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AP Board Class 9 Hindi Chapter 4 प्रकृति की सीख Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 9th Hindi Chapter 4 प्रकृति की सीख Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 9th Hindi Chapter 4 प्रकृति की सीख Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 4 प्रकृति की सीख |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 9th Hindi Chapter 4 प्रकृति की सीख Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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InText Questions (Textbook Page No. 18)
प्रश्न 1.
चित्र में क्या दिखाई दे रहा है?
उत्तर:
चित्र में एक नौका सागर को पार कर रही है। इसमें दो आदमी हैं।
प्रश्न 2.
वे क्या कर रहे हैं?
उत्तर:
वे जीवन यापन के लिए मछलियों को पकडते हुए गंभीर सागर को (नाव में से) पार कर रहे हैं।
प्रश्न 3.
इससे क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
इससे (हमें) यह संदेश मिलता है कि जितने भी गंभीर समस्याएँ हों उनकी साहस और कठिन मेहनत से सामना करना चाहिए।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर बताइए।
प्रश्न 1.
नदियाँ खेती के लिए किस प्रकार उपयोगी हैं ?
उत्तर:
नदियाँ पहाडों से निकलती हैं । पहाडों में रास्ता बनाकर, जंगलों से होकर मैदान में बहती हैं । प्राणिमात्र के लिए नदियों का पानी बहुत उपयोगी है । खेती के लिए उपजाऊ भूमि तैयार करने का काम नदियाँ करती हैं । नदियों के पानी से ही खेतों की सिंचाई होती है। किसान अनाज के साथ-साथ विविध तरकारियाँ और खाद्यान्न भी उसी पानी से पैदा करते हैं। नदियों पर बाँध बनाकर पानी इकट्ठा किया जाता है । नहरें निकाली जाती है । नहरों द्वारा सिंचाई का काम सुचारू रूप से होता है । हमारे भारत में खेती पूरी तरह नदियों पर निर्भर रहती है । इस तरह खेती के हर काम के लिए नदियाँ बहुत उपयोगी हैं |
प्रश्न 2.
ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत कैसे सहायक होते हैं?
उत्तर:
पर्वत तो अकसर ऊँचे होते हैं । पर्वत प्रकृति की संपदा है । इनसे कई लाभ हैं । हमें बहुत सहायक होते हैं, इनकी तलहटों में अनेक पेड -पौधों के होने के कारण हमेशा हरियाली और ठंडक बनी रहती हैं। खासकर समुद्र की तेज़ हवाओं से पर्वत देश की रक्षा करते हैं। तूफ़ान, आँधी आदि प्रकृति संबन्धी अनेक हालतों से ये हमें बचाते हैं । ऐसे पर्वत ऋतुओं के नियंत्रण में भी बडे सहायक होते हैं। उन्हीं के कारण मौसम समय पर आते हैं | मेघों को रोककर वर्षाएँ सही समय पर आने में इनका खास महत्व रहता है। इस तरह हम देखते हैं कि ऋतुओं के नियंत्रण में पर्वत बडे सहायकारी होते हैं।
आ) पाठ पढ़िए । अभ्यास – कार्य कीजिए।
* कविता के आधार पर उचित क्रम दीजिए।
1) सागर कहता है लहराकर। ( )
2) पर्वत कहता शीश उठाकर | ( 1 )
3) मन में गहराई लाओ। ( )
4) तुम भी ऊँचे बन जाओ । ( )
उत्तर:
1) 2
2) 4
3) 1
4) 3
स्तंभ ‘क’ को स्तंभ ‘ख’ से जोड़िए और उसका भाव बताइए ।
उत्तर:
पद्यांश पढ़िए । अब इन प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
सूरज के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सूरज भूमि के बहुत नज़दीक रहनेवाला एक नक्षत्र ही है । सूरज एक जलता हुआ आग का गोला है ।
पृथ्वी से सूरज कई गुना बड़ा है। पृथ्वी पर रहनेवाले समस्त प्राणि कोटि को आवश्यक जीव शक्ति सूरज से ही मिलती है। ग्रह परिवार में सूरज केंद्र स्थान में है । ग्रह, उपग्रह और लघु ग्रह सूरज के चारों ओर घूमते रहते हैं । पृथ्वी पर रहा पानी सूरज की गरमी से भाप के रूप में ऊपर उठकर मेघ बनते हैं,
ठंडी हवा लगते ही मेघ पानी बरसाते हैं ।
प्रश्न 2.
कवि ने सूरज, पंछी, हवा से क्या कहा?
उत्तर:
कवि ने सूरज से आदमियों को जगाने को पंछी (पक्षियों) से आदमियों के कानों पर चिल्लाने को और हवा से आदमी को हिलाने को कहा ।
प्रश्न 3.
वास्तव में जगने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वास्तव में जगने का तात्पर्य यह है कि जो बेखबर सपनों में खोया पडा है उसे जागरूक करना है।
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
अ) प्रश्नों के उत्तर लिरिवाए।
प्रश्न 1.
पर्वत हमें सिर उठाकर जीने के लिए क्यों कह रहा होगा?
उत्तर:
पर्वत हमेशा बडे – बडे शिखरों के कारण ऊँचे रहते हैं। यदि हम अच्छे से अच्छे काम और बढ़प्पन के कार्य करें तो हम भी उन्हीं के तरह दुनिया में आदर के साथ सिर उठा करके रहेंगे। हमारा जीवन उन्नत बनेगा। हम दुनिया में आदरणीय बनेंगे। इसलिए हम अच्छे – अच्छे काम करते हुए पर्वतों के जैसे सिर खड़ा करके (उठाकर) रहने के लिए पर्वत ऐसा कह रहा होगा।
प्रश्न 2.
विपत्तियों का सामना हमें कैसे करना चाहिए?
उत्तर:
धैर्य, समयस्फूर्ति, उपाय, साहस और सोच विचार के साथ हम विपत्तियों का सामना कर सकते हैं। हम पृथ्वी से धैर्य न छोड़ने की भावना को ग्रहण कर के विपत्तियों का सामना कर सकेंगे।
प्रश्न 3.
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे : नदियाँ, सूरज, पेड आदि हमें क्या सीख देते हैं?
उत्तर:
प्रकृति के अन्य तत्व जैसे नदियाँ, सूरज, पेड़ आदि हमें ये सीख देते हैं –
नदियाँ :
निर्मल रहने, मीठे-मीठे मृदुल उमंगों को भरने तथा परोपकार की भावना का सीख देती हैं।
सूरज :
जगने और जगाने तथा सकल जीवों का आधार बनने का सीख देता है। सूरज हमें अंधकार को दूर करके प्रकाश को फैलने का सीख भी देता है।
पेड़ :
फेड़ हमें सदा परोपकारी बने रहने का सीख देते हैं।
आ) कविता का सारांश अपने शब्दों में लिरिवए ।
(या)
“प्रकृति के विभिन्न अंगों से हम कुछ न कुछ सीखते हैं।” इस कथन की पुष्ट करते हुए प्रकृति की सीख पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
पर्वत, सागर, पृथ्वी और आसमान हमें क्या संदेश देते हैं?
(या)
प्रकृति के संदेशों से हम जीवन सफल बना सकते हैं। “प्रकृति की सीख’ कविता पाठ के आधार पर समझाइए।
(या)
प्रकृति के कण – कण में कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। सोहनलाल द्विवेदी जी ने प्रकृति के माध्यम से कौन – सा संदेश दिया?
उत्तर:
‘प्रकृति की सीख” कविता के कवि श्री सोहनलाल द्विवेदी जी हैं । उनका जीवनकाल 1906-1988 है।
अपनी अमूल्य रचनाओं से वे हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध हुए हैं। उनकी प्रमुख रचना ” सेवाग्राम’ है। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया।
प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि हमारे चारों ओर की प्रकृति के कण-कण में कुछ संदेश छिपा स्हता है । उन संदेशों का आचरण करने से हम अपने जीवन को सार्थक व सफल बना सकते हैं।
पर्वत हम से कहता है कि तुम भी अपना सिर उठाकर मुझ जैसे ऊँचे (लंबे) बनजाओ । अर्थ है कि . सब में ऊँचा रहना महान गुण है। समुद्र लहराते कहता है कि मैं जैसे गहरा हूँ वैसे तुम भी अपने मन गहरे और विशाल बनाओ | माने गहराई से सोचो ।
समुद्र के चंचल तरंग उठ-उठ कर गिरते हैं। क्या तुम समझ सकते हो कि वे क्या कह रहे हैं ? वे कहना चाहते हैं कि तुम भी उनके जैसे अपने दिल में मीठी और कोमल आशाएँ भर लो । क्योंकि आशा को सफल बनाने का प्रयत्न ज़रूर करते हो।
धरती हम से कहती है कि चाहे जितनी बडी ज़िम्मेदारी तुम्हें पूरी करनी है, धैर्य के साथ उसे पूरा करो । आकाश कहता है कि मुझ जैसा पूरा फैलकर सारी दुनिया ढक लो | माने महान बनकर सब पर अपना प्रभाव दिखाओ।
इ) कविता के भाव से सूक्तियाँ लिरिवाए ।
उत्तर:
- शीश उठाकर ऊँचे बनो।
- धैर्य न छोडो।
- मन में गहराई लाओ।
- सारा संसार ढक लो।
- मन में मीठे मृदुल उमंग भर लो ।
ई) नीचे दी गयी पंक्तियों के आधार पर छोटी – सी कविता लिरिवए।
हरियाली कहती ………………………. ।
महकते फूल कहते ………………….. ।
चहचहाते पक्षी कहते ……………….. ।
बहती नदियाँ कहती ………………… ।
उत्तर:
हरियाली कहती जीवन में हरा-भरा रहो ।
महकते फूल कहते हँसते-हँसते जीना सीखो।
चहचहाते पक्षी कहते आपस में मिलजुलकर रहो।
बहती नदियाँ कहती अविराम काम करते रहो।
भाषा की बात
अ) पाठ में आये पुनरुक्त शब्द रेखांकित कीजिए और वाक्य प्रयोग कीजिए ।
जैसे : मीठी-मीठी – बच्चे मीठी -मीठी बातें करते हैं |
उत्तर:
उठ – उठ = तरल तरंग उठ-उठ गिर रहे हैं।
भर लो – भर लो = भर लो – भर लो मन में मीठे उमंग।
आ) विपरीत अर्थ लिखिए और वाक्य प्रयोग कीजिए |
जैसे : न्याय x अन्याय- हमें अन्याय का विरोध करना चाहिए।
(धैर्य, हिंसा, शांति, यश, धर्म, गौरव, सत्य)
उत्तर:
धैर्य – कष्टों को देखकर अधैर्य मत होओ।
हिंसा – गाँधीजी अहिंसा का पालन करते थे।
शांति – आजकल विश्व भर में अशांति फैली हुई है।
यश – असत्य से तुम अपयश पाते हो।
धर्म – कौरव अधर्म से जीतना चाहते थे।
गौरव – बडों के प्रति अगौरव भाव मत दिखाइए।
सत्य – असत्य कभी भी मत बोलो ।
इ) इन शब्दों के बीच का अंतर समझिए और स्पष्ट कीजिए। ऐसे ही तीन शब्द लिखिए ।
उत्तर:
परियोजना कार्य
सोहनलाल द्विवेदी के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए । उनकी कोई एक कविता ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर:
सोहनलाल द्विवेदी जी का जन्म 22 फरवरी, सन् 1906 को कानपुर के पास बिंदकी नामक गाँव में हुआ था । ये राष्ट्रीय काव्य धारा के कवि थे । युगावतार, भैरवी, पूजागीत, युगाधार, विषपान, वासन्ती, चित्रा आदि उनकी काव्य कृतियाँ हैं। उनकी मृत्यु मार्च 1988 को हुई।
आपके द्वारा लिखी गयी शिशुभारती, बच्चों के बापू, बिगुल, बाँसुरी और झरना और दूध बतासा आदि रचनाएँ बच्चों को आकर्षित करती हैं | आपकी प्रसिद्ध रचना सेवाग्राम है। 1969 में भारत सरकार ने आपको पङ्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया था।
उने लाल अब आँखें खोलो।
उठो लाल अब आँखें खोलो
पानी लाई हूँ मुँह धो लो
बीती रात कमल दल फूले
उनके ऊपर भंवरे झूले
चिड़ियाँ चहक उठी पेड़ों पर
बहने लगी हवा अति सुंदर
नभ में न्यारी लाली छाई
धरती ने प्यारी छवि पाई
भोर हुई सूरज उग आया
जल में पड़ी सुनहरी छाया
नन्हीं नन्हीं किरणें आई
फूल खिले कलियाँ मुस्काई
इतना सुंदर समय न खोओ
मेरे प्यारे अब मत सोओ
प्रकृति की सीख Summary in English
Mountains say that everybody should hold thier head high. Sea states that everybody should be profound with pure and good thought waves, same as it (the sea) is deep with waves.
Do you understand what the rising and frothy tides of the sea tell us ? They advise us to fill our hearts with sweet, tender and joyous feelings.
The earth tells us not to desert courage how muchever burden lies upon your head. The sky tells us to spread everywhere and encircle the world.
We get message from each and every particle of the nature. Mountains, rivers, brooks and trees etc., tell us something. We should make our lives truthful with their messages. This alone is the essence of the lesson.
प्रकृति की सीख Summary in Telugu
పర్వతాలు తమ వలే అందరూ ఉన్నతంగా తల ఎత్తుకుని నిలబడమని చెబుతున్నాయి. సముద్రము తను ఏ విధంగా అలలతో కూడినదై లోతుగా ఉంటుందో అట్లే అందరూ మనస్సులో మంచి ఆలోచనా తరంగాలతో కూడి లోతును కల్గియుండమని చెబుతోంది.
ఎగిరి ఎగిరి పడుతున్న నురుగులు కక్కే సముద్ర తరంగాలు (అలలు) ఏమి చెబుతున్నవో అర్థమైనదా ? మనస్సులో తీయ తీయని సున్నితమైన సంతోష భావాలను నింపుకొమ్మని చెబుతున్నాయి.
మన తలపై ఎంత భారం ఉన్నా ధైర్యం విడువొద్దని భూమి మనతో చెబుతున్నది. ఆకాశం అంతటా తనలా వ్యాపించమని, ప్రపంచాన్ని కప్పమని చెబుతోంది.
ప్రకృతి యొక్క అణువణువు నుండి మనకు ఏదో ఒక సందేశం లభిస్తోంది. పర్వతాలు, నదులు, సెలయేర్లు, చెట్లు మొ||నవి మనతో ఏదో చెబుతాయి. వీటి సందేశంతో మనం మన జీవితాలను సఫలం చేసుకోవాలి. ఇదే ఈ పద్యభాగ సారాంశం.
अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया
1. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ – उठ गिर गिर तरल तरंग ।
भर लो, भर लो अपने दिल में,
मीठे – मीठे मृदुल उमंग ॥
प्रश्न : 1. पर्वत क्या कहता है?
उत्तर:
पर्वत शीश उठाकर ऊँचे बन जाने को कहते हैं।
2. मन में गहराई लाने की सीख किससे मिलती है?
उत्तर:
मन में गहराई लाने की सीख सागर से मिलती है।
3. तरंग हमें कौनसी सीख देती है?
उत्तर:
तरंग हमें दिल में मीठे – मीठे मृदुल उमंग भरने
4. ‘शीश’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
शीश = सिर
5. इस पद्यांश के कवि कौन हैं?
उत्तर:
इस पद्यांश के कवि हैं सोहनलाल द्विवेदी।
2. निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर नीचे दिये गये वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। सही विकल्प से संबंधित अक्षर चुनकर कोष्ठक में रखिए।
कितनी सुंदर कितनी प्यारी
त्यौहारों में सबसे ज्यारी
रंग बिरंगी होली
आई रंग बिरंगी होली।
आओ मिलकर खुशी मनाएँ
एक दूजे को रंग लगाएँ
गले मिलें, हर झगड़ा भूलें
भेदभाव हम सभी मिटाएँ।
प्रश्न :
1. त्यौहारों में सबसे न्यारी क्या है?
A) होली
B) दिवाली
C) ईद
D) बैसाखी
उत्तर:
A) होली
2. होली के दिन एक दूसरे पर क्या लगाते हैं? की सीख देती है।
A) पानी
B) फूल
C) फल
D) रंग
उत्तर:
D) रंग
3. होली के दिन क्या भूल जाते हैं?
A) झगडे करना
B) रंग लगाना
C) खुशी मनाना
D) गले मिलना
उत्तर:
A) झगडे करना
4. ‘खुशी’ – इस शब्द में प्रत्यय क्या है?
A) खु
B) खुश
C) सी
D) ई
उत्तर:
D) ई
5. होली हमारे मन से किस भावना को मिटाती
A) निस्वार्थ भाव
B) भेदभाव
C) प्यार
D) खुशी
उत्तर:
B) भेदभाव
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
2. निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।
1. सोहनलाल द्विवेदी के बारे में लिखिए।
उत्तर:
★ सोहनलाल द्विवेदी जी का जन्म सन् 1906 में हुआ था।
★ आप की मृत्यु सन् 1988 में हुई।
★ ‘सेवाग्राम’ आप की प्रसिद्ध रचना है।
★ आप ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित है।
अर्थग्राह्यता -प्रतिक्रिया
पठित – पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
1. पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ।
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
प्रश्न :
1. पर्वत क्या कहता है?
उत्तर:
1. पर्वत हमें ऊँचे बन जाने को कहते हैं।
(या)
पर्वत कहते हैं कि तुम भी हमारे जैसे ऊँचे बन जाओ।
2. सागर क्या कहता है?
उत्तर:
गहराकर मन में गहराई लाने को सागर कहता है।
3. यह उपर्युक्य पद्यांश किस पाठ से लिया गया
उत्तर:
यह उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पाठ से लिया गया है।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है? ।
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं “श्री सोहनलाल द्विवेदी जी”।
5. “शीश” शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
उत्तर:
शीश शब्द का पर्यायवाची शब्द है – “सिर”
2. समझ रहे हो क्या कहती है,
उठ – उठ गिर गिर तरल तरंग ।
भर लो, भर लो अपने दिल में,
मीठे – मीठे मृदुल उमंग ॥
प्रश्न :
1. तरल तरंग क्या करती है?
उत्तर:
तरलं तरंग उठ – उठकर गिर पडती है।
2. तरल तरंग उठ-उठ गिर कर क्या कहती
उत्तर:
तरल तरंग उठ – उठ गिर कर कहती है | कि तुम अपने मन में मीठे मृदुल उमंग भर लो।
3. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश ‘प्रकृति की सीख’ नामक पद्य पाठ से लिया गया है।
4. ‘मीठे’ शब्द का विलोम क्या है?
उत्तर:
मीठे – शब्द का विलोम है – “कडुआ”
5. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
3. पृथ्वी कहती, धैर्य न छोडो,
कितना ही हो सिर पर भार।
नभ कहता है, फैलो इतना,
ढक लो तुम सारा संसार ||
प्रश्न :
1. नभ क्या कहता है?
उत्तर:
नभ कहता है कि इतना फैलाकर सारा संसार को ढक लो।
2. पृथ्वी क्या कहती है?
उत्तर:
पृथ्वी कहती है कि “धैर्य न छोडो’ । धैर्य न छोडने को पृथ्वी कहती है।
3. पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी शब्द का पर्यायवाची शब्द हैं। धरती / वसुधा | वसु/ जमीन/ भूमि/ धरा आदि।
4. उपर्युक्त पद्यांश के कवि कौन है?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश के कवि हैं श्री सोहनलाल द्विवेदी जी।
5. धैर्य शब्द का विलोम क्या है?
उत्तर:
धैर्य शब्द का विलोम शब्द है डर।
अपठित – पद्यांश
निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।
1. कुछ तो नहीं लेते थे।
पर सब को देते छाया ये,
हमारे हित सब कुछ सहते,
उनके हेतु हम जीवित रहते।
सोखते हैं गंदी हवा ये
पर देते हैं शुद्ध हवा ये।
इनका गुण गान करें हम,
आओ पेड़ लगाये हम ॥
प्रश्न :
1. इस पद्य में किनके बारे में बताया गया है?
A) नदियों के
B) पेडों के
C) पर्वतों के
D) तारों के
उत्तर:
B) पेडों के
2. शुद्ध हवा कौन देते हैं?
A) नदी
B) पृथ्वी
C) चाँद
D) पेड
उत्तर:
D) पेड
3. हमें किनका गुण गान करना है?
A) आसमान का
B) पेडों का
C) पृथ्वी का
D) इन सबका
उत्तर:
B) पेडों का
4. हमें क्या लगाना है?
A) चूना
B) मिट्टी
C) पेड
D) पानी
उत्तर:
C) पेड
5. पेड किस प्रकार के हवा को सोखते हैं?
A) शुद्ध
B) गंदी
C) केवल शुद्ध हवा
D) इन सबको
उत्तर:
B) गंदी
2. घिर आये हैं बादल काले
गरज रहे हैं बन मतवाले|
खुश हो होकर मोर कूकते।
झूम – झूम के नाच दिखाते।
रिमझिम – रिमझिम पानी पडता
जन – जन का मन खूब फडकता।
प्रश्न:
1. कैसे बादल घिर आये हैं?
A) लाल
B) काले
C) हरे
D) सफ़ेद
उत्तर:
B) काले
2. बादल क्या कर रहे हैं?
A) गरज
B) खेल
C) दौड
D) रो
उत्तर:
A) गरज
3. खुशी से कौन नाच दिखाते हैं?
A) बादल
B) नदियाँ
C) कागज़
D) मोर
उत्तर:
D) मोर
4. पानी कैसे पडता है?
A) टर – टर
B) टन – टन
C) रिम-झिम
D) झम – झम
उत्तर:
C) रिम-झिम
5. किनका मन खूब फडकता है?
A) पानी
B) जन
C) बादल
उत्तर:
B) जन
3. क्षुधार्थ रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर – चर्म भी दिया ।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे ?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ॥
प्रश्न :
1. मनुष्य कौन है?
A) जो पक्षियों के लिए मरता है।
B) जो मनुष्य के लिए मरता है।
C) जो पशुओं के लिए मरता है।
D) जो अपने लिए मरता है।
उत्तर:
B) जो मनुष्य के लिए मरता है।
2. उशीनर क्षितीश ने किसे दान किया?
A) पक्षीमांस
B) स्वमांस
C) पत्नी का मांस
D) बकरी का मांस
उत्तर:
B) स्वमांस
3. परार्थ अस्थिजाल किसने दिया?
A) रंतिदेव
B) उशीनर
C) दधीचि
D) वीर कर्ण
उत्तर:
C) दधीचि
4. रंतिदेव ने क्या दिया ?
A) करस्थ थाल
B) शरीर – कवच
C) अस्थिजाल
D) स्वमांस
उत्तर:
A) करस्थ थाल
5. यह देह कैसा है?
A) नित्य
B) सत्य
C) असत्य
D) अनित्य
उत्तर:
D) अनित्य
4. हम बादल कहते सरिता – सर,
कण – कण कहता हम उसका घर,
धरती कहती रोम रोम में
समा गया है वह चिर उज्ज्वल !
करुणामय चिरंजीवी बादल !
कहाँ गया वह श्यामल बादल?
प्रश्न :
1. करुणामय और चिरंजीवी कौन है?
A) नभ
B) पृथ्वी
C) वर्षा
D) बादल
उत्तर:
D) बादल
2. बादल शब्द का अर्थ क्या है?
A) मेघ
B) सरिता सर
C) पर्वत
D) झील
उत्तर:
A) मेघ
3. कण – कण क्या कहता है?
A) हम उसका घर
B) हम किसी का घर नहीं
C) हम अपने घर
D) ये सब ठीक
उत्तर:
A) हम उसका घर
4. इस पद्य में इसके बारे में बताया गया है।
A) श्यामल बादल
B) नील गगन
C) नीली नदी
D) इन सबके
उत्तर:
A) श्यामल बादल
5. बादल इस रंग के होते है।
A) लाल
B) पीला
C) सफ़ेद
D) श्यामल
उत्तर:
D) श्यामल
5. सच पूछो तो बड़ा आदमी,
होना सब से आसान काम ।
शील व गुणों से होता,
सदा बड़े लोगों में नाम ॥
जो तुम होना बड़ा चाहते,
तो उसका है एक उपाय।
दुर्बल, दीन, अनाथ जनों का,
तन – मन – धन से करो सहाय ॥
प्रश्न :
1. सबसे आसान काम क्या है?
A) सच पूछना
B) बड़ा आदमी होना
C) शील व गुणों से होना
D) साहस करना
उत्तर:
B) बड़ा आदमी होना
2. सदा बडे लोगों में नाम कैसा होता है?
A) सच पूछना
B) शील व गुणों से होना
C) दुर्बल रहना
D) दीन रहना
उत्तर:
B) शील व गुणों से होना
3. इस पद्य में कवि क्या बनने उपाय बताते हैं?
A) पक्षी बनने
B) पर्वत बनने
C) बडा बनने
D) साधु बनने
उत्तर:
C) बडा बनने
4. बड़ां होने का एक उपाय पहचानिए।
A) सहायता करना
B) नाश करना
C) पूजा करना
D) शाप देना
उत्तर:
A) सहायता करना
5. दुर्बल, दीन, अनाथ जनों को सहाय कैसा करना है?
A) तन से
B) मन से
C) तन – मन – धन से
D) किसी से नहीं
उत्तर:
C) तन – मन – धन से
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