Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Tuesday, June 21, 2022

BSEB Class 11 History The Industrial Revolution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Book Answers

BSEB Class 11 History The Industrial Revolution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Book Answers
BSEB Class 11 History The Industrial Revolution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Book Answers


BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 11th History The Industrial Revolution book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Textbooks. These Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject History The Industrial Revolution
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 11 History औद्योगिक क्रांति Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

औद्योगिक क्रांति के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 1.
ब्रिटेन (इग्लैंड)1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1793 से 1815 तक ब्रिटेन का फाँस के साथ लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। इसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड और यूरोप के बीच चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया। विवश होकर इंग्लैंड को अपनी फैक्ट्रियों को बंद करना पड़ा। इससे बेरोजगारी बढ़ गई और रोटी, मांस जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें आकाश को छूने लगीं।

औधोगिक क्रांति के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 2.
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं?
उत्तर:
नहरों द्वारा भारी परिमाण वाले भार को ढोना सरल तथा सस्ता होता है। परंतु इसमें समय अधिक लगता है। माल को देश के भीतरी भागों में भी नहीं ले जाया जा सकता। इसके विपरीत रेल परिवहन द्वारा माल ढोने में कम समय लगता है। माल को देश के भीतरी भागों तक भी पहुँचाया जा सकता है।

औद्योगिक क्रांति प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 3.
इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थी?
उत्तर:
इस अवधि के अधिकतर आविष्कार वैज्ञानिक ज्ञान के अनुप्रयोग की बजाय दृढ़ता, रूचि, जिज्ञासा तथा भाग्य के बल पर हुए।

  • कपास उद्योग क्षेत्र में जान के तथा जेम्स हारग्रीब्ज जैसे कुछ आविष्कारक बुनाई और बढ़ईगिरी से परिचित थे। परंतु रिचर्ड आर्कराइट एक नाई था और बालों की विग बनता था।
  • सैम्युअल क्रांपटन तकनीकी दृष्टि से कुशल नहीं था।
  • एडमंड कार्टराइट ने साहित्य; आयुर्विज्ञान और कृषि का अध्ययन किया था। प्रारंभ में उसकी इच्छा पादरी बनने की थी। वह यांत्रिकी के बारे में बहुत कम जानता था।
  • दूसरी ओर भाप के इंजनों के क्षेत्र में थॉमस सेवरी एक सैन्य अधिकारी था। इन सबमें अपने-अपने आविष्कार के प्रति कुछ संगत ज्ञान अवश्य था।

परंतु सड़क निर्माता जान मैकऐडम; जिसने व्यक्तिगत रूप से सड़कों की सतों का सर्वेक्षण किया था और उनके बारे में योजना बनाई थी; अंधा था। नहर-निर्माता जेम्स विंडले लगभग निरक्षर था। शब्दों की वर्तनी के बारे में उनका ज्ञान इतना कमजोर था कि वह ‘नौ चालन’ (Navigation) शब्द की सही वर्तनी कभी न बता सका। परन्तु उसमें गजब की स्मरण शक्ति और एकाग्रता थी।

औद्योगिक क्रांति पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 4.
बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
आरंभ में ब्रिटेन के लोग ऊन और लिनन बनाने के लिए सन से कपड़ा बुना करते थे। सत्रहवीं शताब्दी से इंग्लैंड भारत से भारी मात्रा में सूती कपड़े का आयात करने लगा परंतु जब भारत के अधिकतर भागों पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो गया.तब इंग्लैंड ने कपड़े के साथ-साथ कच्चे माल के रूप में कपास का आयात करना भी आरंभ कर दिया। इंग्लैंड पहुँचने पर इसकी कताई की जाती थी और उससे कपड़ा बुना जाता था।

अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कताई का काम बहुत ही धीमी था। इसलिए कातने वाले दिन भर कताई के काम में लगे रहते थे, क्षेत्र में अनेक आविष्कार हो जाने के बाद कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति एकाएक बढ़ गई इस कार्य में और अधिक कुशतला लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर फैक्ट्रियों अर्थात् कारखानों में चला गया।

Audyogik Kranti Ke Question Answer Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 5.
ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति से स्त्रियों के जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
1. निर्धन वर्ग की स्त्रियाँ कारखानों में काम करने लगीं। उनसे 15-15 घंटे तक काम लिया रंत उन्हें मजदरी बहत ही कम दी जाती थी। कारखानों का वातावरण बहत ही दुषित तथा जोखिम भरा था। इसका स्त्रियों के स्वास्थय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उनकी मृत्यु बहुत ही कम आयु में हो जाती थी। अधिकांश बच्चे बीमार पैदा होते थे और पैदा होते ही मर जाते थे या फिर पाँच वर्ष की आयु तक ही पहुँच पाते थे।

2. मध्यम तथा धनी वर्ग की स्त्रियों को औद्योगिक क्रांति से लाभ पहुँच। उन्हें नई-नई उपभोक्ता वस्तुएँ तथा भोजन सामग्री मिलने लगी। परिवहन तथा संचार के साधनों में हुए आविष्कारों ने उनकी जीवन-शैली को ही बदल दिया। जीवन-स्तर दिन-प्रतिदिन ऊँचा होने लगा।

Audyogik Kranti Question Answer Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 6.
विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रेलवे के आ जाने से औद्योगिक तथा साम्राज्यवादी देशों को लाभ पहुँच। अब वे अपने उपनिवेशों के भीतरी भगों तक जा कर वहाँ के संसाधनों का शोषण कर सकते थे और अपने उद्योगों का विस्तार कर सकते थे। इसके विपरीत उपनिवेशों के उद्योग धंधे नष्ट हो गए और उन्हें घोर निर्धनता का सामना करना पड़ा। आफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के देश दास व्यापार का शिकार भी हुए।

Bihar Board Class 11 History औद्योगिक क्रांति Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कार Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 1.
कृषि क्रांति की परिभाषा लिखों?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों तथा नई-नई मशीनों के प्रयोग से अत्यधिक उन्नति हुई और उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया। इस प्रक्रिया को कृषि क्रांति का नाम दिया जाता है।

Audyogik Kranti Class 11 Question Answer Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 2.
18वीं शताब्दी में कृषि क्रांति के दो कारण लिखो।
उत्तर:

  • कृषि के क्षेत्र में नई वैज्ञानिक खोजें हुई।
  • नई-नई मशीनों के प्रयोग से खेत जोतने तथा फसल काटने में कम समय लगने लगा। इससे कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।

Audyogik Kranti Class 11 Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 3.
दो प्रमुख वैज्ञानिकों के नाम बताओं जिन्होंने कृषि क्रांति लाने में अपना योगदान दिया।
उत्तर:

  • जीथरो – टुल की वीट ड्रिल-इसने एक मशीन बनाई जिससे एक ही समय में बीज बोने तथा मिट्टी ढंकने का काम होता था।
  • राबर्ट वैस्टनर के कट क्राप सिस्टम से पशुओं के लिए चारा तथा खेतों के लिए खाद अधिक मात्रा में उपलब्ध होने लगी।

औद्योगिक क्रांति की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 4.
कृषि क्रांति के दो अच्छे प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  • कृषि क्रांति के परिणामस्वरूप लोग बहुत धनी हो गये और उनका जीवन स्तर ऊंचा हो गया।
  • अब छोटे-छोटे किसानों का अंत हो गया और उनका स्थान बड़े-बडे किसानों ने ले लिया।

औद्योगिक क्रांति का अर्थ बताइए Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 5.
कृषि क्रांति के दो बुरे परिणाम बताओ।
उत्तर:

  • बड़े-बड़े जमींदार भूमिहीन किसानों का शोषण करने लगे। अतः खेतों में काम करने वाले मजदूरों की दशा बिगड़ गई।
  • घरेलू उद्योग धंधे नष्ट हो गये।

औद्योगिक क्रांति के कारण Bihar Board Class 11 History Chapter 9 प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रांति के दो सामाजिक प्रभाव बताएँ।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्रांति के कारण समाज में दो वर्गों का उदय हुआ-पूंजीपति तथा मजदूर वर्ग।
  • अपने स्वार्थ के कारण पूंजीपति मजदूरों का शोषण करने लगे।

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति के दो आर्थिक प्रभाव बताएँ।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्रांति के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि मनुष्य का काम अब मशीनें करने लगीं।
  • मजदूर वर्ग की आर्थिक दशा बिगड़ गई।

प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रांति के पश्चात् मजदूरों की दशा सुधारने के लिये क्या पग उठाये गये? किन्ही दों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • फैक्टरी कानून पास किये गये तथा मजदूरों के काम करने का समय निश्चित किया गया।
  • निश्चित आयु से कम आयु के बच्चों को कारखानों में काम से रोक दिया गया।

प्रश्न 9.
किन्हीं दो महत्वपूर्ण कारणों का विवेचन कीजिए जिनके फलस्वरूप इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति हुई।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति निम्नलिखित दो कारणों से सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही हुई –
1. पूंजी की अधिकता – इंगलैंड में उद्योगपति तथा व्यापारी स्वतंत्र थे। वहाँ व्यापार-व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध नहीं था। अत: उद्योगपति तथा व्यापारी काफी धनी थे और उनके पास नये कल-कारखाने लगाने के लिए काफी पुंजी थी।

2. प्राकृतिक संसाधन – इंग्लैंड प्राकृतिक संसाधनों में धनी था। कोयला तथा लोहा पर्याप्ता मात्रा में उपलब्ध थे और उनकी खाने पास-पास थीं।

प्रश्न 10.
भाप के इंजन ने उद्योग तथा यातायात के क्षेत्र में किस प्रकार क्रांतिकारी परिवर्तन किए?
उत्तर:
भाप के इंजन का आविष्कार 1769 ई. में जेम्स वाट ने किये। इसकी सहायता से वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा और मशीनों की मांग बढ़ गई। भाप की शक्ति से चलने वाली मशीनें कई आदमियों का काम एक साथ करने लगीं। भाप के इंजन के कारण ही लोहा-इस्पात उद्योग का विकास हो सका।

1814 ई. में रेल द्वारा खानों से कोयला लाने के लिए भाप के इंजन का प्रयोग किया गया। तत्पश्चात् बड़े पैमाने पर रेल लाइनें बिछाइ जाने लगीं। ये लाइनें उद्योग के विकास में सहायक बनीं। अत: स्पष्ट है कि भाप इंजन से उद्योग तथा यातायात के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।

प्रश्न 11.
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के श्रमिकों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। स्त्रियों तथा बच्चों से भी काम लिया जाने लगा और उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती थी। श्रमिकों को 15 से 18 घंटे तक काम करना पड़ता था। थकावट होने पर भी उन्हें आराम करने की अनुमति नहीं थी। उनके काम करने का स्थान भी बहुत गंदा होता था और उनकी सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था। मजदूरों के रहने के मकान बहुत खराब थे। दुर्घटनाएँ, गेग महामारियाँ उनके दैनिक जीवन का अंग बन गयीं थी।

प्रश्न 12.
कारखाना पद्धति से आपका क्या अभिप्राय है? इस पद्धति के कारण जिस आर्थिक व्यवस्था का विकास हुआ, उसकी किन्ही दो विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
‘कारखाना पद्धति’ से हमारा अभिप्राय उस पद्धति से है जिसके अंतर्गत साधारण औजारों, पशुओं तथा हाथ की शक्ति के स्थान पर नई मशीनों तथा भाप की शक्ति का अधिक – से – अधिक प्रयोग किया जाने लगा। उतपादन कार्य घरों की बजाए कारखानों में होने लगा। इस पद्धति से एक नवीन आर्थिक व्यवस्था का जन्म हुआ जिसकी दो विशेषताएँ निम्नलिखित थी –

1. करखानों के स्वामी (पूंजीपति) के पास काफी पूंजी होती थी और वह उन सब वस्तुओं का प्रबंध करता था जिनकी आवश्यकता मजदूरों को उत्पादन के लिए पड़ती थी। कारखाने की प्रत्येक वस्तु तथा निर्मित माल पर उसका पूर्ण अधिकार होता था।

2. मजदूर काम के बदले मजदूरी लेते थे। ये वे भूमिहीन किसान थे जो काम करने के लिए नगरों में आकर बस गए थे।

प्रश्न 13.
समाजवाद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समाजवाद का नारा पूंजीवाद के विरुद्ध मजदूरों ने लगाया था। समाजवाद का उद्देश्य यह है कि समाज में धन का बँटवारा न्यायपूर्ण हो तथा निर्धनों और पूंजीपतियों में कोई भेदभाव न हो। कोई भी भूखा न रहे तथा प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूरी हा सकें। समाजवाद का जन्म भी औद्योगिक क्रांति के कारण हुआ था।

प्रश्न 14.
औद्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवाद को किस प्रकार जन्म दिया?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों को अपने उद्योग के लिए कच्चे माल तथा मॉडयों की आवश्कता थी। अतः इन देशों ने तैयार माल की खपत के लिए एशिया तथा अफौका में मंडियों की खोज आरंभ कर दी। वे कम उन्नत देशों में व्यापारियों के रूप में गए और समय पाकर वहाँ के शासक बन बैठे। उन्होंने खाली स्थनों पर बस्तियां बसाई और दूसरे क्षेत्रों में अपने अधिकार-क्षेत्र को बढ़ाया। शक्तिशाली देशों के ऐसे प्रयत्नों को ही साम्राज्यवाद कहते हैं।

प्रश्न 15.
मजदूर आंदोलन पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण समाज दो श्रेणियों में बँट गया। एक वर्ग पूंजीपतियों का था तथा दूसरा वर्ग निर्धन मजदूरों का। सरकार पर पूंजीपतियों का प्रभाव था। उन्होने मजदूर वर्ग की भलाई के लिए कोई विशेष सुविधाएँ न देने दौं। परंतु मजदूरों में चेतना आने लगी और वे काम करने की दशा में सुधार की माँग करने लगे। अपने संघर्ष को शक्तिशाली बनाने के लिए उन्होंने अपनी-अपनी यूनियनें (Unions) बनाई। इंग्लैंड में 1893 ई. में लेबर पार्टी की स्थापना की गई। धीरे-धीरे अन्य देशों में भी लेबर पार्टियों की स्थापना हो गई।

प्रश्न 16.
इंग्लैंड में होने वाली औद्योगिक क्रांति का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
इंग्लैंड में बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना से उत्पादन में वृद्धि हुई। शीघ्र ही इंग्लैंड समृद्धि देश बन गया। परंतु इंग्लैंड की यह समद्धि भारत के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप सिद्ध हुई। ज्यों-ज्यों इंग्लैण्ड के कारखानों में उत्पादन बढ़ने लगा त्यों-त्यों अंग्रेजों ने भारत का बुरी तरह आर्थिक शोषण करना आरंभ कर दिया। भारत के उद्योग नष्ट होते गए और बेकारी की समस्या बढ़ती गई। अंग्रजों ने भारत में नये उद्योगों की ओर कोई ध्यान न दिया। इसके अतिरीक्त उन्होंने भारत में तैयार होने वाले माल पर भारी कर लगा दिए। परिणामस्वरूप भारतीय योग पिछड़ गए।

प्रश्न 17.
अंग्रेजों की भारत पर विजय ने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति की प्रगति में किस प्रकार सहायता प्रदान की?
उत्तर:
अंग्रेजों की भारत विजय ने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति की प्रगति को महत्व पूर्ण सहायता पहुँचाई। निम्नलिखित तथ्य से यह बात स्पष्ट हो जाएगी

  1. भारतीय मंडियां अंग्रेजों द्वारा तैयार माल की सबसे बड़ी उपभोक्ता थीं।
  2. भारतीय धन निरंतर इंग्लैंड जाने लगा जिससे इंग्लैंड में और अधिक करखाने लगाए जाने लगे।
  3. भारत के माल की माँग कम हो गई, इसका लाभ भी अंग्रेजों को पहुंचा।
  4. भारत कच्चे माल की पूर्ति की दृष्टि से अंग्रेजी उद्योगों के लिए बड़ा साधन बन गया।
  5. आयत की अधिकता तथा निर्यात की कमी से भारतीयों के हितों को बहुत हानि पहुँची।

प्रश्न 18.
औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न उन बुराइयों का वर्णन कीजिए। जिन्होंने आजकल की भांति नये तनाव और समस्याओ को जन्म दिया।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से निम्नलिखित बुराईयाँ उत्पन्न हुई –

  1. इससे उपनिवेशीकरण को बढ़ावा मिला और लोगों का शोषण हुआ।
  2. एशिया और अफ्रीका के लिए साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विता उत्पन्न हो गई। फलस्वरूप सामाज्यवादी शक्तियों में तनाव उत्पन्न हो गया।
  3. शहरों में जनसंख्या वृद्धि से स्वास्थ्य, सफाई और आवास संबंधी समस्याएँ जटिल होने लगी।

प्रश्न 19.
पूर्व औद्योगिक और औद्योगिक क्रांति के बाद उत्पादन के तरीकों की तुलना करें।
उत्तर:
पूर्व औद्योगिक क्रांति के काल में वस्तुओं का उत्पादन घरों में किया जाता था। इन वस्तुओं के निमार्ण के लिए पुराने ढंग के औजारों का प्रयोग किया जाता था। इनमें पंप, चरखा, कुदाल आदि प्रमुख थे। वस्तुओं का उत्पादन केवल घेरलू तथा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही किया जाता था। औद्योगिक क्रांति के बाद वस्तुओं का निर्माण कारखानों में होने लगा। इसके अतिरिक्त वस्तुओं का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाने लगा। वस्तुओं का निर्माण करने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा।

प्रश्न 20.
18वीं शताब्दी में हुए मुख्य आविष्कारों को उनके आविष्कारकों के नाम सहित लिखों।
उत्तर:
18वीं शताब्दी में बहुत-से महत्वपूर्ण आविष्कार हुए। इनके आविष्कारों तथा तिथियों का वर्णन इस प्रकार है –

प्रश्न 21.
प्रथम औद्योगिक क्रांति से क्या अभिप्राय है।
उत्तर:
1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच ब्रिटेन में उद्योगों और अर्थव्यवस्था – का जो रूपातंरण हुआ उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से पुकारा जाता है । इस क्रान्ति के ब्रिटेन पर दूरगामी प्रभाव पड़े।

प्रश्न 22.
‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रचलन कैसे हआ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों द्वारा किया। गया। इनमें फ्रांस के जर्जिस मिशले और जर्मनी के फ्रॉइड्रिक एंजेल्स शामिल थे। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग। सर्वप्रथम दर्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा उन परिवर्तनों के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे।

प्रश्न 23.
दूसरी औद्योगिक क्रांति क्या थी?
उत्तर:
दूसरी औद्योगिक क्रांति लगभग 1850 के बाद आई। इस क्रांति द्वारा रसायन तथा बिजली जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ। इस दौरान, ब्रिटेन जो पहले विश्व में औद्योगिक शक्ति के क्षेत्र में अग्रणी था, पिछड़ गया। अब जर्मनी तथा संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गए।

प्रश्न 24.
1750 से 1800 ई. के बीच यूरोप की जनसंख्या का मुख्य पहलू क्या था?
उत्तर:
1750 से 1800 के बीच यूरोप के उन्नीस शहरों की जनसंख्या दोगुनी हो गई थी। इसमें से ग्यारह शहर ब्रिटेन में थे। इन ग्यारह शहरों में लंदन सबसे बड़ा था। शेष बड़े-बड़े शहर भी लंदन के आस-पास ही स्थित थे।

प्रश्न 25.
इंग्लैंड में मशीनीकरण तथा उद्योग के काम आने वाले कौन कौन से खनिज उपलब्ध थे?
उत्तर:
इंग्लैंड में मशीनीकरण के लिए आवश्यक कोयला और लौह-अयस्क पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। इसके अतिक्ति वहाँ उद्योग में काम आने वाले अन्य खनिज जैसे-सीसा, ताँबा और. राँगा (टिन) भी खूब मिलते थे।

प्रश्न 26.
लोहा-प्रगलन के लिए काठकोयले के प्रयोग की क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
लोहा-प्रगलन के लिए काठकोयले के प्रयोग की निम्नलिखित समस्याएँ थीं –

  1. काठकोयला लंबी दूरी तक ले जाते समय टूट जाता था।
  2. इसकी अशुद्धियों के कारण घटिया किस्म के लोहे का ही उत्पादन होता था।
  3. यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था क्योंकि लकड़ी के लिए वन काट लिए गए थे।
  4. यह उच्च तापमान भी उत्पन्न नहीं कर सकता था।

प्रश्न 27.
जॉन विल्किसन ने लोहे का उपयोग किस-किस काम के लिए किया?
उत्तर:

  1. उसने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ तथा शराब की भट्टियों के लिए टकियों बनाई।
  2. उसने भिन्न-भिन्न आकार की पाइपें भी बनाई। उसके द्वारा ढलवां लोहे से बनाई गई एक पाइप 40 मील लंबी थी जिसके द्वारा पेरिस को पानी की आपूर्ति की जाती थी।

प्रश्न 28.
ब्रिटेन के औद्योगीकरण में भाप की शक्ति का क्या महत्व था?
उत्तर:

  1. भाप की शक्ति उच्च तापमान पर दबाव उत्पन्न करती है जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थी।
  2. भाप की शक्ति ऊर्जा का ऐसा स्रोत थी जो भरोसे मंद और कम खर्चीली थी।

प्रश्न 29.
थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का इंजन कब बनाया? इसमें क्या कमी थी?
उत्तर:
थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का इंजन 1712 में बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन (कंडेसिंग सिलिंडर) के लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

प्रश्न 30.
कपड़े के उद्योग में आधुनिक युग के आरंभ में किस तरह से क्रांति आई? किन्ही दो मशीनों के नाम लिखो।
उत्तर:
आधुनिक युग के आरंभ में कई आविष्कार हुए जिन्होंने कपड़े की कताई तथा बुनाई के काम को सरल बना दिया। इससे कपड़ा उद्योग में क्रांति आई।

मशीनें – कपड़ा उद्योग में क्रांति लाने वाली दो मशीनें थीं।

  • उड़न शटल (Flying Shuttle)
  • पावर लूम।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ब्रिटेन के लिए कपास उद्योग का क्या महत्व था?
उत्तर:
ब्रिटेन में कपास का उत्पादन नही होता था। फिर भी 1780 के दशक से कपास उद्योग ब्रिटिश औद्योगिकरण का प्रतिक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं जो अन्य उद्योग में भी दिखाई देती थीं

  • कच्चे माल के रूप में आवश्यक समस्त कपास का आयात करना पड़ता था।
  • तैयार कपड़े का अधिकांश भाग निर्यात किया जाता था।

इस संपूर्ण प्रक्रिया के लिए इंग्लैंड के पास अपने उपनिवेश का होना आवश्यक था ताकि इन उपनिवेशों से भरपर मात्रा में कपास मंगाई जा सके और फिर इंग्लैंड में उससे कपड़ा बनाकर उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेचा जा सके। इस प्रक्रिया ने सम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया। यह उद्योग मुख्य रूप से कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों तथा बच्चों पर निर्भर था।

प्रश्न 2.
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग में लाने योग्य लोह की क्या समस्या थी? धमनभट्टी के आविष्कार ने इस समस्या का समाधान कैसे किया?
उत्तर:
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग में लाने योग्य लोहे की कमी थी। लोहा-प्रगलन (smelting) की प्रक्रिया द्वारा किया जाता था। इस प्रक्रिया के लिए काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इसके कारण अच्छा लोहा प्राप्त नहीं था क्योंकि काठकोयला उच्च तापमान उत्पन्न नहीं कर पाता था।

धमनभट्टी के आविष्कार ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति ला दी। इसका आविष्कार 1709 में प्रथम अब्राह डवी ने किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक का इस्तेमाल किया गया। कोक में ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी। इसे पत्थर के कोयले से गंध तथा अपद्रव्य निकालकर तैयार किया जाता था। इस आविष्कार के बाद भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्ठियों से निकालने वाले पिघले लोहे से पहले की अपेक्षा अधिक बढिया और लंबी ढलाई की जा सकती थी।

प्रश्न 3.
1830 ई. तक ब्रिटेन में नहरों के विकास का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रारंभ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। इसका कारण यह था कि कोयले को उसके परिमाण और भार के कारण सड़क मार्ग से ले जाने में बहुत अधि क समय लगता था और उस पर खर्च भी अधिक आता था। इसके विपरीत उसे बजारों में भरकर नहरों के द्वारा ले जाने में समय ओर खर्च दोनों की बचत होती थी। औद्योगिक ऊर्जा और घरेलू रूपयोग के लिए कोयले की माँग निरंतर बढ़ती जा रही थी।

इंग्लैंड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल’ 1761 में जेम्स, ब्रिडली द्वारा बनाई गई। इसका उद्देश्य वर्सले (मैनचेस्टर के पास) के कोयला भंडारों से शहरों तक कोयले ले जाना था। इस नहर के बन जाने के बाद कोयले का मूल्य घटकर आधा रह गया क्योंकि उसकी ढुलाई का खर्च बहुत कम हा गया था।

नहरें प्राय: बड़े-बड़े जमींदारों द्वारा अपनी जमीनों पर स्थित खानों, खदानों या जंगलों का मूल्य बढ़ाने के लिए बनाई जाती थीं। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बजार-केंद्र स्थापित हो गए। उदाहरण के लिए बर्मिघम शहर का विकास केवल इसीलिए तेजी से हुआ क्योंकि वह लंदन, ब्रिस्टल चैनल और मरसी तथा हंबर नदियों के साथ जुड़ी नहर प्रणाली के मध्य में स्थित था।

प्रश्न 4.
1842 के सर्वेक्षण से ब्रिटेन में लोगों की जीवन-अवधि तथा मौतों के बारे में क्या नए तथ्य सामने आये?
उत्तर:
1842 में किए गए एक सिर्वेक्षण से पता चला कि कारखानों में काम करने वाले वेतन भोगी मजदूरों के जीवन की औसतन अवधि शहरों में रहने वाले सामाजिक समूहों के जीवनकाल से कम है। बर्मिघम में यह केवल 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डी में 21 वर्ष थी। नए औद्योगिक नगरों में गाँव से आकर रहने वाले लोग ग्रामीण लोगों की तुलना में काफी छोटी आयु में मर जाते थे। वहाँ पैदा होने वाले बच्चों में से आधे बच्चे पाँच साल की आयु प्राप्त करने से पहले ही चल बसते थे। शहरों की जनसंख्या में वृद्धि नए पैदा हुए बच्चों से नहीं, बल्कि बाहर से आकर बसने वाले नए लोगों से ही होती थी।

मौतें प्रायः जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण से पैदा होने वाली महामारियों के कारण होती थीं। उदाहरण के लिए 1832 में हैजे का भीषण प्रकोप हुआ। इसमें 31,000 से भी अधिक लोग मौत का शिकार हो गए। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों तक स्थिति यह थी कि नगर-प्राधिकारी जीवन की इन भंयकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। चिकित्सकों या अधिकारियों को इन बीमारीयों के निदान और उपचार के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 5.
क्या औद्योगिक क्रांति को ‘क्रांति’ कहना उचित है? तर्क दीजिए।
उत्तर:
औद्योगीकरण की क्रिया इनती धीमी गति से होती रही कि इसे ‘क्रांति’ कहना ठीक नहीं होगा। इसके द्वारा पहले से ही विद्यमान प्रक्रियाओं को ही आगे बढ़ाया गया। इस प्रकार फैक्ट्रियों में श्रमिकों का जमावड़ा पहले की अपेक्षा अधिक हो गया और धन का प्रयोग भी पहले से अधिक व्यापक रूप से होने।

उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ होने के काफी समय बाद तक भी इंग्लैंड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई फैक्टरी या खान नहीं थी। इंग्लैंड में परिवर्तन भी क्षेत्रीय तरीके से हुआ। यह मुख्य रूप से लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिघम या न्यूकासल नगरों के चारों ओर ही था, न कि संपूर्ण देश में। इसलिए ‘क्रांति’ शब्दों को अनुपयुक्त माना गया।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रांति से क्या अर्थ है? इसके मुख्य लक्षणों की चर्चा करें।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का अर्थ उन परिवर्तनों से है, जिनके कारण इंग्लैंड की उत्पादन प्रणाली का रूप बिल्कुल बदल गया। इस क्रांति के मुख्य लक्ष्य निम्नलिखित थे – 1760 तथा 1820 ई. के बीच इंग्लैंड की प्रत्येक औद्योगिक शाखा में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों की शक्ति के साथ बहुत अधिक संख्या में वस्तुएँ तैयार होने लगीं। इससे पहले घरेलू उद्योग धंधो के ढंग से ही घरों में हाथों से बहुत थोड़ी संख्या में सामान तैयार किया जाता था। .

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति ने मजदूरों पर क्या प्रभाव डाला? कोई चार-बातें बताएँ।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का मजदूरों की दशा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

  1. उन्हें प्रतिदिन 15 से 18 घंटे काम करना पड़ता था। थकावट होने पर भी उन्हें आराम करने की आज्ञा नहीं थी।
  2. उनके काम करने का स्थान भी बहुत गंदा होता था और उनकी सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था।
  3. मजदूरों के रहने के मकान बहुत खराब थे। दुर्घटनाएं, रोग और महामारियाँ उनके दैनिक जीवन का अंग बन गई थीं।
  4. स्त्रियों तथा बच्चों से भी काम लिया जाता था और उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती थी।

प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम बताएँ। इस क्रांति ने किन-किन सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से इंग्लैंड विश्व का सबसे धनी देश बन गया। उसकी राष्ट्रीय आय में विदेशी व्यापार से काफी वृद्धि हुई। बड़े-बड़े नगर मानचैस्टर, लंकाशायर, शैफील्ड इसी क्रांति की देन हैं। कृषि प्रणाली में नवीन वैज्ञानिक औजार, प्रयोग किए जाने लगे। इस क्रांति के बुरे प्रभाव पड़े, और कुटीर उद्योग नष्ट हो गए और देश में बेकारी बढ़ गई। इसके अतिरिक्त मजदूर और पूंजीपति वर्ग में संघर्ष आरंभ हुआ।

क्रांति के कारण छोटे-छोटे किसान गाँवों को छोड़ कर नगरों में मजदूरी के लिए जाने लगे। फलस्वरूप आवास, स्वास्थ और सफाई की जटिल समस्याएँ सामने आई। करखानों में स्त्रियों तथ बच्चों से काम लिया जाने लगा जिसके फलस्वरूप मनुष्य में नैतिक पतन और शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा पड़ी।

प्रश्न 9.
आवागमन के साधनों में हुए नये आविष्कारों की जानकारी दें।
उत्तर:
1750 से 1903 ई. तक आवागमन के क्षेत्र में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों का श्रेय नये अविष्कारों तथा उनके आविष्कारकों को जाता है। इन आविष्कारों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

  1. सड़के – स्काटलैंड के इंजीनियर जान मैकऐडम ने छोटे पत्थरों की सहायता से मजबूत सड़के बनाई। इंग्लैंड में ऐसी : नेक सड़कों का निमार्ण हुआ।
  2. लहरें – ‘जेम्स ब्रिडले’ (james Brindley) ने बहुत सी नहीरों का निमार्ण करवाया। अब बर्मिघम, लंदन, लिवरपूल ओर मानचैस्टर के नगर नहरों द्वारा एक दूसरे से जुड़ गए।
  3. रेल इंजन – 1802 ई. ‘ट्रेवीथिक’ (Trevithick) ने प्रथम लोकोमोटिव इंजन की खोज की। 1814 ई. में जॉर्ज स्टीफैन्सन ने राकेट नाम के स्टीम इंजन का आविष्कार किया। 1825 – ई. में पहली रेलगाड़ी चली।
  4. स्टीम शिप्स – अमेरिका वैज्ञानिक ‘राबर्ट फुलटोन’ (Robert Fulton) ने 1807 ई. में एक ‘भाप वाली बोट’ की खोज की। 1825 ई. में प्रथम स्टीमशिप ‘ग्लोसगो’ से ‘लिवरपूल’ तक गया। 1833 ई. ग्रेट वैस्टर्न नामक जहाज ने 15 दिन में अटलांटिक सागर को पार किया।
  5. मोटर – कार-19वीं शताब्दी के अंत में एक जर्मन इंजीनियर ने पेट्रॉल से चलने वाली मोटर-कार का आविष्कार किया।

प्रश्न 10.
उन पाँच महत्वपूर्ण कारणों का वर्णन करें जिनके कारण इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति आरंभ हुई।
उत्तर:
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के आरंभ होने के पाँच मुख्य कारण इस प्रकार हैं –

  1. पूंजी की अधिकता – इंग्लैंड ने विदेशी व्यापार द्वारा भारी मात्रा में पूंजी जमा कर ली थी। इंग्लैंड के व्यापारी काफी धनी थे और अपनी पुंजी अद्योगों में लगा सकते थे।
  2. कच्चे माल की सुलभता – इंग्लैंड को अपने उपनिवेशों से कारखानों के लिए कच्चा माल आसानी से मिल जाता था।
  3. भूमिहीन बेरोजगारी – कृषि क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड में भूमिहीन बेरोजगार लोगों की संख्या काफी बढ़ गई थी। ये लोग कम मजदूरी पर कारखानों में काम करने को तैयार थे।
  4. लोहे तथा कोयले के भंडार – इंग्लैंड में पर्याप्त मात्रा में लोहे और कोयले के भंडार उपलब्ध थे। ये भंडार पास-पास मिलते थे जिससे उद्योग स्थापित करने में आसानी हो गई।
  5. नवीन आविष्कार – इसी समय इंग्लैंड में अनेक तकनीकि आविष्कार हुए। भाप से चलने वाली रेलें, भाप के इंजन तथा भाप के जहाजों का निर्माण होने से उद्योगों में तीव्र परिवर्तन होने लगे।

प्रश्न 11.
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड में औद्योगिक क्षेत्र में तीव्र परिवर्तन हुए। इसे इतिहास में औद्योगिक क्रांति का नाम दिया गया है। इस क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

  1. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में आई। इंग्लैंड के पास कच्चा माल भी था और तैयार माल को बेचने के लिए मंडियाँ भी थीं। ये सभी तत्व यूरोप के किसी अन्य देश में एक साथ विद्यमान नहीं थे।
  2. घरेलू व्यवस्था का स्थान कारखाना प्रणाली ने ले लिया। बड़े-बड़े नगर बस गए और करखाने स्थापित हुए। नगरो में काम मशीनों से होने लगा।
  3. क्रांति का आधार वे मशीनें थीं जिनके कारण कपड़ा उद्योग के उत्पाद में आश्चर्यजनक उन्नति हुई। हारग्रीब्ज और आकराइट की मशीनों ने क्रांति पैदा कर दी। यातायात के साधनों का विकास हुआ और खानों के काम में सुधार किया गया।
  4. इंग्लैंड की अर्थ-व्यवस्था कृषि पर आधारित न रहकर उद्योगों पर निर्भर हो गई। कृषक कारखाना मजदूर बन गए।
  5. आगागिक क्रांति के परिणामस्वरूप मजदूरो की दशा बड़ी शोचनीय हो गई। उन 15 से 18 घंटे तक काम लिया जाने लगा।
  6. उनकी बस्तियाँ प्रायः रोगों और महामारियों का शिकार बनी रहती थीं।

प्रश्न 12.
औद्योगिक क्रांति के मुख्य परिणामों का उल्लेख करो।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के बड़े महत्वपूर्ण परिणाम निकले जिनका वर्णन इस प्रकार है –

  1. औद्योगिक क्रांति के कारण उद्योग, घरों के स्थान पर, करखानों में चलने लगे। फलस्वरूप वे लोग जो घरों में छोटे-छोटे उद्योग चलाते थे, उन्हें अपने उद्योग बंद कर करखानों में मजदूरी करनी पड़ी।
  2. औद्योगिक क्रांति से पूर्व गाँवों की अधिकांश जनता कृषि पर निर्भर थीं। लोगों की प्रायः सभी आवश्यकताएँ गाँवों में ही पूरी हो जाती थी। परंतु अब नगर आर्थिक जीवन के केन्द्र बन गए और गाँवों के किसान गाँव छोड़कर नगरों में जा बसे। इस प्रकार अधिकांश जनता का भूमि से कोई संबंध न रहा।
  3. नगरों में जनसंख्या की वृद्धि हो जाने से आवास, स्वास्थ और सफाई की समस्याएँ उत्पन्न हो गई।
  4. औद्योगिक क्रांति से उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई। फलस्वरूप वस्तुएँ सस्ती हो गई।
  5. कारखानों में श्रमिकों को दूषित वातावरण में रहकर कई-कई घंटो तक लगातार काम करना पड़ता था। परंतु उनके वेतन बहुत ही कम थे। परिणामस्वरूप श्रमिकों की दशा अत्यंत शोचनीय हो गई।
  6. औद्योगिक क्रांति के कारण लगभग सारा लाभ पूंजीपतियों अथवा उद्योगपतियों की जेब में जाने लगा। फलस्वरूप पूंजीवाद की भावना को बल मिला।
  7. औद्योगिक क्रांति के कारण ही बाद में उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और सामजवाद का उदय हुआ।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित का अर्थ समझाएँ औद्योगिक क्रांति, पूंजीवाद, सम्राजवाद, संरक्षी आयात कर, अहस्तक्षेप का सिद्धांत।
उत्तर:
1. औद्योगिक क्रांति – विषय-परिचय में पढ़े।

2. पंजी – पूंजी से हमारा अभिप्राय उस धनराशि से है जिसकी सहायता से कारखाने स्थापित किये जाते हैं तथा मशीनें, औजार और कच्चा माल खरीदा जाता है और तैयार माल को बेचने का प्रबंध किया जाता है।

3. पूंजीवाद – अर्थ-व्यवस्था में कारखानों, मशीनों तथा उत्पादन के साधनों पर पुंजीपतियों का अधिकार होता है, उसे पूंजीवाद कहते हैं। इसमें उत्पादन मुनाफा कमाने के लिए होक्त है।

4. समाजवाद – जिस व्यवस्था में मशीनों, कारखानों तथा उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों का अधिकार होने की बजाय समाज या सरकार का अधिकार होता है उसे समाजवाद कहा जाता है। समाजवाद में वस्तुओं का उत्पादन पूरे समाज की भलाई के लिए किया जाता है।

5. संरक्षी आयात कर – जो कर विदेश से आने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है, उसे संरक्षी आयात कर कहते हैं। इस कर का उद्देश्य देश के उद्योगों को संरक्षण प्रदान करना होता है।

6. हस्तक्षेप का सिद्धांत – देश की सरक’ द्वारा व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप। करने की निति का अहस्तक्षेप का सिद्धांत कहते हैं। इसी सिद्धांत का प्रतिपादन 1762 ई. में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ (Adam Smith) ने किया था।

प्रश्न 14.
औद्योगिकीकरण के लिए कौन सी परिस्थितियाँ बहुत अनुकूल हैं?
उत्तर:
औद्योगिकीकरण के लिए प्रायः ‘म’ अथवा M का होना आवश्यक है। ये हैं – मुद्रा (Money), माल (Material), मशीन (Machine), मंडी (Market), मनुष्य (Man)| कारखाने लगाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। मशीनें पैसे से ही खरीदी जा सकती हैं। कच्चे माल की समीपता भी औद्योगिकरण के लिए बड़ी सहायक सिद्ध होती है। यदि माल दूर से लाना पड़ेगा, तो निर्मित वस्तुएँ महंगी पड़ेगी। तैयार माल की खपत के लिए मंडियों का होना बड़ा आवश्यक है और इन सबसे आवश्यक है-मनुष्य, जो माल तैयार करने और उसे खपाने में बड़ा सहायक सिद्ध होता है।

प्रश्न 15.
औद्योगिक क्रांति के कारण कच्चे मालों और बाजार की आवश्यकता हुई। इस प्रकार राष्ट्र एक दूसरे पर काफी निर्भर हो गये।” इस कथन के पुष्टी मे उदाहरण दो।
उत्तर:
कारखानों में मशीनों को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ तैयार माल को बेचने के लिए मंडिया भी होनी चाहिए। अत: कच्चे माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने के लिए राष्ट्र को एक दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड अपने कारखाने चलाने के लिए भारत से रूई मंगवाता था और फिर तैयार माल दूसरे देशों के बाजारों में भेजता था। इसी प्रकार भारत पटसन के कारखानों के लिए आज बंग्ला देश से पटसन मंगवाता है और तैयार माल अन्य देशों में भेजता है।

प्रश्न 16.
जब औद्योगिक क्रांति फैली तब औद्योगिक नगरों और कारखानों की जो दशा थी, उसका वर्णन करें।
उत्तर:
औद्योगिक नगरों की दशा-इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति आने के कारण नगरों की दशा बड़ी शोचनीय हो गई। इन नगरों में कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की एक बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई जिसके परिणामस्वरूप वहाँ पर आवास, स्वास्थ्य आदि की समस्याएँ जटिल हो गई। नगरों में मजदूर गंदी बस्तियों में रहते थे। इन बस्तियों में गंदे पानी को निकालने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अत: इनमें प्रायः मलेरिया तथा हैजा फूट पड़ता था जसके कारण कितने ही मजदूरों की मृत्यु हो जाती थी।

कारखानों की दशा-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था। वहाँ पर मशीनों के चारों ओर जंगले न होने के कारण कई मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते थे। कारखानों में ताजी हवा तथा रोशनी का भी कोई विशेष प्रबंध नहीं था जिसके कारण मजदूरों का स्वास्थ्य प्रायः बिगड़ जाता था। इसके अतिरिक्त मजदूरों को लगभग 16 घंटे प्रतिदिन काम करना पड़ता था। बच्चों तथा स्त्रियों को सस्ती मजदूरी पर रख लिया जाता था और उनसे बहुत कठोर व्यवहार किया जाता था।

प्रश्न 17.
मजदूर संघों का विकास अहस्तक्षेप की नीति को समाप्त करने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ।?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के साथ-साथ यह धारणा भी जोर पकड़ने लगी कि सरकार को व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस सिद्धांत का प्रतिपादन ‘वैल्थ आफ नेशंस’ नामक पुस्तक में किया गया था। इस पुस्तक के लेखक एडम स्मिथ की सरकार ने इस सिद्धांत को स्वीकार करके व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप करना बंद कर दिया।

सरकार की अहस्तक्षेप की इस नीति का मजदूरों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उद्योगपति मजदूरों को वेतन तो कम देते थे, परंतु उनसे काम अधिक लेते थे। मजदूर सरकार से किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं कर सकते थे। विवश होकर उन्होंने अपनी दशा स्वयं सुधारने का निश्चय किया। उन्होंने अपने संघों का निर्माण किया और उचित वेतन तथा काम के उचित घंटों के लिए संघर्ष आरम्भ कर दिया। परंतु जब उद्योगपतियों ने मजदूरों की माँग की ओर ध्यान न दिया तो अनेक स्थनों पर खून-खराबा हुआ। विवश होकर सरकार को उद्योगपतियों और मजदूरों के झगड़ों में हस्तक्षेप करना पड़ा। सरकार ने मजदूरों के भलाई के लिए कानून पास किये। इस प्रकार मजदूर संघों के कारण सरकार को अहस्तक्षेप की नीति को छोड़ना पड़ा।

भूमध्यसागरीय पत्तनों (बंदरगाह) से हटकर हालैंड और ब्रिटेन के अटलांटिक पत्तनों पर पहुँच गया। इसके बाद तो लंदन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण प्राप्ति का प्रावधान स्रोत बन गया। साथ ही यह इंग्लैंड, अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र भी बन गया। अमेरिका और एशिया में व्यापार करने वाली कंपनियों के कार्यालय लंदन में ही थे। इंग्लैंड में विभिन्न बाजारों के बीच माल की आवाजाही मुख्य रूप से नदी मार्गों तथा सुरक्षित खाड़ियों द्वारा होती थी।

इंग्लैंड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र बैंक ऑफ इंग्लैंड (1694 में स्थापित) था। 1820 के दशक तक प्रांतों में 600 से अधिक बैंक थे। इनमें से 100 से भी अधिक बैंक अकेले लंदन में ही थे। बड़े-बड़े औद्योगिक उद्यम स्थापित करने और चलाने के लिए आवश्यक वित्तीय साध न इन्हीं बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ब्रिटेन में 1850 ई. तक रेलवे के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1814 में भाप से चलने वाला पहला रेल का इंजन (स्टीफेनसन का रॉकेट) बना । अब रेलगाड़ियाँ परिवहन का महत्त्वपूर्ण साधन बन गई। ये वर्षभर उपलब्ध रहती थीं, सस्ती और तेज थीं और माल तथा यात्री दोनों को ढो सकती थीं। इस साधन में एक साथ दो आविष्कार सम्मिलित थे-लोहे की पटरी जिसने 1760 के दशक में लकड़ी की पटरी का स्थान ले लिया और भाप इंजन द्वारा लोहे की पटरी पर रेल के डिब्बों को खींचना।

पकिंग डेविल-रेलवे के आविष्कार के साथ औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने दूसरे चरण में प्रवेश किया। 1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन बनाया जिसे ‘पकिंग डेविल’ अर्थात् … “फुफकारने वाला दानव” कहते थे। यह इंजन ट्रकों को कॉर्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था।

ब्लचर-1814 में एक रेलवे इंजीनियर जॉर्ज स्टीफेनसन ने एक और रेल इंजन बनाया जिसे ‘बलचर’ (The Blutcher) कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रति घंटे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था। रेलवे का विस्तार-सर्वप्रथम 1825 में स्टॉकटन और डार्लिंगटन शहरों के बीच रेल द्वारा 9 मील की दूरी 15 मील प्रति घंटा की गति से तय की गयी। इसके बाद 1830 में लिवरपूल और मैनचेस्टर को आपस में रेलमार्ग से जोड़ दिया गया। 20 वर्षों के भीतर ही रेल की गति 30 से 50 मील प्रति घंटा तक पहुंच गई ।

1830 के दशक में नहरी परिवहन में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई –

  • नहरों के कुछ हिस्सों में जलपोतों की भीड़भाड़ के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई।
  • पाले, बाद, या सूखे के कारण नहरों के प्रयोग का समय भी सीमित हो गया।

अतः अब रेलमार्ग की परिवहन का सुविधाजनक विकल्प दिखाई देने लगा। 1830 से 1850 के बीच ब्रिटेन में रेल मार्ग 6000 मील लंबा हो गया। 1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान 1400 मील लंबी रेल लाइन बनाने की मंजूरी दी गई। इस कार्य में कोयले और लोहे का भारी मात्रा में उपयोग किया गया और बड़ी संख्या में लोगों को काम पर लगाया गया। 1850 तक अधिकांश इंग्लैंड रेलमार्ग से जुड़ गया।

प्रश्न 2.
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के कारण औरतों तथा बच्चों के काम करने के तरीकों में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण औरतों और बच्चों के काम करने के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए । ग्रामीण गरीबों के बच्चे सदा घर या खेत में अपने माता-पिता या संबंधियों की निगरानी में तरह-तरह के काम करते थे। उनके काम समय, दिन या मौसम के अनुसार बदलते रहते थे। इसी प्रकार गाँवों की औरतों भी खेती के काम में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती थीं। वे पशुओं की देख-रेख करती थी, लकड़ियों इकट्ठी करती थीं और अपने घरों में चरखे चलाकर सूत काटती थीं।

कारखानों में काम-औद्योगिक क्रांति के बाद औरतें तथा बच्चे कारखानों में काम करने लगे । कारखानों में काम करना घरेलु कामों से बिल्कुल अलग था। वहाँ लगातार कई घंटों तक कठोर एवं खतरनाक परिस्थितियों में एक ही तरह का काम कराया जाता था।

पुरुषों की मजदूरी मामूली होती थी। इससे घर का खर्च नहीं चल सकता था। इसे पूरा करने के लिए औरतों और बच्चों को भी कुछ कमाना पड़ता था। ज्यों-ज्यों मशीनों का प्रयोग बढ़ता गया, काम, पूरा करने के लिए मजदूरों की जरूरत कम होती गई। उद्योगपति पुरुषों की बजाय औरतों ओर बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसंद करते थे। इसके दो कारण थे-एक तो इन्हें कम मजदूरी देनी पड़ती थी। दुसरे वे अपने काम की घटिया परिस्थितियों के बारे में कम ही शिकायत करते थे।

स्त्रियों और बच्चों को लंकाशायर यॉर्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में लगाया जाता था। रेशम, फौते बनाने और बुनने के उद्योग-धंधों में और बर्मिघम के धात उद्योग मे अधिकतर बच्चों तथा औरतों को ही नौकरी दी जाती थी। कपास काटने की जेनी जैसे अनेक मशीने तो कुछ इस तरह की बनाई गई थी कि उनमें बच्चे ही अपनी फुर्तीली उंगलियों और छोटी सी कद-काठी के कारण आसानी से काम कर सकते थे। बच्चों को कपड़ा मिलों में इसलिए भी रख जाता था क्योंकि वहाँ पास-पास रखी गई मशीनों के बीच से छोटे बच्चे आसानी से आ-जा सकते थे। बच्चों से कई घंटों तक काम लिया जाता था।

यहाँ तक कि उन्हें रविवार को भी मशीनें साफ करने के लिए काम पर आना पडता था। परिणामस्वरूप उन्हें ताजी हर खाने या व्यायाम करने का समय नहीं मिलता था। कई बार तो बच्चों के बाल, मशीनों में फंस जाते थे या उनके हाथ कुचल जाते थे। बच्चे काम करते-करते इतने थक जाते थे कि उन्हें नींद की झपकी आ जाती था और वे मशीनों में गिरकर मौत के शिकार हो जाते थे। कोयला खानों में काम-कोयले की खाने भी काम की दृष्टि से बहुत खतरनाक होती थीं।

कई बार खानों की छते फँस जाती थी अथवा उनमें विस्फोट हो जाता था। चोटें लगाना तो वहाँ आम बात थी। कोयला खानों के गहरे अंतिम छोरों को देखने के लिए रास्ता, वयस्कों के लिए बहुत संकरा होता था। इसलिए वहाँ बच्चों को ही भेजा जाता था। छोटे बच्चों को कोयला खानों में ‘ट्रैपर’ का काम भी करना पड़ता था। कोयला खानों में जब कोयले से भरे डिब्बे इधर-उधर ले जाये जाते थे, तो बच्चे आवश्यकतानुसार दरवाजों को खोलते और बंद करते थे। यहाँ तक कि वे ‘कोल बियरर्स’ के रूप में अपनी पीठ पर कोयले का भारी वजन भी ढोते थे।

प्रश्न 3.
इंग्लैंड के श्रमिकों में बढ़ते हुए विरोध के प्रति सरकार से क्या नीति अपनाई?
उत्तर:
इंग्लैंड की फैक्ट्रियों में काम करने की कठोर परिस्थितियों के विरुद्ध राजनीतिक विरोधता बढ़ता जा रहा था। श्रमिक मताधिकार प्राप्त करने के लिए भी आंदोलन कर रहे थे। इसके प्रति सरकार ने दमनकारी नीति अपनायी और कानून बनाकर, लोगों से विरोध-प्रदर्शन का अधिकार छीन लिया।

जुड़वाँ अधिनियम – 1795 में ब्रिटेन की संसद ने दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए। इनके अनुसार भाषण अथवा लेखन द्वारा सम्राट् संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा फैलाना अवैध घोषित कर दिया गया। 50 से अधिक लोगों द्वारा अनाधिकृत रूप से सार्वजनिक बैठक करने पर रोक लगा दी गई। परंतु पुराने भ्रष्टाचार (Old Corruption) के विरुद्ध आंदोलन चलता रहा।

‘पुराना भ्रष्टाचार’ शब्द का प्रयोग राजतंत्र और संसद् के संबंध में किया जाता था। संसद् के सदस्य जिनमें भू-स्वामी, उत्पादक तथा व्यवसायी लोग शामिल थे, श्रमिकों को वोट का अधिकार दिए जाने के विरुद्ध थे। उन्होंने कार्न लॉज (अनाज के कानून) का समर्थन किया। इस कानून के अंतर्गत विदेश से ससं अनाज के आयात पर तब तक रो लगा दी गई थी जब तक कि ब्रिटेन में इन अनाजों की कीमत में निश्चित स्तर पर तक वृद्धि न हो जाए।

ग्रैड के लिए दंगे – जैसे-जैसे शहरों और कारखानों में श्रमिक की संख्या बढ़ी, वे अपने क्रोध को हर तरह के विरोध में प्रकट करने लगा। 1790 के दशक से पूरे देश में ब्रैड अथवा भोजन के लिए दंगे होने लगे। गरीबों का मुख्य आहार ब्रैड ही था और इसके मूल्य पर ही उनके रहन-सहन का स्तर निर्भर करता था। उन्होंने ब्रैड के भंडारों पर कब्जा कर लिया और उसे मुनाफाखोरों द्वारा लगाई गई कीमतों से काफी कम मूल्य पर बेचा जाने लगा। इस बात का ध्यान रखा गया कि कीमतें नैतिक दृष्टि से सही हों। ऐसे दंगे 1795 ई. में युद्ध के दौरान बार-बार हुए और ये 1840 के दशक तक चलते रहे।

चकबंदी का मजदूर परिवारों पर प्रभाव – चकबंदी अथवा बाड़ा पद्धति भी परेशानी का कारण थी। इसके द्वारा 1770 के दशक से छोटे-छोटे सैकड़ों खेत धनी जमींदारों के बड़े फार्मों में मिला दिए गए थे। इस पद्धति से कई गरीब परिवार बुरी तरह प्रभावित हुए। उन्होंने औद्योगिक काम देने की मांग की।

न्यनतम वैध मजदूरी की माँग – कपड़ा उद्योग में मशीनों के प्रचलन से भी हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए थे। वे गरीबी की मार झेलने को विवश थे, क्योंकि वे मशीनों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। 1790 के दशक से ये बुनकर अपने अपने लिए न्यूनतम वैध मजदूरी की मांग करने लगे। परंतु संसद् ने इस मांग को ठकरा दिया। हडताल करने पर उन्हें तितर-बितर कर दिया गया।

हताशा होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया, क्योंकि वे समझते थे कि बिजल. के इन्हीं करधों ने ही उनकी रोजी-रोट छीनी है। नॉटिंघम में ऊनी कपड़ा उद्योग में भी मशीनों के चलन का विरोध किया गया। इस तरह लैस्टरशायर (Leicesterhire) और डर्बीशायर (Derbvshire) में भी विरोध प्रदर्शन हुए। यार्कशायर (Yorkshire) में ऊन काटने वालों ने ऊन काटने के ढाँचों (शीयरिंग फ्रेम) को नष्ट कर दिया।

ये लोग अपने हाथों से भेड़ों के बालों की कटाई करते थे। 1830 के दंगों में फर्मों में काम करने वाले श्रमिकों को भी अपना धंधा चौपट होता दिखाई दिया, क्योंकि भूसी से दाना अलग करने के लिए नयी श्रेशिंग मशीन का प्रयोग शुरू हो गया था। दंगाइयों ने इन मशीनों तोड डाला। परिणामस्वरूप नौ दंगाइयों को फांसी का दंड दिया गया और 450 लोगों को कैदियों के रूप में ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

लुडिज्य आंदोलन – जनरल नेद्र वुड के नेतृत्व में लुडिज्म (1811-17) नामक एक आंदोलन चलाया गया। लुडिज्म के अनुयायी केवल मशीनों में ही विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि उनकी कई अन्य माँगे भी थीं। ये माँगें थीं-न्यूनतम मजदूरी नारी एवं बाल श्रम पर नियंत्रण मशीनों के प्रयोग से बेरोजगार हुए लोगों के काम और कानूनी तौर पर अपनी माँगें पेश करने के लिए मजदूर संघ बनाने का अधिकार।

सेंट पीटर्स के मैदान में प्रदर्शन – औद्योगिक के प्रारंभिक चरण में श्रमिकों के पास अपना क्रोध व्यक्त करने के लिए न तो वोट देने का अधिकार था और न ही कोई कानूनी ढंग। अगस्त, 1819 में 80,000 श्रमिक अपने लिए लोकतांत्रिक अधिकारों अर्थात् राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएं करने और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की माँग करने के लिए मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स (St Peter’s Field) मैदान में शांतिपूर्ण एकत्रित हुए।

परंतु उनका बर्बरतापूर्वक दमन कर दिया गया। इसे पीटर लू नरसंहार कहा जाता था। इससे कुछ लाभ भी हुए। पीटर लू के बाद उदारवादी राजनीतिक दलों द्वारा ब्रिटिश संसद् के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की आवश्यकता अनुभव की गई। 1824-25 में जुड़वां अधिनियमों को भी रद्द कर दिया गया।

प्रश्न 4.
ब्रिटेन की सरकार द्वारा श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए कौन-कौन से कानूनी पग उठाये गये?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के आरंभ में इंग्लैंड में श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए कुछ कानून बनाए गए।
1. 1819 का कानून – 1819 के कानून के अनुसार नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर रोक लगा दी गई। नौ से सोहल वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने का समय 12 घंटे तक सीमित कर दिया गया। परंतु इस कानून में इसका पालन कराने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं की गई थी। अतः संपूर्ण उत्तरी इंग्लैंड में श्रमिकों द्वारा इस का भारी विरोध किया गया।

2. 1833 का अधिनियम – 1833 में एक अन्य अधिनियम पारित किया गया। इसके अंतर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम की फैक्ट्रियों में काम पर लगाने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घंटे सीमित कर दिए, गए। कुछ फैक्टरी निरीक्षकों की भी व्यवस्था की गई, ताकि अधिनियम के पालन को सुनिश्चित किया जा सके

3. ‘दस घंटा विधेयक’ – 1817 ई. में ‘दस घंटा विधेयक पारित किया गया। इस कानून ने स्त्रियों और युवकों के लिए काम के घंटे सीमित कर दिए। पुरुष श्रमिकों के लिए 10 घंटे का दिन निश्चित कर दिया। ये अधिनियम कपड़ा उद्योगों पर ही लागू होते थे, खनन उद्योग पर नहीं। सरकार द्वारा स्थापित 1842 के खान आयोग ने यह बताया कि 1833 का अधिनियम लागू होने से खानों में
काम करने की परिस्थितियाँ और अधिक खराब हो गई हैं। इससे बच्चों को पहले से कहीं अधिक . संख्या में कोयला खानों में काम पर लगाया जाने लगा था। अत: इस दिशा में भी कुछ पग उठाये
गए।

4. खान और कोयला खान अधिनियम – यह अधिनियम 1842 में पारित हुआ। इसके अनुसार दर वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर रोक लगा दी गई।

5. फील्डर्स फैक्टूरी अधिनियम – यह अधिनियम 1847 में पारित हुआ। इसमें कहा गया कि अठारह साल से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर रोक लगा दी गई।

इन कानूनों का पालन फैक्ट्री निरीक्षकों द्वारा करवाया जाना था। परंतु यह एक कठिन काम था। निरीक्षकों का वेतन बहुत कम था। प्रायः प्रबंधक उन्हें रिश्वत देकर आसानी से उनका मुँह बंद कर देते थे। दूसरी ओर माता-पिता भी अपने बच्चों की आयु के बारे में झूठ बोलकर उन्हें काम पर लगवा देते थे, ताकि उनकी मजदूरी से घर का खर्च चलाया जा सके।

प्रश्न 5.
क्या कपास या लोहा उद्योगों में अथवा विदेशी व्यापार में 1780 के दशक से 1820 के दशक तक हुए विकास को ‘क्रांतिकारी’ कहा जा सकता है?
उत्तर:
नयी मशीनों के प्रयोग से सूती कपड़ा उद्योग में जो संवृद्धि हुई वह ऐसे कच्चे माल (कपास) पर आधारित थी जो ब्रिटेन में बाहर से मंगवाया जाता था। इसका कारण यह था कि इंग्लैंड में कपास नहीं उगाई जाती थी। तैयार माल भी दूसरे देशों में (विशेषतः भारत में) बेचा जाता था। धातु से बनी मशीनें और भाप की शक्ति तो उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक दुर्लभ रही। ब्रिटेन के आयात और निर्यात में 1780 के दशक से होने वाली तीव्र वृद्धि का कारण यह था कि अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप उत्तरी अमेरिका के साथ रुका व्यापार फिर से शुरू हो गया था। इस वृद्धि को इसलिए तीव्र कहा गया क्योंकि जिस बिंदु से इसका प्रारंभ हुआ था वह काफी नीचे था।

आर्थिक परिवर्तन के सूचकांक से पता चलता है कि सतत् औद्योगीकरण 1815-20 से पहले की बजाय बाद में हुआ था। 1793 के बाद के दशकों में फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के युद्धों के विघटनकारी प्रभावों को अनुभव किया गया था। वास्तव में औद्योगिकरण का अर्थ निर्माण करने, आधारभूत ढाँचा तैयार करने अथवा नयी-नयी मशीनें लगाने के उद्देश्य से निवेश करने से है। इन सुविधाओं के कुशलतापूर्वक उपयोग का स्तर बढ़ाना और उत्पादकता में वृद्धि करना भी औद्योगीकरण की प्रक्रिया में शामिल है। ये बातें 1820 के बाद ही धीरे-धीरे दिखाई दी। 1840 के दशक तक कपास, लोहा और इंजीनियरिंग उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन कुल उत्पादन के आधे से भी कम था।

तकनीकी प्रगति इन्हीं शाखाओं तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वह कृषि संसाधन तथा मिट्टी के बर्तन बनाने (पौटरी) जैसे अन्य उद्योग धंधे में भी देखी जा सकती थी। अतः कपास, लोहा उद्योग विदेश व्यापार में 1780 से 1820 के दशकों तक हुए विकास (सम्वृद्धि) को हम क्रान्तिकारी नहीं कह सकते।

प्रश्न 6.
ब्रिटेन में औद्योगिक विकास 1815 से पहले की अपेक्षा उसके बाद अधिक तेजी से क्यों हुआ?
उत्तर:
1760 के दशक से IN15 तक ब्रिटेन ने एक साथ दो कम करने का प्रयास किया-पहला औद्योगीकरण और दूसरा यूरोप, उत्तरी अमेरिका और भारत में युद्ध लड़ना । इतिहासकारों के अनुसार वह इनमें से एक काम करने में असफल रहा। ब्रिटेन 1760 के बाद से 1820 तक की अवधि में 36 वर्ष तक लड़ाई में व्यस्त रहा। उद्योगों में निवेश के लिए उधार ली गई सारी पूंजी युद्ध लड़ने में खर्च कर दी गई। यहाँ तक कि युद्ध का 35 प्रतिशत तक खर्च लोगों पर कर लगाकर पूरा किया जाता था।

कामगारों और श्रमिकों को कारखानों तथा खेतों में से निकालकर सेना में भर्ती कर दिया जाता था। खाद्य पदार्थों की कीमतें तो इतनी तेजी से बढ़ी कि गरीबों के पास दैनिक उपयोग की सामग्री खरीदने के लिए भी बहुत कम पैसा बचता था। नेपोलियन की नाकेबन्दी की नीति, और ब्रिटेन द्वारा उसे असफल बनाने के प्रयासों ने यूरोप महाद्वीप को व्यापारिक दृष्टि से अवरुद्ध कर दिया। इससे ब्रिटेन से निर्यात होने वाले अधिकांश निर्यात स्थल ब्रिटेन के व्यापारियों की पहुंच से बाहर हो गए।

क्रिस्टल पैलेस की प्रदर्शनी – 1851 में लन्दन में विशेष रूप से निर्मित स्फटिक महल (क्रिस्टल पैलेस) में ब्रिटिश उद्योगों की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए एक विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसे देखने के लिए दर्शकों का तांता लग गया। उस समय देश की आधी जनसंख्या शहरों में रहती थी। परन्तु शहरों में रहने वाले कामगारों में जितने लोग हस्तशिल्प की इकाइयों में काम करते थे, लगभग उतने ही फैक्ट्रियों या कारखानों में कार्यरत थे।

1850 के दशक से शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों का अनुपात अचानक बढ़ गया। इनमें से अधिकांश लोग उद्योगों में काम करते थे अर्थात् वे श्रमजीवी वर्ग के थे। अब ब्रिटेन के समूचे श्रमिक बल का केवल 20 प्रतिशत भाग ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहता था। औद्योगीककरण की यह गति अन्य यूरोपीय देशों में हो रहे औद्योगीकरण की अपेक्षा बहुत अधिक तेज थी। इतिहासकार ए.ई. मस्सन ने ठीक ही कहा है, “1850 से 1914 तक की अवधि की एक ऐसा काल मानने के लिए पर्याप्त आधार है, जिसमें औद्योगिक क्रान्ति वास्तव में अत्यन्त व्यापक पैमाने पर हुई। इसने सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था और समाज की कायापलट कर दी।”

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत हुए आविष्कारों की विस्तृत जानकारी दें।
उत्तर:
17वीं, 18वीं तथा 19वीं शताब्दी के आरंभ में यूरोप में विज्ञान एंव तकनीकि के क्षेत्र में बड़ा, विकास हुआ जसके फलस्वरूप इन देशों में नए-नए आविष्कार हुए। इन आविष्कारों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है –
1. फ्लाइंग शटल – फ्लाइंग शटल का आविष्कार “जॉन के’ (John kay) ने 1733 ई. में किया। इसकी सहायता से कपड़ा शीघ्रता से बुना जाने लगा। इस कपड़े की चौड़ाई पहले से दुगनी थी।

2. स्पिनिंग जैनी – स्पिनिंग जैनी नामक मशीन का आविष्कार हारग्रीब्ज (Hargreaves) ने 1765 ई. किया। इस मशीन में आठ तकुओं की व्यवस्था थी। इस प्रकार आठ मजदूरों का काम एक मशीन करने लगी। इसकी सहायता से काता गया सूत बारीक होता था, परंतु वह मजबूत नहीं होता था।

3. वाटर फ्रेम – वाटर फ्रेम का आविष्कार आर्कराइट नामक एक नाई ने 1769 ई. में किया। यह मशीन भी पनशक्ति से चलती थी। इसकी सहायता से मजबूत कपड़ा बुना जा सकता था। इस प्रकार वाटर फ्रेम के आविष्कार ने कपड़ा उद्योग में एक क्रांति पैदा कर दी। एक विशेष बात यह थी कि इस मशीन को घर में नहीं लगाया जा सकता था। अतः इंग्लैंड में कारखानों का जन्म हुआ।

4. मूल्य – मूल्य का आविष्कार सैमुअल क्रांपटन (Sammuel Crompton) ने 1779 ई. में किया। इस मशीन में हारग्रीब्ज को स्पिनिंग जैनी तथा आर्कराइट के वाटर फ्रेम के सभी गुण विद्यमान थे। यह मशीन भी शक्ति से चलाई जाती थी। इसकी सहायता से काटा गया धागा बारीक तथा पक्का होता था। इसके अतिरिक्त इसमें कई धागे एक साथ काते जा सकते थे।

5. पावरलूम – पावलूम का आविष्कार कार्टराइट ने सन् 1787 ई. में किया। यह मशीन भाप की शक्ति से चलती थी। इसके आविष्कार से उद्योगों में एक क्रांति आ गई। अब कपड़ा बहुत तेजी से बुना जाने लगा।

6. काटन जिन – काटन जिन नामक मशीन का आविष्कार 1793 ई. में एलीविने ने किया। इसकी सहायता से कपास से बिनौले बड़ी शीघ्रता से अगल किए जाने लगे। इस महत्वपूर्ण आविष्कार ने सूति कपड़े के उद्योग में आश्चर्यजनक क्रांति ला दी। अब कपड़ा और भी शीघ्रता से बुना जाने लगा।

7. सिलिंडर प्रिंटिंग – सिलिंडर प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार 18 वीं शताब्दी के अंत में हुआ। इस आविष्कार से कपड़े की धुलाई व रंगाई में महान परिवर्तन आए। इससे सूती कपड़ा उद्योग बहुत उन्नत हो गया।

8. भाप का इंजन – सबसे पहले भाप इंजन का आविष्कार न्यूकोमन ने किया था। तत्पश्चात् जेम्स वॉट (James watt) ने इसमें कई सुधार किए। इसके बाद इसकी उपयोगिता ओर भी बढ़ गई। वास्तव में यदि देखा जाए तो औद्योगिक क्रांति का आरंभ ही जेम्स वॉट के भाप इंजन से हुआ।

9. लोहा तथा कोयला उद्योग में क्रांति – औद्योगिक क्रांति की प्रगति के लिए लोहे की माँग अब निरंतर बढ़ने लगी। फलतः लोहा तथा कोयला उद्योग मे बहुत-से क्रांतिकारी परिवर्तन आए। लोहे को पिघलाने के लिए अब लकड़ी के बजाए पत्थर के कोयले का प्रयोग हाने लगा। इससे लोहे का पिघलाने का काम बहुत आसान हो गया। पहले मशीनें भी लकड़ी की बनाई जाती थीं।

अब लकड़ी का स्थान लोहे ने ले लिया और लोहे की असंख्य मशीनें बनाई जाने लगी। खानों. में काम करने वाले मजदूरों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1815 में सर हफ्री डैवी (Sir Humphry Davy) ने सुरक्षा लैंप (Safety Lamp) का आविष्कार किया। इस प्रकार अब खानों में काम करना भी सरल हो गया।

10. सड़कें बनाने में क्रांति – औद्योगिक प्रगति के लिए यातयात के साधनों का होना नितांत आवश्यक था। औद्योगिक क्रांति से पूर्व सड़कों की दशा अच्छी न थीं। माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। 18वीं शताब्दी के अंत में स्कॉटलैंड के एक अभियंता (Engineer) मैकऐडम ने सड़क बनाने के लिए छोटे-छोटे पत्थरों का प्रयोग किया। तत्पश्चात् टैलीफोर्ड तथा मैटकॉक ने अच्छी सड़कों के निर्माण में काफी योगदान दिया। पक्की सड़कों के बन जाने के कारण औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहित मिला।

11. नहर बनाने में क्रांति – लोहे तथा कोयले जैस भारी माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए नहरों का निर्माण आरंभ हुआ। इंग्लैंड में सबसे पहली नहर 1761 ई. में ब्रिडल नामक एक इंजीनियर की देख-रेख में बनाई गई। यह नहर बर्सेलसे मानचैस्टर तक बनाई गई। इसके बाद तो बहुत-सी नहरों का निर्माण हुआ और लंकाशायर तथा मानचेस्टर के व्यापारिक क्षेत्र आपस में मिला दिए गए।

12. रेलवे इंजन – 1884 ई. में जार्ज स्टीफेन्सन ने पहला लोको-मोटिव इंजन बनाया जो भाप की शक्ति से चलता था। 1830 में मानचेस्टर और लिवरपूल के बीच पहली रेल-लाइन बनाई गई । इस प्रकार परिवहन के साधनों के विकास में एक नया परिवर्तन आया।

प्रश्न 8.
कृषि-क्रांति के बारे में विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
18वीं शताब्दी में कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग से कृषि के साधनों में परिवर्तन आया। नई-नई मशीनों की खोज भी हुई जिनके कारण भूमि को जोतने तथा फसल काटने के ढंग पूर्णतया बदल गए। इस प्रकार कृषि के क्षेत्र में आश्चर्यजनक उन्नति हुई। तीव्र गति से कृषि का रूप बदलने वाले इन तरीकों को कृषि क्रांति के नाम से पुकारा जाता है।

कारण – प्राचीन कृषि के ढंग परंपरागत तथा रूढ़िवादी थे। किसानों के खेत छोटे-छोटे तथा दूर-दूर स्थित थे। किसानों को अपना ध्यान उनकी ओर लगाना पड़ता था जिससे उनका बहुत सः

प्रश्न 9.
औद्योगिक क्रांति के सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव क्या थे? (V.Imp)
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के लोगों के जीवन के हर पहलू पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने इंग्लैंड को कृषि प्रधान देश से औद्योगिक देश बना दिया औद्योगिक क्रांति के प्रमुख सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव निम्नलिखत थे –
1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि – इस क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड विश्व का सबसे बड़ा औद्योगिक देश बन गया। उसके व्यापारिक संबंध विदेशों से स्थापित हुए। विदेशों में उनका माल बिकने लगा। इस प्रकार इंग्लैंड की राष्ट्रीय आय में काफी वृद्धि हो गई।

2. कुटीर उद्योग का अंत – औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप ऐसी मशीनों का आविष्कार हुआ जिन्हें घर में नहीं लगाया जा सकता था। इसलिए देश में असंख्य कारखानों की स्थापना हुई। इस प्रकार इंग्लैंड में कुटीर उद्योग लगभग समाप्त हो गए।

3. नवीन औद्योगिक नगरों की स्थापना – औद्योगिक क्रांति से पूर्व इंग्लैंड में नगरों की संख्या बहुत कम थी। परंतु औद्योगि क्रांति के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए। अत: इंग्लैंड में मानचैस्टर, लंकाशायर, बर्मिघम, शैफील्ड आदि अनेक बड़े-बड़े औद्योगिक नगर बस गए।

4. अधिक तथा सस्ता माल – मशीनों का आविष्कार हो जाने से वस्तुएँ अधिक मात्रा में तैयार की जाने लगीं। इनका मूल्य भी कम होता था। अतः लोगों को आसानी से सस्ता माल मिलने लगा।

5. बेकारी में वृद्धि – औद्योगिक क्रांति का सबसे बुरा प्रभाव यह हुआ कि इसने घरेलू दस्तकारियों (Home Industries) का अंत कर दिया। एक मशीन अब कई आदमियों का काम अकेली करने लगी। परिणामस्वरूप हाथ से काम करने वाले कारीगर बेकार हो गए।

6. नवीन वर्गों का जन्म – औद्योगिक क्रांति से मजूदर तथा पूंजीपति नामक दो नवीन वर्गों का जन्म हुआ। पूंजीपतियों ने मजदूरों से बहुत कम वेतन पर काम लेना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप निर्धन लोग और निर्धन हो गए तथा देश की समस्त पूंजी कुछ एक पूंजीपतियों की तिजोरियों में भरी जाने लगी। इस विषय में किसी ने ठीक ही कहा है, “औद्योगिक क्रांति ने घनियों को और अधिक धनी तथा निर्धनों को और भी निर्धन कर दिया।

7. भूमिहीन मजदूरों की संख्या में वृद्धि – औद्योगिक क्रांति ने छोटे-छोटे कृषकों को अपनी भूमि बेचकर कारखानों में काम करने पर बाध्य कर दिया। अतः भूमिहीन मजदूरों की संख्या में वृद्धि होने लगी।

8. छोटे कारीगरों का मजदूर बनाना – औद्योगिक क्रांति के कारण अब मशीनों द्वारा मजबूत तथा पक्का माल शीघ्रता से बनाया जाने लगा। इस प्रकार हाथ से. बुने हुए अथवा करते हुए कपड़े की मांग कम होती चली गई। अतः छोटे कारीगरों ने अपना काम छोड़कर कारखानों में मजदूरों के रूप में काम करना आरंभ कर दिया।

9. स्त्रियों तथा छोटे बच्चों का शोषण – कारखानों में स्त्रियों तथा कम आयु वाले बच्चों से भी काम लिया जाने लगा। उनसे बेगार भी ली जाने लगी। इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ..

10. मजदूरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव – मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी खुले वातावरण के अभाव के कारण बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। अब वे स्वच्छ की अपेक्षा कारखानों की दूषित वायु में काम करते थे।

प्रश्न 10.
औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में पहले क्यों आई? अथवा, औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में आई और क्यों?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से हमारा अभिप्राय उन परिवर्तनों से है जिनके कारण 18वीं शताब्दी में कारखाना पद्धति का जन्म हुआ। यह क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में आई। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे –
1. जनसंख्या में वृद्धि – इंग्लैंड की जनसंख्या में काफी वृद्धि हो गई थी जिसके साथ-साथ वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गई थी। इसलिए इंग्लैंड के लोगों का ध्यान औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने की ओर गया।

2. अंग्रेजों की बस्तियाँ – अंग्रेजों द्वारा स्थापित उपनिवेशों में वस्तुओं की माँग बढ़ चुकी “थी। अंग्रेज इन बस्तियों में अपना अतिरिक्त माल आसानी से खपा सकते थे।

3. कच्चे माल की प्राप्ति – अंग्रेजी साम्राज्य काफी विस्तृत हो चुका था। अतः अंग्रेज अपना माल अपने अधीन देशों में न केवल खपा सकते थे, अपितु उन्हें वहाँ सस्ते दामों पर कच्चा माल भी प्राप्त हो जाता था। यही कारण था कि औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही आई।

4. समृद्धि – वालपोल की सफल आंतरिक तथा विदेश नीति के कारण इंग्लैंड के लोग धनी हो गए थे। ये लोग बड़ी सुगमता से उद्योगों में अपनी पूँजी लगा सकते थे।

5. बैंकों की अधिकता – धन के लेन-देन में सहायता करने के लिए देश में बहुत-से बैंक थे। अत: बैंकों की अधिकता के कारण भी औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में शुरू हुई।

6. देश का शांत वातावरण – वालपोल ने अपनी विदेशी नीति द्वारा इंग्लैंड को 18वीं शताब्दी में यूरोप के युद्धों से अलग रखा। देश में शांति का वातावरण होने के कारण लोगों का ध्यान उद्योग तथा व्यापार की प्रगति की ओर आकृष्ट हुआ।

7. अनुकूल जलवायु – इंग्लैंड का लगभग प्रत्येक भाग समुद्र के निकट है। इसलिए वहाँ की जलवायु आई है जो कपड़े के उद्योग के लिए बड़ी लाभदायक होती है। यही कारण था कि सूती कपड़े का उद्योग सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही चमका।

8. कोयले तथा लोहे की खाने – इंग्लैंडे में लोहे तथा कोयले की खानें काफी मात्रा में थीं। ये खानें एक-दूसरे के बिल्कुल समीप थीं। इन खानों की समीपता भी इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के सर्वप्रथम आने का कारण बनी।

9. विदेशी व्यापार का विस्तार – अंग्रेज लोग अच्छे नाविक थे। उन्होंने समुद्री यात्राएँ की और नए-नए देश खोजकर उनसे व्यापारिक संबंध स्थापित हुए। इस प्रकार बढ़ते हुए व्यापार ने भी औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया।

10. समुद्री बेड़ा – अंग्रेजों के पास बहुत अच्छा समुद्री बेड़ा था। इसमें उन्हें माल को लाने और ले जाने में काफी सुविधा रहती थी। अच्छे समुद्री बेड़ें के होने से भी औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही आई।

11. विचारों की स्वतंत्रता – इंग्लैंड के लोगों को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता थी। उन पर सरकार की ओर से कोई प्रतिबंध न थे। अत: लोगों ने नई खोजें की जो औद्योगिक क्रांति का मुख्य कारण बनीं।

प्रश्न 11.
यूरोप तथा अमेरिका के औद्योगिक क्रांति के प्रसार का वर्णन करें। एशिया में सर्वप्रथम किस देश में यह क्रांति आई?
उत्तर:
1. इंग्लैंड (England) – मशीनी युग आरंभ होने के बाद 50 वर्षों के अंदर ही इंग्लैंड विश्व का सबसे बड़ा औद्योगिक राष्ट्र बन गया। उदाहरण के लिए 1813 ई. में इंग्लैंड भारत को केवल 50 हजार किलोग्राम सुती कपडा भेजता था, परंतु 1815ई. में यह मात्रा बढ़कर 25 लाख किलोग्राम हो गई। इंग्लैंड के खनिज उत्पादन में भी अत्यधिक वृद्धि हुई। यहाँ तक कि इंग्लैंड कोयले का निर्यात भी करने लगा। इस प्रकार इंग्लैंड एक महान् औद्योगिक राष्ट्र बन गया। परंतु यूरोप के अन्य औद्योगिक देशों में प्रगति नेपोलियन के पतनके पश्चात् ही आरंभ हुई।

2. फ्रांस, जर्मनी आदि (France,Germany etc.) – नेपोलियन के पतन के पश्चात् फ्राँस, बेल्ज्यिम, स्विट्जरलैंड तथा जर्मनी में मशीनों का प्रयोग आरंभ हुआ। परंतु इन देशों में उद्योगों का पूर्ण विकास काफी लंबे समय के बाद हुआ। इसका कारण यह था कि इनमें से कुछ देशों में राजनीतिक अस्थिरता फैली हुई थी। फ्रांस में सर्वप्रथम 1850 ई. में लोहा उद्योग स्थापित किया गया। 1865 ई. में जर्मनी का इस्पात उत्पादन काफी बढ़ गया फिर भी वह इंग्लैंड से पीर रहा। 1870 ई. में जर्मनी एकीकरण के पश्चात् इस राष्ट्र में आश्चर्यजनक औद्योगिक प्रगति हुई कुछ ही वर्षों में जर्मनी इंग्लैंड का ओद्योगिक प्रतिद्वंद्वी बन गया।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका (The United States) – संयुक्त राज्य अमेरिका में या मशीनों का प्रयोग इंग्लैंड से स्वतंत्रता मिलने के पश्चात ही आरंभ हो गया तथापि वहाँ भी उद्योग का विकास 1870 ई. के पश्चात् ही हो पाया। 1860 ई. में इस देश में सूती कपड़ा इस्पात तः जूता उद्योग अवश्य स्थापित हो चुके थे, परंतु इनके उत्पादन में वृद्धि 1870 ई. के पश्चात् ही हुई

4. रूस (Russia) – रूस यूरोप का ऐसा देश है जहाँ सबसे बाद में औद्योगिक क्रांति आ. वहाँ खनिज पदार्थों को तो कोई कमी नहीं थी, परंतु पूंजी तथा स्वतंत्र श्रमिकों के अभाव के का वहाँ काफी समय तक औद्योगिक विकास संभव न हो सका। रूस ने 1861 ई. में कृषि दा को स्वतंत्र कर दिया। उसे विदेशों से पूंजी भी मिल गई। फलस्वरूप रूप ने अपने औद्योगि विकास की ओर ध्यान दिया। वहाँ उद्योगों का आरंभ हो गया, परंतु इनका पूर्ण विकस 19. ई. की क्रांति के पश्चात् ही संभव हो सका। एशियाई देशों में सर्वप्रथम जापान में औद्यागिक विकास हुआ। 19वीं शताब्दी के ऑ वर्षों में जापान में इस्पात, मशीनों रासायनिक पदार्थों तथा धातु की वस्तुओं का बहुत अपि उत्पादन होने लगा। यहाँ तक कि जापान इन वस्तुओं को निर्यात भी करने लगा।

प्रश्न 12.
ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आरंभ में ब्रिटेन के लोग उन और लिनन बनाने के लिए सन से कपड़ा बुना क थे। सत्रहवीं शताब्दी में इग्लैंड भारत से भारी मात्रा मे सूती कपड़े का आयात करने लगा। प जब भारत के अधिकतर भागों में पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो ग तब इंग्लैंड ने कपड़ के साथ-साथ कच्चे माल के रूप में कपास का आयात करना भी आरं कर दिया। इंग्लैंड पहुँचने पर इसकी कताई की जाती थी और उससे कपड़ा बुना जाता था।

अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कताई का काम बहुत ही धीमा था। इसलिए कातने वाले दिनभर कताई के काम में लगे रहते थे, जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे के इंतजार में समय नष्ट करते रहते थे। परंतु प्रौद्यागिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हो जाने के बाद कपास से घागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति एकाएक बढ़ गई। इस कार्य में और अधिक कुशलता लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर फैक्ट्रियों अर्थात् कारखानों में चला गया।

एक के बाद एक नई मशीनों के आविष्कार हुए जिन्होंने कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण मशीनें निम्नलिखित –
1. फ्लाईंग शट्ल – फ्लाईंग शटल का आविष्कार जॉन के (John kay) ने 1773 ई. में किया। इसकी सहायता से अब कपड़ा शीघ्रता से बुना जाने लगा। इस कपड़े की चौड़ाई भी पहले से दुगुनी होती थी।

2. स्पिनिंग – स्पिनिंग जैनी नामक मशीन का आविष्कार हारग्रीब्ज (Hargreaves) ने 1785 ई. में किया। इस मशीन में आठ तकलों की व्यवस्था थी। इस प्रकार आठ मजदूरों का काम एक मशीन करने लगी। इसकी सहायता से काता गया सूत बारीक होता था परंतु यह मजबूत नहीं होता था।

3. वाटर फ्रेम – वाटर फ्रेम का आविष्कार रिचर्ड आर्कराइट नामक एक नाई ने 1769 ई. में किया। यह मशीन पन-शक्ति से चलती थी। इसकी सहायता से मजबूत कपड़ा बुना जा सकता. था। इस प्रकार वाटर फ्रेम के आविष्कार ने उद्योगों में एक क्रांति पैदा कर दी। इसकी एक विशेष। बात यह थी कि इस मशीन को घर में नहीं लगाया जा सकता था। अतः कारखानों का जन्म हुआ।

4. म्यूल – म्यूल का आविष्कार सेम्यूअल क्रॉम्पट ने 1779 ई. में किया। इस मशीन में हारग्रीब्ज की स्पिनिंग जैनी तथा आहाइट के वाटर फ्रेम के सभी गुण विद्यमान थे। यह मशीन भी पन-शक्ति से चलाई जाती थी। इसकी सहायता से काता हुआ धागा बारीक तथा पक्का होता था। इसके अतिरिक्त कई धागे एक साथ काते जा सकते थे।

5. पावरलूम – पावरलूम का आविष्कार 1787 में एडमंड कार्टराइट ने किया। पावरलूम को चलाना बहुत आसान था। जब भी धागा टूटता मशीन अपने आप काम करना बंद कर देती थी। इससे किसी तरह के धागे से बुनाई की जा सकती थी। 1830 के दशक से कपड़ा उद्योग में नयी-नयी मशीनें बनाने की बजाय श्रमिकों की। उत्पादकता बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

प्रश्न 13.
ब्रिटेन में धातुकर्म उद्योग का विकास कैसे हुआ? (V.Imp.)
उत्तर:
ब्रिटेन में धमनभट्टी के आविष्कार ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति ला दी। इसका आविष्कार 1709 में प्रथम अब्राहम डबी ने किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया । कोक में उच्चताप उत्पादन करने की शक्ति थी। इसे पत्थर के कोयले से गंध तथा अपद्रव्य निकालकर तैयार किया जाता था। इस आविष्कार के बाद भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्ठियों से निकलने वाले पिघले लोहे से पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया ओर लंबी ढलाई की जा सकती थी।

हलवा लोहे (pig-iron) से पटिवा लोहे (wrought-iron) का विकास किया गया जो कम भंगुर था। हेनरी कोर्ट ने आलोड़न भट्ठी (puddling furmance) और बेलन मिल (रोलिंग मिल) का आविष्कार किया। बेलन मिल में परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था। अब लोहे से अनेक उत्पादन बनाना संभव हो गया क्योंकि लोहे में टिकाऊपन अधिक था, इसलिए इसे मशीनें और रोजमर्रा की चीजें बनाने के लिए लकड़ी

से बेहतर सामग्री माना जाने लगा। लकड़ी तो जल या कट-फट सकती थी, परंतु लोहे के भौतिक तथा रसायनिक गुणों को नियंत्रित किया जा सकता था। 1770 के दशक में जोन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे से कुर्सियाँ, शराब डर्बी ने कोलबूकडेल में सेवन नदी पर विश्व में पहला लोहे का पुल बनाया। विल्किनसन ने पहली बार ढलवाँ लोहे से पानी की पाइपें बनाई।

इसके बाद लोहा उद्योग कुछ विशेष क्षेत्रों में कोयला खनन तथा लोहा प्रगलन की सामूहिक इकाइयों के रूप में केन्द्रित हो गया । यह ब्रिटेन का सौभाग्य था कि वहाँ उत्तम कोटि का कोकिंग कोयला और उच्च-स्तर का लौह खनिज साथ-साथ पाया जाता था। इसके प्राप्ति क्षेत्र पत्तनों के पास ही थे।

वहाँ ऐसे पाँच तटीय कोयला-क्षेत्र थे जो अपने उत्पादों को लगभग सीधे ही जहाजों – में लदवा सकते थे। कोयला क्षेत्र समुद्र तट के पास ही स्थित होने के कारण जहाज निर्माण का उद्योग और नौपरिवहन के व्यापार का बहुत अधिक विस्तार हुआ। 1800 से 1830 के दौरान ब्रिटेन के लौह उद्योग का उत्पादन लगभग चौगुना हो गया। उसका उत्पादन पूरे यूरोप में सबसे संस्ता भी था।

प्रश्न 14.
भाप की शक्ति ने ब्रिटेन के औद्योगिक में किस प्रकार सहायता पहुँचाई?
उत्तर:
भाप अत्यधिक शक्ति उत्पन्न कर सकती है। अतः यह बड़े पैमाने पर औद्योगिक के लिए सहायक सिद्ध हई। द्रवचालित शक्ति के रूप में जल सदियों से ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहा था। परंतु इसका उपयोग भाप के रूप में किया जाने लगा। भाप की शक्ति उच्च तापमान पर दबाव उत्पन्न करती है जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती हैं। पाप की शक्ति ऊर्जा का ऐसा स्रोत था जो भरोसेमंद और कम खर्चीला था।

खनन उद्योग तथा भाप, की शक्ति-भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खान उद्योग में किया गया। इसके प्रयोग से कोयले तथा अन्य धातुओं की माँग बढ़ने पर उन्हें और अधिक गहरी खानों में से निकालने के काम में तेजी आई। खानों में अचानक पानी भर जाना भी एक गंभीर समस्या थी।

1698 में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए माइनर्स फ्रेंड (खनन-मित्र) नामक एक भाप इंजन का मॉडल बनाया। परंतु ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे और दबाव बढ़ जाने पर उनका बॉयलर फट जाता था।

भाप का एक और इंजन 1712 में थॉमस न्यूकॉमेन ने बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन (कंडेंसिंग सिलिंडर) के लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रही थी। कारखानों में भाप की शक्ति का प्रयोग-1769 तक भाप के इंजन का प्रयोग केवल कोयले की खानों में होता रहा। तभी जेम्सवाट ने इसका एक अन्य प्रयोग खोज निकाला।

बाट ने एक ऐसी मशीन विकसित को जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पंप की बजाय एक ‘प्राइस मूवर’ के रूप में काम देने लगा। इससे कारखानों में शक्ति चलित मशीनों को कर्जा मिलने लगी। एक धनी निर्माता मैथ्य बॉल्टन की सहायता से वॉट ने 1775 में बर्मिघम में ‘साहो फाउंडरी’ स्थापित की। इस फाउंडरी में वॉट के स्टीम इंजन बड़ी संख्या में बनने लगे।

1800 के बाद भाप इंजन की प्रोद्योगिकी और अधिक विकसित हो गई। इसमें तीन बातों ने सहायता पहुँचाई –

  • अधिक हल्की मजबूत धातुओं का प्रयोग
  • अधिक सटीक मशीनी औजारों का निर्माण तथा
  • वैज्ञानिक जानकारी का व्यापक प्रसार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रांति के परिणामों में कौन-सा सही है?
(a) औद्योगिक नगरों का विकास
(b) मजदूरों की समृद्धि
(c) देशी कारीगरों का विनाश
(d) वर्ग भेद का उदय
उत्तर:
(a) औद्योगिक नगरों का विकास

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रांति ने समाज में निम्न में से कौन से एक नये वर्ग को जन्म दिया?
(a) वेतनभोगी श्रमिक वर्ग
(b) बेगार करने वाले श्रमिक
(c) संगठित श्रमिक वर्ग
(d) सुस्त श्रमिक वर्ग
उत्तर:
(a) वेतनभोगी श्रमिक वर्ग

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन इंगलैंड में औद्योगिक शहर नहीं है?
(a) डबलिन
(b) न्यूकासल
(c) लंदन
(d) मैनचेस्टर
उत्तर:
(a) डबलिन

प्रश्न 4.
यूरोपीय लोग मुद्रण प्रणाली के ज्ञान हेतु किसके ऋणी रहे?
(a) चीनी
(b) मंगोल
(c) चीनियों तथा मंगोल शासक
(d) चीन एवं भारत
उत्तर:
(c) चीनियों तथा मंगोल शासक

प्रश्न 5.
औद्योगिक क्रांति किस सदी में हुई थी?
(a) 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध
(b) 19वीं सदी में
(c) 17वीं सदी में
(d) 21वीं सदी में
उत्तर:
(a) 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध

प्रश्न 6.
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार किया ………………..
(a) हारग्रीब्ज ने
(b) जेम्सवाट
(c) कार्टराइट ने
(d) एडमंड ने
उत्तर:
(a) हारग्रीब्ज ने

प्रश्न 7.
तार का आविष्कार किस वर्ष हुआ?
(a) 1835
(b) 1836
(c) 1837
(d) 1839
उत्तर:
(a) 1835

प्रश्न 8.
टेलिफोन का आविष्कार किस वर्ष हुआ?
(a) 1876
(b) 1877
(c) 1878
(d) 1979
उत्तर:
(a) 1876

प्रश्न 9.
‘दास कैपिटल’ के रचनाकार हैं ……………..
(a) मार्क्स
(b) गैटेक
(c) अरस्तू
(d) कार्ल एईस
उत्तर:
(a) मार्क्स

प्रश्न 10.
दूसरी औद्योगिक क्रांति कब आई?
(a) 1850 के बाद
(b) 1950
(c) 1833
(d) 1834
उत्तर:
(a) 1850 के बाद

प्रश्न 11.
भाप के इंजन का आविष्कार किया ……………….
(a) जेम्स वाट ने
(b) काईट ने
(c) रोस्टर ने
(d) जैनी ने
उत्तर:
(a) जेम्स वाट ने

प्रश्न 12.
म्यूल का आविष्कार किसने किया?
(a) डॉम्पटन ने
(b) कार्टराइट ने
(c) सैम्युअल क्रॉम्टन ने
(d) जैनी ने
उत्तर:
(c) सैम्युअल क्रॉम्टन ने


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th


Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution exam preparation. The BSEB STD 11th History The Industrial Revolution Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 11th History The Industrial Revolution Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Solutions


How to get BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 11 History The Industrial Revolution Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution, BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks, Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution, Bihar Board Class 11th History The Industrial Revolution Textbook solutions, BSEB Class 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions, Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution, BSEB STD 11th History The Industrial Revolution Textbooks, Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution, Bihar Board STD 11th History The Industrial Revolution Textbook solutions, BSEB STD 11th History The Industrial Revolution Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy