BSEB Class 6 Sanskrit Amrita Chapter 6 सुभाषितानि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 6th Sanskrit Amrita Chapter 6 सुभाषितानि Book Answers |
Bihar Board Class 6th Sanskrit Amrita Chapter 6 सुभाषितानि Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 6th |
Subject | Sanskrit Amrita Chapter 6 सुभाषितानि |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 6th Sanskrit Amrita Chapter 6 सुभाषितानि Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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अभ्यास
मौखिक –
प्रश्न 1.
निम्नलिखित भावार्थ को बताने वाले सुभाषित बताएँ।
- भूखा व्यक्ति क्या नहीं कर सकता ?
- राजा को अपने देश में सम्मान मिलता है, जबकि विद्वान् सभी जगह पूजे जाते हैं।
- उदार विचार वालों के लिए संसार ही कुटुम्ब है ।
- अपने से विपरीत आचरण दूसरों के लिए न करें ।
- आचरण के विना ज्ञान व्यर्थ है।
- महान् व्यक्ति सदा एक-सा रहता है।
- सज्जनों की सम्पत्ति दूसरों के उपकार के लिए होती है।
उत्तर-
- बुभुक्षितः किं न करोति पापम्।
- स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते।
- उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।
- आत्मनः प्रतिकूलानि न परेषां समाचरेत्।
- ज्ञानं भारः क्रियां विना।
- सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता।
- परोपकाराय सतां विभूतयः
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ बताएँ –
(परोपकाराय, कुटुम्बकम्, सुखार्थिनः, निरामयाः; स्वदेशे )
उत्तर-
- परोपकाराय -दूसरों की भलाई
- कुटम्बकम् – परिवार
- सुखार्थिन: – सुख चाहनेवाले को
- निरामयाः – नीरोग
- स्वदेशे – अपना देश।
प्रश्न 3.
ऊपर लिखे गए सुभाषितों का पाठ करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें। लिखितः
प्रश्न 4.
दिये गए प्रश्नों के उत्तर लिखें
प्रश्न (क)
किसके लिए सम्पूर्ण पृथ्वी परिवार के समान है ?
उत्तर-
उदार हृदय वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी परिवार के समान है।
प्रश्न (ख)
विद्या किसे प्राप्त नहीं होती?
उत्तर-
सुख चाहने वालों को विद्या प्राप्त नहीं होती है।
प्रश्न (ग)
किस प्रकार की वाणी बोलनी चाहिए ?
उत्तर-
सत्य एवं प्रिय वाणी बोलनी चाहिए।
प्रश्न (घ)
कौन सभी जगह पूजे जाते हैं ?
उत्तर-
विद्वान सभी जगह पूजे जाते हैं।
प्रश्न (ड.)
विद्या से क्या प्राप्त होती है ?
उत्तर-
विद्या से विनय प्राप्त होती है।
प्रश्न 5.
विलोम (विपरीतार्थक) शब्द लिखें –
- सत्यम्
- प्रियम्
- सुखम्
- विद्वान्
- ज्ञानम
- पापम्
- आत्मनः
उत्तर-
- असत्यम्
- अप्रियम्
- दु:खम्
- मूर्खः
- अज्ञानम्
- पुण्यम्
- परात्मनः।
प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरें
- …………………….. सतां विभूतयः ।
- विद्वान् ……………. पूज्यते । । ।
- सर्वे सन्तु …………………….. ।
- ……………….. परं सुखम् । ।
- विद्या ……………….. विनयम् ।
उत्तर-
- परोपकाराय सतां विभूतयः ।
- विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।
- सर्वे सन्तु निरामयः ।
- न संतोषात् परं सुखम् ।
- विद्या ददाति विनयम् ।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों को सुमेलित करें –
- परोपकाराय – (क) वसुधैव कुटुम्बकम्
- उदारचरितानां तु – (ख) सतां विभूतयः
- स्वदेशे पूज्यते – (ग) विनयम्
- बुभुक्षितः किं न – (घ) राजा
- विद्या ददाति – (ड.) करोति पापम्
उत्तर-
- परोपकाराय – (ख) सतां विभूतयः
- उदारचरितानां तु – (क) वसुधैव कुटुम्बकम्
- स्वदेशे पूज्यते – (घ) राजा
- बुभुक्षितः किं न – (ड.) करोति पापम्
- विद्या ददाति – (ग) विनयम्
प्रश्न 8.
निम्नांकित शब्दों से वाक्य बनाएँ –
(राजा, विद्वान्, स्वदेशे, सुखिनः, विद्या।)
उत्तर-
- राजा – राजा स्वदेशे पूज्यते ।
- विद्वान् – विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।
- स्वदेशे – स्वदेशे पूज्यते राजा ।
सुखिनः – सुखिनः सर्वे भवन्तु । - विद्या – विद्या सर्वत्र पूज्यते ।
ज्ञानविस्तार
निवार . संस्कृत भाषा में सुभाषित उपयोगी वाक्यों की अधिकता है। ये जीवन में पालन करने योग्य तो हैं ही इनका प्रयोग किसी भी भाषण, बातचीत या लेख को सुन्दर बना देता है। इन्हें सुभाषित कहते हैं। सुभाषित का अर्थ है-सुन्दर कथन, अच्छी बातें। कहीं कहीं सुभाषित पूरे श्लोक के रूप में हैं और कहीं श्लोक के खण्ड के रूप में हैं। प्रस्तुत पाठ में श्लोकांश के रूप में सुभाषित हैं। इनका भावार्थ इस प्रकार है
1. सज्जन परोपकार को अपना धर्म समझते हैं। अपनी सारी सम्पत्ति तथा समय को वे परोपकार में लगा देते हैं। विपत्ति में पड़े हुए व्यक्ति की सहायता करना ही परोपकार है।
2 जो व्यक्ति हृदय से उदार अर्थात् सबको अपना समझने वाले हैं, उन्हें सर्वत्र अपना परिवार ही दिखाई पड़ता है। सारी पृथ्वी उन्हें बन्धु-बान्धव जैसी लगती है। ऐसा सबको होना चाहिए। किसी से वैर-भाव नहीं रखना चाहिए।
3. विद्या अर्जन करने में सुख-दुःख का विचार नहीं करना चाहिए । विद्यार्थी का जीवन एक तपस्या है। केवल सुख की खोज करने वाला विद्यार्थी नहीं हो सकता।
4. सत्य को प्रिय वाणी से जोड़ना चाहिये। ऐसा सत्य न बोलें कि किसी को अप्रिय लगे । इसलिए सत्य तथा प्रिय दोनों में समझौता होना चाहिए।
5. बड़े होने का लक्षण है कि सुख-दु:ख में एक समान रहें। सुख के समय अहंकार से भर जाएँ और विपत्ति के समय कायर या दीन-हीन हो जाएँ, – यह बड़े होने की पहचान नहीं है।
6. राजा और विद्वान् में अन्तर है। राजा वहीं सम्मानित होता है जहाँ उसका राज्य है। किन्तु विद्वान को उन सभी स्थानों में सम्मान मिलता है जहाँ ज्ञान को आदर दिया जाता है।
7. भारत के सन्तों की यह मुख्य कामना रहती है कि सभी लोग सुखी और नीरोग रहें। एक-एक व्यक्ति यही चाहता है।
8. लोष दु:ख का कारण है और सन्तोष सुख देता है।
9. जो बात हमें प्रतिकूल (कष्टकारक) लगती है वह दूसरों को भी वैसी. ही लगती है। इसलिए हम ऐसी बात किसी के प्रति न करें जो उसे कष्ट
10. भूखा व्यक्ति विवश होता है। वह नियम-विरुद्ध कार्य भी कभी-कभी करने लगता है। इसमें उसकी परिस्थिति का दोष है, अपना नहीं।
11. विद्या का फल है विनम्रता । सच्चा विद्वान् वही है जो विनम्र हो । उद्दण्डता विद्वान् का लक्षण नहीं है। विद्या में कहीं कमी होने से ही कोई उग्र होता
12. ज्ञान की सार्थकता तभी है जब इसके अनुकूल आचरण किया जाये । आचरण के बिना कोरा ज्ञान व्यर्थ है।
Bihar Board Class 6 Sanskrit सुभाषितानि Summary
- परोपकाराय सतां विभूतयः
- उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।
- सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिनः कुतः सुखम् ।
- सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् ।
- सम्पत्ती च विपत्तौ च महतामेकरूपता ।
- स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ।
- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
- न लोभेन समं दुःखं न सन्तोषात् परं सुखम् ।
- आत्मनः प्रतिकूलानि न परेषां समाचरेत्।
- बुभुक्षितः किं न करोति पापम् ।।
- विद्या ददाति विनयम् ।
- ज्ञानं भारः क्रियां विना ।
अर्थ-
- सज्जनों की सम्पत्तियाँ परोपकार के लिए होती है।
- ऊँचे विचार वालों के लिए सारी धरती परिवार है।
- सुख चाहने वालों को विद्या कहाँ? और विद्या चाहने वालों को सख कहाँ।
- सत्य बोलना चाहिए, प्रिय बोलना चाहिए, अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए।
- सुख-दु:ख दोनों में महान व्यक्ति एक समान रहते हैं।
- राजा अपने देश में पूजित होते हैं लेकिन विद्वान की पूजा सब जगह होती है। होती है।
- सभी सुखी हों, सभी नीरोग हों।
- लोभ के समान कोई दु:ख नहीं और संतोष के बराबर काई सुख नहीं।
- अपने से विपरीत (भिन्न) दूसरों के लिए आचरण नहीं करना चाहिए।
- भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता है।
- विद्या विनम्रता देती है।
- क्रिया के बिना ज्ञान भार बन जाता है।
शब्दार्था :-सुभाषितानि – सुन्दर कथन। परोपकाराय – दूसरों के उपकार के लिए (पर + उपकाराय) सतां -सज्जनों की। विभूतयः – ध न-सम्पत्तियाँ। उदारचरितानाम् – ऊँचे (उदार) विचार वालों का। वसुधैव – (वसुधा+एव) पृथ्वी /संसार ही। कुटुम्बकम् -परिवार (कुटुम्ब)। सुखार्थिनः – (सुख अर्थिन:) सुख चाहने वाले को। कुतो (कुतः) – कहाँ । विद्यार्थिन:- विद्या चाहने वालों को। ब्रूयात् – बोलना चाहिए। सत्यमप्रियम् -(सत्यम् + अप्रियम्) अप्रिय सत्य। सम्पत्तौ- सुख में। विपत्ती- दुःख में। महताम् – महान व्यक्ति। स्वदेशे – अपने देश में। पूज्यते – पूजा जाता है। आदर पाता है। भवन्तु- होवें/हों । सन्तु – हों/ होवें। निरामयः – (निर+ आमय:) नीरोग। लोभेन समम् -लोभ के बराबर । सर्वे – सभी। सन्तोषात् – संतोष से। परम् – बढ़कर। अत्मनः – अपने से। प्रतिकूलानि – भिन्न/विपरीत। परेषा – दूसरों के । को लिए। न- नहीं। समाचरेत् – (सम्+आचरेत्) आचरण करना चाहिए। बुभुक्षितः – भूखा। करोति – करता है। ददाति – देता है/देती है। विनयम् – विनम्रता। भारः – भार (बोझ)।
व्याकरणम्
पर + उपकाराय -परोपकाराय । वसुधा + एव – वसुधैव । सुख अर्थिन: – सुखार्थिनः । विद्या + अर्थिनः – विद्यार्थिनः सत्यम् + अप्रियम् – सत्यमप्रियम् । पूज्यते -पूज् + लट्लकार समाचरेत् – सम् + आ + चर+ विधि लिड्. । करोति – कृलिट् लकार ददाति – दा+लट् लकार
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