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Monday, June 20, 2022

BSEB Class 11 Geography Drainage System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Drainage System Book Answers

BSEB Class 11 Geography Drainage System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Drainage System Book Answers
BSEB Class 11 Geography Drainage System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Drainage System Book Answers


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Bihar Board Class 11th Geography Drainage System Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 11th Geography Drainage System Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Geography Drainage System
Chapters All
Provider Hsslive


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Bihar Board Class 11 Geography अपवाह तंत्र Text Book Questions and Answers

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था?
(क) गंडक
(ख) कोसी
(ग) सोन
(घ) दामोदर
उत्तर:
(घ) दामोदर

प्रश्न 2.
किस नदी का बेसिन भारत में सबसे बड़ा है?
(क) सिंधु
(ख) गंगा
(ग) ब्रह्मापुत्र
(घ) कृष्णा
उत्तर:
(ग) ब्रह्मापुत्र

प्रश्न 3.
कौन-सी नदी पंचनद में सम्मिलित नहीं है?
(क) रावी
(ख) सिंधु
(ग) चनाब
(घ) झेलम
उत्तर:
(ख) सिंधु

प्रश्न 4.
कौन सी नदी दरार घाटी में बहती है ……………………..
(क) सोन
(ख) यमुना
(ग) नर्मदा
(घ) लूनी
उत्तर:
(ग) नर्मदा

प्रश्न 5.
अलकनन्दा तथा भागरथी नदी के संगम को क्या कहते हैं?
(क) विष्णु प्रयाग
(ख) कर्ण प्रयाग
(ग) रूद्र प्रयाग
(घ) देव प्रयाग
उत्तर:
(घ) देव प्रयाग

प्रश्न 6.
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र को किस नाम से जाना जाता है?
(क) सांगपो
(ख) अरुण
(ग) मूला
(घ) त्रिशूली
उत्तर:
(क) सांगपो

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है?
(क) महानदी
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) कावेरी
उत्तर:
(ख) गोदावरी

प्रश्न 8.
किस नदी को बिहार का शोक कहा जाता है?
(क) कोशी
(ख) वागमती
(ग) गंडक
(घ) दामोदर
उत्तर:
(क) कोशी

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 10 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
निम्न में अंतर स्पष्ट करें –

  • नदी द्रोणी और जल-संभर
  • वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप
  • अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रारूप
  • डेल्टा और ज्वारनदमुख ।

उत्तर:
1. नदी द्रोणी और जल – संभर-बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को नदी-द्रोणी जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को ‘जल-संभर’ कहा जाता है। नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है, जबकि जल-संभ का आकार छोटा होता है।

2. वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप – जो अपवाह प्रतिरूप पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो, से वृक्षाकार (Dendritic) प्रतिरूप कहा जाता है, जैसे उत्तरी मैदान की नदियाँ । जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समांतर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा (Trellis) अपवाह प्रतिरूप कहते हैं।

3. अपकेंद्रीय और अभिकेंद्रीय अपवाह प्रतिरूप – जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर सभी दिशाओं में बहती हैं, तो इसे अपकेंद्रीय प्रतिरूप कहा जाता है। जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं, तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेंद्रीय (Centripetal) प्रतिरूप कहा जाता है।

4. डेल्टा और ज्वारनदमुख – नदियों के मुहाने तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनाता है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश है, इसे डेल्टा कहा जाता है । जवारनदमुख की रचना नदी के तीव्र लम्बवत् कटाव से होती है। इसके किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए 

प्रश्न 1.
भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक-आर्थिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
भारत की नदियाँ प्रतिवर्ष जल की विशाल मात्रा का वहन करती हैं, लेकिन समय व स्थान की दृष्टि से इसका वितरण समान नहीं है। वर्षा ऋतु में, अधिकांश जल बाढ़ में व्यर्थ हो जाता है और समुद्र में बह जाता है। इसी प्रकार, जब देश के एक भाग में बाढ़ होती है तो दूसरा भाग सूखाग्रस्त हाता है। यदि हम नदियों की द्रोणियों को आपस में जोड़ दें तो बाढ़ और सूखे की समस्या हल हो जायेगी। पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होने के कारण पीने के पानी की समस्या भी हल हो जायेगी तथा हजारों, करोड़ों रुपये की बचत होगी और पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी। किसानों की आर्थिक हालत सुधरेगी।

प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय नदी के तीन लक्षण लिखें।
उत्तर:

  1. प्रायद्वीपीय नदियाँ सुनिश्चित मार्ग पर चलती है
  2. ये नदियाँ विसर्प नहीं बनाती; और
  3. ये नदियाँ बारहमासी नहीं हैं।

(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों से अधिक में न दें 

प्रश्न 1.
उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
उत्तर भारतीय नदियों में हिमालय से निकलने वाली नदियाँ आती हैं। हिमालयी नदी तंत्र के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र, सिंधु नदी तंत्र तथा गंगा नदी तंत्र मुख्य हैं। प्रारम्भ में ये नदियाँ हिमालय के अक्ष के समानान्तर बहती हैं, फिर अचानक दक्षिण की ओर मुड़ जाती हैं। इन नदियों के निरन्तर बहने के कारण इनके किनारे ऊँचे और ऊँचे होते गए। ये नदियाँ विशाल द्रोणियों का निर्माण करती हैं। ये सदानीरा नदियाँ हैं। अधिकतर प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं तथा ये नदियाँ वर्षाधीन हैं। इसके अतिरिक्त ये तटीय नदियाँ होती हैं जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर में जाकर मिलती हैं। हिमालयी नदियाँ हिम के पिघलने से और वर्षा के जल दोनों की ही आपूर्ति के प्रतिरूप पर निर्भर करती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्तियाँ केवल मानसूनी होती हैं। हिमालयी (उत्तर भारतीय नदियाँ) और प्रायद्वीपीय नदियों के प्रवाह के प्रतिरूपों में मुख्य अंतर उनको जलवायु के कारण होता है।

प्रश्न 2.
मान लीजिए आप हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वारा से सिलीगुड़ी तक यात्रा कर रहे हैं। इस मार्ग में आने वाली मुख्य नदियों के नाम बताएँ। इनमें से किसी एक नदी की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक यात्रा करने पर गंगा, यमुना, शारदा, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी आदि नदियाँ मार्ग में आती हैं। गंगा अपनी द्रोणी और सांस्कृति महत्त्व दोनों के दृष्टिकोणों से भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है, जिसमें उत्तर हिमालय से निकलने वाली बारहमासी व अनित्यवाही नदियाँ और दक्षिण में प्रायद्वीप से निकलने वाली अनित्यवाही नदियाँ शामिल हैं। यह भारत की सबसे पवित्र नदी है। इलाहाबाद के आगे यमुना इसमें आकार मिल जाती है। यह स्थान संगम के नाम से प्रसिद्ध है।

इससे आगे उत्तर की ओर से गोमती, घाघरा, गण्डक और कोसी की सहायक नदियाँ इसमें मिलती हैं। दक्षिण की ओर से सोन नदी आकार मिलती है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले सुंदरवन में विश्व के सबसे बड़े डेल्ट का निर्माण करती है। इसके किनारे पर हरिद्वारा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, कोलकाता आदि महात्त्वपूर्ण नगर बसे हैं। इसका अधिकांश जल सिंचाई के उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका जल अमृत के समान माना गया है।

Bihar Board Class 11 Geography अपवाह तंत्र Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य विभाजक का नाम लिखें।
उत्तर:
पश्चिमी घाट।

प्रश्न 2.
एक ट्रांस हिमालयी नदी का नाम बताएँ जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है।
उत्तर:
सतलुज।

प्रश्न 3.
गंगा की सहायक नदी का नाम बताओं जो दक्षिण से मिलती है?
उत्तर:
सोन नदी।

प्रश्न 4.
सिन्धु नदी की कुल लम्बाई कितनी है?
उत्तर:
2880 किलोमीटर।

प्रश्न 5.
सिन्धुनदी का उदग्म बताएँ।
उत्तर:
मानसरोवर झील (तिब्बत)।

प्रश्न 6.
उत्तरी भारत तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मध्य जल विभाजन का नाम बताएँ।
उत्तर:
विंध्या-सतपुड़ा श्रेणी।

प्रश्न 7.
दरार घाटियों में बहने वाली दो नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:
नर्मदा, ताप्ती।

प्रश्न 8.
सिन्धु नदी का कुल बेसिन क्षेत्रफल कितना है?
उत्तर:
1,165,000 वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 9.
भारत के दो जल-प्रवाह तन्त्र बताएँ।
उत्तर:
हिमालय नदियाँ तथ प्रायद्वीपीय नदियाँ।

प्रश्न 10.
पूर्ववर्ती जल प्रवाह की एक नदी का नाम लिखें।
उत्तर:
सिन्धु।

प्रश्न 11.
प्राचीन समय में कौन-सी नदी पंजाब से असम की ओर बहती थी?
उत्तर:
सिन्ध-ब्रह्मा नदी।

प्रश्न 12.
झेलम नदी का स्रोत बताएँ।
उत्तर:
बुल्लर झील।

प्रश्न 13.
गंगा नदी द्वारा निर्मित डेल्टे का नाम लिखें।
उत्तर:
सुंदरवन।

प्रश्न 14.
किस नदी को तिब्बत में सांग-पो कहा जाता है?
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र।

प्रश्न 15.
किस नदी को दक्षिण की गंगा कहते हैं?
उत्तर:
ब्रह्मपुत्री नदी।

प्रश्न 16.
जलबपुर के निकट नर्मदा नदी कौन-सा जल प्रवाह बनाती है?
उत्तर:
मार्बली रॉक।

प्रश्न 17.
प्राचीन समय में हरियाणा के शुष्क क्षेत्र में बहने वाली नदी का नाम लिखों।
उत्तर:
सरस्वती।

प्रश्न 18.
जोग जल प्रपात कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
शरबती नदी पर (कर्नाटक)।

प्रश्न 19.
भारतीय पठार की नदी का नाम लिखों जो अरब सागर की ओर बहती है।
उत्तर:
नर्मदा तथा ताप्ती।

प्रश्न 20.
प्रायद्वीपीय भारत की एक नदी बताओं जो ज्वारनदमुख बनाती है।
उत्तर:
नर्मदा।

प्रश्न 21.
प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी का नाम लिखें।
उत्तर:
गोदावरी।

प्रश्न 22.
कृष्णा नदी का स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
महाबलेश्वर।

प्रश्न 23.
भारत में गंगा नदी का कुल कितना कितना बेसिन क्षेत्रफल है?
उत्तर:
8,61,404 वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 24.
बंग्लादेश में गंगा नदी को क्या नाम दिया गया है?
उत्तर:
पद्मा।

प्रश्न 25.
उन नदियों के नाम लिखो जो हिमालय नदी तंत्र बनाती हैं।
उत्तर:
सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र।

प्रश्न 26.
प्रायद्वीपीय भारत की बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:
महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी।

प्रश्न 27.
एक ट्रांस हिमालय नदी का नाम लिखें।
उत्तर:
सतलुज।

प्रश्न 28.
खम्बात की खाड़ी में गिरने वाली नदी का नाम लिखें।
उत्तर:
माही।

प्रश्न 29.
अरावली से निकलने वाली नदी का नाम लिखो।
उत्तर:
साबरमती।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
डेल्टा किसे कहते हैं? भारत से चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नदियों के मुहाने पर तलछट के निक्षेप से एक त्रिभुजाकार स्थल रूप बनता है जिसे डेल्टा कहते हैं । डेल्टा नदी के अन्तिम भाग में अपने भार के निरक्षेप से बनने वाला भू-आकार है। यह एक उपजाऊ समतल प्रदेश होता है। भारत में चार प्रसिद्ध डेल्टा इस प्रकार है –

  • गंगा नदी का डेल्टा
  • महानदी का डेल्टा
  • कृष्णा नदी का डेल्टा
  • कावेरी नदी का डेल्टा

प्रश्न 2.
गंगा की दो शीर्ष नदियों (Head Streams) के नाम बताइए जो देव प्रयोग में मिलती हैं।
उत्तर:
गंगा नदी उत्तर प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र से निकलती है तथा दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। देव प्रयाग में इससे दो शीर्ष नदियाँ–अलकनन्दा और भागीरथी आ कर मिलती हैं। इसके बाद इनका नाम गंगा पड़ता है।

प्रश्न 3.
प्रायद्वीप भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रायद्वीप की कुछ नदियां पूर्व की ओर बहती हुई खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। इनमें महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेनार महत्त्वपूर्ण नदियाँ हैं। कुछ नदियाँ पश्चिम की ओर बहकर अरब सागर में गिरती हैं। इसमें नर्मदा, ताप्ती प्रमुख नदियाँ हैं।

प्रश्न 4.
गार्ज (महाखंड) क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पर्वतीय भागों में बहुत गहरे तथा तंग नदी मार्गों को गार्ज कहते हैं। इसे महाखंड भी कहा जाता है। इसके किनारे खड़ी ढाल वाले होते हैं तथा लगातार ऊपर उठते रहते हैं। इसका तल लगातार गहरा होता है। हिमालय पर्वत में ऐसे कई गार्ज मिलते हैं। जैसे – सिन्धु, सतलुज, गार्ज, ब्रह्मपुत्र (दिहांग) गार्ज।

प्रश्न 5.
हिमालय की नदियों के तीन प्रमुख नदी तन्त्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
हिमालय की नदियों का विकास एक लम्बे समय में हुआ है। हिमालय की नदियों को तीन मुख्य तन्त्रों (System) में बाँटा जाता है

  • सिन्धु तन्त्र (Indus System)
  • गंगा तन्त्र (Ganges System)
  • ब्रह्मपुत्र तन्त्र (Brahmaputra System)

प्रश्न 6.
राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियाँ लूनी साबरमती तथा माही हैं। अधिकतर नदियाँ रेत में लुप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
उत्पत्ति के आधार पर भारत की नदियों को कितने वर्गों में बांटा जाता है?
उत्तर:
भारत का जल प्रवाह देश की भू-संरचना पर निर्भर करता है। इस आधार पर देश की नदियों को दो वर्गों में बांटा जाता है –

  • हिमालय की नदियाँ
  • प्रायद्वीपीय नदियाँ

प्रश्न 8.
पश्चिमी तट पर नदियाँ डल्टा क्यों नहीं बनाती हैं जबकि वे बड़ी मात्रा में तलछट बहा कर लाती हैं?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर नर्मदा औरर ताप्ती प्रमुख नदियाँ हैं। ये नदियाँ काफी मात्रा में तलछट बहा कर ले जाती हैं परन्तु ये डेल्टा नहीं बनाती। इस तट पर मैदान की चौड़ाई बहुत कम है। प्रदेश की तीव्र ढाल है। नदियाँ तेज गति से समुद्र में गिरती हैं। इसलिए तलछट का निक्षेप नहीं होता। संकरे मैदान के कारण नदियों के अन्तिम भाग की लम्बाई कम है जिससे डेल्टे का निर्माण नहीं होता।

प्रश्न 9.
गोदावरी को वृद्ध गंगा या दक्षिणी गंगा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
गोदावरी नदी प्रायद्वीप की सबसे बड़ी नदी है। इसका एक विशाल अपवहन क्षेत्र है जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा तथा आन्ध प्रदेश में फैला हुआ है। विशाल आकार और विस्तार के कारण इसकी तुलना गंगा नदी से की जाती है। जिस प्रकार उत्तरी भारत में गंगा नदी का महत्त्व है। गंगा नदी की तरह इसकी भी अनेक सहायक नदियाँ हैं।

प्रश्न 10.
उस प्रायद्वीपीय नदी का नाम बताइए जिसकी सहायक नदियों का विकास नहीं हुआ है।
उत्तर:
नर्मदा नदी एक द्रोण-घाटी में बहती है। यह एक प्रायद्वीपीय नदी है। इसकी कोई सहायक नदी लम्बी नहीं है। कोई भी नदी 200 किमी से अधिक लम्बी नहीं है।’

प्रश्न 11.
पश्चिमी घाट से निकलने वाली प्रायद्वीपीय नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:
पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय नदियों का जल विभाजक है जहाँ से कई नदियाँ निकल कर पूर्व की ओर बहती हैं। कावेरी नदी ब्रह्मगिरि माला से निकल कर खाड़ी बंगाल में गिरती हैं। कृष्णा नदी महाबलेश्वर से तथा गोदावरी नदी नासिक क्षेत्र से निकल कर पूर्व की ओर बहती है। कई छोटी-छोटी नदियाँ पश्चिमी घाट से निकल कर पश्चिमी तटीय मैदान में पश्चिम की ओर बहती हैं।

प्रश्न 12.
गंगा तन्त्र में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
गंगा का उदग्म प्रदेश उत्तर प्रदेश के हिमालय में है। गंगा के दाहिने किनारे की मुख्य सहायक नदियाँ यमुना तथा सोन जैसी बड़ी नदियाँ हैं। इसके अतिरिक्त टोन्स तथा पुनपुन जैसी छोटी नदियाँ भी गंगा में मिलती हैं। गंगा के बाएँ पर कई बड़ी नदियाँ इसकी सहायक नदियों के रूप में मिलती हैं । जैसे-राम गंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, कोसी तथा महानन्दा । ये सब नदियाँ मिल कर गंगा तन्त्र की रचना करती हैं।

प्रश्न 13.
सिन्धु तन्त्र में बहने वाली नदियों के नाम लिखें।।
उत्तर:
हिमालय पर्वत के पश्चिम में बहने वाली नदियाँ सिन्धु तन्त्र की रचना करती हैं। सिन्धु तिब्बत में 5,180 मीटर की ऊंचाई पर मान सरोवर झील से निकल कर कश्मीर, पंजाब (पाकिस्तान) में बहती हुई अरब सागर में गिरती हैं। इनकी प्रमुख सहायक नदियाँ सतलुज, व्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम हैं।

प्रश्न 14.
गंगा तथा महानदी के डेल्टा के मध्य कौन-सी नदियाँ बहती हैं ?
उत्तर:
गंगा नदी का डेल्टा पश्चिमी बंगाल में तथा महानदी का डेल्टा उड़ीसा राज्य में फैला हुआ है। इनके मध्य में बिहार, उड़ीसा मध्य प्रदेश तथा पश्चिमी बंगाल राज्यों के क्षेत्रों में स्वर्ण रेखा तथा ब्राह्मणी नदी का विस्तार है।

प्रश्न 15.
जल संभर तथा नदी द्रोणियों में अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर:
जल संभर तथा नदी द्रोणियों में थोड़ा सा अंतर है। एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करनेवाली सीमा को ‘जल संभर’ कहते है। जबकि नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं। जल संभरों का क्षेत्रफल 1000 हेक्टेयर से कम होता है जबकि नदी द्रोणियों का क्षेत्रफल बड़ा होता।

प्रश्न 16. प्रायद्वीपीय
भारत की पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय भारत को पूर्व तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अन्तर –

प्रश्न 17.
पूर्ववर्ती अपवाह तथा अनुवर्ती अपवाह में अन्तर बताएँ।
उत्तर:
पूर्ववर्ती अपवाह तथा अनुवर्ती अपवाह में अन्तर –

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में बाढ़ प्रवण क्षेत्र बताओं।
उत्तर:
बाढ़ प्रवण क्षेत्र- भारत में प्रतिवर्ष बाढ़ आती हैं। प्रतिवर्ष लगभग 60 लाख हेक्टेयर भूमि बाढ़ से प्रभावित होती है। ऊँची बाढ़ों से फसलों, मकानों और सार्वजनिक सुविधाओं को – बहुत हानि होती है। अनेक लोग और पशु मर जाते हैं, परिवहन और संचार के साधन अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। इनमें सामान्य जन-जीवन भी गड़-बड़ हो जाता है। देश की उत्तरी विशाल मैदान तथा बड़ी नदियों के तटीय क्षेत्रों में गम्भीर बाढ़ के आने की आशंका बनी रहती है।

बिहार के मैदान, पश्चिम बंगाल के उत्तरी तथा दक्षिणी भाग, असम घाटी और कछार प्रायः आने वाली बाढ़ों के लिए कुख्यात हैं। कश्मीर घाटी, पंजाब के मैदान, उत्तर प्रदेश के मैदान, महानदी गोदावरी और कृष्णा के डेल्टा, कावेरी डेल्टा तथा नर्मदा और ताप्ती के निचले भागों में बाढ़ कभी-कभी ही आती है। बाढ़ आने के प्रमुख कारण ये हैं-भारी वर्षा, नदी घाटियों का मंद ढाल, नदी तल में गाद का भारी मात्रा में जमाव तथा जल ग्रहण क्षेत्रों में वनविहीन पहाड़ियाँ। कुछ क्षेत्रों में सड़कों रेलमार्गों और नहरों के निर्माण से जल के प्रवाह में बाधा पड़ती है। जिससे बाढ़ आ जाती है। तटीय क्षेत्रों में कुछ बाढ़े चक्रवातीय तूफानों के कारण भी आती हैं।

प्रश्न 2.
भारत की नदियाँ किस तरह देश के लिए उपयोगी है?
उत्तर:
भारत की नदियाँ अनेक तरह से हमारे लिये तथा हमारे देश के लिये उपयोगी है। नदियों के किनारे ही मानव बसाव हुआ है और प्रमुख सभ्यता और उत्कृष्ट संस्कृतियाँ विकसित हुई हैं। नदियों से बड़ी मात्रा मे जल नगरों तथा गाँवों तक पहुँचाया जाता है। बहुत से उद्योग भी काफी हद तक जल की आपूर्ति पर निर्भर करते हैं। हमारे जीवन में मीठे जल की अधिकांश आवश्यकताएँ नदियों से ही पूरी होती है।

भारतीय नदियों के जल का सर्वाधिक उपयोग सिंचाई में होती है। भारतीय नदियाँ प्रतिवर्ष 167753 करोड़ घन मीटर जल बहता है जिसका मात्र 33% अर्थात् 55,517 करोड़ घन मीटर जल ही सिंचाई के उपयोग में आ पाती है। भारतीय नदियों में जलशक्ति की बड़ी संभावनाएँ हैं । कुल नदी जल प्रवाह का 60% हिमालय में, 16% मध्यवर्ती भारत की नदियों में तथा शेष दक्कन के पठार की नदियों में नीहित है। इन नदियों से 60% कार्यक्षमता के आधार पर 4.1 करोड़ किलोवाट जलशक्ति उत्पादन किया जा सकता है।

देश के उत्तर तथा उत्तर पूर्व में क्रमशः गंगा और ब्रह्मपुत्र में, उड़ीसा में महानदी में, आंध्रप्रदेश के गोदावरी एवं कृष्णा गुजरात में नर्मदा एवं ताप्पी नदियों में देश के प्रमुख जलमार्ग हैं। देश के लगभग 10,600 कि०मी० लम्बे नाव्य जलमार्ग है। गंगा, ब्रह्मपुत्र और महानदी प्रमुख नदियाँ हैं। गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और ताप्पी नदी केवल मुहानों के निकट ही नाव्य है। इस प्रकार भारत की नदियाँ देश के लिए पूर्णरूपेण उपयोगी हैं।

प्रश्न 3.
नदी प्रवृत्तियों से क्या अभिप्राय है? हिमालयी प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्तियों की तुलना करें।
उत्तर:
नदी प्रवृत्तियाँ-किसी नदी में जल के ऋतुनिष्ठ प्रवाह के प्रतिरूप को इसकी प्रवृत्ति कहते हैं। हिमालयी और प्रायद्वीपीय नदियों के प्रवाह के प्रतिरूपों में अन्तर का मुख्य कारण जलवायु में अन्तर है। हिमालय नदियाँ सदानीरा हैं। इनकी प्रवृत्तियाँ, हिम के पिघलने से और वर्षा के जल दोनों की ही आपूर्ति के प्रतिरूप पर निर्भर करती हैं। इनकी प्रवृत्तियाँ मानसूनी और हिमनदीय दोनों ही हैं। इसके विपरीत प्रायद्वीप नदियों की प्रवृत्तियाँ केवल मानसूनी हैं, क्योंकि इन पर केवल वर्षा का ही नियंत्रण है। प्रायद्वीप की विभिन्न नदियों की प्रवृत्तियाँ भी एक समान नहीं हैं, क्योंकि पठार के विभिन्न भागों की वर्षा के ऋतुनिष्ठ वितरण में अन्तर होता है।

गंगा नदी की प्रवृत्ति-जनवरी से लेकर जून तक गंगा में जल का न्यूनतम प्रवाह रहता है। अगस्त या सितम्बर में अधिकतम प्रवाह होता है। सितम्बर के बाद प्रवाह निरन्तर घटता जाता है। इस प्रकार गंगा नदी में एक विशिष्ट मानसूनी प्रवृत्ति है। गंगा की द्रोणी के पूर्वी और पश्चिमी भाग की नदी प्रवृत्तियों में असाधारण अन्तर पाए जाते हैं। मानसूनी वर्षा से पहले या ग्रीष्म ऋतु के पहले भाग में गंगा में पर्याप्त जल बहता है। इसका मुख्य कारण हिमालय पर बरफ का पिघलना है। गंगा की प्रवृत्ति की तुलना, हिमालय की ही अन्य नदी झेलम से की जा सकती है। झेलम में अधिकतम प्रवाह जून या मई में ही हो जाता है, क्योंकि इसका प्रवाह मुख्य रूप से हिमालय की बरफ से पिघलने पर निर्भर करता है। इन दोनों नदियों की प्रवृत्तियों में एक रोचक अन्तर है। इस अन्तर को इन नदियों के अधिकतम और न्यूनतम प्रवाह की भिन्नता के परास (range) में देखा जा सकता है। झेलम की तुलना में, गंगा में अन्तर अधिक सुस्पष्ट है।

प्रायद्वीपीय नदियाँ-प्रायद्वीप की दो नदियों की प्रवृत्तियों में हिमालयी नदियों की प्रवृत्तियों की तुलना में काफी अन्तर है। नर्मदा में जल विसर्जन की मात्रा जनवरी से जलाई तक काफी कम रहती है लेकिन अगस्त में यह अचानक बढ़कर अधिकतम स्तर पर पहुँच जाती है। अगस्त में नर्मदा में जिस तेजी से जल की मात्रा बढ़ती है उसी तेजी से अक्तूबर में यह घट जाती है। गोदावरी में उस प्रवाह का स्तर मई तक नीचा रहता है। इसमें दो बार जल की अधिकतम मात्रा रहती है। एक बार मई मैं और दूसरी बार जुलाई-अगस्त में। अगस्त के बाद जल प्रवाह तेजी घटता है। जनवरी से लेकर मई तक के किसी भी महीने की तुलना में अक्टूबर और नवम्बर में जल प्रवाह की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 4.
भारत की तटीय नदियों का वर्णन करें।
उत्तर:
तटीय नदियाँ पश्चिम में अरब सागर की ओर तथा पूर्व में बंगाल के खाड़ी की ओर बहती हैं। पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ ये हैं-शतरंजी, भद्रा वैतरणा, काली नदी, बेड़ती शरावती, भारतपुझा, पेरियार तथा पंबा । शतरंजी अमरेली जिले के दलकहवा के निकट से, भद्रा राजकोट जिले में अनियाली गाँव के पास से तथा धांधर गुजरात के ही पंचमहल जिले के घंटार गाँव के निकट से निकलती हैं। धांधर 135 किमी लम्बी है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र 2,770 वर्ग किमी है। वैतरणा का उदगम स्रोत महाराष्ट्र के नासिक जिले में 670 मी की ऊँचाई पर त्रियंबक की पहाड़ियों के दक्षिणी ढालों पर है।

172 किमी की यात्रा के बाद यह बलसाड़ के निकट अरब सागर में गिरती है। काली नदी कर्नाटक के बेलगाँव जिले में बीड़ी नामक गाँव के निकट से निकलती है औ कारवाड़ की खाड़ी में गिरती है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 5,179 वर्ग किमी है। 161 वर्गकिमी है। 161 किमी लम्बी बेड़ती नदी का उदगम स्रोत हुबली-धारवाड़ के आस-पास की पहाड़ियों में 701 मी की ऊँचाई पर है। शरावती का उदग्म स्थान कर्नाटक के शिमोगा जिले में है। इसी नदी पर प्रसिद्ध गरसोपा (जोग) जल-प्रपात है। इसका जलग्रहण क्षेत्र 2,209 वर्ग किमी है। भारतपझा को पोन्नानी भी कहते हैं । यह केरल की सबसे लम्बी नदी है। यह अन्नामलाई की पहाड़ियों के पास से निकलती है। इसका अपवाह क्षेत्र 5.397 वर्ग किमी है। 177 किमी लम्बी पंबा नदी वेबनाद झील में गिरती है।

पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ-सुवर्ण रेखा, वैतरणी और ब्राह्मणी के अलावा पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं-दंशधारा, पेन्नर, पलार और वैगाई। वंशधारा का उद्गम तो उड़ीसा के दक्षिणी भाग में है, लेकिन यह आन्ध्र प्रदेश में बहती है। पलार का जलग्रहण क्षेत्र 17,870 वर्ग किमी नदियाँ हैं । पोइनी और चेय्यार इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं। वैगाई केरल से निकलती हैं। यह पेरियार के अपवर्तित जल को लेकर अंत में पाक की खाड़ी में गिर जाती है। छोटी-छोटी तटीय नदियों की विशेषताएँ हैं-तीव्र ढाल, भारी मात्रा में गाद तथा प्रवाह में शीघ्र घट-बढ़। तटीय क्षेत्रों की कृषि की सिंचाई में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है।


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