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Sunday, June 19, 2022

BSEB Class 12 Economics Theory of Consumer Behavior Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Economics Theory of Consumer Behavior Book Answers

BSEB Class 12 Economics Theory of Consumer Behavior Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Economics Theory of Consumer Behavior Book Answers
BSEB Class 12 Economics Theory of Consumer Behavior Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Economics Theory of Consumer Behavior Book Answers


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Bihar Board Class 12th Economics Theory of Consumer Behavior Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Economics Theory of Consumer Behavior
Chapters All
Provider Hsslive


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Bihar Board Class 12 Economics उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
उपभोक्ता के बजट सेट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दी गई मुद्रा व विभिन्न कीमतों पर एक उपभोक्ता केवल उस सीमा तक वस्तुओं के बण्डलों का चयन कर सकता है जिनकी लागत उपभोक्ता के पास उन्हें क्रय करने के लिए उपलब्ध मुद्रा से कम या समान होती है। उपभोक्ता के लिए उपलब्ध वस्तुओं के बण्डलों के समुच्चय को बजट सेट या बजट समुच्चय कहते हैं।

प्रश्न 2.
बजट रेखा क्या है?
उत्तर:
बजट रेखा से अभिप्राय उस रेखा से है जिस पर वस्तुओं के वे सभी समुच्चय होते हैं जिनकी लागत, उपभोक्ता की आय के समान होती है। बजट रेखा का समीकरण निम्नलिखित है –
p1x1 + p2x2
जहाँ p1 – एक वस्तु की कीमत
p2 – दूसरी वस्तु की कीमत
x1 एवं x2 – वस्तुओं की मात्राएँ
M – उपभोक्ता की आय

प्रश्न 3.
बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर क्यों होती है?
उत्तर:
बजट रेखा दो वस्तुओं के उन सभी समूहों को व्यक्त करती है जिनकी लागत, उपभोक्ता की आय के बराबर होती है। बजट रेखा का ढाल ऋणात्मक होता है क्योंकि यदि उपभोक्ता एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाना चाहता है तो उसे दूसरी वस्तु की कुछ इकाइयों का त्याग करना पड़ेगा।
बाजार रेखा के ढाल का माप = 𝑝1𝑝2
जहाँ p1 तथा p2 उपभोक्ता द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तुओं की कीमतें हैं।

प्रश्न 4.
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक है। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमशः 4 रुपए तथा 5 रुपए है। उपभोक्ता की आय 20 रुपए है –

  1. बजट रेखा के समीकरण को लिखिए।
  2. उपभोक्ता यदि अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु – 1 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
  3. यदि वह अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु – 2 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
  4. बजट रेखा की प्रवणता क्या है? (प्रश्न 5,6,7 प्रश्न 4 से संबंधित हैं।)

उत्तर:
1. बजट रेखा की सामान्य समीकरण निम्नलिखित होता है –
p1x1 + p2x2 = M
जहाँ P1 तथा p1 दोनों वस्तुओं की कीमते हैं।
x1 तथा x2 दो वस्तुओं की क्रय की जाने वाली मात्राएँ हैं तथा M उपभोक्ता की आय है।

2. x1 = 𝑀𝑃1 – 𝑃2𝑃1 x2
= 204 – 45 × 0 (x2 = 0 क्योंकि उपभोक्ता पूरी आय एक वस्तु के उपभोग पर खर्च करता है।
= 5 – 0
= 5
यदि उपभोक्ता अपनी पूरी आय एक वस्तु के उपभोग पर खर्च करेगा तो वह उस वस्तु की 5 इकाइयाँ क्रय कर सकता है।

3. x2 = 𝑀𝑃2 – 𝑝1𝑝2 x1 (बजट समाकरण से)
= 204 – 45 × 0 (x1 = 0 क्योंकि उपभोक्ता पूरी आय एक वस्तु के उपभोग पर खर्च करता है।
= 4 – 0 = 4
यदि उपभोक्ता अपनी पूरी आय दूसरी वस्तु के उपभोग पर खर्च करेगा तो वह उस वस्तु की 4 इकाइयाँ क्रय कर सकता है।

4. बजट रेखा का ढाल = – 𝑝1𝑝2 = – 45 = -0.8
बजट रेखा का ढाल – (0.8) है।

प्रश्न 5.
यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर 40 रु0 हो जाती है, परन्तु कीमत अपरिवर्तित रहती है तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर:
बजट रेखा का समीकरण निम्नलिखित है –
P1x1 + P2x2 = M
यदि उपभोक्ता की आय 20 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो जाती है तो –

  1. यदि वह सम्पूर्ण आय एक वस्तु पर उपभोग करेगा तो उसकी क्रय की गई मात्रा = 404 = इकाइयाँ = 10 इकाइयाँ
  2. यदि वह सम्पूर्ण आय दूसरी वस्तु पर उपभोग करेगा तो दूसरी वस्तु की क्रय की गई।

मात्रा = 405 इकाइयाँ = 8 इकाइयाँ
इस प्रकार आय बढ़ने पर एक उपभोक्ता पहले की तुलना में दोनों ही वस्तुओं की अधिक इकाइयाँ क्रय कर सकता है। अतः बजट रेखा आय बढ़ने पर पूर्व बजट रेखा के दायों (ऊपर) की ओर खिसक जायेगी।

प्रश्न 6.
यदि वस्तु-2 की कीमत में एक रुपए की गिरावट आ जाए, परन्तु वस्तु-1 की कीमत में तथा उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं हो, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आयेगा।
उत्तर:
उपभोक्ता की आय = 20 रुपये (अपरिवर्तित)
एक वस्तु की कीमत = 4 रु०/इकाई
यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय इसी वस्तु पर खर्च करेगा तो इसकी इकाइयाँ = इकाइयाँ = 5 इकाइयाँ
दूसरी वस्तु की कीमत = 5 – 1 रु०/इकाई (कीमत परिवर्तन होने पर) यदि उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय इस वस्तु पर खर्च करेगा तो इसकी इकाइयाँ =204 इकाइयाँ = 5 इकाइयाँ इस प्रकार उपभोक्ता पहले की तुलना दूसरी वस्तु की ज्यादा इकाइयाँ क्रय कर सकता है।
अतः बजट रेखा Y – अक्ष पर ऊपर की ओर खिसक जायेगी परन्तु X – अक्ष पर उसी बिन्दु पर स्थित रहेगी।

प्रश्न 7.
अगर कीमतें और उपभोक्ता की आय दोनों दुगुनी हो जाए, तो बजट सेट कैसा होगा?
उत्तर:
यदि दोनों कीमत एवं उपभोक्ता की आय दोनों दोगुनी हो जाती है तो बजट समुच्चय अपरिवर्तित रहेगा।

प्रश्न 8.
मान लीजिए कि कोई उपभोक्ता अपनी पूरी आय का व्यय करके वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ खरीद सकता है। दोनों वस्तुओं की कीमतें क्रमश: 6 रुपये तथा 8 रुपये हैं। उपभोक्ता की आय कितनी है?
उत्तर:
उपभोक्ता की आय, बजट रेखा समीकरण से प्राप्त मुद्रा के समान होगी।
M = p1x1 + p2x2
= 6 × 6 + 8 × 8 = 36 + 64 = 100
उपभोक्ता की आय = 100 रुपये

प्रश्न 9.
मान लीजिए, उपभोक्ता दो ऐसी वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है जो केवल पूर्णांक इकाइयों में उपलब्ध है। दोनों वस्तुओं की कीमत 10 रुपये के बराबर ही है तथा उपभोक्ता की आय 40 रुपये हैं।

  1. वे सभी बंडल लिखिए, जो उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं।
  2. जो बंडल उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं, उनमें से वे बंडल कौन से हैं जिन पर उपभोक्ता के 40 रुपये व्यय हो जायेंगे।

उत्तर:
1. उपभोक्ता को निम्नलिखित बंडल उपलब्ध होंगे:
(0, 0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0, 4), (1, 0), (2, 0), (3, 0), (4, 0), (1, 1), (2, 2)

2. वे बंडल जिनको लागत उपभोक्ता की आय के समान 40 रुपये होगी निम्नलिखित होंगे:
(0, 4), (4, 0) एवं (2, 2)

प्रश्न 10.
‘एकदिष्ट अधिमान’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यदि बंडल (x1,x2) उपभोक्ता के लिए उपलब्ध है और यदि बंदल (x1,x2) में बंडल (Y1, Y2) की तुलना में कम से कम एक वस्तु की इकाइयाँ अधिक है और यदि बंडल (x1, x2) में बंडल (y1, y2) की तुलना में कम से कम एक वस्तु की इकाइयाँ अधिक हैं और दूसरी वस्तु की इकाइयों में कमी नहीं आती है तो उपभोक्ता मंडल (y1, y2) की तुलना बंडल (x1, x2) का अधिक पसंद करेगा।

प्रश्न 11.
यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो क्या वह बंडल (10, 8) और बंडल (8, 6) के बीच तटस्थ हो सकता है?
उत्तर:
उपभोक्ता के लिए दोनों वस्तुएं वांछनीय होती हैं एवं उपभोक्ता हमेशा कम वस्तुओं के स्थान पर अधिक वस्तुओं को पसंद करता है। अत: उपभोक्ता (10, 8) व (8, 6) में उपभोग के लिए उदासीन नहीं हो सकता है वह बंडल (8, 6) की तुलना में (10, 8) को अधिक पसंद करेगा।

प्रश्न 12.
मान लीजिए, कि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं। बंडल (10, 10), (10,9) तथा (9,9) पर उसके अधिमान श्रेणीकरण के विषय में आप क्या बता सकते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता के लिए दोनों ही वस्तुएँ वांछनीय होती हैं एवं उपभोक्ता कम वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को पसंद करता है। इसी आधार पर उपभोक्ता बंडल (10, 10) को अधिकतम कोटि तथा बंडल (9, 9) को न्यूनतम कोटि प्रदान कर सकता है।

प्रश्न 13.
मान लीजिए कि आपका मित्र बंडल (5, 6) तथा (6, 6) के बीच तटस्थ है। क्या आपके मित्र कि अधिमान एकदिष्ट हैं?
उत्तर:
एक उपभोक्ता कम वस्तुओं की तुलना में अधिक वस्तुओं को पसंद करता है। बंडल (6,6) में बंडल (5,6) की तुलना में वस्तु एक इकाई ज्यादा है और दूसरी वस्तु की दोनों बंडलों में इकाइयाँ समान है अतः उपभोक्ता बंडल (6, 6) को बंडल (5,6) की तुलना में ज्यादा पसंद करेगा। इस प्रकार की वरीयताओं को एक सुरा कहते हैं।

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि बाजार में एक ही वस्तु के लिए उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन इस प्रकार हैं –
d1(p) = 20 – p किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से कम या बराबर हो तथा d1 (p) = 0 किसी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से अधिक हो।
d2(p) = 30 – 2p किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से कम या बराबर हो और d1(p) = 0 किसी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से अधिक हो। बाजार माँग फलन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रथम माँग फलन d1(p) = 20 – p, दूसरा माँग फलन d2(p) = 30 – 2p
बाजार माँग फलन व्यक्तिगत माँग फलनों का योग होता है। अत: बाजार माँग फलन होगा –
बाजार माँग फलन = D1(p) + d(p) = 20 – p + 30 – 2p
= 50 – p (10 से अधिक एवं 15 के बराबर या कम कीमत पर)

प्रश्न 15.
मान लीजिए, वस्तु के लिए 20 उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन एक जैसे हैं:
d(p) = 10 – 3p किसी ऐसी कीमत के लिए जो 103 से कम हो अथवा बराबर हो तथा d1(p) = 0 किसी ऐसी कीमत जो 103 अधिक है। बाजार माँग फलन क्या है?
उत्तर:
बाजार में उपभोक्ताओं की संख्या = 20
सामान माँग फलन d(p) = 10 – 3p
बाजार माँग फलन = 20 व्यक्तिगत समान माँग फलनों का योग
= 20 × (10 – 3p) = 200 – 60p
(103 से कम या समान कीमत पर)

प्रश्न 16.
एक ऐसे बाजार को लीजिए, जहाँ केवल दो उपभोक्ता है तथा मान लीजिए वस्तु के लिए उनकी माँगें इस प्रकार हैं –
वस्तु के लिए बाजार माँग की गणना कीजिए।
उत्तर:
बाजार माँग व्यक्तित माँग का योग होती है।

प्रश्न 17.
सामान्य वस्तु से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वे वस्तु जिनकी माँग उपभोक्ता की आय बढ़ाने पर बढ़ती है तथा उपभोक्ता की आय घटने पर कम हो जाती है, सामान्य वस्तुएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 18.
निम्नस्तरीय वस्तु को परिभाषित कीजिए। कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिनकी माँग उपभोक्ता की आय बढ़ने पर कम हो जाती है तथा उपभोक्ता की आय घटने पर माँग बढ़ जाती है, निम्नस्तरीय वस्तुएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 19.
स्थानापन्न को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए जो एक-दूसरे के स्थानपन्न हैं।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिनमें एक वस्तु के स्थान पर दूसरी वस्तु का उपभोग किया जा सकता है एक दूसरे की प्रतिस्थापन वस्तु कहलाती हैं। उदाहरण के लिए चाय एवं काफी प्रतिस्थापन वस्तु हैं। इसी प्रकार कोक व पेप्सी पेय प्रतिस्थापना वस्तु हैं।

प्रश्न 20.
पूरकों को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए, जो एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर:
वे वस्तुएँ जिनका उपभोग एक साथ किया जाता है अथवा एक-दूसरे के अभाव में उपभोग नहीं किया जा सकता हैं पूरक वस्तुएँ कहलती हैं। उदाहरण के लिए कार व पेट्रोल तथा पेन व स्याही आदि पूरक वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 21.
माँग की कीमत लोच को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को माँग की कीमत लोच कहते हैं।

प्रश्न 22.
एक वस्तु की मांग पर विचार करें। 4 रुपये की कीमत पर इस वस्तु की 25 इकाइयों की माँग है। मान लीजिए वस्तु की कीमत बढ़कर 5 रुपये हो जाती है तथा परिणामस्वरूप वस्तु की माँग घटकर 20 इकाइयाँ हो जाती है। कीमत लोच की गणना कीजिए।
उत्तर:
P0 = 4 रु० q0 = 25 इकाइयाँ
P1 = 5 रु० q1 = 20 इकाइयाँ
∆p = 5 – 4 = 1 रु०
∆q = 25 – 20 = 5 इकाइयाँ
ed = ∆𝑞∆𝑝 × 𝑃0𝑃0 = 51 × 425
= 45 = 0.8
वस्तु की माँग कीमत लोच = 0.8

प्रश्न 23.
माँग वक्र D(p) = 10 – 3p को लीजिए। कीमत 53 लोच क्या है।
उत्तर:
माँग वक्र D(p) = 10 – 3p
माँग वक्र का सामान्य समीकरण D(p) = Da- bp
इस प्रश्न में a = 10, b = 3 एवं p = 53
ed = – 𝑏𝑝𝑎−𝑏𝑝 = 3×5/310−3×5/3 (चरों का मूल्य रखने पर)
= – 510−5 = –55 = -1

प्रश्न 24.
मान लीजिए किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच – 0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होती है, तो वस्तु के लिए माँग में कितनी प्रतिशत कमी आएगी?
उत्तर:
ed = – 0.2, कीमत से प्रतिशत परिवर्तन = 5%, माँग में प्रतिशत परिवर्तन = ?
माँग में प्रतिशत परिवर्तन = -0.2 × 5 = -1.0%
वस्तु की माँग से 19% की कमी आ जायेगी।

प्रश्न 25.
मान लीजिए किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होती है, तो उस पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
उत्तर:
ed = -0.2, कीमत में वृद्धि = 10%

x = -0.2 × 10 = -2.0%
वस्तु की माँग में परिवर्तन, कीमत में प्रतिशत परिवर्तन की तुलना में कम है। अतः वस्तु पर होने वाला व्यय 2% अधिक हो जायेगा।

प्रश्न 26.
मान लीजिए कि किसी वस्तु की कीमत में 4% गिरावट होने के परिणामस्वरूप उस पर होने वाले व्यय में 2% की वृद्धि हो गई। आप माँग की लोच के बारे में क्या कहेंगे?
उत्तर:
वस्तु की खरीद पर होने वाला व्यय, कीमत में परिवर्तन की विपरीत दिशा में है। अत: माँग की लोच इकाई से अधिक होगी।

Bihar Board Class 12 Economics उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बजट रेखा के ढाल का निरपेक्ष मूल्य क्या मापता है?
उत्तर:
जब कोई उपभोक्ता अपनी बजट आय का सम्पूर्ण भाग खर्च करता है तो बजट रेखा के ढाल का निरपेक्ष मूल्य वस्तु – 2 के लिए वस्तु – 1 की प्रतिस्थापन दर को मापता है।

प्रश्न 2.
दो वस्तुओं की कीमतें और उपभोक्ता की आय क्या निर्धारित करते हैं?
उत्तर:
दो वस्तुओं की कीमतें और उपभोक्ता की आय बण्डलों की उपलबधता को निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 3.
उपलब्ध बण्डलों में परिवर्तन के कौन-कौन से कारक हैं?
उत्तर:
उपलब्ध बण्डलों में परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कारक –

  1. दोनों वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन या किसी एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन
  2. उपभोक्ता की आय में परिवर्तन

प्रश्न 4.
माना उपभोक्ता की आय में M से M1 परिवर्तन हो जाता है और दोनों वस्तुओं की कीमत समान रहती हैं। क्या नई बजट रेखा का ढाल बदल जायेगा?
उत्तर:
नई बजट रेखा का ढाल, आय में परिवर्तन से पूर्व बजट रेखा जैसा ही होगा।

प्रश्न 5.
उपभोग बंडल की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
दो वस्तुओं का कोई भी संयोजन जो उपभोग के लिए उपलब्ध होता है, उसे उपभोग बंडल कहते हैं।

प्रश्न 6.
उपभोग के लिए कौन-सी मान्यता विश्लेषण को सरल बनाती है?
उत्तर:
यह मान्यता कि उपभोग के लिए केवल दो वस्तु उपलब्ध हैं, विश्लेषण को सरल बनाती है।

प्रश्न 7.
उस समस्या का नाम लिखो जिसका सामना उपभोक्ता को करना पड़ता है?
उत्तर:
उपभोक्ता को हमेशा संसाधनों की दुर्लभता अथवा सीमितता की समस्या का सामना पड़ता है।

प्रश्न 8.
संसाधनों की दुर्लभता के विचार को जानने के लिए हमें क्या समझना आवश्यक है?
उत्तर:
संसाधनों की दुर्लभता के विचार को जानने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि उपभोग बंडल पर व्यय करने के लिए उपभोक्ता के पास सीमित आय होती है।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता बजट समुच्चय में कितने बंडल हो सकते हैं?
उत्तर:
यदि दोनों वस्तुएँ विभाज्य होती हैं तो उपभोक्ता बजट समुच्चय में शून्य से अधिक व समान वे सभी बंडल शामिल होते हैं जिनका मूल्य उपभोक्ता की आय के बराबर या कम होता है अर्थात् P1x1 + p2x2 ≤ M.

प्रश्न 10.
एक बजट समुच्चय को रेखा चित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:

प्रश्न 11.
बजट रेखा के क्षैतिज भाग को बताइए।
उत्तर:
बजट रेखा का क्षैतिज भाग उपभोक्ता की आय व वस्तु – 1 की कीमत का अनुपात अर्थात् 𝑀𝑃1 होता है।

प्रश्न 12.
बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर भाग को बताइए।
उत्तर:
बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर भाग उपभोक्ता की आय व वस्तु – 2 की कीमत के अनुपात अर्थात 𝑀𝑃2 के बराबर होता है।

प्रश्न 13.
एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए दूसरी वस्तु की त्याग की जाने वाली इकाइयों का आंकलन किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए दूसरी वस्तु की त्याग की जाने वाली इकाइयों का आंकलन दोनों वस्तुओं की कीमत के आधार पर होता है।

प्रश्न 14.
एक वस्तु के लिए दूसरी वस्तु की प्रतिस्थापन दर ज्ञात करने वाला सूत्र लिखो।
उत्तर: 𝑝1𝑝2 सूत्र का प्रयोग करके एक वस्तु के लिए दूसरी वस्तु की प्रतिस्थापन दर ज्ञात की जाती है। p1 व p2 क्रमशः वस्तु – 1 व वस्तु – 2 की कीमतें है।

प्रश्न 15.
एक स्तरीय अभिरुचि का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
यदि एक बण्डल (x1, x2) दूसरे बण्डल (y1, y2) की तुलना में एक वस्तु की अधिक इकाइयाँ रखता है और दूसरी वस्तु की इकाइयों में कोई कमी नहीं आती है तो उपभोक्ता (x1, x2) बण्डल को ज्यादा पसंद करता है इसे एक स्वरीय अभिरुचि कहते हैं।

प्रश्न 16.
उदासीन वक्र का ढाल ऋणात्मक क्यों होता है?
उत्तर:
उपभोक्ता के लिए दोनों वस्तुएँ वांछनीय होती हैं और उपभोक्ता सदैव कम इकाइयों की तुलना में हमेशा ज्यादा इकाइयों को पसन्द करता है इसलिए उदासीन वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 17.
उदासीन वक्र की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
जिन बण्डलों के बारे में उपभोक्ता उदासीन होता है, उन सभी उपलब्ध बण्डलों को दो विभा वाले रेखा चित्र को उदासीन वक्र कहते हैं।

प्रश्न 18.
बण्डलों के उन समुच्चयों को लिखिए जिनके बारे में उपभोक्ता उदासीन रहता है।
उत्तर:
बण्डल (0,0) तथा उन बण्डलों जिनमें एक वस्तु का उपभोग धनात्मक तथा दूसरी वस्तु का उपभोग शून्य होता है के बारे में उपभोक्ता उदासीन होता है।

प्रश्न 19.
माना एक उपभोक्ता की आय M से M1 हो जाती है और दोनों वस्तुओं की कीमत समान रहती है। क्या बजट रेखा का ऊपरी भाग समान रहेगा?
उत्तर:
बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर भाग उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने पर परिवर्तित हो जायेगा।

प्रश्न 20.
यदि वस्तुओं की कीमत समान रहती है तो उपभोक्ता की आय व बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर भाग में क्या संबंध है?
उत्तर:
एक उपभोक्ता की आय व बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर भाग से सीधा संबंध होता है। यदि उपभोक्ता की आय में वृद्धि होगी तो बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर भाग में वृद्धि होगी, इसके विपरीत उपभोक्ता की आय में कमी होने पर बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर भाग में कमी आयेगी।

प्रश्न 21.
एक उपभोक्ता उपलब्ध बण्डलों में से उपभोग के लिए किस आधार पर चयन करता है?
उत्तर:
एक उपभोक्ता पसन्द व नापसन्द के आधार पर उपलब्ध बण्डलों में से उपभोग के लिए बण्डलों के उन चयन करता है।

प्रश्न 22.
उपयोगिता फलन क्या निर्धारित करता है?
उत्तर:
उपयोगिता फलन प्रत्येक उपलब्ध बण्डल को एक अंक इस प्रकार प्रदान करता है कि यदि दो बण्डलों में से किसी एक को दूसरे की तुलना में अधिक वरीयता प्रदान की जाती है तो उसकी उपयोगिता का क्रमांक ऊँचा होता है।

प्रश्न 23.
उपयोगिता फलन को परिभाषित करें।
उत्तर:
अभिरुचियों को उपयोगिता क्रमांक के आधार पर दर्शाना उपयोगिता फलन कहलाता है।

प्रश्न 24.
बण्डलों की उपयोगिता का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
अभिरुचि के आधार पर बण्डलों के आबंटित क्रमांकों को बण्डलों की उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 25.
एक स्वरीय अभिरुचियों के बारे में एक उपभोक्ता के लिए उदासीनता की शर्त लिखिए।
उत्तर:
यदि उपभोक्ता की पसंद एक स्वरीय है तो दो बण्डल उदासीन हो सकते हैं। यदि एक बण्डल में दूसरे बण्डल की तुलना में एक वस्तु की अधिक इकाइयाँ हैं दूसरी वस्तु की कम।

प्रश्न 26.
दो वस्तुओं के मध्य प्रतिस्थापन दर क्या होती है?
उत्तर:
उदासीन रहते हुए जिस दर पर उपभोक्ता दूसरी वस्तु के लिए पहली वस्तु का प्रतिस्थापन करता है तो इसे दूसरी वस्तु के लिए पहली वस्तु की सीमान्त प्रतिस्थापन दर कहते हैं।

प्रश्न 27.
प्रतिस्थापन दर क्या मापती है?
उत्तर:
प्रतिस्थापन दर उपभोक्ता की उस इच्छा का मापन करती है जिस पर वह एक वस्तु के लिए दूसरी वस्तु का त्याग करता है।

प्रश्न 28.
उपभोक्ता की सीमान्त प्रतिस्थापन दर का मापन किससे होता है?
उत्तर:
सूक्ष्म परिवर्तनों के लिए उदासीन वक्र के ढाल का निरपेक्ष मूल्य उदासीन वक्र के प्रत्येक बिन्दु पर सीमान्त प्रतिस्थापन दर का मापन करता है।

प्रश्न 29.
एक विवेकशील व्यक्ति क्या जानता है?
उत्तर:
एक विवेकशील व्यक्ति जानता है कि क्या अच्छा है? अथवा क्या बुरा है? प्रत्येक स्थिति में वह हमेशा अपने लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प को प्राप्त करना चाहता है।

प्रश्न 30.
उदासीन जाल को परिभाषित करें।
उत्तर:
उपभोक्ता के पसंदीदा सभी बण्डलों को दर्शाने वाले उदासीन वक्रों के परिवार को उदासीन जाल कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उदासीन वक्र का ढाल नीचे की ओर क्यों होता है?
उत्तर:
उदासीन वक्र का ढाल मूल बिन्दु की ओर उत्तलोदर इसलिए होता है क्योंकि उपभोक्ता चरम मूल्यों की तुलना में औसतों को अधिक पसंद करता है। इसे एक उदाहरण से समझाया जा सकता है। माना उपभोक्त को दो बण्डल (x1, x2) तथा (y1, y2) उपलब्ध है। उपभोक्ता दोनों बण्डलों के लिए उदासीन है।
इन दोनो बण्डलों का औसत (12x1 + 12y1 + 12x2 + 12y2) है।

औसत बण्डल में उपलब्ध दो बण्डलों की औसत मात्राएँ दी होती है। दो उदासीन बण्डलों के भारित औसतों को चरम मूल्यों की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाता है। दो बण्डलों के औसत बण्डलों का पथ दो बिन्दुओं को मिलाने वाली रेखा होता है। सीधी रेखा के ऊपर उन बण्डलों को दर्शाता है एक वस्तु की इकाइयाँ अधिक होती है जबकि दूसरी वस्तु की इकाइयों में कमी नहीं होती। उदासीन बिन्दु केवल दो बिन्दुओं (x1, x2) तथा (y1, y2) को जोड़ने वाली रेखा के नीचे स्थित होते हैं। इसलिए उदासीन वक्र मूल्य बिन्दु की ओर उन्नतोदर होता है।

प्रश्न 2.
उदासीन वक्र की परिभाषा लिखो और उसे रेखाचित्र द्वारा दर्शाइए।
उत्तर:
उदासीन बण्डलों का ज्यामितीय निरूपण उदासीन वक्र कहलाता है। उदासीन वक्र की निम्न विशेषताएँ होती हैं –

  1. उदासीन वक्र सतत होता है
  2. उदासीन वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है तथा
  3. उदासीन वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तलोदार होता है

प्रश्न 3.
उदासीन वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तलोदर क्यों होता है?
उत्तर:
उदासीन वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तलोदर होता है क्योंकि उपभोक्ता चरम मूल्यों की अपेक्षा औसतों को अधिक पसंद करता है। इसे उदाहरण से समझाया जा सकता है। माना उपभोक्ता के लिए दो उपभोग बण्डल है –
(x1, x2)। इस दोनों बण्डलों के लिए उपभोक्ता उदासीन है। औसत बण्डल है –
(12x1 + 12y1 + 12x2 + 12y2) है।

औसत बण्डल मौजूदा दो उपभोग बण्डलों की औसत मात्राएँ दर्शाता है। दो उदासीन उपभोग बण्डलों के भारित औसत बण्डलों को चरम बण्डल की अपेक्षा में अधिक वरीयता दी जाती है। दो बण्डलों के भारित औसत बण्डलों का पथ दो बिन्दुओं को मिलाने वाली सीधी रेखा होती है। सीधी रेखा के ऊपर स्थित बिन्दु उस बण्डलों को दर्शाते हैं जिनमें एक वस्तु की अधिक मात्रा होती है जबकि दूसरी वस्तु की मात्रा में कमी नहीं आती है। उदासीन बिन्दु केवल सीधी रेखा के नीचे स्थिति होता है जो (x1, x2) तथा (y1, y2) बिन्दुओं को मिलाती है।

प्रश्न 4.
दिए गए बण्डलों में एक उपभोक्ता किस आधार पर उपभोग के लिए बण्डल का चयन करता है?
उत्तर:
एक विवेकशील उपभोक्ता बण्डलों में अपनी पसंद व नापसंद के आधार पर चयन का कार्य करता है। सभी उपलब्ध बण्डलों के समुच्चय में से उपभोक्ता के पास सुपरिभाषित वरीयता क्रम होता है। दो बण्डलों की तुलना उपभोक्ता वरीयता क्रम के आधार पर कर सकता है। यदि उपभोक्ता दो में से किसी भी एक बण्डल का चयन कर सकता है तो उनके लिए वह उदासीन होता है। यह.भी संभव होता है कि वह उन सभी बण्डलों को जो उसे उपभोग के लिए उपलब्ध हो उन्हें वरीयता क्रम प्रदान करे।

प्रश्न 5.
एक उपभोक्ता अपनी सम्पूर्ण आय वस्तु – 1 व वस्तु – 2 की खरीद पर व्यय करता है। वस्तु – 2 के लिए वस्तु – 1 के प्रतिस्थापन को समझाइए।
उत्तर:
बजट रेखा पर स्थित कोई भी बिन्दु उन सभी बण्डलों को प्रदर्शित करता है जिनकी लागत उपभोक्ता की सम्पूर्ण आय के बराबर होती है वस्तु – 1 की एक अतिरिक्त इकाई का अधिक उपभोग करने के लिए उसे वस्तु – 2 की कुछ इकाइयों का त्याग करना पड़ता है। वस्तु – 1 की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग बढ़ाने के लिए वस्तु – 2 की कितनी इकाइयों का त्याग करना पड़ता है यह बात दोनों वस्तुओं की कीमत के आधार पर तय होती है। यदि वस्तु – 1 व वस्तु – 2 की कीमत क्रमशः p1 व p2 है। कीमत p1 से वह वस्तु – 2 की 𝑝1𝑝2 इकाई क्रय कर सकता है। इस बजट की सम्पूर्ण आय के उपयोग से वस्तु – 1 की एक अतिरिक्त इकाई का उपभोग करने के लिए उसे वस्तु – 2 की 𝑝1𝑝2 इकाइयाँ त्यागनी पड़ेंगी। इस प्रकार बजट रेखा के ढाल का निरनपेक्ष मूल्य वस्तु – 1 के लिए वस्तु – 2 की प्रतिस्थापन दर को मापता है।

प्रश्न 6.
यदि दो वस्तुओं की कीमतें समान रहें तो उपभोक्ता की आय में परिवर्तन का बजट रेखा के ढाल पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
माना उपभोक्ता की आय M से M1 हो जाती है तथा दो वस्तुओं की कीमत p1 व P2 समान रहती है।
बजट रेखा –
p1x1 + p2x2 = M
बजट रेखा –
p1x1 + p2x2 = M1
P2x2 = M1 – P1x1
उपभोक्ता की आय में परिवर्तन होने पर बजट रेखा का ढाल आय परिवर्तन पूर्व जैसा ही रहता है। यद्यपि आय परिवर्तन से बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर भाग परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 7.
माना वस्तु – 1 की कीमत p1 से p2 हो जाती है तथा उपभोक्ता की आय M तथा वस्तु – 2 की कीमत pसमान रहती है। निम्नलिखित के बारे में लिखिए –

  1. नई बजट रेखा का ऊर्ध्वाधर भाग
  2. नई बजट रेखा का ढाल

उत्तर:
नई कीमत पर (x1, x2) के उन सभी बण्डलों को क्रय कर सकता है जिनके लिए P1x1 + P2X2 = M; x2 = 𝑀𝑃2 – 𝑝1𝑝2x1

  1. वस्तु – 1 की कीमत में परिवर्तन से पूर्व व परिवर्तन के बाद बजट रेखा के ऊर्ध्वाधर भाग में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
  2. वस्तु – 1 की कीमत में परिवर्तन होने से बजट रेखा का ढाल बदल जायेगा।
    • यदि p1 < p1 तो बजट रेखा के ढाल का निरपेक्ष मूल्य घट जायेगा तथा बजट रेखा कम ढालू हो जायेगी।
    • यदि p1 > p1 तो बजट रेखा के ढाल का निरपेक्ष मूल्य बढ़ जायेगा तथा बजट रेखा ज्यादा ढालू हो जायेगी।

प्रश्न 8.
संक्षेप में उपभोक्ता बजट की अवधारणा को स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रत्येक उपभोक्ता की आय सीमित होती है। आय की सीमितता के कारण कोई भी उपभोक्ता जिन वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है उनके सभी बण्डलों का क्रय नहीं कर सकता है। बाजार में अधिक क्रेता होने के कारण उस वस्तु की दी गई बाजार कीमत को स्वीकार करना पड़ता है। निश्चित आय एवं दी गई कीमतों पर उपभोक्ता केवल उन बण्डलों को क्रय कर सकता है जिनकी लागत उसकी आय के समान या उससे कम होती है।

प्रश्न 9.
बजट रेखा के ढाल का आंकलन करो।
उत्तर:
बजट रेखा के संगत एक वस्तु की प्रति इकाई के लिए दूसरी वस्तु की इकाइयों में परिवर्तन की माप को बजट रेखा का ढाल कहते हैं। माना बजट रेखा (x1, x2) तथा (x1 + ∆x1, x2 + ∆x2) दो बिन्दु हैं।

प्रश्न 10.
माँग वक्र की परिभाषा लिखो तथा माँग वक्र को बनाइए।
उत्तर:
माँग फलन का रेखागणितीय निरूपण माँग वक्र कहलाता है।

माँग वक्र वस्तु की कीमत तथा उपभोक्ता द्वारा क्रय की गई मात्रा को दर्शाता है। वस्तु की माँग एक आश्रित चर है तथा वस्तु की कीमत एक स्वतन्त्र चर है। आश्रित चर (माँग) को क्षैतिज अक्ष X पर तथा स्वतंत्र वर वस्तु की कीमत को ऊर्ध्वाधर अक्ष Y पर दर्शाया जाता है।

प्रश्न 11.
वे कारक लिखो जिनके आधार पर उपभोक्ता अधिकतम सन्तुष्टि के लिए वस्तु की मात्रा का चयन करता है?
उत्तर:
अधिकतम सन्तुष्टि के लिए उपभोक्ता जिस आधार पर वस्तु की मात्रा का चयन करता है, निम्नलिखित है –

  1. वस्तु की कीमत
  2. अन्य वस्तुओं की कीमतें
  3. उपभोक्ता की आय
  4. उपभोक्ता की रुचि एवं अभिरुचि

जब कभी एक या अधिक कारक परिवर्तित होते हैं तो उपभोक्ता द्वारा चयन की गई वस्तु की मात्रा में भी परिवर्तन होता है।

प्रश्न 12.
सर्वोत्कृष्ट बिन्दु के लिए सीमान्त प्रतिस्थापन दर और कीमतों का अनुपात एक समान होना चाहिए। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उदासीन वक्र का ढाल उस प्रतिस्थापन दर की माप होता है जिस पर एक उपभोक्ता एक वस्तु के लिए दूसरी वस्तु का प्रतिस्थापन करता है। बजट रेखा का ढाल वह माप/दर होती है जिस पर दो वस्तुओं की कीमतें एक वस्तु के स्थान पर दूसरी वस्तु के प्रतिस्थापन की अनुमति प्रदान करती है।

सर्वोत्कृष्ट बिन्दु पर ये दोनों दर समान होनी चाहिए। यदि MRS, कीमत अनुपात से ज्यादा है तो उपभोक्ता को वस्तु – 1 के लिए वस्तु – 2 की अधिक इकाइयों का त्याग करना पड़ता है। अतः वह बिन्दु जिस पर MRS, कीमत अनुपात से ज्यादा होता है सर्वोत्कृष्ट बिन्दु नहीं हो सकता है। यदि MRS, कीमत अनुपात से कम होता है तो भी उपरोक्त ढंग से तर्क देकर यह बताया जा सकता है कि वह बिन्दु जिस पर MRS < 𝑝1𝑝2 सर्वोत्कृष्ट बिन्दु नहीं हो सकता है।

प्रश्न 13.
सर्वोत्कृष्ट बण्डल बजट रेखा पर कहाँ स्थित होता है?
उत्तर:
वह बिन्दु जिस पर बजट रेखा किसी उदासीन वक्र को स्पर्श करती है, वहाँ सर्वोत्कृष्ट उपभोग बण्डल विद्यमान होता है। वह उदासीन वक्र जो बजट रेखा को स्पर्श करता है वह उपभोक्ता बजट के अन्तर्गत सबसे श्रेष्ठ सम्भव उदासीन वक्र होता है। बजट रेखा के ऊपर स्थित उदासीन वक्र उपभोक्ता की पहुँच से बाहर होते हैं। बजट रेखा के नीचे स्थित उदासीन वक्र अपेक्षाकृत निम्न स्तरीय होते हैं, उस उदासीन वक्र की तुला में जो बजट रेखा को स्पर्श करता है।

अतः उस उदासीन वक्र का बिन्दु जो केवल बजट रेखा को स्पर्श करता है बजट रेखा को काटने वाले दूसरे उदासीन वक्रों की तुला में ऊपर स्थित होता है। अर्थात् बजट रेखा का वह बिन्दु जो किसी उदासीन वक्र को स्पर्श करता है बजट रेखा के अन्य बिन्दु की अपेक्षा उच्चस्तरीय उदासीन वक्र पर स्थित होता है। अत: जिस बिन्दु पर बजट रेखा किसी उदासीन वक्र को स्पर्श करती है वह सर्वोत्कृष्ट बण्डल को दर्शाता है।

प्रश्न 14.
वस्तु की कीमत में परिवर्तन का वस्तु की माँग पर प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
वस्तु की कीमत में परिवर्तन का वस्तु की माँग पर प्रभाव दो प्रकार से समझाया जा सकता है –

  1. वस्तु – 1 की कीमत में कमी होने पर यह वस्तु सापेक्ष रूप से सस्ती हो जाती है परिणामस्वरूप उपभोक्ता वस्तु की अधिक मात्रा क्रय करता है।
  2. वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर यह वस्तु सापेक्ष रूप से महंगी हो जाती है, परिणामस्वरूप उपभोक्ता ऊँची होने पर वस्तु की कम मात्रा की माँग करता है।

प्रश्न 15.
माँग फलन का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
जब अन्य कारक (अन्य वस्तुओं की कीमत, उपभोक्ता की आय, रुचि व अभिरुचि) समान होते हैं तो माँग फलन उपभोक्ता की वस्तु के लिए माँग तथा वस्तु के सम्बन्ध को बताता है। अन्य शब्दों में अन्य बातें समान रहने पर माँग फलन यह स्पष्ट करता है कि वस्तु को विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ता वस्तु की कितनी-कितनी मात्रा क्रय करेगा । माँग फलन को गणितीय रूप में निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है –
q = d (p)
जहाँ p वस्तु की कीमत तथा q वस्तु की माँगी गई मात्रा है।

प्रश्न 16.
उपभोक्ता की आय, सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत एवं उपभोक्ता की रुचि-अभिरुचि में परिवर्तन से माँग वक्र पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
यदि सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत एवं उपभोक्ता की अभिरुचि समान रहती है तो उपभोक्ता की आय में परिवर्तन से प्रत्येक कीमत स्तर वस्तु की माँग में परिवर्तन होता है। इससे माँग वक्र में खिसकाव होता है। सामान्य वस्तु का माँग वक्र दायीं ओर तथा घटिया वस्तु का माँग वक्र बायीं ओर आय बढ़ने पर खिसक जाता है।

यदि उपभोक्ता की आय एवं उसकी अभिरुचि समान रहने पर सम्बन्धित वस्तु की कीमत में परिवर्तन से माँग वक्र में खिसकाव हो जाता है। यदि प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु का माँग वक्र दायीं ओर खिसक जायेगा। यदि पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है तो वस्तु का माँग वक्र बायीं ओर खिसक जायेगा। यदि उपभोक्ता की आय तथा सम्बन्धित वस्तु की कीमत समान रहने पर उपभोक्ता की रुचि में अनुकूल परिवर्तन होने पर माँग वक्र दायीं ओर तथा प्रतिकूल परिवर्तन होने पर माँग वक्र बायीं ओर खिसक जायेगा।

प्रश्न 17.
प्रतिस्थापन एवं पूरक वस्तु में भेद लिखिए।
उत्तर:
प्रतिस्थापन वस्तु-वे वस्तुएँ जिनमें एक वस्तु के स्थान पर दूसरी वस्तु का प्रयोग किया जा सकता है। प्रतिस्थापन वस्तु कहलाती है। उदाहरण के लिए कॉफ एवं चाय एक – दूसरे की प्रतिस्थापन वस्तु है। किसी वस्तु की माँग तथा प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में सीधा सम्बन्ध होता है। वस्तु की माँग में परिवर्तन प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में परिवर्तन की दिशा में होता है। पूरक वस्तु – वे वस्तुएँ जिनमें एक वस्तु के बिना दूसरी वस्तु का उपभोग सम्भव नहीं होता है, पूरक वस्तु कहलाती है। जैसे कार व पेट्रोल एक-दूसरे की पूरक वस्तु है। पूरक वस्तु की कीमत तथा वस्तु की माँग में विपरीत सम्बन्ध होता है। वस्तु की माँग व पूरक वस्तु की कीमत में विपरीत सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 18.
कीमत में परिवर्तन होने पर यदि उपभोक्ता की आय का समायोजन हो जाता है तो उपभोक्ता किस बण्डल का चयन करेगा?
उत्तर:
कीमत परिवर्तन होने पर उपभोक्ता की क्रय शक्ति में परिवर्तन हो जाता है। उपभोक्ता की आय का समायोजन कीमत परिवर्तन होने पर हो जाता है। कीमत परिवर्तन से उपभोक्ता की बजट रेखा खिसक जाती है। अधिकतम सन्तुष्टि बिन्दु नई बजट रेखा पर खिसक जाता है। कीमत बढ़ने पर मूल बजट रेखा पर स्थित बण्डलों को उपभोक्ता वहन नहीं कर सकता है। बिन्दु (𝑥∗1, 𝑥∗2) के बायीं ओर स्थित बिन्दु मूल बजट रेखा के नीचे स्थित है।

कीमत परिवर्तन से पूर्व ये बण्डल उपभोक्ता को उपलब्ध थे और उपभोक्ता (𝑥∗1, 𝑥∗2) बण्डल के लिए उन्हें छोड़ चुका था। कीमत परिवर्तन से (𝑥∗1, 𝑥∗2) बण्डल से दायीं ओर बण्डल कीमत परिवर्तन से पूर्व उपभोक्ता को उपलब्ध नहीं थे। यदि बण्डल (𝑥∗1, 𝑥∗2) की तुलना में उपभोक्ता किसी बण्डल को पसन्द करता है तो वह किसी बण्डल का चयन कर सकता है। इस प्रकार यदि वस्तु की कीमत में कमी आती है और उपभोक्ता अपनी पूर्व क्रय शक्ति पर रहना चाहता है तो उसकी आय समायोजित हो जाती है तो उपभोक्ता वस्तु का उपभोग कम नहीं करता है।

प्रश्न 19.
रेखिक माँग का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
रैखिक माँग वक्र को निम्न प्रकार दर्शाया जाता है –
d(p) = a – bp
जहाँ a = ऊर्ध्वाधर भाग, b = माँग वक्र का ढाल
शून्य कीमत स्तर पर माँग a तथा 𝑎𝑏 के समान किसी कीमत पर या इससे अधिक कीमत पर माँग शून्य होगी। वस्तु की कीमत में a इकाई परिवर्तन होने पर वस्तु की माँग में b इकाई की कमी आयेगी।

प्रश्न 20.
उदाहरण सहित सामान्य वस्तु एवं घटिया वस्तु का अर्थ लिखो।
उत्तर:
सामान्य वस्तु:
वे वस्तु जिनकी माँग में, उपभोक्ता की आय में बढ़ोतरी होने पर वृद्धि हो जाती है, सामान्य वस्तु कहते हैं। आय घटने पर उपभोक्ता सामान्य वस्तु की कम माँग करता है। दूसरे शब्दों में, सामान्य वस्तु की माँग में परिवर्तन उपभोक्ता की आय में परिवर्तन की समान दिशा में होता है। सामान्य गुणवत्ता वाली सभी वस्तु सामान्य वस्तु के उदाहरण है।

घटिया वस्तु:
वे वस्तु जिनकी माँग उपभोक्ता की आय बढ़ने पर कम हो जाती है या आय कम होने पर माँग बढ़ जाती है, घटिया वस्तु कहलाती है। निम्न गुणवत्ता वाली वस्तु को घटिया वस्तु कहते हैं। जैसे-मोटा अनाज, मोटा कपड़ा। वस्तु का घटिया या सामान्य होना उपभोक्ता की आय के स्तर पर भी निर्भर करता है। आय के निम्न स्तर पर कोई वस्तु सामान्य हो सकती है तथा उच्च स्तर पर वह वस्तु घटिया हो सकती है।

प्रश्न 21.
बाजार माँग का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बाजार में अनेक व्यक्तिगत उपभोक्ता होते हैं जो वस्तु का क्रय करते हैं। किसी निश्चित समय व निश्चित कीमत पर बाजार में उपस्थित सभी क्रेता मिलकर किसी वस्तु की जितनी मात्रा क्रय करते हैं उसे बाजार माँग कहते हैं। व्यक्तिगत माँग वक्रों के क्षैतिज योग से बाजार माँग वक्र प्राप्त होता है।

प्रश्न 22.
माँग वक्र पर संचरण तथा माँग वक्र में खिसकाव में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
माँग वक्र पर संचरण तथा माँग वक्र में खिसकाव-अन्य बातें समान रहने पर कीमत में परिवर्तन होने पर माँग वक्र पर संचरण होता है। इसके विपरीत वस्तु की कीमत समान रहने पर उपभोक्ता की आय, सम्बन्धित वस्तु की कीमत तथा रुचि में परिवर्तन होने पर माँग वक्र पर खिसकाव होता है। अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत में कमी से माँग वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर संचरण होता है तथा वस्तु की कीमत में वृद्धि से माँग वक्र पर नीचे से ऊपर की ओर संचरण होता है। कीमत समान रहने पर अन्य कारकों में अनुकूल परिवर्तन होने पर माँग वक्र में दायीं/ऊपर की ओर खिसकाव होता है तथा अन्य कारकों में प्रतिकूल परिवर्तन होने पर माँग वक्र में बायीं/नीचे की ओर खिसकाव होता है।

प्रश्न 23.
फलन की परिभाषा लिखो। उदाहरण की सहायता से आश्रित व स्वतंत्र चर का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
फलन से अभिप्राय चरों जैसे x व y के बीच अन्तर्संबन्ध से है।
y = f(x)
x के प्रत्येक सम्भव मान के लिए चर का एक अद्वितीय मूल्य होता है। अन्य शब्दों में f (x) एक नियम है जो चर y का x के प्रत्येक मूल्य के अद्वितीय मान प्रदान करता है। चर y का मूल्य, चर x के मूल्य पर निर्भर है। अत: चर y आश्रित चर तथा चर x स्वतन्त्र चर है।

यदि x के मूल्य में परिवर्तन से चर y के मूल्य में वृद्धि होती है तो f (x) का वर्धमान फलन है इसके विपरीत यदि x के मूल्य में वृद्धि से चर y के मूल्य में कमी आती है तो इसे घटता फलन कहते हैं। यदि किसी फलन का ग्राफ सतत रूप से खींचा जा सकता है तो इसे सतत फलन कहते हैं। सतत फलन. का ग्राफ बिना पेन्सिल उठाए खींचा जा सकता है।

प्रश्न 24.
रैखिक माँग वक्र की सहायता से माँग की लोच की अवधारणा स्पष्ट करो।
उत्तर:
माना रैखिक माँग वक्र q = a – bp
माँग वक्र के बिन्दु पर प्रति इकाई कीमत में परिवर्तन के कारण माँग में परिवर्तन की माप ∆𝑞∆𝑝 = -b
माँग की लोच = ∆𝑞∆𝑝 × 𝑝𝑞 = -b × 𝑝𝑞 (∆𝑞∆𝑝 = -b रखने पर)
= 𝑏𝑝𝑎−𝑏𝑝 (q = a – bp का मान रखने पर) इससे स्पष्ट है कि माँग वक्र के विभिन्न बिन्दुओं पर माँग की लोच भिन्न होती है। p = 0 पर, माँग की लोच = 0 q = 0 पर, माँग की लोच = a (अनन्त)
p = 𝑎2𝑏 पर, माँग की लोच = 1
शून्य से अधिक व 𝑎2𝑏 से कम कीमत पर, माँग की लोच इकाई से कम है। अधिक कीमत पर माँग की लोच इकाई से अधिक होती है।

प्रश्न 25.
माँग की लोच की परिभाषा लिखो। इसे ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप वस्तु की माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन तथा वस्तु कीमत में प्रतिशत परिवर्तन के अनुपात को माँग की लोच कहते हैं। अन्य शब्दों में, कीमत में परिवर्तन के कारण वस्तु की माँगी गई मात्रा में प्रतिक्रियात्मक परिवर्तन की माप को माँग की लोच कहते हैं।

प्रश्न 26.
माँग की कीमत लोच एक शुद्ध संख्या है और इसका मान उन इकाइयों पर निर्भर करता है जिसके द्वारा वस्तु की कीमत तथा मात्रा को मापा जाता है।
उत्तर:
माना मुद्रा की इकाई रुपया और मात्रा की इकाई किलोग्राम है।
कीमत P0Rs/Kg पर माँगी गई मात्रा q0 किग्रा. तथा कीमत p1 Rs/Kg होने पर माँगी गई 1 मात्रा q1 किग्रा. हो जाती है।
वस्तु की कीमत में परिवर्तन = P1 रु./किग्रा. – P0 रु./किग्रा. = (p1 – p0) रु./किग्रा.

इसमें कोई इकाई नहीं है। अत: यह एक शुद्ध संख्या है जो वस्तु की कीमत व मात्रा की इकाइयों से प्रभावित नहीं होती है।

प्रश्न 27.
(10, 0) व (0, 10) बण्डलों को लीजिए। दोनों बण्डलों का भारित औसत ज्ञात करो जब प्रथम बण्डल को 60 प्रतिशत तथा दूसरे बण्डल को 40 प्रतिशत भार प्रदान किया जाए।
औसत बण्डल = [10 × 610 + 0 × 410, 0 × 610 + 10 × 410] = [6 + 0, 0 + 4] = (6, 4)
उत्तर:
औसत बण्डल है, 6, 4

प्रश्न 28.
दो बण्डल (1,6) व (6,1) लीजिए। यदि दोनों बण्डलों को समान भार दिया जाए तो औसत भारित बण्डल की गणना करो।
उत्तर:
यदि दोनों बण्डलों को समान भार प्रदान किए जाते हैं तो औसत भारित बण्डल होगा –
= (12x1 + 12y1 + 12x2 + 12y2) = 1+6/26+1/2 = (72, 72 = (3.5, 3.5)
औसत भारित माध्य का बण्डल = (3.5, 3.5)

प्रश्न 29.
वस्तु की माँग लोच तथा उस व्यय के बीच सम्बन्ध का आंकलन करो एवं माँग की लोच ज्ञात करो।
उत्तर:
माना कीमत 5 रु./किग्रा. होने पर वस्तु की माँग = q किग्रा
तथा (p + ∆p) रु./किग्रा. कीमत पर वस्तु की माँग = (q + ∆q) किग्रा
कीमत p रु./किग्रा. पर वस्तु की खरीद पर कुल व्यय = pq रु.
कीमत (p + ∆p) रु./किग्रा. पर वस्तु की खरीद पर कुल व्यय
= (p + ∆p) (q + ∆q)
=pq + p∆q + q∆p + ∆p.∆q
कीमत p रु./किग्रा. से p + ∆p रु./किग्रा. होने पर वस्तु की खरीद पर व्यय में परिवर्तन
∆E = pq+ p.∆q + q.∆p + ∆p.∆q – pq = p.∆q + q.∆p + ∆p.∆q
= p.∆q + q.∆p (कम मूल्यों के लिए ∆p.∆q का मान नगण्य होता है)

प्रश्न 30.
माना एक उपभोक्ता बण्डलों (10, 0) व (0, 10) के बारे में उदासीन है। यदि उपभोक्ता की पसन्द उत्तलोदर है तो बण्डलों (6, 4) व (6, 6) की तुलना में उक्त बण्डलों को क्या कोटि क्रम प्रदान करेगा।
उत्तर:
उपभोक्ता बण्डलों (10, 0) एवं (0, 10) के मध्य उदासीन रहेगा। दोनों बण्डलों में से प्रत्येक बण्डल में एक ही वस्तु उपभोग के लिए उपलब्ध है। वे बण्डल जिनमें प्रत्येक वस्तु की धनात्मक मात्रा उपलब्ध है वे एक वस्तु की शून्य मात्रा वाले बण्डल से ज्यादा पसन्द किए जाते हैं। अर्थात् बण्डल (6, 4) तथा (6, 6) वाले बण्डलों को (10, 0) एवं (0, 10) की तुलना में ज्यादा वरीयता दी जायेगी। दिए बण्डलों को निम्नांकित कोटियाँ प्रदान की जायेगी।

प्रश्न 31.
माना एक उपभोक्ता बण्डलों (8, 2) व (2,8) के बारे में उदासीन है। यदि उपभोक्ता की पसन्द उत्तलोदर है तो बण्डल (5,5) की तुलना में उक्त बण्डलों को क्या कोटि प्रदान करेगा?
उत्तर:
औसत बण्डल = [(x1 + y1) w2, (x2 + y2) w1]
(5, 5) = [(8 + 2) w2, (2 + 8) w1]
अथवा 10w2 = 5 अथवा w2 = 510 = 12 एवं 10w1 = 5
w1 = 510 = 12
वह इन दोनों बण्डलों को समान कोटि प्रदान करेगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
माँग वक्र का ढाल दायीं ओर ऋणात्मक क्यों होता है?
उत्तर:
निम्नांकित कारणों से माँग वक्र का ढाल दायीं ओर ऋणात्मक होता है –
1. सीमान्त उपयोगिता ह्रास नियम:
यह नियम माँग के नियम को बहुत अधिक प्रभावित करता है। एक विवेकशील उपभोक्ता किसी वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता के आधार पर ही वस्तु की कीमत देने को तैयार होता है। इस नियम के अनुसार प्रत्येक अगली इकाई से सीमान्त उपयोगिता घटती दर से प्राप्त होती है। अतः उपभोक्ता भी प्रत्येक अगली इकाई के लिए कम कीमत देने को तैयार होता है। इसीलिए वस्तु की माँग व उसकी कीमत में विपरीत सम्बन्ध होता है।

2. आय प्रभाव:
आय प्रभाव से अभिप्राय उपभोक्ता की वास्तविक आय में परिवर्तन से है। किसी वस्तु की कीमत में कमी होने पर मुद्रा की क्रय शक्ति बढ़ जाती है। अतः मुद्रा की नियत इकाइयों से उपभोक्ता कम कीमत पर वस्तु की अधिक इकाइयाँ क्रय कर सकता है। अर्थात् वस्तु की कीमत कम होने पर उपभोक्ता उस वस्तु की अधिक इकाइयाँ क्रय कर सकता है। इसके विपरीत वस्तु की कीमत बढ़ने पर मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है अर्थात् ऊँची कीमत पर वास्तविक आय घट जाती है और उपभोक्ता मुद्रा की निश्चित मात्रा में वस्तु की कम इकाइयाँ क्रय कर पाता है। इस प्रकार आय प्रभाव वस्तु की माँग एवं कीमत में विपरीत सम्बन्ध को जन्म देता है।

3. प्रतिस्थापन प्रभाव:
यदि किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती है तो सापेक्ष रूप से प्रतिस्थापन वस्तु सस्ती लगने लगती है उपभोक्ता वस्तु के स्थान पर प्रतिस्थापन वस्तु का उपभोग बढ़ा सकता है। इसके विपरीत वस्तु की कीमत कम होने पर प्रतिस्थापन वस्तु महंगी लगने लगती है और उपभोक्ता प्रतिस्थापन वस्तु के स्थान पर वस्तु का उपभोग बढ़ा सकता है। जैसे कॉफी की कीमत घटने पर चाय की माँग कम हो जाती है तथा इसके विपरीत कॉफी की कीमत बढ़ने पर चाय की माँग बढ़ जाती है।

4. वस्तु की विविध उपयोग:
कुछ वस्तुओं के विविध उपयोग होते हैं। जैसे दूध का उपयोग दही, पनीर, चाय आदि बनाने में होता है। यदि ऐसी वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है तो इसके उपयोगों की संख्या कम हो जाती है अर्थात् ऊँची कीमत पर वस्तु की माँग कम हो जाती है। इसके विपरीत यदि ऐसी वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो उपभोगों की संख्या बढ़ जाती है या वस्तु की माँग बढ़ जाती है।

5. उपभोक्ता की संख्या में परिवर्तन:
यदि किसी वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो इस वस्तु की उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ जाती है क्योंकि कीमत घटने पर नए उपभोक्ता जो पहले वस्तु का उपभोग नहीं करते थे, वस्तु का उपभोग कर सकते हैं। इसके विपरीत कीमत बढ़ने पर कुछ उपभोक्ताओं की पहुँच से वस्तु का उपभोग बाहर हो सकता है अर्थात् वे वस्तु का उपभोग नहीं कर पाते हैं। उपभोक्ताओं की संख्या में परिवर्तन के कारण भी वस्तु की कीमत व माँग में विपरीत सम्बन्ध होता है।

प्रश्न 2.
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक समझाइए।
उत्तर:
माँग की लोच को प्रभावित करने वाले कारक:

1. निकट प्रतिस्थापन वस्तुओं की उपलब्धता:
जिस वस्तु की जितनी अधिक निकट प्रतिस्थापन वस्तुएँ बाजार में उपलब्ध होती है उसकी माँग लोच उतनी ही ज्यादा होती है। पेप्सी, कोक, थम्स अप आदि एक-दूसरे की निकट प्रतिस्थापन वस्तु है। इसलिए इनकी माँग की लोच ऊँची होती है।

2. वस्तु की विविध उपयोग:
जिस वस्तु को जितने अधिक उपयोगों में प्रयोग किया जा सकता है उसकी माँग उतनी ज्यादा लोचदार होती है उदाहरण के लिए दूध व बिजली के प्रयोगों की संख्या ज्यादा होती है इसलिए इनकी माँग लोचदार होती है। दूसरी ओर जिन वस्तुओं के उपयोगों की संख्या कम होती है उनकी माँग बेलोचदार होती है।

3. कुल व्यय में अनुपात:
यदि किसी वस्तु पर होने वाले व्यय का अनुपात कम होता है तो माँग बेलोचदार तथा यदि किसी वस्तु पर होने वाले व्यय का अनुपात अधिक होता है तो उस वस्तु की माँग लोचदार होती है।

4. उपभोक्ता की आदत:
यदि उपभोक्ता किसी वस्तु के उपभोग का आदि हो जाता है तो उस वस्तु की माँग बेलोचदार होती है क्योंकि उपभोग का आदि होने पर उपभोक्ता उस वस्तु का उपभोग किए बगैर नहीं रह सकता है। अतः कीमत परिवर्तन का वस्तु की माँग पर कम प्रभाव पड़ता है।

5. फैशन:
जिन वस्तुओं की माँग उपभोक्ता फैशन के लिए अथवा दिखावे के लिए करता है उनकी माँग कम लोचदार होती है।

6. उपभोग स्थगन:
जिन वस्तुओं के उपभोग को उपभोक्ता कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है उनकी माँग लोचदार होती है तथा जिन वस्तुओं का उपभोग भविष्य के लिए स्थगित नहीं किया जा सकता है उनकी माँग बेलोचदार होती है।

प्रश्न 3.
वस्तु की माँग की लोच का महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
वस्तु की माँग की लोच की अवधारणा, उत्पादक व सरकार सभी के लिए महत्त्वपूर्ण है। जे. एम. कीन्स ने माँग की लोच के महत्त्व को उजागर करते हुए बताया था कि मांग का लोच की अवधारणा में प्रो. मार्शल का बहुत बड़ा योगदान है। माँग की लोच के महत्त्व को नीचे स्पष्ट किया गया है –

1. उत्पादक के लिए महत्त्व:
प्रत्येक उत्पादक अपने उत्पाद को बेचने के लिए कीमत का निर्धारण करता है। वस्तु की कीमत निर्धारित करने में माँग की लोच का बहुत महत्त्व होता है। यदि वस्तु की माँग बेलोचदार है तो उत्पादक वस्तु की ऊँची कीमत तय करके ज्यादा लाभ कमा सकता है इसके विपरीत माँग लोचदार होने पर वस्तु की कम कीमत तय करके ज्यादा लाभ कमा सकता है।

2. वित्त मंत्री के लिए महत्त्व:
माँग की लोच को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री कर लगता है। अधिक कर राजस्व एकत्र करने के लिए वित्त मंत्री बेलोचदार माँग वाली वस्तुओं पर अधिक कर तथा लोचदार माँग वाली वस्तुओं पर कम कर लगा सकता है। इसके अतिरिक्त समाज कल्याण करने के लिए अनिवार्य वस्तुओं पर कम कर तथा विलासिताओं पर ज्यादा कर लगा कर अधिक जनकल्याण कर सकता है।

3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्व:
विदेशी बाजार में जिन वस्तुओं की माँग बेलोचदार होती है उनकी ऊँची कीमत तथा ज्यादा निर्यात करके तथा जिन वस्तुओं की माँग विदेशी बाजार में लोचदार होती है उनको कम कीमत पर निर्यात करके एक देश विदेशी व्यापार के जरिए ज्यादा लाभ कमा सकता है।

4. साधन आगतों की कीमत निर्धारण में उपयोगी:
साधन आगतों की कीमत निर्धारण में माँग की लोच महत्त्वपूर्ण होती है। जिन साधन आगतों की माँग लोचदार होती है उनकी कीमत कम तथा जिन साधनों की माँग बेलोच होती है उनकी ऊँची कीमत तय की जाती है।

प्रश्न 4.
I. व्यक्तिगत माँग तथा बाजार माँग में भेद स्पष्ट करें।
II. वस्तु की बाजार माँग को प्रभावित करने वाले कारक लिखो।
उत्तर:
I. व्यक्तिगत माँग एवं बाजार माँग-किसी निश्चित समय व निश्चित कीमत पर एक व्यक्तिगत उपभोक्ता द्वारा वस्तु की क्रय की गई मात्रा को वस्तु की व्यक्तिगत माँग कहते हैं। किसी निश्चित कीमत व निश्चित समय पर बाजार में मौजूद सभी क्रेताओं द्वारा क्रय की गई वस्तु की मात्राओं के योग को बाजार माँग कहते हैं।

II. बाजार माँग को प्रभावित करने वाले कारक –
1. वस्तु की कीमत:
वस्तु की बाजार माँग, वस्तु की अपनी कीमत से बहुत ज्यादा प्रभावित होती है। किसी वस्तु की कीमत जितनी ऊँची होती है उसकी बाजार माँग उतनी कम होती है। इसके विपरीत वस्तु की कीमत जितनी कम होती है उसकी बाजार माँग उतनी ज्यादा होती है।

2. उपभोक्ताओं की संख्या:
बाजार में किसी वस्तु के जितने अधिक क्रेता होते हैं उसकी बाजार माँग उतनी ज्यादा होती है। इसके विपरीत किसी वस्तु के जितने कम उपभोक्ता होते हैं उसकी बाजार माँग उतनी कम होती है।

3. आय का वितरण:
वस्तु की बाजार माँग पर आय वितरण का भी प्रभाव पड़ता है। आय का वितरण जितना अधिक समान होगा बाजार माँग उतनी ज्यादा होगी। इसके विपरीत आय के वितरण में जितनी अधिक असमानता होगी बाजार माँग उतनी कम होगी।

4. जलवायु एवं मौसम:
यदि जलवायु एवं मौसम किसी वस्तु के उपभोग के लिए अनुकूल होते हैं तो उस वस्तु की बाजार माँग ज्यादा होती है। जलवायु एवं मौसम प्रतिकूल होने पर वस्तु की बाजार माँग घट जाती है।

5. राष्ट्रीय आय का स्तर:
अर्थव्यवस्था में यदि राष्ट्रीय आय का स्तर ऊँचा होता है तो वस्तु की बाजार माँग अधिक होती है इसके विपरीत राष्ट्रीय आय के निम्न स्तर पर बाजार माँग कम होती है।

प्रश्न 5.
वस्तु की माँग लोच की व्यय विधि को समझाइए।
उत्तर:
वस्तु पर किया गया व्यय वस्तु की क्रय की गई मात्रा तथा प्रति इकाई कीमत के गुणनफल के बराबर होती है। वस्तु की माँग व कीमत में विपरीत सम्बन्ध होता है। वस्तु की कीमत में परिवर्तन से वस्तु पर होने वाला व्यय बढ़ेगा या घटेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि कीमत परिवर्तन की वस्तु की माँग पर प्रतिक्रिया कितनी है।

यदि माँग में प्रतिशत कमी, कीमत में प्रतिशत वृद्धि से ज्यादा होती है तो वस्तु पर होने वाला व्यय कम हो जायेगा। यदि माँग में प्रतिशत कमी, कीमत में प्रतिशत वृद्धि से ज्यादा होती है तो वस्तु पर होने वाला व्यय बढ़ जायेगा। यदि माँग में प्रतिशत कमी, कीमत में प्रतिशत वृद्धि के समान होती है तो वस्तु पर होने वाला व्यय समान रहेगा। इसी प्रकार कीमत में कमी होने पर, माँग में वृद्धि के कारण वस्तु पर व्यय में परिवर्तन को समझाया जा सकता है।

यदि वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से ज्यादा होता है, तो वस्तु की माँग लोचदार तथा यदि माँग में प्रतिशत परिवर्तन कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से कम होता है तो वस्तु की माँग बेलोचदार होती है।
यदि वस्तु पर होने वाला व्यय वस्तु की कीमत में परिवर्तन की समान दिशा में होता है तो माँग बेलोचदार तथा इसके विपरीत यदि वस्तु पर होने वाले परिवर्तन की दिशा, कीमत परिवर्तन की दिशा के विपरीत होता है तो माँग की लोच अधिक होती है। माँग की लोच को व्यय के आधार पर निम्न तालिका में दर्शाया गया है –

प्रश्न 6.
रैखिक माँग वक्र की सहायता से माँग की लोच ज्ञात करने की ज्यामितीय विधि समझाइए। .
उत्तर:
माँग वक्र के किसी बिन्दु पर माँग की लोच उस बिन्दु से नीचे माँग वक्र के रेखाखण्ड तथा ऊपर के रेखाखण्ड के अनुपात के बराबर होती है।
माना रैखिक माँग वक्र का समीकरण है q = a – bp
कीमत p0 पर वस्तु की माँग = q0 तथा कीमत P1 पर वस्तु की माँग = q1
कीमत में परिवर्तन ∆p = Op1 – Op0 = P0P1 = ce
माँग में परिवर्तन = Oq1 – Oq0 = q1q0 = cd

क्षैतिज अक्ष पर माँग की लोच = a; ऊर्ध्वाधर अक्ष पर माँग की लोच = 0 वक्र के मध्य बिन्दु पर माँग की लोच = 1

आंकिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक उपभोक्ता की कुल उपयोगिता अनुसूचि दी गई है। सीमान्त उपयोगिता ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

प्रश्न 2.
आइसक्रीम 20 रुपया प्रति इकाई पर बेची जाती है। मदन जो आइसक्रीम पसन्द करता है पहले 4 इकाइयों का उपभोग कर चुका है। उसकी एक रुपये की सीमान्त उपयोगिता 4 है। क्या मदन को और अधिक इकाइयों का उपभोग करना चाहिए या उपभोग बन्द कर देना चाहिए?
उत्तर:

अत: मदन सन्तुलन की अवस्था में पहुँच चुका है उसे आइसक्रीम का उपभोग बन्द कर देना चाहिए।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तालिका को पूरा करो –

उत्तर:

प्रश्न 4.
तीन उपभोक्ताओं मदन, मोहन एवं सोहन की माँग अनुसूची नीचे दी गई है, बाजार माँग की गणना करो –

उत्तर:

प्रश्न 5.
8 रुपये प्रति इकाई कीमत पर एक वस्तु की माँगी गई मात्रा 500 इकाइयाँ हैं। इसकी कीमत गिरकर 6 रुपये/इकाई होने पर वस्तु की माँग 700 इकाइयाँ हो जाती है। वस्तु की माँग की लोच ज्ञात करो।
उत्तर:

माँग की लोच = -1.6

प्रश्न 6.
5 रुपये/इकाई कीमत पर एक उपभोक्ता किसी वस्तु की 50 इकाइयाँ क्रय करता है। जब इसकी कीमत 25% बढ़ जाती है तो इसकी माँग गिरकर 20 इकाइयाँ रह जाती है। माँग की लोच की गणना करो।
उत्तर:
आरम्भिक माँगी गई मात्रा = 50 इकाइयाँ
5 रु./इकाई पर माँगी गई मात्रा = 20 इकाइयाँ
माँगी गई मात्रा में परिवर्तन = 20 – 50 इकाइयाँ = – 30 इकाइयाँ
माँग में प्रतिशत परिवर्तन = −3050 × 100% = – 60%
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 25% (दिया गया है)

= −6025 = −125 = -2.4
माँग की लोच = -2.4

प्रश्न 7.
वस्तु की माँग की लोच 2 है। कीमत में प्रतिशत परिवर्तन 15 है। वस्तु की माँगी गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन ज्ञात करो।
उत्तर:


eD = 2
प्रतिशत कीमत में परिवर्तन = 15 माना
वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन = x
सूत्र के अनुसार = 21 = 𝑥15 अथवा x = 15 × 2 = 30
वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन = 30

प्रश्न 8.
एक वस्तु की कीमत 5 रु./इकाई से कम होकर 4 रु./इकाई हो जाती है। कीमत परिवर्तन के कारण वस्तु की माँग 100 इकाइयों से बढ़कर 125 इकाइयाँ हो जाती है। कुल व्यय विधि के द्वारा माँग की लोच की गणना करो।
उत्तर:

प्रश्न 9.
5 रु./इकाई कीमत पर एक उपभोक्ता वस्तु 40 इकाइयाँ क्रय करता है। इस वस्तु की माँग की लोच – (1.5)। वह 4 रु./इकाई कीमत पर वस्तु की कितनी इकाइयाँ क्रय करेगा?
उत्तर:
p0 = 5 रुपये, p1 = 4 रुपये, q0 = 40 इकाइयाँ, q1 = ?
कीमत में परिवर्तन ∆p = p1 – p0 = 4 – 5 = -1
माँगी गई मात्रा में परिवर्तन = q1 – q0 = q1 – 40

अथवा q1 – 40 = -1.5 × -8; q1 – 40 = 12.0
अथवा q1 = 12 + 40 अथवा q1 = 52
4 रुपये प्रति इकाई कीमत पर उपभोक्ता 52 इकाइयाँ खरीदेगा।

प्रश्न 10.
एक उपभोक्ता के पास 40 रुपये है। वस्तु x तथा y की कीमत 8 रु./इकाई है। उपभोक्ता के लिए वहनीय सभी बण्डलों को लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता के लिए वहनीय बण्डल –
(0,0), (0, 1), (0,2), (0, 3), (0,4),(0,5), (1,0), (2,0), (3,0), (4,0), (5,0), (1, 1), (1,2), (1,3), (1,4), (2, 1), (3, 1),(4,1), (2.2), (2,3) और (3,2)
उपभोक्ता x तथा y वस्तुओं के वे सभी बण्डल क्रय कर सकता है जिनकी लागत 40 रुपये से कम या 40 रुपये के समान है। जिन बण्डलों की कीमत 40 रुपये से अधिक होगी उपभोक्ता उन्हें नहीं खरीद सकती है।

प्रश्न 11.
नीचे उपभोक्ता को उपलब्ध कुछ बण्डल दिए गए हैं। उपभोक्ता की वरीयता/अभिरुचि के आधार पर इन बण्डलों को क्रम प्रदान करें।
उपलब्ध बण्डल:
(3, 3), (1, 5), (5, 1), (4, 1), (1, 4), (3, 2), (2, 3), (1, 3), (3, 1), (2, 2), (1, 2), (2, 1), (1, 1), (0,0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0, 4),(0, 5), (0, 6), (1, 0), (2, 0), (3, 0), (4, 0), (5, 0),(6, 0)
उत्तर:

प्रश्न 12.
10 रु./इकाई कीमत पर एक वस्तु की माँग 40 इकाइयाँ है। इसकी माँग लोच (-) 1 है। इसकी कीमत 2 रुपये प्रति इकाई गिर जाती है। नई कीमत पर माँगी गई मात्रा ज्ञात करो।
उत्तर:
आरम्भिक कीमत P0 = 10 रुपये, कीमत में परिवर्तन ∆p = 2
माना, माँगी गई मात्रा में परिवर्तन = ∆q

नई कीमत पर माँगी गई मात्रा = 40 + 8 = 48 इकाइयाँ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक विवेकशील उपभोक्ता हमेशा चयन करता है –
(A) बजट समुच्चय में से सर्वाधिक पसन्दीदा बण्डल
(B) बजट समुच्चय में से न्यूनतम पसन्दीदा बण्डल
(C) या तो सर्वाधिक पसन्दीदा या न्यूनतम पसन्दीदा बण्डल
(D) न तो सर्वाधिक पसन्दीदा न ही न्यूनतम पसन्दीदा बण्डल
उत्तर:
(A) बजट समुच्चय में से सर्वाधिक पसन्दीदा बण्डल

प्रश्न 2.
उदासीन वक्र मूल बिन्दु की ओर उन्नत्तोदर होता है यदि उपभोक्ता?
(A) चरम मूल्यों को औसतों की तुलना में पसन्द करता है
(B) औसत मूल्यों को चरम मूल्यों की तुलना में पसन्द करता है
(C) या तो चरम मूल्य या औसत मूल्य पसन्द करता है
(D) न तो चरम मूल्य, न औसत मूल्य पसन्द करता है
उत्तर:
(B) औसत मूल्यों को चरम मूल्यों की तुलना में पसन्द करता है

प्रश्न 3.
उपभोक्ता की अभिरुचियों को दर्शाया जा सकता है –
(A) उदासीन नक्शे के द्वारा
(B) केवल उपयोगिता द्वारा
(C) उदासीन नक्शे एवं उपयोगिता दानों के द्वारा
(D) न तो उदासीन नक्शे द्वारा न उपयोगिता द्वारा
उत्तर:
(B) केवल उपयोगिता द्वारा

प्रश्न 4.
सामान्यतः माँग वक्र होता है –
(A) धनात्मक ढाल वाला
(B) x – अक्ष के समान्तर क्षैतिज रेखा
(C) y – अक्ष के समान्तर ऊर्ध्वाधर
(D) ऋणात्मक ढाल वाला
उत्तर:
(D) ऋणात्मक ढाल वाला

प्रश्न 5.
सामान्य वस्तु की माँग घटती है –
(A) उपभोक्ता की आय में वृद्धि
(B) उपभोक्ता की आय समान रहे
(C) या तो उपभोक्ता की आय बढ़ती है या घटती है
(D) उपभोक्ता की आय में कमी
उत्तर:
(D) उपभोक्ता की आय में कमी

प्रश्न 6.
घटिया वस्तु की माँग में वृद्धि होती है जब उपभोक्ता की आय –
(A) बढ़ती है
(B) या तो बढ़ती है या घटती है
(C) न तो बढ़ती है न कम होती है
(D) घटती है
उत्तर:
(D) घटती है

प्रश्न 7.
वस्तु की विभिन्न कीमतों पर बाजार माँग वक्र दर्शाता है।
(A) एक उपभोक्ता की माँग
(B) बाजार में सभी उपभोक्ताओं की माँग का योग
(C) एक उपभोक्ता एवं बाजार के सभी उपभोक्ताओं की माँग
(D) न तो एक उपभोक्ता की माँग न सभी उपभोक्ताओं की माँग
उत्तर:
(B) बाजार में सभी उपभोक्ताओं की माँग का योग

प्रश्न 8.
वस्तु की माँग की लोच की परिभाषा है –
(A) वस्तु की माँग का व्युत्क्रम
(B) वस्तु की माँग व कीमत का योग
(C) वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन व वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात
(D) वस्तु की माँग व कीमत का अन्तर
उत्तर:
(C) वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन व वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात

प्रश्न 9.
उपभोक्ता का सर्वोत्तम सन्तुष्टि वाला बिन्दु स्थित होता है –
(A) बजट रेखा व उदासीन वक्र के कटाव बिन्दु पर
(B) बजट रेखा व उदासीन वक्र के स्पर्श बिन्दु पर
(C) या तो बजट रेखा व उदासीन वक्र के कटाव बिन्दु पर या स्पर्श बिन्दु पर
(D) न तो बजट रेखा व उदासीन वक्र के कटाव बिन्दु पर न स्पर्श बिन्दु पर
उत्तर:
(B) बजट रेखा व उदासीन वक्र के स्पर्श बिन्दु पर

प्रश्न 10.
एक उदासीन वक्र होता है –
(A) उन सभी बण्डलों का बिन्दु पथ जिनके लिए उपभोक्ता उदासीन होता है
(B) उन सभी बण्डलों का बिन्दु पथ जिनके लिए उपभोक्ता वरीयता क्रम प्रदान करता है
(C) बजट रेखा के बाहर बण्डलों का बिन्दु पथ
(D) बजट रेखा के अन्दर बण्डलों का बिन्दु पथ
उत्तर:
(B) उन सभी बण्डलों का बिन्दु पथ जिनके लिए उपभोक्ता वरीयता क्रम प्रदान करता है


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