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AP Board Class 9 Hindi Chapter 8 यक्ष प्रश्न Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 9th Hindi Chapter 8 यक्ष प्रश्न Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 9th Hindi Chapter 8 यक्ष प्रश्न Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Maths |
Chapters | Hindi Chapter 8 यक्ष प्रश्न |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 9th Hindi Chapter 8 यक्ष प्रश्न Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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InText Questions (Textbook Page No. 37)
प्रश्न 1.
ये प्रश्न किसके मन में उत्पन्न हुए थे?
उत्तर:
ये प्रश्न स्वामी विवेकानंद के मन में उत्पन्न हुए थे।
प्रश्न 2.
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर किससे पूछा होगा?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद ने इन प्रश्नों का उत्तर अपने गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस से पूछा होगा।
प्रश्न 3.
इनके जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
इनके जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि अपने ऊपर विश्वास रखो। सर्व धर्म एक ही हैं। सर्व धर्मों का सार एक ही हैं। देश को प्यार करो। भाईचारे के साथ जीवन जीतो।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर सोचकर दीजिए।
प्रश्न 1.
युधिष्ठिर के बारे में बताइए |
उत्तर:
पांडुराज के दो पत्नियाँ थीं – कुंती और माद्री | महर्षि दुर्वास के मंत्र प्रभाव से कुंती के तीन पुत्र और माद्री के दो पुत्र हुए | कुंती का प्रथम पुत्र धर्म देवता यम धर्मराज की कृपा से पैदा हुआ था । वही युधिष्ठिर था। उसे ही धर्मराज, पांडुनंदन नाम से पुकारते थे । युधिष्ठिर तो धैर्यवान, साहसी, निडर, साधु स्वभाव, दया, ममता, मानवता से पूरित महान व्यक्ति था।
अच्छी चालचलन, उत्तम चरित्र, विवेचना शक्ति संपन्न युधिष्ठिर को सब चाहते और आदर करते थे। सचमुच धर्म का दूसरा रूप था युधिष्ठिर, इसीलिए ही उसे धर्मराज कहते थे। यह सचमुच प्रेमालू था । अपने चारों भाइयों के प्रति वह असीम श्रद्धा रखता था । द्यूत क्रीडा में वह निपुण था। अपने अच्छे आचरण और गुणों से वह जीवन भर निष्कलंक बना रहा था । प्रजा की सेवा में तत्परता दिखाकर उनको सदा सुखी रखनेवाला श्रेष्ठ राजा था । नाम सार्थक करनेवाला महान व्यक्ति था युधिष्ठिर |
प्रश्न 2.
युधिष्ठिर की जगह तुम होते तो किसे जीवित करवाना चाहते और क्यों?
उत्तर:
युधिष्ठिर महान चरित्रवान और शील संपन्न व्यक्ति था । धर्म परायण होने के कारण उसने यक्ष के कहने पर नकुल को जीवित करवाना चाहा । अगर उसकी जगह मैं होता तो पराक्रमी, साहसी, धनुर्विद्या प्रवीण, पांडव मध्यम अर्जुन को जीवित करवाना चाहता । क्योंकि अर्जुन महान गुणवाला और तेज संपन्न था । अनेक देवों की कृपा से वर और अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किया हुआ महान व्यक्ति था। अपने पराक्रम और सज्जनता से किसी भी तरह वह अपने तीनों भाइयों को जीवित कर सकता है | इसीलिए मैं अर्जुन को जीवित करवाना चाहता।
आ) पाठ पढ़िए । उत्तर दीजिए ।
पाठ के आधार पर वाक्यों को सही क्रम दीजिए |
1. युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा । ( 2 )
2. पक्षपात से रहित मेरे प्यारे पुत्र ! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित हो । ( 4 )
3. तुम जिस किसी को भी चाहो, वह जीवित हो जाएगा | ( 3 )
4. पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए | ( 1 )
प्रश्नों के सही उत्तर दीजिए |
रानी सुदेष्णा का भाई कीचक बड़ा ही बलिष्ठ और प्रतापी वीर था । मत्स्य देश की सेना का वही नायक बना हुआ था | उसने अपने कुल के लोगों को साथ लेकर मत्स्याधिपति बूढे . विराटराज की सत्ता पर अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर लिया था । कीचक की धाक लोगों में ऐसी बनी हुई थी कि लोग कहा करते थे कि मत्स्य देश का राजा तो कीचक ही है ।
1. रानी सुदेष्णा का भाई कौन था ? (आ)
अ) युधिष्ठिर
आ) कीचक
इ) विराटराज
ई) हनुमान
उत्तर:
अ) युधिष्ठिर
2. विराट किस देश के राजा थे?
अ) मगधराज
आ) पांचाल
इ) मत्स्य देश
ई) वैदेह
उत्तर:
इ) मत्स्य देश
3. देश की सेना का नायक कौन बना हुआ था ?
अ) कीचक
आ) विराटराज
इ) भीम
ई) हनुमान
उत्तर:
अ) कीचक
इन प्रश्नों के उत्तर तीन वाक्यों में दीजिए ।
प्रश्न 1.
ब्राह्मण पांडवों के पास आकर कौन-सी व्यथा सुनाने लगा?
उत्तर:
ब्राह्मण पांडवों के पास आकर अपनी व्यथा सुनाने लगा कि एक हिरण उसकी अरणी की लकडी सहित भाग गया । अब उसके पास यज्ञ की अग्नि पैदा करने के लिए दूसरी लकडी नहीं है । इसलिए कृपया उसे वापस दिला दीजिए |
प्रश्न 2.
युधिष्ठिर को सरोवर के पास कौन-सी चेतावनी सुनायी दी?
उत्तर:
युधिष्ठिर को सरोवर के पास यह चेतावनी सुनायी दी कि –
” सावधान ! तुम्हारे भाइयों ने मेरी चेतावनी की ओर ध्यान नहीं दिया । इसलिए उनकी यह दशा हुई । यदि तुम पानी पीना चाहते हो तो पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर अपनी प्यास बुझाना ।”
प्रश्न 3.
युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का अनुरोध क्यों किया?
उत्तर:
माता कुंती का बचा हुआ एक पुत्र युधिष्ठिर हैं । वह चाहता हैं कि माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित. रहे । अतः युधिष्ठिर ने नकुल को जीवित करवाने का अनुरोध किया ।
प्रश्न 4.
यक्ष ने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर कौन-सा वर दिया?
उत्तर:
यक्ष ने युधिष्ठिर के सद्गुणों से मुग्ध होकर वर दिया कि उनके चारों ही भाई जीवित हों ।
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर लिरिवए ।
प्रश्न 1.
धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। कैसे?
उत्तर:
यह सच है कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। धैर्य ही हमें समस्याओं से बाहर निकालता है। धैर्यवान सब कुछ बडे धीरज के साथ कर सकता है। धैर्य से ही हम सफलता पा सकते हैं। धैर्यवान का जीवन ही सच्चे अर्थ में जीवन है। जो धैर्यवान नहीं है। जिसमें धैर्य नहीं है वह हर पल डर से मरता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है। हमें अकेले किसी स्थान या प्रदेश जाने में धैर्य ही साथ देता है।
प्रश्न 2.
अच्छी संगति से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
अच्छी संगति से ये लाभ होते हैं –
- अच्छी संगति से हम भी अच्छे बन जायेंगे।
- अच्छी संगति से हमें सुख पहुँचता है।
- अच्छी संगति के कारण ही हमें आध्यात्मिक (परलौकिक) चिंतन मिलता है।
- अच्छी संगति से ही हमें सद्बुद्धि, परोपकारिता, सेवा, भलाई आदि भावनाएँ जागृत होते हैं।
- अच्छी संगति से हम विख्यात बनेंगे।
- अच्छी संगति से हम आसानी से समस्याओं से बाहर आ सकते हैं।
- अच्छी संगति से उत्तम जीवन बिता सकेंगे।
- अच्छी संगति से ही हमें विवेक, विनय, नेक आदि गुण मिलते हैं।
- अच्छी संगति कल्पवृक्ष जैसा है।
प्रश्न 3.
नकुल के लिए जीवन दान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया या गलत? अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर:
नकुल के लिए जीवन दान माँगकर युधिष्ठिर ने सही किया। कारण यही है कि युधिष्ठिर जो है वह माता कुंति का बचा हुआ एक मात्र पुत्र है। इसलिए उसने माता माद्री का भी एक पुत्र को जीवित करवाना चाहता था वह था नकुल। इसलिए युधिष्ठिर ने नकुल के लिए जीवन दान माँगकर सही किया।
आ) यक्ष के किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर अपने दृष्टिकोण के आधार पर लिखिए ।
उत्तर:
यक्ष के पाँच प्रश्न और उनके उत्तर इस प्रकार हैं –
1. आकाश से भी ऊँचा कौन है ?
उत्तर:
पिता आकाश से भी ऊँचा हैं ।
2. हवा से भी तेज़ चलनेवाला कौन है?
उत्तर:
मन हवा से भी तेज़ चलनेवाला है ।
3. विदेश जानेवाले का कौन साथी होता है?
उत्तर:
विद्या विदेश जानेवाले का साथी है ।
4. मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?
उत्तर:
मरणासन्न वृद्ध का मित्र दान है ।
5. सब से तुच्छ क्या है ? ।
उत्तर:
सब से तुच्छ चिंता है।
इ) यदि यक्ष के स्थान पर आप होते तो कौन-कौन से प्रश्न पूछते?
उत्तर:
यदि यक्ष के स्थान पर मैं होता तो वे ही प्रश्न पूछता जो यक्ष ने पूछा | जैसे :
- मनुष्य का साथ कौन देता है?
- कौन-सा शास्त्र है, जिसका अध्ययन करके मनुष्य बुद्धिमान बनता है?
- भूमि से भारी चीज़ क्या है?
- आकाश से भी ऊँचा कौन है?
- हवा से भी तेज़ चलनेवाला कौन है?
- विदेश जानेवाले का कौन साथी होता है?
- मरणासन्न वृद्ध का मित्र कौन होता है?
- सुख क्या है?
- सब से तुच्छ क्या है?
- किसके छूट जाने पर मनुष्य सर्व प्रिय बनता है?
ई) ‘यक्ष प्रश्न’ पाठ आपको क्यों अच्छा लगा? अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
“यक्ष प्रश्न सचमुच एक संदेशात्मक और प्रेरणादायक पाठ है। यह पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा | क्योंकि हम मानव हैं। समाज में रहते हैं। हमें मानवता, ममता, करुणा, सहयोग, कष्ट सहन आदि अनेक गुणों से रहना है। परमात्मा ने कृपा करके हमें बुद्धि प्रदान की है। इसका उपयोग करके सदा अच्छे काम करने में ही हमें आगे बढना है। आपदाग्रस्त लोगों का दुःख दूर करना हर एक का पवित्र धर्म है। वह काम हमें संपन्न करना है । धर्म के मार्ग में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पडता है। निडर होकर धर्म मार्ग पर चलना महानता है। धर्म का पालन करते अपने अस्तित्व को बनाये रखना बड़ा महत्वपूर्ण विषय है। युधिष्ठिर के व्यक्तित्व से इन सभी गुणों का परिचय हमें मिलता है। इसीलिए ‘यक्ष प्रश्न’ पाठ मुझे बहुत अच्छा लगा।
भाषा की बात
अ) इन शब्दों के अर्थ बताइए | वाक्य प्रयोग कीजिए ।
1) तृषा 2) अग्रसर
3) चेतावनी
4) दुस्साहस
5) पक्षपात
उत्तर:
1) तृषा = प्यास, దప్పిక , thrust ; मैं तृषा से व्याकुल हूँ |
2) अग्रसर = मुख्य, ముఖ్యుడు, chief. पांडवों में युधिष्ठिर अग्रसर है।
3) चेतावनी = सावधानी, హెచ్చరిక , warning ; मेरे अध्यापक जी ने मुझे कई बार चेतावनी दी।
4) दुस्साहस = अंधासाहस, దుస్సా హసం, rashness, impudence ; दुस्साहस से कोई प्रयोजन नहीं होता |
5) पक्षपात = तरफ़दारी, పక్షపాత బుద్ధి, partiality ; सब बिना पक्षपात से रहना चाहिए |
आ) पर्यायवाची शब्द पहचानकर रेखा खींचिए ।
उत्तर:
इ) निम्न शब्दों पर ध्यान दीजिए । दो शब्दों के मेल में हुए विकार को समझिए ।
परियोजना कार्य
पंचतंत्र की नीतिप्रद कहानियों में से किसी एक कहानी का संग्रह कीजिए ।
उत्तर:
एकता का बल :
एक जंगल था । वहाँ जंगल में कई जानवर और पक्षी थे । उनमें कबूतरों का झुंड भी था । उसका नायक था बुद्धिमान चित्रग्रीव ।
एक दिन एक शिकारी उस जंगल में आकर जाल बिछाकर चावल छिडक कर झाडों में छिपकर बैठा। कबूतरों का झुंड आसमान में उड़ते नीचे चावल को देखा । एक कबूतर ने उन्हें खाने नीचे उतरने को कहा । नायक बुद्धिमान चित्रग्रीव के कहने पर भी वे नहीं सुने और नीचे उतर गये | वे सब जाल में फँस गये थे । सभी आपस में निंदा करने लगे थे । चित्रग्रीव ने उन्हें एक उपाय बताया कि सभी मिलकर एक बल से जाकर साथ उडें ।
सभी कबूतरों ने वैसा ही किया था । वे एक नदी के किनारे उतरे थे | उस प्रदेश में चित्रग्रीव का मित्र चूहा रहता था । उसने जाल काट दिया तो सब जाल से स्वतंत्रता पाये थे ।
नीति :
एकता का फल और बल बहुत महत्वपूर्ण होता है |
यक्ष प्रश्न Summary in English
This incident happened during the times of Mahabharata. In those days the Pandava princes along with Draupadi were in-cognito exile of 12 years. One day a brahmin came to the Pandavas and complained that a deer had taken away his Arani (The pair of wooden blocks to generate fire by friction) and therefore he was not able to light the fire to perform Vedic rituals. He requested them to bring his Arani back.
The Pandavas were moved on his request. They went in quest of the deer. After going a little away they found it. They tried to catch it. But the deer disappeared before their very eyes. They became exhausted searching for the dear. They sat under a tree for rest. They felt very thirsty. Dharmaraja (Yudhishtira) sent Nakula to fetch water. Nakula went in search of water and reached a lake. On seeing it, he was overjoyed. He thought that he would first quench has thirst. He got ready to drink water. At the very instant he heard a divine voice. “O Nakula ! Don’t venture to drink water. You have to answer my questions before you do that”. Nakula ignored the warming and drank the water. Soon after it, he fell down dead. Dharmaraja was worried for Nakula’s not coming. He sent Sahadeva, Arjuna and Bheema in turns in search of Nakula. Just same as Nakula, they paid no heed to the warning and fell down dead drinking the lake’s water. Worried over this, Dharmaraja himself went in search of them. Being thirsty, he walked towards the lake quench his thirst. There he found his brothers lying dead. He went forward. He too heard the same words, “Beware! your brothers ignored my warning and so they got this fate. If you want to drink water, first answer my questions. Later you can quench your thirst. “Then Dharmaraja said that he was ready to answer the questions.
Yaksha : Who is the companion of a man?
Dharmaraja : Courage is the companion of a man.
Yaksha : On studying which science will one become virtuous?
Dharmaraja : There is no such a science. By making friends with great persons one will become virtuous. Yaksha : What is heavier than the earth?
Dharmaraja : One’s mother is heavier than the earth.
Yaksha : What is higher than the heavens?
Dharmaraja : Father
Yaksha : What is faster than the wind?
Dharmaraja : Mind
Yaksha : Who is the companion of the person who leaves for foreign countries?
Dharmaraja : Education
Yaksha : Who is the friend of one who is ill and one who is dying?
Dharmaraja : Charity, because it alone follows one after one’s death.
Yaksha : What is pleasure?
Dharmaraja : It is such a thing that depends on one’s character and virtues.
Yaksha : What is the meanest of all?
Dharmaraja : Worry.
Yaksha : What is that which, when renounced, makes one lovable?
Dharmaraja : Pride.
In this manner, Yaksha asked Dharmaraja many other questions. Dharmaraja answered them correctly. Finally Yaksha told him that he would make one of his brothers alive. He asked Dharmaraja whom he would choose.
Dharmaraja thought for a moment and asked Yaksha to make his younger brother Nakula alive. Then Yaksha questioned why he had chosen Nakula instead of Bhima who had the strength of ten thousand elephants.
Dharmaraja replied that among Kunti’s sons he himself was alive. He also wished that one should be alive between Madri’s sons. He pleaded Yaksha to make Nakula alive.
Fully satisfied with the impartial and generous nature, Yaksha gave Dharmaraja a boon that his four brothers would be made alive.
यक्ष प्रश्न Summary in Telugu
ఈ సంఘటన మహాభారతకాలం నాటిది. ఆ సమయంలో పాండవులు ద్రౌపదీ సమేతంగా 12 సం||లు వనవాసం చేస్తూ ఉన్నారు. ఒక రోజున అకస్మాత్తుగా ఒక బ్రాహ్మణుడు పాండవుల వద్దకు వచ్చెను. అతడు తన బాధను ఈ విధంగా తెలియచేయుచుండెను – “ఒక లేడి నా అరణికర్ర (యజ్ఞము చేయుటకు ఉపయోగపడు ఒక కర్రయంత్రం. ఇది నిప్పును రాజేయుటకు ఉపయోగపడును.) తీసుకుని పారిపోయినది, ఇప్పుడు నా వద్ద యజ్ఞపు అగ్నిని రగిలించుటకు వేరొక కర్ర లేదు. దయచేసి నా అరణిని తిరిగి ఇప్పించండి.”
పాండవులు ఆ బ్రాహ్మణుని వ్యధకు ప్రభావితులైరి. అందువలన వారు లేడిని వెదకుటకు బయలుదేరిరి. కొంచెం దూరం వెళ్ళిన తర్వాత వారికి లేడి కన్పించినది. దానిని పట్టుకొనుటకు వారు ముందుకు వెళ్ళిరి. కానీ ఆ లేడి వారి కళ్ళముందే మరలా మాయమైనది. లేడిని వెదకుచూ వారు అలసిపోయిరి. విశ్రాంతి కోసం వారు ఒక చెట్టు క్రింద కూర్చొనిరి. దాహంతో అందరి గొంతులు ఎండిపోయినవి. ధర్మరాజు (యుధిష్ఠిరుడు) నకులుడిని మంచినీటి కోసం పంపెను. నకులుడు నీటిని అన్వేషించుటకు బయలుదేరెను. వెళుతూ వెళుతూ ఒక సరోవరం వద్దకు చేరెను. సరోవరం చూడగానే తన మనస్సు సంతోషించినది. పులకించినది. అతడు ముందుగా నేనెందుకు మంచినీరు త్రాగి దప్పిక తీర్చుకోకూడదు అని తలచెను. అతడు నీరు త్రాగుటకు సన్నద్ధుడయ్యెను. అప్పుడే ఒక మాట వినపడినది, “ఓ నకులా ! నీరు త్రాగే దుస్సాహసం చేయకు. జాగ్రత్త. ముందు నా ప్రశ్నలకు జవాబు ఇమ్ము.” నకులుడు హెచ్చరికను పట్టించుకోకుండా నీరు త్రాగెను. నీరు త్రాగగానే అతడు నేలపై పడిపోయెను. చాలా సేపటి వరకు నకులుడు తిరిగి రాకపోయేసరికి ధర్మరాజును దిగులు బాధించసాగెను. ఆయన అతనిని వెదకుటకు వంతుల వారీగా సహదేవుడు, అర్జునుడు, భీముడిని పంపెను. యక్షుని హెచ్చరికను ఉపేక్షిస్తూ అందరూ ఆ సరోవరం ఒడ్డున దాహం తీర్చుకునే ప్రయత్నం చేసి నకులుని వలెనే భూమిపై పడిపోయిరి. ఎవ్వరూ తిరిగి రాకపోయేసరికి ధర్మరాజు దిగులుతో స్వయంగా తనే వారిని వెదకుతూ బయలుదేరెను. దాహంతో ఉన్న ధర్మరాజు ముందుగా తన దాహాన్ని తీర్చుకోవడానికి సరోవరం వైపు వెళ్ళెను. అక్కడే ధర్మరాజుకు తన సోదరులు నేలపై పడిపోయి ఉండుట కన్పించెను. ఆయన ముందుకు వెళ్ళెను. తనకు కూడా అవే మాటలు వినబడినవి. జాగ్రత్త. మీ సోదరులు నా హెచ్చరికను పట్టించుకోలేదు. అందువలన వారికి ఈ దశ కల్గినది. నీవు నీళ్ళు త్రాగదలచుకొన్నట్లయితే ముందుగా నా ప్రశ్నలకు సమాధానమిమ్ము. తర్వాతే నీ దాహం తీర్చుకో. అప్పుడు ధర్మరాజు “శ్రీమాన్ ! మీరు ప్రశ్నలు అడగండి. నేను వాటికి జవాబు చెప్పుటకు సిద్ధముగా ఉన్నాను.” అనెను.
యక్షుడు : మనిషికి తోడు ఎవరు?
ధర్మరాజు : ధైర్యమే మనిషికి తోడు.
యక్షుడు : ఏ శాస్త్రాన్ని (విద్య) అభ్యసించి మనుష్యుడు బుద్ధిమంతుడవుతాడు?
ధర్మరాజు : అటువంటి శాస్త్రము ఏదీ లేదు. గొప్పవాళ్ళ స్నేహంతోనే మనిషి బుద్ధిమంతుడవుతాడు.
యక్షుడు : భూమి కంటే బరువైన వస్తువేది?
ధర్మరాజు : బిడ్డను కడుపులో (గర్భంలో) దాచుకున్న తల్లి భూమి కంటే బరువైనది.
యక్షుడు : ఆకాశం కంటే కూడా (ఉన్నతమైన) ఎత్తైనవారు ఎవరు ?
ధర్మరాజు : తండ్రి
యక్షుడు : గాలి కంటే కూడా వేగంగా వెళ్ళేది ఎవరు?
ధర్మరాజు : మనస్సు
యక్షుడు : విదేశాలు వెళ్ళేవారికి తోడు ఎవరు?
ధర్మరాజు : విద్య (చదువు)
యక్షుడు : మరణమాసన్నమైన వృద్ధునికి మిత్రుడు ఎవరు?
ధర్మరాజు : దానం, ఎందుకనగా మృత్యువు తర్వాత ఒంటరిగా నడిచే జీవికి తోడు వచ్చేది దానమే.
యక్షుడు : సుఖమంటే ఏమిటి?
ధర్మరాజు : శీలము, మంచి నడవడికపై ఆధారపడేది.
యక్షుడు : అన్నిటికంటే తుచ్ఛమైనది ఏది?
ధర్మరాజు : దిగులు.
యక్షుడు : దీనిని వదిలివేస్తే మానవుడు అందరికీ ప్రియుడగును?
ధర్మరాజు : అహంకారం.
ఇదే విధంగా యక్షుడు ఎన్నో ఇతర ప్రశ్నలు కూడా వేసెను. ధర్మరాజు వాటన్నిటికి సరియగు సమాధానములు చెప్పెను. చివరికి యక్షుడు “ఓ రాజా ! నేను మృతి చెందిన నీ సోదరులలో ఒకరినే జీవింపచేయగలను. నీవు ఎవరిని కోరుకుంటే వారు బ్రతుకుతారు” – అని చెప్పెను.
ధర్మరాజు ఒక క్షణం ఎవరిని బ్రతికించాలా ? అని ఆలోచించి, కొంచెం సేపు ఆగి “నా చిన్న సోదరుడు నకులుడు బ్రతకాలని చెప్పెను.
ధర్మరాజు ఈ విధంగా పలకగానే యక్షుడు, “ఓ ధర్మరాజా ! పదివేల ఏనుగుల బలం కల్గిన భీముణ్ణి వదలి నీవు నకులుణ్ణి ఎందుకు జీవింపకోరితివి? ఇది ఎలా సరియగును ?” అని యక్షుడు ప్రశ్నించెను.
“యక్షరాజా ! నేను నకులుణ్ణి ఎందుకు బ్రతికించమంటున్నానంటే నేను కుంతికి బ్రతికివున్న ఒక కుమారుణ్ణి అవుతాను. మాద్రికి జన్మించిన ఒకరు కూడా బ్రతికివుంటే బాగుంటుందని అలా కోరుకున్నాను. తమరు దయచేసి నకులుణ్ణి బ్రతికించండి” అని ధర్మరాజు యక్షునితో చెప్పెను.
ధర్మరాజు యొక్క ధర్మ స్వభావానికి యక్షుడు ఎంతో సంతృప్తి చెంది “ఓ ధర్మరాజా ! పక్షపాతమెరుగని ఓ నా కుమారా ! నీ నలుగురు సోదరులూ జీవింతురుగాక” – అని వరమిచ్చెను.
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या आठ पंक्तियों में लिखिए।
1. “यक्ष प्रश्न” कहानी पाट का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पांडव वन में पानी की तलाश में घूम रहे थे। युधिष्टिर ने अपने सिवा चारों भाइयों को पानी के लिए एक के बाद एक को भेजा। लेकिन ये चार भाई एक सरोवर के पास मरे पड़े हुए हैं। युधिष्टिर सरोवर में पानी पीने उतरे। तो उसे अदृश्य वाणी से बातें सुनायी दी कि पानी पीने के पहले उनके प्रश्नों का उत्तर अवश्य देना। नहीं तो उसे भी उन के भाइयों के जैसे ही होगा। युधिष्टिर यक्ष के प्रश्नों का ठीक – ठीक उत्तर देता है। प्रसन्न होकर यक्ष उनके चारों भाइयों में से केवल एक को जीवित कर देने का वर देता है तो युधिष्टिर नकुल को जीवित करने को कहते हैं। तो यक्ष कारण जानकर उनके चारों भाइयों को ही जीवित कराते है।
निर्देश के अनुसार उत्तर दीजिए।
1. पांडव हिरण की खोज में निकल पडे। (रेखांकित शब्द का अर्थ पहचानिए।)
A) तलाश
B) इलाज
C) कगार
D) उपेक्षा
उत्तर:
A) तलाश
2. आग पैदा करने के लिए अरणी की नङकी की जरूरत हैं। (रेखांकित शब्द का तत्सम रूप
A) अग
B) अग्नि
C) आगा
D) अगन
उत्तर:
B) अग्नि
3. हिरण उनकी आँखों से पुनः गायब हो गया। ‘आँख’ शब्द कन तत्सम रूप पहचानिए।
A) अक्षि
B) अद्य
C) अष्ट
D) अज्ञ
उत्तर:
A) अक्षि
4. मेरे पास यज्ञ की अग्मि पैदा करने के लिए दूसरी लकङी नहीं हैं। (रेखांकित भब्द का तद्भव रूप पहचानिए।)
A) आग
B) आज
C) आड़
D) आन
उत्तर:
A) आग
5. एक दिन अचानक एक ब्राह्मण पांडवों के पास आया। (क्रिया विशेषण शब्द पहचानिए।) पहचानिए।)
A) एक
B) अचानक
C) ब्राह्मण
D) आया
उत्तर:
B) अचानक
अर्थग्राह्यता – प्रतिक्रिया
पठित – पद्यांश
निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए।
1. पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए। इसलिए वे हिरण की खोज में निकल पड़े। थोड़ी दूर जाने | पर उन्हें हिरण दिखायी दिया। उसे पकड़ने के लिए वे आगे बढ़े परंतु हिरण उनकी आँखों से पुनः गायब हो गया । हिरण की खोज में भटकते हुए वे थक गये और विश्राम के लिए एक वृक्ष के नीचे बैठ गये। प्यास के मारे सभी के कंठ सूख रहे थे ।
प्रश्न :
1. पांडव किनकी व्यथा से प्रभावित हुए?
उत्तर:
पांडव ब्राह्मण की व्यथा से प्रभावित हुए।
2. किसकी खोज में भटकते हुए पांडव थक गये?
उत्तर:
हिरण की खोज में भटकते हुए पांडव थक गये।
3. विश्राम के लिए पांडव कहाँ बैठ गये?
उत्तर:
विश्राम के लिए पांडव एक पेड (वृक्ष) के नीचे बैठ गये।
4. सभी के कंट क्यों सूख रहे थे?
उत्तर:
प्यास के मारे सभी के कंठ सूख रहे थे।
5. थोडी दूर जाने पर उन्हें क्या दिखायी दिया?
उत्तर:
थोडी दूर जाने पर उन्हें हिरण दिखायी दिया।
2. युधिष्ठिर ने कहा – “यक्षराज ! मैंने जो नकुल को जीवित करवाना चाहा, वह सिर्फ इसी कारण कि माता कुंती का बचा हुआ एक पुत्र मैं हूँ, मैं चाहता हूँ कि माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित हो उठे। अतः आप कृपा करके नकुल को जीवित कर दें।” युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से यक्ष अत्यंत संतुष्ट हुए और उन्होंने ‘वर’ देते हुए यह कहा, “पक्षपात से रहित मेरे प्यारे पुत्र ! तुम्हारे चारों ही भाई जीवित हों।”
प्रश्न :
1. युधिष्ठिर किसे जीवित करना चाहा?
उत्तर:
युधिष्ठिर नकुल को जीवित करना चाहा।
2. नकुल किसका पुत्र है?
उत्तर:
नकुल माद्री का पुत्र है।
3. युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से कौन अत्यंत संतुष्ट हुये?
उत्तर:
युधिष्ठिर के धर्म स्वभाव से यक्ष अत्यंत संतुष्ट हुए।
4. यक्ष ने क्या वर दिया?
उत्तर:
यक्ष ने यह वर दिया कि युधिष्ठिर के चारों भाई ही जीवित हों।
5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त गद्यांश ‘यक्ष प्रश्न’ पाठ से दिया गया है।
3. युधिष्ठिर ने नकुल को पानी की तलाश में भेजा। नकुल पानी की खोज में निकला और चलते – चलते.एक सरोवर के पास पहुँचा। सरोवर देखकर उसका मन प्रफुल्लित हो उठा। वह सोचने लगा कि क्यों न मैं पहले अपने प्यास बुझा लूँ। वह पानी पीने के लिए उद्यत ही हुआ था कि सहसा एक आवाज़ गूंज उठी, “ऐ नकुल, पानी पीने का दुस्साहस न करें। सावधान ! पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो।” नकुल चेतावनी की परवाह न करके पानी पीने लगा।
प्रश्न :
1. पानी की तलाश में युधिष्ठिर ने किसे भेजा?
उत्तर:
पानी की तलाश में युधिष्ठिर ने नकुल को भेजा।
2. नकुल चलते – चलते किसके पास पहुँचा?
उत्तर:
नकुल चलते – चलते सरोवर के पास पहुंचा।
3. सहसा क्या आवाज़ गूंज उठी?
उत्तर:
सहसा यह आवाज़ गूंज उठी कि ” नकुल, पानी पीने का दुस्साहस न करें।”
4. सरोवर देखकर किसका मन प्रफुल्लित हो उठा?
उत्तर:
सरोवर देखकर नकुल का मन प्रफुल्लित हो उठा।
5. सरोवर को देखकर नकुल क्या सोचने लगा?
उत्तर:
सरोवर को देखकर नकल सोचने लगा कि “क्यों ने मैं पहले अपनी प्यास बुझा लूँ?”
अपठित – गद्यांश
• नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर चुनकर कोष्ठक में लिखिए।
1. प्रिया, घबराओ नहीं। इस मुद्रिका पर मेरे नाम के जितने अक्षर हैं उतने ही दिनों में मेरे कर्मचारी आकर तुम्हें अंतःपुर में पहुँचाएँगे। मुद्रिका देखते ही मैं भी तुम्हें पहचान सकूँगा। दुष्यंत चला गया और फिर उसने गर्भवती शकुन्तला की सुध नहीं ली। शकुन्तला प्रिय वियोग से व्याकुल होकर अपनी सुधबुध खो गयी। दुर्दैव से एक दिन क्रोधी दुर्वासा का आगमन हुआ और उन्हें आतिथ्य देने में शकुन्तला दत्तचित नहीं हो सकी। क्रोध में आकर दुर्वासा बोले – जिस प्रेमी के ध्यान में पड़कर तुम कर्तव्य भूल गयी हो, वह तुम्हें भूल जाएगा। शकुन्तला को इस कठोर वचन की भी सुध न रही। उस समय कण्व सोमतीर्थ गये हुए थे। उनको तो यह वृत्तान्त बिलकुल ज्ञात न था ।
प्रश्न :
1. प्रिय वियोग से व्याकुल होकर कौन अपनी सुधबुध खो गयी थी?
A) दुष्यंत
B) शकुंतला
C) रेणुका
D) जानकी
उत्तर:
B) शकुंतला
2. शकुंतला का प्रिय कौन है?
A) दुष्यंत
B) विश्वामित्र.
C) कण्व
D) वशिष्ठ
उत्तर:
A) दुष्यंत
3. दुर्देव से एक दिन शकुंतला के पास किनका आगमन हुआ ?
A) विश्वामित्र
B) वशिष्ठ
C) दुर्वास
D) दुष्यंत
उत्तर:
C) दुर्वास
4. उस समय कण्व कहाँ गये थे?
A) तिरुपति
B) उज्जैयनी
C) भद्राचलम
D) सोमतीर्थ
उत्तर:
D) सोमतीर्थ
5. यह वृत्तांत किन्हें बिलकुल ज्ञात न था?
A) दुर्वास
B) कण्व
C) दुष्यंत
D) वशिष्ठ
उत्तर:
D) वशिष्ठ
2. रविवार का दिन था। श्रीमति स्टो गिरिजाघर गयी हुई थी और वहाँ धर्मोपदेश सुन रही थी कि एक साथ उनके मन में पुस्तक प्रारंभ कर देने की प्रेरणा उत्पन्न हुई और उन्होंने पहला अध्याय वहीं पर बैठे – बैठे लिख डाला। फिर उन्होंने वह अध्याय अपने बच्चों को सुनाया जिसे सुनकर बच्चों की आँखों से आँसू टप – टप गिरने लगे। इतने में श्रीमति स्टो के पतिदेव भी आ गये। बच्चों को रोते हुए देखकर वे आश्चर्यचकित रह गये। समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है? तब श्रीमित स्टो ने वह अध्याय पति को भी सुनाया और बे भी रोने लगे। इस प्रकार प्रारंभ हुआ इस महत्वपूर्ण ग्रंथ का, जिसने आगे चलकर संसार में अक्षय कीर्ति प्राप्त की, जिसका अनुबाद शीघ्र ही संसार की तेईस भाषाओं में हो गया और जिसकी लाखों कापियाँ जनता के हाथों तक पहुँच गयीं। इस पुस्तक का नाम है – ‘अंकल टाम्स केबिन’ अर्थात् – ‘टाम काका की कुटिया।’
प्रश्न :
1. श्रीमति स्टो कहाँ गयी हुई थी?
A) गिरिजा घर
B) मंदिर
C) मसजिद
D) मदरसा
उत्तर:
A) गिरिजा घर
2. श्रीमति स्टो गिरिजाघर में क्या सुन रही थी?
A) गीतोपदेश
B) खुरान
C) धर्मोपदेश
D) ये सब
उत्तर:
C) धर्मोपदेश
3. उस पुस्तक का अनुवाद संसार के कितनी भाषाओं में हुआ?
A) 23
B) 33
C) 43
D) 53
उत्तर:
A) 23
4. उस पुस्तक का नाम क्या है?
A) मम्मी और डाडी
B) गिरिजाघर में मम्मी
C) अंकल टाम्स केबिन
D) डाडी के केबिन
उत्तर:
C) अंकल टाम्स केबिन
5. श्रीमति स्टो किस दिन गिरिजाघर गई?
A) सोमवार
B) शुक्रवार
C) शनिवार
D) रविवार
उत्तर:
D) रविवार
3. बूढ़ा बोला – ‘बेटा, तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन यह पौधा मैं अपने लिए नहीं लगा रहा । एक | दिन वह पौधा बड़ा हो जाएगा। और पेड़ बनाजाएगा। यह अपनी छाया से आने – जानेवाले यात्रियों को आराम देगा। गर्मी और बरसात से उन्हें बचा सकेगा। जब इसमें फल लगेंगे तब शायद मैं इस दुनिया में न रहूँ, लेकिन इससे बहुत से लोग इसके फल खा सकेंगे।
प्रश्न :
1. एक दिन पौधा क्या बन जाएगा?
A) बडा
B) जंगल
C) पेड
D) लता
उत्तर:
C) पेड
2. जब पेड़ को फल लगेंगे तब उन्हें कौन खायेंगे?
A) बूढ़ा
B) बहुत से लोग
C) बेटे
D) ये सब
उत्तर:
B) बहुत से लोग
3. “बेटा, तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन यह पौधा मैं अपने लिए नहीं लगा रहा” – इस वाक्य को किसने कहा?
A) बूढ़ा
B) बेटे
C) बेटा
D) स्त्री
उत्तर:
A) बूढ़ा
4. गर्मी और बरसात से यह हमें बचा सकेगा
A) नदी
B) सागर
C) पेड़
D) फल
उत्तर:
C) पेड़
5. उपर्युक्त इस अनुच्छेद में किसके बारे में बताया गया?
A) जानवरों के
B) पक्षियों के
C) पेड़ों के
D) मनुष्यों के
उत्तर:
C) पेड़ों के
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