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Thursday, June 30, 2022

BSEB Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Science Chapter 12 ध्वनि Book Answers

BSEB Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Science Chapter 12 ध्वनि Book Answers
BSEB Class 9 Science Chapter 12 ध्वनि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Science Chapter 12 ध्वनि Book Answers


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Bihar Board Class 9th Science Chapter 12 ध्वनि Textbooks Solutions PDF

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Bihar Board Class 9th Science Chapter 12 ध्वनि Books Solutions

Board BSEB
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 9th
Subject Science Chapter 12 ध्वनि
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Bihar Board Class 9 Science ध्वनि InText Questions and Answers

प्रश्न शृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 1.
किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है ?
उत्तर:
जब कोई वस्तु कम्पन करती है तो यह अपने चारों ओर विद्यमान माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है। कंपमान वस्तु के सम्पर्क में रहने वाले माध्यम के कण अपनी सन्तुलित अवस्था से विस्थापित होते हैं। ये अपने समीप के कणों पर एक बल लगाते हैं जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

प्रश्न श्रृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है। ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे ?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
तरंगदैर्घ्य-दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
आवृत्ति – एकांक समय में होने वाले कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति (υ) कहते हैं। इसका SI मांत्रक ह (Hertz) है।
आवर्तकाल – किसी माध्यम में घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। इसे T अक्षर से निरूपित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड (s) है।
आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे साधारण अक्षर A से निरूपित किया जाता है।

प्रश्न 2.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति व वेग के बीच सम्बन्ध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता है –
ध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ) = v = 10

प्रश्न 3.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग की आवृत्ति (υ) = 220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440 m/s
ध्वनि तरंग का वेग v = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
λ = v/υ = 440220 = 2 m
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2 m है।

प्रश्न 4.
किसी ध्वनि स्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा?
हल:
दो क्रमागत संपीडनों के बीच का समय तरंग का समय अन्तराल होता है।
आवृत्ति (υ) = 1𝑇
या T = 1υ = 1500 = 0.002 s

प्रश्न श्रृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 187)

प्रश्न 1.
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। एक बल लगाते हैं जिसके फलस्वरूप निकटवर्ती कण अपनी विरामावस्था से विस्थापित हो जाते हैं। निकटवर्ती कणों को विस्थापित करने के पश्चात् प्रारम्भिक कण अपनी मूल अवस्थाओं में वापस लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है।

प्रश्न शृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 1.
आपके विद्यालय की घंटी ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है ?
उत्तर:
घंटी आगे और पीछे तेज गति करती है जिस कारण वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती है।

प्रश्न 2.
ध्वनि तरंगों को यान्त्रिक तरंगें क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों को संचरित होने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें यान्त्रिक तरंगें कहा जाता है। ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों की गति द्वारा अभिलक्षित की जाती हैं।

प्रश्न 3.
मान लीजिए आप अपने मित्र के साथ चन्द्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पायेंगे?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंगों को संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। चन्द्रमा पर वायुमण्डल न होने के कारण ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम नहीं है। अतः हम अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि नहीं सुन पायेंगे।

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता है ?
(a) प्रबलता
(b) तारत्व।
उत्तर:
(a) आयाम
(b) आवृत्ति।

प्रश्न 2.
अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है
(a) गिटार
(b) कार का हॉर्न।
उत्तर:
गिटार का तारत्व कार के हॉर्न से अधिक है क्योंकि गिटार के तारों से उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति कार के हॉर्न से अधिक होती है। जितनी अधिक आवृत्ति होगी उतना अधिक तारत्व होगा।

प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 186)

प्रश्न 1.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्तकाल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तरंगदैर्घ्य-दो क्रमागत संपीडनों (c) अथवा दो क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्घ्य कहलाती है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
आवृत्ति – एकांक समय में होने वाले कुल दोलनों की संख्या को आवृत्ति (υ) कहते हैं। इसका SI मात्रक हर्ट्ज (Hertz) है।
आवर्तकाल – किसी माध्यम में घनत्व के एक सम्पूर्ण दोलन में लिया गया समय ध्वनि तरंग का आवर्तकाल कहलाता है। इसे T अक्षर से निरूपित करते हैं। इसका SI मात्रक सेकण्ड (s) है।
आयाम – किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे साधारण अक्षर A से निरूपित किया जाता है।

प्रश्न 2.
किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार सम्बन्धित है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति व वेग के बीच सम्बन्ध को निम्न प्रकार व्यक्त किया जाता हैध्वनि का वेग (v) = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
v = λ υ

प्रश्न 3.
किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग की आवृत्ति (υ) = 220 Hz
ध्वनि तरंग का वेग (v) = 440 m/s
ध्वनि तरंग का वेग v = तरंगदैर्घ्य (λ) x आवृत्ति (υ)
λ = v /υ = 440220 = 2 m
अतः इस तरंग की तरंगदैर्घ्य 2 m है।

प्रश्न 4.
किसी ध्वनि स्रोत से 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अन्तराल होगा?
हल:
दो क्रमागत संपीडनों के बीच का समय तरंग का समय अन्तराल होता है।
आवृत्ति (υ) = 1𝑇
T= 1υ = 1500 = 0.002 s

प्रश्न श्रृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 187)

प्रश्न 1.
ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी एकांक क्षेत्रफल से एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है।

प्रश्न शृंखला # 06 (पृष्ठ संख्या 188)

प्रश्न 1.
वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है ?
उत्तर:
वायु में 25°C पर ध्वनि की चाल 346 m/s है, समुद्री जल में 25°C पर 1531 m/s व आसुत जल में 1498 m/s है व लोहे में 25°C पर ध्वनि की चाल 5950 m/s है। अतः लोहे में ध्वनि सबसे तेज चलती है।

प्रश्न श्रृंखला # 07 (पृष्ठ संख्या 189)

प्रश्न 1.
कोई प्रतिध्वनि 3 5 पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच कितनी दूरी होगी ?
हल:
ध्वनि की चाल, v = 346 ms-1
प्रतिध्वनि सुनने में लिया गया समय t = 3 s
ध्वनि द्वारा चली गई दूरी = v x 1 = 346 x 3 = 1038 m
3s में ध्वनि ने स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दो गुनी दूरी तय की। अतएव स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच की दूरी = 1038 = 519 m

प्रश्न शृंखला # 08 (पृष्ठ संख्या 190)

प्रश्न 1.
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं ?
उत्तर:
कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती हैं जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए।

प्रश्न श्रृंखला # 09 (पृष्ठ संख्या 191)

प्रश्न 1.
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर क्या है ?
उत्तर:
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर लगभग 20 Hz से 20,000 Hz है।

प्रश्न 2.
निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परिसर क्या है ?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
उत्तर:
(a) अवश्रव्य ध्वनि-अवश्रव्य ध्वनि का परिसर 20 Hz से कम है।
(b) पराध्वनि-पराध्वनि का परिसर 20 kHz से अधिक है।

प्रश्न श्रृंखला 10 (पृष्ठ संख्या 193)

प्रश्न 1.
एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अन्दर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
उत्सर्जन तथा लौटने में लगा समय t = 102 s
खारे पानी में पराध्वनि की चाल v = 1531 m/s
पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d
जहाँ d = चट्टान की दूरी
2d = ध्वनि की चाल x समय
= 1531 x 1.02
= 1561.62 m
d = 1564.62/2 = 780.81
अतः पनडुब्बी से चट्टान की दूरी 780.81 m है।

क्रियाकलाप 12.1 (पृष्ठ संख्या 179)

प्रश्न 1.
स्वरित्र द्विभुज को रबड़ के पैड पर मारकर कम्पित कराकर अपने कान के समीप लाने पर क्या आप कोई ध्वनि सुन पाते हैं ?
उत्तर:
हाँ, स्वरित्र द्विभुज को रबड़ के पैड पर मारने से उसमें कम्पन्न उत्पन्न होते हैं जिनके कारण ध्वनि उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को अपनी अंगुली से स्पर्श कीजिए और अपने अनुभव को अपने मित्रों से बाँटिए। .
उत्तर:
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को अपनी अंगुली से स्पर्श करने पर कम्पनों के कारण झनझनाहट महसूस होती है।

प्रश्न 3.
पहले कम्पन न करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कीजिए। फिर कम्पन करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कीजिए। देखिए क्या होता है? अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए और दोनों अवस्थाओं में अन्तर की व्याख्या करने का प्रयत्न कीजिए।
उत्तर:
कम्पन न करते हुए स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा से गेंद को स्पर्श कराने पर कुछ नहीं होता। परन्तु कम्पन करते हुए स्वरित्र द्विभुज को गेंद से स्पर्श कराने पर गेंद दोलन करने लगती है। स्वरित्र द्विभुज से गेंद पर ऊर्जा का संचरण होता है।

क्रियाकलाप 12.2 (पृष्ठ संख्या 179)

प्रश्न 4.
कंपमान स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को पानी के पृष्ठ से स्पर्श कराइए। अब कंपमान स्वरित्र द्विभुज की दोनों भुजाओं को पानी में डुबोइए। देखिए कि दोनों अवस्थाओं में क्या होता है ?
उत्तर:
स्वरित्र द्विभुज की एक भुजा को पानी के पृष्ठ से स्पर्श कराने पर पानी में हलचल होती है व दोनों भुजाओं को पानी में डुबोने पर पानी ऊपर की ओर तीव्रता से छलकता है।

क्रियाकलाप.12.3 (पृष्ठ संख्या 180)

प्रश्न 5.
विभिन्न वाद्य यंत्रों की सूची बनाइए और अपने मित्रों के साथ विचार-विमर्श कीजिए कि ध्वनि उत्पन्न करने के लिए इन वाद्य यंत्रों का कौन-सा भाग कंपन करता है ?
उत्तर:

क्रियाकलाप 12.4 (पृष्ठ संख्या 182)

प्रश्न 6.
अपने मित्र की ओर स्लिकी को एक तीव्र झटका दीजिए। आप क्या देखते हैं ? यदि आप अपने हाथ से स्लिकी को लगातार आगे-पीछे बारी-बारी से धक्का देते और खींचते रहें तो आप क्या देखेंगे ?
उत्तर:
स्लिकी को एक तीव्र झटका देने पर उसमें कम्पन उत्पन्न होता है। अपने हाथ से स्लिंकी को लगातार आगे-पीछे धक्का देने और खींचने पर उसमें तरंग उत्पन्न होती है। ये तरंगें अनुदैर्घ्य हैं।

क्रियाकलाप 12.5 (पृष्ठ संख्या 188)

प्रश्न 7.
इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलम्ब के बीच के कोणों को मापिए तथा इनके बीच के सम्बन्ध को देखिए।
उत्तर:
इन पाइपों तथा दर्शाए अभिलम्ब के बीच के कोण आपस में बराबर हैं और ये तीनों एक ही तल में स्थित हैं।

प्रश्न 8.
दाईं ओर के पाइप को ऊर्ध्वाधर दिशा में थोड़ी-सी ऊँचाई तक उठाइए और देखिए क्या होता है ?
उत्तर:
दाईं ओर के पाइप को उठाने पर ध्वनि सुनाई देना बन्द हो जाती है।

Bihar Board Class 9 Science ध्वनि Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जो हमारे कानों में श्रवण का संवेदन उत्पन्न करती है। ध्वनि विभिन्न वस्तुओं के कम्पन के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं।
उत्तर:
जब कोई कंपमान वस्तु आगे की ओर कम्पन करती है तो अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है और इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र को संपीडन (C) कहते हैं। (चित्र देखें) यह संपीडन कंपमान वस्तु से दूर आगे की ओर गति करता है। जब कंपमान वस्तु पीछे की ओर कम्पन करती है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन (R) कहते हैं (देखें चित्र)।

प्रश्न 3.
किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है ?
उत्तर:
एक विद्युत घंटी और एक काँच का वायुरुद्ध बेलजार लेते हैं। विद्युत घंटी को बेलजार में लटकाते हैं। बेलजार को एक निर्वात पम्प से जोड़ते हैं। घंटी के स्विच को दबाने पर हमें उसकी ध्वनि सुनाई देती है। अब निर्वात पम्प को चलाने पर बेलजार की वाय धीरे-धीरे बाहर निकलती है। घंटी की ध्वनि धीमी हो जाती है यद्यपि उसमें पहले जैसी ही विद्युतधारा प्रवाहित हो रही है। कुछ समय पश्चात् जब बेलजार में बहुत कम वायु रह जाती है तब बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देती है व समस्त वायु निकाल देने पर जरा भी ध्वनि सुनाई नहीं देती। अतः यह प्रयोग दर्शाता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है ?
उत्तर:
ध्वनि तरंगों में माध्यम के कणों का विस्थापन विक्षोभ के संचरण की दिशा के समान्तर होता है। कण एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति नहीं करते लेकिन अपनी विराम अवस्था से आगे-पीछे दोलन करते हैं। अतएव ध्वनि तरंगें अनुदैर्घ्य तरंगें हैं।

प्रश्न 5.
ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है ?
उत्तर:
ध्वनि की गुणता (timbre) वह अभिलक्षण है जो किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे हमारे मित्र की आवाज पहचानने में हमारी सहायता करता है।

प्रश्न 6.
तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर:
ध्वनि की गति (344 m/s) प्रकाश की गति (3 x 10% m/s) की तुलना में कम है। अतः तड़ित की गर्जन पृथ्वी तक पहुँचने में उसकी चमक से ज्यादा समय लेती है। यही कारण है कि हमें तड़ित की चमक दिखाई देने के कुछ सेकण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है।

प्रश्न 7.
किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परिसर 20 Hz से 20 Hz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए। वायु में ध्वनि का वेग 344 ms-1 लीजिए।
हल:
ध्वनि तरंग के लिए –
वेग = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
या v = λ x υ
ध्वनि का वायु में वेग (v) = 344 m/s

1. v = 20 Hz के लिए
λ1 = υ𝑣 = 34420 = 17.2m

2. v = 20,000 Hz के लिए,
λ1 = υ𝑣 = 34420,000 = 17.2 m
अतः कोई व्यक्ति 0.172 m से 17.2 m तरंगदैर्घ्य तक की तरंग सुन सकता है।

प्रश्न 8.
दो बालक किसी ऐलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय का अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल:
वायु में ध्वनि का वेग = 346 m/s
ऐलुमिनियम में ध्वनि का वेग = 6420 m/s
माना, पाइप की लम्बाई = 1
ध्वनि तरंग द्वारा वायु में लिया गया समय।

ध्वनि तरंग द्वारा ऐलुमिनियम में लिया गया समय

= 6420346 = 18.551

प्रश्न 9.
किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कम्पन करेगा?
हल:
आवृत्ति = 100 Hz (दिया है)
इसका तात्पर्य है कि ध्वनि स्रोत 1 सेकण्ड में 100 बार कम्पन करेगा। अतः एक मिनट में की गई कम्पन = 100 x 60 = 6000 बार

प्रश्न 10.
क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं ? इन नियमों को बताइए।
उत्तर:
ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश तरंगें करती हैं। ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा, परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलम्ब से समान कोण बनाते हैं और ये तीनों एक ही तल में होते हैं।

प्रश्न 11.
ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक पृष्ठ के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी –
(i) जिस दिन ताप अधिक हो ?
(ii) जिस दिन ताप कम हो ?
उत्तर:
स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 s का समय अन्तराल होना चाहिए।

रह जाती है तब बहुत धीमी ध्वनि सुनाई देती है व समस्त वायु निकाल देने पर जरा भी ध्वनि सुनाई नहीं देती। अत: यह प्रयोग दर्शाता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है। जिस दिन ताप अधिक होगा, ध्वनि का वेग भी अधिक होगा अतः उस दिन प्रतिध्वनि शीघ्र सुनाई देगी। यदि पराध्वनि द्वारा लिया गया समय 0.1 s से कम है तो यह नहीं सुनाई देगी।

प्रश्न 12.
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लिखिए।
उत्तर:
ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग
(1) ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग सोनार में किया जाता है। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।
(2) स्टेथोस्कोप में भी ध्वनि तरंगों के परावर्तन का उपयोग होता है। स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।

प्रश्न 13.
500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी ? (g = 10 ms-1 तथा ध्वनि की चाल = 340 ms-1)
हल:
मीनार की ऊँचाई = 500 m
ध्वनि की चाल = 340 ms-1
g = 10 ms-1
पत्थर का प्रारम्भिक वेग u = 0
पत्थर द्वारा मीनार के आधार पर गिरने में लगा समय = t1

गति के दूसरे समीकरण द्वारा –
s = ut1 + 12 gt21
500 = 0 x t1 + 12 x 10 x t21 = t21 = 100 = t1 = 10 s
ध्वनि द्वारा मीनार के आधार से चोटी तक पहुँचने में लगने वाला समय
t2 = 500340 = 1.478
अत: चोटी पर पत्थर के गिरने की ध्वनि सुनाई देगी,
t = t1 + t2
= 10 + 1.47
= 11.47 s के पश्चात्।

प्रश्न 14.
एक ध्वनि तरंग 339 ms-1 की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो, तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी ? क्या यह श्रव्य होगी?
हल:
ध्वनि की चाल = 339 m/s
तरंगदैर्घ्य = 1.5 cm = 0.015 cm
ध्वनि की चाल = तरंगदैर्घ्य x आवृत्ति
v = λ x υ
υ = 𝑣λ
= 33910.15 = 22600 Hz
मनुष्य के लिए श्रव्यता परिसर 20 Hz से 20,000 Hz है। इस ध्वनि की आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक है, अतः यह श्रव्य नहीं होगी।

प्रश्न 15.
अनुरणन क्या है ? इसे कैसे कम किया जा सकता है ?
उत्तर:
किसी सभागार में ध्वनि-निबंध बारम्बार परावर्तनों के कारण होता है। इसे अनुरणन कहते हैं। अनुरणन को कम करने के लिए सभा भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों, जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टिक अथवा पर्दे लगे होते हैं। सीटों के पदार्थों का चुनाव इनके ध्वनि अवशोषक गुणों के आधार पर भी किया जाता है।

प्रश्न 16.
ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है ? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है। विभिन्न आवृत्तियों वाली ध्वनि द्वारा मस्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव को प्रबलता कहते हैं। प्रबलता ध्वनि के आयाम पर निर्भर करती है।

प्रश्न 17.
चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चमगादड़ उड़ते समय पराध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है तथा परावर्तन के पश्चात् इनका संसूचन करता है। चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पन्द अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचते हैं। इन परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को पता चलता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है।

प्रश्न 18.
वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर:
जिन वस्तुओं को साफ करना होता है उन्हें साफ करने वाले गर्जन विलयन में रखते हैं और इस विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति के कारण धूल, चिकनाई तथा गन्दगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्रश्न 19.
सोनार की कार्यविधि तथा उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोनार (SONAR) शब्द Sound Navigation and Ranging से बना है। सोनार एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित पिण्डों की दूरी, दिशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। सोनार में एक प्रेषित्र तथा एक संसूचक होता है और इसे किसी नाव या जहाज में चित्र की भाँति लगाया जाता है।

प्रेषित्र पराध्वनि तरंगें उत्पन्न तथा प्रेषित करता है। ये तरंगें जल में चलती हैं तथा समुद्र तल में पिण्ड से टकराने के पश्चात् परावर्तित होकर संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं। संसूचक पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है। जल में ध्वनि की चाल तथा पराध्वनि के प्रेषण तथा अभिग्रहण के समय अन्तराल को ज्ञात करके उस पिण्ड की दूरी की गणना की जा सकती है जिससे ध्वनि तरंग परावर्तित हुई है।

मान लीजिए पराध्वनि संकेत के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समय अन्तराल ‘t’ है तथा समुद्री जल में ध्वनि की चाल ‘v’ है। तब सतह से पिण्ड की दूरी 2d होगी 2d = v x t सोनार के उपयोग – सोनार की तकनीक का उपयोग समुद्र की गहराई ज्ञात करने तथा जल के अन्दर स्थित चट्टानों, घाटियों, पनडुब्बियों, हिम शैल (प्लावी बर्फ), डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 20.
एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3625 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
हल:
पराध्वनि सुनने में लगा समय, t = 5 s
पनडुब्बी से वस्तु की दूरी, d = 3625 m
सोनार तरंगों द्वारा तय की गई कुल दूरी = 2d
पानी में ध्वनि की चाल, v = 2d/t
= 2×36255
= 1450 ms-1

प्रश्न 21.
किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पराध्वनि का उपयोग धातु के ब्लॉकों (पिण्डों) में दरारों तथा अन्य दोषों का पता लगाने के लिए किया जाता है। पराध्वनि तरंगें धातु के ब्लॉक से गुजारी (प्रेषित की) जाती हैं और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों का उपयोग किया जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है, तो पराध्वनि तरंगें परावर्तित हो जाती हैं जो दोष की उपस्थिति को दर्शाती हैं।

प्रश्न 22.
मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य का कान श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में बदलता है जो श्रवण तन्त्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं। मनुष्य के कान में सुनने की प्रक्रिया निम्न प्रकार होती है –

बाहरी कान ‘कर्ण पल्लव’ कहलाता है। यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है। एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है। श्रवण नलिका के सिरे पर एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटल या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह यह कर्ण पटह को अन्दर की ओर दबाता है। इसी प्रकार विरलन के पहुंचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करते हैं। इस प्रकार कर्ण पटह कम्पन करता है।

मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ [(मुन्दरक, निहाई तथा वलयक (स्टिरप)] इन कम्पनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। गहरा कर्ण ध्वनि तरंगों से मिलने वाले इन दाब परिवर्तनों को आन्तरिक कर्ण तक संचरित कर देता है। आन्तरिक कर्ण में कर्णावर्त (Cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है। इन विद्युत संकेतों को श्रवण तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क में भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।


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