि अपर्याप्त थी।
- भूमि तथा अन्य सापतियों का असमान वितरण।
- कार्यक्रम से होने वाले लाभ निर्धनों को न मिलना।
- संसाधनों का अनुशलता से प्रयोग किया जाना।
- सरकारी अधिकारियों का पूर्णतः प्रशिक्षित न होना।
- स्थानीय लोगों का दवाव।
प्रश्न 4.
मान लो शहरी क्षेत्र में निर्धनता रेखा प्रतिमास प्रति व्यक्ति 454 रूपये है। शहर में रहने वाले एक 10 सदस्यीय परिवार को सब साधनों से कुल मासिक आय 75,000 रुपये है। बतायें कि वह परिवार निर्धन रेखा के नीचे है या ऊपर?
उत्तर:
10 सदस्यों की मासिक आय – 75,000 रुपये
1 सदस्य की मासिक आय = 75,000/10 = 7,500
यह आय निर्धनता रेखा प्रतिमाह प्रति व्यक्ति आय से अधिक है। अत: यह दस सदस्यीय परिवार निर्धनता रेखा से ऊपर है।
प्रश्न 5.
निर्धनों के बच्चे दीर्घायु क्यों नहीं होते हैं?
उत्तर:
निर्धनों के बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिलता। उन्हें सुरक्षित पेय जल उपलब्ध नहीं होता। प्रायः एक समय का खाना उपलब्ध होता है। गर्भवती स्त्रियों की ठीक प्रकार से देखभाल नहीं हो पाती। अत: नवजात शिशु अस्वस्थ तथा कमजोर होता है। इलाज करवाने तथा दवाइयाँ खरीदने के लिये उसके पास पैसे नहीं होते। उन्हें घातक रोग लग जाते हैं जो उनकी जल्दी मृत्यु का कारण बनते हैं। अतः निर्धनों के बच्चे दीर्घायु नहीं होते।
प्रश्न 6.
अधिसूचित जिलों के परिवार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अर्न्तगत किन अधिकारों का उपभोग कर सकते हैं?
उत्तर:
अधिसूचित जिलों के परिवार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं –
- रोजगार की मांग करने का अधिकार।
- अनुरोध करने के 15 दिन के भीतर रोजगारी भत्ता पाने का अधिकार।
- अगर 15 दिन के अन्दर रोजगार न मिले तो बेरोजगार भत्ता पाने का अधिकार।
- राज्य में लागू मजदूरी की वैधानिक दर से मजदूरी पाने का अधिकार।
- कार्यस्थल पर नीचे का पानी, बच्चों के लिये आश्रम, प्राथमिक चिकित्सा जैसी सुविधायें। प्राप्त करने का अधिकार।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की विशेषताएँ (Features of National Rural Employment Guarantee Act):
- यह अधिनियम केवल एक कार्यक्रम ही नहीं अपितु एक कानून है जिसके अन्तर्गत रोजगार हासिल करने की कानूनी गारंटी दी गई है।
- इसके नियोजन तथा क्रियान्वयन में पंचायती राज संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण भूनिका होगी।
- इसमें संस्थागत व्यवस्था के माध्यम से पारदर्शिता, उत्तरदायित्व, सामाजिक लेखा परिक्षा और लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।
- शिकायत निवारण प्रणाली की भी व्यवस्था की जायेगी।
- इसका लाभ उठाने वालों में से एक-तिहाई महिलाएँ होगी।
- अधिसूचित क्षेत्रों में अकुशल मजदूरों का कार्य करने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति रोजगार के लिए ग्रामसभा में पंजीकरण हेतु आवेदन कर सकता है। इसके बाद उसे जॉब कार्ड Jokatest card) दे दिया जायेगा।
- जॉब कार्ड एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें पंजीकृत व्यक्ति इस अधिनियम के अन्तर्गत रोजगार के लिये आवेदन करने का हकदार हो जाता है।
- पंजीकरण वर्ष भर खुला रहेगा।
- रोजगार आवेदक के घर से पाँच किलोमीटर के दायरे में दिया जायेगा। ऐसा संभव न होने पर अतिरिक्त मजदूरी दी जायेगी।
प्रश्न 2.
भारत में निर्धनता के मुख्य कारण समझाइये।
उत्तर:
योजना आयोग्य ने भारत में बेरोजगारी, अल्प रोजगार और कमजोर साधन के आधार को गरीबी का प्रमुख कारण माना है –
- आर्थिक कारक (Economic Factors)
- सामाजिक कारक (social Factors)
- राजनैतिक कारक (Political Factors)
1. आर्थिक कारक (Economic Factors):
बेरोजगारी (Unemployment):
भारत में गरीबी का प्रमुख कारण देश में भीषण बेरोजगारी की समस्या है। इस समय देश में करीब 6. कारोड़ लोग बेरोजगार हैं।
जनसंख्या में तेजी से वृद्धि (Rapid) Growth in Population):
भारत में जनसंख्या का आकार न केवल बड़ा है, अपितु इसमें होने वाली वृद्धि होने के बावजूद प्रति व्यक्ति आय एवं व्यक्ति आय एवं उपभोग स्तर में कोई खास वृद्धि नहीं हो रही है।
आय का असमान वितरण (Unequal Distribution of Income):
भारत में आय के असमान वितरण को गरीबी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
उत्पादन में कम वृद्धि (Lass increase in Production):
देश में योजना काल के दौरान कृषि व उद्योग क्षेत्रों में उत्पादन में जितनी वृद्धि होनी चाहिए थी, उतानी नहीं हुई। इसका प्रमुख कारण है भारत में पुरानी और घटियाँ उत्पादने विधियों का प्रयोग किया जाना।
कीमत स्तर पर वृद्धि (Rise in Price Levle):
भारत में कीमत स्तर में निरन्तर वृद्धि हो रही है। 1950-51 ई० से 1996-97 ई० तक की अवधि में सामान्य कीमत में 16 गुना वृद्धि हुई है। अतः क्रयशक्ति घट जाने से बहुत से लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गये हैं।
कृषि का पिछड़ापन (liackwardness of Agriculture):
भारतीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि प्रधान रही है लेकिन भारतीय कृषि की दशा अत्यन्न शोचनीय है। भारत में कृषि के पिछड़ेपन के कारण प्रति हेक्टेयर एवं प्रतिव्यक्ति उत्पादकता विश्व के विकासशील देशों की तुलना में बहुत कम है। ऐसी स्थिति में किसानों का गरीब होना स्वाभाविक है।
2. सामाजिक कारक (Social Factors):
भारत में समाजिक ढांचा भी गरीब के लिए जिम्मेदार है। व्यापक निरक्षरता, अज्ञानता, भाग्यवाद, अन्धविश्वास आदि ने देश के आर्थिक विकास में बाधाएं उत्पन्न की है। लोग परिश्रम की बजाय भाग्य में अधिक विश्वास रखते हैं। समाजिक रीति-रिवाजों के कारण वे विवाह, मृत्युभोज आदि पर कई बार अपनी समार्थ्य से बाहर व्यय कर देते हैं।
3. राजनैतिक कारक (Political Factors):
भारत में लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। अंग्रेजों ने अपने शासन काल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का खूब जमकर शोषण किया और इसके परम्परागत विश्व-विख्यात उद्योगों को पूर्णत: नष्ट कर दिया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भातीय अर्थव्यवस्था अत्यन्त निर्धन एवं पिछड़ी हुई दशा में थी जिससे अभी तक हम संभल नहीं पाए हैं।
प्रश्न 3.
जवाहर रोजगार योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
28 अप्रैल, 1989 ई० को जवाहर रोजगार योजना आरंभ की गई है। इस योजना का लक्ष्य प्रत्येक निर्धन. ग्रामीण परिवार के कम से कम एक सदस्य को उसके घर के नजदीक कार्यस्थल पर प्रति वर्ष 50 से लेकर 100 दिनों तक रोजगार देना है। योजना की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –
- यह योजना केन्द्र प्रायोजित है जिसे राज्य सरकार द्वारा कार्यन्वित किया जाता है।
- जवाहर रोजगार योजना का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी तथा अल्प रोजगार वाले पुरूषों तथा महिलाओं के लिए अतिरिक्त लाभकारी रोजगार सृजन करना है।
- योजना पर होने वाल व्यय को केन्द्र तथा राज्यों द्वारा 80 व 20 के अनुपात में वहन किया जाता है।
- जवाहर रोजगार योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले लोग लक्षित समूह माने गए हैं।
- योजना के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मुक्त बन्धुआ मजदूरों को प्राथमिकता दी जाती है।
- रोजगार के 30 प्रतिशत अवसरों को महिलाओं के लिए आरक्षित रखा गया है।
प्रश्न 4.
गरीबी निवारण कार्यक्रमों को लागू करने की क्या आवश्यकता थी? इन्हे पहल क्यों नहीं आरम्भ किया?
उत्तर:
प्रारंभिक योजना काल में यह समझा गया था कि विकास के लाभ बेहतर मजदूरी, बेहतर रोजगार के अवसर, बेहतर उत्पादकता तथा अधिक उत्पादन के रूप में छनकर नीचे तक (percolate down) जाते हैं। ऐसा माना गया है कि 10% जनसंख्या (जो उत्पादक माध्यमों द्वारा अर्थव्यवस्था से सुसंबद्ध नहीं) के लिये विशेष प्रयासों की आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए खाद्यान्नों जैसी आवश्यक वस्तुओं को आर्थिक सहायता दी गई।
विलासिता उपभोग मदों की वस्तुओं पर ऊँची दरों पर कर लगाये गए। दूसरे शब्दों में पुनः वितरण की दशा में काफी प्रयास किये गये। साठ के दशक के मध्य तक यह स्पष्ट हो गया कि विकास तथा पुनः वितरण की दिशा में उठाने गये उपायों के परिणाम सीमित रहेंगे यदि कुछ व्यावसायिक स्तरों और सामाजिक वर्गों की सहायता करने के लिए कुछ विशेष संपूरक कार्यक्रम शुरू न किये गये। अतः गरीबी निवारण कार्यक्रमों को लागू किया गया।
प्रश्न 5.
भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाए हैं? उनका संपेक्ष में वितरण दें।
उत्तर:
सरकार ने पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत निर्धनता को दूर करने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित उपाय अपनाए हैं –
1. लघु तथा कुटीर उद्योग (Small and cottage Industries):
सरकार ने निर्धनता तथा बेरोजगारी को कम करने के लिए लघु तथा कुटीर उद्योगों के विकास के लिये विशेष प्रयत्न किये हैं। स्वयं रोजगार योजना (Self Employment Scheme) को प्रोत्साहन देने के लिए काफी धन व्यय किया जा रहा है।
2. जवाहर ग्राम समृद्धि (Jawahar-Gram Samridhi Yojana):
अप्रैल, 1999 से जवाहर रोजगार योजना के स्थान पर एक अन्य व्यापक योजना जवाहर ग्राम समृद्धि योजना आरंभ की गई है। इसके अन्तर्गत गाँवों में गरीबों को निरंतर रोजगार प्रदान करने के लिए स्थायी परिसम्पत्तियों तथा बुनियादी ढाचे का निमार्ण किया जायेगा। यह योजना ग्राम पंचायतों द्वारा लागू की जाती है।
3. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम (Minimum Needs Programme):
पांचवी योजना में निर्धन लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम लागू किया गया है। वे हैं-प्रारंभिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ, ग्रामीण सड़कें आदि।
4. नेहरू रोजगार योजना (Nheru Employment Scheme):
श्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म शताब्दी के अवसर पर सरकार ने शहरी क्षेत्र के निर्धन लोगों को रोजगार दिलाने के लिए नेहरू रोजगार योजना आरंभ की थी। इसके अन्तर्गत शहरी क्षेत्र के बेरोजगार व्यक्तियों को
रोजगार दिलाने की व्यवस्था की जाती है।
5. बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम (Twenty Point Programme):
आम जनता को खुशहाल बनाने तथा गरीबी के बंधन से मुक्त कराने के लिए नया बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम 1982 ई० से शुरू किया गया। इसकी प्रस्तावना में कहा गया, “निर्धनता के विरूद्ध सेघर्ष हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। 20 सूत्रीय कार्यक्रम योजना की वह तेज धार है जो निर्धनता को काट देगी।” संशोधित कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गरीबी को दूर करना, उत्पादकता को बढ़ना, आय की असमानताओं में कमी और समाजिक एवं आर्थिक असमानताओं का निवारण कर जीवन स्तर – में वृद्धि लाना है।
6. प्रधानमंत्री रोजगार योजना (Prime Minister Rozgar yojana):
यह योजना शिक्षत बेरोजगारों युवाओं को रोजगार देने के लिए बनाई गई है। इस योजना के अन्तर्गत 1999 तक 9.7 लाख लोगों को रोजगार दिया गया।
7. रोजगार बीमा योजना (Employment Assurance Scheme):
यह योजना 1994 में आरंभ की गई। यह योजना सभी ग्रामीण खण्डों में लागू की जा रही है, जहाँ संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रचलित है। इस योजना का लक्ष्य रोजगार को तलाश करने वाले ग्रामीण इलाकों में गरीब लोगों को विशेष रूप से कृषि संबंधी कार्य में मंदी वाले मौसम में रोजगार प्रदान करना है।
प्रश्न 6.
स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना-पूर्व में चल रही छ: योजनाओं का विलय करके:
- समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRCP)
- स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण (ट्राइसेस)
- ग्रामीण महिला एवं बालोत्थान योजना
- दस लाख कूप निर्माण योजना (MWS)
- उन्नत टूल किट योजना (SITRA)
- गंगा कल्याण योजना 1 अप्रैल, 1999 से आरम्भ की गई। इस योजना का उद्देश्य सहायता प्राप्त गरीब परिवारों (स्वरोजगारी) को बैंक ऋण एवं सरकारी सब्सिडी के माध्यम से स्व-सहायता समूहों में संगठित करके गरीबी रेखा से ऊपर लाना है।
विशेषताएं (Features):
इस योजना की मुख्य विशेषतायें निम्नलिखित हैं –
- इस योजना (SGSY) का मुख्य उद्देश्य गाँवों के गरीब लोगों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान कने के लिए लघु उद्योगों को बढ़ावा देना है।
- इस योजना के अंतर्गत गांवों में भारी संख्या में छोटे-छोटे लघु उद्योगों को बढ़ावा देना है।
- यह योजना छोटे उद्यमों का एक सम्पूर्ण कार्यक्रम है। इसके अन्तर्गत स्वरोजगार से संबंधित निम्नलिखित कार्यक्रम शामिल किये गये हैं –
- ग्रामीण गरीबों को आत्मनिर्भर समूहों में संगठित करके उनकी क्षमता का निमार्ण करना।
- इस कार्यक्रम के अन्तर्गत आने वाले लोगों को अपना उद्यम स्थापित करने के लिये बैंको से ऋण तथा सरकारी सहायता दी जायेगी।
- इस योजना पर खर्च किया जाने वाला धन केन्द्रीय तथा राज्य सरकारें 75 : 25 के अनुपात में बाँटेंगी।
- यहाँ योजना जिला ग्रामीण विकास एजेन्सियों द्वारा पंचायत समितियों के माध्यम से लागू क जायेगी।
प्रश्न 7.
निर्धन परिवारों की कुछ विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
निर्धन परिवारों की विशेषताएँ (Characteristics ofpoor familles):
निर्धन परिवारों से अभिप्राय उन परिवारों से है जो जीवन, स्वास्थ्य तथा कार्य कुशलता के लिये न्यूनतम आवश्यकताओं को प्राप्त करने में असमर्थ हो। इन न्यूनतम आवश्यकताओं में भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य संबंधी न्यूनतम मानवीय आवश्यकताएं शामिल होती हैं। इन मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ती न होने से मनुष्य को पीड़ा होती है। स्वास्थ्य तथा कार्यकुशलता में हानि होती है। निर्धन परिवारों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं।
1. मकान (House):
निर्धन परिवारों के मकान प्रायः कच्चे होते हैं। इन घरों की दीवारें पकी हुई मिट्टी की बनी होती हैं और छते घास-फूस की बनी होती हैं। कई निर्धन परिवरों को यह भी नसीब नहीं होता। वे सांझी जमीन पर रहते हैं। बहुत अधिक निर्धन परिवारों के पास जमीन भी नहीं होती है।
2. सम्पत्ति (Assets):
निर्धन परिवारों क पास बहुत ही कम सम्पत्ति होती है। कई बार निर्धन परिवारों के पास तो रहने के लिये भी जमीन नहीं होती। वे प्रायः भूमिहीन होते हैं। उनकी आय इतनी कम होती है कि वे उस आय से अपनी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर सकते। सबसे अधिक निर्धन परिवार तो भूख से मरते हैं। निर्धन व्यक्तियों को स्थायी रूप से रोजगार नहीं मिलता। उन्हें गैर-कृषि क्षेत्र में भी काम नहीं मिलता।
3. स्वास्थ (Health):
निर्धन परिवार प्रायः रोगों से घिरे होते हैं। दवाइयां लेने के लिये उनके पास पैसे नही होते। पौष्टीक भोजन खरीद नहीं सकते। निर्धन परिवारों में गैर-पौष्टिकता बहुत ही अधिक होती है। बुरा स्वास्थ्य, अपंगता तथा भयंकर बीमारियां उन्हें शरीरिक रूप से कमजोर बनाती हैं। इससे उनमें कार्य करने की शक्ति कम हो जाती है।
4. ऋणग्रस्त (Indebtness):
अल्प आय के कारण वे अपनी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते। वे इलाज कराने और खाद्य पदार्थ खरीदने के लिये साहूकारों (Moneylenders) से ऋण लेते हैं। वे सिर से पैर तक कर्ज में डूबे रहते हैं। एक बार ऋण लेने पर वे साहूकार के जाल में फंस जाते हैं।
5. शिक्षा (Education):
निर्धन परिवार के सदस्य अशिक्षित होते हैं। उन्होंने स्कूल का मुँह तक नहीं देखा। निर्धन परिवार के सदस्य बचपन से ही धन-अर्जन के लिये छोटा-मोटा काम करना आरंभ कर देते हैं। उनमें साक्षरता तथा निपुणता का अभाव होता है। वे अन्धविश्वासी, अज्ञानी तथा भाग्य में विश्वास रखने वाले होते हैं।
6. बड़ा परिवार (Big Families):
निर्धन परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होती है। वे छोटे परिवार के महत्त्व को नहीं समझते। निर्धन परिवारों में आश्रित सदस्यों की संख्या अधिक होती है। इन आश्रित सदस्यों में छोटे बच्चे, बूढ़े तथा बीमार लोग होते हैं।
7. सुविधाओं का अभाव (Lock of facilities):
निर्धन परिवरों में विधुत नहीं होती। वे खाना बनाने के लिये लकड़ी तथा गोबर का प्रयोग करते है। उन्हें पीने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध नही होता।
8. अधिकतम लिंग भिन्नता (Extreme Gender Inequality):
निर्धनों परिवारों में लड़कों तथा लडकीयों में बहुत अन्तर समझा जाता है। स्कूल भेजने मे लड़कियों की अपेक्षा लड़को को अधिक महत्त्व दिया जाता है। परिवार में निर्णय लेने में पुरुषों का अधिक हाथ होता है। लड़कियों तथा औरतों के स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।
9. अन्य विशेषताएँ (Other features):
अधिकांश निर्धन परिवारों को मत देने का अधिकार नहीं होता। वे शक्ति हीन तथा मूक होते है। वे सेवाओं तथा संसाधनों को उपलब्ध कराने में सरकार को प्रभावित करने में समर्थ नहीं होते। सरकार तक उनकी पहुँच नगण्य होती है। निर्धन व्यक्तियों का उनके मालिकों द्वारा शोषण किया जाता है।
निर्धनता के संदर्भ में Shaheen Rafi the Damian Killen लिखते हैं – “निर्धनता भूख है, निर्धनता रोग की अवस्था में डॉक्टर के पास जाने की असमर्थता है।”
प्रश्न 8.
निर्धनता रेखा को कैसे निर्धारित किया जाता है?
उत्तर:
निर्धनता रेखा का निर्धारण (Determinationof Poverty Line):
निर्धनता दो आधार पर मापा जा सकता है –
1. पूर्ण रूप से तथा
2. सापेक्षिक रूप से। निर्धनता पूर्ण रूप से मापने के लिए पहले निश्चित किया जाता है कि एक व्यक्ति को कम से कम आवश्यकता कितने पदार्थों की है। दूसरा अनुमान यह लगाया जाता है कि उतने पैसे कितने व्यक्तियों के पास नहीं हैं। ऐसे सभी व्यक्ति निर्धनता रेखा के अन्तर्गत आते हैं, जिनके पास उपभोग की आवश्यक वस्तुओं को जुटाने के लिये साधन नहीं है।
3. भारत में निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा के आधार पर यह निर्धारित किया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्धन है या नहीं। वह व्यक्ति जिसके पास इतनी राशि उपलब्ध नहीं है जिससे वह उतनी वस्तुएं खरीद सके जिसके उपभोग करने पर. उसकी निर्धारित न्यूनतम कैलोरी की मात्रा उपलब्ध हो निर्धन कहलाता है। अथवा निर्धनता रेखा के नीचे आता है।
4. योजना आयोग ने निर्धनता रेखा के लिए वर्तमान अधार के अनुसार प्रति व्यक्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी प्रतिदिन और शहरी क्षेत्र में 2100 कैलारी प्रतिदिन की मात्रा निर्धारित की है। 1999-2000 ई० में ग्रामीण क्षेत्र के लिए प्रतिमाह 328 रुपया के उपभोग तथा शहरी क्षेत्र के लिए प्रतिमाह 454 रुपये के उपभोग को निर्धारित रेखा के रूप में परिभाषित किया गया है।
5. मान लिजिए कि राम का परिवार शहर में रहता है। उसके 5 सदस्यों के परिवार का मासिक उपभोग व्यय 2000 रुपये हैं। ऐसी अवस्था में प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग व्यय 400 रुपये हैं। इसका अभिप्राय यह हुआ कि राम का परिवार निर्धनता रेखा के नीचे रहता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
नीति/योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए गरीबी रेखा का निर्धारण होना चाहिए –
(a) बहुत ऊँचा
(b) बहुत नीचा
(c) न बहुत ऊँचा न बहुत नीचा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) न बहुत ऊँचा न बहुत नीचा
प्रश्न 2.
भारत में गरीबी रेखा का निर्धारण करने के लिए प्रयोग किया जाता है –
(a) आय को
(b) उपभोग को
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) उपभोग को
प्रश्न 3.
भारत में ग्रामीण लोगों के लिए आवश्यक कैलोरी मान है –
(a) 2400
(b) 2100
(c) 2500
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 2400
प्रश्न 4.
शहरी भारतीयों के लिए आवश्यक औसत कैलोरी मान है –
(a) 2400
(b) 2100
(c) 2500
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 2100
प्रश्न 5.
1999-00 में ग्रामीण गरीबी का प्रतिशत था –
(a) 27.1
(b) 27.6
(c) 26.1
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 27.1
प्रश्न 6.
1999-00 में भारत में गरीबी का स्तर था –
(a) 27.1
(b) 27.6
(c) 26.1
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 26.1
प्रश्न 7.
भारत वर्ष में विकास प्रखण्डों की संख्या है –
(a) 4000
(b) 5000
(c) 6000
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 4000
प्रश्न 8.
समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम शरू किया गया –
(a) 1983 में
(b) 1980 में
(c) 1989 में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 1980 में
प्रश्न 9.
मजदूरी रोजगार कार्यक्रम एवं मजदूरी रोजगार योजना एकीकरण किया गया –
(a) 1983 में
(b) 1980 में
(c) 1989 में
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 1989 में
प्रश्न 10.
मजदूरी रोजगार कार्यक्रम एवं मजदूरी रोजगार योजना एकीकरण करके नाम रखा गया –
(a) जवाहर रोजगार
(b) ग्रामीण समृद्धि योजना
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) जवाहर रोजगार
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