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Sunday, June 19, 2022

BSEB Class 12 Psychology Attitude and Social Cognition Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Psychology Attitude and Social Cognition Book Answers

BSEB Class 12 Psychology Attitude and Social Cognition Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Psychology Attitude and Social Cognition Book Answers
BSEB Class 12 Psychology Attitude and Social Cognition Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 12th Psychology Attitude and Social Cognition Book Answers


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Bihar Board Class 12th Psychology Attitude and Social Cognition Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 12th
Subject Psychology Attitude and Social Cognition
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Bihar Board Class 12 Psychology अभिवृत्ति एवं सामाजिक संज्ञान Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति के घटकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक प्रभाव के कारण लोक व्यक्ति के बारे में जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में एक दृष्टिकोण विकसित करते हैं जो उनके अंदर एक व्यवहारात्मक प्रवृत्ति के रूप में विद्यमान करती है अभिवृत्ति कहलाती है।

अभिवृत्ति के तीन घटक होते हैं –
भावात्मक, संज्ञानात्मक एवं व्यवहारात्मक। सांवेगिक घटक को भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है। विचारपरक घटक को संज्ञानात्मक पक्ष कहा जाता है। क्रिया करने की प्रवृत्ति को व्यवहारपरक या क्रियात्मक घटक कहा जाता है। इन तीनों घटकों को अभिवृत्ति का ए. बी. सी. घटक कहा जाता है। अभिवृत्ति स्वयं में व्यवहार नहीं है परंतु वह एक निश्चित प्रकार से व्यवहार या क्रिया करने की प्रवृत्ति को प्रकट करती है। ये संज्ञान के अंग हैं जो सांवेगिक घटक से युक्त होते तथा इनका बाहर से प्रेक्षण नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 2.
व्यक्ति को जानने की प्रक्रियाओं को समझाइए। छवि निर्माण और गुणारोपण किससे प्रभावित होते हैं?
उत्तर:
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है – छवि निर्माण और गुणारोपण। वह व्यक्ति जो छवि बनाता है उसे प्रत्यक्षकर्ता (Perceiver) कहते हैं। वह व्यक्ति जिसके बार में छवि बनाई जाती है उससे लक्ष्य (Target) कहा जाता है। प्रत्यक्षकर्ता लक्ष्य के गुणों के संबंध में सूचनाएँ एकत्र करता है या दी गई सूचना के प्रति अनुक्रिया करता है, सूचनाओं को संगठित करना है तथा लक्ष्य के बारे में निष्कर्ष निकालता है।

गुणारोपण में, प्रत्यक्षकर्ता इससे आगे बढ़ता है और व्याख्या करता है कि क्यों लक्ष्य ने किसी विशिष्ट प्रकार से व्यवहार किया। लक्ष्य के व्यवहार के लिए कारण देना गुणोरोपण का मुख्य तत्त्व है। प्रायः प्रत्यक्षकर्ता लक्ष्य के बारे में केवल एक छवि का निर्माण करती है, परंतु यदि परिस्थिति की माँग होती है तो लक्ष्य के लिए गुणारोपण भी कर सकता है।

छवि निर्माण एवं गुणारोपण निम्नांकित से प्रभावित होते हैं –

  1. प्रत्यक्षकर्ता को उपलब्ध सूचनाओं की प्रकृति
  2. प्रत्यक्षकर्ता के सामाजिक स्कीमा (रूढ़धारणाओं सहित)
  3. प्रत्यक्षकर्ता की व्यक्तिगत विशेषताएँ
  4. परिस्थितिजन्सय कारक

प्रश्न 3.
क्या व्यवहार सदैव व्यक्ति की अभिवृत्ति को प्रतिबिंबित करता है? एक प्रासंगिक उदाहरण देते हुए व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यक्ति प्राय:
यह अपेक्षा करता है कि व्यवहार अभिवृत्ति का तार्किक रूप से अनुसरण करे। हालाँकि एक व्यक्ति की अभिवृत्ति सदैव उसके व्यवहार के माध्यम से प्रदर्शित नहीं होती है। इसी प्रकार से एक व्यक्ति का वास्तविक व्यवहार व्यक्ति की विशिष्ट विषय के प्रति अभिवृत्ति का विरोधी हो सकता है।

अभिवृत्ति एवं व्यवहार में संगति तब हो सकती है, जब –

  1. अभिवृत्ति प्रबल हो और अभिवृत्ति तंत्र में एक केंद्रीय स्थान रखती हो।
  2. व्यक्ति अपनी अभिवृत्ति के प्रति सजग या जागरूक हो।
  3. किसी विशिष्ट तरीके से व्यवहार करने के लिए व्यक्ति पर बहुत कम या कोई बाह्य दबाव न हो। उदाहरणार्थ, जब किसी विशिष्ट मानक का पालन करने के लिए कोई समूह दबाव नहीं होता है।
  4. व्यक्ति का व्यवहार दूसरों के द्वारा देखा या मूल्यांकित न किया जा रहा हो।
  5. व्यक्ति यह सोचता हो कि व्यवहार का एक सकारात्मक परिणाम होगा एवं इसलिए, वह उस व्यवहार में संलिप्त होना चाहता है।

प्रश्न 4.
पूर्वाग्रह भेदभाव के बिना एवं भेदभाव पूर्वाग्रह के बिना रह सकता है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
पूर्वाग्रह के भेदभाव प्रदर्शित किया सकता है। फिर भी दोनों प्रायः साथ-साथ पाए जाते हैं जहाँ भी पूर्वाग्रह एवं भेदभाव रहता है वहाँ एक ही समाज के समूहों में अंतर्द्वद्व उत्पन्न होने को संभावना बहुत प्रबल होती है। हमारे स्वयं के समाज में लिंग, धर्म, समुदाय, जाति शारीरिक विकलांगत एवं बीमारियों; जैसे-एड्स पर आधारित, पूर्वाग्रहयुक्त या पूर्वाग्रहरहित, भेदभाव की अनेक खेदजनक या दु:खद घटनाओं को देखा है। इसके अतिरिक्त अनेक स्थितियों में भेदभावपूर्ण व्यवहार विधिक नियमों के द्वारा प्रतिबंधित या नियंत्रित किया जा सकता है परंतु पूर्वाग्रह के संज्ञानात्मक एवं भावात्मक घटकों को परिवर्तित करना बहुत कठिन है।

प्रश्न 5.
छवि निर्माण को प्रभावित करनेवाले महत्त्वपूर्ण कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
छवि निर्माण को प्रभावित करनेवाले महत्त्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं।

(I) छवि निर्माण की प्रक्रिया में निम्नलिखित तीन उप-प्रक्रियाएँ होती हैं –

(अ) चयन-हम लक्ष्य व्यक्ति के बारे में सूचनाओं की कुछ इकाइयों को ही ध्यान में रखते हैं।
(ब) संगठन-चयनित सूचनाएँ एक क्रमबद्ध या व्यवस्थित तरीके से जोड़ी जाती है।
(स) अनुमान-हम इस बारे में निष्कर्ष निकालते हैं कि लक्ष्य किस प्रकार का व्यक्ति है।

(II) छवि निर्माण को कुछ विशिष्ट गुण अन्य शीलगुणों की अपेक्षा अधिक प्रभावित करते हैं।

(III) जिस क्रम या अनुक्रम में सूचना प्रस्तुत की जाती है वह छवि निर्माण को प्रभावित करते हैं। बहुधा, पहले प्रस्तुत की जानेवाली सूचना के प्रभाव अंत में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना से अधिक प्रबल होती है। इसे प्रथम प्रभाव (Primacy effect) कहते हैं (प्रथम छवि टिकाऊ छवि होती है) यद्यपि यदि प्रत्यक्षणकर्ता को केवल प्रथम सूचना पर नहीं बल्कि सभी सूचनाओं पर ध्यान देने के लिए कहा जाए तब भी जो सूचनाएँ अंत में आती हैं उनका अधिक प्रबल प्रभाव होता है। यह आसन्नता प्रभाव (Recency effect) के नाम से जाना जाता है।

(IV) हम लोगों में यह सोचने की एक प्रवृत्ति होती है कि एक लक्ष्य व्यक्ति जिसमें सकारात्मक गुणों का एक समुच्चय है उसमें इस प्रथम समुच्चय से जुड़े दूसरे विशिष्ट सकारात्मक गुण भी होने चाहिए। यह परिवेश प्रभाव (halo effect) के रूप में जाना जाता है। उदाहरण के लिए, यदि हमें यह बताया जाता है कि एक व्यक्ति ‘सुव्यस्थित’ एवं ‘समयनिष्ट’ है तो हम लोगों में यह सोचने की संभावना है कि उस व्यक्ति को परिश्रमी’ भी होना चाहिए।

प्रश्न 6.
पूर्वाग्रह एवं रूढ़धारणा में विभेदन कीजिए।
उत्तर:
पूर्वाग्रह किसी विशिष्ट समूह के प्रति अभिवृति का उदाहरण है। ये प्रायः नकारात्मक होते हैं एवं अनेक स्थितियों में विशिष्ट समूह के संबंध में रूढ़धारणा (Stereotype) (संज्ञानात्मक घटक) पर आधारित होते हैं। एक रूढ़धारणा किसी विशिष्ट समूह की विशेषताओं से संबद्ध विचारों का एक पुंज या गुच्छा होती है। इस समूह के सभी सदस्य इन विशेषताओं से युक्त माने जाते हैं। प्रायः रूढ़धारणाएँ लक्ष्य समूह के बारे में अवांछित विशेषताओं से युक्त होती हैं और यह विशिष्ट समूह के सदस्यों के बारे में एक नकारात्मक अभिवृत्ति या पूर्वाग्रह को जन्म देती हैं। पूर्वाग्रह के संज्ञानात्मक घटक के साथ प्रायः नापसंद या घृणा का भी अर्थात् भावात्मक घटक जुड़ा होता है।

पूर्वाग्रह भेदभाव के रूप में, व्यवहारपरक घटक, रूपांतरित या अनुदित हो सकता है, जब लोग एक विशिष्ट लक्ष्य समूह के प्रति उस समूह की तुलना में जिसे वे पसंद करते हैं कम सकारात्मक तरीके से व्यवहार करने लगते हैं। इतिहास में प्रजाति एवं सामाजिक वर्ग या जाति पर आधारित भेदभाव के असंख्य उदाहरण हैं। जर्मनी में नाजियों के द्वारा यहूदियों के विरुद्ध किया गया प्रजाति-संहार पूर्वाग्रह की पराकाष्ठा का एक उदाहरण है जो यह प्रदर्शित करता है कि कैसे पूर्वाग्रह घृणा, भेदभाव निर्दोष लोगों को सामूहिक संहार की ओर ले जाता है।

प्रश्न 7.
परामर्श का अर्थ लिखें।
उत्तर:
परामर्श एक प्राचीन शब्द है फलतः इसके अनेक कार्य बताए गए हैं। वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार, “परामर्श का अर्थ पूछताछ, पारस्परिक तर्क-वितर्क या विचारों का पारस्परिक विनिमय है। “रॉबिन्सन ने परामर्श की अत्यन्त स्पष्ट परिभाषा देते हुए कहा कि परामर्श में वे सभी परिस्थितियाँ सम्मिलित कर ली जाती हैं, जिनसे परामर्श प्रार्थी अपने आपको पर्यावरण के अनुसार समायोजित करने में सहायता प्राप्त कर सकें। परामर्श दो व्यक्तियों से संबंध रखता है। परामर्शदाता तथा परामर्श प्रार्थी। परामर्श प्रार्थी की कुछ समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ होती हैं जिनको वह अकेला बिना किसी की राय या सुझाव के पूरा नहीं कर सकता है। इन समस्याओं के समाधान तथा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है और यह वैज्ञानिक राय या सुझाव ही परामर्श कहलाता है।

प्रश्न 8.
पूर्वधारणा का अर्थ लिखें।
उत्तर:
पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह अंग्रेजी भाषा के Predjudice का हिन्दी अनुवाद है जो लैटिन भाषा के Prejudicium से बना है। Pre का अर्थ है पहले और Judicium का अर्थ है निर्णय। इस दृष्टिकोण से पूर्वधारणा या पूर्वाग्रह का शाब्दिक अर्थ हुआ पूर्व निर्णय। इस प्रकार, पूर्वाग्रह जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के विपक्ष में पूरी तरह से जानकारी किए बिना ही किसी न किसी प्रकार का विचार अथवा धारणा बना बैठना है।

प्रश्न 9.
स्पष्ट कीजिए कि कैसे ‘कर्ता’ द्वारा किया गया गुणारोपण ‘प्रेक्षक’ के द्वारा किए गए गुणारोपण से भिन्न होगा?
उत्तर:
किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किए जानेवाले गुणारोपण (कर्ता भूमिका) तथा दूसरे व्यक्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किये जानेवाले गुणारोपण (प्रेक्षक-भूमिका) के मध्य भी अंतर पाया जाता है। इसे कर्ता – प्रेक्षक प्रभाव (Actor-observer effect) कहा जाता है। उदाहरणार्थ, यदि कोई छात्र स्वयं एक परीक्षा में अच्छे अंक अर्जित करता है तो इसका गुणारोपण स्वयं की योग्यता या कठोर परिश्रम पर करेगा।

कर्ता-भूमिका एक सकारात्मक अनुभव के आतंरिक गुणारोपण यदि वह खराब अंक पाता है तो वह कहेगा कि यह इसलिए हुआ क्योंकि वह दुर्भाग्यशाली था, या परीक्षा बहुत कठिन थी। (कर्ता भूमिका, एक नकारात्मक अनुभव के लिए बाह्य गुणारोपण)। दूसरी ओर, यदि उसका एक सहपाठी इस परीक्षा में अच्छे अंक पाता है तो वह उसकी सफलता को उसके अच्छे भाग्य या सरल परीक्षा पर आरोपित करेगा। (प्रेक्षक भूमिका एक सकारात्मक अनुभव के लिए बाह्य गुणारोपण)। यदि वही सहपाठी खराब अंक पाता है तो उसके यह कहने की संभावना है कि अपनी कम योग्यता या प्रयास की कमी के कारण असफल रहा। (प्रेक्षक भूमिका, एक नकारात्मक अनुभव के लिए आंतरिक गुणारोपण) कर्ता एवं प्रेक्षक भूमिकाओं में अंतर का मूल कारण यह है कि लोग दूसरों की तुलना में अपनी छवि चाहते हैं।

प्रश्न 10.
सामाजिक संज्ञान किसे कहते हैं? सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं का प्रक्रमण भौतिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं के प्रक्रमण से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर:
सामाजिक संज्ञान (Social congnition) उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचना को प्राप्त करने और उनका प्रक्रमण करने से जुड़े हैं। इनमें वे सभी प्रक्रियाएँ आती हैं जो सामाजिक व्यवहार को समझने, उनकी व्याख्या एवं विवेचना करने में सहायक होती हैं। सामाजिक वस्तुओं (विशेष रूप से व्यक्तियों, समूहों, लोगों से संबंधों, सामाजिक मदों इत्यादि) से संबद्ध सूचनाओं के प्रक्रमण भौतिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं के प्रक्रमण से भिन्न होता है।

जैसे ही संज्ञानात्मक प्रक्रमण प्रारंभ होता है। सामाजिक वस्तु के रूप में लोग स्वयं को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक अध्यापक जो एक विद्यार्थी को विद्यालय में देखता है उसके बारे में ऐसे निष्कर्ष निकाल सकता है जो उसकी माता द्वारा निकाले गए निष्कर्ष से सर्वथा भिन्न हो सकता है, जो उसे घर के परिवेश में देखती है। विद्यार्थी अपने व्यवहार में अंतर प्रदर्शित कर सकता है, यह इस बात पर निर्भर है कि उसको कौन देख रहा है – एक अध्यापक या एक माता। सामाजिक संज्ञान मानसिक इकाइयों, जिन्हें स्कीमा कहा जाता है, के द्वारा निर्देशित होते हैं।

प्रश्न 11.
समाजोपकारी व्यवहार के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दूसरों का भला करना एवं उनके लिए सहायक होना विश्व में एक सद्गुण की तरह वर्णित किया गया है। सभी धर्मों में यह सिखाया जाता है कि हम लोगों को उनकी मदद करनी चाहिए तो जरूरतमंद हैं। इस व्यवहार को समाजोपकारी व्यवहार कहा जाता है। अपनी चीजों को दूसरों के साथ बाँटना, दूसरों के साथ सहयोग करना, प्राकृतिक विपत्तियों के समय सहायता करना, सहानुभूति का प्रदर्शन करना, दूसरों का समर्थन करना या उनका पक्ष लेना एवं सहायतार्थ दान देना समाजोपकारी व्यवहार के कुछ सामान्य उदाहरण हैं।
समाजोपकारी व्यवहार की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं –

  1. इसमें दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने या उनका भला करने का लक्ष्य होना चाहिए।
  2. इसके बदले में किसी चीज की अपेक्षा किए बिना किया जाना चाहिए।
  3. यह व्यक्ति द्वारा स्वेच्छा से किया जाना चाहिए, न किसी प्रकार के दबाव के कारण।
  4. इसमें सहायता करनेवाले व्यक्ति के लिए कुछ कठिनाइयाँ निहित होती हैं या उसे कुछ ‘कीमत’ चुकानी पड़ती है।

उदाहरण के लिए, यदि एक धनी व्यक्ति अवैध तरीके से प्राप्त किया गया बहुत सारा धन इस आशय के दान करता है कि उसका चित्र एवं नाम समाचारपत्रों में छप जाएगा तो इसे ‘समाजोपकारी व्यवहार’ नहीं कहा जा सकता है। यद्यपि यह दान बहुत-से लोगों का भला कर सकता है।

समाजोपकारी व्यवहार का बहुत अधिक मूल्य और महत्त्व होने के बावजूद बहुधा लोग ऐसे व्यवहार का प्रदर्शन नहीं करते हैं। 11 जुलाई, 2006 के मुंबई विस्फोट के तत्काल बाद हमारा समुदाय जिस किसी भी प्रकार से हो सका, विस्फोट पीड़ितों की सहायता के लिए आगे आया। इसमें विपरीत, एक पूर्व घटना जिसमें मुंबई में एक चलती हुई उपनगरीय रेलगाड़ी में एक लड़की का पर्स छीन लिया गया, कोई भी व्यक्ति उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया। दूसरे यात्रियों ने उनकी सहायता के लिए कुछ नहीं किया और लड़की को रेलगाड़ी से फेंक दिया गया। जहाँ तक कि जब लड़की रेल की पटरियों पर घायल पड़ी थी, उस क्षेत्र के आसपास के भवनों में रहनेवाले लोग भी उसकी मदद को नहीं आए।

प्रश्न 12.
आपका मित्र बहुत अधिक अस्वास्थ्यकर भोजन करता है, आप भोजन के प्रति उसकी अभिवृत्ति में किस प्रकार से परिवर्तन लाएँगे? अथवा, लियान फेस्टिंगर के संज्ञानात्मक विसंवादिता के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मैं अपने मित्र के साथ बहुत अधिक अस्वास्थ्यकर भोजन करने की अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने की कोशिश करूँगा। इसके लिए सियान फेस्टिंगर द्वारा प्रतिपादित संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति का संप्रत्यय का उपयोग किया जा सकता है। यह संज्ञानात्मक घट पर बल देता है। जहाँ पर आधारभूत तत्त्व यह है कि एक अभिवृत्ति के संज्ञानात्मक घटक निश्चित रूप से संवादी होने चाहिए उन्हें तार्किक रूप से एक-दूसरे के समान होना चाहिए। यदि एक व्यक्ति यह अनुभव करता है कि एक अभिवृत्ति में दो संज्ञान विसंवादी है तो इनमें एक संवादी की दिशा में परिवर्तित कर दिया जायगा। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित विचारों (संज्ञान) को लिया जा सकता है –

संज्ञान – 1: बहुत अधिक अस्वास्थ्यकर भोजन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।
संज्ञान – 2: मैं बहुत अस्वास्थ्यकर भोजन करता हूँ।

इन दोनों विचारों या संज्ञानों को मन में रखना किसी भी व्यक्ति को यह अनुभव करने के लिए प्रेरित करेगा कि अत्यधिक अस्वास्थ्यकर भोजन के प्रति अभिवृत्ति में कुछ न कुछ एक-दूसरे से संवादी है। अतः, इनमें से किसी एक विचार को बदल देना होगा जिससे कि संवादिता प्राप्त की जा सके। उस उदाहरण में विसंगित दूर करनेया कम करने के लिए अत्यधिक अस्वास्थ्यकर भोजन करना छोड़ देगा। यह विसंगित कम करने का स्वस्थ, तार्किक एवं अर्थपूर्ण तरीका होगा।

Bihar Board Class 12 Psychology अभिवृत्ति एवं सामाजिक संज्ञान Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सामाजिक अवरोध क्या है?
उत्तर:
सामाजिक अवरोध का अर्थ है दूसरों की उपस्थिति में अपरिचित अथवा नए कार्यों को निष्पादन में कमी।

प्रश्न 2.
समाजोपकारी व्यवहार किसे कहते हैं?
उत्तर:
वैसे व्यवहार जो संकटग्रस्त या जरूरतमंद लोगों के प्रति ध्यान देते हैं या सहायता करते हैं, समाजोपकारी व्यवहार कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति मन की एक अवस्था है, किसी विषय के संबंध में विचारों का एक पुंज है जिसमें एक मूल्यांकनपरक विशेषता (सकारात्मक, नकारात्मक अथवा तटस्थता का गुण) पाई जाती है।

प्रश्न 4.
अभिवृत्ति के तीन घटक कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
अभिवृत्ति के तीन घटक हैं –

  1. विचारपरक घटक
  2. सांवेगिक घटक और
  3. क्रियात्मक घटक

प्रश्न 5.
विचारपरक घटक को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
विचारपरक घटक को संज्ञानात्मक पक्ष कहा जाता है।

प्रश्न 6.
सांवेगिक घटक को किस रूप में जाना जाता है?
उत्तर:
सांवेगिक घटक को भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 7.
अभिवृत्ति के क्रियात्मक घटक को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
अभिवृत्ति के क्रियात्मक घटक को व्यवहारपरक के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 8.
अभिवृत्ति के तीनों घटकों को संक्षेप में क्या कहा जाता है?
उत्तर:
संक्षेप में अभिवृत्ति के तीनों घटकों का उनके अंग्रेजी नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर अभिवृत्ति का ए.बी.सी. घटक कहा जाता है।

प्रश्न 9.
अभिवृत्ति के दो संप्रत्यय के नाम लिखिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति के दो संप्रत्यय हैं-विश्वास और मूल्य।

प्रश्न 10.
अभिवृत्ति की कितनी प्रमुख विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
अभिवृत्ति की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 11.
अभिवृत्ति की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति की प्रमुख विशेषताएँ हैं –

  1. कर्षण-शक्ति (सकारात्मकता या नकारात्मकता)
  2. चरम सीमा
  3. सरलता या जटिलता बहुविधता तथा
  4. केन्द्रिकता

प्रश्न 12.
अभिवृत्ति क्या है?
उत्तर:
सामाजिक प्रभाव के कारण लोक व्यक्ति के बारे में तथा जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में एक दृष्टिकोण विकसित करते हैं तो उनके अंदर एक व्यवहारात्मक प्रवृत्ति के रूप में विद्यमान रहती है, अभिवृत्ति कहलाती है।

प्रश्न 13.
छवि निर्माण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब हम लोगों से मिलते हैं जब हम उनके व्यक्तिगत गुणों या विशेषताओं के बारे। में अनुमान लगाते हैं इसे ही छवि निर्माण कहा जाता है।

प्रश्न 14.
गुणारोपण किस प्रक्रिया को कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में प्रदर्शित व्यवहार के कारणों का आरोपण की प्रक्रिया को गुणारोपण कहते हैं।

प्रश्न 15.
सामाजिक संज्ञान को परिभाषित करें।
उत्तर:
उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं का समुच्चय या पुंज जो हमारे आसपास के सामाजिक संसार को समझने में निहित है उसे सामाजिक संज्ञान कहा जाता है।

प्रश्न 16.
किन तीन प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से सामाजिक संज्ञान कहा जाता है?
उत्तर:
अभिवृत्ति, छवि निर्माण और गुणारोपण की प्रक्रिया को संयुक्त रूप से सामाजिक संज्ञान कहा जाता है।

प्रश्न 17.
प्रेक्षणीय व्यवहार के रूप में सामाजिक प्रभाव को प्रदर्शित करनेवाले कुछ उदाहरण दें।
उत्तर:
प्रेक्षणीय व्यवहार के रूप में सामाजिक प्रभाव को प्रदर्शित करने वाले कुछ उदाहरण हैं-सामाजिक सुगमीकरण/अवरोध तथा समाजोन्मुख या समाजोपकारी व्यवहार।

प्रश्न 18.
सामाजिक सुगमीकरण का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सामाजिक सुगमीकरण का तात्पर्य है दूसरों की उपस्थिति में किसी कार्य के निष्पादन में सुधार।

प्रश्न 19.
द्विस्तरीय संप्रत्यय को किसने प्रस्तावित किया?
उत्तर:
द्विस्तरीय संप्रत्यय को एक भारतीय वैज्ञानिक एम.एम. मोहसिन ने प्रस्तावित किया।

प्रश्न 20.
तादात्म्य स्थापित करने का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
तादात्म्य स्थापित करने का आशय है कि लक्ष्य स्रोत को पसंद करता है एवं उसके प्रति एक सम्मान रखता है। वह स्वयं को लक्ष्य के स्थान पर रखकर उसके जैसा अनुभव करने का प्रयास करता है।

प्रश्न 21.
द्विस्तरीय संप्रत्यय के प्रथम स्तर या चरण में क्या होता है?
उत्तर:
प्रथम स्तर या चरण में परिवर्तन का लक्ष्य स्रोत से तादात्म्य स्थापित करता है।

प्रश्न 22.
अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करनेवाले कारक कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करनेवाले कारक निम्न हैं –
अभिवृत्ति की विशेषताएँ, स्रोत की विशेषताएँ, संदेश की विशेषताएँ एवं लक्ष्य की विशेषताएँ।

प्रश्न 23.
स्रोत की कौन-सी दो विशेषताएँ अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
स्रोत की विश्वसनीयता एवं आकर्षकता ये दो विशेषताएँ अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 24.
लक्ष्य के कौन-कौन-से गुण अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
लक्ष्य के गुण जैसे-अनुनयता, प्रबल पूर्वाग्रह, आत्म सम्मान एवं बुद्धि अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 25.
कर्षण-शक्ति हमें क्या बताती है?
उत्तर:
अभिवृत्ति की कर्षण-शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति सकारात्मक है अथवा नकारात्मक।

प्रश्न 26.
अभिवृत्ति की चरम सीमा क्या इंगित करती है?
उत्तर:
अभिवृत्ति की चरम सीमा यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किस सीमा तक सकारात्मक या नकारात्मक है।

प्रश्न 27.
अभिवृत्ति की विशेषता सरलता या जटिलता का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इस विशेषता से तात्पर्य है कि एक व्यापक अभिवृत्ति की कितनी अभिवृत्तियाँ होती हैं। जब अभिवृत्ति तंत्र में एक या बहुत थोड़ी-सी अभिवृत्तियाँ हों तो उसे सरल और जब वह अनेक अभिवृत्तियों से बना हो तो उसे ‘जटिल’ कहा जाता है।

प्रश्न 28.
विश्वास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विश्वास, अभिवृत्ति के संज्ञानात्मक घटक को इंगित करते हैं तथा ऐसे आधार का निर्माण करते हैं जिन पर अभिवृत्ति टिकी है; जैसे-ईश्वर में विश्वास।

प्रश्न 29.
‘मूल्य’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मूल्य, ऐसी अभिवृत्ति या विश्वास है जिसमें ‘चाहिए’ का पक्ष निहित रहता है; जैसे-आचारपरक या नैतिक मूल्य।

प्रश्न 30.
एक ऐसी अभिवृत्ति का उदाहरण दें जिसमें अनेक अभिवृत्तियाँ पाई जाती हों।
उत्तर:
स्वास्थ्य एवं कुशल-क्षेम के प्रति अभिवृत्ति जिसमें अनेक अभिवृत्तियाँ पाई जाती हैं; जैसे-शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का सम्प्रत्यय, प्रसन्नता एवं कुशल-क्षेम के प्रति उसका दृष्टिकोण एवं व्यक्ति की स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता प्राप्त करने के संबंध में उसका विश्वास एवं मान्यताएँ।

प्रश्न 31.
केन्द्रिकता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
केन्द्रिकता अभिवृत्ति तंत्र में किसी विशिष्ट अभिवृत्ति की भूमिका को बताता है।

प्रश्न 32.
कौन-कौन से कारक अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए एक संदर्भ प्रदान करते हैं?
उत्तर:
अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए संदर्भ प्रदान करनेवाले कारक हैं-परिवार एवं विद्यालय का परिवेश, संदर्भ समूह, व्यक्तिगत अनुभव और संचार माध्यम संबद्ध प्रभाव।

प्रश्न 33.
संतुलन के संप्रत्यय को किसने प्रस्तावित किया?
उत्तर:
फ्रिट्ज हाइडर ने संतुलन के संप्रत्यय को प्रस्तावित किया।

प्रश्न 34.
संतुलन के संप्रत्यय को किस रूप में कभी-कभी व्यक्त किया जाता है?
उत्तर:
संतुलन के संप्रत्यय को कभी-कभी पी-ओ-एक्स त्रिकोण के रूप में व्यक्त किया जाता है।

प्रश्न 35.
लियॉन फेस्टिंगर ने किसका संप्रत्यय प्रतिपादित किया?
उत्तर:
लियॉन फेस्टिगर ने संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति का संप्रत्यय प्रतिपादित किया।

प्रश्न 36.
संज्ञानात्मक विसंवादित या विसंगति का संप्रत्यय किस घटक पर बल देता है?
उत्तर:
संज्ञानात्मक विसंवादित या संज्ञानात्मक घटक पर बल देता है।

प्रश्न 37.
संज्ञानात्मक संगति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संज्ञानात्मक संगति का अर्थ है कि अभिवृत्ति या अभिवृत्ति तंत्र के दो घटकों, पक्षों का तत्वों को एक दिशा में होना चाहिए एवं प्रत्येक तत्व को तार्किक रूप से एक समान होना चाहिए।

प्रश्न 38.
संज्ञानात्मक संगति के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
संतुलन एवं संज्ञानात्मक विसंवादिता दोनों संज्ञानात्मक संगति के उदाहरण हैं।

प्रश्न 39.
एक स्कीमा या अन्विति योजना क्या है?
उत्तर:
एक स्कीमार या अन्विति योजना एक ऐसी मानसिक संरचना है जो किसी वस्तु के बारे में सूचना के प्रक्रमण के लिए एक रूपरेखा, नियमों का समूह या दिशा-निर्देश प्रदान करती है। ये हमारी स्मृति में संग्रहित मौलिक इकाइयाँ हैं तथा ये सूचना प्रक्रमण के लिए आशुलिपि की तरह कार्य करती हैं।

प्रश्न 40.
सामाजिक स्कीमा किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामाजिक संज्ञान के संदर्भ में मौलिक इकाइयाँ सामाजिक स्कीमा होती हैं।

प्रश्न 41.
किस प्रकार के स्कीमा को आद्यरूप कहा जाता है?
उत्तर:
वे स्कीमा जो संवर्ग के रूप में कार्य करती हैं, उन्हें आद्यरूप कहा जाता है।

प्रश्न 42.
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  1. छवि निर्माण तथा
  2. गणारोपण

प्रश्न 43.
प्रत्यक्षणकर्ता कौन होता है?
उत्तर:
वह व्यक्ति जो छवि बनाता है, उसे प्रत्यक्षणकर्ता कहते हैं।

प्रश्न 44.
लक्ष्य किसे कहा जाता है?
उत्तर:
वह व्यक्ति जिसके बारे में छवि बनाई जाती है, उसे लक्ष्य कहा जाता है।

प्रश्न 45.
प्रत्यक्षणकर्ता के कार्य क्या हैं?
उत्तर:
प्रत्यक्षणकर्ता लक्ष्य के गुणों के संबंध में सूचनाएँ एकत्र करता है या दी गई सूचना के प्रति अनुक्रिया करता है, सूचनाओं को संगठित करता है तथा लक्ष्य के बारे में निष्कर्ष निकालता है।

प्रश्न 46.
गुणारोपण में प्रत्यक्षणकर्ता क्या करता है?
उत्तर:
गुणारोपण में प्रत्यक्षणकर्ता व्याख्या करता है कि क्यों लक्ष्य ने किसी विशिष्ट प्रकार से व्यवहार किया।

प्रश्न 47.
गुणारोपण का मुख्य तत्त्व क्या है?
उत्तर:
लक्ष्य के व्यवहार के लिए कारण देना गुणारोपण का मुख्य तत्त्व है।

प्रश्न 48.
छवि निर्माण की प्रक्रिया में तीन कौन-सी उप-प्रक्रियाएँ होती हैं?
उत्तर:
छवि निर्माण की प्रक्रिया में तीन उप-प्रक्रियाएँ होती हैं-चयन, संगठन और अनुमान।

प्रश्न 49.
प्रथम प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पहले प्रस्तुत की जानेवाली सूचना का प्रभाव में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना से अधिक प्रबल होती है। इसे प्रथम प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 50.
मूल गुणारोपण त्रुटि किसे कहते हैं?
उत्तर:
गुणारोपण करने में लोगों में आंतरिक या प्रवृत्तिपरक कारकों को बाह्य या परिस्थितिजन्य कारकों की अपेक्षा अधिक महत्त्व देने की एक समग्र प्रवृत्ति पाई जाती है। इसे ही मूल गुणारोपण त्रुटि कहा जाता है।

प्रश्न 51.
कर्ता भूमिका और प्रेक्षक भूमिका के मध्य मुख्य अंतर क्या हैं?
उत्तर:
किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किये जानेवाले गुणारोपण कर्ता भूमिका कहलाता है जबकि दूसरे व्यक्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किये जानेवाले गुणारोपण प्रक्षेक भूमिका कहलाता है।

प्रश्न 52.
सामाजिक स्वैराचर या सामाजिक श्रमाव-नयन क्या है?
उत्तर:
यदि हम समूह में एक साथ कार्य कर रहे हैं तो जितना ही बड़ा समूह होगा उतना ही कम प्रयास प्रत्येक सदस्य करेगा। दायित्व के विसरण पर आधारित इस गोचर को सामाजिक स्वरौचार या सामाजिक श्रमावनयन हैं।

प्रश्न 53.
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करनेवाले कौन-कौन से कारक हैं?
उत्तर:
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करनेवाले कारक निम्नलिखित हैं:

  1. परिवार एवं विद्यालय का परिवेश
  2. संदर्भ समूह
  3. व्यक्तिगत अनुभव
  4. संचार माध्यम संबंद्ध प्रभाव

प्रश्न 54.
आसन्नता प्रभाव क्या है?
उत्तर:
सभी सूचनाओं पर ध्यान देने पर सूचनाएँ अंत में आती हैं उनका अधिक प्रबल प्रभाव होता है। यह आसन्नता प्रभाव के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 55.
पूर्वाग्रह को परिभाषित करें।
उत्तर:
पूर्वाग्रह किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति है एवं अनेक स्थितियों में विशिष्ट समूह के संबंध में रूढ़धारणा पर आधारित होते हैं।

प्रश्न 56.
रूढ़धारणा किसे कहते हैं?
उत्तर:
रूढ़धारणा जो कि एक प्रकार का सामाजिक स्कीमा है में एक विशिष्ट समूह के प्रति अति सामन्यीकृत विश्वास होता है जो प्रायः पूर्वाग्रहों को उत्पन्न करता है एवं उन्हें दृढ़ता प्रदान करता है।

प्रश्न 57.
पूर्वाग्रह किन स्रोतों के द्वारा अधिगमित किए जा सकते हैं?
उत्तर:
पूर्वाग्रह साहचर्य, पुरस्कार एवं दंड, दूसरों के प्रेक्षण, समूह या संस्कृति के मानक तथा सूचनाओं की उपलब्धता, परिवार, संदर्भ समूह, व्यक्तिगत अनुभव तथा संचार माध्यम के द्वारा अधिगमित किये जा सकते हैं।

प्रश्न 58.
संज्ञान क्या है?
उत्तर:
संज्ञान उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सूचना को प्राप्त करने और उसके प्रक्रमण से जुड़ हैं।

प्रश्न 59.
सामाजिक संज्ञान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सामाजिक संज्ञान उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचना को प्राप्त करने और उनका प्रक्रमण करने से जुड़े हैं। इनमें वे सभी प्रक्रियाएँ आती हैं जो सामाजिक व्यवहार को समझने, उनकी व्याख्या करने एवं विवेचना करने. में सहायक होती हैं।

प्रश्न 60.
सामाजिक संज्ञान किससे निर्देशित होते हैं?
उत्तर:
सामाजिक संज्ञान मानसिक इकाइयों जिन्हें स्कीमा अन्विति योजना कहते हैं, के द्वारा निर्देशित होते हैं।

प्रश्न 61.
‘परहितवाद’ क्या है?
उत्तर:
परहितवाद का अर्थ है बिना किसी आत्महित के भाव के दूसरों के लिए कुछ करना उनके कल्याण के बारे में सोचना।

प्रश्न 62.
दूसरों की उपस्थिति का कार्य निष्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कार्य निष्पादन को दूसरों की उपस्थिति से सहज किया जा सकता है एवं सुधारा जा संकता है या अवरुद्ध अथवा खराब किया जा सकता है।

प्रश्न 63.
परिवेश प्रभाव क्या होता है?
उत्तर:
एक लक्ष्य व्यक्ति जिसमें सकारात्मक गुणों का एक समुच्चय है उसमें इस प्रथम समुच्चय से जुड़े दूसरे विशिष्ट सकारात्मक गुण भी होने चाहिए। यह परिवेश प्रभाव के रूप जाना जाता है।

प्रश्न 64.
दूसरों की उपस्थिति में किन कारणों से विशिष्ट कार्य का निष्पादन प्रभावित होता है?
उत्तर:
दूसरों की उपस्थिति में बेहतर कार्यों का निष्पादन निम्न कारणों से प्रभावित होता है-भाव प्रबोधन, मूल्यांकन, बोध, कार्य की प्रकृति एवं सह क्रिया परिस्थिति।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विश्वास और मूल्य में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्वास अभिवृत्ति के संज्ञानात्मक घटक को इंगित करते हैं तथा ऐसे आधार का निर्माण करते हैं जिन अभिवृत्ति टिकी है, जैसे ईश्वर में विश्वास या राजनीतिक विचारधारा के रूप में प्रजातंत्र में विश्वास। मूल्य, ऐसी अभिवृत्ति या विश्वास है जिसमें ‘चाहिए’ का पक्ष निहित रहता है; जैसे-आचारपरक या नैतिक मूल्य। एक व्यक्ति को मेहनत करनी चाहिए, या एक व्यक्ति को हमेशा ईमानदार रहना चाहिए, क्योंकि ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है, ऐसे विचार मूल्य के उदाहरण हैं। मूल्य का निर्माण तब होता है जब कोई विशिष्ट विश्वास या अभिवृत्ति व्यक्ति के जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण का एक अभिन्न अंग बन जाती है। इसे परिणामस्वरूप मूल्य में परिवर्तन करना कठिन है।

प्रश्न 2.
स्रोत की विशेषताएँ किस प्रकार अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
स्रोत की विश्वसनीयता (Credibility) एवं आकर्षकता (Attractiveness) ये दो विशेषताएँ हैं जो अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं। अभिवृत्तियों में परिवर्तन तब अधिक संभव है जब सूचना एक उच्च विश्वसनीय स्रोत से आती है न कि एक निम्न विश्वसनीय स्रोत से। उदाहरणार्थ, जो युवक एक लैपटॉप खरीदने की योजना बना रहे हैं वे एक कंप्यूटर इंजीनियर, या उन्हें लैपटाप के एक विशिष्ट ब्रांड की विशिष्ट विशेषताओं को बताता है, जो अधिक प्रभावित होंगे तुलना में एक स्कूली बच्चे से जो संभव है कि उन्हें बड़ी सूचनाएँ प्रदान करें। परंतु यदि खरीदार स्वयं स्कूल के बच्चे हैं तो वे लैपटाप का विज्ञापन करनेवाले स्कूल के दूसरे बालक से अधिक प्रभावित होंगे तुलना में उसी प्रकार की सूचना देनेवाले एक व्यावसायिक व्यक्ति से। कुछ दूसरे उत्पादों, जैसे-कार की बिक्री को बढ़ाया जा सकता है यदि उनका प्रचार विशेषज्ञों से न कराकर किसी लोकप्रिय हस्ती से कराया जाए।

प्रश्न 3.
लक्ष्य से विभिन्न गुण अभिवृत्ति परिवर्तन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
लक्ष्य के गुण, जैसे अनुनयता, प्रबल पूर्वाग्रह, आत्म-सम्मान और वृद्धि अभिवृत्ति परिवर्तन का संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं। वे लोग जिनका व्यक्ति अधिक खुला एवं लचीला होता है, आसानी से परिवर्तित हो जाते हैं। कम प्रबल पूर्वाग्रह वाले लोगों की तुलना में प्रबल पूर्वाग्रह रखनेवाले अभिवृत्ति परिवर्तन के लिए कम प्रवण होते हैं। उच्च आत्म-सम्मान वालों की तुलना में वैसे लोग जिनमें आत्म-विश्वास नहीं होता है अपनी अभिवृत्तियों में आसानी से परिवर्तन कर लेते हैं। कम वृद्धि वाले लोगों की तुलना में अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों में अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना कम होती है। हालाँकि, कभी-कभी अधिक बुद्धिमान व्यक्ति कम बुद्धि वाले व्यक्तियों की तुलना में अपनी अभिवृत्ति को अधिक सूचना एवं चिंतन पर आधारित करते हैं।

प्रश्न 4.
पूर्वाग्रह नियंत्रण की युक्तियों को किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है? उन लक्ष्यों को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
पूर्वाग्रहों नियंत्रण की युक्तियाँ तब अधिक प्रभावी होंगी जब उनका प्रयास होगा –

(अ) पूर्वाग्रहों के अधिगम के अवसरों को कम करना।
(ब) ऐसी अभिवृत्तियों को परिवर्तित करना।
(स) अंत:समूह पर आधारित संकुचित सामाजिक अनन्यता के महत्त्व को कम करना।
(द) पूर्वाग्रह के शिकार लोगों में स्वतः साधक भविष्योक्ति की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना। इन लक्ष्यों को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है।

1. शिक्षा एवं सूचना के प्रसार द्वारा विशिष्ट समूह से संबद्ध रूढ़ धारणाओं को संशोधित करना एवं प्रबल अंतः समूह अभिनति की समस्या से निपटना।

2. अंत: समूह संपर्क को बढ़ाना प्रत्यक्ष संपेषण, समूहों के मध्य अविश्वास को दूर करने तथा बाह्य समूह के सकारात्मक गुणों को खोज करने का अवसर प्रदान करना है। हालाँकि ये युक्तियाँ तभी सफल होती हैं, जब दो समूह प्रतियोगी संदर्भ के स्थान पर एक सहयोगी संदर्भ में मिलते हैं। समूहों के मध्य घनिष्ठ अंत:क्रिया एक दूसरे को समझने या जानने में सहायता करती है। दोनों समूह शक्ति या प्रतिष्ठा में भिन्न नहीं होते हैं।

3. समूह अनन्यता की जगह व्यक्तिगत अनन्यता को विशिष्टता प्रदान करना अर्थात् दूसरे व्यक्ति के मूल्यांकन के आधार के रूप में समूह (अंतः एवं बाह्य दोनों ही समूह) के महत्त्व को बलहीन करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
अभिवृत्ति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं-कर्षण-शक्ति, चरम-सीमा, सरलता या जटिलता तथा केंद्रिकता।

1. कर्षण-शक्ति (सकारात्मक या नकारात्मक):
अभिवृत्ति की कर्षण-शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति-विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति सकारात्मक है अथवा नकारात्मक। उदाहरण के लिए यदि किसी अभिवृत्ति (जैसे-नाभिकीय शोध के प्रति अभिवृत्ति) को 5 बिंदु मापनी व्यक्त करना है जिसका प्रसार

  • (बहुत खराब)
  • (खराब)
  • (तटस्थ-न खराब न अच्छा)
  • (अच्छा) से
  • (बहुत अच्छा) तक है। यदि कोई व्यक्ति नाभिकीय शोध के प्रति अपने दृष्टिकोण या मत का आकलन इस मापनी या 4 या 5 करता है तो स्पष्ट रूप से यह एक सकारात्मक अभिवृत्ति है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति नाभिकीय शोध के विचार को पसंद करता है तथा सोचता है कि यह कोई अच्छी चीज है।
  • दूसरी ओर यदि आकलित मूल्य 1 या 2 है तो अभिवृत्ति नकारात्मक है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति नाभिकीय शोध के विचार को नापंसद करता है एवं सोचता है कि यह कोई खराब चीज है।
  • हम तटस्थ अभिवृत्तियों को भी स्थान देते हैं। यदि इस उदाहरण में नाभिकीय शोध के प्रति तटस्थ अभिवृत्ति इस मापनी पर अंक 3 के द्वार प्रदर्शित की जाएगी। एक तटस्थ अभिवृत्ति में कर्षण-शक्ति न तो सकारात्मक होगी, न ही नकारात्मक।

2. चरम-सीमा-एक अभिवृत्ति की चरम-सीमा यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किस सीमा तक सकारात्मक या नकारात्मक है। नाभिकीय शोध के उपयुक्त उदाहरण में मापनी मूल्य ‘1’ उसी चरम-सीमा का है जितना कि ‘5’। बस अंतर इतना है कि दोनों ही विपरीत दिशा में है। तटस्थ अभिवृत्ति नि:संदेह न्यूनतम तीव्रता की है।

3. सरलता या जटिलता (बहुविधता)-इस विशेषता से तात्पर्य है कि एक व्यापक अभिवृत्ति के अंतर्गत कितनी अभिवृत्तियाँ होती हैं। उस अभिवृत्ति को एक परिवार के रूप में समझना चाहिए जिसमें अनेक ‘सदस्य’ अभिवृत्तियाँ हैं। बहुत-से विषयों (जैसे स्वास्थ्य एवं विश्व शांति) के संबंध में लोग एक अभिवृत्ति के स्थान पर अनेक अभिवृत्तियाँ रखते हैं। जब अभिवृत्ति तंत्र में एक या बहुत थोड़ी-सी अभिवृत्तियाँ हो तो उसे ‘सरल’ कहा जाता है और जब वह अनेक अभिवृत्तियों से बना हो तो उसे ‘जटिल’ कहा जाता है।

स्वास्थ्य एवं कुशल-क्षेम के प्रति अभिवृत्तियों के पाए जाने की संभावना है, जैसे व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का संप्रत्यय, प्रसन्नता एवं कुशल-क्षेम के प्रति उसका दृष्टिकोण एवं व्यक्ति स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता कैसे प्राप्त कर सकता है, इस संबंध में उसका विश्वास एवं मान्यताएँ। इसके विपरीत, किसी व्यक्ति विशेष के प्रति अभिवृत्ति में मुख्य रूप में एक अभिवृत्ति के पाये जाने की संभावना है। एक अभिवृत्ति तंत्र के घटकों के रूप में नहीं देखना चाहिए। एक अभिवृत्ति तंत्र के प्रत्येक सदस्य अभिवृत्ति में भी संभाव्य या (ए. बी. सी.) घटक होता है।

4. केंद्रिकता:
यह अभिवृत्ति तंत्र में किसी विशिष्ट अभिवृत्ति की भूमिका को बताता है। गैर-केंद्रीय (या परिधीय) अभिवृत्तियों की तुलना में अधिक केंद्रिकता वाली कोई अभिवृत्ति, अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को अधिक प्रभावित करेगी। उदाहरण के लिए, विश्वशांति के प्रति अभिवृत्ति में सैनिक व्यय के प्रति एक नकारात्मक अभिवृत्ति, एक प्रधान या केंद्रीय अभिवृत्ति के रूप में हो सकती है तो बहु-अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को प्रभावित कर सकती है।

प्रश्न 2.
क्या अभिवृत्तियाँ अधिगत होती हैं? वे किस प्रकार से अधिगत होती हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हाँ, अभिवृत्तियाँ अधिगत होती हैं। सामान्यतया अभिवृत्तियाँ स्वयं के अनुभव तथा दूसरों से अंत:क्रिया के माध्यम से सीखी जाती हैं। अधिगम की प्रक्रियाएँ एवं दशाएँ भिन्न हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों में विविध प्रकार के अभिवृत्तियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

1. साहचर्य के द्वारा अभिवृत्तियों का अधिगम:
विद्यार्थी अध्यापन के कारण एक विशिष्ट विषय के प्रति रुचि विकसित कर लेता है। यह इसलिए होता है कि वे उस अध्यापक में अनेक सकारात्मक गुण देखते हैं; ये सकारात्मक गुण उसे विषय के साथ जुड़ जाते हैं जिसे वह पढ़ाता है और अंततोगत्वा उस विषय के प्रति रुचि के रूप में अभिव्यक्त होता है। दूसरे शब्दों में विषय के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति अध्यापक एवं विद्यार्थी के मध्य सकारात्मक साहचर्य के द्वारा सीखी या अधिगमित की जाती है।

2. पुरस्कृत या दंडित होने के कारण अभिवृत्तियों को सीखना:
यदि एक विशिष्ट अभिवृत्ति को प्रदर्शित करने के लिए किसी व्यक्ति की प्रशंसा की जाती है तो यह संभावना उच्च हो जाती है कि वह आगे चलकर उस अभिवृत्ति को विकसित करेगा। उदाहरण के लिए, यदि एक किशोरी नियमित रूप से योगासन करती है एवं अपने विद्यालय में ‘मिस गुड हेल्थ’ का सम्मान पाती है, तो वह योग एवं स्वास्थ्य के प्रति एक सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर सकती है। इसी प्रकार यदि एक बालक समुचित आहार के स्थान पर सड़ा-गला या अस्वास्थ्यकर भोजन लेने के कारण लगातार बीमार रहता है तो संभव है कि बालक अस्वास्थ्यकर भोजन के प्रति नकारात्मक एवं स्वास्थ्यकर भोजन के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित करे।

3. प्रतिरूपकण (दूसरों के प्रेक्षण) के द्वारा अभिवृत्ति का अधिगत करना:
प्रायः ऐसा नहीं होता है कि हम मात्र साहचर्य या पुरस्कार एवं दंड के द्वारा ही अभिवृत्तियों का अधिगम करते हैं बल्कि हम दूसरों को अभिवृत्ति-विषय के प्रति एक विशिष्ट प्रकार का विचार व्यक्त करने या व्यवहार प्रदर्शित करने के लिए पुरस्कृत या दंडित होते देखकर कि माता-पिता बड़ों के प्रति आदर प्रदर्शित करते हैं एवं इसके लिए सम्मान पाते हैं, वे बड़ों के प्रति एक श्रद्धालु अभिवृत्ति विकसित कर सकते हैं।

4. समूह या सांस्कृतिक मानकों के द्वारा अभिवृत्ति का अधिगम करना:
प्रायः हम अपने समूह या संस्कृति के मानकों के माध्यम से अभिवृत्तियों का अधिगम करते हैं। मानक अलिखित नियम होते हैं जिनका विशिष्ट परिस्थितियों में पालन करने की अपेक्षा सभी से की जाती है।

कालांतर में ये मानक अभिवृत्ति के रूप में हमारे सामाजिक संज्ञान के अंग बन जाते हैं। समूह या संस्कृति के मानकों के माध्यम से अभिवृत्तियों का अधिगम करना वस्तुतः ऊपर वर्णित तीनों प्रकार के अधिगम-साहचर्य, पुरस्कार या दंड तथा प्रतिरूपण के माध्यम से अधिगम के उदाहरण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, पूजा या आराधना स्थल पर रुपया-पैसा, मिठाई, फल एवं फल भेंट करना कुछ धर्मों में एक आदर्श व्यवहार है। जब लोग देखते हैं कि ऐसे व्यवहार दूसरों के द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं, इनको समाज से स्वीकृति एवं मान्यता प्राप्त है तो वे अंततोगत्वा ऐसे व्यवहार एवं उससे संबद्ध समर्पण की भावना के प्रति एक सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर लेते हैं।

5. सूचना के प्रभाव से अधिगम:
अनेक अभिवृत्तियों का अधिगम सामाजिक संदर्भो में होता है परंतु आवश्यक नहीं है कि यह दूसरों की शारीरिक या वास्तविक उपस्थिति में ही हो। आजकल विभिन्न संचार माध्यमों के द्वारा प्रदत्त सूचना के विशाल भंडार के कारण सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रकार की अभिवृत्तियों का निर्माण होता है। आत्मसिद्ध (Selfactualised) व्यक्ति की जीवनी पढ़ने से एक व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कठोर परिश्रम एवं अन्य पक्षों के प्रति एक सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर सकता है।

प्रश्न 3.
सामाजिक सुकरीकरण किस प्रकार से होता है?
उत्तर:
जब दूसरों की उपस्थिति से किसी विशिष्ट कार्य का निष्पादन प्रभावित होता है तो इसे सामाजिक सुकरीकरण कहा जाता है।

1. दूसरों की उपस्थिति में बेहतर निष्पादन इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति भाव प्रबोधन (Arousal) का अनुभव कर रहा होता है जो उस व्यक्ति को अधिक तीव्र या गहन प्रतिक्रिया करने योग्य बनाती है। यह व्याख्या जाइंस के द्वारा दी गई है। इस नाम का उच्चारण ‘साइंस’ की तरह करते हैं।

2. यह भाव-प्रबोधन इसलिए होता है क्योंकि व्यक्ति यह अनुभव करता है कि उसका मूल्यांकन किया जा रहा है। कॉटरेल (Cottrell) ने इस विचार को मूल्यांकन बोध (Evaluation apprehension) कहा है। व्यक्ति की प्रशंसा की जाएगी यदि उसका निष्पादन अच्छा होगा (पुरसकार), या अलोचना की जाएगी यदि निष्पादन खराब होगा (दंड)। हम प्रशंसा पाना चाहते हैं कि आलोचना का परिहार करना चाहते हैं, इसलिए हम भली प्रकार से निष्पादन करने और त्रुटियों को दूर करने का प्रयास करते हैं।

3. निष्पादित किए जानेवाले कार्य की प्रकृति (Nature of the task) भी दूसरो की उपस्थिति में निष्पादन को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, सरल या परिचित कार्य की दशा में व्यक्ति अच्छे निष्पादन के लिए अधिक आश्वस्त रहता है और प्रशंसा या पुरस्कार पाने की उत्कंठा भी अधिक प्रबल रहती है। इसलिए लोगों की उपस्थिति में व्यक्ति अच्छा निष्पादन करता है तुलना में जब वह अकेले होता है। परंतु जटिल या नए कार्य की दशा में व्यक्ति त्रुटियाँ करने के भय से ग्रस्त हो सकता है। आलोचना या दंड का भय प्रबल होता है। इसलिए जब व्यक्ति अकेला होता है तो उसकी तुलना में वह लोगों की उपस्थिति में खराब निष्पादन करता है।

4. यदि दूसरे उपस्थित लोग भी उसी कार्य को कर रहे हों तो इस सह-क्रिया (Co-action) परिस्थिति कहा जाता है। इस परिस्थिति में एक सामाजिक तुलना एवं प्रतियोगिता होती है। इस स्थिति में भी जब कार्य सरल या परिचित होता है तो सह-क्रिया की दशा में निष्पादन अच्छा होता है. तुलना में जब व्यक्ति अकेला होता है।

प्रश्न 4.
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करनेवाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करनेवाले कारक निम्नलिखित हैं –
1. परिवार एवं विद्यालय का परिवेश:-विशेष रूप से जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अभिवृत्ति निर्माण करने में माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाद में विद्यालय का परिवेश अभिवृत्ति निर्माण के लिए एक महत्त्वपूर्ण पृष्ठभूमि बन जाता है। परिवार एवं विद्यालय में अभिवृत्तियों का अधिकता आमतौर पर साहचर्य, पुरस्कार और दंड तथा प्रतिरूपण के माध्यम से होता है।

2. संदर्भ समूह-संदर्भ समूह एक व्यक्ति को सोचने एवं व्यवहार करने के स्वीकृत नियमों या मानकों को बताते हैं। अतः, ये समूह या संस्कृति के मानकों के माध्यम से अभिवृत्तियों के अधिगम को दर्शाते हैं। विभिन्न विषयों जैसे-राजनीतिक, धार्मिक तथा सामाजिक समूह, व्यवसाय, राष्ट्रीय एवं अन्य मुद्दों के प्रति अभिवृत्ति प्राय: संदर्भ समूह के माध्यम से ही विकसित होती है। यह प्रभाव विशेष रूप से किशोरावस्था के प्रारंभ में अधिक स्पष्ट होता है जब व्यक्ति के लिए यह अनुभव करना महत्त्वपूर्ण होता है कि वह किसी समूह का सदस्य है। इसलिए अभिवृत्ति निर्माण में संदर्भ समूह की भूमिका एवं दंड के द्वारा अधिगम का भी एक उदाहरण हो सकता है।

3. व्यक्तिगत अनुभव-अनेक अभिवृत्तियों का निर्माण पारिवारिक परिवेश में या संदर्भ समूह के माध्यम से नहीं होता बल्कि इनका निर्माण प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा होता है, जो लोगों के साथ स्वयं के जीवन के प्रति हमारी अभिवृत्ति में प्रबल परिवर्तन उत्पन्न करता है। यहाँ वास्तविक जीवन से संबंधित एक उदाहरण प्रस्तुत है। सेना का एक चालक (ड्राइवर) एक ऐसे व्यक्तित्व अनुभव से गुजरा जिसने उसके जीवन को ही परिवर्तित कर दिया।

एक अभियान के दौरान, जिसमें उसके सभी साथी मारे जा चुके थे, वह मृत्यु के बहुत नजदीक से गुजरा। अपने जीवन के उद्देश्य के बारे में विचार करते हुए उसने सेना में अपनी नौकरी छोड़ दी तथा महाराष्ट्र के एक गाँव में स्थित अपनी जन्मभूमि में वापस लौट आया और वहाँ एक सामुदायिक नेता के रूप में सक्रिय रूप से कार्य किया। एक विशुद्ध व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा इस व्यक्ति ने सामुदायिक उत्थान या विकास के लिए एक प्रबल सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर ली। उसके प्रयास ने उसके गाँव के स्वरूप को पूर्णरूपेण बदल दिया।

4. संचार-माध्यम संबद्ध प्रभाव-वर्तमान समय में प्रौद्योगिकीय विकास ने दृश्य-श्रव्य माध्यम एवं इंटरनेट को एक शक्तिशाली सूचना को स्रोत बना दिया है जो अभिवृत्तियों का निर्माण को प्रभावित करती हैं। ये स्रोत सबसे पहले संज्ञानात्मक एवं भावात्मक घटक को प्रबल बनाते हैं और बाद में व्यवहारपरक घटक को भी प्रभावित कर सकते हैं। संचार माध्यम अभिवृत्ति पर अच्छा एवं खराब दोनों ही प्रकार के प्रभाव डाल सकते हैं।

एक तरफ, संचार माध्यम एवं इंटरनेट, संचार के अन्य माध्यमों की तुलना में लोगों को भली प्रकार से सूचित करते हैं, दूसरी तरफ इन संचार-माध्यमों से सूचना संकलन की प्रकृति पर कोई रोक या जाँच नहीं होती इसलिए निर्मित होनेवाली अभिवृत्तियों या पहले से बनी अभिवृत्तियों में परिवर्तन की दिशा पर कोई नियंत्रण भी नहीं होता है। संचार माध्यमों का उपयोग उपभोक्तावादी अभिवृत्तियों के निर्माण के लिए किया जा सकता है और इनका उपयोग सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक अभिवृत्तियों को उत्पन्न करने के लिए भी किया जा सकता है।

प्रश्न 5.
पूर्वाग्रह के विभिन्न स्रोतों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पूर्वाग्रह के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं –

1. अधिगम:
अन्य अभिवृत्तियों की तरह पूर्वाग्रह भी साहचर्य, पुरस्कार एवं दंड, दूसरों के प्रेक्षण, समूह या संस्कृति के मानक तथा सूचनाओं की उपलब्धता, जो पूर्वाग्रह को बढ़ावा देते है। के द्वारा अधिगमित किए जा सकते हैं। परिवार, संदर्भ, समूह, व्यक्तिगत अनुभव तथा संचार माध्यम पूर्वाग्रह के अधिगम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जो लोग पूर्वाग्रहग्रस्त अभिवृत्तियों को सीखते हैं वे ‘पूर्वाग्रहग्रस्त व्यक्तित्व’ विकसित कर लेते हैं तथा समायोजन स्थापित करने की क्षमता में कमी, दुश्चिता तथा बाह्य समूह के प्रति आक्रामकता की भावना को प्रदर्शित करते हैं।

2. एक प्रबल सामाजिक अनन्यता तथा अंतःसमूह अभिनति-वे लोग जिनमें सामाजिक अनन्यता की प्रबल भावना होती है एवं अपने समूह के प्रति एक बहुत ही सकारात्मक अभिवृत्ति होती है वे अपनी अभिवृत्ति को और प्रबल बनाने के लिए बाह्य समूहों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति रखते हैं। इनका पूर्वाग्रह के रूप में होता है।

3. बलि का बकरा बनाना-यह एक ऐसी प्रक्रिया या गोचर है जिसके द्वारा बहुसंख्यक समूह अपनी-अपनी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं के लिए अल्पसंख्यक बाह्य समूह को दोषी ठहराता है अल्पसंख्यक इस आरोप से बचाव करने में या तो बहुत कमजोर होते हैं या संख्या में बहुत कम होते हैं। बलि का बकरा बनाने वाली प्रक्रिया कुंठा को प्रदर्शित करने का समूह आधारित एक तरीका है तथा प्रायः इसकी परिणति कमजोर समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति या पूर्वाग्रह के रूप में होती है।

4. सत्य के संप्रत्यय का आधार तत्त्व-कभी-कभी लोग एक रूढ़धारणा को बनाए रखते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि जो सभी लोग दूसरे के बारे में कहते हैं उसमें कोई न कोई सत्य का आधार तत्त्व (Kermel of truth) तो अवश्य होना चाहिए। यहाँ कि केवल कुछ उदाहरण ही ‘सत्य के आधार तत्त्व’ की अवधारणा को पुष्ट करने के लिए पर्याप्त होते हैं।

5. स्वतः साधक भविष्योक्ति:
कुछ स्थितियों में वह समूह जो पूर्वाग्रह का लक्ष्य होता है स्वयं ही पूर्वाग्रह को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। लक्ष्य समूह इस तरह से व्यवहार करता है कि वह पूर्वाग्रह को प्रमाणित करता है अर्थात् नकारात्मक प्रत्याशाओं की पुष्टि करता है। उदाहरणार्थ, यदि लक्ष्य समूह को ‘निर्भर’ और इसलिए प्रगति करने में अक्षम के रूप में वर्णित किया जाता है तो हो सकता है कि इस लक्ष्य समूह के सदस्य वास्तव में इस तरह से व्यवहार करते हैं।

प्रश्न 6.
समाजोपकारी व्यवहार को प्रभावित करनेवाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समाजोपकारी व्यवहार को प्रभावित करनेवाले कारक –
1. समाजोपकारी व्यवहार, मनुष्यों की अपनी प्रजाति के दूसरे सदस्यों की सहायता करने की एक सहज, नैसर्गिक प्रवृत्ति पर आधारित है। यह सहज प्रवृत्ति प्रजाति की उत्तरजीविता या अस्तित्व बनाए रखने में सहायक होती है।

2. समाजोपकारी व्यवहार अधिगम से प्रभावित होता है। लोग जो ऐसे पारिवारिक परिवेश में पले-बढ़े होते हैं, जो लोगों की सहायता करने का आदर्श स्थापित करते हैं, वे सहायता करने की प्रशंसा करते हैं और उन व्यक्तियों की तुलना में अधिक समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं जो एक ऐसे पारिवारिक परिवेश में पले बढ़े होते हैं जहाँ इन गुणों का अभाव होता है।

3. समाजोपकारी व्यवहार को सांस्कृतिक कारक भी प्रभावित करते हैं। कुछ संस्कृतियों में जरूरतमंद एवं संकटग्रस्त लोगों की सहायता के लिए लोगों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाता है वहाँ लोग समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन कम करते हैं क्योंकि लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी देखभाल स्वयं करें एवं दूसरों की सहायता पर आश्रित न रहें। संसाधन के अभाव से ग्रस्त संस्कृतियों में हो सकता है कि लोग उच्च स्तर के समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन न करें।

4. समाजोपकारी व्यवहार उस समय अभिव्यक्त होता है जब परिस्थिति कोई सामाजिक मानक (Social norms) को सक्रिय करती है, जिसमें दूसरों की सहायता करने की आवश्यकता या माँग होती है। समाजोपकारी व्यवहार के संदर्भ में तीन कारकों का उल्लेख किया गया है –

(अ) सामाजिक उत्तरदायित्व (Social responsibility) का मानक-हमें किसी अन्य कारक पर विचार किए बिना उनकी मदद या सहायता करनी चाहिए जो मदद चाहते हों।
(ब) परस्परता (Reciprocity) का मानक-हमें उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जिन्होंने हमारी सहायता पहले की है।
(स) न्यायसंगतता या समानता (Equality) मानक-हमें जब दूसरों की सहायता करनी चाहिए जब हमें लगे कि ऐसा करना सही या उचित है। उदाहरण के लिए, हमें से अनेक लोग ऐसा महसूस करेंगे कि ऐसे व्यक्ति की सहायता कारण अधिक उचित है जिसने अपनी सारी संपत्ति को बाढ़ में गंवा दिया हो, तुलना में उस व्यक्ति के जिसने जुए में अपना सब कुछ खो दिया हो।

5. समाजोपकारी व्यवहार उस व्यक्ति की प्रत्याशित प्रतिक्रिया से प्रभावित होता है जिसकी सहायता की जा रही है। उदाहरणार्थ, लोगों में एक जरूरतमंद व्यक्ति को पैसा देने की अनिच्छा हो सकती है क्योंकि वे महसूस करते हैं कि इससे व्यक्ति अपमानित कर सकता है या निर्भरता विकसित कर सकता है।

6. उन लोगों में समाजोपकारी व्यवहार प्रदर्शित होने की संभावना अधिक होती है जिनमें तद्नुभूति (Empathy) अर्थात् सहायता पानेवाले व्यक्ति होती है; जैसे-बाबा साहेब आम्टे (Baba Saheb Amte) और मदर टेरेसा (Mother Teresa)। समाजोपकारी व्यवहार की संभावना उन परिस्थितियों में भी अधिक होती है जो तद्नुभूति को उत्पन्न या उद्दीप्त करते हैं, जैसे-अकाल में भूख से पीड़ित बच्चों का चित्र।

7. समाजोपकारी व्यवहार ऐसे कारकों से कम हो सकता है जैसे-खराब मन:स्थिति, अपनी ही समस्याओं में व्यक्त रहना या यह भावना कि सहायता दिए जानेवाला व्यक्ति अपनी स्थिति के लिए स्वयं जिम्मेदार है (अर्थात् जब दूसरे व्यक्ति की जरूरत को अवस्था के लिए आंतरिक गुणारोपण किया जाए)।

8. समाजोपकारी व्यवहार उस समय भी कम हो सकता है जब दर्शकों की संख्या एक से अधिक हो। उदाहरण के लिए, कभी-कभी सड़क दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति को सहायता इसलिए नहीं मिल पाती क्योंकि घटनास्थल के आस-पास बहुत लोग खड़े रहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि सहायता देना उसकी अकेले की जिम्मेदारी नहीं है एवं कोई दूसरा व्यक्ति उसकी सहायता की जिम्मेदारी ले सकता है। इस गोचर को दायित्व का विसरण (Diffusion of responsibility) कहा जाता है। दूसरी ओर, यदि घटनास्थल पर केवल एक ही दर्शक है तो यह संभावना अधिक है कि वह व्यक्ति जिम्मेदारी या दायित्व और पीड़ित का वास्तव में मदद करेगा।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पी-ओ-एक्स त्रिकोण में पी कौन है?
(A) वह व्यक्ति है जिसकी अभिवृत्ति का अध्ययन करता है
(B) एक दूसरा व्यक्ति है
(C) एक विषय-वस्तु है जिसके प्रति अभिवृत्ति का अध्ययन करता है
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(A) वह व्यक्ति है जिसकी अभिवृत्ति का अध्ययन करता है

प्रश्न 2.
वह व्यक्ति जो छवि बनाता है, उसे क्या कहते हैं?
(A) लक्ष्य
(B) प्रत्यक्षणकर्ता
(C) प्रतिभागी
(D) स्रोत
उत्तर:
(B) प्रत्यक्षणकर्ता

प्रश्न 3.
छवि निर्माण की प्रक्रिया में छवि बनाता है, उसे क्या कहते हैं?
(A) चयन
(B) अनुमान
(C) संगठन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
पहले प्रस्तुत की जानेवाली सूचना का प्रभाव अंत में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना से अधिक प्रबल होता है। इस प्रभाव को क्या कहते हैं?
(A) प्रथम प्रभाव
(B) परिवेश प्रभाव
(C) आसन्नता प्रभाव
(D) कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव
उत्तर:
(D) कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव

प्रश्न 5.
अभिवृत्ति के विचारपरक घटक को कहा जाता है –
(A) संज्ञानात्मक पक्ष
(B) भावात्मक पक्ष
(C) व्यवहारात्मक पक्ष
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(A) संज्ञानात्मक पक्ष

प्रश्न 6.
भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है –
(A) क्रियात्मक घटक
(B) विचारपरक घटक
(C) सांवेगिक घटक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) सांवेगिक घटक

प्रश्न 7.
अभिवृत्ति की कौन-सी-विशेषता यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किसी सीमा तक सकारात्मक है या नकारात्मक?
(A) कर्षण-शक्ति
(B) चरम सीमा
(C) सरलता या जटिलता
(D) केंद्रिकता
उत्तर:
(B) चरम सीमा

प्रश्न 8.
कर्षण शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति:
(A) सकारात्मक है
(B) नकारात्मक है
(C) सकारात्मक है अथवा नकारात्मक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) सकारात्मक है

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में कौन-से कारक अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए एक संदर्भ प्रदान करते हैं?
(A) परिवार एवं विद्यालय का परिवेश
(B) व्यक्तिगत अनुभव
(C) संदर्भ समूह
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 10.
संतुलन का संप्रत्यय किसने प्रतिपादित किया?
(A) फ्रिट्ज हाइडर
(B) लियॉन फेस्टिंगर
(C) एस. एस. मोहसिन
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(A) फ्रिट्ज हाइडर

प्रश्न 11.
एक भारतीय वैज्ञानिक एम. एम. मोहसिन ने किस संप्रत्यय को प्रतिपादित किया?
(A) संतुलन का संप्रत्यय
(B) द्विस्तरीय संप्रत्यय
(C) द्विस्तरीय संप्रत्यय
(D) संज्ञानात्मक विसंवादिता का संप्रत्यय
उत्तर:
(B) द्विस्तरीय संप्रत्यय

प्रश्न 12.
द्विस्तरीय संप्रत्यय के अनुसार अभिवृत्ति में परिवर्तन कितने स्तरों पर या चरणों में होता है?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) एक
उत्तर:
(A) दो

प्रश्न 13.
एक अभिवृत्ति में परिवर्तन हो सकता है –
(A) सर्वसम या संगत और विसंगत दोनों
(B) नहीं होता
(C) विसंगत
(D) सर्वसम या संगत
उत्तर:
(A) सर्वसम या संगत और विसंगत दोनों

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा लक्ष्य का गुण नहीं है?
(A) अनुनयता
(B) बुद्धि
(C) आत्मसम्मान
(D) आलस्य
उत्तर:
(D) आलस्य

प्रश्न 15.
मनोवैज्ञानिक ने अभिवृत्ति परिवर्तन ‘द्विस्तरीय संप्रत्यय’ को प्रस्तावित किया?
(A) फेस्टिगर
(B) कार्ल स्मिथ
(C) फ्रिट्ज हाइडर
(D) एस० एम० मोहसिन
उत्तर:
(D) एस० एम० मोहसिन

प्रश्न 16.
व्यक्ति की किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता कहलाती है –
(A) व्यक्तित्व
(B) अभिक्षमता
(C) अभिवृत्ति
(D) अभिरुचि
उत्तर:
(B) अभिक्षमता

प्रश्न 17.
मनोवृत्ति परिवर्तन के दो-स्तरीय संप्रत्यय का प्रतिपादन किसने किया?
(A) मुहम्मद सुलेमान
(B) ए० के० सिंह
(C) एम० एम० मुहसिन
(D) जे० पी० दास
उत्तर:
(C) एम० एम० मुहसिन

प्रश्न 18.
मनोवृत्ति के भावात्मक संघटक से तात्पर्य होता है –
(A) मनोवृत्ति वस्तु के प्रति भाव से
(B) मनोवृत्ति वस्तु के प्रति भाव एवं संवेग दोनों
(C) मनोवृत्ति वस्तु के प्रति संवेग से
(D) इनमें किसी से भी नहीं
उत्तर:
(C) मनोवृत्ति वस्तु के प्रति संवेग से

प्रश्न 19.
एक व्यक्ति सुव्यवस्थित एवं समयनिष्ठ है फिर भी हम लोगों में यह सोचने की संभावना होती है कि उसे परिश्रमी भी होना चाहिए। यह कौन-सा प्रभाव है?
(A) प्रथम प्रभाव
(B) परिवेश प्रभाव
(C) आसन्नता प्रभाव
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 20.
एक स्कीमा या अन्विति योजना है –
(A) मानसिक संरचना
(B) शारीरिक संरचना
(C) सामाजिक संरचना
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(A) मानसिक संरचना

प्रश्न 21.
निम्नांकित में कौन पूर्वाग्रह में तेजी से कमी लाता है?
(A) शिक्षा
(B) अंतर्समूह संपर्क
(C) पूर्वाग्रह-विरोधी प्रचार
(D) सामाजिक विधान
उत्तर:
(C) पूर्वाग्रह-विरोधी प्रचार

प्रश्न 22.
एक स्कीमा या अन्विति योजना है –
(A) मानसिक संरचना
(B) शारीरिक संरचना
(C) सामाजिक संरचना
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) मानसिक संरचना

प्रश्न 23.
पूर्वधारणा से मनोवृत्ति किस दृष्टिकोण से भिन्न है?
(A) बैर-भाव
(B) सम्बद्धता
(C) आवेष्टन
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) आवेष्टन

प्रश्न 24.
योग के ‘अष्टांग साधन’ का संबंध है –
(A) कर्मयोग
(B) राजयोग
(C) ज्ञानयोग
(D) मंत्रयोग
उत्तर:
(B) राजयोग

प्रश्न 25.
पूर्वाग्रह में घटकों की संख्या होती है –
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर:
(C) चार


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