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Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Geography Mineral and Energy Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Mineral and Energy Resources Book Answers

BSEB Class 12 Geography Mineral and Energy Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Mineral and Energy Resources Book Answers
BSEB Class 12 Geography Mineral and Energy Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Mineral and Energy Resources Book Answers


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Bihar Board Class 12th Geography Mineral and Energy Resources Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 12th Geography Mineral and Energy Resources Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Geography Mineral and Energy Resources
Chapters All
Provider Hsslive


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BSEB Class 12th Geography Mineral and Energy Resources Textbooks Solutions with Answer PDF Download

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Bihar Board Class 12 Geography खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस राज्य में प्रमुख तेल क्षेत्र स्थित हैं?
(क) असम
(ख) बिहार
(ग) राजस्थान
(घ) तमिलनाडु
उत्तर:
(क) असम

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था?
(क) कलपक्कम
(ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर
(घ) तारापुर
उत्तर:
(घ) तारापुर

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन-सा खनिज ‘भूरा हीरा’ के नाम से जाना जाता है।
(क) लौह
(ख) मैंगनीज
(ग) लिगनाइट
(घ) अभ्रका
उत्तर:
(ख) मैंगनीज

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में कौन-सा ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है?
(क) जल
(ख) सौर
(ग) ताप
(घ) पवन
उत्तर:
(ग) ताप

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में अभ्रक मुख्यतः झारखंड, आंध्र प्रदेश व राजस्थान में पाया जाता है। इसके पश्चात् तमिलनाडु, प. बंगाल और मध्य प्रदेश आते हैं। झारखंड में उच्च गुणवत्ता वाला अभ्रक निचले हजारी बाग पठान की 150 कि.मी. लंबी व 22 कि.मी. चौड़ी पटटी में पाया जाता है। आंध्र प्रदेश में, नेल्लोर जिले में सर्वोत्तम प्रकार के अभ्रक का उत्पादन किया जाता है। राजस्थान में अभ्रक की पट्टी लगभग 320 कि.मी. लंबाई में जयपुर से भीलवाड़ा और उदयपुर के आस-पास विस्तृत है। कर्नाटक के मैसूर व हासन जिले, तमिलनाडु के कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, मदुरई तथा कन्याकुमारी जिले महाराष्ट्र के रत्नागिरी तथा पश्चिम बंगाल के पुरुलियाँ एवं बाँकुरा जिलों में भी अभ्रक के निक्षेप पाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
कुछ ऐसी अभिक्रियाएँ हैं जिसमें परमाणु के नाभिक की संरचना में परिवर्तन हो जाता है। ऐसे परिवर्तनों को नाभिकीय अभिक्रियाएँ कहते हैं और इन अभिक्रियाओं में मुक्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम इस प्रकार हैं: तारापुर (महाराष्ट्र), कोटा के पास रावत भाटा (राजस्थान), कलपक्कम (तमिलनाडु), नरोरा (उत्तर प्रदेश), कैगा (कर्नाटक) तथा काकरा पाड़ा (गुजरात)।

प्रश्न 3.
अलौह धातुओं के नाम बताएँ उनके स्थानिक वितरण की विवेचना करें।
उत्तर:
अलौह धातुएँ हैं बॉक्साइट और ताँबा। उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक है। कालाहांडी तथा संभलपुर अग्रणी उत्पादक हैं। बोलनगीर तथा कोरापुट में भी बॉक्साइट पाया जाता है। झारखंड में लोहारडागा जिले की पैटलैंडस में इसके समृद्ध निक्षेप हैं। गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र अन्य प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु तथा गोआ बॉक्साइट के गौण उत्पादक हैं।

ताँबा निक्षेप मुख्यतः झारखंड के सिंहभूमि में, मध्य प्रदेश के बालाघाट तथा राजस्थान के झुंझुनु एवं अलवर जिलों में पाए जाते हैं। ताँबा के गौण उत्पादक आंध्र प्रदेश गुंटूरे जिले का अग्निगुंडाला, कर्नाटक के चित्रदुर्ग तथा हासन जिले और तमिलनाडु का दक्षिण आरकाट जिला है।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कौन-से हैं?
उत्तर:
सौर, पवन, जल, भूतापीय ऊर्जा तथा जैवभार (बायोमास) ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कहलाते हैं। ये स्रोत अधिक आरंभिक लागत के बावजूद अधिक टिकाऊ, पारिस्थितिक-अनुकूल तथा सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
भारत के पेट्रोलियम संसाधनों पर विस्तृत टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
अपनी दुर्लभता और विविध उपयोगों के लिए पेट्रोलियम को तरल सोना कहा जाता है। कच्चा पेट्रोलियम द्रव गैसीय अवस्था के हाइड्रोकार्बन से युक्त होता है तथा इसकी रासायनिक संरचना, रंगों और विशिष्ट धनत्व में भिन्नता पाई जाती है। यह मोटर-वाहनों, रेलवे तथा वायुयानों के अंतर-दहन ईंधन के लिए ऊर्जा का एक अनिवार्य स्रोत है। इसके अनेक सह-उत्पाद पेट्रो-रसायन उद्योगों, जैसे कि उर्वरक, कृत्रिम रबर, रेशे, दवाईयाँ, वैसलीन, स्नेहकों, मोम, साबुन तथा अन्य सौंदर्य सामग्री में प्रक्रमित किए जाते हैं।

अपरिष्कृत पेट्रोलियम टरश्यरी युग की अवसादी शैलों में पाया जाता है। व्यवस्थित ढंग से तेल अन्वेषण और उत्पादन 1956 में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ। तब तक असम में डिगबोई एक मात्र तेल उत्पादक क्षेत्र था। हाल ही के वर्षों में देश के दूरतम पश्चिमी एवं पूर्वी तटों पर नए तेल निक्षेप पाए गए हैं। असम में डिगबोई, नहारकटिया तथा मोरान महत्त्वपूर्ण तेल उत्पादन क्षेत्र हैं। गुजरात में प्रमुख तेल क्षेत्र अंकलेश्वर कालोल, मेहसाणा, नवागाम, कोसांबा तथा लुनेज हैं मुंबई हाई, जो मुंबई नगर से 160 कि.मी. दूर अपतटीय क्षेत्र में पड़ता है, को 1973 में खोजा गया था और वहाँ 1976 में उत्पादन प्रारंभ हो गया। तेल एवं प्राकृतिक गैस को पूर्वी तट पर कृष्णा-गोदावरी तथा कावेरी के बेसिनों में अन्वेषणात्मक कूपों में पाया गया है।

प्रश्न 2.
भारत में जल विद्युत पर एक निबंध लिखें।
उत्तर:
भारत में कुल विद्युत ऊर्जा का एक बहुत बड़ा भाग जल विद्युत से प्राप्त किया जाता है। भारत में कुछ प्रमुख जल विद्युत उत्पादन संयंत्रों के नाम इस प्रकार हैं:

  1. भाखड़ा नांगल जल विद्युत परियोजना, पंजाब
  2. रिहंद जल विद्युत शक्ति गृह, उत्तर प्रदेश
  3. पेरियार जल विद्युत केंद्र तमिलनाडु
  4. उमिअम जल विद्युत शक्ति केन्द्र, टिहरी जल विद्युत परियोजना, उत्तरांचल, नर्मदा सरदार सरोवर जल विद्युत परियोजना, गुजरात, नाथवा झापड़ी जल विद्युत परियोजना, डलहौजी, हिमाचल प्रदेश आदि।

जल विद्युत एक सबसे सस्ता और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा का स्रोत है। भारत में हमारी ऊर्जा की माँग के चौथाई भाग की पूर्ति जल विद्युत संयंत्रों द्वारा होती है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों को रोक कर बड़े जलाशयों में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे-ऊँचे बाँध बनाए जाते हैं। इन जलाशयों में जल संचित होता रहता है जिसके फलस्वरूप इनमें भरे जल का तल ऊँचा हो जाता हैं बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल, बाँध के आधार के पास स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है फलस्वरूप टरबाइन के ब्लेड घूर्णन गति करते हैं और जनित्र द्वारा विद्युत उत्पादन होता है।

जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं। लेकिन बाँधों का केवल कुछ सीमित क्षेत्रों में ही निर्माण किया जा सकता है। इनके लिए पर्वतीय क्षेत्र अच्छे माने जाते हैं। बाँधों के निर्माण से बहुत सी कृषि योग्य भूमि तथा मानव आवास डूबने के कारण, नष्ट हो जाते हैं, बाँध के जल में डूबने के कारण बड़े-बड़े पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं। गंगा नदी पर टिहरी बाँध के निर्माण तथा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध के निर्माण की परियोजनाओं का विरोधी इसी प्रकार की समस्याओं के कारण ही हुआ था।

Bihar Board Class 12 Geography खनिज तथा ऊर्जा संसाधन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
लौह खनिज से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन खनिज पदार्थों में लौह धातु का अंश पाया जाता है, उन्हें लौह खनिज कहते हैं। लोहा, मैंगनीज, क्रोमाइट, कोबाल्ट आदि लौह खनिज हैं।

प्रश्न 2.
देश में विभिन्न तेल शोधन शलाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भारत में 12 तेल शोधन शालाएँ हैं। मुम्बई, कोयाली, ट्राम्बे, मथुरा, नूनामती, बोगाई गाँव, बरौनी, हल्दिया, विशाखपट्टनम, चेन्नई तथा काचीन प्रमुख तेल शोधन शालाएँ हैं।

प्रश्न 3.
भारत में किस प्रकार के कोयले की कमी है?
उत्तर:
भारत में कोकिंग कोयले की कमी है, इसलिए कोयले का संरक्षण आवश्यक है। भारत ‘ में कोयले के भण्डार अपर्याप्त हैं।

प्रश्न 4.
भारत में कितने क्षेत्र में तेलधारी बेसिन हैं?
उत्तर:
भारत में लगभग 17 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर तेलधारी परत वाले 13 महत्त्वपूर्ण बेसिन हैं।

प्रश्न 5.
अवाणिज्य ऊर्जा संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
गोबर, ईंधन तथा फसलों के उप-उत्पाद ऊर्जा के अवाणिज्य संसाधन हैं, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हें निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
वाणिज्य ऊर्जा संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
कोयला, तेल तथा विद्युत ऊर्जा के वाणिज्य संसाधन हैं, क्योंकि इनका मूल्य होता है जो उपभोक्ता को देना पड़ता है।

प्रश्न 7.
ऊर्जा संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो साधन मशीनों, उद्योगों, परिवहन को गति प्रदान करते हैं, उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 8.
संसाधन किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव अपने वातावरण की उपज है। प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण मानव की अनेक प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। वातावरण के उपयोगी तत्त्वों को जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 9.
किसी संसाधन की उपयोगिता किन तत्त्वों पर निर्भर करती हैं?
उत्तर:
संसाधन की उपयोगिता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –

  1. मानव की बुद्धिमता
  2. मानवीय संस्कृति का विकास स्तर
  3. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान
  4. किसी क्षेत्र की प्रकृति

प्रश्न 10.
हमारे देश में लौह अयस्क के 2004-05 में कितने आरक्षित भंडार पाए जाते हैं?
उत्तर:
लगभग 200 करोड़ टन आरक्षित भंडार भारत में पाए जाते हैं।

प्रश्न 11.
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश से हमें कौन-कौन से खनिज प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश से हमें बलुआ पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, जिप्सम, मुल्तानी मिट्टी आदि खनिज पाए जाते हैं।

प्रश्न 12.
शक्ति सम्पदा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मशीनों, उद्योगों, मोटर-कारों में प्रयुक्त किए जाने वाले साधनों को शक्ति सम्पदा कहा जाता है। ये पदार्थ औद्योगिक विकास के आधार माने जाते हैं। कोयला, खनिज-तेल, जल विद्युत, परमाणु शक्ति मुख्य शक्ति साधन हैं।

प्रश्न 13.
दक्षिण-पश्चिमी पठार से कौन-कौन से खनिज हमें प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
यह पट्टी लौह धातुओं तथा बॉक्साइट में समृद्ध है। इसमें उच्च कोटि का लौह अयस्क, मैंगनीज तथा चूना-पत्थर भी पाया जाता है।

प्रश्न 14.
उत्तर-पूर्वी पठार प्रदेश में कौन-कौन से खनिज हमें प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, बॉक्साइट व अभ्रक आदि उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश से हमें प्राप्त होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
“तांबा’ धातु के मुख्ये उपयोग बताएँ।
उत्तर:
तांबा एक अलौह धातु है। विद्युत शक्ति के विकास के कारण तांबे का उपयोग बढ़ गया है। यह धातु विद्युत की उत्तम चालक है।

  1. इसका प्रयोग रेडियो, टेलीविजन, टेलीग्राफ, टेलीफोन, बिजल की तार, रेल इंजन, वायुयान, जलयान आदि में होता है।
  2. इससे बर्तन औजार और सिक्के बनाये जाते हैं।
  3. इसे अन्य धातुओं के साथ मिलाकर कांसा, पीतल आदि मिश्रधातुएं बनाई जाती हैं।

इस प्रकार तांबे का औद्योगिक महत्त्व अधिक है तथा संसार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती, जा रही है।

प्रश्न 2.
चट्टान तथा खनिज अयस्क में क्या अन्तर है?
उत्तर:

प्रश्न 3.
क्या भारत की खनिज सम्पदा पर्याप्त है?
उत्तर:
भारत में समस्त खनिज साधनों के भण्डारों का पूरा अनुमान प्राप्त नहीं है, फिर भी हम कह सकते हैं कि यह खनिज देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त है। कई खनिज पदार्थों में देश आत्मनिर्भर है। जैसे-कोयला, लोहा, चूने का पत्थर, बाक्साइट, अभ्रक, मैंगनीज आदि। इनमें से कुछ खनिज पदार्थ निर्यात भी किए जाते हैं। देश में पेट्रोलियम की कमी है। आशा की जा रही है कि नए क्षेत्रों के विकास के साथ बहुत हद तक यह कमी पूरी हो जाएगी। सोना, चांदी, सीसा, टिन आदि आवश्यक धातुएँ हैं इसलिए इनका आयात किया जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि देश के औद्योगिक विकास के लिए आवश्यक खनिज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 4.
भारत में खनिज तेल के उत्पादन, उपभोग तथा आयात का वर्णन करो।
उत्तर:
देश में खनिज तेल का उत्पादन, उपभोग को देखते हुए कम है। सन् 1999-2000 में खनिज तेल का उत्पादन 329 लाख टन था। यह हमारी केवल 35% आवश्यकताओं की पूर्ति करता है जबकि उपभोग लगभग 750 लाख टन हो गया है। इस प्रकार पिछले वर्ष 500 लाख टन खनिज तेल तथा पेट्रोलियम का आयात किया गया है। यह आयात लगभग 35 हजार करोड़ के मूल्य का था। इस वृद्धि का मुख्य कारण खपत में वृद्धि, मूल्यों तथा रुपये के मूल्य में गिरावट है।

प्रश्न 5.
भारत में कोयले भण्डारों के स्थानिक प्रारूप का वर्णन करो। क्या भारत में कोयले के पर्याप्त भण्डार हैं?
उत्तर:
भारत भू-विज्ञान सर्वेक्षण के अनुसार सन् 1992 तक भारत में 19600 करोड़ टन कोयले के भण्डार थे। कोयले के सबसे अधिक भण्डार बिहार राज्य में हैं। बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राज्यों में भारत के कोयला भण्डारों का 90% भाग पाया जाता है। भारत में औद्योगिक विकास तथा खपत को देखते हुए ये भण्डार अपर्याप्त हैं तथा अधिक देर नहीं चलेंगे। भारत में कुकिंग कोयले की कमी है, इसलिए कोयले का संरक्षण आवश्यक है।

प्रश्न 6.
ऊर्जा संसाधनों से क्या अभिप्राय है? ऊर्जा के पारम्परिक तथा अपारम्परिक साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जो संसाधन मशीनों, उद्योगों, परिवहन को गति तथा शक्ति प्रदान करते हैं, उन्हें ऊर्जा संसाधन कहते हैं। ऊर्जा संसाधन किसी क्षेत्र के आर्थिक विकास की आधारशिला हैं। ऊर्जा संसाधन प्रायः दो प्रकार के हैं-प्रारम्परिक तथा अपारम्परिक। कोयला, तेल तथा विद्युत ऊर्जा के पारम्परिक साधन हैं क्योंकि एक लम्बे समय से इनका प्रयोग किया जा रहा है। ऊर्जा संकट के कारण वैकल्पिक साधनों का विकास किया जा रहा है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, भू-तापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा अपारम्परिक साधन हैं।

प्रश्न 7.
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत संसाधनों की विवेचना करो।
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत के अपार संसाधन उपस्थित हैं। राज्य के कुल जल विद्युत सम्भावित संसाधन 20,000 मेगा वाट हैं जो कि राष्ट्रीय संसाधनों का 25% भाग है। इसमें अभी तक 3500 मेगा वाट जल विद्युत को ही विकसित किया गया है। राज्य सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ भी कई समझौते तथा योजनाएँ बनाकर इन संसाधनों को अधिक से अधिक विकसित कर रही है इससे राज्य में विकास गति तीव्र होगी तथा राष्ट्रीय ग्रिड तथा पड़ोसी राज्यों को जल विद्युत बेचने से आय भी बढ़ेगी।

कई अन्तर्राष्ट्रीय जल विद्युत, योजनाएँ चल रही हैं। जैसे भाखड़ा-सतलुज व्यास योजना, चीन डैम, चमेरा, यमुना, तथा बैरासूल योजनाएँ जो कि हिमाचल प्रदेश के जल पर आधारित हैं। विश्व बैंक तथा कई देशों व केन्द्रीय सहायता से कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। राज्य बिजली बोर्ड द्वारा संजय विद्युत योजना (120 मेगा वाट) आन्ध्र विद्युत योजना (16.95 मेगा वाट), विनवा (6 मेगा वाट) तथा रोगटोना (2 मेगा वाट) योजनाएँ चालू की गई हैं। राज्य में सबसे बड़ी योजना नाथपा झाकड़ी (1500 मेटा वाट) है जो केन्द्रीय सहायता से बन रही है। सतलुज नदी पर कोल डैम (600 मेगा वाट) इसकी सहायता से बनाया जाएगा। थीरोज प्रोजेक्ट 2(45 मेगो वाट), गज (10.5 मेगा वाट) तथा बनेर (6.6 मेगा वाट)।

प्रश्न 8.
भारत में मैंगनीज के उत्पादन तथा वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
मैंगनीज:
एक लौह धातु है। इसका प्रयोग लोहा-इस्पात तथा रासायनिक उद्योग में किया जाता है।

उत्पादन:
भारत में मैंगनीज का उत्पादन 30% है। यह विश्व में दूसरे नंबर पर है। देश में 12 करोड़ टन मैंगनीज के भण्डार हैं। भारत में मैंगनीज का उत्पादन 18 लाख टन है। यह उत्पादन विदेशी भाग के अनुसार घटता-बढ़ता है। अधिकतर मैंगनीज निर्यात किया जाता है।

उत्पादन क्षेत्र:

  1. कर्नाटक प्रदेश में धारवाड़ चट्टानों में मिलता है।
  2. छोटा नागपुर के पठार में लेटराइट चट्टानों में।
  3. मध्य प्रदेश में आग्नेय चट्टानों में।
  4. मध्य प्रदेश में बालाघाट, छिंदवाड़ा तथा जबलपुर क्षेत्रों में।
  5. महाराष्ट्र में नागपुर तथा भण्डार क्षेत्र।
  6. उड़ीसा में गंगापुर, कालाहांडी तथा कोरापुत और बोनाई क्षेत्र।
  7. कर्नाटक में बिलारी, शिमोगा, चीतल दुर्ग क्षेत्र।
  8. आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम प्रदेश।
  9. झारखण्ड में सिंहभूमि का चायबासा क्षेत्र।
  10. राजस्थान में उदयपुर तथा बांसवाड़ा क्षेत्र।

प्रश्न 9.
भारत में प्राकृतिक गैस के क्षेत्र बताओ तथा एच.बी.जे. पाइप लाइन का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक गैस का उत्पादन 22,000 करोड़ घन मीटर है। इस समय कैम्बे बेसिन, कावेरी तट, जैसलमेर तथा मुंबई हाई से प्राकृतिक गैस प्राप्त की जा रही है। भारत में गैस के परिवहन के लिए हजीरा बीजापुर, जगदीशपुर (HBI) पाइप लाइन बनाई गई है। यह पाइप लाइन 1700 कि.मी. लम्बी है। यह पाइप लाइन गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा उत्तर प्रदेश राज्यों में से गुजरती है। इस गैस से बीजापुर, सवाई माधोपुर, जगदीशपुर, आमला तथा वबराला उर्वरक कारखानें बनाने की योजना हैं भारत में (GAIL)Gas Authority of India, (ONGC) Oil and Natural Gas Commission, Indian Oil Corporation, Hindustan Petroleum Corporation (HPC) नामक संस्थाएं गैस की खोज तथा प्रबन्ध का कार्य कर रही हैं।

प्रश्न 10.
भारत में तापीय शक्ति का महत्त्व अधिक क्यों है?
उत्तर:
तापीय विद्युत खनिज तेल तथा कोयले से प्राप्त की जाती है। देश में जल विद्युत की तुलना में तापीय विद्युत का प्रयोग बढ़ रहा है। छठी पंचवर्षीय योजना में यह अनुपात 33.7%: 66.3% था। सातवीं योजना के अन्त तक यह अनुपात 26%: 74% हो गया है। जल-विद्युत योजनाओं के विकास में अधिक समय लगता है। इसलिए वर्तमान ऊर्जा संकट को हल करने के उद्देश्य से तापीय विद्युत का प्रयोग अधिक किया जा रहा है। इससे देश में कोयले तथा तेल जैसे समाप्त हो जाने वाले साधनों की कमी हो जाएगी। तापीय विद्युत पर खर्च भी अधिक होगा। इसके लिए अधिक मात्रा में तेल आयात करना पड़ेगा।

प्रश्न 11.
भारत में अणु शक्ति केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
उत्तर:
देश में अणु शक्ति के विकास के लिए कच्चे माल के रूप में यूरेनियम तथा थोरियम के भण्डार पाए जाते हैं। बिहार, राजस्थान, तथा तमिलनाडु में यूरेनियम मिलता है। थोरियम के भण्डार बिहार में छोटा नागपुर, पठार तथा केरल तट पर मोनाजाइट नामक रेत से प्राप्त होते हैं। भारत में अणु-शक्ति प्राप्त करने के लिए 1948 में अणु-शक्ति आयोग स्थापित किया गया। देश में चार परमाणु बिजली घर है –

  1. तारापुर (महाराष्ट्र)
  2. राणा प्रताप नगर (राजस्थान में कोटा के समीप)
  3. कल्पक्कम (चेन्नई के निकट)
  4. नरौरा (उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर के निकट)
  5. काकारपार (गुजरात) तथा कैगा (कर्नाटक) में अणुकेन्द्र योजना स्तर पर हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित खनिजों के उपयोगों का वर्णन कीजिए –

  1. क्रोमाइट
  2. जस्ता
  3. तांबा
  4. डोलोमाइट
  5. चूने का पत्थर
  6. कोयल

उत्तर:
1. क्रोमाइट:
धातु कर्मीय, तापसह और रासायनिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है।

2. जस्ता:

  • प्रमुख उपयोग टायर उद्योग में है।
  • सांचे बनाने, शुष्क बैटरियाँ और वस्त्र उद्योग में भी काम में आता है।

3. तांबा:

  • बिजली के तार, केबल और मशीनें बनाने में उपयोग किया जाता है।
  • बर्तन बनाने में उपयोग में लाया जाता है।
  • मिश्रधातु बनाने में उपयोग में लाया जाता है।

4. डोलोमाइट:
कच्चे माल, गालक खनिज के रूप में उपयोग होता है।

5. चूने का पत्थर:

  • निर्माण, रासायनिक और धातुकर्मीय उद्योगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • भवन निर्माण, पुल आदि के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • सीमेंट बनाने में प्रयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 13.
भारत में लौह अयस्क के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत संसार का 50% लोहा उत्पन्न करता है तथा सातवें स्थान पर है। भारतीय लोहे में कम अशुद्धियाँ हैं तथा 65% धातु अंश होता है। झारखंड तथा उड़ीसा भारत का 75% लोहा उत्पन्न करते हैं। इसे भारत का लोहा क्षेत्र भी कहते हैं। इस क्षेत्र में भारत के कुछ इस्पात कारखाने जमशेदपुर, बोकारो, राऊरकेला में स्थित हैं। 1999-2000 में कुल उत्पादन 700 लाख टन था।

  1. झारखंड: इस राज्य में सिंहभूमि जिले में नोआमण्डी तथा पनसिरा बुडू की प्रसिद्ध खाने हैं। नोआमण्डी खान एशिया में सबसे बड़ी लोहे की खान हैं।
  2. उड़ीसा: इस राज्य में मयूरभंज, क्योंझर तथा बोनाई क्षेत्रों में लोहा मिलता है।
  3. छत्तीसगढ़ में घाली, राजहारा पहाड़ियों तथा बस्तर में बैलाडीला क्षेत्र।
  4. तमिलनाडु में सेलम तथा मदुरई क्षेत्र।
  5. कर्नाटक में बाबा बूदन की पहाड़ियों तथा क्रदैमुख क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश में करनूल, महाराष्ट्र में लोहारा, पीपल गाँव तथा गोवा में लोहे का उत्पादन होता है।

प्रश्न 14.
भारत में बिजली के विवरण के प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में 1897 में दार्जिलिंग में पहली बार बिजली की आपूर्ति शुरू की गई थी। 1925 में बिजली उत्पादन की क्षमता 162 मेगा वाट तथा 1947 में 1400 मेगा वाट थी। 2000-01 में यह बढ़ कर 1,01,600 मेगा वाट हो गई है। बिजली उत्पादन में यह 72 गुनी वृद्धि है। बिजली का उत्पादन निम्न प्रकार के क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक हुआ है। ये क्षेत्र हैं; अधिक बिजली की माँग वाले भारी उद्योगों की स्थापना वाले प्रदेश जैसे-मुंबई औद्योगिक प्रदेश, तमिलनाडु औद्योगिक पट्टी आदि। कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित प्रदेश जैसे-दामोदर घाटी कोयला पट्टी, सिंगरौली कोयला क्षेत्र।

बहुउद्देशीय योजनाओं के आस-पास के प्रदेश जैसे-भाखड़ा नांगल, कोयना आदि बिजली के उपभोग के प्रतिरूपों में बहुत परिवर्तन हो गया है। इस समय (1999-2000) उपभोग की गई कुल बिजली में से उद्योग एक तिहाई (34.8%) का उपभोग करते हैं, जबकि 1950-51 में उद्योग लगभग दो तिहाई (62.6%) बिजली का उपभोग करते थे। इसके विपरीत इसी अवधि में कृषीय उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग 3.9 से बढ़कर 29.2% हो गया है। घरेलू उद्देश्यों के लिए बिजली का उपयोग 12.6% से बढ़कर 22.2% हो गया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. धात्विक और अधात्विक खनिज।
  2. ताप और जल विद्युत।
  3. गोंडवाना और टरशरी कोयला।

उत्तर:
1. धात्विक और अधात्विक खनिज

2. ताप और जल विद्युत:

3. गोंडवाना और टरशरी कोयला:

प्रश्न 2.
भारत में मैंगनीज अयस्क और बॉक्साइट के उपयोग और वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैंगनीज:
वितरण:
भारत मैंगनीज का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है। लगभग सभी प्रकार के शैल समूहों में मैंगनीज पाया जाता है। 90 प्रतिशत से अधिक मैंगनीज धारवाड़ शैल समूहों के गौंडाइट और कोडुराइट श्रृंखलाओं में निहित है। उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा और महाराष्ट्र में मैंगनीज के प्रमुख भण्डार हैं। अन्य राज्यों में मैंगनीज का कुल उत्पादन 15.86 टन था।
मैंगनीज के प्रमुख राज्य हैं –

उपयोग –

  1. अपघर्षण और जंगरोधी इस्पात बनाने में।
  2. लोहे और मैंगनीज की मिश्रधातु बनाने में उपयोग में लाया जाता है।

बॉक्साइट वितरण-बॉक्साइट के अधिकतर भंडार लैटराइट से जुड़े हैं। देश के कुल प्रतिलभ्य भंडार 246.2 करोड़ टन है। उड़ीसा बॉक्साइट का सबसे बड़ा उत्पादक (436) है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और झारखण्ड में भी बॉक्साइट के विशाल भंडार है।

बॉक्साइट का राज्यवार वितरण:

बॉक्साइट के प्रमुख उत्पादक जिले हैं-कोरापुट और सुंदरगढ़ (उड़ीसा), गुमला और लोहारडागा (झारखंड), कोल्हापुर रत्नागिरी (महाराष्ट्र) बरतर, बिलासपुर और सरगुजा (छत्तीसगढ़), मांडला, सतना, जबलपुर और शहडोल (मध्य प्रदेश)। जामनगर, कच्छ और जूनागढ़ (गुजरात), सेलम और नीलगिरि (तमिलनाडु) उपयोग-एल्यूमीनियम बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. भारत में खनिज संसाधनों की खोज और विकास में लगे तीन संगठनों के नाम बताइए।
  2. भारत की प्रमुख खनिज पट्टियों के नाम बताइए।
  3. उन चार नदी घाटियों के नाम बताइए जिनमें गोंडवाना कोयला पाया जाता है।
  4. पाँच राज्यों के नाम बताइए जहाँ भारत का अधिकांश कोयला निकाला जाता है।
  5. लिग्नाइट किसे कहते हैं?
  6. भारत के पेट्रोलियम उत्पादक प्रदेशों के नाम बताइए।
  7. भारत के परमाणु ऊर्जा केन्द्रों के नाम बताइए।
  8. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत कौन-से हैं?

उत्तर:
1. देश में प्राचीन काल से ही खनिज संसाधनों और उनके उपयोग का ज्ञान है। 18 वीं – 20 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति ने खनिजों की माँग में असाधारण वृद्धि कर दी है। 1947 तक अधिकतर खनिजों को निर्यात कर दिया जाता था। स्वतन्त्रता के बाद न केवल खनिज खोजे गए अपितु देश में औद्योगिक माँग के अनुरूप खनिजों का उत्पादन भी बढ़ा है। भारत में लगभग 100 खनिज पाए जाते हैं। इनमें 30 खनिज आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट आदि ऐसे ही खनिज हैं। लेकिन देश की आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ खनिज संसाधनों की कमी है। देश के खनिज संसाधनों की खोज और विकास में कई संगठन लगे हुए हैं।

  • भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण
  • भारतीय खान ब्यूरों
  • खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड

2. भारत की प्रमुख खनिज पट्टियां:
(I) उत्तर-पूर्वी पठार:
इस पट्टी में छोटा नागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार और पूर्वी आंध्र प्रदेश.का पठार शामिल हैं। इस पट्टी में लौह अयस्क, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, चूने के पत्थर और डोलोमाइट के विशाल भंडार हैं। इस प्रदेश में तांबे, थोरियम, यूरेनियम, क्रोमियम, सिलिमेनाइट और फास्फेट के भंडार हैं। छत्तीसगढ़ के कोयले के भण्डार तथा एल्यूमीनियम संयंत्र भी यही स्थित हैं।

(II) दक्षिण-पश्चिमी पठार:
यह पट्टी कर्नाटक के पठार और तमिलनाडु के पठार पर फैली है तथा धात्विक खनिजों में संपन्न है। यहाँ पाये जाने वाले मुख्य खनिज हैं-लौह अयस्क, मैंगनीज और बॉक्साइट। इस देश की सोने की तीनों खानें इसी पट्टी में हैं।

(III) उत्तर-पश्चिमी पठार:
यह पट्टी गुजरात में संभात की खाड़ी से लेकर राजस्थान में अरावली की श्रेणी तक फैली है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस इस पट्टी के प्रमुख संसाधन हैं। यह पट्टी अलौह धातुएँ जैसे-तांबा, चांदी, सीसा, और जस्ता के भंडारों और उत्पाद न के लिए विख्यात हैं।

3. चार नदी घाटियों के नाम:

  • दामोदर घाटी: (झारखण्ड और पश्चिम बंगाल)।
  • सोन घाटी: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश।
  • महानदी घाटी: छत्तीसगढ़ और उड़ीसा।
  • वर्धा गोदावरी घाटी: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश।

4. कोयला उत्पादक पाँच राज्य: झारखण्ड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल।

5. लिग्नाइट: लिग्नाइट एक निम्न कोटि का कोयला है। इसमें नमी ज्यादा और कार्बन कम है। भारत में लिग्नाइट के कुल अनुमानित भण्डार 34.17 अरब टन हैं। इसमें से 88.4 प्रतिशत (13.02 अरब टन) तमिलनाडु के लिग्नाइट बेसिन में है। लिग्नाइट कार्पोरेशन लिमिटेड नेवेली में लिग्नाइट का खनन करती हैं। लिग्नाइट के भण्डार राजस्थान, गुजरात और जम्मू एवं कश्मीर में भी पाये जाते हैं क्योंकि लिग्नाइट क्षेत्र मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों से दूर स्थित है।

6. पेट्रोलियम उत्पादक प्रदेश:

  • उत्तर-पूर्वी प्रदेश: इसका विस्तार ऊपरी असम घाटी, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में है।
  • गुजरात प्रदेश: खंभत बेसिन और गुजरात के मैदोनों में विस्तृत है।
  • मुंबई हाई अपतट प्रदेश।
  • पूर्वी तटीय प्रदेश: यह कावेरी और गोदावरी कृष्णा द्रोणियों में विस्तृत है।

7. परमाणु ऊर्जा केन्द्र:

  • भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र (1967)।
  • तारापुर परमाणु शक्ति केन्द्र: 1969 में स्थापना हुई। इसकी क्षमता 320 मेगा वाट है।
  • रावतभाटा कोटा में: 320 मेगा वाट की क्षमता।
  • तमिलनाडु में कल्पक्कम: 440 मेगा वाट।
  • उत्तर प्रदेश नरौरा।
  • कर्नाटक के कैगा और गुजरात के काकरापाड़ा।

8. ऊर्जा के गैर परम्परागत स्रोत:
ऊर्जा के इन स्रोतों में निम्नलिखित शामिल हैं: बायोगैस, जैव पदार्थ, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, लघु जलविद्युत परियोजनाएँ, सौर फोटो वॉल्टैइक ऊर्जा, नगरीय, नगरपालिका के और औद्योगिक कूड़ा-करकट ऊर्जा के अपराम्परिक स्रोतों की व्यवस्था के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है।

प्रश्न 4.
भारत में जल-विद्युत शक्ति के लिए पाई जानेवाली अनुकूल दशाओं की चर्चा उपयुक्त उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
जल-विद्युत का विकास निम्नलिखित भौगोलिक तथा आर्थिक तत्त्वों पर निर्भर करता है –
1. ऊँची-नीची भूमि:
जल विद्युत के विकास के लिए ऊँची-नीची तथा ढालू भूमि होनी चाहिए। इस दृष्टि से पर्वतीय तथा पठारी प्रदेश जन-विद्युत के विकास के लिए आदर्श क्षेत्र होते हैं। अधिक ऊँचाई से गिरने वाला जल अधिक मात्रा में जल विद्युत उत्पन्न करता है।

2. अधिक वर्षा:
जल विद्युत के लिए सारा वर्ष निरन्तर जल की मात्रा उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए नदियों के उद्गम क्षेत्रों में वर्ष भर समान रूप से होनी चाहिए। शुष्क क्षेत्रों में तथा मानसून खण्ड में मौसमी वर्षा के कारण जल विद्युत के उत्पादन में कमी हो जाती है।

3. विशाल नदियों तथा जल प्रपातों का होना:
नदियों में जल की मात्रा अधिक होनी चाहिए ताकि वर्ष भर समान रूप से जल प्राप्त हो सके। पर्वतीय प्रदेशों में बनने वाले प्राकृतिक जल प्रपात जल विद्युत विकास में सहायक होते हैं। जैसे-उत्तरी अमेरिका में नियाग्रा जल प्रपात।

4. मार्ग में झीलों का होना:
नदी के मार्ग में झीले अनुकूल होती हैं। यह रेल के कणों को रोक कर मशीनों को हानि से बचाती हैं। शीतकाल में तापमान हिमांक से ऊपर होना चाहिए ताकि पानी जम न जाए।

5. आर्थिक तत्त्व:
(क) बाजार की समीपता-जल विद्युत का प्रयोग करने वाले क्षेत्र निकट होने चाहिए ताकि मार्ग में जल विद्युत का ह्रास कम हो तथा व्यय भी कम हो।

(ख) अधिक माँग का न होना-विद्युत के विकास के लिए अधिक माँग होनी चाहिए। कम माँग के कारण ही अफ्रीका महाद्वीप में जल विद्युत का अधिक विकास नहीं हुआ है।

(ग) पूँजी का न होना-नदियों पर बाँध बनाने तथा बिजली घरों के निर्माण के लिए पूँजी चाहिए।

(घ) अन्य तत्त्व-जल विद्युत विकास के लिए तकनीकी ज्ञान तथा परिवहन के साधनों का होना आवश्यक है। जिन क्षेत्रों में कोयला तथा पेट्रोलियम की कमी होती है, वहाँ जल विद्युत का विकास आवश्यक हो जाता है। जल विद्युत के उत्पादन में प्रयोग होने वाले जल का उपयोग जल सिंचाई के लिए किया जाए ताकि उत्पादन मूल्य को घटाया जा सके।

प्रश्न 5.
(क) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाइए –

  1. भारत की तेल परिष्करणशालाएँ।
  2. पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र।

(ख) देश में कोयले और पेट्रोलियम के वितरण प्रतिरूपों पर एक संक्षिप्त आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर:

चित्र : भारत-कोयला वितरण क्षेत्र

(ख) कोयला:
भारत में सबसे पहले 1814 में कोयले की खुदाई आरम्भ हुई तथा लगातार कोयला क्षेत्रों का विस्तार बढ़ता गया। कुल उत्पादन 3150 लाख टन है। भारत में कोयला प्राप्ति के दो क्षेत्र हैं –

1. गोंडवाना कोयला क्षेत्र:

(I) पश्चिम बंगाल-इस प्रदेश में 1267 कि.मी. में फैली हुई रानीगंज की प्राचीन खान है। यहाँ से भारत का 30% कोयला मिलता है।

(II) झारखण्ड-यह राज्य भारत का प्रमुख कोयला उत्पादन करता है। यहाँ दामोदर घाटी में झरिया, बोकारो, कर्णपुर, गिरीडीह तथा डाल्टनगंज प्रमुख खाने हैं। झरिया का कोयला क्षेत्र सबसे बड़ी खान है। यहाँ बढ़िया प्रकार का कोक कोयला मिलता है। इस प्रकार का कोयला इस्पात में जमशेदपुर, आसनसोल, दुर्गापुर तथा बोकारो के कारखानों में प्रयोग होता है।

चित्र: भारत-कोयला वितरण क्षेत्र

(III) मध्य प्रदेश-इस प्रदेश में नदी घाटियों में कई खाने हैं। जैसे-सोन घाटी में सुहागपुर, कोरबा (छत्तीसगढ़), उमरिया, रामपुर, तातापानी प्रमुख खाने हैं।

(IV) अन्य खाने-आन्ध्र प्रदेश में सिंगरौली, उड़ीसा में महानदी घाटी में तिलचर, महाराष्ट्र में चांदा दूसरी खाने हैं।

2. टरशरी कोयला क्षेत्र:
यह कोयला असम में भूकम्प क्षेत्र, राजस्थान में बीकानेर क्षेत्र, मेघालय और तमिलनाडु में मिलता है। कुल उत्पादन 32 उत्पादन 32 लाख टन है।

3. पेट्रोलियम: भारत में नहीर पोंग नामक स्थान पर (असम) पहला कुंआ 2866 में खोदा गया जो 102 फुट गहरा था। भारत में दस लाख वन मील क्षेत्र में तेल मिलने की आशा है। मुख्य तेल क्षेत्र –

4. डिगबोई: असम, यह भारत का सबसे प्राचीन क्षेत्र है। यहाँ 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 3 तेल कूप हैं-डिगबोई, बप्पापुंग तथा हसापुंग।

5. सुरमा घाटी: बदरपुर, मसीमपुर, तथा पथरिया नामक स्थानों पर तेल मिलता है।

6. नहर कटिया: असम, यह एक नवीन क्षेत्र है जिसमें नहर कटिया, हुगरीजन, मोरान, लकवा, शिवसागर प्रमुख तेल कूप हैं।

7. गुजरात: कैम्बे तथा कच्छ की खाड़ी के निकट अंकलेश्वर, लयुनेज, कोलाल स्थानों पर तेल मिलता है।

8. मुंबई हाई: खाड़ी कच्छ में कम गहरे समुद्री भाग। यह भारत का सबसे बड़ा तेल उत्पादक क्षेत्र है। सन् 1999-2000 में कुल उत्पादन 329 लाख टन हुआ।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में मैंगनीज का उत्पादन कितना है?
(A) 30 लाख टन
(B) 18 लाख टन
(C) 20 लाख टन
(D) 25 लाख टन
उत्तर:
(B) 18 लाख टन

प्रश्न 2.
भारत में खनिज तेल का पहला कुंआ कहाँ खोदा गया?
(A) नहीर पोंग
(B) सुरमा घाटी
(C) नहरकटिया
(D) डिगबोई
उत्तर:
(A) नहीर पोंग

प्रश्न 3.
भारत में सबसे पहले कोयले की खुदाई कब प्रारम्भ हुई?
(A) 1866
(B) 1814
(C) 1912
(D) 1810
उत्तर:
(B) 1814

प्रश्न 4.
भारत का लोहा उत्पादन में विश्व में कौन-सा स्थान है?
(A) पांचवा
(B) सातवां
(C) दसवां
(D) दूसरा।
उत्तर:
(B) सातवां

प्रश्न 5.
किस धातु का प्रयोग बिजली की तारें आदि बनाने में किया जाता है?
(A) लोहा
(B) अभ्रक
(C) जिंक
(D) तांबा
उत्तर:
(D) तांबा

प्रश्न 6.
मुंबई हाई क्षेत्रे जहाँ से खनिज तेल मिलता है, अरब सागर में मुंबई बन्दरगाह से कितनी दूरी पर है?
(A) 130 कि.मी.
(B) 120 कि.मी.
(C) 110 कि.मी.
(D) 150 कि.मी.
उत्तर:
(B) 120 कि.मी.

प्रश्न 7.
भारत सबसे अधिक किस धातु का निर्यात करता है?
(A) मैंगनीज
(B) तांबा
(C) अभ्रक
(D) सोना
उत्तर:
(C) अभ्रक

प्रश्न 8.
मयूरगंज, क्योंझर तथा बोनाई क्षेत्रों में कौन-सी धातु मिलती है?
(A) तांबा
(B) मैंगनीज
(C) लोहा
(D) अभ्रक
उत्तर:
(C) लोहा

प्रश्न 9.
गोंडवाना कोयले के मुख्य भण्डार कहाँ हैं?
(A) दामोदार घाटी
(B) अरुणाचल प्रदेश
(C) रानीगंज
(D) औरंगाबाद
उत्तर:
(A) दामोदार घाटी

प्रश्न 10.
एल्यूमीनियम बनाने के लिए कच्चे माल के रूप में किस खनिज अयस्क का उपयोग किया जाता है?
(A) बॉक्साइट
(B) मैंगनीज
(C) डोलोमाइट
(D) जस्ता
उत्तर:
(A) बॉक्साइट

प्रश्न 11.
लौह अयस्क, ताँबा एवं सोना क्या हैं?
(A) धात्विक खनिज
(B) अधात्विक खनिज
(C) कार्बन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) धात्विक खनिज

प्रश्न 12.
भारत में खनिजों का व्यवस्थित सर्वेक्षण, तथा अन्वेषण कार्य कौन करता है?
(A) भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
(B) तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग
(C) खनिज अन्वेषण निगम लि.
(D) राष्ट्रीय खनिज विकास निगम
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी


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