BSEB Class 11 Political Science Constitution Why and How Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Constitution Why and How Book Answers |
Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbooks Solutions PDF
Bihar Board STD 11th Political Science Constitution Why and How Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th Political Science Constitution Why and How Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th Political Science Constitution Why and How Textbooks. These Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Books Solutions
Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 11th |
Subject | Political Science Constitution Why and How |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
How to download Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbook Solutions Answers PDF Online?
- Visit our website - Hsslive
- Click on the Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Answers.
- Look for your Bihar Board STD 11th Political Science Constitution Why and How Textbooks PDF.
- Now download or read the Bihar Board Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbook Solutions for PDF Free.
BSEB Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbooks Solutions with Answer PDF Download
Find below the list of all BSEB Class 11th Political Science Constitution Why and How Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:Bihar Board Class 11 Political Science संविधान : क्यों और कैसे? Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
इनमें कौन-सा संविधान का कार्य नहीं है?
(क) यह नागरिकों के अधिकार की गारंटी देता है।
(ख) यह शासन की विभिन्न शाखाओं की शक्तियों के अलग-अलग क्षेत्र का रेखांकन करता है।
(ग) यह सुनिश्चित करता है, कि सत्ता में अच्छे लोग आएँ।
(घ) यह कुछ साझे मूल्यों की अभिव्यक्ति करता है।
उत्तर:
(ग) यह सुनिश्चित करता है, कि सत्ता में अच्छे लोग आएँ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन इस बात की दलील है, कि संविधान की प्रमाणिकता संसद से ज्यादा है?
(क) संसद के अस्तित्व में आने से कहीं पहले संविधान बनाया जा चुका था।
(ख) संविधान के निर्माता संसद के सदस्यों से कहीं ज्यादा बड़े नेता थे।
(ग) संविधान ही यह बताता है, कि संसद कैसे बनायी जाय और इसे कौन-कौन सी शक्तियाँ प्राप्त होंगी।
(घ) संसद, संविधान का संशोधन नहीं कर सकती।
उत्तर:
(ग) संविधान ही यह बताता है, कि संसद कैसे बनायी जाये और इसे कौन-कौन सी शक्तियाँ प्राप्त हो सकेगी।
प्रश्न 3.
बताएँ संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही हैं या गलत?
(क) सरकार के गठन और उसकी शक्तियों के बारे में संविधान एक लिखित दस्तावेज है।
(ख) संविधान सिर्फ लोकतांत्रिक देशों में होता है, और उसकी जरूरत ऐसे ही देशों में होती है।
(ग) संविधान एक कानूनी दस्तावेज है, और आदर्शों तथा मूल्यों से इसका कोई सरोकार नहीं।
(घ) संविधान एक नागरिक को नई पहचान देता है।
उत्तर:
(क) सही
(ख) गलत
(ग) गलत
(घ) सही
प्रश्न 4.
बताएँ कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सही है, या नहीं। अपने उत्तर का कारण बताएँ।
(क) संविधान सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुई। इसका निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था।
(ख) संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया क्योंकि उस समय नेताओं के बीच संविधान की बुनियादी रूपरेखा के बारे में आम सहमति थी।
(ग) संविधान में कोई मौलिकता नहीं है, क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा दूसरे देशों से लिया गया है।
उत्तर:
(क) हमारी संविधान सभा के सदस्य सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर नहीं चुने गए थे, पर उसे अधिक से अधिक प्रतिनिधियात्मक बनाने की कोशिश की गयी थी विभाजन के बाद संविधान सभा में कांग्रेस का वर्चस्व था। कांग्रेस में सभी विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व था। अतः यह कहना असत्य होगा कि संविधान सभा भारतीय जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करती थी।
(ख) यह बात भी असत्य है, कि संविधान सभा के सदस्य एकमत थे, और उन्हें कोई बड़े निर्णय लेने की आवश्यकता नहीं थी। वास्तव में संविधान का केवल एक ही ऐसा प्रावधान है, जो बिना किसी वाद-विवाद के पारित हुआ कि मताधिकार किसे प्राप्त हो। इसके अतिरिक्त प्रत्येक विषय पर गंभीर विचार-विमर्श और वाद-विवाद हुए।
(ग) यह कहना गलत है, कि भारतीय संविधान मौलिक नहीं है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग विश्व के अन्य देशों के संविधानों से लिया गया है। वास्तव में हमारे संविधान निर्माताओं ने आत्य संवैधानिक परम्पराओं से कुछ ग्रहण करने में परहेज नहीं किया। दूसरे देशों के प्रयोगों और अनुभवों से कुछ सीखने में संकोच भी नहीं किया। परन्तु उन विचारों को लेना कोई अनुकरण की मानसिकता नहीं थी, वरन संविधान के प्रत्येक प्रावधान को भारत की समस्याओं और आशाओं के अनुरूप ग्रहण कर उन्हें अपना बना लिया गया। भारत का संविधान एक विशाल दस्तावेज है। इसकी मौलिकता पर कोई प्रश्न नहीं लगाया जा सकता।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दो उदाहरण दें।
(क) संविधान का निर्माण विश्वसनीय नेताओं द्वारा हुआ। इनके लिए जनता के मन में आदर था।
(ख) संविधान ने शक्तिओं का बँटवारा इस तरह किया कि इसमें उलट-फेर मुश्किल है।
(ग) संविधान जनता की आशा और आकांक्षाओं का केन्द्र है।
उत्तर:
(क) संविधान का निर्माण उस संविधान सभा ने किया जो विश्वसनीय नेताओं से बनी थी। इस सभी नेताओं ने न केवल राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया था, वरन वे भारतीय समाज के सभी अंगों, सभी जातियों या समुदायों अथवा सभी धर्मों का प्रतिनिधित्व करते थे। भारतीय जनता का इनमें पूर्ण विश्वास था, और राष्ट्रीय आन्दोलन में उठने वाली सभी माँगों का संविधान बनाते समय ध्यान रखा गया। संविधान सभा के सदस्यों ने पूरे देश के हित को ध्यान में रखकर विचार-विमर्श किया।
(ख) संविधान ने शक्तियों का वितरण भी इस प्रकार किया कि जिससे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपना-अपना कार्य समुचित रूप से कर सकें। कार्य वितरण के समय नियंत्रण एवं सन्तुलन के सिद्धान्त को भी महत्त्व दिया गया। कोई एक सरकारी अंग अन्य दूसरे अंगों पर हावी नहीं हो सकता। कार्यपालिका के कार्यों पर संसद नियंत्रण रखती है। न्यायिक पुनरावलोकन द्वारा संसद अथवा मंत्रिमंडल के कार्यों की समीक्षा की जा सकती है। संविधान ने सुनिश्चित किया कि किसी एक समूह के लिए संविधान को नष्ट करना आसान न हो।
(ग) संविधान लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप बनाया गया। संविधान न्यायपूर्ण है। भारत के संविधान में न्याय के बुनियादी सिद्धान्तों का विशेष ध्यान रखा गया। लोगों के मौलिक अधिकार सुरक्षित रहें। जनता के उत्थान के लिए राज्य नीति निर्देशक सिद्धान्त, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, वयस्क मताधिकार, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के हितों का विशेष ध्यान रखने के विभिन्न प्रावधान संविधान में दिए गए हैं। इस प्रकार संविधान जनता की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप ही बनाया गया है।
प्रश्न 6.
किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ-साफ निर्धारण क्यों जरूरी है? इस तरह का निर्धारण न हो, तो क्या होगा?
उत्तर:
किसी भी देश के संविधान में विभिन्न संस्थाओं की शक्तियों का सीमांकन करना अत्यन्त आवश्यक होता है। जब कोई एक समूह या संस्था अपनी शक्तियों को बढ़ा लेती है, तो वह पूरे संविधान को नष्ट कर सकती है। इस समस्या के बचाव के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है, कि संविधान में शक्तियों का सीमांकन विभिन्न संस्थाओं में इस प्रकार किया जाए कि कोई भी समूह या संस्था संविधान को नष्ट न कर सके। संविधान को इस प्रकार बनाया जाए आर्थात् संविधान की रूपरेखा इस प्रकार से तैयार की जाए कि शक्तियों को ऐसी चतुराई से बाँट दिया जाए कि कोई एक संस्था एकाधिकार प्राप्त न कर सके।
ऐसा करने के लिए शक्तियों का विभाजन विभिन्न संस्थाओं में किया जाए। उदाहरणार्थ, भारतीय संविधान में शक्तियों का विभाजन कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के मध्य तथा कुछ स्वतन्त्र संवैधानिक निकायों जैसे निर्वाचन आयोग आदि में किया जाता है। केन्द्र और राज्यों के बीच भी शक्तियों का सीमांकन किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है, कि यदि कोई एक संस्था संविधान को नष्ट करना चाहे तो अन्य संस्थाएँ उसके अतिक्रमण को रोक सकती हैं। भारतीय संविधान में अवरोध व सन्तुलन का सिद्धान्त भी इसीलिए अपनाया गया है।
जब विधायिका अपने क्षेत्र का अतिक्रमण करती है तो न्यायापलिका को यह अधिकार है, कि वह उसके द्वारा निर्मित विधान को असंवैधानिका घोषित कर सकती है। कार्यपालिका की शक्तियों को असीम बनने से रोकने के लिए विधायिका को उस पर विभिन्न प्रकार से अंकुश लगाने का अधिकार है। वह प्रश्न पूछकर, काम रोको प्रस्ताव लाकर, अविश्वास प्रस्ताव आदि के द्वारा कार्यपालिका और न्यायपालिका की शक्तियों का सीमांकन संविधान द्वारा पहले से ही किया है, और ये सभी संस्थाएँ अपने-अपने कार्यक्षेत्र में स्वतन्त्र रूप से कार्य करती हैं परन्तु अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं कर सकतीं।
दूसरी संस्थाएँ उनके अतिक्रमण को नियंत्रित कर लेती हैं। यदि संविधान में इन शक्तियों का बँटवारा या सीमांकन विभिन्न संस्थाओं में नहीं किया जाता तो कोई एक संस्था या सरकार कोई एक अंग अपनी शक्तियों को बढ़ा लेता और वह संविधान को नष्ट कर सकता था, तथा निरंकुशता पूर्ण शासन करने लगता जिससे नागरिकों की स्वतन्त्रता नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 7.
शासकों की सीमा का निर्धारण संविधान के लिए क्यों जरूरी है? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है, जो नागरिकों को कोई अधिकार न दे।
उत्तर:
संविधान का एक प्रमुख कार्य यह भी है, कि वह सरकार द्वारा अपने नागरिकों पर लागू किए जाने वाले कानूनों पर कुछ सीमाएँ लगाए। ये सीमाएँ इस रूप में मौलिक होती हैं, कि सरकार कभी उनका उल्लंघन नहीं कर सकती। संसद नागरिकों के लिए कानून बनाती है, कार्यपालिका कानूनों के प्रारूप तैयार करती है, और कई बार मंत्रिमंडल के सदस्य अथवा संसद ही इस प्रकार के कानून बनाने का प्रयास करें जिससे नागरिकों की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाए तो इसे रोकने के लिए संसद की शक्तियों पर नियंत्रण लगाना अत्यन्त आवश्यक है।
भारतीय संविधान में संशोधान करने के लिए संसद को न्यायपालिका द्वारा निषेध कर दिया गया है, कि संसद संविधान के बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन नहीं कर सकती अथवा वह संविधान के मूल स्वरूप को नहीं बदल सकती। संविधान सरकार की शक्तियों को कई प्रकार से सीमित करता है। संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का स्पष्टीकरण किया गया है, जिनका उल्लंघन कोई भी सरकार नहीं कर सकती। नागरिकों को मनमाने ढंग से बिना किसी कारण के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यह सरकार की शक्तियों के ऊपर एक बन्धन या सीमा कहलाती है। प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार अपना व्यवसाय चुनने का अधिकार है।
इस पर सरकार कोई प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती। नागरिकों को जो स्वतन्त्रताएँ मूलतः प्राप्त है जैसे-भाषण की स्वतन्त्रता अन्तरात्मा की अवाज पर काम करने का अधिकार या संगठन बनाने की स्वतन्त्रता या देश के किसी भी भाग में भ्रमण करने की स्वतन्त्रता आदि पर सरकार सामान्य परिस्थिति में प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती।
कोई भी सरकार स्वयं भी किसी से बेगार नहीं ले सकती और न ही किसी व्यक्ति को इस बात की छूट दे सकती कि वह दूसरे व्यक्तियों का शोषण करें, उन्हें बन्धुआ मजदूर बनाए आदि। इस प्रकार के कर्त्तव्यों पर सीमाएँ लगायी जाती हैं। दुनिया का कोई भी संविधान अपने नागरिकों को शक्तिविहीन नहीं कर सकता। हाँ तानाशाह शासक अवश्य संविधान को नष्ट कर देते हैं, और वे नागरिकों की स्वतन्त्रताओं का हनन करने की कोशिश करते हैं, यद्यपि संविधान में नागरिकों को सुविधाएँ प्रदान की जाती है।
प्रश्न 8.
जब जापान का संविधान बना तब दूसरे विश्वयुद्ध में पराजित होने के बाद जापान अमेरिकी सेना के कब्जे में था। जापान के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान होना संभव नहीं था, जो अमेरिको सेना की पसंद न हो। क्या आपको लगता है, कि संविधान को इस तरह बनाने में कोई कठिनाई है? भारत में संविधान बनाने का अनुभव किस तरह इससे अलग है?
उत्तर:
जापान का संविधान ऐसे समय में निर्मित हुआ था, जब वह अमेरिका की सेना की नियंत्रण में था। अतः जापान के संविधान का कोई भी प्रावधान अमेरिका की सरकार की आकांक्षाओं के विरुद्ध नहीं था। यह सब इस कारण से होता है, क्योंकि अधिकतर देशों में संविधान वह लिखित दस्तावेज होता है, जिसमें राज्य के विषय में कई प्रावधान होते हैं, जो यह बताते हैं, कि राज्य किन सिद्धान्तों का पालन करेगा।
राज्य की सरकार किस विचारधारा पर आधारित नियमों एवं सिद्धान्तों के द्वारा शासन चलाएगी। जब किसी राज्य पर दूसरे राज्य का आधिपत्य हो जाता है, तो उस राज्य के संविधान में शासकों की इच्छओं के विपरीत कोई प्रावधान नहीं रखे जा सकते। अतः यह स्वाभाविक ही है, कि जापान के संविधान में अमेरिकी शासकों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया।
भारत के संविधान को बनाते समय ऐसी कोई बात नहीं थी। भारत ने लोकतन्त्रीय शासन को अपनाया तथा अपने राष्ट्रीय आन्दोलन के समय सामने आने वाली समस्याओं के निराकरण का भी ध्यान रखा। अनेक देशों में संविधान निष्प्रभावी होते हैं, क्योंकि वे सैनिक शासकों या ऐसे नेताओं के द्वारा बनाये जाते हैं, जो लोकप्रिय नहीं होते और जिसके पास लोगों को अपने साथ लेकर चलने की क्षमता नहीं होती।
यद्यपि भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से एक संविधान सभा ने दिसम्बर 1946 ई. और नवम्बर 1949 ई. के मध्य बनाया। पर, ऐसा करने में उसने राष्ट्रीय आन्दोलन के लम्बे इतिहास से काफी प्रेरणा ली, जिसमें समाज में सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलने की विलक्षण क्षमता थी। संविधान को भारी वैधता मिली क्योंकि उसे ऐसे लोगों द्वारा बनाया गया जिनकी अत्यधिक सामजिक विश्वसनीयता थी। संविधान का अन्तिम प्रारूप उस समय की राष्ट्रीय व्यापक आम सहमति को व्यक्त करता है।
प्रश्न 9.
रजत ने अपने शिक्षक से पूछा-‘संविधान एक पचास साल पुराना दस्तावेज है, और इस कारण पुराना पड़ चुका है। किसी ने इसको लागू करते समय मुझसे राय नहीं माँगी। यह इतनी कठिन भाषा में लिखा हुआ है, कि मैं इसे समझ नहीं सकता। आप मुझे बताएँ की मैं इस दस्तावेज की बातों का पालन क्यों करूँ?’ अगर आप शिक्षक होते तो रजत को क्या उत्तर देते?
उत्तर:
यदि मैं रजत का शिक्षक होता तो उसके प्रश्न का उत्तर निम्न प्रकार से देता-भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता है, कि यह कठोर तथा लचीला दोनों का मिश्रण है। संविधान अनेक धाराओं के साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है। संशोधन की यह प्रक्रिया संविधान को लचीला बना देती है। कुछ विषय ऐसे भी हैं, जिनमें संशोधन की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल है। इन धाराओं में संशोधन करने के लिए संसद के स्पष्ट बहुमत तथा उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करके संशोधन किया जा सकता है। कुछ अनुच्छेद ऐसे भी हैं, जिनमें संशोधन करने के लिए कम से कम आधे राज्यों के विधानमण्डलों से अनुमोदन कराना आवश्यक है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि 50 वर्षों के बाद भी भारतीय संविधान कोई बीते दिनों की पुस्तक नहीं कही जा सकती क्योंकि यह एक ऐसा संविधान है, जिसमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा सकता है, परन्तु उसके अधिकांश प्रावधान इस प्रकार के हैं जो कभी भी पुराने नहीं पड़ सकते। संविधान का मूल ढाँचा तो सदैव ही एक जैसा रहेगा उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अतः यह कहना त्रुटिपूर्ण होगा कि भारतीय संविधान 50 वर्षों के बाद बीते दिनों की पुस्तक बनकर रह गयी है।
इसमें अभी तक लगभग 93 संशोधन हो चुके हैं। इस संविधान का निर्माण जिस संविधान सभा के द्वारा किया गया उसमें लगभग 82 प्रतिशत प्रतिनिधि कांग्रेस के सदस्य थे, और इसमें भारत के सभी घटकों, सभी धर्मों, सभी विचारधाराओं तथा सभी जाति एवं जनजातियों व पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। ये सभी व्यक्ति बड़े योग्य एवं अनुभवी थे। अत: संविधान को इस प्रकार से तैयार किया गया जिससे की वह समय के साथ-साथ सभी चुनौतियों का सामना करता रहेगा।
प्रश्न 10.
संविधान के क्रिया-कलाप से जुड़े अनुभवों को लेकर एक चर्चा में तीन वक्ताओं ने तीन अलग-अलग पक्ष दिए –
(अ) हरबंस-भारतीय संविधान में एक लोकतान्त्रिक ढाँचा प्रदान करने में सफल रहा है।
(ब) नेहा-संविधान में स्वतन्त्रता, समता और भाईचारा सुनिश्चित करने का विधिवत् वादा है। चूंकि ऐसा नहीं हुआ इसलिए संविधान असफल है।
(स) नाजिमा-संविधान असफल नहीं हुआ, हमने उसे असफल बनाया। क्या आप इनमें से किसी पक्ष से सहमत हैं, यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो आप अपना पक्ष बताएँ।
उत्तर:
तीनों व्यक्तियों के इस संवाद में यह दर्शाने की कोशिश की गयी है, कि हमारे संविधान के क्रियाकलाप लाभप्रद हैं, अथवा नहीं। अपने प्रथम अनुभव के आधार पर हरबंश का मानना है, कि भारतीय संविधान हमें एक लोकतन्त्रात्मक सरकार का आधारभूत ढाँचा देने में सफल रहा है। परन्तु दुसरे वक्ता के रूप में नेहा का विश्वास है, कि संविधान में समानता, स्वतन्त्रता एवं बन्धुता के आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनको पुरा नहीं किया गया है। ऐसा न होने के कारण संविधान असफल हो रहा है। नाजिमा का कथन कुछ इस प्रकार है, कि यह संविधान नहीं है, जिसने हमें असफल किया है, वरन ये हम हैं जिन्होंने संविधान को ही असफल कर दिया।
हम जानते हैं, कि भारतीय संविधान का निर्माण एक ऐसी संविधान सभा द्वारा किया गया जिसके सदस्य बड़े योग्य तथा राजनीतिक रूप से बड़े अनुभवी व्यक्ति थे। उन्होंने एक ऐसा संविधान तैयार किया जो भारत के नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने का साधन हो और भारत के विभिन्नताओं के लोगों को सर्वमान्य हो। अतः सभी वर्गों के कल्याण एवं उसकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए संविधान में लोकतन्त्रीय शासन को स्थापित किया गया। संविधान में शासन के विभिन्न अंगों के सम्बन्धों का भी वर्णन किया गया।
व्यक्ति की स्वतन्त्रता को कायम रखने के लिए मौलिक अधिकार, न्यायालय की स्वतन्त्रता, विधि की शासन आदि को अपनाया गया। भारत में लोकतन्त्र की नींव रखी गयी और इसे शक्तिशाली बनाने के हरसम्भव प्रयास किए गए। भारत के संविधान की प्रस्तावना में ही यह भी दर्शाया गया है, कि संविधान का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्रदान करना है, जिससे भारतीय नागरिक अपने को स्वतन्त्र महसूस करें। यह प्रयास किया गया कि संविधान में भारतीय शासन को आदर्श लोकतन्त्रात्मक शासन के रूप में सिद्धान्ततः स्वीकार किया जाए। परन्तु व्यवहार में भारतीय लोकतन्त्र विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक बुराईयों से पीड़ित हो रहा है।
नेहा के विश्वास के अनुसार संविधान में अनेक वायदों को लिया गया। नागरिकों को स्वतन्त्रता, समानता, बन्धुता एवं धार्मिक उपासना जैसे अधिकारों से सुसज्जित किया गया है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। नागरिकों की स्वतन्त्रता पर सरकार विशेष अवसरों पर प्रतिबन्ध लगा सकती है। समानता का अधिकार हमारे समाज मे अभी भी पूरी तरह से सफल नहीं हुआ। समानता, स्वतन्त्रता और बन्धुता समाज में कायम नहीं हो पायी अतः संविधान असफल रहा है। आज भी चुनाव के समय धन एवं बाहुबलियों का सहारा लिया जाता है। लोगों की भावनाओं को भड़काकर वोट माँगे जाते हैं, और बाद में उनके हितों की अनदेखी होती रहती है।
नाजिमा को यह विश्वास है, कि संविधान ने हमें असफल नहीं किया वरन हमने ही संविधान को फेल कर दिया है। संविधान के मूल ढाँचे से भी हम छेड़छाड़ करने लगते हैं। संविधान में सबं कुछ लिखा हुआ होते हुए भी हमारी सरकारों ने ईमानदारी से नागरिकों को काम करने का अधिकार, शिक्षा का अधिकार या एक ही प्रकार के कार्य के लिए स्त्री तथा पुरुष दोनों को समान वेतन आदि कार्यों को पूर्ण नहीं किया। अत: यह संविधान नहीं है, जिसने हमें असफल किया है, वरन यह हम हैं, जिन्होंने संविधान को असफल किया है। परन्तु नाजिमा का यह कथन पूर्णतया सत्य नहीं है। हमारा संविधान तो काफी आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। भले ही भारत में अभी भी 26 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं, परन्तु पहले की अपेक्षा ‘उसमें कमी तो हो रही है। 2020 तक भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाने के प्रयास हो रहे हैं, तो यह संविधान की सफलता ही तो है।
Bihar Board Class 11 Political Science संविधान : क्यों और कैसे? Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारत के संविधान में किन विषयों में संशोधन करने के लिए साधारण प्रक्रिया अपनायी जाती है?
उत्तर:
भारत का संविधान लचीला भी है, कठोर भी अर्थात् लचीले और कठोर का समन्वय है। कुछ प्रावधानों में संशोधन करने की प्रक्रिया केवल साधारण विधेयक पारित करने की प्रक्रिया के सामन ही है। जैसे –
- राज्यों के नाम में परिवर्तन करना।
- राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करना।
- राज्यों में विधान परिषद् की स्थापना या समाप्ति, आदि।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान के कोई चार एकात्मक लक्षण बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के चार एकात्मक लक्षण निम्नलिखित हैं –
- शक्तिशाली केन्द्र: संविधान निर्माता संघात्मक शासन की कमजोरियों से अवगत थे। अतः उन्होंने भारत में शक्तिशाली केन्द्र की स्थापना की। केन्द्र संघ सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर तो कानून बनाता ही है, वह विशेष परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकता है।
- आपातकालीन शक्तियाँ: राष्ट्रपति के द्वारा आपातकाल की घोषणा करने पर भारत संघीय शासन का रूप ले लेते।
- राज्यपालों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है, और वे विशेष परिस्थितियों में केन्द्र के एजेन्ट के रूप में कार्य करते हैं।
- भारत में इकहरी नागरिकता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन सा सर्वाधिक उपयुक्त कारण हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकलता हो कि संविधान संसद की अपेक्षा सर्वोच्च है?
- संविधान संसद से पहले अस्तित्व में आया।
- संविधान निर्माता संसद सदस्यों से अधिक महत्त्वपूर्ण नेता थे।
- संविधान तय करता है, कि संसद का निर्माण कैसे हो तथा उसकी शक्तियाँ क्या हों।
- संविधान संसद द्वारा संशोधन नहीं किया जा सकता।
उत्तर:
संविधान संसद से सर्वोच्च है, क्योंकि संविधान ही तय करता है, कि संसद का निर्माण कैसे हो तथा उसकी शक्तियाँ क्या होंगी।
प्रश्न 4.
संविधान में प्रस्तावना की आवश्यकता पर एक टिप्पणी लिखो। अथवा, संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
प्रत्येक देश की मूल विधि का अपना विशेष दर्शन होता है। दर्शन को समझे बिना संविधान समझना कठिन होता है, और इस विशेष दर्शन का वर्णन ‘प्रस्तावना’ में किया जाता है। हमारे देश के संविधान का मूल दर्शन हमें संविधान की प्रस्तावना में मिलता है। संविधान में प्रस्तावना की आवश्यकता इसलिए है, ताकि संविधान के लक्ष्यों, उद्देश्यों तथा सिद्धान्तों का संक्षिप्त और स्पष्ट वर्णन किया जा सके। सरकार के मार्गदर्शक सिद्धान्तों का वर्णन भी प्रस्तावना में ही किया जाता है।
इसके अतिरिक्त संविधान का आरम्भ एक प्रस्तावना से करना एक संवैधानिक प्रथा बन गई है। 1789 ई. के संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान, 1874 ई. के स्विट्जरलैंड के संविधान, 1937 ई. के आयरलैंड के संविधान, 1946 ई. के जापान के संविधान, 1949 ई. के तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी के संविधान, 1954 ई. के समाजवादी चीन के संविधान और 1973 ई. के बंग्लादेश के संविधान का आरम्भ प्रस्तावना से होता है। अतः भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान का आरम्भ भी प्रस्तावना से किया।
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- प्रस्तावना में भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय प्रदान करने की बात कही गयी है।
- प्रस्तावना में कहा गया है, की भारतीय जनता को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता होगी।
- प्रस्तावना में प्रतिष्ठा व अवसर की समानता की बात कही गई है।
- प्रस्तावना में बन्धुत्व की कल्पना की गई है।
- प्रस्तावना में राष्ट्रीय एकता व अखण्डता को सर्वोपरि स्थान दिया गया है।
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान के दो स्त्रोतों से लिए गए प्रावधानों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत का संविधान 1935 ई. के भारत शासन अधिनियम तथा विभिन्न देशों के संविधानों से प्रभावित संविधान है। इसके विभिन्न स्रोतों में से दो स्रोतें निम्नलिखित हैं –
- ब्रिटेन का संविधान
- अमेरिका का संविधान
ब्रिटेन के संविधान का प्रभाव तत्कालीन भारतीय नेताओं पर था, और होना भी स्वाभाविक था। इस संविधान से हमने संसदीय शासन प्रणाली, विधि प्रक्रिया, विधायिका के अध्यक्ष का पद, इकहरी नागरिकता और न्यायपालिका के ढाँचे का प्रावधान भारतीय संविधान में लिए हैं। अमेरिका के संविधान से संविधान की सर्वोच्चता, संघीय व्यवस्था, न्यायिक पुनरावलोकन, निर्वाचित राज्याध्यक्ष, राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया, संविधान संशोधन में राज्यों की विधायिकाओं द्वारा अनुमोदन आदि प्रमुख प्रावधान लिए गए हैं।
प्रश्न 7.
संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनायी गयी है। संसदात्मक शासन प्रणाली में कार्यपालिका का अध्यक्ष नाममात्र का होता है। वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद् के पास होती हैं। मंत्रिपरिषद् का निर्माण व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है। प्रधानमंत्री निम्न सदन के बहुमत दल का नेता होता है। मंत्रियों को सामूहिक उत्तरदायित्व होता है। भारत में इसी प्रकार की शासन व्यवस्था है।
प्रश्न 8.
इकहरी नागरिकता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इकहरी नागरिकता का अर्थ है, कि किसी राज्य में व्यक्तियों को केवल एक ही नागरिकता प्राप्त होती है। संघात्मक शासन वाले राज्यों में सामान्यतः दोहरी नागरिकता होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यक्ति अमेरिका का नागरिक होने के साथ-साथ अपने उस राज्य का भी नागरिक होता है, जिसका वह निवासी है। भारत में संघात्मक शासन होते हुए भी यहाँ पर नागरिकों को इकहरी नागरिकता ही प्राप्त है।
प्रश्न 9.
क्या संविधान संशोधनों को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है?
उत्तर:
भारत के संविधान में 42वीं संशोधन करके यह व्यवस्था बना दी गयी है, कि संविधान संशोधन को किसी भी न्यायालय में किसी आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकेगी परन्तु मिनर्वा मिल केस (1980 ई.) में उच्चतम न्यायलय ने संविधान की इस धारा को अवैध घोषित कर दिया। इसका अभिप्राय यह है, कि न्यायलय को संविधान की जाँच करने की शक्ति प्राप्त है।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो –
(क) पंथ निरपेक्ष राज्य
(ख) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
(ग) भारतीय संविधान के स्वतंत्र अधिकरण
उत्तर:
(क) पंथ निरपेक्ष राज्य:
जिन राज्यों में किसी धर्म विशेष को राज्य का धर्म स्वीकार न करके सभी धर्मों को समान समझा जाए तथा राज्य के नागरिक अपनी इच्छानुसार अपने धर्म का पालन कर सकें उसे पंथ-निरपेक्ष राज्य कहते हैं।
(ख) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार:
राज्य के द्वारा जब एक निश्चित आयु (वयस्क होने की आयु, भारत में यह 18 वर्ष है) पूरी करने वाले अपने सभी नागरिकों को जाति, रंग, नस्ल, लिंग, शिक्षा तथा आय के भेदभाव के बिना मताधिकार दिया जाता है तो इसे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
(ग) भारतीय संविधान के स्वतन्त्र अभिकरण:
भारतीय संविधान में निम्नलिखित स्वतन्त्र अभिकरण दिए गए हैं –
- निर्वाचन आयोग
- नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक
- संघ लोक सेवा आयोग
- राज्य लोक सेवा आयोग आदि
प्रश्न 11.
राजनैतिक और आर्थिक न्याय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में राजनीतिक और आर्थिक न्याय का वर्णन निम्नलिखित सन्दर्भ में किया गया है –
- राजनैतिक न्याय-राजनैतिक न्याय का अर्थ है, कि सभी व्यक्तियों को धर्म, जाति, रंग आदि भेदभाव के बिना समान राजनैतिक अधिकार प्राप्त हों। सभी नागरिकों को समान मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
- आर्थिक न्याय-आर्थिक न्याय से अभिप्राय है, कि प्रत्येक को अपनी आजीविका कमाने के समान अवसर प्राप्त हों तथा कार्य के लिए उचित वेतन प्राप्त हो।
प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना से क्या तात्पर्य है? प्रस्तावना में लिखे गए प्रमुख आदर्श कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
हमारे देश के संविधान का मूल दर्शन हमें संविधान की प्रस्तावना में मिलता है। संविधान की प्रस्तावना में संविधान के लक्ष्यों, उद्देश्यों तथा सिद्धान्तों का संक्षिप्त और स्पष्ट वर्णन किया गया है। भारत सरकार व राज्य सरकारों के मार्गदर्शक सिद्धान्तों का वर्णन भी प्रस्तावना में ही किया गया है। प्रस्तावना ही हमें यह बतलाती है, कि भारत में सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतन्त्रात्मक गणराज्य की स्थापना की गई है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य आदर्श हैं, कि भारत प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य है।
प्रश्न 13.
भारतीय संविधान की कोई तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- भारतीय संविधान लिखित तथा विश्व का विशालतम संविधान है।
- संविधान के द्वारा भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्त्तव्यों का वर्णन किया गया है।
- भारतीय संविधार कठोर और लचीले संविधानों का मिश्रण है।
प्रश्न 14.
संविधान सभा के किन्हीं आठ सदस्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संविधान सभा के मुख्य सदस्य थे –
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
- पण्डित जवाहरलाल नेहरू
- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- मौलाना अबुल कलाम आजाद
- डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
- सरदार बलदेव सिंह
- श्रीमती सरोजनी नायडू
प्रश्न 15.
संविधान सभा द्वारा संविधान कब पारित किया गया तथा कब इसे लागू किया गया?
उत्तर:
संविधान सभा द्वारा संविधान को 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया गया तथा इसे 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू किया गया।
प्रश्न 16.
राजनीतिक समानता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
राजनीतिक समानता भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता है। राजनीतिक समानता का अर्थ है, कि देश की राजनीतिक क्रिया-कलापों में सभी को बिना किसी भेदभाव के भाग लेने का अधिकार एवं सभी को वोट देने का अधिकार।
प्रश्न 17.
भारतीय संविधान का जन्म या निर्धारण करने वाली संविधान सभा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
संविधान सभा में जनसंख्या के आधार पर प्रान्तों से 296 और देशी रियासतों से 93 प्रतिनिधियों की व्यवस्था की गई। प्रान्तों के प्रतिनिधियों को प्रान्तों की व्यवस्थापिका के निचले सदन से अप्रत्यक्ष रूप से चुना गया। इन्हें तीन श्रेणियों-सामान्य, मुस्लिम, और सिक्ख, में जनसंख्या के अनुपात में बाँट दिया गया। रियासतों के प्रतिनिधियों के चुनाव का प्रश्न आपसी समझौते के आधार पर तय होना था।
प्रश्न 18.
संविधान सभा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा डॉ. भीमराव अम्बेडकर के विशिष्ट स्थान कैसे थे?
उत्तर:
संविधान सभा ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को अपना सभापति तथा डॉ. बी. आर. अम्बेडकर को प्रारूप समिति का सभापति बनाया।
प्रश्न 19.
किसी देश के लिए संविधान का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
किसी भी देश के लिए संविधान बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए संविधान को सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत कहा जाता है। संविधान में यह वर्णित है, कि सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियाँ क्या हैं, तथा वे क्या कर सकती हैं। ऐसा करने का उद्देश्य यह होता है, कि सरकार के विभिन्न अंगों में तनाव उत्पन्न न हो। संविधान के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं –
- सरकार के विभिन्न अंगों के पारस्परिक सम्बन्धों का व्याख्या करना।
- सरकार और नागरिकों के सम्बन्धों का वर्णन करना। संविधान की सबसे अधिक उपयोगिता यह है, कि वह सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग को रोकता है। इसलिए संविधान देश में सबसे महत्त्वपूर्ण प्रलेख है।
प्रश्न 20.
संविधान का क्या अर्थ है?
उत्तर:
संविधान किसी देश के शासन की रीढ़ है। शासन के नियमों का समूह, उसके आधारभूत सिद्धान्तों का संग्रह संविधान कहलाता है। शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए संविधान की रचना की जाती है। इस कार्य में देश की तत्कालीन परिस्थितियों और संविधान निर्माताओं के आदर्शों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रश्न 21.
लिखित संविधान किसे कहते हैं?
उत्तर:
लिखित संविधान उस संविधान सभा द्वारा पारित होता है, जो इसी उद्देश्य के लिए बुलाई जाती है। भारत का संविधान लिखित है। 1946 में एक संविधान सभा की रचना की गई जिसने इस संविधान का निर्माण किया।
प्रश्न 22.
भारतीय संविधान की अद्वितीय विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
भारत के संविधान की अद्वितीय विशेषताएँ –
- भारत का संविधान एकात्मक और संघात्मक दोनों का मिश्रण है।
- भारत के संविधान में यद्यपि संसदात्मक शासन को अपनाया गया है, परन्तु इसमें अध्यक्षात्मक शासन के भी तत्व पाये जाते हैं।
- भारत एक संघात्मक राज्य है, परन्तु यहाँ इकहरी नागरिकता है।
- भारत के संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार एवं मूल स्वतन्त्रताएँ प्रदान की गई हैं, परन्तु राष्ट्रीय हित में उन पर प्रतिबन्ध भी लगाए जा सकते हैं। आपात स्थिति में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा निलम्बित किया जा सकता है।
- भारत का संविधान भारतीय जनता द्वारा निर्मित है। एक संविधान सभा का निर्माण किया गया जो प्रान्तीय विधान सभाओं द्वारा परोक्ष रूप से निर्वाचित की गयी।
- देश की सर्वोच्च सत्ता जनता में निहित है।
- भारत को संविधान द्वारा एक गणराज्य घोषित किया गया है।
- संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व दिए गए हैं।
- संघीय तथा राज्य विधानमण्डलों के अधिनियमों और कार्यपालिका के क्रियाकलापों की न्यायिक समीक्षा की व्यवस्था है।
- भारतीय संविधान कठोर तथा लचीला दोनों का मिश्रण है।
प्रश्न 23.
भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया। 9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा बुलाई गई। डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा इसके अस्थायी अध्यक्ष थे। 11 दिसम्बर, 1946 ई. को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। संविधान सभा के 2 वर्ष 11 मास और 18 दिन के अथक प्रयास द्वारा 26 नवम्बर 1949 ई. को भारत का संविधान सम्पूर्ण हुआ और ऐतिहासिक दिवस 26 जनवरी, 1950 ई. से इसे लागू किया गया।
प्रश्न 24.
भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 ई. को क्यों लागू किया गया?
उत्तर:
भारत का संविधान 26 नवम्बर, 1949 ई. को बनकर तैयार हो गया था, परन्तु उसे 2 महीने बाद 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू किया गया। इसका एक कारण यह था कि पं. जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस के 31 दिसम्बर, 1929 ई. के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग का प्रस्ताव पारित कराया था और 26 जनवरी, 1930 ई. का दिन सारे भारत में ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया गया था। इसके बाद प्रतिवर्ष 26 जनवरी को इसी रूप में मनाया जाने लगा। इसी पवित्र दिवस की यादगार को ताजा रखने के लिए संविधान सभा ने संविधान को 26 जनवरी, 1950 ई. से लागू किया।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना लिखें।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना प्रकार है –
“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न समाजवादी धर्म निरपेक्ष लोकतन्त्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष) शुक्ल सप्तमी संवत् 2006 वि. को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मसमर्पित करते है।”
प्रश्न 2.
“न्यायिक पुनरावलोकन” के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
न्यायिक पुनरावलोकन-संविधान ने भारत में संघीय व्यवस्था की स्थापना की है। ऐसी व्यवस्था में न्यायपालिका को संविधान के रक्षक के रूप में स्थापित किया जाता है। भारत में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को पुनरावलोकन का अधिकार प्राप्त है। इसका अर्थ है, न्यायपालिका विधानमण्डलों (संसद तथा राज्यों के विधानमण्डल) द्वारा बनाए गए कानून संविधान की दृष्टि से पुनरावलोकन कर सकती है, कि सम्बन्धित विधायिका ने वह कानून संविधान के अनुसार बनाया है या नहीं। यदि न्यायपालिका की दृष्टि में विधायिका द्वारा पारित कोई कानून संविधान की धाराओं के विपरीत है, तो वह उसे निरस्त या रद्द घोषित कर सकती है। सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों ने अपने इस अधिकार का काफी प्रयोग किया है। न्यायपालिका का मानना है, कि संसद संविधान में संशोधन तो कर सकती है, परन्तु संविधान के मूलभूत ढाँचे को नहीं बदल सकती।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की संघात्मक विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के द्वारा भारत में संघात्मक शासन की स्थापना की गई है, या एकात्मक की, इसके बारे में विद्वानों के विचारों में मतभेद है। कुछ विद्वान इसे पूर्णतया संघात्मक मार मानते हैं, तो कुछ उसे इसे अर्द्ध-संघात्मक तथा कुछ विचारक ऐसे भी हैं, जो इसे एकात्मक शासन के रूप में स्वीकार करते हैं। श्री के. सी. बीहर के अनुसार, “भारत एकात्मक राज्य है, जिसमें संघीय विशेषताएँ नाममात्र की हैं, न कि यह एक संघात्मक राज्य है, जिसमें कुछ एकात्मक ‘विशेषताएँ हैं।” डी. डी. बसु के अनुसार, “भारतीय संविधान न तो पूर्णतया संघात्मक है, और न ही पूर्णतया एकात्मक, यह दोनों का मिश्रण है।
भारतीय संविधान की संघात्मक विशेषताएँ:
1. लिखित संविधान-भारत में एक लिखित संविधान है। इसमें संघात्मक शासन की व्यवस्था विभिन्न इकाईयों (राज्यों) के समझौते द्वारा की जाती है। इसीलिए यहाँ भी संविधान सभा ने अमेरिका, रूस या जापान की तरह एक लिखित: संविधान तैयार किया है।
2. कठोर संविधान-भारत का संविधान लिखित होने के साथ-साथ कठोर भी है। इसमें संशोधन करने की विधि आसान नहीं है। संविधान के महत्त्वपूर्ण विषयों में संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों के उपस्थित सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत एवं कुल सदस्यों का बहुमत तथा कम से कम आधे राज्यों के विधान मण्डलों की स्वीकृति आवश्यक होती है।
3. शक्तियों का विभाजन-भारतीय संविधान के अनुसार संघ तथा राज्यों के बीच शक्तियों का बँटवारा किया गया है। दोनों के अधिकारों को –
- संघ सूची
- राज्य सूची और
- समवर्ती सूची में विभाजित किया गया है।
- संघ सूची में 97 विषय है। इन विषयों पर संसद को कानून का अधिकार है।
- राज्य सूची में 66 विषय हैं, जिन पर राज्य की विधायिकाओं को कानून बनाने का अधिकार है।
- समवर्ती सूची में 47 विषय हैं। इस पर केन्द्र तथा राज्य विधान मण्डल दोनों का अधिकार है, परन्तु टकराव की स्थिति में केन्द्र की संसद द्वारा निर्मित कानून लागू होगा।
- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता सुनिश्चित की गई है।
- द्विसदनीय व्यवस्थापिक है। निम्न सदन लोक सभा तथा उच्च सदन राज्य सभा है।
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान संसदीय सर्वोच्चता एवं न्यायपालिका की सर्वोच्चता के बीच से गुजरता है। बताइए, कैसे?
उत्तर:
भारतीय संविधान में ब्रिटेन की तरह संसदीय प्रभुता तथा अमेरिका की तरह न्यायिक सर्वोच्चता इन दोनों के बीच का मार्ग अपनाकर दोनों में समन्वय स्थापित किया गया है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है। उसके द्वारा पारित कानूनों को न तो सम्राट वीटो कर सकता है, और न न्यायालय उन्हें अवैध घोषित कर सकता है। उधर अमेरिका में संविधान की व्याख्या और विधियों की संवैधानिकता के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त है।
भारतीय संविधान में ब्रिटिश संविधान की भाँति संघात्मक व्यवस्था के आदर्श को अपनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षण तथा व्याख्या करने का अधिकार भी दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय उन विधियों को अवैध घोषित कर सकता है, जो संविधान के विरुद्ध. हों। संसद को भी यह अधिकार है, कि आवश्यकता पड़ने पर विशिष्ट बहुमत के आधार पर संविधान में संशोधन कर सकती है। इस प्रकार भारतीय संविधान अद्भुत ढंग से संसदीय सर्वोच्चता एवं न्यायालय की सर्वोच्चता के बीच का मार्ग अपनाता है।
प्रश्न 5.
भारतीय नागरिकों के कोई पाँच मौलिक कर्त्तव्य लिखें।
उत्तर:
भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है कि वह –
- संविधान का पालन करे और उसके आदर्श, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
- स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।
- भारत की प्रभुसत्ता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
- देश की रक्षा करे और आहान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो और ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो।
प्रश्न 6.
संविधान सभा में ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ किसने प्रस्तुत किया? इसके मुख्य उपबन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्ताव:
संविधान सभा के समक्ष 13 दिसम्बर, 1946 ई. को पं. जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस उद्देश्य प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि “संविधान सभा भारत के लिए एक ऐसा संविधान बनाने का दृढ़ निश्चय करती है जिसमें –
(क) भारत के सभी निवासियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त हो, विचार, भाषण, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतन्त्रता हो, अवसर और कानून के समक्ष समानता हो और भाईचारा हो,
(ख) अल्पसंख्यक वर्गों, अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो।” 22 जनवरी, 1947 ई. को संविधान सभा ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। पं. जवाहर लाल नेहरू के अनुसार उद्देश्य प्रस्ताव एक घोषणा है, एक दृढ़ निश्चय है, एक शपथ है, एक वचन है, और हम सबका एक आदर्श के लिए समर्पण है। उद्देश्य प्रस्ताव के इन आदर्श को कुछ संशोधित करके संविधान की प्रस्तावना में स्वीकार किया गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना लिखकर इसके मुख्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। अथवा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों के क्या अर्थ हैं?
(क) न्याय
(ख) स्वतन्त्रता
(ग) समानता
(घ) बन्धुता
(ड.) एकता व अखण्डता।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना का विवेचन निम्नलिखित शब्दों में किया गया है-संविधान धर्मनिरपेक्ष समाजवादी गणराज्य बनाने तथा इसके सब नागरिकों को …… ।
न्याय:
सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक।
स्वतन्त्रता:
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म पूजा की।
समानता:
प्रतिष्ठा, और अवसर की और उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता, सुनिश्चित करने वाली, बन्धुत्व की भावना बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर, 1949 को इसे अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के उद्देश्य –
1. न्याय-सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक:
प्रस्तावना में भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय प्रदान करने की बात कही गयी है। सामाजिक न्याय से अर्थ लिया गया है, कि भारतीय समाज में ऐसी स्थिति पैदा की जाए जिसके अनुसार व्यक्ति-व्यक्ति में भेदभाव न हो, ऊँच-नीच की भावना न हो तथा समाज के सभी वर्गों के लोगों को अपने व्यक्तित्व के विकास के पूर्ण अवसर प्राप्त हों। आर्थिक न्याय से तात्पर्य लोगों को अपने व्यक्तित्व के विकास के पूर्ण अवसर प्राप्त हों।
आर्थिक न्याय से तात्पर्य उस स्थिति से है, जिसमें देश के धन का यथासम्भव समान बँटवारा हो, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यतानुसार धनोपार्जन के साधन उपलब्ध हों तथा किसी व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का आर्थिक शोषण करने का अधिकार प्राप्त न हो। राजनैतिक न्याय के अनुसार देश के नागरिकों को अपने देश की शासन व्यवस्था में भाग लेने का अधिकार हो। बात को ध्यान में रखते हुए भारत में वयस्क मताधिकार प्रणाली की व्यवस्था की गयी है।
2. स्वतन्त्रता-विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि “भारतीय जनता को विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतन्त्रता होगी।” जिससे भारतीय नागरिकों को व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के अवसर प्राप्त होंगे। संविधान की धारा 25 से 28 तक में भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रता का मौलिक अधिकार भी प्रदान किया गया है।
3. समानता-प्रतिष्ठा व अवसर की:
संविधान की धारा 14 के अनुसार नागरिकों को कानूनी समानता प्रदान की गयी तथा धारा 15 के अनुसार सामाजिक समानता की व्यवस्था की गयी है। धारा 16 के अनुसार सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है। धारा 18 के आनुसार शिक्षा तथा सैनिक उपाधियों के अतिरिक्त सब प्रकार की उपाधियाँ समाप्त कर दी गयी हैं। प्रस्तावना में इन सबका उल्लेख किया गया है।
4. बन्धुता:
बन्धुत का अर्थ भाईचारे और नागरिकों की समानता से है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी क्रांति के घोषण पत्र में और फिर संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकारों की घोषणा में किया गया था। भारत के इतिहास में बन्धुता की भावना के विकास का विशेष महत्त्व है। संविधान की प्रस्तावना में जिस बन्धुत्व की कल्पना की गयी है, उसे अनुछेद 17 व 18 में छुआछूत को समाप्त करके, उपाधियाँ प्राप्त करने पर प्रतिबन्ध लगाकर और अनेक सामाजिक बुराईयों को दूर करके भारतीय समाज में स्थापित किया गया है।
5. राष्ट्र की एकता व अखण्डता:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के अनुसार अखण्डता शब्द को जोड़कर भारत में विघटनकारी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की कोशिश की गयी है। इसके द्वारा इस भावना का विकास किया गया है, कि भारत के सभी लोग पूरे देश को अपनी मातृभूमि समझें और इसके विघटन की भावना को मन में न लाएँ।
प्रश्न 2.
उद्देश्य प्रस्ताव से आप क्या समझते हैं? उद्देश्य प्रस्ताव के मुख्य बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उद्देश्य प्रस्ताव भारतीय संविधान की प्रस्तावना का आधार है। इसे पं. जवाहर लाल नेहरू ने 13 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा में प्रस्तुत किया था। इस उद्देश्य प्रस्ताव को रखकर पं. जवाहर लाल नेहरू ने संविधान सभा का मार्ग प्रशस्त किया। इसके द्वारा भावी संविधान की मौलिक रूपरेखा व सिद्धान्तों की दार्शनिक व्याख्या प्रस्तुत की।
वास्तव में उद्देश्य प्रस्ताव भारतीय स्वाधीनता का घोषण पत्र था। पं. नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव को रखते हुए कहा कि, इस प्रस्ताव के माध्यम से हम देशों की करोड़ों जनता को जो हमारी और निहार रही है, तथा समूचे विश्व को यह बताना चाहते हैं कि हम क्या करेंगे और हमारा लक्ष्य क्या है, और हमें किधर जाना है। प्रस्ताव होते हुए भी यह प्रस्ताव से कहीं अधिक है। यह एक घोषणा है, दृढ़ निश्चय है, प्रतिज्ञा है, और हमारे ऊपर दायित्व है। 22 जनवरी, 1947 ई. को संविधान सभा ने इसे स्वीकार कर लिया।
उद्देश्य प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु –
- भारत एक स्वतन्त्र, संप्रभु गणराज्य है।
- भारत पूर्व ब्रिटिश भारतीय क्षेत्रों, देशी रियासतों और ब्रिटिश क्षेत्रों तथा देशी रियासतों के बाहर के ऐसे क्षेत्रों जो हमारे संघ का अंग बनना चाहते हैं, का एक संघ होगा।
- संघ की इकाइयाँ स्वायत्त होंगी और उन सभी शक्तियों का प्रयोग और कार्यों का सम्पादन करेंगी जो संघीय सरकार को नहीं दी गयी।
- सम्प्रभु और स्वतन्त्र भारत तथा इसके संविधान की समस्त शक्तियाँ और सत्ता का स्रोत जनता है।
- भारत के सभा लोगों को समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, कानून के समक्ष प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा कानून और नैतिकता की सीमाओं के रहते हुए, भाषण, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, व्यवसाय, संगठन और कार्य करने की मौलिक स्वतन्त्रता की गारण्टी और सुरक्षा दी जाएगी।
- अल्पसंख्यकों, पिछड़े व जनजातियों, दलित व अन्य पिछड़े वर्गों को समुचित सुरक्षा दी जाएगी।
- गणराज्य की क्षेत्रीय अखण्डता तथा जल, थल और आकाश में इसके संप्रभु अधिकारों की रक्षा सभ्य राष्ट्रों के कानून और न्याय के अनुसार की जाएगी।
- विश्व शन्ति और मानव कल्याण के विकास के लिए देश स्वेच्छापूर्वक और पूर्ण योगदान करेगा।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान के प्रमुख स्रोत बताइए। इनमें से किन्हीं दो स्रोतों की पहचान कीजिए और संक्षेप में बताइए कि इन स्रोतों से कौन-कौन से प्रावधान लिए गए हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान के मुख्य स्त्रोत-भारतीय संविधान निर्माताओं ने विश्व के अनेक देशों के संविधनों का गहन अध्ययन कर उनसे भारत के लिए उपयोगी तत्वों को बिना हिचक अपनाया। इस कारण कुछ लोगों ने भारतीय संविधान को उधार ली गयी वस्तुओं का संकलन मात्र भी कहा है। भारतीय संविधान के मुख्य स्रोत इस प्रकार हैं –
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम
- ब्रिटिश संविधान
- संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान
- आयरलैण्ड का संविधान
- कनाडा का संविधान
- आस्ट्रेलिया का संविधान
- वीमर संविधान
- जापान का संविधान
- नेहरू रिपोर्ट का प्रभाव
प्रमुख स्त्रोत और उनसे लिए गए प्रावधान –
1. ब्रिटेन का संविधान:
संविधान निर्माताओं ने ब्रिटिश संविधान से निम्नलिखित प्रावधान लिए है –
- सम्पूर्ण संसदीय व्यवस्था। संवैधानिक अध्यक्ष की धारणा एवं प्रधानमंत्री का पद
- द्विसदनात्मक संसद
- संसदीय सम्प्रभुता की धारणा
- संसद के प्रथम सदन की प्रमुखता
- विधि का शासन, अभिसमय, विशेषाधिकारों की धारणा
- लोकसभा के स्पीकर का पद
- विधि निर्माण प्रक्रिया
2. संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान:
भारतीय संविधान पर अमेरिका के संविधान की व्याख्या की शक्ति, उपराष्ट्रपति का पद तथा कार्य एवं संविधान संशोधन विधि, संविधान का लिखितं स्वरूप, संघीय, धारणा, सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना तथा निर्वाचन राष्ट्रपति के पद का विचार अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान –
(क) संसदीय सर्वोच्चता पर जोर देता है।
(ख) न्यायिक सर्वोच्चता पर जोर देता है।
(ग) संसदीय सर्वोच्चता और न्यायिक सर्वोच्चता के मध्यम मार्ग का अनुसरण करता है।
(घ) इनमें से किसी पर जोर नहीं देता है।
उत्तर:
(ग) संसदीय सर्वोच्चता और न्यायिक सर्वोच्चता के मध्यम मार्ग का अनुसरण करता है।
प्रश्न 2.
विकसित संविधान का श्रेष्ठ उदाहरण है –
(क) भारत
(ख) अमेरिका
(ग) इंग्लैंड
(घ) रूस
उत्तर:
(ख) अमेरिका
प्रश्न 3.
“भारतीय संविधान वकीलों का स्वर्ग है।” किसने कहा था –
(क) मौरिस जोंस
(ख) ऑस्टिन
(ग) जेनिंग्स
(घ) वीनर
उत्तर:
(ग) जेनिंग्स
प्रश्न 4.
संविधान की अवधारणा सर्वप्रथम कहाँ उत्पन्न हुई?
(क) ब्रिटेन
(ख) भारत
(ग) चीन
(घ) अमेरिका
उत्तर:
(क) ब्रिटेन
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान स्वीकृत हुआ था –
(क) 30 जनवरी, 1948
(ख) 26 जनवरी, 1949
(ग) 15 अगस्त, 1947
(घ) 26 जनवरी, 1950
उत्तर:
(घ) 26 जनवरी, 1950
प्रश्न 6.
‘संविधान की आत्मा’ की संज्ञा दी गई है?
(क) अनुच्छेद 14 को
(ख) अनुच्छेद 19 को
(ग) अनुच्छेद 21 को
(घ) अनुच्छेद 32 को
उत्तर:
(घ) अनुच्छेद 32 को
प्रश्न 7.
भारत के मूल संविधान में कितने अनुच्छेद हैं?
(क) 400
(ख) 395
(ग) 390
(घ) 385
उत्तर:
(ख) 395
प्रश्न 8.
संविधान का संरक्षक किसे बनाया गया है?
(क) सर्वोच्च न्यायालय को
(ख) लोकसभा को
(ग) राज्य सभा को
(घ) उपराष्ट्रपति को
उत्तर:
(क) सर्वोच्च न्यायालय को
BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th
- BSEB Class 11 Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Political Theory An Introduction Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Political Theory An Introduction Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Freedom Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Freedom Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Equality Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Equality Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Social Justice Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Social Justice Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Rights Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Rights Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Citizenship Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Citizenship Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Nationalism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Secularism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Secularism Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Peace Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Peace Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Development Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Constitution Why and How Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Constitution Why and How Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Rights in the Indian Constitution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Rights in the Indian Constitution Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Election and Representation Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Election and Representation Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Executive Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Executive Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Legislature Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Legislature Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Judiciary Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Judiciary Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Federalism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Federalism Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Local Governments Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Local Governments Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science Constitution as a Living Document Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Constitution as a Living Document Book Answers
- BSEB Class 11 Political Science The Philosophy of Constitution Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science The Philosophy of Constitution Book Answers
0 Comments:
Post a Comment