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Monday, June 20, 2022

BSEB Class 11 Geography Climate Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Climate Book Answers

BSEB Class 11 Geography Climate Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Climate Book Answers
BSEB Class 11 Geography Climate Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Climate Book Answers


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Bihar Board Class 11th Geography Climate Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Geography Climate
Chapters All
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Bihar Board Class 11 Geography जलवायु Text Book Questions and Answers

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
शीतकाल में तमिलनाडु के तटीय मैदान में किस कारण वर्षा होती है ………………
(क) दक्षिण-पश्चिम मानसून
(ख) उत्तर-पूर्व मानूसन
(ग) शीतोषण चक्रवात
(घ) स्थानिक पवनें।
उत्तर:
(ख) उत्तर-पूर्व मानूसन

प्रश्न 2.
कितने प्रतिशत भाग में भारत में 75 सेमी से कम वार्षिक वर्षा होती है?
(क) आधे
(ख) दो-तिहाई
(ग) एक तिहाई
(घ) तीन चौथाई
उत्तर:
(घ) तीन चौथाई

प्रश्न 3.
दक्षिणी भारत के संबंध में कौन-सा कथन सही नहीं है …………………
(क) दैनिक तापान्तर कम है
(ख) वार्षिक तापान्तर कम है
(ग) वर्षभर तापमान अधिक है
(घ) यहाँ कठोर जलवायु है
उत्तर:
(घ) यहाँ कठोर जलवायु है

प्रश्न 4.
जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर लम्बवत् चमकता है तो क्या होता है ……………..
(क) उत्तर पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब
(ख) उत्तर पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब
(ग) उत्तर पश्चिमी भाग में तापमान-वायुदाब में
(घ) उत्तर पश्चिमी भाग में लू चलती है।
उत्तर:
(क) उत्तर पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब

प्रश्न 5.
भारत के किस देश प्रदेश में कोपेन के ‘AS’ वर्ग की जलवायु है …………………
(क) केरल तथा कर्नाटक
(ख) अण्डमान निकोबार द्वीप
(ग) कोरोमण्डल तट
(घ) असम-अरुणाचल
उत्तर:
(ग) कोरोमण्डल तट

प्रश्न 6.
भारत में किस प्रकार की जलवायु पायी जाती है?
(क) उष्ण मौनसूनी
(ख) भूमध्य सागरीय
(ग) उष्ण मरुस्थलीय
(घ) सागरीय
उत्तर:
(क) उष्ण मौनसूनी

प्रश्न 7.
उत्तर:पूर्वी मौनसून से सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाले राज्य है?
(क) आसाम
(ख) पं० बंगाल
(ग) तमिलनाडु
(घ) उड़ीसा
उत्तर:
(ग) तमिलनाडु

प्रश्न 8.
उत्तर भारत में गृष्मकाल में तीव्रगति से चलने वाली गर्म हवायें कहलाती है ……………..
(क) हरमट्टन
(ख) लू
(ग) टाइफून
(घ) इरिकेन
उत्तर:
(ख) लू

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
भारतीय मौसम तंत्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक इस प्रकार हैं

  1. वायुदाब एवं पवनों का धरातल पर वितरण
  2. भूमण्डलीय मौसम को नियत्रित करनेवाले कारकों एवं विभिन्न वायु संहतियों एवं जेट प्रवाह के अंतर्वाह द्वारा उत्पन्न ऊपरी वायुसंचरण
  3. शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभों तथा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून काल में उष्ण कटिबंधीय अवदाबों के भारत में अंतवर्हन के कारण उत्पन्न वर्षा की अनुकूल दशाएँ।

प्रश्न 2.
अंत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?
उत्तर:
विषुवत् पर स्थित अंतः कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र एक निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में व्यापारिक पवनें मिलती हैं। अतः इस क्षेत्र में वायु ऊपर उठने लगती है। जुलाई के महीने में आई० टी० सी० जेड 20° से 25° उत्तरी अक्षांशों के आस-पास गंगा के मैदान में स्थित हो जाता है। इसे कभी-कभी मानूसनी गर्त भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
मानसून प्रस्फोट से आपका क्या अभिप्राय है? भारत में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले स्थान का नाम लिखिए।
उत्तर:
अंत: उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति में परिवर्तन का सम्बन्ध हिमालय के दक्षिण में उत्तरी मैदान के ऊपर से पश्चिमी जेट-प्रवाह द्वारा अपनी स्थिति के प्रत्यावर्तन से भी है, क्योंकि पश्चिमी जेट-प्रवाह के इससे खिसकते ही दक्षिणी भारत में 15° उत्तर अक्षांश पर पूर्वी जेट-प्रवाह विकसित हो जाता है। इसे पूर्वी जेट-प्रवाह को भारत में मानसून के प्रस्फोट (Brust) के लिए जिम्मदार माना जाता है।

  • मेघालय की पहाड़ियों जैसे चेरापूँजी आदि जगहों पर भारत में सबसे अधिक 200 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है। मेघालय की
  • पहाड़ियों जैसे चेरापूँजी आदि जगहों पर भारत में सबसे अधिक 200 सेमी से भी अधिक वर्षा होती है।

प्रश्न 4.
जलवायु प्रदेश क्या होता है? कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार कौन-से हैं?
उत्तर:
भारत की जलवायु मानसुन प्रकार की है। इसमें मौसम के तत्त्वों के मेल से अनेक क्षेत्रीय विभिन्नताएँ प्रदर्शित होती हैं। यही विभिन्नताएँ जलवायु के उप-प्रकारों में देखी जा सकती हैं। इसी आकार पर जलवायु प्रदेश पहचाने जा सकते हैं। तापमान और वर्षा जलवायु के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं, जिन्हें जलवायु वर्गीकरण की सभी पद्धतियों में निर्णयक माना जाता हैं। कोपेन ने अपने जलवायु वर्गीकरण का आधार तापमान तथा वर्षण के मासिक मानों को रखा है। उन्होंने जलवायु के पाँच प्रकार माने हैं –

  • उष्ण जलवायु
  • शुष्क जलवायु
  • गर्म जलवायु
  • हिम जलवायु
  • बर्फी- जलवायु

प्रश्न 5.
उत्तर:पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? वे चक्रवात कहाँ उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को क्षीण शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों द्वारा होने वाली शीतकालीन वर्षा रबी की फसलों के लिए अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होती हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं। भारत में इनका प्रवाह पश्चिमी जेट प्रवाह द्वारा होता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य होते हुए भी, भारत की जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानूसन पवनों की व्यवस्था भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एकता को बल प्रदान करती है। मानसून जलवायु की व्यापक एकता के इस दृष्टिकोण से किसी को भी जलवायु की प्रादेशिक भिन्नताओं की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए । यही भिन्नता भारत के विभिन्न प्रदेशों के मौसम और जलवायु को एक-दूसरे से अलग करती है। उदाहरण के लिए दक्षिण में केरल तथा तमिलनाडु की जलवायु उत्तर में उत्तर:प्रदेश तथा बिहार की जलवायु से अलग है। फिर भी इन सभी राज्यों की जलवायु मानसून प्रकार की है। भारत की जलवायु में अनेक प्रादेशिक भिन्नताएँ हैं, जिन्हें पवनों के प्रतिरूप, तापक्रम और वर्षा, ऋतुओं की लय तथा आर्द्रता एवं शुष्कता की मात्रा में भिन्नता के रूप में देखा जाता है।

गर्मियों में पश्चिमी मरुस्थल में तापक्रम कई बार 55° सेल्सियस को स्पर्श कर लेता है, जबकि सर्दियों में लेह के आस-पास ज्ञापमान -45° सेल्सिय तक गिर जाता हैं। राजस्थान के चुरू जिले में जून के महीने में किसी एक दिन का तापमान 50° सेल्सियस अथवा इससे अधिक हो जाता है, जबकि उसी दिन अरूणाचल प्रदेश के तवांग जिले में तापमान मुश्किल से 19° सेल्यिस तक पहुँचता है। दिसम्बर की किसी रात में जम्मू और कश्मीर के द्रास में रात तक का तापमान – 45° सेल्सियस का या 22° सेल्सियस रहता है। उपर्युक्त उदाहरण पुष्टि करते हैं कि भारत में एक स्थान से दूसरे स्थान पर तथा एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र के तापमान में ऋतुवत् अंतर पाया जाता है।

इतना ही नहीं, यदि हम किसी एक स्थान के 24 घण्टों का तापमान दर्ज करें तो उसमें विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। उदाहरण: केरल और अण्डमान द्वीप समूह में दिन और रात के तापमान में मुश्किल से 7 या 8° सेल्सियस का अन्तर पाया जाता है, जबकि थार मरुस्थल में यदि दिन का तापमान 50° सेल्सियस हो जाता है, तो वहाँ रात का तापमान 15° से 20° सेल्सियस के बीच आ पहुँचता है। हिमालय में वर्षण मुख्यतः हिमपात के रूप में होता है, जबकि देश के अन्य भागों में वर्षण जल की बूंदों के रूप में होता है। मेघालय जहाँ वर्षा 180° सेमी से ज्यादा होती है। इसके विपरीत जैसलमेर(राजस्थान) में औसत वार्षिक वर्षा शायद 9 सेमी के लगभग होती है। इन सभी भिन्नताओं और विविधताओं के बावजूद भारत की जलवायु अपनी लय और विशिष्टता में मानसूनी है।

प्रश्न 2.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं? किसी एक मौसम की दशाओं का सविस्तार व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत की जलवायवी दशाओं को उसके वार्षिक ऋतु चक्र के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ ढंग से व्यक्त किया जा सकता है। मौसम वैज्ञानिक वर्ष को निम्नलिखित चार ऋतुओं में बाँटते हैं –

  • शीत ऋतु
  • ग्रीष्म ऋत
  • दक्षिणी – पश्चिमी मानसून की ऋतु और
  • मानसून के निवर्तन की ऋतु ।

शीत ऋतु : तापमान-सामान्यतया उत्तरी भारत में शीत ऋतु नवम्बर के मध्य से आरम्भ होती है। उत्तरी मैदान में जनवरी और फरवरी सर्वाधिक ठण्डे महीने होते हैं। इस समय उत्तरी भारत के अधिक भागों में औसत दैनिक तापमान 21° सेल्सियस से कम रहता है। रात्रि का तापमान काफी कम हो जाता है, जो पंजाब व राजस्थान में हिमांक (0° सेल्सियस) से भी नीचे चला जाता है। इस मौसम में, उत्तरी भारत में अधिक ठंडा पड़ने के मुख्य रूप से तीन कारक हैं

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य समुद्र के समकारी प्रभाव से दूर स्थित होने के कारण महाद्वीपीय जलवायु का अनुभव करते हैं; निकटवर्ती हिमालय की श्रेणियों में हिमपात के कारण शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और फरवरी के आस-पास कैस्पियन सागर और तुर्कमेनिस्तान की ठण्डी पवने उत्तरी भारत में शीत लहर ला देती हैं। ऐसे अवसरों पर देश के उत्तर:पश्चिम भागों में पाला कोहरा भी पड़ता है।

वायुदाब तथा पवनें-दिसम्बर के अंत तक (22 दिसम्बर) सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर सीधा चमकता है। इस ऋतु में मौसम की विशेषता उत्तरी मैदान में एक क्षीण उच्च वायुदाब का विकसित होना है। 1,019 मिलीबार तथा 1,013 मिलीबार की समभार रेखाएँ उत्तर:पश्चिमी भारत तथा सुदूर दक्षिण से होकर गुजरती हैं। परिणामस्वरूप उत्तर:पश्चिमी उच्च वायुदाब क्षेत्र में दक्षिण में हिन्द महासागर पर स्थित निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर पवनें चलना आरम्भ कर देती हैं।

सर्दियों में भारत का मौसम सुहावन होता है। फिर भी यह सुहावना मौसम कभी-कभार हल्के चक्रवातीय वायुदाबों से बाधित होता रहता है। पश्चिमी विक्षोभ कहे जाने वाले ये चक्रवात पूर्वी भूमध्य सागर पर उत्पन्न होते हैं और पूर्व की ओर चलते हुए पश्चिमी एशिया, ईरान-अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान को पार करके भारत के उत्तर:पश्चिमी भागों में पहुँचते हैं। शीत ऋतु में अधिकांशतः भारत में वर्षा नहीं होती है। कुछ क्षेत्रों में शीत ऋतु में वर्षा होती है। उत्तर:पश्चिमी भारत में भूमध्यसागर से आने वाले कुछ क्षीण शीतोष्ण कटिबन्धीय चक्रवात पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा पश्चिमी उत्तर:प्रदेश में कुछ वर्षा करते हैं। यह वर्षा भारत में रबी की फसल के लिए उपयोगी होती है। उत्तर:पूर्वी पवने अक्टूबर से नवम्बर के बीच तमिलनाडु, दक्षिण आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी कर्नाटक तथा दक्षिण केरल में झंझावाती वर्षा करती है।

(ख) परियोजना कार्य (Project Work)

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए –

  1. शीतकालीन वर्षा के क्षेत्र।
  2. ग्रीष्म ऋतु में पवनों की दिशा।
  3. 50% से अधिक वर्षा की परिवर्तिता वाले क्षेत्र।
  4. जनवरी माह में 15° सेल्सियस से कम तापमान वाले क्षेत्र।
  5. भारत पर 100 सेंटीमीटर की समवर्षा रेखा।

उत्तर:
1. शीतकालीन वर्ष के क्षेत्र है पंजाब, हरियाणा, दिल्ली तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश तथा असम, तमिलनाडु, दक्षिण आंध्र प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी कर्नाटक तथा दक्षिण-पूर्वी करेल।

2. ग्रीष्म ऋतु में पवनों की दिशा।

चित्र 4.15 ग्रीष्म ऋतु में भारत पर 13 किमी से ज्यादा ऊँचाई पर पवनों की दिशा

3. 50 प्रतिशत से अधिक वर्षा की परिवर्तिता वाले क्षेत्र (देखें चित्र 4.12)

4. जनवरी माह में 15° सेल्सियस से कम तापवाले क्षेत्र (देखें चित्र 4.16)

5. भारत पर 100 सेंटीमीटर की समवर्षा रेखा (देखें चित्र 4.10)

Bihar Board Class 11 Geography जलवायु Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सबसे अधिक ठण्डे स्थान का नाम लिखें।
उत्तर:
द्रास (कारगिल)-(45°C)।

प्रश्न 2.
भारत में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान का नाम लिखें।
उत्तर:
चिरापूंजी के निकट भावसिनराम-1140 सेंटीमीटर वर्षा।

प्रश्न 3.
उस राज्य का नाम लिखें जहाँ सबसे कम तापमान में अन्तर होता है।
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 4.
भारत में सम जलवायु वाले तटीय राज्य का नाम लिखें।
उत्तर:
तमिलनाडु।

प्रश्न 5.
पूर्वी-मानसून पवनों की वर्षा का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
Mango Showers.

प्रश्न 6.
किन प्रदेशों में शीतकाल में रात को पाला पड़ता है?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा।

प्रश्न 7.
लू से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गर्मियों में गर्म धूलभरी चलने वाली पवनें।

प्रश्न 8.
उस क्षेत्र का नाम बताएँ जो दोनों ऋतुओं में वर्षा प्राप्त करता है?
उत्तर:
तमिलनाडु।

प्रश्न 9.
जलवायु से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी स्थान पर लम्बे समय का औसत मौसम।

प्रश्न 10.
भारत में सबसे गर्म स्थान का नाम बताइए।
उत्तर:
राजस्थान में बाड़मेर (50°C)।

प्रश्न 11.
ककरेखा द्वारा निर्मित दो जलवायु क्षेत्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय तथा शीतोष्ण कटिबन्धीय।

प्रश्न 12.
भारत के मध्य से कौन-सी आक्षांश रेखा गुजरती है?
उत्तर:
कर्क रेखा।

प्रश्न 13.
भारत में किस प्रकार का जलवायु मिलती है?
उत्तर:
उष्णकटिबन्धीय मानसून जलवायु।

प्रश्न 14.
उन पवनों के नाम बताएँ जो तमिलनाडु में वर्षा करती हैं।
उत्तर:

  1. बंगाल की खाड़ी एवं
  2. अरब सागर शाखा।

प्रश्न 15.
उन पवनों के नाम बताओं जो तमिलनाडु में वर्षा करती हैं?
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी मानसून।

प्रश्न 16.
वृष्टि छाया से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पर्वतीय भागों का विमुख ढलान।

प्रश्न 17.
वृष्टि छाया क्षेत्र का एक नाम बतायें।
उत्तर:
दक्कन पठार।

प्रश्न 18.
किस पर्वत के कारण दक्कन पठार वृष्टि छाया में है?
उत्तर:
पश्चिमी तट।

प्रश्न 19.
पठार तथा पहाड़ियाँ गर्मियों में ठण्डे क्यों होते हैं?
उत्तर:
अधिक उँचाई होने के कारण।

प्रश्न 20.
असम में कौन-सी फसल गर्मियों की वर्षा से लाभ प्राप्त करती है?
उत्तर:
चाय।

प्रश्न 21.
Mango Showers किन फसलों के लिये लाभदायक है?
उत्तर:
चाय तथा कहवा।

प्रश्न 22.
पूर्व मानसून से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मानसून का समय से पहले आने के कारण कुछ स्थानीय पवनें पूर्व मानसूनी वर्षा करती हैं।

प्रश्न 23.
कौन-सा तटीय मैदान दक्षिण पश्चिम मानसून से अधिकतम वर्षा प्राप्त करता है?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान।

प्रश्न 24.
भारत में जुलाई मास में किस भाग में न्यून वायुदाब होता है?
उत्तर:
सितम्बर मास में।

प्रश्न 25.
भारत के किस भाग में पश्चिमी विक्षोभ वर्षा करते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी भाग।

प्रश्न 26.
देश में किस भाग में ‘लू’ चलती है?
उत्तर:
उत्तरी मैदान।

प्रश्न 27.
भारतीय जलवायु में विशाल विविधता क्यों है?
उत्तर:
विशाल आकार के कारण।

प्रश्न 28.
उन पवनों का नाम बताओं जो ग्रीष्म ऋतु में चलती हैं।
उत्तर:
समुद्र से स्थल की ओर चलने वाली दक्षिण पश्चिम मानसून।

प्रश्न 29.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों द्वारा किन तटीय प्रदेशों में प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश पश्चिमी बंगाल तथा उड़ीसा।

प्रश्न 30.
अक्टूबर की गर्मी से क्या भाव है?
उत्तर:
अधिक आर्द्रता तथा गर्मी के कारण अक्टूबर का घुटन भरा मौसम।

प्रश्न 31.
मानसून प्रस्फोट से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
दक्षिण-पश्चिम मानसून का अचानक पहुँचना।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला स्थान कौन-सा है?
उत्तर:
भारत में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करनेवाला स्थान भावसिनराम (Bawsynaram) है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 1080 सेमी है। यह स्थान मेघालय में खासी पहाड़ियों की दक्षिणी ढाल कर 1500 मीटर की ऊचाई पर स्थित है। भावसिनराम में वर्षा की मात्रा 1187 सेमी है।

प्रश्न 2.
भारतीय मानसून की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
भारतीय मानसून व्यवस्था की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. वायु दिशा में परिवर्तन (मौसम के अनुसार)।
  2. मानसून पवनों का अनिश्चित तथा संदिग्ध होना।
  3. मानसून पवनों का प्रादेशिक स्वरूप भिन्न-भिन्न होते हुए भी जलवायु की व्यापक एकता।

प्रश्न 3.
पश्चिमी विक्षोभ क्या है? भारत के किस भाग में वे जाड़े की ऋतु में वर्षा लाते हैं?
उत्तर:
वायु मण्डलों की स्थायी दाब पेटियों में कई प्रकार के विक्षोभ उत्पन्न होते हैं। पश्चिमी विक्षोभ भी एक प्रकार के निम्न दाब केन्द्र (चक्रवात) हैं जो पश्चिमी एशिया तथा भूमध्यसागर के निकट के प्रदेशों में उत्पन्न होते हैं ये चक्रवात जेट प्रवाह (Jet Stream) के कारण पूर्व की ओर ईरान, पाकिस्तान तथा भारत की ओर आते है।

भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में जाड़े की ऋतु में ये चक्रवात क्रियाशील होते हैं। इन चक्रवातों के कारण जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश में वर्षा होती हैं। यह वर्षा रबी की फसल (Winter Crop) विशेषकर गेहूँ के लिए बहुत लाभदायक होती है। औसत वर्षा 20 सेमी से 50 सेमी तक होती है।

प्रश्न 4.
भारतीय मौसम की रचना तन्त्र को प्रभावित करनेवाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारतीय मौसम की रचना तन्त्र को निम्नलिखित तीन कारक प्रभावित करते हैं –

  1. दाब तथा हवा का धरातलीय वितरण जिसमें मानूसन पवनें कम वायु दाब क्षेत्रों की स्थिति महत्त्वपूर्ण कारक हैं।
  2. ऊपरी वायु परिसंचरण (Upper air circulation) में विभिन्न वायु राशियां तथा जेट प्रवाह महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं।
  3. विभिन्न वायु विक्षोभ (Atmospheric disturbances) में उष्ण कटिबन्धीय तथा पश्चिमी चक्रवात द्वारा वर्षा महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती है।

प्रश्न 5.
‘मानसून’ शब्द से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मानसून शब्द वास्तव में अरबी भाषा के शब्द ‘मौसम’ से बना है। मानसून शब्द का अर्थ-मौसम के अनुसार पवनों के ढांचे में परिवर्तन होना । मानसून व्यवस्था के अनुसार पवनें या मौसमी पवनें (Seasonal winds) चलती है जिनकी दिशा मौसम के अनुसार विपरीत हो जाती हैं। ये पवनें ग्रीष्मकाल के 6 मास समुद्र से स्थल कीओर तथा शीतकाल के 6 मास स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं।

प्रश्न 6.
पश्चिमी जेट प्रवाह जाड़े के दिनों में किस प्रकार पश्चिमी विक्षोम को भारतीय उपमहाद्वीपय में लाने में मदद करे हैं?
उत्तर:
जेट प्रवाह की दक्षिणी शाखा भारत में हिमालय पर्वत के दक्षिणी तथा पूर्वी भागें में बहती हैं। जेट प्रवाह की दक्षिणी शाखा की स्थिति 25° उत्तरी अक्षांश के ऊपर होते है। जेट प्रवाह की यह शाखा भारत में शीत काल में पश्चिमी विक्षोभ लाने में सहायता करती है। पश्चिमी एशिया तथा भूमध्यसागर के निकट निम्न दाब तन्त्र में ये विक्षोभ उत्पन्न होते हैं। इस जेट प्रवाह के साथ-साथ ईरान तथा पाकिस्तान को पार करते हुए भारत में शीतकाल में औसत रूप से चार-पाँच चक्रवात पहुंचाते हैं जो इस भाग में वर्षा करते हैं।

प्रश्न 7.
जेट प्रवाह क्यों हैं? समझदरां।
उत्तर:
मानसून पवनों की उत्पत्ति का एक कारण तीन ‘जेट प्रवाह’ भी माना है। ऊपरी वायुमण्डल में लगभग तीन किलोमीटर की ऊँचाई तक तीव्रगामी धाराएँ चलती हैं जिन्हें जेट प्रवाह (Jet Stream) का जाता है। ये जेट प्रवाह 20°S, 40°N अक्षांशों के मध्य नियमित रूप से चलती है। हिमालय पर्वत के अवरोध के कारण ये प्रवाह दो भागों में बँट जाते हैं-उत्तरी प्रवाह तथा दक्षिणी जेट प्रवाह । दक्षिणी प्रवाह भारत की जलवायु को प्रभावित करता है।

प्रश्न 8.
भारत में कितनी ऋतुएँ होती हैं? क्या उनकी अवधि में दक्षिण से उत्तर कोई अन्तर मिलता है? अगर हाँ तो क्यों?
उत्तर:
भारत के मौसम को ऋतुवत्, ढांचे के अनुसार चार ऋतुओं में बाँटा जाता है –

  • शीत ऋतु – दिसम्बर से फरवरी तक
  • ग्रीष्म ऋतु – मार्च से मध्य जून तक
  • वर्षा ऋतु – मध्य जून से मध्य सितम्बर तक
  • शरद् ऋतु-मध्य सितम्बर से दिसम्बर तक।

इन ऋतुओं की अवधि में प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं। दक्षिण से उत्तर की ओर जाते हुए विभिन्न प्रदेशों की ऋतुओं की अवधि में अन्तर पाया जाता है। दक्षिण भारत में स्पष्ट शीत ऋतु ही नहीं होती । तटीय भागों में कोई ऋतु परिवर्तन नहीं होता । दक्षिण भारत में सदैव ग्रीष्म ऋतु रहती है। इसका मुख्य कारण यह है कि दक्षिणी भाग उष्ण कटिबन्ध में स्थित है यहाँ सारा साल ग्रीष्म ऋतु रहती है, परन्तु उत्तरी भारत शीत-उष्ण कटिबन्ध में स्थित है। यहाँ स्पष्ट रूप में दो ऋतुएँ हैं-ग्रीष्म तथा शीत ऋतु।

प्रश्न 9.
मानसूनी वर्षा की तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
मानूसनी वर्षा की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं –

  1. मौसमी वर्षा
  2. अनशिचित वर्षा
  3. वर्षा का असमान वितरण
  4. वर्षा का लगातार न होना
  5. तट से दूर क्षेत्रों में कम वर्षा होना

प्रश्न 10.
‘मानसून प्रस्फोट’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर की मानसूनी पवनें दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में चलती है। यहाँ ये पवनें जून के प्रथम सप्ताह में अचानक आरम्भ हो जाती हैं। मानसून के इस अकस्मात आरम्भ को ‘मानसून प्रस्फोट’ (Mansoon Burst) कहा जाता है। क्योंकि मानसून आरम्भ होने पर बड़े जोर की वर्षा होती है। जैसे किसी ने पानी से भरा गुब्बारा फोड़ दिया हो।

प्रश्न 11.
लू (Loo) से आप क्या समझते है?
उत्तर:
लू एक स्थानीय हवा है। यह ग्रीष्म काल से उत्तरी भारत के कई भागों में दिन के समय चलती है। यह एक प्रबल, गर्म, धूल भरी हवा है जिसके कारण प्रायः तापमान 40°C से अधिक रहता है। लू की गर्मी असहनीय होती है जिससे प्रायः लोग इससे बीमार पड़ जाते हैं।

प्रश्न 12.
कोपेन की जलवायु वर्गीकरण की पद्धति किन दो तत्त्वों पर आधारित है?
उत्तर:
कोपेन ने भारत के जलवायु प्रदेशों का वर्गीकरण किया है। इस वर्गीकरण का आधार दो तत्त्वों पर आधारित है। इसमें तापमान तथा वर्षा के औसत मासिक मान का विश्लेषण किया गया है। प्राकृतिक वनस्पति द्वारा किसी स्थान के तापमान और वर्षा के प्रभाव को आंका जाता है।

प्रश्न 13.
उन चार महीनों के नाम बताइए जिन में भारत में अधिकतम वर्षा होती है।
उत्तर:
भारत में मौसमी वर्षा के कारण अधिकतर वर्षा ग्रीष्म काल के चार महीनों में होती है। इसे वर्षा ऋतु कहा जाता है। अधिकतम वर्षा जून-जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर के महीनों में ग्रीष्मकाल की मानसून पवनों द्वारा होती है।

प्रश्न 14.
भारत के अत्यधिक गर्म भाग कौन-कौन से हैं और उसके कारण क्या हैं?
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक तापमान राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाए जाते हैं। यहाँ ग्रीष्म ऋतु में बाड़मेर क्षेत्र में दिन का तापमान 48°C से 50°C तक पहुँच जाता है । इस प्रदेश में उच्च तापमान मिलने का मुख्य कारण समुद्र तल से दूरी है। यह प्रदेश के भीतरी भागों में स्थित है। यहाँ सागर का समकारी प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रीष्म काल में लू के कारण भी तापमान बढ़ जाता है। रेतीली मिट्टी तथा वायु में नमी के कारण भी तापमान ऊँचे रहते हैं।

प्रश्न 15.
भारत के अत्यधिक ठण्डे भाग कौन-कौन से हैं और क्यों?
उत्तर:
भारत के उत्तर:पश्चिम पर्वतीय प्रदेश में जम्म-कश्मीर, हिमाचल पर्वतीय प्रदेश में अधिक ठण्डे तापक्रम पाए जाते हैं। कश्मीर में कारगिल नामक स्थान पर तापक्रम न्यूनतम – 40°C तक पहुँच जाता है। इन प्रदेशों में अत्यधिक ठण्डे तापक्रम होने का मुख्य कारण यह है कि ये प्रदेश सागर तल से अधिक ऊँचाई पर स्थित है। इन पर्वतीय प्रदेशों में शीतकाल में हिमपात होता है तथा तापमान हिमांक से नीचे चला जाता है।

प्रश्न 16.
कौन-कौन से कारक भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान वितरण को नियंत्रित करते हैं?
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान वितरण में काफी अन्तर पाए जाते हैं। भारत मुख्य रूप से मानसून खण्ड में स्थित होने के कारण गर्म देश है, परन्तु कई कारकों के प्रभाव से विभिन्न प्रदेशों में तापमान वितरण में विविधता पाई जाती है। ये कारक निम्नलिखित हैं –

  • अक्षांश या भूमध्यरेखा से दूरी
  • धरातल का प्रभाव
  • पर्वतों की स्थिति
  • सागर से दूरी
  • प्रचलित पवनें
  • चक्रवातों का प्रभाव

प्रश्न 17.
अन्तर-उष्ण कटिबंधीय अभिसरण कटिबंध (I.T.C.Z) क्या है?
उत्तर:
अन्तर-उष्ण कटिबंधीय अभिसरण कटिबंध (I.T.C.Z) – भूमध्यरेखीय निम्न वायदाब कटिबन्ध है जो धरातल के निकट पाया जाता है। इसकी स्थिति उष्ण-कटिबंध के नीच सूर्य की स्थिति के अनुसार बदलती रहती है। ग्रीष्मकाल में इसकी स्थिति उत्तर की ओर दोनों दिशाओं में हवाओं के प्रवाह को प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 18.
भारत में गरमी की लहर का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत के कुछ भागों में मार्च से लेकर जुलाई के महीनों की अवधि में असाधारण रूप से गरम मौसम के दौर आते हैं। ये दौर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश की ओर खिसकते रहते हैं। इन्हें गरमी की लहर कहते हैं। गरमी की लहर से प्रभावित इस प्रदेशों के तापमान सामान्य ताप. से 6° सेंटीग्रेट अधिक रहते हैं। सामान्य से 8° सेंटीग्रेट या इससे अधिक तापमान के बढ़ जाने पर चलने वाली गरमी की लहर प्रचंड (serve) माना जाता है। इसे उत्तर भारत में ‘लू’ कहते हैं।

प्रखंड गरमी की लहर की अवधि जब बढ़ जाती है तब किसानों के लिए गंभीर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। बड़ी संख्या में मनुष्य और पशु मौत के मुंह में चले जाते हैं। दक्षिण के केरल और तमिलनाडु राज्यों तथा पांडिचेरी, लक्षद्वीप तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को छोड़कर – देश के लगभग सभी भागों में गरमी की लहर आती है। उत्तर पश्चिमी भारत और उत्तर:प्रदेश में सबसे अधिक गरमी की लहरें आती है। साल में कम से कम गरमी की एक लहर तो आती ही है।

प्रश्न 19.
कोपेन द्वारा जलवायु के प्रकारों के लिए अक्षरों का संकेत किस प्रकार प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
कोपेन ने जलवायु के प्रकारों को निर्धारित करने के लिए अक्षरों का संकेत के रूप में प्रयोग किया जैसे कि ऊपर दिया गया है। प्रत्येक प्रकार को उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है। इस विभाजन में तापमान और वर्षा के वितरण में मौसमी विभिन्नताओं को आधार बनाया गया है। उसने अंग्रेजी के बड़े अक्षर S को अर्द्ध मरूस्थल के लिए और W को मरूस्थल के लिए प्रयोग किया।

इसी तरह उप-विभागों को परिभाषित करने के लिए अंग्रेजी के निम्नलिखित छोटे अक्षरों का उपयोग किया है जैसे- f(पर्याप्त वर्षण), m (शुष्क मानसून होते हुए भी वर्षा) w, (शुष्क शीत ऋतु), (शुष्क और गरम), c (चार महीनों से कम अवधि में औसत तापमान 10° से अधिक) और g (गंगा का मैदान)।

प्रश्न 20.
भारतीय मानसून पर एल-नीनों का प्रभाव बताएँ।
उत्तर:
एल-नीनों और भारतीय मानसून-एल नीनों एक जटिल मौसम तन्त्र है। यह हर पाँच या दस साल बाद प्रकट होता रहता है। इसके कारण संसार के विभिन्न भागों में सूखा, बाढ और मौसम की चरम अवस्थाएँ आती हैं। महासागरीय और वायुमण्डलीय तन्त्र इसमें शामिल होते हैं। पूर्वी प्रशांत में यह पेरू के तट के निकट कोष्ण समुद्री धारा के रूप में प्रकट होता है।

इससे भारत सहित अनेक स्थनों का मौसम प्रभावित होता है। भारत में मानसून की लम्बी अवधि के पूर्वानुमान के लिए एल-नीनों का उपयोग होता है। सन् 1990-91 में एल-नीनों का प्रचंड रूप देखने को मिला था। इसके कारण देश के अधिकतर भागों में मानसून के आगमन में 5 से 12 दिनों तक की देरी हो गई थी।

प्रश्न 21.
भारत में अधिकतम एवं निम्नतम वर्षा प्राप्त वाले भाग कौन-कौन से हैं? कारण बताइए।
उत्तर:
अधिकतम वर्षा वाले भाग-भारत में अनलिखित प्रदेशों में 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है –

  • उत्तर-पूर्वी हिमालयी प्रदेश (गारो-खासी पहाड़िया)
  • पश्चिमी तटीय मैदान तथा पश्चिमी घाट

कारण – ये प्रदेश पर्वतीय प्रदेश हैं तथा मानसून पवनों के सम्मुख स्थित हैं। उत्तर-पूर्वी हिमालय प्रदेश में खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें वर्षा करती हैं। पश्चिमी घाट की सम्मुख ढाल पर अरब सागर की मानसून शाखा अत्यधिक वर्षा करती है।

निम्नतम वर्षा वाले भाग – भारत के निम्नलिखित भागों में 20 सेमी से कम वर्षा होती है –

  • पश्चिमी राजस्थान में थार मरुस्थल (बाड़मेर क्षेत्र)
  • कश्मीर में लद्दाख क्षेत्र
  • प्रायद्वीप में दक्षिण पठार

कारण – राजस्थान में अरावली पर्वत अरब सागर की मानसून पवनों के समानान्तर स्थित है। यह पर्वत मानसूनी पवनों को रोक नहीं पाता। इसलिए पश्चिमी राजस्थान शुष्क क्षेत्र रह जाता है। प्रायद्वीपीय पठार पश्चिमी घाट की दृष्टि छाया में स्थित होने के कारण वर्षा प्राप्त करता है।

प्रश्न 22.
राजस्थान का पश्चिमी भाग क्यों शुष्क है?
अथवा
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतु में राजस्थान का पश्चिमी भाग लगभग शुष्क रहता है’ इस कथन के पक्ष में तीन महत्त्वपूर्ण कारण दीजिए।
उत्तर:
राजस्थान का पश्चिमी भाग एक मरूस्थल है। यहाँ वार्षिक वर्षा 20 सेंटीमीटर से भी कम है। राजस्थान में अरावली पर्वत दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों के समानान्तर स्थित होने के कारण इन पवनों को रोक नहीं पाता । इसलिए यहाँ वर्षा नहीं होती । खाड़ी बंगाल की मानसून पवनें इस प्रदेश तक पहुँचते-पहुँचते शुष्क हो जाती हैं। ये पवनें नमी समाप्त होने के कारण वर्षा नहीं करतीं। यह प्रदेश हिमालय पर्वत से अधिक दूर है इसलिए यहाँ वर्षा का अभाव है।

प्रश्न 23.
भारत में शीत लहर का वर्णन करो।
उत्तर:
उत्तर पश्चिमी भारत में नवम्बर से लेकर अप्रैल तक ठंडी और शुष्क हवाएं चलती हैं। जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 6° सेंटीग्रेट नीचे चला जाता है. तब इसे शीत लहर कहते हैं। जम्म और कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में ठिठुराने वाली शीत लहर चलती है। जम्मू और कश्मीर में औसतन साल में कम से कम चार शीत लहर तो आती ही है। इसके विपरीत गुजरात और पश्चिमी मध्य प्रदेश में साल में एक शीत लहर आती है ठिठुराने वाली शीत लहरों की आवृत्ति पूर्व और दक्षिण की ओर घट जाती है। दक्षिणी राज्यों में सामान्यतः शीत लहर नहीं चलती।

प्रश्न 24.
भारत के पश्चिमी तटीय प्रदेशों में वार्षिक वर्षा के विचरण गुणांक न्यूनतम तथा कच्छ और गुजरात में अधिक वर्षा क्यों है?
उत्तर:
भारतीय वर्षा की मुख्य विशेषता इसमें वर्ष-दर-वर्ष होने वाली परिवर्तिता है एक ही स्थान पर किसी वर्ष वर्षा अधिक होती है तो किसी वर्ष बहत कम । इस प्रकार वास्तविक वर्षा की मात्रा औसतन वार्षिक से कम या अधिक हो जाती है। वार्षिक वर्षा की इस परिवर्तनशीलता को वर्षा की परिवर्तिता (variability of Rainfall) कहते हैं। यह परिवर्तिता निम्नलिखित फार्मूले से निकाली जाती है

माध्य इस मूल्य को विचरण गुणांक (Co-efficient of Variation) कहा जाता है। भारत के पश्चिमी तटीय प्रदेश में यह विचरण गुणांक 15% से कम है। यहाँ सागर समीपता के कारण मानसून पवनों का प्रभाव प्रत्येक वर्ष एक समान रहता है तथा वर्षा की मात्रा में विशेष परिवर्तन नहीं होता । कच्छ तथा गजरात में विचरण गुणांक 50% से 80% तक पाया जाता है। इन पवनों को रोकने के लिए ऊँचे पर्वतों का अभाव है। इसलिए वर्षा की मात्रा में अधिक उतार-चढ़ाव होता रहता है।

प्रश्न 25.
तमिलानाडु के तटीय प्रदेशों में अधिकांश वर्षा जाड़े में क्यों होती है?
उत्तर:
तमिलनाडु राज्य भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यहाँ शीतकाल की उत्तर:पूर्वी मानसून पवनें ग्रीष्मकाल की दक्षिण-पूर्वी मानसून पवनों की अपेक्षा अधिक वर्षा करती हैं। ग्रीष्मकाल में यह प्रदेश पश्चिमी घाट की वृष्टि छाया (Rain Shadow) में स्थित होने के कारण कम वर्षा प्राप्त करती हैं। शीतकाल में लौटती हुई मानसून पवनें खाड़ी बंगाल को पार करती हैं। इस प्रकार शीतकाल में यह प्रदेश आर्द्र पवनों के सम्मुख होने के कारण अधिक वर्षा प्राप्त करता है, परन्तु ग्रीष्मकाल में वृष्टि छाया में होने के कारण कम वर्षा प्राप्त करता है।

प्रश्न 26.
भारत में उत्तर:पश्चिम मैदान में शीत ऋतु में वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
भारत में उत्तर:पश्चिमी भाग में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश मैं शीतकाल में चक्रवातीय वर्षा होती है। ये चक्रवात पश्चिमी एशिया तथा भूमध्यसागर में उत्पन्न होते हैं तथा पश्चिमी जेट प्रवाह के साथ-साथ भारत में पहुँचते हैं। औसतन शीत ऋतु में 4 से 5 चक्रवात दिसम्बर से फरवरी के मध्य इस प्रदेश में वर्षा करते हैं। पर्वतीय भागों में हिमपात होता है। पूर्व की ओर वर्षा की मात्रा कम होती है। इन प्रदेशों में वर्षा 5 सेंटीमीटर से 25 सेंटीमीटर तक होती है।

प्रश्न 27.
भावसिनराम संसार में सर्वाधिक वर्षा क्यों प्राप्त करता है?
उत्तर:
भावसिनराम खासी पहाड़ियों (Meghalaya) की दक्षिणी ढलान पर 1500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 1187 सेंटीमीटर है तथा यह स्थान संसार में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान है। यह स्थान तीन ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ धरातल की आकृति कीपनुमा (Funnel Shape) बन जाती है।

खाड़ी बंगाल से आने वाली मानसून पवनें इन पहाडियों में फंस कर भारी वर्षा करती हैं। ये पवनें इन पहाड़ियों से बाहर निकलने का प्रयत्न करती हैं परन्तु बाहर नहीं निकल पातीं। इस प्रकार ये पवनें फिर ऊपर उठती हैं तथा फिर वर्षा करती हैं.। सन् 1861 में यहाँ 2262 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा रिकार्ड की गईं।

प्रश्न 28.
“मानसून भारत की मौसमी स्थितियों पर सभी प्रकार का समरूपक प्रभाव डाल रहा है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत मुख्य रूप से एक मानसूनी देश है। मानसून व्यवस्था देश की मौसमी स्थितियों पर एक समान समरूपक प्रभाव डालती है। प्रादेशिक अन्त होते हुए भी देश की जलवायु में एक व्यापक समरूपता पाई जाती है। राजस्थान के थार मरुस्थल से लेकर पश्चिमी बंगाल तथा आसाम के आर्द्र प्रदेशों तथा केरल के दक्षिणी प्रदेशों तक मानसून समस्त कृषि को एक सूत्र में बांधता है। सारे देश में निश्चित रूप से एक-जैसे मौसम पाए जाते हैं। ऋतुओं का बदलना, वायु राशियों तथा वायु-दबाव केन्द्रों की स्थिति मानसून व्यवस्था से ही सम्बन्धित है। देश के प्रत्येक भाग में कृषि व्यवस्था मानसून वर्षा पर निर्भर है। इस जलवायु में कई स्थानीय अन्तर पाए जाते हैं।

जैसे-तमिलनाडु तट पर शीतकाल में वर्षा होती है। उत्तर:पश्चिमी भारत में शीतकाल में विक्षोभ हल्की वर्षा करते हैं जबकि सारे देश में शुष्क शीत ऋतु होती है। ये स्थितियां भी मानसून पवनों के मौसमी दिशा परिवर्तन के कारण ही उत्पन्न होती हैं। हिमालय पर्वत की चाप ने भारतीय मानसून को परिबद्ध करके इसे एक विशिष्टता प्रदान की है। इस पर्वत माला की स्थिति भारतीय मानसून को दूसरे प्रदेशों से अलग करती हैं। इस परिबद्ध चरित्र के कारण भारतीय जलवायु में समरूपता (Unity of Climate) पाई जाती है।

प्रश्न 29.
भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी तटीय मैदान में अंतर बतायें।
उत्तर:
भारत के पश्चिम एवं पूर्व तटीय मैदान में अंतर उनकी निम्न परिभाषा में निहित हैं –

पश्चिमी तटीय मैदान (Western Coastal Plain) –

  • यह पश्चिमी तटीय मैदान पश्चिमी घाट तथा अरबसागर तट के मध्य गुजरात से कन्याकुमारी तक विसतुत है।
  • गजरात के कछ हिस्सों को छोड़कर यह सारा मैदान एक संकरा मैदान के स्वरूप में स्थित है जिसकी औसत चौड़ाई 64 किलोमीटर है।
  • मुंबई से गोआ तक इस. प्रदेश, को कोंकण तट मध्य भाग को कन्नड़ अथवा, कनारा तथा दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है।
  • इस तट पर अनेक बबूल के टीले तथा लैगून पाये जाते हैं।

पूर्वी तटीय मैदान (Eastern Coastal Plain) –

  • यह मैदान पूर्वी घाट तथा बंगाल की खाड़ी के मध्य गंगा मुहाने से दक्षिण में कन्याकुमारी तक विस्तृत है।
  • तमिलनाडु का पूर्वी तटीय मैदान चौड़ा है जिसकी 100-120 km की औसत चौड़ाई में विस्तार है।
  • भारत के पूर्वी तटीय मैदान महानदी, गोदावरी, कृष्णा आदि नदियों के डेल्टाओं द्वारा निर्मित होने के कारण बड़ा उपजाऊ है। इसे
  • महानदी एवं कृष्णा नदियों के बीच उत्तरी सरकार तथा कृष्णा एवं कावेरी नदियों के मध्य कोरोमंडल तट कहा जाता है।

प्रश्न 30.
भारतीय मौनसून की चार विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
भारतीय मौनसून की चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन।
  • मानसून पवनों का अनिश्चित तथा संदिग्ध होना।
  • मानसून पवनों के प्रादेशिक स्वरूप में भिन्नता होते हुए भी भारतीय जलवायु व्यापक एकरूपता प्रदान करना।
  • यद्यपि भारत का आधा भाग कर्क रेखा के उत्तर में पड़ता है किन्तु पूरे भारतवर्ष की जलवायु उष्ण कटिबंधीय मौनसून जलवायु है।

प्रश्न 31.
“जैसलमेर की वार्षिक शायद ही कभी 12 सेंटीमीटर से अधिक होती है।” कारण बताओ।
उत्तर:
जैसलमेर राजस्थान में अरावली पर्वत के पश्चिमी भाग में स्थित है। यह प्रदेश अरब सागर की मानसून पवनों के प्रभाव में है। यह पवनें अरावली पर्वत के समानान्तर चलती हई पश्चिम से होकर आगे बढ़ जाती हैं जिससे यहाँ वर्षा नहीं होती। बंगाल की खाड़ी मानसून तक पहुँचते-पहुँचते ये शुष्क हो जाती है। यह प्रदेश पनर्वतीय भाग से भी बहुत दूर हैं । इसलिए यह प्रदेश वर्षा ऋतु में शुष्क रहता है जबकि सारे भारत में वर्षा होती है। औसत वार्षिक वर्षा 12 सेंटीमीटर से भी कम है । इसके विपरीत गारो, खासी पहाड़ियों में भारी वर्षा होती है । इसलिए यह कहा जाता है कि गारो पहाड़ियों में एक दिन की वर्षा जैसलमेर की दस साल की वर्षा से अधिक होती है।

प्रश्न 32.
दक्षिण-पश्चिम मानसून की एक परिघटना इसकी क्रम भंग (वर्षा की अवधि के मध्य शुष्क मौसम के क्षण) की प्रवृत्ति क्यों है?
उत्तर:
भारत में अधिकतर वर्षा ग्रीष्मकाल की दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों द्वारा होती है। इन पवनों द्वारा वर्षा निरन्तर न होकर कुछ दिनों या सप्ताहों के अन्तर पर होती है। स काल में एक लम्बा शुष्क मौसम (Dry Spell) आ जाता है। इससे पवनों द्वारा वर्षा का क्रम भंग हो जाता है। इसका मुख्य कारण उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Depressions) हैं जो खाड़ी बंगाल अरब सागर में उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात मानसूनी वर्षा की मात्रा को अधिक करते हैं परन्तु इन चक्रवातों के अनियमित प्रवाह के कारण कई बार एक लम्बा शुष्क समय आ जाता है जिससे फसलों को क्षति पहुँचती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
“व्यापक जलवायविक एकता के होते हुए भी भारत की जलवायु में प्रादेशिक स्वरूप पाए जाते हैं।” इस कथन की पुष्टि उपयुक्त उदारहण देते हुए कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ पर अनेक प्रकार की जलवायु मिलती है परन्तु मुख्य रूप से भारत मानसून पवनों के प्रभावाधीन है। यह मानसून व्यवस्था दक्षिण-पूर्वी एशिया के मानसूनी देशों से भारत को जोड़ती है। इस प्रकार मानसून पवनों के प्रभाव के कारण देश में जलवायविक एकता पाई जाती है। फिर भी देश के विभिन्न भागों में तापमान वर्षा आदि जलवायु तत्त्वों में काफी अन्तर पाए जाते हैं । विभिन्न प्रदेशों की जलवायु के अलग-अलग प्रादेशिक स्वरूप मिलते हैं। ये प्रादेशिक अन्तर कई कारकों के कारण उत्पन्न होते हैं।

जैसे -स्थिति, समुद्र से दूरी, भूमध्य रेखा से दूरी, उच्चावच आदि। ये प्रादेशिक अन्तर एक प्रकार से मानसून जलवायु के उपभेद हैं। आधारभूत रूप से सारे देश में जलवायु की व्यापक एकता पाई जाती है। प्रादेशिक अन्तर मुख्य रूप से तापमान, वायु तथा वर्षा के ढांचे में पाए जाते हैं।

  • राजस्थान के मरुस्थल में, बाड़मेर में ग्रीष्मकाल में 50°C तक तापमान मापे जाते हैं। इसके पर्वतीय प्रदेशों में तापमान 20°C सेंटीग्रेड के निकट रहता है।
  • दक्षिणी भारत में सारा साल ऊँचे तापमान मिलते है तथा कोई शीत ऋतु नहीं होती। उत्तर:पश्चिमी भाग में शीतकाल में तापमान हिमांक से नीचे चले जाते हैं। तटीय भागों में सारा साल समान रूप से तापमान पाए जाते हैं।
  • दिसम्बर मास में द्रास एवं कारगिल में तापमान -40°C तक पहुँच जाता है जबकि तिरुवनन्तपुरम् तथा चेन्नई में तापमान +28°C रहता है।
  • इसी प्रकार औसत वार्षिक में भी प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं। एक ओर चेरापूंजी में (1080 सेंटीमीटर) संसार में सबसे अधिक वर्षा होती है तो दूसरी ओर राजस्थान शुष्क रहता है।
  • जैसलमेर में वार्षिक वर्षा शायद ही 12 सेंटीमीटर से अधिक होती है। गारो पहाडियों में स्थित तुरा नामक स्थान में एक ही दिन में उतनी वर्षा हो सकती है जितनी जैसलमेर में दस वर्षों में होती है।
  • एक ओर असम, बंगाल तथा पूर्वी तट पर चक्रवातों के कारण भारी वर्षा होती है तो दूसरी ओर दक्षिण तथा पश्चिम तट शष्क रहता है।
  • कई भागों में मानसूनी वर्षा जून से पहले सप्ताह में आरम्भ हो जाती है तो कई भागां में जुलाई में वर्षा की प्रतीक्षा हो रही होती है।
  • अधिकांश भागों में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है तो पश्चिमी भागों में शीतकाल में वर्षा होती है।
  • ग्रीष्मकाल में उत्तरी भारत में लू चल रही होती है परन्तु दक्षिणी भारत के तटीय भागों में सहावनी जलवाय होती है।
  • तटीय भागों में मौसम की विषमता महसूस नहीं होती परन्तु अन्तः स्थल स्थानों में मौसम विषम रहता है। शीतकाल में उत्तर:पश्चिमी भारत में काफी ऊँचे तापमान पाए जाते हैं।

इस प्रकार विभिन्न प्रदेशों में ऋतु की लहर लोगों की जीवन पद्धति में एक परिवर्तन तथा विभिन्नता उत्पन्न कर देती है। इस प्रकार इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि भारतीय जलवायु में एक व्यापक एकता होते हुए भी प्रादेशिक अन्तर पाए जाते है।

प्रश्न 2.
मानसूनी वर्षा की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए और देश की कृषि अर्थव्यवस्था में इसका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भारतीय वर्षा की विशेषताएँ (Characteristics of Indian Rainfall) –
1. मानसूनी वर्षा (Dependence on Monsoons) – भारत की वर्षा का लगभग 85% भाग ग्रीष्मकाल की मानसून पवनों द्वारा होता है। यह वर्षा 15 जून से 15 सितम्बर तक प्राप्त होती है जिसे वर्षा-काल कहते हैं।

2. अनश्चितता (Uncertainty) – भारत में मानसून वर्षा के समय के अनुसार एकदम अनिश्चिता है। कभी मानसून पवनें जल्दी और कभी देर से आरम्भ होती है जिससे नदियों में बाढ़ आ जाती हैं या फसल सूखे से नष्ट हो जाती है। कई बार मानसून पवनें निश्चित समय से पूर्व की समाप्त हो जाती हैं जिससे खरीफ की फसल को बड़ी हानि होती है।

3. असमान वितरण (Unequal Distribution)-भारत में वर्षा का प्रादेशिक वितरण असमान है। कई भागों में अत्याधिक वर्षा होती है जबकि कर प्रदेशों में कम वर्षा के कारण अकाल पड़ जाते हैं। देश के 10% भाग में 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है जबकि 25% भाग में 75 सेमी से भी कम।

4. मूसलाधार वर्षा (Heavy Rainfall) – मानसून वर्षा प्रायः मूसलाधार होती है। इसलिए कहा जाता है, It pours, it never rains in India.” मूसलाधार वर्षा से भूमि कटाव तथा नदियों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

5. पर्वतीय वर्षा (Relief Rainfall) – भारत में मानसून पवनें ऊँचे पर्वतों से टकरा कर भारी वर्षा करती हैं, परन्तु पर्वतों के विमुख ढाल वृष्टि छाय’ (Rain Shadow) में रहने के कारण शुष्क रह जाते हैं।

6. अन्तरालता (No Continuity) – कभी-कभी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिनों या सप्ताहों के अन्तर पर होती है। इस शुष्क समय (Dry Spells) के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं।

7. मौसमी वर्षा (Seasonal Rainfall) – भारत की 85% वर्षा केवल चार महीनों के वर्षा काल में होती है। वर्ष का शेष भाग शुष्क रहता है। जिससे कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। साल में वर्षा के दिन बहुत कम होते हैं।

8. संदिग्ध वर्षा (Variable Rainfall) – भारत के कई क्षेत्रों की वर्षा संदिग्ध है। यह आवश्यक नहीं है कि वर्षा हो या न हो। ऐसे प्रदेशों में अकाल पड़ जाते हैं। देश के भीतरी भागों में वर्षा विश्वासजनक नहीं होती।

9. भारतीय कृषि-व्यवस्था में मानसूनी वर्षा का महत्त्व (Significance of Monsoons in Agricultural System) – भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है। कृषि की सफलता मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। मानसूनी पवनें जब समय पर उचित मात्रा में वर्षा करती हैं तो कृषि उत्पादन बढ़ जाता है। मानसून की असफलता के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं। देश में सूखा पड़ जाता है तथा अनाज की कमी अनुभव होती है।

मानसूनी पवनों के समय से पूर्व आरम्भ होने से या देर से आरम्भ होने से भी कृषि को हानि पहुँचती है कई बार नदियों में बाढ़े आ जाती है जिससे फसलों की बुआई ठीक समय पर नहीं हो पाती। वर्षा के ठीक वितरण के कारण भी वर्ष में एक से अधिक फसलें उगाई जा सकती है। इस प्रकार कृषि तथा मानसून पवनों में गहरा सम्बन्ध है। जल सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने के कारण भारतीय कृषि को मानसूनी वर्षा पर ही निर्भर करना पड़ता है। कृषि पर ही भारतीय अर्थव्यवस्था टिकी हुई है।

कृषि से प्राप्त कच्चे माल पर कई उद्योग निर्भर करते हैं। कृषि ही किसानों की आय का एकमात्र साधन है। मानसून के असफल होने की दशा में सारे देश की आर्थिक व्यवस्था नष्ट-भ्रष्ट हो जाती है। इसलिए देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर तथा कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर है । इसलिए कहा जाता है कि भारतीय बजट मानसूनी जुआ है। (Indian budget is a gamble on monsoon.)।

प्रश्न 3.
भारत की जलवायु किन-किन तत्त्वों पर निर्भर हैं?
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहाँ पर अनेक प्रकार की जलवायु मिलती है” (There is great diversity of climate in India.”)। एक कथन के अनुसार, “विश्व की लगभग समस्त जलवायु भारत से मिलती है।” कहीं समुद्र के निकट सम जलवायु है तो कहीं भीतरी भागों में कठोर जलवायु है। कहीं अधिक वर्षा है तो कहीं बहुत कम। परन्तु भारत मुख्य रूप से मानसून खण्ड (Moonsoon Region) में स्थित होने के कारण एक गर्म देश है। निम्नलिखित तत्त्व भारत की जलवायु पर प्रभाव डालते हैं –

1. मानसून पवनें (Monsoons) – भारत की जलवायु मूलतः मानसून जलवायु है। यह जलवायु विभिन्न मौसमों में प्रचलित पवनों द्वारा निर्धारित होती है। शीत काल की मानसून पवनें स्थल की ओर से आती हैं तथा शुष्क और ठण्डी होती हैं, परन्तु ग्रीष्मकाल की मानसून पवनें समुद्र की ओर से आने के कारण भारी वर्षा करती है। इन्हीं पवनों के आधार पर भारत में विभिन्न मौसम बनते हैं।

2. देश का विस्तार (Extent) – देश के विस्तार का विशेष प्रभाव तापक्रम पर पड़ता है। कर्क रेखा भारत के मध्य से होकर जाती है। देश का उत्तरी भाग शीतोष्ण कटिबन्ध में और दक्षिणी भाग उष्ण कटिबन्ध में स्थित है। इसलिए उत्तरी भाग में शीतकाल तथा ग्रीष्म काल दोनों ऋतुएँ होती हैं, परन्तु दक्षिणी भाग सारा वर्ष गर्म रहता है । दक्षिणी भाग में कोई शीत ऋतु नहीं होती।

3. भूमध्य रेखा में समीपता (Nearness to Equator) – भारत का दक्षिण भाग भूमध्य रेखा के बहुत निकट है, इसलिए सारा वर्ष ऊँचे तापक्रम मिलते हैं। कर्क रेखा (Tropic of Cancer) भारत के मध्य से गुजरती है। इसलिए इसे एक गर्म देश माना जाता है।

4. हिमालय पर्वत की स्थिति (Location and Direction of the Himalayas) – हिमालय पर्वत की स्थिति का भारत की जलवायु पर भारी प्रभाव पड़ता है। (“The Himalayas act as aclimatic barrier”)। यह पर्वत मध्य एशिया से आने वाली बर्फीली पवनों को रोकता है और बंगाल से उठने वाली मानसून पवनें इसे पार नहीं कर पाती जिससे उत्तरी भारत में घनघोर वर्षा करती हैं। यदि हिमालय पर्वत बहत ऊँचा है तथा खाडी बंगाल से उठने वाली मानसन पवनें इसे पार नहीं कर पाती जिससे उत्तरी भारत में घनघोर वर्षा करती हैं। यदि हिमालय पर्वत न होता तो उत्तरी भारत एक मरुस्थल होता।

5. हिन्द महासागर से सम्बन्ध (Situation of India with respect to India ocean) – भारत की स्थिति हिन्द महासागर के उत्तर में है। ग्रीष्म काल में हिन्द महासागर पर अधिक वायु दबाव के होने के कारण ही मानसून पवनें चलती हैं। खाड़ी बंगाल से उठने वाली मानसून पवनें स्थलों पर चलती हैं। खाड़ी बंगाल, तमिलनाडु राज्य में शीतकाल की वर्षा का कारण बनता है। इस खाड़ी से ग्रीष्म काल में चक्रवात (Depressions) चलते हैं जो भारी वर्षा करते हैं।

6. चक्रवात (Cyclones) – भारत की जलवायु पर चक्रवात का विशेष प्रभाव पड़ता है। शीतकाल में पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में रूम सागर से आने वाले चक्रवातों द्वारा वर्षा होती है। अप्रैल तथा अक्टूबर महीने में खाड़ी बंगाल से चलने वाले चक्रवात भी काफी वर्षा करते हैं।

7. धरातल का प्रभाव (Effects of Relief) – भारत की जलवायु पर धरातल का गहरा प्रभाव पड़ता है। पश्चिमी घाट तथा असम में अधिक वर्षा होती है क्योंकि ये भाग पर्वतों के सम्मुख ढाल पर है, परन्तु दक्षिणी पठार विमुख ढाल पर होने के कारण दृष्टि छाया (Rain Shadow) में रह जाता है जिससे शुष्क रह जाता है। अरावली पर्वत मानसून पवनों के समानान्तर स्थित होने के कारण इन्हें नहीं रोक पाता जिससे राजस्थान में बहुत कम वर्षा होती है। इस प्रकार भारत के धरातल का यहाँ के तापक्रम, वायु तथा वर्षा पर स्पष्ट नियन्त्रण है। पर्वतीय प्रदेशों में तापमान कम है जबकि मैदानी भाग में अधिक प्रदेशों में तापक्रम पाए जाते हैं। आगरा तथा दार्जलिंग एक की अक्षांश पर स्थित हैं, परन्तु आगरा का जनवरी का तापमान 16°C है जबकि दार्जलिंग का केवल 4°C है।

8. समुद्र से दूरी (Distance from sea) – भारत के तटीय भागों में सम जलवायु मिलता है। जैसे-मुम्बई में जनवरी का तापमान 24°C है तथा जुलाई का तापमान 27°C है। इलाबाहाद समुद्र से बहुत दूर है। वहाँ जनवरी का तापमान 16°C तथा जुलाई का तापमान 30°C है। इसलिए दक्षिणी भारत में तीन ओर समुद्र से घिरा होने के कारण ग्रीष्म ऋतु में कम गर्मी तथा शीत ऋतु में कम सर्दी पड़ती है।

प्रश्न 4.
मौसम के अनुसार भारत में कितनी ऋतुएँ पायी जाती है ? किसी एक ऋतु का वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार भारत में सामान्यतः चार ऋतुएँ पायी जाती हैं –

  • शीत ऋतु
  • गृष्म ऋतु
  • वर्षा ऋतु
  • शरद ऋतु

शीत ऋतु – भारत में शीत ऋतु नवम्बर के मध्य से मार्च तक रहती है। भारत में जनवरी एवं फरवरी सार्वधिक ठंढक का माह होता है। उत्तरी भारत में तापमान विशेष रूप से निम्न रहता है।
(1) भारत का औसत तापमान 18° है लेकिन कई क्षेत्रों में तापमान हिमांक से भी नीचे हो जाता है। शीत ऋतु में अत्यधिक ठंढक हो जाती है और शीत लहरें भी चलती हैं। इसके विपरीत ज्यों-ज्यों उत्तर भारत से दक्षिण की ओर बढ़ते हैं सागरीय समीपता एवं उष्णकटिबंधीय स्थिति के कारण तापमान बढ़ता चला जाता है। दक्षिण भारत में दोपहर का तापमान 20°C तक चला जाता है।

(2) इस ऋतु में भारत के उत्तर:पश्चिम भाग में तापमान कम होने के कारण उच्च वायुदाब पाया जाता है। जबकि बंगाल की खाड़ी अरब सागर और दक्षिण भारत में अपेक्षाकृत कम वायु दाब पाया जाता है।

(3) शीतऋतु में पवनों की दिशा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में पश्चिमी तथा उत्तर:पश्चिमी बंगाल में उत्तरी तथा बंगाल की खाडी एवं अरब सागर में उत्तरी पर्वी होती है।

(4) मौनसून पवनें स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण वर्षा नहीं करती । ये पवने बंगाल की खाड़ी से नमी प्राप्त कर पश्चिमी घाट में टकराकर तमिलनाडु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा द० पू० करेल के क्षेत्रों वर्षा करती है।

(5) उ. प. भारत में पश्चिमी विक्षोभों द्वारा हल्की वर्षा होती है। वर्षा हिमालय के श्रेणियों में 60 से०मी०, पंजाब में 12 से०मी० दिल्ली में 5-3 से० मी० तथा यू० पी० और बिहार में 2.5 से०मी० तक वर्षा होती है जो रबी की फसल हेतु उपयोगी हैं।

प्रश्न 5.
भातरीय मौसम रचना तन्त्र का वर्णन जेट प्रवाह के सन्दर्भ में कीजिए।
उत्तर:
भारतीय मौसम रचना तन्त्र-मानसून क्रियाविधि निम्नलिखित तत्त्वों पर निर्भर करती है –

  • वायु दाब (Pressure) का वितरण
  • पवनों (Winds) का धरातलीय वितरण
  • ऊपरी वायु परिसंचरण (Upper air circulaltion)
  • विभिन्न वायु राशियों का प्रवाह
  • पश्चिमी विभोक्ष चक्रवात (Cyclones)
  • जेट प्रवाह (Jet Stream)

1. वायु दाब तथा पवनों का वितरण (Distribution of AtmopsphericPressure and winds) – शीत ऋतु में भारतीय मौसम मध्य एशिया तथा पश्चिमी एशिया में स्थित उच्च वायु दाब द्वारा प्रभावित होता है। इस उच्च दाब केन्द्र से प्रायद्वीप की और शुष्क पवनें चलती हैं। भारतीय मैदान के उत्तर:पश्चिमी भाग में से शुष्क हवाएं महसूस की जाती हैं। मध्य गंगा घाटी तक सम्पूर्ण उत्तर:पश्चिमी पवनों के प्रभाव में आ जाता है।

ग्रीष्म काल के आरम्भ में सूर्य के उत्तरायण के समय में वायुदाब तथा पवनों के परिसंचरण में परिवर्तन आरम्भ हो जाता है। उत्तर-पश्चिमी भारत में निम्न वायु दाब केन्द्र स्थापित हो जाता है। भूमध्य रेखीय निम्न दाब भी उत्तर सीमा की ओर बढ़ने लगता है। इसके प्रभावाधीन दक्षिणी गोलार्द्ध से व्यापारिक पवनें भूमध्य रेखा को पार करके निम्न वायु दाब की ओर बढ़ती हैं। इन्हें दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहते हैं। ये पवनों भारत में ग्रीष्म काल में वर्षा करती हैं।

2. ऊपरी वायु परिसंचरण (Upper Air Circulation) – वायुदाब तथा पवनें धरातलीय स्तर पर परिवर्तन लाते हैं। परन्तु भारतीय मौसम में ऊपरी वायु परिसंचरण का प्रभाव भी महत्त्वपूर्ण है। ऊपरी वायु में जेट प्रवाह भारत में पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर में उत्पन्न होते हैं। ये ईरान, पाकिस्तान से होते हुए भारत में जनवरी-फरवरी में वर्षा करते हैं।

3. जेट प्रवाह (Western Disturbances) – जेट प्रवाह धरातल के लगभग 3 किलोमीटर की ऊंचाई पर बहने वाली एक ऊपरी वायु-धारा है। यह वायु धारा क्षोभमण्डल के ऊपरी भाग में बहती है। यह वायु धारा पश्चिमी एशिया तथा मध्य एशिया के ऊपर बहने वाली पश्चिमी पवनों की एक शाखा है। यह शाखा हिमालय पर्वत के दक्षिण की ओर पूर्व दिशा में बहती है । इस वायु-धारा की स्थिति फरवरी में 25° उत्तरी अक्षांश के ऊपर होती है। यह जेट प्रवाह भारतीय मौसम रचना तन्त्र पर कई प्रकार से प्रभाव डालती है।

  • इस जेट प्रवाह के कारण उत्तरी भारत में शीतकाल में उत्तर-पश्चिमी पवनें चलती हैं।
  • इस वायु-धारा के साथ-साथ पश्चिम की ओर भारतीय उपमहाद्वीप में शीतकालीन चक्रवात आते हैं। ये चक्रवात भूमध्य सागर में उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात शीतकालीन में हल्की-हल्की वर्षा करते हैं।
  • जुलाई में जेट प्रवाह भारतीय प्रदेशों से लौट चुका होता है। इसका स्थान भूमध्य सागर रेखीय निम्न दाब कटिबन्ध ले लेता है, जो भूमध्य रेखा से उत्तर की ओर सरक जाता है। इसे अन्तर-उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण (I.T.C.Z.) कहा जाता है।
  • इस निम्न दाब के कारण भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनें, वास्तव में दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनों का उत्तर की ओर विस्तार ही है।
  • हिमालय तथा तिब्बत के उच्च स्थलों के ग्रीष्म काल में गर्म होने तथा विकिरण के कारण भारत में पूर्वी जेट प्रवाह के रूप में एक वायु धारा बहती है।
  • यह पूर्वी जेट प्रवाह उष्ण-कटिबन्धीय गों को भारत की ओर लाने में सहायक है। यह गर्त दक्षिण-पश्चिम मानसून द्वारा वर्षा की मात्रा में वृद्धि करते हैं।

प्रश्न 6.
थार्नवेट (Thornthwaite) द्वारा भारत के विभाजित जलवायु प्रदेशों का वर्णन करें।
उत्तर:
थार्नवेट द्वास जलवायु वर्गीकरण-थार्नवेट की जलवायु वर्गीकरण पद्धति किसी प्रदेश में जल सन्तुलन (WaterBalance) की अवधारणा पर आधारित है। उसने किसी प्रदेश में औसत मासिक वर्षा, तापमान तथा वाष्पीकरण के आधार पर एक फौमूले के विकास किया जिससे यह ज्ञात हो जाता है कि किसी क्षेत्र में जल के अधिशेष (Surplus) या जल अभाव (deficot) की स्थिति रहती है। जिन क्षेत्रों में जल कम रहती है वहाँ शुष्क जलवायु पाई जाती है।

शुष्क तथा आई स्थितियों के मध्य की अवस्था वाले प्रदेशों को छः वर्गों में बांट कर अंग्रेजी वर्णमाला के बड़े अक्षरों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। थार्नवेट ने जलवायु के कुल 32 विभाग बनाकर विश्व के मानचित्र में दिखाए गए हैं। इस पद्धति के आधार पर भारत में निम्नलिखित जलवायु प्रदेश पाए जाते हैं

  • अति आर्द्र प्रदेश (A) – यह जलवायु मालाबार तट तथा उत्तरी-पूर्वी भाग के कुछ भागों में पाई जाती है। यहाँ तापमान तथा वर्षा सालभर अधिक रहती है।
  • आर्द्र प्रदेश (B) – यह जलवायु पश्चिमी घाट, उत्तर:पश्चिमी बंगाल तथा उत्तर:पूर्वी भारत में पाई जाती है।
  • नम उप-आर्द्र प्रदेश (C2) – यह जलवायु पश्चिमी घाट के साथ-साथ उड़ीसा तक पश्चिमी बंगाल में पाई जाती है।
  • शुष्क उप-आर्द्र प्रदेश (C1) – यह जलवायु गंगा घाटी तथा मध्य प्रदेश के उत्तर:पूर्वी भागों में पाई जाती है। यहां शीत ऋतु रहती है।
  • अर्द्ध-शुष्क प्रदेश (D) – यह जलवायु प्रायद्वीप के अन्दरूनी भागों में पश्चिमी मध्य प्रदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा तथा पंजाब में पाई जाती है। यहाँ वर्षा कम होती है।
  • शुष्क प्रदेश (E) – यह जलवायु सौराष्ट्र-कच्छ तथा राजस्थान के मरुस्थल में पाई जाती है।

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