BSEB Class 9 Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Book Answers |
Bihar Board Class 9th Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 9th Science Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न श्रृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 164)
प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है (चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
हल:
किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
कार्य = बल x विस्थापन
W = F x S
यहाँ,
F = 7N
S = 8 m
अतः, किया गया कार्य W = 7 x 8 = 56 Nm = 56J
प्रश्न श्रृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 165)
प्रश्न 1.
हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?
उत्तर:
कार्य करने के लिए निम्न दो दशाओं का होना आवश्यक है
1. वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए।
2. वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।
यदि इनमें से कोई भी दशा पूरी नहीं होती तो कार्य नहीं किया गया। विज्ञान में हम कार्य को इसी दृष्टि से देखते हैं।
प्रश्न 2.
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किये गये कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल F उसे दूरी S तक विस्थापित करता है तो किया गया कार्य W, बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
किया गया कार्य = बल – विस्थापन
W = F x S
प्रश्न 3.
1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रियारेखा की दिशा में 1 m विस्थापित कर दे।
प्रश्न 4.
बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लम्बा है। खेत की लम्बाई को जोतने में कितना कार्य किया गया ?
हल:
बैलों द्वारा किया गया कार्य
w = F xd
जहाँ लगाया गया बल F = 140 N
विस्थापन, d = 15 m
⇒W = 140 x 15 = 2100J
अतः खेत की लम्बाई को जोतने में किया गया कार्य 2100J
प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ 169 पर)
प्रश्न 1.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर:
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। प्रत्येक गतिशील वस्तु में गतिज ऊर्जा होती है। गतिशील कार, लुढ़कता हुआ पत्थर, उड़ता हुआ हवाई जहाज, बहता हुआ पानी आदि सभी में गतिज ऊर्जा विद्यमान
प्रश्न 2.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
उत्तर:
यदि कोई वस्तु जिसका द्रव्यमान m है व वेग। से गतिशील है तो उसकी गतिज ऊर्जा E, निम्न व्यंजक द्वारा प्रदर्शित होगी
Ek = Ima इसका SI मात्रक जूल (J) है।
प्रश्न 3.
5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दो गुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ?
हल:
वस्तु की गतिज ऊर्जा, E = 25 J
वस्तु का वेग, v = 5 m/s
∴ Ek = 12mv2
m = 2EK𝑣2 = 2×2552 = 2 kg
अगर वेग दुगना है तो,
v = 2 x 5 = 10 m/s
∴ Ek (v = 10 m/s के लिए) = 12mv2
12 x 2 x 10 x 10 = 100 J
यदि वेग तीन गुना है,
v = 3 x 5 = 15 m/s
∴ Ek (v = 15 m/s) के लिए
= 12mv2
= 12 x 2 x 15 x 15 = 225 J
प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 174)
प्रश्न 1.
शक्ति क्या है ?
उत्तर:
कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं। यदि कोई अभिकर्ता (एजेन्ट) t समय में w कार्य करता है तो शक्ति का मान होगा –
शक्ति = कार्य / समय
या P = W/t
शक्ति का मात्रक वाट है तथा इसका प्रतीक W है।
प्रश्न 2.
1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 वाट उस अभिकर्ता (एजेन्ट) की शक्ति है जो 1 सेकण्ड में 1 जूल कार्य करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 हो तो शक्ति 1 W होगी।
1 वाट = 1 जूल / सेकण्ड
1W = 1 Js-1
प्रश्न 3.
एक लैम्प 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है ?
हल:
शक्ति = कार्य / समय।
लैम्प द्वारा ली गई ऊर्जा = 1000 J
समय = 10s
शक्ति = 1000 / 10 = 100w
प्रश्न 4.
औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी एजेण्ट की औसत शक्ति, कुल लिए गए समय में, कुल किया गया कार्य है। औसत शक्ति को हम कुल उपयोग की गई ऊर्जा को कुल लिए गए समय से विभाजित कर प्राप्त कर सकते हैं।
क्रियाकलाप 11.1 (पृष्ठ संख्या 163)
प्रश्न 1.
- किस वस्तु पर कार्य किया गया ?
- वस्तु पर क्या घटित हो रहा है?
- कार्य कौन (क्या) कर रहा है ?
उत्तर:
सीढ़ियों पर चढ़कर इमारत की ऊपरी मंजिल पर पहुँचना, एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ना क्रियाकलाप दैनिक जीवन में किये गये कार्यों के उदाहरण हैं। इमारत की ऊपरी मंजिल पर पहुँचने में
- सीढ़ियों पर चढ़ने में कार्य किया गया
- हम ऊँचाई पर पहुंच रहे हैं।
- हम स्वयं कार्य कर रहे हैं।
ऊँचे पेड़ पर चढ़ने में –
- पेड़ पर कार्य हो रहा है।
- हम ऊपर चढ़ रहे हैं; हमारा शरीर विस्थापित हो रहा है।
- हम स्वयं कार्य कर रहे हैं।
क्रियाकलाप 11.3 (पृष्ठ संख्या 164)
प्रश्न 1.
कुछ स्थितियों पर विचार कीजिए जब वस्तु पर बल लगने के बावजूद वह विस्थापित नहीं होती। ऐसी स्थिति पर भी विचार कीजिए जब कोई वस्तु बल लगे बिना ही विस्थापित हो जाए। प्रत्येक के लिए जितनी स्थितियाँ आप सोच सकें, उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
एक चट्टान पर बल लगाना, एक दीवार को धकेलना, एक मजबूत पेड़ को धकेलने की कोशिश करना, एक ट्रक को बल लगाकर धकेलने की कोशिश करना आदि वे स्थितियाँ हैं जब वस्तु पर बल लगने के बावजूद वह विस्थापित नहीं होती। जब कोई वस्तु स्थिर वेग से चलती है तो उस पर कोई बल नहीं लग रहा होता, जैसे कि स्थिर वेग से चलती हुई गेंद।
प्रश्न 2.
अपने मित्रों से विचार-विमर्श कीजिए कि क्या इन स्थितियों में कोई कार्य हुआ है।
उत्तर:
नहीं, वैज्ञानिक भाषा में इन स्थितियों में कोई कार्य नहीं हुआ। कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है –
1. वस्तु पर कोई बल लगना तथा
2. वस्तु विस्थापित होना।
क्रियाकलाप 11.4 (पृष्ठ संख्या 164)
किसी वस्तु को ऊपर उठाइए। आपके द्वारा वस्तु पर लगाए गए बल के द्वारा कार्य किया गया। वस्तु ऊपर की ओर चलती है। आपके द्वारा लगाया गया बल विस्थापन की दिशा में है। तथापि वस्तु पर गुरुत्वीय बल भी कार्यरत है।
प्रश्न 3.
इनमें से कौन-सा बल धनात्मक कार्य कर रहा है?
उत्तर:
हमारे द्वारा लगाया गया बल धनात्मक कार्य कर रहा है क्योंकि वह विस्थापन की दिशा में है।
प्रश्न 4.
कौन-सा बल ऋणात्मक कार्य कर रहा है ?
उत्तर:
गुरुत्वीय बल ऋणात्मक कार्य कर रहा है।
प्रश्न 5.
कारण बताइए।
उत्तर:
गुरुत्वीय बल वस्तु पर नीचे की ओर लग रहा है, अर्थात् उसके विस्थापन की दिशा के विपरीत। अत: वह ऋणात्मक कार्य कर रहा है।
क्रियाकलाप 11.5 (पृष्ठ संख्या 166)
प्रश्न 6.
ऊर्जा के कुछ स्रोतों को अध्याय में दिया गया है। ऊर्जा के अनेक अन्य स्रोत भी हैं। उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
ऊर्जा के कुछ अन्य स्रोत हैं-तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, वायु, विद्युत ऊर्जा, हाइड्रो ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा।
प्रश्न 7.
क्या ऊर्जा के कुछ स्रोत ऐसे भी हैं जो सूर्य के कारण नहीं हैं ?
उत्तर:
हाँ, नाभिकीय ऊर्जा, तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, वायु, विद्युत ऊर्जा, हाइड्रो पावर ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं जो सूर्य के कारण नहीं हैं।
क्रियाकलाप 11.6 (पृष्ठ संख्या 167)
प्रश्न 8.
इनमें से कौन-सी गर्त सबसे अधिक गहरी है ?
उत्तर:
वह गर्त जिस पर 1.5 m की ऊँचाई से गेंद गिराई जाती है, अधिक गहरी है।
प्रश्न 9.
कौन-सा गड्डा सबसे अधिक उथला है ? ऐसा क्या है?
उत्तर:
जिस गड्डे पर 25 cm की ऊँचाई से गेंद गिराई जाती है वह सबसे अधिक उथला है क्योंकि इस ऊँचाई से गिराने पर गेंद का वेग कम होगा। अत: उसकी गतिज ऊर्जा भी कम होगी।
प्रश्न 10.
गेंद ने किस कारण से गड्ढा गहरा बनाया ?
उत्तर:
गेंद ने अपनी गतिज ऊर्जा के कारण गड्ढा गहरा बनाया (EK = Tmv2)। जितनी ज्यादा ऊँचाई से गेंद को गिराया जायेगा उसकी स्थितिज ऊर्जा उतनी अधिक होगी (P.E. = mgh)। गेंद के गिरने पर यही स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।
क्रियाकलाप 11.7 (पृष्ठ संख्या 167)
प्रश्न 11.
यह ऊर्जा कहाँ से आई ?
उत्तर:
गतिशील ट्रॉली गुटके से टकराने पर अपनी गतिज ऊर्जा उसमें स्थानान्तरित कर देती है। अतः गुटके में ऊर्जा ट्रॉली से आई।
प्रश्न 12.
पलड़े पर रखे द्रव्यमान को बढ़ाकर इस प्रयोग को दोहराइए। किस अवस्था में विस्थापन अधिक है ? किस अवस्था में किया गया कार्य अधिक होगा? .
उत्तर:
जब पलड़े पर द्रव्यमान बढ़ाया जाता है तब गुटके का विस्थापन अधिक होता है व किया गया कार्य भी अधिक होगा। द्रव्यमान बढ़ाने से ट्रॉली पर अधिक बल लगेगा व वह और तेज गति से गुटके पर टकराएगी जिससे गुटके का विस्थापन अधिक होगा व कार्य भी अधिक होगा (W = F x S)
क्रियाकलाप 11.8 (पृष्ठ संख्या 169)
प्रश्न 13.
एक रबड़ बैंड (रबड़ का छल्ला) लीजिए। इसके एक सिरे को पकड़कर दूसरे सिरे से खींचिए। छल्ला खिंच जाता है। छल्ले के एक सिरे को छोड़िए। क्या होता है ?
उत्तर:
छल्ला अपनी प्रारम्भिक लम्बाई प्राप्त करने का प्रयत्न करेगा। छल्ला अपनी खिंची हुई स्थिति में कुछ ऊर्जा उपार्जित कर लेता है।
प्रश्न 14.
खींचने पर यह ऊर्जा किस प्रकार उपार्जित कर लेता है ?
उत्तर:
रबड़ बैंड को खींचने पर हम इसमें कुछ ऊर्जा स्थानान्तरित करते हैं। बैंड में स्थानान्तरित की गई ऊर्जा इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।
क्रियाकलाप 11.9 (पृष्ठ संख्या 169)
प्रश्न 15.
स्लिंकी को छोड़ने पर क्या होता है ?
उत्तर:
स्लिंकी अपनी प्रारम्भिक लम्बाई प्राप्त करने का प्रयत्न करती है।
प्रश्न 16.
खींचने पर स्लिकी ने किस प्रकार ऊर्जा उपार्जित की?
उत्तर:
स्लिकी को खींचने पर हम इसमें ऊर्जा स्थानान्तरित करते हैं। स्लिकी में स्थानान्तरित की गई ऊर्जा इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।
प्रश्न 17.
क्या सम्पीडित करने पर भी स्लिकी ऊर्जा उपार्जित करेगी?
उत्तर:
हाँ, संपीडित करने पर भी स्लिकी में हम ऊर्जा स्थानान्तरित करेंगे जो इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगी।
क्रियाकलाप 11.10 (पृष्ठ संख्या 169)
प्रश्न 18.
एक खिलौना कार लीजिए। इसमें चाबी भरिए। कार को जमीन पर रखिए। क्या यह चलती है ?
उत्तर:
हाँ यह चलती है।
प्रश्न 19.
इसने ऊर्जा कहाँ से उपार्जित की ?
उत्तर:
खिलौना कार में चाबी भरते समय हम कार्य करते हैं। इसके अन्दर चाबी से स्थानान्तरित की गई ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है। यही स्थितिज ऊर्जा कार के चलने पर गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है।
प्रश्न 20.
क्या उपार्जित ऊर्जा चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर है ?
उत्तर:
हाँ, उपार्जित ऊर्जा चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर करती है। जितने ज्यादा लपेटन होंगे, ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी क्योंकि चाबी भरने में किया गया कार्य उतना ही अधिक होगा।
प्रश्न 21.
आप इसकी जाँच कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर:
कम चाबी भरने पर खिलौना कार कम दूरी तक चलेगी व ज्यादा चाबी भरने पर कार ज्यादा दूरी तक जायेगी। अत: ज्यादा लपेटनों की संख्या ज्यादा ऊर्जा संचित करेगी।
क्रियाकलाप 11.11 (पृष्ठ संख्या 169)
प्रश्न 22.
किसी वस्तु को एक निश्चित ऊँचाई तक उठाइए। इसे ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ? सोचिए तथा विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
वस्तु को किसी ऊँचाई तक उठाने में उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसका कारण है कि इसको ऊपर उठाने में इस पर गुरुत्व बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है। इस प्रकार की वस्तु में विद्यमान ऊर्जा उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा है।
क्रियाकलाप 11.13 (पृष्ठ संख्या 172)
प्रश्न 23.
हरे पौधे खाना कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
हरे पौधों में हरित लवक (क्लोरोफिल) होता है जो कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल का उपयोग कर व सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर भोजन का निर्माण करता है। इस क्रिया को फोटोसिन्थेसिस कहते हैं।
प्रश्न 24.
उन्हें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर:
उन्हें ऊर्जा सूर्य की रोशनी से प्राप्त होती है।
प्रश्न 25.
वायु एक स्थान से दूसरे स्थान को क्यों बहती है ?
उत्तर:
वायु उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बहती है। गर्म हवा हल्की होती है और वह ऊपर उठ जाती है और उसका स्थान ठंडी हवा ले लेती है। इसी प्रकार हवा का बहाव होता रहता है।
प्रश्न 26.
कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन कैसे | बने ?
उत्तर:
कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन फॉसिल (fossil) ईंधन है। ये कई सौ वर्ष पूर्व मृत पादपों पर दाब के कारण उत्पन्न हुए हैं।
प्रश्न 27.
किस प्रकार के ऊर्जा रूपान्तरण जल चक्र को बनाए रखते हैं ?
उत्तर:
जल चक्र में सौर ऊर्जा द्वारा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल का वाष्पीकरण होता है। जब जलवाष्प बादलों में संघनित (condense).होती है तो अत्यधिक ऊर्जा, जो कि वाष्पित होने में ग्रहण की है, वातावरण को प्रदान करती है। वाष्पीकरण के दौरान जल वातावरण से ऊर्जा लेता है तथा वातावरण को ठण्डा कर देता है जबकि वाष्पित जल संघनित (condense) होकर वातावरण को ऊर्जा प्रदान करता है व उसे गर्म कर देता है। यही ऊर्जा का रूपान्तरण मौसम में बदलाव लाता है।
क्रियाकलाप 11.14 (पृष्ठ संख्या 172)
प्रश्न 28.
अनेक मानव क्रियाकलापों तथा हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले जुगतों में ऊर्जा रूपान्तरण सम्मिलित है। इस प्रकार के क्रियाकलापों तथा जुगतों की एक सूची बनाइए।
प्रत्येक क्रियाकलाप या जुगत पहचानिए कि किस प्रकार ऊर्जा का रूपान्तरण हो रहा है।
उत्तर:
- टोस्टर विद्युत ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
- ब्लैडर विद्युत ऊर्जा को मशीनी ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
- सूर्य नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
- हमारा शरीर खाने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को मशीनी व विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिसके कारण हम चल पाते हैं।
- प्राकृतिक गैस चूल्हा जलने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिससे खाना बनता
क्रियाकलाप 11.15 (पृष्ठ संख्या 172)
प्रश्न 29.
20 kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड 4m की ऊँचाई से मुक्त गिराया जाता है। निम्न सारणी के अनुसार प्रत्येक स्थिति में स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा की गणना करके सारणी में रिक्त स्थानों को भरिए। (परिकलन की सुविधा के लिए g का मान 10 ms-2 लीजिए).
हल:
(i) दिया है, h = 4 m, m = 20 kg, g= 10 ms-2 स्थितिज ऊर्जा,
Ep = 20 x 10 x 4 = 800 kg ms-2 = 800J
h = 4 m पर प्रारम्भिक वेग, υ = अन्तिम वेग, v = ?
∴ Ek = 12mv2
= 12 x 20 x 0 = 0
Ep + Ek = 800 + 0 = 800 J
(ii) Ep = mgh,
यहाँ h = 3 m
Ep = 20 x 10 x 3 = 600 J
हम जानते हैं,
v2 – u2 = 2gh
यहाँ, u = 0
∴ v2= 0 + 2 x 10 x 3
v2 = 60
∴ Ek = 12mv2
= 12 x 20 x 60 = 600J
Ep + Ek = 600 + 600 = 1200J
(iii) Ep = mgh
यहाँ h = 2m
Ep = 20 x 10 x 2 = 400J
हम जानते हैं,
v2 + u2 = 2gh
यहाँ प्रारम्भिक वेग, u = 0
अतः v2 = 2 x 10 x 2 = 40
Ek = 12mv2
=12 x 20 x 40 = 400J
Ep + Ek = 400 + 400 = 800 J
(iv) यहाँ h = 1 m, m = 20 kg, g = 10 ms-2
∴ Ep = mgh
= 20 x 10 x 1 = 200 J
हम जानते हैं,
v2 + u2 = 2gh
यहाँ u = 0
v2 = 2 x 10 x 1
v2 = 20
Ek = 12mv2
= 12 x 20 x 20 = 200J
Ep + Ek = 200 + 200 = 400J
(v) भूमि से ठीक ऊपर h = 0 अतः
Ep = mgh = 0
यहाँ समस्त स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होगी।
अतः Ep + Ek = 800 J
Ep = 0
अतः Ek = 800 J
क्रियाकलाप 11.16 (पृष्ठ संख्या 173)
प्रश्न 30.
प्रत्येक बच्चे द्वारा किया गया कार्य कितना है ?
उत्तर:
प्रत्येक बच्चे द्वारा किया गया कार्य समान है क्योंकि वे समान ऊँचाई तक पहुँचते हैं अतः उनका विस्थापन (d) समान है (W = Fx d)। द्रव्यमान समान है अतः बल (F = mg) भी समान लगा।
प्रश्न 31.
किस बच्चे ने दिए हुए समय, मान लीजिए 1s में अधिक कार्य किया ?
उत्तर:
A ने दिये हुए समय में अधिक कार्य किया। शक्ति, P = W/t यहाँ कार्य के समान है।
A के द्वारा लिया गया समय = 15 s
अतः A की क्षमता, P = 𝑊15
W = 1J तो
P = 115 = 0.067 Js-1
B द्वारा लिया गया समय = 20 s
अतः B की क्षमता = 1 = 0.05 Js-1
अतः A की क्षमता B की तुलना में ज्यादा है। स्पष्ट है कि A ने B से दिये गए समय में अधिक कार्य किया।
Bihar Board Class 9 Science कार्य तथा ऊर्जा Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
- सूमा एक तालाब में तैर रही है।
- एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
- एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
- एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
- एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
- अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
- एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर:
निम्न दो शर्तों के पूर्ण होने पर कार्य किया जाता है –
- वस्तु पर बल लग रहा हो।
- बल की दिशा या उसकी विपरीत दिशा में बल लगाने पर वस्तु का विस्थापन हो।
(a) तैरते समय, पानी को पीछे धकेलने के लिए बल लगाती है। अतः पानी भी सूमा पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाता है जिसके प्रभाव से वह आगे बढ़ती है। यहाँ बल द्वारा विस्थापन होता है। अतः सूमा द्वारा तैरते समय कार्य किया जाता है।
(b) बोझा उठाते समय गधे को ऊपर की दिशा में बल लगाना पड़ता है। किन्तु बल द्वारा कोई विस्थापन नहीं हो रहा अतः गधे द्वारा शून्य कार्य हो रहा है।
(c) एक पवन चक्की कुएँ से पानी निकालने में गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कार्य कर रही है। अतः पवन चक्की द्वारा कार्य किया जा रहा है।
(d) यहाँ पौधे की पत्तियों का विस्थापन नहीं हो रहा अतः कार्य नहीं हो रहा।
(e) इंजन द्वारा ट्रेन पर बल लगाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप ट्रेन का बल की दिशा में विस्थापन हो रहा है। अतः इंजन द्वारा कार्य हो रहा है।
(f) अनाज के दाने सूर्य के प्रकाश में विस्थापित नहीं हो रहे। अतः उनके सूर्य की धूप में सूखने में शून्य कार्य हो रहा है।
(g) पवन ऊर्जा के द्वारा लगाए जाने वाले बल के कारण पाल – नाव गति करती है। अत: पाल-नाव का विस्थापन बल की दिशा में हो रहा है। अत: पवन द्वारा नाव पर कार्य हो रहा है।
प्रश्न 2.
एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एकही क्षैतिज रेखा पर स्थित है। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऊर्ध्वाधर विस्थापन पर निर्भर करता है। ऊर्ध्वाधर विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम ऊँचाई के बीच के अन्तर द्वारा ज्ञात किया जाता है। यहाँ वह शून्य है। गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य W = mgh
जहाँ, h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 0
w = mg = 0J
अतः पिण्ड पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य है।
प्रश्न 3.
एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब बल्ब को बैटरी से जोड़ा जाता है तो बैटरी की रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है। बल्ब इस विद्युत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है। अतः प्रक्रम में ऊर्जा परिवर्तन हुए।
रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → प्रकाश → ऊष्मा
प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा के अन्तर के बराबर होता है।
यहाँ m = 20 kg, u = 5 ms-1,v= 2 ms-1
गतिज ऊर्जा का अन्तर, W = 12mv2 – 12mu-1
w = 12 m (v2 – u2)
12 x 20 (22 – 52)
W =-210 J
यहाँ ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि कार्य वस्तु की गति को धीमा करने में किया गया है।
प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यहाँ शून्य कार्य हुआ क्योंकि गुरुत्वीय बल व विस्थापन एक-दूसरे के क्षैतिज (perpendicular) हैं।
प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।
उत्तर:
नहीं, इस प्रक्रम में ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता। क्योंकि जब कोई वस्तु गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। स्थितिज ऊर्जा में कमी गतिज ऊर्जा में बढ़त के बराबर होती है। इस प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। अत: ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता।
प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं ?
उत्तर:
साइकिल चलाते समय चलाने वाले की पेशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा व साइकिल की गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है। ऊष्मीय ऊर्जा चालक के शरीर को गर्म करती है व गतिज ऊर्जा साइकिल को गति प्रदान करती है। ऊर्जा रूपान्तरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
पेशीय ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
इस पूरे प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
प्रश्न 8.
जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती
उत्तर:
जब हम एक चट्टान को धकेलने की कोशिश करते हैं तो हमारी पेशीय ऊर्जा का चट्टान पर स्थानान्तरण नहीं होता। ऊर्जा का व्यय भी नहीं होता क्योंकि पेशीय ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है जिसके कारण हमारा शरीर गर्म हो जाता है।
प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी ?
हल:
1 यूनिट ऊर्जा = 1 किलोवाट घण्टा (kWh)
1 kWh = 3.6 x 106 J
अतः, 250 यूनिट ऊर्जा = 250 x 3.6 x 106
= 9.0 x 108J
प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है ? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g= 10 ms-2)
हल:
स्थितिज ऊर्जा को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –
W = mgh
h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 5 m
m = वस्तु का द्रव्यमान = 40 kg
g = गुरुत्वीय त्वरण = 10 m/s-2
W = 40 x 5 x 10 = 2000 J
जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर होगा तब उसकी स्थितिज ऊर्जा = 2000 / 2 = 1000 J, इस बिन्दु पर उसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के बराबर होगी। यह ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार है। अत: ठीक आधे रास्ते पर उसकी गतिज ऊर्जा 1000J होगी।
प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर लगने वाले गुरुत्वीय बल की दिशा उसके विस्थापन के क्षैतिज (perpendicular) होती है। अत: उपग्रह पर पृथ्वी के गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर
हाँ, एक समान गति से गतिशील पिण्ड में बल की अनुपस्थिति में विस्थापन हो सकता है। यदि कोई पिण्ड स्थिर वेग से गतिशील है तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होगा। परन्तु पिण्ड की गति की दिशा में विस्थापन होगा। अतः बल के बिना भी विस्थापन सम्भव है।
प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है –
(i) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए
(ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए, बल की या उसके विपरीत दिशा में। – जब कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर रखे रहता है तो भूसे के ढेर में कोई विस्थापन नहीं होता। गट्ठर पर गुरुत्वीय बल कार्य कर रहा है, पर मनुष्य उस पर कोई बल नहीं लगा रहा। अतः बल की अनुपस्थिति में मनुष्य द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 14.
एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा ?
हल:
विद्युत हीटर द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा को निम्न व्यंजक द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
P = 𝑊𝑇
हीटर की घोषित शक्ति, P = 1500 W = 1.5kw
हीटर के उपयोग का समय, T = 10 h
किया गया कार्य = उपयोग की गई ऊर्जा
उपयोग की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1.5 x 10 = 15 kWh
अतः हीटर 15 kWh ऊर्जा 10 घण्टे में उपयोग करेगा।
प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समयपश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित हो सकती है। न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। रूपान्तरण के पहले व रूपान्तरण के पश्चात् कुल ऊर्जा सदैव अचर रहती है। सरल लोलक के गोलक का उदाहरण लेते हैं –
जब गोलक अपनी प्रारम्भिक स्थिति P से स्थिति A या B पर पहुँचता है तो यह अपनी स्थिति P से h ऊँचाई तक जाता है। इस बिन्दु पर उसकी समस्त गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व स्थितिज ऊर्जा शेष रहती है। अब जब गोलक बिन्दु P पर वापस आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व गतिज ऊर्जा शेष रहती है। ऊर्जा का यह रूपान्तरण गोलक के दोलन के दौरान चलता रहता है।
गोलक का दोलन हमेशा नहीं चलता, वरन् कुछ समय पश्चात् वह विराम अवस्था में आ जाता है। हवा उसकी गति का प्रतिरोध करती है। गोलक की गतिज ऊर्जा घर्षण के प्रभाव के कारण कम होती है व वह कुछ समय पश्चात् रुक जाता है। यहाँ ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि गोलक द्वारा घर्षण को पार करने में व्यय ऊर्जा वातावरण द्वारा प्राप्त की जाती है। अतः गोलक व वातावरण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।
प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड नियत वेग । से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाए ?
उत्तर:
m द्रव्यमान का एक पिण्ड जो एक नियत वेग v से गतिशील है, उसकी गतिज ऊर्जा होगी
Ek = 12mv2
पिण्ड को विराम अवस्था में लाने के लिए उस पर 1 / 2 mv2 जितना कार्य करना होगा।
प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को, जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
गतिज ऊर्जा, Ek = 12mv2
यहाँ, m = 1500 kg, v = 60 km/hr = 60 x58 m/s
Ek = 12 x 1500 x (60 x (60×518)2
= 20.8 x 104J
अतः, कार को रोकने के लिए 20.8 x 104 J कार्य करना होगा।
प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर:
I दशा – इस दशा में बल की दिशा पिण्ड के विस्थापन के लम्बवत् (perpendicular) है। अत: पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
II दशा – इस दशा में, बल विस्थापन की दिशा में लग रहा है। अत: बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य धनात्मक होगा।
III दशा – इस दशा में बल विस्थापन की विपरीत दिशा में लग रहा है। अतः पिण्ड पर किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं ? बताइए, क्यों ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। ऐसा तब होता है जब उस पर लगने वाले सभी बल एक-दूसरे के विपरीत हों या नेट बल शून्य हो। एकसमान गति से गतिमान वस्तु पर लगने वाला नेट बल शून्य होता है। अतः वस्तु पर शून्य त्वरण लगता है। सोनी का कथन सही है।
प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500W है, 10 घण्टे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल:
किसी युक्ति द्वारा व्यय की ऊर्जा शक्ति के सूत्र से ज्ञात की जा सकती है।
P = 𝑊𝑇
जहाँ शक्ति, P = 500 W = 0.50 kW
समय, T = 10 h
किया गया कार्य = व्यय की गई ऊर्जा
अत: व्यय की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 0.50 x 10 = 5 kWh
अतः चार समान शक्ति वाली युक्तियों द्वारा व्यय की गई ऊर्जा
= 5 x 4 = 20 kWh = 20 यूनिट
प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?
उत्तर:
जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से धरती पर गिरता है तब उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। उसकी स्थितिज ऊर्जा कम होती है व गतिज ऊर्जा बढ़ती है। जब पिण्ड धरती पर पहुँचने वाला होता है तो ऊँचाई h = 0 तथा इस अवस्था में वस्तु का वेग अधिकतम होगा। अत: गतिज ऊर्जा अधिकतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होगी। किन्तु जैसे ही पिण्ड धरती को स्पर्श करेगा, उसकी गतिज ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा व ध्वनि में रूपान्तरित हो जाती है। यह पृथ्वी के तल को नुकसान भी पहुंचा सकता है यदि इसकी गतिज ऊर्जा काफी अधिक है या पृथ्वी का तल नर्म है।
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