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Wednesday, July 20, 2022

AP Board Class 9 Hindi Chapter 7 मेरा जीवन Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 9th Hindi Chapter 7 मेरा जीवन Book Answers

AP Board Class 9 Hindi Chapter 7 मेरा जीवन Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 9th Hindi Chapter 7 मेरा जीवन Book Answers
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Board AP Board
Materials Textbook Solutions/Guide
Format DOC/PDF
Class 9th
Subject Maths
Chapters Hindi Chapter 7 मेरा जीवन
Provider Hsslive


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9th Class Hindi Chapter 7 मेरा जीवन Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 33)


प्रश्न 1.
इस चित्र से कौन – सी भावना प्रकट होती है?
उत्तर:
यह चित्र मानवता की प्रतिमूर्ति मदर तेरेसा का है | इस चित्र से सेवा प्रवृत्ति, सहनशीलता, निस्वार्थ भावना, लक्ष्य साधना में निश्चल रहने की भावना प्रकट होती है। भगवान की प्रार्थना करने की अपेक्षा दुखितों के दुःख दूर करने की भावना प्रकट होती है।

प्रश्न 2.
आपको समाज सेवा करना कैसा लगता है?
उत्तर:
समाज माने मानव संघ है। मानव सेवा ही माधव सेवा है। समाज सेवा महान और पवित्र है। ऐसे समाज की सेवा करना मुझे बहुत अच्छा और सुखदायक लगता है।

प्रश्न 3.
मदर तेरेसा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
मदर तेरेसा दयामयी, मानवता की प्रतिमूर्ति हैं। उनका जीवन आदर्शों से भरा हुआ है। ऐसे उनके जीवन से आपन्न लोगों का दुःख दूर करने और उनकी सेवा करने में जुटजाने की प्रेरणा मिलती है।

अर्थवाह्यता-प्रतिक्रिया

अ) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

अ. जीवन में हँसते – बोलते रहना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर:
मानव जीवन में सुख – दुःख दोनों रहते हैं। हर मानव सुखमय जीवन ही बिताना चाहता है। हँसते रहनेवाले का दिल स्वच्छ और शांत रहता है। हँसते बोलनेवाले के सभी मित्र बनते हैं। सबसे हँसते प्रेम पूर्वक बरताव करने से मानव सुखी बन सकता है। चाहे कितना भी कष्ट का सामना करना पडे दिल को तसल्ली पहुँचाने हँसते रहना और हँसते बोलना है। यही एक उत्तम साधन है। जीवन सुखमय बनाने हमें सदा हँसते हुए बोलना चाहिए | इससे मानसिक शांति मिलती है।

आ. खुशहाल जीवन की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
मानव जीवन सुख-दुःख का मिश्रण है। हर एक मानव खुशहाल जीवन ही बिताना चाहता है। मानव को स्वस्थ, निडर, साहसी, निर्लोभ, सहृदयी, कार्यशील होकर योग्य काम करते रहने से ही खुशी मिलती है। उसका जीवन शुखहाल होता है। दूसरों को सुख पहुँचाते स्वयं खुश रहना, खुशहाल जीवन की मुख्य विशेषता है। अपने चारों ओर के लोगों और प्राणियों की भलाई करते, धर्म परायण होकर, कर्तव्यों का पालन करते हुए सुखमय जीवन बिताना ही खुशहाल जीवन की विशेषता है।

इ. ‘प्रसन्न व्यक्ति कभी दुःखी नहीं होता’ इस पर अपने विचार बताइए ।
उत्तर:
मानव जीवन में सुख और दुःख दोनों रहते हैं। अपने अच्छे गुण और दूसरों से मिल जुलकर रहने से मानव प्रसन्न रह सकता है। निर्मल हृदय, परोपकार भावना, सुख पहुँचाना, अन्याय न करना, निस्वार्थ भावना आदि गुणों से मानव प्रसन्न रह सकता है। प्रसन्न व्यक्ति सुख-दुःख दोनों को समान दृष्टि से देखता है। दुःख के बिना सुख मिलता ही नहीं है। इस तत्व को समझकर सुखी जीवन बितानेवाला ही महान होता है। वह कभी दुःखी नहीं होता ।

आ) कविता पढ़कर नीचे दिये गये अभ्यास पूरे कीजिए।

इन पंक्तियों का उचित क्रम बताइए।

1. उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में । ( 3 )
2. उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से | ( 4 )
3. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख – सार दिखाता। ( 1 )
4. मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता। ( 2 )

नीचे दी गयीं पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
हँस-हँस जीवन में कैसे करती है चिंता क्रीडा?
उत्तर:
जिसका जीवन हँसी-हँसी से गुज़रता है उनके जीवन में चिंता की क्रीडा नहीं होती ।

प्रश्न 2.
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता ।
उत्तर:
कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के जीवन में जीवन सुख सार जैसा है | इसलिए उनकी आँखों के आगे सुख का सागर ही लहराता है ।

प्रश्न 3.
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे ।
उत्तर:
कवइत्री सुभद्रा कुमारी चौहानजी के सुख भरे जीवन में हमेशा सुनहरे बादल घेरे रहते हैं ।

प्रश्न 4.
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।।
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान जी के सुखमय जीवन में विश्वास, प्रेम, साहस आदि जीवन के साथी हैं ।

नीचे दिया गया पद्यांश पढ़कर इसका भाव अपने शब्दों में लिखिए ।
बार-बार आती है मुझको,
मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया जीवन की,
सबसे मस्त खुशी मेरी ॥
उत्तर:
यह पद्यांश कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता “मेरा बचपन” का पद्य है। कवयित्री अपने मधुरमय बचपन को याद करती कहती है।

हे बचपन ! मुझे तुम्हारी याद बार – बार आती है। क्योंकि बचपन मेरा सुखदायी और भुला देनेवाला नहीं। खेलते-कूदते, बाधा के बिना, खुशी से मैं ने अपना बचपन बिताया। बचपन के दिन जीवन में फिर कभी नहीं आते । अब मैं बड़ी हो गयी हूँ। इससे मेरे जीवन की मस्त खुशी मुझसे दूर हो गयी है।

अभिव्यक्ति- सजनात्मकता

अ) पाठ के आधार पर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिरिवाए।

प्रश्न 1.
कवयित्री ने जीवन में हँसने को क्यों महत्व दिया है?
उत्तर:
कवयित्री मानव जीवन का महत्व खूब जानने वाली हैं । अपना जीवन सुखमय बना लेने आवश्यक विषय सीख लिये हैं। वे हैं – बाधाओं को हँसते सहना, संसार और सब लोगों को सुख पहुँचाने वाले समझना। उत्साह, उमंग के साथ हर पल बिताना, आशावान होकर असफलताओं से दुःखी न होते, विश्वास, प्रेम, साहस आदि गुणों से जीवन सुखमय बना लेना आदि। इस तरह उसने अपना जीवन सुखदायी बना लिया है।

प्रश्न 2.
आपको यह संसार कैसा लगता है?
उत्तर:
मैं ने सुन लिया है कि यह संसार तो सारहीन और अशाश्वत है। लेकिन मैं तो विश्वास, प्रेम, धैर्य से सुख की आशा में ही रहती हूँ | निराश न होते हुए आशावान होकर जीवन बिताते रहने के कारण हमें यह संसार सुखदायी ही लगता है।

प्रश्न 3.
अपने जीवन को खुशहाल कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर:
मैं अपने जीवन को सदा हँसते हुए साहस, प्यार, विश्वास, आदि अच्छे गुणों से बाधाओं और कष्टों की परवाह न करते धीरज के साथ जीवन के प्रति आशा से रहते खुशहाल बनाता हूँ।

प्रश्न 4.
कवयित्री ने जीवन का साथी किसे बताया है और क्यों?
उत्तर:
मानव जीवन अति मूल्यवान है। सच्चा मानव दुःखों की परवाह न करते सुख की आशा में ही जीवन बिताता है। इसलिए कवयित्री विश्वास, प्रेम, साहस, उत्साह, उल्लास आदि महान गुणों से रहती थी। उन्होंने तो आशा को ही अपना साथी बना लिया । क्योंकि जीवन तो आशा से ही गुज़ारा जाता है।

आ) ‘मेरा जीवन’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिरिवाए।
(या)
सुभद्राकुमारी चौहान जी ‘मेरा जीवन’ कविता के माध्यम से हमें कौन – सी प्रेरणा देना चाहती है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
“मेरा जीवन” नामक कविता की कवयित्री हैं श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान | इस कविता में आप लक्ष्य की राह में खुशहाल, सुखी जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देती हैं ।

सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहती हैं कि मैं ने हँसना सीखा है । मैं रोना नहीं जानती । मैं ने अपने जीवन में पल-पल पर सोने को बरसते देखा है । मुझे आज तक यह पता नहीं कि पीडा कैसी होती है?

मैं ने इस जग के बारे में सुना कि यह जग असार है । लेकिन मुझे सुख-सार दिखाता है । मेरी आँखों के सामने सुख सागर लहराता है | मेरे जीवन में उत्साह, उमंग निरंतर रहते हैं | मेरे मतवाले मन में उल्लास और विजय हँसते रहते हैं ।

मेरे जीवन को आशा प्रतिक्षण आलोकित करती है | मेरी असफलता के धन स्वर्ण सूत्र से वलयित है। मुझे हमेशा सुख भरे सुनहरे बादल घेरे रहते हैं | मेरे जीवन के साथी विश्वास, प्रेम और साहस ही हैं।

इ) इस कविता को “आत्मकथा” के रूप में लिरिवए।
उत्तर:
मेरा जीवन :
मैं ने हँसना सीखा है। मैं रोना नहीं जानती है | मेरे जीवन में हर क्षण सोना बरसा करता है। “पीडा कैसी होती है”? – इसे मैं अब तक जान न पाई हूँ। मेरे हँस-हँस जीवन में चिंता क्रीडा कैसी करती है?

मैं इस जग के बारे में असार सुनती हूँ। लेकिन यह जग मुझे सुख – सार दिखाता है। सदा मेरे आँखों के सामने सुख का सागर ही लहराता है। मेरे जीवन में उत्साह और उमंग सदा (निरंतर) रहते हैं। मेरे मतवाले मन में उल्लास और विजय हँसते रहते हैं।

मेरे जीवन को प्रतिक्षण आशा से आलोकित करती रहती हूँ। हमेशा मुझे सुख भरे सुनहरे बादल घेरे रहते हैं। मेरे जीवन का साथी हैं – विश्वास, प्रमे और साहस।

ई) विश्वास, प्रेम और साहस का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है। इस पर अपने विचार लिरिवए।
उत्तर:
विश्वास :
विश्वास से हमारा जीवन सफल बनता है। हर एक आदमी को अपने पर, बंधु – बांधवों पर मित्रों पर अवश्य विश्वास रखना चाहिए। विश्वास के बिना हम निश्चिंता से जीवित नहीं रह सकते। हर काम पर हमें ज़रूर विश्वास रहना चाहिए । विश्वास हमें जीवन में आगे बढ़ाता है। अविश्वास तो हमारे जीवन का रोकडा है।

प्रेम :
हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश या अंग प्रेम ही है। प्रेम के बिना भी हम जीवित नहीं रह सकते। हर एक को अपने ऊपर, अपने परिजनों के ऊपर, अपने परिवार के ऊपर, अपने पुत्र तथा पत्नी आदि के ऊपर प्रेम अवश्य रहता है। प्रेम के बिना जीवन असार तथा सून लगता है। प्रेम के सहारे हम कुछ कर सकते हैं। प्रेम के बिना कुछ नहीं कर सकते । प्रेम जीवन देता है। प्रेम दूसरों को जिलाता है।

साहस :
हमारे जीवन में और एक आवश्यक अंश साहस है। यह जीवन में महत्वपूर्ण स्थान पाता है। साहस हमें आगे बढ़ाता है। साहसवाला हर एक काम पूरा करके विजय पाता है। साहस के बिना हम कुछ नहीं कर सकते। साहस के सहारे ही हम हर क्षेत्र में जीत पा सकेंगे। इसीलिए कहा गया है कि साहस और धैर्य ही लक्ष्मी है।

भाषा की बात

अ) निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए |


इस तरह दो या उससे अधिक शब्दों के मेल से बने शब्द को समास कहते हैं ।

समास के प्रकार

नीचे दिये गये शब्दों को सामासिक रूप में बताइए।

उत्तर:

परियोजना कार्य

सुभद्रा कुमारी चौहान की कोई एक कविता संग्रहित कीजिए।
उत्तर:
देव ! तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे, कई रंग के लाते हैं ।
धूम-धाम से, साज-बाज से, वे मंदिर में आते हैं ।
मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँ, लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं ।
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी, जो कुछ साथ नहीं लायी,
फिर भी साहस कर मंदिर में, पूजा करने को आयी ।
धूप-दीप, नैवेद्य नहीं है, झाँकी का श्रृंगार नहीं,
हाय, गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं ।
स्तुति कैसे करूँ तुम्हारी, स्वर में है माधुर्य नहीं,
मन का भाव प्रकट करने को, वाणी में चातुर्य नहीं ।
नहीं दान है, नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चली आयी,
पूजा की भी विधि न जानती, फिर भी नाथ चली आयी ।
पूजा और पुजापा प्रभुवर! इसी पुजारिन को समझो,
दान-दक्षिणा और निछावर, इसी भिखारिन को समझो ।
मैं उन्मत्त प्रेम की लोभी, हृदय दिखाने आयी हूँ,
जो कुछ है बस यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ |
चरणों में अर्पित है, इसको चाहो तो स्वीकार करो,
यह तो वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो ।

मेरा जीवन Summary in English

I learnt smiling. I don’t know weeping.
Every moment showered gold on my life.
So far I didn’t know how pain is.
Why does worry play in a cheerful life?
I heard the world is insubstantial. But it showed me the essence of pleasures.
The sea of comforts rose with tides before my eyes.
Joy and joviality are always with me in my life.
Getting inebriated the joy of success is smiling in my mind.
At every instant hope appears in my life.
Pleasure filled and gold coloured clouds encircled me.
Faith, love and courage are my bosom friends.

मेरा जीवन Summary in Telugu

నేను నవ్వడం నేర్చుకున్నాను. నాకు ఏడ్వడం తెలీదు. క్షణం క్షణం నా జీవితంలో బంగారం కురిసింది.
నేనిప్పటి వరకు బాధ ఎలా ఉంటుందో తెలుసుకోలేదు. నవ్వులు రువ్వే జీవితంలో దిగులు ఎందుకు ఆటలాడుతుంది? ప్రపంచం సారహితమని విన్నాను. కాని నాకు సుఖసారం చూపింది.

నా కనుల ముందు సుఖ సాగరం అలలు లేచింది. ఉత్సాహం ఉల్లాసం నిరంతరం నా జీవితంలో ఉన్నాయి. విజయోల్లాసం నా మనస్సులో మత్తెక్కి నవ్వుతోంది. నా జీవితంలో ప్రతిక్షణం ఆశ దృగ్గోచరమవుతోంది. సుఖంతో నిండిన బంగారు రంగు మేఘాలు నన్ను చుట్టుముట్టినాయి.

విశ్వాసం, ప్రేమ, సాహసం నా జీవిత స్నేహితులు.

अर्थवाहयता – प्रतिक्रिया

निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए ।

जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख – सार दिखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से।
प्रश्नः
1. कवयित्री ने जग के बारे में क्या सुना ?
उत्तर:
कवयित्री ने जग के बारे में यह सुना था कि जग असार है।

2. सुख का सागर कहाँ लहराता है?
उत्तर:
कवयित्री के आँखों के आगे सुख का सागर लहराता है।

3. कवयित्री के जीवन में निरंतर क्या रहता है?
उत्तर:
कवयित्री की जीवन में निरंतर उत्साह, उमंग रहता है।

4. “विजय’ का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर:
विजय × अपजय

5. उपर्युक्त कविता के कवयित्री का नाम क्या है?
ज. उपर्युक्त कविता की कवयित्री का नाम है “सुभद्रा कुमारी चौहान।

2. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
प्रश्नः
1. कवयित्री के जीवन को प्रतिक्षण क्या आलोकित करती है?
उत्तर:
कवयित्री के जीवन को प्रतिक्षण आशा आलोकित करती है।

2. असफलता किस सूत्र से वलयित है?
उत्तर:
असफलता स्वर्णसूत्र से वलयित है।

3. कवयित्री किनको अपने जीवन के साथी कहती है?
उत्तर:
कवइत्री विश्वास, प्रेम, साहस आदि को अपने जीवन के साथी कहती है।

4. ‘बादल’ इस शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
उत्तर:
मेघ

5. यह पद्यांश किस कविता पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
यह पद्यांश मेरा जीवन कविता पाठ से दिया गया है।

2. निम्न लिखित कविता पढ़कर नीचे दिये गये वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। सही विकल्प से संबंधित अक्षर चुनकर कोष्ठक में रखिए।

1. युग युग तक चलती रहे, कठोर कहानी
रघुकुल में भी थी एक अभागिन रानी
निज जन्म-जन्म से सुने जीव यह मेरा
धिक्कार ! उसे था महा स्वार्थ ने घेरा ||
प्रश्नः
1. युग-युग तक कैसी कहानी चलती रही?
A) सरल
B) कठोर
C) मधुर
D) विवेक
उत्तर:
B) कठोर

2. एक अभागिन रानी किस कुल में भी थी?
A) रघुकुल
B) सूर्यकुल
C) चंद्रकुल
D) राणा कुल
उत्तर:
A) रघुकुल

3. कहानी कब तक चलती रही?
A) युग युग तक
B) युगांत तक
C) प्रलय तक
D) कल तक
उत्तर:
A) युग युग तक

4. जन्म शब्द का विलोम शब्द क्या हैं?
A) जनन
B) संस्कार
C) मृत्यु
D) आविष्कार
उत्तर:
C) मृत्यु

5. इस पद्य में किस कुल का प्रस्ताव था?
A) रघुकुल
B) यदुकुल
C) चंद्रकुल
D) देवकुल
उत्तर:
A) रघुकुल

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

1. सुभद्रा कुमारी जी को यह संसार कैसा लगता है?
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी जी ने सुन लिया है कि यह संसार तो सारहीन और अशाश्वत है। लेकिन कवइत्री तो विश्वास, प्रेम, धैर्य से सुख की आशा में हि रहती हैं। निराशा न होते हुए आशावान होकर जीवन बिताने रहने के कारण कवइत्री को यह संसार सुखदायी ही लगता हैं।

2. मैं बचपन को बुला रही थी।
बोल उठी बिटिया मेरी
नंदन – वन – सी फूल उठी वह
छोटी सी कुटिया मेरी ||
‘माँ ओ’ कहकर बुला रही थी।
मिट्टी खाकर आई थी,
कुछ मुँह में, कुछ लिए हाथ में
मुझे खिलाने लाई थी।
प्रश्न :
1. कवयित्री किसको बुला रही थी ?
A) माता को
B) बेटी को
C) बचपन को
D) पिता को
उत्तर:
C) बचपन को

2. बिटिया की पुकार से कुटिया कैसी फूल उठी?
A) वृंदावन सी
B) स्वर्ग सी
C) मधुवन सी
D) नंदनवन सी
उत्तर:
D) नंदनवन सी

3. कवयित्री की बिटिया क्या खाकर आयी थी?
A) रोटी
B) मिट्टी
C) खाना
D) लड्डू
उत्तर:
B) मिट्टी

4. कुटिया कैसी थी?
A) छोटी
B) बडी
C) लंबी
D) चौडी
उत्तर:
A) छोटी

5. ‘माँ’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?( )
A) बेटी
B) माता
C) बहन
D) पुत्री
उत्तर:
B) माता

निर्देश के अनुसार उत्तर दीजिए।

1. सुनहरा बादल सुभद्राकुमारी जी को घेरा रहता है। बहुवचन रूपी वाक्य पहचानिए।
A) सुनहरे बादलों सुभद्राकुमारी जी को घेरी रहते हैं।
B) सुनहरे बादल सुभद्राकुमारी जी को घेरे रहते है।
C) सुनहरे बादलें सुभद्राकुमारी जी को घेरी रहती है।
D) सुनहरी बादल सुभद्राकुमारी जी को घेरी रहती हैं।
उत्तर:
B) सुनहरे बादल सुभद्राकुमारी जी को घेरे रहते है।

2. मेरे जीवन को आशा प्रतिक्षण आलोकित करती है। (रेखांकित शब्द का समास पहचानिए।)
A) तत्पुरुष समास
B) द्वंद्व समास
C) द्विगु समास
D) अव्ययीभाव समास
उत्तर:
D) अव्ययीभाव समास

अर्थग्राह्यता – प्रतिक्रिया

पठित – पद्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल पल पर, मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा।
प्रश्न :
1. उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री कौन है?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश की कवयित्री हैं “श्रीमति सुभद्राकुमारी चौहाना”

2. कवयित्री के जीवन में पल – पल पर क्या बरसा करता है?
उत्तर:
कवयित्री के जीवन में पल – पल पर सोना बरसा करता है।

3. कवयित्री क्या नहीं जानती है?
उत्तर:
कवयित्री पीडा कैसी होती है – इसे नहीं जानती।

4. कवयित्री ने क्या सीखा है?
उत्तर:
कवयित्री हँसना सीखा है।

5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ नामक पाठ से लिया गया है।

2. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल – पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस – हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा॥
प्रश्न :
1. कवयित्री अब तक क्या जान न पाई?
उत्तर:
कवयित्री अब तक यह जान न पाई कि “पीडा कैसी होती है?”

2. हँस – हँस जीवन में कौन-सी क्रीडा नहीं होती?
उत्तर:
हँस – हँस जीवन में चिंता क्रीडा नहीं होती।

3. ‘पल’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
उत्तर:
‘पल’ शब्द का पर्याय शब्द है -“क्षण”|

4. हँस शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर:
हँस – शब्द का विलोम शब्द है – ” रोना”|

5. उपर्युक्त पद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त पद्यांश ‘मेरा जीवन’ पाठ से लिया गया है।

3. आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण।
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
प्रश्न :
1. कवयित्री के जीवन को प्रतिक्षण क्या अलोकित करती है?
उत्तर:
कवयित्री के जीवन को आशा आलोकित करती है।

2 कवयित्री को कैसे बादल घेर कर रहते हैं?
उत्तर:
कवयित्री को सुनहरे बादल घेरकर रहते हैं।

3. कवयित्री के साथी कौन है?
उत्तर:
विश्वास, प्रेम, साहस आदि कवयित्री के साथी हैं।

4. कवयित्री की असफलता के धन किस सूत्र में वलयित है?
उत्तर:
कवयित्री की असफलता के धन स्वर्ण सूत्र से वलयित है।

5. इस पद्यांश की कवयित्री कौन है?
उत्तर:
इस पद्यांश की कवयित्री है “श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान”।

4. जग है असार सुनती हूँ मुझको सुख – सार दखाता।
मेरी आँखों के आगे सुख का सागर लहराता।
उत्साह उमंग निरंतर रहते मेरे जीवन में ।
उल्लास विजय का हँसता मेरे मतवाले मन से।
प्रश्न :
1. जग के बारे में कवयित्री क्या सुनती है?
उत्तर:
जग के बारे में कवयित्री यह सुनती है कि यह जग असार है।

2 कवयित्री के जीवन में निरंतर क्या – क्या रहते हैं?
उत्तर:
कवयित्री के जीवन में निरंतर उत्साह और उमंग रहते हैं।

3. कवयित्री के मतवाले मन से क्या हँसता है?
उत्तर:
उल्लास विजय का हँसता है।

4. कवयित्री को जग कैसा दिखाता है?
उत्तर:
कवयित्री को जग सुख सार जैसा दिखाता है।

5. इस पद्य की कवयित्री कौन है?
उत्तर:
इस पद्य की कवयित्री श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान है।

5. मैं ने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना।
बरसा करता पल – पल पर मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई कैसी होती है पीड़ा।
हँस – हँस जीवन में कैसे करती हैं चिंता क्रीड़ा।
आशा आलोकित करती मेरे जीवन को प्रतिक्षण|
है स्वर्णसूत्र से वलयित मेरी असफलता के धन।
सुख भरे सुनहरे बादल रहते हैं मुझको घेरे।
विश्वास, प्रेम, साहस जीवन के साथी मेरे।
प्रश्न :
1. किसके जीवन में आशा आलोकित करती है?
उत्तर:
कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी के जीवन में आशा आलोकित करती है।

2. मैं ने हँसना सीखा है’ – यहाँ “मैं ने” कौन है?
उत्तर:
मैं ने हँसना सीखा है। यहाँ “मैं ने” सुभद्रा कुमारी चौहान (कवयित्री) जी है।

3. कवयित्री के जीवन में पल – पल पर क्या बरसा करता है?
उत्तर:
कवयित्री के जीवन में पल – पल पर सोना बरसा करता है।

4. यह पद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
ये पद्यांश “मेरा जीवन” नामक पद्य पाठ से दिये गये हैं।

5. प्रेम – शब्द का पर्याय लिखिए।
उत्तर:
प्रेम शब्द का पर्याय है – प्यार / मोहब्बत

अपठित – पद्यांश

निम्न लिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।

1. राखी पाकर भूल न जाना,
बहिनों की तुम लाज बचाना,
वचन देकर भूल न जाना,
रक्षा का प्रण है निभाना !
आया आज रक्षा – बन्धन का त्यौहार !
भैया ! लो मैं बाँधूंगी राखी।
प्रश्न :
1. आज कौन – सा त्यौहार आया है?
A) दिवाली
B) दशहरा
C) संक्रांति
D) रक्षा बंधन
उत्तर:
D) रक्षा बंधन

2. हमें किनकी लाज बचाना है?
A) भाइयों की
B) बहिनों की
C) माताओं की
D) इन सबकी
उत्तर:
B) बहिनों की

3. राखी कौन बांधती है?
A) भाई
B) माता
C) दादी
D) बहिन
उत्तर:
D) बहिन

4. हमें किस प्रण को निभाना है?
A) रक्षा का प्रण
B) शिक्षा का प्रण
C) कक्षा का प्रण
D) देश का प्रण
उत्तर:
A) रक्षा का प्रण

5. वचन देकर क्या करना है?
A) भूल जाना
B) भूल न जाना
C) भाग जाना
D) धन कमाना
उत्तर:
B) भूल न जाना

2. सच है विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते।
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।
प्रश्न :
1. विपत्ति इन्हें दहलाती है
A) साहसी
B) कायर
C) स्त्री
D) इन सबको
उत्तर:
B) कायर

2. कौन विचलित नहीं होते ?
A) सूरमा
B) कायर
C) दानव
D) जानवर
उत्तर:
A) सूरमा

3. ये विघ्नों को गले लगते हैं
A) कायर
B) सूरमा
C) दानव
D) राक्षस
उत्तर:
B) सूरमा

4. धीरज वाले कहाँ राह बनाते हैं?
A) पत्थरों में
B) पहाडों में
C) काँटों में
D) सागरों में
उत्तर:
C) काँटों में

5. इस पद्य में क्या रखने के लिए कहा गया है?
A) कायरता
B) धीरज
C) संपत्ति
D) विपत्ति
उत्तर:
B) धीरज

3. विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सुमृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु – प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ।।
प्रश्न :
1. इससे कभी न डरना चाहिए।
A) जन्म से
B) मृत्यु से
C) युद्ध से
D) हार से
उत्तर:
B) मृत्यु से

2. जो मनुष्य के लिए मरता है, वही ……. है।
A) जानवर
B) मनुष्य
C) देवता
D) राक्षस
उत्तर:
B) मनुष्य

3. आप आप ही चरना कैसी प्रवृत्ति है?
A) मनुष्य
B) राक्षस
C) देव
D) पशु
उत्तर:
D) पशु

4. इस पद्यांश में इसके बारे में बनाया गया है
A) मनुष्यता
B) राक्षसत्व
C) देवत्व
D) अपकार करने
उत्तर:
A) मनुष्यता

5. हमें ऐसा मरना है
A) सभी भूल जाने के जैसे
B) सभी याद करने के जैसे
C) सभी संतोष में रहने के जैसे
D) ये सब सही
उत्तर:
B) सभी याद करने के जैसे

4. जयमाला ले अपने कर में
जयदेवी है तुम्हें बुलाती।
अमृत पुत्र हो, डर काहे का
बढे चलो, तुम बढ़े चलो।
मुड – मुड कर मत देखो, मानव !
बहु दूर तुम्हे तो चलना है,
सोचो अपने मन में हरदम
यह हिन्दुस्तान तुम्हारा है।
प्रश्न :
1. तुम्हें कौन बुलाती है?
A) जेष्टादेवी
B) लक्ष्मीदेवी
C) जयदेवी
D) ये सब
उत्तर:
C) जयदेवी

2. जय देवी के कर में क्या है?
A) दीप
B) हार
C) मोती का हार
D) जयमाला
उत्तर:
D) जयमाला

3. कितना दूर तुम्हें चलना है?
A) कुछ दूर
B) बहुदूर
C) दो मील
D) योजन
उत्तर:
B) बहुदूर

4. अपने मन में हर दम क्या सोचना है?
A) यह हिन्दुस्तान तुम्हारा है।
B) यह पाकिस्तान तुम्हारा है।
C) यह रूस तुम्हारा है।
D) ये सब
उत्तर:
A) यह हिन्दुस्तान तुम्हारा है।

5. तुम कैसे पुत्र हो?
A) विष
B) ज़हर
C) वीर
D) अमृत
उत्तर:
D) अमृत


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