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Tuesday, June 21, 2022

BSEB Class 11 History Confrontation of Cultures Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Confrontation of Cultures Book Answers

BSEB Class 11 History Confrontation of Cultures Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Confrontation of Cultures Book Answers
BSEB Class 11 History Confrontation of Cultures Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Confrontation of Cultures Book Answers


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Bihar Board Class 11th History Confrontation of Cultures Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 11th History Confrontation of Cultures Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject History Confrontation of Cultures
Chapters All
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Bihar Board Class 11 History संस्कृतियों का टकराव Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एजटेक और मेसोपोटामियाई लोगों की सभ्यता की तुलना कीजिए।
उत्तर:
एजटेक सभ्यता – 12वीं शताब्दी में माया सभ्यता के पतन के बाद अमेरिका में एजटेक लोगों ने सभ्यता की ज्योति जलाई। एजटेक लोग जिन्हें टेनोका भी कहते हैं ने टेनोक्ट्टिलान, टेलाटेलोका नाम की दो राजधानियाँ बसायौं। इन लोगों की सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ ये थीं

  • इनका साम्राज्य 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। इसे 38 प्रांतों में बाँटा गया था। प्रत्येक प्रांत का शासन एक गवर्नर चलाता था।
  • वे कई देवी-देवताओं की पूजा करते थे। सूर्य देवताओं और अन्य ईवी इनमें प्रमुख थे। वे अन्न देवी को देवताओं की जननी मानते थे।
  • इन लोगों ने धातुओं को पिघलाकर उनका प्रयोग करना सीख लिया था।
  • उन्होंने धार्मिक समारोहों से संबंधित एक पंचांग बनाया। इसके अनुसार वर्ष में 260 दिन होते थे। 1521 ई० में एजटेक साम्राज्य का अंत हो गया।

मेसोपोटामिया की सभ्यता – मेसोपोटामिया की सभ्यता के अंतर्गत तीन सभ्यताओंसमेरिया, वेबीलोनिया और सीरिया की गणना की जाती है। तीनों सभ्यताओं का जन-जीवन लगभग समान था। समाज में उच्च, मध्य तथा निम्न तीन वर्ग थे। पहले दोनों वर्ग सुखी ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करते थे। निम्न वर्ग के लोग दु:खी थे। समाज में पुरुषों की अपेक्षा सियों का स्थान निम्न था। कृषि सिंचाई द्वारा की जाती थी। मेसोपोटामिया के लोग टीन, ताँबा काँसे से परिचित थे। वस्त्र उद्योग उनका प्रमुख व्यवसाय था। वे अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे।

मैसोपोटामिया के लोगों ने महान् उपलब्यिाँ प्राप्त की। उन्होंने सर्वप्रथम लेखन कला का विकास किया। उन्होंने चन्द्रमा के आधार पर एक पंचांग बनाया। इसकी सहायता से वे ऋतुओं तथा ग्रहण लगने का अनुमान लगाते थे। उन्होंने षट्दाशमिक प्रणाली की खोज भी की। इसके आधार पर उन्होंने। घंटे में 60 मिनट और 1 मिनट में 60 सैकेण्ड निश्चित किए। उन्होंने ही सबसे पहली ‘हम्बुराबी की विधि संहिता- नामक कानूनों की एक पुस्तक तैयार की। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुम्हार के चाक, शीशे के बर्तनों और भवन निर्माण की नवीन शैलियों का आविष्कार किया।

प्रश्न 2.
ऐसे कौन-से कारण थे जि+4 15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौचार।। को सहायता मिली?
उत्तर:
15वीं शताब्दी में यूरोपीय नौ-चालन में निम्नलिखित कारकों ने सहायता पहुँचाई –

  1. 1380 ई. में कुतबनुमा अर्थात् दिशासूचक यंत्र का आविष्कार हो चुका था। इससे यात्रियों को खुले समुद्र में दिशाओं की सही जानकारी मिल सकती थी।
  2. समुद्री यात्रा पर जाने वाले यूरोपीय जहाजों में भी काफी सुधार हो चुका था। बड़े-बड़े जहाजों का निर्माण होने लगा था, जो विशाल मात्रा में माल की ढुलाई कर सकते थे।
  3. ये जहाज आत्मरक्षा के अस्त्र-शस्त्रों से भी लैस होते थे, ताकि शत्रु के आक्रमण का सामना किया जा सके।
  4. पंद्रहवीं शताब्दी के दौरान यात्रा-वृत्तातों, सृष्टि-वर्णन तथा भूगोल की पुस्तकों के प्रसार ने लोगों के ज्ञान में वृद्धि की।
  5. उदाहरण के लिए मिस्रवासी टॉलेमी ने अपनी पुस्तक में विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति अक्षांश और देशांतर रेखाओं द्वारा समझायी थी।
  6. इसे पढ़ने से यूरोपवासियों को संसार के बारे में और अधिक जानकारी मिली। टॉलमी ने यह भी बताया था कि पृथ्वी गोल (Spherical) है।

प्रश्न 3.
किन कारणों से स्पेन और पुर्तगाल ने पंद्रहवीं शताब्दी में सबसे पहले अटलांटिक महासागर के पार जाने का साहस किया?
उत्तर:

  1. कुछ विशेष आर्थिक कारणों ने स्पेन के लोगों को महासागरी शूरवीर बनाया।
  2. स्पेन तथा पुर्तगाल के साहसी नाविक हर समय समुद्र में उतरने को तैयार रहते थे क्योंकि उन्होंने अटलांटिक महासागर की दूसरी ओर की भूमि को बहुत कम आँका था।
  3. स्पेन और पुर्तगाल के शासक नयी समुद्री खोजों के लिए धन जुटाने को तैयार रहते थे।

प्रश्न 4.
कौन-सी नई खाद्य वस्तुएँ दक्षिणी अमेरिका से बाकी दुनिया में भेजी जाती थीं?
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका से मक्का, कसावा, कुमाला, आलू आदि खाद्य वस्तुएँ बाकी दुनिया में भेजी जाती थीं।

प्रश्न 5.
गुलाम के रूप में पकड़कर ब्राजील ले जाए गये सत्रह वर्षीय अफ्रीकी लड़के की यात्रा का वर्णन करों।
उत्तर:
गुलाम के रूप में पकड़ कर ब्राजील ले जाए गए लड़के की यात्रा बहुत ही कष्टमय थी। उसे अन्य गुलामों के साथ जहाज में ढूंसा गया और बेड़ियों से जकड़ा गया । उसे कई दिनों तक भूखा-प्यासा भी रखा गया।

प्रश्न 6.
दक्षिणी अमेरिका की खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद के विकास को कैसे जन्म दिया?
उत्तर:
यूरोप के देश विशेषकर स्पेन तथा पुर्तगाल सोना-चाँदी के लालची थे। उन्हें दक्षिणी अमेरिका में भारी मात्रा में सोना मिलने की आशा थी। इसलिए यूरोपवासी दक्षिणी अमेरिका के विभिन्न प्रदेशों में जा बसे। उन्होंने अपने सैन्य-बल तथा बारुद के प्रयोग द्वारा वहाँ अपना शासन स्थापित कर लिया। विरोध होने पर उन्होंने वहाँ के स्थानीय लोगों को बुरी तरह कुचला। उन्होंने वहाँ के लोगों से नजराने वसूल किए। स्थानीय प्रधानों का प्रयोग उन्होंने नए-नए प्रदेश तथा सोने के नए-नए स्रोत खोजने के लिए किया।

सोने-चांदी के विशाल भंडारों का पता चलने पर और अधिक यूरोपवासी वहाँ जा बसे। उन्होंने स्थानीय लोगों को दास बना लिया और उन्हें ‘खानों” में काम करने के लिए विवश किया। इस प्रकार दक्षिणी अमेरिका पूरी तरह यूरोपीय साम्राज्यवाद की जकड़ में आ गया।

Bihar Board Class 11 History संस्कृतियों का टकराव Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भूमि उद्धार से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूमि उद्धार से अभिप्राय बंजर भूमि को आवासीय या कृषि योग्य भूमि में बदलने से है। कई बार विभिन्न जलस्रोत से जमीन लेकर भी भूमि उद्धार किया जाता है।

प्रश्न 2.
एजटेक लोगों के ‘चिनाम्पा’ क्या थे?
उत्तर:
चिनाम्या मैक्सिको झील में बने कृत्रिम द्वीप थे। एजटेक लोगों ने इन्हें सरकंडों की बहुत बड़ी चटाइयाँ बुनकर और मिट्टी तथा पत्रों से ढंक कर बनाया था। ये द्वीप अत्यंत उपजाऊ थे।

प्रश्न 3.
आदि अमेरिकी सभ्यताओं की दो विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:

  • वे खेती करते थे और उनका भोजन मक्का था।
  • इनके विषय में एक रोचक बात यह है कि वे पशु-पालन से अपरिचित थे।

प्रश्न 4.
माया लोगों की दो अति महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ क्या थी?
उत्तर:

  • गणित का ज्ञान – माया लोगों को गणित का भी अच्छा खासा ज्ञान था। वे शून्य के लिए एक विशेष प्रकार का चिह्न प्रयोग करते थे।
  • हेरोग्लिफिक लिपि – माया लोगों की लिपि अंशत: चित्रात्मक तथा अंशत: ध्वन्यात्मक थी।

प्रश्न 5.
माया सभ्यता का विस्तार बताएँ।
उत्तर:
माया सभ्यता 300 ई० के बीच अपनी उन्नति की चरम सीमा पर थी। यह मध्य अमेरिका के एक बड़े भाग पर फैली हुई थी। इसमें ग्वातेमाला, मैक्सिको, हांडूरास तथा यूकातान के प्रदेश सम्मिलित थे।

प्रश्न 6.
अमेरिकी मूल सभ्यताओं के पतन के बारे में लिखें।
उत्तर:
1532 ई० में स्पेन की सेना ने फ्रांसिस्को पिजारों के नेतृत्व में इंका सभ्यता को नष्ट कर दिया। इस प्रकार विदेशी आक्रमणों के कारण 16वीं शताब्दी में अमेरिकी सभ्यताओं का पतन हो गया।

प्रश्न 7.
इंका सभ्यता के मुख्य केंद्र बताएँ।
उत्तर:
इंका सभ्यता का प्रमुख केंद्र टिंट्टीका की झील थी। इसके अन्य मुख्य केंद्र आधुनिक इक्वाडोर, पेरू तथा बोलीविया थे।

प्रश्न 8.
माया सभ्यता की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • कृषि इनका मुख्य व्यवसाय था। इनका मुख्य आहार मक्का था।
  • उनकी लिपि चित्रात्मक थी। उन्होंने सौर पंचांग का निर्माण किया।

प्रश्न 9.
प्राचीन मिस्त्र तथा माया पंचांगों में दो असमानताएं बताएँ।
उत्तर:

  • मिस्री लोगों के वर्ष में 12 महीने होते थे जबकि माया पंचागों में वर्ष 18 महीने का था।
  • माया पंचांग में प्रत्येक महीना 20 दिन का था जबकि मिस्री पंचांग में प्रत्येक महीना 30 दिन का होता था।

प्रश्न 10.
प्राचीन मिस्त्र और माया पंचांगों की दो : गगनताएँ बताओ।
उत्तर:

  • मिस्र और माया पंचांग दोनों ही सौर पंचांग थे। इसका कारण यह था कि ये दोनों सूर्य की गति पर आधारित थे।
  • दोनों पंचांगों में वर्ष 365 दिन का था।

प्रश्न 11.
दक्षिण अमेरिका की खोज और बाद में बाहरी लोगों के बस जाने का क्या परिणाम निकाला?
उत्तर:
दक्षिण अमेरिका की खोज और बाद में बाहरी लोगों का वहाँ बस जाना वहाँ के मूल निवासियों और उनकी संस्कृतियों के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ। इसी से दास-व्यापार आरंभ हुआ। इसके अंतर्गत यूरोपवासी अफ्रीका से दास पकडकर या खरीदकर उन्हें उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका की खानों तथा बगानों में काम करने के लिए बेचने लगे।

प्रश्न 12.
हम अमेरिका के मूल निवासियों तथा यरोपवासियों के बीच हुई मुठभेड़ों के बारे में मूलनिवासियों के पक्ष को तो अधिक नहीं जानते पर यूरोपीय पक्ष को विस्तारपूर्वक जानते हैं। इसका क्या कारण है?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि अमेरिका की यात्राओं पर जाने वाले यूरोपवासी अपने साथ रोजनामचा (log-book) और डायरियाँ रखते थे। इनमें वे अपनी यात्राओं का दैनिक विवरण लिखते थे। हमें सरकारी अधिकारियों, एवं जेसुइट धर्मप्रचारकों के विवरणों से भी इसके बारे में जानकारी मिलती है। परंतु यूरोपवासियों ने अपनी अमेरिका की खोज तथा वहाँ के देशों का जो इतिहास लिखा है उनमें यूरोपीय बस्तियों के बारे में ही अधिक बताया गया है। स्थानीय लोगों के बारे में बहुत कम या न के बराबर ही लिखा गया है।

प्रश्न 13.
15वीं से 17वीं शताब्दी तक दक्षिणी तथा मध्य अमेरिका का भौगोलिक परिदृश्य कैसा था?
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका घने जंगल और पहाड़ों से ढंका हुआ था। संसार की सबसे बड़ी नदी अमेजन (Amazon) मीलों तक वहाँ के घने वन प्रदेशों से होकर बहती थी। मध्य अमेरिका में, मैक्सिकों में समुद्र तट के आसपास के क्षेत्र और मैदानी प्रदेश घने बसे हुए थे, जबकि सघन वनों वाले क्षेत्रों में गाँव दूर-दूर स्थित थे।

प्रश्न 14.
जीववादी (Animists) कौन होते हैं?
उत्तर:
जीववादी वे लोग होते हैं जो इस बात में विश्वास रखते हैं कि वैज्ञानिक जिन वस्तुओं को निर्जीव मानते हैं, उनमें भी जीवन या आत्मा हो सकती है।

प्रश्न 15.
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कहाँ रहते थे ? उनकी दो विशेषताएँ बताओ।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो (Arawakian Lucayos) समुदाय के लोग कैरोबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे द्वीपसमूहों तथा वृहत्तर ऐटिलीज (Greater Antilles) में रहते थे।

विशेषताएं –

  • ये लोग लडने की बजाय बातचीत से झगडा निपटाना अधिक पसंद करते थे।
  • वे कुशल नौका-निर्माता थे। वे पेड़ों के खोखले तनों से अपनी डॉगियाँ बनाते थे।

प्रश्न 16.
दक्षिणी अमेरिका के तुपिनांबा लोगों को कृषि पर निर्भर क्यों नहीं होना पड़ा?
उत्तर:

तुपिनांवा लोगों के पास भेड़ काटने के कुल्हाड़ा बनाने के लिए लोहा नहीं था इसलिए वे खेती के लिए घने जंगलों का सफाया नहीं कर सके।
उन्हें फल, सब्जियाँ और मछलियाँ आसानी से प्राप्त हो जाती थीं। इसलिए उन्हें खेती पर निर्भर नहीं होना पड़ा।

प्रश्न 17.
मध्य-अमेरिका में शहरीकृत सभ्यताओं के विकास में किन तत्वों ने सहायता पहुँचाई? इन शहरों की क्या मुख्य विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
मध्य अमेरिका में कुछ अत्यंत सुगठित राज्य थे । वहाँ मक्का का भरपूर उत्पादन होता था। जो एजटेक, माया और इंका जनसमुदायों की शहरीकृत सभ्यताओं का आधार बना। इन शहरों की मुख्य विशेषता इनकी भव्य वास्तुकला थी।

प्रश्न 18.
माया सभ्यता के लोगों के धर्म की कोई दो विशेषताएं बताएँ।
उत्तर:

  • माया सभ्यता के लोग वन, वर्षा, उपजाऊ शक्ति, अग्नि, मक्का आदि देवताओं की पूजा करते थे।
  • माया लोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अपने शरीर का भाग काट कर अर्पित कर देते थे। मानव बलि का भी रिवाज था।

प्रश्न 19.
कोलंबस को वापसी यात्रा अधिक कठिन क्यों थी?
उत्तर:
कोलंबस की वापसी यात्रा निम्नलिखित कारणों से अधिक कठिन थी –

  • उसके जहाजों को दीमक लग गई थी।
  • उसके साथी नाविक थक चुके थे और उन्हें घर की याद सताने लगी थी।

प्रश्न 20.
कोलंबस कहाँ का निवासी था? वह ‘इंडीज’ कब पहुँचा?
उत्तर:
कोलंबस स्पेन का निवासी था। वह 12 अप्रैल, 1492 ई० को इंडीज पहुँचा।

प्रश्न 21.
कैपिटुलैसियोन (Capitulaciones) क्या थे?
उत्तर:
कैपिटुलैसियोन एक प्रकार के इकरारनामे थे। इन इकरारनामे द्वारा स्पेन का शासक नए जीते हुए प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता जमा लेता था। उन्हें जीतने वाले नेताओं को पुरस्कार के रूप में पदवियाँ और जीते गए देशों पर शासनाधिकार दिया जाता था।

प्रश्न 22.
रीकाँक्वेस्टा (पुनर्विजय) क्या थी?
उत्तर:
रीकाँक्वेस्टा (पुनर्विजय) ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप पर प्राप्त की गई सैनिक विजय थी । इस विजय द्वारा इन राजाओं ने 1492 ई. में इस प्रायद्वीप को अरबों के नियंत्रण से मुक्त करा लिया था।

प्रश्न 23.
14वीं शताब्दी के बाद यूरोप, विशेषकर, इटली के लंबी दूरी के व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
14वीं शताब्दी के बाद के दशकों में यूरोप के लंबी दूरी के व्यापार में गिरावट आ गई। 1453 ई. में तुकों द्वारा कुस्तुनतुनिया (Constantinople) की विजय के बाद तो यह और भी कठिन हो गया। इटलीवासियों ने किसी प्रकार तुकों के साथ व्यापारिक संबंध तो बनाए रखा, पर उन्हें व्यापार पर अधिक कर देना पड़ता था।

प्रश्न 24.
सृष्टिशास्त्र (Cosmography) क्या था?
उत्तर:
सृष्टिशास्त्र विश्व का मानचित्र बनाने का विज्ञान था। इसमें स्वर्ग और पृथ्वी दोनों का वर्णन किया जाता था। परंतु इसे भूगोल और खगोल से अलग शास्त्र माना जाता था।

प्रश्न 25.
एजटेक तथा इंका संस्कृतियों की कुछ समानताएँ यूरोपीय संस्कृति से बहुत भिन्न थीं। इनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. एजटेक तथा इंका समाज श्रेणीबद्ध था परंतु वहाँ यूरोप की तरह संसाधनों का निजी स्वामित्व नहीं था।
  2. पुरोहितों और शमनों को समाज में ऊँचा स्थान प्राप्त था । यद्यपि भव्य मंदिर बनाए जाते थे, जिनमें सोने दा प्रयोग किया जाता था।
  3. फिर भी सोने, चाँदी को अधिक महत्त्व नहीं दिया जाता था। तत्कालीन यूरोपीय समाज की स्थिति इससे बिलकुल विपरीत थी।

प्रश्न 26.
इंका लोगों ने उपजाऊ भूमि की कमी की पूर्ति कैसे की?
उत्तर:
ईका सभ्यता का आधार कृषि था। परंतु भूमि अधिक उपजाऊ नहीं थी। इसलिए उन्होंने पहाड़ी इलाकों में सीढ़ीदार खेत बनाए और जल-निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित की। इस प्रकार इंका लोगों ने कम उपजाऊ भूमि की कमी की पूर्ति की।

प्रश्न 27.
एजटेक जाति ने कब और किस प्रकार सत्ता प्राप्त की? इनका राज्य विस्तार कितने क्षेत्र में था?
उत्तर:
एजेटक जाति ने 1220 ई० में टोलटेक शक्ति को समाप्त करके उनके राज्य पर अधिकार कर लिया। उनका राज्य विस्तार दो लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में था।

प्रश्न 28.
एजटेक सभ्यता की प्रमुख राजनीतिक उपलब्धि क्या थी?
उत्तर:
एजटेक एक युद्धप्रिय जाति थी। उन्होंने अपनी वीरता से एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की।

प्रश्न 29.
माया सभ्यता के समय अमेरिका की अर्थ-व्यवस्था पर नोट लिखें।
उत्तर:
माया सभ्यता के समय अमेरिका की अर्थ-व्यवस्था कृषि पर आधारित थी। इसके अतिरिक्त कई लोग वस्त्र बनाने, कपड़ा रंगने आदि का कार्य भी करते थे।

प्रश्न 30.
एजटेक लोगों के धर्म के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
एजटेक लोग सूर्य देवता और अन्न देवी की पूजा करते थे। उनमें मानव बलि का बहुत रिवाज था। उनके अधिकतर भव्य मंदिर युद्ध के देवताओं तथा सूर्य भगवान् को समर्पित थे। इसका कारण यह था कि वे युद्धों को बहुत अधिक महत्त्व देते थे।

प्रश्न 31.
दक्षिणी अमेरिका को “लैटिन अमेरिका” भी कहा जाता है। क्यों?
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका पर स्पेन तथा पर्तगाल का शासन था। स्पेनी तथा पुर्तगाली दोनों ही भाषाएँ लैटिन भाषा परिवार की हैं। इसी कारण दक्षिणी अमेरिका को “लैटिन अमेरिका” भी कहा जाता है।

प्रश्न 32.
पोटोसी (Potasi) के ‘नरक का मुख’ किसने कहा था और क्यों?
उत्तर:
पोटोसी को एक संन्यासी डोमिनिगो डि सैंटो टॉमस ने ‘नरक का मुख’ कहा था। इसका कारण यह था कि वहाँ की खानों में काम करने वाले हजारों इंडियन हर साल मौत का शिकार हो जाते थे। वहाँ के खान मालिक लालची और निर्दयी थे जो इंडियन लोगों के साथ जानवरों जैसे व्यवहार करते थे।

प्रश्न 33.
उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली क्या होती है?
उत्तर:
उत्पादन की पूंजीवादी प्रणाली वह प्रणाली होती है जिसमें उत्पादन तथा वितरण का स्वामित्व निजी हाथों में होता है। उत्पदन मुख्यतः मुनाफा कमाने के लिए पिया जाता है जिसमें खुली प्रतिस्पर्धा होती है।

प्रश्न 34.
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के लिए यूरोपीय अभियानों के क्या तात्कालिक परिणाम निकले?
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के लिए, इन अभियानों के अनेक तात्कालिक परिणाम हुए।

  1. जैसे मार काट के कारण मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई।
  2. उनकी जीवन-शैली का विनाश हो गया।
  3. उन्हें दास बनाकर उनसे खानों, बगानों और कारखानों में काम कराया गया।

प्रश्न 35.
यूरोपीय लोग ब्राजील आने वाले जेसुइट पादरियों को पसंद नहीं करते थे क्यों?
उत्तर:
यूरोपीय लोग ब्राजील आने वाले पादरियों को निम्नलिखित कारणों से पसंद नहीं करते थे –
1. ये पादरी वहाँ के मूलनिवासियों के साथ दया का व्यवहार करने की सलाह देते थे। वे निडरतापूर्वक जंगलों में जाकर उनके गाँवों में रहते थे और उन्हें यह सिखाते थे ईसाई धर्म एक आनंददायक धर्म है और उन्हें उसका आनंद लेना चाहिए।

2. सबसे बड़ी बात यह थी कि ये धर्म प्रचारक दास प्रथा की कड़े शब्दों में निंदा करते थे।

प्रश्न 36.
स्पेनियों की मैक्सिको विजय का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
स्पेनियों द्वारा मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने के दो वर्ष पश्चात् कोर्टस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टेन-जनरल बन गया। उसे चार्ल्स पंचम द्वारा सम्मानों से विभूषित किया गया । मैक्सिको से स्पेनियों ने अपना नियंत्रण ग्वातेमाला (Guatemala) निकारगुआ (Nicaragua) और होंडुरास (Honduras) पर भी स्थापित कर लिया।

प्रश्न 37.
कोलंबस की विशेष उपलब्धि क्या रही?
उत्तर:
कोलंबस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनंत समुद्र की सीमाएँ खोज निकाली। उसने यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताह तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है।

प्रश्न 38.
कोलंबस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों का नामकरण किसके नाम पर हुआ?
उत्तर:
कोलंबस द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण फ्लोरेंस के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिंगों वेस्पुस्सी’ (AmerigoVespucci) के नाम पर किया गया जिसने उनके विस्तार को समझा और उन्हें ‘नयी दुनिया’ (New world) का नाम दिया। इन महाद्वीपों के लिए ‘अमेरिका’ (America) नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशन द्वारा 1507 ई० में किया गया।

प्रश्न 39.
डोना मैरीना कौन थी?
उत्तर:
बर्नार्ड डियाज डेल कैस्टिलो (Bernard Diaz DelCastillo) ने अपने टू हिस्ट्री ऑफ मैक्सिको में लिखा है कि टैबैस्को (Tabasco) के लोगों ने कोर्टस को डोना मैरीना नाम की एक सहायिका दी थी। वह तीन भाषाओं में प्रवीण थी और उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये का काम किया था। डियाज के विचार में वह एक राजकुमारी थी। परंतु मैक्सिकन लोग उसे ‘मालिंच’, अर्थात् विश्वासघातिनी कहते थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अमेरिकी मूल संस्कृतियों के आर्थिक प्रबंध के बारे में बताएँ।
उत्तर:
अमेरिकी मूल संस्कृतियों से अभिप्राय माया, एजटेक तथा इंका सभ्यताओं से है।

  1. माया सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। मक्का उस समय की मुख्य उपज थी। कुछ लोग वस्त्र बनाने, कपड़ा रंगने तथा अन्य हस्तशिल्पों में लगे हुए थे।
  2. एजटेक लोगों के मुख्य उद्योग-धंधे, धातु-कर्म, बर्तन बनाना तथा सूती कपड़ा बुनना था। कुछ लोग कृषि करते थे। वे मुख्य रूप से मक्का, आलू तथा शक्करकंद उगाते थे।
  3. इंका लोगों की आर्थिक अवस्था सोने तथा चाँदी से संबंधित थी। इन धातुओं से सजावट का सामान तथा अन्य वस्तुएँ बनाई जाती थीं। कुछ लोग व्यापार भी करते थे, जो वस्तुओं की अदला-बदली (वस्तु-विनिमय) द्वारा होता था।

प्रश्न 2.
अमेरिका के आंरभिक लोगों तथा भौगोलिक विशेषताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका और निकटवर्ती द्वीप समूहों में हजारों वर्षों से अनेक जनसमुदाय रहते आए थे। एशिया तथा दक्षिणी सागर के द्वीपों (South Sea Island) से भी लोग वहाँ जाकर बसते थे। दक्षिणी अमेरिका घने जंगलों और पहाड़ों से ढका हुआ था। आज भी उसके अनेक भाग जंगलों से ढंके हुए हैं। संसार की सबसे बड़ी नदी अमेजन (Amazon) मीलों तक वहाँ के घने वन प्रदेश से होकर बहती है। मध्य अमेरिका में, गाँव दूर-दूर स्थित थे।

प्रश्न 3.
अरवाकी लुकायो समुदाय के लोग कहाँ रहते थे? उनकी तथा उनकी संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ बताइए।।
उत्तर:
अरावाकी लुकायो (Arawakian Lucayos) समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप समूहों और बृहत्तर एंटिलीज (Greater Antilles) में रहते थे। कैरिव (Caribs) नामक एक खूखार कबीले ने उन्हें लधु ऐंटिलीज (Lesser Antilles) प्रदेश से खदेड़ दिया था। दूसरी ओर खरावाक लोग लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे। वे कुशल नौका-निर्माता थे। वे पेड़ के खोखले तनों से अपनी डॉगियां बनाते थे। वे मुख्य रूप से मक्का, मीठे आलू, कंद-मूल और कसावा उगाते थे।

अरावाक संस्कृति – अरावाक संस्कृति की एक मुख्य विशेषता यह थी कि वे सब एक साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे, ताकि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो। वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे। उनमें बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी (Animasts) थे। अन्य कई समाजों की तरह अरावाक सामज में भी शमन लोग (Shamans) कष्ट निवारकों और इहलोक तथा परलोक के बीच मध्यस्थ के रूप में महत्त्पूर्ण भूमिका निभाते थे।

प्रश्न 4.
यूरोपीय लोगों (स्पेनिश) की अरावाकों के प्रति क्या नीति थी? इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे। परंतु यूरोपवासियों की भाँति वे सोने को अधिक महत्त्व नहीं देते थे। यदि उन्हें कोई यूरोपवासी सोने के बदले शीशे के मनके देता था तो भी वे प्रसन्न हो जाते थे, क्योंकि उन्हें शीशे का मनका अधिक सुंदर दिखाई देता था। वे बुनाई की कला में अत्यधिक कुशल थे। हैमक (Hammock) अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी जिसे यूरोपीय लोगों ने बहुत अधिक पसंद किया।

अराबाकों का व्यवहार बहुत ही उदारतापूर्ण होता था। वे सी की तलाश के लिए स्पेनिश लोगों का साथ देने के लिए सदैव तैयार रहते थे। परंतु आगे चलकर उनके प्रति स्पेन की नीति क्रूरतापूर्ण हो गई। अत: उन्होंने इसका विरोध किया । इसके लिए उन्हें विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। अत: लगभग पच्चीस सालों के भीतर ही अरावाकों और उनकी जीवन-शैली का लगभग अंत हो गया।

प्रश्न 5.
तुपिनाँबा लोग कौन थे? यूरोपवासियों को उनसे ईर्ष्या क्यों होती थी?
उत्तर:
‘तुपिनांबा’ (Tupinamba) कहे जाने वाले लोग दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी समुद्र तट पर ओर ब्राजील नामक वृक्षों से बसे गाँवों में रहते थे। उनके पास पेड़ काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए लोहा नहीं था। इसलिए वे खेती के लिए घने जंगलों का सफाया नहीं कर सके। परंतु उन्हें फल, सब्जियाँ और मछलियाँ आसानी से प्राप्त हो जाती थीं। इसलिए उन्हें खेती पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इनके जीवन पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं था। वहाँ न तो कोई राजा था, न सेना और नहीं कोई चर्च । अतः उनके संपर्क में आने वाले यूरोपवासी उनके इस स्वतंत्र विचरण को देखकर उनसे ईर्ष्या करने लगे।

प्रश्न 6.
एजटेक लोगों का समाज श्रेणीबद्ध था। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एजटेक समाज वास्तव में ही श्रेणीबद्ध था। अभिजात वर्ग में उच्च कुलों के लोग, पुरोहित तथा अन्य प्रतिष्ठित लोग अपने में से एक को अपना नेता चुनते थे जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा को पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था। रिवाज में योद्धा, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को सबसे अधिक सम्मान प्राप्त था।

व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्हें प्रायः सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के रूप में सेवा करने का अवसर दिया जाता था। इसके अतिरिक्त प्रतिभाशाली शिल्पियों, चिकित्सकों और विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था। गरीब लोग कभी-कभी अपने बच्चों को गुलामों के रूप में बेंच देते थे। परंतु यह बिक्री प्रायः कुछ वर्षों के लिए ही रहती थी। गुलाम अपनी स्वतंत्रता फिर खरीद सकते थे।

प्रश्न 7.
एजटेक लोगों के आर्थिक तथा सांस्कृतिक जीवन की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1. एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी। इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार (Reclamation) किया। उन्होंने सरकंडे की बहुत बड़ी चटाइयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढंककर माक्सको झील में कृत्रिम द्वीप बनाये । इन्हें चिनाम्पा (Chinampas) कहते थे।

2. इन अत्यंत उपजाऊ द्वीपों के बीच नहरें बनाई गई जिन पर 1325 ई० में एजटेक राजधानी टेनोक्टिट्लान (Tenochtitlan) का निर्माण किया गया। यहाँ के राजमहल और पिरामिड झील के बाहर झाँकते दिखाई देते थे।

3. एजटेक लोगों के सर्वाधिक भव्य मंदिर युद्ध के देवता और सूर्य भगवान् को समर्पित थे। इसका कारण यह था कि एजटेक शासक युद्ध को बहुत अधिक महत्त्व देते थे।

4. साम्राज्य ग्रामीण आधार पर टिका हुआ था। लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्, कसावा, आलू तथा अन्य कुछ फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष का न होकर पूरे कुल (Clan) के पास होता था। कुल सार्वजनिक निर्माण कार्य भी करवाता था। यूरोपीय खेतीहर लोग अभिजात की जमीनें जोतते थे। इसके बदले उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा मिलता था।

प्रश्न 8.
आदि अमेरिकी सभ्यताओं की मुख्य सामान्य विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
आदि अमेरिका सभ्यताओं में अनेक सामान्य विशेषताएँ थीं –

  1. वे लोग पत्थर की वास्तुकला में निपुण थे। उनके औजार पत्थर के ही बने हुए थे। धातुओं का प्रयोग केवल आभूषण बनाने में किया जाता था।
  2. वे खेती करते थे और उनका भोजन मक्का था।
  3. उनके विषय में एक रोचक बात यह है कि वे पशुपालन से अपरिचित थे।
  4. इन सभ्यताओं के लोगों ने बर्तन बनाने, बुनाई और मोती बनाने जैसे शिल्पों में बड़ी निपुणता प्राप्त कर ली थी।

प्रश्न 9.
माया लोगों की अति महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ क्या थी?
उत्तर:
माया लोगों की अति महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं –

  1. पंचांग – सौर पंचांग की भाँति माया वर्ष में भी 365 दिन होते थे। माया लोगों ने वर्ष को 18 महीनों में बाँटा। प्रत्येक महीने में 20 दिन होते थे। शेष पाँच दिन को माया लोग दुर्भाग्यपूर्ण दिन मानते थे।
  2. गणित का ज्ञान – माया लोगों को गणित का भी अच्छा खासा ज्ञान था। वे शून्य के लिए एक विशेष प्रकार का चिह्न प्रयोग करते थे।
  3. हेरोग्लिफिक लिपि – माया लोगों ने अपनी लिपि का आविष्कार किया। यह लिपि चित्र-चिह्नों और ध्वनियों का मिश्रण थी।
  4. कलात्मक उपलब्धियाँ – माया लोग भवन-निर्माण कला, चित्रकला तथा मूर्ति कला में बड़े निपुण थे। उन्होंने भव्य पिरामिड, चौक, मंदिर तथा वेधशालाओं का निर्माण किया ।
  5. चाक पर बने बर्तन – माया लोगों ने चाक पर बने मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया।

प्रश्न 10.
प्राचीन मिस्त्र और माया पंचांगों की तुलना करें।
उत्तर:
समानताएँ –

  • मिस्र और माया पंचांग दोनों ही सौर पंचांग थे अर्थात् वे दोनों ही सूर्य की गति पर आधारित थे।
  • दोनों पंचांगों में वर्ष 365 दिन का था।

असमानताएँ –

  • मिस्त्री लोगों के वर्ष में 12 महीने होते थे जबकि माया पंचांग में वर्ष 18 महीने. का था।
  • माया पंचांग में प्रत्येक महीना 20 दिन का था जबकि मिस्री पंचांग में प्रत्येक महीना 30 दिन का होता था।
  • माया सभ्यता के लोग वर्ष में शेष पाँच दिनों को अशुभ समझते थे जबकि मिस्त्री लोग शेष पाँच दिनों में उत्सव मनाया करते थे।

प्रश्न 11.
इंका और एजटेक सभ्यताओं की उपलब्धियों का वर्णन करें।
उत्तर:
इंका सभ्यता-इस सभ्यता की उपलब्धियां निम्नलिखित थीं –

  • कुशल प्रशासन – इंका साम्राज्य चार भागों में बँटा हुआ था। प्रत्येक भाग पर कोई कुलीन, पुरुष शासन करता था।
  • उन्नत नगर – का साम्राज्य में नगरों की भरमार थी। उन नगरों में बहुत-से विशाल भवन होते थे। इनमें किले, मंदिर, महल आदि शामिल थे।
  • कला तथा दस्तकारी – इंकः सभ्यता में कलाएँ तथा दस्तकारियाँ की विकसित थीं।
  • धातुओं का योग – इंका सभ्यता के लोग सोने, चाँदी तथा ताँबे के आभूषण बनाते थे। वे अपने हथियार और औजार बनाने के लिए काँसे का प्रयोग करते थे।

एजटेक सभ्यता – इस सभ्यता की उपलब्धियों का वर्णन इस प्रकार है –

  • शक्तिशाली साम्राज्य – एजटेक लोगों ने एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की थी। वह साम्राज्य 38 प्रांतों में बँटा हुआ था।
  • पंचांग – एजटेक लोगों का अपना अलग पंचांग था। उनके पंचांग के अनुसार वर्ष में 260 दिन होते थे।
  • धातुओं का प्रयोग – उन्होंने नरम धातुओं को पिघलाना सीख लिया था।
  • धर्म – वे कई देवी-देवताओं की पूजा करते थे जैसे-सूर्य देवता और अन्न देवी।

प्रश्न 12.
आदिम अमेरिकी सभ्यताओं की भौतिक संस्कृतियाँ किन मुख्य अर्थों में प्राचीन एशियाई और यूरोपीय सभ्यताओं से भिन्न हैं?
उत्तर:
अमेरिकी सभ्यताओं की भौतिक संस्कृतियाँ निम्नलिखित अर्थों में प्राचीन एशियाई तथा यूरोपीय सभ्यताओं से भिन्न हैं –
1. आदिम अमेरिकी सभ्यताओं के लोगों को कृषि के विषय में काफी ज्ञान था परंतु वे पशुपालन से अपरिचित थे। धार्मिक दृष्टि से उन लोगों में मक्का की कृषि का बड़ा महत्त्व था। परंतु प्राचीन एशियाई तथा यूरोपीय सभ्यताओं के लोगों ने कृषि तथा पशुपालन का कार्य एक साथ ही आरंभ किया।

2. आदिम अमेरिकी सभ्यताओं के लोगों ने धातु का प्रयोग केवल आभूषण बनाने के लिए ही आरंभ किया। फिर भी उन्होंने बर्तन निर्माण, बुनाई, पंख-मोजेक और मोती बनाने जैसे शिल्पों में बड़ी दक्षता प्राप्त कर ली थी। आदिम अमेरिकी सभ्यता की यह विशेषता प्राचीन एशियाई तथा यूरोपीय सभ्यताओं से भिन्न थी।

3. आदिम अमेरिकी सभ्यताओं के लोग हल तथा पहिये के प्रयोग से अपरिचित थे। परंतु प्राचीन एशियाई तथा यूरोपीय सभ्यताओं के लोग इन दोनों के प्रयोग के विषय में जानकारी रखते थे।

4. आदिम अमेरिकी लोगों ने बहुत लंबे समय तक पत्थर के औजारों का ही प्रयोग किया। यहाँ तक कि स्मारकों की वास्तुकला तथा महान् अमेरिकी सभ्यताओं की सुंदर नक्काशीदार मूर्तियाँ भी केवल पत्थर के औजारों की सहायता से ही तैयार की गई। इस दृष्टि से प्राचीन एशिया तथा यूरोप की सभ्यताओं के लोग कहीं आगे थे। वे पत्थर के हथियारों को लगभग भूल चुके थे और लोहे के मजबूत हथियारों का प्रयोग करने लगे थे।

5. आदिम अमेरिकी लोगों की कोई लेखन प्रणाली नहीं थी। इसके विपरीत एशिया तथा यूरोप में विकसित सभ्यताओं की अपनी-अपनी लेखन प्रणालियाँ थीं।

प्रश्न 13.
इंका लोगों के सामाजिक तथा आर्थिक जीवन का वर्णन करें।
उत्तर:
1. सामाजिक जीवन – इंका समाज में सम्राट् को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। उसे सूर्य का वंशज समझा जाता था। सम्राट् के पश्चात् समाज में दूसरा स्थान कुलीन तथा पुरोहितों का था। उनके पश्चात् साधारण लोगों की श्रेणी थी जिसमें दस्तकार तथा किसान सम्मिलित थे।

2. आर्थिक जीवन – इंका लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। वे मुख्य रूप से मक्का, आलू और शकरकंद उगाते थे। इंका सभ्यता में कला और शिल्प काफी उन्नत थे। इन शिल्पों में मिट्टी के बर्तन बनाना, कपड़े बुनना तथा लामा और अल्पाका से ऊन प्राप्त करना शामिल था। इसके अतिरिक्त इंका लोग काँसे के हथियार तथा औजार और सौने-चाँदी के आभूषण भी बनाते थे।

प्रश्न 14.
अमेरिकी सभ्यताओं के विज्ञान की जानकारी दें।
उत्तर:
अमेरिकी सभ्यताओं की वैज्ञानिक उपलब्धियों का वर्णन इस प्रकार है –
1. पंचांग – लोगों ने अपना पंचांग बनाया। इसके अनुसार वर्ष में 365 दिन होते थे। माया लोगों ने वर्ष को 18 महीनों में बाँटा । प्रत्येक महीने में 20 दिन होते थे। शेष पाँच दिनों को माया लोग दुर्भाग्यपूर्ण दिन मानते थे। एजटेक लोगों ने भी अपना पंचांग बनाया जो माया पंचांग जैसा ही था।

2. गणित का ज्ञान-माया लोगों को गणित का भी अच्छा ज्ञान था। वे शून्य के लिए विशेष प्रकार के चिह्न प्रयोग करते थे।

3. हेरोग्लिफिक लिपि-माया लोगों ने अपनी लिपि का आविष्कार किया। यह लिपि चित्र-चिह्नों और ध्वनियों का मिश्रण थी।

4. चिकित्सा विज्ञान-इंका सभ्यता में चिकित्सा विज्ञान काफी उन्नत था । लोग विभिन्न रोगों की चिकित्सा के लिए जड़ी-बूटियों का प्रयोग करते थे। यहाँ से मानव खोपड़ियाँ तथा कंकाल मिले हैं। इनसे पता चलता है कि लोगों को चीर-फाड़ (शल्य-चिकित्सा) का भी ज्ञान था।

प्रश्न 15.
खोज यात्राओं और व्यापार के बीच के संबंध पर विचार-विमर्श करो। अमेरिका और अफ्रीका के लोगों पर खोज यात्रियों के कार्यों के तात्कालिक प्रभाव क्या थे?
उत्तर:
खोज यात्राओं तथा व्यापार के बीच बड़ा गहरा संबंध था। वास्वत में खोज यात्राओं का उद्देश्य नये देशों की खोज करना था और वहाँ उपनिवेश स्थापित करना था। केवल इतना ही नहीं, इन उपनिवेशों से अधिक-से-अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना खोज यात्राओं का मुख्य उद्देश्य था। यही कारण था कि विभिन्न देशों के शासकों ने खोज यात्रियों की पूरी सहायता की। नवीन खोजे गये उपनिवेशों के व्यापारिक दृष्टि से दो लाभ हए। एक तो इन उपनिवेशों से कच्चा माल सस्ते दामों पर प्राप्त किया जाता था। दूसरे, तैयार माल यहाँ महंगे दामों पर बेचा जाता था। उपनिवेशों का ये व्यापारिक मंडी के रूप में प्रयोग करते थे।

अमेरिका तथा अफ्रीका पर तत्कालीन प्रभाव-यूरोप निवासियों ने अमेरिका पर विजय प्राप्त करके वहाँ की मूल सभ्यता को नष्ट कर दिया। उन्होंने अमेरिका के लोगों का आर्थिक शोषण भी किया। खोज यात्राओं के परिणामस्वरूप अफ्रीका के बहत-से देश अपनी स्वतंत्र खो बैठे। केवल इतना ही नहीं, इन खोजों के कारण दास-व्यापार भी आरंभ हुआ।

प्रश्न 16.
वाणिज्य तथा व्यापार की वृद्धि के क्या परिणाम निकले ? (Imp.)
उत्तर:

  1. वाणिज्य और व्यापार की वृद्धि के कारण यूरोप के लोग समृद्ध बने।
  2. यूरोप के देशों ने खोजे गए प्रदेशों में उपनिवेश बसाये जिनको मंडियों के रूप में प्रयुक्त किया।
  3. नवीन खोजों के कारण इटली का परंपरागत व्यापारिक महत्त्व कम हो गया। अब व्यापार के केंद्र वे देश बन गए जो अटलांटिक महासागर के समीप थे।
  4. व्यापार के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियाँ स्थापित हुई जिनमें शासक वर्ग के सदस्य भी शामिल थे।
  5. वाणिज्य और व्यापार की वृद्धि के कारण यूरोप छ मध्यम वर्ग के सदस्यों की संख्या में जो वहाँ की राजनीति में महत्त्वपू’ भूमिका निभाने लगे।

प्रश्न 17.
अमेरिका में स्पेन के राज्य की स्थापना में किन तत्त्वों ने सहायता पहुँचाई?
उत्तर:
अमेरिका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार सैन्य-शक्ति के बल पर हुआ। इसमें बारूद तथा घोड़ों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। स्थानीय लोगों को या तो नजराना देना पड़ता था या फिर राज्य के लिए सोने-चाँदी की खानों में काम करना पड़ता था। अमेरिका को ‘खोज’ के बाद आरंभ में एक छोटी-सी बस्ती बसायी गई। इसमें रहने वाली स्पेनी लोग स्थानीय मजदूरों पर निगरानी रखते थे। स्थानीय प्रधानों को नए-नए प्रदेश तथा सोने के नए-नए स्रोत खोजने के लिए भर्ती किया जाता था।

सोने की लालच के कारण गंभीर हिंसक घटनाएँ हुई, जिनका स्थानीय लोगों ने प्रतिरोध किया। स्पेनी विजेताओं के कठोर आलोचना कैथोलिक भिक्षु (friar) बार्टोलोम डि लास कैसास (Bartolome de las Casas) ने कहा है कि स्पेनी उपनिवेशकों को इन अभियानों के लिए अस्त्र-शस्त्र भी अभियानों में शामिल लोगों ने स्वयं मुहैया कराए थे। इसका कारण यह था कि उन्हें विजय के बाद होने वाली लूट में से एक बड़ा हिस्सा मिलने की आशा थी।

प्रश्न 18.
कोर्टेस द्वारा मैक्सिको की विजय तथा टलैक्सकलानों के सफाये की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कोटेंस और उसके सैनिकों ने (जिन्हें कॉक्विस्टोडोर Conquistadores, कहा जाता था) क्रूरता का प्रयोग करते हुए मैक्सिको को देखते ही देखते जीत लिया। 1519 ई. में, कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया था। जहाँ उसने टाटानैक (Totonacs) समुदाय से मित्रता कर ली। टॉटनैक लोग एजटेक शासन से अलग होना चाहते थे। एजटेक शासक मॉटेजुमा ने कोर्टेस से मिलने के लिए अपना एक अधिकारी भेजा। वह स्पेनवासियों की आक्रमण क्षमता और उनके बारूद तथा घोड़ों के प्रयोग को देखकर घबरा गया।

उसे यह पक्का विश्वास हो गया कि कोर्टेस वास्तव में किसी निर्वासित देवता का अवतार है जो अपना बदला लेने के लिए फिर से प्रकट हुआ है। स्पेनी सैनिकों न टलैक्सकलानों (Tlaxcalans) पर हमला बोल दिया। टलैक्सकलान भी खूखार लड़ाके थे। उन्होंने जबरदस्त प्रतिरोध के बाद समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने उन सबका क्रूरतापूर्वक सफाया कर दिया। फिर वे टेनोंटिटलैन (Tenochtitlan) की ओर बढ़े और 8 नवंबर, 1519 को वहाँ पहुँच गए।

प्रश्न 19.
स्पेनी सेनानायक कोर्टस तथा एजटेक शासक मोंटेजुमा के बीच भेंट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्पेनी आक्रमणकारी 8 नवंबर, 1519 को टेनोक्किटलैन (एजटेक साम्राज्य की राजधानी) पहुँचे। यह नगर मेडिड से पाँच गुणा बड़ा था। वहाँ एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया । एजटेक लोग स्पेनियों को बड़े सम्मान के साथ शहर के बीचों बीच ले गए, जहाँ मोंटेजुमा ने उन पर उपहारों की वर्षा कर दी। परंतु टलैक्सलान के हत्याकांड की जानकारी होने के कारण उसके अपने लोगों के मन में आशंका थी। हर आदमी भयभीत होकर काँप रहा था, मानो सारी दुनिया की आँते ही बाहर निकाली जा रही हों।

एजटेक लोगों की चिंता निर्मुल नहीं थी। कोर्टेस ने बिना कोई कारण बताए सम्राट को नजरबंद कर लिया और उसके नाम पर स्वयं शासन चलाने का प्रयास करने लगा। स्पेन के प्रति सम्राट् मोंटेजुमा के समर्पण को औपचारिक बनाने के प्रयास में, कोर्टेस ने एजटेक मंदिरों में ईसाई पनिमाएं स्थापित करवाई। मोंटेजुमा ने एक समझौते का प्रस्ताव रखा जिसके अनुसार मंदिर में एजटेक और ईसाई, दोनों की प्रतिमाएं रखवा दी गईं।

प्रश्न 20.
कोर्टेस की अनुपस्थिति में स्पेनिश सैनिकों तथा एजटेक लोगों के संघर्ष का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोर्टेस को सब कुछ अपने सहायक ऐल्वारैडो (Alvarado) को सौंपकर क्यूबा लौटाना पड़ा था। स्पेनी शासक के अत्याचारों से तंग आकर और सोने के लिए उनकी निरंतर मांगों के दबाव के कारण, आम जनता ने विद्रोह कर दिया। ऐल्चारैडो ने हुइजिलपोक्टली (Huizilpochtli) के वसंतोत्सव में कत्लेआम का आदेश दे दिया। 25 जून, 1520 को कोर्टस वापस लौटा तो उसे घोर संकट का सामना करना पड़ा। पुल तोड़ दिए गए थे। जल मार्ग काट दिए गए थे और सड़कें बंद कर दी गई थीं। स्पेनियों को भोजन और पेयजल की घोर कम का सामना करना पड़ा। विवश होकर कोर्टस को वापस लौटना पड़ा।

इसी समय मोटेजुमा की रहस्मय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। फिर भी एजटेकों की स्पेनियों के साथ लड़ाई जारी रही। लड़ाई में लगभग 600 अत्याचारी विजेता और उतने ही टलैक्सकलान के लोग मारे गए। हत्याकांड की इस भयंकर रात को आँसूभरी रात (Night of Tears) के नाम से जाना जाता है। कोर्टेस को नए एजटेक शासक क्वेटेमोक (Cvatemoc) के विरुद्ध अपनी रणनीति तैयार करने के लिए वापस टलैक्सकलान में शरण लेनी पड़ी। अंततः उसने केवल 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टेनोक्लिान में प्रवेश किया। दूसरी ओर एजटेक भी अपनी आखिरी मुठभेड़ के लिए तैयार थे। अपशकुनों ने एजटेकों को बता दिया कि उनका अंत दूर नहीं है। इसे वास्तविक समझकर सम्राट् ने अपना जीवन त्याग देना ही ठीक समझा।

प्रश्न 21.
कोलंबस ने अपनी खोज यात्रा किस प्रकार आरंभ की?
उत्तर:
क्रिस्टोफर कोलंबस (1451-1506 ई०) एक नाविक था। उसमें साहसिक कार्य करने और नाम कमाने की तीव्र इच्छा थी। वह भविष्यवाणियों में विश्वास रखता था। उसने पश्चिम की ओर से यात्रा करते हए पूर्व (the Indies) की ओर का मार्ग खोज। वह कार्डिनल पिएर डिऐली (Cardinal Pierre di Ailly) द्वारा लिखी गई पुस्तक इमगो मुंडी (Imago Mundi) से बहुत अधिक प्रेरित हुआ। उसने इस संबंध में पुर्तगाल के राजा के सामने अपनी योजनाएँ प्रस्तुत की। परन्तु वे मंजूर नहीं हुई। सौभाग्य से स्पेन के अधिकारियों ने उसकी एक साधारण सी योजना स्वीकार कर ली। उसे पूरा करने के लिए वह 3 अगस्त, 1492 ई. को जहाज द्वारा पालोस के पत्तन से अपने अभियान पर निकल पड़ा।

प्रश्न 22.
कोलंबस के बेड़े की जानकारी देते हुए यह बताइए कि वह गुआनाहानि द्वीप पर कैसे पहुँचा?
उत्तर:
कोलंबस का बेड़ा छोटा-सा था जिसमें सांता मारिया नाम की एक छोटी नाओ (नाव) (Nao) तथा दो कैरेवल (Caravel) छोटे हलके जहाज पिंटा और ‘नीना’ शामिल थे। सांता मारिया की कमान स्वयं कोलंबस के हाथों में थी। उसमें 40 कुशल नाविक सवार थे। उनका बेड़ा अनुकूल व्यापारिक हवाओं के सहारे आगे बढ़ता जा रहा था। परंतु रास्ता लंबा था। 33 दिनों तक बेड़ा आगे बढ़ता गया। फिर भी तट के दर्शन नहीं हुए। इसलिए उसके नाविक बेचैन हो उठे थे। उनमें कुछ तो तुरंत वापस चलने की माँग करने लगे।

अंतत: 12 अक्टूबर, 1492 ई. को उन्हें जमीन दिखाई दी। कोलंबस ने इसे भारत समझा। परंतु वह स्थान बहामा द्वीप समूह में गृआनाहानि (Guanahani) द्वीप था। गआनाहानि में इस बड़े के नाविकों का अरावाक लोगों न स्वागत किया। उन्होंने नाविकों को पाने-पीने का सामान भी दिया। अत: कोलंबस उनकी इस उदारता से अत्यधिक प्रभावित हुआ।

प्रश्न 23.
वापसी यात्रा से पूर्व कोलंबस की कठिनाइयों तथा उसकी तीन अन्य यात्राओं की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
कोलंबस और उसके साथी सोना प्राप्त करना चाहते थे। परंतु उनका अभियान दुर्घटना में फंस गया। उन्हें खूखार कैरिब (Carib) कबीलों का भी सामना करना पड़ा। अत: नाविक जल्दी से जल्दी घर लौटने के लिए अधीर हो उठे। वापसी यात्रा अधिक कठिन सिद्ध हुई क्योंकि जहाजों को दीमक लग गई थी। नाविक थक चुके थे और उन्हें घर की याद सताने लगी थी। वापसी यात्रा में कुल 32 सप्ताह लगे। आगे चलकर ऐसी तीन यात्राएँ और आयोजित की गई।

इन यात्राओं के दौरान कोलंबस ने बहामी और बृहत्तर एंटिलीज द्वीपों (Greater Antilles), दक्षिणी अमेरिका की मुख्य भूमि और उनके तटवर्ती प्रदेशों में अपना खोज कार्य पूरा किया। इन यात्राओं से यह पता चला कि नाविकों ने ‘इंडीज (Indies) नहीं बल्कि एक नया महाद्वीप खोज निकाला है।

प्रश्न 24.
नए देशों तथा मार्गों की खोज किन कारणों से की गई?
उत्तर:
नए देशों और मार्गों की खोज अनेक कारणों से की गई। यरोप के लोग एशिया में व्यापार से बहुत धन कमाते थे, परंतु जब प्रचलित भागों पर तुकों का अधिकार हो गया तो वे नवीन मार्ग खोजने के लिए विवश हो गए। कारपीनी और मार्कोपोलो आदि के यात्रा संबंधी वृत्तातों अथवा कहानियों ने यात्रा करने की इच्छा को बलवती किया। कम्पास के आविष्कार ने दूर-दूर समुद्रों में यात्रा करना सरल कर दिया। इन सब बातों से लोगों के मन में यह भावना आ गई कि उन्हें कठिन लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्राणों की बाजी लगा देनी है।

प्रश्न 25.
15वीं और 16वीं शताब्दी के किन्हीं तीन नाविकों के नाम लिखें तथा उनकी खोजों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
15वीं तथा 16वीं शताब्दी के तीन प्रसिद्ध नाविक कोलंबस, वास्कोडिगामा और मैगलेन थे। इनकी खोजों का वर्णन इस प्रकार है –

  1. कोलंबस – कोलंबस इटली का एक प्रसिद्ध नाविक था। वह भारत का मार्ग ढूंढना चाहता था। अपनी यात्रा में पश्चिमी की ओर जाते हुए 1402 ई० में कोलंबस ने अमेरिका को खोज निकाला।
  2. वास्कोडिगामा – यह पुर्तगाल का एक प्रसिद्ध नाविक था। वह आशा-अंतरीप से होता 1498 ई० में भारत आ पहुँचा । इस प्रकार उसने भारत पहुँचने के लिए समुद्री मार्ग की खोज की।
  3. मैगलेन – मैगलेन भी पुर्तगाल का ही रहने वाला था। 1519 ई० में उसने फिलीपाइन द्वीप तथा दक्षिण अमेरिका की खोज की।

प्रश्न 26.
नए मार्गों की खोजों से कौन-कौन से महत्त्वपूर्ण परिणाम निकला? (V.Imp.)
उत्तर:
नए मागों का पता लगाने के बाद यूरोपीय लोगों ने अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में व्यापार करना आरंभ कर दिया। अब वे धन, धरती और धर्म की वृद्धि सोंचने लगे। उन्होंने इन महाद्वीपों में अपने-अपने उपनिवेश बसाए। शीघ्र ही इन उपनिवेशों का धन यूरोपीय देशों में पहुँचने लगा। दासों का क्रय-विक्रय होने लगा। पादरियों ने इन उपनिवेशों में ईसाई धर्म का प्रचार शुरू किया जिसके फलस्वरूप यह धर्म विश्व का सबसे महान् धर्म बन गया । व्यापार और उपनिवेशों की स्थापना से ‘पूंजीवाद’ का उदय हुआ।

प्रश्न 27.
“16वीं शताब्दी की भौगोलिक खोजें आधुनिक युग को लाने में सहायक सिद्ध हुई।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:

  1. इन खोजों से पूर्व तथा पश्चिम के बीच व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
  2. इन खोजों से नए-नए देशों का पता चला। यूरोपीय देशों ने इन प्रदेशों में अपने उपनिवेश बसाए और इनका खूब आर्थिक शोषण किया।
  3. नई खोजों से पुराने बंदरगाहों का महत्त्व कम हो गया। अब लंदन, लिस्बन, एंटवर्प आदि नए नगर व्यापार के केंद्र बन गए।
  4. भौगोलिक खोजों के कारण स्थापित उपनिवेशों से यूरोपवासियों को सोने-चांदी के अनेक भंडार प्राप्त हुए। फलस्वरूप वे धनी हो गए।
  5. प्रत्येक यूरोपीय जाति ने अपने-अपने उपनिवेशों में अपने धर्म का प्रचार करने का प्रयत्न किया।
  6. 16वीं शताब्दी की भौगोलिक खोजों के ये महत्त्वपूर्ण परिणान आधुनिक युग के ही प्रतीक थे।

प्रश्न 28.
माया-संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
माया संस्कृति ग्यारहवीं से चौदहवीं शताब्दियों के दौरान मैक्सिको में फली-फूली। मक्का की खेती उनकी सभ्यता का मुख्य आधार थी। उनके अनेक धार्मिक क्रिया-कलाप एवं उत्सव मक्का बोने, उगाने तथा काटने से जुड़े हुए थे। खेती करने के तरीके उन्नत और कुशलतापूर्ण थे, जिसके कारण खेतों में बहुत अधिक पैदावार होती थी। इससे शासक वर्ग, पुरोहितों और प्रधानों को एक उन्नत संस्कृति का विकास करने में सहायता मिली। माया लोगों ने वास्तुकला, खगोल विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की। माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी। परंतु इस लिपि को अभी तक पूरी तरह नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 29.
इंका संस्कृति के राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिकी देशज संस्कृतियों में से पेरू की क्वेचुआ (Qvechuas) या इंका संस्कृति सबसे विशाल थी। प्रथम इंका शासक मैंको कपाक (Manco Capac) ने बारहवीं शताब्दी में कुजको (Cuzco) में अपनी राजधानी स्थापित की थी। नौवें शासक के काल में राज्य का बहुत अधिक विस्तार शुरू हुआ। इस प्रकार इंका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक लगभग 3000 मील में फैल गया। इंका साम्राज्य अत्यंत केंद्रीकृत था। राज्य की संपूर्ण शक्ति राजा में ही निहित थी।

वही सत्ता का उच्चतम स्रोत था। नए जीते गए कबीलों और जनजातियों को पूरी तरह इंका साम्राज्य में मिला लिया गया। सभी लोगों को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ बोलनी पड़ती थी। प्रत्येक कबीला स्वतंत्र रूप से वरिष्ठों की एक सभा द्वारा शासित होता था। परंतु कुल मिलाकर पूरा कबीला अपने शासक के प्रति निष्ठावान था । स्थानीय-शासकों को उनसे सैनिक सहयोग के लिए पुरस्कृत किया जाता था। इस प्रकर इंका एक संघ के समान था जिस पर इंका लोगों का शासन था। एक अनुमान के अनुसार इस साम्राज्य में 10 लाख से भी अधिक लोग थे।

प्रश्न 30.
इंका लोगों की वास्तुकला पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इंका लोग उच्चकोटि कं भवन – निर्माता थे। उन्होंने इक्वेडोर से चिली तक पहाड़ों के बीच अनेक सड़कें बनाई। उनके किले शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए गए थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे जैसी किसी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती थी। वे निकटवर्ती प्रदेशों में टूटकर गिरी हुई चट्टानों से पत्थरों को तराशने और ले जाने के लिए श्रम-प्रधान प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते थे।

इसके लिए अपेक्षा अधिक मजदूरों की जरूरत पड़ती हैं : राज मिस्त्री खंडों को सुंदर रूप देने के लिए शल्क पद्धति (फ्लेकिंग) का प्रयोग करते थे। पत्थर के कई टुकड़े 100 मैट्रिक टन से भी अधिक भारी होते थे। उनके पास इतने बड़े शिलाखंडों को ढोने के लिए पहियेदार गाड़ियाँ नहीं थीं। अतः यह काम मजदूरों को जुटाकर बड़ी सावधानी से करवाया जाता था।

प्रश्न 31.
समुद्री खोजों के पीछे वास्तविक प्रेरक तत्त्व क्या थे?
उत्तर:
समुद्री खोज यात्राओं के पीछे प्रेरक तत्त्व निम्नलिखित थे –

  1. नए स्थानों की खोज करके लोगों को दास बनाना और दास व्यापार से भारी मुनाफा कमाना।
  2. व्यापार वृद्धि तथा धन कमाने की प्रबल इच्छा का उत्पन्न होना।
  3. मसाले और सोना प्राप्त करके धन और यश कमाना।
  4. रोमांचकारी साहसिक यात्राएँ करके विदेशों में ईसाई धर्म का प्रचार करना।
  5. इस समय की प्रसिद्ध समुद्री यात्राएँ वास्कोडिगामा, कोलंबस और मैगलेन आदि ने की थी।

प्रश्न 32.
शिक्षा के प्रति एजटेक लोगों की क्या नीति थी?
उत्तर:
शिक्षा के प्रति एजटेक लोग बहुत ही सजग थे। वे इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे कालमेकाक (Calmecac) में भर्ती किए जाते थे। यहां उन्हें सैनिक अधिकारी तथा धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। अन्य सभी बच्ने पड़ोस के तेपोकल्ली स्कूल (Tepochacalli) में पढ़ते थे। उन्हें इतिहास, पुराण-मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है और खेती तथा व्यापार करना सिखाया जाता था। परंतु लड़कियों को घरेलू काम-धंधों में कुशल बनाया जाता था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अमेरिका की आदि सभ्यताओं की सामाजिक व्यवस्था व भवन-निर्माण कला की जानकारी दें।
उत्तर:
अमेरिका की आदि सभ्यताओं-माया, इंका तथा एजटेक-के सामाजिक प्रबंध तथा भवन-निर्माण कला की मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है
1. सामाजिक प्रबंध –

  • माया सभ्यता के समाज में पुरोहितों को बहुत ही ऊँचा स्थान प्राप्त था।
  • इंका सभ्यता के समय अमेरिकी समाज बहुत बड़ा हो गया। इसमें सबसे महत्वपूर्ण स्थान राजा का था जिसे सूर्यवंशी समझा जाता था।
  • राजा के पश्चात् कुलीन वर्ग तथा पुरोहित वर्ग का स्थान आता था।
  • राज्य की सारी भूमि पर राजा का अधिकार होता था । वह परिवार के आकार के आधार पर भूमि किसानों में बाँट देता था। कुलीनों,
  • पुरोहितों तथा राज्य कर्मचारियों को सरकारी गोदामों से अनाज मिलता था, परंतु फसल खराब हो जाने की दशा में साधारण जनता को भी सरकारी गोदाम से अनाज दिया जाता था।
  • इंका समाज का जीवन बड़ा नियोजित था। पुरुष के विवाह के लिए 24 वर्ष तथा स्त्री के विवाह के लिए 18 वर्ष की न्यूनतम आयु निश्चित थी। पेड़-पौधों तथा पशुओं की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता था।
  • इंका समाज के कानून बड़े कठोर थे। कानून तोड़ने वाले को जीवित जला दिया जाता था। झूठ बोलने वाले की जीभ पर कील गाढ़ दी जाती थी।
  • चोरों की पहचान के लिए उनके शरीर पर विशेष मोहर लगा दी जाती थी।
  • एजटेक समाज में सैनिकों को विशेष अधिकार प्राप्त थे। राज-कर्मचारी सम्मानित परिवारों से चुने जाते थे।

2. भवन निर्माण कला –
भवन-निर्माण कला में अमेरिका की आदि सभ्यताओं के लोगों ने बहुत उन्नति की। उनके महल, मंदिर तथा अन्य भवन इतने सुंदर थे कि आज भी यात्री उनकी प्रशंसा करते हैं। प्रायः भवन-निर्माण पिरामिड पर होता था। कुछ भवन 200 फुट ऊंचे थे। मैक्सिकों में सूर्य का पिरामिड 216 फुट ऊँचा है। यह वर्गाकार है जो 750 वर्ग फुट क्षेत्र है। भवनों को पत्थर की मूर्तियों तथा चित्रकारी से सजाया जाता था। कोपान में एक खगोलशाला थी।

इंका सभ्यता में शानदार भवन बनाए जाते थे। कुजको में सूर्य मंदिर इंका सभ्यता की भवन निर्माण कला का उच्चतम नमूना है। इसके अतिरिक्त किले, सड़क, पुल तथा महल बहुत ही सुंदर ढंग से बने थे। भवन बनाने के लिए पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़ों का प्रयोग किया जाता था। इन भवनों के कारण नगरों की सुंदरता बहुत बढ़ गई थी। एजटेक लोगों की राजधानी ‘टेनोक्टिटलांग’ अथवा ‘टेकोना का प्रासाद’ की गणना मध्य अमेरिका के अत्यंत सुंदर नगरों में की जाती थी। इंका की इंजीनियरिंग कला बहुत प्रसिद्ध थी। कुजको नगर में सड़कों की एक श्रृंखला साम्राज्य के सभी भागों को जोड़ती थौं । नगरों में सिंचाई के लिए नहरें भी बनाई गई थीं।

प्रश्न 2.
अमेरिका की मूल माया सभ्यता के लोगों के समाज, धर्म व विज्ञान के बारे में लिखें।
उत्तर:
माया सभ्यता अमेरिका की मूल सभ्यताओं में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। इस सभ्यता के समाज, धर्म तथा विज्ञान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –
1. समाज – माया सभ्यता का समाज पुरोहित प्रधान था। समाज में पुरोहित का बहुत ही आदर था। इस सभ्यता के नगर-राज्य चीचेन इटजा में शासन पर पुरोहितों का पूरा प्रभुत्व था। ये लोग राज्य में अपनी मनमानी कर सकते थे, परंतु स्थानीय प्रबंध में स्वशासन की व्यवस्था थी।

माया सभ्यता की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। माया लोगों की मुख्य फसल मक्का थी। कछ लोग वस्त्र बनाने, वस्रों को रंगने तथा कछ अन्य हस्त-शिल्पों में लगे हुए थे। लोगों का मुख्य भोजन मक्का, सेम, आलू, पपीता आदि थे। वे मिर्च का प्रयोग भी करते थे।

2. धर्म – माया सभ्यता के लोग अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। इनमें वन, वर्षा, उपजाऊ शक्ति, अग्नि तथा मक्का देवता सम्मिलित थे। अधिक वर्षा के लिए माया अपनी मूल्यवान वस्तुएँ पानी में फेंक देते थे। कई लोग देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए शरीर का भाग काट कर अर्पित कर देते थे। मानव बलि की भी प्रथा प्रचलित थी।

3. विज्ञान –

  • माया लोगों ने विज्ञान में काफी प्रगति की। उन्होंने एक कैलेंडर का आविष्कार किया। यह कैलेंडर उनकी खगोल विज्ञान में प्रगति का प्रतीक है।
  • इस कलेंडर के अनुसार वर्ष में 365 दिन तथा 18 महीने होते थे। प्रत्येक महीने में 20 दिन होते थे।
  • गणित के ई। में माया लोगों ने शून्य की जानक: दी।
  • कागज का प्रयोग तथा हेरोग्लिफिक लिपि उनकी अन्य मुख्य उपलब्धियाँ थीं। सच तो यह है कि माया सभ्यता अन्य अमेरिकी सभ्यताओं की तुलना में किसी भी दृष्टि में पीछे नहीं थी।

प्रश्न 3.
एजटेक लोग कौन थे? उनकी सभ्यता एवं संस्कृति की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
एजटेक लोग बारहवीं शताब्दी में उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। उन्होंने अनेक जनजातियों को परास्त करके अपने साम्राज्य का विस्तार किया। पराजित लोगों से वे नजराना वसूल करने लगे।

समाज – एजटेक समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजात वर्ग में उच्च कुलों के लोग, पुरोहित तथा अन्य प्रतिष्ठित लोग शामिल थे। अभिजातों की संख्या बहुत कम थी। वे सरकार तथा सेना में ऊँचे पदों पर आसीन थे। अभिजात लोग अपने में से एक को अपना नेता चुनते थे जो आजीवन शासक बना रहता था। राजा को पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था। समाज में योद्ध, पुरोहित तथा अभिजात वर्गों को सबसे अधिक सम्मान प्राप्त था।

व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे। उन्हें प्राय: सरकारी राजदूतों तथा गुप्तचरों के रूप में सेवा करने का अवसर दिया जाता था। इसके अतिरिक्त प्रतिभाशाली शिल्पियों, चिकित्सकों और विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था।

भूमि उद्धार तथा निर्माण कार्य-एजटेक लोगों के पास भूमि की कमी थी। इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार (reclamation) किया। उन्होंने सरकंडों की बहुत बड़ी चटाइयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढंककर मैक्सिको झील में कृत्रिम द्वीप बनाये। इन्हें चिनाम्या (Chinampas) कहते थे। इन अति उपजाक द्वीपों के बीच नहरें बनाई गई जिन पर 1325 ई० में एजटेक राजधानी टेनोक्टिटलान (Tenochtitlan) का निर्माण किया गया। यहाँ के राजमहल और पिरामिड झील से बाहर झाँकते दिखाई देते थे। एजटेक लोगों के सर्वाधिक भव्य मंदिर युद्ध के देवता और सूर्य भगवान् को समर्पित थे। इसका कारण यह है कि एजटेक शासक युद्ध को बहुत अधिक महत्त्व देते थे।

साम्राज्य का ग्रामीण होना-साम्राज्य ग्रामीण आधार पर टिका हुआ था। लोग मक्का, फलियां, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू तथा कुछ अन्य फसलें उगाते थे। भूमि का स्वामित्व किसी व्यक्ति विशेष का न होकर पूरे कुल (Clan) के पास होता था। कुल सार्वजनिक निर्माण कार्य भी करवाता था। यूरोपीय खेतिहर लोग अभिजातों की जमीन जोतते थे। इसके बदले उन्हें फसल में से कुछ हिस्सा मिलता था। शिक्षा नीति-एजटेक लोग इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ।

कुलीन वर्ग के बच्चे कालमेकाक (Calmeacac) में भर्ती किए जाते थे। यहाँ उन्हें सैनिक अधिकारी तथा धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। अन्य सभी बच्चे पड़ोस के तेपोकल्ली स्कूल (Tepochcalli) में पढ़ते थे, जहाँ उन्हें इतिहास, पुराण-मिथकों, धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी। लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था और खेती तथा व्यापार करना सिखाया जाता था। परंतु लड़कियों को घरेलू काम-धंधों में कुशल बनाया जाता था। साम्राज्य का अंत-16वीं शताब्दी के आरंभ में एजटेक साम्राज्य में अस्थिरता के लक्षण दिखाई देने लगे। 1516 ई० में शक्तिशाली एजटेक साम्राज्य का अंत हो गया।

प्रश्न 4.
कोटेंस के नेतृत्व में स्पेनवासियों को दक्षिणी अमेरिका की विजय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कोटेंस और उसके सैनिकों ने (जिन्हें कॉक्विस्टोडोर Conquistadores, कहा जाता था) क्रूरता का प्रयोग करते हुए मैक्सिको को देखते ही देखते जीत लिया। कोर्टस 1519 ई० में क्यूबा से मैक्सिको आया था। वहाँ उसने टोंटानैक (Totonacs) समुदाय से मित्रता कर ली। टॉटानैक लोग एजटेक शासन से अलग होना चाहते थे। एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस से मिलने के लिए अपना एक अधिकारी भेजा।

वह स्पेनवासियों की आक्रमण क्षमता और उनके बारूद तथा घोड़ों के प्रयोग को देखकर घबरा गया। स्वयं मोंटेजुमा को भी यह पक्का विश्वास हो गया कि कोर्टस वास्तव में किसी निर्वासित देवता का अवतार है जो अपना बदला लेने के लिए फिर से प्रकट हुआ है। स्पेनी सैनिकों ने टूलैक्सकलानों पर हमला बोल दिया। लैक्सकलान खूखार लड़ाके थे। उन्होंने जबरदस्त प्रतिरोध के बाद अंततः समर्पण कर दिया। स्पेनी सैनिकों ने उन सबका क्रूरतापूर्वक सफाया कर दिया।

फिर वे टेनोस्टिटलैन की ओर बढ़े और 8 नवंबर, 1519 ई. को वहाँ पहुंच गए। स्पेनी आक्रमणकारी टेनोक्टिटलैन के दृश्य को देखकर हक्के-बक्के रह गए। यह स्पेन की राजधानी मैडिड से पाँच गुना बड़ा था और इसकी जनसंख्या स्पेन के सबसे बड़े शहर सेविली (Seville) से दो गुनी थी। कोटेंस की एजटेक शासक से भेंट-एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टस का हार्दिक स्वागत किया। एजटेक लोग स्पेनियों को बड़े सम्मान के साथ शहर के बीचों-बीच ले गए, जहाँ मोंटेजुमा ने उन पर उपहारों की वर्षा कर दी। परंतु लैक्सकलान के हत्याकांड की जानकारी होने के कारण उसके अपने लोग भयभीत होकर काँप रहे थे।

एजटेक लोगों की चिंता निर्मूल नहीं थी। कोर्टेस ने बिना कोई कारण बताए सम्राट् को नजरबंद कर लिया और उसके नाम पर स्वयं शासन चलाने का प्रयास करने लगा। स्पेन के प्रति सम्राट मोंटेजुमा के समर्पण को औपचारिक बनाने के लिए, कोर्टस ने एजटेक मंदिरों में ईसाई प्रतिमाएं स्थापित करवाई। मोंटेजुमा ने एक समझौते का प्रस्ताव रखा जिसके अनुसार मंदिरों में एजटेक और ईसाई प्रकार की प्रतिमाएँ रखवा दी गईं।

कोर्टेस का क्यूबा जाना और वापसी-इसी समय कोर्टेस को सब कुछ अपने सहायक ऐल्चारैडो (Alvarado) को सौंपकर क्यूबा लौटना पड़ा। स्पेनी शासन के अत्याचारों से तंग आकर और सोने के लिए उनकी निरंतर माँगों के दबाव के कारण, आम जनता ने विद्रोह कर दिया। ऐल्चारैडी ने हुइजिलपोक्टली (Huizilpochtli) के वसंतोत्सव में कत्लेआम का आदेश दे दिया। 25 जून, 1520 ई० को कोर्टस जब वापस लौटा तो उसे घोर संकट का सामना करना पड़ा। पुल तोड़ दिए गए थे। जलमार्ग काट दिए गए थे और सड़कें बंद कर दी गई थीं। स्पेनियों को भोजन और पेयजल की घोर कमी का सामना करना पड़ा । विवश होकर कोर्टेस को वापस लौटना पड़ा।

इसी समय मोंटेजुमा की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। फिर भी एजटेकों की स्पेनियों के साथ लड़ाई जारी रही। लड़ाई में लगभग 600 अत्याचारी विजेता और उतने ही लैक्सकलान के लोग मारे गए। हत्याकांड की इस ‘भांकर रात’ को आंसूभरी रात (Night of Tears) के नाम से जाना जाता है। कोर्टस को नए एजटक शासक कवेटेमोक (Cuatemoc) के विरुद्ध अपनी रणनीति तैयार करने के लिए वापस लैंक्सकलान में शरण लेनी पड़ी।

उस समय एजटेक लोग यूरोपीय लोगों के साथ आए चेचक के प्रकोप से मर रहे थे। कोर्टस ने केवल 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ नोक्टिट्लान में प्रवेश किया। दूसरी ओर एजटेक भी अपनी आखिरी मुठभेड़ के लिए तैयार थे। अपशकुनों ने एजटेकों को बता दिया कि उनका अंत दूर नहीं है। इसे वास्तविक समझकर सम्राट ने अपना जीवन त्याग देना हो ठीक समझा। मैक्सिको पर विजय प्राप्त करने में दो वर्ष का समय लग गया। कोर्टस मैक्सिको में ‘न्यू स्पेन’ का कैप्टेन जनरल बन गया। उसे चार्ल्स पंचम द्वारा सम्मानों से विभूषित किया गया। मैक्सिको से स्पेनियों ने अपना नियंत्रण ग्वातेमाला (Guatemala), निकारागुआ (Nicaragua) और होंडुरास (Honduras) पर भी स्थापित कर लिया।

प्रश्न 5.
पिजारों कौन था? अमेरिका (इंका प्रदेश) में इसकी सफलताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पिजारो (Pizarro) एक गरीब और अनपढ़ स्पेनिश था। वह सेना में भर्ती होकर 1520 ई० में कैरीबियन द्वीपसमूह में आया था। उसने इंका राज्य के बारे में यह सुन रखा था कि वह चाँदी और सोने का देश (EI-dor-ado) है। उसने प्रशांत से वहाँ पहुँचने के लिए कई प्रयत्न किए। एक बार जब वह अपनी यात्रा से स्वदेश लौटा तो वह स्पेन के राजा से मिलने में सफल हो गया। इस मुलाकात के दौरान उसने राजा को इंका कारीगरों द्वारा बनाए गए सोने के आकर्षक मर्तबान दिखाए।

राजा के मन में लोभ जाग उठा और उसने पिजारो को यह वचन दे दिया कि यदि वह इंका प्रदेश को जीत लेगा तो वह उसे वहाँ का गवर्नर बना देगा। पिजारो ने कोर्टस का तरीका अपनाने की योजना बनाई। परंतु वह यह देखकर क्षुब्ध हो गया कि इंका साम्राज्य की स्थिति भिन्न थी। पिजारो का इंका साम्राज्य में प्रवेश-1532 ई० में अताहुआल्पा (Atahualpa) ने एक गृहयुद्ध के बाद इंका साम्राज्य की बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। तभी वहाँ पिजारो ने प्रवेश किया।

उसने जाल बिछाकर राजा को बंदी बना लिया। राजा ने अपने आप को मुक्त कराने के लिए एक कमरा भर सोना फिरौती में देने का प्रस्ताव रखा। परंतु पिजारो ने अपना वचन नहीं निभाया । उसने राजा का वध करवा दिया और उसके सैनिकों ने जी भरकर लूटमार मचाई। इसके बाद पिजारो ने इंका राज्य पर अधिकार कर लिया। विजेताओं की क्रूरता के कारण वहाँ 1534 ई० में विद्रोह भड़क उठा जो दो साल तक चलता रहा। परिणामस्वरूप हजारों लोगों की युद्ध तथा महामारियों के कारण मौत हो गई। अगले पांच साल में स्पनियों ने पोटोसी (आज का बोलीविया) में चाँदी के विशाल भंडारों का पता लगा लिया। इन खानों में काम करने के लिए उन्होंने इंका लोगों को दास बना लिया।

प्रश्न 6.
पेड्रो अल्वारिस कैबाल ब्राजील कैसे पहुँचा? ब्राजील में पुर्तगालियों द्वारा इमारती लकड़ी के व्यापार का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
पुर्तगाल निवासी पेड्रो अल्वारिस कैब्राल (Pedro Alvares Cabral) 1500 ई० में जहाजों का एक बेड़ा लेकर भारत के लिए रवाना हुआ। तूफानी समुद्रों से बचने के लिए उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाया । वह यह देखकर हैरान रह गया कि वह वर्तमान ब्राजील के समुद्र तट पर जा पहुंचा है। दक्षिणी अमेरिकी का वह पूर्वी भाग उस क्षेत्र में आता था जिसे पोप ने पुर्तगाल को सौंप रखा था। इसलिए पुर्तगाली अनवादित रूप से इसे अपना प्रदेश मानते थे।

ब्राजील की महत्वपूर्ण संपदा-पुर्तगालवासी कैबाल (Pedro Alvares Cabral) 1500 ई० में जहाजों का एक बेड़ा लेकर रवाना हुआ क्योंकि वह भारत के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए अधिक उत्सुक था तथा ब्राजील में सोना मिलने की कोई संभावना नहीं थी। परंतु ब्राजील का एक प्राकृतिक संसाधन इनके लिए और भी महत्त्वपूर्ण था, जिसका उन्होंने भरपूर लाभ उठाया। यह संपदा थी-इमारती लकड़ी। वहाँ के ब्राजीलवुड वृक्ष से एक सुंदर लाल रंजक (Dye) भी मिलता था।

ब्राजील के मूल निवासी लोहे के चाकू-छुनियों और आरियों के बदले में इन पेड़ों को काट कर इनके लढे जहाजों तक ले जाने के लिए भी तुरंत तैयार हो गए। वैसे भी एक हँसिए, चाकू या कंधे के बदले ढेरों मुर्गियाँ, बंदर, तोते, शहद, मोम, सूती धागा आदि वस्तुएँ देने को सदैव तैयार रहते थे। इमारती लकड़ी का व्यापार-इमारती लकड़ी के इस व्यापार के कारण पुर्तगाली और फ्रांसीसी व्यापारियों के बीच भयंकर लड़ाइयाँ हुई। इनमें अंततः पुर्तगालियों की जीत हुई।

1534 ई० में पुर्तगाल के राजा ने ब्राजील के तट को 14 आनुवांशिक कप्तानियों (Captaincies)” में बाँट दिया । इनके स्वामित्व उन पुर्तगालियों को सौंपे गये जो वहाँ स्थायी रूप से रहना चाहते थे। उन्हें स्थानीय लोगों को दास बनाने का अधिकार भी दे दिया गया । ब्राजील में बसने वाले बहुत-से पुर्तगाली भूतपूर्व सैनिक थे जिन्होंने भारत के गोवा क्षेत्र में लड़ाइयाँ लड़ी थीं । स्थानीय लोगों के प्रति उनका व्यापार अत्यंत क्रूर था।

प्रश्न 7.
1540 ई० से ब्राजील में पुर्तगालियों की गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1540 के दशक में पुर्तगालियों ने ब्राजील के बड़े-बड़े बागानों में गन्ना उगाना आरंभ कर दिया। गन्ना से चीनी बनाने के लिए मिलें भी लगाई। यह चीनी यूरोप के बाजारों में बेची जाती थी। बहुत ही गर्म और नम जलवायु में चीनी की मिलों में काम करने के लिए वे स्थानीय लोगों पर निर्भर थे- जब उन लोगों ने इस नीरस काम को करने से इन्कार कर दिया तो मिल मालिकों ने उनका अपहरण कर उन्हें दास बनाना आरंभ कर दिया। स्थानीय लोग दास बनाने वाले इन मिल मालिकों से बचने के लिए गाँव छोड़कर जंगलों की ओर भागने लगे। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया, तटीय क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लगभग सभी गाँव उजह गए।

वहाँ अब यूरोपीय लोगों के सुनियोजित कस्बे बस गए। मिल मालिकों को दास लाने के लिए अब पश्चिमी अफ्रीका की ओर मुड़ना पड़ा। परंतु स्पेनी उपनिवेशों में स्थिति इससे बिल्कुल विपरीत थी। वहाँ पहले से ही एजटेक और इंका साम्राज्यों के अधिकांश लोगों से खदानों और खेतों में काम कराया जाता था। इसलिए स्पेनिश लोगों को ‘औपचारिक रूप से उन्हें दास बनाने अथवा कहीं और से दास लाने की जरूरत नहीं पड़ी।

154980 में पुर्तगाली राजा के अधीन एक औचारिक सरकार स्थापित की गई और बहिया (Bahia) सैलवाडोर (Salvador) को उसकी राजधानी बनाया गया। इस समय तक जेसुइट पादरियों ने भी ब्राजील में आना शुरू कर दिया था। वहाँ बसे यूरोपीय लोग इन पादरियों को पसंद नहीं करते थे इसके कई कारण थे –

  • ये पादरी मूलनिवासियों के साथ दया का व्यवहार करने की सलाह देते थे।
  • वे निडरतापूर्वक जंगलों में जाकर उनके गाँवों में रहते थे और वह उन्हें यह सिखाते थे कि ईसाई धर्म एक आनंददायक धर्म है और उन्हें आनंद लेना चाहिए।
  • सबसे बड़ी बात यह थी कि ये धर्मप्रचार दास प्रा की कड़े शब्दों में निंदा करते थे।

प्रश्न 8.
भौगोलिक खोजों से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण थे?
उत्तर:
1490 ई० से 1523 ई. तक का 33 वर्ष का समय महान् भौगोलिक खोजों के लिए प्रसिद्ध है। इस काल में उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका की खोज की गई और इसे नई दुनिया का नाम दिया गया। अंध महासागर तथा प्रशांत महासागर को पार किया गया। अनेक नवीन भौगोनिक मार्ग ढूंढे गये। हिंद महासागर और चीनसागर में भी यूरोपीय जहाज चलने लगे। अफ्रीका महाद्वीप के पश्चिमी तट के साथ पूर्व की ओर मार्ग ढूंढा गया। इस प्रकार संसार के मानचित्र का रूप बदलने लगा।

भौगोलिक खोजों के कारण-इन भौगोलिक खोजों के कई कारण थे। यूरोप निवासियों को एशिया और विशेष रूप से भारत की वस्तुओं में बड़ी रुचि थी। व्यापारी अपना माल थल मार्ग से रोम सागर तथा काला सागर तक लाया करते थे। वहाँ से आगे समुद्री मार्ग से माल यूरोप की मंडियों में पहुंचा दिया जाता था। 15वीं शताब्दी के मध्य में तुर्की तथा इसके आस-पास के देशों पर तुकों का अधिकार हो गया। फलस्वरूप यूरोप का एशियाई व्यापार बंद हो गया। परंतु यूरोप के लोग इस लाभदायक व्यापार को समाप्त नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नवीन मार्ग खोजने के प्रयल आरंभ किये। तब यह सारा व्यापार लगभग बंद हो गया।

1. इन्हीं दिनों यूरोपियन यात्री कारपीनी और मार्कोपोलो एशिया का चक्कर लगाकर आये थे। उन्होंने अपने यात्रा विवरणों में इन देशों के विषय में अनेक अद्भुत कहानियाँ लिखीं । इन रोमांचकारी कहानियों ने यूरोप निवासियों के दिलों में इन देशों की यात्रा करने की प्रबल इच्छा पैदा की।

2. विज्ञान के नये आविष्कारों ने भी उनकी कल्पना को उभारा। कोपरनिकस ने यह घोषणा की कि पृथ्वी गोल है, जिसका यह अर्थ लिया गया कि मनुष्य चाहे किसी दिशा में यात्रा करे वह अपने लक्ष्य पर वापस पहुंचेगा। कंपास के आविष्कार के कारण दूर-दूर तक समुद्रों में यात्रा करना सरल हो गया।

3. पुनर्जागरण की लहर ने भी बड़ा प्रभाव डाला। इसने लोगों के मन में कठिन लक्ष्य पर विजय प्राप्त करने की इच्छा पैदा कर दी। नये स्थापित राष्ट्रीय राज्यों ने इस प्रकार के वातावरण का लाभ उठाया तथा उनके राजाओं ने जी-जान से उन वीरों को प्रोत्साहित किया जो खोज कार्य में भाग लेना चाहते थे।

प्रश्न 9.
सोलहवीं शताब्दी की महत्त्वपूर्ण खोजों का वर्णन कीजिए। आधुनिक युग को लाने में वे किस प्रकार सहायक सिद्ध हुई?
उत्तर:
भौगोलिक खोजों का क्रम वैसे तो 15वीं शताब्दी में आरंभ हुआ था, परंतु 16वीं शताब्दी में इस दिशा में और भी महत्त्वपूर्ण खोज यात्राएँ हुई। 1492 ई० में बार्थेलाम्यू डियाज ने आशा अंतरीप की खोज की। उससे अमेरिका, न्यूफाउंडलैंड और लैब्रेडोर का पता चला। 1498 ई० में वास्कोडिगामा ने यूरोप से भारत पहुंचने का नया समुद्री मार्ग खोज निकाला। 16वीं शताब्दी के आरंभ में कोर्टिस नाविक मैक्सिको जा पहुंचा। उसने 1531 ई० में पिजारू की खोज की। परंतु इस शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक यात्रा मैगलेन नामक पुर्तगाली नाविक ने की।

वह अपने साथियों सहित अंध महासागर को पार करके दक्षिणी अमेरिका के तट तक और फिर जलडमरू के मार्ग से प्रशांत महासागर में पहुँचा। यहाँ से वह फिलिपाइन के द्वीपों में पहुंचा। यहाँ मैगलेन की मृत्यु हो गई। परंतु उसके 18 साधी एक जहाज में संसार का चक्कर काट कर स्वदेश लौट आये। इस प्रकार मनुष्य ने संसार के गिर्द अपना पहला चक्कर पूरा कर लिया।

आधुनिक युग लाने में भौगोलिक खोजों का योगदान –

  • इन खोजों से नयी समुद्री-मार्गों की खोज की गई। फलस्वरूप पूर्व तथा पश्चिम के बीच व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
  • इन खोजों से नये-नये देशों का पता चला। यूरोपीय देशों ने इन नये प्रदेशों में अपने उपनिवेश बसाये और उनका खूब आर्थिक शोषण किया।
  • नई खोजों से पुराने बंदगाहों का महत्त्व कम हो गया। अब लंदन, लिस्वन आदि नये नगर व्यापार के केंद्र बन गये।
  • भौगोलिक खोजों के कारण स्थापित उपनिवेशों से यूरोपवासियों को सोने-चांदी के अनेक भंडार प्राप्त हुए। फलस्वरूप वे धनी हो गये।
  • प्रत्येक यूरोपीय जाति अपने-अपने देशों के उपनिवशों में जा बसी और वहाँ व्यापार करना आरंभ कर दिया।

व्यापारी वर्ग ने मध्यवर्ग को जन्म दिया। 16वीं शताब्दी के भौगोलिक खोजों से ये महत्त्वपूर्ण परिणाम आधुनिक युग के ही प्रतीक थे। नवीन खोजे गये उपनिवेशों के व्यापारिक दृष्टि से दो लाभ हुए। एक तो इन उपनिवेशों से कच्चा माल सस्ते दामों पर प्राप्त किया जाता था। दूसरे, तैयार माल यहाँ महंगे दामों पर बेचा जाता था। उपनिवेशों का ये व्यापारिक मंडी के रूप में प्रयोग करते थे।

अमेरिका तथा अफ्रीका पर तत्कालीन प्रभाव-यूरोप निवासियों ने अमेरिका को विजय करके वहाँ की मूल सभ्यता को नष्ट कर दिया। उन्होंने अमेरिका के लोगों का आर्थिक शोषण भी किया। खोज यात्राओं के परिणामस्वरूप अफ्रीका के बहुत-से देश अपनी स्वतंत्रता खो बैठे । केवल इतना ही नहीं, इन खोजों के कारण दास-व्यापार भी आरंभ हुआ।

प्रश्न 10.
कोलंबस कौन था? उसके द्वारा अमेरिका की खोज-यात्रा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्रिस्टोफर कोलंबस (1451-1506 ई०) इटली का एक नाविक था। उसमें साहसिक कार्य करने और नाम कमाने की तीव्र इच्छा थी। वह भविष्यवाणियों में विश्वास रखता था। इस आधार पर वह यह जानता था कि उसके भाग्य में पश्चिम की ओर से यात्रा करते हुए पूर्व (the Indies) की ओर का मार्ग खोजना लिखा है। वह कार्डिनल पिएर डिऐली (Cardinal Pierre di Ailly) द्वारा लिखी गई पुस्तक इमगो मुंडी (Imago Mundi) से बहुत अधिक प्रेरित हुआ।

उसने उस संबंध में पुर्तगाल के राजा के सामने अपनी योजना प्रस्तुत की। वे मंजूर नहीं हुई। सौभाग्य से स्पेन के प्राधिकारियों ने उसकी एक साधारण सी योजना स्वीकार कर ली। उसे पूरा करने के लिए वह 3 अगस्त, 1492 ई० को जहाज द्वारा पालोस के पतन से अपने अभियान पर, निकल पड़ा। कोलंबस की यात्रा-कोलंबस का बेड़ा छोटा-सा था जिसमें सांता मारिया नाम की एक छोटी नाओ (Nao) तथा दो कैरवल (Caravel) छोटे हल्के जहाज हपंटा और ‘नौना’ शामिल थे।

सांता मारिया की कमान स्वयं कोलंबस के हाथों में थी। उसमें 40 कुशल नाविक सवार थे। उनका बेड़ा अनुकूल व्यापारिक हवाओं के सहारे आगे बढ़ता जा रहा था। परंतु रास्ता लंबा था। 33 दिनों तक बेड़ा आगे बढ़ता गया। फिर भी तट के दर्शन नहीं हुए। इसलिए उसके नाविक बेचैन हो उठे। उनमें कुछ तो तुरंत वापस चलने की मांग करने लगे। अतत: 12 अक्टूबर, 1492 ई० को उन्हें जमीन दिखाई दी। कोलंबस ने इसे भारत समझा परंतु वह स्थान बहामा द्वीप समूह का गुआनाहानि (Guanahani) द्वीप था। वहाँ के अरावाक लोगों ने इस बेड़े के नाविकों का स्वागत किया। उन्होंने नाविकों को खाने-पीने का सामान भी दिया। अत: कोलंबस उनकी इस उदारता से अत्यधिक प्रभावित हुआ।

कोलंबस ने गुआनाहानि में स्पेन का झंडा गाड़ दिया। उसने इस द्वीप का नया नाम सैन सैल्वाडोर (San, Salvador) रखा। वहाँ उसने एक सार्वजनिक उपासना कराई और स्थानीय लोगों से बिना पूछे ही अपने आपको वहाँ का वाइसराय घोषित कर दिया। उसने वहाँ के बड़े द्वीप समूह क्यूबानास्कैन (Cubanascan) और किस्केया (Kiskeya) तक जाने के लिए इन स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया।

कठिनाइयाँ और वापसी यात्रा – कोलंबस और उसके साथी सोना प्राप्त करना चाहते थे। परंतु उनका अभियान दुर्घटनाओं में फंस गया। उन्हें खूखार कैरिब (Carib) कबीलों का भी सामना करना पड़ा। अत: नाविक जल्दी से जल्दी घर लौटने के लिए अधीर हो उठे। वापस यात्रा और भी अधिक कठिन सिद्ध हुई क्योंकि जहाजों को दीमक लग गई थी। नाविक थक चुके थे और उन्हें घर की याद सताने लगी थी। इस संपूर्ण यात्रा में कुल 32 सप्ताह लगे।

आगे चलकर ऐसी तीन यात्राएँ और आयोजित की गईं। इन यात्राओं के दौरान कोलंबस ने बहामी और बृहत्तर एंटिलीज द्वीपों (Greater Antilles), दक्षिणी अमेरिका की मुख्य भूमि और उनके तटवर्ती प्रदेशों में अपना खोज कार्य पूरा किया । इन यात्राओं से ये पता चला कि स्पेनी नाविकों ने ‘इंडीज’ (Indies) नहीं बल्कि एक नया महाद्वीप खोज निकाला है।

कोलंबस की विशेष उपलब्धि यह रही थी कि उसने अनंत समुद्र की सीमाएँ खोज निकाली। उसने यह दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताह तक व्यापारिक हवाओं के साथ-साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है। उसके द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका का नामकरण फ्लोरेंस के एक भूगोलवेत्ता ‘अमेरिगो वेस्पुस्सी’ (Amerigo Vespucci) के नाम पर किया गया।

प्रश्न 11.
खोज यात्राओं ने उपनिवेशीकरण तथा दास व्यापार को किस प्रकार बढ़ावा दिया?
उत्तर:
पंद्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय समुद्री परियोजनाओं ने एक बात स्पष्ट कर दी कि एक महासागर से दूसरे महासागर तक यात्रा की जा सकती है। इससे पहले तक, इनमें से अधिकांश मार्ग यूरोप के लोगों के लिए अज्ञात थे। कुछ मार्गों को तो कोई भी नहीं जानता था। तब तक कोई भी जहाज कैरीबियन या अमेरिका महाद्वीपों के जल क्षेत्रों में नहीं पहुंचा था। दक्षिणी अटलांटिक तो पूरी तरह अछूता था। किसी भी जहाज ने उसके पार जाना तो दूर, उसके पानी में भी प्रवेश नहीं किया था। न ही कोई जहाज दक्षिणी अटलांटिक से प्रशांत महासागर या हिंद महासागर तक पहुँचा था।

15वीं शताब्दी के अंतिम और 16वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में ये सभी साहसिक कार्य सफलतापूर्वक किए गए। प्रारंभिक समुद्री यात्रियों के अतिरिक्त अन्य यूरोपवासियों के लिए भी अमेरिका की खोज के दीर्घकालीन परिणाम निकले। सोना-चाँदी की बाढ़ ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण में वृद्धि की। 1560 से 1600 ई० तक सैकड़ों जहाज प्रति वर्ष दक्षिणी अमेरिका की खानों से चाँदी स्पेन में लाते रहे। परंतु स्पेन और चुर्तगाल को इसका अधिक लाभ नहीं मिला।

इसका कारण यह था कि उन्होंने अपने व्यापार या व्यापारी जहाजों के बेडे का विस्तार करने में इस धन को नहीं लगाया। उनकी बजाय इसका लाभ फ्रांस, बेल्यिजम, हालैंड आदि देशों ने उठाया। उनके व्यापारियों ने बड़ी-बड़ी संयुक्त पूंजी कंपनियां बनाई और अपने बड़े-बड़े व्यापारिक अभियान चलाए । उन्होंने उपनिवेश स्थापित करकं यूरोपवासियों को नयी दुनिया में पैदा होने वाली फसलों तंबाक, आलू, गन्ना, कैकाओं (Cacao) और रबड़ आदि से परिचित कराया।

इसके बाद ये फसलें भारत तथा अन्य देशों में ले जाई गई। उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के मूल निवासियों के लिए इन अभियानों के अनेक तात्कालिक परिणाम हुए –

  • मार – काट के कारण मूल निवासियों को जनसंख्या कम हो गई।
  • उनकी जीवन – शैली का विनाश हो गया।
  • उन्हें दास बनाकर उनसे खानों, बगानों और कारखानों में काम कराया गया।

इन मुठभेड़ों की बर्बरता का एक स्पष्ट प्रमाण यह है कि हारे हुए लोगों को दास बना लिया जाता था। इसके साथ-साथ वहाँ उत्पादन की पूंजीवाद प्रणाली का प्रादुभाव हुआ। काम की परिस्थितियाँ भयावह थीं। परंतु स्पेनी मालिकों का मानना था कि उनके आर्थिक लाभ के लिए इस प्रकार का शोषण अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 12.
दास-व्यापार का वर्णन करते हुए यह बताइए कि दास प्रथा को जारी रखने के पक्ष में क्या तर्क दिए गए?
उत्तर:
1601 ई० में, स्पेन के फिलिप द्वितीय ने सार्वजनिक रूप से बेगार की प्रथा पर रोक लगा दी। परंतु एक गुप्त आदेश द्वारा उसने इसे चालू रखने की व्यवस्था भी कर दी। 1609 ई० में एक काननू बनाया गया जिसके अंतर्गत ईसाई और गैर-ईसाई सभी प्रकार के स्थानीय लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता दे दी गई। इससे यूरोप से अमेरिका में आकर बसे लोग नाराज हो गए। उन्होंने दो साल के भीतर ही राजा को यह कानून हटाने और दास बचाने की प्रथा को चालू रखने के लिए मजबूर कर दिया।

दास व्यापार-अब नयी-नयी आर्थिक गतिविधियाँ शुरू हो गई। जंगलों को साफ करके प्राप्त की गई भूमि पर पशुपालन किया जाने लगा। 1700 ई० में सोने की खोज के बाद खानों का काम जोरों से चल पड़ा। इन कार्यों के लिए सस्ते श्रम की आवश्यकता थी। यह भी स्पष्ट था कि स्थानीय लोग दास बनने का विरोध करेंगे। अब यही विकल्प बचा था कि दास अफ्रीका से मंगवाए जाएँ। 1550 ई० के दशक से 1880 ई० के दशक तब ब्राजील में 36 लाख से भी अधिक अफ्रीकी दासों का आयात किया गया। 1750 ई० में कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके पास हजार-हजार दास होते थे।

दास प्रथा को जारी रखने के पक्ष में तर्क-दास प्रथा के उन्मूलन के बारे में 1780 ई० – के दशक में हुए वाद-विवाद में कुछ लोगों ने यह तर्क दिया कि यूरोपवासियों के अफ्रीका में आने से पहले भी वहाँ दास प्रथा प्रचलित थी। यहाँ तक कि पंद्रहवीं शताब्दी में अफ्रीका में स्थापित किए जाने वाले राज्यों में भी अधिकांश मजदूर-वर्ग दासों का ही था। उन्होंने यह भी बताया था कि यूरोपीय व्यापारियों को युवा स्त्री-पुरुषों को दास बनाने में स्वयं अफ्रीकी लोग भी सहायता देते थे। बदले में यूरोपीय व्यापारी उन अफ्रीकावासियों को दक्षिणी अमेरिका से आयात किए गए खाद्यान्न देते थे। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में दक्षिणी अमेरिका के उपनिवशों में आकर बसे यूरोपीय लोगों ने स्पेन और पुर्तगाल के शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इस प्रकार ये उपनिवेश स्वतंत्र देश बन गए।

प्रश्न 13.
माया सभ्यता का वर्णन करें।
उत्तर:
ग्यारहवीं से चौदहवीं शताब्दी के मध्य मैक्सिको में माया सभ्यता उन्नति की ओर अग्रसर थी। अमेरिका महादेश में आरंभिक सभ्यताओं में यह सभ्यता काफी विकसित थी। यह सभ्यता कृषि प्रधान थी। माया लोग मक्के उपजाया करते थे। उनके धार्मिक उत्सवों का संबंध मक्का बोने, उगाने तथा काटने से जुड़े थे। वे अधिशेष उत्पादन करते थे। माया समाज विभिन्न वर्गों में बँटा था।

शासक वर्ग प्रायः भोग विलास का जीवन जीते थे। पुरोहित वर्ग का समाज में विशेष महत्त्व था क्योंकि यह सभ्यता धर्म प्रधान थी। कृषक वर्ग बड़ी संख्या में थे और यही मुख्य कर-दाता वर्ग थे। माया लोगों ने वस्तु, कला, खगोल विज्ञान और गणित के क्षेत्र में कुछ उपलब्धियाँ हासिल .. की थी। उनकी लिपि चित्रात्मक थी, जिस लिपि को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है।

प्रश्न 14.
दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका के मूल निवासियों के बीच के अंतर को स्पष्ट करें। [B.M.2009]
उत्तर:
इतिहासकारों ने दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका के मूल निवासियों के सम्बन्ध में काफी अनुसंधान किये हैं। दक्षिणी अमेरिका की संस्कृतियों के नगरे में जो जानकारी मिलती है इनमें से 12वीं शताब्दी में एजटेक लोगों की सभ्यता काफी महत्त्वपूर्ण थी। उनका समाज श्रेणीबद्ध था। अभिजात अपने में से एक सर्वोच्च नेता चुनते थे जो आजीवन शासक रहता था। समाज में व्यापारियों का भी स्थान काफी महत्त्वपूर्ण था। भूमि उपजाऊ नहीं थी। वे लोग मक्का, आलू और अन्य फसलें उपजाते थे।

दक्षिणी अमेरिका में ही माया सभ्यता के बारे में जानकारी मिलती है। माया सभ्यता के लोगों के समाज में भी पुरोहितों का काफी उच्च स्थान होता था। वे भी मुख्यतः मक्का का उत्पादन करते थे, जो उनके किलों से स्पष्ट होता है। उत्तरी अमेरिका में मिलने वाली सबसे पुरानी मानव कृति एक तीर की नोंक है जो लगभग 11000 वर्ष पहले की है। आरंभिक मूल के लोग नदी घाटी के क्षेत्र में रहा करते थे। वे मक्का एवं विभिन्न प्रकार की सब्जियों उपजाते थे।

मांस, मछली भी खाया करते थे। शिकार उनके भोजन प्राप्त करने के तरीके में मुख्य होता था। वे कई भाषाएँ बोलते थे। किन्तु लिपि विकसित नहीं कर पाये थे। धीरे-धीरे उत्तरी अमेरिका में यूरोपियनों का आगमन और वर्चस्व बढ़ने लगा जिससे मूल निवासियों की संस्कृति कमजोर पड़ने लगी।

प्रश्न 15.
अरावाकी लुकायो समुदाय की मुख्य विशेषताएँ बताइए। उनकी जीवन शैली का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीप समूहों और वृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे। कैरिब नामक एक बूंखार कबीले ने उन्हें लघु ऐटिलीज प्रदेश से खदेड़ दिया था। अरावाकी लोग खेती तथा शिकार करके और मछली पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करते थे। वे मुख्य रूप से मक्का, मीठे आलू और कंदमूल और कसावा उगाते थे।

अरावाक संस्कृति-अरावाक संस्कृति की एक मुख्य विशेषता यह थी कि वे सब एक साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करते थे, ताकि समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो । वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे। उनमें बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी। वे जीववादी (Animists) थे। अन्य कई समाजों की तरह अरावाक समाज में भी शमन लोग (Shamans) कष्ट निवारकों और इहलोक तथा परलोक के बीच मध्यस्थ के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।

अरावाकी लोगों का यूरोपियों से संपर्क तथा उनके जीवन का अंत-अरावाक लोग सोने के आभूषण पहनते थे। परंतु यूरोपवासियों की भांति सोने को अधिक महत्त्व नहीं देते थे। यदि उन्हें कोई यूरोपवासी सोने के बदले काँच के मनके देता था तो भी वे प्रसन्न होते थे क्योंकि उन्हें शीशे का मनका अधिक सुंदर दिखाई देता था। वे बुनाई की कला में अत्यधिक कुशल थे। हैमक (Hammock) अर्थात् झूले का प्रयोग उनकी एक विशेषता थी जिसे यूरोपीय लोगों ने बहुत अधिक पसंद किया।

अरावाकों का व्यवहार बहुत ही उदारतापूर्ण होता था। वे सोने की तलाश के लिए स्पेनिश लोगों का साथ देने के लिए सदा तैयार रहते थे। परंतु आगे चलकर उनके प्रति स्पेन की नीति क्रूरतापूर्ण हो गई। अत: उन्होंने इसका विरोध किया। इसके लिए उन्हें विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़े। अत: स्पेनी लोगों के संपर्क में आने के बाद लगभग पच्चीस सालों के भीतर ही अरावाक और उनकी जीवन-शैली का लगभग अंत हो गया।

प्रश्न 16.
आदि अमेरिका की प्रमुख सभ्यताओं की मुख्य-मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदि अमेरिका में यों तो अनेक सभ्यताएँ फली-फूली परंतु इसमें से तीन सभ्यताएँ प्रमुख है-माया सभ्यता, एजटेक सभ्यता तथा इंका सभ्यता।
(क) माया सभ्यता – माया सभ्यता का उदय 1100 ई० के लगभग हुआ। यह मध्य अमेरिका के एक बड़े भाग में फैली हुई थी। फिर भी इन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण उपलिब्धियां प्राप्त की। माया सभ्यता की मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –

  • ये लोग अनाज के खेतों के पास बस्तियों में रहते थे। उनके भोजन में मक्का, सेम, आल. पपीता, स्वकाश तथा मिर्च शामिल थे। वे सूती वस्रों का प्रयोग करते थे। वे चाक पर बने मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग भी करते थे।
  • इनका मुख्य व्यवसाय कृषि था। भोजन के लिए अधिक-से-अधिक मक्का उगाने के उद्देश्य से ये अपने देवताओं को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते थे।
  • वे अनेक प्रकार के धार्मिक कृत्यों और कर्मकांडों में विश्वास रखते थे। उनका एक धार्मिक कृत्य रबड़ की गेंद का खेल था। उनके
  • अनेक देवता थे जिनमें अग्नि देवता और मक्का देवता मुख्य थे। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि चढ़ायी जाती थी।
  • उनकी लिपि चित्रात्मक थी। कहीं-कहीं स्वरों का प्रयोग भी होता था।
  • उन्होंने अनेक भव्य पिरामिड, चौक, वेधशालाएँ तथा मंदिर बनाए। वे मूर्तिकला और चित्रकला में भी बड़े निपुण थे।
  • इन्होंने सौर पंचांग का निर्माण किया जिसके अनुसार वर्ष में 365 दिन होते थे।
  • उन्होंने गणित के ज्ञान, हेराग्लिफिक लेखन और कागज के प्रयोग में भी निपुणता दिखायी।

(ख) एजटेक सभ्यता – 12वीं शताब्दी में माया सभ्यता के पतन के बाद अमेरिका में एजटेक लोगों ने सभ्यता की ज्योति जलाई। एजटेक लोग, जिन्हें टेनोका भी कहते हैं टेनोक्ट्टिलान, टलाटेलोको नाम की दो राजधानियाँ बसायीं। इन लोगों की सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ ये थीं –

  • इनका साम्राज्य 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। इसे 38 प्रांतों में बाँटा गया था। प्रत्येक प्रांत का शासन एक गवर्नर चलाता था।
  • वे कई देवी-देवताओं की पूजा करते थे। सूर्य देवता और अन्न देवी इनमें प्रमुख थे। वे अन्न देवी को देवताओं की जननो मानते थे।
  • इन लोगों ने धातुओं को पिघलाकर उनका प्रयोग करना सीख लिया था।
  • उन्होंने धार्मिक समारोहों से संबंधित एक पंचांग बनाया। इसके अनुसार वर्ष में 260 दिन होते थे।
  • 1521 ई० में एजटेक साम्राज्य का अंत हो गया।

(ग) इंका सभ्यता – इस सभ्यता के निर्माता इंका लोग थे। उन्होंने 14वीं और 15वीं शताब्दियों के बीच दक्षिण अमेरिका के एडियन क्षेत्र में अपनी सभ्यता को विकसित किया। इस सभ्यता की मुख्य विशेषताएँ ये थी

  • इंका लोगों ने विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसमें अनेक बड़े नगर थे। कुज्को नगर इस साम्राज्य का मुख्य केंद्र था। सारा साम्राज्य
  • चार भागों में बँटा हुआ था। प्रत्येक भाग पर कोई कुलीन पुरुष शासन करता था।
  • उन्होंने नगरों में भव्य किलों, सड़कों और मंदिरों का निर्माण किया। वे सीढ़ीदार खेत बनाकर आलू, शकरकंद आदि की खेती करते थे।
  • अनाज को बड़े-बड़े सरकारी गोदामों में संकट के लिए सुरक्षित रखा जाता था।
  • कुछ लोगों ने मिट्टी के बर्तन बनाने, कपड़ा बनाने और लामा तथा अल्पाका से ऊन प्राप्त करने के व्यवसाय भी अपनाए हुए थे।
  • इंका लोग सोने, चाँदी और ताँबे को गलाकर उनके आभूषण बनाते थे।
  • अस्त्र-शस्त्र बनाने के लिए काँसा प्रयोग में लाया जाता था।
  • उन्होंने चिकित्सा तथा शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में भी उन्नति की।
  • 16वीं शताब्दी के मध्य तक अमेरिका की आदि सभ्यताओं का अंत हो गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
स्वाहिली क्या है?
(क) भाषा
(ख) तटबंध
(ग) राज्य
(घ) धर्म
उत्तर:
(क) भाषा

प्रश्न 2.
झूलते बाग किस सभ्यता की विशेषता थी?
(क) इंका
(ख) पेरू
(ग) हड़प्पा
(घ) आर्य
उत्तर:
(क) इंका

प्रश्न 3.
कुश साम्राज्य का उदय कब हुआ?
(क) 1000 ई०पू०
(ख) 2000 ई०पू०
(ग) 3000 ई०पू०
(घ) 4000 ई०पू०
उत्तर:
(क) 1000 ई०पू०

प्रश्न 4.
ब्राजील का नाम किस पर पड़ा?
(क) पशुओं
(ख) मानव
(ग) भूमि
(घ) पेड़
उत्तर:
(घ) पेड़

प्रश्न 5.
दिशासूचक यंत्र का आविष्कार कब हुआ?
(क) 1380
(ख) 1370
(ग) 1360
(घ) 1350
उत्तर:
(क) 1380

प्रश्न 6.
तुर्कों ने कुस्तुनतुनिया को कब जीता?
(क) 1653
(ख) 1553
(ग) 1453
(घ) 1353
उत्तर:
(ग) 1453

प्रश्न 7.
पुर्तगाल के किस राजकुमार को ‘नाविक’ कहा जाता था?
(क) फ्रेडरिक
(ख) हेनरी
(ग) ड्यूक
(घ) विलियम
उत्तर:
(ख) हेनरी

प्रश्न 8.
1410 ई० में लिखी गई पुस्तक ‘इमगो मुंडी’ (डि एली द्वारा) किस विषय की है?
(क) भूगोल
(ख) इतिहास
(ग) जीव विज्ञान
(घ) रसायन विज्ञान
उत्तर:
(क) भूगोल

प्रश्न 9.
बाजामार क्या है?
(क) गहरा समुद्र
(ख) छिछला समुद्र
(ग) गहरी खाई
(घ) छिछली खाई
उत्तर:
(ख) छिछला समुद्र

प्रश्न 10.
कोलम्बस ने स्पेन का झंडा कहाँ गाड़ा था?
(क) क्यूबा
(ख) गुआनाहानि
(ग) किस्केया
(घ) इंडीज
उत्तर:
(ख) गुआनाहानि

प्रश्न 11.
इंडीज की खोज किसने की?
(क) मार्कोपोलो
(ख) वास्कोडिगामा
(ग) कोलम्बस
(घ) डिएले
उत्तर:
(ग) कोलम्बस

प्रश्न 12.
जिगुरात क्या था?
(क) एक सीढ़ीदार मीनार
(ख) कब्रगाह
(ग) मंदिर
(घ) स्नानागार
उत्तर:
(क) एक सीढ़ीदार मीनार

प्रश्न 13.
सोने की खानों में कार्य करने हेतु दास कहाँ से आते थे?
(क) एशिया से
(ख) उत्तरी अमेरिका से
(ग) दक्षिणी अमेरिका से
(घ) अफ्रीका से
उत्तर:
(घ) अफ्रीका से

प्रश्न 14.
गोल्डरश संयुक्त राज्य अमेरिका के किस राज्य से संबंधित है?
(क) ओहियो
(ख) सैनफ्रासिको
(ग) न्यूयार्क
(घ) कैलिफोर्निया
उत्तर:
(घ) कैलिफोर्निया

प्रश्न 15.
तुर्कों के द्वारा कुस्तुंतुनिया का पतन कब हुआ?
(क) 1421 ई०
(ख) 1443 ई०
(ग) 1453 ई०
(घ) 1481 ई०
उत्तर:
(ग) 1453 ई०

प्रश्न 16.
दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन-सी है?
(क) गंगा
(ख) नील
(ग) आमेजन
(घ) मिसीमिपी
उत्तर:
(ग) आमेजन

प्रश्न 17.
सूडानी सभ्यता का केन्द्र नहीं था ………………..
(क) डेन्यूब
(ख) घाना
(ग) माली
(घ) बोनू
उत्तर:
(क) डेन्यूब

प्रश्न 18.
माया पंचांग में प्रत्येक मास कितने दिन का होता था?
(क) 20 दिन
(ख) 24 दिन
(ग) 21 दिन
(घ) 22 दिन
उत्तर:
(क) 20 दिन

प्रश्न 19.
माया लोगों के पंचांग में वर्ष में कितने दिन होते थे?
(क) 365
(ख) 365.5
(ग) 367
(घ) 161
उत्तर:
(क) 365

प्रश्न 20.
पिजारो ने इंका राज्य को जीता …………………
(क) 1532
(ख) 1533
(ग) 1534
(घ) 1535
उत्तर:
(क) 1532

प्रश्न 21.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई ……………….
(क) 1600
(ख) 1603
(ग) 1604
(घ) 1605
उत्तर:
(क) 1600

प्रश्न 22.
डच इंडिया कंपनी की स्थापना हुई ………………..
(क) 1602
(ख) 1603
(ग) 1604
(घ) 1605
उत्तर:
(क) 1602

प्रश्न 23.
कोलम्बस ने क्यूबा पर हक जमाया ………………..
(क) 1492
(ख) 1493
(ग) 1494
(घ) 1495
उत्तर:
(क) 1492


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Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

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Plus One (+1) Previous Year Question Papers

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