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AP Board Class 9 Hindi Chapter 10 अमर वाणी Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 9th Hindi Chapter 10 अमर वाणी Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 9th Hindi Chapter 10 अमर वाणी Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 10 अमर वाणी |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 9th Hindi Chapter 10 अमर वाणी Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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InText Questions (Textbook Page No. 44)
प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखायी दे रहा है?
उत्तर:
चित्र में दो हाथ हैं। अपनी मुट्ठियों से एक रस्सी को पकडे हुए हैं।
प्रश्न 2.
यहाँ हाथों से क्या किया जा रहा है?
उत्तर:
यहाँ हाथों से एक रस्सी को तोडा जा रहा है।
प्रश्न 3.
जीवन में दोस्ती का क्या महत्व है?
उत्तर:
दोस्ती के बिना जीवन अधूरा है | हमारे कष्टों के समय दोस्तों के सहारे हम सहायता पाते हैं | एक बात हमें याद रखना है कि अच्छी दोस्ती ही करनी चाहिए |
अर्थवाह्यता-प्रतिक्रिया
अ) इन प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए।
प्रश्न 1.
कुछ प्रमुख हिन्दी कवियों के नाम बताइए ।
उत्तर:
हिन्दी साहित्य महान और विशिष्ट है। इसमें अनेक कवि हैं।, उनमें. कुछ हैं – चंदबरदाई, जगनिक, तुलसीदास, मीराबाई, रसखान, कबीरदास, रहीम, नंददास, वृन्द, मैथिलीशरणगुप्त, जयशंकर प्रसाद, महादेवीवर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सुभद्रा कुमारी चौहान, सियारामशरण गुप्त, दिनकर, बिहारीलाल।
प्रश्न 2.
कबीर के बारे में बताइए |
उत्तर:
कबीर के जन्म और मृत्यु के संबंध में मतभेद हैं । फिर भी कुछ विद्वानों के अनुसार कबीरदास का जन्म सन् 1398 में काशी में एक हिन्दू परिवार में हुआ था । किन्तु नीरु – नीमा नामक एक जुलाहा दंपति ने इनका पालन-पोषण किया था । कबीरदास रामानंद के शिष्य थे | कबीर पढे-लिखे. नहीं थे । कबीर ज्ञानमार्गी शाखा के भक्तिकाल के कवि थे । उनकी समस्त कृतियाँ तीन भागों में निहित हैं – साखी, रमैनी, और पदावली । उनका काव्य संग्रह बीजक है । उनकी मृत्यु सन् 1528 में हुई ।
प्रश्न 3.
अभ्यास का क्या महत्व है ?
(या)
कवि वृंद ने जडमति को सुजान बनने का क्या उपाय बताया?
उत्तर:
मानव जीवन में अभ्यास का महत्वपूर्ण स्थान है। अभ्यास करते रहने से असंभव काम भी संभव ज़रूर होता है। मूर्ख व्यक्ति भी अभ्यास करने से महा पंडित बन सकता है। महाकवि वाल्मीकि ही इसका सच्चा उदाहरण है। कविवर वृंद भी इसी विषय का समर्थन करते हुए कहते हैं – शिला पर निशान पडना बहुत मुश्किल है। लेकिन रस्सी की रगड से उस पर भी निशान पड़ जाता है। इसी तरह अभ्यास करते – करते मूर्ख (जडमति) भी ज्ञानी (सुजान) बन सकता है। इसलिए अभ्यास के द्वारा मानव सब कुछ प्राप्त कर सकता है।
आ) पाठ पढकर उत्तर दीजिए।
• भाव से संबंधित दोहा लिखिए |
प्रश्न 1.
सुख में ईश्वर का ध्यान रखनेवाले को दुःख नहीं होता |
उत्तर:
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय |
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय |
प्रश्न 2.
सज्जन के साथ रहने से सुख मिलता है ।
उत्तर:
उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि |
जैसे नृप लावै इतर, लेत सभा जनवासि ||
इ) दोहा पढ़िए । भाव अपने शब्दों में बताइए।
प्रश्न 1.
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचै सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय ॥
उत्तर:
कवि कबीरदास इस दोहे में धैर्यक्के महत्व को समझाते हैं । कवि कहते हैं कि हे मन ! धीरज रखो | जल्द बाज़ी मत करो। तुम्हारा काम धीरे-धीरे पूरा होगा | ऋतु के आने पर ही पेड़ को फल लगेंगे | वनमाली सौ घडे पानी डालकर पेडों को सींचने पर भी कोई फायदा नहीं | समय आने पर ही कार्य की सिद्धि होती है।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
अ) प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कबीर की दृष्टि में – “किसी काम को धीरे – धीरे करना” इसका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
कबीरदास जी कहते हैं कि सारे काम धीरे – धीरे निश्चित समय पर ही होते हैं। शीघ्रता दिखाने मात्र से कोई काम नहीं होता | फैल जल्दी पाने की अभिलाषा से माली सौ घडे पानी से पेड सींचता है तो भी असमय में पेड से कोई फल नहीं मिलता। मौसम के आने पर ही पेड से फल निकलते हैं इसी तरह जल्दीबाज़ी करने मात्र से कोई काम नहीं होता।
प्रश्न 2.
हमें किन प्रयत्नों से सफलता मिल सकती है?उत्तर:
उत्तर:
मानव जीवन में कोई भी काम असंभव नहीं है। मन लगाकर प्रयत्न करने से हर काम संभव होता है। मन में श्रद्धा रखकर, काम की सफलता पर विश्वास रखते, भगवान पर भरोसा रखकर, संदेह या संशय छोडकर एकाग्र चित्त होकर काम करते रहने से ज़रूर सफलता मिल सकती है। इस तरह हमें श्रद्धा, विश्वास, कडी मेहनत, शक्ति से युक्त प्रयत्नों से सफलता ज़रूर मिल सकती है।
प्रश्न 3.
भगवान का स्मरण कब करना चाहिए? क्यों?
उत्तर:
सब लोग भगवान (ईश्वर) का स्मरण दुख में ही करते हैं। अर्थात् भगवान दुख में ही याद आता है। सुखों में हम भगवान का स्मरण नहीं करते। अर्थात् सुखों में हमें भगवान याद नहीं आता। सुख में ईश्वर का ध्यान
रखनेवाले को दुख ही नहीं होता। इसलिए हमें सुख में भी भगवान का स्मरण करना चाहिए।
आ) तुलना कीजिए।
कबीर व वृन्द के दोहों में क्या अंतर स्पष्ट होता है?
उत्तर:
कबीर और वृन्द दोनों ने दोहे लिखे थे । इन दोनों के दोहों में निम्न अंतर हैं।
कबीर के दोहे | वृन्द के दोहे |
1) इनके दोहे धार्मिक सिद्धांतों के अनुरूप नीतिपरक हैं। | 1) इनके दोहे लोकनीति से भरे हैं। |
2) ईश्वर संबन्धी विचारों पर आधारित है। | 2) उक्तियों का उपयोग अधिक हुआ है। |
3) रुढिवाद का खंडन मिलता है। | 3) भक्ति भावना की प्राधान्यता कम है। |
4) रहस्यवादी भावनाएँ प्रकट होती हैं। | 4) स्पष्ट वादिता प्रकट होती है। |
5) निराकार भगवान की उपासना नज़र आती है। | 5) उपदेश युक्त और प्रभावशाली हैं। |
इ) कुछ नीति संबंधी नारें लिखिए।
उत्तर:
- सत्यमेव जयते।
- बड़ों की सेवा करो।
- सदा सच ही बोलिए।
- स्त्रियों का आदर करो।
- धर्मो रक्षति रक्षितः
- सभी जीव जंतुओं से प्यार करो।
- वृक्षो रक्षति रक्षित :
- ईमानदारी जीवन बिताइए।
- विद्यावान सर्वत्र पूज्यते।
ई) कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? बताइए।
(या)
‘अमर वाणी’ कविता पाठ में किन नैतिक मूल्यों के बारे में बताया गया? लिखिए|
उत्तर:
कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को इस प्रकार प्रभावित करते हैं –
कबीर
- कबीर के दोहे हमें भगवान को सुख समय में भी स्मरण करने का आदत दिलाते हैं।
- कबीर के दोहों से हम जीवन में किसी भी काम को जल्दबाजी से न करने का आदत को सीख लेते हैं। हर एक काम बहुत सोच विचार के साथ धीरे – धीरे करने का आदत हम सीख लेते हैं।
- कबीर के दोहों के द्वारा हम भगवान से हमारे लिये जितना आवश्यक है उतना ही देने की प्रार्थना कर सकेंगे।
वंद
- वृंद के दोहों के द्वारा हम उत्तम जन से स्नेह करने का सीख सीख लेंगे। हम यह जान सकेंगे कि सज्जनों से ही दोस्ती करना चाहिए।
- वृंद के दोहों के द्वारा हम जीवन में हर हमेशा अच्छे से अच्छे काम ही करने का सीख सीख लेंगे। क्योंकि हमें अच्छे कामों से ही सुख और पुण्य मिलता है। बुरे कामों से पाप मिलेगा। हम दूसरों को जो करेंगे हमें भगवान वही करेगा।
- वृंद के दोहों के द्वारा हमें निरंतर अभ्यास करने का आदत मिलता है। निरंतर अभ्यास से जडमति छात्र भी बुद्धिमान बनते हैं।
- इस प्रकार कबीर और वृंद के दोहे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।
भाषा की बात
‘जड़मति’ शब्द जड़ और मति शब्दों के जोड़ने पर बना है। ऐसे ही कुछ और शब्द बनाइए।
उत्तर:
जड़प्रकृति, जड़वाद, जड़हीन, जड़ाव, जड़ाऊ, जड़हन, जड़ताई, जड़काला आदि।
परियोजना कार्य
कुछ दोहे संकलित कीजिए।
★ जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान ।।
★ वृच्छ कबहुँ नहिं फल भखै, नदी न संचै नीर |
परमारथ के कारने, साधु न धरा शरीर ||
★ विद्या धन उद्यम बिना, कहौ जु पावै कौन |
बिना डुलाए ना मिले, ज्यौं पंखा का पौन ||
★ जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम |
दोऊ हाथ उलीचिये, यह सज्जन कौ काम ||
★ मधुर वचन तै जात मिट, उत्तम जन अभिमान |
तनिक सीत जल सों मिटै, जैसे दूध उफ़ान ||
★ अपनी पहुँच विचारि कै, करतब करियौ दौर |
तेते पांव पसारिये, जेती लॉबी सौर ||
अमर वाणी Summary in English
Kabirdas :
One remembers God in sorrow. No one remembers him in pleasure.
Where will be the sorrow when we remember God in pleasure.
+ O mind slowness is essential. Everything happens slowly.
Even the gardener waters the plants with hundred pots of water, do they give fruit if it is not season?
O God, provide my family with only that much it requires, I shouldn’t be hungry. My guests too shouldn’t be hungry i.e., Give me the power to attend to my guests too.
Vrind (Vrindavandas) :
Everybody gets pleasure usually in the company of virtuous people.
Everybody in the court feel a pleasant smell if the king comes using a perfume?
How can we have pleasure by doing wrong deeds?
If the seeds of calatropis are planted, how are the mangoes produced?
By constant practice, even a dunce can be made wise. If the rope is drawn repeatedly, its marks are formed on the rock. Likewise, if one practises well, one will become proficient.
अमर वाणी Summary in Telugu
కబీర్ దాస్
దు:ఖంలో భగవంతుణ్ణి అందరూ స్మరిస్తారు. సుఖంలో ఎవ్వరూ స్మరించరు.
సుఖంలో కూడా భగవంతుణ్ణి స్మరిస్తే ఇంకా దు:ఖమెక్కడిది?
ఓ మనస్సా , నిదానమే ప్రధానం. నిదానంగా అన్నీ జరుగుతాయి.
తోటమాలి వంద కడవలు నీరు పోసినా ఋతువు రానిదే కాయలు కాయునా?
ఓ భగవంతుడా నా కుటుంబానికి ఎంత కావాలో (అవసరమో) అంతే ఇవ్వు (ప్రసాదించు). నేను ఆకలి (నిరాహారంతో)గా ఉండకూడదు. నా ఇంటికి వచ్చిన వారెవరైనా ఆకలితో ఉండకూడదు. అనగా నా ఇంటికి వచ్చిన వారికి కూడా తిండి పెట్టగలిగే శక్తిని ఇవ్వు.
వృంద్ (వృందావన్ దాస్)
మంచివాళ్ళ సాంగత్యంలో సహజంగానే అందరికీ సుఖం లభిస్తుంది అదెట్లనగా
‘రాజులు అత్తరు పూసుకుని వస్తే సభలోనున్న అందరూ సువాసన గ్రహిస్తారు కదా !
చెడ్డ పనులు చేసి సుఖాన్ని కోరుకుంటే ఎలా పొందుతాము? జిల్లేడు విత్తనాలను నాటితే మామిడికాయలు ఎక్కడి నుండి వస్తాయి? (మామిడిచెట్టు ఎక్కడి నుండి మొలుస్తుంది?
అభ్యాసం చేయగా చేయగా అనగా నిరంతర అభ్యాసంతో మందమతి (మూర్ఖుడు) కూడా బుద్ధిమంతుడు . (సుగుణవంతుడు) అవుతాడు. తాడును పదేపదే లాగగా రాతిపై దాని గుర్తులేర్పడతాయి. అదే విధంగా అభ్యాసం చేయగా చేయగా బుద్ధి వికసించి పండితులగుతారు.
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दो या तीन पंक्तियों में लिखिए।
1. मानव जीवन में अच्छी संगति का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
मानव जीवन में अच्छी संगति का प्रभाव बहुत अच्छा होता है। अच्छी संगति से हम भी जग में अच्छे बन जाएँगे। उस अच्छाई का फल सभी भोगते हैं। नृप अत्तर लगाकर आए तो सभी सभाजन वासी उस इतर को ग्रहण करेंगे।
अर्थग्राह्यता – प्रतिक्रिया
पठित – पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
1. दुःख में सुमिरन सब करे,सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय॥
धीरे – धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। |
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।।
प्रश्न :
1. भगवान का स्मरण कब नहीं करते हैं?
उत्तर:
सुख में भगवान का स्मरण नहीं करते हैं।
2. भगवान का स्मरण सब कब करते है?
उत्तर:
सब दुख में भगवान का स्मरण करते हैं।
3. फल कब फलते हैं?
उत्तर:
ऋतु आने से फल – फलते हैं।
4. ये दोहे किस पाठ से लिये गये हैं?
उत्तर:
ये दोहे अमर वाणी पाठ से लिये गये हैं।
5. माली कितने घडे सींचता है?
उत्तर:
माली सौ घडे सीचंता है।
2. साई इतना दीजिए, जामें कुटुम्ब समाय
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय॥
उत्तम जन के संग में, सहजे ही सुखभासि।
जैसे नृप लावै इतर, लेत सभा जनवासि॥
प्रश्न:
1. कबीर भगवान से कितना धन देने की प्रार्थना करते हैं?
उत्तर:
कबीर भगवान से जितना धन अपना परिवार के लिए, आवश्यकता है उतना धन ही को देने की प्रार्थना करते हैं।
2. इतर कौन लाते हैं?
उत्तर:
इतर नृप लाते हैं।
3. उत्तम जन के संग से हमें क्या मिलता है?
उत्तर:
उत्तम जन के संग से हमें सुख मिलता है।
4. उपर्युक्त इन दोहों में से दूसरे दोहे के कवि कौन है?
उत्तर:
उपर्युक्त इन दोहों में से दूसरे दोहे के कवि है श्री बंद। (वृंदावन दास)
3. करै बुराई सुख चहै, कैसे पावै कोई।
रोपै बिरवा आक को, आम कहाँ तें होइ॥
करत – करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान॥
प्रश्न :
1. जडमति सुजान कैसा बनता है?
उत्तर:
अभ्यास करते – करते जडमति सुजान बनता है।
2. रस्सी रगडने से सिल पर क्या पडता है?
उत्तर:
रस्सी रगडने से सिल पर निशान पडता है।
3. लोग बुराई करने से किसे नहीं पाते हैं?
उत्तर:
लोग बुराई करने से सुख नहीं पाते हैं।
4. इन दोहों के कवि कौन है?
उत्तर:
इन दोहों के कवि हैं श्री वृंद (वृंदावन दास)
5. इन दोहों को किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
इन दोहों को ‘अमर वाणी’ नामक पाठ से लिया गया है।
अपठित – पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।
1. पुष्कर सोता है निज सर में,
भ्रमर सो रहा है पुष्कर में,
गुंजन सोया कभी भ्रमर में,
सो, मेरे गृह – गुंजन, सो !
सो, मेरे अंचल – धन, सो !
प्रश्न :
1. पुष्कर यहाँ सोता है
A) निज सर में
B) सागर में
C) नाल में
D) झील में
उत्तर:
A) निज सर में
2. कभी भ्रमर में कौन सोया है?
A) भ्रमर
B) पुष्कर
C) गुंजन
D) सर
उत्तर:
C) गुंजन
3. भ्रमर कहाँ सो रहा है?
A) पुष्कर में
B) निज सर में
C) गृह में
D) गुंजन में
उत्तर:
A) पुष्कर में
4. सो, मेरे …… सो। रिक्त स्थान की पूर्ति करो।।
A) भ्रमर
B) पुष्कर
C) गुंजन
D) अंचल धन
उत्तर:
D) अंचल धन
5. गृह शब्द का अर्थ पहचानिए।
A) घर
B) वन
C) कमल
D) नयन
उत्तर:
A) घर
2. नहीं बजती उसके हाथों में कोई वीणा,
नहीं होता कोई अनुराग – राग – आलाप,
नूपुरों में भी रुनझुन -रुनझुन नहीं,
सिर्फ एक अव्यक्त शब्द – सा ‘चुप, चुप, चुप’,
है गूंज रहा सब कहीं।
प्रश्न :
1. उसके हाथों में क्या नहीं बजती?
A) कोई वीणा
B) कोई राग
C) नूपुर
D) रुनझुन
उत्तर:
A) कोई वीणा
2. इनमें भी रुनझुन – रुनझुन नहीं
A) वीणा में
B) अनुराग में
C) नूपुरों में
D) हाथों में
उत्तर:
C) नूपुरों में
3. सब कहीं क्या गूंज रहा है?
A) वीणा
B) चुप, चुप, चुप
C) नूपुर
D) राग
उत्तर:
B) चुप, चुप, चुप
4. क्या – क्या नहीं होता है?
A) अनुराग
B) राग
C) आलाप
D) ये सब
उत्तर:
D) ये सब
5. हाथ शब्द का पर्यायवाची शब्द पहचानिए।
A) पैर
B) पग
C) कर
D) त्रिभुज
उत्तर:
C) कर
3. झर – झर, झर – झर झरता झरना।
आलस कभी न करता झरना।
थक कर कभी न सोता झरना।
प्यास सभी की हरता झरना ॥
प्रश्न :
1. प्यास सभी की कौन हरता है?
A) झरना
B) सागर
C) कुआ
D) नल
उत्तर:
A) झरना
2. यह थक कर कभी नहीं सोता है
A) कौआ
B) मोर
C) झरना
D) हिरण
उत्तर:
C) झरना
3. झरना कभी – भी यह नहीं करता
A) गृह कार्य
B) आलस
C) दुख
D) शब्द
उत्तर:
B) आलस
4. झरना ऐसा झरता है –
A) टर – टर
B) धन – धन
C) चम – चम
D) झर – झर
उत्तर:
D) झर – झर
5. इस पद्य का उचित शीर्षक पहचानिए।
A) सागर
B) पर्वत
C) झरना
D) नदी
उत्तर:
C) झरना
4. बचो अर्चना से, फूल माला से,
अंधी अनुशंसा की हाला से,
बचो वंदना की वंचना से, आत्म रति से,
चलो आत्म पोषण से, आत्म की क्षति से।
प्रश्न :
1. हमें किससे बचना है?
A) साँप से
B) सिहं से
C) बाघ से
D) अर्चना से
उत्तर:
D) अर्चना से
2. हमें इसकी वंचना से बचना है –
A) हाला की
B) वंदना की
C) अंधी की
D) फूलमाला की
उत्तर:
B) वंदना की
3. हमें किस पोषण से चलना है?
A) आत्म
B) शरीर
C) हृदय
D) मन
उत्तर:
A) आत्म
4. अंधी अनुशंसा की हाला से हमें क्या करना चाहिए?
A) बचना
B) भागना
C) फ़सना
D) फैलना
उत्तर:
A) बचना
5. हमें इससे भी बचना चाहिए
A) शिक्षा से
B) दंड से
C) आत्मरति से
D) इन सबसे
उत्तर:
C) आत्मरति से
5. निश्चल आत्मा है अक्षय,
निश्चल मृण्मय तन नश्वर,
यह जीवन चक्र चिरंतन .
तू हँस – हँस जी, हँस – हँस मर ॥
प्रश्न :
1. निश्चल आत्मा कैसा है?
A) अक्षय
B) क्षय
C) व्यय
D) माया
उत्तर:
A) अक्षय
2. किस प्रकार का तन नश्वर है?
A) निश्चल आत्मा
B) निश्चल मृण्मय तन
C) जीवन चक्र
D) चिरंतन
उत्तर:
B) निश्चल मृण्मय तन
3. यह जीवन चक्र कैसा है?
A) नश्वर
B) शास्वत
C) शुभप्रद
D) चिरंतन
उत्तर:
D) चिरंतन
4. मरना शब्द का विलोम पहचानिए।
A) जीत
B) जीना
C) जलना
D) जागना
उत्तर:
B) जीना
5. इस पद्य में आये पुनरुक्ति शब्द पहचानिए।
A) हँस – हँस
B) आत्मा
C) मुण्मय
D) ये सब
उत्तर:
A) हँस – हँस
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