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Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Geography Primary Activities Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Primary Activities Book Answers

BSEB Class 12 Geography Primary Activities Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Primary Activities Book Answers
BSEB Class 12 Geography Primary Activities Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Primary Activities Book Answers


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Bihar Board Class 12th Geography Primary Activities Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 12th Geography Primary Activities Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Geography Primary Activities
Chapters All
Provider Hsslive


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Bihar Board Class 12 Geography प्राथमिक क्रियाएँ Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(क) कॉफी
(ख) गन्ना
(ग) गेहूँ
(घ) रबड़
उत्तर:
(ग) गेहूँ

प्रश्न 2.
निम्न देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
(क) रूस
(ख) डेनमार्क
(ग) भारत
(घ) नीदरलैंड
उत्तर:
(ख) डेनमार्क

प्रश्न 3.
फूलों की कृषि कहलाती है
(क) ट्रक फार्मिग
(ख) कारखाना कृषि
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) पुष्पोत्पादन
उत्तर:
(घ) पुष्पोत्पादन

प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
(क) कोलखोज
(ख) अंगूरोत्पादन
(ग) मिश्रित कृषि
(घ) रोपण कृषि
उत्तर:
(घ) रोपण कृषि

प्रश्न 5.
निम्न प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
(क) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(ख) अर्जेंटाइना के पंपास क्षेत्र
(ग) यूरोपीय स्टैपीज क्षेत्र
(घ) अमेजन बेसिन
उत्तर:
(घ) अमेजन बेसिन

प्रश्न 6.
निम्न में से किस प्रकार की कृषि में खड़े रसदार फलों की कृषि की जाती है?
(क) बाजारीय सब्जी कृषि
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) सहकारी कृषि
उत्तर:
(ख) भूमध्यसागरीय कृषि

प्रश्न 7.
निम्न कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन-दहन कृषि का प्रकार है?
(क) विस्तृत जीवन निर्वाह कृषि
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(ग) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(घ) मिश्रित कृषि
उत्तर:
(ख) आदिकालीन निर्वाहक कृषि

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
(क) डेरी कृषि
(ख) मिश्रित कृषि
(ग) रोपण कृषि
(घ) वाणिज्य अनाज कृषि
उत्तर:
(क) डेरी कृषि

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
इस प्रकार की कृषि में बोए गए खेत बहुत छोटे होते हैं एवं खेती भी पुराने औजार जैसे लकड़ी, कुदाली एवं फावड़े द्वारा की जाती है। कुछ समय पश्चात् मिट्टी का उपजाऊपन समाप्त हो जाता है। तब कृषक नए क्षेत्र में वन जलाकर कृषि के लिए भूमि तैयार करता है। इस प्रकार की कृषि की सबसे बड़ी समस्या भूमि की उर्वरता कम होती जाती है।

प्रश्न 2.
बाजारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
उत्तर:
क्योंकि इस प्रकार की कृषि में अधिक मुद्रा मिलने वाली फसलें जैसे सब्जियाँ, फल एवं पुष्प लगाए जाते हैं, जिनकी माँग नगरीय क्षेत्रों में होती है।

प्रश्न 3.
विस्तृत पैमाने पर डेरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद ही क्यों संभव हो सका है?
उत्तर:
क्योंकि विकसित यातायात के साधन, प्रशीतकों का उपयोग, पास्तेरीकरण की सुविधा के कारण विभिन्न डेरी उत्पादों को अधिक समय तक रखा जा सकता है।

(ग) निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर कीजिए।
उत्तर:
चलवासी पशुचारण एक प्राचीन जीवन-निर्वाह व्यवसाय रहा है। जिसमें पशुचारक अपने भोजन, वस्त्र, शरण, औजार एवं यातायात के लिए पशुओं पर ही निर्भर रहता था। वे अपने पालतू पशुओं के साथ पानी एवं चरागाह की उपलब्धता एवं गुणवत्ता के अनुसार एक ही स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानातरित होते रहते थे। चलवासी पशुचारण क्षेत्रों में कई प्रकार के पशु पाले जाते हैं। उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में गाय-बैल प्रमुख पशु हैं, जबकि सहारा एवं एशिया के मरुस्थलों में भेड़ बकरी एवं ऊँट पाला जाता है। तिब्बत एवं एंडीज के पर्वतीय भागों में यॉक व लामा एवं आर्कटिक और उप उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों में रेडियर पाला जाता है।

चलवासी पशुचारण की अपेक्षाकृत वाणिज्य पशुधन पालन अधिक व्यवस्थित एवं पूँजी प्रधान है। वाणिज्य पशुधन पालन पश्चिम से प्रभावित है एवं फार्म भी स्थायी होते हैं। यह फार्म विशाल क्षेत्र पर फैले होते हैं एवं संपूर्ण क्षेत्र को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित कर दिया जाता है। चराई को नियंत्रित करने के लिए इन्हें बाड़ लगाकर एक दूसरे से अलग कर दिया जाता है।

जब चराई के कारण एक छोटे क्षेत्र की घास समाप्त हो जाती है तब पशुओं को दूसरे छोटे क्षेत्र में ले जाया जाता है। वाणिज्य पशुधन पालन में पशुओं की संख्या भी चरागाह की वहन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। यह एक विशिष्ट गतिविधि है, जिसमें केवल एक ही प्रकार के पशु पाले जाते हैं। प्रमुख पशुओं में भेड़, बकरी, गाय-बैल एवं घोड़े हैं। इनसे माँस, खालें तथा ऊन वैज्ञानिक ढंग से प्राप्त कर विश्व के बाजारों में निर्यात किया जाता है।

प्रश्न 2.
रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बतलाइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइए।
उत्तर:
इस कृषि की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें कृषि क्षेत्र का आकार बहुत विस्तृत होता है। इसमें अधिक पूँजी निवेश, उच्च प्रबंध एवं तकनीकी आधार एवं वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। यह एक फसली कृषि है जिसमें किसी एक फसल के उत्पादन पर ही सकेंद्रण किया जाता है। श्रमिक सस्ते मिल जाते हैं एवं यातायात विकसित होता है जिसके द्वारा बागान एवं बाजार सुचारू रूप से जुड़ रहते हैं।

पश्चिमी अफ्रीका में कॉफी एवं कोकोआ, भारत एवं श्रीलंका में चाय, मलेशिया में रबड़ एवं पश्चिमी द्वीप समूह में गन्ना और केले की रोपण फसल उगाई जाती है। फिलीपाइंस में नारियल व गन्ने, इंडोनेशिया में गन्ना तथा ब्राजील में कॉफी आदि की रोपण फसल उगाई जाती है।

Bihar Board Class 12 Geography प्राथमिक क्रियाएँ Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
स्थानान्तरी कृषि किसे कहते हैं?
उत्तर:
कृषि के सबसे आदिम स्वरूप को स्थानान्तरी कृषि कहते हैं।

प्रश्न 2.
रोपण कृषि का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
रोपण कृषि का मुख्य उद्देश्य निर्यात अथवा व्यापार द्वारा धन अर्जित करना था।

प्रश्न 3.
कृषि उत्पादन में किस कारण वृद्धि हुई?
उत्तर:
कृषि उत्पादन में वृद्धि पौधों के विसरण तथा कृषि के औद्योगिकरण से हुई है।

प्रश्न 4. कौन से कारक फसल विशेष के लिए सामान्य सीमायें निर्धारित करते हैं?
उत्तर:
जलवायु, मिट्टी तथा उच्चावच ऐसे कारक हैं जो मिलकर फसल विशेष के लिए सामान्य सीमायें निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 5.
विकासशील देशों में कितने प्रतिशत लोगों का व्यवसाय कृषि है?
उत्तर:
लगभग 65 प्रतिशत से अधिक लोगों का व्यवसाय कृषि है।

प्रश्न 6.
सर्वप्रथम मनुष्य ने कब खेती करना प्रारंभ किया था?
उत्तर:
लगभग 12 हजार वर्ष पहले।

प्रश्न 7.
दक्षिण-पश्चिम एशिया तथा पूर्वी भूमध्यसागरीय प्रदेश किस कारण महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
गेंहू, जौ, तिल, मटर, अंजीर, जैतून, खजूर, लहसुन, बादाम, गाय, बैल, भेड़ और बकरियों आदि के लिए।

प्रश्न 8.
वाणिज्य डेरी कृषि के तीन प्रमुख क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. उत्तरी पश्चिमी यूरोप
  2. कनाडा एवं
  3. न्यूजीलैंड, दक्षिणी पूर्वी आस्ट्रेलिया एवं तस्मानिया।

प्रश्न 9.
डेरी कृषि का कार्य नगरीय एवं औद्योगिक केन्द्रों के पास क्यों किया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि ये क्षेत्र ताजा दूध एवं अन्य डेरी उत्पाद के अच्छे बाजार होते हैं वर्तमान समय में विकसित यातायात के साधन, प्रशीतकों का उपयोग, पास्तेरीकरण की सुविधा के कारण विभिन्न डेरी उत्पादों को अधिक समय तक रखा जा सकता है।

प्रश्न 10.
मिश्रित कृषि क्या है?
उत्तर:
इस प्रकार की कृषि में खेतों का आकार मध्यम होता है। इसमें बोई जाने वाली फसलें गेहूँ, नौ, राई, जई, मक्का , चारे की फसल एवं कंद-मूल प्रमुख हैं।

प्रश्न 11.
रोपण कृषि में बोई जाने वाली फसलें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
चाय, कॉफी, कोको, रबड़, कपास, गन्ना, केले एवं अन्नानास आदि।

प्रश्न 12.
तापमान की आवश्यकता के आधार पर फसलों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर:

  1. उष्ण कटिबंध के उच्च तापमान में उगने वाली फसलें।
  2. उप-उष्ण एवं शीतोष्ण क्षेत्रों के निम्न तापमान वाली दशाओं में उगने वाली फसलें।

प्रश्न 13.
1 किग्रा, चावल उत्पन्न करने के लिए कितनी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
10,000 किग्रा. पानी आवश्यक होता है।

प्रश्न 14.
संसार की खाद्य आपूर्ति में कौन-कौन सी फसलों का प्रभुत्व है?
उत्तर:
गेहूँ, चावल, मक्का, आलू तथा कसावा हैं।

प्रश्न 15.
भोजन संग्रह विश्व के किन भागों में किया जाता है?
उत्तर:

  1. उच्च अक्षांश के क्षेत्र जिसमें उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया एवं दक्षिणी चिली आते हैं।
  2. निम्न अक्षांश के क्षेत्र जिसमें अमेजन बेसिन, उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका, आस्ट्रेलिया एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया का आंतरिक प्रदेश आता है।

प्रश्न 16.
निर्वाह कृषि क्या है?
उत्तर:
इस प्रकार की कृषि में कृषि क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय उत्पादों का संपूर्ण अथवा लगभग का उपयोग करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
फसल के उत्पादन पर तापमान का क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
तापमान फसलों के वितरण को प्रभावित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण नियंत्रक है, क्योंकि उपयुक्त तापमान की दशायें बीजों के अंकुरण तथा पौधों की सफलतापूर्वक वृद्धि हेतु आवश्यक होता है। तापमान की आवश्यकता के आधार पर फसलों के दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. उष्ण कटिबंध के उच्च तापमान वाली फसलें।
  2. उप-उष्ण एवं शीतोष्ण क्षेत्रों के निम्न तापमान वाली फसलें।

उष्ण कटिबंधीय फसलें-जो उच्च तापमान की दशाओं में विसरित होने वाली फसलें (31°C से 37°C तक)। ये फसलें, शून्य तापमान से नीचे तथा पाला पड़ने पर नष्ट हो सकती हैं। उनमें से कुछ शीत से इतनी अधिक प्रभावित होती हैं कि वे 10°C से कम तापमान पर ही नष्ट हो जायेगी।

प्रश्न 2.
वर्षा फसलों की वृद्धि को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
वर्षा से मिट्टी को नमी प्राप्त होती है जो फसलों की वृद्धि के लिए आवश्यक होती है। प्रत्येक पौधे की एक जड़-प्रणाली होती है जो एक बड़े सतह क्षेत्र पर फैलती है तथा नीचे की मिट्टी से जल सोखती रहती है। फसलों के लिए जल की आवश्यकता में अंतर पाया जाता है। एक किलो गेहूँ को उत्पन्न करने के लिए लगभग 1500 किग्रा. जल की आवश्यकता होती है जबकि इतनी ही मात्रा में चावल के उत्पादन में 10,000 किग्रा पानी की आवश्यकता होती है।

समुचित जल की मात्रा के अभाव में पौधों को पैदा नहीं किया जा सकता है। जल आपूर्ति की मात्रा में वृद्धि के अनुपात में फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि होगी। इसके विपरीत, यदि पौधों को आवश्यकता से अधिक जल की आपूर्ति होती है, तो फसल के उत्पादन में कमी होगी। प्रत्येक फसल के लिए जल की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए खर तथा चाय हेतु 150 सेमी. वार्षिक वर्षा चाहिए। दूसरी ओर 25 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा वाले प्रदेशों में गेहूँ उत्पन्न किया जा सकता है। पृथ्वी तल सतह का 50 प्रतिशत से अधिक भू-भाग, 25 से 100 सेमी. वार्षिक वर्षा प्राप्त करते हैं। इसलिए गेहूँ सबसे अधिक क्षेत्र पर पैदा की जाने वाली फसल है।

प्रश्न 3.
कुछ विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण स्थानों का वर्णन करो।
उत्तर:
पृथ्वी पर पौधों एवं पशुओं को पालतू बनाने की प्रक्रिया कई स्थानों पर सम्पन्न हुई, फिर भी कुछ स्थान महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. दक्षिण: पश्चिम एशिया तथा पूर्वी भूमध्यसागरीय प्रदेश-जौ, तिल, गेहूँ, मटर, अंजीर, जैतून, खजूर, लहसुन, बादाम, गाय, बैल, भेड़ और बकरियों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  2. दक्षिण: पूर्वी एशिया-आम, वनस्पति, संस्कृति, अर्था खालू, साबूदाना और केला जैसे उगे हुए पौधों को काटना एवं उनका रोपण करना, सुअर, मुर्गी बत्तख आदि के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  3. चीन: चावल, ज्वार, बाजरा, सोयाबिन, चाय, प्याज, पालक तथा शहतूत, सुअर, मुर्गियाँ तथा बत्तख आदि के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  4. भारत: चावल, चना, बैंगन, मिर्च, नींबू, जूट और नील आदि गाय, बैल, भैंसे, मुर्गियों के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
  5. अफ्रीका: रतालू, तैलताड़, कहवा, सोरधम।
  6. उत्तर व दक्षिण अमेरिका: मक्का तथा सेम मध्य अमेरिका में, कसावा और कोको अमेजन बेसिन में तथा एंडीज में आलू और लाभ।

प्रश्न 4.
स्थानान्तरी कृषि किसे कहते हैं? यह किस भाग में पाई जाती है?
उत्तर:
कृषि के प्रारंभ चलवासी पशुचारसा के स्थान पर से अपेक्षाकृत स्थायी जीवन की शुरूआत हुई कृषि के सबसे आदिम स्वरूप को स्थानान्तरी कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि अभी संसार के कुछ भागों में प्रचलित है। यह मुख्यत: उष्ण कटिबंधीय वनों में अपनाई जाती है। इस प्रकार की कृषि में वनों को साफ करने के लिए वृक्षों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है। इन खेतों में पहले से तैयार की गई फसलों को रोपते हैं। कुछ वर्षों तक फसलों का उत्पादन करने के पश्चात् इनकी मिट्टी अनुपजाऊ हो जाती है। तब इन खेतों को परती छोड़ दिया जाता है तथा नये स्थानों की सफाई की जाती है। स्थानान्तरी कृषि की प्रकृति प्रवासी होती है। इसने लोगों को एक स्थान पर अधिक समय तक स्थायी रूप से रहने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 5.
स्थायी कृषि प्रणाली का संसार में कैसे विस्तार हुआ?
उत्तर:
धीरे-धीरे अनुकूल जलवायु एवं उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में धीरे-धीरे स्थायी खेतों तथा गाँवों में स्थायी कृषि प्रणाली का उदय हुआ। उपजाऊ नदी घाटियों जैसे दगला-फरात, नील, सिंधु, हांगहो, तथा चेंग-जिआंग में लगभग 6 हजार वर्ष पूर्व स्थायी कृषि के आधार पर महान सभ्यताओं का निर्माण हुआ। धीरे-धीरे इस स्थायी कृषि प्रणाली का संसार के अधिकांश भागों में विस्तार हुआ।

प्रश्न 6.
पौधों के विसरण तथा कृषि के औद्योगिकरण का कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
पौधों के विसरण तथा कृषि के औद्योगिकरण से कृषि उत्पादन अत्यधिक बढ़ा। इसके फलस्वरूप कृषि में श्रमिकों की माँग कम होने से बड़ी संख्या में श्रमिकों ने दूसरी आर्थिक क्रियाओं को अपनाया, क्योंकि कम लोगों के साथ मशीनों द्वारा अधिक उत्पादन किया जाना संभव हुआ। इस प्रकार संसार के औद्योगिक देशों द्वारा आर्थिक विकास के संकेत के रूप में जनसंख्या के क्रम से प्राथमिक कार्यों से द्वितीयक तथा तृतीयक कार्यों की ओर स्पष्ट स्थानांतरण देखा गया। यद्यपि विकासशील देशों में जन रोजगार संरचना में प्राथमिक से सीधे तृतीयक क्षेत्र में बदला।

प्रश्न 7.
‘उत्पादन दक्षता’ किस प्रकार प्राप्त की जा सकती है?
उत्तर:
‘उत्पादन दक्षता’ दो प्रकार से प्राप्त की जाती है –
1. उन्नत निवेश जैसे बीज उर्वरक तथा फफूंदीनाशी का प्रयोग जिससे अधिक उपज प्रोत्साहित हो, एवं

2. विशिष्टीकृत मशीनरी (के प्रयोग से) उत्पादन में तीव्रता आती है तथा फसल बोने, सिंचाई करने तथा तैयार फसल कटाई एवम् उसके पश्चात् के कृषि कार्यों में लगने वाले श्रमिकों की संख्या में कमी होती है। संयुक्त राज्य में कृषि का उत्पादन दो गुणा हो गया है, जबकि यहाँ कृषि करने वालों की संख्या में तीन गुना से अधिक की कमी हुई है। श्रमिकों की संख्या में कमी यह दर्शाती है कि फार्म, खेत तथा पशु समूह बड़े होते चले जा रहे हैं। इससे, इस प्रकार श्रमिक तथा उत्पादन लागत में अधिक बचत होती है।

प्रश्न 8.
खनन कार्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. भौतिक कारक-खनिज निक्षेपों के आकार, श्रेणी एवं उपस्थिति की अवस्था को सम्मिलित करते हैं।
  2. आर्थिक कारक-जिसमें खनिज की माँग, विद्यमान तकनीकी ज्ञान एवं उसका उपयोग, अवसंरचना के विकास के लिए उपलब्ध पूँजी एवं यातायात व श्रम पर होने वाला व्यय आता है।

प्रश्न 9.
पोषक तत्त्व कितने प्रकार के हैं? पोषक तत्त्वों का तीव्र पुनर्स्थापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
प्रमुख पोषक तत्त्व छः प्रकार के हैं। नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम तथा सल्फर। इसके अतिरिक्त लोहा तथा अल्पमात्रा में बोरॉन व आयोडीन जैसे तत्त्वों की भी पौधों का अल्पमात्रा में आवश्यकता पड़ती है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी में पोषण-क्षमता अत्यधिक भिन्न होती है।

उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में उच्च वर्षा के कारण पोषक तत्त्व सरलतापूर्वक घुलकर बह जाते हैं। शीतोष्ण प्रदेशों में मिट्टी में पोषक तत्त्वों की मात्रा अधिक होती हैं। पौधों तथा पशु-जैविकों के विघटन से मिट्टी में पोषक तत्त्वों का प्राकृतिक पुनर्स्थापन होता रहता है। लेकिन यह धीमी प्रक्रिया है। पोषक तत्त्वों की तीव्र पुनर्स्थापना के लिए मिट्टी में रसायनिक उर्वरकों मुख्यत: नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाशियम को मिलाया जाता है।

प्रश्न 10.
फसलों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
उत्तर:
फसलों को उनके विभिन्न उपयोगों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जैसे-खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, रेशेदार और पेय। फसलों के विभाजन की दूसरी विधि इन्हें खाद्य फसलों तथा अखाद्य फसलों के वर्गों में रखना है।

खाद्य फसलें:
संसार की जनसंख्या के लिये भोजन की प्राप्ति मुख्यतः पौधों द्वारा ही होती है। इन फसलों की तीन विशेषताएँ हैं – प्रति इकाई भूमि पर अधिक उत्पादन, उच्च भोजन मूल्य और संग्रह की योग्यता। संसार की खाद्य आपूर्ति में पाँच फसलों का ही महत्त्व है-गेहूँ, चावल, मक्का, आलू तथा कसावा। इसके अतिरिक्त गन्ना, चुकन्दर, कहवा, जौं, राई, तिलहन, दलहन भी खाद्य फसलें हैं। अखाद्य फसलें-रेशेदार फसलें जैसे कपास तथा जूट, रबड़ एवं तम्बाकू महत्त्वपूर्ण अखाद्य फसलें हैं।

प्रश्न 11.
कृषि भूमि की अधिकतम सीमा का निर्धारण तथा भू-उपयोग का वर्णन करें।
उत्तर:
संसार में कृषि के अंतर्गत कुछ सीमित क्षेत्र ही पाया जाता है। जलवायु, दाल, मिट्टी तथा कीड़े मकोड़े अपेक्षाकृत कुल भू-उपयोग के कम प्रतिशत कृषि क्षेत्र को सीमित करते हैं। इसके अधिक बड़े क्षेत्र को चारागाह तथा वनों के रूप में उपयोग होता है।

सारणी: विश्वस्तर पर भू-उपयोग परिवर्तन-क्षेत्रफल दस लाख हेक्टेयर में।

वर्तमान में, विश्व कुल क्षेत्रफल का 32 प्रतिशत वनों के अंतर्गत 26 प्रतिशत चारागाह, एक प्रतिशत स्थायी फसलें, 10 खेती योग्य तथा 26 प्रतिशत अन्य उपयोगों के अंतर्गत पाया जाता है।

प्रश्न 12.
सामूहिक कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सभी कृषक अपने संसाधन जैसे भूमि, पशुधन एवं श्रम को मिलाकर कृषि कार्य करते हैं। ये अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भूमि का छोटा-सा भाग अपने अधिकार में भी रखते हैं। सरकार उत्पादन का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करती है एवं उत्पादन को सरकारी ही निर्धारित मूल्य पर खरीदती है। लक्ष्य से अधिक उत्पन्न होने वाला भाग सभी सदस्यों को वितरित कर दिया जाता है या बाजार में बेच दिया जाता है। उत्पादन एवं भाड़े पर ली गई मशीनों पर कृषकों को कर चुकाना पड़ता है। सभी सदस्यों को उनके द्वारा किए गए कार्य की प्रकृति के आधार पर भुगतान किया जाता है। असाधारण कार्य करने वाले सदस्य को नकद या माल के रूप में पुरस्कृत किया जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
स्थानान्तरी कृषि तथा स्थानबद्ध कृषि में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्थानान्तरी कृषि तथा स्थानबद्ध कृषि में अंतर-कृषि के प्रारंभ से चलवासी पशुचारण के स्थान पर अपेक्षाकृत स्थायी जीवन की शुरूआत हुई। कृषि के इस सबसे आदिम स्वरूप को स्थानान्तरी कृषि कहते हैं, जो अभी भी संसार के कुछ भागों में प्रचलित है। यह मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय वनों में अपनायी जाती है। इस प्रकार की कृषि में वनों को साफ करने के लिए वृक्षों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है। इन खेतों में पहले से तैयार की गयी फसलों को रोपते हैं। कुछ वर्षों तक फसलों का उत्पादन करने के पश्चात् इनकी मिट्टी अनुपजाऊ हो सकती है।

तब इन खेतों को परती छोड़ दिया जाता है तथा वन में नए स्थानों की सफाई की जाती है। ऐसी खेती को संसार के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे उत्तरी-पूर्वी भारत में झूमिंग, फिलिपीन्स में चैंजिन, ब्राजील में रोका तथा जायरे में मसोलें कहते हैं। यद्यपि स्थानांतरी कृषि की प्रकृति प्रवासी होती है, इसने लोगों को एक स्थान पर अधिक समय तक स्थायी रूप से रहने के लिए प्रेरित किया। तत्पश्चात् धीरे-धीरे अनुकूल जलवायु एवं उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में धीरे-धीरे स्थायी खेतों तथा गाँवों में स्थायी कृषि प्रणाली का उदय हुआ। उपजाऊ नदी घाटियों जैसे दगला-फरात, नील, सिंधु हांगहो तथा चेंग जिआंग में लगभग 6 हजार वर्ष पूर्व स्थायी कृषि के आधार पर महान सभ्यताओं का निर्माण हुआ। धीरे-धीरे इस स्थायी कृषि प्रणाली का संसार के अधिकांश भागों में विस्तार हुआ।

प्रश्न 2.
जीविकोपार्जी अथवा जीविका कृषि का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
इस कृषि में कृषक अपनी तथा अपने परिवार के सदस्यों की उदरपूर्ति के लिए फसलें उगाता है। कृषक अपने उपयोग के लिए वे सभी फसलें पैदा करता है जिनकी उसे आवश्यकता होती है। अतः इस कृषि में फसलों का विशिष्टीकरण नहीं होता। इनमें धान्य, दलहन, तिलहन तथा सन सभी का समावेश होता है। विश्व में जीविकोपार्जी कृषि के दो रूप पाए जाते हैं:
(क) आदिम जीविकोपार्जी कृषि जो स्थानान्तरी कृषि के समरूप है।
(ख) गहन जीविकोपार्जी कृषि जो पूर्वी तथा मानसून एशिया में प्रचलित है। चावल सबसे महत्त्वपूर्ण फसल है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में गेहूँ, जौं, मक्का, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, दालें तथा तिलहन बोये जाते हैं। यह कृषि भारत, चीन, उत्तरी कोरिया तथा मयनमार में की जाती है। इस कृषि के महत्त्वपूर्ण लक्षण निम्नलिखित हैं –

  1. जोत बहुत छोटे आकार की होती है।
  2. कृषि भूमि पर जनसंख्या के अधिक दाब के कारण भूमि का गहनतम उपयोग होता है।
  3. कृषि की गहनता इतनी अधिक है कि वर्ष में दो, तीन तथा कहीं-कहीं चार फसलें भी ली जाती हैं।
  4. मशीनीकरण के अभाव तथा जनसंख्या के कारण मानवीय श्रम का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है।
  5. कृषि के उपकरण बड़े साधारण तथा परम्परागत होते हैं परंतु पिछले कुछ वर्षों से जापान, चीन तथा उत्तरी कोरिया में मशीनों का प्रयोग भी होने लगा है।
  6. अधिक जनसंख्या के कारण मुख्यतः खाद्य फसलें ही उगाई जाती हैं और चारे की फसलों तथा पशुओं को विशेष स्थान नहीं मिलता।
  7. गहन कृषि के कारण मिट्टी की उर्वरता समाप्त हो जाती है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए हरी खाद, गोबर, कम्पोस्ट तथा रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। जापान में प्रति हेक्टेयर रसायनिक उर्वरक सबसे अधिक डाले जाते हैं।

प्रश्न 3.
विस्तृत कृषि किसे कहते हैं? विस्तार से बताएँ।
उत्तर:
विस्तृत कृषि एक मशीनीकृत कृषि है जिसमें खेतों का आकार बड़ा, मानवीय श्रम कम, प्रति हेक्टेयर उपज कम और प्रति व्यक्ति तथा कुल उपज अधिक होती है। यह कृषि मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में की जाती है। इन प्रदेशों में पहले चलवासी चरवाहे पशुचारण का कार्य करते थे और बाद में यहाँ स्थायी कृषि होने लगी। इन प्रदेशों में वार्षिक वर्षा 30 से 60 सेमी. होती है। जिस वर्ष वर्षा कम होती है उस वर्ष फसल को हानि पहुँचती है।

यह कृषि उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में शुरू हुई। इस कृषि का विकास कृषि यंत्रों तथा महाद्वीपीय रेलमार्गों के विकसित हो जाने से हुआ है। विस्तृत कृषि मुख्यत: रूस तथा यूक्रेन के स्टेपीज (Steppes), कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रेयरीज (Prairies), अर्जेण्टीना के पम्पास (Pampas of Argentina), तथा आस्ट्रेलिया के डाउन्स (Downs of Australia) में की जाती है।

विस्तृत कृषि के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं –

  1. खेत बहुत ही बड़े आकार के होते हैं। इनका क्षेत्रफल प्राय: 240 से 1600 हेक्टेयर तक होता है।
  2. बस्तियाँ बहुत छोटी तथा एक दूसरे से दूर स्थित होती है।
  3. खेत तैयार करने से फसल काटने तक का सारा काम मशीनों द्वारा किया जाता है। ट्रैक्टर, ड्रिल, कम्बाइन, हार्वेस्टर, थ्रेसर और विनोअर मुख्य कृषि यंत्र हैं।
  4. मुख्य फसल गेहूँ है। अन्य फसलें हैं-जौं, जई, राई, फ्लैक्स तथा तिलहन।
  5. खाद्यान्नों को सुरक्षित रखने के लिए बड़े-बड़े गोदाम बनाए जाते हैं जिन्हें साइलो या एलीवर्टस कहते हैं।
  6. यांत्रिक कृषि होने के कारण श्रमिकों की संख्या कम होती है।
  7. प्रति हेक्टेयर उपज कम तथा प्रति-व्यक्ति उपज अधिक होती है।

जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के कारण विस्तृत कृषि का क्षेत्र घटता जा रहा है। पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्यूनस आयर्स, आस्ट्रेलिया के तटीय भागों तथा यूक्रेन जैसे घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों से लोग विस्तृत कृषि के क्षेत्रों में आकर बसने लगे हैं। जिससे कृषि का क्षेत्र कम होता जा रहा है। इस प्रकार 19 वीं शताब्दी में शुरू हुई यह कृषि अब बहुत ही सीमित क्षेत्रों में की जाती है।

प्रश्न 4.
चाय तथा कहवा की खेती तथा उनके वितरण प्रतिरूप को प्रभावित करने वाली भौगोलिक दशाओं का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
1. चाय-चाय एक अत्यधिक प्रचलित पेय है जो एक सदाबहार झाड़ी की कोमल पत्तियों से तैयार की जाती है। इसके लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु की आवश्यकता पड़ती है लेकिन इसकी जड़ों में वर्षा का पानी एकत्रित नहीं होना चाहिए। इस प्रकार यह 27° दक्षिणी अक्षांश से 43° उत्तरी अक्षाशों के मध्य पहाड़ी ढलानों पर ही 125 सेमी. से 750 सेंटीमीटर वर्षा पाने वाले क्षेत्रों में उगायी जाती है। चाय के पौधों के लिए उपजाऊ मिट्टी जिसमें ह्यूमस की मात्रा अधिक हो, आवश्यक है।

चाय एक बागानी फसल है। जिसे बड़े चाय-बागानों में उगाया जाता है। चाय की झाड़ी को 40 से 50 सेंटीमीटर से अधिक नहीं बढ़ने दिया जाता है। चाय की झाड़ी की आयु 40 से 50 वर्ष है। मृदा की उर्वरता बनाये रखने के लिए नाइट्रोजन युक्त उर्वरक डालने की उपलब्धता एक आवश्यक कारक होता है। विश्व में चाय के मुख्य उत्पादक देश-भारत, चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश, जापान, इंडोनेशिया, अर्जेण्टाइना और कीनिया हैं।

2. कहवा-कहवा भी एक रोपण फसल है जो उष्णकटिबंध के उच्च भागों में समुद्र से 500 से 1500 मीटर की ऊँचाई तक पैदा होता है। कहवा की झाड़ी को पाला बहुत हानि पहुँचाता है। इसीलिए इसे छायादार पेड़ों के नीचे उगाया जाता है। इसके पौधे के लिए उच्च आर्द्रता की आवश्यकता होती है। लगभग 160 सेमी. से 250 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में गहरी, संरघ्र तथा ह्यूमस मुक्त आर्द्रता धारण करने की क्षमता वाली मिट्टी में कहवा को भलीभाँति उगाया जाता है।

चित्र: भारत-चाय तथा कहवा
ब्राजील कोलम्बिया, बेनेजुएला, गुवाटेमाला, हैटरी, जमैका, इथोपिया तथा इंडोनेशिया इसके मुख्य उत्पादक देश हैं। भारत में कहवा केवल कर्नाटक प्रदेश में ही उगाया जाता है।

प्रश्न 5.
चलवासी पशुपालन तथा व्यापारिक पशुपालन में अंतर बताइए। उत्तर-चलवासी पशुपालन तथा व्यापारिक पशुपालन में अंतर बताइए।
उत्तर:
चलवासी पशुपालन तथा व्यापारिक पशुपालन में अंतर –

चित्र: विश्व के मुख्य पशुचारण क्षेत्र।

संसार के ऊष्ण तथा उपोष्ण घास के मैदानों के पशुपालन तथा पशुचारण आज भी परम्परागत चलवासी पशुचारण अथवा व्यापारिक पशुचारण के रूप में प्रचलित हैं। चलवासी पशुपालन पशुओं पर आधारित जीवन निर्वाह करने की क्रिया है। चूंकि ये लोग स्थायी जीवन नहीं जीते अतः इन्हें चलवासी कहा जाता है। प्रत्येक चलवासी समुदाय एक सुस्पष्ट सीमा क्षेत्र में विचरण करता है। इनके द्वारा अधिग्रहीत क्षेत्र में चारागाह की उपलब्धता तथा जल की आपूर्ति में मौसम के अनुसार परिवर्तनों की पूर्ण जानकारी होती है। ये पशु पूर्णतः प्राकृतिक वनस्पति पर ही निर्भर होते हैं।

लम्बी तथा मुलायम घास वाले क्षेत्रों जहाँ अपेक्षाकृत अधिक वर्षा वाली घास भूमियों पर गाय-बैल आदि पाले जाते हैं। कम वर्षा तथा छोटी घास वाले क्षेत्रों में भेड़ें पाली जाती हैं। ऊबड़-खाबड़ धरातल जहाँ पर घास की मात्रा बहुत कम होती है, वहाँ बकरियाँ अधिक पाली जाती हैं। चलवासी, पशुचारण के अंतर्गत भेड़ें, बकरियाँ, ऊँट, गाय-बैल, घोड़े तथा गधे जैसी छः पशु प्रजातियों का पालन अधिक होता है। चलवासी पशुचारण के सात स्पष्ट क्षेत्र हैं –

  1. उच्च आक्षांशीय उप-अंटार्कटिक
  2. यूरेशिया का स्टेपी क्षेत्र
  3. पर्वतीय दक्षिणी एशिया
  4. मरुस्थल सहारा और अरब, का मरु प्रदेश
  5. उप-सहारा के सवाना प्रदेश
  6. एण्डीज तथा
  7. एशियाई उच्च पठारी-क्षेत्र।

व्यापारिक पशुपालन:
आधुनिक समय में पशुओं का वैज्ञानिक ढंग से पालन किया जाने लगा है। प्राकृतिक चरागाह के स्थान पर अब वे विस्तृत क्षेत्रों पर चारे की फसलों तथा घासों को उगाकर उन पर पशुओं को पाला जा रहा है तथा करने के लिए विशेष नस्ल के पशुओं का पालन हो रहा है। अब पशुओं की नस्ल-सुधार, रोगों की रोकथाम तथा बीमार पशुओं के इलाज आदि की समुचित व्यवस्था होती है। चरागाहों में चारे की खेती, दूध तथा माँस को संबोधित करने, पशु-उत्पादों के डिब्बा बंदी का कार्य मशीन से एवं वैज्ञानिक पद्धति से किया जा रहा है। व्यापारिक स्तर पर बड़े पैमाने पर पशुपालन (रेजिंग) विकसित देशों का विशेष कार्य हो गया है।

प्रश्न 6.
विश्व में गेहूँ तथा चावल की खेती तथा उनके वितरण प्रतिरूप के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. चावल:
अनेक मूल प्रजातियों के वृहत् संकेन्द्रण के आधार पर यह समझा जाता है कि चावल का उद्भव पूर्वोत्तर भारत के पूर्वी हिमालय पर्वतीय भागों हिंद-चीन तथा दक्षिण-पश्चिमी चीन से हुआ है। पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर, चांग-जियांग डेल्टा में, चावल की कृषि का सबसे पहले प्रारंभ 7000 वर्ष पूर्व हुआ था। अगले 6000 वर्षों में इसकी खेती का विस्तार शेष दक्षिणी और पूर्वी एशियाई भागों में हुआ। आज विश्व में लगभग 65 हजार से अधिक स्थानीय किस्मों के चावल की खेती होती है।

चावलं मुख्य रूप से उष्ण आर्द्र जलवायु वाले मानसूनी एशिया की फसल है। परम्परागत रूप से सुप्रवाहित नदी घाटियों एवं डेल्टा क्षेत्रों में ही चावल पैदा किया जाता था। तथापि, सिंचाई की सहायता से अब चावल की खेती उच्च भूमियों तथा शुष्क क्षेत्रों में भी की जा रही है। चावल का पौधा अर्थात् धान के वर्धन काल में उच्च तापक्रम (27° से 30° सैल्सियस) तथा वर्षा की अधिक मात्रा (लगभग 100 सेंटीमीटर) होनी चाहिए वस्तुतः इसके पौधों की प्रारंभिक अवस्था में खेतों में पानी भरा होना चाहिए। इसलिए ढाल के खेतों में 10 से 25 सेंटीमीटर पानी खड़ा रहता है। पर्वतीय क्षेत्रों में सीढ़ीनुमा खेतों में चावल उगाया जाता है। चीकाचुक्त दोमट मिट्टी जिसमें पानी भरा रह सके, इस फसल के लिए सर्वोत्तम मिट्टी है।

चावल की खेती के लिए अधिक संख्या में सस्ते श्रम की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसमें अधिकांश कार्य हाथ से करना पड़ता है – जैसे पौधशाला से पौध को निकालना, पानी भरे हुए खेतों में उन्हें रोपना, खेतों से समय-समय पर खर-पतवार निकालना तथा फसल की कटाई आदि। चावल का पोषक मूल्य अधिक होता है। विशेषतः उस समय जब चावल की बाहरी पर्त पर पाये जाने वाले महत्त्वपूर्ण विटामिन तत्त्व को धान की कुटाई के समय हटा नहीं दिया जाता है। संसार की लगभग आधी जनसंख्या का मुख्य भोजन चावल है।

2. गेहूँ-गेहूँ मुख्यतः
शीतोष्ण कटिबंधीय प्रदेश में बोई जाने वाली फसल है। लेकिन अपनी अनुकूलनशीलता के कारण आज गेहूँ का उत्पादन सभी खाद्यान्न फसलों के क्षेत्र से अधिक विस्तृत क्षेत्र पर किया जाने लगा है। आज संसार का कोई विरला ही देश होगा जहाँ यह फसल कुछ न कुछ मात्रा में पैदा न की जाती हो। प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट की समुचित मात्रायुक्त गेहूँ एक सर्वाधिक पौष्टिक अन्नों में से एक है।

विश्व के अधिकांश भागों के लोगों के भोजन का यह एक खाद्यान्न है। यद्यपि गेहूँ एक कठोर फसल है लेकिन अधिक गर्मी तथा आर्द्रता वाली जलवायु दशाओं में इसका सफलतापूर्वक उत्पादन नहीं होता है। इसके बीज उगने के समय मौसम ठंडा तथा मिट्टी में आर्द्रता की उपयुक्त मात्रा आवश्यक है। औसत वार्षिक वर्षा 40 से 75 सेंटीमीटर के बीच होनी चाहिए। फसल पकने के समय तापक्रम लगभग 16° सेल्सियस तथा आकाश साफ होना चाहिए। गेहूँ के लिए दोमट तथा श!जम मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है।

चित्र: संसार में गेहूँ उत्पादन के मुख्य क्षेत्र।

जलवायु के आधार पर गेहूँ की दो फसलें होती हैं –

1. शीत ऋतु का गेहूँ तथा बसंत ऋतु का गेहूँ। शीत ऋतु का गेहूँ उन क्षेत्रों में बोया जाता है जहाँ शीत ऋतु बहुत कठोर नहीं होती है जबकि बसंत ऋतु का गेहूँ उन क्षेत्रों में बोया जाता है जहाँ शीत ऋतु में अत्यधिक सर्दी पड़ती है। गेहूँ को गुणों के आधार पर भी दो किस्मों में विभाजित किया जाता है-मुलायम तथा कठोर गेहूँ। इनका उत्पादन क्रमशः अधिक आई वाले क्षेत्रों में एवं शुष्क आर्द्रता वाले क्षेत्रों में किया जाता है।

2. यद्यपि गेहूँ की प्रति एकड़ अधिकतम उपज आर्द्र मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होती है, इसकी उत्पादन की प्रमुख पेटियाँ सूखे अर्द्ध शुष्क जलवायु क्षेत्रों में ही स्थित हैं। सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन के प्रमुख क्षेत्र संयुक्त राज्य कनाडा के वृहत् मैदान, स्वतंत्र प्रदेशों का संघ पूर्ण सोवियत संघ के देश स्टेपी तुल्य प्रदेश तथा उत्तरी चीन का मैदान हैं। गेहूँ की खेती गहन तथा विस्तृत कृषि पद्धतियों के अंतर्गत की जाती है। व्यापारिक दृष्टिकोण से वृहत् स्तर पर उत्पादन आस्ट्रेलिया तथा दक्षिणी अमेरिका के पम्पास में भी किया जाता है। यूरोप के लगभग सभी देशों में गेहूँ उत्पन्न किया जाता है। इन सभी देशों में फ्रांस ही सबसे बड़ा उत्पादक तथा एकमात्र निर्यातक देश भी है।

तालिका: चावल, गेहूँ उत्पादन के मुख्य क्षेत्र

प्रश्न 7.
संसार के प्रमुख कृषि प्रदेशों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कृषि प्रदेशों का सबसे प्राचीन लेकिन सबसे संतोषजनक विभाजन 1936 में डी. डिवटेलसी द्वारा प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने संसार के कृषि प्रदेशों के विभाजन में 5 आधारों को अपनाया था

  1. फसल तथा पशु सहचर्य
  2. भू-उपयोग की गहनता
  3. कृषि उत्पाद का संसाधन तथा विपणन
  4. मशीनीकरण/यंत्रीकरण का अंश और
  5. कृषि समृद्ध गृहों तथा अन्य संरचनाओं के प्रकार एवं संयोजन।

इस योजना में 13 मुख्य प्रकार के कृषि प्रदेश पहचाने गये थे, जो निम्न हैं –

  1. चलवासी
  2. पशुपालन-फार्म
  3. स्थानान्तरी कृषि
  4. प्रारम्भिक स्थानबद्ध कृषि
  5. गहन जीविकोपार्जी या जीविका कृषि चावल प्रधान
  6. गहन जीविकोणी या जीविका कृषि चावल विहीन
  7. वाणिज्यिक रोपण कृषि
  8. भूमध्य सागरीय कृषि
  9. वाणिज्यिक (अंनोत्पादन) अन्नकृषि
  10. व्यापारिक पशु एवं फसल कृषि
  11. जीविकोपार्जी फसल एवं पशु कृषि
  12. वाणिज्यिक डेयरी कृषि और
  13. विशिष्ट उद्यान कृषि

चित्र में विश्व के प्रमुख कृषि प्रदेशों को सरल रूप में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से कुछ कम महत्त्व के प्रदेशों को मिला दिया गया है।

चित्र: प्रमुख कृषि प्रदेश

उपरोक्त वर्गीकरण के मूल्यांकन के लिए चयन किए गये कारक मात्रात्मक के स्थान पर निष्ठ प्रतीत होते हैं। इसके होते हुए भी हिवटेलसी का यह वर्गीकरण बाद में किए गये प्रयासों के लिए आधार प्रस्तुत करता है। कृषि पद्धतियाँ एवं उत्पादन विशेषताओं की मुख्य विशेषताओं के आधार पर संसार की कृषि पद्धतियों को प्रमुखतः दो वर्गों में जीविका कृषि, कृषि एवं वाणिज्यिक में विभक्त किया जा सकता है, यद्यपि किसी समय विशेष पर इन दोनों के बीच अंतर काफी धूमिल ही होता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में खेती को किस नाम से जाना जाता है?
(A) मसोलें
(B) झूमिंग
(C) चैंजिन
(D) स्थानान्तरी
उत्तर:
(B) झूमिंग

प्रश्न 2.
सबसे अधिक भू-भाग पर पैदा की जाने वाली फसल है –
(A) रबर
(B) कहवा
(C) गेहूँ
(D) चाय
उत्तर:
(D) चाय

प्रश्न 3.
विश्व के कुल क्षेत्रफल का 40 प्रतिशत भू-भाग
(A) चरागाह
(B) खेती योग्य
(C) वनों के अन्तर्गत
(D) स्थाई फसलें
उत्तर:
(B) खेती योग्य

प्रश्न 4.
गेहूँ मुख्य रूप से –
(A) उष्ण कटिबंधीय फसल
(B) शीतोष्ण कटिबंधीय फसल
(C) भूमध्य रेखीय फसल
(D) कोई भी नहीं
उत्तर:
(B) शीतोष्ण कटिबंधीय फसल

प्रश्न 5.
सामूहिक कृषि को सोवियत संघ में क्या नाम दिया गया?
(A) कोलखहोज
(B) सामूहिक श्रम
(C) ह्यूमिंग
(D) रोपण कृषि
उत्तर:
(A) कोलखहोज

प्रश्न 6.
ट्रक फार्म एवं बाजार के मध्य की दूरी, जो एक ट्रक रात भर में तय करता है, उसी आधार पर इसको क्या नाम दिया गया?
(A) ट्रक कृषि
(B) मोटर कृषि
(C) कार कृषि
(D) आधुनिक कृषि
उत्तर:
(A) ट्रक कृषि

प्रश्न 7.
पश्चिमी यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यान कृषि के अतिरिक्त और दूसरे प्रकार की कौन-सी कृषि की जाती है?
(A) बाजार कृषि
(B) कारखाना कृषि
(C) वाणिज्य कृषि
(D) डेरी कृषि
उत्तर:
(B) कारखाना कृषि

प्रश्न 8.
भूमध्यसागरीय क्षेत्र की विशेषता क्या हैं?
(A) अंगूर की कृषि
(B) अंजीर
(C) जैतून
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 9.
मिश्रित कृषि निम्न में से कहाँ की जाती है?
(A) उत्तरी पश्चिमी यूरोप
(B) उत्तरी अमेरिका का पूर्वी भाग
(C) यूरेशिया के कुछ भाग
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 10.
मिश्रित कृषि में किस प्रकार की फसल उगाई जाती है?
(A) गेहूँ
(B) जौ
(C) राई
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 11.
झमिंग कृषि को मलेशिया और इंडोनेशिया में किस नाम से जाना जाता है?
(A) लादांग
(B) मिल्पा
(C) झूमिंग
(D) सभी
उत्तर:
(A) लादांग

प्रश्न 12.
चाय, कॉफी, कोको, रबड़, कपास, गन्ना, केले एवं अन्नानास किस प्रकार की कृषि के उदाहरण हैं?
(A) वाणिज्य कृषि
(B) रोपण कृषि
(C) गहन निर्वाह कृषि
(D) डेरी कृषि
उत्तर:
(B) रोपण कृषि

प्रश्न 13.
किस कारण से मानसून एशिया के अनेक भागों में चावल की फसल उगाना संभव नहीं?
(A) उच्चावच
(B) जलवायु
(C) मृदा
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 14.
विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि निम्न में से कहाँ की जाती है?
(A) यूरेशिया के स्टेपीज
(B) उत्तरी अमेरिका के प्रेयरीज
(C) अर्जेंटाइना के पंपाज
(D) दक्षिणी अफ्रीका के वेल्डस
(E) आस्ट्रेलिया के डाउंस
(F) सभी
उत्तर:
(F) सभी

भौगोलिक कुशलताएँ

प्रश्न 1.
संसार के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित दिखाइए:

  1. आर्कटिक इनुइट, आस्ट्रेलियाई पिनटुपी, दक्षिण भारत के पालियान एवं मध्य एशिया के सेमांग के निवास क्षेत्र।
  2. लौह अयस्क उत्पादन के दो क्षेत्र एक यूरोप में दूसरा एशिया में।
  3. चीन, यूक्रेन और सं. राज्य अमेरिका प्रत्येक में एक कोयला क्षेत्र।

उत्तर:


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