Hsslive.co.in: Kerala Higher Secondary News, Plus Two Notes, Plus One Notes, Plus two study material, Higher Secondary Question Paper.

Tuesday, June 21, 2022

BSEB Class 11 Political Science Nationalism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Book Answers

BSEB Class 11 Political Science Nationalism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Book Answers
BSEB Class 11 Political Science Nationalism Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Book Answers


BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions and answers for students are now available in pdf format. Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Book answers and solutions are one of the most important study materials for any student. The Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism books are published by the Bihar Board Publishers. These Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism textbooks are prepared by a group of expert faculty members. Students can download these BSEB STD 11th Political Science Nationalism book solutions pdf online from this page.

Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions PDF

Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 11th Political Science Nationalism Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Textbooks. These Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.

Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 11th
Subject Political Science Nationalism
Chapters All
Provider Hsslive


How to download Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbook Solutions Answers PDF Online?

  1. Visit our website - Hsslive
  2. Click on the Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Answers.
  3. Look for your Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Textbooks PDF.
  4. Now download or read the Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbook Solutions for PDF Free.


BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions with Answer PDF Download

Find below the list of all BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक सम्बद्धताओं से अलग है?
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है। ऐसा प्रकृति के कारण है। व्यक्ति अपना जीवन समूह में व्यतीत करता है। उसका ऐसा पहला समूह परिवार था, जब उसने अपना जीवन व्यतीत किया। परिवार से वह विभिन्न संघों और समाज के सम्पर्क में आया। संघ के पश्चात् राज्य और बाद में देश बना। राज्य सर्वाधिक अनुशासित और संगठित संस्था है। राज्य संगठित एवं अनुशासित है, क्योंकि इसके पास प्रभुसत्ता होती है, अर्थात् नागरिकों एवं विषयों के ऊपर राज्य एक उच्च शक्ति है। इन सभी समूहों में राष्ट्र का सामूहिक संगठन का आधार अन्य की तुलना में भिन्न होता है।

परिवार का आधार रक्त सम्बन्ध होता है। समाज का आधार लोगों का एक दूसरे पर आश्रित होना है और संघ का आधार निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करना है। ये सभी सामाजिक समूह लोगों के समूह हैं। राष्ट्र के संगठन का आधार राष्ट्रीयता होती है, जो समान जाति, समान इतिहास, समान संस्कृति, समान नैतिकता, समान विश्वास और समान भूगोल के लोगों का समूह होता है। राष्ट्रीयता देशभक्ति की भावना को जागृत करती है। विभिन्न तत्वों के समान राष्ट्रीयता के कारण उनके भावी स्वप्न भी समान होते हैं। इस प्रकार राष्ट्र अन्य सामाजिक समूहों से भिन्न होता है।

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह: विचार राष्ट्र-राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणत होता है?
उत्तर:
आत्म-निर्णय का सिद्धान्त समाज की लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त को प्रथम विश्व युद्ध के समय संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने प्रस्तुत किया था। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त का तात्पर्य है कि प्रत्येक सामाजिक और सांस्कृतिक समूह या समान संस्कृति और भूगोल के लोगों.की पसन्द के कानून को चुनने का अधिकार होना चाहिए।

इसका यह भी मतलब है एक सामाजिक समूह को नियन्त्रण करने वाले कानून को सामाजिक समूहों के सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा सम्बन्धी क्षेत्रीय और भौगोलिक आकांक्षाओं को प्रकट करना चाहिए, जिसके लिए कानून बनाया जाता है। अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने आपको नियन्त्रित रखते हैं और अपने भावी विकास का निर्धारण करते हैं। इस प्रकार के आवश्यकताओं के निर्माण में राष्ट्र एक स्पष्ट राजनीतिक पहचान के रूप में अपने स्तर के अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के द्वारा अपनी पहचान और स्वीकृति चाहते हैं।

इस प्रकार की अधिकांश माँगें. लोगों द्वारा हुई हैं, जो एक विशिष्ट स्थान पर लम्बे समय से एक साथ रहते हैं और जिन्होंने समान पहचान का दृष्टिकोण विकसित किया है। इस अधिकार ने एक ओर लोगों के आत्मविश्वास को राज्य के कार्यों में बढ़ाया है और उनके विकास को सुनिश्चित किया था। परन्तु इसी समय इस अधिकार ने राज्य व्यवस्था के लिए चुनौतियों को पेश की है और उससे अलगाव की प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस प्रकार इस अधिकार ने जन-विरोधी स्थिति को उत्पन्न किया है। विशेष रूप से एकीकरण की स्थिति में मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

संयुक्त सोवियत रूस का पतन 15 राष्ट्र राज्यों में आत्म निर्णय के अधिकार की स्वीकृति के कारण हुआ। चूँकि अधिकांश समाज बहुदलीय और विरोधी हैं। प्रत्येक राज्य अल्प राष्ट्रीयता की समस्या का समाना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए इस सन्दर्भ में श्रीलंका का नाम लिया जा सकता है, जहाँ एल.टी.टी.ई. अलग राज्य की माँग कर रहा है। इसी प्रकार भारत में भी आतंकवादी गुटों की यही माँग है। यह राष्ट्र राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर की है। इसका समाधान राष्ट्रीय हितों और स्थानीय, क्षेत्रीय और सामाजिक हितों के बीच समझौता और समर्थन है।

कक्षा 11 राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता व्यक्ति की वहं भावना है, जो राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय महत्त्व, राष्ट्रीय सम्मान और त्याग की भावना से सम्बद्ध है। राष्ट्रीय भावना से एक व्यक्ति अपने निजी, क्षेत्रीय, भाविक और अन्य हित के कार्य राष्ट्र के लिए और उसके सम्मान में करता है। राष्ट्रवाद समान राष्ट्रीयता के लोगों में उत्पन्न किया जाता है अर्थात् यह समान संस्कृति, जाति, इतिहास, रहन-सहन और भूगोल के लोगों का समूह है। यह एक व्यक्ति के राष्ट्र के प्रति महत्त्व की जागरुकता का परिणाम है। वह राष्ट्रीय इतिहास और गौरव के प्रति भी चैतन्य रहता है। आज राष्ट्रवाद देशभक्ति से जुड़ा हुआ है अर्थात् इससे देश के लिए त्याग और प्रेम की भावना उत्पन्न होती है।

राष्ट्रवाद एक संवेगात्मक और मनोवैज्ञानिक अवधारणा है, जो भूमि, झंडा और गाने को गौरवान्वित अवधारणा है, राष्ट्रभूमि को ‘माँ’ के रूप में जाना जाता है अर्थात् यह मातृभूमि है और यह माना जाता है कि माँ द्वारा प्रदत्त यहाँ सब कुछ है। इस प्रकार मातृभूमि ही देश है। इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिनसे पता चलता है कि एक राष्ट्र और उनके लोग औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी ताकतों के शोषण से किस प्रकार मुक्त हुए।

19 वीं और 20 वीं शताब्दी में अनेक एशियाई और अफ्रीकी देश राष्ट्रवाद के फलस्वरूप ही आजाद हुए। सकारात्मक दृष्टिकोण से राष्ट्रवाद एक धर्म है। परन्तु जब यह चरमोत्कर्ष पर होता है, तो यह मानवता के लिए हानिकारक होता है। इसका चरमोत्कर्ष और नकारात्मक रूप को अति राष्ट्रवाद (challanism) कहा जाता है। अनेक दर्शन हैं, जिनका विकास चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद के आधार पर हुआ है। जर्मनी में नाजीवादी और इटली में फांसीवादी दर्शन का जन्म हुआ, जिनसे निम्नता और सर्वोच्चता की भावना का जन्म हुआ। फलस्वरूप कटुता, आतंकवाद और युद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए सांझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता की भावना के विकास में निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं –
1. समान विश्वास:
राष्ट्रवाद की भावना उस समय उत्पन्न होती है, जब लोगों में एक होकर रहने की भावना हो और वे एकसाथ तभी रह सकते हैं, जब उनमें आपस में विश्वास हो। जब टीम में सामूहिकता की भावना होती है, तब उनके उद्देश्य और आकांक्षाएँ समान होती हैं।

2. समान इतिहास:
जब लोगों के सुख-दुःख, विजय-पराजय, लाभ-हानि, युद्ध-शान्ति, अहिंसा-हिंसा का इतिहास समान होता है, तब एकता की भावना का विकास होता है, जो राष्ट्रवाद के लिए आवश्यक है। जब लोग अपने स्वयं का इतिहास का निर्माण करते हैं, तो उनमें राष्ट्रवादी भावना बढ़ने लगती है।

वे ऐतिहासिक साक्ष्यों का प्रयोग राष्ट्रीयता के भावना को बढ़ाने के लिए करते हैं। भारत का एक सभ्यता के रूप में लम्बा और गौरवपूर्ण इतिहास है, जो भारत का देश के रूप में आधार है और भारत में राष्ट्रीयता को बढ़ाने का साधन है। पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘भारत एक खोज’ (Discovery of India) में भारतीय सभ्यता का गौरवपूर्ण इतिहास प्रस्तुत किया है।

3. समान भू-भाग:
समान भू-भाग एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है। भू-भाग किसी देश की भूमि का हिस्सा होता है, जो संवेगी और आध्यात्मिक होता है, जो लोगों को एक साथ जोड़े रखता है और उनमें राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रवाद का विकास करता है।

4. समान भावी आकांक्षाएँ:
समान भावी आकांक्षाएँ लोगों में एकता स्थापित करती हैं और राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करती हैं। भविष्य के समान स्वप्न और सामूहिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आकांक्षाएँ भविष्य में लोगों को एक रखती हैं। समान भावी आकांक्षाएँ देश के कार्य और राष्ट्रवाद के कार्य में सहयोग करती हैं। ये नागरिक के गुणों में वृद्धि करती हैं और इच्छा शक्ति को मजबूत करती हैं। उदाहरण के लिए पी.एल.ओ.।

5. समान संस्कृति:
राष्ट्रवाद लाने और बढ़ाने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक समान संस्कृति है। समान संस्कृति में समान परम्पराओं, त्योहारों, इतिहास, भूगोल, भाषा आदि शामिल हैं, जो सामान्य हितों और उद्देश्यों को बढ़ावा देती हैं, जिससे राष्ट्रीयता की भावना का विकास होता है।

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र एक सरकारी व्यवस्था है, जो समानता, बहुलवाद, उदारवाद और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। राष्ट्रवाद निश्चित रूप से एक सकारात्मक भावना है। परन्तु जब राष्ट्रवाद पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है, तो यह नकारात्मक हो जाता है, तब यह समाज के लिए खतरनाक और हानिकारक हो जाता है।

चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद अनैच्छिक है, क्योंकि चरमोत्कर्ष राष्ट्रवादी व्यक्ति दूसरे लोगों के धर्म क्षेत्र, संस्कृति, भाषा आदि को हानि पहुँचाता है और इससे असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। पराकाष्ठा की देशभक्ति एक नकारात्मक भावना है और किसी भी समाज के लिए अनैच्छिक और हानिकारक है। इससे दूसरे क्षेत्र, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता के लोगों में असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। इसलिए ऐसे राष्ट्रवाद जो चरमोत्कर्ष पर और जो नकारात्मक हो, रोकने का उपाय होना चाहिए। निम्नलिखित मुख्य कारक हैं, जो अति राष्ट्रवाद को सीमित करते हैं –

1. लोकतन्त्रता:
लोकतन्त्र, समानता, न्याय, सहनशीलता और मानव मूल्यों पर आधारित होता है, जो किसी भी प्रकार के उग्रवाद पर रोक लगाता है। प्रजातन्त्र में उग्रवाद का कोई स्थान नहीं है। इस प्रकार लोकतन्त्र एक बड़ा कारक है, जो राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

2. धर्मनिरपेक्षता:
धर्म निरपेक्षता एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो अनैच्छिक राष्ट्रवाद पर रोक लगाता है। धर्म निरपेक्षता विभिन्न धर्म, विश्वास और संस्कृति के लोगों को शान्ति का पाठ सिखाता है। यह सह-अस्तित्व पर भी जोर देता है।

3. बहुलवाद:
बहुलवाद वह विचारधारा है, जो विरोधी समाज को जोड़ता है। यह इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि यह राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

4. अन्तर्राष्ट्रीयवाद:
यह विचारधारा भी अति राष्ट्रवाद को रोकता है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर क्लास 11 Bihar Board प्रश्न 6.
आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
प्रशासकीय व विकास की दृष्टि का होना आवश्यक है। इसमें विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय हों, जिसमें सभी अल्पसंख्यक अपने आपको सुरक्षित व गौरवान्वित महसूस करें। एक राष्ट्र की सीमाएँ प्रशासन व विकास की दृष्टि से तय होनी चाहिए। राष्ट्रवाद को मानवता पर हावी नहीं होने देना चाहिए। समूहों की पहचान देने में काफी सतर्कता बरती जाती है। लेकिन इन समूहों को राष्ट्र के रूप में स्वीकार करने से पहले यह देख लें कि वे समूह असहिष्णु तो नहीं हैं।

वे अमानवीय नहीं हैं और वे समूह दूसरे समूहों के साथ सहयोग करते हैं। एक राष्ट्र का अपना एक अतीत होता है, जो भविष्य को समेटे होता है। एक राष्ट्र की पहचान उसके भौगोलिक क्षेत्र, राजनीतिक आदर्श, राजनीतिक पहचान से जुड़ी हुई है। समूहों से अलग राष्ट्र अपना शासन अपने आप करने और भविष्य को तय करने का अधिकार चाहता है। लेकिन राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार ऐसे राज्यों के निर्माण की ओर ले जा सकता है, जो आर्थिक व राजनीतिक क्षमता में काफी छोटे हों और इससे उनकी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। इस प्रकार से हमें सहिष्णुता और विभिन्न रूपों के साथ सहानुभूति होनी चाहिए।

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

Rashtravad Class 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्रीयता के दो तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (Explain the two elements of nationality)
उत्तर:
राष्ट्रीयता के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व निम्नलिखित हैं –

1. भौगोलिक एकता:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि के प्रति जुड़ा रहता है, जहाँ वह जन्म लेता है। जिस भूखण्ड पर अन्य व्यक्तियों के साथ-साथ वह रहता है उसको अपनी मातृभूमि से लगाव हो जाता है। इजरायल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति लगाव था।

2. प्रजातीय शुद्धता:
एक ही प्रजाति के लोग एक राष्ट्रीयता को उत्पन्न करते हैं। परन्तु आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाह के कारण विशुद्ध प्रजाति का मिलना आसान नहीं है।

Rashtravad Class 11 Bihar Board प्रश्न 2.
आर्थिक पारस्परिक निर्भरता से क्या अभिप्राय है? (What do you mean by economic inter-dependent?)
उत्तर:
आर्थिक क्षेत्र में आज राष्ट्र-राज्यों की पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है। अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हुई पारस्परिक निर्भरता ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के सम्मुख गम्भीर चुनौतियाँ पैदा की हैं। विश्व के अधिक भागों में बढ़ती गरीबी, अप्रयुक्त मानव संसाधन, पर्यावरण के खतरों के प्रति बढ़ती जागरुकता तथा मानव जाति के अस्तित्व की समस्या जैसे मामले इसमें प्रमुख हैं। आज विश्व आर्थिक रूप में एकजुट हो गया है। सुदृढ़ भूमण्डलीय मंच स्थापित करने का अब समय आ गया है।

राजनीतिक सिद्धांत पाठ 7 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
भारत के आर्थिक एकीकरण ने किस प्रकार राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया? (How did the economic integration influenced the nationalism)
उत्तर:
आर्थिक एकीकरण के कारण गाँवों का एकान्त जीवन समाप्त हो गया तथा ग्रामीण लोग शहरों में आने लगे। शहरों में कच्चा माल आने लगा। गाँव के शिल्पकार तथा अन्य लोर मजदूरी एवं रोजगार की तलाश में शहरों में आने लगे। शहरों की राष्ट्रीय चेतना गाँवों में पहुंचने लगी। इससे राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन मिला।

राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारक Bihar Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित के बारे में बताइए कि क्या वे राज्य हैं? यदि हाँ तो कैसे और नहीं तो कैसे? (Are the following state? Why?)
(क) भारत
(ख) संयुक्त राष्ट्र
(ग) बिहार
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(क) हाँ, भारत एक राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।
(ख) नहीं, संयुक्त राष्ट्र एक राज्य नहीं है, क्योंकि यह तो सम्प्रभु राज्यों का संघ है।
(ग) बिहार भी राज्य नहीं है। यह भारतीय संघ की एक इकाई है।
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।

Rashtravad Question Answer Class 11 Bihar Board प्रश्न 5.
राज्य के कोई दो तत्त्व लिखिए। (Describe any two elements of a State) अथवा, राज्य के चार आवश्यक तत्त्व कौन से हैं? (What are the 4 elements of a state?)
उत्तर:
राज्य के निम्नलिखित तत्त्व होते हैं –

  1. जनसंख्या
  2. निश्चित प्रदेश
  3. सरकार
  4. सम्प्रभुता

राजनीतिक सिद्धांत राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 6.
राज्य और समाज के अन्तर के किन्हीं दो बिन्दुओं को बताइए। (Give two points of the difference between state and society)
उत्तर:
राज्य और समाज के बीच अन्तर –

  1. राज्य व्यक्ति के केवल बाह्य आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों को नियन्त्रित करता है।
  2. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है। राज्य की सदस्यता अनिवार्य है। व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य जीवनपर्यन्त रहता है। परन्तु समाज का सदस्य बनना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है।

पाठ 7 राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 7.
राष्ट्र राज्य का अर्थ बताइए। (Give the meaning of the nation-state)
उत्तर:
राष्ट्र राज्य एक ऐसा राज्य होता है, जो राष्ट्रीयता से बना है। जब व्यक्ति सामान्य धर्म सामान्य भाषा अथवा सामान्य विरासत में बँधा होता है, तो वह एक राष्ट्र होता है। यदि वे एक स्वतन्त्र राज्य का स्वरूप धारण कर लेते हैं, तो वे एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण करते हैं। एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

Rashtravad Ke Prashn Uttar Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्र-राज्य से क्या अभिप्राय है? इनके विकास में सहायक तत्त्वों का विवेचन कीजिए। (What do you mean by Nation-State? Discuss the helping elements of its development)
उत्तर:
राष्ट्र-राज्य:
राष्ट्र का स्वरूप शताब्दियों तक विकसित हुआ। राष्ट्र-राज्यों ने क्षेत्र राज्यों का स्थान ले लिया है। राष्ट्र-राज्य आपस में संघर्ष तथा सहयोग के द्वारा बँधे रहते हैं। राष्ट्र-राज्य प्रणाली राजनीतिक जीवन का एक ऐसा नमूना है, जिसमें जनता अलग-अलग सम्प्रभु राज्यों के रूप में संगठित होती है। राष्ट्र-राज्य का क्षेत्र उसमें निवास करने वाली जनसंख्या का है, किसी अन्य का नहीं। उस राज्य को राष्ट्र-राज्य नहीं कहा जा सकता, जो किसी अन्य राज्य की परिसीमा का उल्लंघन करके राष्ट्र-राज्य बनने का प्रयत्न करे।

राष्ट्र राज्य का विकास-आधुनिक राष्ट्र:
राज्य जिन्होंने इंग्लैण्ड, फ्रांस व अमरीका आदि में हुई औद्योगिक क्रान्तियों की विजय के पश्चात् सामंतशाही का स्थान लिया, नए पूँजीवादी वर्ग के राजनैतिक संगठन हैं। बीसवीं शताब्दी में एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलनों के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

राष्ट्र-राज्य प्रणाली को प्रोत्साहित करने वाले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व इस प्रकार हैं –

  1. रोमन साम्राज्य व पवित्र रोमन साम्राज्य का विखण्डन तथा सामंतवाद का अन्त।
  2. भूक्षेत्र, जनसंख्या, प्रभुसत्ता व कानून पर आधारित राष्ट्र-राज्यों का उदय।
  3. मेकियावेली, वोदां, ग्रोशियश, हाब्स, अल्यूशियस तथा अन्य विचारकों का सैद्धान्तिक व बौद्धिक योगदान।

Class 11 Rajnitik Siddhant Chapter 7 Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
ऐसे किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए, जिन्होंने भारत में राष्ट्रवाद को विदेशी आधिपत्य के विरुद्ध चुनौती के रूप में प्रोत्साहित किया? (Explain any five factors which influenced the challenges against foreign rule)
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाले पाँच कारक –
1. विदेशी प्रभुत्व के परिणाम:
भारत में राष्ट्रवाद के उदय में सर्वप्रथम विदेशी पभुत्व ने योगदान दिया। स्वयं ब्रिटिश शासन की परिस्थितयों ने भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना विकसित करने में सहायता दी।

2. देश का प्रशासकीय और आर्थिक एकीकरण:
19 वीं और 20 वीं शताब्दी में भारत का एकीकरण हो चुका था और वह एक राष्ट्र के रूप में उभर चुका था। इसलिए भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावनाओं का विकास आसानी से हुआ।

3. पश्चिमी विचार और शिक्षा:
उन्नीसवीं सदी में आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा और विचारधाराओं के प्रसाद के फलस्वरूप बड़ी संख्या में भारतीयों ने एक आधुनिक बुद्धिसंगत, धर्मनिरपेक्ष, जनतान्त्रिक तथा राष्ट्रवादी राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाया।

4. प्रेस तथा साहित्य की भूमिका:
वह प्रमुख साधन प्रेस था, जिसके द्वारा राष्ट्रवादी भारतीयों ने देश-भक्ती की भावनाओं का, आधुनिक, आर्थिक-सामाजिक, राजनीतिक विचारों का प्रचार किया तथा एक अखिल भारतीय चेतना जगाई।

5. सामाजिक व धार्मिक सुधार आन्दोलन:
19 वीं शताब्दी में भारत में सामाजिक व धार्मिक कुरीतियों के विरुद्ध जो अनेक सुधार आन्दोलन चलाये थे, उन्होंने भारतीय जनता में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करने में बड़ा योगदान दिया। इन आन्दोलनों ने लोगों को विदेशी शासन के कुप्रभावों और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण से भी अवगत कराया।

राष्ट्रवाद कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 3.
राज्य तथा संघ में कोई तीन अन्तर बताइए। (Explain any three points of difference between state and association)
उत्तर:
संघ वह संगठन होता है, जिसका निर्माण मनुष्यों के द्वारा किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। राज्य और संघ में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –

1. सदस्यता का भेद (Membership):
राज्य की सदस्यता प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य होती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य होता है किन्तु संघ की सदस्यता ऐच्छिक होती है। एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही राज्य का सदस्य हो सकता है। परन्तु वह एक समय पर अनेक संघों का सदस्य हो सकता है।

2. प्रदेश का भेद (Territory):
राज्य प्रादेशिक रूप में संगठित संघ होता है और इसका. क्षेत्र पूर्णतया निश्चित होता है। परन्तु संघ का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता। रेड-क्रास सोसायटी एक ऐसा संघ है, जिसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय है। दूसरी ओर अत्यन्त सीमित क्षेत्र वाले छोटे-छोटे संघ भी होते हैं।

3. अवधि का भेद (Tenure):
राज्य एक स्थायी संघ होता है। परन्तु संघ अधिकांशतः अल्पकालीन होते हैं।

प्रश्न 4.
राज्य और समाज में अन्तर समझाइए। (Explain the difference between state and society)
उत्तर:

  1. राज्य समाज का एक भाग है। समाज व्यक्तियों के सामाजिक सम्बन्धों का जाल होता है, जबकि राज्य व्यक्तियों का एक राजनीतिक संगठन है।
  2. समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु राज्य व्यक्ति के केवल बाहरी सम्बन्धों को ही नियन्त्रित करता है।
  3. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है।
  4. राज्य एक प्रादेशिक संगठन है, जबकि समाज किसी प्रकार की भौगोलिक सीमाओं में बँधा हुआ नहीं होता। वह स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय हो सकता है।
  5. राज्य एक कृत्रिम संगठन है। परन्तु समाज की प्रकृति स्वाभाविक होती है।
  6. राज्य के निर्धारित विधान होते हैं, जिन्हें कानून कहा जाता है। कानून के उल्लंघन पर राज्य दण्ड देता है। समाज के अपने कायदे कानून होते हैं, जिनके उल्लंघन पर सामाजिक निर्वासन का प्रावधान होता है। इसका अर्थ है कि तब व्यक्ति को समाज से बाहर कर दिया जाता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में विवेचना कीजिए। (Write short note on the main elements of Nationalism)
उत्तर:
राष्ट्रवाद के तीन मुख्य तत्त्व हैं –

  1. सम्प्रभुता
  2. क्षेत्रीय अखण्डता
  3. राज्यों की वैधानिक समानता

1. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता का अर्थ है कि आधुनिक राष्ट्र राज्य पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हैं। सम्प्रभु राज्य ही परस्पर दूसरे राज्यों के साथ सन्धि बनाने का अधिकार रखते हैं। सम्प्रभुता विहीन राजनीतिक इकाई को इस प्रकार संधि करने का अधिकार नहीं होता। वे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सदस्य भी नहीं बन सकते।

2. क्षेत्रीय अखण्डता (Territorial Integrity):
सम्प्रभु राज्यों को अपने भू-क्षेत्र के अन्तर्गत सर्वोच्च असीमित सत्ता प्राप्त होती है। इस पर कोई बाहरी नियन्त्रण नहीं होता। सम्प्रभुता विहीन राजनैतिक इकाई का अन्य राज्यों में कोई स्थान नहीं है। राष्ट्र-राज्य प्रणाली की यह विशेषता प्रथम विशेषता का तार्किक परिणाम है। राज्यों की सीमाओं की रक्षा हर दशा में होनी ही चाहिए।

3. राज्यों की वैधानिक समानता (Legal Equality):
सभी राष्ट्र-राज्य अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी के समान सदस्य हैं चाहे उनके आकार, जनसंख्या, आर्थिक संसाधन, दैनिक क्षमता आदि कितने भी असमान हों। यहाँ यह बात स्मरणीय है कि सभी स्वतन्त्र राज्यों की समानता का यह सिद्धान्त लगभग उसी समय अपनाया गया जब राष्ट्र-गान अस्तित्व में आया। 18 वीं शताब्दी के अनेक लेखकों ने भी राज्यों के समानता के सिद्धान्त का समर्थन किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राज्य तथा समाज में क्या अन्तर है? दोनों किन बिन्दुओं पर परस्पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
राज्य और समाज के विषय में कभी-कभी कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं और दोनों को एक समझने लगते हैं। वास्तव में दोनों में अन्तर है। अरस्तु ने राज्य तथा समाज के बीच भेद किया था, किन्तु एक तानाशाह के लिए दोनों में से कोई भेद नहीं होता। भौगोलिक दृष्टि में दोनों (राज्य तथा समाज) प्रायः एक ही भू-भाग में स्थित होते हैं, किन्तु दोनों की उत्पत्ति, उद्देश्यों और कार्य प्रणाली में अन्तर होता है। राज्य समाज में निम्नलिखित अन्तर होता है –

1. उत्पत्ति का भेद (Origin):
व्यक्तियों के बीच पाये जाने वाले सम्बन्धों को सामूहिक रूप से समाज कहा जाता है। ये सम्बन्ध संगठित अथवा असंगठित होते हैं। परन्तु राज्य का निर्माण राजनीतिक रूप से संगठित सम्बन्धों के आधार पर ही होता है। समाज राज्य से प्राचीन है। राज्य का अस्तित्व एक समाज में ही सम्भव है।

2. प्रदेश का अन्तर (Territory):
समाज के लिए निश्चित प्रदेश आवश्यक नहीं होता। परन्तु राज्य के लिए आवश्यक है। इसके बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। परन्तु समाज के लिए निश्चित क्षेत्र या प्रदेश होना आवश्यक नहीं है। यह स्थानीय भी हो सकता है और अन्तर्राष्ट्रीय भी।

3. लक्ष्य का भेद (Aims):
लक्ष्य की दृष्टि से समाज व्यापक लक्ष्यों वाला तथा राज्य अपेक्षाकृत संकुचित लक्ष्यों वाला संगठन है। राज्य का अस्तित्व एक महान किन्तु एक ही लक्ष्य के लिए संगठित है। समाज का अस्तित्व अनेक लक्ष्यों के लिए है, जिसमें कुछ महान तथा कुछ साधारण होते हैं।

4. सम्प्रभुता का भेद (Sovereignty):
राज्य एक प्रभुत्व सम्पन्न संस्था है, जबकि समाज केवल नैतिक बल के आधार पर ही अपने आदेशों का पालन करा सकता है।

5. कार्यक्षेत्र का भेद (Scope):
कार्य क्षेत्र की दृष्टि से भी राज्य समाज की तुलना में बहुत सीमित है। सामाजिक जीवन के अनेक ऐसे पहलू हैं, जिनका न तो राज्य से कोई सम्बन्ध है और न ही जिनमें राज्य सफलतापूर्वक हस्तक्षेप कर सकता है। राज्य व्यक्तियों के केवल बाहरी कार्यों से ही सम्बन्ध रखता है और मानव जीवन के सहयोग, सहानुभूति, सेवा और प्रेम जैसे गुणों से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता किन्तु समाज मानव जीवन के प्रत्येक पहलू (आन्तरिक एवं बाहरी सभी प्रकार) से सम्बन्ध रखता है।

राज्य और समाज की परस्पर निर्भरता (Inter dependence of State and Society):
राज्य और समाज में उपरोक्त भेद होते हुए भी परस्पर आन्तरिक आत्मनिर्भता होती है। सामाजिक संरचना को ध्यान में रखकर ही राज्य द्वारा कानूनों का निर्माण किया जाता है। सामाजिक एवं राजकीय नियमों के आधार पर ही सामाजिक आचरण को नियमित रखना सम्भव होता है। समाज और राज्य एक दूसरे पर निर्भर है। बार्कर का कहना है कि यदि ऐसा न होता तो राज्य की स्थापना ही नहीं हो सकती थी।

प्रश्न 2.
राष्ट्र की परिभाषा दीजिए। इसके मुख्य तत्त्वों का वर्णन कीजिए। (Define Nation What are its main elements)
उत्तर:
राष्ट्र (Nation) शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘नेट्स’ (Natus) शब्द से हुई जिसका अर्थ होता है ‘पैदा हुआ’। इसका तात्पर्य यह है कि राष्ट्र उन व्यक्तियों से बना है, जो किसी एक विशेष प्रजाति में पैदा हुए लोगों से बना है। परन्तु आज के युग में प्रजातियों के प्रवासीकरण तथा अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कोई विशुद्ध प्रजाति नहीं बची है। रामजे मूर के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण, ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द्र तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”

राष्ट्र का निर्माण राज्य और राष्ट्रीयता से होता है। बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जातीय एकता से उनका अभिप्राय ऐसी आबादी से है, जिसकी एक सामान्य भाषा और साहित्य, सामान्य परम्परा और इतिहास, सामान्य रीति-रिवाज तथा उचित और अनुचित की सामान्य चेतना हो। वास्तव में राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है। हेज (Hayes) ने कहा है, “राष्ट्रीयता राजनीतिक एकता तथा सत्ताधारी स्वतन्त्रता को प्राप्त करके राष्ट्र बन जाती है।”

राष्ट्र के मुख्य तत्त्व:

1. प्रजातीय शुद्धता (Racial Purity):
प्रजातीय शुद्धता का अर्थ है कि एक ही समुदाय के सदस्यों की शुद्धता हो। आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कहीं भी प्रजातीय शुद्धता प्राप्त करना आसान नहीं है।

2. भाषा समुदाय (Linguistic Association):
सामान्यतः किसी भी राष्ट्र के नागरिकों की एक आम भाषा होती है, क्योंकि इसी के माध्यम से वे अपने विचार तथा संस्कृति का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं।

3. भौगोलिक संलग्नता (Geographical Attachment):
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि से जुड़ा रहता है। इजराइल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे, किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति ही लगाव था।

4. धार्मिक समुदाय (Religious Association):
पहले राष्ट्र के निर्माण में धार्मिक भावनाओं की मुख्य भूमिका हुआ करती थी। उदाहरण के लिए प्रोटेस्टेंट का विरोध करने पर ब्रिटेन तथा स्पेन के बीच युद्ध छिड़ गया था। परन्तु आजकल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रों के निर्माण का बोलबाला है अर्थात् एक ही राष्ट्र में कई-कई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। वे एक सशक्त राष्ट्रीयता से बंधे रहते हैं। भारत में धर्मों के विषय में विविधता में एकता पायी जाती है।

5. सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ (Political Ambitious):
सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ भी इसका एक तत्त्व माना जाता है। 1971 ई. के पेरिस शान्ति सम्मेलन में इसी आधार पर Self Determination के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।

6. आर्थिक हितों की समरूपता (Economic Interest):
राष्ट्र निर्माण में अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व होता है आर्थिक हितों की समरूपता। मिल के अनुसार, “किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी राजनीतिक पूर्वापरता, अपना राष्ट्रीय इतिहास तथा किसी प्राचीन ऐतिहासिक घटना पर एक सामूहिक प्रतिक्रिया तथा इससे जुड़ी स्मृतियों के आधार पर निर्मित होती है।”

प्रश्न 3.
तीसरी दुनिया के देशों में राष्ट्रवाद का उदय किस प्रकार हुआ? (How did the Nationalism rise in third world countries?)
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी में एशिया व अफ्रीका में साम्राज्यवाद के पतन के बाद भारत, चीन, बर्मा, मिस्र, नाइजीरिया, घाना, फिजी, वियतनाम, इण्डोनेशिया, लीबिया,, सीरिया तथा अन्य राज्य अस्तित्व में आए। कई मामलों में इन राज्यों की रचना राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों के परिणामस्वरूप हुई। इन राष्ट्रों को सम्पूर्ण प्रभूता लम्बे संघर्षों के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद मिली।

साम्राज्वादी देशों ने इन राज्यों का खूब शोषण कर अपने को अमीर बना लिया। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध व बीसवीं शताब्दी के दौरान इन उपनिवेशों में शिक्षित शहरी वर्ग के नेतृत्व में राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन का सूत्रपात हुआ तथा ये स्वतंत्र हुए और राष्ट्रीय सम्प्रभु राज्यों के रूप में उभरे। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संसार के मानचित्र में अनेक नए राज्य दिखाई पड़े। वर्तमान में इन नवस्वतन्त्र राज्यों को तीसरी दुनिया के देशों के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये अमरीकी अथवा सोवियत गुट में से किसी में शामिल नहीं हुए। उन्होनें स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण किया। इन देशों को अविकसित अथवा विकासशील देश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
(Write short note on)
(क) राष्ट्र
(ख) राज्य
(ग) संघ
(घ) सरकार

  1. Nations
  2. State
  3. Association
  4. Government

उत्तर:
(क) राष्ट्र (Nation):
राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता जिनको अंग्रेजीी में Nation तथा Nationality कहते हैं लैटिन भाषा के एक ही सामान्य शब्द ‘नेट्स’ (Natus) से निकले हैं, जिसका अर्थ ‘जन्म’ अथवा ‘जाति’ है। गार्नर के अनुसार, “राष्ट्रीयता का विकास सजातीय सामाजिक समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक रूप से आपसी विचारों के आदान-प्रदान हेतु संगठित होने के कारण हुआ है।”

रामजे मूर (Ramsey Muir) के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।” बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जिमन ने लिखा है, “राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है।”

(ख) राज्य (State):
डॉ. गार्नर के अनुसार, “राज्य एक थोड़े या अधिक संख्या वाले संगठन का नाम है, जो कि स्थायी रूप से पृथ्वी के निश्चित भाग में रहता हो। वह बाहरी नियन्त्रण से सम्पूर्ण स्वतन्त्र या लगभग स्वतन्त्र हो और उसकी एक संगठित सरकार हो, जिसकी आज्ञा का पालन अधिकतर जनता स्वभाव से करती हो।”

गिलक्राइस्ट ने लिखा है, “राज्य उसे कहते हैं, जहाँ कुछ लोग एक निश्चित प्रदेश में एक सरकार के अधीन संगठित होते हैं। यह सरकार आन्तरिक मामलों में अपनी जनता की प्रभुसत्ता को प्रकट करती है और बाहरी मामलों में अन्य सरकारों से स्वतन्त्र होती है।” मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में ही रहना चाहता है। एक निश्चित सीमा में बिना किसी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है।

(ग) संघ (Association):
मेकाइवर के अनुसार संघ व्यक्तियों या सदस्यों के ऐसे समूह को कहा जाता है, जो एक सामान्य लक्ष्य के लिए संगठित है। एक प्रकार के विशेष उद्देश्य रखने वाले व्यक्ति एक दूसरे के समीप आते हैं और समूह बनाकर अर्थात् संगठित होकर इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। यद्यपि राज्य भी मानव आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गठित एक संगठन होता है। परन्तु राज्य में चार तत्त्व होते हैं-जनसंख्या, भू-भाग, सरकार और सम्प्रभुता जबकि संघ को निश्चित भू-भाग की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सदस्यता ऐच्छिक होती है। राज्य की तरह संघ सम्प्रभु नहीं होते।

(घ) सरकार (Government):
बहुत से लोग राज्य तथा सरकार को एक ही अर्थ में प्रयुक्त करते हैं। लुई चौदहवाँ (फ्रांस का सम्राट) कहा करता था, “मैं ही राज्य हूँ।” परन्तु सरकार तो राजा का एक तत्त्व है। सरकार सार्वजनिक नीतियों को निर्धारित करने वाली तथा सार्वजनिक हितों को लागू करने वाली एक एजेन्सी अथवा तन्त्र है। सरकार वास्तव में राज्य सत्ता की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है। राज्य में सरकारें बदलती रहती है। परन्तु राज्य स्थायी तौर पर बना रहता है। सरकार के तीन अंग होते हैं –

  1. कार्यपालिका
  2. विधायिका
  3. न्यायपालिका

प्रश्न 5.
राज्य किसे कहते हैं? राज्य के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। (What is state Explain the main elements of a state)
उत्तर:
एक निश्चित सीमा में बिना किसी बाहरी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है। मानव स्वभाव से एक सामाजिक प्राणी है। लास्की ने कहा है कि राज्य एक भूमिगत समाज है, जो शासक और शासितों में बँटा रहता है।

अरस्तू ने कहा था कि राज्य का जन्म जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ है और आज भी आदर्श जीवन की प्राप्ति के लिए इसका अस्तित्व बना हुआ है। गार्नर के अनुसार, “राज्य बहुसंख्यक व्यक्तियों का ऐसा समुदाय है, जो किसी प्रदेश के निश्चित भाग में स्थायी रूप से रहता हो, बाहरी शक्ति के नियन्त्रण से पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ही स्वतन्त्र हो और जिसमें ऐसी सरकार विद्यमान हो, जिसके आदेश का पालन नागरिकों के विशाल समुदाय द्वारा स्वभावतः किया जाता है।” राज्य के तत्त्व-राज्य के निम्नलिखित चार अनिवार्य तत्व होते हैं –

1. जनसंख्या (Population):
राज्य को बनाने के लिए जनसंख्या आवश्यक है। हम किसी निर्जन प्रदेश को राज्य नहीं कह सकते। किसी राज्य की जनसंख्या कितनी हो यह नहीं कहा जा सकता है। प्लूटो ने राज्य की जनसंख्या 5000 तथा रूसो ने 10,000 निश्चित की थी। परन्तु आजकल विशाल राज्य है, जिनकी जनसंख्या करोड़ों में है। भारत और चीन की जनसंख्या एक अरब से भी अधिक है। अरस्तु का यह कथन था कि राज्य की जनसंख्या इतनी हो, जिससे कि वह आत्मनिर्भर रह सके। आज भारत की अनेक समस्याओं का कारण उसकी अधिक जनसंख्या है।

2. भू-भाग (Territory):
प्रत्येक राज्य का अपना एक निश्चित भू-भाग होता है। इस निश्चित भू-भाग से प्रेम करने के कारण देशभक्ति का उदय होता है। राष्ट्रीय आन्दोलन के समय अनेक वीरों ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। निश्चित भू-भाग राज्य के लिए इस कारण अनिवार्य है कि राज्य की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए दूसरे राज्यों द्वारा किए जाने वाले हस्तक्षेपों को रोका जा सके। निश्चित भू-भाग के अन्तर्गत भूमि, जल तथा वायु तीनों ही क्षेत्र आते हैं। राज्य का अधिकार अपने भू-क्षेत्र, समुद्री क्षेत्र तथा आकाश आदि सभी पर होता है। राज्य का भू-भाग रूस के समान विशाल तथा सेन्ट मरीना जितना छोटा भी हो सकता है।

3. सरकार (Government):
राज्य का एक प्रमुख तत्त्व सरकार भी है। जनता जब तक समुचित ढंग से संगठित नहीं होती, तो राज्य नहीं बन सकता। सरकार एक निर्धारित भू-भाग में रहने वाले लोगों के सामूहिक उद्देश्यों की तरफ भी ध्यान देती है। सरकारें नीति निर्धारण और उनको क्रियान्वित करने का कार्य करती है। सरकार की अनुपस्थिति में गृह युद्ध होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सरकार के विभिन्न रूप होते हैं। लोकतन्त्र, कुलीन तन्त्र तथा अधिनायक तन्त्र की सरकारें हो सकती है। इसके आलावा संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक सरकारें हो सकती हैं।

4. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता भी राज्य का एक अनिवार्य तथा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। किसी निश्चित भू-भाग में रहने वाली जनसंख्या को एक सरकार के अधीन नियन्त्रित हो जाने मात्र से ही उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता, क्योंकि इसके लिए सम्प्रभुता का होना भी आवश्यक है। सम्प्रभुता दो प्रकार की होती है –

  • एक आन्तरिक सम्प्रभुता और
  • बाह्य सम्प्रभुता।

आन्तरिक सम्प्रभुता का अर्थ है राज्य का अपनी सीमा के भीतर एकाधिकार। इसमें किसी दूसरे राज्य का हस्तक्षेप नहीं होता। उसकी इस स्वतन्त्रता में किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नहीं होता। 1947 ई. से पूर्व भारत में अन्य सभी तत्त्व मौजूद थे, किन्तु उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं था, क्योंकि तब तक भारत सम्प्रभुता सम्पन्न नहीं था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उग्र राष्ट्रवाद किसका समर्थन करता है?
(क) सैनिकवाद
(ख) विश्वशान्ति
(ग) अहिंसा
(घ) आतंकवाद
उत्तर:
(ग) अहिंसा

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार –
(क) भारत में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों में उपलब्ध है।
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।
(ग) विदेशियों को भी उपलब्ध है।
(घ) इनमें से किसी को भी उपलब्ध नहीं है।
उत्तर:
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 11th


Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbooks for Exam Preparations

Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbook Solutions can be of great help in your Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism exam preparation. The BSEB STD 11th Political Science Nationalism Textbooks study material, used with the English medium textbooks, can help you complete the entire Class 11th Political Science Nationalism Books State Board syllabus with maximum efficiency.

FAQs Regarding Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbook Solutions


How to get BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbook Answers??

Students can download the Bihar Board Class 11 Political Science Nationalism Answers PDF from the links provided above.

Can we get a Bihar Board Book PDF for all Classes?

Yes you can get Bihar Board Text Book PDF for all classes using the links provided in the above article.

Important Terms

Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism, BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbooks, Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism, Bihar Board Class 11th Political Science Nationalism Textbook solutions, BSEB Class 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions, Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism, BSEB STD 11th Political Science Nationalism Textbooks, Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism, Bihar Board STD 11th Political Science Nationalism Textbook solutions, BSEB STD 11th Political Science Nationalism Textbooks Solutions,
Share:

0 Comments:

Post a Comment

Plus Two (+2) Previous Year Question Papers

Plus Two (+2) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus Two (+2) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus Two (+2) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Question Papers

Plus One (+1) Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Physics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Chemistry Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Maths Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Zoology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Botany Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Computer Application Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Commerce Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Humanities Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Economics Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) History Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Islamic History Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Psychology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Sociology Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Political Science Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Geography Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Accountancy Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Business Studies Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) English Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Hindi Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Arabic Previous Year Chapter Wise Question Papers, Plus One (+1) Kaithang Previous Year Chapter Wise Question Papers , Plus One (+1) Malayalam Previous Year Chapter Wise Question Papers
Copyright © HSSlive: Plus One & Plus Two Notes & Solutions for Kerala State Board About | Contact | Privacy Policy