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Friday, June 17, 2022

BSEB Class 12 Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Book Answers

BSEB Class 12 Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Book Answers
BSEB Class 12 Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Book Answers


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Bihar Board Class 12th Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 12th Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Hindi कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर
Chapters All
Provider Hsslive


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कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रवीन्द्रनाथ ठाकुर को ‘बंग देश की बुलबुल’ की उपाधि किसने दी थी?
उत्तर-
देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने।

प्रश्न 2.
रवीन्द्रनाथ बचपन में अपने पिता को किस प्रकार का गीत सुनाया करते थे?
उत्तर-
पारमार्थिक गीत।

प्रश्न 3.
रवीन्द्रनाथ ने किन मासिक पुस्तकों का संपादन किया?
उत्तर-
भारती, बालक, साधना और बंग-दर्शन नामक मासिक पुस्तकों का संपादन रवीन्द्रनाथ ने किया।

प्रश्न 4.
रवीन्द्र बाबू ने अंग्रेजी साहित्य की शिक्षा कहाँ पाई थी?
उत्तर-
लंदन में।

प्रश्न 5.
रवीन्द्र बाबू किसकी आराधना करके महान हुए?
उत्तर-
सरस्वती की।

प्रश्न 6.
रवीन्द्र बाबू का हृदय किस चीज से परिपूर्ण था?
उत्तर-
रवीन्द्र बाबू का हृदय स्वदेश प्रेम से परिपूर्ण था।

प्रश्न 7.
रवीन्द्र बाबू की वक्तृता कैसी थी?
उत्तर-
रवीन्द्र बाबू की वक्तृता हृदयहारिणी थी।

प्रश्न 8.
उपन्यास “बाणभट्ट की आत्म कथा” किसकी रचना है?
उत्तर-
हजारी प्रसाद द्विवेदी की।

प्रश्न 9.
हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य के किस रचना में प्रसिद्ध थे?
उत्तर-
इतिहासकार।

प्रश्न 10.
रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म कब हुआ था?
उत्तर-
सन् 1861 ई.।

प्रश्न 11.
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पिता का क्या नाम था?
उत्तर-
देवेन्द्रनाथ ठाकुर।

कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर की लोकप्रियता का क्या कारण था, स्पष्ट करें।
उत्तर-
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर बंगाल के प्रसिद्ध महापुरुषों में से थे। वे बंगला-साहित्य के दीप्यमान रल हैं। उनका काव्य और निबन्ध, उपन्यास और नाटक तथा. गीतों को बंगाल में घर-घर पढ़ा जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं के बल पर शिक्षित बंगालियों के विचारों में परिवर्तन कर डाला। वे बंगला भाषा के अद्वितीय लेखक और कवि थे। वे बड़े देशभक्त, देशप्रेमी थे।। उनके द्वारा लिखित देशगान, त्योहारों और राष्ट्रीय उत्सवों पर पढ़े जाते हैं।

प्रश्न 2.
गीत प्रेमी के रूप में रवीन्द्र नाथ ठाकुर की योग्यताओं के संबंध में अपनी जानकारी प्रस्तुत करें।
उत्तर-
रवीन्द्रनाथ ठाकुर को लड़कपन से ही गीत गाने का शौक था। वह बहुधा अपने पिता के सामने गीत गा-गाकर सुनाते थे। उनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर उनके गाने से बहुत प्रसन्न होते थे। उन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को बंग देश की बुलबुल की उपाधि दी थी। उनका सुर बहुत मीठा तो नहीं था पर वह संगीत विद्या के पूरे ज्ञाता थे। उन्होंने अनेक गीत बनाए हैं। उन गीतों को गाने में वे नये-नये सुरों का प्रयोग करते थे। वे स्वयं त्योहारों और ब्रह्म समाज के उत्सवों में सर्वसाधारण के सामने गीत गाते थे। देशभक्ति पर आधारित कविताएँ लिखकर वह साहित्य में अमर हो गये हैं।

प्रश्न 3.
रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने साहित्य सेवियों के कर्तव्यं पर क्या विचार प्रकट किया है। स्पष्ट करें।
उत्तर-
रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने जब यह देखा कि साहित्य सेवियों में पारम्परिक प्रीति का अभाव है जिसको उन्होंने अच्छा नहीं समझा। इस अभाव को दूर करने के लिए अपनी सहमति इस प्रकार प्रकट की है।

“इसमें संदेह नहीं कि साधारणतः मनुष्यों में पारस्परिक प्रीति का होना कल्याणकारी है। साहित्य सेवियों में प्रीति विस्तार से विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है।” यदि लेखक लोग एक-दूसरे को प्यार करते हैं तो उनकी रचनाओं में भी विद्या, बुद्धि के अमृत फल मिलेगा और सरस्वती की सेवा होगी।

साहित्य सेवियों में साम्प्रदायिकता नहीं होनी चाहिए। ईर्ष्या और कलह की भावना भी हानिकारक होती है।

प्रश्न 4.
‘रवीन्द्रबाबू महान् पुरुष हैं।’ पुष्टि करें।
उत्तर-
‘कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित एक अत्यन्त प्रेरक निबंध है। इसमें रवीन्द्रबाबू की महानता को रेखांकित किया गया है।

रवि बाबू की महानता का आधार समर्पित भाव से साहित्य-साधना थी। यह सरस्वती साधना थी। वे मनुष्यता की सेवा के व्रत से लिखते थे। वे मानवतावादी थे।

बिना किसी शैक्षिक डिग्री के होते वे महान स्वाध्यायी थे। वे अथक परिश्रम करते थे। अपनी व्यापक मानवदृष्टि के कारण ही वे विश्वकवि कहलाए।

कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हजारी प्रसाद द्विवेदी रचित ‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ शीर्षक पाठ का सारांश लिखिए।
उत्तर-
आचार्य द्विवेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने हिन्दी की काव्य परम्परा को कबीर से जोड़कर एक प्रगतिशील मूल्य के रूप में प्रतिष्ठित किया है वहीं उपन्यासकार के रूप में वाणभट्ट की आत्मकथा के द्वारा हिन्दी उपन्यास को नई दिशा दी है। दूसरी ओर ललित निबंधों के द्वारा हिन्दी निबंध को एक नई विधा का अवदान दिया है।

प्रस्तुत पाठ ‘कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर’ में उन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बड़ा ही सुन्दर प्रकाश डाला है। उन्होंने विश्व कवि के व्यक्तित्व के उन पक्षों पर दृष्टिपात किया है जो सामान्य लोगों की दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।

लेखक ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को आधार समर्पित भाव से सरस्वती का साधक बताया है।। उनकी साधना का एकमात्र उद्देश्य मनुष्यता की सेवा है। यही कारण था कि बिना किसी शैक्षणिक डिग्री के होते हुए भी वह अपने स्वाध्याय, अथक परिश्रम और व्यापक मानवीय दृष्टिकोण के बल पर विश्व कवि के गौरव से विभूषित हुए।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर संगीत विद्या के पूर्ण ज्ञाता थे। वे गीतों को बनाने और गाने में नए-नए सुरों का प्रयोग करते थे जिसके कारण उन्हें ‘बंगदेश की बुलबुल’ की उनके पिता ने उपाधि दी थी। वे बहुत बड़े देशभक्त थे, गीतांजली उनकी विश्व प्रसिद्ध रचना है जिसके लिए उन्हें नोवेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने ‘शांति निकेतन’ विश्वविद्यालय की स्थापना की।

सारांश के रूप में आचार्य द्विवेदी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की मानव सेवा, प्रीति, कल्याणकारी, उपकार और सरस्वती की सेवा करने की भावना का प्रतीक मानकर उनका यशोगान किया है।

प्रश्न 2.
“हजारी प्रसाद द्विवेदी” के जीवन काल और व्यक्तित्व का एक सामान्य परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-
हजारी प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के बड़े ऊँचे साहित्यकारों में से एक थे। उन्होंने निबन्धकार, उपन्यासकार, लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता के रूप में काम किया है। साहित्य के सभी क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा और विशिष्ट कर्त्तव्य के कारण विशेष यश के भागी हुए हैं। उनका व्यक्तित्व गरिमामय चित्तवृत्ति उदार और दृष्टिकोणा व्यापक है।

उनकी प्रत्येक रचना पर उनके इस व्यक्तित्व की छाप देखी जा सकती है। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हिन्दी साहित्य के इतिहासकार, अच्छे उपन्यासकार और निबन्धकार के रूप में अपना योगदान हिन्दी साहित्य को दिया है। आपकी उपन्यास, बाणभट्ट की आत्मकथा, हिन्दी उपन्यास का गौरव ललित निबन्ध संग्रह हिन्दी की धरोहर है। उन्होंने अपने ललित निबन्धों में मनुष्य की सभ्यता-यात्रा पर दृष्टिपात करते हुए उसकी मानवीय संवेदना को जगाने का सृजनात्मक प्रयास किया है। अन्य ग्रंथों में हिन्दी साहित्य की भूमिका, हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास, नाथ सम्प्रदाय, विचार प्रवाह, विचार और वितर्क, कालिदास की लालित्य-योजना महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

प्रश्न 3.
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर के जीवन और व्यक्तित्व का जो परिचय प्रस्तुत किया है। इस निबंध की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर शीर्षक निबन्ध में विश्वकवि के व्यक्तित्व के उन पक्षों पर दृष्टिपात किया है जो सामान्य लोगों की दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर की महानता का आधार समर्पित भाव से सरस्वती की साधना है। उनकी साधना का एक मात्र उद्देश्य मनुष्यता की सेवा है। यही कारण है कि बिना किसी शैक्षणिक डिग्री के होते हुए भी वह अपने स्वाध्याय, अथक परिश्रम और व्यापक मानवीय दृष्टि के बल पर विश्व कवि के गौरव से विभूषित हुए।

उनका जन्म सन् 1861 ई. में हुआ था। उनके पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर थे। इस परिवार में अनेक धार्मिक, दार्शनिक, साहित्य सेवी और शिल्पकार पुरुषों ने जन्म लिया है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर बचपन में ही माता के देहान्त के बाद महर्षि देवेन्द्र नाथ ठाकुर की निगरानी में आ गए। स्कूल की साधारण शिक्षा प्राप्त करने के बाद, घर पर ही रह कर शिक्षा प्राप्त करने लगे। बचपन से ही वे विचित्र बुद्धिमान होने का परिचय देना आरंभ कर दिए। 16 वर्ष की आयु में गद्य और गद्य दोनों में बहुत अच्छी योग्यता दिखाई। वह संगीत के प्रेमी थे।।

पिता को वह गीत गाकर सुनाते थे उनके. गाने से प्रसन्न होकर पिता. ने उनका “बंग देश की बुलबुल” की उपाधि दी थी।

संगीत विद्या के वह पूरे ज्ञाता थे। वह गीतों के बनाने और गाने में नए-नए सुरों का प्रयोग करते थे।

रवीन्दनाथ ठाकुर बड़े देशभक्त कवि थे। उन्होंने मातृभूमि, देशप्रेम, देशभक्त पर आधारित बहुत-सी कविताएँ लिखी हैं।

उनकी कविताओं में “गीतांजली” विश्व प्रसिद्ध है। वे साहित्य में प्रथम भारतीय नोबल पुरस्कार पाने वाले कवि थे।

ज्ञान-वृद्धि के लिए उन्होंने केवल सम्पूर्ण भारत में ही भ्रमण नहीं कियां, किन्तु यूरोप, अमेरिका, जापान भी घूम आए। “शांति निकेतन” रवीन्द्र नाथ ठाकुर की एक उत्तम यादगार है जो आज विश्व भारती, विश्वविद्यालय बन गया है।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने सैकड़ों पुस्तकें बंगला में लिखा है। वे अंग्रेजी भाषा में लिखने की अच्छी योग्यता रखने पर भी देशी भाषा में लिखना अच्छा समझते थे।

वे वास्तव में मानव सेवा, प्रीति, कल्याणकारी, उपकार और सरस्वती की सेवा करने की भावना से काम कर रहे थे।

कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर लेखक परिचय – हजारी प्रसाद द्विवेदी (1907-1979)

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी भारतीय संस्कृति के विशिष्ट ज्ञाता और निबंधकार के रूप में विख्यात हैं। उनका जन्म 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के आरत दुबे का छपरा गाँव में हुआ था। आचार्य द्विवेदी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में हुई। 1930 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य तथा इन्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे शांति निकेतन में अध्यापक होकर चले गये। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष एवं पंजाब विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर के पद को भी सुशोभित किया। लखनऊ विश्वविद्यालय से उन्हें डी. लिट की उपाधि मिली।

द्विवेदीजी ने हिन्दी साहित्य के विकास में अपना विशेष योगदान दिया। हिन्दी साहित्य की दूसरी परम्परा के प्रतिनिधि के रूप में आचार्य द्विवेदी जी ने हिन्दी की काव्य परम्परा को कबीर से जोड़कर एक प्रगतिशील मूल्य के रूप में प्रतिष्ठित किया है। उपन्यासकार के रूप में उन्होंने वाणभट्ट की आत्मकथा के द्वारा हिन्दी उपन्यास को एक नई दिशा दी है। दूसरी ओर ललित निबंधों के द्वारा हिन्दी निबंध के एक नई विधा का अवदान दिया है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं सूर साहित्य, हिन्दी साहित्य की भूमिका, कबीर, वाण भट्ट की आत्मकथा (उपन्यास), अशोक के फूल (निबंध), मेघदूत, विचार प्रवाह, पृथ्वीराज रासो आदि।


BSEB Textbook Solutions PDF for Class 12th


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