BSEB Class 12 Political Science Security in the Contemporary World Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science Security in the Contemporary World Book Answers |
Bihar Board Class 12th Political Science Security in the Contemporary World Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 12th |
Subject | Political Science Security in the Contemporary World |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों को उनके अर्थ से मिलाएँ:
(1) विश्वास बहाली के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स – CBMS)
(2) अस्त्र-नियंत्रण
(3) गठबंधन
(4) निरस्त्रीकरण
(क) कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल से परहेज
(ख) राष्ट्रों के बीच सुरक्षा-मामलों पर सूचनाओं के आदान प्रदान की नियमित प्रक्रिया
(ग) सैन्य हमले की स्थिति से निबटने अथवा उसके अवरोध के लिए कुछ राष्ट्रों का आपस में मेल करना
(घ) हथियारों के निर्माण अथवा हासिल करने पर अंकुश
उत्तर:
(1) – (ख)
(2) – (घ)
(3) – (ग)
(4) – (क)
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसको आप सुरक्षा का परंपरागत सरोकार/सुरक्षा अपारंपरिक सरोकार/खतरे की स्थिति नहीं का दर्जा देंगें –
(क) चिकनगुनिया/डेंगु बुखार का प्रसार
(ख) पड़ोसी देश के कामगारों की आमद
(ग) पड़ोसी राज्य से कामगारों की आमद
(घ) अपने इलाके को राष्ट्र बनाने की मांग करने वाले समूह का उदय
(ङ) अपने इलाके को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की मांग करने वाले समूह का उदय
(च) देश की सशस्त्र सेना को आलोचनात्मक नजर से देखने वाला अखबार
उत्तर:
(ख) पड़ोसी देश के कामगारों की आमद
(ग) पड़ोसी राज्य से कामगारों की आमद
प्रश्न 3.
परम्परामत और अपारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाये रखना इनमें से किस कोटि में आता है?
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा:
सुरक्षा की परंपरागत धारणा मुख्य रूप से सैन्य बल के प्रयोग अथवा सैन्य बल के इस्तेमाल की आशंका से सम्बद्ध है। सुरक्षा की परम्परागत धारणा में माना जाता है कि सैन्य बल से सुरक्षा को खतरा पहुँचता है और सैन्य बल से ही सुरक्षा को कायम रखा जा सकता है।
अपारंपरिक सुरक्षा:
सुरक्षा की अपारंपरिक सुरक्षा में माननीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है। इसमें मानवता की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसलिए इसको मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व रक्षा कहा जाता है। गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाये रखना परम्परागत सुरक्षा में आता है।
प्रश्न 4.
तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में क्या अंतर है?
उत्तर:
तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में अंतर:
- तीसरी दुनिया के देश नवस्वतंत्र देश हैं। इसलिए उन्हें अपनी स्वतंत्रता की चिंता बनी रहती है। उन्हें अपने पड़ोसी देशों के आक्रमण का भय बना रहता है। इसके विपरीत विकसित देश प्रारंभ से ही आजाद रहे हैं उन्हें अपनी स्वतंत्रता और दूसरे देशों के आक्रमण का अधिक भय नहीं है।
- तीसरी दुनिया के देश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं। उन्हें अपनी अर्थव्यवस्था का पुन:निर्माण करना है। इसलिए युद्धों में भाग नहीं ले सकते। विकसित देशों के सामने इस प्रकार की समस्या नहीं है।
- सुरक्षा के लिए गठबंधन बनाना आवश्यक है। तीसरी दुनिया के देश आसानी से गठबंध न नहीं कर सकते क्योंकि उनके ऊपर शत्रु देश के आक्रमण का अधिक भय होता है। विकसित देशों का गठबंधन सफल रहा है और उन्हें उससे सुरक्षा प्राप्त है।
- तीसरी दुनिया के देश अपारंपरिक खतरों जैसे निर्धनता, महामारियां आदि को आसानी से दूर नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी है। विकसित देशों के पास पर्याप्त संसाधन हैं और वे आसानी से इनसे निपट सकते हैं।
प्रश्न 5.
आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत?
उत्तर:
आतंकवाद सुरक्षा के अपरंपरागत खतरे में आता है। इसका संबंध मानव के अस्तित्व से है। इसका आशय हिंसा से है जो जानबूझकर और बिना किसी सहानुभूति के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है। अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक से अधिक देशों में फैला हुआ है और उसके निशाने पर कई देश हैं। इसका चिर परिचित उदाहरण विमान अपहरण या भीड़ वाली जगह पर बम गिराना है।
प्रश्न 6.
सुरक्षा के परंपरागत परिप्रेक्ष्य में बताएँ कि अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?
उत्तर:
सुरक्षा के परंपरागत परिप्रेक्ष्य में अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसमें निम्नलिखित विकल्प होते हैं:
- आत्मसमर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किए स्वीकार कर लेना।
- युद्ध से होने वाले विनाश को इस सीमा तक बढ़ाने का संकेत देना कि दूसरा पक्ष भयभीत होकर हमला न करे।
- यदि युद्ध शुरू हो जाय तो अपनी रक्षा करना ताकि आक्रमक देश अपने मकसद में सफल न हो और पीछे हट जाय अथवा उसको पराजित कर देना।
प्रश्न 7.
‘शक्ति-संतुलन’ क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?
उत्तर:
शक्ति संतुलन का अर्थ :-सुरक्षा नीति का एक प्रमुख तत्व शक्ति संतुलन है। शक्ति संतुलन से तात्पर्य है-एक देश को अपने पड़ोसी देशों की शक्ति में बराबर पर आना। सभी देशों को यह पता चल जाता है कि उसके आसपास कौन-सा ताकतवर देश है और भविष्य में वह आक्रमक हो सकता है। इसी कारण प्रत्येक सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील होती है। सभी सरकारें दूसरे देशों से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जीतोड़ प्रयास करती हैं। शक्ति संतुलन कायम रखना: शक्ति संतुलन कायम रखने के लिए कोई देश निम्नलिखित कार्य करता है:
- वह देश अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता है। इसकी आर्थिक और प्रौद्योगिक शक्ति का होना जरूरी है।
- वह देश गठबंधन बनाकर भी शक्ति संतुलन कायम रख सकता है। गठबंधन में कई देश होते हैं जो सैनिक हमले रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए मिलकर कदम उठाते हैं।
प्रश्न 8.
सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताएँ जो अभी मौजूद है। इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ?
उत्तर:
गठबंधन के उद्देश्य:
- अपने गठबंधन के किसी देश पर आक्रमण होने पर सैन्य हमले को रोकना अथवा रक्षा करने के लिए समवेत कदम उठाना।
- कोई भी देश अपनी ताकत बढ़ाने के लिए गठबंधन बनाता है।
- गठबंधन के देशों को हथियार की सहायता देना या बेचना।
- शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए।
नाटो नामक सैन्य गठबंधन अब भी कायम है। इसका पूरा नाम उत्तर अंध महासागर संधि संगठन है। इसमें अमरीका, इंग्लैंड, फ्रांस, कनाडा सहित 12 देश शामिल हैं। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
(क) यदि कोई अन्य देश इनमें से किसी पर आक्रमण करेगा तो सब मिलकर उसका सामना करेगें।
(ख) प्रत्येक देश की सैनिक शक्ति को संगठित करना तथा इस कार्य में अमरीका सहयोग करेगा।
(ग) शांति के समय विभिन्न देशों द्वारा एक-दूसरे की सहायता करना।
(घ) आपसी विवादों को आपसी बातचीत द्वारा हल करना।
प्रश्न 9.
पर्यावरण के तेज नुकसान से देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्या आप इस कथन से सहमत है? अपने तर्को की पुष्टि करें।
उत्तर:
यह सही है कि पर्यावरण के तेज नुकसान से देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इसको निम्नलिखित तर्को से पुष्ट किया जा सकता है:
- तेजी से औद्योगीकरण के कारण पेड़-पौधों का अभाव होता जा रहा है जिससे वायु प्रदूषित हो गई है और अनेक महामारियों एवं बिमारियों का जन्म हो रहा है।
- कारखानों के धुएं से भी वायु प्रदूषित हो रही है जिससे अनेक स्थानों पर वातावरण विषाक्त हो गया है।
- कारखानों का कूड़ा-कचरा और गंदा पानी बहकर नदी में आ जाता है जिससे नदी का जल प्रदूषित हो गया है और पेयजल के रूप में अनेक रोगों को जन्म दे रहा है।
- अनेक प्रकार के यंत्रों, मशीनों एवं वाद्ययंत्रों से ध्वनि प्रदूषण हो रहा है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
प्रश्न 10.
देशों के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं उनके परमाण्विक हथियार का सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है। इस कथन का विस्तार करें।
उत्तर:
देशों के सामने जो खतरे मौजूद हैं उनके परमाण्विक हथियार की सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए सीमित उपयोग रह गया है। अस्त्र नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको प्राप्त करने के संबंध में कुछ नियम कानूनों का पालन करना पड़ता है। उदाहरण के लिए 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) ने अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका। इसी प्रकार की कई अन्य संधियां हैं।
परमाणु अप्रसार संधि (NPT-1968) भी एक अर्थ में अस्त्र नियंत्रण संधि ही थी, क्योंकि इसने परमाणु हथियारों के निर्माण को नियम कानून के दायरे में ला दिया। परंतु इसके नियम के उपयोग में बाधा डालने वाले नियम बन गये। जिन देशों ने 1967 से पूर्व परमाणु हथियार बना लिये थे या उनका परीक्षण कर चुके थे उन्हें इस संधि के अंतर्गत इन हथियारों को रखने की अनुमति दी गई। जो देश 1967 तक ऐसा नहीं कर पाये थे उन्हें ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया। परमाणु अप्रसार संधि ने परमाणु हथियारों को समाप्त तो नहीं किया लेकिन इन्हें हासिल कर सकने वाले देशों की संख्या जरूर कम कर दी।
पश्न 11.
भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए-पारंपरिक या अपारंपरिक? अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगे?
उत्तर:
भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए अपारंपरिक सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए। इस संबंध में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं:
- वर्तमान में भारत को सैन्य हमले का लगभग भय नहीं है। इसलिए पारंपरिक सुरक्षा को वरीयता नहीं देनी चाहिए।
- भारत आतंकवाद से ग्रस्त है। उसे अपने पड़ोसी देश का खतरा बना रहता है।
- पड़ोसी देश के पास परमाणु हथियार हैं।
- भारत के कुछ राज्यों में असामाजिक तत्त्वों द्वारा लोगों के मानवाधिकारों का हनन हो रहा है।
- भारत विकास कर रहा है परंतु अब भी अनेक लोग निर्धनता के शिकार हैं। यहां आर्थिक दृष्टि से असमानता भी है।
प्रश्न 12.
नीचे दिए गए कार्टून को समझें। कार्टून में युद्ध और आतंकवाद का जो संबंध दिखाया गया है। उसके पक्ष या विपक्ष में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कार्टून से प्रकट होता है कि युद्ध और आतंकवाद में घनिष्ठ संबंध है। यहां सुअर को युद्ध और आतंकवाद को उसके सन्तति के रूप में दिखाया गया है। यह सही है कि युद्ध से आतंकवाद का जन्म होता है। कोई भी देश युद्ध से विजय प्राप्त करने के लिए आतंकवादी गतिविधियां चलाता है ताकि विरोधी देश के हौसले पस्त हो जायें और वह आक्रमक देश के आगे घुटने टेक दे। यह भी सही है कि आतंकवाद से युद्ध का जन्म होता है। जब कोई देश आतंकवादी कार्यों से तंग हो जाता है तो युद्ध के लिए उवधृत हो जाता है उदाहरण के लिए जब पाकिस्तान ने भारतीय संसद पर आतंकवादी आक्रमण करवाया तो भारत ने पाकिस्तान पर आक्रमण करने के लिए लगभग तैयारी कर ली परंतु कुछ शक्तियों के हस्तक्षेप से ऐसा नहीं हो सका।
Bihar Board Class 12 Political Science समकालीन विश्व में सुरक्षा Additional Important Questions and Answers
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
सुरक्षा क्या है?
उत्तर:
- सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है – खतरे से आजादी। परंतु यह खतरा गंभीर होना चाहिए।
- ऐसे खतरे जिनको रोकने के उपाय न किये गए तो इससे केन्द्रीय मूल्यों को अपूरित हानि हो सकती है।
प्रश्न 2.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है।
- इस खतरे का स्रोत कोई अन्य मुल्क होता है जो सैन्य आक्रमण की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों को खतरा करता है।
प्रश्न 3.
बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौन-कौन से विकल्प होते हैं?
उत्तर:
बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं:
- आत्मसमर्पण करना तथा दूसरे पक्ष की बात को बिना युद्ध किए मान लेना।
- युद्ध से होने वाले विनाश को एक सीमा तक बढ़ाना कि दूसरा पक्ष सहमकर आक्रमण न करे।
- युद्ध शुरू हो जाय तो अपनी रक्षा करना ताकि हमलावर देश अपने मकसद में सफल न हो सके और पीछे हट जाये अथवा आक्रमक को पराजित कर देना।
प्रश्न 4.
अपरोध का क्या अर्थ है?
उत्तर:
युद्ध में कोई देश भले ही आत्मसमर्पण कर दे परंतु वह इसे अपने देश की नीति के रूप में फैलाना नहीं चाहेगी इसलिए सुरक्षा की नीति का उद्देश्य युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे अपरोध कहते हैं।
प्रश्न 5.
शांति संतुलन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
- प्रत्येक देश के आसपास कोई न कोई शक्तिशाली देश होता है और उससे उसे हमले की आशंका बनी रहती है। इसलिए प्रत्येक सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील होती है।
- प्रत्येक देश शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के जोरदार प्रयास करती है ताकि उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे।
प्रश्न 6.
गठबंधन क्या है?
उत्तर:
- पारंपरिक सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण तत्व गठबंधन है जो एक प्रकार का संघ है जिसमें कई देश शामिल होते हैं।
- अधिकांश गठबंधनों को लिखित संधि से एक औपचारिक रूप मिलता है। किसी देश अथवा गठबंधन की तुलना में अपनी ताकत का असर बढ़ाने के लिए देश गठबंधन बनाते हैं।
प्रश्न 7.
राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं। उदाहरण से पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
- संयुक्त राज्य अमरीका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के विरुद्ध इस्लामी उग्रवादियों को समर्थन दिया।
- परंतु ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में अल-कायदा नामक समूह के आतंकवादियों ने जब 11 सितंबर, 2001 के दिन उस पर आक्रमण किया तो उसने उग्रवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
प्रश्न 8.
विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्र संघ एक केन्द्रीय सत्ता है परंतु वह नियंत्रण करने में असफल है। विवेचन कीजिए।
उत्तर:
यह सही है कि विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्र संघ ऐसी सत्ता है अथवा ऐसी बन सकती है। परंतु अपनी बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सदस्य देशों का दास है और इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते हैं और मानते हैं, उतनी ही सत्ता उसे हासिल होती है। अत: विश्व राजनीति में प्रत्येक देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है।
प्रश्न 9.
1945 के पश्चात् महाशक्तियों की आंतरिक सुरक्षा की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
- 1945 के पश्चात् अमरीका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और शांति सम्पन्न थे।
- अधिकांश यूरोपीय देश विशेषकर ताकतवर पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गो से कोई गंभीर खतरा नहीं था। इस कारण इन देशों ने अपना ध्यान सीमापार के खतरों पर केन्द्रित किया।
प्रश्न 10.
नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की क्या चुनौती थी?
उत्तर:
- इन देशों के आंतरिक भागों में अलगाववादी आंदोलन चल रहे थे। ऐसे में देश का बंटवारे का भय था।
- इन देशों को यह भी डर था कि कोई अन्य देश इन अलगाववादी आंदोलनों को हवा न दे दे। क्योंकि फिर पड़ोसी देश के साथ तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती। इस प्रकार पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष नव स्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती थी।
प्रश्न 11.
दो उदाहरण देकर बतायें कि किस प्रकार के हथियारों के निर्माण को प्रतिबंधित कर दिया गया है?
उत्तर:
कुछ विशेष प्रकार के हथियारों के निर्माण को संधियों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है जो निम्नलिखित हैं:
- 1972 की जैविक हथियार संधि (Biological Weapons Convention)।
- 1992 की रसायनिक हथियार संधि (Chemical Weapons Convention)।
प्रश्न 12.
एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) क्या है?
उत्तर:
- यह संधि 1972 में हुई थी। इसके अंतर्गत अमरीका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
- संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि ने दोनों देशों को ऐसी रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन पर रोक लगा दी।
प्रश्न 13.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
- विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है। वस्तुतः इस प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान करने का फैसला करते हैं।
- देश एक-दूसरे को अपने सैन्य बल के विषय में जानकारी देते हैं। यह भी बता सकते हैं कि सैन्य बल को कहां तैनात किया जा रहा है। ऐसी सूचनाओं से प्रतिद्वन्द्वी देश गलतफहमी का शिकार नहीं होता।
प्रश्न 14.
सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा को मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व सुरक्षा क्यों कहते हैं?
उत्तर:
- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा में मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है।
- सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा के प्रतिपादकों का कथन है, ‘सिर्फ राज्य ही नहीं शक्तियों और समुदायों या कहें कि समूची मानवता को सुरक्षा की जरूरत है।’
प्रश्न 15.
नागरिक सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा में क्या संबंध है?
उत्तर:
- नागरिक सुरक्षा को राज्य सुरक्षा से श्रेष्ठ माना जाता है।
- मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए और अक्सर होते भी हैं।
- सुरक्षित राज्य में नागरिक भी सुरक्षित हों, जरूरी नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि विदेशियों से लोग अधिक अपनी सरकारों से मारे गये हैं।
प्रश्न 16.
विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
- विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि (Global warming) अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों के मद्देनजर 1990 के दशक में विश्व धारणा की उत्पत्ति हुई।
- कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता । इन स्थितियों का दूसरे देशों पर प्रभाव पड़ सकता है।
प्रश्न 17.
आतंकवाद क्या है? इसके कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- आतंकवाद का आशय राजनीतिक हिंसा से है जो जानबूझकर और बिना किसी सहानुभूति के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है।
- उदाहरण-विमान अपहरण अथवा भीड़-भाड़ भरी जगहों जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसे अन्य स्थानों पर बम लगाना। अमरीका में 9/11 की घटना भी इसी का उदाहरण है।
प्रश्न 18.
मानवाधिकारों के हनन की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं?
उत्तर:
- इसको लेकर विविध विचार हैं। कुछ का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का घोषणापत्र अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को अधिकार देता है कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उसे हथियार उठाना चाहिए।
- कुछ दूसरे लोगों का तर्क है कि संभव है, ताकतवर देशों के हितों से यह निर्धारित होता हो कि संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार उल्लघंन के किस मामले में कारवाई करेगा और किसमें नहीं।
प्रश्न 19.
आतंरिक रूप से विस्थापित जन कौन लोग होते हैं?
उत्तर:
- ये लोग ऐसे होते हैं जो अपना घर-बार छोड़ चुके हैं परंतु राष्ट्रीय सीमा के भीतर ही हैं। ऐसे लोगों को ही ‘आंतरिक रूप से विस्थापित जन’ कहा जाता है।
- उदाहरण-1990 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में हिंसा से बचने के लिए कश्मीर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित ‘आतंरिक रूप से विस्थापित जन’ के उदाहरण हैं।
प्रश्न 20.
‘मैड काऊ’ (Mad Cow) की घटना क्या है?
उत्तर:
- जानवरों में महामारी फैलने के भारी दुष्प्रभाव का उदाहरण ‘मैड काऊ’ है।
- 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध के वर्षों में ब्रिटेन ने ‘मैड काऊ’ महामारी के भड़कने से अरबों डॉलर की हानि उठाई है।
प्रश्न 21.
क्योटो प्रोटोकॉल क्या है?
उत्तर:
- 1997 में क्योटो प्रोटोकॉल पर भारत सहित कई राष्ट्रों के हस्ताक्षर हुए। इसमें वैश्विक तापवृद्धि पर काबू रखने के लिए ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के संबंध में दिशा-निर्देश बताए गए हैं।
- सहयोगमूलक सुरक्षा की पहल करने के कदम के समर्थन में भारत ने अपनी सेना संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांति बहाली के मिशनों में भेजी है।
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा –
- पारंपरिक अवधारणा में किसी राष्ट्र को सबसे बड़ा खतरा सेना से होता है।
- इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा राष्ट्र होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है।
- सैनिक कार्रवाई से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। सैनिक कार्रवाई में सैनिकों के साथ नागरिक भी मारे जाते हैं।
- युद्ध में निहत्थे स्त्री-पुरुषों को निशाना बनाया जाता है।
- इसमें नागरिकों और उनकी सरकार के साहस को तोड़ने का प्रयास किया जाता है।
प्रश्न 2.
परम्परागत सुरक्षा नीति के तत्त्वों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
परम्परागत सुरक्षा नीति के तत्त्व:
- आत्मसमर्पण-परम्परागत सुरक्षा नीति का प्रथम तत्व आत्मसमर्पण है। इसमें विरोधी पक्ष की बात बिना युद्ध किए मान लेना अथवा युद्ध से होने वाले नाश को बढ़ा चढ़ाकर संकेत देना ताकि दूसरा पक्ष डर जाए और आक्रमण न करे। युद्ध होने पर उसे पराजित करना।
- शक्ति संतुलन-परम्परागत सुरक्षा नीति का दूसरा तत्त्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी को अपनी शक्ति को विरोधी ताकतवर देश के बराबर करनी होती है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।
- सैन्य शक्ति में वृद्धि-शक्ति संतुलन के लिए किसी देश को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ानी होती है। इसका आधार आर्थिक और प्रोद्योगिकी ताकत है।
- गठबंधन निर्माण पारंपरिक सुरक्षा नीति का चौथा तत्त्व गठबंधन है। इसके अंदर कई देश होते हैं जो सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए एक साथ कदम उठाते हैं।
प्रश्न 3.
शक्ति संतुलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शक्ति संतुलन का महत्त्व –
- सुरक्षा नीति का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी देश को अपनी शक्ति को विरोधी ताकतवर देश के बराबर करना होता है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।
- यदि कोई देश ऐसा नहीं करता है कि ताकतवर देश उसके ऊपर आक्रमण कर सकता है और उसको विनाश की ओर ले जा सकता है।
- शक्ति संतुलन के प्रति सभी सरकारें संवेदनशील होती हैं। कोई भी सरकार दूसरे देशों से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जी तोड़ कोशिश करती है।
- पड़ोसी, शत्रु या जिन देशों के साथ अतीत में लड़ाई हो चुकी हो, उनके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने पर विशेष जोर दिया जाता है।
- शक्ति संतुलन बनाये रखने के लिए गठबंधन स्थापित करना जरूरी हो गया है। पूर्व सोवियत संघ और अमरीका के गठबंधन के कारण विश्व में शक्ति संतुलन कायम था।
प्रश्न 4.
किसी देश के लिए आतंरिक सुरक्षा क्यों जरूरी है? अथवा, पारंपरिक अवधारणा की आंतरिक सुरक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा की आवश्यकता –
- प्रत्येक देश के लिए आंतरिक शांति और कानून व्यवस्था अति आवश्यक है। आंतरिक शांति के अभाव में बाहरी आक्रमणों का सामना नहीं किया जा सकता।
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् इस पर जोर नहीं दिया गया। वस्तुत: इसका कारण यह था कि ताकतवर देशों में लगभग आंतरिक शासन स्थापित था।
- 1945 के पश्चात् संयुक्त राज्य अमरीका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और शांति संपन्न हैं।
- अधिकांश यूरोपीय देशों विशेष रूप से पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गो से कोई गंभीर खतरा नहीं था। इसलिए इन देशों ने सीमा पार के खतरों पर ध्यान दिया।
- कुछ यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशों में जनता से हिंसा का भय था क्योंकि अब ये लोग आजादी चाहते थे।
प्रश्न 5.
नवस्वतंत्र देशों की सुरक्षा के क्या खतरे थे?
उत्तर:
नवस्वतंत्र देशों को सुरक्षा के खतरे:
- इन देशों को बढ़ते शीतयुद्ध से डर था, क्योंकि कुछ नवस्वतंत्र देश यूरोपीय शक्तियों के समान शीतकालीन गुटों में किसी न किसी के सदस्य बन गये थे।
- दूसरे गुटों में जाने वाले अपने पड़ोसी देश अथवा दूसरे गुट के नेता (अमरीका या सोवियत संघ) से शत्रुता मोल लेना था।
- अमरीका अथवा सोवियत संघ के किसी साथी देश से शत्रुता ठाननी थी। वस्तुतः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जितने युद्ध हुए उसमें एक तिहाई युद्धों के लिए शीतयुद्ध जिम्मेदार रहा।
- नवस्वतंत्र देशों को उसके यूरोपीय औपनिवेशिक शासकों के आक्रमण का भय था। ऐसे में इन देशों को एक साम्राज्यवादी युद्ध से अपनी रक्षा के लिए तैयारी करनी पड़ी।
- नवस्वतंत्र देशों में आंतरिक सैन्य संघर्ष भी चल रहा था। अलगाववादी आंदोलन तेज हो रहे थे।
प्रश्न 6.
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सुरक्षा के पारंपरिक तरीके –
- किसी देश को युद्ध उचित कारणों या आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए करना चाहिए।
- युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए।
- आक्रमक सेना को चाहिए कि वह युद्ध न करने वाले शत्रु, निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु पर आक्रमण न करे।
- सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए। जितना एक सीमा तक आवश्यक हो और उसे एक सीमा तक ही हिंसा का सहारा लेना चाहिए।
- बल प्रयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी उपाय असफल हो गये हों।
प्रश्न 7.
सुरक्षा की परम्परागत धारणा में राष्ट्रों में किस प्रकार का आपसी सहयोग होना चाहिए।
उत्तर:
राष्ट्रों में आपसी सहयोग –
- राष्ट्रों में आपसी सहयोग निरस्त्रीकरण, अस्त्र नियंत्रण तथा विश्वास की बहाली में होना चाहिए।
- निरस्त्रीकरण के अंतर्गत सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ हो कुछ खास किस्म के हथियारों का निर्माण नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए जैविक और रासायनिक हथियार।
- अस्त्र नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा उनको हासिल करने के संबंध में कुछ नियमों, कानूनों का पालन करना चाहिए।
- सुरक्षा को पारंपरिक धारणा में विश्वास की बहाली भी महत्त्वपूर्ण है। विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का निर्णय करते हैं।
प्रश्न 8.
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि: (Nuclear Non-Proliferation Treaty):
- परमाणु अप्रसार संधि एक प्रकार की अस्त्र नियंत्रण संधि है जो 1968 में हुई थी।
- इसके अंतर्गत परमाणु हथियारों के उपार्जन को नियमों और कानूनों के दायरे में खड़ा कर दिया।
- जिन देशों ने 1967 से पूर्व परमाणु हथियार बना लिये थे या उनका परीक्षण करा लिया था उन्हें इस संधि के अंतर्गत इन हथियारों को रखने की अनुमति दे दी गई।
- जो देश 1967 तक ऐसा नहीं कर पाये थे उन्हें ऐसे हथियार को हासिल करने के अधि कार से वंचित किया गया।
- परमाणु अप्रसार संधि ने परमाणु हथियारों को समाप्त तो नहीं किया लेकिन इन्हें हासिल कर सकने वाले देशों की संख्या अवश्य कम कर दी।
प्रश्न 9.
सुरक्षा की पारंपरिक धारणा में विश्वास बहाली से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
विश्वास बहाली से लाभ –
- सुरक्षा नीति का एक महत्त्वपूर्ण तरीका विश्वास बहाली है। इन उपायों से देशों के बीच हिंसाप्रचार कम किया जा सकता है।
- इस प्रक्रिया में वे देश सैन्य टकराव और प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का निर्णय करते हैं।
- ऐसा करके ये देश अपने प्रतिद्वन्द्वी को इस बात का आश्वासन देते हैं कि उनकी ओर से अचानक. हमले की योजना नहीं है।
- इसके अलावा अन्य कई बातों का आदान-प्रदान होता है। जिससे देशों के बीच गलतफहमी नहीं होती और वे आक्रमण की तैयारी नहीं करते हैं।
- विभिन्न देश एक-दूसरे को अपने सैन्य बल के विषय में जानकारी देते हैं और यह भी बताते हैं कि उनके बलों को कहां तैनात किया जा रहा है।
प्रश्न 10.
मानवता की सुरक्षा के संकीर्ण और व्यापक अर्थों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानवता की सुरक्षा का अर्थ –
- मानवता की सुरक्षा का प्राथमिक लक्ष्य व्यक्तियों की सुरक्षा है। संकीर्ण अर्थ में मानवता की सुरक्षा का अर्थ लोगों को हिंसक खतरों से बचाना है।
- सुरक्षा के व्यापक अर्थ में हिंसा के अलावा कई अन्य खतरे माने गये हैं। इसमें अकाल, महामारी और आपदायें शामिल हैं।
- मानवता की सुरक्षा के व्यापक अर्थ में आर्थिक सुरक्षा और मानवीय गरिमा को सुरक्षा में भी शामिल किया जाता है। इसमें अभाव से मुक्ति और भय से मुक्ति आती है।
- 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा धारणा का उभार हुआ इसमें वैश्विक तापवृद्धि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियों से सुरक्षा आती है।
- ये ऐसी समस्यायें हैं जिनका समाधान अकेले कोई देश नहीं कर सकता। इसमें सबको सहयोग देना होगा।
प्रश्न 11.
आतंकवाद से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
आतंकवाद का अर्थ एवं उदाहरण –
- आतंकवाद का आशय राजनीतिक हिंसा से है जिसमें निर्दयता से जनता की हत्या की जाती है। आतंकवाद से आज विश्व के कई देश ग्रस्त हैं।
- कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं।
- जनमत को आतकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है।
- आतंकवाद में नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल किया जाता है और राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ कारवाई की जाती है।
- आतंकवाद का प्रसिद्ध उदाहरण-विमान अपहरण, भीड़ भरी जगहों यथा-रेलगाड़ी, होटल, बाजार आदि पर बम से हमला किया जाता हैं।
प्रश्न 12.
मानवाधिकारों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
मानवाधिकारों का वर्गीकरण-मानवाधिकारों को तीन कोटियों में विभाजित किया गया है –
- पहली कोटि-इसमें राजनैतिक अधिकार आते हैं। जैसे:-अभिव्यक्ति का अधिकार और सभा करने की स्वतंत्रता।
- दूसरी कोटि-यह कोटि आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की है। जैसे जीविका कमाने का अधिकार, रोजगार पाने का अधिकार आदि।
- तीसरी कोटि-इसके अंतर्गत उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार आते हैं।
- इस वर्गीकरण को लेकर व्यापक सहमति हैं परंतु इनमें सार्वभौम मानवाधिकारों को लेकर मतभेद हैं। अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय शक्तियाँ क्या दण्ड दे सकती हैं, सुनिश्चित नहीं हो पाया है।
प्रश्न 13.
वैश्विक निर्धनता की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
वैश्विक निर्धनता –
- यह बड़े आश्चर्य की बात है कि गरीब देशों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। विद्वानों का अनुमान है कि अगले 50 वर्षों में विश्व के सबसे गरीब देशों में आबादी तीन गुना बढ़ेगी जबकि इसी अवधि में अनेक धनी देशों की आबादी घटेगी।
- प्रति व्यक्ति उच्च आय और जनसंख्या की कम वृद्धि के कारण धनी देश अथवा सामाजिक समूहों को और धनी बनने में मदद मिलती है जबकि प्रति व्यक्ति निम्न आय और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एक साथ मिलकर गरीब देशों और सामाजिक समूहों को और गरीब बनाते हैं।
- दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में असमानता बड़े पैमाने पर बढ़ी है। सहारा मरूस्थल विश्व का सबसे गरीब इलाका है। उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में इतनी असमानता नहीं है।
- इसी असमानता के दक्षिणी गोलार्द्ध के लोग बेहतर जीवन और आर्थिक अवसरों की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं।
प्रश्न 14.
एच. आई. वी. एड्स के दुष्प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एच० आई. वी. एड्स का दुष्प्रभाव –
- एच० आई० वी०-एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स जैसी महामारियाँ अप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य अभियानों के द्वारा बड़ी तेजी से विभिन्न देशों में फैली है।
- इन बीमारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है।
- एक अनुमान के अनुसार विश्व में 4 करोड़ लोग एच० आई० वी० एड्स से प्रभावित हो चुके थे। इसमें 2/3 आबादी अफ्रीका में रहती है जबकि शेष का 50% दक्षिण एशिया में है।
- उत्तरी अफ्रीका तथा अन्य औद्योगिक देशों में उपचार की नई विधियाँ खोजी गई हैं जिससे एच० आई० वी० एड्स से होने वाली मृत्यु दर कम हुई है परंतु अफ्रीका में ऐसा उपचार संभव नहीं हो सका है। अफ्रीका को अधिक गरीब बनाने में एच० आई० वी० एड्स प्रमुख घटक रहा है।
प्रश्न 15.
सहयोग मूलक सुरक्षा के लिए किस प्रकार की रणनीति तैयार करनी चाहिए।
उत्तर:
सहयोग मूलक सहयोग की रणनीतियाँ –
- यदि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ तैयार की जाय तो बेहतर होगा।
- सहयोग द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, महादेशीय अथवा वैश्विक स्तर का हो सकता है। वस्तुतः यह देशों की इच्छा और खतरे की प्रकृति पर निर्भर करता है।
- सहयोगमूलक सहयोग में विभिन्न देशों के अलावा अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय स्तर की अन्य संस्थायें जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन (संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा प्रसिद्ध हस्तियाँ (यथा नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा) हो सकती हैं।
- सहयोग मूलक सहयोग में अंतिम उपाय बल प्रयोग हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय शक्तियाँ इसमें सहयोग दे सकती है। उन देशों के विरुद्ध सैन्य बल का प्रयोग किया जा सकता है। जो अपनी जनता को सता रहे हैं, महामारियों से सुरक्षा नहीं दे रहे हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
भारत की सुरक्षा नीति के विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत की सुरक्षा नीति के घटक-भारत ऐसा देश है जो दोनों प्रकार-पारंपरिक और अपांरपरिक खतरों का सामना कर रहा है। ये खतरे सीमा के अंदर और बाहर दोनों ओर से हैं। भारत की सुरक्षा नीति के चार घटक हैं जो निम्नलिखित हैं –
- सैन्य क्षमता
- अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना
- देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्यायें
- गरीबी और अभाव से छुटकारा
1. सैन्य क्षमता:
पड़ोसी देशों के हमलों से बचने के लिए भारत को अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना जरूरी है। भारत पर पाकिस्तान के कई आक्रमण हुए हैं। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में उसके चारों ओर परमाणु शक्ति सम्पन्न देश हैं, इसलिए भारत ने 1974 और 1998 में परमाणु परीक्षण किया था।
2. अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करना:
भारत ने अपने सुरक्षा हितों को बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नियमों और संस्थाओं को मजबूत करने में सहयोग दिया है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एशियाई एकता, अनौपनिवेशीकरण और निरस्त्रीकरण के प्रयासों का समर्थन किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ को अंतिम पंच मानने पर जोर दिया। उसका मानना है कि हथियारों और परमाणु शस्त्रों की दृष्टि से सभी देशों को समान अधिकार होना चाहिए । भारत ने नव-अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की मांग उठाई।
3. देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्यायें:
भारत की नीति का तीसरा महत्त्वपूर्ण घटक देश की अंदरूनी सुरक्षा समस्याओं से निपटने की तैयारी है। भारत के कई राज्यों-नागालैंड, मिजोरम, पंजाब और कश्मीर आदि राज्यों में अलगाववादी संगठन सक्रिय रहे हैं । इसलिए भारत ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने का प्रयास किया है। उसने देश में लोकतांत्रिक और राजनीतिक व्यवस्था का पालन किया है। उसने सभी समुदाय के लोगों और जन समूहों को अपनी शिकायतें रखने का मौका दिया है।
4. गरीबी और अभाव से छुटकारा:
भारत ने ऐसी व्यवस्थायें करने का प्रयास किया है जिससे बहुसंख्यक नागरिकों को गरीबी और अभाव से छुटकारा मिल सके और नागरिकों के मध्य आर्थिक असमानता समाप्त हो सके।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
I. निम्नलिखित विकल्पों में से सही विकल्प का चुनाव कीजिए:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन सुरक्षा के अर्थ में नहीं हो सका?
(अ) किसी देश पर आक्रमण
(ब) मंहगाई को लेकर आंदोलन
(स) महामारी फैलना
(द) बड़े पैमाने पर जनसंहार
उत्तर:
(ब) मंहगाई को लेकर आंदोलन
प्रश्न 2.
सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा से कौन जुड़ा है?
(अ) राष्ट्रीय सुरक्षा
(ब) राज्य की सुरक्षा
(स) जिले की सुरक्षा
(द) ग्रामीण क्षेत्रों की सुरक्षा
उत्तर:
(अ) राष्ट्रीय सुरक्षा
प्रश्न 3.
युद्ध का तात्पर्य क्या सही है?
(अ) असुरक्षा
(ब) विध्वंस
(स) मृत्यु
(द) जन्म
उत्तर:
(द) जन्म
प्रश्न 4.
शक्ति संतुलन के लिए सर्वाधिक आवश्यक क्या है?
(अ) सैन्य शक्ति बढ़ाना
(ब) हमले से बचना
(स) आर्थिक मजबूती
(द) प्रौद्योगिकी का विकास
उत्तर:
(अ) सैन्य शक्ति बढ़ाना
प्रश्न 5.
ओसामा बिन लादेन को शह किसने दी थी?
(अ) इस्लाम ने
(ब) अमरीका
(स) इंग्लैंड
(द) जर्मनी
उत्तर:
(ब) अमरीका
प्रश्न 6.
तीसरी दुनिया के देश किस महाद्वीप में कम थे?
(अ) एशिया
(ब) अफ्रीका
(स) लैटिन अमरीका
(द) उत्तरी अमरीका
उत्तर:
(द) उत्तरी अमरीका
प्रश्न 7.
अंदरूनी सैन्य संघर्ष की समस्या किसको नहीं थी?
(अ) एशिया के देश
(ब) यूरोप के देश
(स) अफ्रीका के देश
(द) अमरीका
उत्तर:
(ब) यूरोप के देश
प्रश्न 8.
युद्धरत सेना को किस पर आक्रमण करना चाहिए?
(अ) संघर्षरत शत्रु
(ब) संघर्षविमुख शत्रु
(स) निहत्थे व्यक्ति
(द) औरतें
उत्तर:
(अ) संघर्षरत शत्रु
प्रश्न 9.
कौन सी संधि अस्त्र नियंत्रण की सीमा में नहीं है?
(अ) सामरिक अस्त्र परिसीमन संधि – 2
(ब) सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि
(स) स्ट्रेटाजीक आर्स रिडक्शन संधि
(द) परमाणु अप्रसार संधि
उत्तर:
(द) परमाणु अप्रसार संधि
II. मिलान वाले प्रश्न एवं उनके उत्तर
निम्नलिखित स्तंभ (अ) का मिलान स्तंभ (ब) से कीजिए।
उत्तर:
(1) – (v)
(2) – (viii)
(3) – (i)
(4) – (vii)
(5) – (ii)
(6) – (iii)
(7) – (vi)
(8) – (iv)
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