BSEB Class 11 Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Book Answers |
Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbooks Solutions PDF
Bihar Board STD 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbooks. These Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Books Solutions
Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Hindi चलचित्र सत्यजित राय |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
How to download Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbook Solutions Answers PDF Online?
- Visit our website - Hsslive
- Click on the Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Answers.
- Look for your Bihar Board STD 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbooks PDF.
- Now download or read the Bihar Board Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbook Solutions for PDF Free.
BSEB Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbooks Solutions with Answer PDF Download
Find below the list of all BSEB Class 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:चलचित्र पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
क्या लेखक ने चलचित्र को शिल्प माना है? चलचित्र को शिल्प न मानने वाले इस पर क्या आरोप लगाते हैं?
उत्तर-
चलचित्र शिल्प है या नहीं इसे लेकर अलग-अलग लोगों के अलग-अलग विचार हैं। इसे शिल्प न माननेवालों के अनुसार इसकी कोई निजी सत्ता नहीं है। यह पाँच तरह के शिल्प साहित्य से मिश्रित एक पंचमेल बेढब वस्तु है।
परंतु, विश्वविख्यात निर्माता-निर्देशक सत्यजीत राय ने चलचित्र को शिल्प के अंतर्गत रखा है। सत्यजीत राय के अनुसार, जिस प्रकार लेखक द्वारा कहानी की रचना होती है, उसी प्रकार फिल्म-निर्माता के द्वारा बिंब और शब्द की। इन दोनों के संयोग से जो भाषा बनती है, उसके प्रयोग में यदि कुशलता का अभाव रहे. तो फिर अच्छी फिल्म नहीं बन सकती है। इसलिए यह शिल्प भी है। उन्होंने यह भी कहा है कि सारी गड़बड़ी ‘शिल्प’ शब्द के कारण हुई है। इसे शिल्प के बजाय भाषा कहना कहीं उचित है। फिर, उनके अनुसार, यह ठीक है कि चलचित्र में विभिन्न शिल्प साहित्यों के लक्षण हैं तथापि यह उन सबसे भिन्न और विशिष्ट है।
प्रश्न 2.
चलचित्र एक भाषा है। यह किन दो चीजों के संयोग से बनती है। लेखक ने इस भाषा के प्रयोग में किस चीज की अपेक्षा रखी है और क्यों?
उत्तर-
लेखक सत्यजीत राय के अनुसार चलचित्र एक भाषा है। यह भाषा बिंब (इमेज) और शब्द या ध्वनि (साउंड) के संयोग से बनती है।
लेखक के अनुसार बिंब और ध्वनि के संयोजन में पर्याप्त कुशलता अपेक्षित है। इसके लिए रचयिता का व्याकरण पर पूर्ण अधिकार भी आवश्यक है। तभी फिल्म का कथ्य सशक्त रूप में व्यक्त हो सकता है।
प्रश्न 3.
चलचित्र में विभिन्न शिल्प साहित्यों के लक्षण किस प्रकार समाहित हैं?
उत्तर-
चलचित्र एक ऐसा शिल्प है, जिसके अंतर्गत विभिन्न शिल्प साहित्यों के लक्षण समाहित रहते हैं। इसमें नाटक का द्वंद्व, उपन्यास का कथानक एवं परिवेश-वर्णन, कविता की भावमयता, संगीत की गति एवं छंद, पेंटिंग सुलभ प्रकाश-छाया की व्यंजन-इस सारी वस्तुओं को चलचित्र में स्थान मिल चुका है।
प्रश्न 4.
चलचित्र निर्माण कार्य को मोटे तौर पर किन पर्यायों में विभक्त किया जाता है? प्रत्येक का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर-
चलचित्र निर्माण कार्य को मोटे तौर पर तीन पर्यायों में विभक्त किया जाता है। पहला पर्याय है-चलचित्र नाट्य-रचना (सिनेरिओ)। दूसरा पर्याय है-चलचित्र नाट्य के अनुसार विभिन्न परिवेशों का चुनाव या निर्माण करके उन परिवेशों में चरित्रों के अनुसार लोगों से अभिनय कराकर उनकी तस्वीरें लेना (शूटिंग) तथा तीसरा और अंतिम पर्याय है-खंड-खंड रूपों में ली गई तस्वीरों को चलचित्र के अनुसार क्रमबद्ध सजाना (एडिटिंग)। चलचित्र नाट्य फिल्म का फलक है। बिंब और ध्वनि के माध्यम से परदे पर जो व्यक्त होता है, वह उसका लिखित संकेत है।
प्रश्न 5.
शॉट्स किसे कहते हैं?
उत्तर-
फिल्म के अंतर्गत विभिन्न अंशों को एक ही दृष्टिकोणों से न दिखाकर तोड़-तोड़कर विभिन्न दृष्टिकोणों से दिखाया जाता है। इन्हीं खंडों को ‘शॉट्स’ कहते हैं।
प्रश्न 6.
‘पथेर पांचाली’ किसकी उपन्यास है? पाठ में ‘पथेर पांचाली’ के जिस कथा अंश का उल्लेख है, उसका सारांश लिखें।
उत्तर-
पथेर पांचाली’ विभूति भूषण बंधोपाध्याय का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। प्रस्तुत पाठ में उसके जिसं कथांश का उल्लेख है, उसका सारांश इस प्रकार है-हरिहर, जो विदेश गया हुआ है, घर वापस लौट रहा है। स्वदेश के स्टेशन पर उतरने के बाद पैदल ही वह इधर-उधर ध्यान दिये बिना बड़ी तीव्रता से अपने घर पहुंचता है। उसकी नजर घर के बगल की बँसवाड़ी पर पड़ती है और यह देखकर यह झुंझलाता है कि बाँस दीवार पर झुक आया है। तदनंतर आँगन में जाकर वह अभ्यासवश स्नेहासिक्त स्वर में अपने बेटे-बेटी अपू एवं दुर्गा को पुकारता है।
उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी सर्वजया बाहर निकलती है। हरिहर उससे घर का कुशल-मंगल पूछता है, पर सर्वजया कोई जवाब न देकर बड़े शांत और गंभीर भाव से उसे कमरे के अंदर बुलाती है। हरिहर के मन में बेटे-बेटी को लेकर तरह-तरह के भाव उठते हैं। इसी बीच वह उन लोगों के लिए अपने साथ लाये सामानों की चर्चा करते हुए तनिक निराश होकर हरिहर अपू और दुर्गा के बारे में पुनः पूछता है।
इस पर शांत और संयत सर्वजया अपने को रोक नहीं पाती और पुत्री दुर्गा के दिवंगत होने का शोक समाचार सुनाती है।
प्रश्न 7.
चलचित्र में हरिहर अपने घर वालों के लिए कौन-कौन-सी चीजें लाता है?
उत्तर-
चलचित्र में नायक हरिहर अपने घर वालों के लिए निम्नलिखित चीजें लाता है-शीशे से मढ़ा लक्ष्मीजी का पट, बेल-कटहल की लकड़ी का चकला-बेलन, साड़ी, टीन की रेलगाड़ी आदि।
प्रश्न 8.
दुर्गा की मृत्यु किस कारण से हुई?
उत्तर-
दुर्गा चैत की पहली वर्षा में भीगने के कारण बीमार पड़ती है। इसी बीमारी से उसकी मृत्यु हुई।
प्रश्न 9.
हांडी के ढक्कन का उठना-गिरना किस बात को दिखाने में सहायक हुआ है? इसे ‘क्लोज अप’ में क्यों दिखाया गया है?
उत्तर-
चलचित्र में हांडी के ढक्कन का उठना-गिरना सर्वजया की रुद्ध और दग्ध मनः स्थिति की व्यंजना में सहायक सिद्ध हुआ है। इसे-क्लोज़ अप के द्वारा प्रदर्शित किया गया है, क्योंकि इसके बिना वस्तुस्थिति की अभिव्यक्ति मुश्किल थी।
प्रश्न 10.
शंख की चूड़ी के कंपन से क्या महसूस करा दिया गया है?
उत्तर-
चलत्रित में सर्वजया के हाथों में पड़ी शंख की चूड़ी के कंपन से दर्शकों को उसके हृदय का कंपन महसूस करा दिया गया है।
प्रश्न 11.
सर्वजया का पानी ढालना, पीढ़ा ले आना, अंगोछा ले आना, खड़ाऊँ ले आना-ये सभी कार्य-व्यापार दर्शकों पर कैसा प्रभाव छोड़ते हैं? और क्यों?
उत्तर-
हरिहर के प्रश्नों के उत्तर में कुछ न कहकर सर्वजया का पानी ढालना, पीढ़ा ले आना, अंगोछा ले आना, खड़ाऊँ ले आना-ये सभी कार्य-व्यापार दर्शकों को अधीर बना देते हैं कि पता नहीं कब और कैसे हरिहर को हृदय विदारक समाचार मालूम होगा। ऐसी अधीरता और बेचैनी इसलिए होती है कि दर्शक दुर्गा की मृत्यु की मर्मांतक घटना के बारे में जानते हैं, जबकि हरिहर अनजान है और वह लगातार उसी के बारे में पूछ रहा है।
प्रश्न 12.
सर्वजया की रुलाई की आवाज का अंकन किस तरह किया गया और इसमें क्या सावधानी रखी गई?
उत्तर-
“पथेर पांचाली’ फिल्म के कुशल निर्देशक सत्यजीत राय ने सर्वजया की रूलाई की आवाज का अंकन तार शहनाई के तार-सप्तक में पद दीप राग से एक करुण स्वर की अभियोजना द्वारा किया है। इससे सलाई की वीभत्सता का परिहार हो गया है तथा करुण रस घनीभूत हो उठा है। इस शॉट में सावधानीपूर्वक संगीत के अतिरिक्त और किसी भी प्रकार की आवाज का प्रयोग नहीं किया गया है।
प्रश्न 13.
सत्यजीत राय ने चलचित्र को ‘भाषा’ कहा है? क्या आप ऐसे मानते हैं? क्या स्वयं सत्यजीत राय ‘भाषा’ के अनुरूप बिंब (इमेज) और शब्द (साउंड) का संयोजन चलचित्र के निर्देशन में कर पाये हैं? अपना मत दें।
उत्तर-
विद्वान् लेखक एवं विश्वविश्रुत निर्माता-निर्देशक सत्यजीत राय ने चलचित्र की कला एवं तकनीक पर विचार करते हुए स्पष्टता इसे ‘भाषा’ माना है। यद्यपि भाषा की वैज्ञानिक परिभाषा के आधार पर भले ही इस बात को लेकर कुछ आपत्तियाँ उठे, परंतु भाषा के उद्देश्य और प्रयोजन की दृष्टि से चलचित्र को भाषा मानने में कुछ खास हर्ज नहीं है। विचार-विनिमय जो भाषा का मुख्य प्रयोजन है, चलचित्र के माध्यम से पूरी तरह से पूरा होता है। अतएव इसे भाषा मानना युक्तियुक्त है। यह भाषा बिंब और शब्द के संयोजन से बनती है।
जहाँ तक सत्यजीत राय द्वारा चलचित्र के निर्देशन में भाषा के अनुरूप बिंब और शब्द के संयोजन का प्रश्न है, तो इसके उत्तर में कहा जा सकता है कि इस कार्य में उन्होंने भरसक दक्षता एवं निपुणता का परिचय दिया है। तभी तो उनके द्वारा निर्देशित फिल्मों का कथ्य पूर्णतया स्पष्ट रूप में अभिव्यक्त हो सका है।
प्रश्न 14.
पाठ के आधार पर निम्नलिखित परिभाषित शब्दों के अर्थ स्पष्ट करें: एडिटिंग, शॉट्स, लांग शॉट, मिडशॉट, क्लोज अप, टिल्टिंग, फॉरवर्ड, पैनिंग, डिजॉल्व, फेड आउट, शूटिंग, मूविओला, पार्श्व संगीत, ट्रक बैक, ट्रक फॉरवर्ड।
उत्तर-
एडिटिंग-नाट्य-रचना के अनुसार विभिन्न परिवेशों का चुनाव करके उन परिवेशों में चरित्रों के अनुसार लोगों से अभिनय करा कर ली गई भिन्न-भिन्न तस्वीरों को चलचित्र के अनुसार क्रमबद्ध सजाना ‘एडिटिंग’ कहलाता है।
शॉट्स-फिल्म के अधिकतर अंश को एक ही दृष्टिकोण से न दिखाकर जो अलग-अलग खंडों में दिखाया जाता है, उन्हें ही ‘शॉट्स’ कहते हैं।
लांग शॉट-दूर के दृश्यों को दूरी तक दिखाना ‘लांग शॉट्स’ कहलाता है। . मिड शॉट-आदमी के सिर से पैर तक को तस्वीर में दिखाना ‘मिडशॉट’ कहलाता है।
क्लोज अप-व्यक्ति के सिर से कमर तक के हिस्से को चलचित्र की तस्वीरों में दिखाया जाना ‘क्लोज अप’ कहलाता है।
टिल्टिंग-कैमरे की दृष्टि को ऊपर-नीचे घुमाने की व्यवस्था ‘टिल्टिग’ कहलाती है।
फॉरवर्ड-दृश्य उपस्थित पात्रों के भाव-भंगिमा के अनुसार कैमरे का फोकस बदलना फॉरवर्ड कहलाता है।
पैनिंग-कैमरे की दृष्टि को अगल-बगल घुमाने की व्यवस्था को ‘पैनिंग’ कहते हैं।
डिजॉल्व-डिजॉल्व में पहले के शॉट और बाद के शॉट के बीच समयांतराल की स्थिति आती है।
फेड आउट-फेड आउट का अर्थ है पूर्णविराम अर्थात् किसी एक शॉट की समाप्ति।
शूटिंग-चलचित्र की नाट्य-रचना के अनुसार विभिन्न परिवेशों का चुनाव या निर्माण करके उन परिवेशों में चरित्रों के अनुरूप लोगों से अभिनय कराकर उनकी तस्वीरें खींचना ‘शूटिंग’ कहलाता है।
पार्श्व संगीत-पार्श्व संगीत से तात्पर्य है, वह संगीत, जो दृश्य के अंतर्गत आयोजित दिखाई नहीं पड़ता, किन्तु वह जारी रहता है और दर्शक या श्रोता को सुनाई पड़ता है। इसे नेपथ्य-संगीत के रूप में समझा जा सकता है।
ट्रक बैक-कैमरे के द्वारा दृश्य के पूर्व की स्थिति दिखलाने को ट्रक बैक कहते हैं।
ट्रक फारवर्ड-चल रहे दृश्य के साथ एकाएक आगे की-बाद की स्थिति दिखलाने को ट्रक फॉरवर्ड कहते हैं।
प्रश्न 15.
पाठ में किन प्रसंगों में ‘क्लोज अप’ का प्रयोग किया गया। इसके प्रयोग की क्या आवश्यकता थी?
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत भाग-1 में संकलित ‘चलत्रित’ शीर्षक निबंध के लेखक विश्वख्यिात फिल्म निर्देशक सत्यजित राय हैं। इस पाठ में उनके द्वारा निर्देशित फिल्म ‘पथेर पांचाली’ का कुछ अंश लेखक के मंतव्य की पुष्टि एवं प्रमाण में उद्धत है। इसके अंतर्गत आवश्यकतानुसार कई प्रसंगों में ‘क्लोज अप’ का प्रयोग किया गया है।
यथा-प्रथमतः इंदिर ठकुरानी के ओसारे में चूल्हे पर चढ़ी हांडी के ढक्कन का उठना-गिरना, सर्वजया की उदास दृष्टि के प्रसंग में क्लोज अप का प्रयोग है। इससे एक ही करुण स्वर में छंद का वैचित्र्य उत्पन्न हो सका है। द्वितीयतः बिन्नी जब पैदल चलती हुई ओसारे के निकट आकर खड़ी होती है तो वह करीब-करीब क्लोज अप की स्थिति में है। इसी प्रकार हरिहर जब ‘अपू’ को पुकारता है, तो सर्वजया की जो शारीरिक प्रतिक्रिया है, उसमें भी क्लोज अप का प्रयोग है।
यहाँ क्लोज अप इसलिए आवश्यक था कि सर्वजया हरिहर की आवाज का जवाब नहीं देती, अतएव उसका हल्का-सा ‘मूवमेंट’ दिखाना प्रसंग की अपेक्षा थी। अंत में जब हरिहर अपने साथ आये हुए सामानों में से दो को दिखाने के बाद साड़ी दिखाता है। सर्वजया को दिखलाने में क्लोज अप प्रयुक्त है। इससे करुणा भाव की सघनता व्याप्त हो जाती है। इस प्रकार इस पाठ के अंतर्गत प्रसंगानुरूप एवं अवसरानुकूल क्लोज अप का प्रयोग किया गया है।
चलचित्र भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का वचन पहचानें और उनका वचन परिवर्तित करें
उत्तर-
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय बताएं
उत्तर-
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों से कोष्ठक में दिए गए निर्देश के अनुरूप पद चुनें
(क) सर्वजया साड़ी को कसकर पकड़ती है? (कर्म कारक)
(ख) सर्वजया रोती हुई फर्श पर लेट जाती है। (क्रिया)
(ग) चैत की प्रथम वर्षा में भींगने के कारण दुर्गा बीमार पड़ती है। (विशेषण)
(घ) सर्वजया बिना कुछ बोले सीढ़ी की ओर बढ़ जाती है। (संज्ञा)
(ङ) उसके गले की आवाज सुनकर सर्वजया कमरे से बाहर निकल कर आई। (संयुक्त किया)
उत्तर-
(क) साड़ी को।
(ख) लेट जाती है।
(ग) प्रथम, बीमार।
(घ) सर्वजया, सीढ़ी।
(ङ) निकलकर आई।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखें
संदेह, ध्वनि, भंगिमा, परिवेश, अवहेलना, अवलंबन, दुर्बल, यंत्र, निर्वाचन, व्यापक, परिवतर्न, अंगोछा, हतप्रभ, ऋतु, मौन, सुविधा, आग्रह, उपलब्धि, प्रारंभ, तस्वीर।
उत्तर-
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
चलचित्र लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
शॉट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
फिल्म का निर्माण करते समय विभिन्न दृश्यों की शूटिंग की जाती है। इसके अन्तर्गत ही शॉट शब्द का प्रयोग किया जाता है। फिल्म के अधिकतर अंश को एक ही नजरिया से न दिखाकर जब तोड़-तोड़कर विभिन्न नजरिया से दिखाया जाता है, तो इसे शॉट कहा जाता है। फिल्म बनाते समय विभिन्न दृश्यों के लिए शूटिंग करते समय शॉट लिये जाते हैं।
प्रश्न 2.
पार्श्व संगीत क्या है?
उत्तर-
फिल्म बनाने के सिलसिले में संगीत का बहुत अधिक महत्व है। संगीत ही फिल्म में जान डालती है। बिना संगीत के फिल्म निरस हो सकता है। इसलिए हर फिल्म में संगीत का होना अनिवार्य है। संगीत विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें पार्श्व संगीत भी एक है। चलचित्र नाट्य के अन्तर्गत लेखक सत्यजित राय ने यह कहा है कि दृश्यजनित भावों की तीव्रता और उसमें जीवंतता को दिखलाने के लिए पीछे से जो संगीत दिया जाता है, उसे पार्श्व संगीत कहा जाता है। पार्श्व गायक और गायिका जब गाना गाते हैं तो इसमें पार्श्व संगीत भी दिया जाता है।
चलचित्र अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चलचित्र नामक निबंध किसकी रचना है?
उत्तर-
चलचित्र नामक निबंध सत्यजीत राय द्वारा लिखित रचना है।
प्रश्न 2.
पथेर पांचाली किसके द्वारा रचित उपन्यास है?
उत्तर-
पथेर पांचाली विभूतिभूषण बंधोपाध्याय द्वारा रचित एक चर्चित उपन्यास है।
प्रश्न 3.
किस फ्रांसीसी फिल्मकार ने सत्जीत राय को फिल्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया? .
उत्तर-
महान फ्रांसीसी फिल्मकर ज्यां रेनुआ ने सत्यजीत राय को फिल्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रश्न 4.
महान भारतीय फिल्मकार और निर्देशक सत्यजीत राय को किन-किन सम्मानों से सम्मानित किया गया?
उत्तर-
महान भारतीय फिल्मकार और निर्देशक सत्यजीत राय को इन सम्मानों से सम्मानित किया गया-(i) भारत रत्न (ii) ऑस्कर पुरस्कार (ii) अनेक बंग्ला राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
प्रश्न 5.
पथेर पांचाली नामक फिल्म किस फिल्मकार और निर्देशक ने बनाया था?
उत्तर-
प्रसिद्ध भारतीय फिल्मकार और निर्देशक सत्यजीत राय ने पथेर पांचाली नामक फिल्म को बनाया था।
चलचित्र वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।
प्रश्न 1.
‘चलचित्र’ शीर्षक निबंध के लेखक हैं
(क) सत्यजीत राय
(ख) विष्णुभट्ट
(ग) कृष्ण कुमार
(घ) कुमार गंधर्व
उत्तर-
(क)
प्रश्न 2.
‘पथेर पांचाली’ किनकी रचना है?
(क) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ख) विश्वजीत
(ग) सत्यजीत राय
(घ) हेमन्त कुमार
उत्तर-
(ग)
प्रश्न 3.
चलचित्र किसके संयोग से बनती है?
(क) बिम्ब
(ख) शब्द
(ग) बिम्ब और शब्द
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग)
प्रश्न 4.
‘पथेर पांचाली’ के नायक कौन हैं?
(क) सत्यजीत राय
(ख) हरिहर
(ग) अशोक कुमार
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख)
प्रश्न 5.
‘चलचित्र’ साहित्य की कौन विधा है?
(क) नाटक
(ख) एकांकी
(ग) निबंध
(घ) संस्मरण
उत्तर-
(ग)
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
प्रश्न 1.
पथेर पांचाली एक…………………है।
उत्तर-
उपन्यास।
प्रश्न 2.
लेखक ने चलचित्र को………………माना है।
उत्तर-
शिल्प।
प्रश्न 3.
सत्यजीत राय द्वारा लिखित……………निबंध है।
उत्तर-
चलचित्र।
प्रश्न 4.
साहित्य का………………..भी चलचित्र के निर्माण में योगदान देता है।
उत्तर-
कथ्य और तथ्य।
प्रश्न 5.
चलचित्र निर्माण कार्य के मुख्यतः तीन…………..पर्याप्त हैं।
उत्तर-
सिनेरिओ, लोकेशन, सेट्स।
प्रश्न 6.
अभिनय के खण्ड-खण्ड रूपों में ली गई तस्वीरों को चलचित्र के अनुसार पंक्तिबद्ध………………..कहलाता है।
उत्तर-
सहेजना (एडिरिंग)।
प्रश्न 7.
शाट्स एक शिल्पगत उद्देश्य है, एक…………है।
उत्तर-
भाषागत सार्थकता।
चलचित्र लेखक परिचय सत्यजित राय (1921-1992)
भारतीय सिनेम जगत् के शिखर पुरुष एवं विश्व सिनेमा के महान निर्देशकों के बीच एक दुर्लभ विभूति सत्यजित राय का जन्म सन् 1921 ई० में पश्चिम बंगाल (100 गड़पार रोड, दक्षिणी कोलकाता) के एक कलाप्रेमी एवं विद्याव्यसनी प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता सुकुमार राय बंगाल के एक प्रतिभाशाली लेखक थे और उनकी माँ सुप्रभा राय भी एक असाधारण गायिका थीं। इस प्रकार कला प्रेम उन्हें विरासत में मिला था। सत्यजित राय का बचपन ननिहाल ‘भवानीपुर’ में बीता तथा उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी वहीं हुई। 1936 ई० में बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक एवं प्रेसिडेंसी कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे शांति निकेतन पहुंचे, जहाँ रवीन्द्रनाथ टैगोर के संसर्ग में उन्होंने ललितकलाओं की शिक्षा पाई। यहीं पर उनका अनेक कलाविदों से संपर्क हुआ तथा ‘ग्राफिक डिजाइन’ में उनकी अभिरुचि विकसित हुई।
1943 ई० में शांति निकेतन से वापस आकर सत्यजित राय ने एक ‘ब्रिटिश एडवर्टाइजिंग एजेंसी में ‘विजुअलाइजर’ की नौकरी कर ली। नौकरी के सिलसिले में लंदन प्रवास में उन्होंने संसार की अनेक महान फिल्में देखीं और उनके समक्ष सिनेकला की उज्जवल संभावनाएँ उद्घाटित हुईं। वैसे कोलकाता में ही 1949 ई० में विश्वविख्यात फ्रांसीसी सिने निर्देशक ज्याँ रेनुआ से उनका संपर्क हुआ, जिनकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से वे फिल्म-निर्माण की दिशा में अग्रसर हुए थे। लंदन प्रवास के दौरान ही उन्होंने इटली के वित्तोरियो डिसिका की फिल्म ‘बाइसिकल थीफ’ देखी, जिसने उन्हें ‘पथेर पांचाली’ बनाने के लिए उत्प्रेरित किया। यह फिल्म घोरि आर्थिक संकटों के बीच तीन वर्षों में बनकर तैयार हुई, जिसमें बंगाल सरकार से भी उन्हें थोड़ी-बहुत, मदद मिली थी। इस फिल्म में वस्तुत: बंगाल के ग्रामीण जीवन की विस्मयजनक वास्तविकता मूर्त हो उठी। इस फिल्म को ‘कान फिल्म महोत्सव’ में ‘उत्कृष्ट मानवीय दस्तावेज’ कहकर विशेष रूप से पुरस्कृत किया गया। ‘पथेर पांचाली’ के बाद अपराजितो’ और ‘अपुर संसार मिलकर अपूत्रयी का निर्माण करती हैं, जो उनकी विश्वप्रसिद्धि का कारण बनीं।
जलसाघर, देवी, तीन कन्या, अभिजन, कंचनजंघा आदि फिल्मों ने भी श्री राय को स्थायी प्रतिष्ठा दिलाने में सहायक रही। ‘चारुलता’ ने तो दुबारा उन्हें सिने शिल्प के संसार में महानता देकर प्रतिष्ठित कर दिया। 1978 में बर्लिन फिल्म महोत्सव में वे तब-तक के तीन महानतम फिल्मकारों में परिगणित हुए। अपनी इन सब अन्यतम उपलब्धियों के कारण सत्यजित राय ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त किये। भारत ने उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया तो विश्वस्तर पर विश्व सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ सम्मान ‘आस्कर पुस्कार’
से वे सम्मानित और गौरवान्वित हुए। उनका निधन 1922 ई० में हुआ।
वस्तुतः सत्यजित राय ने केवल भारतीय सिनेमा के शिखर पुरुष थे, बल्कि वे विश्व सिनेमा के महान निर्देशकों के बीच की एक दुर्लभ विभूति भी थे। उन्होंने बंगाल जैसी-सीमित क्षेत्र की भाषा में अपनी फिल्में बनाकर भी विश्वसिनेमा और गौरवास्पद स्थान बनाया। यह उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि रही। उनकी फिल्मों ने पूरी दुनिया के सिने प्रेमियों को आकर्षित और प्रभावित किया। उनकी फिल्में मानव जाति के हर्ष-विवाद, रिश्तों, मनोवेगों, संघर्षों, द्वंद्वों आदि के बारे में एक सीमित समाज के माध्यम से उसकी सामयिक यथार्थता पर पर्याप्त प्रकाश डालती हैं। उनके संबंध में महान् फिल्मकार जापान के अकीरा कुरासावा ने ठीक ही कहा है कि “सत्यजित राय की फिल्में न देखने का मतलब है दुनिया में रहते हुए सूर्य या चंद्रमा को न देखना।”
सत्यजित राय के द्वारा रचित साहित्य, जिसमें कथा, पटकथा, निबंध, आत्मकथा, संस्मरण आदि हैं, बंगाल और अंग्रेजी में प्रकाशित है। इनका हिन्दी सहित अन्य अनेक भाषाओं में भी निरंतर भाषांतर हो रहा है। उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं फिल्में (बंगला)-पथेर पांचाली, अपराजितो, जलसाघर, अपुर संसार, कंचनजंघा, महानगर, चारुलता, नायक, गोपी गायन बाधाबायन, अरण्येर दिन-रात्रि, प्रतिद्वंद्वी, सीमाबद्धो, जनअरण्य, घरे-बाहि रे, आगंतुक आदि।
- हिन्दी-शतरंज के खिलाड़ी, सद्गति।
साहित्य (हिन्दी अनुवाद)-प्रो० शंकु के कारनामे, जहाँगीर की स्वर्णमुद्रा, कुछ कहानियाँ, कुछ और कहानियाँ (कथा साहित्य) चलचित्र : कल और आज (निबंध) आदि जो राजपाल प्रकाशन से प्रकाशित है। इस निबंध में विनिर्दिष्ट तथ्यों को पुष्टि में ‘पथेर पांचाली’ फिल्म को उद्धृत किया गया है।
चलचित्र पाठ का सारांश
चलचित्र विभिन्न शिल्पों के योग से निर्मित मात्र चित्र ही नहीं, वाङ्मय चित्र भी है जिसकी मर्यादा उसके चित्रत्व में विद्यमान रहती है, किन्तु इसमें अर्थ प्रमुख होता है। चलचित्र का स्वरूप शिल्प की बजाय उसकी भाषा से अपेक्षाकृत अधिक स्पष्ट होता है। यह भाषा चलचित्र में बिम्ब और शब्द यानी ‘साउंड’ से बनती है। फिल्म के निर्माण में जिस कथा का आधार ग्रहण किया जाता है उसके कथ्य का सशक्त होना अत्यावश्यक होता है। यह कथ्य चलचित्र में चित्रों के मिलने से पूर्णता प्राप्त करता है क्योंकि अर्थ बहन चित्र की करते हैं।
ध्वनि और बिम्ब अन्योन्याश्रित होते हैं जिनके अभाव में चलचित्र की न तो कल्पना संभव है और न बिना आँख-कान को सजग रखे चलचित्र की भाषा ही समझी जा सकती है।
चलचित्र का निर्माण-कार्य जिन तीन पर्यायों में विभक्त माना गया है, वे हैं सिनेरेओ, (चलचित्र नाट्य रचना), लोकेशन या सेट्स विभिन्न परिवेश के चरित्रों द्वारा अभिनव तथा विभिन्न खंडों में की गई शूटिंग की एडिटिंग। परदे पर बिंब और ध्वनि के माध्यम से की गई अभिव्यक्ति का लिखित संकेत चलचित्र को सजीवता प्रदान करने में अवलंबन-स्वरूप ग्रहणीय होता है। चूंकि चलचित्र यंत्र युग की देन है इसलिए इसकी भाषा भी यंत्र युग की ही है। इस भाषा से ध्वनि भाषा का संयोग आज के सवाक् युग में शब्द यंत्र के आविष्कार के कारण ही संभव हो सका है।
शब्द यंत्र ही शूटिंग में कैमरे के सहारे फिल्मों को उभारते में सहायक होते हैं। इस कार्य में प्रयोग होनेवाले यंत्रों में मूविओला का प्रयोग फिल्मों के अनावश्यक अंशों को अलग करने में सहयोग करता है। इसके पश्चात् सम्पादक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह फिल्म सीमेंट यानी गोंद से आवश्यक अंशों को जोड़ दे तत्पश्चात् सम्पन्न होता है पार्श्व संगीत का कार्य। यंत्रों का कार्य प्रायः यहीं तक सीमित होता है।
किसी भी फिल्म में दिखाये जाने वाले विभिन्न दृष्टिकोण अलग-अलग जितने खंडों में विभक्त होते हैं वे खंड ‘शॉट्स’ कहलाते हैं जिसका अपना एक शिल्पगत महत्त्व होता है, उद्देश्य होते हैं ॐ होती है उसकी भाषागत सार्थकता। वस्तुतः यह चलचित्र की एक निजी रीति के रूप में मान्य है है जिसके उद्देश्य और सार्थकता को स्पष्ट करने के लिए उन शॉट्स का विश्लेषण अंश-विशेष को उद्धृत कर ही किया जाता है। चलचित्रों में रीति-परिवर्तन निर्देशक के व्यक्तित्व के अनुसार ही होता है, यथा-पाठ में पथेर पांचाली फिल्म के एक दृश्य को लेकर की गयी आलोचना विभूतिभूषण बंधोपाध्याय के आये वर्णन से स्पष्ट है।
चलचित्र की रचना में प्रयोग होनेवाले लाँग शॉट, कट, डिजॉल्व, क्लोजअप, टिल्ट अप, मिड शॉट, पैनिंग, टू-शॉट, एक्शन आदि शब्द उसके स्वाभाविक नियम के अन्तर्गत आते हैं। ध्यातव्य है कि शॉट्स में तारतम्य भाव की एकात्मकता के लिए अत्यंत अनिवार्य है। पूर्ण विराम स्वरूप प्रयोग होने वाला ‘फेडआउट’ शॉट के अंत में आता है जहाँ बिम्ब और ध्वनि प्रायः लुप्त हो जाते हैं। पुनः नए बिम्ब और परिच्छेद की शुरूआत कुछ देर तक अंधकार छाये रहने के बाद होती प्रस्तुत निबंध में लेखक द्वारा चलचित्र के स्वरूप एवं उसके महत्त्वपूर्ण तत्त्वों का सम्यक् रूप से विवेचन किया गया है। विभूतिभूषण बंधोपाध्याय लिखित ‘पंथेर पांचाली’ उपन्यास के अंश-विशेष को लेकर फिल्म-कला और तकनीक को लेखक द्वारा अत्यंत बारीकी से स्पष्ट किया गया है।
चलचित्र कठिन शब्दों का अर्थ
बहस-मुबाहसे-वाद-विवाद। शिल्प-कलाकृति। गुंजाइश-संभावना। वाङ्मय-शब्द और अर्थ से युक्त, साहित्य। परिपूरक-अच्छी तरह से पूर्ण करने वाला। संलाप-बातचीत। निरपेक्ष-तटस्थ। पर्याय-समानार्थी। फलक-पटल, विस्तार। समवेत-एक साथ, इकट्ठा। सवाक-बोला हुआ। निर्वाक-मूक। खामखयाली-निरा काल्पनिक। उद्दाम वेग-तेज गति। सावयव-सांगोपांग। अवहेलना-उपेक्षा। रंगकर्मी-नाट्यकर्मी, नाटक करने वाला। वैचित्र्य-निरालापन, न्यारापन, विचित्रता। हैरत-अचरज। स्वगत-मन ही मन, अपने आप। मुखातिब-सामने, अभिमुख। ओसारा-बरामदा। निरूत्तर-उत्तरविहीन। उद्विग्न-अशान्त, बेचैन। नेपथ्य-पर्दे के पीछे, दृश्य के पीछे। विकृत-बिगड़ा हुआ। हतप्रभ-भौंचक्का। व्यवधान-बाधा। प्रसारता-फैलाव। संकोचन-सिकुड़ाव। दुर्दिन-बुरा दिन। अभिव्यक्ति-व्यक्त करना। बँसवारी-बाँसों की बाड़ी। सहिष्णुता-सहनशीलता। घनीभूत-सघन। अति वाहित-तेज गति से बहने वाला। परिच्छेद-अध्याय, बिलगाव। वीभत्स-घृणास्पद, घिनौना। परिहार-दूर करना। शोकदग्ध-शोक की आग में झुलसा हुआ। यथेष्ट-जितना चाहिए उतना। विलंबित-प्रदीर्घ, लम्बा, ठहरा हुआ। त्रासद-पीड़ादायक। अधीर-धैर्यहीन, चंचल।
महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सासंग व्याख्या
प्रश्न 1.
चलचित्र पूर्णतया यंत्र युग की भाषा है? यह बात बेझिझक कही जा सकती है कि कैमरा नामक यंत्र का यदि आविष्कार नहीं हुआ होता तो इस भाषा का सृजन ही नहीं हो पाता।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध फिल्मकार और निर्देशक सत्यजीत राय द्वारा लिखित चलचित्र नामक निबंध से ली गयी हैं। इन पंक्तियों से यह स्पष्ट होता है कि चलचित्र पूर्ण रूप से यांत्रिक समय की भाषा मानी जाती है, क्योंकि फिल्म बनाने के लिए शूटिंग करते समय कैमरा नामक यंत्र का होना बहुत आवश्यक है। बिना कैमरा के दृश्यों की शूटिंग नहीं हो सकती है। फिल्म बनाने के सिलसिले में विभिन्न दृश्यों के लिए शूटिंग किए जाते हैं। विभिन्न शॉट लिए जाते हैं। यह सभी काम कैमरा के माध्यम से किया जाता है। दृश्यों को कैमरा में चित्रित किया जाता है। अतः शूटिंग के लिए कैमरा का होना अनिवार्य है।
प्रश्न 2.
चलचित्र नाट्य फिल्म का झलक है। बिंब और ध्वनि के माध्यम से परदे पर जो व्यक्त होता है, वह उसका लिखित संकेत हे।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रसिद्ध फिल्मकार, निर्माता और निर्देशक सत्यजीत राय द्वारा लिखित चलचित्र नामक पाठ से ली गयी है। इन पंक्तियों में लेखक ने यह बतलाया है कि चलचित्र नाट्य फिल्म का फलक है। नाट्य फिल्म के अन्तर्गत चलचित्र का विशिष्ट स्थान है। साथ ही बिंब और ध्वनि के माध्यम से परदे पर जो व्यक्त किया जाता है, चलचित्र उसका लिखित संकेत माना जाता है। चलचित्र में निर्देशक के निर्देश पर कलाकार काम करते हैं और चलचित्र को सजीव बनाते हैं। वास्तव में, इसीलिए यह कहा जाता है कि चलचित्र नाट्य फिल्म का फलक है।
BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th
- BSEB Class 11 Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi पूस की रात प्रेमचंद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi पूस की रात प्रेमचंद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi कविता की परख रामचंद्र शुक्ल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi कविता की परख रामचंद्र शुक्ल Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi आँखों देखा गदर विष्णुभट्ट गोडसे वरसईकर Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi आँखों देखा गदर विष्णुभट्ट गोडसे वरसईकर Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi बेजोड़ गायिका लता मंगेशकर कुमार गंधर्व Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi बेजोड़ गायिका लता मंगेशकर कुमार गंधर्व Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi चलचित्र सत्यजित राय Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi चलचित्र सत्यजित राय Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi मेरी वियतनाम यात्रा भोला पासवान शास्त्री Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi मेरी वियतनाम यात्रा भोला पासवान शास्त्री Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi सिक्का बदल गया कृष्णा सोबती Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi सिक्का बदल गया कृष्णा सोबती Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi एक दीक्षांत भाषण हरिशंकर परसाई Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi एक दीक्षांत भाषण हरिशंकर परसाई Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi सूर्य ओदोलेन स्मेकल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi सूर्य ओदोलेन स्मेकल Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi भोगे हुए दिन मेहरुन्निसा परवेज Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi भोगे हुए दिन मेहरुन्निसा परवेज Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi गाँव के बच्चों की शिक्षा कृष्ण कुमार Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi गाँव के बच्चों की शिक्षा कृष्ण कुमार Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi विद्यापति के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi विद्यापति के पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi कबीर के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi कबीर के पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi मीराबाई के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi मीराबाई के पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi सहजोबाई के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi सहजोबाई के पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi भारत-दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi भारत-दुर्दशा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi झंकार मैथिलीशरण गुप्त Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi झंकार मैथिलीशरण गुप्त Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi तोड़ती पत्थर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi तोड़ती पत्थर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi बहुत दिनों के बाद नागार्जन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi बहुत दिनों के बाद नागार्जन Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi गालिब त्रिलोचन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi गालिब त्रिलोचन Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi जगरनाथ केदारनाथ सिंह Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi जगरनाथ केदारनाथ सिंह Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi पृथ्वी नरेश सक्सेना Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi पृथ्वी नरेश सक्सेना Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi मातृभूमि अरुण कमल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi मातृभूमि अरुण कमल Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi पागल की डायरी लू शुन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi पागल की डायरी लू शुन Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi नया कानून सआदत हसन मंटो Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi नया कानून सआदत हसन मंटो Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi सफेद कबूतर न्गुयेन क्वांग थान Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi सफेद कबूतर न्गुयेन क्वांग थान Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi हिन्दी साहित्य का इतिहास Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi हिन्दी साहित्य का इतिहास Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi साहित्य शास्त्र Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi साहित्य शास्त्र Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi गद्य रूप Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi गद्य रूप Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi काव्य रूप Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi काव्य रूप Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi प्रमुख रचनाकर एवं रचनाएँ Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi प्रमुख रचनाकर एवं रचनाएँ Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi पत्र लेखन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi पत्र लेखन Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi निबंध लेखन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi निबंध लेखन Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi संज्ञा-पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi संज्ञा-पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi सर्वनाम-पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi सर्वनाम-पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi क्रिया-पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi क्रिया-पद Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi विशेषण Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi विशेषण Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi अव्यय Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi अव्यय Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi पर्यायवाची शब्द Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi पर्यायवाची शब्द Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi विपरीतार्थक विलोम शब्द Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi विपरीतार्थक विलोम शब्द Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi संधि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi संधि Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi समास Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi समास Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi उपसर्ग एवं प्रत्यय Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi उपसर्ग एवं प्रत्यय Book Answers
- BSEB Class 11 Hindi संक्षेपण Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi संक्षेपण Book Answers
0 Comments:
Post a Comment