Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Tuesday, June 21, 2022

BSEB Class 11 Political Science Executive Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Executive Book Answers

BSEB Class 11 Political Science Executive Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Executive Book Answers
BSEB Class 11 Political Science Executive Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Executive Book Answers


BSEB Class 11th Political Science Executive Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 11th Political Science Executive Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 11th Political Science Executive books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 11th Political Science Executive textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 11th Political Science Executive book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 11th Political Science Executive Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th Political Science Executive Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th Political Science Executive solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th Political Science Executive Textbooks. These Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 11th Political Science Executive Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Political Science Executive
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 11th Political Science Executive Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 11th Political Science Executive Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 11th Political Science Executive Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 11th Political Science Executive Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 11 Political Science कार्यपालिका Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
संसदीय कार्यपालिका का अर्थ होता है –
(क) जहाँ संसद न हो वहाँ कार्यपालिका का होना।
(ख) संसद द्वारा निर्वाचित कार्यपालिका।
(ग) जहाँ संसद कार्यपालिका के रूप में काम करती है।
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के समर्थन पर निर्भर हो।
उत्तर:
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के समर्थन पर निर्भर हो।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों?
अमित:
संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का कार्य सिर्फ ठप्पा मारना है।

शमा:
राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार भी होना चाहिए।

राजेश:
हमे राष्ट्रपति की जरूरत नहीं । चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधानमंत्री बने।

उत्तर:
हम शमा के तर्क से कुछ हद तक सहमत हो सकते हैं कि क्योंकि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है अत: उसे प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार भी होना चाहिए। सिद्धांत रूप में ऐसा है भी कि राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की औपचारिक रूप से नियुक्ति करता है व संविधान के अनुच्छेद 78 के अनुरूप प्रधानमंत्री अपना कार्य ना करे व राष्ट्रपति को मांगी गई सूचना ना दे तो वह प्रधानमंत्री को हटा भी सकता है जैसा कि राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी के सम्बन्धों में हुआ भी।

परंतु व्यवहारिकता में राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त करता है जिसको संसद में बहुमत प्राप्त होता है व प्रधानमंत्री के पद से वह व्यक्ति हटता है जो कि संसद में अपना बहुमत खो चुका हो। अतः प्रधानमंत्री को हटाने में राष्ट्रपति की कोई भूमिका नहीं है। अतः जो बात शमा के तर्क में है वह सिद्धांत रूप में प्रचलित हैं परंतु व्यवहार में ऐसा नहीं है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को सुमेलित करें –
(क) भारतीय विदेश सेवा जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है।
(ख) प्रादेशिक लोक सेवा केंद्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और।
(ग) अखिल भारतीय सेवा जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में भी भेजा जा सकता है।
(घ) केन्द्रीय सेवा भारत के लिए विदेशों में कार्यरत।
उत्तर:
(क) प्रादेशिक लोक सेवा जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है।
(ख) अखिल भारतीय सेवा केन्द्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और।
(ग) केन्द्रीय सेवा जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र में भी भेजा जा सकता है।
(घ) भारतीय विदेश सेवा भारत के लिए विदेशों में कार्यरत।

प्रश्न 4.
उस मंत्रालय को पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार को जारी किया होगा। यह मंत्रालय प्रदेश की सरकार का है या केंद्र सरकार का और क्यों?
(अ) अधिकारिक तौर पर कहा गया है कि सन् 2004-05 में तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम कक्षा 7, 10 और 11 की नई पुस्तकें जारी करेगा।
(ब) भीड़ भरे तिरूवल्लुर-चेन्नई खंड में लौह-अयस्क निर्यातकों की सुविधा के लिए एक नई रेल लूप लाइन बिछाई जाएगी। नई लाइन लगभग 80 किमी. की होगी। यह लाइन पुत्तूर से शुरू होगी और बंदरगाह के निकट अतिपटू तक जाएगी।
(स) रमयमपेट मंडल में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं की पुष्टि के लिए गठित तीन सदस्यीय सब डिविजनल समिति ने पाया कि इस माह आत्महत्या करने वाले दो किसान फसल के मारे जाने से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे थे।
उत्तर:
(अ) यह खबर राज्य मंत्रिमंडल द्वारा जारी की गई क्योंकि इसमें तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा सातवीं, दसवीं और ग्यारहवीं कक्षाओं के लिए नया सत्र शुरू करना था। अत: यह तमिलनाडु राज्य के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई है।

(ब) तिरूवल्लुर-चेन्नई खंड से 80 किमी. लम्बी रेलवे लाइन पुत्तूर से अलग होकर अतिपटू बन्दरगाह के निकट पहुँचेगी। यह रेलवे मंत्रालय जो केन्द्रीय मंत्रालय है के द्वारा जारी की गई है।

(स) इस महीने रमयमपेट मंडल में दो किसानों ने आत्महत्या की जिसके लिए तीन सदस्यीय सब डिविजनल समिति ने-जाँच की ये किसान फसल न होने की वजह से आर्थिक समस्या से परेशान थे और इसलिए आत्महत्या कर ली। यह मामला कृषि मंत्रालय का है जिसे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा किया जाना है। इसे केन्द्र सरकार भी राज्य सरकार के माध्यम से किसानों की सहायता करने के लिए जारी कर सकती है।

प्रश्न 5.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने में राष्ट्रपति –
(क) लोकसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ख) लोकसभा में बहुमत अर्जित करने वाले गठबंधन-दलों में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ग) राज्यसभा में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।
उत्तर:
(ख) लोकसभा में बहुमत अर्जित करने वाले गठबंधन-दलों में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।

प्रश्न 6.
इस चर्चा को पढ़कर बताएँ कि कौन-सा कथन भारत पर सबसे ज्यादा लागू होता है –
आलोक-प्रधानमंत्री राजा के समान है। वह हमारे देश में हर बात का फैसला करता है।
शेखर-प्रधानमंत्री सिर्फ ‘बराबरी के सदस्यों में प्रथम’ है। उसे कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है। सभी मंत्रियों और प्रधानमंत्री के अधिकार बराबर हैं।
बॉबी-प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मंत्रियों के चयन में, प्रधानमंत्री की बहुत ज्यादा चलती है।
उत्तर:
तीसरा कथन अर्थात् बॉबी का कथन भारत के सन्दर्भ में सबसे अधिक उपयुक्त है। यद्यपि प्रधानमंत्री को अपने राजनीतिक दल के सदस्यों और दूसरे सरकार के समर्थन करने वालों की अपेक्षाओं का भी ध्यान रखना पड़ता है परंतु अन्ततः प्रधानमंत्री का ही ये अधिकार है कि वह अपनी इच्छा के मंत्रियों का चयन करे तथा नीतियों का निर्माण करे।

प्रश्न 7.
क्या मंत्रिमंडल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है ? आप क्या सोचते हैं ? अपना उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखें।
उत्तर:
ऐसा इसलिए सोचा जाता है कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य है क्योंकि संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति कार्यपालिका का नाममात्र का अध्यक्ष होता है। अनुच्छेद. 74 (i) के अनुसार राष्ट्रपति को सहायता करने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह को मानेगा। यद्यपि वह एक बार मंत्रिपरिषद की सलाह पुनः भेजी जाती है तो वह (राष्ट्रपति) उस सलाह को मानने को बाध्य है।

प्रश्न 8.
कार्यपालिका की संसदीय-व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियंत्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियंत्रित करना इतना जरूरी क्यों है। आप क्या सोचते हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान के द्वारा संसदात्मक व्यवस्था की स्थापना की गयी है। अतः (व्यवहार में लोकसभा) के प्रति उत्तरदायी होता है। कार्यपालिका का निर्माण भी संसद के दोनों सदनों के सदस्यों में से किया जाता है। यदि कोई मंत्री संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं है तो उसे 6 माह के अंदर संसद की सदस्यता ग्रहण करने के लिए चुनाव लड़ना जरूरी है। मंत्रियों से सरकारी नीति के सम्बन्ध में प्रश्न तथा पूरक प्रश्न पूछकर कार्यपालिका पर अंकुश लगाते हैं।

संसद सरकारी विधेयक अथवा बजट को स्वीकार करके, मंत्रियों के वेतन में कटौती का प्रस्ताव स्वीकार करके अथवा किसी सरकारी विधेयक में ऐसा संशोधन करके जिसमें सरकार सहमत न हो, अपना विरोध प्रदर्शित कर सकता है। वह काम रोको प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव तथा अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है। विधायिका द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है। आधुनिक काल में सरकार का कार्यपालिका अंग अधिक शक्तिशाली हो गया है। संसदीय शासन व्यवस्था में कार्यपालिका क्योंकि बहुमत दल या बहुमत प्राप्त गठबंधन से बनती है अत: वह निरंकुश होने लगती है। यही कारण है कि कार्यपालिका की निरंकुशता पर रोक लगाने के उद्देश्य से कार्यपालिका पर विधायिका का नियंत्रण बना रहना चाहिए।

प्रश्न 9.
कहा जाता है कि प्रशासनिक-तंत्र के कामकाज में बहुत ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज्यादा से ज्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए जिन्हें मंत्रियों को जवाब न देना पड़े।
(क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज्यादा जन-हितैषी होगा?
(ख) क्या आप मानते हैं कि प्रशासन की कार्यकुशलता बढ़ेगी?
(ग) क्या लोकतंत्र का अर्थ यह है कि चुने गये निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण हो?
उत्तर:
(क) जैसा कि जानते हैं कि प्रशासनिक मशीनरी वह है जिसके द्वारा सरकार की लोक कल्याणकारी नीतियाँ जनता तक पहुँचती हैं। मंत्रिगण जो नीतियाँ बनाते हैं प्रशासनिक अधिकारी या नौकरशाही द्वारा उन नीतियों को क्रियात्मक रूप दिया जाता है और प्रायः लोगों के कल्याण के लिए उन नीतियों के प्रभावी बनाया जाता है। आम आदमी की पहुँच प्रशासनिक अधिकारियों तक नहीं होती। नौकरशाही आम नागरिकों की माँगों और आशाओं के प्रति संवेदशील नहीं होती।

परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रशासन की इस कमी को प्रजातंत्र में यद्यपि दूर करने का प्रयास किया गया था लेकिन आज स्थिति दूसरी बन गयी है और अधिक से अधिक राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण प्रशासन राजनीतिज्ञों के हाथ का खिलौना बन गया है। इस प्रकार की कमियों से बचने के लिए यह सुझाव दिया जाता है कि अधिक से अधिक स्वायत्त संस्थाएँ होनी चाहिए जो मंत्रियों के प्रति उत्तरदायी न हो। यदि ऐसा होता है तो प्रशासन अधिक से अधिक जनता के साथ मित्रवत होगा।

(ख) इस प्रकार से प्रशासन अधिक से अधिक कुशल होगा क्योंकि राजनीतिक हस्तक्षेप से प्रशासनिक अधिकारी कार्य स्वतंत्रतापूर्वक नहीं कर पाते।

(ग) लोकतंत्र का अर्थ यह है कि शासन जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप हो। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि अर्थात् मंत्री जब प्रशासन पर नियंत्रण रखते हैं जो जनता की आशाओं के अनुकूल उनकी समस्याओं को प्रभावी तरीके से हल किया जा सकता है। लेकिन जब राजनीतिज्ञों अर्थात् चुने हुए प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण हो जाता है तो नौकरशाही राजनीतिज्ञों की हाँ में हाँ मिलाने लगती है और प्रशासन संवेदनशील नहीं रहता। अत: यह कहना सही नहीं है कि लोकतंत्र का अर्थ है कि चुने हुए प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियत्रंण हो।

प्रश्न 10.
नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए-इस विषय पर 200 शब्दों में एक लेख लिखो।
उत्तर:
यदि प्रशासनिक कर्मचारियों को नियुक्ति के आधार के बजाए निर्वाचन के आधार पर लिया जाए तो क्या होगा, वास्तव में यह हानिप्रद होगा क्योंकि निर्वाचित प्रशासक नीतियों को बदल देंगे। इस तरह नीतियों के लागू करने में अनिश्चितता और अस्थिरता बनी रहेगी। नियुक्त प्रशासन पक्षपातरहित होता है। सिविल कर्मचारियों को केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किया जाता है। इनकी नियुक्ति एक स्वतंत्र संघ लोक सेवा आयोग की सिफारिश पर की जाती है।

इससे प्रशासन में निष्पक्षता बनी रहती है परंतु यदि लोक सेवकों की भर्ती चुनाव द्वारा हुआ करती तो प्रत्येक बार चुनाव में अलग-अलग पार्टी के उम्मीदवारों की जीत होने पर नीतियों को लागू करने में अड़चने आतीं । इस प्रकार संघ लोक सेवा आयोग या राज्यों के लोक सेवा आयागों द्वारा चयनित किए गए प्रशासक योग्य और कुशल होते हैं। वे प्रशासन तंत्र में स्थायी रूप से बने रहते हैं। सरकार के स्थायी कर्मचारियों के रूप में कार्य करने वाले प्रशिक्षित व प्रवीण अधिकारी नीतियों को बनाने तथा उसे लागू करने में मंत्रियों का सहयोग करते हैं परंतु वे राजनीतिक रूप से तटस्थ रहते हैं। लेकिन यदि ये प्रशासनिक कर्मचारी भी चुनाव द्वारा लिए जाते तो वे राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं रहते और उनकी राजनीतिक निष्ठा प्रशासन को प्रभावित करती।

Bihar Board Class 11 Political Science कार्यपालिका Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक कुशल कार्यपालिका के मुख्य गुण क्या हैं?
उत्तर:
कार्यपालिका शासन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य करती है। एक कुशल कार्यपालिका वह है जो एकजुट होकर शीघ्रता से कोई कदम उठा संक्षेप में, कार्यपालिका में निम्नलिखित चार गुण होने चाहिए –

  1. उद्देश्य की एकता
  2. कार्यवाही की गोपनीयता
  3. निर्णय लेने में शीघ्रता
  4. शक्तिशाली ढंग से निर्णयों को लागू करना

प्रश्न 2.
निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों?
अमित-संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है।
शमा-राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
राजेश-हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद की बैठक बुलाकर एक: नेता चुन सकती है जो प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
उक्त संवाद में राष्ट्रपति की स्थिति पर चर्चा की गयी है। प्रथम कथन में राष्ट्रपति को रबड़ की मुहर बताया गया है। परंतु यह कहना सत्य नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति कई अवसरों पर स्व-निर्णय भी लेता है। वह संसद द्वारा पारित विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। लौटाने के लिए भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।

अतः विधेयक को लौटाने के लिए विलम्ब किया जा सकता है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति में भी आजकल लोकसभा में अकेले दल का बहुमत न होने के कारण राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है। तीसरे कथन में राष्ट्रपति के पद की आवश्यकता ही नहीं और संसद की बैठक (चुनाव के तुरंत बाद) में प्रधानमंत्री का चयन करने की बात कही गई परंतु सदन में ऐसे अवसर पर जब एक ही दल का बहुमत न हो तो निर्णय लेने में कठिनाइयाँ पैदा होंगी।

प्रश्न 3.
मुख्य कार्यपालक के प्रत्यक्ष चुनाव का एक गुण तथा एक दोष बताइए।
उत्तर:
गुण: प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा आम जनता में एक प्रकार की रुचि उत्पन्न होती है। योग्यता और एकता में जनता का विश्वास हो।

दोष:

  1. इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  2. इस व्यवस्था में मतदाता को उम्मीदवार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हो पाती।

प्रश्न 4.
बहुल कार्यपालिका का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग एक व्यक्ति या एक समूह के बजाय व्यक्तियों के समूह के द्वारा किया जाता है और प्रत्येक सदस्य बराबर सत्तावान होता है तो उसे बहुल कार्यपालिका कहते हैं। स्विट्जरलैंड बहुल कार्यपालिका का उदाहरण है जहाँ पर कार्यकारी शक्तियाँ बहुत से व्यक्तियों में विभक्त हैं। वहाँ पर फेडरल काउन्सिल सात सदस्यों से मिलकर बनती है। काउन्सिल का चेयरमैन एक वर्ष के लिए चुना जाता है। वह भी समकक्षों में प्रथम कहलाता है।

प्रश्न 5.
उपराष्ट्रपति के दो कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होता है। अत: राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।
  2. राष्ट्रपति का पद उसकी मृत्यु होने पर या त्यागपत्र देने से या महाभियोग द्वारा हटाए. जाने पर या किसी अन्य कारण से रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के पद पर कार्य करता है।

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति भी संसद का अनिवार्य अंग है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
उत्तर:
हाँ, राष्ट्रपति संसद का अनिवार्य अंग है। संसद राज्य सभा, लोकसभा तथा राष्ट्रपति तीनों अंगों से मिलकर बनती है।

प्रश्न 7.
उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है? उसको पदच्युत कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से करते हैं। उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है यदि राज्य सभा इस प्रकार का प्रस्ताव पारित करे और लोकसभा उसका अनुमोदन करे किन्तु ऐसे प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पूर्व दी जानी आवश्यक है।

प्रश्न 8.
भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार की योग्यताएँ क्या हैं?
उत्तर:
उपराष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ होनी आवश्यक हैं:

  1. उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो।
  3. वह राज्य सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो।
  4. वह कोई लाभ का पद धारण न किए हुए हो।

प्रश्न 9.
उपराष्ट्रपति का वेतन तथा पेंशन आदि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के उपराष्ट्रपति को 40,000 रु. मासिक वेतन, 10,000 रुपय मासिक भत्ता, 20,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन तथा कार्यकाल व्यय 12,000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है।

प्रश्न 10.
किसी राज्य का राज्यपाल बनने के लिए क्या योग्यताएँ आवश्यक होती हैं?
उत्तर:
राज्यपाल के पद की योग्यताएँ –
(क) उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
(ख) उसकी आयु 35 वर्ष हो।
(ग) वह संसद सदस्य या राज्य विधानमंडल का सदस्य न हो। यदि है तो उसे त्यागपत्र देना होगा।

प्रश्न 11.
राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है?
उत्तर:
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वह अपने पद पर राष्ट्रपति के प्रसाद-पर्यन्त रह सकता है। उसकी नियुक्ति 5 वर्ष के लिए की जाती है। राज्यपाल को वैधानिक प्रधान के रूप में कार्य करना चाहिए परंतु वह केन्द्र सरकार का प्रतिनिधि होने के कारण दोहरी भूमिका निभाता है।

प्रश्न 12.
वित्तीय आपातकाल पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
वित्तीय आपातकाल:
जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि भारत या उसके किसी भाग की वित्तीय साख खतरे में पड़ गयी है तो संविधान के अनुच्छेद 360 के अन्तर्गत वह वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति संघ राज्य के कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकता है। संघीय कार्यपालिका राज्य सरकार को निर्देश दे सकती है। ऐसे निर्देश में यह भी व्यवस्थ हो सकती है कि विधान मण्डल द्वारा पारित धन विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखा जाए।

प्रश्न 13.
भारत के राष्ट्रपति की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की स्थिति-भारत का राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख है और संविधान के अनुसार शासन की सारी शक्तियाँ उसे दी गई हैं परंतु वास्तव में उसकी इन सारी शक्तियों का प्रयोग उसके नाम पर मंत्रिमण्डल कर सकता है। वह अपनी इच्छा से कोई भी कार्य नहीं करता बल्कि वही करता है जो मंत्रिमण्डल उसे करने के लिए कहता है। वह राज्य का प्रधान तो है परंतु कार्यपालिका का नहीं अर्थात् वह राष्ट्र का वैधानिक प्रमुख है, परंतु राष्ट्र पर शासन नहीं करता। परंतु इसका यह अभिप्राय नहीं है कि राष्ट्रपति का कोई महत्व नहीं है। उसका पद बहुत प्रभावशाली है और राष्ट्र में सबसे अधिक सम्मानजनक है।

प्रश्न 14.
भारत के राष्ट्रपति को उसके पद से हटाने का क्या तरीका है? अथवा, राष्ट्रपति पर महाभियोग कैसे लगाया जाता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति को पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है परंतु यदि कोई राष्ट्रपति अपनी शक्तियों के प्रयोग में संविधान का उल्लंघन करे तो पाँच वर्ष से पहले भी उसे अपने पद से हटाया जा सकता है। उसे महाभियोग द्वारा अपदस्थ किया जा सकता है। सदन राष्ट्रपति के विरुद्ध आरोप लगाता है। आरोपों के प्रस्ताव पर सदन में उसी समय में विचार हो सकता है जब सदन के 1/4 सदस्यों के हस्तक्षर द्वारा इस आशय का नोटिस कम से कम 14 दिन पहले राष्ट्रपति को दिया. जा चुका हो। यदि एक सदन में प्रस्ताव 2/3 बहुमत से उन आरोपों की पुष्टि कर दे तो राष्ट्रपति को उसी दिन अपना पद छोड़ना पड़ता है। जब तक दूसरा सदन राष्ट्रपति हटाए जाने का प्रस्ताव नहीं करता, उस समय तक राष्ट्रपति अपने पद पर आसीन रहता है।

प्रश्न 15.
कार्यपालिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
सरकार के तीन अंगों में दूसरा अंग कार्यपालिका है। कार्यपालिका ही विधायिका द्वारा पारित कानूनों को लागू करती है। गार्नर के अनुसार “कार्यपालिका के अन्तर्गत वे सभी व्यक्ति और कर्मचारी आ जाते हैं जिनका कार्य राज्य की इच्छा को जिसे विधायिका ने व्यक्त कर कानून का रूप दिया है, कार्य रूप में परिणत करना है।”

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राज्यपाल की विवेकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राज्यपाल विवेकी शक्तियों का प्रयोग निम्न परिस्थितियों में कर सकता है। इन शक्तियों का प्रयोग करने में उसे मंत्रिमंडल के परामर्श की आवश्यकता नहीं होती।

1. राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए विधेयकों को सुरक्षित रखना:
यदि राज्यपाल को ऐसा अनुभव हो कि राज्य विधानमंडल द्वारा पास कोई विधेयक केन्द्रीय कानून या केन्द्रीय सरकार की नीतियों के अनुसार नहीं है तो वह ऐसे विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए सुरक्षित रखने में स्वविवेक से कार्य करता है।

2. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने में:
यदि राज्यपाल को ऐसा लगे कि राज्य में शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है तो वह राष्ट्रपति से सिफारिश कर सकता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।

3. मुख्यमंत्री का चयन:
यदि राज्य विधान सभा में किसी दल को बहुमत न मिले तो राज्यपाल मुख्यमंत्री के चयन में स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है।

प्रश्न 2.
मंत्रिपरिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व से क्या अभिप्राय है? राज्य की मंत्रिपरिषद किसके प्रति उत्तरदायी है?
उत्तर:
सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ है कि मंत्रिपरिषद् के सभी सदस्य सामूहिक रूप से विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं। वे एक साथ तैरते हैं और एक साथ ही डूबते हैं। यदि किसी एक मंत्री के मंत्रालय की नीति पर अविश्वास हो तो सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् को त्यागपत्र देना पड़ता है। राज्य की मंत्रिपरिषद् राज्य विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी है।

प्रश्न 3.
किसी राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति कैसे होती है? मुख्यमंत्री के राज्यपाल तथा विधान सभा के प्रति तीन उत्तरदायित्वों का वर्णन भी कीजिए।
उत्तर:
मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। राज्यपाल विधान सभा में बहुमत दल के नेता को मुख्यमंत्री बनाता है। यदि किसी एक दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत न मिले तो राज्यपाल को स्वविवेक का प्रयोग करके मुख्यमंत्री का चयन करना पड़ता है।

मुख्यमंत्री के राज्यपाल के प्रति दायित्व –

  1. मुख्यमंत्री राज्यपाल को शासन के सभी कार्यों की सूचना देता है।
  2. मुख्यमंत्री का दायित्व है कि वह राज्यपाल को मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों से परिचित कराए या सूचित करे।
  3. मुख्यमंत्री राज्यपाल को प्रदेश में बड़े-बड़े पदों पर नियुक्ति के लिए सलाह देता है।

मुख्यमंत्री के विधान सभा के प्रति दायित्व –

  1. मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों सहित विधान सभा के प्रति उत्तरदायी है।
  2. मुख्यमंत्री से विधायक प्रश्न सकते हैं और प्रशासन के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उनको संतुष्ट करने का दायित्व मुख्यमंत्री का है।
  3. सरकार की नीति को लागू करने से पहले मुख्यमत्री उसे विधानसभा से पारित करवाने को जिम्मेदार है और अपने दल के द्वारा पेश किए गए विधेयकों को पास कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 4.
“राष्ट्रपति पर महाभियोग” पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत का राष्ट्रपति पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है। इससे पहले साधारणतया राष्ट्रपति को पदच्युत नहीं किया जा सकता। राष्ट्रपति को केवल महाभियोग द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति पर संविधान की अवहेलना के आधार पर महाभियोग लगाया जा सकता है। महाभियोग का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है परंतु इस आशय का प्रस्ताव किसी भी सदन में उस समय तक पेश नहीं किया जा सकता जब तक कि इसकी सूचना सदन के एक चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षरों द्वारा, कम से कम 14 दिन पहले राष्ट्रपति को न दी गई हो।

यह प्रस्ताव सदन में दो-तिहाई बहुमत से पास होना चाहिए। फिर यह प्रस्ताव दूसरे सदन के पास जाता है जो राष्ट्रपति पर लगाए गए दोषों की छानबीन करता है। और यदि दूसरा सदन उन दोषों को ठीक पाए तथा दो-तिहाई बहुमत से अपनी सम्मति का प्रस्ताव पास कर दे तो उसी समय से राष्ट्रपाति अपने पद से पदच्युत माना जाता है। राष्ट्रपति को स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि द्वारा सदन के सामने उपस्थत होकर अपनी सफाई देने का अधिकार है।

प्रश्न 5.
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए किसी व्यक्ति में कौन-सी योग्यताओं का होना आवश्यक है?
उत्तर:
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताओं का होना आवश्यक है –

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
  3. वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
  4. वह पागल या दिवालिया न हो।
  5. कोई भी व्यक्ति जो केन्द्र सरकार के अधीन लाभ के पद पर कार्य कर रहा है वह राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकता।
  6. सन् 1974 में संसद ने राष्ट्रपति निर्वाचन (संशोधन) अधिनियम पास किया जिसके अनुसार उम्मीदवार को 2500 रुपये जमानत के रूप में जमा करवाना होगा तथा निर्वाचक मण्डल के 10 सदस्यों द्वारा नामांकन पत्र प्रस्तावित तथा 10 सदस्यों द्वारा अनुमोदित करवाना होगा।
  7. 1997 में संशोधन करके जमानत राशि 10,000 रुपये कर दी गई तथा नामांकन पत्र निर्वाचक मण्डल के 20 सदस्यों द्वारा प्रस्तावित तथा 20 सदस्यों द्वारा अनुमोदित करवाना अनिवार्य कर दिया गया है।

प्रश्न 6.
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है?
उत्तर:

  1. अप्रत्यक्ष चुनाव-भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की मुख्य विशेषता यह है कि यह चुनाव जनता के द्वारा सीधा न होकर अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों की विधानसभाओं तथा संसद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है।
  2. निर्वाचक मण्डल द्वारा चुनाव-संविधान की धारा 41 के अनुसार राष्ट्रपति के चुनाव में “संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेंगे।” इस धारा के अनुसार राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मण्डल द्वारा होता है। इसमें शामिल होते हैं –

(क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य।
(ख) राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य।

राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष तरीके से होता है जिसे “आनुपातिक प्रधिनिधित्व व एकल संक्रमणीय मत प्रणाली” के नाम से पुकारा जाता है।

प्रश्न 7.
स्थायी कार्यपालिका और राजनीतिक कार्यपालिका में अंतर कीजिए।
उत्तर:
स्थायी कार्यपालिका राजनीतिक कार्यपालिका से भिन्न होती है। राजनीतिक कार्यपालिका में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जैसे कि राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के सदस्य। ये अपनी नीतियाँ अपने राजनीतिक दल के कार्यक्रम के अनुसार बनाते हैं। स्थायी कार्यपालिका के अन्तर्गत सिविल सेवाओं के सदस्य आते हैं। सिविल सेवाओं से अभिप्राय है-प्रशासनिक अधिकारी व राज कर्मचारी। ये लोग योग्यता के आधार पर छाँटे जाते हैं। ये स्थायी रूप से अपने पदों पर रहते हैं। मंत्रिमण्डल बदलते रहते हैं पर सिविल कर्मचारियों की नौकरी स्थायी हुआ करती है। एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद वे रिटायर हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
संसदीय समितियों का कार्य क्या है?
उत्तर:
संसदीय समिति के कार्य-संसद के कार्य संचालन में सहायता के लिए समितियों की व्यवस्था की गई है। सामान्यतः संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं-स्थायी तथा तदर्थ स्थायी। समितियों का गठन प्रतिवर्ष या एक निश्चित समय के लिए होता है तथा इनका कार्य अनवरत चलता रहता है। तदर्थ समितियों का गठन आवश्यकतानुसार तदर्थ आधार पर किया जाता है तथा कार्य समिति के बाद उनका विघटन हो जाता है। स्थायी समिति में प्रमुख वित्तीय समिति होता है। इसमें प्राक्कलन सरकारी उपक्रम संबंधी एवं लोक लेखा समिति है। ये वित्तीय नियंत्रण, वित्तीय लेन-देन की जाँच का कार्य करती है जबकि अन्य समिति अपने निश्चित दायित्वों को पूरा करती है।

प्रश्न 9.
कैबिनेट तथा मंत्रिपरिषद में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद् तथा मंत्रिमंडल को अधिकतर लोग एक ही संस्था मानते हैं परंतु इन दोनों “बहुत से अंतर हैं –

1. मंत्रिपरिषद् एक संवैधानिक संस्था है:
संविधान में मंत्रिपरिषद् का उल्लेख किया गया है तथा उसे संवैधानिक मान्यता प्राप्त है जबकि मंत्रिमण्डल की रचना प्रशासनिक सुविधा के लिए की गई है।

2. मंत्रिमंडल एक बड़ी सभा है:
मंत्रियों के मिले-जुले संगठन को मंत्रिपरिषद् कहते हैं तथा मंत्रिमंडल मंत्रिपरिषद् का एक अंग होता है। इसमें सिर्फ महत्त्वपूर्ण विभागों के मंत्री, जो कैबिनेट मंत्री कहलाता है होते हैं। मंत्रिमंडल में मंत्रिपरिषद् के अनुभवी तथा प्रभावशाली नेताओं को ही स्थान दिया जात है। भारत की मंत्रिपरिषद् में लगभग 50-60 सदस्य होते हैं तथा मंत्रिमंडल में लगभग 18-20 तक।

3. मंत्रिमंडल अधिक महत्त्वशाली है:
सभी निर्णय मंत्रिमंडल की बैठकों में ही लिए जाते हैं और वे मंत्रिपरिषद् के निर्णय कहलाते हैं। रेम्जेम्योर ने मंत्रिमंडल की परिभाषा इस प्रकार की है – “यह मंत्रिपरिषद् का हृदय है, संसद का परिचालक यंत्र है, जिसमें सभी महत्त्वपूर्ण विभागों के राजनीतिक अध्यक्ष सम्मिलित रहते हैं तथा कुछ प्राचीन प्रतिष्ठित पदों के अधिकारी भी।” अतः यह स्पष्ट है कि मंत्रिमंडल का महत्त्व मंत्रिपरिषद् की अपेक्षा अधिक है।

प्रश्न 10.
अध्यक्षीय प्रणाली क्या है?
उत्तर:
अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली अध्याक्षत्मक एवं संसदीय व्यवस्था का मिश्रित रूप है। इस पद्धति में राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री दोनों पद का प्रावधान होता है लेकिन तुलनात्मक दृष्टि से राष्ट्रपति अधिक शक्तिशाली होता है। प्रधानमंत्री संसद के माध्यम से जनता के प्रति उत्तरदायी होता है जबकि राष्ट्रपति जनता के प्रति प्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी होता है। पंचम गणतंत्र के बाद फ्रांस, रूस, श्रीलंका अध्यक्षीय प्रणाली का उदाहरण है।

प्रश्न 11.
संविधान शासन की शक्तियों को किस प्रकार सीमित करता है?
उत्तर:
संविधान राष्ट्र का सर्वोच्च कानून होता है। यह न सिर्फ राज्य के कानून से सर्वोपरि है बल्कि राज्य के सभी महत्वपूर्ण अंगों एवं संस्थाओं का निर्माण संविधान के ही अधीन होता है। विधायिका, कार्यपालिका संविधान के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकते। इस स्थिति में न्यायपालिका उन कार्यों को अवैध घोषित कर सकती है। सांविधानिक सीमा में कार्य करने के लिए बाध्य होते हैं। इस आधार पर शासन की शक्ति द्वारा सीमित माना जाता है।

प्रश्न 12.
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की विशेषता क्या है?
उत्तर:
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं –

  1. राष्ट्रपति शासन का वास्तविक अध्यक्ष होता है।
  2. राष्ट्रपति का नेतृत्व एकल कार्यपालिका के रूप में होता है।
  3. शक्ति पृथक्करण के आधार पर विधायिका एवं कार्यपालिका में कोई संबंध नहीं।
  4. कार्यपालिका प्रत्यक्षतः विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होती।
  5. राष्ट्रपति का एक निश्चित कार्यकाल होता है।

प्रश्न 13.
उपराष्ट्रपति के अधिकार क्या हैं?
उत्तर:
भारत का उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) का पदेन अध्यक्ष है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति के कार्यों का भार भी उस पर रहता है। वह राज्यसभा के संचालन हेतु सभी महत्वपूर्ण निर्णयों का संवहन भी करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव, वेतन, कार्यकाल का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन का तरीका-भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन विधि से समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की एकल संक्रमणीय मत प्रथा द्वारा एक निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचन मंडल में ससंद के दोनों सदनों के निर्वाचन सदस्य तथा राज्य विधान सभाओं और 70 वें संविधान (1992) के अनुसार संघ शासित क्षेत्रों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं। चुनाव में सफलता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम कोटा प्राप्त करना आवश्यक होता है।

राज्य या संघीय क्षेत्र की विधान सभा के सदस्य के मतों की संख्या

सदस्य राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की योग्यताएँ –

  1. उम्मीदवार भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो।
  3. उसमें लोकसभा सदस्य चुनने की योग्यता हो।
  4. वह किसी सरकारी लाभ के पद पर न हो।

चुनाव का संचालन:
राष्ट्रपति के निर्वाचन का संचालन निर्वाचन आयोग के निर्देशन द्वारा होता है। आयोग नामांकन पत्र दाखिल करने, नाम वापस लेने तथा उसकी जाँच और मतदान की तिथि निर्धारित करता है। प्रत्येक उम्मीवार के लिए पचास निर्वाचक प्रस्ताव तथा पचास निर्वाचकों द्वारा अनुमोदन किया जाना आवश्यक है।

वेतन:
4 अगस्त, 1998, को संसद ने एक विधेयक पारित कर राष्ट्रपति का मासिक वेतन 50 हजार रु. कर दिया जो आय कर से मुक्त होगा। एक निःशुल्क आवास तथा संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते मिलते हैं। राष्ट्रपति को 3 लाख रुपये वार्षिक पेंशन तथा 12 हजार रुपये वार्षित सचिवालय के खर्च के लिए दिए जाते हैं। पूर्व राष्ट्रपति को भी निःशुल्क आवास, बिजली, पानी, कार आदि की सुविधा दी जाती है।

कार्यकाल:
राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया। पुनर्निर्वाचन के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है।

प्रश्न 2.
“नौकरशाही” की भूमिका का वर्णन कीजिए। अथवा, आधुनिक राज्य में नौकरशाही के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नौकरशाही का शासन पर बहुत प्रभाव बढ़ गया है। बिना नौकरशाही के शासन चलाना और देश का विकास करना अत्यन्त कठिन कार्य है। नौकरशाही का महत्व इसलिए बढ़ गया है कि आधुनिक राज्य एक कल्याणकारी राज्य है। कल्याणकारी राज्य होने के कारण राज्य के कार्य इतने बढ़ गए हैं कि सब कार्य मंत्री नहीं कर सकते। मंत्रियों के फैसलों को कार्यरूप देने के लिए स्थायी कर्मचारियों अर्थात् नौकरशाह की आवश्यकता पड़ती है। इसके अतिरिक्त मंत्रियों के पास वैसे भी समय कम होता है, जिसके कारण वे प्रत्येक सूचना स्वयं प्राप्त नहीं कर पाते। आधुनिक राज्य में नौकरशाही की भूमिका का वर्णन हम निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कर सकते हैं –

लोक सेवकों के कार्य –

1. मंत्रियों को परामर्श देना:
संसदीय शासन में मंत्री जनता के प्रतिनिधि होते हैं जो अपने राजनीतिक दल की नीतियों को कार्यान्वित करने के लिए वचनबद्ध होते हैं। इस दृष्टि से शासन की नीतियों का निर्धारण करने का कार्य मंत्री ही करते हैं किन्तु इन मंत्रियों को अपने विभाग की बारीकियों का पता नहीं होता। अत: नीतियों को कार्यान्वित करने के लिए विभाग के सचिवों का कर्तव्य होता है कि वे सम्बन्धित जानकारी मंत्री तक पहुँचाएँ। वे आवश्यक जानकारी सूचनाएँ व आँकड़े एकत्रित करते हैं और उन नीतियों की सफलता के सम्बन्ध में मंत्रियों को परामर्श देते हैं। इस प्रश्न के अभाव में नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करना बहुत कठिन है।

2. नीतियों को कार्यान्वित करना:
मंत्रियों द्वारा निश्चित की गई नीति को सफल बनाना लोक प्रशासकों का कर्तव्य होता है। मंत्री अपने सचिव को नीति सम्बन्धी आवश्यक निर्देश देता है और सचिव अपने लोक सेवकों को तत्सम्बन्धी आदेश व निर्देश देता है, जिससे नीति को सफल बनाया जा सके। विभाग के विभिन्न छोटे-बड़े कर्मचारियों का दायित्व होता है कि ऊपर से प्राप्त निर्देश का पालन करें और निर्धारित नीति को ईमानदारी से लागू करें।

3. विभागों में समन्वय स्थापित करना:
लोक सेवाओं के कार्यों का प्रशासन के अंग के रूप में अध्ययन किया जाता है। यद्यपि प्रशासन विभिन्न विभागों में विभाजित होता है और प्रत्येक विभाग की आवश्यकताएँ भी भिन्न-भिन्न होती हैं, किन्तु इन विभागों में समन्वय स्थापित करना नितान्त आवश्यक है क्योंकि प्रत्येक विभाग अलग से कार्य नहीं कर सकता।

प्रत्येक विभाग अन्य विभागों पर निर्भर करता है। कृषि; कुटीर उद्योग, अन्य उद्योग, सिंचाई तथा प्रतिरक्षा आदि अपने में स्वतंत्र दिखाई देते हैं किन्तु ये एक-दूसरे पर कम या अधिक निर्भर रहते हैं। इसी से प्रशासन का कुशलतापूर्वक संचालन सम्भव होता है। लोक-सेवाएँ इस दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

4. लोक सेवाओं के संगठन से सम्बन्धित कार्य:
लोक सेवकों का कार्य यह भी है कि वे लोक सेवकों की नियुक्ति, उनकी पदोन्नति, प्रशिक्षण तथा उन्हें दी जाने वाली अन्य सुविधाओं का भी समुचित प्रबंध करे। देश के प्रतिभा सम्पन्न युवक लोक सेवाओं की ओर आकृष्ट हों, यह नितान्त आवश्यक है। अतः इसकी आवश्यकताओं तथा इनके कार्यों का समन्वय किया जाता है। लोक सेवाओं के संगठन से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों का सम्पादन लोक सेवकों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.
आधुनिक प्रजातंत्रीय देशों में कार्यपालिका के द्वारा कौन-कौन से कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
आधुनिक राज्य पुलिस राज्य न होकर कल्याणकारी राज्य है। राज्य का मुख्य उद्देश्य जनता की भलाई के लिए कार्य करना है। कल्याणकारी राज्य के उदय होने से कार्यपालिका का मुख्य कार्य विधानमण्डल के बनाए हुए कानूनों को लागू करना है। इस कार्य के अतिरिक्त कार्यपालिका को अनेक कार्य करने पड़ते हैं। कार्यपालिका के कार्य भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न हैं। वास्तव में कार्यपालिका के कार्य सरकार के स्वरूप पर निर्भर करते हैं। आधुनिक राज्य में कार्यपालिका के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं –

कार्यपालिका के प्रमुख कार्य –

1. प्रशासनिक कार्य:
कार्यपालिका का प्रथम कार्य विधानमंडल के कानूनों को लागू करना तथा देश में शान्ति एवं व्यवस्था को बनाए रखना होता है। कार्यपालिका का कार्य कानूनों को लागू करना है चाहे वह कानून बुरा हो या अच्छा। कार्यपालिका देश में शान्ति-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस का प्रबंध करती है। पुलिस उन व्यक्तियों को जो कानून तोड़ते हैं, गिरफ्तार करती है और उन पर मुकदमा चलाती है।

2. कूटनीतिक कार्य:
वर्तमान युग में कोई देश दूसरे देशों से सम्बन्ध बनाए बिना नहीं रह सकता। दूसरे, बहुत-से राज्य आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर नहीं हैं। अतः उन्हें दूसरे उन्नत देशों को मदद प्राप्त होती है। इसलिए प्रत्येक देश को दूसरे देशों से कूटनीतिक सम्बन्ध रखने पड़ते हैं। आज का युग एक औद्योगिक युग है।

बड़ी-बड़ी मशीनें हर प्रकार सामान उत्पन्न करती हैं, इसलिए सभी देश व्यापार करते हैं, जो वस्तु जिस देश में नहीं है वह दूसरे देश से मंगा ली जाती हैं। अर्थात् आज अनेक कारणों से आधुनिक युग में रहने वाले देशों को परस्पर सम्बन्ध बनाए रखने पड़ते हैं। इसलिए कार्यकारिणी का एक अलग विभाग होता है जिसे विदेश मंत्रालय कहते हैं। यह विदेशों से कूटनीतिक सम्बन्ध रखता है और युद्ध व संधि आदि का उत्तरदायित्व इसी पर होता है।

3. सैनिक कार्य:
कार्यकारिणी का एक महत्वपूर्ण काम देश की रक्षा करना है। इसके लिए उसे थल, जल और वायु सेनाएँ रखनी पड़ती हैं जो हर समय प्रहरी की तरह देश की रक्षा करती हैं। जिस देश के पास अपनी सुरक्षा के लिए सुदृढ़ सेनाएँ तथा आधुनिक अस्त्र-शस्त्र नहीं होते है, वह शक्तिशाली देशों की लालसा की दृष्टि का शिकार बन जाता है।

4. कानून सम्बन्धी कार्य:
कानून विधानमंडल बनाता है और कार्यकारिणी कोई भी कानून स्वयं पास नहीं कर सकती, लेकिन उसके कानून सम्बन्धी अधिकार निम्नलिखित हैं –

(क) विधानमंडल कानून पास करता है, परंतु कौन-से कानून देश के लिए उपयुक्त हैं, और प्रशासन के लिए कौन-कौन से नये कानूनों की आवश्यकता है, इसका निर्णय कार्यकारिणी करती है। यह कानून की रूपरेखा तैयार करके विधानमंडल के सामने रखती है जिसे विधेयक कहते हैं। इसे पास करना या न करना विधानमंडल के हाथों में होता है। प्रायः कार्यकारिणी उसी पार्टी की बनती है जिसे विधानमंडल में बहुमत प्राप्त होता है तथा वह जो बिल विधानमंडल के सामने रखती है, प्रायः पास हो जाता है। इसलिए कानून पास करना या न करना अप्रत्यक्ष रूप से कार्यकारिणी के अधीन ही होता है।

(ख) कार्यपालिका का मुखिया ही विधानमंडल की बैठकें बुलाता है और उन्हें स्थगित करता है। वह विधानमंडल को भंग भी कर सकता है।

(ग) विधानमंडन द्वारा पास किए गए सभी बिल कार्यपालिका के प्रधान के पास ही स्वीकृति के लिए जाते हैं, उसके हस्ताक्षर के बिना कोई भी बिल कानून नहीं बन सकता है।

5. न्याय सम्बन्धी कार्य:
न्याय करना न्यायपालिका का मुख्य कार्य है परंतु कार्यपालिका के पास भी कुछ न्यायिक शक्तियाँ होती हैं। बहुत से देशों में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश कार्यपालिका के द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। कार्यपालिका के अध्यक्ष के पास अपराधी के दण्ड को क्षमा करने तथा उसे कम करने का भी अधिकार होता है। भारत और अमेरिका में राष्ट्रपति को क्षमादान का अधिकार प्राप्त है। इंग्लैंड में यह शक्ति सम्राट के पास है। राजनीतिक अपराधियों को मुक्तिदान देने का अधिकार भी कई देशों में कार्यपालिका के पास है।

6. वित्तीय शक्तियाँ:
देश के धन पर विधानमंडल का नियंत्रण होता है और विधानमंडल की स्वीकृति के बिना कार्यपालिका ही बजट को तैयार करती है और विधानमंडल में पेश कर सकती है, क्योंकि कार्यपालिका को विधानमंडल में बहुमत का समर्थन प्राप्त है, इसलिए प्रायः बजट पास हो जाता है। नए कर लगाने, कर घटाने तथा कर समाप्त करने के बिल कार्यपालिका ही विधानमंडल में पेश करती है। अध्यक्षात्मक सरकार में कार्यपालिका स्वयं बजट पेश नहीं करती, परंतु बजट कार्यपालिका की देखरेख में ही तैयार किया जाता है। अमेरिका में राष्ट्रपति बजट की देखरेख करता है जबकि भारत में वित्तमंत्री बजट पेश करता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रपति की कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियों का विवेचन कीजिए। अथवा, भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियों का विवेचन कीजिए। अथवा, भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत का राष्ट्रपति भारतीय गणराज्य का प्रमुख है। वह राज्याध्यक्ष है न कि शासनाध्यक्ष। भारत संविधान ने भारत के राष्ट्रपति को बहुत सी शक्तियाँ प्रदान की हैं। राष्ट्रपति की शान्तिकालीन शक्तियों को निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है।

कार्यपालिका शक्तियाँ –

1. प्रधानमंत्री तथा मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की नियुक्ति:
राष्ट्रपति लोकसभा के आम चुनाव के बाद यह देखता है कि किस राजनैतिक दल को बहुमत प्राप्त हुआ है। उसके पश्चात् वह उस दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त कर देता है। उसके पश्चात् वह प्रधानमंत्री की सलाह से मंत्रिपरिषद् के मंत्रियों की नियुक्ति करता है और उनमें विभागों का बँटवारा करता है।

2. अधिकारियों की नियुक्ति करना:
राष्ट्रपति को विभिन्न उच्च अधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार है। वह राज्यों के राज्यपालों, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक तथा भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति करता है। संघीय लोकसेवा आयोग के प्रधान एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति वही करता है।

3. सैनिक शक्तियाँ:
राष्ट्रपति भारत की जल, थल तथा वायु तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है। वह तीनों के सेनापतियों की नियुक्ति करता है। वह दूसरे देशों के साथ युद्ध की घोषणा करता है तथा शान्ति के लिए संधि करता है लेकिन इसके लिए उसे संसद की स्वीकृति लेनी पड़ती है।

4. वैदेशिक क्षेत्र से संबंधित शक्तियाँ:
राष्ट्रपति, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व करता है। वह दूसरे देशों के लिए अपने देशों के राजदूतों की नियुक्ति करता है। वह अन्य देशों से आए हुए राजदूतों के प्रमाणपत्र स्वीकार करता है और उन्हें अपने देश में ठहरने की इजाजत देता है।

वैधानिक शक्तियाँ –

1. संसद के गठन के विषय में शक्तियाँ:
राष्ट्रपति को राज्यसभा में उन 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार है जो ज्ञान, साहित्य, कला या समाज सेवा आदि के क्षेत्रों में प्रसिद्ध व्यक्ति होते हैं। वह लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीयों को मनोनीत कर सकता है।

2. संसद का अधिवेशन बुलाना व स्थगित करना:
राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) का अधिवेशन बुलाता है। उसके पास अधिवेशन को स्थगित करने का अधिकार है। यदि किसी विधेयक को पारित करने के विषय में दोनों सदनों में मतभेद हों तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी बुला सकता है।

3. लोकसभा को भंग करने की शक्ति:
संविधान के अनुसार भारत के राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान की गई है कि संसद के निचले सदन अर्थात् लोकसभा को उसकी संवैधानिक अवधि पूरी होने से पहले ही भंग कर सकता है। वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग केवल प्रधानमंत्री की सलाह से ही कर सकता है।

4. विधेयक पर स्वीकृति देना:
राष्ट्रपति संसद द्वारा पास किए गए विधेयकों पर हस्ताक्षर करता है तभी वह विधेयक कानून का रूप लेता है। वह साधारण विधेयकों को अपने कुछ सुझावों के साथ संसद के पास फिर से विचार करने के लिए भेज सकता है। यदि संसद उस विधेयक को उसके सुझावों के बिना दोबारा पास कर देती है तो राष्ट्रपति को उस विधेयक पर स्वीकृति देनी ही पड़ती है।

वित्तीय शक्तियाँ:

1. संसद के सामने बजट पेश करना:
राष्ट्रपति प्रति वर्ष आगामी वर्ष के बजट (आय और व्यय के ब्यौरे) को वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत करता है। राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही धन-संबंधी मांगें संसद से की जा सकती है।

2. धन बिल से संबंधित शक्तियाँ:
कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बिना लोकसभा में प्रस्तावित नहीं किया जा सकता। जब राष्ट्रपति किसी धन विधेयक को स्वीकृति दे देता है तो वह लोकसभा में पेश किया जा सकता है।

3. आकस्मिक निधि का नियंत्रण:
भारत की आकास्मिक निधि राष्ट्रपति के नियंत्रण में होती है। वह किसी भी आकस्मिक खर्चे के लिए संसद की स्वीकृति से पूर्व ही इस निधि से धन दे देता है।

न्यायिक शक्तियाँ:

1. न्यायाधीशों की नियुक्ति:
राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश.तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। वह राज्यों के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।

2. परामर्श लेने का अधिकार:
राष्ट्रपति को किसी भी कानूनी विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेने का अधिकार है।

3. क्षमादान का अधिकार:
राष्ट्रपति न्यायालयों द्वारा दिए गए मृत्युदंड या किसी अन्य दण्ड को कम या क्षमा करने की शक्ति रखता है।

प्रश्न 5.
भारत का राष्ट्रपति किन आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग कर सकता है? अथवा, भारत के राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रपति संविधान के अनुसार राष्ट्र का वैधानिक मुखिया होता है। : संकटकाल के समय राष्ट्रपति को विशेष अधिकार प्राप्त है। वह तीन अवस्थाओं में संकटकाल की घोषणा कर सकता है ये अवस्थाएँ निम्न प्रकार हैं:

1. जब देश पर किसी विदेशी शक्ति का आक्रमण हुआ हो या होने की सम्भावना हो या देश में सशस्त्र विद्रोह फैला हो या इसकी सम्भावना हो:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान की गई है कि यदि युद्ध, बाह्य आक्रमण, आन्तरिक अशान्ति के कारण देश के किसी भी भाग या पूरे देश की सुरक्षा खतरे में है, तब राष्ट्रपति आपातकालीन या संकटकालीन स्थिति की घोषणा कर सकता है। देश में ऐसी स्थिति है या नहीं, इसमें राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम है और इसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

राष्ट्रपति यह घोषणा प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल की सलाह से करता है। आपातकालीन घोषणा दोनों सदनों के समर्थन के बिना केवल दो मास तक रह सकती है। लोकसभा भंग की स्थिति में राज्य सभा की स्वीकृति लेनी होगी। आपातकालीन स्थिति जारी रखने के लिये संसद से हर छ: मास बाद प्रस्ताव पारित कराना होगा। साधारण बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव से इस स्थिति को समाप्त किया जा सकता है।

प्रभाव:

  • संसद सारे भारत या किसी भी भाग के लिए उन विषयों के सम्बन्ध में भी कानून बना सकती है जो राज्य सूची के अन्तर्गत आते हैं।
  • केन्द्रीय सरकार राज्यों की कार्यपालिका को आदेश या निर्देश दे सकती है।
  • इस स्थिति में अनुच्छेद 19 में दी गई स्वतंत्रताएँ स्थगित की जा सकती हैं। इस प्रकार की शक्तियों पर संघ सरकार का पूरा नियंत्रण हो जाता है।

2. राष्ट्रपति को जब यह विश्वास हो जाए कि किसी राज्य में शासन का कार्य संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है तो वह संकट काल की घोषणा कर सकता है:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्यों में संविधान के असफल होने की दशा में राष्ट्रपति प्रान्तीय आपातकालीन घोषणा कर सकता है। इसके लिए राज्यपाल को सूचना मिलना आवश्यक नहीं। इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखना होगा और दो महीने तक उसकी स्वीकृति न मिलने से यह घोषणा रद्द समझी जाएगी।

लोकसभा भंग की स्थिति में राज्यसभा की स्वीकृति ली जा सकती है, परंतु नई लोकसभा के प्रथम अधिवेशन शुरू होने के एक महीने के अंदर इसकी स्वीकृति लेना आवश्यक है। हर छः महीने बाद संसद से इसकी स्वीकृति लेनी होगी। किसी भी दशा में इस प्रकार की संकटकालीन स्थिति को तीन वर्ष से अधिक जारी नहीं रखा जा सकता।

प्रभाव:

  • राज्य की विधानसभा व मंत्रिपरिषद् को भंग कर दिया जाता है।
  • राज्य का शासन राष्ट्रपति के हाथ में आता है। वह राज्यपाल तथा अन्य अधिकारियों की सहायता से राज्य का शासन चलाता है।
  • राज्य के कानून बनाने व बजट की सभी शक्तियाँ संसद को मिल जाती हैं।
  • उस राज्य के नागरिकों के कुछ स्वतंत्रताओं पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है परंतु उच्च न्यायालय की शक्ति को केन्द्र अपने हाथ में नहीं ले सकता। इस प्रकार उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाता है।

3. राष्ट्रपति को जब यह विश्वास हो जाए कि देश भर में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है तथा सारे देश की या किसी राज्य की स्थिति डावांडोल हो गई है:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के अनुसार यदि राष्ट्रपति को इस बात का विश्वास हो जाए कि पूरे भारत या इसके किसी भाग में आर्थिक व्यवस्था को खतरा पैदा हो गया है। संसद की स्वीकृति से आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर सकता है। संसद की स्वीकृति के बिना इसकी अवधि दो मास तक है परंतु स्वीकृति के बाद तब तक जारी रहेगी, जब तक राष्ट्रपति इसकी समाप्ति की घोषणा न कर दे।

प्रभाव:

  • धन-बिल राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना पेश नहीं किए जा सकते।
  • वह राज्य की वित्तीय साख को बनाए रखने के लिए आवश्यक आदेश व निर्देश दे सकता है।
  • वह संघ व राज्यों में वित्त के विभाजन में परिवर्तन कर सकता है।
  • संघ, राज्य सरकारों के कर्मचारियों, उच्च तथा उच्चतम न्यायालयों के न्यायाधीशों के वेतनों में कटौती कर सकता है।
  • राज्य संघ के आदेशों या निर्देशों का पालन कर रहा है या नहीं, इसकी जाँच के लिए राष्ट्रपति केन्द्रीय अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।

प्रश्न 6.
भारत के राष्ट्रपति की स्थिति का विवेचन कीजिए। अथवा, भारत के राष्ट्रपति की वास्तविक स्थिति क्या है?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख है और संविधान के अनुसार उसे बहुत व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। वह प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति करता है। वह देश में बड़े-बड़े अधिकारियों की नियुक्ति करता है। वह जल, स्थल तथा वायु सेना का मुख्य सेनापति होता है। उसके हस्ताक्षर के बिना कोई कानून पास नहीं हो सकता। वह मंत्रियों को अपदस्थ कर सकता है और लोकसभा को भंग कर सकता है । वह संकटकाल की घोषणा करके सारे देश की शक्तियाँ अपने हाथ में ले सकता है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को भी स्थगित कर सकता है।

राष्ट्रपति की इन सारी शक्तियों को देखते हुए यह बात स्पष्ट है कि यदि वह वास्तव में इन सभी शक्तियों का प्रयोग करे तो एक तानाशाह बन सकता है परंतु भारत में संसदीय सरकार की स्थापना की गई है और संसदीय शासन में राष्ट्रपति देश का नाममात्र का प्रमुख होता है। इसकी सभी शक्तियों का प्रयोग उसके नाम से मंत्रिमण्डल ही करता है। वह अपनी शक्तियों व अधिकारों का प्रयोग कुछ ही परिस्थितियों में कर सकता है। भारत के संविधान में राष्ट्रपति की स्थिति को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।

भारत के राष्ट्रपति की स्थिति –

  1. राष्ट्रपति संवैधानिक अध्यक्ष के नाते काम करता है। राष्ट्रपति की स्थिति भारतीय संविधान के अनुसार ठीक वही है जो इंग्लैण्ड के संविधान में वहाँ के सम्राट या सम्राज्ञी की है। डॉ. अम्बेडकर के शब्दों में, “राष्ट्रपति राज्य का मुखिया होता है परंतु कार्यपालिका का नहीं, वह राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है पर राष्ट्र पर शासन नही करता।
  2. संविधान में यह स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि शासन चलाने के लिए सभी निर्णय प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद करेंगे और उनको राष्ट्रपति के नाम से लागू किया जाएगा।
  3. राष्ट्रपति स्वयं अपनी मर्जी से लोकसभा को भंग नहीं कर सकता। वह ऐसा केवल प्रधानमंत्री की सलाह से ही कर सकता है।
  4. यदि राष्ट्रपति निरंकुश बनने का प्रयत्न करे या कोई देशद्रोह का काम करे या उसमें चरित्रहीनता आ जाए तो संसद उसे महाभियोग द्वारा हटा भी सकती है।

राष्ट्रपति की वास्तविक स्थिति –

1. राष्ट्रपति सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधि होता है:
राष्ट्रपति पद पर आसीन व्यक्ति से यह आशा की जाती है कि वह अपने को किसी दल विशेष का न समझकर सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधि समझे। ऐसी अवस्था से सरकारी और विरोधी दोनों दलों को वह समान आधार पर रखता है और सम्पूर्ण देश का प्रिय नेता बन जाता है। सभी दल उसका सम्मान करते हैं। वह देश का प्रतीक बन जाता है और असीमित शक्तियाँ प्राप्त होते हुए भी उनसे ऊपर उठकर अपने मंत्रियों के परामर्श पर व्यवहार करता है।

2. वह सरकार को चुनौती व प्रोत्साहन देता है:
यद्यपि वह अपने व्यक्तिगत विचारों से सरकार के कार्यों को प्रभावित नहीं करता क्योंकि मंत्रिमण्डल अपने दल के सिद्धांतों के आधार पर शासन करता है, किन्तु फिर भी कई बार मंत्रिमण्डल दलबंदी में पड़कर देश के स्थान पर अपने दल को अधिक महत्व देने लगता है जिससे आगामी चुनाव के समय उसके दल को विजय प्राप्त हो सके। ऐसी अवस्था में देश का राष्ट्रपति, जो दलबंदी से ऊपर देश के हित सम्बन्ध में ही विचार करेगा, सरकार को चेतावनी दे सकता है। इसी प्रकार वह मंत्रिमण्डल द्वारा किए गए अच्छे कार्यों पर उसे प्रोत्साहित कर सकता है।

निष्कर्ष:
उपरोक्त लिखित बातों से हमें यह नहीं समझना चाहिए कि भारत का राष्ट्रपति केवल एक हस्ताक्षर करने वाली मशीन है। वास्तव में उसका पद महान प्रतिष्ठा, गौरव और गरिमा का पद है। उसे मंत्रिपरिषद् को सलाह देने, उत्साहित करने तथा चेतावनी देने का पूरा अधिकार है। वह किसी भी विषय पर मंत्रिपरिषद् व संसद को अपने सुझाव दे सकता है। प्रधानमंत्री उसे मंत्रिपरिषद के प्रत्येक निर्णय से अवगत कराता है। वह भारत का प्रथम नागरिक है और देश की एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 7.
भारत के उपराष्ट्रपति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उसे किस प्रकार अपदस्थ किया जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय संविधान राष्ट्रपति के पद के साथ एक उपराष्ट्रपति के पद का भी व्यवस्था करता है। अनुच्छेद 63 में कहा गया कि “भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।” भारतीय संविधान निर्माताओं ने उपराष्ट्रपति के पद की विशेषता अमेरिका के संविधान से ली है। राष्ट्रपति का स्थान किसी भी समय किसी भी कारण से रिक्त हो जाने पर उपराष्ट्रपति उसका कार्यभार सम्भाल लेता है।

योग्यताएँ –

  1. वह भारत का नागरिक हो।
  2. उसकी आयु 35 वर्ष के ऊपर हो।
  3. वह राज्य सभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो।
  4. वह संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमण्डल का सदस्य न हो। यदि इनमें से किसी का सदस्य हो तो उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने के पश्चात् त्यागपात्र दे।

उपराष्ट्रपति का चुनाव:
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनो सदनों के सदस्य एवं संयुक्त अधिवेशन में करते हैं। यह निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय प्रणाली द्वारा होता है। उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में राज्य विधानमण्डलों के सदस्य भाग नहीं लेते। संसद के दोनों सदनों में बहुमत द्वारा उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
उपराष्ट्रपति की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. राज्यसभा का सभापति-उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष होता है। इस नाते वह राज्य सभा की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
  2. राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति का कार्यभार सम्भालना-संविधान में यह व्यवस्था है कि जब राष्ट्रपति का पद रिक्त हो तो उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के पद पर कार्य करेगा और ऐसा करते हुए वह उन सभी शक्तियों, वेतन, भत्ते तथा सुविधाओं व विशेषाधिकारों का प्रयोग करने का अधिकारी होगा जो राष्ट्रपति को मिलते हैं।

यदि उपराष्ट्रपति उस समय राष्ट्रपति के पद पर कार्य करे जबकि वह पद राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र, महाभियोग द्वारा हटाए या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसके चुनाव को अवैध घोषित किए जाने के कारण रिक्त हो तो उपराष्ट्रपति अधिक से अधिक 6 महीने तक उस पद पर रह सकता है और इस अवधि में नए राष्ट्रपति का चुनाव हो जाना आवश्यक है। यदि वह उस दशा में जबकि राष्ट्रपति बीमारी या देश से बाहर जाने के कारण अपना कार्य न कर सकता हो, राष्ट्रपति पद पर कार्य करे तो उस समय तक इस पद पर रह सकता है जब तक कि राष्ट्रपति अपना कार्य करने के योग्य नहीं हो जाता।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राज्यपाल को शपथ ग्रहण करवाता है –
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री
(ग) सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश
(घ) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर:
(घ) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

प्रश्न 2.
बिहार विधार परिषद में कितने सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत कर सकता है?
(क) 1/3 सदस्यों को
(ख) 1/6 सदस्यों को
(ग) 1/12 सदस्यों को
(घ) 1/8 सदस्यों को
उत्तर:
(ख) 1/6 सदस्यों को

प्रश्न 3.
भारत में कार्यपालिका का संवैधानिक प्रधान है –
(क) प्रधानमंत्री
(ख) राष्ट्रपति
(ग) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(घ) उपराष्ट्रपति
उत्तर:
(ख) राष्ट्रपति

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन सदन का सदस्य हुए बिना सभापति का कार्य करता है?
(क) भारत का अध्यक्ष
(ख) लोकसभा का अध्यक्ष
(ग) विधान परिषद् का अध्यक्ष
(घ) विधान सभा का अध्यक्ष
उत्तर:
(क) भारत का अध्यक्ष

प्रश्न 5.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करते हैं?
(क) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद
उत्तर:
(ख) राष्ट्रपति

प्रश्न 6.
राष्ट्रपति का वेतन प्रत्येक महीना कितना है?
(क) 50,000 रु.
(ख) 1,50,000 रु.
(ग) 1,00,000 रु.
(घ) 90,000 रु.
उत्तर:
(ख) 1,50,000 रु.

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन भारतीय राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं?
(क) विधान परिषद के सदस्य
(ख) राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
(ग) लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
(घ) सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर:
(ग) लोकसभा के निर्वाचित सदस्य

प्रश्न 8.
धन विधेयक संसद में पेश करने से पहले किससे अनुमति लेना आवश्यक है?
(क) वित्त मंत्री से
(ख) प्रधानमंत्री से
(ग) राष्ट्रपति से
(घ) उपराष्ट्रपति से
उत्तरं:
(ग) राष्ट्रपति से

प्रश्न 9.
दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है –
(क) राष्ट्रपति
(ख) मंत्रीपरिषद
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) उपराष्ट्रपति
उत्तर:
(क) राष्ट्रपति

प्रश्न 10.
उपराष्ट्रपति राज्यसभा का –
(क) सदस्य होता है
(ख) पदेन सभापति होता है
(ग) सदस्य नहीं होता है
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) पदेन सभापति होता है


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th


Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 11th Political Science Executive exam preparation. The BSEB STD 11th Political Science Executive Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 11th Political Science Executive Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbook Solutions


How to get BSEB Class 11th Political Science Executive Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 11 Political Science Executive Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 11th Political Science Executive, BSEB Class 11th Political Science Executive Textbooks, Bihar Board Class 11th Political Science Executive, Bihar Board Class 11th Political Science Executive Textbook solutions, BSEB Class 11th Political Science Executive Textbooks Solutions, Bihar Board STD 11th Political Science Executive, BSEB STD 11th Political Science Executive Textbooks, Bihar Board STD 11th Political Science Executive, Bihar Board STD 11th Political Science Executive Textbook solutions, BSEB STD 11th Political Science Executive Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy