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Saturday, June 18, 2022

BSEB Class 12 Political Science The Crisis of Democratic Order Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science The Crisis of Democratic Order Book Answers

BSEB Class 12 Political Science The Crisis of Democratic Order Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Political Science The Crisis of Democratic Order Book Answers
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Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Political Science The Crisis of Democratic Order
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Bihar Board Class 12 Political Science लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बताइए कि आपात काल के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत –
(क) आपातकाल की घोषणा 1975 में इंदिरा गाँधी ने की।
(ख) आपातकाल में सभी मौलिक अधिकार निष्क्रिय हो गये।
(ग) बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति के मद्देनजर आपातकाल की घोषणा की गई थी।
(घ) आपात काल के दौरान के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
(ङ) सी.पी.आई. ने आपातकाल की घोषणा का समर्थन किया।
उत्तर:
(क) – सही
(ख) – सही
(ग) – गलत
(घ) – सही
(ङ) – सही

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा अपातकाल की घोषणा के संदर्भ से मेल नहीं खाता है।
(क) सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान
(ख) 1974 की रेल हड़ताल
(ग) इलाहाबाद उच्चन्यायलय का फैसला
(घ) शाह कमीशन की रिपोर्ट का निष्कर्ष
उत्तर:
(ख) 1974 की रेल हड़ताल

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल बैठाएं:


उत्तर:
(1) – (ख)
(2) – (क)
(3) – (ग)
(4) – (घ)

प्रश्न 4.
किन कारणों से 1980 में मध्यावधि चुनाव करवाने पड़े?
उत्तर:
आपतकाल की स्थिति 1977 में समाप्त हुई व 1971 में संसदीय चुनाव किये गये। इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रमुख विरोधी दलों ने मिलकर जनता पार्टी का गठन किया जिसे बाबू जयप्रकाश नारायण व आचार्य कृपलानी का आशीर्वाद प्राप्त था। इनमें प्रमुख दल सोसलिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ, कांग्रेस ओल्ड व भारतीय लोक दल थे। बाद में जगजीवन राम की कांग्रेस फार डोमोक्रेसी भी जनता पार्टी में शामिल हो गयी। ये सभी दल आपातकालीन समय में प्रमुख विरोधी दल थे तथा इनके प्रमुख नेता जेल में बन्द थे।

चुनाव में जनता पार्टी को भारी सफलता मिली परन्तु 351 सीटों के बावजूद यह सरकार केवल 18 महीने ही चल पायी क्योंकि प्रधानमंत्री के पद पर ही झगड़ा हो गया जिसके कारण श्री मोजराजी भाई देसाई को प्रधानमंत्री बनाने के साथ-साथ श्री जगजीवन राम को और चौधरी चरण सिंह को भी उपप्रधानमंत्री बनाना पड़ा।

जनता पार्टी में इतने अधिक आन्तरिक मतभेद थे कि एक पार्टी के रूप में ये कार्य नहीं कर सके व 18 महीने बाद सरकार गिर गई व पार्टी का कई हिस्सों में विभाजन हो गया। जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस को बाहरी समर्थन से केन्द्र में सरकार बनाई परन्तु चार महीने बाद कांग्रेस के द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण चौधरी चरण सिंह की सरकार भी गिर गई। चौधरी चरण सिंह ने लोकसभा भंग करके नये चुनाव कराने की सिफारिश की जिसको तत्कालीन राष्ट्रपति श्री एन. संजीवा रेड्डी ने स्वीकार कर लिया। इस प्रकार से 1980 में चुनाव आवश्यक हुए।

प्रश्न 5.
जनता पार्टी ने 1977 में शाह आयोग को नियुक्त किया था। इस आयोग की नियुक्ति क्यों की गई थी और इसके क्या निष्कर्ष थे?
उत्तर:
1977 के मई में जनता पार्टी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री. जे.सी. शाह की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया। इस आयोग का गठन 25 जून 1975 के दिन घोषित आपातकाल के दौरान की गई कार्यवाही तथा सत्ता के दुरूपयोग, अत्याचार के विभिन्न आरोपों में विभिन्न पहलुओं की जाँच के लिए किया गया था। आयोग ने विभिन्न प्रकार के साक्ष्यों की जाँच तथा गवाहों के बयान दर्ज किये आयोग ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न तथ्यों के आधार पर अपने निष्कर्ष दिये जिन पर सरकार ने विचार विमर्श कर स्वीकार की।

शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में पाया कि इस अवधि में बहुत सारी ज्यादतियाँ हुई। इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान के साथ जरूरत से ज्यादा छेड़छाड़ की गयी। सरकारी अधिकारियों ने अपने पदों व अधिकार का दुरूपयोग किया। लोगों की स्वतन्त्रता व अधिकारों का हनन किया गया। प्रेस पर अनावश्यक पाबन्दियाँ लगाई गयी। शाह आयोग का निष्कर्ष था कि निवारक नजरबन्दी के कानून के तहत लगभग एक लाख ग्यारह हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। शाह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि दिल्ली बिजली आपूर्ति निगम के महाप्रबन्धक को दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के दफ्तर से 21 जून 1975 की रात दो बजे मौखिक आदेश मिला कि सभी अखबारों की बिजली आपूर्ति काट दी जाये।

प्रश्न 6.
1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करते हुए सरकार ने इसके क्या कारण बताए थे?
उत्तर:
विभिन्न आर्थिक व राजनीतिक कारणों से गैर कांग्रेसी राजनीतिक दलों ने देश के विभिन्न भागों में आन्दोलन प्रारम्भ किये हुए थे। जगह-जगह हड़ताल बाँध व धरनों का आयोजन किया जा रहा था। बिहार में विद्यार्थी भी इस आन्दोलन में कूद पड़ें थे। प्रशासन एक प्रकार से ठप्प हो गया था। क्षेत्रीय आन्दोलनों का प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर पड़ रहा था। यद्यपि 1971 में भारी सफलता प्राप्त करके चुनावों में श्रीमती इंदिरा गाँधी विजयी हुई थी। 1974 में तो देश में एक प्रकार से अराजकता की स्थिति हो गयी थी। कई राज्यों में नक्सलवादी गतिविधियाँ फैल रही थी। 1975 में जय प्रकाश नारायण ने जनता के संसद मार्च का नेतृत्व किया।

सरकार ने विरोधी दलों के आन्दोलन को दबाने के लिए 25 जून 1975 के दिन आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी जिसके निम्न कारण बताए –

  1. आपातकालीन स्थिति को घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गयी जिसका अर्थ है कि आन्तरिक गड़बड़ी के कारण आपातकालीन स्थिति की घोषणा की गई।
  2. सरकार का कहना था कि चुनी हुई सरकारों को काम करने नहीं दिया जा रहा था।
  3. जगह-जगह आन्दोलन व धरनों का आयोजन हो रहा था।
  4. अनेक क्षेत्रों में आन्दोलनों के कारण हिंसक घटनाएं हो रही थी।
  5. सेना व पुलिस को बगावत व विद्रोह के लिए उकसाया जा रहा था।
  6. साम्प्रदायिक उन्माद को हवा दी जा रही थी।
  7. राष्ट्रीय एकता व अखंडता को खतरा हो रहा था।
  8. राजनैतिक अस्थिरता उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा था।
  9. कानून के शासन को खतरा उत्पन्न हो रहा था।
  10. अर्थव्यवस्था का संकट और गहरा रहा था।

प्रश्न 7.
1977 के चुनावों के बाद पहली दफा केन्द्र में विपक्षी दल की सरकार बनी। ऐसा किन कारणों से सम्भव हुआ?
उत्तर:
1977 के चुनाव में पहली बार केन्द्र में कांग्रेस सरकार नहीं बना पायी व पहली बार ही विपक्षी दलों की सरकार केन्द्र में बन पायी हालांकि 1967 के चुनाव में भी गैर-कांग्रेसवाद के नारे पर विपक्षी दलों ने इक्ट्ठे होकर चुनाव लड़े थे परन्तु केन्द्र में तो कांग्रेस सरकार बना पायी थी हालांकि 1967 के चुनावों में कांग्रेस को 9 राज्यों में सरकार गवानी पड़ी थी। इस बार अर्थात् 1977 के चुनावों में अनेक कारणों से कांग्रेस विरोधी धारणा ज्यादा तेज थी जिसके कारण उत्तर भारत में तो कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया था। यहाँ तक की श्रीमती इंदिरा गाँधी भी रायबरेली से चुनाव हार गयी थी। 1977 के चुनाव में कांग्रेस के प्रमुख कारण निम्न थे –

  1. देश का आर्थिक संकट
  2. आवश्यक चीजों की कीमतों में वृद्धि
  3. सभी विरोधी दलों का एक जुट हो जाना
  4. जनता पार्टी का निर्माण
  5. जय प्रकाश नारायण का विरोधी दलों को आशीर्वाद
  6. आपातकाल की ज्यादतियाँ
  7. न्यायपालिका व कार्यपालिका का टकराव
  8. संविधान को पूरा बदलने का प्रयास
  9. प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला
  10. जनमत का विरोध
  11. नागरिकों की स्वतन्त्रता पर हमला
  12. अधिकारियों द्वारा ज्यादतियाँ
  13. नागरिकों की धार्मिक भावनाओं पर हमला
  14. मौलिक अधिकारों का हनन
  15. भारत के संघीय स्वरूप में परिवर्तन

प्रश्न 8.
हमारी राजव्यवस्था के निम्नलिखित पक्ष पर आपातकाल का क्या असर हुआ?

  1. नागरिकों के अधिकारों की दशा तथा नागरिकों पर इसका असर।
  2. कार्यपालिका और न्यायपालिका के सम्बन्ध।
  3. जनसंचार माध्यमों के कामकाज।
  4. पुलिस और नौकरशाही की कार्यवाहियाँ।

उत्तर:
1. नागरिकों के अधिकारों की दशा और नागरिकों पर इसका असर-आपातकाल की स्थिति में राजव्यवस्था के अनेक पक्षों पर प्रभाव पड़ा। 25 जून 1975 को देश में जब संविध न के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल स्थिति की घोषणा की गयी तो इसका मौलिक अधि कारों पर असर इस प्रकार से पड़ा कि सभी मौलिक अधिकार को स्थगित कर दिया। जिसके फलस्वरूप उनकी नागरिक के रूप में अनेक सुविधाएँ, अधिकार व स्वतन्त्राएँ समाप्त हो गयी।

नागरिकों के विचारों की अभिव्यक्ति, घूमने फिरने व सभाएँ आयोजित करने पर रोक लगा दी गयी। इस प्रकार से आपातकाल में नागरिकों का जीवन अत्यन्त घुटन का जीवन हो गया सरकार ने निवारक नजरबंदी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जिसके अन्दर किसी व्यक्ति को इसलिए गिरफ्तार नहीं किया जाता था कि उसने कोई अपराध किया है बल्कि इसलिए कि वह इस आशंका पर कि वह अपराध कर सकता है। आपातकाल के समय में नागरिकों पर अनेक ज्यादतियाँ की गई।

2. कार्यपालिका और न्यायपालिका के सम्बन्ध:
आपातकाल स्थिति की घोषणा का कार्यपालिका व न्यायपालिका के सम्बन्धों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा सरकार ने न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में कमी कर दी। उच्च न्यायलयों को अनेक संघीय विषय पर मुदकमें सुनने का अधिकार न रहा व इसी प्रकार से सर्वोच्च न्यायालय से भी प्रान्तीय विषयों से संबंधित मुकदमें सुनने का अधिकार ले लिया।

कई प्रमुख पदों के चुनावों में सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया। अनेक विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय की वह उच्च न्यायालय की न्यापुनः शक्ति में कमी कर दी। 42वें संविधान संशोधन के द्वारा न्यायपालिका की शक्तियों में काफी कमियाँ की गई। इंदिरा गाँधी के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद के निर्णय की पृष्ठ भूमि में भी संविधान में कई संशोधन करके न्यायपालिका की शक्तियों को प्रभावित किया।

3. जनसंचार के माध्यमों के काम काज:
आपातकाल की स्थिति की घोषणा का सबसे अधिक बुरा प्रभाव प्रेस व मीडिया पर पड़ा। आपातकालीन प्रावधानों के अन्तर्गत प्राप्त अपनी शक्तियों पर अमल करते हुए सरकार ने प्रेस की आजादी पर रोक लगा दी। समाचार पत्रों को कहा गया कि वे कुछ भी छापने से पहले छापने की अनुमति ले। इस प्रकार से प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी।

अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक संस्थाओं जैसे आर.एस.एस. व जमाते इस्लाम पर पाबन्दियाँ लगा दी। अनेक प्रमुख अखबारों इण्डियन एक्सप्रेस और स्टेट्समेन जैसे अखबारों ने इस प्रेस सेंसरशिप का विरोध किया। जो अखबार सरकार के आदेशों का पालन नहीं करते थे उनकी बिजली काट दी जाती थी। कई अखबारों को इन सब कारणों से बन्द करना पड़ा। इसके विरोध में अनेक बुद्धजीवियों ने अपने पदक बापिस कर दिये।

4. पुलिस व नौकरशाही की कार्यवाहियाँ:
आपातकाल के समय में पुलिस व नौकरशाही की भूमिका की सबसे अधिक आलोचना हुई है क्योंकि इन अधिकारियों ने अपनी शक्तियों का व अपनी स्थितियों का दुरूपयोग किया। राजनीतिज्ञों को खुश करने के लए इन्होंने सरकार की गलत नीतियों को भी पूरे जोश के साथ लागू किया।

उदाहरण के तौर पर परिवार नियोजन की नीति व कार्यक्रमों को लागू करने के लिए जबरदस्ती की गई व लोगों की धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाया गया। पुलिस व नौकरशाही के द्वारा सत्ता का खुला दुरूपयोग किया गया। इनके डर से दिल्ली के गरीब इलाकों के निवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापित होना पड़ा। शहरों के सुन्दरीकरण के नाम पर लोगों के घरों को उजाड़ दिया गया।

प्रश्न 9.
भारत की दलीय प्रणाली पर आपातकाल का किस तरह असर हुआ? अपने उत्तर की पुष्टि उदाहरणों से करें।
उत्तर:
भारत में बहुदलीय प्रणाली है अर्थात् भारतीय राजनीति में व चुनावी प्रक्रिया में अनेक दल सक्रिय रहते हैं ये दल विभिन्न आधारों पर बनते रहते हैं। इनमें कुछ क्षेत्रीय दल है व कुछ राष्ट्रीय दल है। 1967 तक के चुनावों में सभी दल अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ते रहे हैं जिसका लाभ सीधा कांग्रेस को मिलता रहा। 1967 तक के पहले सभी चुनावों का प्रभुत्व रहा। 1967 के चुनावों में पहली बार कछ विरोधी दलों ने मिलकर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा परन्तु कांग्रेस के केन्द्र में प्रभुत्व को नहीं तोड़ पायी परन्तु कांग्रेस के जनाधार में कमी अवश्य आ गयी।

राज्यों में कांग्रेस को सरकारें गवानी भी पड़ी। इसके बाद 1971 के मध्याविधि चुनाव में सभी विरोधी दलों ने मिलकर कांग्रेस के खिलाफ विशाल गठबन्धन बनाया परन्तु इन चुनावों में फिर भी कांग्रेस को ही विशाल बहुमत मिला व कांग्रेस इस चुनाव के बाद इंदिरा गाँधी और अधिक शक्तिशाली प्रधानमंत्री के रूप में उभरकर आयी और इस प्रकार से 1971 के चुनाव तक भी कांग्रेस का ही प्रभुत्व रहा। साम्यवादी दल भी अक्सर कांग्रेस के साथ ही रहे।

1975 में देश में आपातकालीन स्थिति लगने के बाद प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को जेल में डाल दिया गया व 18 महीने तक सभी राजनीतिक गतिविधियों पर पाबन्दियाँ लगा दी गई। 18 महीने के अन्दर सभी गैर कांग्रेसी नेताओं में कांग्रेस विरोधी व इंदिरा गाँधी विरोधी भावना बढ़ गयी। जैसे ही 1977 में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने चुनावों की घोषणा की, सभी विरोधी दलों के नेताओं ने अपने मत-भेद, विचारधारा व कार्यक्रम भुलाकर केवल एक ही कार्यक्रम बनाया कि इस चुनाव में कांग्रेस को हटाया जाये। अतः सभी दलों ने अपने दलों का एक पार्टी में विलय कर जनता पार्टी के नाम से एक दल का निर्माण किया।

इसमें प्रमुख रूप से समाजवादी पार्टी, कांग्रेस ओल्ड, भारतीय लोक दल व भारतीय जन संघ शामिल हुए बाद में बाबू जगजीवन राम के नेतृत्व वाली कांग्रेस फार डेमोक्रेसी पार्टी भी जनता पार्टी में शामिल हो गई। इस प्रकार मुख्य रूप से दो प्रकार के दल इस चुनाव में रहे एक कांग्रेस व साम्यवादी दलों का गठबन्धन व दूसरा जनता पार्टी।

इस प्रकार से आपातकाल स्थिति के अनुभव से भारत में पहली बार दो दलीय प्रणाली के विकास का आभास हुआ। जनता पार्टी एक प्रकार सभी हितों, विचारधाराओं व कार्यक्रमों का प्रतिनिधित्व कर रही थी। चुनावों में जनता पार्टी को भारी सफलता मिली व इसकी सरकार भी बनी परन्तु मात्र 18 महीने में यह जनता पार्टी की सरकार जनता पार्टी के विभाजन के कारण गिर गई व भारत में फिर बहुदलीय प्रणाली का दौर आ गया।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़े और इसके आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दें।
1977 के दौरान भारतीय लोकतन्त्र, दो दलीय व्यवस्था के जितना नजदीक आ गया था उतना पहले कभी नहीं आया। बहरहाल अगले कुछ सालों में मामला पूरी तरह बदल गया। हारने के तुरन्त बाद कांग्रेस दो टूकड़ों में बंट गई जनता पार्टी में भी बड़ी अफरा-तफरी मची। डेविड वटलर, अशोक लाहिडी और प्रणव राय –

(क) किन वजहों से 1977 में भारत की राजनीति दो दलीय प्रणाली के समान जान पड़ रही थी?
(ख) 1977 में दो से ज्यादा पार्टियाँ अस्तित्व में थी। इसके बावजूद लेखकगण इस दौर को दो दलीय प्रणाली के नजदीक क्यों बात रहे हैं?
(ग) कांग्रेस और जनता पार्टी में किन कारणों से टूट पैदा हुई?

उत्तर:
(क) 1977 के चुनावों में भारतीय दलीय प्रणाली के स्वरूप में निश्चित रूप से कुछ परिवर्तन नजर आ रहे थे। पहली बार चुनाव मुख्य रूप से दो दलों के बीच हुआ। यद्यपि 1971 के चुनाव में विरोधी दलों ने एक विशाल गठबन्धन बनाकर चुनाव लड़ा था परन्तु 1977 का चुनाव स्पष्ट राय से दो राजनीतिक दलों के बीच लड़ा गया एक कांग्रेस व दूसरी जनता पार्टी जिसमें सभी प्रमुख विरोधी दलों का विलय हो गया था। इस प्रकार 1977 में भारतीय दलीय प्रणाली दो दलीय जान पड़ रही थी।

(ख) निश्चित रूप से 1977 के चुनाव में दो पार्टियाँ अस्तित्व में थी परन्तु इस दौर को इस प्रकार की दो दलीय व्यवस्था नहीं कहा जा सकता जैसी कि ब्रिटेन व अमेरिका में प्रचलित है अतः लेखक ठीक ही कहते हैं कि 1977 में भारत में दलीय प्रणाली दो दलीय प्रणाली के नजदीक अवश्य थी परन्तु स्पष्ट दो दलीय प्रणाली नहीं थी क्योंकि जनता पार्टी एक राजनीतिक दल नहीं था बल्कि कुछ राजनीतिक दलों का मिश्रण था। इसको साधारण भाषा में खिचड़ी कहा जाता था जो 1979 में जनता पार्टी के विभाजन के समय सच भी सिद्ध हो गयी।

(ग) जनता पार्टी कांग्रेस में विभाजन अलग-अलग समय पर अवश्य हुआ परन्तु दोनों में विभाजन के कारण समान ही नजर आते हैं। कांग्रेस में विभाजन 1978 में हुआ जब कांग्रेस के पास सत्ता नहीं थी व जनता पार्टी में विभाजन 1979 में हुआ जब जनता पार्टी सत्ता में तो थी परन्तु विभिन्न पदों के लिए आपसी लड़ाई जारी थी। वास्तव में जनता पार्टी के संगठित राजनीतिक दल के रूप में स्थापित ना हो सकी। आपसी अन्तर विरोध के कारण जनता पार्टी में विभाजन हुआ।

Bihar Board Class 12 Political Science लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
1979 के बाद आर्थिक संकट के प्रमुख कारण क्या थे जिनसे आन्दोलन प्रारम्भ हुए।
उत्तर:
भारत आजादी के बाद से ही आर्थिक संकट का शिकार रहा क्योंकि भारत को अंग्रेजों से एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था मिली। यह आर्थिक संकट सत्तर के दशक में और अधिक गहरा हो गया जिसके तत्कालीन कारण निम्न थे:

  1. 1971 में हुई बांग्लादेश युद्ध का आर्थिक भार।
  2. उन करोड़ों बांग्लादेशियों के आर्थिक बोझ का जो भारत में शरणार्थियों के रूप में भारत की सीमा पार करके भारत में रह रहे थे।
  3. 1971 के युद्ध में उन युद्ध बन्दियों का आर्थिक बोझ जिन्होंने लाखों की संख्या में भारतीय फौजों के सामने आत्म समर्पण कर दिया था।
  4. भारत के खिलाफ 1971 के युद्ध के बाद अमेरिका के द्वारा लगाये गये आर्थिक बन्धनों का प्रभाव।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में वृद्धि।
  6. मानसून की विफलता के कारण कृषि पैदावाद में भारी कमी।

प्रश्न 2.
नक्सलवादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल, बिहार, आन्ध्र प्रदेश में चल रहा नक्सलवादी आन्दोलन उन लोगों का समूह है जो क्रांतिकारी तरीके से यहाँ तक कि हिंसात्मक तरीके से भी सामाजिक आर्थिक व्यवस्था में तुरन्त परिवर्तन व सम्पूर्ण परिवर्तन करना चाहते हैं ये लोग धनी भूमि-स्वामियों से जमीन छीनकर भूमिहीन लोगों में बांटते हैं। इन राज्यों के ये हिंसक आन्दोलन सरकारों के प्रयासों से भी समाप्त नहीं हुए अब ये आन्दोलन झारखंड जैसे राज्यों में भी सक्रिय है फिलहाल राज्यों के 75 जिले नक्सलवादी आन्दोलन से प्रभावित है नक्सलवादी मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से प्रभावित है।

प्रश्न 3.
केशवानन्द भारती के 1973 के विषय में बताइये।
उत्तर:
आजादी के बाद से ही यह विवाद का विषय बन गया था कि क्या संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है या नहीं। 1967 तक के निर्माण में न्यायालयों ने इसका उत्तर हाँ में दिया परन्तु 1967 में गोलकनाथ केस सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती जिसके प्रभाव को समाप्त करने के लिए संसद ने संविधान में संशोधन किये जिनकी 1973 में केशवानन्द भारती केस में चुनौती दी इसमें निर्णय हुआ कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती हो भले ही मौलिक अधिकार हो परन्तु संविधान को मूल रचना में परिवर्तन नहीं कर सकती।

प्रश्न 4.
1975 में आपातकाल स्थिति की घोषणा के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
सत्तर के दशक में देश आर्थिक व राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहा था। 1971 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से जीती थी परन्तु फिर भी सारे देश में राजनीतिक आन्दोलन चल रहे थे। 25 जून 1975 को श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपात स्थिति की घोषणा की जिसके निम्न प्रमुख कारण थे –

  1. बिहार का विद्यार्थी आन्दोलन।
  2. गुजरात आन्दोलन जिसमें चुनी हुई सरकार को कार्य करने नहीं दिया जा रहा था।
  3. राष्ट्र की एकता व अखंडता को खतरा।
  4. आन्तरिक गड़बड़ी जिससे प्रशासन ठप्प हो गया था।
  5. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के संदर्भ में श्रीमती इंदिरा गाँधी से इस्तीफे की माँग।

प्रश्न 5.
श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपात स्थिति की घोषणा किस प्रकार से की।
उत्तर:
श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 25 जून 1975 को देश में आपात स्थिति की घोषणा करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद को मौखिक सलाह दी जिसको मानकर उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आन्तरिक गड़बड़ी के कारण आपातकाल की स्थिति की घोषणा कर दी। श्रीमती गाँधी ने इस निर्णय के लिए मंत्रिमंडल की भी कोई औपचारिक बैठक नहीं की। मंत्रिमंडल को भी इसकी सूचना 26 जून की सुबह को दी गई। देश में इस बार आपातकाल की स्थिति की घोषणा प्रथम बार की गई थी। श्रीमती इंदिरा गाँधी ने देश को यह बताने का प्रयास किया कि आपातकाल की स्थिति की घोषणा के लिए विरोधी दल जिम्मेवार हैं।

प्रश्न 6.
आपातकाल की स्थिति की घोषणा के तुरन्त परिणाम क्या थे।
उत्तर:
आपातकालीन स्थिति की घोषणा के तुरन्त परिणाम निम्न थे:

  1. नागरिकों के मौलिक अधिकार स्थगित हो जाते हैं।
  2. देश का संघात्मक स्वरूप समाप्त हो जाता है।
  3. देश का प्रशासनिक स्वरूप एकात्मक हो जाता है।
  4. सभी प्रकार के आन्दोलनों पर पाबन्दियाँ लगा दी।
  5. निवारक नजरबन्दी कानून का लागू होना।
  6. सभी विषयों पर संसद को कानून बनाने का अधिकार
  7. राष्ट्रपति के हाथों में पूरे देश का शासन आ जाता है।

प्रश्न 7.
42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएँ क्या थी।
उत्तर:
42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएँ अथवा प्रावधान निम्न थे –

  1. संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद धर्मनिर्पेक्ष शब्द जोड़े गये।
  2. न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में कटौती की गई।
  3. संसद व विधान सभा के कार्य काल में वृद्धि की गई।
  4. राज्य की नीति के निर्धारित तत्वों को मौलिक अधिकारों से अधिक वरीयता दी गई।
  5. राष्ट्रपति की स्थिति भी कमजोर की गई क्योंकि उसके लिए मंत्रिमंडल की सलाह को मानना आवश्यक किया गया।
  6. संसद की शक्तियों में वृद्धि की गई।
  7. भारतीय संघीय स्वरूप में भी परिवर्तन किया। जिसमें सूचियों के विषयों को बदला गया।

प्रश्न 8.
आपात स्थिति की घोषणा के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
आपात स्थिति की घोषणा के पक्ष में निम्न तर्क दिये जा सकते हैं –

  1. पूरे देश में आर्थिक व राजनीतिक अस्थिरता का दौर था।
  2. पुलिस व सेना को उकसाया जा रहा था कि वे बगावत कर दें।
  3. चुनी हुई सरकारों को हटाये जाने की मांग की जा रही थी।
  4. देश की एकता व अखंडता का खतरा उत्पन्न हो रहा था।
  5. प्रशासन व कानून व्यवस्था चरमरा गई थी।
  6. देश विरोधी व समाज विरोध व अन्य तोड़-फोड़ की गतिविधियाँ जारी थी।
  7. विदेशी ताकतों का हस्तक्षेप सम्भव था।

प्रश्न 9.
आपातकाल स्थिति की घोषणा के विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
आपातकाल स्थिति के विपक्ष में भी निम्न तर्क दिये जा सकते हैं –

  1. बांध व हड़ताले शान्ति पूर्ण थे व नागरिकों के राजनीतिक अधिकार भी हैं।
  2. आर्थिक संकट के लिए सरकार की नीतियाँ दोषी थी।
  3. कीमतें मंहगी हो रही थी।
  4. देश में प्रचलित हालातों को उच्च तरीकों से भी हल किया जा सकता था।
  5. आपातकाल की स्थिति को गलत तरीके से लगाया गया।
  6. इससे न्यायालय की गरिमा की अवहेलना की गई।

प्रश्न 10.
तुर्कमान गेट घटना के बारे में समझाइये।
उत्तर:
आपातकालीन स्थिति के दौरान दिल्ली के गरीब इलाके के निवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापित होना पड़ा। इन गरीब विस्थापित लोगों को यमुना नदी के जिस निर्जन इलाके में इन लोगों को बसाया गया। इसी उद्देश्य की एक घटना तुर्कमान गेट इलाके की एक बस्ती की है। आपातकाल स्थिति की यह बहुत ही चर्चित घटना है।

इस इलाके की झुग्गी झोपड़ियों को उजाड़ दिया गया व इलाके के सैंकड़ों लोगों की जबरन ही नसबन्दी कर दी गई। यह कार्य अधिकारियों ने अपने आंकड़े पूरे करने के लिए किये। नसबन्दी के केस के लिए कोटा निर्धारित कर दिया जिसको पूरा करने के लिए बीच के लोगों ने गरीब लोगों को छोटे-छोटे लालच देकर नसबन्दी करा दी। इस तरह कुछ लोग अगर सरकार द्वारा प्रायोजित प्रयासों के शिकार हुए तो कुछ लोगों ने कानून जमीन हासिल करने के लालच में दूसरों को बलि का बकरा बनाया व ऐसा करके खुद को विस्थापित होने से बचाया।

प्रश्न 11.
1975 की आपातकाल स्थिति के अनुभव से हमें क्या सबक मिला?
उत्तर:
आपातकाल की स्थिति की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गयी। सबसे पहले बात यह है कि जब तक आपातकालीन स्थिति के लिए प्रयाप्त कारण ना हो आपातकाल की स्थिति की घोषणा नहीं होनी चाहिए। दुसरा सबक इस बात का कि आपातकाल स्थिति की घोषणा करने का तरीका सही होना चाहिए।

श्रीमती इंदिरा गाँधी ने आपातकाल स्थिति की घोषणा बिना मंत्रिमंडल की सलाह के राष्ट्रपति को मौखिक रूप से आदेश जारी करने के लिए कहा जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया इस प्रकार का तरीका गलत था। इसमें भी सुधार हुआ। आपाताकाल में नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ व एक प्रकार से अफसर ज्ञाही का बोलबाला रहा। देश में एक प्रकार का अधिनायकवाद रहा इस प्रकार हम कह सकते हैं कि आपातकालीन स्थिति का अनुभव गलत था।

प्रश्न 12.
जनता पार्टी का गठन किस प्रकार से हुआ?
उत्तर:
जनता पार्टी का गठन 1977 में श्री जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से उस समय हुआ जब सभी विरोधी दलों के प्रमुख नेता जेल में थे। इन नेताओं ने 1977 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ एक जुट होकर लड़ने का फैसला किया। इसमें प्रमुख दल थे कांग्रेस (ओल्ड) समाजवादी पार्टी, भारतीय लोकदल व भारतीय जनसंघा कांग्रेस फार डेमोक्रेसी भी बाद में जनता पार्टी में शामिल हो गयी।

प्रश्न 13.
जनता पार्टी की सरकार 1977 में किस प्रकार से बनी।
उत्तर:
1977 के चुनाव में जनता पार्टी को इसके सहयोगियों को भारी सफलता मिली। श्रीमती इंदिरा गाँधी की कांग्रेस का उत्तरी भारत व मध्य भारत में पूरी तरह से सफाया हो गया। यहाँ तक कि खुद श्रीमती इंदिरा गाँधी भी रायबरेली से चुनाव हार गयी। जनता पार्टी व इसकी सहयोगी दलों को लोकसभा की 330 सीटे मिली जिसमें से अकेले जनता पार्टी को 295 सीटें प्राप्त हुई इस प्रकर से राष्ट्रपति ने औपचारिक रूप से जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।

इस प्रकार से इन परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर थी यह आपातकाल स्थिति की घोषणा के खिलाफ एक जनता की प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के पद पर जनता पार्टी के तीन प्रमुख नेताओं के विवाद ने खुशी के माहौल को निराशा में बदल दिया क्योंकि श्री मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह व बाबू जगजीवन राम ने प्रधानमंत्री के पद के लिए अपना-अपना दावा रखा। अन्तः में विचार विमर्श के बाद मोरारजी देसाई देश के प्रधान मंत्री बने व चौधरी चरण सिंह व जगजीवन राम देश के उपप्रधानमंत्री बने।

प्रश्न 14.
जनता पार्टी की सरकार गिरने के क्या प्रमुख कारण थे?
उत्तर:
जनता पार्टी की सरकार के गिरने के प्रमुख कारण निम्न थे –

  1. जनता पार्टी का टूटना। वास्तव में जनता पार्टी केवल कुछ खास परिस्थितियों का ही परिणाम था।
  2. जनता पार्टी के घटकों में ताल मेल नहीं था।
  3. कुछ प्रमुख नेताओं की पद लोलपता।
  4. प्रमुख घटकों में व्यक्ति पूजा।
  5. जनता पार्टी के घटकों में आपसी मतभेदों का जारी रहना।

प्रश्न 15.
कांग्रेस व्यवस्था किस प्रकार से दोबारा सत्ता में आयी।
उत्तर:
जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई जो मात्र चार महीने ही चली। चौधरी चरण सिंह ने लोकसभा भंग कर दी। जिससे 1980 में लोकसभा में मध्यावधि चुनाव हुए। इन चुनावों में जनता पार्टी हो हार का मुंह देखना पड़ा व कांग्रेस को पुनः सफलता मिली। श्रीमती इंदिरा गाँधी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी। कांग्रेस की पुनः जीत का प्रमुख कारण जनता पार्टी का विभाजन रहा। कांग्रेस की इस प्रकार से पुर्नस्थापना हुई।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आपातकाल स्थिति की घोषणा के कौन से प्रमुख आर्थिक व राजनीतिक कारण थी?
उत्तर:
आपातकाल स्थिति की घोषणा के प्रमुख आर्थिक व राजनीतिक कारण निम्न थे –

आर्थिक कारण:

  1. 1971 की बांग्लादेश की लड़ाई का आर्थिक बोझ।
  2. बांग्लादेश के शरणार्थियों का आर्थिक बोझ।
  3. 1971 की लड़ाई में कैदियों पर लम्बे समय तक किये गये खर्च का आर्थिक बोझ।
  4. मानसून की विफलता।
  5. 1974 का खाद्यान्न संकट।
  6. आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि।

राजनीतिक कारण:

  1. गुजरात आन्दोलन।
  2. बिहार में विद्यार्थी आन्दोलन।
  3. चुनी हुई सरकारों के खिलाफ आन्दोलन।
  4. गुजरात में आन्दोलन का मोरारजी भाई देसाई का नेतृत्व।
  5. जय प्रकाश नारायण का नेतृत्व व उनके द्वारा संसद मार्च।
  6. देश के अनेक हिस्सों में कानून व व्यवस्था का खराब होना।
  7. देश की एकता व अखण्डता को खतरा।

प्रश्न 2.
बिहार के आन्दोलन का कांग्रेस के खिलाफ चल रहे आन्दोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
यूँ तो कांग्रेस सरकार की सरकारों के खिलाफ पूरे देश में विरोध पनप रहा था परन्तु बिहार व गुजरात में आन्दोलन का रूप अधिक उग्र था। बिहार के आन्दोलन में विद्यार्थी भी शामिल हो गये थे व श्री जयप्रकाश नारायण इसका नेतृत्व कर रहे थे। इसी प्रकार से गुजरात में भी आन्दोलन बहुत सक्रिय था जिसका नेतृत्व मोरारजी देसाई कर रहे थे। श्री जयप्रकाश नारायण ने इस आन्दोलन को अहिंसात्मक तरीके से पूरे देश में चलाने की अपील की जिसका व्यापक प्रभाव पड़ा। इन आन्दोलन का प्रमुख उद्देश्य केन्द्र व प्रान्तों की कांग्रेस सरकारों को हटाना था। इस आन्दोलन में महंगाई व आर्थिक संकट को मुख्य मुद्दा बनाया। श्री जयप्रकाश नारायण ने इस आन्दोलन को सम्पूर्ण क्रान्ति का नाम दिया जिसका उद्देश्य सम्पूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन करना था।

प्रश्न 3.
आपातकाल स्थिति की घोषणा से पहले कार्यपालिका व न्यायपालिका में चल रहे टकराव पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
प्रारम्भ से ही कार्यपालिका व न्यायपालिका के बीच मतभेद रहे हैं। परन्तु संविधान संशोधन के प्रश्न पर सत्तर के दशक के बाद कार्यपालिका व न्यायपालिका में विवाद और अधिक गहराया था। संसद की मौलिक अधिकारों के संशोधन के अधिकार पर न्यायपालिका का 1967 तक यह दृष्टिकोण रहा है कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है।

परन्तु 1967 में प्रसिद्ध गोलकवाद केस में न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती जिससे कार्यपालिका व न्यायपालिका में टकराव बढ़ गया। सरकार ने इस निर्णय के प्रभाव को समाप्त करने के लिए संविधान में कुछ संशोधन किये जिनको फिर 1973 में केशवानन्द केस में चुनौती दी गयी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस केस के निर्णय में निश्चित किया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। भले ही मौलिक अधिकार ही क्यों ना हो परन्तु संसद संविधान की मूल रचना को नहीं बदल सकती। इस प्रकार से कार्यपालिका व न्यायपालिका में टकराव चलता रहा आपातकालीन स्थिति में 42वां संविधान संशोधन कर न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में कमी दी गई।

प्रश्न 4.
देश में आपातकालीन स्थिति की घोषणा के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर:
देश में आपातकाल स्थिति की घोषणा के निम्न कारण बताये गये –

  1. आन्तरिक गड़बड़ी
  2. पुलिस व सैनिकों में बगावत का डर
  3. देश की एकता अखण्डता को खतरा
  4. आर्थिक संकट
  5. राजनीतिक अस्थिरता का डर
  6. राज्यों में कानून व्यवस्था का खराब होना
  7. चुनी हुई सरकारों के खिलाफ आन्दोलन
  8. प्रशासन का ठप्प होना
  9. अराजकता की स्थिति
  10. हिंसा का माहौल

प्रश्न 5.
आपात स्थिति लागू होने के क्या परिणाम थे।
उत्तर:
आपातकाल की स्थिति के निम्न परिणाम सामने आये। देश में 25 जून 1975 को आपात स्थिति की घोषणा की गई थी –

  1. मौलिक अधिकारों का हनन होना (स्थगत होना)
  2. संविधान का संघीय स्वरूप समाप्त हो जाता है देश की सभी शक्तियाँ केन्द्र के पास आ जाती है। इस प्रकार से संविधान एकात्मक हो जाता है।
  3. केन्द्र सरकार की शक्तियाँ बढ़ जाती है।
  4. देश का प्रजातन्त्रीय स्वरूप प्रभावित होता है।
  5. प्रेस पर पाबन्दियाँ लगा दी गयी।
  6. सभी दलों के प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
  7. न्यायालय की शक्तियाँ कम कर दी गई।
  8. संसद का कार्य काल बढ़ा दिया गया।
  9. लोगों की स्वतंत्रता समाप्त हो गई।
  10. संविधान में व्यापक संशोधन किये गये।
  11. राष्ट्रपति की स्थिति कमजोर कर दी गई।
  12. देश में एक प्रकार से आतंक का माहौल पैदा हो गया।

प्रश्न 6.
आपातकाल स्थिति में न्यायापालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में क्या परिवर्तन किये गये?
उत्तर:
आपातकाल की स्थिति में संविधान में व्यापक परिवर्तन किये गये। प्रेस व मीडिया की शक्तियों व स्वतंत्रता को भी प्रभावित किया। इसके साथ-साथ न्यायपालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में परिवर्तन कर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायाल के संदर्भ में आपातकालीन स्थिति के संविधान में संशोधन कर यह व्यवस्था की कि सर्वोच्च न्यायालय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति व स्पीकर के चुनाव सम्बन्धी किसी झगड़े को सर्वोच्च न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया।

42 वें संविधान संशोधन से संविधान में व्यापक परिवर्तन किये गये। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधि कार कम कर दिये गये। सर्वोच्च न्यायालय अब कई राज्यों के विषयों से सम्बन्धित झगड़े नहीं सुन सकती थी। इसी प्रकार राज्यों की उच्च न्यायालय केन्द्र में विषयों से सम्बन्धित झगड़े नहीं सुन सकती थी। इस प्रकार से आपातकालीन स्थिति में न्यायालय के क्षेत्राधिकार में व्यापक परिवर्तन किया गया।

प्रश्न 7.
42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएँ समझाइये।
उत्तर:
संविधान में 42 वां संशोधन 1976 में किया गया। उस समय देश में आपातकाल की स्थिति थी। इस संविधान संशोधन ने संविधान में बड़े पैमाने पर परिवर्तन कर दिये अतः इसे लघु संविधान भी कहा जाता है। इसमें निम्न मुख्य प्रावधान थे:

  1. संविधान की प्रस्तावना में संशोध न कर दो नये शब्द जोड़े एक समाजवाद व दूसरा धर्मनिरपेक्ष।
  2. लोकसभा व राज्य विधान सभाओं के कार्यकाल पांच वर्ष की जगह 6 वर्ष कर दिये गये।
  3. राज्य की नीति के निर्देशक तत्वों को मौलिक अधिकारों के स्थान पर अधिक प्राथमिकता की व्यवस्था कर दी।
  4. राष्ट्रपति को मन्त्रीमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य कर दिया।
  5. न्यायपालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में कमी कर दी गई।
  6. नागरिकों की स्वतंत्रताओं में कमी की गई।
  7. समवर्ती सूची में नये विषयों को जोड़ गया।
  8. कई राज्यों के विषयों को केन्द्र सूची में शामिल कर दिया।
  9. प्रेस की स्वतन्त्रता को प्रभावित किया।
  10. केन्द्र व प्रान्तों के सम्बन्धों को प्रभावित किया।

प्रश्न 8.
शाह आयोग की नियुक्ति का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
आपातकाल की स्थिति के समाप्त होने के साथ-साथ लोकसभा के चुनाव भी 1977 में कराये गये जिसमें जनता पार्टी ने चुनाव जीता व सरकार बनाई। कांग्रेस को इस चुनाव में आपातकाल स्थिति की ज्यादतियों की सजा भुगतनी पड़ी। यहाँ तक की श्रीमती इंदिरा गाँधी व उनके प्रमुख मंत्री चुनाव हार गये।

जनता पार्टी ने सरकार बनाने के बाद आपातकाल में हुई विभिन्न ज्यादतियों को जनता के सामने लाने के लिए जस्टिस जे.सी. शाह की अध्यक्षता में मई 1977 में एक आयोग का गठन किया गया जिसको शाह आयोग के नाम से जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य 25 जून 1975 के दिन घोषित आपातकाल के दौरान की गई कार्यवाही तथा इस दौरान सत्ता के दुरूपयोग, अतिचार और सदाचार के विभिन्न आरोपों के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना था। आयोग ने अपने कार्य में विभिन्न साक्षों की जाँच की विभिन्न लोगों के बयान दर्ज करे। व इस आधार पर अपनी रिपोर्ट दी।

प्रश्न 9.
शाह कमीशन रिपोर्ट की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
1977 में चुनाव में सफलता प्राप्त करने के बाद आपातकाल में कांग्रेस सरकार द्वारा की गई ज्यादतियों का अध्ययन करने के लिए शाह आयोग की नियुक्ति की जिसकी मुख्य विशेषताएँ निम्न हैं:

  1. नजरबन्दी निवारक कानून का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग किया गया।
  2. 676 राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार हुई।
  3. आपातकाल के दौरान लगभग एक लाख लोगों की गिरफ्तारी की गई।
  4. अखबारों की बिजली पूर्ति को काटने के लिए बिजली आपूर्ति निगम के अधिकारियों को उपराज्यपाल के द्वारा मौखिक आदेश दिये गये।
  5. दो दिन के बाद अखबारों की बिजली जारी की गई।
  6. बिना किसी अधिकारिक पद के गैर सरकारी लोग सरकारी पदों का इस्तेमाल व दुरूपयोग कर रहे थे।
  7. श्रीमति इंदिरा गाँधी के पुत्र श्री संजय गाँधी ने सरकारी कार्यों की दिन प्रतिदिन गतिविधियों में हस्तक्षेप किया।
  8. परिवार नियोजन के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अधिकारियों ने जबरदस्ती मासूम व युवा नागरिकों की नसबन्दी की जिससे उनका शेष जीवन ही बेकार हो गया।
  9. अनुशासन के नाम पर अधिकारियों ने अनावश्यक रूप से अपने तहत काम करने वाले कर्मचारियों को परेशान किया।

प्रश्न 10.
आपातकाल स्थिति के अनुभव से हमें क्या सबक मिला?
उत्तर:
यद्यपि हम आपातकाल स्थिति की घोषणा के आदेश को उचित नहीं ठहरा सकते परन्तु इस अनुभव से भारतीय प्रजातन्त्र की अनेक कमजोरियां व मजबूरियाँ सामने अवश्य आ गयी। कई आलोचक कहते हैं कि आपातकाल के दौरान भारत में प्रजातंत्र समाप्त हो गया था क्योंकि कानून का शासन नहीं था। संविधान को पूर्णतः बदल दिया गया था। मौखिक आदेशों पर सरकार चल रही थी। बिना सत्ता के लोग सत्ता का दुरूपयोग कर रहे थे।

ऐसी स्थिति में ऐसा भी सोचा जाने लगा था। कि भारत में चुनाव नहीं होगें परन्तु यह सोच गलत सिद्ध हुई क्योंकि इन परिस्थितियों में भी चुनावों की घोषणा की व चुनाव समय पर निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न हुआ। इस अनुभव से नागरिकों स्वतंत्रता के महत्त्व का पल लगा। इस अनुभव से यह भी समझा गया कि संविधान के प्रावधानों का किस प्रकार से प्रयोग करना चाहिए। जनता ने यह भी समझा दिया कि भारत में तानाशाही व्यवस्था स्वीकारीय नहीं है।

प्रश्न 11.
पुलिस व नौकरशाही की आपातकाल के समय की भूमिका समझाइये।
उत्तर:
आपातकालीन के अनेक बुरे अनुभवों में आम जनता के लिए सबसे बुरा अनुभव यह रहा कि उनको पुलिस व नौकरशाही की ज्यादितयों का शिकार होना पड़ा। सरकार की नीतियों को लागू करने अपने बड़े अधिकारों व नेताओं की वाह-वाह लूटने के लिए पुलिस व नौकरशाही के अधिकारियों ने जनता पर ज्यादतियाँ व अत्याचार किये। अनेक निर्दोष नागरिकों पर अत्याचार किये गये। आपातकाल स्थिति के दौरान ऐसा लगता था कि पुलिस व नौकरशाही के अधिकारों शासक दल के यंत्र बन गये हैं।

शाह आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया कि आपातकाल स्थिति मे पुलिस व नौकरशाही की भूमिका सबसे अधिक आपत्तिजनक रही। उन्होंने जनता के सेवक के रूप में नहीं बल्कि जनता के शोषण के रूप में कार्य किया। इंदिरा गाँधी के 20 सूत्रीय कार्यक्रम व संजय गाँधी के 5 सूत्रीय कार्यक्रम को लागू करने के लिए पुलिस व सरकारी अधिकारियों ने आपस में प्रतियोगिता की जिसका शिकार जनता बनी। वास्तव में आपातकाल की अगर कुछ सकारात्मक बाते हैं तो वे पुलिस व अधिकारियों की ज्यादतियों के कारण धूमल हो गयी।

प्रश्न 12.
जनता पार्टी के उदय व 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की सफलता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आपातकाल स्थिति में सभी दलों के प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यहाँ तक श्री जयप्रकाश नारायण व आचार्य कृपलानी को भी जेल में डाल दिया गया। 1977 में संसदीय चुनावों की घोषणा की गई। सभी विरोधी दलों के नेताओं ने इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ एक जुट होकर चुनाव लड़ने का निर्णय किया। इसके लिए सभी दलो ने वैचारिक मतभेद भुलाकर जनता पार्टी का गठन किया। इसमें सोसलिस्ट पार्टी, कांग्रेस ओल्ड भारतीय जनसंघ पार्टी व भारतीय लोक दल शामिल थे। बाद में बाबू जगजीवन राम की कांग्रेस फार डेमोक्रेसी ने भी जनता पार्टी में विलय कर लिया। जनता पार्टी ही कांग्रेस के खिलाफ मुख्य विरोधी दल था। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी को भारी सफलता मिली। 543 में से 352 सीट प्राप्त कर जनता पार्टी ने केन्द्र में प्रथम गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई।

प्रश्न 13.
1977 में सरकार बनाने के बाद जनता पार्टी के कौन से प्रमुख निर्णय थे?
उत्तर:
1977 में केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनने से चारों ओर खुशी का वातावरण था क्योंकि जनता को 18 महीने की आपातकाल की घुटन के बाद स्वरूप रूप में सांस लेने का अवसर मिला था। जनता पार्टी ने सरकार के बनने के बाद लोगों को राहत देने के लिए निम्न प्रमुख निर्णय लिये –

  1. जनता पार्टी ने आपातकाल में किये 42 वें संविधान संशोधन को सभी नकारात्मक प्रावधानों को समाप्त करते हुए 44वां संविधान संशोधन किया।
  2. लोकसभा व राज्य विधान सभाओं के कार्य काल को 6 वर्ष से 5 वर्ष कर दिया गया।
  3. राष्ट्रपति की स्थिति को पहले जैसी सम्मानजनक स्थिति प्रदान की।
  4. सम्पत्ति का मौलिक अधिकार समाप्त किया गया। अब यह केवल कानूनी अधिकार रह गया।
  5. न्यायपालिका का क्षेत्राधिकार पहले की तरह किया गया।
  6. आपत्तिजनक कानून जैसे डी.आई.आर. व पिसा समाप्त किये गये।
  7. मौलिक अधिकारों को नीति निर्देशक तत्वों के स्थान पर प्राथमिकता का स्थान दिया गया।

प्रश्न 14.
जनता पार्टी की सरकार किस प्रकार से गिरी?
उत्तर:
देश में 1977 के चुनाव के बाद प्रथम गैर-कांग्रेसी सरकार का बड़े उत्साह व उम्मीद के साथ स्वागत किया गया था परन्तु जल्द ही जनता को निराशा का मुँह देखना पड़ा। जनता पार्टी की सरकार बनने के समय में जनता पार्टी के घटकों में प्रधानमंत्री के पद को लेकर खींचातानी प्रारंभ हो गयी। प्रधानमंत्री के पद के लिए तीन घटकों के तीन दावेदार सामने आ गये थे कांग्रेस ओल्ड के श्री मोरारजी भाई देसाई, भारतीय लोकदल के चौधरी चरण सिंह व कांग्रेस फार डेमोक्रेसी के बाबू जगजीवन राम। अन्त में जय प्रकाश नारायण के हस्तक्षेप से मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री व जगजीवनराम व चरण सिंह को उपप्रधानमंत्री बनाया। इस प्रकार सभी घटकों में खींचा-तानी चलती रही। 1979 में चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी से अलग हो गये जिससे जनता पार्टी की सरकार गिर गई व जनता पार्टी में कई विभाजन हुए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आपातकाल स्थिति की घोषणा के कारण व इसके परिणामों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आपातकाल स्थिति की घोषणा के कारण:
श्रीमती इंदिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार ने देश में 25 जून 1975 को आपातकाल स्थिति की घोषणा के निम्न कारण हैं –

  1. देश में आन्तरिक गड़बड़ी।
  2. देश की एकता व अखण्डता को खतरा।
  3. आर्थिक संकट।
  4. पूरे देश के विभिन्न राज्यों में राजनीतिक आन्दोलन।
  5. चुनी हुई सरकारों का कार्य न करने देना।
  6. आन्दोलन कर्मियों के द्वारा पुलिस व सरकारी कर्मचारियों को बगावत के लिए उकसाना।
  7. प्रशासन का ठप्प हो जाना।
  8. अराजकता की स्थिति का पैदा होना।
  9. कानून व्यवस्था को लोगों के द्वारा अपने हाथों में लेना।
  10. विरोधी दलों का गैर-जिम्मेवार हो जाना।

आपातकाल स्थिति की घोषणा के परिणाम:
18 महीने चली आपातकाल स्थिति के अनेक भयंकर परिणाम रहे जिनमें प्रमुख निम्न हैं –

  1. बड़ी संख्या में विरोधी दलों के नेताओं की गिरफ्तारी।
  2. नागरिकों के मौलिक अधिकार का स्थगन।
  3. नागरिकों की स्वतंत्रताओं का हनन।
  4. न्यायपालिका की शक्तियाँ में कमी।
  5. नजबरन्दी निवारक कानून का दुरूपयोग।
  6. भारतीय संविधान के संघीय स्वरूप की समाप्ति।
  7. प्रेस व मीडिया की स्वतंत्रता की समाप्ति क्योंकि इन पर सेंसरशिप लागू कर दी गईं।
  8. 42 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन किये गये।
  9. राष्ट्रपति की स्थिति में परिवर्तन।
  10. पुलिस व नौकरशाही के द्वारा सत्ता का दुरूपयोग इस प्रकार से देश में उक्त कारणों से आपात स्थिति की घोषणा की गयी जिनके गम्भीर परिणामों भी सामने आये।

प्रश्न 2.
जनता पार्टी के बनने व टूटने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सत्तर का दशक भारतीय अर्थव्यवस्था व राजनीति दोनों के लिए दुखद रहा। विभिन्न कारणों से देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था। जिसके प्रमुख कारण 1971 के पाकिस्तान के युद्ध का परिणाम व इसका प्रभाव व प्राकृतिक विपदाओं का प्रभाव जैसे मानसून का फेल हो जाना व सूखा पड़ना आदि। इन कारणों से देश में अवाक वस्त्रों की कीमतें बहुत बह गयी जिमर्क कारण देश में असन्तोष फैल गया। इससे आर्थिक संकट की राजनीति प्रारम्भ हो गयी व देश के अनेक भागों में आन्दोलन प्रारम्भ हो गये। बिहार व गुजरात में ये आन्दोलन बड़े पैमाने पर हुए जिनका नेतृत्व विद्यार्थी वर्ग कर रहा था। जयप्रकाश नारायण व मोरारजी भाई देसाई भी इस आन्दोलन में विरोधी दलों के साथ हो गये।

आन्दोलन से उत्पन्न स्थिति के कारण श्रीमति इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी व विरोधी दलों के प्रमुख लागों को जेल में डाल दिया गया। 25 जून 1975 के 18 महीने बाद देश में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने संसदीय चुनावों की घोषणा की जेल में ही सभी विरोधी दलों ने यह निर्णय किया कि वे 1977 के चुनाव में इंदिरा गाँधी व कांग्रेस के खिलाफ एक पार्टी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेंगे ताकि कांग्रेस की हार को निश्चित किया जा सके। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए श्री जयप्रकाश नारायण व आचार्य कृपलानी की प्रेरणा से प्रमुख विरोधी दलों ने मिलकर व अपने दलों का एक दल में विलय करके जनता पार्टी का गठन किया।

1977 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ एक कार्यक्रम व एक नेता के तहत चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस को भारी सफलता मिली व कांग्रेस को देश के अधिकांश भाग में हार का मुंह देखना पड़ा। यहाँ तक की रायबरेली संसदीय चुनाव क्षेत्र से श्रीमती इंदिरा गाँधी चुनाव हार गयी। जनता पार्टी ने लोकसभा में 213 बहुमत प्राप्त कर केन्द्र में सरकार बनाई परन्तु जनता पार्टी अपनी इस ताकत के बोझ को झेल न सकी और बनने के साथ-साथ इसमें दरार पड़ गयी। प्रधानमंत्री के पद पर इसके घटक दलों में तनाव पैदा हो गया जो अन्ततः इसके विभाजन व जनता पार्टी की सरकार के पतन का कारण बना। लोकदल के चौधरी चरण सिंह अपने घटक के साथ अलग हो गये व श्रीमती इंदिरा गाँधी के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई जो केवल 4 महीने चली।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

I. निम्नलिखित विकल्पों में सही का चुनाव कीजिए

प्रश्न 1.
निम्न में से किस कारण से 1975 में आपातकाल स्थिति की घोषणा की?
(अ) आन्तरिक गड़बड़ी
(ब) बाहरी युद्ध
(स) वित्तीय संकट
(द) ग्रह युद्ध
उत्तर:
(अ) आन्तरिक गड़बड़ी

प्रश्न 2.
संविधान के किस अनुच्छेद के तहत आपातकाल स्थिति की घोषणा की?
(अ) 352
(ब) 356
(स) 358
(द) 360
उत्तर:
(अ) 352

प्रश्न 3.
सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा किसने दिया?
(अ) चौधरी चरण सिंह
(ब) राम मनोहर लोहिया
(स) जयप्रकाश नारायण
(द) आचार्य कृपलानी
उत्तर:
(स) जयप्रकाश नारायण

प्रश्न 4.
निम्न में से जनता पार्टी का घटक कौन-सा दल नहीं था?
(अ) भारतीय लोकदल
(ब) सोसलिस्ट पार्टी
(स) कांग्रेस फार डेमोक्रेसी
(द) कांग्रेस आई
उत्तर:
(द) कांग्रेस आई

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन कथन सही है?
(क) 25 जून, 1975 को इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की उद्घोषणा की।
(ख) आपातकाल के दौरान सभी विपक्षी दलों के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया।
(ग) लोकनायक जयप्रकाश ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया।
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
इंदिरा गाँधी ने भारत में आपताकाल की घोषणा कब की थी?
(क) 18 मई, 1975
(ख) 25 जून, 1975
(ग) 5 जुलाई, 1975
(घ) 10 अगस्त, 1975
उत्तर:
(ख) 25 जून, 1975

प्रश्न 7.
जनता पार्टी की सरकार कब बनी?
(क) 1974 में
(ख) 1977 में
(ग) 1980 में
(घ) 1983 में
उत्तर:
(ख) 1977 में

प्रश्न 8.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई?
(क) 1945 में
(ख) 1947 में
(ग) 1950 में
(घ) 1952 में
उत्तर:
(क) 1945 में

प्रश्न 9.
1975 में भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत की गई?
(क) अनुच्छेद, 352
(ख) अनुच्छेद, 355
(ग) अनुच्छेद, 356
(घ) अनुच्छेद, 360
उत्तर:
(क) अनुच्छेद, 352

प्रश्न 10.
1977 में पहली बार केन्द्र में गैर कांग्रेसी सरकार बनवाने का मुख्य श्रेय किन्हें दिया जाता है?
(क) जयप्रकाश नारायण
(ख) मोरारजी देसाई
(ग) जगजीवन राम
(घ) कृपलानी
उत्तर:
(क) जयप्रकाश नारायण

प्रश्न 11.
किस राजनीतिक दल ने 1975 में आपातकाल की घोषणा का स्वागत किया था?
(क) जनसंघ
(ख) अकाली दल
(ग) डी०एम०के०
(घ) सी०पी०आई०
उत्तर:
(घ) अकाली दल

प्रश्न 12.
1973 में तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश किन्हें बनाया गया था?
(क) न्यायमूर्ति के० सुव्वाराव
(ख) न्यायमूर्ति ए० एन० रे
(ग) न्यायमूर्ति वाई० चन्द्रचूड़
(घ) न्यायमूर्ति एच० आर० खन्ना
उत्तर:
(ख) न्यायमूर्ति ए० एन० रे

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-सा आपातकालीन घोषणा के संदर्भ में मेल नहीं खाता है –
(क) सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान
(ख) 1974 का रेल हड़ताल
(ग) नक्सलवादी आंदोलन
(घ) शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कर्ष
उत्तर:
(ग) नक्सलवादी आंदोलन

प्रश्न 14.
संविधान ने किस भाषा को राजभाषा का दर्जा दिया है?
(क) अंग्रेजी
(ख) हिन्दी
(ग) उर्दू
(घ) हिन्दुस्तानी
उत्तर:
(ख) हिन्दी

II. मिलान वाले प्रश्न एवं उनके उत्तर


उत्तर:
(1) – (य)
(2) – (स)
(3) – (द)
(4) – (अ)
(5) – (ब)


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