BSEB Class 11 Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Book Answers |
Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbooks Solutions PDF
Bihar Board STD 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbooks. These Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Books Solutions
Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
How to download Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbook Solutions Answers PDF Online?
- Visit our website - Hsslive
- Click on the Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Answers.
- Look for your Bihar Board STD 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbooks PDF.
- Now download or read the Bihar Board Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbook Solutions for PDF Free.
BSEB Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbooks Solutions with Answer PDF Download
Find below the list of all BSEB Class 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:Bihar Board Class 11 Geography सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Text Book Questions and Answers
(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर
सौर विकिरण ऊष्मा संतुलन एवं तापमान के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 1.
निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं?
(क) विषुवत वृत पर
(ख) 23.5° उ०
(ग) 66.5° द०
(घ) 66.5° उ०
उत्तर:
(ख) 23.5° उ०
सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 2.
निम्न में से किन शहरों में दिन ज्यादा लंबा होता है?
(क) तिरुवनंतपुरम्
(ख) हैदराबाद
(ग) चंडीगढ़
(घ) नागपुर
उत्तर:
(घ) नागपुर (क)
सौर विकिरण ऊष्मा संतुलन एवं तापमान पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया द्वारा वायुमण्डल मुख्यतः गर्म होता है?
(क) लघु तरंगदैर्ध्य वाले सौर विकिरण से
(ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से
(ग) परावर्तित सौर विकिरण से
(घ) प्रकीर्णित सौर विकिरण से
उत्तर:
(ख) लंबी तरंगदैर्ध्य वाले स्थलीय विकिरण से
सौर विकिरण ऊष्मा संतुलन एवं तापमान प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 4.
निम्न पदों को उसके उचित विवरण के साथ मिलाएँ –
उत्तर:
(i) (ग)
(ii) (घ)
(iii) (ख)
(iv) (क)
सौर विकिरण ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Bihar Board Class 11 प्रश्न 5.
पृथ्वी के विषुवत् क्षेत्रों की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों का तापमान अधिकतम होता है, इसका मुख्य कारण है, क्या है ?
(क) विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में कम बादल होती है।
(ख) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में गर्मी के दिनों की लंबाई विषुवतीय क्षेत्रों से ज्यादा होती है।
(ग) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ विषुवतीय क्षेत्रो की अपेक्षा ज्यादा होती है।
(घ) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब है।
उत्तर:
(घ) उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र विषुवतीय क्षेत्रों की अपेक्षा महासागरीय क्षेत्र के ज्यादा करीब है।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
पृथ्वी पर तापमान का असमान वितरण किस जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह पर तापमान के असमान वितरण से कहीं तो जलवायु बहुत ही गर्म है, कहीं पर बहुत ठंडी है, कहीं पर बहुत शुष्क है तो कहीं पर बहुत नमी वाली है। जलवायु का सीधा प्रभाव वनस्पतियों, जीवो, जन्तुओं और मौसम पर पड़ता है, पृथ्वी की जलवायु कहीं पर बहुत ठंडी है तो कहीं पर बहुत गर्म है और कहीं पर बहुत आई है।
प्रश्न 2.
वे कौन-से कारक हैं जो पृथ्वी पर तापमान के वितरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
पृथ्वी पर तापमान के वितरण को छह प्रमुख कारण प्रभावित करते हैं –
- अक्षांश रेखा से दूरी
- समुद्र तल से ऊँचाई
- समुद्र से दूरी
- वायु संहित का परिसंचरण
- कोष्ण तथा ठण्डी महासागरीय धाराओं की उपस्थिति
- स्थानीय कारक
प्रश्न 2.
भारत में मई में तापमान सर्वाधिक होता है, लेकिन उत्तर अयनांत के बाद तापमान अधिकतम नहीं होता। क्यों?
उत्तर:
हम जानते हैं कि पृथ्वी पर सूर्यताप के कारणों के प्रमुख कारक अक्षांशीय विस्तार एवं सूर्य के अपने अक्ष पर 2312 का झुकाव है। मई के महीने में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में सीधी कर्क रेखा पर पड़ती है। जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। परंतु उत्तर आयनांत के कारण सूर्य की किरणों का नति कोष कम होता है। इस कारण सूर्य की तिरछी किरणें पृथ्वी के ज्यादा भाग पर पड़ती हैं जिसके फलस्वरूप तापमान अधिकतम नहीं होता।
प्रश्न 3.
साइबेरिया के मैदान में वार्षिक तापांतर सर्वाधिक होता है क्यों?
उत्तर:
क्योंकि, समताप रेखाएँ प्रायः अक्षांश के समानांतर होती हैं। कोष्ण महासागरीय धाराएँ गल्फ स्ट्रीम तथा उत्तरी अंधमहासागरीय ड्रिफ्ट की उपस्थिति से उत्तरी अंधमहासागर अधिक गर्म होता है तथा समताप रेखाएँ उत्तर की तरफ मुड़ जाती है। यह साइबेरिया के मैदान पर ज्यादा स्पष्ट होता है। 60°E देशांतर के साथ-साथ 80° उत्तरी एवं 50° उत्तरी दोनों ही अक्षांशों पर जनवरी का मध्य तापमान 20° सेल्यिस पाया जाता है।
प्रश्न 4.
सूर्यताप क्या है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी तक पहुंचने वाली विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी पर पहुंचती है। सूर्यताप को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार है
- सूर्य की किरणों को झुकाव।
- सूर्यताप पर वायुमंडल का प्रभाव।
- स्थल एवं जल का प्रभाव।
- दिन की लम्बाई अथवा धूप की अवधि।
- सूर्य से पृथ्वी की दूरी।
सूर्य किरणों की झुकाव यदि तिरछी हुई तो उसका फैलाव अधिक होगा और सूर्यताप कम प्राप्त होता । लेकिन जब सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ेगी तो कम क्षेत्र गर्म होगा । परिणामतः भूमध्य रेखा पर अधिकतम तथा धूवों पर न्यूनतम सूर्य ताप प्राप्त होता है। वायुमंडल में मेघ, आर्द्रता, धूल-कण आदि परिवर्तनशील दशाएँ सूर्य से आनेवाली सूर्यताप को अवशोषित, परावर्तित तथा प्रकीर्णिन करती है जिससे सूर्यताप में परिवर्तन आ जाता है। स्थलीय धरातल शीघ्रता से गर्म होते हैं जबकि जलीय धरातल धीरे-धीरे कम होते हैं। इसलिए स्थल पर तापांतर काफी अधिक होती है जबकि जल पर यह अंतर साधारण होता है।
गृष्म ऋतु में दिन की लम्बाई अधिक होती है और सूर्यताप अधिक प्राप्त होता है जबकि शीत ऋतु में दिन छोटे होने से सूर्यताप कम प्राप्त होते हैं। भूमध्य रेखा पर वर्ष भर सूर्यताप एक समान होता है जबकि ध्रुवों पर ऐसी बात नहीं होती क्योंकि वहाँ छ: महीने का दिन और छ: महीने का रात होता है। सूर्य पृथ्वी के नजदीक हो तो अधिक और दूर हो तो कम सूर्यताप प्राप्त होता है।
प्रश्न 5.
महासागरों के तापमान को प्रभावित करनेवाले किन्हीं तीन कारकों का परीक्षण करें।
उत्तर:
महासागरीय जल के तापमान को प्रभावित करने वाले कारकों में तीन प्रमख हैं जो निम्नलिखित हैं –
- अक्षांश – महासागरीय जल का तापमान भूमध्य रेखा पर अधिकतम तथा ध्रुवों पर न्युनतम होता है।
- प्रचलित पवनें – ये हवायें अपने साथ समुद्र तल के जल को बहा ले जाती है, जिसकी पूर्ति हेतु समुद्र के निचले भाग से ठण्डा जल उपर आ जाता है। इस प्रकार जिस ओर से वायु चलती है वहाँ समुद्र जल का तापमान कम तथा जिस ओर वायु चलती है वहाँ तापमान अधिक होता है।
- लवणता – समुद्रीजल के तापमान पर लवणता का भी प्रभाव पड़ता है। अधिक लवणता वाला जल अधिक उष्मा ग्रहण कर सकता है। अत: उसका तापमान भी अधिक होता है।
(ग) निम्नलिखिल प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
अक्षांश और पृथ्वी के अक्ष का झुकाव किस प्रकार पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होने वाली विकिरण की मात्रा को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
अक्षांश (Latitude) – किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर करता है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की तरफ जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणें के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।
पृथ्वी गोलाकार (geoid) है। सूर्य की किरणें वायुमण्डल के ऊपरी भाग पर तिरछी पड़ती हैं जिसके कारण पृथ्वी सौर ऊर्जा के बहुत कम अंश को ही प्राप्त कर पाती है। पृथ्वी औसत रूप से वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर 0.5 कैलोरी प्रति वर्ग सेन्टीमीटर। प्रति मिनट ऊर्जा प्राप्त करती है। वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाली ऊर्जा में प्रतिवर्ष थोड़ा परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी में अंतर के कारण होता है। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान पृथ्वी 4 जुलाई को सबसे दूर अर्थात् 15 करोड़ 20 लाख किलोमीटर दूर होती है।
पृथ्वी की इस स्थिति को अपसौर (aphelion) कहा जाता है। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट अर्थात् 14 करोड़ 70 लाख किमी दूर होती है । पृथ्वी की इस स्थिति को ‘उपसौर’ (Perihelion) कहा जाता है। इसलिए पृथ्वी द्वारा प्राप्त वार्षिक सूर्यताप (Insolation) 3 जनवरी की अपेक्षा 4 जुलाई को अधिक होता है फिर भी सूर्यातप की भिन्नता का यह प्रभाव दूसरे कारकों, जैसे स्थल एवं समुद्र का वितरण तथा वायुमण्डल परिसंचरण के द्वारा कम हो जाता है। यही कारण है कि सूर्याताप की यह भिन्नता पृथ्वी की सतह पर होने वाले प्रतिदिन के मौसम परिवर्तन पर अधिक प्रभाव नहीं डाल पाती है।
प्रश्न 2.
पृथ्वी और वायुमण्डल किस पकार ताप को संतुलित करते हैं? इसकी व्याख्या करें?
उत्तर:
पृथ्वी विद्युत परिपथ में एक ट्रांसफार्मर का कार्य करती है। यह एक तरफ से कर्जा प्राप्त करती है तथा दूसरी तरफ से प्रेक्षित कर देती है। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमण्डल को गर्म करती है। प्रकृति संपूर्ण पृथ्वी पर संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी क्रियाविधि को जन्म देती है जिससे ऊष्मा का स्थानांतरण ऊष्णकटिबंध से उच्च अक्षांशों की ओर वायुमण्डलीय परिसंचरण तथा महासागरीय धाराओं द्वारा सम्पन्न होता है। मान लो वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाला ताप 100 इकाई है। इसमें से केवल 51 इकाई ताप ही पृथ्वी पर पहुंचता है।
49 इकाई ताप वायुमण्डल तथा अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है। 35 इकाई ताप तो पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने से पहले ही अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाता है। इसमें से 6 इकाई अंतरिक्ष में प्रकीर्णन द्वारा, 27 इकाई ताप मेघों द्वारा परावर्तित होता है तथा 2 इकाई पृथ्वी द्वारा परावर्तित हो जाता है। सौर विकिरण की इस परावर्तित मात्रा को पृथ्वी का एल्बिडो कहते हैं। शेष 65 इाकईयों में से 14 इाकई ताप वायुमण्डल द्वारा अवशोषित होता है।
इस प्रकार पृथ्वी पर 100 इकाईयों में से 14 इकाई ताप वायुमण्डल द्वारा अवशोषित होता है। इस प्रकार पृथ्वी पर 100 इकाईयों में से 51 इकाई ताप ही पहुंच पाता है। पृथ्वी द्वारा अवशोषित 51 इकाइयाँ भौमिक विकिरण (Terrestrial Radiation) के रूप में लौट जाती है। इनमें से 17 इकाइयाँ तो सीधे अंतरिक्ष में लौट जाती हैं और 34 इकाइयाँ वायुमण्डल द्वारा अवशोषित होती हैं।
वायुमण्डल द्वारा अवशोषित 48 इकाइयाँ (14 इकाइयाँ सूर्याताप से तथा 34 इकाइयाँ भौमिक विकिरण से) पुन: अंतरिक्ष में लौट जाती हैं। इस प्रकार पृथ्वी और उसके वायमुण्डल को प्राप्त उसके वायुमण्डल को प्राप्त हुई उष्मा उनके द्वारा छोड़ी गई उष्मा के बराबर है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल द्वारा प्राप्त ताप तथा उसके द्वारा ताप के हास के संतुलन को ऊष्मा संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 3.
जनवरी में पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के बीच तापमान के विश्वव्यापी वितरण की तुलना करें।
उत्तर:
- जनवरी में अधिकतम तापमान महाद्वीपों पर पाया जाता है। दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के स्थल खंडों पर तापमान 30°C से अधिक होता है। उच्चतम ताप मकर रेखा के साथ-साथ पाया जाता है।
- जनवरी मास में न्यूनतम तापमान उत्तर:पूर्वी एशिया में पाया जाता है। साइबेरिया में वरखोयस्क में-32°C तक निम्नतम तापमान पाया जाता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरों पर ध्रुवों की ओर तथा महाद्वीपों पर भूमध्य रेखा की ओर झुकी होती है।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरों पर भूमध्य रेखा की ओर तथा महाद्वीपों ध्रुवों की ओर झुकी होती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ नियमित रूप तथा सूर्य-पश्चिम दिशा में अक्षांशों के समानान्तर पाई जाती है, क्योंकि यहाँ जल की अधिकता है, लेकिन उत्तरी गोलार्द्ध में
- रेखाएँ अनियमित होती हैं । दक्षिणी गोलार्द्ध में 30°C की समताप रेखा उत्तर:पश्चिमी एजेन्टीना, अफ्रीका के पूर्वी भाग, वोर्नियों तथा आस्ट्रेलिया से होकर गुजरती है।
(घ) परियोजना कार्य (Project Work)
प्रश्न 1.
अपने शहर के आस-पास की किसी वेधशाला का पता लगाएँ। वेधशाला की मौसम विज्ञान संबंधी सारणी में दिए गए तापमान को तालिकाबद्ध करें।
उत्तर:
- वेधशला की तुंगता अक्षांश और उस समय को जिसके लिए माध्य निकाला गया है, लिखें
- सारणी में तापमान के संबंध में दिए गये पदों को परिभाषित करें।
- एक महीने तक प्रतिदिन के तापमान के माध्य की गणना करें।
- ग्राफ द्वारा प्रतिदिन का अधिकतम माध्य तापमान, न्यूनतम माध्य तापमान तथा कुल माध्य तापमान दर्शायें।
- वार्षिक तापांतर की गणना करें।
- पता लगायें कि किन महीनों का माध्य तापमान सबसे अधिक और सबसे कम है।
- उन कारकों को लिखें, जो किसी स्थान को तापमान का निर्धारण करते हैं और जनवरी, मई, जुलाई और अक्टूबर में होने वाले तापमान के अंतर के कारणों को समझाएं।
उदाहरण :
वेधशाला : नई दिल्ली सफदरजंग
अक्षांश : 28°35°N
अवलोकन वर्ष : 1951 से 1980
समुद्री सतह के माध्यम से तुंगता : 216 मी
महीना : जनवरी, मई
प्रतिदिन के अधिकतम तापमान का।
माध्य (°C) : 21.1,39.6
प्रतिदिन के न्यूनतम तापमान का
माध्य (°C) : 73, 259
उच्चतम तापमान (°C) : 293, 472
न्यूनतम तापमान (°C) : 0.6, 175
एक महीने के प्रतिदिन का माध्य तापमान :
जनवरी 211+7.32 = 14.2°C
मई 39.6+25.92 = 32.25°C
वार्षिक तापांतर:
मई का अधिकतम माध्य ताप-जनवरी का माध्य तापमान
वार्षिक तापांतर = 32.75°C – 14.2C° = 18.55°C
विद्यार्थी शेष भाग स्वयं करें – वार्षिक ताप परिसर – वर्ष में सबसे गर्म तथा सबसे ठण्डे माह के औसत तापमानों के अंतर को वार्षिक ताप परिसर कहते हैं। उत्तरी गोलार्ड के मध्य तथा उच्च अक्षांशों में महाद्वीपों के आंतरिक भागों में वार्षिक ताप परिसा बहुत अधिक होता है। विश्व में सबसे अधिक वार्षिक ताप परिसर 68° से० साइबेरिया के वरखोयास्क नामक स्थान पर होता है। शीत ऋतु में यहाँ पर -50° से. तापमान हो जाता है जिस कारण इसे पृथ्वी का ‘शीत-ध्रुव’ कहा जाता है।
तापमान के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –
- अक्षांश अथवा भूमध्य रेखा से दूरी
- स्थल और जल की विषमता अथवा समुद्र तट से दूरी
- उच्चावच एवं ऊँचाई अथवा समुद्र तल से ऊंचाई
- महासागर धाराएँ
- वनस्पति आवरण और
- भू-तल का स्वभाव
Bihar Board Class 11 Geography सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
अभिवहन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायु के क्षैतिज संचलन के माध्यम से ऊष्मा का स्थानान्तरण अभिवन कहलाता है। मध्य अक्षांशों में अधिकांश दैनिक मौसमी परिवर्तन केवल अभिवहन द्वारा उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 2.
संवहन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ताप का उर्ध्वाधर मिश्रण या प्रक्षोभ संवहन कहलाता है। यह उष्मा स्थानान्तरण की एक विधि है। यह विधि वायुमण्डल की निचली परतों को गर्म करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 3.
तापमान क्या है?
उत्तर:
किसी तंत्र में संवेदय या उपलब्ध ऊष्मा को तापमान कहते हैं। यह किसी वस्तु की उष्णता अथवा ठण्डक की माप है।
प्रश्न 4.
तापमान व्युत्क्रमण क्या होता है?
उत्तर:
तापमान ऊंचाई के साथ घटता जाता है, परन्तु जब स्थिति विपरीत हो जाती है, तब इसे तापमान व्युत्क्रमण कहते हैं।
प्रश्न 5.
वायु अपवाह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पहाड़ियों तथा पर्वतों पर रात में ठंडी हवा गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से लगभग जल की तरह कार्य करती है और ढाल के साथ ऊपर से नीचे उतरती है। यह घाटी में गर्म हवा के नीचे एकत्र हो जाती है। इसे वायु अफवाह कहते हैं। वायु अपवाह पाले से पौधों की रक्षा करती है।
प्रश्न 6.
सूर्य से विकरित ऊर्जा कहाँ से आती है?
उत्तर:
सूर्य से विकरित ऊर्जा इसके क्रोड में होने वाली आणविक प्रतिक्रियाओं से आती है, जहाँ तापमान 15,000,000°C के लगभग है।
प्रश्न 7.
लघु तरंगें क्या होती हैं ? ..
उत्तर:
पृथ्वी पर सूर्य से विकिरित ऊर्जा विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में प्रसारित होती है, जिन्हें लघु तरंगें कहते हैं। इन तरंगों का वेग लगभग 2,98,000 किमी प्रति सेकेण्ड है।।
प्रश्न 8.
‘सूर्यताप’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर आने वाले सूर्य विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। सूर्यताप विषुवत् रेखा पर सर्वाधिक होता है तथा ध्रुव की ओर घटता जाता है।
प्रश्न 9.
पार्थिव विकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्य अंतरिक्ष में लघु तरंग विकिरण का उत्सर्जन करता है, पृथ्वी दीर्घ तरंगों में ऊर्जा विकिरित करती है, इसे पार्थिव विकिरण कहते हैं।
प्रश्न 10.
प्रत्यक्ष विकिरण का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्यताप की 100 इकाइयों में केवल 2 इकाइयाँ सीधे भू-पृष्ठ पर पहुँचती हैं। सौर कर्जा वायुमण्डल की ऊपरी सीमा पर पहुंचती है और धीरे-धीरे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी के धरातल पर आती है और अवशोषित हो जाती है। इस कर्जा प्रवाह को प्रत्यक्ष विकिरण कहते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
समताप रेखाएँ मौसम के अनुसार उत्तर और दक्षिण की ओर क्यों खिसकती है?
उत्तर:
समताप रेखाओं की स्थिति सूर्यताप की अधिकतम मात्रा के अनुसार होती है। सूर्य की लम्बवत् किरणें मौसम के अनुसार बदलती रहती है। जून में सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है जबकि दिसम्बर में मकर रेखा पर । परिणामस्वरूप ग्रीष्मकाल में सूर्यताप की अधिकतम मात्रा उत्तरी गोलार्द्ध में शीतकाल में दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है। इसलिए समताप रेखाएँ ग्रीष्मकाल में कुछ उत्तर की ओर तथा शीतकाल में दक्षिणी की ओर खिसक जाती है।
समताप रेखाएँ स्थल पर अधिक खिसकती हैं। स्थल तथा जल में गर्म होने की मात्रा में एक असमानता पाई जाती है। स्थल भाग शीघ्र ही गर्म तथा शीघ्र ही ठंडे हो जाते हैं। परन्तु जल भाग देर से गर्म तथा देर से ठंडे होते है। स्थल भाग के तापमान में मौसमों के अनुसार अधिक अंतर पाए जाते हैं, परन्तु सागरों में तापमान में कम अंतर होता है। इसलिए स्थल भाग पर समताप रेखाएँ मौसमों के अनुसार खिसकती हैं।
प्रश्न 2.
दक्षिणी गोलार्द्ध की अपेक्षा उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ अधिक अनियमित क्यों होती हैं?
उत्तर:
जल तथा स्थल के गर्म होने की दर में असमानता के कारण समताप रेखाएँ महासागर से महाद्वीप पर या महाद्वीप से महासागर पर आते समय कुछ मुड़ जाती हैं। ये उत्तर गोलार्द्ध में जुलाई में समताप रेखाएँ महासागरों पर से गुजरते समय भूमध्य रेखा की ओर तथा महाद्वीपों पर से गुजरते समय ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं। दक्षिणी गोलाद्ध में इसकी विपरीत दिशा होती है। इसके दो कारण हैं
- जल तथा स्थल के गर्म होने की मात्रा में असमानता।
- जल तथा स्थल खण्डों का असमान वितरण ।
उत्तरी गोलार्द्ध में स्थल खण्ड का विस्तार अधिक है। इसलिए समताप रेखाएँ अनियमित हो सकती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में महासागरों का अत्यधिक विस्तार है तथा समताप रेखाएँ लगभग सीधी तथा नियमित होती हैं।
प्रश्न 3.
सूर्यातप की मात्रा सूर्य की किरणों के आयतन कोण से किस प्रकार संबंधित हैं ?
उत्तर:
धरातल पर प्राप्त होने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। सूर्यातप की मात्रा सूर्य को किरणों के आयतन कोण पर निर्भर करती है।
- लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा कम स्थान घेरती हैं। इस प्रकार प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त ताप अधिक होता है।
- लम्ब किरणों को तिरछी किरणों की अपेक्षा वायुमण्डल का थोड़ा भाग पार करना पड़ता है, इसलिए वायुमण्डल में मिली गैसे, जलवाष्प, द्वारा अवशेषण, परावर्तन तथा बिखराव से सूर्याताप की मात्रा कम नष्ट होती है।
प्रश्न 4.
वायुमण्डल सूर्यातप की अपेक्षा भौमिक विकिरण से अधिक कम क्यों होता है?
उत्तर:
सूर्य की किरणें सीधे रूप से वायुमण्डल को गर्म नहीं करती हैं। सूर्य से प्राप्त किरणें लघु तरंगों के रूप में वायुमण्डल से गुजरती हैं। वायमण्डल इन किरणों को अवशोषित नहीं कर पाता । ये किरणें भूतल को गर्म करती हैं। भूतल से विकिरण दीर्घ तरंगों के रूप में होता है। वायुमण्डल इन किरणों का भली प्रकार अवशोषण कर लेता हैं। इस भौमिक विकिरण से ही वायुमण्डल गर्म होता है। इसलिए वायुमण्डल नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। सूर्य अंतरिक्ष में ऊर्जा का वितरण लघु तरंगों के रूप में करता है, जबकि पृथ्वी दीर्घ तरंगों को अंतरिक्ष में विकरित करती है।
प्रश्न 5.
सूर्य द्वारा विकिरित ऊर्जा का कितना भाग पृथ्वी द्वारा प्राप्त किया जाता है ?
उत्तर:
सौर ऊर्जा का लगभग 51 प्रतिशत भाग पृथ्वी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पहुँचता है। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमण्डल को गर्म करती हैं।
प्रश्न 6.
धरातल पर पड़ने वाली सूर्य किरणों का कोण किस प्रकार सर्यातप को प्रभावित करता है?
उत्तर:
पृथ्वी का अक्ष कक्ष तल 66° से 30° का कोण बनाते हुए झुका हुआ है। पृथ्वी के अक्ष के झुकाव के कारण भू-पृष्ठ पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों के कोण में भिन्नता होती . है। जब उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर झुका होता है, तब यह सर्वाधिक सूर्यातप प्राप्त करता है। 21 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा के ठीक ऊपर होता है और दक्षिणी गोलार्द्ध सर्वाधिक प्रकाश प्राप्त करता है। उष्णकटिबंधीय क्षेत्र सर्वाधिक सूर्यातप प्राप्त करते हैं। जैसे-जैसे विषुवत् रेखा की ओर बढ़ते हैं, सूर्यातप की गहनता कम होती जाती है, जिससे तापमान में गिरावट आती है।
प्रश्न 7.
समताप रेखाएँ क्या है ?
उत्तर:
समताप रेखाएँ काल्पनिक रेखाएँ हैं, जो समुद्र तल के अनुसार समान तापमान वाले स्थानों को मिलती हैं। समताप रेखाएँ सामान्यतः अक्षांश वृत्तों का अनुसरण करती हैं, क्योंकि वे तापमान विपर्यास का कारण है।
प्रश्न 8.
सूर्यातप और पार्थिव विकिरण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सूर्यातप और पार्थिव विकिरण में अंतर –
प्रश्न 9.
वायुमण्डल किस प्रकार गर्म होता है?
उत्तर:
पृथ्वी विद्युतज परिपथ में एक ट्रांसफार्मर का कार्य करती है। यह एक तरफ से ऊर्जा प्राप्त करती है तथा दूसरी तरफ से इसे प्रेक्षित कर देती है। सूर्य पृथ्वी को गर्म करता है और पृथ्वी वायुमण्डल को गर्म करती है। अवशोषित सौर ऊर्जा घरातलीय तापमान में वृद्धि करती है और बदले में स्थल एक ऊर्जा विकिरण (रेडियेटर) बन जाता है। सूर्य अंतरिक्ष में लघु तरंग विकिरण का उत्सर्जन करता है, पृथ्वी दीर्घ तरंगों में ऊर्जा विकिरित करती है। सौर ऊप वायुमण्डल की ऊपरी भाग सीमा तक पहुंचती है और वायुमण्डल को गर्म कर देती है।
प्रश्न 10.
अपवहन और संवहन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
अपवहन और संवहन में अंतर –
प्रश्न 11.
सामान्य ह्रास दर और तापमान व्युत्क्रमण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सामान्य हास दर और तापमान व्युत्क्रमण में अंतर –
प्रश्न 12.
सूर्यातप और किसी स्थान के तापमान में क्या अंतर है?
उत्तर:
पृथ्वी पर पहुंचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। यह ऊर्जा लघु तरंगें के रूप में 3 लाख किमी प्रति सकेण्ड की दर से पृथ्वी पर पहुँचती है। पृथ्वी पर सौर विकिरण का केवल 2 अरबवाँ भाग ही पहुँचता है। किसी स्थान के तापमान से अभिप्रायः उस स्थान पर धरातल से एक मीटर की वायु से ऊष्मा की मात्रा है। वह वायुमण्डल का तापमान है। वायु धरातल द्वारा छोड़ी गई ऊर्जा के विकिरण से गर्म होती है।
प्रश्न 13.
तापमान के क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर वितरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
क्षैतिज वितरण-अक्षांशों के अनुसार तापमान घटता-बढ़ता रहता है। अक्षांशों के अनुसार तापमान के वितरण को क्षैतिज वितरण कहते हैं। यह वितरण समताप रेखाओं द्वारा प्रकट किया जाता है। ऊर्ध्वाधर वितरण-वायुमण्डल मुख्यतः नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। इसलिए ऊँचाई के साथ तापमान कम होता है। तापमान कम होने पर 1°C प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर कहते हैं।
प्रश्न 14.
विभिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा भिन्न-भिन्न क्यों होती है?
उत्तर:
सूर्यातप की मात्रा सूर्य किरणों के आयतन कोण तथा दिन की अवधि पर निर्भर करती है। पृथ्वी की वार्षिक गति तथा पृथ्वी के अक्ष के झकाव के कारण भिन्न अक्षांशों पर सूर्य किरणों का कोण भिन्न-भिन्न होता है तथा दिन की अवधि भी समान नहीं होती। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्य की किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है तथा दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है। इसलिए भिन्न-भिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है। एक ही अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा अन्य स्थानों पर बराबर होती है।
प्रश्न 15.
दैनिक तथा वार्षिक तापांतर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
दैनिक तापांतर-किसी स्थान पर उस दिन के उच्चतम तथा न्यूनतम तापमान के अंतर को उस स्थान का दैनिक तापांतर कहते हैं। यह तटीय प्रदेशों में कम होता है। दैनिक तापांतर अन्दरुनी भागों तथा मरुस्थलीय प्रदेशों से अधिक होता है। वार्षिक तापांतर-किसी वर्ष के सबसे गर्म तथा सबसे ठंडे महीनों के औसत मासिक तापमान के अंतर को वार्षिक तापांतर कहते हैं। प्रायः जुलाई मास को सबसे गर्म तथा जनवरी मास को सबसे ठंडा मास लिया जाता है। सबसे अधिक वार्षिक तापांतर साइबेरिया में बरखोयास्क में 38°C होता है।
प्रश्न 16.
समताप रेखाओं की दिशा अधिकतर पूर्व-पश्चिम क्यों रहती है?
उत्तर:
किसी अक्षांश रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर सूर्य की किरणों का कोण तथा दिन की लम्बाई बराबर होती है इसलिए इन स्थानों पर सूर्यताप की मात्रा समान होती है। इन स्थानों ‘का तापमान भी समान होता है । इस प्रकार समान तापमान वाले स्थानों को आपस में मिलाने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं। इसी कारण समताप रेखाओं और अक्षांश रेखाओं में अनुरूपता पाई जाती है। समताप रेखाएँ अक्षांश रेखाओं का अनुकरण करते हुए पूर्व से पश्चिम दिशा में फैली होती हैं।
प्रश्न 17.
ऊष्मा बजट किसे कहते हैं ? सूर्यातप की वार्षिक मात्रा का वितरण बताओ।
उत्तर:
पृथ्वी पर औसत तापमान 35°C है। सूर्यातप एवं भौमिक विकिरण के कारण पृथ्वी के ताप में संतुलन रहता है, पृथ्वी जितनी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त करती है, उतनी ही मात्रा में ऊर्जा भौमिक विकिरण द्वारा अंतरिक्ष में लौट जाती है। इसे ऊष्मा बजट करते हैं।
सूर्यातप का वार्षिक वितरण –
- ऊष्ण कटिबन्ध में सूर्यातप की मात्रा सबसे अधिक होती है।
- 40° अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा कम होकर 75% रहती है।
- 661°2 – अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा 50° रहती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
तापमान प्रतिलोप अथवा व्युत्क्रम पर विचार करें। इसके जलवायुविक आशय क्या-क्या हैं?
उत्तर:
तापमान प्रतिलोम – ऊँचाई के बढ़ने के साथ-साथ 1°C प्रति 165 मीटर की दर से तापमान कम होता है, परन्तु कई बार स्थायी या अस्थाई रूप से ऊंचाई के साथ-साथ रापमान में वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में जब ठंडी वायु धरातल के निकट और गर्म वायु इसके ऊपर हो तो इसे तापमान प्रतिलोम कहते हैं।
तापमान प्रतिलोम के लिए आदर्श दशाएँ –
- लम्बी रातें – जाड़ों की लम्बी रातों में पृथ्वी से विकिरण अधिक होने से धरातल के निकट ठण्डी परतें पाई जाती हैं।
- स्वच्छ आकाश – रात को स्वच्छ आकाश तथा ऊँचे मेघों के कारण भी विकिरण अधिक होता है।
- शांत वायु – शांत वायु के कारण वायु में गति नहीं होती तथा घरातलीय सतह शीघ्र ही ठण्डी हो जाती हैं।
- शीत – शुष्क वायु-शीत शुष्क वायु पृथ्वी का बहुत-सा ताप सोख कर इसे ठंडा कर देती है।
- हिमाच्छादित प्रदेश-बर्फ से ढका धरातल नीचे की गर्मी को ऊपर जाने से रोकता है।
तापमान प्रतिलोम के प्रकार –
1. धरातलीय प्रतिलोम – यह तापमान प्रतिलोम वायुमण्डल की निचली परतों में होता है। शीतकाल की लम्बी रातों में शीत-शुष्क वायु तथा स्वच्छ आकाश के धरातल पर विकिरण क्रिया से सारी ऊष्मा समाप्त हो जाती है। धरातल के निकट वायु की परत ठंडी हो जाती है तथा ऊपरी परत गर्म रहती है। तापमान ऊंचाई के साथ घटने की जगह बढ़ने लगता है इस प्रकार का प्रतिलोम ध्रुवीय प्रदेशों, उच्च अक्षांशों में तथा हिम से ढके प्रदेशों में होता है।
2. गत्यात्मक प्रतिलोम – इस प्रतिलोम में शीतल वायु राशियाँ कम ऊंचाई पर गर्म वायु से मिलती हैं तो धरातल के निकट की वायु ठण्डी हो जाती है। यह एक अस्थाई अवस्था होती है जो प्राय: चक्रवातों के प्रदेश में पाई जाती है।
3. वायु अफवाह प्रतिलोम – जब ऊंचे प्रदेशों से शीत वायु के पुंज निचली घाटियों में खिसकर इकट्ठे हो जाते हैं तो घाटी की गर्म वायु ऊपर उठ जाती है। इस प्रतिलोम के कारण पर्वतीय ढलानों पर फलों के बगीचे घाटियों में न लगाकर ढलानों पर लगाए जाते हैं।
4. जलवायुविक महत्त्व – तापमान विलोम का जलवायुविक महत्त्व है। इस स्थिति में वायु में संवाहन तथा मिश्रण क्रिया का अभाव होता है। वायु की ऊपरी परते शुष्क रहती हैं। निचली परतों में कोहरा छा जाता है। स्तरी मेधों का निर्माण होता है, परन्तु ये प्रभाव अस्थायी रूप से पाए जाते हैं।
प्रश्न 2.
समताप रेखाओं से क्या अभिप्राय है? इसकी मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
धरातल पर समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं। किसी अक्षांश रेखा पर स्थित सभी स्थानों पर सूर्य की किरणों का कोण तथा दिन की लम्बाई बराबर होती है। इसलिए इन स्थानों पर सूर्यातप की मात्रा समान होती है। इन स्थानों का तापमान भी समान होता है। इस प्रकार समान तापमान वाले स्थानों को आपस में मिलाने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं, इसी कारण समताप रेखाओं और अक्षांश रेखाओं में अनुरूपता पाई जाती है। समताप रेखाएँ अक्षांश रेखाओं का अनुकरण करते हुए पूर्व से पश्चिम दिशा में फैली होती है। समताप रेखाओं की स्थिति सूर्यातप की अधिकतम मात्रा के अनुसार होती है।
सूर्य की लम्बवत् किरणें मौसम के अनुसार बदलती रहती है। जून में सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् चमकता है जबकि दिसम्बर में मकर रेखा पर । परिणामस्वरूप ग्रीष्मकाल में सूर्यातप की अधिकतम मात्रा उत्तरी गोलार्द्ध में शीतकाल में दक्षिणी गोलार्द्ध में होती है। इसलिए समताप रेखाएँ ग्रीष्मकाल में कुछ उत्तर की ओर तथा शीतकाल में कुछ दक्षिणी की ओर खिसक जाती हैं।
इस तापक्रम को समुद्र तल पर घटाकर दिखाया जाता है। इस प्रकार उंचाई के प्रभाव को दूर करने का प्रयत्न किया जाता है। यह कल्पना की सभी स्थान पर समुद्र तल स्थित है। यदि कोई स्थान 1650°C मीटर ऊंचा है और उसका वास्तविक तापमान 20°C है तो उस स्थान का समुद्र तल पर तापमान 20° + 10°C = 30°C होगा, क्योंकि प्रति 165 मीटर पर 1°C तापमान कम हो जाता है।
विशेषताएँ –
- ये रेखाएँ पूर्व – पश्चिम दिशा में फैली हुई होती हैं।
- ये उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलाई में सीधी हो जाती हैं, क्योंकि यहाँ स्थल भाग की कमी है।
- ये रेखाएँ ग्रीष्म ऋतु में समुद्रों पर भूमध्य रेखा की ओर, परन्तु शीत ऋतु में धूवों की ओर मुड़ जाती हैं।
- जलवायु मानचित्रों में तापमान का वितरण समताप रेखा द्वारा दिखाया जाता है।
- मताप रेखाओं का अंतराल अक्षांश रेखाओं पर तापमान में शीघ्र परिवर्तन तथा दरस्थ अंतराल क्रमिक परिवर्तन का सूचक हैं।
प्रश्न 3.
उच्या स्थानांतरण की मूल क्रियाविधि क्या है? वायुमण्डल के संदर्भ में इन क्रियाविधि के महत्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
वायुमण्डल के कष्मा का स्थानांतरण कई प्रकार से होता है –
- अभिवहन
- संवहन
1. अभिवहन – यह वायु के क्षैतिज संचलन के माध्यम से ऊष्मा का स्थानांतरण है। वायु का क्षैतिज संचलन इसके उर्ध्वाधर संचलन की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। मध्य अक्षांशों में अधिकांश दैनिक मौसमी परिवर्तन केवल अभिवहन द्वारा उत्पन्न होते हैं। उत्तरी भारत में गर्मियों
अलसा देने वाली गर्म हवा. जिसका स्थानीय नाम ‘ल’ है. अभिवहन प्रक्रिया का परिणाम है। इसी प्रकार शीतोष्ण क्षेत्रों में, सर्दियों में उष्णकटिबंधीय गर्म वायु का अभिवहन मौसम को सुहावना भना देता है। इस प्रकार भूपृष्ठ के समीप वायुमण्डल के तापमान में बड़े पैमाने पर उत्क्रमण अभिवहन प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
2. संवहन – ऊर्जा का संवहनी परिवहन केवल क्षोभमण्डल तक सीमित है। वायुमण्डल की निचली परत में वायु या तो पार्थिव विकिरण अथवा चालन द्वारा गर्म होती है। ऊष्मा का प्रवाह गर्म से ठंडी वस्तु की ओर होता है और यह स्थानांतरण तब तक होता रहता है, जब तक दोनों वस्तुओं का तापमान समान न हो जाय । धातु सुचालक है, परन्तु वायु नहीं। चालन वायुमण्डल की निचली परतों को गर्म करने में महत्त्वपूर्ण है। ऊपर की ठण्डी हवा सघन तथा भारी होने के कारण रिक्त स्थान को भरने के लिए नीचे खिसक जाती है, जिससे एक ओर हवा निरन्तर गर्म होकर ऊपर उठती रहती है और दूसरी ओर ठण्डी हवा नीचे उतरकर इसका स्थान लेती रहती है। अत: वायु का परिसंचरण निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर ऊष्मा स्थानांतरण से जुड़ी हुई है।
प्रश्न 4.
तापमान के क्षैतिज विवरण को नियंत्रित करने वाले कारकों की चर्चा विशेष रूप से जुलाई और जनवरी की दशाओं के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर तापमान के वितरण का विश्लेषण शीत और ग्रीष्म ऋतुओं को समताप रेखा मानगि में की सहायता से किया जा सकता है। तापमान किसी पदार्थ में ताप की मात्रा का सूचक है। किसी स्थान पर छाया में भूतल से 4 फुट की ऊंची वायु की मापी हुई गर्मी को उस स्थान पर तापमान कहा जाता है। प्रत्येक स्थान पर तापमान समान नहीं पाया जाता है। पृथ्वी के धरातल पर तापमान का विवरण निम्नलिखित संघटकों द्वारा नियंत्रित होता है
1. भूमध्य रेखा से दूरी – किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर है। भूमध्य रेखा से धूवों की ओर जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणों के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।
2. समुद्र तल से ऊंचाई – समुद्र तल से ऊंचाई के साथ तापमान घटता है। ताप के कम होने की दर IF प्रति 300 फुट या 0.6°C प्रति 100 मीटर है। वायुमण्डल धरातल द्वारा छोड़ी गई गर्मी से गर्म होता है। इसलिए निचली परतें पहले गर्म होती हैं तथा ऊपरी बाद में। ऊंचाई के साथ वायु का दाब सघनता, जलवाष्प तथा घूल के कणों की कमी होती है। इसलिए पर्वत मैदानों की अपेक्षा ठण्डे होते हैं।
3. समुद्र से दूरी – समुद्र के समीप के प्रदेशों में सम जलवायु होती है परन्तु समुद्र से दूर प्रदेशों में कठोर जलवायु मिलती है। जल स्थल की अपेक्षा धीरे-धीरे गर्म तथा ठंण्डा होता है। इसलिए तटीय प्रदेशों में जल समीर तथा स्थल समीर के कारण गर्मी तथा सर्दी दोनों ही अधिक नहीं होती।
4. प्रचलित पवनें – समुद्र की ओर से आने वाली पवनें जलवायु को नम तथा आर्द्र बनाती हैं परन्तु स्थल की ओर से आने वाली पवने स्थल के कारण किसी प्रदेश की जलवायु को कठोर तथा शुष्क बनाती हैं। समुद्र से आने वाली पश्चिमी पवनों के कारण शीत-ऋतु में इंग्लैंड का औसतन तापमान 20°F से 30°F ऊँचा रहता है।
5. समुद्री धाराएँ – समुद्री धाराओं का प्रभाव उन पवनों द्वारा होता है जो इन धाराओं के ऊपर से गुजरती हैं। गर्म धाराओं के ऊपर से गुजरने वाली पवनें तटीय प्रदेशों के तापक्रम को ऊँचा कर देती हैं तथा वर्षा में सहायक होती हैं। ठण्डी धाराओं के ऊपर से गुजरने वाली पवनों के प्रभाव से तटीय प्रदेश ठण्डे तथा शुष्क होते हैं।
6. पवनों की दिशा – किसी देश के पर्वतों की स्थिति तथा दिशा तापमान वर्षा पर प्रभाव डालती है। अरावली पर्वत मानसून पवनों के समानांतर स्थित होने के कारण इन्हें रोक नहीं पाता, जिससे राजस्थान शुष्क रहता है। यदि हिमालय पर्वत मानसून के आड़े स्थित न होता तो उत्तरी भारत तक मरुस्थल होता।
7. भू-तल का स्वभाव – मैदानों की चिकनी मिट्टी प्राय: बारीक होती है तथा शनैः शनैः गरम तथा ठंडी होती है, परन्तु रेत जल्दी ही गर्म तथा ठंडा हो जाती है। इसी कारण मरुस्थलों में दिन को अधिक गर्मी तथा रात को अधिक सर्दी होती हैं। तापमान का वितरण मानचित्रों पर समताप रेखाओं द्वारा दिखाया जाता है। यह वितरण वार्षिक होता है। ग्रीष्म ऋतु का तापमान जुलाई तथा शीत ऋतु का तापमान जनवरी के महीनों के मानचित्रों द्वारा प्रकट किया जाता है।
जनवरी में तापमान वितरण के लक्षण –
- जनवरी में अधिकतम तापमान महाद्वीपों पर पाया जाता है। दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया के स्थल खण्डों पर तापमान 3°C से अधिक होता है। उच्चतम ताप मकर रेखा के साथ-साथ पाया जाता है।
- जनवरी मास में न्यूनतम तापमान उत्तर:पूर्वी एशिया में पाया जाता है। साइबेरिया में वरखोयास्क में – 32°C तक निम्नतम तापमान पाया जाता है।
- उत्तरी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरों पर ध्रुवों की ओर तथा महाद्वीपों पर भूमध्य रेखा की ओर झुकी होती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में समताप रेखाएँ महासागरों पर भूमध्य रेखा की ओर तथा महाद्वीपों पर ध्रुवों की ओर झुकी होती हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध में तापमान रेखाएँ नियमित रूप तथा पूर्व-पश्चिम दिशा में अक्षांशों के समानांतर पाई जाती है, क्योंकि यहाँ जल की अधिकता है परन्तु उत्तरी गोलार्द्ध में ये रेखाएँ अनियमित होती हैं। दक्षिणी गोलार्द्ध में 30°C की समताप रेखा उत्तर:पश्चिमी अर्जेंटीना, अफ्रीका के पूर्वी भाग, बेर्नियो तथा आस्ट्रेलिया से होकर गुजरती है।
जुलाई में ताप वितरण – जुलाई उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे अधिक गर्म मास तथा दक्षिणी गोलार्ड में सबसे अधिक ठंडा मास होता है।
- जुलाई में तापमान उत्तरी गोलार्द्ध में तथा मरुस्थलों पर पाया जाता है। निम्नतम तापमान भी उत्तरी गोलाई में ग्रीनलैंड के मध्य पाया जाता है।
- समताप रेखाएँ समुद्र पार करते समय भूमध्य रेखा की ओर तथा स्थल-खण्ड को पार करते हुए ध्रुवों की ओर मुड़ जाती हैं।
- समताप रेखाएँ उत्तरी गोलार्द्ध की अपेक्षा दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिक नियमित होती हैं।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें –
- स्थल एवं जल का विभेदी तापन
- ऊष्मा नट, तथा
- अक्षांशीय ऊष्मा संतुलन
उत्तर:
1. स्थल एवं जल का विभेदी तापन – स्थल, जल और बर्फ विभिन्न दरों से गर्म और ठंडे होते हैं। अत: एक ही अक्षांश पर स्थल और जल पर की हवा के तापमान में काफी भिन्नता होती है। महाद्वीपों तथा महासागरों के बीच तापमान का विपर्यास गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में अधिक होता है। स्थल शीघ्र ही गर्म और ठण्डे होते हैं, क्योंकि सौर विकिरण ठोस धरातल में अधिक गहराई तक प्रवेश नहीं कर सकता । इसके विपरीत, जल में यह काफी गहराई तक चला जाता है। इसके अतिरिक्त यदि स्थल और जल का तापमान एक विशेष अंक तक लेना हो, तो स्थल का तापमान बढ़ाने में जल की अपेक्षा तीन गुना अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी। इस विभेदी तापन के फलस्वरूप, महासागरों के ऊपर की हवा स्थल पर की हवा की अपेक्षा गर्मियों में अधिक ठण्डी और सर्दियों में अधिक गर्म रहती है।
2. ऊष्मा बजट – सूर्यातप के अवशोषण, परावर्तन और प्रकीर्णन से वायुमण्डल और पृथ्वी के बजट निर्धारित होते हैं। वायुमण्डल से गुजरने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा सूर्य किरणों के कोण तथा वायुमण्डल की पारदर्शिता पर निर्भर है। पृथ्वी द्वारा अवशोषित सौर ऊर्जा दिन-प्रतिदिन ऊष्मा में परिणत होती रहती है। सूर्य अंतरिक्ष में ऊर्जा का विकिरण लघु तर के रूप में करता है, जबकि दीर्घ तरंगें या अवरक्त विकिरण को अंतरिक्ष में विकरित करती हैं। सौर ऊर्जा वायुमण्डल की ऊपरी सीमा पर पहुँचती है और धीरे-धीरे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी के धरातल पर आती है और अवशोषित कर ली जाती है।
अनुमान है कि सूर्यातप की 100 इकाइयाँ मूल लघु तरंगों के रूप में परिवर्तित और प्रकीर्ण कर दी जाती हैं । इनमें से मेघों द्वारा 24 इकाइयाँ, धूल कणों द्वारा 7 इकाइयाँ तथा भू पृष्ठ द्वारा 4 इकाइयाँ हैं । प्रकीर्ण किरणों का कुछ भाग भूपृष्ठ पर पहुंच जाता है और उनके द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। उन्हें सम्मिलित रूप से विसरित विकिरण कहा जाता है। सूर्यातप की 18 इकाइयाँ, ओजोन वायुमण्डल में जल, धूल और अन्य संघटक तथा मेघ द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं।
कुल मिलाकर सौर ऊर्जा की 47 इकाइयाँ पृथ्वी पर विकिरण के रूप में पहुंचती हैं, जबकि 18 इकाइयाँ वायुमण्डल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं । बजट का संतुलन बनाए रखने के लिए 65 इकाइयाँ पृथ्वी द्वारा सीधे दीर्घ तरंगों के रूप में, अंतरिक्ष को पुनः विकिरित रूप में वायुमण्डल को वापस हो जाती है।
3. अक्षांशीय ऊष्मा संतुलन – पृथ्वी का वार्षिक औसत तापमान लगभग एक जैसा रहता है। लेकिन पृथ्वी पर आने वाले विकिरण तथा उससे बाहर आने वाले विकिरण के मध्य संतुलन एक समान नहीं है। यह पृथ्वी के अधिकांश अक्षांशों पर एक से दूसरे अक्षांश पर भिन्न रहता है। निम्न अक्षांशों में (40° उत्तर और 40° दक्षिण के मध्य) लघु तरंग विकिरण के रूप में प्राप्त ऊर्जा दीर्घ तरंगों द्वारा भूपृष्ठ से नष्ट होने वाली ऊष्मा की अपेक्षा दीर्घ तरंगों द्वारा नष्ट होने वाली ऊष्मा की मात्रा अधिक रहती है। ऊष्मा का स्थानांतरण मध्य अक्षांशों में अर्थात् 30° से 50° अक्षांशों की ओर वायुमण्डलीय परिसंचरण तथा महासागरीय धाराओं द्वारा सम्पन्न होता है।
BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th
- BSEB Class 11 Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Book Answers
- BSEB Class 11 Geography as a Discipline Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography as a Discipline Book Answers
- BSEB Class 11 Geography The Origin and Evolution of the Earth Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography The Origin and Evolution of the Earth Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Interior of the Earth Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Interior of the Earth Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Distribution of Oceans and Continents Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Distribution of Oceans and Continents Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Minerals and Rocks Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Minerals and Rocks Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Geomorphic Processes Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Geomorphic Processes Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Landforms and their Evolution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Landforms and their Evolution Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Composition and Structure of Atmosphere Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Composition and Structure of Atmosphere Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Solar Radiation Heat Balance and Temperature Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Atmospheric Circulation and Weather Systems Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Atmospheric Circulation and Weather Systems Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Water in the Atmosphere Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Water in the Atmosphere Book Answers
- BSEB Class 11 Geography World Climate and Climate Change Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography World Climate and Climate Change Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Water Oceans Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Water Oceans Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Movements of Ocean Water Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Movements of Ocean Water Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Life on the Earth Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Life on the Earth Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Biodiversity and Conversation Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Biodiversity and Conversation Book Answers
- BSEB Class 11 Geography India Location Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography India Location Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Structure and Physiography Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Structure and Physiography Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Drainage System Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Drainage System Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Climate Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Climate Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Natural Vegetation Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Natural Vegetation Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Soils Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Soils Book Answers
- BSEB Class 11 Geography Natural Hazards and Disasters Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Geography Natural Hazards and Disasters Book Answers
0 Comments:
Post a Comment