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Tuesday, June 21, 2022

BSEB Class 11 History Nomadic Empires Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Nomadic Empires Book Answers

BSEB Class 11 History Nomadic Empires Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Nomadic Empires Book Answers
BSEB Class 11 History Nomadic Empires Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History Nomadic Empires Book Answers


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Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject History Nomadic Empires
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Bihar Board Class 11 History 5 यायावर साम्राज्य Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्वपूर्ण था?
उत्तर:
मंगोलों के लिए व्यापार निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण था –
1. स्टेपी प्रदेश की जलवायु कृषि के अनुकूल नहीं थी। मौसमों के अनुसार प्रायः अत्यधिक ठंडा और गरम होता था। भीषण लम्बी शीत ऋतु के बाद थोड़े समय के लिए शुष्क ग्रीष्म ऋतु आती थी। इसलिए वहाँ व्यापार के अलावा कृषि कार्य संभव नहीं थी।

2. पशुपालक और आखेट संग्राहक अर्थव्यवस्था में घनी आबादी का अस्तित्व संभव नहीं था। इसी कारण इन क्षेत्रों में कोई भी नगर नहीं बन सके। इसलिए उन्हें वस्तुएँ बेचने के लिए दूर जाना पड़ता था।

प्रश्न 2.
चंगेज खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है?
उत्तर:
चंगेज खान को मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवयश्कता महसूस हुई। वस्तुत: मंगोलों के विभिन्न निकायों में अविश्वसनीय रूप से अलग अलग प्रकार के लोगों का एक विशाल समूह शामिल था जिन्होंने उसकी सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार कर लिया था। इसमें पराजित लोग भी शामिल थे। चंगेज खान उन विभिन्न जनजातीय समूहों की पहचान को क्रमबद्ध रूप से मिटाना चाहता था।

प्रश्न 3.
‘यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज खान की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करता है?
उत्तर:
अनेक इतिहासकारों ने यास को चंगेज खान की ‘विधि संहिता’ कहा है। वस्तुतः चंगेज खान ने 1206 ई. में कुरिलताई’ में घोषणा की थी। उसके उन जटिल विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है जो महान खान की स्मृति को बनाए रखने के लिए उसने उत्तराधिकारियों ने प्रयुक्त की थी।

अपने प्रारम्भिक स्वरूप में यह शब्द ‘यसाक’ लिखा जाता था जिसका अर्थ ‘नियम’ ‘आदेश’ या आज्ञा था। प्राप्त अल्प विवरण से ज्ञात होता है कि ‘यासक’ का संबंध प्रशासनिक विनियमों से है। 13वीं शताब्दी के मध्य तक किसी प्रकार से मंगोलों से सम्बद्ध शब्द ‘यासा’ का प्रयोग और अधिक सामान्य अर्थ में करना शुरू कर दिया।

प्रश्न 4.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जायेंगे क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण बताएंगे कि फारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ाकर संख्या क्यों बताई है?
उत्तर:
यह सही है कि यदि इतिहास लिखित तथ्यों पर भरोसा रखता है जिसे नगरों में रहने वान साहित्यकारों ने तो यायावार समाजों के बारे में प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। वस्तुतः इन लेखकों ने यायावरों के जीवन संबंध में सूचनाएँ अत्यधिक दोषपूर्ण और पक्षापात रूप में प्रस्तुत की है।

फारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियान में मारे गये लोगों की इतनी बढ़ा संख्या चढ़ाकर निम्नलिखित कारण से बताई है –

  • इतिवृत्तकारों की सोच मंगोल के प्रति गलत थी। वे सदैव उनसे गलत कार्य विशेषरूप लूटमार और हत्या की ही आशा करते थे।
  • मारे गये लोगों की संख्या अनुमान पर आधारित है। इल्खन के फारसी इतिवृत्ताकार जुवेनी ने कहा कि मर्व में 1,300,000 लोगों का वध किया गया।
  • उसने इस संख्या का अनुमान इस प्रकार लगाया कि तेरह दिन तक 100,000 शव प्रतिदिन गिने जाते थे।

प्रश्न 5.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देंगे?
उत्तर:
मंगोल और बेदोइन समाज घुम्मकड़ समाज था। जब तक किसी स्थान पर धन, विलास की वस्तुएँ और अन्य आवश्यकता की वस्तुएँ उपलब्ध रहती, रूके रहते थे और प्रयास, लूट और हत्या की द्वारा इन्हें प्राप्त करते थे। वस्तुत: स्टेपी-प्रदेशों में स्रोतों की कमी के कारण मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को व्यापार और वस्तुओं के विनिमय के लिए इन अभ्रमणशील चीन बासियों के पास जाना पड़ता था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी।

यायावर कबीले खेती के प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का विनिमय करते थे। उन्हें व्यापारिक क्रियाकलापों में काफी तनाव का सामना करना पड़ता था, क्योंकि दोनों पक्ष अधिक लाभ प्राप्त करने को होड़ में बेधड़क सैनिक कार्यवाही भी कर बैठते थे। कभी-कभी यायावर व्यापारिक शर्तो को नकार कर तत्काल लूटपाट करने लगते थे। उनकी इन प्रवृत्तियों के कारण सीमा युद्धों ने यायावर समाज को कमजोर बना दिया।

इससे कृषि कार्य में बाधा उत्पन्न हुई और नगर लूटे गये। दूसरी और यायावर, लूटपाटकर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे जिससे उन्हें बहुत कम हानि होती थी। यायावरी समाज का यह कार्य ऐतिहासिक अनुभव से भिन्न नहीं है। इससे पूर्व प्राचीन काल में हुण भी यही कार्य करते थे।

प्रश्न 6.
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित “पैक्स मंगोलिका” का निम्नलिखित विवरण उसके चरित्र को किस तरह उजागर करता है? फ्रेन्सिसकन मठवासी, रूबुक के विलियम को फ्रांस के सम्राट लुई IX ने राजदूत बनाकर महान खान के दरबार में भेजा। वह 1254 ई. में मोन्के की राजधानी कराकोरम पहुँचा और वहाँ वह लोरेन फ्रांस की एक महिला पेक्विटे के सम्पर्क में आया। जिसे हंगरी से लाया गया था। यह महिला राजकुमार की पलियों में से एक पत्नी की सेवा में नियुक्त थी जो लेक्टोरियन इसाई थी। वह दरबार में एक पारिशियन स्वर्णकार गुलौम बाउचर के संपर्क में आया, “जिसका भाई पेरिस के ‘ओल्ड पोल्ट’ में रहता था।” इस व्यक्ति को सर्वप्रथम रानी सोरधाक्तानी ने और उसके उपरांत मोन्के के छोटे भाई ने अपने पास नौकरी में रखा। रूबुक ने यह देखा कि विशाल दरबारी उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरिन को उनके चिट्ठों के साथ तथा इसके उपरांत मुसलमान, बौद्ध और ताओ पुजारिन को महान खान को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता था –
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित “पैक्स मंगोलिया” (मंगोल शांति) का उपरोक्त विवरण उसकी धर्म सहिष्णुता को दर्शाता है। मंगोल राजदरबार में किसी प्रकार का जातीय भेदभाव नहीं था और विभिन्न देशों के निवासी राजदरबार में कार्य करते थे। जहाँ फ्रांस और हंगरी से सम्बद्ध थी, ईसाई थी। पर्सियन स्वर्णकार गुलौम बाउचर का भी देश अलग था। राजदरबार में शासक सभी धर्मों का आदर करता था, इसीलिए उसने ईसाई, इस्लाम, बौद्ध और ताओ धर्म के अनुयायियों को आशिर्वाद दिया। सहिष्णुता इस बात से भी झलकती है। विभिन्न धर्मों के साहित्यकार मंगोल शासकों के दरबार की शोभा बढ़ाते रहे।

Bihar Board Class 11 History यायावर साम्राज्य Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चंगेज खान कौन था? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया में हुआ था । उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था। उसका पिता येसुजेई कियात कबीले का मुखिया था।

प्रश्न 2.
अपने शत्रुओं को पराजित करने के बाद तेमुजिन को किस प्रकार सम्मानित किया गया?
उत्तर:
1206 ई. तक तेमुजिन ने अपने शत्रुओं को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया था। अतः मंगोल कबीले के सरदार ने उसे चंगेजखान, ‘समुद्री खान’ अथवा ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधि प्रदान की। उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।

प्रश्न 3.
चंगेज खान के चीन अभियान से पहले चीन कौन-कौन से तीन राज्यों में विभक्त था?
उत्तर:

  • उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में तिब्बती मूल के सी-सिआ लोगों का राज्य।
  • जरचेन लोगों का चिन राजवंश जिसका पेकिंग से उत्तरी चीन के क्षेत्र पर शासन था।
  • शुंग राजवंश जिसका दक्षिणी चीन पर अधिकार था।

प्रश्न 4.
चंगेज खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर:
निशापुर के घेरे के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई थी। इसी कारण चंगेज खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश दिया।

प्रश्न 5.
चंगेज खान द्वारा निशापुर को ध्वस्त कर देने के आदेश में क्या कहा गया था?
उत्तर:
इस आदेश में यह कहा गया था, “नगर का इस तरह विध्वंस किया जाए कि संपूर्ण नगर में हल चलाया जा सके। ऐसा संहार किया जाए कि बिल्ली और कुत्तों को भी जीवित न रहने दिया जाए।”

प्रश्न 6.
चंगेज खान सिंधु नदी से मंगोलिया असम मार्ग होकर वापस लौटना चाहता था परंतु उसे अपना विचार क्यों बदलना पड़ा?
उत्तर:
चंगेज खान को निम्नलिखित कारणों से अपना विचार बदलना पड़ा।

  • गर्मी बहुत अधिक थी।
  • प्राकृतिक आवास में कठिनाइयाँ थीं।
  • उसके शमन (पैगम्बर) ने कुछ अशुभ संकेत दिए थे।

प्रश्न 7.
चंगेज खान की सैनिक सफलताओं में सहायक कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:

  • मंगोलों तथा तुर्की की कुशल घुड़सवारी ने उसकी सेना को गति प्रदान की थी।
  • उनका घोड़े पर सवार होकर तीरंदाजी का कौशल अद्भुत था।

प्रश्न 8.
1260 के दशक के बाद मंगोल राजनीति में नई प्रवृत्तियों के उदय के क्या कारण थे?
उत्तर:

  • मंगोल हंगरी के स्टेपी क्षेत्र से पीछे हट गए थे।
  • मंगोल सेनाओं को मिस्र की सेनाओं ने पराजित कर दिया था।

प्रश्न 9.
मंगोल सेनाओं को मिस्र के हाथों पराजित क्यों होना पड़ा?
उत्तर:
मंगोल शासक चीन में अधिक रुचि लेने लगे थे। अतः उन्होंने अपनी सेनाओं को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज दिया । मिस में केवल एक छोटी सी सेना ही भेजी जा सकी। परिणामस्वरूप मंगोलों को पराजय का मुँह देखना पड़ा।

प्रश्न 10.
मंगोल (चंगेज खान की) सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप कैसे धारण किया?
उत्तर:
मंगोल जनजातियों के एकीकरण तथा विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज खान की सेना में अनेक नए सैनिक शामिल हो गए। ये सैनिक विविध जातियों से संबंध रखते थे। इस प्रकार मंगोल सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप धारण कर लिया।

प्रश्न 11.
‘बर्बर’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘बर्बर’ शब्द यूनानी भाषा के शब्द ‘बारबरोस’ शब्द से निकला है जिसका तात्पर्य गैर-यूनानी लोगों से है। यूनानियों को इनकी भाषा एक बेतरतीब शोर ‘बरबर’ के समान लगती थी।

प्रश्न 12.
मोंके कौन था? उसने फ्रांस के शासक लुई नौवाँ को क्या चेतावनी दी थी?
उत्तर:
मोंके चंगेज खान का पोता था। उसने फ्रांस के शासक लुई नौवें को यह चेतावनी दी थी कि वह मंगोलों पर आक्रमण करने का साहस न करे।

प्रश्न 13.
चंगेज खान के पोते बाटू के 1236-1241 ई. के सैनिक अभियानों की दो सफलताएँ बताओ।
उत्तर:

  • बाटू ने रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला।
  • वह पोलैंड तथा हंगरी पर विजय प्राप्त करके वियना तक जा पहुंचा।

प्रश्न 14.
मंगोल कौन थे?
उत्तर:
मंगोल विविध यायावर लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व के तातार, खितान तथा मंचू लोगों से संबंधित थे। ये पशुपालक तथा शिकार संग्रहक थे। पश्चिम में इनका संबंध तुर्क कबीलों से था। .

प्रश्न 15.
मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया?
उत्तर:
मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया। उनकी पशुपालक तथा शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थीं इसलिए स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर नहीं उभर पाया।

प्रश्न 16.
धनी मंगोल परिवारों के अनेक अनुयायी होते थे। क्यों?
उत्तर:
धनी मंगोल परिवारों के पास अधिक संख्या में पशु तथा विशाल चारण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसी कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे।

प्रश्न 17.
मंगोल कबीलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पड़ता था?
उत्तर:
शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती थी। वर्षा न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

प्रश्न 18.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि चंगेज खान द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी थी।
उत्तर:

  • चंगेज खान द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था उसकी मृत्यु के बाद भी जीवित रही।
  • यह व्यवस्था चीन, ईरान तथा पूर्वी यूरोप के देशों की उन्नत शस्त्रों से लैस विशाल सेनाओं का सामना करने में सक्षम थी।

प्रश्न 19.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की कमी थी। इसी कारण मंगोलों के लिए व्यापार महत्त्वपूर्ण था।

प्रश्न 20.
वाणिज्यिक क्रियाकलापों (व्यापार के मामलों) में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था?
उत्तर:
कभी – कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक कार्यवाही पर उतर आते थे। इसी कारण तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।

प्रश्न 21.
चीन के साथ मंगोलों के व्यापार की मुख्य मदें (वस्तुएँ) बताएँ।
उत्तर:
मंगोल चीन से कृषि उत्पाद तथा लोहे के उपकरण लाते थे। बदले में वे चीनी लोगों को शिकार किए गए पशु, घोड़े तथा फर देते थे।

प्रश्न 22.
‘चीन की महान् दीवार’ क्यों बनवाई गई?
उत्तर:
यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते थे और नगरों को लूट लेते थे। उनके आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए महान दीवार बनाई गई।

प्रश्न 23.
क्या कारण था कि 13वीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे?
उत्तर:
स्टेपी के खानाबदोश गिरोहों ने चंगेज खान के अधीन नगरों को बुरी तरह लूटा था और उन्हें ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने अनेक नगरवासियों की निर्मम हत्याएं भी की थीं। इसी कारण चीन, ईरान तथा पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे।

प्रश्न 24.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज खान की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंध को उजागर करता है?
उत्तर:
परवर्ती मंगोलों ने यास को चंगेज खान की विधि संहिता कह कर पुकारा । इसका अर्थ यह था कि वे स्वयं का विधान लागू करना चाहते थे। यही बात चंगेज खान की स्मृति (विधान) के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करती है।

प्रश्न 25.
आज मंगोलिया में चंगेज खान का क्या स्थान दिया जाता है?
उत्तर:
आज मंगोलिया में चंगेज खान को महान् राष्ट्र नायक का स्थान दिया जाता है और उसका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है। वह मंगोलों के लिए एक आराध्य व्यक्ति है।

प्रश्न 26.
चंगेज खान के वंशजों का पृथक्-पृथक् समूहों में बँट जाने का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
चंगेज खान के वंशजों के पृथक्-पृथक् समूहों में बँटने से उनकी अपने पुराने परिवार से जुड़ी स्मृतियाँ तथा परंपराएँ बदल गईं।

प्रश्न 27.
मंगोलों द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासक कभी-कभी खानों की नीति को भी प्रभावित करने में सफल हो जाते थे। इस संबंध में दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • 1230 के दशक में चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई ने मंगोल शासक ओगोदेई की लूटमार करने की प्रवृत्ति को बदल दिया था।
  • गजनखान के लिए उसके वजीर रशीदुद्दीन ने एक भाषण लिखा था। इस भाषण द्वारा खान को किसानों को सताने की बजाय उनकी रक्षा करने की बात कही थी।

प्रश्न 28.
मंगोल द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भर्ती का क्या महत्त्व था?
उत्तर:

  • मंगोलों द्वारा विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भर्ती से दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता मिली।
  • इनके प्रशिक्षण से साम्राज्य के स्थानबद्ध लोगों की खानाबदोशों द्वारा होने वाली लूटमार में भी कमी आई।

प्रश्न 29.
कुबकुर (qubcur) नामक कर क्या था?
उत्तर:
चंगेज खान ने एक हरकारा संचार प्रणाली आरंभ की थी। इसके लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे इसे कुबकुर कर कहते थे।

प्रश्न 30.
विजित लोगों को अपने नये यायावर शासकों से कोई लगाव नहीं था। इसके लिए उत्तरदायी कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:

  • नव विजित क्षेत्रों के अनेक नगर नष्ट कर दिये गए थे।
  • कृषि – भूमि को क्षति पहुंची थी।
  • व्यापार चौपट हो गया था।
  • दस्तकारियाँ अस्त-व्यस्त हो गई थीं।

प्रश्न 31.
यायावरों द्वारा नव विजित प्रदेशों में भारी पारिस्थितिक विनाश क्यों हुआ?
उत्तर:
यायावर आक्रमणों से अस्थिरता फैली। इस कारण ईरान के शुष्क पठार में भूमिगत नहरों का मरम्मत कार्य नियमित रूप से न हो सका। परिणामस्वरूप मरुस्थल का विस्तार होने लगा जिससे भारी पारिस्थितिक विनाश हुआ।

प्रश्न 32.
मंगोलों के सैनिक अभियानों में विराम आने का व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मंगालों के सैनिक अभियानों में विराम आने के पश्चात् यूरोप और चीन के भू-भाग आपसी संपर्क में आए । फलस्वरूप दोनों भागों के व्यापारिक संबंध गहरे हो गए। मंगोलों की देखरेख में रेशम मार्ग का व्यापार अपने शिखर पर पहुंच गया।

प्रश्न 33.
अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए मंगोलों ने क्या व्यवस्था की हई थी? इसने मंगोल सत्त को किस प्रकार मजबूत बनाया ?
उत्तर:
मंगोल अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास देते थे। इसके लिए व्यापारी (यात्री) टैक्स देते थे और मंगोल चंगेज खान तथा उनके उतराधिकारियों की सत्ता को समर्थन देते थे। इससे मंगोल सत्ता मजबूत बनी।

प्रश्न 34.
चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को कौन-कौन से दो चरण में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को निम्नलिखित दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है।

  • पहला चरण 1236 – 1242 तक का था। इस दौरान मंगोलों ने रूस के स्टेपी-क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैंड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की।
  • दूसरा चरण 1255 – 1300 तक रहा। इसमें मंगोलों ने समस्त चीन, ईरान, ईराक तथा सीरिया पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 35.
चार उलुस (Ulus) का गठन कैसे हुआ?
उत्तर:
उलुस से अभिप्राय है साम्राज्य सीमा। अपनी नई व्यवस्था में चंगेज खान ने नव-विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इस प्रकार चार उलुस का गठन हुआ।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चंगेज खान की सेना विविध जातियों का मिश्रण थी। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों तथा अन्य यायावर समाजों में सभी स्वस्थ वयस्कों के लिए शस्त्र धारण करना अनिवार्य था। आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना तैयार की जाती थी। विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण और विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज खान की सेना में कई नए सदस्य शामिल हो गए। ये सैनिक विविध जातियों से संबंध रखते थे। इससे छोटी-सी मंगोल सेना एक विशाल संगठन में परिवर्तित हो गई।

इसमें मंगोल सत्ता को स्वेच्छता से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगूर समुदाय के लोग भी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त इसमें केराइट सम्मिलित थे, जिन्हें अपनी पुरानी शत्रुता के बावजूद महासंघ में शामिल कर लिया गया था।

प्रश्न 2.
चंगेज द्वारा अपनाई गई संचार प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
चंगेज खान ने एक फुर्तीली संचार (हरकारा) पद्धति अपना रखी थी जिससे राज्य के दूर स्थित स्थानों में आपसी संपर्क बना रहता था। अपेक्षित दूरी पर सैनिक चौकियाँ बनाई गई थों। इन चौकियों में स्वस्थ एवं शक्तिशाली घोड़े तथा घुड़सवार तैनात रहते थे। ये घुड़सवार संदेशवाहक का काम करते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों अथवा पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे।

इसे ‘कुबकुर’ कर कहते थे। यायावर लोग यह कर अपनी इच्छा से प्रदान करते थे। इससे उन्हें अनेक लाभ प्राप्त होते थे। चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् इस हरकारा पद्धति (याम) में और भी सुधार लाये गये। इस पद्धति से महान् खानों को अपने विस्तृत साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं पर निगरानी रखने में सहायता मिलती थी।

प्रश्न 3.
मंगोल वंश का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मंगोल वंश का संस्थापक चंगेज खान था। उसके अनेक बच्चे थे। परंतु उसके वंश को उसकी पटरानी बोरटे के गर्भ से पैदा हुए उसके चार पुत्रों ने आगे बढ़ाया। इनके नाम थे-जोची, चघताई, ओगोदाई तथा तोलोए। चंगेज खान का सबसे बड़ा पुत्र जोची था। उसके पास अपार शक्ति थी। परंतु उसके यहाँ कोई शरवीर पैदा नहीं हुआ। जोची के पुत्र बातू ने ओगोदेई के वंश को समर्थन देने से इंकार कर दिया। अतः शक्ति तोलोए परिवार के हाथों में आ गई। इस बात ने मोंके र कुबलई के लिए सत्ता के द्वार खोल दिए।

प्रश्न 4.
मंगोलों के सैन्य अभियानों में विराम आने का राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मंगोलों के सैन्य अभियानों में विराम आने के पश्चात् यूरोप और चीन के भू-भाग आपसी संपर्क में आए। मंगोल विजय (Pax Mongolica) के कारण आई शांति से दोनों भू-भागों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हुए। मंगोलों की देख-रेख में रेशम मार्ग (Silknoute) पर व्यापार अपने शिखर पर पहुँच गया। अब व्यापारिक मार्ग चीन में ही समाप्त नहीं हो जाते थे। अब व्यापार मार्ग उत्तर की ओर मंगोलिया तथा नए साम्राज्य के केंद्र कराकोरम तक पहुँच गए।

मंगोल शासन में मेल-जोल बनाए रखने के लिए संचार तथा व्यापारियों एवं यात्रियों के लिए यात्रा को सुलभ बनाना आवश्यक था। सुरक्षित यात्रा के लिएण्यात्रियों को पास जारी किए जाते थे। इन्हें फारसी में फैजा तथा मंगोल भाषा में जेरेज कहते थे। इस सुविधा के लिए व्यापारी ‘बाज’ नामक कर अदा करते थे। इसका तात्पर्य यह था कि वे मंगोल शासक की सत्ता को स्वीकार करते हैं।

प्रश्न 5.
तेरहवीं शताब्दी में यायावरों तथा स्थायी समुदायों के बीच विरोध कम होने से कृषि को किस प्रकार बढ़ावा मिला? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों और स्थायी समुदायों के बीच विरोध कम होने लगा। इससे कृषि को बहुत बढ़ावा मिला। उदाहरण के लिए 1230 के दशक में जब मंगोलों ने उत्तरी चीन के चिन वंश के विरुद्ध युद्ध में सफलता प्राप्त की तब मंगोल नेताओं के एक क्रुद्ध वर्ग ने यह विचार रखा कि वहाँ के सभी कृषकों को मौत के घाट उतार दिया जाए और उनकी कृषि-भूमि को चरागाह में बदल दिया जाए।

परंतु 1270 के दशक में शुंग वंश की पराजय के बाद जब दक्षिण चीन को मंगोल साम्राज्य में मिला लिया गया, तब चंगेज खान का पोता कुलबई खान कृषकों और नगरों के रक्षक के रूप में सामने आया। इसी प्रकार 1290 के दशक में मंगोल शासक गजन खान ने अपने परिवार के सदस्यों तथा संनापतियों को आदेश दिया कि वे कृषकों को न लूटें। एक बार अपने भाषण के दौरान उसने कहा था कि कृषकों को परेशान करने से राज्य में स्थायित्व और समृद्धि नहीं आती।

प्रश्न 6.
मंगोल प्रशासन में विजित राज्यों के नागरिक प्रशासकों की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों ने चंगेज खान के शासनकाल से ही विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भी करना आरंभ कर दिया था। इन्हें कभी-कभी एक स्थान से दूसरे पर भी भेज दिया जाता था। इस तरह इन्होंने दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में भी सहायता की। इससे खानाबदोश द्वारा जनजीवन पर होने वाली स्थानबद्ध लूटमार में भी कमी आई। मंगो का इन प्रशासकों पर तब तक विश्वास बना रहता था, जब तक वे अपने स्वामियों के लिए कर एकत्रित करते रहते थे।

इनमें से कुछ प्रशासक काफी प्रभावशाली थे। कभी-कभी वे खानों की नीति को भी प्रभावित करने में सफल हो जाते थे। उदाहरण के लिए 1230 के दशक में चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई ने ओगोदेई की लूटने की प्रवृत्ति को बदल दिया था। जुवैनी परिवार ने भी ईरान में इसी तरह की भूमिका निभाई। इसी प्रकार गजन खान के लिए वह भाषण वजीर रशीदद्दीन ने तैयार किया था, जिसमें उसने कृषक-वर्ग को सताने की बजाय उनकी रक्षा करने की बात कती थी।

प्रश्न 7.
13वीं शताब्दी में चंगेज खान के वंशजों का अलग-अलग वंश समूहों में विभाजन किस प्रकार हुआ? यह किस बात का संकेत था?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक भाइयों द्वारा पिता के धन का मिल-बाँटकर उपयोग करने का स्थान व्यक्तिगत राजवंश स्थापित करने की भावना ने ले लिया। प्रत्येक राजवंश का – अपने-अपने क्षेत्रीय राज्य (उलुस) पर स्वामित्व होता था। इसी के परिणामस्वरूप चंगेज खान के वंशजों के बीच महान् पर तथा उत्कृष्ट चरागाही भूमि पाने के लिए होड़ लगी रहती थी। फलस्वरूप उनका अलग-अलग वंशों में विभाजन हो गया।

  • चंगेज खान के वेशज चीन और ईरान दोनों पर शासन करने के लिए आगे आए। टोलुई के वंशजों ने युआन और इल-खानी वंशों की स्थापना की।
  • जोची ने ‘सुनहरा गिरोह’ का गठन किया और रूस में स्टेपी-क्षेत्रों पर शासन किया।

प्रश्न 8.
मंगोल परिसंघ किस प्रकृति के होते थे? अंटीला तथा चंगेज खान द्वारा बनाए गए परिसंघों में क्या समानता तथा क्या असमानता थी?
उत्तर:
मंगोल परिसंघ प्राय: बहुत छोटे और अल्पकालिक होते थे। चंगेज खान ने मंगोल और तुर्की कबीलों को मिलाकर एक परिसंघ बनाया। आकार में यह परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के अंटीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर ही था। परंतु अंटीला के बनाए परिसंघ के विपरीत चंगेज खान के परिसंघ की व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी सिद्ध हुयी। परिसंघ व्यवस्था इतनी सशक्त थी कि यह चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से लैस विशाल, सेनाओं का सामना करने में भी सक्षम थी।

यही कारण था कि मंगोल इन क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित करने में सफल रहे। उन्होंने जटिल कृषि-अर्थव्यवस्थाओं तथा स्थानबद्ध समाजों का भी बड़ी कुशलता से संचालन किया। एक बात और चंगेज खान द्वारा स्थापित परिसंघा उसकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहा।

प्रश्न 9.
चंगेज खान के अधीन मंगोलों की सैनिक सफलताओं में किन कारकों ने सहायता पहुँचाई?
उत्तर:
चंगेज खान के अधीन मंगोलों की सफलता में मुख्य रूप से निम्नलिखित कारकों ने सहायता पहुंचाई –

  • मंगोलों और तुकों के घुड़सवारी कौशल ने उन्की सेना को गति प्रदान की।
  • घोड़े पर सवार होकर मंगोल सैनिकों का तीरंदाजी का कौशल अद्भुत था। यह कौशल जंगलों में पशओं का शिकार करते समय प्राप्त किया था।
  • उनकी इस तीरदाजी ने उनकी सैनिक गति को और अधिक तेज कर दिया।
  • सैनिकों को अपने आसपास के भू-भागों तथा मौसम की जानकारी हो गई थी। इस बात ने सेना को अतिरिक्त क्षमता प्रदान की।
  • अत: उन्होंने प्रचंड शीत ऋतु में युद्ध अभियान प्रारंभ किए तथा शत्रु के नगरों एवं शिविरों में प्रवेश करने के लिए बर्फ से जमी हुई नदियों का राजमार्गों की तरह प्रयोग किया।
  • यायावर लोग यूं तो किलेबंद शिविरों तक पहुँचने में सक्षम नहीं थे; परंतु चंगेज खान। ने घेराबंदी की नीति अपनाकर इस कार्य को सरल बना दिया।
  • चंगेज खान के इंजीनियरों ने हलके चल-उपस्करों का निर्माण किया। ये उपस्कर शत्रु के लिए घातक सिद्ध हुए।

प्रश्न 10.
मंगोल किम क्षेत्र के निवासी थे। इस क्षेत्र का परिदृश्य कैसा था?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के निवासी थे। यह प्रदेश आज के आधुनिक मंगोलिया राज्य का भू-भाग था। उस समय इस क्षेत्र का परिदृश्य आज जैसा ही मनोरम था। यह प्रदेश लहरदार मैदानों से घिरा था। इसके पश्चिमी भाग में अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियाँ। थी, जबकि दक्षिणी भाग में गोबी का शुष्क मरुस्थल फैला था। इसके उत्तर और पश्चिम के। क्षेत्र का ओनोन एवं सेलेंगा नदियाँ और बर्फीली पहाड़ियों से निकले सैकड़ों झरने सींचते थे।

पशुपालन के लिए यहाँ पर हरी-भरी घास के मैदान थे। अनुकूल ऋतुओं में यहाँ प्रचुर मात्रा में। छोटे-मोटे शिकार उपलब्ध हो जाते थे। स्टेपी क्षेत्र में तापमान सारा साल लगभग एक समान रहता था। शीत ऋतु के कठोर और लंबे मौसम के बाद छोटी एवं शुष्क गर्मियों की अवधि आती थी। चारण क्षेत्र में साल की कुछ सीमित अवधियों में ही कृषि करना संभव था।

प्रश्न 11.
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  • मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधों के कारण आपस में जुड़े हुए थे। परंतु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अभावों के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था।
  • धनी-परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी होते थे।
  • समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक पदाओं जैसे कि भीषण शात-ऋतु के दौरान उनके द्वारा एकत्रित शिकार-सामग्रियाँ तथा अन्य
  • गद्य भंडार समाप्त हो जाते थे। वर्षा न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए न्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।मंगोल कबीलों में आपसी संघर्ष में ता था। पशुधन प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते थे।
  • प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण रने अथवा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली जों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ ना लेते थे।

प्रश्न 12.
मंगोल कौन-कौन थे? नके जन-जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मंगोल विविध यायावरी लोर का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान र मंचू लोगों से संबंधित थे। पश्चि में इनका संबंध भाषागत समानता होने के कारण तुर्की बीलों से था। कुछ मंगोल पशुपालक और कुछ शिकार-संग्राहक थे। पशुपालक भेड़-बकरियाँ, आदि पशु पालते थे।

शिकारी – संग्राहक लोग, पशुपा क कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरिया के वनों मंहले थे। वे पशुपालक लोगों की अपेक्षा अधिक गरीब थे। अपना जीवन-निर्वाह ग्रीष्म काल में गए जानवरों की खाल के पापार से करते थे। मंगोल तंबुओं और जर में निवास करते थे। मामयों में वे अपने पशुधन के ‘राथ शीतकालीन निवास स्थल से ग्रीष्मकालीन चारण-भूमि की ओर चले जाते थे।

प्रश्न 13.
मंगोल साम्राज्य को चंगेज खान की क्या देन थी?
उत्तर:
देखने में ऐसा लगता है कि चंगेज खान एक हत्यारा और लुटेरा था जिसने नगरों को ध्वस्त किया और हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसलिए तेरहवीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी चंगेज खान के लूटेरे गिराहों को भय तथा घृणा की दृष्टि से देखते थे। परंतु मंगोलों के लिए चंगेज खान अब तक का सबस महान् शासक था।

उसने मंगोलों को संगठित किया और लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाईयों तथा चीनियों द्वारा शोषण से मुक्ति दिलवाई। उसने एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य स्थापित किया और व्यापार मार्गों और बाजारों को नया जीवन दिया। फलस्वरूप मंगोल सड बने।

प्रश्न 14.
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद क्यों नहीं करते थे? इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद नहीं करते थे। इस कई कारण थे –

  • तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों में अनेक नगर नष्ट कर दिए गए थे।
  • कृषि भूमि को भारी हानि पहुंची थी।
  • व्यापार चौपट हो गया था तथा दस्तकारी अस्त-व्यस्त हो गई थी।
  • इन युद्धों में हजारों लोग मारे गए थे और इससे भी अधिक लोग दास बना लिए गए थे।
  • अत: संभ्रांत लोगों से लेकर कृषक-वर्ग तक सभी लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा।

परिणाम – इससे राज्य में अस्थिरता के कारण ईरान के शुष्क पठार में भूमिगत नहरों का मरम्मत कार्य नियमित रूप से न हो सका । नहरों की मरम्मत न होने से मरुस्थल का विस्तार होने लगा, जिससे भारी पारिस्थितिक विनाश हुआ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चार ‘उलुस’ का गठन किस प्रकार हुआ? इन ‘उलुस’ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
चंगेज खन ने नव-विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे चार ‘उलुस’ का गठन हुआ। उलुस से अभिप्राय साम्राज्य की सीमा से था। दूसरी ओर चंगेज खान अभी भी निरंतर विजयों और साम्राज्य को अधिक-से-अधिक बढ़ाने में व्यस्त था। इसलिए साम्राज्य की सीमाएं लगातार बदलती रहती थीं।

चार उलस –

  • चंगेज खान के सबसे बड़े पुत्र जोची को रूसी स्टेपी-क्षेत्र प्राप्त हुआ। परंतु इसकी दूरस्थ सीमा निश्चित नहीं थौं। इसका विस्तार सुदूर पश्चिम तक था।
  • उसके दूसरे पुत्र चघताई को तरान का स्टेपी-क्षेत्र तथा पामीर पर्वत का उत्तरी क्षेत्र मिला जो उसके भाई के प्रदेश के साथ लगता था। संभवतः जैसे-जैसे वह पश्चिम की ओर बढ़ता गया होगा, वैसे-वैसे उसका अधिकार क्षेत्र भी बढ़ता गया होगा।
  • चंगेज खान ने संकेत दिया था कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदोई उसका उत्तराधिकारी होगा और उसे महान् खान की उपाधि दी जाएगी। ओगोदोई ने अपने राज्याभिषेक के बाद अपनी राजधानी कराकोरम में स्थापित की।
  • चंगेज खान के सबसे छोटे पुत्र तोलोए को अपनी पैतृक भूमि मंगोलिया प्राप्त हुई।
  • चंगेज खान का विचार था कि उसके पुत्र आपस में मिल कर साम्राज्य का शासन सम्भालेंगे। इसलिए उसने विभिन्न राजकुमारों के लिए
  • अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) निर्धारित कर दी। ये सैनिक टुकड़ियाँ प्रत्येक ‘उलुस’ में तैनात रहती थीं। राज्य में परिवार के सदस्यों की भागीदारी का आभास सरदारों की परिषद् में होता था।
  • इस परिषद् में परिवार या राज्य के भविष्य, अभियानों, लूट के माल के बँटवारे, चरागाह भूमि और उत्तराधिकारी आदि से संबंधित निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते थे।

प्रश्न 2.
13वीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य की क्या स्थिति थी? इसमें यास की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोलों ने एक एकीकृत जनसमूह का रूप धारण कर लिया था। उन्होंने एक बहुत विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। उन्होंने अति जटिल शहरी समाजों पर शासन किया जिनके अपने-अपने इतिहास, संस्कृतियाँ और नियम थे। भले ही मंगोलों का अपने साम्राज्य पर राजनैतिक प्रभुत्व था, फिर भी संख्या की दृष्टि से वे अल्पसंख्यक ही थे। वे अपनी पहचान और विशिष्टता की रक्षा केवल उसी पवित्र नियम (यास) द्वारा कर सकते थे, जो उन्हें अपने पूर्वजों से प्राप्त हुआ था।

इस बात की पूरी संभावना है कि यास मंगोल जनजाति की ही प्रधागत परंपराओं का एक संकलन था। परंतु उसे चंगेज खान की विधि-संहिता कहकर मंगोलों ने स्वयं के विधान-निर्माता (कानून बनाने वाले) होने का ही दावा किया। इसका अर्थ था। इसका कारण यह था कि दोनों पक्ष अधिक लाभ प्राप्त करने की होड़ में एक-दूसरे के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही पर उतर आते थे।

चीन की अर्थव्यवस्था तथा राजनीति पर प्रभाव-जब मंगोल कबीलों के लोगों के साथ मिलकर व्यापार करते थे, तो वे चीनी लोगों को व्यापार में बेहतर शर्ते रखने के लिए विवश कर देते थे। कभी-कभी ये लोग व्यापारिक संबंधों की उपेक्षा करके लूटपाट भी करने लगते थे। मंगोलों का जीवन अस्त-व्यस्त होने पर स्थिति चीनियों के पक्ष में हो जाती थी। ऐसी स्थिति में चीनी लोग स्टेपी-क्षेत्र में अपने प्रभाव का प्रयोग बड़े आत्मविश्वास से करते थे।

इन सीमावर्ती झड़पों से चीन का स्थायी कमजोर पड़ने लगा। कृषि अव्यवस्थित हो गई और चीनी नगरों को लूट लिया गया। दूसरी ओर यायावर कबीले लूटमार करके दूर भाग जाते थे जिससे उन्हें बहुत कम क्षति पहुँचती थी। इसके विपरीत चीन को इन यायावरों से बहत अधिक क्षति पहुँची । अतः शताब्दी ई. पू. से इस किलेबंदियों का एकीकरण करके एक विशाल रक्षात्मक ढाँचा तैयार किया गया। यह ढाँचा ‘चीन की महान् दीवार’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3.
चंगेज खान के बाद मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
1227 ई. में चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है –
1. पहला चरण 1236 – 1242 तक था। इसके दौरान मंगोलों ने रूस के स्टेपी-क्षेत्र, बलवार, कीव, पोलैंड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की।

2. दूसरा चरण 1255 – 1300 तक रहा। इसमें मंगोलों ने समस्त चीन, ईरान, ईराक तथा सीरिया पर विजय प्राप्त की। इन दोनों चरणों में मंगोल शासकों की राजनीतिक गतिविधियों का वर्णन इस प्रकार हैं

1230 ई. के बाद के दशकों में मंगोल सेनाओं को बहुत ही कम प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। परंतु 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों के आवेश को जारी न रखा जा सका तथा उसमें शिथिलता आ गयी। यद्यपि वियना और उससे आगे पश्चिमी यूरोप एवं मिय, मंगोल सेनाओं के अधिकार में ही रहे, तथापि उन्हें हंगरी के स्टेपी-क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा और मिस्र की सेनाओं के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा इससे मंगोल राजनीति में नई प्रवृत्तियों का उदय हुआ। इस प्रवृत्ति के दो पहलू थे।

1. पहला था – मंगोल परिवार में उत्तराधिकर को लेकर आंतरिक राजनीति जिसमें जोची और ओगोदोई के उत्तराधिकारी ‘महान खान’ के राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए एकजुट हो गए। वे यूरोप में आभयान जारी रखने की अपेक्षा अपने राजनीतिक हितों की रक्षा करने में जुट गए।

2. दूसरी स्थिति तब उत्पन्न हुई जब चंगेज खान के वंश की तोलयिद शाखा के उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर बना दिया। चंगेज खान के सबसे छोटे पुत्र तोलुई के एक वंशज मोंके के राज्याभिषेक के बाद तोलुइयों ने 1250 के दशक में ईरान के विरुद्ध शक्तिशाली अभियान किए। परंतु 1260 के दशक में तोलई के वंशज चीन विजय में रुचि लेने लगे। इसलिए सैनिकों तथा रसद-सामग्री को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज दिया गया।

परिणामस्वरूप मिस्र की सेना का सामना करने के लिए केवल एक छोटी-सी सैनिक टुकड़ी को ही भेजा जा सका जिसके कारण मंगोलों को पराजय का मुंह देखना पड़ा। इस पराजय और तोलुई परिवार की चीन के प्रति निरंतर बढ़ती रुचि के कारण उनका पश्चिम की ओर विस्तार चलीं। परंतु चंगेज खान अपने अभियानों की प्रगति से पूरी तरह संतुष्ट था। इसलिए वह उस क्षेत्र के सैनिक मामले अपने अनुयायियों की देख-रेख में छोड़ 1216 में अपनी मातृभूमि मंगोलिया लौट आया।

रुक गया। इसी दौरान रूस और चीन की सीमा पर जोची और तोलूई वंशजों के अंदरूनी झगड़ों ने जोची वंशजों का उनके संभावित यूरोपीय अभियानों से ध्यान हटा दिया। पश्चिम में मंगोलों का विस्तार रुक जाने पर भी चीन में उनके अभियान में कोई बाधा न पड़ी। अत: उन्होंने चीन को एकीकृत किया।

प्रश्न 6.
चंगेज खान कौन था? वह मंगोलों का महानायक कैसे बना?
उत्तर:
चंगेज खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई (Yesugei) था जो कियात कबीले का मुखिया था। उसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी। अत: उसकी माता ओलुन-इकेले ने तेमुजिन और उसके सगे तथा सौतेले भाइयों का लालन-पालन बड़ी कठिनाई से किया। 1170 के दशक में तेमुजिन का अपहरण कर उसे दास बना लिया गया।

उसकी पत्नी बोरटे (Borte) का भी अपहरण कर लिया गया। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई लड़नी पड़ी। विपत्ति के इन वर्षों में भी वह अनेक मित्र बनाने में सफल रहा। नवयुवक बोघरचू उसका पहला मित्र था। उसने सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में तेमुजिन का साथ दिया। तेमुजिन का सगा भाई जमूका उसका एक अन्य विश्वसनीय मित्र था। तेजिन ने अपने पिता के वृद्ध भाई तुगरिल उर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों को पुनः जीवित किया। वह कैराईट लोगों का शासक था।

चंगेज खान महानायक बनने की राह पर-तेमूजिन का साग भई जमूका बाद में उसका शत्रु बन गया। 1180 और 1190 के दशकों में तेमुजिन ने ऑग खान की सहायता से जमूका जैसे शक्तिशाली प्रतिद्वनि यों को परास्त किया । जमूका को पराजित करने के बाद तेमुजिन का आत्म-विश्वास बढ़ गया। अब वह अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध के लिए निकल पड़ा। इनमें से उसके पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार, कैराईट और स्वयं ऑग खान शामिल थे। 1206 में उसने शक्तिशाली जमूका और नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया।

चंगेज खान महानायक घोषित-अपने शत्रुओं पर विजय पा लेने के पश्चात् तेमुजिन स्टेपी-क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा । उसकी इस प्रतिष्ठा को मंगोल कबीले के सरदार अर्थात् कुरिलताई की एक सभा में मान्यता दी गई। इस सभा में उसे चंगेज खान ‘समुद्र खान’ अर्थात् ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधि देकर मंगोलों का महानायक घोषित किया गया ।

प्रश्न 7.
कुरिलताई से मान्यता मिलने के पश्चात् चंगेज खान की सैनिक सफलताओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1206 ई. में कुरिलताई से मान्यता मिलने से पूर्व चंगेज खान ने मंगोलों को एक सशक्त एवं अनुशासित सैन्य शक्ति के रूप में पुनर्गठित कर लिया था। अब वह चीन विजय प्राप्त करना चाहता था। चीन उस समय तीन राज्यों में विभक्त था। वे थे –

  • उत्तर – पश्चिम प्रांतों पर सी-सिआ (Hsi-Hsia) लोगों का शासन था।
  • चिन वंश जो पेकिंग से उत्तरी चीन का शासन चला रहा था।
  • दक्षिणी चीन पर शुंग वंश का आधिपत्य था।

चीन-विजय –

  • 1209 में सी-सिआ लोग मंगोल से परास्त हो गए।
  • 1213 ई. में चीन की महान् दीवार का अतिमण हो गया। इसके दो वर्ष बाद 1215 ई. में पेकिंग नगर को लूटा गया। वहाँ के चिन वंश के विरुद्ध 1234 तक मंगोलों की लंबी लड़ाइयाँ
  • 1218ई. में मंगोलों ने चीन के उत्तर:पश्चिम में स्थित तियेन-शान की पहाड़ियों को नियंत्रित करने वाली करा खिता (qarakhita) को
  • पराजित कर दिया। इस विजय से मंगोलों का साम्राज्य अमूदरिया, तुरान और ख्वारजम राज्यों तक फैला गया। ख्वारजम के सुल्तान
  • मोहम्मद को मंगोल दूतों का वध करने के कारण चंगेज खान की प्रचंड क्रोधाग्नि का सामना करना पड़ा।

अन्य अभियान – 1219.1221 ई. के अभियानों में बड़े-बड़े नगरों-ओट्रार, बुखारा, समरकंद, बल्ख, गुरगंज, पर्व, निशापुर और हेरात-ने मंगोल सेनाओं के सामने आत्म-समर्पण कर दिया। जिन नगरों ने मंगोलों का प्रतिरोध किया उनका विनाश कर दिया गया। निशापुर के घेरे के दौरान जब एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई तो चंगेज खान ने यह आदेश दिया, “नगर का इस तरह विध्वंस किया जाए कि संपूर्ण नगर में हल चलाया जा सके, ऐसा संहार किया जाए कि नगर के बिल्ली और कुत्तों को भी जीवित न रहने दिया जाए।”

इसी बीच मंगोल सेनाएँ सुल्तान मोहम्मद का पीछा करते हुए अजरबैजान तक आ पहुंची। क्रीमिया में रूसी सेनाओं को हराने के बाद उन्होंने कैस्पियन सागर को घेर लिया। सेना की एक अन्य टुकड़ी ने सुल्तान के पुत्र जलालुद्दीन का अफगानिस्तान और सिंध तक पीछा किया। सिंधु नदी के तट पर पहुँच कर चंगेज खान ने उत्तरी भारत और असम मार्ग होते हुए वापिस मंगोलिया लौटने का विचार किया।

परंतु अत्यधिक गर्मी, प्राकृतिक आवास की कठिनाइयों तथा अपने पैगंबर द्वारा दिए गए अशुभ संकेतों ने उसे अपना विचार बदलने पर विवश कर दिया। अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत करने के बाद 1227 में चंगेज खान की मृत्यु हो गई। उसकी सैनिक सफलताएँ नि:संदेह विस्मित करने वाली थीं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चंगेज खान का जन्म कब हुआ था?
(क) 1062 में
(ख) 1162 में
(ग) 1150 में
(घ) 1170 में
उत्तर:
(ख) 1162 में

प्रश्न 2.
चंगेज खान की मृत्यु कब हुई?
(क) 1227 में
(ख) 1230 में
(ग) 1240 में
(घ) 1260 में
उत्तर:
(क) 1227 में

प्रश्न 3.
तेमुजिन किस मंगोल खान का मूल नाम था?
(क) चंगेज खाँ
(ख) बाटू खाँ
(ग) कुबलई खाँ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) चंगेज खाँ

प्रश्न 4.
किस मंगोल सेना नायक ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम ग्रहण किया?
(क) चंगेज खाँ
(ख) चगताई खाँ
(ग) कुबलई खाँ
(घ) गजन खाँ
उत्तर:
(घ) गजन खाँ

प्रश्न 5.
अफीम युद्ध किन दो देशों के बीच हुआ?
(क) चीन एवं फ्रांस
(ख) जापान एवं रूस
(ग) चीन एवं जापान
(घ) चीन एवं ब्रिटेन
उत्तर:
(घ) चीन एवं ब्रिटेन

प्रश्न 6.
चीन में साम्यवादी पार्टी की स्थापना कब हुई?
(क) 1911
(ख) 1921
(ग) 1945
(घ) 1947
उत्तर:
(ख) 1921

प्रश्न 7.
साम्यवादियों के द्वारा पराजित होकर च्यांग काई शेक भागकर कहाँ गया?
(क) ताईवान
(ख) शैन्सी
(ग) कैन्टन
(घ) फुन्ना
उत्तर:
(क) ताईवान

प्रश्न 8.
आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं …………………
(क) माओ-त्से-तुंग
(ख) डा. सनयात सेन
(ग) चियांग काई शेक
(घ) चाऊ एनलाई
उत्तर:
(ख) डा. सनयात सेन

प्रश्न 9.
यायावर का अर्थ है ………………….
(क) घुमक्कड़
(ख) आबारा
(ग) जनजाति
(घ) प्रजाति
उत्तर:
(क) घुमक्कड़

प्रश्न 10.
चंगेज खान का प्रारंभिक नाम था …………………
(क) तेमुजिन
(ख) सीसुजिन
(ग) च्यांग
(घ) सनयात् सेन
उत्तर:
(क) तेमुजिन

प्रश्न 11.
रूस में मंगोलों का राज्य कितने वर्षों तक रहा?
(क) 300
(ख) 400
(ग) 200
(घ) 600
उत्तर:
(क) 300

प्रश्न 12.
ओगोदेई किसका पुत्र था?
(क) चंगेज खान
(ख) अरब खान
(ग) च्यांग सेन
(घ) गुयूक
उत्तर:
(क) चंगेज खान

प्रश्न 13.
मंगोलिया गणराज्य कब बना?
(क) 1921 में
(ख) 1920 में
(ग) 1930 में
(घ) 1940 में
उत्तर:
(क) 1921 में

प्रश्न 14.
चीन में यूआन राजवंश का अंत कब हुआ?
(क) 1368 में
(ख) 1360 में
(ग) 1367 में
(घ) 1371 में
उत्तर:
(क) 1368 में

प्रश्न 15.
चंगेज खान का वंशज था …………………..
(क) तैमूर
(ख) अकबर
(ग) जहाँगीर
(घ) गजनवी
उत्तर:
(क) तैमूर


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