![]() |
BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Book Answers |
Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbooks Solutions PDF
Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Books Solutions with Answers are prepared and published by the Bihar Board Publishers. It is an autonomous organization to advise and assist qualitative improvements in school education. If you are in search of BSEB Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Books Answers Solutions, then you are in the right place. Here is a complete hub of Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल solutions that are available here for free PDF downloads to help students for their adequate preparation. You can find all the subjects of Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbooks. These Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbooks Solutions English PDF will be helpful for effective education, and a maximum number of questions in exams are chosen from Bihar Board.Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Books Solutions
Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
How to download Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbook Solutions Answers PDF Online?
- Visit our website - Hsslive
- Click on the Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Answers.
- Look for your Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbooks PDF.
- Now download or read the Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbook Solutions for PDF Free.
BSEB Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbooks Solutions with Answer PDF Download
Find below the list of all BSEB Class 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbook Solutions for PDF’s for you to download and prepare for the upcoming exams:Bihar Board Class 9 Hindi सूखी नदी का पुल Text Book Questions and Answers
Sukhi Nadi Ka Pul Bihar Board Hindi Class 9 प्रश्न 1.
स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को ठेस क्यों लगी?
उत्तर-
लीलावती को यह आशा थी कि मुझे लेने गाँव से बहुत लोग आये होंगे लेकिन गाँव के सभी लोगों की जगह केवल भैया, भतीजे, सुरेश, नरेश और एक अपरिचित को देखकर वह कर्त्तव्य विभूढ़ हो गई। अपनी आगवानी में इन सब को आया देख लीलावती को ऐसा लगा जैसे सूखी-प्यासी धरती पर बादल बरस गए हों। क्योंकि उसे उम्मीद थी कि उसकी आगवानी में वही गाँव की पुरानी टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहारवाली बैलगाड़ी आई होगी।
लेकिन बदलते समाज के बदले वातावरण से वह खिन्न थी, उसे इसी कारण ठेस लगी।
सुखी नदी का पुल Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें।
उत्तर-
गाँव सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। शहर में ये बातें नहीं है किसी को किसी से मतलब नहीं रहता है। यही गाँव और शहर में विभिन्नता है।
Sukhi Nadi Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 3.
‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है?
उत्तर-
पिस्तौल जेब में रखते हुए नरेश को जब बुच्चीदाय ने टोका तो नरेश ने बड़े सहज ढंग से इसमें अजरज की क्या बात है; बुच्चीदाय; कहकर टाल देता है। इस । ‘बुच्ची दाय’ के उच्चारण में जो प्रेम, आहाद की भावना है उससे लीलावती को आनंदा तिरेक की अनुभूति होती है।
Class 9 Hindi Chapter 11 Question Answer प्रश्न 4.
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों?
उत्तर-
बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा याद आ रही है, सहेलिया माय। क्योंकि माँ कहती थी कि सहेलिया माय खबासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है। इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा।।
प्रश्न 5.
गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?
उत्तर-
लीलावती को आधुनिक विलासिता की सारी चीजें मुंबई में है। वह तो नैहर की पहले वाली असुविधाओं के लिए तरस रही है। सखी-सहेलियाँ, नदी-पोखर, खेत-खलिहान, टोले-पगडंडियाँ, नाथ बाबा का थान्ह, राजा सल्हेश का गहबर, बुढ़िया बाड़ी बरहम बाबा का मंदिर यही सब देखने को लीलावती की इच्छा है।
प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है।
उत्तर-
कहानी में प्रयुक्त टप्परवाली बैलगाड़ी या ओहार वाली बैलगाड़ी, नदी-पोखर, खेत, खलिहान, पगडंडी, नाथ बाबा का थान्ह, काठ का पुल, बरहम बाबा का मंदिर आदि का इतना सुंदर वर्णन है कि ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता नजर आता है।
प्रश्न 7.
बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुंची तो सबको अचरज क्यों हुआ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें।
उत्तर-
सारे अवरोधों का पारकर जब बुच्ची दाय शादी के अवसर पर सहेलिया माय के आंगन में पहुँची तो सबको घोर आश्चर्य हुआ क्योंकि वातावरण तो गोली-पिस्तौल और मामला-मुकदमा तक का हो चुका था। लेकिन बुच्ची दाय के पहुँचते ही सारा खबासटोली स्तब्ध रह गया। सहेलिया मायके सूखे स्तनों में जैसे दूध – उतर आया। लीलावती सहेलिया माय के सीने में अपना चेहरा छिपाए देर तक सुबक-सुबक कर रोती रही। बाढ़ के पानी-सी यह खबर पूरे सोलकन टोले में फैल गई। समूचे टोले के लोग लीलावती को देखने उमड़ पड़े। जिंदगी की ऐसी सार्थकता लीलावती को कभी महसूस नहीं हुई थी। भीतर जैसे आह्वाद का सागर उमड़ रहा था।
प्रश्न 8.
लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है?
उत्तर-
विनाशकारी वातावरण में लीलावती ने सोलकन टोली में शादी के अवसर पर पहुंचकर जिस तरह सामाजिक माहौल में परिवर्तन लाया वह प्रशंसनीय ही नहीं अनुकरणीय भी है। उसके व्यवहार से सोनेलाल के बेटे कलेसर ने लीलावती के पैर छूकर कसम खाई की आज के बाद ये हाथ नहीं उठेंगे। भूल-चूक माफ कर दे। इस तरह सामाजिक सौहार्द्र बनाकर लीलावती ने समाज को तबाह होने से बचा लिया।
प्रश्न 9.
लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया कोन देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है?
उत्तर-
लीलावती के विवाह के समय उसके पिता ने पाँच एकड़ जमीन दान में दी थी। वही जमीन गाँव की विरादरी के बीच बैकवार्ड-फारवार्ड की लड़ाई का विषय बन गया था। गाँव में अमन-चैन रहे, शांत वातावरण रहें, सब मिलजुल कर रहें इसी उद्देश्य को लेकर लीलावती ने अपने भाई-भतीजों से वचन लेकर वह पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के नाम करती है, यह कहकर की दूध का मोल कौन दे सकता है? झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करना ही उद्देश्य है।
प्रश्न 10.
गाँव में दंगा भड़कने का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
शहर के लोग मौज-मस्ती की जिन्दगी बिताते हैं वहीं गाँव में गरीबी, बेराजगारी की भयानकता है, लोग पारिवारिक बोझ से तंग रहते हैं। उस पर सरकारी नीति का अखाड़ा आरक्षण दंगा भड़काने में सहायक होता है।
व्याख्याएँ
प्रश्न 11.
(क) “तुम्हारी जो पांच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक पाठ से उद्धृत हैं।इसमें लेखक दिवाकर जी ने सामाजिक वैमनस्यता को बड़े ही सजीव ढंग से चित्रित किया है। इनका मानना है कि सारी बुराईयों की जड़ सम्पत्ति है। इससे असंतोष बढ़ता है, वैमनस्यता आती है। लोग मार-काट करते हैं, आपसी भाईचारा समाप्त होता है।
इस प्रसंग में लीलावती के भाई द्वारा पिस्तौल रखने के सवाल पर उनके भाई का यह कथन-समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय। अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवार्ड-फारवार्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन बन गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली पाँच एकड़ जमीन है, वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है, इसी संदर्भ को दर्शाता है।
(ख) “समय ही ऐसा आ गया है बुच्ची दाय! अपनी सुरक्षा के लिए यह सब अब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले जैसा गाँव नहीं रहा।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सुखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखन ने लीलावती द्वारा उठाये गये प्रश्नों का बड़ा ही तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत किया है।
लेखक ने लीलावती के द्वारा अपने भाई के जेब में रखे पिस्तौल को देखकर बड़े आश्चर्य की बात बताई है। उसे दुखद आश्चर्य होता है कि पहले जहाँ मेरे भइया खादी का कुरता पहन कर सभ्य बने रहते थे। अब उस खादी के कुरते में पिस्तौल गया है। गाँव समाज देश कहाँ जा रहा है। इसी संदर्भ में भैया ने लीलावती को गाँव की बदहाली के लिए राजनीति दलों द्वारा वैकवार्ड-फौरवार्ड की कड़ी भर्त्सना करते हुए पिस्तौल रखने के कारणों से अवगत कराया है।
(ग) सूखी नदी का पुल! पिछली बार आई थी तब नदी में पानी था और सीमेंट की पुल की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। नदी सूख गई है अब। रेत ही रेत। रेत की नदी।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने गाँवों में आये बदलाव का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है। लेखक ने उदाहरण देते हुए बताया है कि लीलावती तो पहले स्टेशन पर बैलगाड़ी के बदले जीप देखकर हक्का-बक्का हो गई। फिर जीप में बैठकर – लीलावती दोनों तरफ के भूले-बिसरे टोलों-मुहल्लों को पीछे की ओर भागते हुए रूप में देखती रही। तभी नदी पर सीमेंट का पुल आ गया जो उसके समय में काठ का – पुल था। बड़े आश्चर्य में लीलावती ने अपने उदास मन को इस बदलाव से अवगत कराती है कि मैं जब पिछली बार आई थी तो नदी में पानी था और सीमेंट की जगह काठ का पुल था-कठपुल्ला। अब नदी सूखी हुई है और सीमेंट के पुल बने हुए हैं। सारी चीजें बदल गयीं हैं।
(घ) “जीप जब दरवाजे से आगे बढ़ी तब लीलावती को ऐसा महसूस हुआ जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस नदी में वह ऊब-डूब रही है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी का पुल’ शीर्षक से उद्धृत है। इसमें लेखक ने बड़े ही कुशल तरीके से बिगड़े समाज के ताने-बाने को लीलावती के माध्यम से सहज, समरूप, शांतमय बातावरण बनाने में सफलता पाई है।
लेखक ने लीलावती के द्वारा भैया को पाँच एकड़ जमीन जो लीलावती को दान में मिली थी सहेलिया के माय के नाम कर देने की शपथ लेकर मजबूर कर देती है तो सारा वातावरण शांत हो जाता है। झगड़ा-फसाद तमाम मुद्दे सदा के लिए अवसान में चले जाते हैं उस वक्त लीलावती के भैया और भतीजे का हृदय परिवर्तन हो जाता है और फारबिस गंज रजिस्ट्री के लिए जाते समय जीप में ड्राइवर की सीट पर नरेश और लीलावती के भैया के खादी के कुर्ते की जेब में पिस्तौल की जगह जमीन के कागजात का पुलिंदा था। उस समय लीलावती को वही उपर्युक्त कथन – महसूस हो रहा था कि जैसे दूध की कोई उमगी हुई उजली नदी है और उस पर नदी में वह ऊब-डूब नहा रही है।
(ङ) “सिर्फ अपना, अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो है नहीं। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्तों-नातों में बंधा होता है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी के पुल’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने एक मायके गई बेटी के नैहर की वापसी पर हर्षोल्लास और अपनत्व का ऐसा वर्णन प्रस्तुत किया है जो अवर्णनीय है। इसमें लेखक ने लीलावती की मनोदशा का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है। लीलावती तेरह-चौदह वर्ष के बाद अपने नैहर लौट रही है वातावरण बहुत बदल चुका है। लेकिन उसे पिछली सारी बातें याद आ रहो – सबरज्यादा याद आ रही है उसे सहेलिया की माँ जिसने उसे अपने स्तन पिसोकर पाला था। वह इस बदले वातावरण से विमुख होकर पूरे गाँव का नैहर मान रही है। इसी संदर्भ में उपर्युक्त तथ्य को लीलावती ने अपने भाई को समझाया है।
(च) “विवाह को उल्लास भरे वातावरण में आँसुओं की यह गंगा-यमुनी बाद! इस बाढ़ में किसका कितना कुछ डूबा, बहां-कौन जाने।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ श्री अमधारी सिंह दिवाकर द्वारा लिखित ‘सूखी नदी पर पुल’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने सामाजिक वातावरण के बिगड़ने के बाद जो शांति का वातावरण था। वह अब अजनबी बात हो जाती है। उम लेखक ने दशा का बड़ा ही भावनात्मक चित्र प्रस्तुत किया है।। , सामाजिक वातावरण के बिगड़े माहौल में कहीं लोग एक दूसरे के खून के प्यास हैं उस समय लीलावती का सहेलिया माय के पोद्री की शादी में चुपचाप सारी बाधाओं को पार करते हुए पहुँचना बड़े ही आश्चर्य की बात लगता है। सबसे आश्चर्य तो तब होता है जब लीलावती को कोई पहचान भी नहीं पाता है और किसी को इस बात का विश्वास भी नहीं होता है कि इस परिस्थिति में भी ऐसा हो सकता है। सोनेलाल, कलेसर, और सभी पुरुष एवं महिलाएँ लीलावती को अपलक देखती जा रही थी। लीलावती को लग रहा था कि उसके भीतर जैसे आहाद का सागर उमड़ रहा है।
इसी संदर्भ में सभी ने अपने वैर-भाव भुलाकर एक सुन्दर शांत वातावरण बनाने की कसमें खाई सारी हानि-लाभ को भुलाकर।
प्रश्न 12.
शीर्षक की सार्थकता पर विचार करते हुए कहानी का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यों तो दिवाकर की कहानियाँ आजादी के बाद भीतर से बदलते और टूटते हुए गाँव की पीड़ा की ऐसी कहानियाँ हैं जो गाँव पर लिखी जानेवाली कहानियों से थोड़ी भिन्न हैं। पिछली दशाब्दियों में गाँव का जो नौकरी-पेशा वर्ग शहरों का अधिवासी हो गया है, उस वर्ग के संस्कार की जड़ें गाँव में फैली हैं, लेकिन शाखाएँ और फूल-पत्ते शहरी आसमान में लहलहाते हैं। इस वर्ग का अंतर्विरोध गाँव के जीवन का वह अंतर्विरोध है जो शहरी संसर्ग से उत्पन्न हुआ है। इस रूप में दोनों पक्षों का व्यक्ति और समाज जिस जगह टूटा है लेखक की कहानियाँ उसी जगह से आकार ग्रहण करती हैं। इसलिए इस कहानी का सटीक नाम ‘सूखी नदी का पुल’ है और इसकी सार्थकता तथा केंद्रीय भाव ग्रामीण परिवेश में आई गिरावट की ओर इंगित कर इसे सुधारने का अवसर भी प्रदान करता है।
नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।
1. समय ही ऐसा आ गया है बुच्चीदाय! अपनी सुरक्षा के लिए अब यह सब रखना पड़ता है। गाँव अब पहले वाला गाँव नहीं रहा। जब से आरक्षण लागू हुआ है, बैकवर्ड-फॉरवर्ड की दुर्भावना बुरी तरह फैल गई है। गाँव में जातियों के अलग-अलग संगठन हो गए हैं, निजी सेनाएँ हो गई हैं। जमीन-जायदाद को बचा पाना मुश्किल हो गया है। तुम्हारी वाली जो पाँच एकड़ जमीन है वह तो समझो गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है। भैया बोल ही रहे थे कि बीच में नरेश ने कहा, ‘हमलोगों की भी अपनी सेना है बुआ!’
भैया कहने लगे, “अच्छा हुआ तुम आ गई बुच्चीदाय! अब अपनी जमीन का ‘नौ-छौ’ कुछ करके ही जाना।” चलती जीप की घरघराहट में सामने बैठे भैया बोलते जा रहे थे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) गाँव में अब कैसा समय आ गया है? क्यों?
(ग) गाँव में फॉरवर्ड के लिए अब क्या मुश्किल हो गया है, और क्यों ?
(घ) कौन-सी चीज गिद्धों के लिए मांस का लोथड़ा बनी हुई है? क्यों और कैसे?
(ङ) आज आपके गाँव की कैसी हालत है?
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर
(ख) गाँव में अब समय बदला हुआ है। आज का गाँव पहले वाला गाँव नहीं रहा है। अब गाँव में लोग फॉरवर्ड और बैकवर्ड दो जाति के ग्रुपों में बँट गए हैं। गाँव में जाति के आधार पर कई संगठन बन गए हैं जिनमें अपनी-अपनी सेनाएँ संगठित कर ली गई हैं। अगड़ी जाति के भूस्वामियों के लिए अब अपनी जमीन बचाकर रखना मुश्किल हो गया है। अपनी सुरक्षा के लिए लोगों को अब पिस्तौल रखना आवश्यक हो गया है। ऐसी विषम स्थिति और माहौल के कारण के मूल में आरक्षण का लागू होना है।
(ग) आरक्षण लागू हो जाने के कारण गाँव के लोग अब फॉरवर्ड तथा बैकवर्ड-इन दो जाति-ग्रूपों में बँट गए हैं। इनके बीच बड़ा कटुतापूर्ण संबंध कायम हो गया है। वहाँ विभिन्न जाति ग्रुपों में बँटे लोगों ने अपनी-अपनी जातियों में जाति-संगठन बना लिए हैं। इस कटुतापूर्ण अशांत स्थिति के कारण भूस्वामियों के लिए अपनी जायदाद-जमीन को बचा पाना बड़ा कठिन काम हो गया है।
(घ) लीलावती के पिता ने उसकी शादी में उसे पाँच एकड़ जमीन दान के रूप में दी थी। शादी के बाद वह ससुराल में रह रही थी। इधर गाँव में उस जमीन की देखभाल उसके भाई-भतीजे करते थे सोलकन टोला के भूमिहीन परिवार के लोगों खासकर सहेलिया माय के बेटे कलेसरा की गिद्ध-दृष्टि उसपर पड़ी हुई थी और जमीन का वह टुकड़ा भूमिहीन गिद्धों के लिए इस रूप में मांस का लोथड़ा बना हुआ था।
(ङ) आज हमारे गाँव की भी ठीक यही हालत है। हमारे गाँव के लोग भी विभिन्न जाति-ग्रुपों में बँटे हुए हैं और अपनी-अपनी जाति के आधार पर संगठन बनाकर और जाति-सेना का गठन कर जमीन-जायदाद तथा घर-मकान हथियाने के लिए लूट-पाट कर रहे हैं। इस घृणित माहौल में वहाँ कई हत्याएँ भी हुई हैं और समूचे गाँव का वातावरण बिलकुल अशांत हो गया है।
2. तेरह-चौदह वर्षों बाद लीलावती नैहर लौट रही है। पिछले बार माँ के श्राद्ध-कर्म पर आई थी। सब कुछ याद आ रहा है लीलावती को! याद आ रहा है गाँव का नैहर सिर्फ अपने माँ-बाप या भाई-भौजाई का घर नहीं होता, पूरा गाँव होता है। यह शहर तो नहीं है। यहाँ तो पूरा गाँव रिश्ते-नातों से बँधा रहता है और गाँव के वही रिश्ते-नाते इस वक्त बड़ी शिद्दत से याद आ रहे हैं लीलावती को। सबसे ज्यादा याद आ रही है सहेलिया माय! मुंबई में जब-जब नैहर की याद आई, खवासटोली की वह सहेलिया माय सबसे ज्यादा याद आई। माँ कहती थी-सहेलिया माय खवासिन नहीं, तुम्हारी दूसरी माँ है! इसी ने तुमको अपना दूध पिलाकर पाला-पोसा। माँ कहती थी-जब तुम जन्मी थी, अपना दूध नहीं उतरा था। डागडर-वैद्य, ओझा-गुनी सब हार गए। गाय, बकरी, भेड़ी किसी का दूध तुमको नहीं पचता था। एकदम मरने-मरने को हो गई थी तुम। तब सहेलिया माय सामने आई। नई-नई लरकोरी बनी थी। गोद में बेटा था कलेसर। उसी ने अपना दूध पिला-पिलाकर तुमको जिंदा रखा।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लीलावती को गाँव आने पर सामान्य रूप से क्या याद आ रही
(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से किसकी याद आ रही है और क्यों?
(घ) लीलावती की माँ ने लीलावती से सहेलिया माय के बारे में क्या बताया था?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर
(ख) गाँव आने पर लीलावती को सामान्य रूप से यह याद आ रहा है कि गाँव के नैहर में पहले सिर्फ माँ-बाप, भाई-भौजाई का परिवार ही शामिल नहीं था, बल्कि उसमें समूचा गाँव समाया हुआ था। अब तो पूरा गाँव रिश्तों, जातियों और नातों में बँट गया है। लीलावती को अभी सामान्य रूप से वही पुराना गाँव अपने पुराने स्वरूप में याद आ रहा है।
(ग) लीलावती को गाँव आने पर विशेष रूप से सहेलिया माय याद आ रही है। इसका कारण यह है कि लीलावती को माँ से यह पता चला था कि सहेलिया माय उसकी खवासिन (नौरी) नहीं, बल्कि उसकी दूसरी माँ है। इसी सहेलिया माय ने शैशवावस्था में लीलावती को अपने स्तन का दूध पिला-पिलाकर उसे जीवित रखा है!
(घ) लीलावती को उसकी माँ ने सहेलिया माय के बारे में बताया है कि सहेलिया माय उसकी दूसरी माँ है। तब जब वह जन्मी थी तो उसकी माँ की छाती में दूध नहीं उतरता था। डॉक्टर-वैद्य की ढेर सारी दवाएँ भी दूध नहीं उतार सकीं। उस समय शिशु लीलावती को गाय, बकरी, भेंड़ी किसी का दूध नहीं पचता था। उस समय सहेलिया माय नई-नई लरकोरी बनी थी और उसकी छाती में दूध भरा हुआ था। उस परिस्थिति में इसी सहेलिया माय ने उसे अपने स्तन का दूध पिला-पिलाकर उस संकट की घड़ी में उसे जीवित रखा।
(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने यह बताया है कि पहले के गाँव के लोग आज की तरह जातिगत खेमे में बँटे हुए नहीं थे। वहाँ कहीं जातिगत कटुता नहीं थी। सब जगह सामाजिक सौहार्द का वातावरण था। उस समय गाँव में सहेलिया माय ऐसी स्त्री थी जो दूसरी अगड़ी जाति के बच्चे को जरूरत पड़ने पर अपने स्तन का दूध भी पिलाकर उसे जीवित रखती थी।
3. दिन के तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ निकल गई लीलावती। एकदम सुनसान था कमलपोखर। ढेर सारी कँटीली झाड़ियाँ उग आई थीं। बगल के किसी पेड़ से पंडुकी पक्षी की आवाज आ रही थी-तू-तूरूम! तू-तूरूम!-तू कहाँ! तू कहाँ! पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी लीलावती हसरत भरी आँखों से पश्चिम की तरफ देखने लगी-खवासटोली की तरफ। शहनाई और खुरदुक बाजै की मीठी-मीठी ध्वनि सुनाई पड़ रही थी। पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती सोचने लगी-खवासटोली का पहला घर सहेलिया माय का है। वहीं से शहनाई की आवाज आ रही है। शायद। लगता है सादी-बियाह है खवासटोली में। शहनाई पर यह पुरानी धुन कौन बजा रहा है! “पिया मोर बालक हम तरुनी हे।” शायद रथ्यू काका होंगे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ वहाँ कैसा प्राकृतिक परिवेश था? उसे अपने शब्दों में वर्णन करें।
(ग) लीलावती खड़ी होकर क्या देख रही थी और क्या सुन रही थी?
(घ) पुराने नक्शे की स्मृति को उतारते हुए लीलावती क्या सोचने लगी?
(ङ) ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे’-यह गीत किसका लिखा गीत है? गीत की इस पंक्ति का अर्थ लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर
(ख) तीसरे पहर घर के पिछवाड़े कमलपोखर की तरफ का प्राकृतिक परिवेश का यह रूप था। वहाँ एकदम सन्नाटा पसरा हुआ था। वहाँ जमीन पर ढेर सारी जंगली झाड़ियाँ उगी हुई थी। वहीं बगल के पेड़ पर बैठ पंडुकी की ‘तू-तूरूम! तू-तुरूम’ की आवाज आ रही थी।
(ग) लीलावती वहीं पोखर के ऊँचे मोहार पर खड़ी पश्चिम की ओर स्थित खवासटोली की तरफ देख रही थी और उस मोहल्ले से आ रही शहनाई और खुरदुक की मधुर मांगलिक आवाज सुन रही थी। यह आवाज सहेलिया माय के घर से आ रही थी जहाँ आज उसकी पोती की शादी होने वाली थी।
(घ) पुराने नक्शे की याद को उतारते हुए लीलावती यह सोचने लगी कि खवास टोली में सबसे पहला घर सहेलिया माय का है। शहनाई और खुरदुक की मंगल ध्वनि यह बताती है कि खवासटोली में आज किसी के यहाँ शादी है। वहाँ शहनाई की पुरानी धुन पर कौन व्यक्ति यह गीत बजा रहा है ‘पिया मोर बालक हम तरुनी हे? शायद रघू काका ही इसे बजा रहे हैं।
(ङ) यह गीत विद्यापति लिखित एक सुचर्चित गीत है। इस गीत में युवती गोपी के दिल में बालक श्रीकृष्ण के प्रति उमगे पवित्र मधुर प्रेम का वर्णन है। गोपी यहाँ युवती है और श्रीकृष्ण अभी बाल रूप में हैं। उस युवती ने कान्हा को अपने प्रियतम के रूप में मान रखा है। इस प्रेम-संबंध से बँधी गोपी (आत्मास्वरूपा) अपने प्रियतम श्रीकृष्ण (परमात्मास्वरूप) के प्रति अमगे प्रेम का स्वरूप का विश्लेषण करती हुई कहती है कि वह तो तरुणी, अर्थात युवती है और उसका प्रियतम श्रीकृष्णा तो अभी बालक ही है।
4. सुबह हो गई। वैशाख के महीने का सूरज बाँस भर ऊपर चढ़ आया। लीलावती भैया के घर लौटने के लिए तैयार थी। गाँव की अपनी बुच्चीदाय को विदा करने खवासटोली के लोग ही नहीं, पूरे सोलकाटोले के लोग, औरतें, बच्चे सब एकत्रित थे। इन सबसे घिरी लीलावती आम बमान के इस पार तक आ गई। पोखर के मोहार पर भैया, भौजी, बहू, भतीजे और बबुआनटोले के लोग खड़े थे और एकटक इसी तरफ देख रहे थे।
वायल की गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर माँग सिंदूर पोते लीलावती पोखर के मोहार पर आई। सारे लोग स्तब्ध लीलावती को देखते रहे। बंबई में सारी आधुनिक सुविधाओं के बीच रहनेवाली लीलावती इस वक्त पूरी देहातिन लग रही थी। चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा! भैया, भाभी, भतीजे सब चुप। न कोई आरोप-प्रत्यारोप, न रोब, न उलाहना! नरेश भौंचक-सा बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता रहा।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सोलकनटोले के लोग लीलावती के साथ क्यों और किस रूप में एकत्र थे?
(ग) लीलावती कब, कहाँ और किस रूप में देहातिन लग रही थी?
(घ) उस समय लीलावती के नैहर के लोग वहाँ उसे किस मनःस्थिति में देख रहे थे?
(ङ) ‘चेहरे पर परम उपलब्धि की अपूर्व आभा।’ भाव और अर्थ
स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी-नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर
(ख) रात्रि में लीलावती सोलकनटोली की सहेलिया माय के घर स्वयं गई थी और रातभर वहीं रहकर वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल हुई थी। वहाँ के सभी लोग इस बात को जानते थे कि सहेलिया माय के बेटे और सोलकनटोले के सभी पिछड़ी जाति के लोगों से लीलावती के नैहर-परिवार के संबंध बहुत कटुतापूर्ण थे। इस पृष्ठभूमि में लीलावती के वहाँ जाकर रात भर वहाँ-रहने से सोलकनटोला के सभी लोग कृतज्ञ और हर्षित थे। अपने इसी हर्ष और कृतज्ञता की भावना को प्रकट करने में वे सभी लीलावती के साथ वहाँ एकत्र थे।
(ग) कल होकर सुबह में लीलावती सहेलिया माय के घर से निकलकर अपने नैहर के घर जाने के क्रम में पोखर के मोहार पर, गाढ़ी लाल साड़ी पहने और भर-माँग सिंदूर पोते पूरी देहातिन के रूप में पहुँची। बंबई में रहनेवाली वह स्त्री उस समय पूरी देहातिन लग रही थी।
(घ) उस समय लीलावती के नैहर-परिवार के लोग उसे स्तब्ध होकर इस नए रूप में देख रहे थे। उसके भैया-भाभी, दोनों भतीजे भी, आश्चर्यचकित रहकर चुपचाप खड़े थे। किसी के मुँह से आरोप-प्रत्यारोप, रोष, उलाहना के शब्द नहीं निकल रहे थे। भतीजा नरेश भौंचक रहकर लीलावती बुआ का सिंदूरी चेहरा देखता रहा।
(ङ) लीलावती सहेलिया माय के घर से सुबह निकली तो वह बहुत संतुष्ट और अतिशय प्रसन्न थी। उसके मन को उस समय से बड़ी शांति मिल रही थी। सहेलिया माय के घर जाकर उससे मिलकर उसे बहुत आत्मसंतोष हुआ। उसके चेहरे पर उस परम उपलब्धि से, अर्थात सहेलिया माय से मिलने की खुशी से परम उपलब्धि की अपूर्व आभा छाई और छितराई हुई थी।
5. भैया ने फिर दृढ आवाज में कहा, ‘हाँ बुच्चीदाय, तुम जो फैसला करोगी, हमें मंजूर होगा। आखिर जमीन तो तुम्हारी ठहरी! वह भी दान की जमीन!’ लीलावती भैया की आँखों में झाँकने लगी, मुझे आपलोगों ‘की दुआ से कोई कमी नहीं है भैया। इसलिए दान में मिली जमीन मैं दान में ही देना चाहती हूँ। आप वचन दे चुके हैं। मुकरिएगा नहीं। मैं यह जमीन सहेलिया माय को रजिस्ट्री करना चाहती हूँ। दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी…। झगड़ा हमेशा-हमेशा के लिए खतम। है न सुरेश, नरेश, भौजी! है न। सब हतप्रभ! और लीलावती का चेहरा ऐसा दिख रहा था जैसे कोई बहुत बड़ी चीज मिल गई हो उसे। हँसती हुई भैया से बोली, “सहेलिया माय और कलेसर कल फारबिसगंज रजिस्ट्री ऑफिस में मिलेंगे। मैंने कह दिया है उनसे। मेरा मान रखिएगा भैया! पता नहीं फिर कब लौटकर आना हो नैहर! आपको और सुरेश-नरेश को भी साथ चलना होगा, सिनाखत (शिनाख्त) के लिए।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भैया की आवाज में दृढ़ता क्यों थी? उसने अपनी बहन को क्या विश्वास दिलाया?
(ग) दूध का मोल कौन दे सकता है, फिर भी प्रसंग के साथ इस कथन को स्पष्ट करें।
(घ) लीलावती को कौन-सी बड़ी चीज मिल गई थी? स्पष्ट करें।
(ङ) मेरा मान रखिएगा-यह किसका और कौन-सा मान है? प्रसंग के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-सूखी नदी का पुल, लेखक-रामधारी सिंह दिवाकर
(ख) लीलावती के भैया की आवाज में दृढता थी, क्योंकि भैया विश्वास-भरी बात का कथन कह रहे थे। इस कथन के माध्यम से वे अपनी बहन लीलावती को यह विश्वास दिला रहे थे कि वे जो कह रहे हैं वे सही रूप से कह रहे हैं। वे अब किसी भी रूप में अपने कथन की सत्यता से नहीं मुकरेंगे और अपनी बहन के जमीन-संबंधी फैसले को हर हालत में ‘मानने के लिए बाध्य होंगे।
(ग) यह लीलावती का कथन है। उसने यह तय किया है कि वह अपने नाम की पाँच एकड़ जमीन सहेलिया माय के बेटे के नाम मुफ्त या दान के रूप में रजिस्ट्री कर देगी। वह जानती है कि अपनी शैशवास्था में वह सहेलिया माय के स्तन का दूध पीकर जीवित रह पाई थी। अतः, उसको पाँच एकड़ जमीन दान के रूप में देकर वह कुछ हद तक तो दूध का मोल चुकाने की दिशा में कुछ कर पाएगी। हालाँकि उसका यह विश्वास-भरा कथन है कि सहेलिया माय के दूध का मोल कौन और कैसे चुका सकता है?
(घ) लीलावती ने जब यह निश्चय किया कि वह अपने नाम की पैतृक पाँच एकड़ की जमीन सहेलिया माय के नाम से रजिस्ट्री कर उसे उसको दान के रूप में दे देगी तब इस निश्चय के बाद परिवार वालों की भी उसे इस कार्य के लिए पूरी सहमति मिल गई। उसे अब आत्मसंतोष के रूप में बहुत बड़ी चीज मिल गई थी। इसका कारण यह था कि शैशवास्था में सहेलिया माय ने उसे अपने स्तन का दूध पिलाकर उसे जीवित रखा था। यह सहेलिया माय का उसपर बहुत बड़ा ऋण था।
(ङ) यह कथन लीलावती के मान से संबद्ध कथन है जिसकी रक्षा के लिए वह अपने नैहर-परिवार के सदस्यों से निवेदन के रूप मे रख रही है। उसने कल रात्रि में सहेलिया माय के घर जाकर उसके चरणस्पर्श कर आशीर्वाद लिए थे। उसके भाई-भतीजों ने लीलावती को यह विश्वास दिलाया था कि वह पिता से दान में मिली पाँच एकड़ जमीन के संबंध में जो भी फैसला करेगी उस पर परिवार के सभी लोगों की सहमति होगी। लीलावती उनसे अपनी बात पर अडिग रहकर अपने मान की रक्षा के लिए निवेदन कर रही है।
BSEB Textbook Solutions PDF for Class 9th
- BSEB Class 9 Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 1 कहानी का प्लाँट Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 1 कहानी का प्लाँट Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 2 भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 2 भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 4 लाल पान की बेगम Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 4 लाल पान की बेगम Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 5 भारतीय चित्रपट : मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तक Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 5 भारतीय चित्रपट : मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तक Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 6 अष्टावक्र Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 6 अष्टावक्र Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 8 पधारो म्हारे देश Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 8 पधारो म्हारे देश Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 9 रेल-यात्रा Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 9 रेल-यात्रा Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 10 निबंध Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 10 निबंध Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 सूखी नदी का पुल Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 12 शिक्षा में हेर-फेर Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 1 रैदास के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 1 रैदास के पद Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 2 मंझन के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 2 मंझन के पद Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 4 पलक पाँवड़े (अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 4 पलक पाँवड़े (अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरीऔध’) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली (महादेवी वर्मा) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली (महादेवी वर्मा) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 6 आ रही रवि के सवारी (हरिवंशराय बच्चन) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 6 आ रही रवि के सवारी (हरिवंशराय बच्चन) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा (केदारनाथ अग्रवाल) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा (केदारनाथ अग्रवाल) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 8 मेरा ईश्वर (लीलाधर जगूड़ी) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 8 मेरा ईश्वर (लीलाधर जगूड़ी) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 9 रूको बच्चों (राजेश जोशी) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 9 रूको बच्चों (राजेश जोशी) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 10 निम्मो की मौत (विजय कुमार) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 10 निम्मो की मौत (विजय कुमार) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 11 समुद्र (सीताकांत महापात्र) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 11 समुद्र (सीताकांत महापात्र) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Godhuli Chapter 12 कुछ सवाल (पाब्लो नेरुदा) Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Godhuli Chapter 12 कुछ सवाल (पाब्लो नेरुदा) Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 1 बिहार का लोकगायन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 1 बिहार का लोकगायन Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 2 बिहार की संगीत साधना Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 2 बिहार की संगीत साधना Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 3 बिहार में नृत्यकला Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 3 बिहार में नृत्यकला Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 4 बिहार में चित्रकला Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 5 मधुबनी की चित्रकला Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 6 बिहार में नाट्यकला Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 6 बिहार में नाट्यकला Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi Varnika Chapter 7 बिहार का सिनेमा संसार Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi Varnika Chapter 7 बिहार का सिनेमा संसार Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण अपठित गद्यांश Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण अपठित गद्यांश Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण निबंध लेखन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण निबंध लेखन Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण लिंग Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण लिंग Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण वचन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण वचन Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण काल Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण काल Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण वाच्य Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण परसर्ग ‘ने’ का क्रिया पर प्रभाव Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण वाच्य परिवर्तन Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण सन्धि Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण सन्धि Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण समास Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण समास Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण पर्यायवाची, विलोम तथा श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण पर्यायवाची, विलोम तथा श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण अनेक शब्दों के लिए एक शब्द Book Answers
- BSEB Class 9 Hindi व्याकरण मुहावरे Textbook Solutions PDF: Download Bihar Board STD 9th Hindi व्याकरण मुहावरे Book Answers
0 Comments:
Post a Comment