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Monday, June 20, 2022

BSEB Class 11 Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Book Answers

BSEB Class 11 Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Book Answers
BSEB Class 11 Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Book Answers


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Bihar Board Class 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 11th Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Hindi उत्तरी स्वप्न परी हरी क्रांति फणीश्वरनाथ रेणु
Chapters All
Provider Hsslive


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उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति कठिन शब्दों का अर्थ

पुण्य सलिला-जिसकी जल पवित्र हो। छिन्नमस्ता-तांत्रिकों का एक देवी जिसका सिर कटा हुआ हो। भीमा-भयानक (स्त्री)। भयानका-भयानक (स्त्री)। प्रभावती-प्रकाशमयी, है। वह निराशा के घोर लक्षण गुण हैं जो अन्य जावा सूर्य की पत्नी। विधाता-ब्रह्मा, निर्माण या रचना करने वाला। अंचल-क्षेत्र। अप्रतिम-अद्वितीय। बालूचर-रेतीली-भूमि का विस्तार, बालू ही बालू। उन्मूलन-जड़ों से समाप्त करना। बंध्या-बाँझ, बंजर।

बेल-लता। सिल्ट-बाढ़ में जमने वाला। गाद-मिट्टी। मर्माहत-दुःखी, व्यथित। कंदाराओं-गुफाओं। धूसर-धूल के रंग का, खाकी। हमजोली-साथी, सहचर। काल-कवलित-समय द्वारा निगला हुआ, (कवलकौर, निवाला)। शस्य श्यामला-फसलों से हरी-भरी। आसन्न प्रसवा-वह जिसके प्रसव का समय नजदीक हो (आसन्न निकट)। अन्नपूर्णा-अन्न की आपूर्ति करने वाली, देवी। पुलकित-हर्षित, रोमांचित।

महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. कोसी या उसके किसी अंचल के सम्बन्ध में………….कोसी मैया।
व्याख्या-
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ शीर्षक रिपोर्ताज की इन पंक्तियों में रेणु जी यह बताना चाहते हैं कि वे कोशी अथवा उसके किसी अंचल के विषय में कुछ लिखना चाहते हैं तो बात व्यक्तिंगत हो जाती है। कुछ कहने या लिखने’ से उनका तात्पर्य है कहानी, उपन्यास, रिपोर्ताज या कविता अर्थात् साहित्य की किसी भी विधा में लेखन।

व्यक्तिगत से उनका तात्पर्य है कि साहित्य जगत या पाठक जगत उस लेखन को रेणु की अपनी बात या अपनी समस्या मान लेता है। इसके दो कारण हैं प्रथम यह कि रेणु उसी अंचल के निवासी हैं। उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों से जिन्दगी से प्यार है। अतः जब वे लिखते हैं तो उसे क्षेत्र न मानकर अपना मानकर अर्थात् वे तटस्थ नहीं रह पाते हैं।

द्वितीय कारण वे स्वयं बताते हैं कि कोशी उनके लिए मात्र नदी नहीं है। वह है, ऐसी माँ जो पुण्य सलिला भी है और प्रलयकारणी भी है। जिस तरह गंगा नदी के क्षेत्र के लिए गंगा को गंगा मैया कहते हैं उसी तरह कोशी अंचल के लोग उसे ‘कोसी मैया’ कहते हैं। इसी अपनत्व और भूमि प्रेम के चलते रेणु क्षेत्र की समस्या पर लिखते हैं तो उसमें अपनापन का पुट आ जाता है।

2. इस परती के उदास और मनहूस…………..धूसर और वीरान।
व्याख्या-
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ शीर्षक रिपोर्ताज के इन पंक्तियों में रेणु ने कोशी क्षेत्र की वीरान धरती का वर्णन किया है। लेखक बचपन से ही उसे देखता आया है। वह परती जमीन है, उसका रंग बादामी का है। उसे देखकर उदास और मनहूसियत का प्रभाव मन पर छा जाता है। लेखक के शब्दों में वह भूमि नहीं साकार उदासी है।

इस उदास मनहूस भूमि पर केवल बालू ही बालू है। बरसात के मौसम में कुछ निरर्थक किस्म के पौधे उगते हैं और हरियाली छा जाती है। कुछ दिन के बाद वह हरियाली नष्ट हो जाती है और यह धरती पुनः धूसर वर्ण की हो जाती और वातावरण में वीरानी छा जाती है। यहाँ कुछ नहीं उपजता। अत: यह बंध्या धरती है।

3. और इस भरी हुई मिट्टी पर बसे हुए……………सपने कैसे पल सकते हैं?
व्याख्या-
इन पंक्तियों में रेणु जी ने कोशी क्षेत्र की उस भरी हुई धरती के उदास वीरान परिवेश में जीने वाले इंसानों का वर्णन किया है। जिस समय का यह वर्णन है उस समय कोशी डैम नहीं बना था। अतः वहाँ गड्ढों-नालों में कोशी नदी का पानी ठहर जाता था जिसके चलते वहाँ मलेरिया और कालाजार का साम्राज्य था। इन रोगों से जर्जर लोगों का शरीर रक्त-माँसहीन चलते-फिरते नर कंकालों जैसा लगता था।

इन दोनों रोगों के कारण कब मौत किसको दबोच लेती यह कहना कठिन था अतः लोग मृत्यु के आंतक के बीच जीने को विवश थे। वे रोग से कराहने और किसी सज्जन के मरने पर रोने के सिवा उनके जीवन में कुछ नहीं था। उनका जीवन रस-उल्लास से रहित था अतः उनके जीवन में सपने भी नहीं थे। रेणु जी ठीक कहते हैं जिनके चेहरों पर सदा रोग और मौत के आतंक की छाया हो, उनकी आँखों में सुनहले सपने कैसे पल सकते हैं?

4. किन्तु विधाता की सृष्टि में…………….अंधकार से लड़ता रहा है।
व्याख्या-
फणीश्वर नाथ रेणु ने कोशी अंचल में कोशी डैम बन जाने के उपरान्त उस क्षेत्र में हुए परिवर्तन का उल्लेख अपने रिपोर्ताज ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ में किया है। उसी रिपोर्ताज से ये पंक्तियाँ ली गयी हैं। इन पंक्तियों में रेणु जी ने यह बताया है मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ सृष्टि है। उसके पास पुरुषार्थ है, पुरुषार्थ को पूरा करने वाला संकल्प है और है विषम से विषम परिस्थितियों से जूझते रहने की असीम शक्ति। इसलिए वह हारना नहीं जानता। निराशा के घोर अन्धकार में भी वह आशा का नन्हा दीप जलाए आगे बढता रहा है, अन्धकार से लड़ता रहा है और अन्ततः अन्धकार पर विजयी होता है। इस रिपोर्ताज का निष्कर्ष भी इसी तत्त्व को सम्पुष्ट करता है।

5. भाई साहब ! कागज पर रंग की लहरें………..हरियाली ही हरियाली सूझती है।
व्याख्या-
फणीश्वर नाथ रेणु रचित “उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” रिपोर्ताज टिप्पणी के रूप में है। बात मित्रों की है भाषा रेणु की। कोशी योजना के विषय में जाँच-पड़ताल होने के साथ ही रेणु जी ने उत्साहित होकर अपना दूसरा उपन्यास परती परिकथा लिख कर पूजा कर लिया वह छप भी गया। उसमें कोशी योजना में काम कर रहे लोगों की बातचीत और योजना से उत्साहित रेणु जी ने विश्वास किया कि कोशी अंचल वह धरती का रूप डैम बन जाने के बाद निश्चय ही बदल जायेगा और वह बंजर वीरान उदास धरती शस्य-श्यामला हो जायेगी।

मगर परिणाम के प्रति शंकालु लोगों को उनका आशावाद पच नहीं रहा था अतः उन लोगों ने व्यंग्यपूर्ण लहजे में कहा कि भाई साहब, कागज पर रंग लहराना अर्थात् कहानी उपन्यास में अच्छी चीजों का वर्णन करना आसान है, अमृत के समान मधुर प्रसन्नता की बात करना सहज है। लेकिन उसको धरती पर फलित करना आसान नहीं। अभी कोशी योजना पर काम शुरू भी नहीं हुआ और आप लगे हरे-भरे खेतों का सपना देखने। उन लोगों ने सावन के अंधों को हरियाली ही हरियाली सूझती है कहकर लेखक को सावन का अंधा तक कह दिया। यहाँ लेखक यह बताना चाहता है कि नकारात्मक सोच वाले केवल आलोचना कर सकते हैं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

Utari Swapn Pari Bihar Board Class 11 Chapter 8 प्रश: 1.
लेखक ने कोसी अंचल का परिचय किस तरह दिया है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने संस्मरण एवं रिपोर्ताज “उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” में कोसी अंचल का परिचय प्रस्तुत किया है। लेखक के अनुसार कोसी अंचल कोसी नदी का क्षेत्र है। कोसी नदी “बिहार का शोक” कही जाती रही है।

लेखक के अनुसार, कोसी नदी जिधर से गुजरती थी, धरती बाँझ हो जाती थी। सोना उपजाने वाली मिट्टी सफेद बालू के मैदान में बदल जाती थी। लाखों एकड़ बंजर भूमि उत्तर नेपाल की तराई से शुरू होकर दक्षिण गंगा के किनारे तक फैली दिखाई देती है।

लेखक उस वीरान एवं बंजर भूमि को बचपन से ही देखते आये हैं। दूर-दूर तक कहीं हरियाली का नामोनिशान भी नहीं था। लोगों के मुख पर उदासी एवं निर.शा की लकीर स्पष्ट दिखाई देती थी। यह वीरान. दृश्य दिन-रात, सुबह-शाम सबके मुख पर परिलक्षित होता था।

लेखक ने कोशी अंचल की भूमि को मरी हुई मिट्टी की संज्ञा दी है। लेखक ने कोसी क्षेत्र में बसने वाले लोगों को भी सजीव चित्र उपस्थित किया है। कोसी क्षेत्र के लोग बीमार, दुर्बल एवं जर्जर शरीर लिए क्षेत्र की दशा को दर्शाते हैं। लोगों के दिल में कोसी का आतंक और चेहरे ‘ पर उदासी हमेशा देखने को मिलती है।

लेखक स्वयं उसे क्षेत्र के निवासी हैं। उन्हें अपना बचपन याद आता है। हर साल उनके दर्जनों साथी कोसी के प्रकोप से काल के गाल में समा जाते थे। जो लोग दिखाई भी देते थे, तो लगता था; अगले वर्ष वे दिखाई देगे या नहीं।

Bihar Board Hindi Book Class 11 Pdf Chapter 8 प्रश्न 2.
जब लेखक कोसी या उसके किसी अंचल के संबंध में कुछ कहने या लिखने बैठता है तो बात बहुत हद तक व्यक्तिगत हो जाती है। ऐसा क्यों?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरित क्रांति में लेखक ने स्पष्ट स्वीकार किया है कि वह जब कोसी या उसके किसी अंचल के संबंध में कुछ भी कहने या लिखने बैठता है तो वह वर्णन तटस्थ नहीं रह पाता, उसमें लेखक की वैयक्तिकता का सन्निवेश हो ही जाता है। ऐसा संभवतः इसीलिए होता है कि कोसी के साथ लेखक का भावात्मक एवं रागात्मक संबंध है। उसके स्वभाव-संस्कार में कोसी पूरी तरह रची-बसी है। अत: उसके वर्णन-चित्रण में उनकी वैयक्तिकता घुल-मिल जाती है।

Class 11 Hindi Book Bihar Board Chapter 8 प्रश्न 3.
पाठ में लेखक ने कोसी को ‘माई’ भी कहा है और “डायन कोसी’ शीर्षेक से रिपोर्ताज लिखने की चर्चा भी की है। लेखक का कोसी से कौन रिश्ता है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु का कोसी से अटूट रिश्ता था। कोसी को उन्होंने माता (माई) कहकर भी पुकारा है। उनकी दृष्टि में कोसी माई भी है। उनकी नजर में कोसी का जल पवित्र है। इसलिए उन्होंने कोसी को पुण्यसलिला भी कहा है। कोसी को उन्होंने तांत्रिकों की देवी भी माना है। इसलिए वे उसे छिन्नमाता कहकर पुकारते हैं। कोसी के भयानकता एवं भयावहता को देखकर वे उसे ‘भीमा’ और ‘भयानक’ भी कहते हैं। “कोसी की परियोजना” से क्षेत्र के लोगों को बहुत लाभ मिला। लोगों की भी खुशहाली आयी। इसलिए उसे वे प्रभावती भी कहते हैं।

साथ ही कोसी की भयानक छवि से भयभीत होकर लेखक ने बीस-बाईस वर्ष पूर्व ‘डायन कोसी’ शीर्षक से एक रिपोर्ताज भी ‘जनता’ पत्रिका में प्रकाशित किया था। रिपोर्ताज गद्य लेखक की आधुनिक विधा है। आँखों देखी या कानों सुनी जीवन की किसी सच्ची घटना पर आधारित जानकारी ही रिपोर्ताज है। इसमें कल्पना का कोई स्थान नहीं होता। यह तथ्यों पर आधारित रिपोर्ट होती है।

कोसी नदी ने क्षेत्र के वासियों को तबाह किया था। सम्पूर्ण उपजाऊ भूमि वीरान हो गई थी। दूर-दूर तक कहीं हरियाली नहीं दिखाई पड़ती थी। लेखक भी कोसी की निर्दयता से त्रस्त थे। इसीलिए उन्होंने कोसी को डायन कहकर पुकारा। इतना ही नहीं, उन्होंने ‘डायन कोसी’ नामक एक रिपोर्ताज भी जनता पत्रिका में प्रकाशित किया था।

अत: लेखक ने ‘कोसी एक वरदान’ एवं ‘कोसी एक अभिशाप’-दोनों रूप में कोसी से अपना रिश्ता जोड़ा है।

दिगंत भाग 1 Pdf Download Bihar Board Chapter 8 प्रश्न 4.
‘मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।’ पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने संस्मरण एवं रिपोर्ताज “स्वप्न परी : हरी क्रांति” में मानव जीवन के मार्मिम पहलू को स्पर्श किया है। यह एक सर्वविदित्त और सर्वज्ञात तथ्य है कि विधाता की इस सृष्टि में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, उससे ऊपर, अच्छा या उत्तम अन्य कोई प्राणी नहीं। इसी बात को बंगला के सुप्रसिद्ध कवि चंडीदास ने इस प्रकार व्यक्त किया है-‘सुन रे मानसि भाय। सबारि ऊपर मानुस सत्य तार ऊपर किछु नाय।” कवि सुमित्रानंदन पंत की भी पक्ति है-

“सुन्दर है बिहरा सुमन सुंदर मानव तुम सबसे सुंदरतर”।

विवेच्य पाठ में रेणुजी ने भी इसी तथ्य की संपुष्टि की है। उन्होंने बताया है कि यह मनुष्य ही है, जो घोर निराशा . में आशा की लौ जलाए चलता है और अपने उद्योग से प्रकृति को भी अपने अनुकूल बना लेता है। कोसी नदी जो उत्तर बिहार की अभिशाप मानी जाती है, जिसके कारण हजारों-हजार जिंदगियाँ , पल भर में काल कवलित हो जाती हैं, वहाँ भी आजादी के बाद हरी क्रांति के फलस्वरूप खुशहाली आ गई है।

कृषि संभव हो गई है और अमन-चैन कायम है। इस प्रकार प्रस्तुत पाठ में यह पूरी तरह सत्यापित और प्रमाणित हो जाता है कि मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, वह चाहे तो कुछ भी संभव हो सकता है।

Class 11th Hindi Book Bihar Board Chapter 8 प्रश्न 5.
सुदामाजी की किस कथा का उल्लेख ने पाठ में किया है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने पाठ ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ में सुदामाजी की कथा का उल्लेख किया है। कोसी परियोजना की सफलता के बाद कोसी अंचल की धरती हरी-भरी हो गई। मक्का, धान, गेहूं की फसलें बंजर भूमि में उगने लगीं।

कोसी के प्रकोप के कारण उस क्षेत्र के बहुत लोग घर-द्वार छोड़कर कहीं बाहर जाकर बस गये थे। उन्हीं लोगों में एक हैं सुदामाजी।

तीस साल पहले की बात है। लेखक को अपने गाँव जाने पर नई एवं रोचक कहानी मिली। लेखक के गाँव का एक व्यक्ति गाँव छोड़कर बंगाल चला गया था। कभी-कभार वह गाँव आ जाता था। एक बार वह आठ वर्षों तक गाँव नहीं आया। बंगाल में ही बस गया था। गाँव में एक-डेढ़ बीघा जमीन थी। उसी को बेचने के लिए वह गाँव आया था।

स्टेशन से उतरकर उसने अपने गाँव की पगडंडी पकड़ी। कुछ दूर जाने के बाद उसने अपने गाँव की ओर निगाह दौड़ाई। लेकिन उसे अपना वीरान गाँव नजर नहीं आया। उसकी परती जमीन नजर नहीं आई। उसे लगा वह रास्ता भूलकर दूसरी जगह आ गया है। जहाँ तक उसकी नजर जाती, लहलहाते धान के खेत नजर आते। चारों ओर हरियाली थी। नहर-आहर, पैन-पुलिया और बाँध दिखाई दे रहे थे।

वह व्यक्ति समझ बैठा कि वह नींद में किसी दूसरे स्टेशन पर उतर गया। वह स्टेशन लौट आया। चिंतित होकर पूछने लगा कि क्या यह वही स्टेशन है? तो उसका गाँव कहाँ चला गया? बाद में पता चला कि वह वही स्टेशन है और वह वही गाँव है जहाँ वह रहता था। गाँव के लड़कों ने उस आदमी का नया नाम दिया-सुदामाजी। जिस प्रकार सुदामाजी जब कृष्ण के दरबार से लौटकर अपने घर आये थे और विशाल महल देखकर आश्चर्यचकित हो गये थे। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह महल उनका ही घर है।

लेखक के गाँव के सुदामाजी भी अपना गाँव और अपनी जमीन देखकर घबड़ा गये थे। जब वास्तविकता का पता चला तो वे गाँव में फिर से बस गये। अपना परिवार उठाकर फिर गाँव आए। अब वे अपने डेढ़ बीघा जमीन में तीन-तीन फसलें उगाने लगे। लोग उन्हें सुदामाजी कहकर पुकारने लगे।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 11 Bihar Board Chapter 8 प्रश्न 6.
लेखक अपने दूसरे उपन्यास में दूने उत्साह से क्यों लग गया? पहले उपन्यास से इसका क्या संबंध है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने पहले उपन्यास में कोसी क्षेत्र के लिए एक सुनहरे दिन की कल्पना की थी। उन्होंने कल्पना की थी कि हिमालय की कंदराओं में एक विशाल ‘डैम’ बनाया जा रहा है। पर्वत तोड़े जा रहे हैं। हजारों लोग इस कार्य में लगे हैं। लाखों एकड़ जमीन जो बंजर है, वहाँ की मिट्टी शस्य-श्यामला हो उठेगी। जमीन फसलों से हरी-भरी हो जाएगी। मकई के खेत में बालायें हँसती हुई नजर आयेंगी।

लेखक के इस उपन्यास पर उनके मित्र फिर व्यंग्य करना शुरू किये। लेकिन लेखक की कल्पना साकार होने लगी। सरकार द्वारा ‘कोसी योजना’ का आयोजन होने लगा। इंजीनियर कोसी अंचल में घूमने लगे। लेखक ने यह सब देखकर दूने उत्साह से अपना दूसरा उपन्यास “परती : परिकथा” में हाथ लगा दिया। . पहले उपन्यास में लेखक ने कल्पना की थी कि लोगों का दिन लौटेगा।

लोगों में खुशी आएगी। दूसरे उपन्यास में लेखक का सपना साकार होता नजर आया। उपन्यास लिखने के दौरान लेखक पहाड़ों की कंदराओं में जाकर ‘देवगणों’ को तपस्या करते देख आते। बराह क्षेत्र उनका नया तीर्थस्थल बन गया। वहाँ आदमी चट्टानों से लड़ रहे थे। लेखक बड़े-बड़े टनेल में पहाड़ काटने वाले पहाड़ी जवानों से बातें करके धन्य हो जाते थे। अरुण, तिमुर और सुणकोसी के संगम पर बैठकर पानी मापने वाले, सिल्ट की परीक्षा करने वाले विशेषज्ञ को श्रद्धा तथा भक्ति से प्रणाम करके लौट आते। हर बार नई आशा की रंगीन किरण लेकर लौट आते।

लेखक के नये उपन्यास से एक नयी बहस का दौर शुरू हुआ। लेखक का उपन्यास पूरा हुआ। फिर प्रकाशित हुआ। उस समय कोसी प्रोजेक्ट ‘परीक्षा-निरीक्षा’ के दौर से गुजर रहा था। लेखक के कृपालु मित्रों को इस बार मज़ाक का ही नहीं, बहस का भी विषय मिला।

Bihar Board 11th Hindi Book Pdf Chapter 8 प्रश्न 7.
‘जिन्हें विश्वास न हो, वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।”-इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर-
सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत सारगर्भित पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक ‘दिगंत, भाग-I’ में संकलित ‘उतरी स्वप्न परी हरी क्रांति’ शीर्षक संस्मरणात्मक रिपोर्ताज से उद्धृत है। इसके लेखक फणीश्वरनाथ रेणु हैं। पाठ के अंत में कोसी क्षेत्र में आये सुंदर बदलावों के मद्देनजर यह लेखक के प्रसन्न मन का सहजा उद्गार है।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कोसी क्षेत्र, जो कभी धूसर, वीरान और बंजर क्षेत्र रहा करता था कि खुशहाली पर प्रसन्नता व्यक्त की गई है। कोसी जहाँ जिंदगियाँ उदास रहती थीं, कब किसकी मौत हो जाए-इसका ठिकाना नहीं रहता था, के दिन बदल गये हैं। कोसी योजना के फलस्वरूप आयी हरी क्रांति ने वहाँ के लोगों के जीवन में खुशहाली जा दी है। लेखक पहले जैसा सोचा करते थे और उस आशा भरी सोच के कारण दूसरों की नजर में उपहास के पात्र होते थे, अब वहाँ वैसी ही सुंदर स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं।

अतः लेखक ने वैसे लोगों को लक्ष्य कर, जो कभी उसकी बातों पर विश्वास नहीं करते थे, स्पष्टत: कहा है कि जिन्हें कोसी-क्षेत्र जाये इन विषमयकारी बदलावों पर विश्वास न हो, वे अपनी आँखों से इसें देख जाएँ। तब उन्हें पता चल जाएगा कि मेरे सपने आज कैसे सच साबित हो रहे हैं, वहाँ के जीवन में हरियाली आ गई है, सुख-समृद्धि बरस रहा है।

प्रस्तुत गद्यांश में हरी क्रांति के फलस्वरूप कोसी-क्षेत्र की आबाद जिंदगी को यथार्थतः उजागर करती है।

Bihar Board Hindi Book Class 11 Pdf Download Chapter 8 प्रश्न 8.
रेणु के इस रिपोर्ताज की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
“उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” शीर्षक रिपोर्ताज रेणुजी की एक अनुपम रचना है किसी घटना का ज्यों का त्यों वर्णन करना रिपोर्ताज कहलाता है। ‘रितोर्ताज’ एक विदेशी शब्द है, जिसे फ्रेंच भाषा से हिन्दी में लिया गया है। किसी घटना को अपनी मानसिक छवि में ढालते हुए उसे प्रस्तुत कर देना या मूर्त रूप देना ही रितोर्ताज की प्रमुख विशेषता है। इस प्रकार किसी रिपोर्ट का कलात्मक और साहित्यिक रूप ही रिपोर्ताज है। अचानक घटित होने वाली घटनाओं के साथ अर्थात् यूरोप के युद्ध क्षेत्र में इसका जन्म हुआ। हिन्दी में रितोर्ताज-लेखक की शुरूआत 1940 ई० के आस-पास से हुई। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं-कथात्मक प्रस्तुति, ऐतिहासिक, चित्रात्मकता, विश्वसनीयता, भावावेश प्रधान शैली इत्यादि।

हिन्दी में यूँ तो रेणु के पहले भी रिपोर्ताज लिखने वाले मौजूद थे, तथापि इनमें कोई शक नहीं कि शक ही इस विधा को सर्वाधिक समृद्ध किया। ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ उन्हीं का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं सारगर्भित रिपोर्ताज है। इसमें कोसी क्षेत्र की सुदीर्ध नीरसता, भयावहता के बीच हरी क्रांति के कारण आयी तब्दीली और खुशहाली का बड़ा सुंदर वर्णन-चित्रण हुआ है। रिपोर्ताज के रूप में इस पाठ की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं-विवेच्य रिपोर्ताज में कोसी का इतिहास, वर्तमान और भूगोल सब कथात्मक रूप में प्रस्तुत है। लेखक ने वहाँ से जुड़ी सभी बातों को एक कथा सूत्र से जोड़ दिया है।

विवेच्य रिपोर्ताज का परिवेश पूर्णरूपेण ऐतिहासिक है, जिसमें लेखक की हार्दिकता का रंग भी भरा-पूरा है। चित्रात्मकता रिपोर्ताज विधा की एक उल्लेखनीय विशेषता है। यह रिपोर्ताज इस गुण से संवलित है। रेणुजी ने कोसी-क्षेत्र के जीवन को चित्रात्मक रूप से उपस्थित कर सजीव एवं साकार कर दिया है। पुनः प्रस्तुत रिपोर्ताज में वर्णित-चित्रित सारे तथ्य अतिशय विश्वसनीय एवं प्रमाणिक हैं।

लेखक ने सिर्फ कपोल कल्पना नहीं, वरन् वास्तविकता के ठोस धरातल पर वहाँ की जीवनगत हलचल का अंकन किया है। अतः इसकी विश्वसनीयता पर कोई आँच नहीं आ सकती है।

रिपोर्ताज-लेखक की शैली बहुधा भावावेश-प्रधान होती है। कहना न होगा कि इस दृष्टि से भी यह रिपोर्ताज खरा उतरता है। लेखक का वस्तु-वर्णन में प्रायः सर्वत्र भावावेश उमड़ा पड़ा है। निष्कर्षक: ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ निस्संदेह न केवल रेणु का एक उत्तम रिपोर्ताज। है, बल्कि यह संपूर्ण हिन्दी रिपोर्ताज के मध्य विशिष्ट एवं विलक्षण है।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति भाषा की बात

Bihar Board Class 11 Hindi Book Solution Chapter 8 प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें- स्वाभाविक, क्षणिक, प्रकाशित, पुलकित, कवलित
उत्तर-

  • शब्द – प्रत्यय
  • स्वाभाविक – इक
  • क्षणिक – इक
  • प्रकाशित – इक
  • पुलकित – इक
  • कवलित – इत

Bihar Board Class 11 Hindi Book Chapter 8 प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समास निर्धारित करें होली-दिवाली, आसन्नप्रसवा, धीरे-धीरे, हरे-भरे, रोम-रोम, बाल-भरे
उत्तर-

  • होली-दिवाली – द्वंद्व समास
  • आसन्नप्रसवा – कर्मधारय समास
  • धीरे-धीरे – अव्ययीभाव समास
  • हरे-भरे – द्वन्द्व समास
  • रोम-रोम – अव्ययी भाव समास
  • बालू-भरे – करण तत्पुरुष समास

Hindi Book Class 11 Bihar Board Chapter 8 प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें हमजोली, धरती, इंसान, विधाता, पहाड़
उत्तर-

  • हमजोली – मित्र, सहचर
  • धरती – पृथ्वी, धरा
  • इंसान – मनुष्य, सज्जन
  • विधाता – ब्रह्मा, प्रजाति,
  • पहाड़ – पर्वत, गिरि।

Bihar Board Class 11 Hindi Book Pdf Chapter 8 प्रश्न 4.
‘महिला’ शब्द ‘महा’ से बना हुआ है। इसी तरह के शब्द निम्नांकित रूपों से बनाएँ
लघु, अरुण, गुरू, हरित, लाल, मधुर, श्वेत
उत्तर-

  • लघु – लघिमा
  • अरुण – अरुणिमा
  • गुरु – गरिमा
  • हरित – हरीतिमा
  • लाल – लालिमा
  • मधुर – मधुरिया
  • श्वेत – श्वेतिमा

Class 11 Bihar Board Hindi Book Chapter 8 प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करें उन्मूलन, हिमालय, मर्माहत, आयोजन, उन्नत
उत्तर-

  • उन्मूलन – उत् + मूलन
  • हिमालय – हिम + आलय
  • मर्माहत – मर्म + आहत
  • आयोजन – आ + योजन
  • उन्नत – उत् + नत

Bihar Board Class 11 Hindi Book Name Chapter 8 प्रश्न 6.

पाठ से तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज शब्दों के कम-से-कम पाँच-पाँच उदाहरण चुनें।
उत्तर-

  • तत्सम-स्वप्न, सर्वविदित, दक्षिण, बंध्या, आशा इत्यादि।
  • तद्भव-हरी, धरती, सोना, बरसात, आग इत्यादि
  • देशज-पगड़ी, खिचड़ी, तेंदुआ, खिड़की, लोटा इत्यादि
  • विदेशज-नक्शा, उदास, मनहूस, सिवा, मसाला इत्यादि।

Bihar Board Hindi Book Class 11 Chapter 8 प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों से संज्ञा पदबंध, विशेषण पदबंध, सर्वनाम पदबंध, क्रिया पदबंध और क्रिया विशेषण छाँटें

(क) इस ‘परती’ के उदास और मनहूस बादामी रंग को बचपन से ही देखता आया हूँ
उत्तर-
इस परती के-संज्ञा पदबंध
उदास और मनहूस बादामी रंग को-संज्ञा पदबंध
बचपन से ही-क्रिया विशेषण पदबंध
देखता आया हूँ-क्रिया पदबंध

(ख) मकई के खेतों में घास गढ़ती औरतें सचमुच बेवजह हँस पड़ती हैं।
उत्तर-
घास गढ़ती औरतें – संज्ञा पदबंध
मकई के खेतों में – क्रिया विशेषण पदबंध
हँस पड़ती हैं – क्रिया पदबंध

(ग) सारी धरती मानो इंद्रधनुषी हो गई है।
उत्तर-
सारी धरती – संज्ञा परबंध
हो गई है – क्रिया पदबंध

(घ) उसको विश्वास हो गया है कि वह नींद में ऊँघता हुआ किसी दूसरे स्टेशन पर उतर आया है।
उत्तर-
नींद में ऊँघता हुआ – विशेषण पदबंध
उतर आया है – क्रिया पदबंध
किसी दूसरे स्टेशन पर – क्रिया विशेषण पदबंध

(ङ) कफन जैसे सफेद बालू-भरे मैदान में धानी रंग की जिंदगी के बेल लग गए हैं।
उत्तर-
कफन जैसे सफेद – विशेषण पदबंध
बालू-भरे मैदान में – क्रिया विशेषण पदबंध
धानी रंग की जिंदगी – क्रिया पदबंध

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 11 Hindi Syllabus Chapter 8 प्रश्न 1.
कोशी अंचल की धरती का संक्षेप में विवेचन करें।
उत्तर-
कोशी अंचल कोशी नदी के अभिशाप से ग्रस्त है। कोशी जिधर से गुजरती है उधार की धरती को बाँध बना देती है। सोना उगलने वाली भूमि बालू की रेत में बदल जाती है। अतः कोशी अंचल की लाखों एकड़ धरती मनहूस बादामी रंग की है। यह धरती धूसर वीरान और उदासी का साकार रूप है। इसमें बरसात में कुछ पौधे उगकर हरियाली ला देते हैं लेकिन बरसात समाप्त होते बंध्यापन छा जाता है।

Bihar Board 11th Hindi Book Pdf Download Chapter 8 प्रश्न 2.
कोशी अंचल का जीवन कैसा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कोशी अंचल के लोगों का जीवन मलेरिया और कालाजार के कारण मृत्यु के आतंक के बीच बीतता था। रोग से जर्जर शरीर रक्त और माँस से हीन नरकंकालों के समूह की तरह लगते थे। उनकी जिन्दगी में न रस था, न रंग, न हँसी, न खुशी। मृत्यु कब किसको लील लेगी . कहना कठिन था। ऐसे लोगों की आँखों में रंगीन और सुनहले सपने नहीं होते।

प्रश्न 3.
रेणु का आशावाद पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
रेणु ने डायन कोशी शीर्षक अपने रिपोर्ताज से लेकर परती परिकथा तक सदैव एक स्वप्न देखा। उस स्वप्न के अनुसार एक दिन ऐसा आयेगा जब कोशी नदी पर एक सही स्थान पर डैम बनेगा। यह डैम इस धरती का कायाकल्प कर देगा। वीरदान, उदास, बंध्या धरती शस्य श्यामला हो उठेगी। बालू वाली जमीन सोना उगलेगी, धानी रंग की जिन्दगी के बल लग जायेंगे, प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फैल जायेंगे। धरती पर अमृत हास्य अंकित हो उठेगा।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उतरी स्वप्न परी का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
रेणु ने कोशी अंचल की दुर्दशा से मुक्ति का सपना देखा और अपनी रचनाओं में अंकित किया। कोशी-योजना के पूरा होने पर यह स्वप्न यथार्थ में बदल गया। अतः बाँह्य धरती को शस्य-श्यामला देखने का जो लेखक का स्वप्न था वह साकार हुआ। यही स्वप्न परी के उतरने का तात्पर्य है।

प्रश्न 2.
डैम बनने के पूर्व कोणी अंचल की धरती कैसी थी?
उत्तर-
डैम बनने के पूर्व कोशी अंच की लाखों एकड़ धरती धूसर, वीरान, उदास और बालू से भरी थी। रेणु की दृष्टि में बंध्या धरती थी। .

प्रश्न 3.
डैम बनने के पहले कोशी अंचल के लोगों की क्या दशा थी?
उत्तर-
डैम बनने के पहले कोशी अंचल में कालाजार और मलेरिया के रूप में मृत्यु का तांडव चल रहा था। लोगों का शरीर रोग जर्जर नर कंकाल जैसा था। वे दिन-रात मृत्यु की छाया में जीते थे। जीवन में न रस था न रंग।।

प्रश्न 4.
मनुष्य विधाता की सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी क्यों है?
उत्तर-
मनुष्य के पास संकल्प शक्ति और पुरुषार्थ है। विषमपरिस्थितियों से लगातार संघर्ष कर उस पर विजय प्राप्त करता है। वह निराशा के अंधकार से आशा के बल पर लड़ता है और जीतने के लिए लड़ता है। अतः सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।

प्रश्न 5.
रेणु के आशावाद का लोग क्यों मजाक उड़ाते थे?
उत्तर-
रेणु की बातों को लोग लेखकीय कल्पना मानते थे जिनके यथार्थ में परिणत होने की संभावना नहीं थी।

प्रश्न 6.
किन कारणों से रेणु का आशावाद सफल हुआ?
उत्तर-
केन्द्र सरकार ने आजादी के बाद विशेषज्ञों से सर्वेक्षण कराया तो लगा कि सही जगह पर डैम बना देने और कोशी को तटबंधों के सहारे बाँध देने पर उसका प्रलयकारी रूप समाप्त हो जायेगा। ऐसा ही किया गया और उसका एकदम अनुकूल परिणाम निकला बंध्या धरती शस्य श्यामला हो गयी।

प्रश्न 7.
रेणु का नया वराह क्षेत्र तीर्थ कहाँ है?
उत्तर-
रेणु ने उस क्षेत्र को नया वराह तीर्थ क्षेत्र कहा है जहाँ विशेषज्ञों ने मापकर, पहाड़ काटकर डैम बनाने का कार्य किया था। वह स्थान जहाँ बंध्या धरती को शस्य-श्यामला बनाने का यज्ञ पूरा हुआ रेणु की दृष्टि में नया तीर्थ है।

प्रश्न 8.
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ किसके द्वारा लिखी गयी है?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गयी है।

प्रश्न 9.
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति में लेखक ने किस क्रांति का वर्णन किया है?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति में लेखक ने देश में खेती के संदर्भ में हरित क्रांति का वर्णन किया है। उन्होंने यह बतलाया है कि हरित क्रांति होने से भारत खाद्यान्न के मामले में लगभग आत्म-निर्भर बन चुका है।

प्रश्न 10.
उतरी स्वज परी : हरि क्रांति किस प्रकार की रचना है?
उत्तर-
फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ रिपोर्ताज है।

प्रश्न 11.
फणीश्वर नाथ रेणु कस प्रकार के कहानीकार हैं?
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु एक आंचलिक कहानीकार हैं।

प्रश्न 12.
किन कहानियों में फणीश्वरनाथ रेणु की फिल्में बनी?
उत्तर-
मैला आँचल और तीसरी कसम पर फिल्में बनी जो बहुत लोकप्रिय हुयीं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
‘उतरी स्वज परी : हरी क्रांति’ के लेखक कौन हैं?
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) प्रेमचन्द
(ग) फणीश्वरनाथ रेणु
(घ) कृष्ण सोबती
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 2.
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ किस पुस्तक से संकलित है?
(क) कितने चौराहे
(ख) मैला आँचल
(ग) श्रुत-अश्रुत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 3.
‘मैला आँचल’ उपन्यास है-
(क) आंचलिक
(ख) जासूसी
(ग) ऐतिहासिक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 4.
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति क्या है?
(क) संस्मरण
(ख) रिपोर्ताज
(ग) कहानी
(घ) निबंध
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 5.
लेखक ने शोक का पर्याय किसे कहा है?
(क) कोशी नदी को
(ख) कमला नदी को
(ग) गंगा नदी को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे ‘माई’ भी कहा है ‘डायन’ भी
(क) कोशी
(ख) कमला
(ग) बलान
(घ) बागमती
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
विधाता की सृष्टि में ही…………..है।
उत्तर-
सर्वश्रेष्ठ

प्रश्न 2.
वहाँ धान और गेहूँ की…………..झूम रही हैं।
उत्तर-
बालियाँ।

उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति लेखक परिचय फणीश्वरनाथ रेणु (1921-1977)

फणीश्वरनाथ रेणु हिन्दी के अप्रतिम कथाशिल्पी तथा लेखक थे। वे आंचलिक कहानी और आंचलिक उपन्यास के जनक माने जाते हैं। इनकी कहानियों और उपन्यासों में क्षेत्र-विशेष की सोंधी मिट्टी की महक है। समय के सच को बड़ी तल्लीनता के साथ उन्होंने अपने साहित्य में स्थान दिया है।

‘रेणुजी’ का जन्म 4 मार्च, 1921 ई० को बिहार के पूर्णिया वर्तमान अररिया जिले के औराही हिंगना गाँव में हुआ था और देहावसान 11 अप्रैल, 1977 ई० में। शोषण और दमन के विरुद्ध संघर्षरत रेणु ने 1942 ई० के स्वतंत्रता-संग्राम में अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया तो 1950 ई० में राणाशाही के दमन और अत्याचार से नेपाल की जनता को मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशक्त क्रांति में भाग लिया।

जीवन की संध्या बेला में फिर से ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ के रूप में सक्रिय हुए और सत्ता के दमनचक्र के विरोध में ‘पद्यश्री’ की उपाधि लौटा दी तथा जेल गए। उन्होंने इस सत्य को चरित्रार्थ किया कि सच्चा लेखक जो लिखता है, उसे जीवन में साकार करने के लिए संघर्ष भी करता है।

‘रेणुजी’ की सबसे पहली कहानी थी-‘बटबाबा’। यह कहानी 1954 ई० में विश्वामित्र में प्रकाशित हुई थी। कोशी डायन’, ‘जै गंगा’, ‘नया सबेरा’, ‘हड्डियों का फल’ इनकी प्रारंभिक रचनाएँ हैं। ‘ठुमरी’ नाम से इनकी कहानियों का एक संग्रह प्रकाशित हुआ है। ‘तीसरी कसम’ और ‘रसप्रिया’ इनकी सुप्रसिद्ध कहानियाँ हैं। ‘तीसरी कसम’ पर फिल्म भी बन चुकी है।

‘रेणुजी’ ने ‘मैला आँचल’ उपन्यास लिखकर पूरे हिन्दी-जगत में एक तूफान खड़ा कर दिया। यहा उनका आँचलिक उपन्यास है। ‘परती परिकथा’, ‘जूलूस’ और ‘कितने चौराहे’ इनके सुप्रसिद्ध उपन्यास हैं। इन्होंने अंचल विशेष के जीवन को उसके समय भूमिगत स्वरूपा के अंकित किया है। ऐसे में लोग जीवन के सभी तत्त्व अभिव्यक्ति के उपकरण बन जाते हैं। अपनी स्वाभाविकता के कारण इन्होंने आरंभ से ही पाठकों को आकर्षित किया।

रेणु एक ग्राम विशेष के साथ बँधकर तथ्य-विस्तार को कलात्मक चित्रों की रेखाओं के रूप में ग्रहण करते हैं। उस ग्राम के माध्यम स्वातंत्रोत्तर भारत की समस्या का मूर्तिमान कर देना ही रेणु की उपलब्धि है। इन उपन्यासों में ‘मैला आँचल’ और ‘परती परिकथा’ का जीवन दर्शन स्पष्ट तथा अनुपम है। रेणु आंचलिकता की सीमा में बँध कर नहीं रह गये हैं। बल्कि उनका दृष्टिकोण जीवन के यथार्थ को पूरी तन्मयता के साथ जीवन्त बनाने का है। ‘तीसरी कसम’ कहानी में उन्होंने संवेदना के जिस अंग का स्पर्श किया है, उसे किसी अंचल या क्षेत्र विशेष में कैद नहीं किया जा सकता है।

रेणुजी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विचार करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इन्होंने जीवन में केवल संघर्ष के रास्ते को चुना है और साहित्य में नये आयामों को जन्म देकर उसे पाल-पोसकर बड़ा किया है। उनका जीवन एक सतत् क्रांतिकारी का जीवन रहा है। इनकी कहानियों में राजनीतिक पक्ष उस ढंग से उजागर नहीं हुए हैं जबकि उपन्यासों में अपने आपको व्यावहारिक जीवन की राजनीतिक चेतना से बचा नहीं सके हैं। इनकी कहानियाँ संवेदना के स्तर से शुरू होती है और संवेदना के तल पर समाप्त हो जाती हैं।

वास्तव में रेणु अपने समय के दुर्लभ कथाकारों में हैं। जिनके कथा गद्य में संगीत के अंताप्त गुण हैं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति पाठ का सारांश

“उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” फणीश्वर नाथ रेणु लिखित एक रिपोर्ताज है। फणीश्वरनाथ रेणु एक राष्ट्रीय एवं अंततराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आंचलिक कथाकार हैं। उन्होंने पूर्णिया के अपने ग्रामीण अंचल तथा वहाँ के जीते-जागते चरित्रों को अपने पाठकों के मानस पर अमिट छाप छोड़ा है। रेणु जी अपने समय के दुर्लभ कथाकारों में से एक हैं। कथा साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण और रिपोर्ताज विधाओं में भी रेणुजी अनुपम दिखलाई पड़ते हैं।

प्रस्तुत पाठ उनकी पुस्तक “श्रुत-अश्रुत पूर्व” से संकलित है। कोसी को बिहार का शोक कहा जाता है। कोसी का तांडव भयानक है। कोसी अपने क्षेत्र में भयानक तबाही मचाती है। ‘कोसी परियोजना’ के द्वारा कैसे कोसी के शोक विषय को उल्लास एवं खुशियों में बदल दिया गया तथा मनुष्य के प्रयत्न और पुरुषार्थ के द्वारा यह चकित कर देने वाला परिवर्तन हो सका, यही इस रचना का मुख्य विषय है।

फणीश्वरनाथ रेणु ने इस संस्करण में कोसी अंचल का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। कोसी अंचल का वर्णन उनका व्यक्तिगत विषय भी है क्योंकि उनका जन्म स्थान भी कोसी अंचल ही है। यही कारण है कि कोसी अंचल का यथार्थ चित्रण उन्होंने इस रिपोर्ताज (संस्मरण) में किया है।

कोसी अंचल में कोसी का तांडव कैसा होता आ रहा है, इसका सजीव एवं व्यावहारिक चित्र लेखक ने इस पाठ में प्रस्तुत किया है।

कोसी अंचल में रहने वाले कोसी के तांडव से हमेशा भयभीत रहते हैं। लाखों एकड़ जमीन बंजर हो गई है। मलेरिया एवं कालाजार से प्रतिवर्ष हजारों व्यक्ति मरते हैं। अंचल में गरीबी का साम्राज्य है। कोसी के इस आतंक से लेखक भी प्रभावित हैं। इसीलिए जब भी वे इस आतंक के बारे में कुछ लिखते हैं तो यह अंचल उनका व्यक्तिगत हो जाता है। यह स्वाभाविक भी है।

लेखक आशावादी हैं। वे अपने लेखों द्वारा कल्पना करते रहते हैं कि एक दिन समय लौटेगा। कोसी अंचल के लोग खुशहाल होंगे। परती जमीन के दिन भी फिरेंगे, प्राणों में घुल हुए रंग धरती पर फैल जाएंगे। चारों ओर हरियाली छा जाएगी।

लेखक की कल्पना साकार भी होती है ‘कोसी परियोजना’ शुरू होती है। बड़े-बड़े बाँधे जाते हैं। नहरें निकाली जाती हैं। खेतों में हरियाली आ जाती है। धान, गेहूँ, मक्का की फसलें होन लगी। लोगों के चेहरे पर खुशियाँ लौट आयीं। तो लोग कोसी अंचल छोड़कर दूसरे प्रान्तों में जाकर बस गये थे, वे भी घर लौटने लगे। एक का उदाहरण लेखक ने दिया भी है। बच्चे उन्हें ‘सुदामाजी’ कहते थे।

कोसी अंचल के दिन लौटने पर लेखक मनुष्य के धैर्य, पराक्रम एवं क्षमता की प्रशंसा करते हैं। वे कहते भी हैं कि विधाता की सृष्टि में मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य चिंतनशील प्राणी है। वह निराशा के घोर अंधकार में आशा के दीप लेकर आगे बढ़ता है। उसमें धैर्य, त्याग, तपस्या, लगन जैसे अनेक विलक्षण गुण हैं जो अन्य जीवों में नहीं पाये जाते। मनुष्य के पराक्रम पर लेखक को इतना भरोसा है कि वे लोगों से कहते भी हैं कि जिन्हें नहीं हो, वे कोसी अंचल में आकर देख लें। लोगों में प्राणों का संचार होने लगा है। खुशियाँ ने धरती पर अपनी छटा बिखरे दी हैं। लोगों की खुशियाँ दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।


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