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Wednesday, June 22, 2022

BSEB Class 11 Economics Rural Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Rural Development Book Answers

BSEB Class 11 Economics Rural Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Rural Development Book Answers
BSEB Class 11 Economics Rural Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Economics Rural Development Book Answers


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Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Economics Rural Development
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Bihar Board Class 11 Economics ग्रामीण विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ग्रामीण विकास का क्या अर्थ है? ग्रामीण विकास से जुड़े मुख्य प्रश्नों को स्पष्ट करें।
उत्तर:
ग्रामीण विकास का अर्थ-ग्रामीण विकास मूलतः
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उन घटकों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करने पर बल देता है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास में पिछड़ गए हैं। ग्रामीण विकास से जुड़े मुख्य प्रश्न –

  1. साक्षरता और कौशल का विकास
  2. स्वास्थ्य
  3. उत्पादक संसाधनों का विकास
  4. आधारिक संरचना का विकास
  5. कृषि अनुसंधान का विस्तार और सूचना प्रसार की सुविधाएँ तथा
  6. निर्धनता निवारण और समाज के कमजोर वर्गों की जीवन दशाओं में महत्त्वपूर्ण सुधार के विशेष उपाय

प्रश्न 2.
ग्रामीण विकास में साख के महत्त्व की चर्चा करें।
उत्तर:
ग्रामीण विकास में साख का महत्त्व (Importance of Credit in Rural Growth):
कृषि वित्त, कृषि विकास कार्यक्रमों का एक मुख्य आधार है क्योंकि पर्याप्त वित्त के अभाव में कृषि वित्त कार्यक्रमों की सफलता सम्भव नहीं। कृषकों को निम्नलिखित उत्पादक तथा अनुत्पादक कार्यों के लिए ऋणों की आवश्यकता होती है।

1. उत्पादक क्रियाएँ (Productive Activities):
कृषकों को बीज, खाद, कीटनाशक दवाइयों, कृषि यंत्र आदि क्रय करने के लिए, भूमि सुधार करना, सिंचाई की व्यवस्था करना आदि कार्यों के लिए ऋण की आवश्यकता होती है। इन ऋणों से देश में कृषि विकास को प्रोत्साहन मिला है।

2. अनुत्पादक क्रियाएँ (Unproductive Activities):
किसान को अपने पारिवारिक निर्वाह खर्च और शादी, मृत्यु तथा धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ऋण का सहारा लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
गरीबों की ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति करने में अति लघु साख व्यवस्था की भूमिका की व्याख्या करें।
उत्तर:
अति लघु साख व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक सदस्य को न्यूनतम अंशदान देना पड़ता है। न्यूनतम अंशदानों से एकत्रित राशि में से जरूरतमंद सदस्यों को ऋण दिया जाता है। उस ऋण की राशि छोटी-छोटी आसान किश्तों में लौटाई जाती है। ब्याज की दर भी उचित रखी जाती है। यह व्यवस्था सदस्यों में मितव्ययिता की भावना पैदा करती है। इसमें ऋण लेने वालों का शोषण नहीं होता। मार्च 2003 ई. के अन्त तक लगभग 7 लाख लोग ऋण प्रदान करने वाले सहायता समूह के रूप में देश के अनेक भागों में कार्य कर रहे हैं।

प्रश्न 4.
सरकार द्वारा ग्रामीण बाजारों के विकास के लिए किए गए प्रयासों की व्याख्या करें।
उत्तर:
सरकार द्वारा ग्रामीण बाजारों में विकास के लिए कई प्रयास किए गए हैं। उनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं –

1. बाजार का नियमन (Regularising the Market):
व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दशाओं का निर्माण करने के लिए बाजार का नियमन किया गया। इस नीति से कृषक और उपभोक्ता दोनों ही वर्ग लाभान्वित हुए हैं।

2. भौतिक आधारिक संरचनाओं का प्रावधान (Provision of Physical Infra structures):
सड़कों, रेलमार्गों, भण्डार गृहों, गोदामों, शीतगृहों और प्रसंस्करण इकाइयों के रूप में भौतिक संरचनाओं का प्रावधान किया गया है।

3. उचित मूल्य दिलवाना (Fair prices):
सरकार ने किसानों को सरकारी विपणन द्वारा अपने उत्पादों का उचित मूल्य सुलभ कराने की व्यवस्था की है।

4. नीति साधन:

  • 24 कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित की। गई है।
  • भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहू तथा चावलों के सुरक्षित भण्डार का रख-रखाव किया जाता है।
  • राशन की दुकान के माध्यम से चीनी तथा गेहूँ का वितरण।

प्रश्न 5.
आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
विगत वर्षों से रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। भारत में परम्परागत कृषि पूरी तरह रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर आधारित है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण आवश्यक है।

प्रश्न 6.
भारत में ग्रामीण विकास में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण विकास में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की भूमिका का मूल्यांकन-बैंकिंग व्यवस्था के त्वरित विकास का ग्रामीण कृषि और गैर-कृषि उत्पादन, आय और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव रहा है। विशेष रूप से हरित क्रांति के बाद से किसानों को साख सेवायें और सुविधायें देने तथा उनकी उत्पादन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनेक प्रकार के ऋण देने में इन्हीं ने सहायता दी है। अब तो अकाल बीते युग की बात हो गई है।

हम खाद्य सुरक्षा की उस मंजिल पर पहुँच चुके हैं कि हमारे सुरक्षित भण्डार भी बहुत पर्याप्त माने जा रहे हैं किन्तु अभी भी हमारी बैंकिंग व्यवस्था उचित नहीं बन पाई है। इसका प्रमुख कारण है। औपचारिक साख संस्थाओं का चिरकालिक निम्न निष्पादन और किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर किश्तों का नहीं चुना पाना। कृषि ऋणों की वसूली नहीं हो पाने की समस्या बहुत गंभीर है। अनेक अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि लगभग 50 प्रतिशत व्यतिकामी इच्छित व्यतिकामी हैं। ये व्यक्ति ग्रामीण बैंक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए एक गंभीर खतरा बन चुके हैं जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

अत: सुधारों के बाद से बैंकिंग क्षेत्र के प्रसार एवं उन्नति में कमी हुई है। स्थिति में सुधार लाने के लिए बैंकों को अपनी कार्य-प्रणाली में बदलाव लाने की आवश्यकता है ताकि वे केवल ऋणदाता और ऋण लेने के बीच एक सेतु का काम करें। उन्हें किसानों को बताना कि वे अपने वित्तीय स्रोतों का कुशलतम प्रयोग कर सकें।

प्रश्न 7.
कृषि विपणन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कृषि विपणन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिससे देश में उत्पादित कृषि पदार्थों का संग्रह, भण्डारण, प्रसंस्करण, परिवहन, बैंकिंग वर्गीकरण और वितरण आदि किया जाता है।

प्रश्न 8.
कृषि विपणन प्रक्रिया की कुछ बाधाएँ बताएँ?
उत्तर:
कृषि विपणन प्रक्रिया में कुछ बाधाएँ निम्नलिखित हैं –

  1. तौल में हेरा-फेरी होना।
  2. किसानों को बाजार में कृषि उत्पादों के प्रचलित भावों का पता न होना।
  3. माल रखने के लिए अच्छी भण्डारण सुविधाएँ न होना।
  4. कृषि उत्पादन का क्षतिग्रस्त होना।

प्रश्न 9.
कृषि विपणन के कुछ उपलब्ध वैकल्पिक माध्यमों की उदाहरण सहित चर्चा करें।
उत्तर:
यदि किसान स्वयं ही उपभोक्ता को अपना उत्पादन बेच सके तो उसे उपभोक्ता द्वारा चुकाई गई कीमत का अपेक्षाकृत अधिक अंश प्राप्त होगा। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कृषक बाजार इसी प्रकार से विकसित हो रहे हैं। इस प्रकार से विकसित हो रहे वैकल्पिक क्रय-विक्रय माध्यम के कुछ प्रमुख उदाहरण इस प्रकार हैं –

  1. आंध्र प्रदेश की रायचूबाज फल मंडी।
  2. तमिलनाडु की उझावर मंडी।
  3. पुणे की हाड़पसार मंडी।

प्रश्न 10.
स्वर्णिम क्रांति की व्याख्या करें।
उत्तर:
स्वर्णिम क्रांति:
1991-2003 ई. की अवधि को ‘स्वर्णिम क्रांति’ के आरम्भ का काल मानते हैं। इसी अवधि में बागवानी में सुनियोजित निवेश बहुत ही अधिक उत्पादक सिद्ध हुआ और इस क्षेत्र के एक धारणीय वैकल्पिक रोजगार का रूप धारण किया। भारत आम, केला, नारियल, काजू जैसे फलों और अनेक मसालों के उत्पादन में तो आज विश्व का अग्रणी देश माना जाता है। कुल मिलाकर फल, सब्जियों के उत्पादन में हमारा दूसरा स्थान है। बागवानी में लगे बहुत से कृषकों की आर्थिक दशा में काफी सुधार हुआ है। ये उद्योग अब अनेक वंचित लोगों के लिए भी आजीविका को बेहतर बनाने में सहायक हुए हैं।

प्रश्न 11.
सरकार द्वारा कृषि सुधार के लिए अपनाए गए धार उपायों की व्याख्या करें?
उत्तर:
कृषि विपणन के विभिन्न पहलुओं को सुधारने के लिए किए गए चार प्रमुख उपाय निम्न थे –
1. बाजार का नियमन:
पहला कदम व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दिशाओं का निर्माण करने के लिए बाजार का नियमन करना था। इस नीति से कृषक और उपभोक्ता, दोनों ही वर्ग लाभान्वित हुए हैं। हालाँकि, लगभग 27,000 ग्रामीण क्षेत्रों में अनियत मंडियों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है, जिससे ग्राम्य क्षेत्रों को मंडियों की वास्तविक क्षमताओं का लाभ उठा पाना संभव हो सके।

2. भौतिक आधारित संरचनाओं का विकास:
दूसरा महत्त्वपूर्ण उपाय सड़कों, रेलमार्गों, भंडारगृहों, गोदामों, शीतगृहों और प्रसंस्करण इकाइयों के रूप में भौतिक आधारित संरचनाओं का प्रावधान किया जाना था। किन्तु, अभी तक वर्तमान आधारित सुविधाएं बढ़ती माँग को देखते हुए अपर्याप्त सिद्ध हुई हैं, जिनहें सुधारने की आवश्यकता है।

3. उत्पादों का उचित मूल्य:
तीसरे उपाय में सरकारी विपणन द्वारा किसानों को अपने उत्पादों का उचित मूल्य सुलभ कराना है। गुजरात राज्य तथा देश के अन्य कई भागों में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों ने ग्रामीण अंचलों के सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्य का कायाकल्प कर दिया है। किन्तु, अभी भी कुछ स्थानों पर सहकारिता आंदोलन में कुछ कमियाँ दिखाई देती हैं। इनके कारण हैं-सभी कृषकों को सहकारिताओं में शामिल नहीं कर पाना, विपणन और प्रसंस्करण सहकारी समितियों के मध्य संबंध सूत्रों का न होना और अकुशल वित्तीय प्रबंधन।

4. नीतिगत साधनों की उपलब्धता:
चौथे उपाय के अन्तर्गत वे साधन हैं-जैसे –

  • कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित करना
  • भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूँ और चावल के सुरक्षित भंडार का रख-रखाव और
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (राशन व्यवस्था) के माध्यम से खाद्यान्नों और चीनी का वितरण। इन साधनों का ध्येय क्रमशः किसानों को उपज के उचित दाम दिलाना तथा गरीबों को सहायिकी युक्त (Subsidised) कीमत पर वस्तुएँ उपलब्ध कराना है।
  • यद्यपि सरकार के इन सभी प्रयासों के बाद भी आज तक कृषि मंडियों पर निजी व्यापारियों (साहूकारों, ग्रामीण राजनीतिज्ञ सामंतों, बड़े व्यापारियों तथा और किसानों) का वर्चस्व बना हुआ है।
  • सरकारी संस्थाएँ और सहकारिताएँ सकल कृषि उत्पादन के मात्र 10 प्रतिशत अंश के आदान-प्रदान में सफल हो पा रही हैं-शेष सभी भी निजी व्यापारियों के हाथो में ही हैं।

प्रश्न 12.
ग्रामीण विविधीकरण में गैर कृषि रोजगार का महत्त्व समझाइये?
उत्तर:
आज ग्रामीण क्षेत्रों को अनेक प्रकार के उत्पादक कार्यों की ओर उन्मुख कर वहाँ। एक नए उत्साह और स्फूर्ति का संचार करना आवश्यक हो गया है। यही ग्रामीण विविधीकरण है। ये कार्य हो सकते हैं-डेरी उद्योग, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, फल-सब्जी उत्पादन और ग्रामीण उत्पादन केन्द्रों व शहरी बाजारों (विदेशी निर्यात बाजारों सहित) के वोन संपर्क सूत्रों की रचना। इस प्रकार, कृषि उत्पादन में लगे निवेश पर अधिक प्रतिलाभ अर्जित करना संभव हो पाएगा। यही नहीं, आधारिक संरचना जैसे, साख एवं विपणन, कृषक-हित-नातियाँ तथा कृषक समुदायों एवं राज्य कृषि विभागों के मध्य निरंतर संवाद और समीक्षा इस क्षेत्र को पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने में सहायक हैं।

आज हम पर्यावरण और ग्रामीण विकास को दो अलग-अलग विषय मान कर व्यवहार नहीं कर सकते। नई पर्यावरण-मित्र प्रौद्योगिकी विकल्पों के अविष्कार या प्राप्ति की भी आवश्यकता है, जिससे विभिन्न परिस्थितियों का सामना होने पर भी हम धारणीय विकास की दिशा में अग्रसर हो पाएँ। इन विकल्पों में से प्रत्येक ग्राम्य समुदाय अपनी स्थानीय परिसिथतियों के अनुरूप चयन कर सकता है। अतः हमारा पहला काम तो सभी उपलब्ध विधियों में से सर्वश्रेष्ठ की पहचान कर उसे चुनना ही होगा। ताकि इसे ‘व्यावहारिक प्रशिक्षण’ प्रक्रिया को और गति प्रदान की जा सके।

प्रश्न 13.
विविधीकरण के स्रोत में से पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी के महत्त्व पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
विविधीकरण के स्रोत (Source of Diversification):
विविधीकरण के कई स्रोत हैं। उनमें मुख्य पशुपालन, मत्स्यपालन और बागवानी हैं। इन तीनों स्रोतों के महत्त्व का नीचे वर्णन किया गया है।

1. पशुपालन (Animal Husbandary):
छोटे और सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों और अन्य ग्रामीण निर्धनों की एक बड़ी संख्या लाभप्रद रोजगार प्राप्त करने के लिए पशुधन पर निर्भर है। पशुपालन देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह क्षेत्र ऊन, खालें और चमड़ों जैसे जन-उपयोग के अनेक उत्पादों की व्यवस्था करता है। छोटे व सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों को बेहतर पशुधन उत्पादन के माध्यम से धारणीय रोजगार विकल्प का स्वरूप प्रदान किया जा सकता है। पशुपालन में गाय, भैंस, बत्तख, मुर्गियों आदि का पालन निहित है।

पशुपालन से परिवार की आय में स्थिरता आती है। साथ ही खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ईंधन, पोषण आदि की व्यवस्था भी परिवार की अन्य खाद्य उत्पादक कृषक गतिविधियों में अवरोध के बिना प्राप्त हो जाती है। आज का पशुपालन क्षेत्रक देश के 7 करोड़ छोटे व सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों को आजीविका कमाने के वैकल्पिक साधन सुलभ करा रहा है।

2. मत्स्य पालन (Fishing):
मत्स्य उद्योग को देश की खाद्यान्न पूर्ति, पोषक तत्त्व, रोजगार के अवसर तथा निर्यात आय में वृद्धि करने की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस उद्योग में देश ने गौरवशाली वृद्धि की है। भारत में मत्स्य उत्पादन सकल घरेलू उत्पाद का 1.4. प्रतिशत है।

3. बागवानी (Gardening):
इसे उद्यान विज्ञान भी कहते हैं। बागवानी उद्योग के अंतर्गत फल, सब्जियाँ, रेशेदार फसलें, औषधीय तथा सुगन्धित पौधे, मसाले, चाय, कॉफी इत्यादि उत्पाद आते हैं। ये उत्पाद रोजगार के साथ-साथ भोजन और पोषण उपलब्ध कराने में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं। इनसे हमें विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। बागवानी में सुनियोजित निवेश बहुत ही उत्पादक सिद्ध हुआ और इस क्षेत्रक ने एक धारणीय वैकल्पिक रोजगार का रूप धारण कर लिया है।

बागवानी में लगे लगभग सभी कृषकों की आर्थिक दशा में काफी सुधार हुआ है। ये उद्योग अनेक वंचित वर्गों के लिए भी आजीविका को श्रेष्ठ बनाने में सहायक हो गए हैं। अनुमानतः इस समय देश की 19 प्रतिशत श्रम शक्ति को इस क्षेत्र से रोजगार मिल रहा है।

प्रश्न 14.
‘सूचना प्रौद्योगिकी’ धारणीय विकास तथा खाद्य सुरक्षा की प्राप्ति में बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान करती है। टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
हम जानते हैं कि सूचना प्रौद्योगिकी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के अनेक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। अब 21 वीं सदी में देश में खाद्य सुरक्षा और धारणीय विकास में सूचना प्रौद्योगिकी के निर्णायक योगदान के विषय में सर्वसम्मति बन चुकी है। इस सम्मति का कारण है. कि, अब सूचनाओं और उपयुक्त सॉफ्टवेयर का. प्रयोग कर सरकार सहज ही खाद्य असुरक्षा की आशंका वाले क्षेत्रों का समय रहते पूर्वानुमान लगा सकती है। इस प्रकार समाज ऐसी विपत्तियों की संभावनाओं को कम या पूरी तरह से समाप्त करने में भी सफल हो सका है। कृषि क्षेत्र में तो इसे विशेष योगदान हो सकते हैं। इस प्रौद्योगिकी द्वारा उदीयमान तकनीकों, कीमतों, मौसम तथा विभिन्न फसलों के लिए मृदा की दशाओं की उपयुक्तता की जानकारी का प्रसारण किया जा सकता है।

सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने एक ज्ञान आधारित अर्थतंत्र का सूत्रपात कर दिया है-जो औद्योगिक क्रांति से हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। स्वयं में सूचना प्रौद्योगिकी कुछ भी नहीं बदल सकी, किन्तु यह जानमानस में बसी सृजनात्मक संभाव्यता और उनके ज्ञान संचय के यंत्र के रूप में कार्य कर सकती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च स्तर पर रोजगार के अवसरों को उत्पन्न करने की संभाव्यता भी है। भारत के अनेक भागों में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग ग्रामीण विकास के लिए हो रहा है।

प्रश्न 15.
जैविक कृषि क्या है? यह धारणीय विकास को किस प्रकार बढ़ावा देती है?
उत्तर:
जैविक कृषि-जैविक कृषि खेती करने की वह पद्धति है जो पर्यावरणीय संतुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण और संवर्धन करती है। जैविक कृषि तथा धारणीय विकास-रसायनिक आगतों से उत्पादित खाद्य की तुलना में जैविक विधि से उत्पादित भोज्य पदार्थों में पोषण तत्त्व अधिक होते हैं। अतः जैविक कृषि हमें अधिक स्वास्थ्यकर भोजन उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त जैविक कृषि में श्रम आगतों का प्रयोग परम्परागत कृषि की अपेक्षा अधिक होता है। अत: भारत जैसे देशों में यह अधिक आकर्षण होगा। इसके अतिरिक्त ये उत्पाद विषाक्त रसायनों से मुक्त तथा पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय विधियों द्वारा उत्पादित होते हैं। इस तरह जैविक कृषि धारणीय विकास को बढ़ावा देती है।

प्रश्न 16.
जैविक कृषि के लाभ और सीमाएँ स्पष्ट करें।
उत्तर:
जैविक कृषि के निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. जैविक कृषि में प्रयोग किए जाने वाले आगत सस्ते होते हैं और इसी कारण इन पर निवेश से प्रतिफल अधिक होते हैं।
  2. जैविक कृषि उत्पादों की काफी माँग विश्व के अन्य देशों में है। अतः इनके निर्यात से भी काफी अच्छी आय हो सकती है।
  3. रासायनिक आगतों से उत्पादित खाद्य की तुलना में जैविक विधि से उत्पादित भोज्य पदार्थों में पोषण तत्त्व भी अधिक होते हैं। अत: जैविक कृषि हमें अधिक स्वास्थ्यकर भोजन उपलब्ध करवाती है।
  4. जैविक कृषि में श्रम आगतों का प्रयोग परम्परागत कृषि की अपेक्षा अधिक होता है। अतः भारत जैसे देश में यह अधिक आकर्षक होगी।

जैविक कृषि की सीमाएँ:
जैविक कृषि की मुख्य सीमाएँ निम्नलिखित हैं –

  1. जैविक कृषि संवर्धन के लिए उपयुक्त नीतियों का अभाव है।
  2. जैविक कृषि के उत्पादों के विपणन की समस्या है।
  3. प्रारंभिक वर्षों में जैविक कृषि की उत्पादकता रासायनिक कृषि से कम रहती है। अतः बहुत बड़े स्तर पर छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसे अपनाना कठिन होगा।
  4. जैविक उत्पादों को रासायनिक उत्पादों की अपेक्षा शीघ्र खराब होने की भी संभावना रहती है।
  5. बे-मौसमी फसलों का जैविक. कृषि में उत्पादन बहुत सीमित होता है।

प्रश्न 17.
जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को आरम्भिक वर्ष में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:
जैविक कृषि का प्रयोग करने वाले किसानों को आरम्भिक वर्ष में निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है –

  1. प्रारम्भिक वर्षों में जैविक कृषि की उत्पादकता रसायनिक कृषि से कम रहती है।
  2. जैविक उत्पादों के रासायनिक उत्पादों की अपेक्षा शीघ्र खराब होने की संभावना रहती है।
  3. बेमौसमी फसलों का जैविक कृषि उत्पादन बहुत सीमित होता है।

Bihar Board Class 11 Economics ग्रामीण विकास Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किन कारणों से ग्रामीण विकास में बाधाएँ आ रही हैं?
उत्तर:
अपर्याप्त आधारिक संरचना, उद्योग तथा सेवा क्षेत्रक में वैकल्पिक रोजगार के अवसरों के अभाव और अनियत रोजगार में वृद्धि आदि के कारण ग्रामीण विकास में बाधायें आ रही हैं।

प्रश्न 2.
धारणीय विकास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धारणीय विकास से अभिप्राय विकास की उस प्रक्रिया से है जो भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरी करने की योग्यता के बिना कोई हानि पहुँचाये वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करती है।

प्रश्न 3.
कृषि साख से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कृषि साख से अभिप्राय है-कृषि के लिए खाद, बीज, ट्रैक्टर, हल आदि खरीदने, पारिवारिक खर्चे और शादी, मृत्यु तथा धार्मिक अनुष्ठानों के लिए कृषकों द्वारा ऋण लेना।

प्रश्न 4.
कृषि साख के मुख्य साधन लिखें।
उत्तर:
कृषि साख के मुख्य साधन हैं –

  1. साहूकार
  2. सहकारी साख समितियाँ
  3. व्यावसायिक बैंक
  4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  5. भूमि विकास बैंक

प्रश्न 5.
नाबार्ड का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
नाबार्ड का पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (National Bank for Agricultural and Rural Development) है।

प्रश्न 6.
नाबार्ड की स्थापना कब की गई थी?
उत्तर:
नाबार्ड की स्थापना 1982 ई. में की गई थी।

प्रश्न 7.
एस. एच. जी. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
एस. एच. जी. का पूरा नाम स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) है।

प्रश्न 8.
2003 ई. के अन्त तक कितने साख प्रदान करने वाले स्वयं सहायता समूह भारत में कितने भागों में काम कर रहे थे?
उत्तर:
लगभग 7 लाख।

प्रश्न 9.
हमारी ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था अभी तक उचित नहीं बन पाई है। इसके कारण लिखें।
उत्तर:
निम्न कारणों से हमारी ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था अभी तक उचित नहीं बन पाई है –

  1. औपचारिक साख संस्थाओं का चिरकालिक निम्न निष्पादन।
  2. किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर किश्तों को नहीं चुका पाना।

प्रश्न 10.
कृषि विपणन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कृषि विपणन वह प्रक्रिया है जिससे देश भर में उत्पादित कृषि पदार्थों का संग्रह, भण्डारण, प्रसंस्करण, परिवहन, पैकिंग वर्गीकरण और वितरण आदि किया जाता है।

प्रश्न 11.
कितने कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित की गई है?
उत्तर:
24 कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित की गई है।

प्रश्न 12.
भारतीय खाद्य निगम किन-किन खाद्यान्नों के सुरक्षित भण्डारण का रख-रखाव करता है?
उत्तर:
भारतीय खाद्य निगम गेहूँ और चावल के सुरक्षित भण्डारण का रख-रखाव करता है।

प्रश्न 13.
नीतिगत साधनों का क्या ध्येय है?
उत्तर:
नीतिगत साधनों का ध्येय किसानों को उचित दाम दिलाना तथा गरीबों को सस्ते कीमत पर वस्तुएँ उपलब्ध करवाना है।

प्रश्न 14.
सरकार के अनेक प्रयत्नों के बाद भी आज तक कृषि मंडियों पर किन लोगों का वर्चस्व बना हुआ है?
उत्तर:
सरकार के अनेक प्रयत्नों के बाद भी आज तक कृषि मंडियों पर निजी व्यापारियों (साहूकारों, ग्रामीण राजनीतिज्ञ, सामंतों, बड़े व्यापारियों तथा अमीर किसानों) का वर्चस्व बना हुआ है।

प्रश्न 15.
सरकारी संस्थाएँ तथा सहकारिताएँ सकल कृषि उत्पादन के कितने प्रतिशत अंश के आदान-प्रदान में सफल हो पाई हैं?
उत्तर:
सरकारी संस्थाएँ तथा सहकारिताएँ सकल कृषि उत्पादन के मात्र 10 प्रतिशत अंश के आदान-प्रदान में सफल हो पाई हैं।

प्रश्न 16.
कृषि उत्पाद के वैकल्पिक क्रय-विक्रय माध्यम के कुछ उदाहरण दें।
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपनी मंडी, पुणे की हड़पसार मंडी, आन्ध्र प्रदेश की रायचूनाज.नामक फल-सब्जी मंडियों तथा तमिलनाडु की उझावर मंडी के कृषक बाजार कृषि उत्पाद वैकल्पिक क्रय-विक्रय माध्यम के कुछ उदाहरण हैं।

प्रश्न 17.
विविधीकरण के दो पहलू लिखें।
उत्तर:
विविधीकरण के दो पहलू हैं –

  1. फसलों के उत्पादन के विविधीकरण से सम्बन्धित
  2. श्रम शक्ति को खेती से हटाकर अन्य सम्बन्धित कार्यों तथा गैर-कृषि क्षेत्रक में लगाना

प्रश्न 18.
विविधीकरण के लाभ लिखें।
उत्तर:

  1. विविधीकरण द्वारा खेती के आधार पर आजीविका कमाने में जोखिम को कम करता है।
  2. यह ग्रामीण जन समुदाय को उत्पादक और वैकल्पिक धारणीय आजीविका का अवसर उपलब्ध करता है।

प्रश्न 19.
भारत का अधिक भाग कृषि में किस ऋतु की फसल से जुड़ा रहता है?
उत्तर:
भारत में अधिक भाग खरीफ की फसल से जुड़ा रहता है।

प्रश्न 20.
भारत की बढ़ती हुई श्रम-शक्ति के लिए अन्य गैर-कृषि कार्यों में वैकल्पिक रोजगार की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि कृषि क्षेत्र पर पहले से ही बहुत बोझ है।

प्रश्न 21.
गैर कृषि अर्थतंत्र के गतिशील उपघटक लिखें।
उत्तर:
कृषि प्रसंस्करण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, चर्म उद्योग, तथा पटसन उद्योग।

प्रश्न 22.
पशुपालन में कौन-कौन सी प्रजातियाँ हैं?
उत्तर:
पशुपालन में गाय, भैंस, बकरियाँ, मुर्गी-बत्तख आदि बहुतायत में पाई जाने वाली प्रजातियाँ हैं।

प्रश्न 23.
पशुपालन के लाभ लिखें।
उत्तर:
लाभ:

  1. पशुपालन से परिवार की आय में स्थिरता आती है।
  2. इससे खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ईंधन, पोषण आदि की व्यवस्था भी परिवार की अन्य खाद्य उत्पादक (कृषि गतिविधियों में अवरोध के बिना) प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 24.
आज पशुपालन क्षेत्रक देश के कितने छोटे या सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों को आजीविका कमाने का वैकल्पिक साधन सुलभ करा रहा है?
उत्तर:
आज पशुपालन क्षेत्र देश के 7 करोड़ छोटे व सीमांत किसानों और भूमिहीन श्रमिकों को आजीविका कमाने का वैकल्पिक साधन सुलभ करा रहा है।

प्रश्न 25.
पशुपालन में सबसे बड़ा अंश किसका है और कितना है?
उत्तर:
पशुपालन में सबसे बड़ा अंश मुर्गीपालन का है। यह अंश 42 प्रतिशत है।

प्रश्न 26.
ऑप्रोशन फ्लड क्या है?
उत्तर:
ऑप्रेशन फ्लड विश्व का सबसे बड़ा एकीकृत डेयरी विकास कार्यक्रम है।

प्रश्न 27.
1960-2002 की अवधि में देश में दुग्ध उत्पादन कितना बढ़ा है?
उत्तर:
1960-2002 की अवधि में देश में दुग्ध उत्पादन चार गुणा से अधिक बढ़ा है।

प्रश्न 28.
ऑप्रेशन फ्लड का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
ऑप्रेशन फ्लड का मुख्य उद्देश्य डेयरी सहकारी समितियों को संगठित करके ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों और शहरी उपभोक्ताओं के बीच कड़ी स्थापित करना है।

प्रश्न 29.
ऑप्रेशन फ्लड के अन्तर्गत क्या-क्या क्रियाएँ की जाती हैं?
उत्तर:
ऑप्रेशन फ्लड के अन्तर्गत सभी किसान अपना विक्रय योग्य दुग्ध एकत्रित करके उसकी गुणवत्ता के अनुसार प्रसंस्करण करते हैं और फिर उसे शहरी केन्द्रों में सहकारिता के माध्यम से बेचा जाता है।

प्रश्न 30.
आजकल देश के समस्त उद्योग का कितना प्रतिशत अंश अंतर्वर्ती क्षेत्रों से प्राप्त होता है?
उत्तर:
49 प्रतिशत।

प्रश्न 31.
आजकल देश के समस्त मत्स्य उत्पादन का कितना प्रतिशत अंश महासागरीय क्षेत्रों से प्राप्त हो रहा है?
उत्तर:
51 प्रतिशत।

प्रश्न 32.
मत्स्य उत्पादन सकल घरेलू उत्पाद का कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
1.4 प्रतिशत।

प्रश्न 33.
सागरीय उत्पादों में प्रमुख राग्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सागरीय उत्पादों में प्रमुख राज्य केरल, गुजराज, महाराष्ट्र और तमिलनाडु हैं।

प्रश्न 34.
मछुआरों की मुख्य समस्याएँ लिखें।
उत्तर:
मछुआरों की प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं –

  1. सामाजिक, आर्थिक स्तर का नीचा होना
  2. निम्न रोजगार
  3. प्रति व्यक्ति निम्न आय
  4. अन्य कार्यों की ओर श्रम के प्रवाह का अभाव
  5. उच्च निरक्षरता दर तथा
  6. गंभीर ऋणग्रस्तता

प्रश्न 35.
भारत में विभिन्न प्रकार के बागान उत्पाद लिखें।
उत्तर:
फल, सब्जियाँ, रेशेदार फसलें, औषधीय तथा सुगन्धित पौधे, मसाले, चाय कॉफी के उत्पादन में बगान उत्पादन का बहुत बड़ा योगदान है।

प्रश्न 36.
बागवानी का महत्त्व लिखें।
उत्तर:
बागवानी रोजगार का अवसर प्रदान करती है। यह भोजन और पोषण उपलब्ध कराने में योगदान देती है।

प्रश्न 37.
किस अवधि को स्वर्णिम क्रांति के आरम्भ का काल माना जाता है?
उत्तर:
1991-2003 ई. की अवधि को ‘स्वर्णिम क्रांति’ के आरम्भ का काल माना जाता है।

प्रश्न 38.
भारत किन फलों के उत्पादन में आजीविका का अग्रणी देश माना जाता है?
उत्तर:
भारत आम, केला, नारियल, काजू जैसे फलों के उत्पादन में आज विश्व का अग्रणी देश माना जाता है।

प्रश्न 39.
फल, सब्जियों के उत्पादन में हमारा विश्व में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
फल, सब्जियों के उत्पादन में हमारा विश्व में दूसरा स्थान है।

प्रश्न 40.
बागवानी को बढ़ावा देने के लिए क्या-क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर:
बागवानी को बढ़ावा देने के लिए बिजली, शीतगृह व्यवस्था, विवणन माध्यमों का विकास, लघु स्तरीय प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना और प्रौद्योगिकी की उन्नयन और प्रसार के लिए आधारिक संरचनाओं में निवेश किया जाना चाहिए।

प्रश्न 41.
ग्रामीण विकास क्या है?
उत्तर:
ग्रामीण विकास से अभिप्राय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उन घटकों के विकास पर बल देना है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास में पिछड़ गए हैं।

प्रश्न 42.
ग्रामीण विकास के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए? (कोई दो बिन्दु लिखें)।
उत्तर:
ग्रामीण विकास के लिए हमें अनाजों, फलों, सब्जियों के उत्पादन में लगे कृषक समुदायों को उत्पादकता बढ़ाने में विशेष सहायता देनी होगी। गैर कृषि उत्पादक क्रियाकलापों जैसे खाद्य-प्रसंस्करण, स्वास्थ्य सुविधाओं को अधिक उपलब्ध करवाना होगा।

प्रश्न 43.
1990 ई. के दशक में कृषि की संवृद्धि दर घटकर कितनी रह गई थी?
उत्तर:
1990 ई. के दशक में कृषि की संवृद्धि दर घटकर 2.3% रह गई थी।

प्रश्न 44.
1990 ई. के दशक में कृषि की संवृद्धि दर में कमी का कारण लिखें।
उत्तर:
1991 ई. के बाद सार्वजनिक निवेश में आई गिरावट के कारण 1990 ई. के दशक में कृषि की संवृद्धि दर में कमी आई।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए महात्मा गाँधी ने कौन-सा विचार दिया था?
उत्तर:
गाँधी के अनुसार केवल कुछ शहरी उद्योग केन्द्रों का विस्तार करना अर्थव्यवस्था की प्रगति नहीं है इसके लिए मुख्य रूप से गाँवों को विकसित करना होगा। आजादी प्राप्ति के वक्त भारत की तीन चौथाई से भी अधिक जनसंख्या गाँवों में रहती थी और आजीविका निर्वहन के लिए कृषि पर निर्भर थी। गाँधी ने गाँव व कृषि के महत्त्व को ध्यान में रखकर गाँव की आर्थिक संवृद्धि को ही अर्थव्यवस्था की कस्तविक संवृद्धि माना।

प्रश्न 2.
भारत में कृषि क्षेत्र की संवृद्धि घटने के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारत में कृषि क्षेत्र की संवृद्धि घटने के कारण –

  1. सार्वजनिक निवेश में गिरावट।
  2. अपर्याप्त आधारिक संरचना।
  3. विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में वैकल्पिक अवसरों की कमी।
  4. रोजगार के मामले में अस्थायित्व बढ़ना।

प्रश्न 3.
ग्रामीण भारत के लिए जरूरी बातों की सूची बताएँ।
उत्तर:

  1. साख प्रणाली।
  2. विपणन/बाजार व्यवस्था।
  3. कृषि क्षेत्र में विविधता।
  4. धारणीय आर्थिक विकास।

प्रश्न 4.
निर्धन महिलाओं के बैंक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
1995 थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी की स्थापना की गई थी। यह निर्धन महिलाओं की लघु बचतों को प्रोत्साहित करने की शुरूआत थी। इसका प्रमुख उद्देश्य लघु बचतों को बढ़ना था। इसे ‘कुटुम्ब श्री’ के नाम से भी जाना जाता है। यह निर्धनता उन्मूलन के लिए सामुदायिक आधार पर महिलाओं द्वारा संचालित कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम सर्वप्रथम केरल में आरम्भ किया गया था। थ्रिफ्ट एंड क्रेडिट सोसायटी ने लगभग एक करोड़ रुपये की बचतों को एकत्रित किया। औपचारिक रूप से साख सृजन करने के लिए एशिया में थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी सर्वाधिक हैं।

प्रश्न 5.
हमारी ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की खामियाँ लिखिए।
उत्तर:

  1. हमारे ग्रामीण बैंकों द्वारा सृजन की गई साख निम्न स्तर पर है।
  2. किसानों द्वारा समय पर किस्त अदा न करना।
  3. व्यावसायिक एवं अन्य औपचारिक वित्तीय संस्थाएँ लोगों को बचत करने एवं ऋण किस्तों को जमा कराने के लिए प्रोत्साहन न दे सकी।
  4. जानबूझ कर ऋण. की वापसी न करना।
  5. आर्थिक सुधारों से ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली को धक्का लगा।

प्रश्न 6.
गाँव में बैंकिंग व्यवस्था के सुचारु रूप से संचालन हेतु उपाय सुझाइए।
उत्तर:

  1. बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं को अपना दृष्टिकोण बदलना चाहिए।
  2. किसानों एवं मजदूरों का प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे औपचारिक साख का प्रयोग करने की आदत डालें।
  3. किसानों को अधिशेष आय बैंकों में जमा कराने एवं समय पर ऋण की किस्त चुकाने के लिए प्रेरित किया जाए।
  4. ग्रामीण लोगों को ज्यादा से ज्यादा ऋण किस्त समय पर चुकाने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाए।

प्रश्न 7.
ग्रामीण बाजार को सुधारने के क्या उपाय हो सकते हैं?
उत्तर:
सरकारी हस्तक्षेप के साथ ग्रामीण बाजार व्यवस्था एक लम्बी यात्रा तय कर चुकी है। आर्थिक सुधार 1991 लागू होने के बाद ग्रामीण बाजार व्यवस्था को वैश्वीकरण के माध्यम से अनेक विकल्प प्राप्त हो गए हैं। आजकल बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा काम कर रही हैं। इसलिए इस बाजार व्यवस्था को ठीक करने के लिए निम्नलिखित उपायों का अनुकरण करना चाहिए –

  1. माप-तौल उपकरण एवं बटे उपयुक्त होने चाहिए।
  2. गाँवों को नगरों एवं शहरों से जोड़ने के लिए पर्याप्त आधारिक संरचना का विकास किया जाना चाहिए।
  3. भण्डारण एवं शीत भण्डार की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  4. किसानों को जागरूक बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 8.
ग्रामीण विकास में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक सुधारों ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश के हरेक भाग एवं क्षेत्र में अपना कारोबार फैलाने के अवसर प्रदान कर दिए हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ ग्रामीण बाजार की ओर अग्रसित हो रही हैं। वे निम्न प्रकार से किसानों के हित में कार्य कर रही हैं:

  1. वे किसानों से अनुबंध कर रही हैं।
  2. वे वांछनीय गुणवत्ता वाले फल, सब्जियों, अनाजों आदि का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही हैं।
  3. वे किसानों को बीज एवं अन्य कृषि आगतों को उपलब्ध कराती हैं।
  4. वे कृषि फसलों के लिए पूर्व निर्धारित कीमत की पेशकश करती हैं।

प्रश्न 9.
तमिलनाडु में कृषि क्षेत्र में महिलाओं’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
तमिलनाडु में कृषि क्षेत्र में महिलाओं को संक्षेप में TANWA भी कहते हैं। यह एक कार्य योजना है जिसके अन्तर्गत महिलाओं को कृषि क्षेत्र नई एवं विकसित कृषि तकनीकों की जानकारी प्रदान की जाती है। यह कार्य योजना महिलाओं को कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने एवं परिवार की आय बढ़ाने के लिए प्रभावपूर्ण सहभागिता के लिए प्रेरित करती है।

प्रशिक्षित महिलाओं का समूह त्रिचनापल्ली में एक फार्म चलाता है। वे वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करती हैं और एक अच्छी खासी आय अर्जित करती हैं। कुछ अन्य महिला समूह ‘सूक्ष्म बचत योजना, के माध्यम से साख सृजन के कार्य में संलग्न हैं। बचत द्वारा एकत्रित वित्त को लघु एवं कुटीर उद्योगों को साख प्रदान करते हेतु ऋण दिया जाता है। उदाहरण के लिए, मशरूम का उत्पादन, साबुन विनिर्माण, गुड़िया विनिर्माण आदि के विनिमय करके आय अर्जित करती हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पशुपालन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
पशुपालन वह व्यवस्था है जिसमें पालतू पशुओं का पोषण एवं देखभाल की जाती है। भारत में फसलों एवं पशुपालन की मिश्रित व्यवस्था पुराने समय से ही विद्यमान है। पशुपालन ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी क्रियाकलाप है। इससे लोगों की आय में स्थायित्व, भोजन, सुरक्षा, परिवहन, ईंधन एवं पोषण सभी प्राप्त होते हैं। पशुपालन से कृषि क्रियाओं में भी हस्तक्षेप नहीं होता है। 70 मिलियन से भी अधिक सीमांत किसान कृषि मजदूर, पशुपालन के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।

इस क्षेत्र में महिलाओं की अच्छी खासी तादाद कार्यरत है। भारत में मवेशियों की संख्या बहुत अधिक है। पशुपालन में मत्स्य पालन की भागीदारी सर्वाधिक है। कई दशकों से भारतीय डेरी उद्योग अच्छा कार्य कर रहा है। 1960 2002 के मध्य के चार दशकों में दूध का उत्पादन चार गुना बढ़ गया है। डेरी उद्योग (Operation flood) 1966 के उपरांत फला-फूला है।

घनत्व के आधार पर किसान अपना दूध जमा करवाते हैं और सहकारिता के माध्यम से उसका विक्रय शहरों व नगरों में किया जाता है। इस व्यवस्था से दूध का उचित मूल्य एवं आय स्थायित्व प्राप्त होता है। दूध सहकारिता के क्षेत्र में गुजरात भारत का सबसे सफल राज्य है। इस क्षेत्र में विविधता लाने के लिए मांस, अण्डे, ऊन आदि का उत्पादन भी बढ़ रहा है।

प्रश्न 2.
भारत में बागवानी का संक्षिप्त ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:
बागवानी के लिए वातावरण, मिट्टी की बनावट एवं प्रकार की विविधता के कारण कई फायदे हैं। फल, सब्जियाँ, फूल, औषधीय पौधे, सजावटी पौधे, मसाले व पेड़ बागवानी के अन्तर्गत उगाए जाते हैं। इन फसलों का उत्पादन करने से रोजगार, आय एवं पोषण उन लोगों के प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होता है जो बागवानी से जुड़े हुए हैं।

1991-2003 के दौरान इस क्षेत्र में किया गया निवेश अत्यधिक उत्पादक एवं स्थायी रोजगार का जरिया बन गया था। सुनहरी क्रांति के माध्यम से भारत आम, केला, नारियल, एवं विभिन्न किस्मों के मसालों के उत्पादन में विश्व नेता बनने की राह पर चल पड़ा था। दुनिया में भारत का फल एवं सब्जी उत्पादन में दूसरा स्थान है। फूल उत्पादन, नर्सरी देखभाल, उन्नत किस्म के बीजों का उत्पादन, टिशू कल्चर आदि क्रियाकलाप ऊँची आय एवं रोजगार प्रदान कर रहे हैं। भारत के कुल कार्य बल का 19 प्र.श. भाग इस कार्य में रोजगार प्राप्त कर रहा है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –

  1. प्रत्येक गाँव-एक ज्ञान का केन्द्र।
  2. महाराष्ट्र में जैविक आधार पर सूत उत्पादन।

उत्तर:
1. प्रत्येक गाँव-एक ज्ञान का केन्द्र:
1995 में ‘जमशेद जी टाटा राष्ट्रीय वरचुअल एकेडेमी’ की स्थापना ग्रामीण विकास के लिए की गई थी। यह एकेडेमी एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउन्डेशन ने श्री रतन टाटा ट्रस्ट मुम्बई के समर्थन से स्थापित की थी। इस संस्थान ने गाँव की जानकारी रखने वाले लाखों लोगों को चिहित किया और उन्हें संस्थान का फैलो बनाकर नामांकन किया।

इस कार्यक्रम में न्यूनतम कीमत पर इनफो-किओस्क (INFO KIOSK) प्रदान किया जाता है और प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका मालिक अनेक सेवाएं प्रदान करके अच्छी खासी आय कमा लेता है। भारत सरकार इस कार्यक्रम को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। INFO KIOSK में P.C. के साथ इंटरनेट; वीडियो फोटो कैमरा लगा होता है।

2. महाराष्ट्र में जैविक आधार पर कपास (सूत) उत्पादन:
कपास के उत्पादन में कीटनाशक दवाइयों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। 1995 में किशन मेहता ने जैविक आधार पर कपास उत्पादन का विचार प्रदान किया या बिना कीटनाशक रसायनों के कपास का उत्पादन केन्द्रीय कपास अनुसंधान केन्द्र के निदेशक महोदय ने श्री महता के विचार का समर्थन किया।

130 किसानों को ‘इंटरनेशनल फैडरेशन ऑफ एग्रीकल्चर मूवमेन्टस स्टैण्डर्डस्’ के अनुसार जैविक आधार पर कपास उगाने के लिए मजबूर किया गया। दि जर्मन एक्रेडिटिड एजेंसी (AGRECO) ने उत्पाद की जाँच करके बताया कि उत्पादन उच्च गुणवत्ता वाला है। श्री मेहता के अनुसार जैविक कृषि पूरे भारत में छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए लाभदायक होगी।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कौन-सी फसल के लिए रासायनिक कीटनाशकों का सर्वाधिक प्रयोग होता है –
(a) कपास
(b) गेहूँ
(c) चावल
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कपास

प्रश्न 2.
सीमांत किसानों की जोत का औसत आकार है –
(a) 2 हेक्टेयर
(b) 5 हेक्टेयर
(c) 0.8 हेक्टेयर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) 0.8 हेक्टेयर

प्रश्न 3.
जैविक कृषि उत्पादों का मूल्य सामान्य कृषि उत्पादों से लगभग ज्यादा होता है –
(a) 20-200 प्र.श.
(b) 10-100 प्र.श.
(c) 10-150 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 10-100 प्र.श.

प्रश्न 4.
एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउन्डेशन स्थित है –
(a) दिल्ली
(b) मुम्बई
(c) चेन्नई
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) चेन्नई

प्रश्न 5.
श्री रल टाटा ट्रस्ट स्थित है –
(a) पटना
(b) बंगलोोर
(c) बंगलौर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बंगलोोर

प्रश्न 6.
ऑप्रेशन फ्लड का संबंध है –
(a) दूध उत्पादन
(b) चावल उत्पादन
(c) तेल उत्पादन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) दूध उत्पादन

प्रश्न 7.
ऑप्रेशन गोल्डन रेवोल्यूशन (सुनहरी क्रांति) संबंधित है –
(a) मत्स्य पालन
(b) डेरी फॉर्मिंग
(c) बागवानी
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) बागवानी

प्रश्न 8.
मत्स्य पालन में कितने प्र.श. कार्य बल महिला वर्ग है –
(a) 60 प्र.श.
(b) 40 प्र.श.
(c) 50 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 60 प्र.श.

प्रश्न 9.
अन्तर्राष्ट्रीय मत्स्य बाजार में महिला कार्य बल का प्र.श. है –
(a) 60 प्र.श.
(b) 40 प्र.श.
(c) 50 प्र.श.
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 40 प्र.श.

प्रश्न 10.
भारत के सकल घरेलू उत्पादन में मत्स्य उद्योग का कितना योगदान है –
(a) 1.4 प्र.श
(b) 2 प्र.श.
(c) 1.1 प्र.श..
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1.4 प्र.श

प्रश्न 11.
भारत में लगभग मवेशियों की संख्या है –
(a) 287 मिलियन
(b) 90 मिलियन
(c) 170 मिलियन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 287 मिलियन

प्रश्न 12.
गतिशील उपक्षेत्र में शामिल है –
(a) कृषि परिशोधन उद्योग
(b) बागवानी
(c) मत्स्य पालन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) कृषि परिशोधन उद्योग


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