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Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Political Science Environment and Natural Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Environment and Natural Resources Book Answers

BSEB Class 12 Political Science Environment and Natural Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Environment and Natural Resources Book Answers
BSEB Class 12 Political Science Environment and Natural Resources Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Environment and Natural Resources Book Answers


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Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Political Science Environment and Natural Resources
Chapters All
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Bihar Board Class 12 Political Science पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पर्यावरण के प्रति बढ़ते सरोकारों का क्या कारण है? निम्नलिखित में सबसे बेहतर विकल्प चुनें।
(क) विकसित देश प्रकृति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं।
(ख) पर्यावरण की सुरक्षा मूलवासी लोगों और प्राकृतिक पर्यावासों के लिए जरूरी है।
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।
(घ) इनमें से कोई नही।
उत्तर:
(ग) मानवीय गतिविधियों से पर्यावरण को व्यापक नुकसान हुआ है और यह नुकसान खतरे की हद तक पहुँच गया है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित कथनों में प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगायें। ये कथन पृथ्वी-सम्मेलन के बारे में हैं –
(क) इनमें 170 देश, हजारों स्वयंसेवी संगठन तथा अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने भाग लिया।
(ख) यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में हुआ।
(ग) वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों ने पहली बार राजनीतिक धरातल पर ठोस आकार ग्रहण किया।
(घ) यह महासम्मेलनी बैठक थी।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) सत्य
(ग) सत्य
(घ) असत्य

प्रश्न 3.
“विश्व की साझी विरासत” के बारे में निम्नलिखित में कौन से कथन सही हैं?
(क) धरती का वायुमंडल, अंटार्कटिक, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष को ‘विश्व की साझी विरासत’ माना जाता है।
(ख) ‘विश्व की साझी विरासत’ किसी राज्य के संप्रभु क्षेत्राधिकार में नहीं आते।
(ग) “विश्व की साझी विरासत’ के प्रबंधन के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच विभेद है।
(घ) उत्तरी गोलार्द्ध के देश ‘विश्व की साझी विरासत’ को बचाने के लिए दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों से कहीं ज्यादा चिंतित हैं।
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) सत्य
(ग) सत्य
(घ) असत्य

प्रश्न 4.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
रियो सम्मेलन के परिणाम –

  1. रियो सम्मेलन से यह निष्कर्ष निकला कि विश्व के धनी देश और विकसित देश (उत्तरी गोलार्द्ध) और विकासशील देश (दक्षिणी गोलार्द्ध) पर्यावरण के अलग-अलग मुद्दों के समर्थक हैं।
  2. उत्तरी देशों के मुख्य चिंता ओजोन परत की छेद और वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) को लेकर थी। जबकि दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे।
  3. रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और वानिकी के संबंध में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए।
  4. इसमें ‘अजेंडा-21’ के रूप में विकास के कुछ तौर तरीके से सुझाए गए।
  5. सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि आर्थिक वृद्धि में पर्यावरण को क्षति न पहुँचे।

प्रश्न 5.
‘विश्व की साझी विरासत’ का क्या अर्थ है? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है?
उत्तर:
विश्व की साझी विरासत –

  1. विश्व के कुछ भाग और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं।
  2. इनका प्रबंधन साझे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है । इन्हें ही साझी विरासत या वैश्विक संपदा कहते हैं।
  3. इनमें पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष शामिल हैं।

विश्व की साझी विरासत का दोहन और प्रदूषण के तरीके –

  1. पृथ्वी के उपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में निरंतर कमी हो रही है। वस्तुतः ऐसा औद्योगीकरण के कारण है। पश्चिमी देशों का इस कार्य में अधिक हाथ रहा है।
  2. अंटार्कटिक क्षेत्र के कुछ हिस्से अवशिष्ट पदार्थ जैसे तेल के रिसाव के दबाव में अपनी गुणवत्ता खो रहे हैं।
  3. सम्पूर्ण विश्व में समुद्री तटों पर प्रदूषण बढ़ रहा है। इसका तटवर्ती जल जमीन क्रियाकलाप से प्रदूषित हो रहा है।
  4. अंतरिक्ष में विभिन्न देश तेजी से प्रयोग कर रहे हैं और उसे प्रदूषित कर रहे हैं।

प्रश्न 6.
‘साझी जिम्मेवारी लेकिन अलग-अलग भूमिकाएं’ से क्या अभिप्राय है। हम इस विचार को कैसे लागू कर सकते हैं?
उत्तर:
साझी जिम्मेवारी लेकिन अलग-अलग भूमिकायें एवं लागू करने के तरीके:
राष्ट्र संघ नियमाचार (UNFCC-1992) में बताया गया कि इस संधि को स्वीकार करने वाले देश अपनी क्षमता के अनुरूप पर्यावरण के अपक्षय में अपनी हिस्सेदारी के आधार पर साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेवारी निभाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा के प्रयास करेगें। इस बात पर सभी देश सहमत थे कि ऐतिहासिक रूप से भी और मौजूदा समय में भी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे अधिक हिस्सा विकसित देशों में ग्रीन हाउस गैसों का है।

यह बात भी स्वीकार की गई है कि विकासशील देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। इस कारण चीन, भारत और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से अलग रखा गया है। विकसित देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव ज्यादा है और इन देशों के पास पर्याप्त प्रौद्योगिकी एवं वित्तीय संसाधन है ऐसे में टिकाऊ विकास के अंतर्राष्ट्रीय आयाम में विकसित देश अपनी विशेष जिम्मेदारी स्वीकार करेगें।

प्रश्न 7.
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे सन् 1990 के दशक से विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार क्यों बन गए हैं?
उत्तर:
वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार:
वैश्विक पर्यावरण को विभिन्न कारणों विभिन्न प्रकार की हानि उठानी पड़ रही है जिसका असर सभी देशों पर पड़ रहा है। इसलिए वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा विभिन्न देशों के प्राथमिक सरोकार बन गए हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अधिकांश स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं। हैं। ये आंदोलन ताकतवर सामाजिक आंदोलन का रूप धारण कर रहे हैं। भारत सहित अनेक देशों के वन आंदोलन पर पर्याप्त दबाव है।

यद्यपि खनिज उद्योग विश्व अर्थयवस्था का एक प्रमुख अंग है परंतु बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कारण इससे पर्यावरण को भारी क्षति हुई है। इससे भूमि और जलमार्ग प्रदूषित हुआ है और स्थानीय वनस्पतियों की कमी हुई है। इसी प्रकार के आंदोलन बांधों के खिलाफ चल रहे हैं। वस्तुतः अनेक देशों में बांधों के निर्माण की होड़ लगी हुई है। भारत में विरोधी और नदी प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं जिसमें नर्मदा आंदोलन प्रसिद्ध है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी को बचाने के लिए जरूरी है कि विभिन्न देश सुलह और सहकार की नीति अपनाएं। पर्यावरण के सवाल पर उत्तरी और दक्षिणी देशों के बीच जारी वार्ताओं की रोशनी में इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर:
पृथ्वी को बचाने के लिए विभिन्न देशों की सुलह और सहकार की नीति-पृथ्वी को बचाने के लिए उत्तर और दक्षिण के देशों के बीच सुलह और सहकार की नीति होनी चाहिए। हालांकि दोनों (उत्तर और दक्षिण के देश) यह जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपना चाहते हैं। उत्तर के देशों का कहना है कि पृथ्वी को बचाने में सभी देशों का योगदान होना चाहिए। इसके विपरित दक्षिण के देशों का कहना है कि ओजोन परत में उत्सर्जन उत्तरी देशों के अधिक औद्योगीकरण के कारण हुआ है और उनके पास भरपूर संसाधन हैं। इसलिए पृथ्वी को बचाने में उनका अधिक योगदान होना चाहिए। इन विवादों के प्रकाश में विभिन्न देशों के बीच 1992 में क्योटो प्रोटोकॉल नामक समझौता हुआ जिस पर सभी देशों की सहमति 1997 में हुई। इस समझौते के लिए कुछ सिद्धांत निर्धारित किये गये और सिद्धांत की इस रूपरेखा पर सहमति जताते हुए विभिन्न देशों के हस्ताक्षर हुए।

प्रश्न 9.
विभिन्न देशों के सामने सबसे गंभीर चुनौती वैश्विक पर्यावरण को आगे कोई नुकसान पहुंचाए बगैर आर्थिक विकास करने की है। यह कैसे हो सकता है? कुछ उदाहरणों के साथ समझाएँ।
उत्तर:
रियो सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी कि आर्थिक वृद्धि से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। इसे टिकाऊ विकास का तरीका कहा गया परंतु समस्या यह है कि यह कैसे हो सकता है। कुछ आलोचकों का कहना है कि एजेंडा-21 का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाए आर्थिक वृद्धि की ओर है। वस्तुतः आर्थिक वृद्धि को रोके बिना पर्यावरण को बचाने का उपाय करना चाहिए। इसके लिए विकल्पों पर विचार करना चाहिए। उदाहरण के लिए पेट्रोल के स्थान पर जल विद्युत जैसे साधनों का प्रयोग करना चाहिए। प्राकृतिक गैस के स्थान पर सौर ऊर्जा का विकास करना चाहिए।

Bihar Board Class 12 Political Science पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विश्व में खाद्य उत्पादन की कमी के क्या कारण हैं?
उत्तर:

  1. विश्व के कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ भूमि के एक बड़े हिस्से की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।
  2. चरागाह समाप्त होने को हैं, मत्स्य भंडार घट रहा है। जलाशयों में प्रदूषण बढ़ रहा है।

प्रश्न 2.
विश्व में स्वच्छ जल की क्या स्थिति है?
उत्तर:

  1. संयुक्त राष्ट्र संघ की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब 20 करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता।
  2. साफ-सफाई की सुविधा से 30 लाख से अधिक बच्चे वंचित हैं। फलस्वरूप उनकी मौत हो जाती है।

प्रश्न 3.
ओजोन परत में छेद होना क्या है?
उत्तर:

  1. पृथ्वी की ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है। इसे ओजोन परत में छेद होना भी कहते है।
  2. इससे परिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मंडरा रहा है।

प्रश्न 4.
अकाल के लोगों की क्या समस्या है?
उत्तर:

  1. अकाल के निकटवर्ती क्षेत्र में बसे हजारों लोगों को घरबार छोड़ना पड़ा, क्योंकि पानी के विषाक्त होने से मत्स्य उद्योग नष्ट हो गया। जहाज रानी उद्योग और इससे जुड़े सभी कार्य खत्म हो गये।
  2. वस्तुतः पानी में नमक की सान्द्रता के बढ़ जाने से पैदावार कम हो गई। अनेक शोधों के पश्चात् इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।

प्रश्न 5.
पर्यावरण की समस्याओं के अध्ययन के लिए क्या किया गया है?
उत्तर:

  1. संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Enviroment Programme- UNEP) सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर सम्मेलन कराये।
  2. इस विषय पर अध्ययन को बढ़ावा देना शुरू किया गया। इस प्रयास का उद्देश्य पर्यावरण की समस्याओं पर अधिक कारगर और सुलक्षी हुई पहलकदमियों की शुरूआत करना था।

प्रश्न 6.
पृथ्वी सम्मेलन या रियो सम्मेलन क्या है?
उत्तर:

  1. 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हुआ। इसे पृथ्वी सम्मेलन (Earth Summit) कहा जाता है।
  2. वैश्विक राजनीति के क्षेत्र में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को इस सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला।

प्रश्न 7.
टिकाऊ विकास का तरीका क्या है?
उत्तर:

  1. 1992 के रियो सम्मेलन में यह सहमति बनी कि आर्थिक वृद्धि से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। इसे टिकाऊ विकास का तरीका कहा गया।
  2. परंतु समस्या यह थी कि ‘टिकाऊ विकास’ का क्रियान्वयन किस प्रकार किया जाए, क्योंकि इस सम्मेलन ‘अजेंडा-21’ का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर था।

प्रश्न 8.
वैश्विक सम्पदा या मानवता की साझी विरासत से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं। इसलिए उनका प्रबंधन साझे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इन्हें वैश्विक सम्पदा या मानवता की साझी विरासत कहा जाता है।
  2. इसके अंतर्गत पृथ्वी का वायुमंडल, अंटार्कटिका, समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष शामिल हैं। इस सम्पदा की सुरक्षा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा की जाती है।

प्रश्न 9.
वैश्विक सम्पदा की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से समझौते हुए हैं?
उत्तर:

  1. अंटार्कटिक संधि (1959)
  2. मांट्रियल न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1987)
  3. अंटार्कटिक पर्यावरणीय न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1991)

प्रश्न 10.
अंटार्कटिक महादेश का विस्तार बताइये।
उत्तर:

  1. इसका क्षेत्र 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां विश्व का निर्जन क्षेत्र 26% है।
  2. स्थलीय हिम का 90% हिस्सा और धरती पर मौजूद जल का 70% इस महादेश में मौजूद है। अंटार्कटिक महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किलोमीटर तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।

प्रश्न 11.
पर्यावरणीय शरणार्थी का क्या अर्थ है?
उत्तर:

  1. अफ्रीका के कुछ देशों के लोगों को पर्यावरणीय शरणार्थी कहा गया है। खेती के अभाव के कारण उन्हें अपना घरबार छोड़ना पड़ा और उन्होंने दूसरी जगह जाकर शरण ली।
  2. वस्तुत: उस क्षेत्र में 1970 के दशक में भीषण अनावृष्टि हो गयी जिससे वहाँ की भूमि बंजर हो गयी और उसमें दरार पड़ गयी।

प्रश्न 12.
ग्लोबल वार्मिग के परिणाम बतायें।
उत्तर:

  1. ग्लोबल वार्मिग या वैश्विक तापवृद्धि का अर्थ विश्व में तापमान में वृद्धि। यह कार्बन डाइआक्साइड, मीथेन और हाइड्रो फ्लोरो कार्बन आदि गैंसे इसके कारण हैं।
  2. विश्व का तापमान बढ़ने से धरती के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। विभिन्न देश इस संबंध में वार्तालाप कर रहे हैं। क्योटो प्रोटोकॉल नामक समझौते में विभिन्न देशों की सहमति बन गई है।

प्रश्न 13.
साझी सम्पदा का क्या अर्थ है?
उत्तर:

  1. साझी सम्पदा ऐसी सम्पदा होती है जिस पर किसी समूह के प्रत्येक सदस्य का स्वामित्व हो।
  2. इसके पीछे मूल तर्क यह है कि ऐसे संसाधन की प्रकृति, उपयोग के स्तर और रख-रखाव के संदर्भ में समूह के प्रत्येक सदस्य को समान अधिकार प्राप्त होगें और समान उत्तर दायित्व निभाने होंगें।

प्रश्न 14.
ग्रुप-8 की जून 2005 की बैठक में भारत ने किन-किन बातों का उल्लेख किया।
उत्तर:

  1. भारत ने उल्लेख किया कि विकासशील देशों की प्रति व्यक्ति ग्रीन हाउस गैस की उत्सर्जन दर विकसित देशों की तुलना में नाममात्र है।
  2. साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेवारी के सिद्धांत के अनुरूप भारत का विचार है कि उत्सर्जन दर में कमी करने की सबसे अधिक जिम्मेदारी विकसित देशों की है, क्योंकि इन देशों ने एक लंबी अवधि से बहुत अधिक उत्सर्जन किया है।

प्रश्न 15.
भारत की ग्रीन हाउस के उत्सर्जन दर का विवरण दीजिए।
उत्तर:

  1. 2000 तक भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर 0.9 टन था। अनुमान है कि 2030 तक यह मात्रा बढ़कर 1.6 टन प्रति व्यक्ति हो जायेगी।
  2. भारत का यह उत्सर्जन दर विश्व के वर्तमान (2000) औसत 3.8 टन प्रति व्यक्ति से बहुत कम है। इसलिए भारत क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

प्रश्न 16.
‘फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज’ की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत की क्या मांग है?
उत्तर:

  1. विकासशील देशों को रियायती शर्तो पर नये और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन तथा पर्यावरण के संदर्भो में बेहतर साबित होने वाली प्रौद्योगिकी मुहैया कराने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है।
  2. भारत की मांग है कि विकसित देश विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन तथा स्वच्छ प्रौद्योगिकी मुहैया कराने के लिए तुरंत उपाय करें ताकि विकासशील देश फ्रेमवर्क ऑन क्लाईमेट चेंज की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सके।

प्रश्न 17.
दक्षिणी देशों के वन आंदोलन की क्या कमी रही है?
उत्तर:

  1. अनेक दक्षिणी देशों-भारत, मैक्सिको, चिली ब्रांजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफ्रीका आदि में वन आंदोलन चल रहे हैं, परंतु इन पर बहुत दबाव है।
  2. तीन दशकों से पर्यावरण को लेकर सक्रियता का दौर जारी है। इसके बावजूद तीसरी दुनिया के विभिन्न देशों में वनों की कटाई खतरनाक गति से जारी है। पिछले दशक में बचे खुचे विशालतम वनों का विनाश बढ़ा है।

प्रश्न 18.
वनों के विजनपन का क्या अर्थ है?
उत्तर:

  1. उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में वन जनविहिन हैं। अर्थात् मानव और पक्षियों आदि का अभाव-सा है। इसे वनों का विजनपन कहते हैं जो पर्यावरण के लिए खतरनाक स्थिति है।
  2. वनों का विजनपन आस्ट्रेलिया, स्केडिनेविया, उत्तरी अमरीका और न्यूजीलैंड में हावी हैं। वनों के विजनपन को दूर करने के लिए वनों की प्रजातियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रश्न 19.
शीतयुद्ध के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देशों ने संसाधनों का शोषण करने के लिए क्या-क्या उपाय अपनाये?
उत्तर:

  1. इसके अंतर्गत संसाधन दोहन के इलाकों तथा समुद्री परिवहन मार्गो के आसपास सेना की तैनाती महत्त्वपूर्ण संसाधनों का भंडारण किया।
  2. इसके अलावा संसाधनों के उत्पादक देशों में मनचाही सरकार स्थापित करवायी, बहुराष्ट्रीय निगमों और अपने हितसाधक अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का समर्थन किया।

प्रश्न 20.
मूलवासी कौन लोग हैं?
उत्तर:

  1. किसी देश के मूलवासी वे लोग हैं जो उस देश में एक लंबे समय से निवास कर रहे हैं।
  2. मूलवासी आज भी उस देश की संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से ज्यादा अपनी परंपरा, सांस्कृतिक रिवाज तथा अपने खास सामाजिक, आर्थिक ढर्रे पर जीवन यापन करना पसंद करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनों से क्या लाभ है? वैश्विक राजनीति में इनसे संबंधित चिंतायें क्या हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनों से लाभ –

  1. ये जलवायु को संतुलित करने में सहायता करते हैं।
  2. इनसे जल चक्र भी संतुलित रहता है।
  3. वनों में जैव विविधता का भंडार भरा पड़ा है।
  4. इनसे इमारती लकड़ी और अन्य बहुमूल्य लकड़ियां मिलती हैं।

संबंधित चिंतायें:

(क) वनों की कटाई तेजी से हो रही है।
(ख) फलस्वरूप वनों के जीव जंतु विस्थापित हो रहे हैं। जैव विविधता की हानि जारी है।
(ग) वनों के कटने से बाढ़ की संभावनायें बढ़ गई हैं।
(घ) जलवायु असंतुलित होती जा रही है।

प्रश्न 2.
ऑवर कॉमन फ्यूचर रिपोर्ट (1987) की मुख्य बातें क्या हैं?
उत्तर:
ऑवर कॉमन फ्यूचर रिपोर्ट (1987) की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं –

  1. रिपोर्ट में चेताया गया था कि आर्थिक विकास के मौजूदा तरीके स्थायी नहीं रहेंगें।
  2. विश्व के दक्षिणी देशों में औद्योगिक विकास की मांग अधिक तेज है और रिपोर्ट में इसी हवाले से चेतावनी दी गई थी।
  3. रियो सम्मेलन में यह बात खुलकर सामने आयी कि विश्व के धनी और विकसित देशों तथा गरीब और विकासशील देशों का पर्यावरण के संबंध में अलग-अलग दृष्टिकोण है।
  4. दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे।

प्रश्न 3.
अंटार्कटिका पर किसका स्वामित्व है?
उत्तर:

  1. अंटार्कटिक विश्व का सबसे सुदूर महादेश है। इसका इलाका 1 करोड़ 40 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
  2. प्रश्न उठता है कि इस पर किसका स्वामित्व है। इस संबंध में दो दावे किये जाते हैं।
  3. कुछ देश जैसे-ब्रिटेन, अर्जेन्टाइना, चिली, नार्वे, फ्रांस, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अंटार्कटिक क्षेत्र पर अपने संप्रभु अधिकार का वैधानिक दावा किया है।
  4. अन्य अधिकांश देशों ने इससे उल्टा रूख अपनाया कि अंटार्कटिक प्रदेश विश्व की साझी संपदा है और यह किसी भी क्षेत्राधिकार में शामिल नहीं है।

इस मतभेद के रहते हुए अंटार्कटिक के पर्यावरण और परिस्थिति तंत्र की सुरक्षा के नियम बनाये गये और उन्हें अपनाया गया। अंटार्कटिक और पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण सुरक्षा के विशेष क्षेत्रीय नियमों के अंतर्गत आते हैं।

प्रश्न 4.
पर्यावरण को लेकर उत्तरी गोलार्द्ध के देशों और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों की दृष्टि में क्या अंतर है?
उत्तर:
पर्यावरण को लेकर उत्तरी गोलार्द्ध के देशों और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में अंतर –

  1. उत्तरी गोलार्द्ध के विकसित देश पर्यावरण के मुद्दे पर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में पर्यावरण आज मौजूद है। ये देश चाहते है कि पर्यावरण के संरक्षण में प्रत्येक देश की जिम्मेदारी बराबर हो।
  2. दक्षिणी गोलार्द्ध के देशो का कहना है कि विश्व में पारिस्थितिकी को क्षति बहुत अधिक विकसित देशों के औद्योगिक विकास से पहुंची है। यदि उत्तरी देशों ने पर्यावरण को अधिक क्षति पहुंचाई है, तो उन्हें इस हानि की भरपाई की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
  3. फिर विकासशील देश अभी औद्योगीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं और जरूरी है कि उस पर वे प्रतिबंध न लगे जो विकसित देशों पर लगाये जाते हैं।
  4. इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए।
  5. 1992 में हुए पृथ्वी सम्मेलन में इस तर्क को मान लिया गया और इसे साझी उत्तरदायित्व परंतु पृथक्-पृथक् भूमिका सिद्धांत कहा गया।

प्रश्न 5.
रियो घोषणापत्र की मुख्य घोषणाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रियो घोषणापत्र की मुख्य घोषणाएँ:

  1. पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता और गुणवत्ता की बहाली, सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व बंधुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे।
  2. पर्यावरण के विश्वव्यापी अपक्षय में विभिन्न राज्यों का योगदान अलग-अलग है। ऐसे में विभिन्न राज्यों का साझा परंतु पृथक् पृथक् उत्तरदायित्व होगा।
  3. विकसित देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव अधिक है और इन देशों के पास पर्याप्त प्रौद्योगिक एवं वित्तीय संसाधन हैं।
  4. टिकाऊ विकास के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास में विकसित देश अपनी विशेष जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।

प्रश्न 6.
1992 के जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार (United Nations Framework Convention on Climate Change of 1992) at or धारायें बताइए।
उत्तर:
1992 के जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार की मुख्य धारायें:

  1. इस संधि को स्वीकार करने वाले देश अपनी क्षमता के अनुसार, पर्यावरण के अपक्षय में अपनी हिस्सेदारी के आधार पर साझी परंतु पृथक्-पृथक् जिम्मेदारी निभाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा के प्रयत्न करेंगे।
  2. इस नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश इस बात पर सहमत थे कि ऐतिहासिक रूप से भी और मौजूदा समय में भी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे अधिक हिस्सा विकसित देशों में ग्रीन हाउस गैसों का है।
  3. यह बात भी स्वीकार की गई कि विकासशील देशों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन अपेक्षाकृत कम है। इसलिए भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकॉल की बाध्यताओं से अलग रखा गया है।
  4. 1992 में प्रोटोकॉल समझौते के लिए कुछ सिद्धांत निर्धारित किये गये थे और सिद्धांत की इस रूपरेखा अर्थात् जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार पर सहमति प्रकट करते हुए हस्ताक्षर हुए थे।

प्रश्न 7.
क्योटो प्रोटोकॉल पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल –

  1. क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।
  2. इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।
  3. प्रोटोकॉल में यह भी माना गया है कि कार्बन डाईआक्साइड, मीथेन और हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन जैसी कुछ गैसों के कारण वैश्विक तापवृद्धि होती है।
  4. यह भी कहा गया है कि वैश्विक तापवृद्धि की परिघटना में विश्व का तापमान बढ़ता है और पृथ्वी के जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है।

प्रश्न 8.
पावन वन प्रांतर से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:

  1. प्राचीन भारत में प्रकृति को देवता के रूप में स्वीकार किया गया है और उसकी सुरक्षा की प्रथा थी। इस प्रथा के सुंदर उदाहरण पावन वन प्रांतर हैं।
  2. कुछ वनों को काटा नही जाता था। इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा को माना जाता है। इसे ही पावन-प्रांतर या देवस्थान कहा गया है।
  3. इन पावन वन प्रांतरों का राष्ट्रीय विस्तार है। इसकी पुष्टि विभिन्न भाषाओं के शब्दों से होती है। इन देव स्थानों को राजस्थान में बानी केकड़ी और ओरान, झारखंड में जहेरा थाव और सरन, मेघालय में लिंगदोह, उत्तराखंड में धान या देवभूमि आदि नामों से जाना जाता है।
  4. पर्यावरण संरक्षण से जुड़े साहित्य में देवस्थान के महवत को स्वीकार किया गया है।
  5. कुछ अनुसंधानकर्ताओं की राय है कि देवस्थान की मान्यता से जैव विविधता, पारिस्थितिक संतुलन के साथ सांस्कृतिक विविधता में भी सहायता मिल सकती है।

प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र संघ के जलवायु परिवर्तन से संबंधित नियमाचार (United Nations Framework Convention on Climate Change) में भारत कहां तक अनुकल है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन से संबंधित नियमाचार में भारत की अनुकूलता –

  1. भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की जलवायु परिवर्तन से संबंधित नियमाचार के अनुरूप पर्यावरण से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय मसलों में अधिकांश तथा उत्तरदायित्व का तर्क रखता है।
  2. इस तर्क के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों के रिसाव की जवाबदेही अधिकांशतया विकसित देशों की है।
  3. हाल में संयुक्त राष्ट्र संघ के इस नियमाचार के अंतर्गत यह बात उठी कि तेजी से औद्योगीकरण होते देश (ब्राजील, चीन और भारत) नियमाचार की बाध्यताओं का पालन करते हुए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करें।
  4. भारत इसके खिलाफ है। उसका कहना है कि यह बात इस नियमाचार की मूल भावना के विरुद्ध है। क्योंकि भारत का उत्सर्जन दर (2030 में लगभग 1.6 टन प्रति व्यक्ति) विश्व के वर्तमान उत्सर्जन दर (2000 में 3.8 टन प्रति व्यक्ति) से बहुत कम है।

प्रश्न 10.
भारत ने पर्यावरण सुरक्षा के संदर्भ में कौन-कौन से ठोस कदम उठाये हैं?
उत्तर:
भारत द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के संदर्भ में उठाये गये ठोस कदम –

  1. भारत ने अपनी नेशनल ऑटो फ्यूडल पॉलिसी के अंतर्गत वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन अनिवार्य कर दिया है।
  2. 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ। इसमें ऊर्जा के अधिक कारगर इस्तेमाल का प्रयास किया है।
  3. 2003 के बिजली अधिनियम में पुन: नवीनीकरण ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है।
  4. हाल में प्राकृतिक गैस के आयात और स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने की ओर रूझान बढ़ा है।
  5. भारत बायोडीजल से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन चलाने के लिए भी तत्पर है। इसके अंतर्गत 2011-12 तक बायोडीजल तैयार होने लगेगा।

प्रश्न 11.
उत्तरी देशों के वनों और दक्षिणी देशों के वन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्तरी देशों के वनों और दक्षिणी देशों के वनों में अंतर –

  1. दक्षिणी देशों के वन निर्जन नहीं हैं जबकि उत्तरी देशों के वन जनविहीन हैं। अर्थात् यहां के वन को निर्जन प्रांत कहा जाता है।
  2. दक्षिणी देशों के लोग मनुष्य को प्रकृति का हिस्सा मानते हैं जबकि उत्तरी देशों के लोग ऐसा नहीं मानते अर्थात् वे पर्यावरण को मनुष्य से दूर की चीज मानते हैं।
  3. दक्षिणी देशों में पर्यावरण के अधिकांश मसले इस मान्यता पर आधारित है कि लोग वनों में भी रहते हैं। उत्तरी देशों में ऐसा नहीं है।
  4. उत्तरी देशों के लोगों का दृष्टिकोण आध्यात्मिक नहीं है जबकि दक्षिणी देशों के लोगों का दृष्टिकोण आध्यात्मिक है।

प्रश्न 12.
पर्यावरण की दृष्टि से खनिज उद्योग की आलोचना की गई है? विवेचन कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण की दृष्टि से खनिज उद्योग की आलोचना के कारण –

  1. वैश्विक अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के कारण दक्षिणी गोलार्द्ध के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खुल चुकी हैं।
  2. खनिज उद्योग के भीतर मौजूद संसाधनों को बाहर निकालता है।
  3. खनिज उद्योग रसायनों का भरपूर उपयोग करता है।
  4. यह भूमि और जलमार्गों को प्रदूषित करता है।
  5. खनिज उद्योग स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है और इसके कारण जनसमुदाय को विस्थापित होना पड़ता है।
  6. आस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘वेस्टर्न माइनिंग कारपोरेशन’ के खिलाफ कई संगठनों ने आंदोलन चलाया इस कंपनी की स्वयं अपने देश में भी आलोचना हो रही है।

प्रश्न 13.
पश्चिमी देशों के राजनीतिक चिंतन का केन्द्रीय सरोकार क्या है?
उत्तर:
पश्चिमी देशों के राजनीतिक चिंतन का केन्द्रीय सरोकार:

  1. ये देश चाहते हैं कि उनका संसाधनों पर अबाध रूप से सत्ता बनी रहे, क्योंकि सोवियत संघ से उन्हें खतरा था।
  2. वे खाड़ी देशों में मौजूद तेल भंडार, दक्षिण और पश्चिम एशिया के देशों में मौजूद खनिज पर विकसित देशों का नियंत्रण बना रहे।
  3. शीतयुद्ध के पश्चात् ये देश सुरक्षित आपूर्ति को जारी रखना चाहते हैं।
  4. वे रेडियोधर्मी खनिजों पर भी नियंत्रण चाहते हैं।

प्रश्न 14.
स्वच्छ जल को लेकर विश्व राजनीति की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
स्वच्छ जल के संदर्भ में विश्व राजनीति –

  1. विश्व के कई भागों में स्वच्छ जल की कमी हो रही है। इस कारण ये देश चिंतित है।
  2. विश्व के प्रत्येक भाग में स्वच्छ जल का समान वितरण नहीं है। फिर कई नदियों में कई देश साझीदार हैं। ऐसे में उनके बीच प्रबल संघर्ष की संभावना है। इसको अब जलयुद्ध कहा जाने लगा है।
  3. जल-स्रोत से दूर बसे देशों को जल कम मात्रा में मिलता है और वह भी प्रदूषित जल होता है।
  4. उद्गम के निकट बसा देश बांध और सिंचाई आदि के माध्यम से जल की अत्याधिक मात्रा का प्रयोग करता है और वह नदी के जल को प्रदूषित भी करता है।
  5. देशों के बीच स्वच्छ जल संसाधनों को हथियाने अथवा उनकी सुरक्षा करने के लिए हिंसक झड़पें हुई हैं। इसका महत्त्वपूर्ण उदाहरण 1950 और 1960 के दशक में इजराइल, सीरिया तथा जार्डन के बीच संघर्ष है। इनमें से प्रत्येक देश ने जार्डन और यारमुक नदी से पानी का बहाव मोड़ने की कोशिश की थी।

प्रश्न 15.
विश्व राजनीति में मूलवासियों की क्या मांग है?
उत्तर:
विश्व राजनीति में मूलवासियों की मांग:

  1. किसी देश के मूलवासी ऐसे लोग हैं जो उस देश में लंबे समय से निवास कर रहे हैं और अपने सांस्कृतिक परंपरा में ही जीवित रहना चाहते हैं। वस्तुतः उनका अस्तित्व असुरक्षित हो गया है।
  2. विश्व राजनीति में मूलवासियों की आवाज विश्व बिरादरी में बराबरी का दर्जा पाने के लिए उठी है।
  3. मध्य और दक्षिण अमरीका, अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मूलवासियों की सरकारों से मांग है कि इन्हें मूलवासी कौम के रूप में अपनी स्वतंत्र पहचान रखने वाला समुदाय माना जाय।
  4. मूलवासी अपने मूल निवास स्थान को खोना नहीं चाहते और वे उस पर अपना स्थायी अधिकार चाहते हैं।
  5. वे अपनी जमीन पर भी अधिकार रखना चाहते हैं, वस्तुत: यह उनका आर्थिक संसाधन भी है। इसकी हानि का तात्पर्य उनके जीवन को बहुत बड़ा खतरा है।

प्रश्न 16.
भारत में मूलवासियों की क्या स्थिति है?
उत्तर:
भारत में मूलवासियों की स्थिति –

  1. भारत में मूलंचासियों के लिए अनुसूचित जनजाति या आदिवासी शब्द का प्रयोग किया जाता है जो कुल जनसंख्या के 80% है।
  2. भारत के अधिकांश आदिवासी जीविका के लिए खेती पर निर्भर होते हैं। कुछ घुमन्तू भी हैं। वे अपने आसपास संपूर्ण भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।
  3. संविधान में इनको राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त हैं इन्हें संवैधानिक सुरक्षा भी मिली हुई है।
  4. देश के विकास का इनको ज्यादा लाभ नहीं मिल सका है और इनकी स्थिति में विशेष सुधार नहीं हुआ है।
  5. विभिन्न परियोजनाओं के चलते इन्हें अपनी भूमि से हाथ धोना पड़ा है और ये विस्थापित हुए हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में जनजातीय विकास के लिए उठाये गये कदमों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में जनजातीय विकास के लिए उठाये गये कदम-भारत में नया संविधान लागू होने के बाद अनुसूचित जाति के लोगों के विकास के कार्यक्रमों के साथ-साथ अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए भी विभिन्न योजनाएँ बनाई गई व कार्यक्रम लागू किए गए। पांचवीं योजना के दौरान जनजातीय विकास के लिए भी एक नयी योजना बनायी गई। इसके अनुसार जिन इलाकों में पचास प्रतिशत व इससे अधिक प्रतिशत जनजाति के लोग रहते हैं ऐसे क्षेत्रों में 19 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में उप-योजनाएं बनायी गयीं।

जनजातियों के विकास का कार्यक्रम द्विपक्षीय दृष्टिकोण पर आधारित है –

(क) जनजातियों के जीवन स्तर को उठाने के लिए विकास संबंधी क्रिया-कलापों की उन्नति।
(ख) कानूनी और प्रशासनिक सहायता द्वारा उनके हितों की सुरक्षा।

इस समय जनजातियों के विकास की परियोजना के अंतर्गत जनजाति उप-योजनाओं का विस्तार लगभग सभी राज्यों तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों में है। इसका क्रियान्वयन 184 समेकित जनजाति विकास परियोजनाओं के माध्यम से जनजातियों के 277 आवास केन्द्रों में तथा 5000 की कुल आबादी वाले 32 समूहों अथवा जनजाति केन्द्रित 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्रों में किया गया है। 73 आदिवासी जनजातियों के विकास के लिए परियोजना आधारित विचार के माध्यम से कार्यक्रम चलाये गए हैं।

राज्य सरकारों से समेकित जनजातीय परियोजना, जनजातीय निवास स्थलों तथा आदिवासी जनजातीय समूहों के लिए नयी कार्ययोजना। परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए. आग्रह किया गया है। कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में जनजातियों की संख्या बहुत अधिक है जैसे अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, लक्षद्वीप और दादरा तथा नगर हवेली। इन्हें उप योजनाओं के अंतर्गत नहीं लिया गया है क्योंकि इन राज्यों की योजनाएं वस्तुतः जनजातीय विकास के लिए हैं:

जनजातियों के लिए बनी उप-योजनाओं के मुख्य उद्देश्य हैं –

  1. जनजाति क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों के बीच विकास के अंतर को कम करना।
  2. जनजातियों के रहन-सहन को ऊंचा उठाना।

इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जनजातियों का शोषण समाप्त करने, विशेषकर, भूमि, महाजनी, कृषि और वन की उपज में अनाचार, समाप्त करने आदि उच्च प्राथमिकता दी गयी। जनजाति क्षेत्रों के समेकित विकास के लिए जनजाति उप-योजनाओं के अधीन संपूर्ण भौतिक और वित्तीय उपायों की व्यवस्था है। इन क्षेत्रीय उप-योजनाओं को धन-राशि केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों के केन्द्रीय परिव्यय, राज्य योजनाओं के संस्थागत वित्त तथा विशेष केन्द्रीय सहायता से प्राप्त होती है। पांचवीं योजना में यह राशि 475 करोड़ रुपये रखी गयी थी।

छठी योजना के दौरान जनजातियों के ऐसे क्षेत्रों को जिनकी कुल आबादी 10,000 तथा जनजातियों की आबादी 50 प्रतिशत अथवा उससे अधिक है, उप-योजना की नीति के अनुसार संशोधित क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत लिया जा रहा है। उपयोजना की नीति लचीली है ताकि उसे स्थानीय स्थिति के अनुरूप.चलाया जा सके। कार्यक्रमों के अंतर्गत कृषि, सिंचाई, घर व्यवस्था और सहकारिता शिक्षा आदि है। बहुत ही पिछड़े हुए जनजाति समूहों की ओर विशेष ध्यान देने के लिए अलग से योजनाएं बनायी जाती हैं।

अनुच्छेद 164 (1) के माध्यम से व्यवस्था की गयी है कि बिहार, मध्यप्रदेश तथा उड़ीसा राज्यों में जहां जनजातियां पर्याप्त मात्रा में रहती हैं, एक मंत्री की नियुक्ति की जाएगी जो जनजातियों के साथ-साथ रहने वाली अनुसूचित जातियों के कल्याण के कार्य को देखेमा। लोकसभा व विधानसभाओं में जनजातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थानों का आरक्षण किया गया है। यह व्यवस्था सन् 2000 तक बढ़ा दी गयी है।

1993 में 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से 11 वीं अनुसूची को संविधान में जोड़कर तथा 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से 12 वीं अनुसूची जोड़कर क्रमशः पंचायतों और नगरीय स्वशासी संस्थाओं में भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इन स्थानों में से एक तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होगें। सरकारी सेवाओं में जनजातियों के लिए साढ़े सात प्रतिशत आरक्षण किया हुआ है। राज्य सरकारें अपने यहां पड़ी बंजर भूमि का दुर्बल समाज में आवंटन करती है, इसका एक तिहाई भाग अनुसूची जाति वे अनुसूचित जनजाति के लिए किया जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

I. निम्नलिखित विकल्पों में से सही का चुनाव कीजिए।

प्रश्न 1.
कब से पर्यावरण के महत्त्व पर जोर दिया जाने लगा?
(अ) 1950 के दशक से
(ब) 1960 के दशक से
(स) 1970 के दशक से
(द) 1980 के दशक से
उत्तर:
(ब) 1960 के दशक से

प्रश्न 2.
अकाल के आसपास के लोगों को घरबार छोड़ना पड़ा क्योंकि –
(अ) भीषण बाढ़ आ गई थी
(ब) भूकम्प के प्रकोप के कारण
(स) पानी के विषाक्त होने से
(द) वायु के प्रदूषण से
उत्तर:
(स) पानी के विषाक्त होने से

प्रश्न 3.
ओजोन परत में छेद होना क्या है?
(अ) धरती की ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में कमी
(ब) वायुमंडल में आक्सीजन की कमी
(स) वायुमंडल में कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा में बढ़ोत्तरी
(द) धरती का फटना
उत्तर:
(अ) धरती की ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में कमी

प्रश्न 4.
1972 में पर्यावरण से संबंधित पुस्तक लिमिट्स टू ग्रोथ’ किसने लिखी?
(अ) लायन्स क्लब ऑव इंडिया
(ब) आर. एस. एस.
(स) कांग्रेस सेवा दल
(द) क्लब ऑफ रोम
उत्तर:
(द) क्लब ऑफ रोम

प्रश्न 5.
पृथ्वी सम्मेलन किस देश में हुआ था?
(अ) भारत
(ब) अमरीका
(स) ब्राजील
(द) इण्डोनेशिया
उत्तर:
(स) ब्राजील

प्रश्न 6.
पृथ्वी सम्मेलन का संबंध किससे है?
(अ) वसीय सम्मेलन
(ब) क्योटो सम्मेलन
(स) रियो सम्मेलन
(द) वारसा सम्मेलन
उत्तर:
(स) रियो सम्मेलन

प्रश्न 7.
वैश्विक सम्पदा क्या है?
(अ) मानवता की साझी विरासत
(ब) विश्व की सम्पूर्ण सम्पदा
(स) विश्व की तेल सम्पदा
(द) विश्व की कृषि सम्पदा
उत्तर:
(अ) मानवता की साझी विरासत

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन विश्व सम्पदा की सुरक्षा से संबंधित नहीं है –
(अ) अंटार्कटिक संधि (1959)
(ब) मांट्रियल न्यायाचार (1987)
(स) अंटार्कटिक पर्यावरणीय न्यायाचार (1991)
(द) वसीय संधि (1919)
उत्तर:
(द) वसीय संधि (1919)

प्रश्न 9.
उत्तरी गोलार्द्ध के देश क्या चाहते हैं?
(अ) पर्यावरण संरक्षण में सभी देशों की जिम्मेदारी बराबर हो।
(ब) वे स्वयं जिम्मेदारी लेते हैं।
(स) दक्षिणी गोलार्द्ध के देश जिम्मेदारी लें।
(द) संयुक्त राष्ट्र संघ जिम्मेदारी ले।
उत्तर:
(अ) पर्यावरण संरक्षण में सभी देशों की जिम्मेदारी बराबर हो।

प्रश्न 10.
क्योटो प्रोटोकॉल किससे संबंधित है?
(अ) कार्बन डाईआक्साइड की निकासी
(ब) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन
(स) आक्सीजन का उत्पादन
(द) वायुमंडल का प्रदूषण
उत्तर:
(ब) ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन

प्रश्न 11.
संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमाचार की बाध्यताओं से भारत क्यों नहीं जुड़ा है?
(अ) यहां आक्सीजन की मात्रा अधिक है।
(ब) यहां कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा अधिक है।
(स) प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर कम है।
(द) यहां आक्सीजन की मात्रा कम है।
उत्तर:
(स) प्रति व्यक्ति उत्सर्जन दर कम है।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में कौन-सा देश दक्षिणी देश नहीं है?
(अ) मैक्सिको
(ब) मलेशिया
(स) अमरीका
(द) इण्डोनेशिया
उत्तर:
(स) अमरीका

प्रश्न 13.
फ्रैंकलिन नदी कहां है?
(अ) भारत
(ब) अमरीका
(स) आस्ट्रेलिया
(द) इटली
उत्तर:
(स) आस्ट्रेलिया

प्रश्न 14.
नर्मदा आंदोलन किसके विरुद्ध है?
(अ) बांध
(ब) नदी
(स) नहर
(द) नाले
उत्तर:
(अ) बांध

प्रश्न 15.
खाड़ी देश में सबसे अधिक तेल भंडार कहां है?
(अ) कुवैत
(ब) आबू धावी
(स) सऊदी अरब
(द) ईरान
उत्तर:
(स) सऊदी अरब

II. मिलान वाले प्रश्न

निम्नलिखित स्तंभ (अ) का मिलान स्तंभ (ब) से कीजिए।

उत्तर:
(1) – (vi)
(2) – (viii)
(3) – (i)
(4) – (iii)
(5) – (ii)
(6) – (iv)
(7) – (v)
(8) – (vii)


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