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Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Geography Water Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Water Resources Book Answers

BSEB Class 12 Geography Water Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Water Resources Book Answers
BSEB Class 12 Geography Water Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Geography Water Resources Book Answers


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Bihar Board Class 12th Geography Water Resources Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 12th Geography Water Resources Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Geography Water Resources
Chapters All
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Bihar Board Class 12 Geography जल संसाधन Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्प में से सही उत्तर को चुनिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से जल किस प्रकार का संसाधन है?
(क) अजैव संसाधन
(ख) जैव संसाधन
(ग) अनवीकरणीय संसाधन
(घ) चक्रीय संसाधन
उत्तर:
(घ) चक्रीय संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित नदियों में से, देश में किस नदी में सबसे ज्यादा पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधान हैं?
(क) सिंधु
(ख) गंगा
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) गोदावरी
उत्तर:
(ग) ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 3.
घन कि.मी. में दी गई निम्नलिखित संख्याओं में से कौन-सी संख्या भारत में कल वार्षिक वर्षा दर्शाती है?
(क) 2,000
(ख) 4,000
(ग) 3,000
(घ) 5,000
उत्तर:
(ग) 3,000

प्रश्न 4.
निम्नलिखित दक्षिण भारतीय राज्यों में से किस राज्य में भौम जल उपयोग (% में) इसके कुल भैम जल संभाव्य से ज्यादा है?
(क) तमिलनाडु
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) कर्नाटक
(घ) केरल
उत्तर:
(क) तमिलनाडु

प्रश्न 5.
देश में प्रयुक्त कुल जल का सबसे अधिक समानुपात निम्नलिखित सेक्टरों में से किस सेक्टर में है?
(क) सिंचाई
(ख) घरेलू उपयोग
(ग) उद्योग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सिंचाई

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
यह कहा जाता है कि भारत में जल संसाधनों में तेजी से कमी आ रही है। जल संसाधनों की कमी के लिए उत्तरदायी कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता, जनसंख्या बढ़ने से दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। उपलब्ध जल संसाधन औद्योगिक, कृषि और घरेलू निस्सरणों से प्रदूषित होता जा रहा है और इस कारण उपयोगी जल संसाधनों की उपलब्धता और सीमित होती जा रही है। विस्तृत क्षेत्र बाढ़ तथा सूखे से प्रभावित है। लाखों क्यूसेक जल बिना उपयोग के समुद्र में बहकर चला जाता है। अन्तर्राज्यीय तथा अन्तरदेशीय विवादों ने जल के बँटवारे की समस्या खड़ी कर दी है।

प्रश्न 2.
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भौम जल विकास के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
उत्तर-पश्चिमी प्रदेश और दक्षिणी भारत के कुछ भागों के नदी बेसिन में भौम जल उपयोग बहुत अधिक। ऐसी स्थिति विकास के लिए हानिकारक है।

प्रश्न 3.
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है?
उत्तर:
कुल जल उपयोग में कृषि सेक्टर का भाग दूसरे सेक्टरों से अधिक है। भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सेक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की संभावना है। इस कारण देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि का हिस्सा कम होने की संभावना है।

प्रश्न 4.
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपभोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं?
उत्तर:
जब संदूषित जल संसाधनों तक पहुँचने लगता है, उस समय सुपोषण जैसी घटनाएँ घटती है। सुपोषण के कारण पानी में O2 की मात्रा कम या समाप्त हो जाती है जिसके कारण पानी पर निर्भर करने वाले जीवों का जीवन प्रभावित होता है। खाद्य श्रृंखलाएँ दूषित हो जाती है। कई प्रकार के महामारी रोग जैसे-आंत्रशोथ, पीलिया, हैजा, टाइफॉइड आदि फैलते हैं।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
देश में जल संसाधनों की उपलब्धता की विवेचना कीजिए और इसके स्थानिक वितरण के लिए उत्तरदायी निर्धारित करने वाले कारक बताइए।
उत्तर:
भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्रका लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनों का 4 प्रतिशत, जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्षण से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन कि.मी. है। धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग भौम जल से 1.869 घन कि.मी. जल उपलब्ध है। इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1.122 घन किमी है।

घरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत है-नदियों, झीलें, तलैया और तालाब। देश में कुल नदियों और उनकी सहायक नदियों की संख्या 10.360 नदियाँ हैं। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1.869 घन कि.मी. होने का अनुमान लगाया गया है। फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। नदी में जल प्रवाह इसके जल ग्रहण क्षेत्र के आकार अथवा नदी बेसिन और इस जल ग्रहण क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करता है।

भारत में वर्षा में अत्यधिक स्थानिक विभिन्नता पाई जाती है और वर्षा मुख्य रूप से मानसूनी मौसम संकेंद्रित है। भारत में कुछ नदियों, जैसे-गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जलग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है। ये नदियाँ देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक-तिहाई भाग पर पाई जाती है जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिणी भारतीय नदियों, जैसे-गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिनों में अभी भी संभव नहीं हो सका है। भारत के नदी तंत्र को चार भागों में बाँटा गया है –

  1. हिमालयी नदियाँ
  2. दक्षिणी नदियाँ
  3. तटीय नदियाँ
  4. अन्तःस्थलीय जल प्रवाह वाली नदियाँ

प्रश्न 2.
जल संसाधनों का ह्रास सामाजिक द्वंद्वों और विवादों को जन्म देते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरणों सहित समझाइए।
उत्तर:
जल संसाधनों का ह्रास द्वंद्वों और विवादों को जन्म देता है। अन्तर्राज्यीय विवादों के कारण बड़े पैमाने पर जल के उपयोग में समस्याएँ पैदा हुई हैं। नर्मदा, चंबल, दामोदर, कृष्णा, गोदावरी, कावेरी, महानदी आदि नदियाँ दो या दो से अधिक राज्यों में से होकर बहती है। अन्य नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, कोसी, गंडक, सिंधु, सतलुज आदि नदियाँ पड़ोसी देशों से होकर बहती हैं ओर वे अंतर्राष्ट्रीय नदियाँ हैं। ऐसी परिस्थितियों में से सभी राज्य या देश, जिनसे होकर नदी बहती है, नदी जल के भागीदार बन जाते हैं।

ऐसे भी उदाहरण हैं कि राजनीतिक मतभेदों के कारण नदियों के जल का उपयोग नहीं हो पाता है। भारत में ऐसी अनेक समस्याएँ हैं। भारत और बांग्लादेश के बीच गंगा जल विवाद एक ऐसा ही उदाहरण है। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद तथा राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बीच नदी जल का बँटवारा, कुछ ऐसे ही विवाद है। इन विवादों ने निम्नलिखित समस्याएँ पैदा कर दी है –

  1. लाखों क्यूसेक जल बिना उपयोग के ही बहकर समुद्र में चला जाता है।
  2. विस्तृत क्षेत्र बाढ़ तथा सूखे से प्रभावित होते हैं।
  3. लोगों के लिए पीने योग्य जल की आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है।
  4. सिंचाई की खराब व्यवस्था से जलाक्रान्ति तथा लवणता की समस्या गंभीर हो गई है।
  5. अंतर्राज्यीय तथा अंतरदेशीय विवादों ने जल के बँटवारे की समस्या खड़ी कर दी है।

प्रश्न 3.
जल-संभर प्रबंधन क्या है? क्या आप सोचते हैं कि यह सतत पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है?
उत्तर:
जल-संभर प्रबंधन से अभिप्राय, मुख्य रूप से, धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों, जैसे – अंत:स्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है।

हाँ, जल-संभर प्रबंधन पोषणीय विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है। जल-संभर व्यवस्था की सफलता मुख्य रूप से संप्रदाय के सहयोग पर निर्भर करती है। ‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनसंख्या को पीने, सिंचाई, मत्स्य पालन और वन रोपण के लिए जल संरक्षण के लिए योग्य बनाना है।

नीरू-मीरू (जल और आप) कार्यक्रम (आंध्र प्रदेश में) और अखारी पानी संसद (अलवर राजस्थान में) के अंतर्गत लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ जैसे-अंत:स्रवण तालाब ताल की खुदाई की गई और रोक बाँध बनाए गए हैं। तमिलनाडु में किसी भी इमारत का निर्माण बिना जल संग्रहण संरचना के नहीं किया जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में जल-संभर विकास परियोजनाएँ पर्यावरण और अर्थव्यवस्था का करने में सफल हुई है। इस एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन उपागम द्वारा जल उपलब्धता सतत पोषणीय आधार पर निश्चित रूप से की जा सकती है।

Bihar Board Class 12 Geography जल संसाधन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘जल संभर’ क्षेत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जल संभर एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है, जो इसे मृदा और जल संरक्षण की आदर्श नियोजन इकाई बना देता है।

प्रश्न 2.
यमुना नदी किन-किन स्थानों पर सबसे अधिक प्रदूषित नदी है?
उत्तर:
दिल्ली और इटावा के बीच यमुना नदी देश की सबसे अधिक प्रदूषित नदी है।

प्रश्न 3.
उत्तर भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताओ।
उत्तर:
गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, यमुना आदि उत्तरी भारत में बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।

प्रश्न 4.
भारत के किस भाग में नहरों द्वारा सिंचाई अधिक भाग पर की जाती है?
उत्तर:
उत्तर भारत के विशाल मैदानों में नहरों का एक जाल-सा बिछा हुआ है। पंजाब की अपेक्षा राजस्थान में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र अधिक है।

प्रश्न 5.
‘जल’ मानव के लिए क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
क्योंकि मानव के जीवन की सभी क्रियाएँ जल पर आधारित है।

प्रश्न 6.
अलवणीय जल किसे कहते हैं?
उत्तर:
अलवणीय जल, प्राकृतिक जल है, जिसमें लवण, खनिज इत्यादि नहीं पाए जाते हैं। वर्षा का जल अलवणीय जल कहलाता है।

प्रश्न 7.
जल के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जल के मुख रूप से चार स्रोत हैं पृष्ठीय जल, भौम जल, वायुमण्डलीय जल और महासागरीय जल।

प्रश्न 8.
पृष्ठीय जल कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
पृष्ठीय जल ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं और जलाशयों में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
भारत की सबसे बड़ी नदियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
भारत में बहने वाली सबसे बड़ी नदी ब्रह्मपुत्र है। दूसरा स्थान गंगा नदी का है। संसार में ब्रह्मपुत्र और गंगा 10 बड़ी नदियों में मानी जाती है।

प्रश्न 10.
जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर:
जल का मुख्य उपयोग पेय जल के रूप में होता है। इसके बाद, सिंचाई के लिए, जल शक्ति, औद्योगिक क्रियाकलापों आदि में किया जाता है।

प्रश्न 11.
भारत में सिंचाई के मुख्य स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
भारत में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन है-नहरें, कुएँ और नलकूप तथा तालाब।

प्रश्न 12.
वर्षा जल संग्रहण करने के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है, भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है, फ्लुओराइड और नाइट्रेट्स जैसे संदृषकों को कम करके अवमिश्रण भूमिगत जल की गुणवत्ता बढ़ाता है, मृदा अपरदन और बाढ़ को रोकता है।

प्रश्न 13.
जल संभर प्रबंधन से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
धरातलीय और भौम जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अंतर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों द्वारा भौम जल का संचयन और पुनर्भरण शामिल है।

प्रश्न 14.
हम कितने घन कि.मी. धरातलीय जल का उपयोग कर पाते हैं?
उत्तर:
धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन कि.मी. (32%) जल का ही उपयोग हम कर पाते हैं।

प्रश्न 15.
जल-संभर विकास का एक उदाहरण कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
महाराष्ट्र में, अहमदनगर जिले में रालेगॅन सिद्धि एक छोटा-सा गाँव है। यह पूरे देश में जल-संभर विकास का एक उदाहरण है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘भौम-जल’ किसे कहते हैं? भारत में भौम जल क्षमता कितनी है?
उत्तर:
पृष्ठीय जल की थोड़ी-सी मात्रा मृदा में प्रवेश कर जाती है इसे भौम-जल कहते हैं। जलोढ़ मृदाओं में जल आसानी से रिस जाता है। भारत के उत्तरी विशाल मैदानों में भौम-जल के विकास की संभावनाएँ अधिक हैं। भारत में कुल आपूरणीय भौम-जल क्षमता 433.9 अरब घन मीटर है। अकेले उत्तर प्रदेश में ही भौम जल की क्षमता 19.0 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में भूमिगत जल संसाधनों की संभावित क्षमता बहुत कम है।

प्रश्न 2.
जल का प्रमुख उपयोग कहाँ होता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई में होता है। सिंचाई के लिए जल कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है। आधुनिक सिंचाई का प्रारम्भ 1831 माना जाता है जब उत्तर प्रदेश में पूर्वी यमुना नहर बन कर तैयार हुई थी। स्वतंत्रता के बाद सिंचाई की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है। भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है अतः यहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है। परिणामस्वरूप सिंचाई के लिए जल की बहुत माँग है। अत: जल के आर्थिक उपयोगों में सिंचाई का बहुत अधिक महत्व है।

प्रश्न 3.
अलवण जल की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अलवण जल एक आधारभूत प्राकृतिक संसाधन है। यह मानव, कृषिगत और औद्योगिक क्रियाकलापों के लिए अनिवार्य है। बाँधों के पीछे बने जलाशयों में संग्रहीत वर्षा जल की आपूर्ति गाँवों और नगरों को की जाती है। विशाली नदियों से नहरें निकाल कर शुष्क क्षेत्रों के अत्यंत उपजाऊ मैदानों में सिंचाई की जाती है। जल के अन्य उपयोग हैं-जल विद्युत उत्पादन तथा आंतरिक नौ-परिवहन।

प्रश्न 4.
भारत में जल अभावग्रस्त क्षेत्रों को मानचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
देश में वर्षा का वितरण बहुत असमान है। देश के विशल क्षेत्रों में सारे साल वर्षा का अभाव बना रहता है। देश के अधिकतर भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुएँ प्रायः शुष्क रहती हैं। देश के जल अभावग्रस्त क्षेत्रों को मानचित्र द्वारा दर्शाया गया है।

चित्र: भारत-जल अभावग्रस्त क्षेत्र

प्रश्न 5.
पृथ्वी के धरातल पर जल कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
पृथ्वी के तल पर जल वर्षा से प्राप्त होता है। वर्षा से प्राप्त जल अलवणीय होता है। वर्षा से प्राप्त संपूर्ण जल का उपयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका बहुत-सा भाग वाष्पीकृत हो जाता है तथा बहुत-सा जल बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है। इसे पृष्ठीय जल कहते हैं। वर्षा का जल ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं आदि जलाशयों में चला जाता है।

प्रश्न 6.
मझगाँव जल संभर विकास कार्यक्रम की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मझगाँव मध्य प्रदेश के सतना जिले का एक गाँव है। यह गाँव निम्न उत्पादकता, सिंचाई के अभाव, नीचे जाते जलस्तर, पेय जल की कमी और मृदा अपरदन के लिए जाना जाता हैं। 1996 से पूर्व ही ग्रीष्म ऋतु में जल की बेहद कमी हो जाती थी। कृषि को प्रायः नुकसान हो जाता था। लोग और पशु परेशानी में जीते थे। गाँव में एक भी नलकूप नहीं था। इस गाँव ने जल संभर योजना को अपनाया, खेतों के चारों ओर खाइया. खोदी। बेरोकटोक बहते पानी को रोकने के लिए बांध बनाकर नियंत्रित किया गया। इससे, वर्षाजल रिस कर जमीन के अन्दर चला गया तथा भौम जल के भंडार बढ़ गए और जल स्तर ऊँचा उठ गया। मिट्टी के बाँधों के पीछे एकत्रित जल अब 1504 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है तथा लोगों को पूरे साले पेयजल मिलता रहता है। धान की फसल की उत्पादकता में 52 से 60% तक की तथा गेहूँ में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई।

प्रश्न 7.
जल के औद्योगिक उपयोगों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र में जल का उपयोग महत्वपूर्ण है। औद्योगिक विकास के लिए पर्याप्त जल की आपूर्ति पहली आवश्यकता है। द्वितीय सिंचाई आयोग ने अपनी 1972 की रिपोर्ट में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए 50 अरब घन मीटर जल के प्रावधान की सिफारिश की थी। लेकिन एक नए आंकलन के अनुसार सन् 2000 में उद्योगों को केवल 30 अघमी जल की आवश्यकता थी, जिसके सन् 2025 तक बढ़कर अघमी होने का अनुमान है।

प्रश्न 8.
उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में नहरों के वितरण का वर्णन करो।
उत्तर:
उत्तरी विशाल मैदानों में नहरों का एक विस्तृत जाल फैला है। पंजाब हरियाणा की मुख्य नहरें अपरबारी, दोआब, बिस्ट दोआब, सरहिंद, इन्दिरा गाँधी भाखड़ा और पश्चिमी यमुना नहरें हैं। राजस्थान में नहरों से सिंचित क्षेत्र अधिक है इस राज्य की प्रमुख नहरें इन्दिरा गाँधी नहर, बीकानेर नहर और चंबल परियोजना की नहरें हैं।

उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरें ये हैं:
पूर्वी यमुना नहर, गंगा की ऊपरी मध्य और निचली नहरें, शारदा नहर, रामगंगा नहर और बेतवा नहर। बिहार की मुख्य नहरों में पूर्वी कोसी, पूर्वी गंडक तथा सोन शामिल हैं। पं. बंगाल की मुख्य नहरें हैं-दामोदर घाटी, मयूराक्षी तथा कोंग्सबसी। दक्षिण राज्य आन्ध्र प्रदेश में नहरी सिंचाई बहुत महत्वपूर्ण है। गोदावरी, कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों पर बाँध बनाकर नहरें निकाली गई हैं। उड़ीसा में हीराकुंड बाँध की नहरें तथा महानदी डेल्टा की नहरें उल्लेखनीय हैं। कर्नाटक में तुंगभद्रा, मालप्रभा, घाटप्रभा, भद्रा और ऊपरी कृष्णा परियोजना की नहरों से विस्तृत क्षेत्रों में सिंचाई होती है। ग्रांड एनीकट, मैसूर बाँध, निचली भवानी परियोजना, पालार, बेगाई, मणिमुथई और कोडाइयार परियोजनाओं से निकाली गई नहरें महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 9.
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सिंचाई के तीन प्रमुख साधन हैं:
(क) नहरें
(ख) कुएँ और नलकूप
(ग) तालाब

(क) नहरें:
1950 तक नहरें सिंचाई का मुख्य साधन थीं । देश के सिंचित क्षेत्र में नहरों की भागीदारी 39.9% थी। नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्रों में वृद्धि लेकिन भागीदारी घटकर 1996-97 में केवल 31.1% रह गई है।

(ख) कुएँ और नलकूप:
डीजल और पंपिंग सैटों के उपयोग प्रारम्भ होने कुओं और नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्रों में वृद्धि हुई है।

(ग) तालाब:
कुल सिंचित क्षेत्र तथा सिंचित क्षेत्र में प्रतिशत भागीदारी दृष्टि से तालाबों की महता घटी है।

प्रश्न 10.
सुखोमाजरी गाँव (हरियाणा) में जल संसाधनों के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सुखोमाजरी गाँव हरियाणा के अम्बाला जिले में स्थित है। इस गाँव के लोगों ने अपने गाँव के विकास के लिए वन और जल संसाधनों का पूर्ण रूप से विकास किया है। इस कारण यह गाँव देश भर में प्रसिद्ध हो गया है। चण्डीगढ़ के निकट सुखाना झील के गाद से भर जाने के कारण इस गाँव में पानी की कमी रहने लगी थी, झील के जल संग्रहण क्षेत्र में चार रोक बाँध बनाए गए तथा अनेक पेड़-पौधे लगाए गए। इन कार्यों से गाँव का जलस्तर ऊपर उठ गया। भाबड़ घास की कटाई और मूंगरी या चारे की घास से आमदनी ने गाँव की काया पलट कर दी है।


चित्र: सुखोमाजरी (हरियाणा) का जल संभर विकास मंडल

प्रश्न 11.
भारत के संभावित जल संसाधनों की विवेचना कीजिए?
उत्तर:
भारत में कुछ क्षेत्रों में जल संसाधनों का बाहुल्य है तो कुछ में कमी है। वार्षिक और ऋतुवत् वर्षा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता है। ऋतुवत् भिन्नता भी जल की आपूर्ति की समस्याए. पैदा करती है। इन्हीं कारणों से संभावित जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, संरक्षण व प्रबंधन आवश्यक हो गया है। संभावित जल संसाधनों में मुख्य रूप से पृष्ठीय और भौम जल संसाधन आते हैं। पृष्ठीय जल की कुल अनुमानित उपलब्ध मात्रा 1869 अघमी है। इसमें से केवल 690 अघमी ही उपयोग के लिए उपलब्ध है।

भारत में कुल आपूरणीय भौम जल क्षमता 433.9 अघमी है। लेकिन इसका 42% भाग भारत के विशाल मैदानों के राज्यों में पाया जाता है। कुल भौम जल संसाधन का एक चौथाई भाग घरेलू, औद्योगिक तथा अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है और तीन चौथाई भाग सिंचाई के काम आता है। भारत में राज्यानुसार संभावित भौम जल संसाधनों में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है। भारत में जिन राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों में वर्षा की मात्रा में घट-बढ़ अधिक होती है जिससे वहाँ पृष्ठीय जल में कमी हो जाती है। उन क्षेत्रों में भौम जल संसाधनों का बड़े पैमाने पर विकास किया गया है। पंजाब, हरियाण, राजस्थान, गुजरात इसके उदाहरण हैं। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक में भी वर्षा अपेक्षाकृत अपर्याप्त और परिवर्तनशील है अतः यहाँ भी भौम जल संसाधन के विकास की आवश्यकता है।

प्रश्न 12.
भारत में जल संभर विकास कार्यक्रमों की उपयोगिता और व्यावहारिकता का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
जल संसाधनों के संरक्षण के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं उनमें से एक जल संभर विकास है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसका जल एक बिंदु की ओर प्रवाहित होता है जो मृदा और जल संरक्षण की आदर्श इकाई है। जल संभर विधि से कृषि और कृषि से संबधित क्रियाकलापों का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत जिन क्षेत्रों में वर्षा पोषित क्षेत्रों तथा संसाधन की कमी है वहाँ पारितंत्रीय ह्रास को रोका जाता है बहते हुए पानी को रोक कर बाँध का निर्माण किया जाता है जिससे वर्षा का जल रिस कर जमीन के अंतर चला जाता है वह भौम जल स्तर को ऊँचा उठाया जाता है। खेतों में चारों ओर खाइयाँ बनाई जाती हैं। संभर विधि से जल का संरक्षण होता है और कृषि की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। भारत में जल संभर विकास कार्यक्रम, कृषि ग्रामीण विकास तथा पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा किया जाता है। जल संभर प्रबंधन का सबसे अच्छा उदाहरण हरियाणा के सुखोमाजरी गाँव का है।

प्रश्न 13.
अपने पास-पड़ोस में जल के विभिन्न उपयोगों का पता लगाइए। जल के दुरुपयोग की पहचान तथा उनके नियंत्रण के उपाय सुझाइए।
उत्तर:
जल के उपयोग:

  1. राष्ट्रीय जल-नीति के अनुसार पेय जल की आपूर्ति को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है।
  2. जल का उपयोग, जलशक्ति, नौपरिवहन और औद्योगिक तथा अन्य उपयोगों के लिए किया जाता है।
  3. 62.72% घरों में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था है।

दुरुपयोग:

  1. जल का दुरुपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पेय जल को कपड़े धोने, गाड़ी धोने आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।
  2. नल को खुला छोड़ दिया जाता है जिससे पानी बहता रहता है।
  3. कूड़ा कचरा आदि फेंक कर पेय जल को दूषित किया जाता है।
  4. अत्यधिक उपयोग, प्रदूषण एवं लापरवाही के कारण जल का दुरुपयोग हो सकता है।

नियंत्रण के उपाय:
जल सर्वत्र समान मात्रा में उपलब्ध नहीं है। जल की माँग और आपूर्ति के साथ-साथ जल संसाधनों के स्रोतों के बीच समन्वय बनाना आवश्यक है। जल दुरुपयोग को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक है –

  1. पेय जल की मांग को पूरा करना तथा पेय जल का उपयोग केवल पीने के लिए।
  2. भौम जल-प्रदूषण को रोकना।
  3. कुआँ, तालाबों आदि में कूड़ा-कचरा फेंकने पर रोक लगाना।
  4. वर्षा के जल का संग्रहण।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
देश में जल संसाधनों के विकास से संबंधित प्रमुख समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्त:
वर्तमान में जिस तरह से जल का उपयोग किया जा रहा है यदि इसकी गति इसी प्रकार से रही तो भारत में उपयुक्त गुणवत्ता वाले जल की कमी शीघ्र ही महसूस की जाएगी। जल संसाधन की समस्या विभिन्न प्रकार की हैं जिनमें से मुख्य निम्न हैं-उपलब्धता की समस्या-भारत के ऋतुवत् भिन्नता होने के साथ वर्षा में भी अत्यधिक परिवर्तनशीलता है जिसके कारण कुछ प्रदेशों में जल संसाधन अधिक मात्रा में उपलब्ध है तो किसी क्षेत्र में कम मात्रा में उपलब्ध है।

पृष्ठीय जल की कुल अनुमानित उपलब्ध मात्रा 1869 अघमी है इसमें से केवल 690 अघमी ही उपयोग के लिए उपलब्ध है व भौम जल की 450 अघमी उपलब्ध है यदि इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो कुछ योग 1140 अघमी होता है जो उपयोग के लिए उपलब्ध है। इसके अनुसार ऐसा माना जाता है कि 2025 में 1050 अघमी जल की आवश्यकता होगी लेकिन भारत में प्रति व्यक्ति उपलब्धता घटी है।

उपयोग की समस्या:
जल के उपयोग की क्षमता अब गंभीर समस्या बन चुकी है। अभी भी मलिन एवं अवैध बस्तियाँ आधारभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लगभग 90% लोगों को पेयजल की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के बावजूद जल की मात्रा और गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरी है। अभी कुछ वर्षों में कुओं और नलकूपों के द्वारा सिंचाई में वृद्धि से भौम जल का स्तर बहुत कम हो गया है। सिंचाई की कुल संभावित क्षमता के लगभग 68% भाग को विकसित किया जा चुका है फिर भी देश के दो तिहाई भाग वर्षा पर निर्भर है इसलिए सिंचाई की आवश्यकता वाले क्षेत्र में जल के अत्यधिक अभाव को पूरा करने के लिए एक नदी के जल को दूसरे में ले जाने का प्रयास किया जा रहा है।

गुणवत्ता की समस्या:
औद्योगिक अपशिष्टों, कृषि में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के रसायन व उर्वरकों के उपयोग से पृष्ठीय जल और भौम जल की गुणवत्ता अधिक प्रभावित हो रही है। भारत में जल प्रदूषण एक प्रमुख समस्या है भारत के तीन चौथाई पृष्ठीय जल संसाधन प्रदूषित है। 80% प्रदूषण का कारण मल जल है। नगरपालिकाओं का मल जल खुली जगहों पर डाल दिया जाता है जो प्रवाहित होकर नदियों में चला जाता है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक कूड़ा-कचरा, विषैली गैसें, जलाशयों व नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं जिससे जैव तंत्र नष्ट हो जाता है व जल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

प्रश्न 2.
भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत में जल का प्रमुख उपयोग सिंचाई के रूप में किया जाता है। भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है। यहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप यहाँ सिंचाई के लिए जल की बहुत आवश्यकता है। इसके अलावा निम्न कारणों से भारत में सिंचाई की आवश्यकता महसूस की जाती है:

  1. वर्षा बहुत अधिक परिवर्तनशील है अतः पर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सिंचाई अनिवार्य हैं।
  2. वर्षा बहुत अनिश्चित है। इसका आगमन और निवर्तन ही अनिश्चित नहीं है अपितु इसकी निरंतरता लय और गहनता भी निश्चित नहीं है इसलिए कृषि की सुरक्षा केवल सिंचाई से ही मिल सकती है।
  3. वर्षा का कलिक वितरण भी बहुत असमान है। देश के अधिकतर भागों में शीत और ग्रीष्म ऋतुएँ शुष्क रहती है अतः सिंचाई के बिना कृषि संभव नहीं है।
  4. वर्षा का वितरण भी बहुत असमान है। देश के कई भागों में सारे साल वर्षा नहीं होती है ऐसी स्थिति में यह भाग पूर्ण रूप से सिंचाई पर निर्भर रहते हैं।
  5. कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनमें पानी की आवश्यकता अधिक रहती है जैसे चावल, गन्ना, जूट । अतः यह आवश्यकता सिंचाई के द्वारा ही पूर्ण हो सकती है।
  6. भारत में वर्धन काल पूरे वर्ष रहता है अर्थात् सिंचाई की सुविधा मिलने पर वर्ष में एक से अधिक फसलें ली जा सकती हैं।
  7. असिंचित क्षेत्रों की तुलना में सिंचित क्षेत्रों की उत्पादकता अधिक होती है। अतः सिंचाई से फसलों का उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

प्रश्न 3.
प्रादेशिक विभिन्नताओं के लिए कारण बताते हुए देश में सिंचाई के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की कृषि मुख्य रूप से सिंचाई पर निर्भर रहती है। भारत के कई राज्यों में प्राकृतिक विभिन्नता के कारण सिंचाई के वितरण में भी भिन्नता देखी जा सकती है। सिंचित क्षेत्र के अनुपात की दृष्टि से पंजाब सर्वोच्च स्थान पर है इसके बाद हरियाणा का स्थान है क्योंकि इन राज्यों में कई नहरें जैसे अपरबारी, दोआब, सरहिंद, इंदिरा गाँधी, भाखड़ा और पश्चिमी यमुना नहरें हैं। उत्तरी मैदान देश का सबसे महत्वपूर्ण सिंचित क्षेत्र है। इन मैदानों में सिंचाई की तथा प्राकृतिक सुविधाएँ विकसित हैं जैसे इन क्षेत्रों की मृदाएँ जलोढ़ होती हैं जिससे वर्षा का जल रिसता है। अतः इन राज्यों में सिंचाई अच्छी होती है। मिजोरम में सिंचित क्षेत्र में सबसे कम प्रतिशत है। झारखंड सहित बिहार, जम्मू और कश्मीर में 49.4% सिंचित क्षेत्र है। शुद्ध सिंचित क्षेत्र के मध्यम अनुपात वाले राज्य पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल तक हैं। इन राज्यों में वर्षभर सिंचाई की आवश्यकता रहती है।

उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में शुद्ध सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत बहुत कम है क्योंकि इन राज्यों में उच्चावच तथा पर्वतीय वर्षा अधिक होती है। दक्कन के पठार और मालाबार तट भी इसके अंतर्गत आते हैं। यहाँ जल संसाधन सीमित हैं तथा उनका पूरा उपयोग भी नहीं हो पाता है। इसी प्रकार राज्यों के अंदर भी सिंचित क्षेत्र में भी अंतर पाया. जाता है। जैसे आंध्र प्रदेश में गोदावरी व कृष्णा नदियों के निचले और तटवर्ती जिलों में भी सिंचित क्षेत्र हैं। इसी प्रकार उड़ीसा में भी राज्यों में सिंचित क्षेत्र में भिन्नता पाई जाती है। कुल क्षेत्र के संदर्भ में मिजोरम में कुल सिंचित क्षेत्र 7000 हेक्टेयर है। जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग 1.2 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है। कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग चौथाई से अधिक भाग उत्तरांचल व उत्तर प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, बिहार, गुजरात का सिंचित क्षेत्र 30 से 50 लाख हेक्टेयर के बीच है।

प्रश्न 4.
भारतवर्ष में बढ़ती कृषि उत्पादकता के लिए सिंचाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए जल सिंचाई अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारतीय कृषि मुख्यतः मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। कम वर्षा की अवस्था में कृषि को सफलतापूर्वक चलाने के लिए कृत्रिम साधनों द्वारा जल सिंचाई की जाती है। अग्रलिखित कारण हमें सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य करते हैं –
1. मौसमी वर्षा:
भारत में मानसूनी वर्षा अधिकतर ग्रीष्मकाल के चार महीनों में होती है। लम्बी शुष्क ऋतु में कृषि के लिए जल सिंचाई आवश्यक है।

2. अनिश्चित वर्षा:
मानसूनी वर्षा समय तथा स्थान के अनुसार अनिश्चित है। यह कभी जल्दी शुरू हो जाती है तो कभी देर से। यहाँ वर्षा लगातार नहीं होती, परन्तु रुक-रुक कर होती है। एक लम्बे शुष्क काल के कारण फसलें नष्ट हो जाती है। किसी वर्ष वर्षा सामान्य होती है तो किसी वर्ष बहुत कम। संदिग्ध वर्षा वाले क्षेत्रों में अकाल पड़ जाते हैं। इसलिए सिंचाई व्यवस्था आवश्यक हो जाती है।

3. वर्षा का दोषपूर्ण वितरण:
देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है। कई क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है तो कई क्षेत्रों में सामान्य से भी कम । इसलिए अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में जल.सिंचाई अति आवश्यक है।

4. शीतकाल की फसलें:
भारत में रबी की फसलों के लिए जल सिंचाई आवश्यक है।

5. विशेष फसलें:
भारत में चावल तथा गन्ने की फसलों की उपज के लिए नियमित जल सिंचाई आवश्यक है।

6. खाद्यान्न उत्पादन:
देश को खाद्यान्न संकट से बचाने के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के लिए सिंचाई सुविधाओं का विस्तार आवश्यक है।

भारत में कृषि की सफलता जल सिंचाई साधनों पर निर्भर करती है। यहाँ ऊँचे तापमान के कारण सारा साल फसलें उगाई जाती है। जिन प्रदेशों में जल सिंचाई की सुविधाओं की उचित व्यवस्था है, यहाँ वर्ष में दो फसलें उगाई जाती हैं। सारे देश में जल सिंचाई के साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए –

  1. पृष्ठीय जल और भौम जल
  2. उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियों की जल विज्ञान से संबंधित विशेषताएँ
  3. निर्मित सिंचाई क्षमता तथा उपयोग में लाई गई सिंचाई क्षमता
  4. प्रमुख और लघु सिंचाई परियोजनाएँ

उत्तर:
1. पृष्ठीय जल और भौम जल:

2. उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियाँ:

3. निर्मित सिंचाई क्षमता तथा उपयोग में लाई गई सिंचाई क्षमता:

4. प्रमुख और लघु सिंचाई परियोजनाएँ है –

प्रश्न 6.
जल संसाधन संरक्षण क्यों आवश्यक है? वर्षा जल संग्रहण के क्या उद्देश्य हैं? तथा इसे किस प्रकार पूरा किया जा सकता है?
उत्तर:
जल संग्रहण के द्वारा भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाया जाता है। इस तकनीक में स्थानीय रूप से वर्षा-जल को एकत्र करके भूमि जल भंडारों में संग्रहण के उद्देश्य निम्न हैं –

चित्र: वर्षा का संग्रहण

  • जल की निरंतर जल मांग को पूरा करना।
  • नालियों को रोकने वाले सतही जल प्रवाह को कम करना।
  • सड़कों पर जल फैलाव को रोकना।
  • भौम जल में वृद्धि करना तथा जलस्तर को ऊँचा उठाना।
  • भौम जल प्रदूषण को रोकना।
  • भौम जल की गुणवत्ता को सुधारना।
  • मृदा अपरदन को कम करना।
  • ग्रीष्म ऋतु और सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करना।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित के संक्षेप में उत्तर दीजिए –

  1. प्रमुख जल संसाधन कौन से हैं?
  2. भारत के संभावित पृष्ठीय जल संसाधनों के वितरण का वर्णन कीजिए।
  3. भारत के विशाल मैदान भौम जल संसाधनों में सम्पन्न क्यों है?
  4. जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
  5. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित क्यों है?
  6. वर्षा जल संग्रहण के विभिन्न तरीके कौन-कौन से हैं?
  7. जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक क्यों है?
  8. देश में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्व में परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
  9. भारत में नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:
1. जल संसाधन:
जल संसाधन मुख्य रूप से चार प्रकार के हैं-पृष्ठीय जल संसाधन, भौम जल संसाधन, वायुमंडलीय और महासागरीय जल संसाधन। वर्षा के द्वारा जो जल पृथ्वी पर आता है उसका कुछ भाग बहकर नदियों, तालाबों में चला जाता है उस पृष्ठीय जल का कुछ भाग मृदा में रिसकर चला जाता है उसे भौम जल संसाधन कहते हैं कुछ भाग वायुमंडल व महासागरों में चला जाता है उसे वायुमंडलीय व महासागरीय जल संसाधन कहते हैं।

2. पृष्ठीय जल संसाधन का वितरण:
पृष्ठीय जल मुख्य रूप से ताल-तलैयों, नदियों, सरिताओं और जलाशयों में पाया जाता है। पृष्ठीय जल का मुख्य स्रोत नदियाँ हैं। कुल पृष्ठीय जल का लगभग 60 प्रतिशत भाग सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों में बहता है। स्थलाकृतिक, जल विज्ञान संबंधी तथा अन्य बाधाओं के कारण 32% पृष्ठीय जल ही उपयोग में लाया जा सकता है। भारत की सभी नदियों में बहने वाले जल की मात्रा का लगभग 6% है। भारत में निर्मित तथा निर्माणाधीन जल भंडारण की क्षमता लगभग 147 अरब घन मीटर है।

3. भौम जल संसाधन:
पृथ्वी के धरातल पर वर्षा के रूप में जो जल आता है उसमें से थोड़ी मात्रा मृदा में प्रवेश कर जाती है उसे भौम जल कहते हैं। भारत के विशाल मैदानों में भौम जल संसाधन विकसित होते हैं क्योंकि वहाँ की जलोढ़ मृदाओं में जल आसानी से रिस जाता है। भारत के उत्तरी विशाल मैदानों में भौम जल के विकास की संभावना अधिक होती है। भौम जल का 42 प्रतिशत भाग भारत के विशाल मैदानों के राज्यों में पाया जाता है।

4. जल के मुख्य उपयोग:
सामान्यतः जल-जलविद्युत बनाने, उद्योगों, परिवहन, सफाई के रूप में उपयोग लाया जाता है। लेकिन आर्थिक रूप से जल सिंचाई के रूप में उपयोग किया जाता है। सिंचाई के लिए जल कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है जैसे बाँध बनाकर, नहर बनाकर भारत का अधिकतर भाग उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थित है जहाँ वाष्पोत्सर्जन बहुत अधिक होता है जिसके फलस्वरूप सिंचाई के लिए जल बहुत आवश्यक माना जाता है।

5. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में:
विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित है क्योंकि इन मैदानों में सिंचाई की सुविधा के विकास के लिए कई प्राकृतिक सुविधाएँ है जैसे इन मैदानों में जलौढ़ मृदा होने के कारण जल आसानी से रिस जाता है जिसका तीन चौथाई भाग का उपयोग सिंचाई के रूप में कर सकते हैं इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत में चट्टानी भूमि पाई जाती है जिसमें जल का रिसाव बहुत धीमी गति से होता है जिसका उपयोग सिंचाई के रूप में नहीं कर सकते हैं। इसलिए प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई कम विकसित है।

6. वर्षा जल संग्रहण:
भौम जल की गुणवता बनाए रखने, जल स्तर सुधारने तथा भौम जल प्रदूषण रोकने के लिए वर्षा जल संग्रहण की तकनीक अपनाई जाती है जिसके अंतर्गत वर्षा का जल स्थानीय रूप से भूमि जल भंडारों में एकत्र किया जाता है। प्राचीनकाल से ही वर्षा जल संग्रहण की परंपरा चली आ रही है। नहरों, तालाबों, तटबंधों, कुओं के रूप में जल संग्रहण होता है। पहाड़ी व पर्वतीय क्षेत्रों में छतों के वर्षा जल और झरनों के जल को बाँस की नलियों द्वारा दूर-दूर तक से जाया जाता है। शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्र में जल संग्रहण के लिए कुएँ और बावड़ियाँ बनाई जाती हैं। इसी प्रकार राजस्थान में वर्षा के जल को एकत्र करने के लिए कृत्रिम रूप से कुएं बनाए जाते हैं। कई राज्यों में तालाबों का निर्माण भी वर्षा के जल संग्रहण के लिए किया जाता है।

7. जल संसाधनों का संरक्षण:
तेजी से फैलते हुए प्रदूषण, ऋतुओं की असमानता, जल की कमी व बढ़ती हुई मांग को देखते हुए जल संसाधनों का संरक्षण अत्यन्त आवश्यक हो गया है। इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें से मुख्य रूप से वर्षा-जल संग्रहण, छोटे-बड़े सभी नदी जल संभरों के जल संसाधनों का वैज्ञानिक प्रबंधन और जल को अप्रदूषित रखना मुख्य है।

8. सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्व:
भारत में सिंचाई के तीन मुख्य साधन हैं नहरें, कुएँ और नलकूप तथा तालाब समय के अनुसार प्रत्येक साधन का सापेक्षित महत्व बदलता रहा है। 1950 तक नहरें सिंचाई का मुख्य साधन थी लेकिन डीजल और बिजली के पंपिंग सेटों कके उपयोग से कुओं और नलकूपों के द्वारा सिंचाई होने लगी। 1950-51 में 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्रों में सिंचाई होती थी वहीं बढ़कर 1996-97 में 3.08 करोड़ हेक्टेयर हो गया है।

इस प्रकार 1996-97 में नहरों द्वारा लगभग 1.74 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की गई जिसमें सबसे अधिक उत्तरी मैदानों के राज्यों में है। जहाँ नहरों का विशाल जाल फैला हुआ इसी प्रकार पंजाब, हरियाणा में भी नहरों के द्वारा मुख्य रूप से सिंचाई होती है जबकि उत्तरी जलोढ़ मैदानों में भौम जल के भंडार होने के कारण यहाँ कुएँ और नलकूपों से सिंचाई होती है। सिंचाई के साधन के रूप में तालाबों का महत्व घट गया है।

9. नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति:
पीने और सफाई के लिए जल की आपूर्ति जीवन की आधारभूत आवश्यकता है। जिसको सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है। पेय जल आपूर्ति और स्वच्छता की व्यवस्था ग्रामीण व नगरीय दोनों प्रकार की बस्तियों में प्रयत्न किए गए हैं। 1991 में देश के केवल 62.72% घरों में सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था थी जबकि गांवों में यह 55.92% और नगरों में 81.59% हुई है।

भारत में अधिकतर बड़े नगरों की जल आपूर्ति की मांग कृत्रिम जलाशयों के द्वारा पूरी की जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए जल भौम जल स्रोत से प्राप्त किया जाता है। 1972 में भारत के एक चौथाई गाँव जलापूर्ति की दृष्टि से समस्याग्रस्त गाँव के रूप में वर्गीकृत थे। लोगों को पेयजल की सुविधाएँ उपलब्ध कराने के बावजूद लगभग 90% नगरों को पेयजल की आपूर्ति की जा रही है लेकिन आपूर्ति जल की मात्रा और गुणवत्ता निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरती है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या शोचनीय है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वर्षण से प्राप्त संपूर्ण जल कैसा होता है?
(A) अलवणीय
(B) पृष्ठीय
(C) भौम जल
(D) वायुमंडलीय
उत्तर:
(A) अलवणीय

प्रश्न 2.
वर्षा का जल जो बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है क्या कहते है?
(A) भौम जल
(B) पृष्ठीय जल
(C) अलवणीय
(D) महासागरीय
उत्तर:
(B) पृष्ठीय जल

प्रश्न 3.
भारत में कितनी नदियों एवं सहायक नदियाँ हैं?
(A) 1869
(B) 10360
(C) 690
(D) 1690
उत्तर:
(B) 10360

प्रश्न 4.
संसार की बड़ी नदियों में ब्रह्मपुत्र कौन-से स्थान पर है?
(A) दसवें
(B) सातवें
(C) ग्यारहवें
(D) आठवें
उत्तर:
(D) आठवें

प्रश्न 5.
गंगा भारत के किस क्षेत्र में बहती है?
(A) उत्तर
(B) दक्षिण
(C) पश्चिम बंगाल
(D) मध्य
उत्तर:
(A) उत्तर

प्रश्न 6.
भारत भारत में कुल आपूरणीय भौम जल क्षमता कितनी है?
(A) 43.39
(B) 433.9
(C) 433,01
(D) 4.331
उत्तर:
(D) 433.9

प्रश्न 7.
1999-2000 में कुल सिंचित क्षेत्र कितना था?
(A) 84.7 करोड़
(B) 847 करोड़
(C) 8.47 करोड़
(D) 7.84 करोड़
उत्तर:
(C) 8.47 करोड़

प्रश्न 8.
हीराकुंड बाँध किस प्रदेश में है?
(A) उड़ीसा
(B) तमिलनाडु
(C) कर्नाटक
(D) महाराष्ट्र
उत्तर:
(A) उड़ीसा

प्रश्न 9.
जल संसाधनों का संरक्षण क्यों जरूरी है?
(A) जल की कमी के लिए
(B) बढ़ती मांग और तेजी से फैलते प्रदूषण की दृष्टि से
(C) स्थानिक और ऋतुवत् असमानता
(D) सभी (A, B, और C)
उत्तर:
(D) सभी (A, B, और C)

प्रश्न 10.
वह क्षेत्र जिसका जल एक बिन्दु की ओर प्रवाहित होता है, क्या कहलाता है?
(A) जल संरक्षण
(B) जल संभर विकास
(C) विकास परियोजना
(D) वर्षा जल संग्रहण
उत्तर:
(B) जल संभर विकास

प्रश्न 11.
देश में, कुल पुनः पूर्तियोग्य भौम जल संसाधन लगभग कितने घन कि.मी. है?
(A) 400 घन किमी.
(B) 432 घन किमी.
(C) 500 घन किमी.
(D) 600 घन किमी.
उत्तर:
(B) 432 घन किमी.

प्रश्न 12.
भौम जल का सबसे अधिक उपयोग कौन-से राज्य में किया जाता है?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) राजस्थान
(D) तमिलनाडु
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 13.
भौम जल का सबसे कम उपयोग करने वाला राज्य कौन-सा है?
(A) गुजरात
(B) उत्तर प्रदेश
(C) बिहार
(D) महाराष्ट्र
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 14.
भारत में कौन-सी नदी का जल ग्रहण क्षेत्र बड़ा है?
(A) गंगा
(B) ब्रह्मपुत्र
(C) सिंधु
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 15.
कौन-सी दक्षिण भारतीय नदी का वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है?
(A) गोदावरी
(B) कृष्णा
(C) कावेरी
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 16.
कुछ राज्यों में जैसे राजस्थान और महाराष्ट्र में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में क्या हो गया?
(A) फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया
(B) पानी सूख गया
(C) मृदा अपरदन हो गया
(D) सभी कार्य हो गए
उत्तर:
(A) फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया


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