BSEB Class 12 Geography Human Development Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Human Development Book Answers |
Bihar Board Class 12th Geography Human Development Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 12th |
Subject | Geography Human Development |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 12th Geography Human Development Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक (2005) के संदर्भ में विश्व के देशों में भारत की निम्नलिखित में से कौन-सी कोटि थी?
(क) 126
(ख) 128
(ग) 127
(घ) 129
उत्तर:
(ख) 128
प्रश्न 2.
मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक की कोटि उच्चतम है?
(क) तमिलनाडु
(ख) केरल
(ग) पंजाब
(घ) हरियाणा
उत्तर:
(ग) पंजाब
प्रश्न 3.
भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है?
(क) जन्मू और कश्मीर
(ख) झारखंड
(ग) अरुणाचल प्रदेश
(घ) बिहार
उत्तर:
(घ) बिहार
प्रश्न 4.
भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में 0-6 आयु वर्ग के बच्चों में लिंग अनुपात निम्नतम है?
(क) गुजरात
(ख) पंजाब
(ग) हरियाणा
(घ) हिमाचल प्रदेश
उत्तर:
(ग) हरियाणा
प्रश्न 5.
भारत के निम्नलिखित केंद्र-शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है?
(क) लक्षद्वीप
(ख) दमन और दीव
(ग) चंडीगढ़
(घ) अंडमान और निकोबार द्वीप
उत्तर:
(क) लक्षद्वीप
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
प्रश्न 1.
मानव विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तिकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
प्रश्न 2.
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो प्रमुख कारण:
- साक्षरता
- गरीबी
प्रश्न 3.
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए।
उत्तर:
भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण:
- सामाजिक दृष्टिकोण
- लिंग-निर्धारण की वैज्ञानिक विधियाँ
(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
प्रश्न 1.
भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए।
उत्तर:
ज्ञान और मुक्ति का रास्ता साक्षरता से होकर जाता है। भारत में स्त्री साक्षरों का प्रतिशत दर्शाती तालिका 3.3 कुछ रोचक विशेषताओं को उजागर करती है –
1. भारत में कुल साक्षरता लगभग 65.4 प्रतिशत है जबकि स्त्री साक्षरता 54.16 प्रतिशत है।
2. दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल साक्षरता और महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची है।
3. भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पाई जाती है। यहाँ बिहार जैसे राज्य भी हैं जहाँ बहुत कम (47.53 प्रतिशत) साक्षरता है और केरल और मिजोरम जैसे राज्य भी हैं जिनमें साक्षरता दर क्रमश: 90.92 प्रतिशत और 88.49 प्रतिशत है।
स्थानिक भिन्नताओं के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों और स्त्रियों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, कृषि मजदूरों इत्यादि जैसे हमारे समाज में सीमांत वर्गों में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है। यहाँ पर उल्लेखनीय है कि यद्यपि सीमांत वर्गों में साक्षरों का प्रतिशत सुधरा है तथापि धनी और सीमांत वर्गों की जनसंख्या के बीच अंतर समय के साथ बढ़ा है।
प्रश्न 2.
भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है?
उत्तर:
भारत के 15 राज्यों में मानव विकास के स्तरों में स्थानिक भिन्नता उत्पन्न करने वाले अनेक कारण जैसे-सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं। केरल के मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मूल्य इसके द्वारा 2001 में शत-प्रतिशत के आस-पास (90.92 प्रतिशत) साक्षरता दर को प्राप्त करने के लिए किए गए प्रभावी कार्यशीलता के कारण है। एक अलग दृश्य में बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे निम्न साक्षरता वाले राज्य हैं।
उदाहरणत: बिहार में इसी वर्ष (2001) में कुल साक्षरता दर बहुत निम्न (60.32 प्रतिशत) थी। उच्चतर कुल साक्षरता दर्शाने वाले राज्यों में पुरुष और स्त्री साक्षरता के बीच कम अंतर पाया गया है। केरल में यह अंतर 6.34 प्रतिशत है जबकि बिहार में यह 26.75 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 25.95 प्रतिशत है। शैक्षिक उपलब्धियों के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है। आर्थिक दृष्टि से विकसित महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों के मानव विकास सूचकांक का मूल्य असम, बिहार, मध्य प्रदेश इत्यादि राज्यों की तुलना में ऊँचा है।
Bihar Board Class 12 Geography मानव विकास Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
मानव विकास सूचकांक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानव विकास के मापन के लिए जिस मापक का प्रयोग किया जाता है। उसे मानव सूचकांक कहते हैं। जैसे –
- दीर्घ जीविता
- ज्ञान आधार और
- उच्च जीवन स्तर मुख्य मानव सूचकांक हैं।
प्रश्न 2.
‘मानव विकास’ के संकेतकों के तीन समूहों के नाम बताइए।
उत्तर:
स्वास्थ्य संकेतक, सामाजिक संकेतक तथा आर्थिक संकेतक मानव विकास के संकेतक हैं।
प्रश्न 3.
मानव विकास में विश्व में भारत का क्या स्थान है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 172 देशों के लिए विकसित मानव विकास सूचकांक में भारत का 127वाँ स्थान है। भारत को मध्यम विकास के देशों में स्थान मिला है।
प्रश्न 4.
विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विकास का अर्थ-लोगों के रहन-सहन के स्तर एवं मानव कल्याण की सामान्य दशाओं को बढ़ावा देना।
प्रश्न 5.
प्रदेश क्या है?
उत्तर:
वह भू-भाग जिसमें भौगोलिक दशाओं की समानता तथा विकास सम्बन्धी समस्याओं की समरूपता हो।
प्रश्न 6.
विकास का मुख्य लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
विकास का मुख्य लक्ष्य, मानव जीवन की समृद्धि है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 7.
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा क्या है?
उत्तर:
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा 6 से 11 वर्ष है। कुछ छात्र इस आयु सीमा से अधिक या कम आयु के हैं।
प्रश्न 8.
सामाजिक संकेतक किस प्रकार मानव विकास को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
शिक्षा मानव विकास संसाधन का प्रमुख घटक है। यह लोगों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाल सकता है।
प्रश्न 9.
किन राज्यों में साक्षरता की दर सर्वाधिक है?
उत्तर:
राज्यों तथा केन्द्र-शासित प्रदेशों में शिक्षा की दर सर्वाधिक है। ये राज्य हैं-केरल, मिजोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़, पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन व दीप। इनमें केरल सर्वप्रथम स्थान पर है। यहाँ साक्षरता दर 90.92% है।
प्रश्न 10.
विकास से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
विकास सामान्य रूप से और मानव विकास विशेष रूप से सामाजिक विज्ञानों में प्रयुक्त होने वाली एक जटिल संकल्पना है।
प्रश्न 11.
पर्यावरण को प्रभावित करने वाले तत्त्वों के विश्लेषण के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
I = PAT इसमें I = पर्यावरणीय प्रभाव
P= जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी
प्रश्न 12.
भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर कौन-से राज्यों में पाई जाती है?
उत्तर:
भारत में सर्वोच्च साक्षरता दर केरल और मिजोरम जैसे राज्यों में क्रमश: 90.92 प्रतिशत और 88.49 प्रतिशत पाई जाती है।
प्रश्न 13.
भारत में सबसे कम साक्षरता दर कौन-से राज्य में पाई जाती है?
उत्तर:
बिहार राज्य में सबसे कम 47.53 प्रतिशत साक्षरता दर पाई जाती है।
प्रश्न 14.
भारत में कुल साक्षरता और स्त्री साक्षरता कितनी है?
उत्तर:
भारत में कुल साक्षरता लगभग 65.4 प्रतिशत है। जबकि स्त्री साक्षरता 54.16 प्रतिशत है।
प्रश्न 15.
भारत में किस राज्य का मानव विकास सूचकांक कोटिक्रम में सर्वोच्च है?
उत्तर:
केरल कोटिक्रम में सर्वोच्च है।
प्रश्न 16.
गरीबों में सामर्थ्य के गिरावट के लिए कौन-सी तीन अंतर्संबंधित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं?
उत्तर:
- सामाजिक सामर्थ्य में कमी विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बंधन।
- पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी प्रदूषण के कारण।
- व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी बढ़ती बीमारियों और दुर्घटनाओं के कारण।
प्रश्न 17.
UNDP का हिंदी अनुवाद क्या है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) (यूनाईटिड नेशन डेवलपमैन्ट प्रोग्राम)।
प्रश्न 18.
मानव विकास की कुंजी क्या है?
उत्तर:
भूख, गरीबी, दासता, बंधुआकरण, अज्ञानता, निरक्षरता और किसी अन्य प्रकार की प्रबलता से मुक्ति मानव विकास की कुंजी है।
प्रश्न 19.
भारत में किस राज्यों के बच्चों का लिंग अनुपात नहीं घटा है?
उत्तर:
केरल को छोड़कर सभी राज्यों के बच्चों का लिंग अनुपात घटा है।
प्रश्न 20.
हरियाणा राज्य के बच्चों का लिंग अनुपात कितना है?
उत्तर:
प्रति हजार बालकों की तुलना में 800 बालिकाओं से भी नीचे है।
प्रश्न 21.
1999 के आँकड़ों के अनुसार भारत में 1951 की तुलना में मृत्युदर कितनी है?
उत्तर:
1999 में 8.1 प्रतिशत प्रति हजार जबकि 1951 में यह 25.1 प्रतिशत प्रति हजार थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारत में आर्थिक विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विकास का अंतिम लक्ष्य प्रगति है। आर्थिक विकास का अर्थ है आय बढ़ाना। आर्थिक उत्पादकता मानव विकास का अनिवार्य अंग है। आर्थिक विकास मानव प्रगति का एक साधन है। अर्थव्यवस्था और उत्पादकता में विकास का मूल्यांकन सकल राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय के द्वारा किया जा सकता है। 1950-1951 में सकल घरेलू उत्पाद स्थिर कीमत (1993-94) पर 1404.66 अरब रुपये था जो बढ़कर 1999-2000 में 11485.00 अरब रुपये हो गया था।
इसी के अनुसार प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद स्थिर कीमत पर 1950-51 में 3687 रुपये था। जो बढ़कर 1999-2000 में 10,067.00 रुपये हो गया था। गरीबी उन्मूलन भार के आर्थिक विकास की कार्यनीति का अनिवार्य अंग रहा है नवीनतम आँकड़ों के अनुसार निर्धनता का अनुपात गाँवों में 27.09%, नगरों में 23.62% तथा सम्पूर्ण भारत में 26.10% है। 1999-2000 के अनुसार 26% लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं।
प्रश्न 2.
मानव विकास प्रक्रिया में शिक्षा का क्या स्थान है? व्याख्या करो।
उत्तर:
शिक्षा सामाजिक संकेतक का अंग है। शिक्षा को सर्वत्र मानव संसाधन का प्रमुख घटक माना गया है। लोगों के लिए साक्षरता का न्यूनतम निश्चित स्तर अनिवार्य है। यह लोगों को गरीबी के दुश्चक्र के बाहर निकालती है। इसलिए मानव विकास का मूल्यांकन साक्षरता संबंधित संकेतकों के संदर्भ में किया जाता है। शिक्षा मानव के जीवन स्तर को ऊँचा उठाकर विकास में योगदान देती है। शिक्षा और उच्च मानव जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 3.
मानव विकास का मापन किस आधार पर किया जाता है? व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव विकास का मापन एक व्यापक मापक द्वारा किया जाता है जिसे मानव सूचकांक कहते हैं। इसमें –
- दीर्घजीविका
- ज्ञान आधार और
- उच्च जीवन स्तर शामिल हैं।
भारत में (2001) में मानव विकास प्रतिवेदन तैयार किया गया। इसके लिए संकेतकों के तीन समूहों का चयन किया गया। मानव विकास सूचकांक मिश्रित सूचकांकों का केन्द्रीय समूह है। यह संपूर्ण समाज के मानव विकास की दशा को प्रदर्शित करता है। ये संकेतक इस प्रकार हैं –
1. स्वास्थ्य संकेतक:
इनमें दीर्घजीविका से सम्बन्धित जन्मदर, शिशु मृत्युदर के विशेष संदर्भ में मृत्युदर, पोषण तथा जन्म के समय जीवन प्रत्याशा है।
2. सामाजिक संकेतक:
इन संकेतकों में साक्षरता, विशेष रूप से स्त्री साक्षरता, स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन, विरत छात्र अनुपात, छात्र अध्यापक अनुपात शामिल हैं।
3. आर्थिक संकेतक:
इसमें वेतन, आय और रोजगार से सम्बन्धित विकास है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार, तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं।
प्रश्न 4.
आर्थिक विकास और मानव विकास की संकल्पनाओं में क्या अंतर है?
उत्तर:
आर्थिक विकास और मानव विकास दोनों में आधारभूत अंतर है। आर्थिक विकास में केवल आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है जबकि मानव विकास का अर्थ मानवीय विकल्पों के परिवर्धन पर बल देना है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास मानव विकास के मुख्य विकल्प हैं। इन सबके विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य है। आर्थिक विकास का मूल सिद्धांत विकास कार्यों में आय का सदुपयोग है न कि आय। इसी से मानवीय विकल्मों में वृद्धि होती है। किसी भी राष्ट्र की वास्तविक सम्पदा उसके लोग हैं। अत: मानव विकास होना चाहिए।
प्रश्न 5.
भारत में प्राथमिक स्तर पर नामांकन का प्रतिरूप बनाए।
उत्तर:
प्राथमिक स्तर (I-V) पर कुल नामांकन में भी 5.91 गुनी वृद्धि हुई है। 1950-51 में नामांकन 1.92 करोड़ था, जो बढ़कर 1999-2000 में 11.361 करोड़ हो गया है इसमें बालिकाओं के नामांकन में वृद्धि हुई है। 1950-51 में यह 28.1% था जो बढ़कर 1999-2000 में 43.6% हो गया है। उच्च प्राथमिक स्तरों (VI-VIII) पर कुल नामांकन बढ़ा है, जो इसी अवधि में 31 लाख से बढ़कर 4.206 करोड़ हो गया। नामांकन में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में बहुत असमानता है।
प्रश्न 6.
- आप अपने मोहल्ले के 7-10 वर्ष की आयु के बच्चों का इन सूचनाओं के अनुसार लड़के/लड़कियों किस कक्षा में पढ़ रहे/रहीं हैं और किसी विद्यालय में नहीं पढ़ रहे हैं-सर्वेक्षण कीजिए।
- इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
तालिका 3.6: भारत साक्षरता तथा प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन अनुपात साक्षरता अनुपात
टिप्पणी:
प्राथमिक स्तर (I-V) पर कुल नामांकन में भी 5.91 गुनी वृद्धि हुई है। 1950-51 में नामांकन 1.92 करोड़ था, जो बढ़कर 1999-2000 में 11.361 करोड़ हो गया है। इसमें लड़कियों के सापेक्षिक भाग में वृद्धि हुई है। 1950-51 में यह 28.1% था जो बढ़कर 1999-2000 में 43.6% हो गया। नामांकन के संदर्भ में राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में बहुत असमानता है। कुल नामांकन 100% से अधिक इसलिए है कि प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा (7 10 वर्ष) है। चण्डीगढ़ में लड़कों का नामांकन अनुपात (50.18) सबसे नीचा रहा। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों का अनुपात (64.97%) सबसे कम है तथा सिक्किम में (138.91%) सबसे अधिक है।
प्रश्न 7.
“विकास और पर्यावरण ह्रास, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।” यह उक्ति कहाँ तक सही है?
उत्तर:
धीरे-धीरे मानव ने प्राकृतिक बाधाओं को दूर करने की तकनीक खोज ली। जलवायु की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कपड़ों और आवास का उपभोग प्रारम्भ कर दिया तथा जीव-जन्तुओं का पालन तथा पेड़-पौधों को उगाना आरम्भ कर दिया। सामाजिक और आर्थिक संगठनों की प्रगति और प्रौद्योगिकी के विकास से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन द्वारा वस्तुओं के उत्पादन तथा सेवाओं के विकास की क्षमता में बहुत उन्नति हुई।
परिवहन के साधनों के विकास ने संसाधनों के दोहन की प्रक्रिया को तेज कर दिया। औद्योगिक क्रांति के साथ मानव ने अत्यधिक ज्ञान, कार्य-कुशलता, शक्ति और प्रौद्योगिकी विकसित कर ली। इसके द्वारा अब उसने प्रकृति पर नियंत्रण शुरू कर दिया तथा पदार्थों और ऊर्जा के साधनों का बड़े पैमाने पर दोहन प्रारंभ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों की समाप्ति, अभाव, अधिक शोषण और पर्यावरण ह्रास होने लगा। इस प्रकार मानव प्रकृति का विनाशक बन गया। पर्यावरण पर मानव का प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि मानव विकास और पर्यावरण बस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
प्रश्न 8.
पर्यावरण की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
उत्तर:
पर्यावरण की गुणवत्ता तीन कारकों पर निर्भर करती है –
- उपभोग किए गए संसाधनों की मात्रा तथा उत्पादन की प्रति इकाई के अनुसार प्रदूषण की उत्पत्ति।
- प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग।
- जनसंख्या का आकार। इन तत्त्वों के पर्यावरण पर प्रभाव के विश्लेषण के लिए एक सूत्र बनाया गया है –
I = PAT
I = पर्यावरणीय प्रभाव
P = जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी।
जनसंख्या के घनत्व और वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण का प्रमुख कारक है।
प्रश्न 9.
भारत में साक्षरता का वितरण मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
स्वास्थ्य संकेतक के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य संकेतक का मापन जन्मदर, मृत्युदर, पोषण और जन्म के समय जीवन प्रत्याशी के रूप में किया जाता है। मृत्युदर भारत में तेजी से घटी है। 1951 में मृत्युदर 25.1 थी लेकिन वह घटकर 1999 में 8.7 रह गई है। लेकिन जन्मदर में कोई कमी नहीं आई। 1999 में शिशु मृत्युदर सन् 1951 की तुलना में आधी रह गई है। चार वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर काफी घट गई है। 1971 में यह 51.9 प्रति हजार थी जो 1999 में 22.5 रह गई। अतः मृत्यु का खतरा जीवन की प्रत्येक अवस्था में घट गया। प्रजनन दर भी धीमी गति से घटी है। 1951 में यह 40.8 प्रति हजार थी जो 1999 में घटकर 26.1 रह गई। 1951 से 1999 तक जनांकिकीय संकेतकों का विवरण नीचे तालिका में दिया गया है।
तालिका: भारत-मानव विकास के चुने हुए स्वास्थ्य संकेतक –
प्रश्न 11.
भारत में सम्पूर्ण साक्षरता में प्रादेशिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
साक्षरता दर में अत्यधिक प्रादेशिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। बिहार में साक्षरता दर 47.53% है, जबकि केरल में 90.92% है। साक्षरता दर में केरल सबसे प्रथम स्थान पर है। लक्षद्वीप (87.52%) और मिजोरम (85.99%) दूसरे और तीसरे स्थान पर है। 9 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों-केरल, लक्षद्वीप, मिजोरम, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़ पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन तथा द्वीव में साक्षरता दर बहुत ऊँची (72% से अधिक है। 13 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में साक्षरता दर औसत से कम है। बिहार में साक्षरता दर (47.53%) सबसे कम है। जिन राज्यों में नगरीकरण अधिक हुआ है। वहाँ साक्षरता दर अधिक है। केरल में साक्षरता दर अधिक है उसका कारण है-सजग प्रशासन, गैर कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात तथा पारंपरिक रूप से शिक्षा पर अधिक बल देना।
प्रश्न 12.
देश में मानव विकास के आर्थिक संकेतकों की प्रगति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के आर्थिक संकेतक वेतन, आय और रोजगार से संबंधित है। प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं। मानव विकास के समग्र चित्रण के लिए इन्हें मिश्र सूचकांक में परिवर्तित कर लिया गया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने बहुत मानव विकास किया है। मानव विकास सूचकांक में भारत का 172 देशों में 127वाँ स्थान है। मानव विकास की दृष्टि से न केवल विकसित देश भारत से आगे हैं, अपितु श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे विकासशील देश भी भारत से बहुत आगे हैं। आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है। आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।
प्रश्न 13.
मानव विकास क्यों आवश्यक है, व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है –
- विकास का उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
- मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अतः उत्पादकता के आधार पर मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत है।
- मानवीय प्रजनन की गति धीमी करके यह परिवार के आकार को छोटा करने में मदद करता है।
- मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितोषी भी है। गरीबी घटते से निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाती है।
- सुधरी मानवीय दशाएँ समाज के कल्याण में योगदान करती हैं।
- मानव विकास सामाजिक अशांति को कम करता है तथा राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक होता है।
प्रश्न 14.
मानव विकास की संकल्पना की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास में दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के मुख्य तत्त्व हैं। मानव विकास के अन्य विकल्प हैं, राजनीतिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता तथा स्वाभिमान के विविध घटक। लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से संबंधित न होकर, मानव के संपूर्ण विकास से संबंधित है। आर्थिक कारकों के समान राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता है। इसके अलावा विकास के लक्ष्य और साधनों, दोनों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। मानव विकल्पों के विस्तार को तो विकास का लक्ष्य माना जाता है लेकिन आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
आर्थिक विकास प्राकृतिक पर्यावरण क्रिया पर प्रौद्योगिकी एवं संस्थाओं के मध्य अनुरूपी अन्तःक्रिया पर निर्भर करता है, व्याख्या करो।
उत्तर:
1. विकास-लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। प्रादेशिक विकास के संदर्भ में विकास की धारणा है कि लोगों का रहन-सहन ऊँचा हो तथा मानव कल्याण की सामान्य दशाओं में वृद्धि हो। प्रति व्यक्ति आय विकास की महत्त्वपूर्ण सूचक है। इसलिए लोगों की प्रति व्यक्ति आय बढ़े। आर्थिक उत्पाद तथा राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो। इस प्रकार देश के सभी भागों में तथा समाज के सभी वर्गों में समान रूप से उन्नति हो।
2. विकास के प्रांचल-किसी भी देश के विकास के तीन आधारभूत प्रांचल है –
- प्राकृतिक पर्यावरण।
- प्रौद्योगिकी।
- संस्थाएँ।
प्रांचलों का प्रभाव:
1. प्राकृतिक पर्यावरण:
यह आर्थिक विकास की दिशा निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए वनाच्छादित प्रदेशों में लकड़ी काटना व शिकार करना, तटीय भागों में मत्स्यन, नदी घाटियों में कृषि करना लोगों के मुख्य व्यवसाय हैं।
2. प्रौद्योगिकी:
किसी भी देश में उत्पादन का स्तर वहाँ के लोगों को उपलब्ध प्रौद्योगिकी पर निर्भर होता है। प्रौद्योगिकी वह अस्त्र है जिसके माध्यम से मनुष्य अपने प्राकृतिक वातावरण का उपयोग करता है भारतवर्ष प्राकृतिक संसाधनों में निर्धन नहीं है, बल्कि प्रौद्योगिकी में निर्धन है।
3. संस्थाएँ:
आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कराने के लिए संस्थाएँ बनाई जाती हैं। ये संस्थाएँ समाज को सुचारू रूप से संचालित करती हैं। कई बार इन संस्थाओं की आलोचना के कारण आर्थिक विकास रुक जाता है।
प्रश्न 2.
आर्थिक विकास और मानव विकास किस प्रकार एक-दूसरे से संबंधित हैं। मानव विकास की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर:
1. आर्थिक विकास और मानव विकास-मानव विकास के आर्थिक संकेतक वेतन, आय और रोजगार से संबंधित हैं। प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार, तथा रोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक है। मानव विकास के समग्र चित्रण के लिए इन्हें मिश्र सूचकांक से परिवर्तित कर लिया गया है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने बहुत मानव विकास किया है। मानव विकास सूचकांक में भारत का 172 देशों में 127वाँ स्थान है। मानव विकास की दृष्टि से न केवल विकसित देश भारत से आगे हैं अपितु श्रीलंका और इंडोनशिया जैसे विकासशील देश भी भारत से बहुत आगे हैं, आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर बल दिया जाता है। आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।
2. मानव विकास की आवश्यकता-निम्नलिखित कारणों से मानव विकास आवश्यक है –
- विकास का उद्देश्य मानवीय दशाओं को सुधारना तथा लोगों के लिए विकल्पों को बढ़ाना है।
- मानव विकास उच्चतर उत्पादकता का साधन है। सुपुष्ट, स्वस्थ, शिक्षित, कुशल और सतर्क श्रमिक अधिक उत्पादन करने में समर्थ होते हैं। अतः उत्पादकता के आधार पर मानव विकास में विनिवेश न्यायसंगत है।
- मानवीय प्रजनन की गति धीमी करके यह परिवार के आकार को छोटा करने में मदद करता है।
- मानव विकास भौतिक पर्यावरण हितैषी भी है। गरीबी घटने से निर्वनीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा अपरदन भी कम हो जाता है।
- सुधरी मानवीय दशाएँ समाज के कल्याण में योगदान करती हैं।
- मानव विकास सामाजिक अशांति को कम करता है तथा राजनीतिक स्थिरता को बढ़ाने में सहायक होता है।
प्रश्न 3.
पर्यावरण पर मानव के प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या, पर्यावरण और विकास में सम्बन्ध है। पर्यावरण पर मानव का प्रभाव प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। यही नहीं, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और उपभोग की प्रक्रिया से उत्पन्न प्रदूषकों के पर्यावरण में उत्सर्जन से भी वह प्रदूषित होता है। जनसंख्या के आकार और उसमें निरंतर वृद्धि से भी पर्यावरण दूषित होता है। पर्यावरण की गुणवत्ता निम्नलिखित तीन कारकों पर निर्भर करती है –
- उपभोग किए गए संसाधनों की मात्रा तथा उत्पादन की प्रति इकाई के अनुसार प्रदूषण की उत्पत्ति।
- प्रति व्यक्ति उत्पादन और उपभोग।
- जनसंख्या का आकार।
इन तत्वों के पर्यावरण पर प्रभाव के लिए एक सूत्र बनाया गया है –
I = PAT
इसमें I = पर्यावरणीय प्रभाव
P = जनसंख्या (घनत्व और वृद्धि)
A = प्रचुरता
T = उत्पादन में प्रयुक्त हानिकारक प्रौद्योगिकी।
जनसंख्या का घनत्व और वृद्धि प्रमुख कारक है। इससे संसाधनों पर दबाव पड़ता है जिससे वे समाप्त हो जाते हैं या उनका अभाव या अति शोषण हो जाता है। इससे पर्यावरण का ह्रास होता है। प्रौद्योगिकी तीसरा कारक है जो पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित करती है। प्रति व्यक्ति उत्पादन और कच्चे माल का बड़े पैमाने पर उपयोग तथा इसी अनुपात में ईंधन और ऊर्जा के उपभोग से सम्बन्धित है। इससे भारी मात्रा में अपशिष्ट और कूड़ा कचरा पैदा होता है। इन दो कारकों का सबसे अधिक प्रभाव विकसित देशों में है।
प्रश्न 4.
- तालिका में दिए गए मानव विकास सूचकांक के आधार पर भारत के प्रमुख राज्यों को तीन वर्गों में विभाजित कीजिए।
- इस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी तैयार कीजिए।
उत्तर:
1. तालिका के आधार पर प्रमुख राज्यों को तीन वर्गों में बाँटा गया है –
- उच्च मानव विकास सूचकांक वाले राज्य-केरल (0.638), हरियाणा (0.509), महाराष्ट्र (0.523), पंजाब (0.537), तमिलनाडु (0.531), कर्नाटक (0.478), गुजरात (0.479), उड़ीसा (0.404), राजस्थान (0.424), पश्चिम बंगाल (0.472)।
- मध्यम मानव विकास सूचकांक वाले राज्य-असम (0.386), बिहार (0.367), मध्य प्रदेश (0.394), उत्तर प्रदेश (0.388)।
- निम्न मानव सूचकांक वाले राज्य-आन्ध्र प्रदेश (0.54), हिमाचल प्रदेश (0.63)। तालिका 3.7 भारत : 2001 के अंतर्राज्यीय मानव विकास सूचकांक में अंतर
2. केरल में मानव विकास सूचकांक उच्च है। केरल के अलावा हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में भी मानव सूचकांक 0.509 से अधिक है यानि उच्च है। सामान्यत, छोटे राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में मानव विकास सूचकांक बेहतर है। इसमें बिहार (झारखंड सहित), उड़ीसा, उत्तर प्रदेश (उत्तरांचल सहित) और मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़ सहित) में मानव सूचकांक 0.509 से कम है। आर्थिक दृष्टि से कम विकसित राज्यों में मानव विकास सूचकांक बेहतर तथा मध्यम आय वाले राज्यों में मा.वि.सू. और विकास के स्तर में कोई सह संबंध दिखाई नहीं पड़ता है।
प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए:
- मानव विकास और मानव संसाधन विकास।
- आर्थिक विकास और मानव विकास।
उत्तर:
1. मानव विकास और मानव संसाधन विकास –
मानव विकास:
लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं। मानव संसाधन विकास-मानव विकास के लिए आवश्यक संसाधनों को मानव संसाधन विकास कहते हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता तथा स्वाभिमान मानव विकास के अनिवार्य विकल्प हैं। विकास लोगों के लिए हो न कि लोग विकास के लिए। विकास सहभागीय होना चाहिए। लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशिक्षण की क्षमताओं को सुधारने के लिए विनिवेश के अवसर मिलने चाहिए। लोगों को अपनी क्षमताओं का पूरा-पूरा उपयोग करने के अवसर मिलने चाहिए।
2. आर्थिक विकास और मानव विकास –
आर्थिक विकास:
आर्थिक विकास में मानव की आय बढ़ाने पर ही मुख्य रूप से बल दिया जाता है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास के लिए आर्थिक विकास अनिवार्य है। आर्थिक विकास में आय का सही उपयोग है न कि आय का।
मानव-विकास:
लोगों के विकल्पों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना ही मानव विकास है। दीर्घ और स्वस्थ जीवन, शिक्षा और उच्च जीवन स्तर मानव विकास के प्रमुख तत्त्व हैं।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:
- विकास की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
- मानव विकास को ध्यान में रखकर संसार में भारत की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- मानव विकास के स्तर के मापन के लिए कौन-कौन से संकेतकों का उपयोग किया जाता है।
- 1951 के बाद भारत में प्रजनन और मृत्युदर की प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
- देश में अपेक्षकृत निम्न साक्षरता दर के कारणों की विवेचना कीजिए।
- स्वतंत्रता के बाद साक्षरता की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- देश में उच्च और निम्न साक्षरता वाले क्षेत्रों का पता लगाइए।
- ‘जनसंख्या’ कारक का पर्यावरण पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. विकास की संकल्पना-मानव विकास की संकल्पना केवल अर्थव्यवस्था के विकास से संबंधित न होकर, मानव के संपूर्ण विकास से संबंधित है। आर्थिक कारकों के समान, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कारकों को भी उतना ही महत्त्व दिया जाता है। विकास के लक्ष्य और साधनों, दोनों पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है। मानव विकल्पों के विस्तार को तो विकास का लक्ष्य माना जाता है, लेकिन आय के विस्तार को इसका आवश्यक साधन माना जाता है।
2. संसार में भारत की स्थिति-संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 172 देशों के लिए विकसित मानव विकास सूचकांक में भारत का 127वां स्थान है और उसमें भारत को मध्यम मानव विकास का, देश का स्थान मिला है।
3. संकेतक-मानव विकास के विविध आयामों के मापन के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने एक संकेतक का निर्माण किया है। इसे अब मानव विकास सूचकांक के रूप जाना जाता है। इसमें –
- दीर्घ जीविता
- ज्ञान आधार और
- उच्च जीवन स्तर शामिल है।
भारत में 2001 का मानव विकास प्रतिवेदन तैयार करने के लिए संकेतकों के तीन समूहों का चयन किया गया।
- मानव संकेतक-यह संपूर्ण मानव समाज को प्रदर्शित करता है। समाज के सुविधा वंचित वर्ग की दशा के मूल्यांकन के लिए मानव निर्धनता सूचकांक बनाया गया है।
- स्वास्थ्य संकेतक-इसमें दीर्घ जीविता से सम्बन्धित जन्मदर, शिशुदर, मृत्युदर, पोषण तथा जन्म के समय जीवन प्रत्याशा से जुड़े स्वास्थ्य संकेतक शामिल हैं।
- सामाजिक संकेतक-सामाजिक संकेतकों में साक्षरता, विशेष रूप से स्त्री साक्षरता, स्कूल जाने वाले बच्चों का नामांकन, विरत छात्र अनुपात तथा छात्र अध्यापक अनुपात शामिल हैं।
- आर्थिक संकेतक-वेतन, आय और रोजगार से संबंधित है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद, गरीबी का विस्तार तथा बेरोजगार के अवसर इस समूह के वांछित संकेतक हैं।
4. 1951 के बाद जन्मदर तथा मृत्युदर:
मृत्युदर भारत में तेजी से घटी है। 1951 में मृत्युदर 25.1 थी लेकिन 1999 में यह घट कर 8.7 रह गई है। जन्मदर में कोई विशेष कमी नहीं आई है। 1999 में शिशु मृत्युदर सन् 1951 की तुलना में आधी रह गई है। 4 वर्ष तक के बच्चों की मृत्युदर भी काफी घट गई है। 1971 में यह 51.9 प्रति हजार था जो 1999 में 22.5 रह गई है।
तालिका: मानव के चुने हुए स्वास्थ्य संकेतक संकेतक –
प्रजनन दर भी घटी है, लेकिन धीमी गति से। 1951 में यह 40.8 प्रति हजार थी जो 1999 में घटकर 26.1 रह गई। मृत्युदर में 16.4 अंकों की कमी आई है। इसी अवधि में कुल प्रजनन दर भी घटी है। यह 1951 में छः बच्चे प्रति स्त्री थी जो घटकर 1999 में 2.9 रह गई है।
5. निम्न साक्षरता दर के कारण:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार पिछले दशक में 3.19 करोड़ निरक्षरों की संख्या कम हुई है। 1991-2001 की अवधि में सात वर्ष से अधिक की आयु की जनसंख्या में 17.16 करोड़ की वृद्धि हुई है लेकिन इसी दशक में 20.36 करोड़ अतिरिक्त व्यक्ति साक्षर हो गए। स्त्री साक्षरता दर 1951 में केवल 8.86% थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई है। अनेक सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं ने शिक्षा के प्रसार में बहुत योगदान दिया है, फिर भी अपेक्षाकृत साक्षरता दर निम्न है।
इसके प्रमुख कारण –
- पारम्परिक शिक्षा पर ध्यान न देना, गरीबी, कृषि कामगारों का ऊँचा अनुपात रहा है।
- देश की 94% ग्रामीण जनसंख्या को एक किमी. की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय (I-V) उपलब्ध कराये गए।
6. स्वतंत्रता के बाद साक्षरता की प्रगति:
पिछले दशक में 3.19 करोड़ निरक्षरों की संख्या कम हुई है। 1991-2001 में 20.36 करोड़ व्यक्ति साक्षर हो गए। इस समय 56.201 करोड़ लोग साक्षर हैं। 1951-2001 की अवधि में कुल जनसंख्या की साक्षरता दर में तीन गुनी से भी अधिक वृद्धि हुई है। स्त्री साक्षरता दर छः गुनी बढ़ी है। 1951 में स्त्री साक्षरता दर 8.86% थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई है। यह उपलब्धि सरकार द्वारा किए गए प्रत्यनों के परिणामस्वरूप प्राप्त हुई।
भारत में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। यह 1951 में 18.53% थी, जो बढ़कर 2001 में 63.38% हो गई है। 2001 के अनुसार केवल 59.4% ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है, जबकि 80.30% नगरीय जनसंख्या साक्षर है। कुल स्त्री जनसंख्या में से केवल 54.16% साक्षर है। इसके विपरीत 75.85% पुरुष साक्षर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री साक्षरता दर 46.70% है, जबकि नगरीय क्षेत्रों में यह 73.20% है। 1951 के बाद की साक्षरता दर की प्रगति को तालिका 3.10 में दिखाया गया है।
तालिका: भारत: 1951 तथा 2001 की अवधि में साक्षरता दरों में प्रगति –
स्रोत: अंतरिम जनसंख्या योग, पेपर 1-2001, भारत की जनगणना, 2001
7. देश में उच्च और निम्न साक्षरता वाले क्षेत्र:
साक्षरता में प्रादेशिक विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। उच्च साक्षरता वाले क्षेत्र-केरल में साक्षरता दर सबसे अधिक है। 2001 में यह 90.92% है। लक्षद्वीप (87.52%) और मिजोरम (85.99%) का साक्षरता दर में दूसरा और तीसरा स्थान है। 9 राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में जैसे-केरल, मिजोरम, लक्षद्वीप, गोवा, दिल्ली, चण्डीगढ़, पांडिचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में तथा दमन व दीव में साक्षरता दर बहुत ऊँची (72% से अधिक है।)
निम्न साक्षरता वाले क्षेत्र:
13 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में साक्षरता दर औसत से भी कम है। बिहार में साक्षरता दर सभी राज्यों से कम है।
8. जनसंख्या का पर्यावरण पर प्रभाव:
पर्यावरण पर मानव का प्रभाव, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग द्वारा पड़ता है। जनसंख्या का आकार और उसमें निरंतर वृद्धि का भी पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जनसंख्या का घनत्व और वृद्धि पर्यावरण प्रदूषण’ का प्रमुख कारक है। इससे संसाधनों पर दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप वे समाप्त हो जाते हैं तथा उनका अभाव या अतिशोषण होता है पर्यावरण का ह्रास होता है।
प्रश्न 7.
भारत में स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रतिरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
2001 के अनुसार 80.30% नगरीय तथा 59.4% ग्रामीण जनसंख्या साक्षर है। स्त्रियों और पुरुषों की साक्षरता दर में काफी अंतर है। कुल स्त्री जनसंख्या में से केवल 54.16% स्त्रियाँ साक्षर हैं। स्त्री साक्षरता का राज्यानुसार वितरण चित्र में दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री साक्षरता दर केवल 46.70% है। जबकि नगरों में यह 73.20% है। 1951-2001 की अवधि में स्त्री साक्षरता छ: गुनी बढ़ी है। स्त्री साक्षरता दर 1951 में केवल 8.86 थी, जो बढ़कर 2001 में 54.16% हो गई।
तालिका: भारत 1951 तथा 2001 की अवधि में स्त्री साक्षरता दर में वृद्धि –
चित्र: भारत राज्यानुसार स्त्री साक्षरता (2001)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
लोगों के परिवर्धन की प्रक्रिया और जनकल्याण के स्तर को ऊँचा उठाना क्या कहलाता है?
(A) मानव विकास
(B) राजनीतिक विकास
(C) सांस्कृतिक विकास
(D) आर्थिक विकास
उत्तर:
(A) मानव विकास
प्रश्न 2.
मानव विकास का मापन किस प्रकार किया जाता है?
(A) गणना द्वारा
(B) मानव सूचकांक द्वारा
(C) जनसंख्या की गणना
(D) शिक्षा स्तर द्वारा
उत्तर:
(B) मानव सूचकांक द्वारा
प्रश्न 3.
विश्व में भारत का मानव विकास सूचकांक क्रम कितना है?
(A) 162 वाँ
(B) 127 वाँ
(C) 120 वाँ
(D) 112 वाँ
उत्तर:
(B) 127 वाँ
प्रश्न 4.
केरल में साक्षरता दर कितने प्रतिशत है?
(A) 92.4%
(B) 90.92%
(C) 47.53%
(D) 54.16%
उत्तर:
(B) 90.92%
प्रश्न 5.
2001 में स्त्री साक्षरता दर कितनी थी?
(A) 54.16%
(B) 54.00%
(C) 50.16%
(D) 56.00%
उत्तर:
(A) 54.16%
प्रश्न 6.
बिहार में साक्षरता दर कितनी है?
(A) 92.4%
(B) 47.53%
(C) 90.92%
(D) 46.53%
उत्तर:
(B) 47.53%
प्रश्न 7.
प्राथमिक विद्यालय स्तर की आयु सीमा क्या है?
(A) 7-10 वर्ष
(B) 6-11 वर्ष
(C) 5-10 वर्ष
(D) 5-11 वर्ष
उत्तर:
(B) 6-11 वर्ष
प्रश्न 8.
1999-2000 में कितने लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं?
(A) 26%
(B) 36%
(C) 16%
(D) 46%
उत्तर:
(A) 26%
प्रश्न 9.
पर्यावरण विश्लेषण के लिए किस सूत्र का प्रयोग किया जाता है?
(A) I = PAT
(B) I = PET
(C)P = IAT
(D) T = IPA
उत्तर:
(A) I = PAT
प्रश्न 10.
केरल का मानव विकास सूचकांक कितना है?
(A) 0.532
(B) 0.533
(C) 0.638
(D) 0.523
उत्तर:
(C) 0.638
प्रश्न 11.
महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली के राज्यों की 1980-81 के आँकड़ों पर आधारित प्रति व्यक्ति आय कितनी हैं?
(A) 2000 रु. प्रतिवर्ष से कम
(B) 4000 रु. प्रतिवर्ष
(C) 3000 रु. प्रतिवर्ष
(D) 5000 रु. प्रतिवर्ष
उत्तर:
(B) 4000 रु. प्रतिवर्ष
प्रश्न 12.
कौन-से राज्य की 30 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है?
(A) मध्य प्रदेश
(B) असम
(C) सिक्किम
(D) तिपुरा
(E) मेघालय
(G) सभी
उत्तर:
(G) सभी
प्रश्न 13.
भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य क्या है?
(A) 0.963
(B) 0.736
(C) 0.602
(D) 0.863
उत्तर:
(C) 0.602
प्रश्न 14.
भारत के किस राज्य का मानव विकास सूचकांक कोटिक्रम में सर्वोच्च है?
(A) केरल (0.638)
(B) पंजाब (0.537)
(C) तमिलनाडु (0.531)
(D) महाराष्ट्र (0.523)
उत्तर:
(A) केरल (0.638)
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