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BSEB Class 8 Sanskrit Chapter 13 रविषष्टि-व्रतोत्सवः Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 8th Sanskrit Chapter 13 रविषष्टि-व्रतोत्सवः Book Answers |
Bihar Board Class 8th Sanskrit Chapter 13 रविषष्टि-व्रतोत्सवः Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 8th |
Subject | Sanskrit Chapter 13 रविषष्टि-व्रतोत्सवः |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 8th Sanskrit Chapter 13 रविषष्टि-व्रतोत्सवः Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्राकृतिकपदार्थेषु सूर्यः सर्वाधिकः तेजस्वी आरोग्यप्रदश्च मन्यते । अनेन सर्वे जीताः प्राणिनः वनस्पतयः प्राणान् लभन्ते । अस्य उपयोगिता विचार्य देवरूपेण इमं पूजयन्ति जनाः । प्राचीनकालात् सूर्यः भगवान् इति पूज्यते । सूर्यस्य पूजने कश्चित् पुरोहितः मध्यस्थः न अपेक्षितः भवति इति अस्य विशिष्टता वर्तते ।
अर्थ – प्राकृतिक पदार्थों में सूर्य सबसे अधिक तेजस्वी और आरोग्यप्रद माना जाता है। इससे सभी जीव, प्राणी और वनस्पतियाँ (पेड़-पौधे) प्राण को पाते हैं। इसकी उपयोगिता को विचार कर देव रूप से इसको लोग पूजते हैं। प्राचीनकाल से सूर्य भगवान पूजे जाते हैं । सूर्य के पूजन में कोई पुरोहित मध्यस्थ (बिचौलिया) नहीं होता है, यही इस व्रत की विशेषता है।
कार्तिको मासः वर्षाशीतयोः मध्ये अवस्थितः । एवमेव चैत्रो मासः शीतग्रीष्मयोः सन्धिकालः । सन्धिस्थितयोः अनयोः मासयोः अनेके रोगाः ज्वरकासादयः प्रभवन्ति । तत्र रोगाणां विनाशाय उपवासः आवश्यक । उपवास. रविषठीव्रते अनिवार्यतया जायते । अतः अस्य व्रतस्य वैज्ञानिक महत्त्वं वर्तते । अपि च चैत्रमासे रविसप्तानि अन्नानि पच्यन्ते गोधूमादीनि । तेषां प्रयोगः अस्य व्रतस्य नैवेद्याय भवति । अतः चैत्रकालिकः व्रतोत्सवः ग्रामेषु प्रसिद्धः । कार्तिककालिकः व्रतोत्सवस्तु नगरेषु बहुधा आयोजितः । सर्वथापि जलाशयः अस्मिन् व्रतोत्सवे आवश्यकः तडागो वा नदी वा । सागरतटेष स्थिताः जनाः सागरेऽपि स्नात्वा अर्घ्यदानं कर्वन्ति ।
अर्थ – कार्तिक मास वर्षा और शीत के बीच में होता है। उसी प्रकार चैत्र मास शीत और ग्रीष्म के सन्धि काल में होता है। संधिकाल में स्थित ये दोनों मासों में अनेक रोग, बुखार, खाँसी आदि उत्पन्न होते हैं। वहाँ रोगों के विनाश के लिए उपवास आवश्यक है। उपवास छठ पर्व में अनिवार्य रूप से होता है। अत: इस व्रत का वैज्ञानिक महत्त्व है । चैत्र मास में सूर्य प्रकाश से गेहूँ आदि अन्न पकते हैं। उनका प्रयोग इस व्रत के नैवेद्य (प्रसादी) के लिए होता है। इसीलिए चैत्रकालिक व्रत उत्सव प्रायः शहरों में आयोजित होता है। सब तरह से (दोनों मास के व्रत में) तालाब या नदीरूपी जलाशय इस व्रत में आवश्यक है । सागर तट पर स्थित लोग सागर में भी स्नान कर अर्घ्य दान करते हैं।
यस्मिन् मासे रविषष्ठीव्रतोत्सवः आयोजितः भवति परिवारे तस्य प्रथमदिवसादेव परिवारे अभक्ष्याः पदार्थाः वर्जिताः भवन्ति । शुक्लपक्षस्य चतुर्थदिवसः संयतः नाम क्रियाकलापः । तदा स्नात्वा पवित्रं सिद्धान्नम् ओदनादिकं पचन्ति, इष्टजनानपि भोजयन्ति वतिनः । वस्तुतः तस्मादेव दिवसात् संयमः प्रारभते । पञ्चमदिवसे एकवारमेव व्रतिनः पायसरोटिकयोः सूर्यास्तादनन्तरं भोजनं कुर्वन्ति ।
इष्टजनानपि भोजयन्ति । ततः षष्ठदिवसे सम्पूर्ण दिवसम् अनाहाराः वतिनः सायंकाले शूर्पेषु फलानि धारयित्वा दीपकं च प्रज्वाल्य सूर्याय अर्घ्यदानं कुर्वन्ति । इदं दृश्यं अतीव पवित्रं मनोहरं च । रात्रौ भूमौ शयित्वा वतिनः पुनः प्रातःकाले सप्तमदिवसे उदीयमानाय सूर्याय स्नानपूर्वकम् अर्घ्यदानं पूर्ववत् कुर्वन्ति । तदनन्तरं पारणं क्रियते । व्रतिनः स्वयं प्रसादग्रहणं कुर्वन्ति अपरेभ्यश्च प्रयच्छन्ति ।
अर्थ – जिस मास में और जिस परिवार में छठ पर्व आयोजित होता है उस परिवार में प्रथम दिवस से ही नहीं खाने योग्य पदार्थों को खाना वर्जित हो जाता
है। शक्ल पक्ष के चौथे दिन संयत (नहाय खाय) नामक क्रियाकलाप प्रारम्भ होता है। उस दिन स्नान कर पवित्र सिद्ध अन्न-भात आदि पकाये जाते हैं। प्रियजन को भी व्रती भोजन कराते हैं। वस्तुत: उसी दिन से ही संयम (नियम) प्रारम्भ होता है। पाँचवें दिन एक बार ही व्रती लोग खीर और रोटी सूर्यास्त के बाद खाते हैं । इष्टजनों (मित्र वर्गों) को भी भोजन कराया जाता है। इसके बाद छठे दिन सम्पूर्ण दिन व्रती लोग निराहार रहकर सायंकाल में सूपों में फल रखकर और दीपक जलाकर सूर्य के लिए अर्घ्यदान करते हैं । यह दृश्य बहुत में सातवें दिन उदयमान (उगते हुए) सूर्य को स्नान करके अर्घ्यदान पूर्व दिन की तरह ही करते हैं। उसके बाद पारण किया जाता है । व्रती लोग स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं और दूसरों को भी देते हैं।
इत्थं रविषष्ठी व्रतोत्सवः सूर्योपासनाया: महत्त्वपूर्णः अवसरः । वस्तुतः अत्र षष्ठीदेवीपूजनं सन्तानलाभाय, सूर्यपूजनम् आरोग्याय इति द्वयोः पूजनयोः मिश्रणरूपः व्रतोत्सवः । क्रमशः अस्य प्रसारः वर्धमानः दृश्यते।
अर्थ – इस प्रकार छठ पर्व सूर्य उपासना का महत्त्वपूर्ण अवसर है। वस्तुतः इसमें षष्ठी देव का पूजन संतान लाभ के लिए तथा सूर्य का पूजन आरोग्यता के लिए होता है। दोनों का पूजन मिश्रण रूप यह.व्रत है। क्रमशः . इसका प्रसार बढ़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
शब्दार्थ
प्राकृतिकपदार्थेषु = प्राकृतिक पदार्थों में । सर्वाधिकः = अत्यधिक, सबसे बढ़कर। तेजस्वी = तेजस्वी, आत्मबल से युक्त, ओज से युक्त, ऊर्जावान् (व्यक्ति) । आरोग्यप्रदः = नीरोगता प्रदान करने वाला । मन्यते = माना जाता है । लभन्ते = प्राप्त करते हैं। विचार्य = विचार करके, सोचकर । देवरूपेण = देवता के रूप में । पूजयन्ति = पूजते हैं। प्राचीनकालात् = पुराने समय से । पूजने = पूजा करने के समय में । कश्चित् = कोई । मध्यस्थः = बीच में रहने वाला, बिचौलिया । अपेक्षितः = आवश्यक । शीतः = जाड़ा। अवस्थितः = स्थित । एवमेव (एवम् + एव) = इसी प्रकार, ऐसा ही। ग्रीष्मः = गर्मी । सन्धिकालः = जोड़नेवाला/बीच वाला समय । अनयोः = दोनों में । ज्वरकासादयः = बुखार, खाँसी आदि । प्रभवन्ति = उत्पन्न होते हैं। विनाशाय = विनाश के लिए । चैत्रमासे = चैत महीने में । अन्नानि = अन्न । पच्यन्ते = पकाये जाते हैं ।
वितप्तानि = धूप में सुखाये हुए । पच्यते = पकाये जाते हैं । गोधूमः = गेहूँ । नैवेद्याय = पूजा की सामग्री के लिए। ग्रामेषु = गाँवों में । कार्तिककालिकाः = कार्तिक माह वाला । नगरेषु = नगरों/शहरों में । बहुधा = प्रायः । सर्वथा = सब तरह से । तडागः = तालाब । सागरतटेषु = समुद्र के किनारे । स्नात्वा = स्नान करके । अर्घ्यदानम् = चढ़ावा, पूजन सामग्री का दान । यस्मिन् = जिसमें । अभक्ष्याः = नहीं खाने योग्य । वर्जिताः = मना किये हुए । तदा = तब ।
सिद्धान्नम् = पका हुआ अन्न । ओदनादिकम् (ओदन + आदिकम्) = भात आदि । इष्टजनानपि (इष्टजनान् + अपि) = प्रिय लोगों को भी। भोजयन्ति = खिलाते हैं। प्रारभते = शुरू होता है। पायसम् = खीर । रोटिका = रौटी । अनन्तरम् = बाद में, पश्चात् । कुर्वन्ति = करते हैं । ततः = इसके बाद । अनाहाराः = बिना भोजन किए । धारयित्वा = रखकर । प्रज्वाल्य = जलाकर । शयित्वा = सोकर । उदीयमानाय = उगते हुए को । पूर्ववत् = पहले की तरह । क्रियते = किया जाता है। अपरेभ्यः = दूसरों को । प्रयच्छन्ति = देते हैं । इत्थम् = इस प्रकार । वर्धमानः = बढ़ता हुआ । दृश्यते = दिखलायी देता है, देती है।
व्याकरणम्
सन्धिविच्छेदः
आरोग्यप्रदश्च = आरोग्यप्रदः + च (विसर्ग सन्धि) । कश्चित् = कः + चित् (विसर्ग सन्धि) । एवमेव = एवम् + एव । व्रतोत्सवः = व्रत + उत्सवः (गुण सन्धि)। तस्मादेव = तस्मात् + एव (व्यञ्जन सन्धि)। एकवारमेव = एकवारम् + एव । सूर्यास्तादनन्तरम् = सूर्यास्तात् + अनन्तरम् (व्यञ्जन सन्धि)। अपरेभ्यश्च = अपरेभ्यः + च (विसर्ग सन्धि)।
प्रकृति-प्रत्यय-विभाग :
अभ्यासः
मौखिक :
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत :
उत्तरम्-
- प्राकृतिकपदार्थेषु
- तेजस्वी
- आरोग्यप्रदः
- वर्षाशीतयोः
- शीतग्रीष्मयाः
- ज्वरकासादयः
- रविषष्ठीव्रते
- अनिवार्यतया
- गोधूमादीनि
- नैवेद्याय
- व्रतोत्सवस्तु
- सागरेपि
- रविषष्ठीव्रतोत्सवः
- अभक्ष्याः
- पायसरोटिकयोः
- सूर्यास्तादनन्तरं
- प्रज्वाल्य, अपरेभ्यश्च ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत् :
उत्तरम्-
प्राकृतिकपदार्थेषु = प्राकृतिक पदार्थों में । तेजस्वी = तेज, ऊर्जावान् । आरोग्यप्रद = आरोग्यता प्रदान करने वाला । ज्वरकासादयः = बुखार-खाँसी आदि । गोधूमादीनि = गेहूँ आदि । नैवेद्याय = प्रसादी के लिए। स्नात्वा = स्नान कर । अर्घ्यदानम् = अर्घ्य का दान । अभक्ष्या = नहीं खाने योग्य । वर्जिता = मना (वर्जित) । इष्ट जनान् = इष्ट जनों को । तस्मात् = इसलिए। पायसरोटिकयोः = खीर रोटी का। प्रज्वाल्य = जलाकर । अपरेभ्यः = दूसरों को । वर्धमानः = बढ़ता हुआ ।
प्रश्न 3.
सत्यम् असत्यम् वा वदत :
प्रश्नोत्तरम्-
- प्राकृतिक पदार्थेषु सूर्य: आरोग्यप्रदः मन्यते । – (सत्यम्)
- सूर्यः देवरूपेण पूज्यते । – (सत्यम्)
- कार्तिको मासः शीतवसन्तयोः मध्ये अवस्थितः। – (असत्यम्)
- चैत्रो मास: शीतग्रीष्मयोः सन्धिकालः। – (सत्यम्)
प्रश्न 4.
बिहार में मनाये जाने वाले किसी एक पर्व का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तरम्-
बिहार पर्व-प्रधान राज्य है । यहाँ होली, दिवाली, छठ इत्यादि पर्व धूमधाम और श्रद्धा से मनाया जाता है। उसी पर्यों में से एक पर्व केवल बिहार में मनाये जाने वाला है। चतुर्थीचन्द्र पूजन (चौठचन्द्र) व्रत भी बिहारवासी प्रायः उत्तर बिहार में बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं।
चन्द्रमा की कल्पना हितकारी देव रूप में करके लोग यह व्रत करते हैं। यह व्रत भादो मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है । एक दिन पूर्व से ही पूरा परिवार शुद्ध और पवित्र अन्न खाते हैं। व्रत के दिन व्रती उपवास रखकर सायंकाल में खीर, पूड़ी, फल दही लेकर चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं। व्रती स्वयं प्रसाद खाकर दूसरों को बाँटते हैं। इष्टमित्र भी प्रसाद खाने के लिए आते हैं।
कहा जाता है कि मिथ्या कलंक से बचने के लिए भाद्रशुक्ल चतुर्थीचन्द्र का पूजन करना चाहिए।
लिखित
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत :
(क) प्राकृतिक पदार्थेषु सर्वाधिकः तेजस्वी आरोग्यप्रदश्च कः ?
उत्तरम्-
सूर्यः।
(ख) कार्तिको मासः कस्मात मासात् पश्चात् आगच्छति ?
उत्तरम्-
आश्विनमासात् ।
(ग) रोगाणां विनाशाय कः आवश्यकः?
उत्तरम्-
व्रतः।
(घ) रवि षष्ठी व्रतोत्सवः कदा मन्यते ?
उत्तरम्-
कार्तिक-चैत्र मासयोः।
(ङ) सूर्योपासनायाः महत्त्वपूर्ण: अवसरः कः?
उत्तरम् -रविषष्ठी-व्रतोत्सवः।।
प्रश्न 2.
पूर्ण वाक्येन उत्तरत :
(क) रविषष्ठीव्रतोत्सवः अन्येन केन नाम्ना ज्ञायते ?
उत्तरम्-
रवि षष्ठी व्रतोत्सवः अन्येन छठपर्वेन नाम्ना ज्ञायते ।
(ख) रविषष्ठीव्रतोत्सवः कदा मन्यते?
उत्तरम्-
रविषष्ठीव्रतोत्सव: कार्तिक चैत्र मासयोः मन्यते ।
(ग) छठ-व्रतोत्सवे कस्य पूजा भवति ?
उत्तरम्-
छठ-व्रतोत्सवे सूर्यस्य पूजा भवति ।
(घ) रविषष्ठीव्रतोत्सवः कार्तिक मासस्य कस्मिन् दिवसे मन्यते ?
उत्तरम्-
रविषष्ठीव्रतोत्सव: कार्तिक मासस्य षष्ठी दिवसे मन्यते ।
(ङ) कार्तिक मासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तमदिवसे किं भवति ?
उत्तरम्-
कार्तिक मासस्य शुक्लपक्षस्य सप्तमदिवसे पारणं भवति ।
प्रश्न 3.
उदाहरणानुसारं लिखत :
यथा-
एकवचनम् – बहुवचनम्
मन्यते – मन्यन्ते
उत्तरम्-
एकवचनम् – बहुवचनम्
- लभते – लभन्ते
- वर्तते – वर्तन्ते
- प्रभवति – प्रभवन्ति ।
- भवति – भवन्ति ।
- करोति – कुर्वन्ति ।
- प्रारभते – प्रारभन्ते
- भोजयति – भोजयन्ति
- प्रयच्छति – प्रयच्छन्ति
- पश्यति – पश्यन्ति
प्रश्न 4.
उदाहरणानुसारेण विभक्ति निर्णयं कुरुत :
यथा-
पदार्थेषु – सप्तमी विभक्ति
उत्तरम् –
- वनस्पतयः – प्रथमा विभक्ति
- प्राचीनकालात् – पंचमी विभक्ति
- वर्षाशीतयोः – सप्तमी/षष्ठी विभक्ति
- रोगाणाम् – षष्ठी विभक्ति
- रविषष्ठी व्रत – सप्तमी विभक्ति
- व्रतस्य – षष्ठी विभक्ति
- नैवेद्याय – चतुर्थी विभक्ति
- भूमौ – सप्तमी विभक्ति
- सूर्योपासनायाः – षष्ठी विभक्ति
प्रश्न 5.
मेलनं कुरुत:
- सूर्यः – (1) ऊर्जावान
- तेजस्वी – (2) रविः
- अनिवार्यः – (3) प्रायः
- बहुधा – (4) अपरिहार्यः
- स्नात्वा – (5) विस्तारः
- प्रसारः – (6) स्नानं कृत्वा
उत्तरम्-
- सूर्यः – (2) ऊर्जावान
- तेजस्वी – (1) रविः
- अनिवार्यः – (4) प्रायः
- बहुधा – (3) अपरिहार्यः
- स्नात्वा – (6) विस्तारः
- प्रसारः – (5) स्नानं कृत्वा
प्रश्न 6.
कोष्ठात् शब्दं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत :
उत्तरम्
- प्राकृतिक पदार्थेषु सूर्यः सर्वाधिकः तेजस्वी आरोग्यप्रदश्च मन्यते – (सूर्य:/चन्द्रः)
- वर्षा शीतयोः मध्ये अवस्थितः कार्तिकः मासः – (कार्तिक:/चैत्रः)।
- कार्तिक मासे अभक्ष्याः पदार्थाः वर्जिता भवन्ति – (वर्जिता: अवर्जिताः)
- छठ इति व्रतोत्सवे सूर्याय अर्घ्यदानं दीयते । – (सूर्याय/चन्द्राय)
- रविषष्ठीव्रतोत्सवस्य वैज्ञानिक महत्त्वं वर्तते । – (वैज्ञानिक/आर्थिक)
प्रश्न 7.
निम्नलिखितानां पदाना सन्धि सन्धिविच्छेदं वा कुरुत
उत्तरम्-
- आरोग्यप्रद: + च = आरोग्यप्रदश्च ।
- व्रत + उत्सवः = व्रतोत्सवः।
- तस्मात् + एव = तस्मादेव ।
- कः + चित् = कश्चित ।
- सूर्य + अस्तः = सूर्यास्तः।
प्रश्न 8.
शब्दान् दृष्ट्वा लिखतं
उत्तरम्-
- ज्योत्स्ना
- तेजस्वी
- अनिवार्यतया
- नैवेद्याय
- व्रतोत्सवः
- सागरेपि
- पायसरोटिकयोः
- प्रज्वाल्य
- अपरेभ्यः
प्रश्न 9.
वर्ग प्रहेलीतः धातुरूपं निस्सारयत् :
उत्तरम् –
- हसति – हसतः – हसन्ति
- हससि – हसथः – हसथ
- हसामि – हसाव: – हसामः
प्रश्न 10.
संस्कृते अनुवदत :
प्रश्नोत्तरम् :
(क) रविषष्ठीव्रतोत्सव बिहार का एक प्रसिद्ध पर्व है।
उत्तरम् –
रविषष्ठीव्रतोत्सवः विहारस्य एकः प्रसिद्धः पर्वः अस्ति ।
(ख) यह मुख्यतः कार्तिक महीना में मनाया जाता है।
उत्तरम् –
अयं मुख्यतः कार्तिक मासे मन्यते ।
(ग) प्राकृतिक पदार्थों में सूर्य सर्वाधिक रोग विनाशक माना जाता है।
उत्तरम् –
प्राकृतिक पदार्थेषु सूर्य: सर्वाधिक: रोग विनाशक: मन्यते ।
(घ) कार्तिक माह वर्षा और शीत ऋत के मध्य स्थित है।
उत्तरम् –
कार्तिक मासे वर्षा-शीतयोः ऋतवयोः मध्ये स्थितः अस्ति ।
प्रश्न 11.
अधोलिखित तद्भव-शब्दानां कृते पाठात् चित्वा संस्कृत पदानि
लिखत :
यथा – सूरज = सूर्यः
उत्तरम् –
- माह = मासः
- कातिक = कार्तिक
- गेहूँ = गोधूमः
- तालाब = तडागः
- सूप = शूर्पः
- रात = रात्रि
- छठी = षष्ठी
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