Bihar Board Class 9th Hindi Godhuli Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा (केदारनाथ अग्रवाल) Textbooks Solutions PDF
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Board | BSEB |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 9th |
Subject | Hindi Godhuli Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा (केदारनाथ अग्रवाल) |
Chapters | All |
Provider | Hsslive |
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BSEB Class 9th Hindi Godhuli Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा (केदारनाथ अग्रवाल) Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न 1.
कवि के आशावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी कविता में दृढ़ इच्छा शक्ति को . प्रकट करते हुए सबल और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना की है। .
कवि की दृष्टि में आजाद भारत का स्वरूप क्लेश रहित, ज्ञान-विज्ञान संयुक्त खुशियों से भरा हुआ तथा मान-सम्मान से जीती हुई जनता का होगा। आशावादी भावों के सहारे कवि ने भारत का जो मानचित्र उकेरा है उसमें भारत कहीं भी किसी क्षेत्र में दीन-हीन के रूप में नहीं दीखता है। कवि की इच्छाशक्ति दृढ़ है। उसके – हृदय में आशाओं की किरणें प्रस्फुटित हो रही हैं। वह कहीं भी निराश नहीं है। वह हर भारतीय के जीवन में मान-सम्मान, खुशियों का राज, क्लेश रहित जीवन, साधन-संपन्न जीवन, उदास आँखों में नयी आशा की किरणों का उद्भव, ज्ञान-विज्ञान एवं विद्या से युक्त नव प्राण के संचार की सुखद कामना करता है। भारतीय जन-जीवन सबकुछ से भरा पुरा हो और श्रीसंपन्नता का इतना आधिक्य हो कि जन-मन खुशियों से झूम उठे मोरों सा नर्तन यानि नाच करने लगे।
कवि आशावादी दृष्टिकोण के साथ जीते हुए पूरे हिन्दुस्तान को धन-धान्य से परिपूर्ण रूप में देखना चाहता है। इस प्रकार भारतीय जीवन में अभाव नहीं रहे, कष्ट नहीं रहे, पीड़ा नहीं रहे यही कवि की मंगलकामना है।
प्रश्न 2.
कवि के मन में आजाद हिन्दुस्तान की कैसी कल्पना है?
उत्तर-
कविवर केदारनाथ अग्रवाल आजाद हिन्दुस्तान को हर दृष्टि से साधन-संपन्न के रूप में देखना चाहते है।
कवि चाहता है कि उसका आजाद भारत मान-सम्मान से युक्त हो यानि यहाँ की जनता का जीवन मान-सम्मान से युक्त हो। गीतों की खेती से भाव यह है कि घर-घर में खुशियों का राज हो, हर घर गीतों के स्वर से गुंजायमान हो। पूरा हिन्दुस्तान मान-सम्मान और उमंग से युक्त हो।
आजाद भारत की कल्पना करते हुए कवि कहता है कि क्लेश रहित भारतीय जन जीवन हो, किसी भी तरह की पीड़ा या कष्ट किसी को न रहे। फूलों की खेती का अर्थ यह है कि समग्र भारत का दृश्य खुशहाल नजर आए। हर घर में प्रसन्नता और सभी का निवास हो। सरस्वती की वीणा का स्वर गूंजे।
जिन आँखों में उदासी हो वहाँ प्रकाश की लौ जले। ज्ञान और विद्या से घर-घर आलोकित हो।
कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि भारत ऐसा हो जहाँ नया जीवन का आविर्भाव हो। कहने का. मूलभाव यह है कि सारा भारत साधन से पूर्ण एवं श्रीसंपन्नता से युक्त दीखे। भारतीय जीवन में इतनी खुशियाँ और धन-धान्य की इतनी प्रचुरता हो कि सभी प्रसत्र होकर मोर की तरह नृत्य करने लगे। कहने का आशय यह है कि भारतीय जीवन चिंता और कष्ट से मुक्त हो।
प्रश्न 3.
कवि आजाद हिन्दुस्तान में गीतों और फूलों की खेती क्यों करना चाहता है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ में यानि ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत में गीतों और फूलों की खेती करने का भाव प्रकट किया है।
इस कविता में गीतों और फूलों का प्रतीक प्रयोग हुआ है। प्रकृति के इन रूपों , के द्वारा कवि संकेत करता है कि भारतीय जीवन फूलों सा हँसता हुआ चिर विकसित रूप में सौंदर्य से युक्त हो और गीतों की खेती का तात्पर्य यह है कि घर-घर में हर जीवन में आनंद ही आनंद दीखे। कहीं भी उदासी पीड़ा का दर्शन नहीं हो। किसी के भी जीवन में अभाव नहीं दिखाई पड़े।
इस प्रकार कवि आशावादी दृष्टिकोण रखता है। वह फूलों सा खिलता हुआ हँसता हुआ और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना करता है।
ठीक दूसरी तरफ वह गीतों से गुंजायमान घर-द्वार, खेत-खलिहान की परिकल्पना करता है।
कहने का मूलभाव यह है कि भारत का कोना-कोना फूलों-सा हँसता हुआ दिखाई पड़े और गाँव से लेकर पर्वत-घाटी, नदी-कछार सभी जगह जनजीवन गीतों से गुजित रहे।
प्रश्न 4.
इस कविता में विद्या की खेती का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी आशाभरी दृष्टि से आजाद भारत के मनोहारी दृश्य का चित्रांकन किया है। कवि के कहने का भाव यह है कि विद्या की खेती घर-घर हो। मूल भाव यह है कि यहाँ का हर नागरिक सुशिक्षित और विद्वान बने। घर-घर में विद्या और ज्ञान-प्रकाश की किरणें पहुँचकर नया जीवन प्रदान करे।
बिना ज्ञान के या विद्या के यह जीवन अंधकारमय हो जाता है। अतः, इस अंधकार और मूढ़ता से मुक्ति के लिए ज्ञान की साधना और विद्या का प्रकाश घर-घर में पहुँचे, यही कवि की कामना है। यहाँ आशावादी दृष्टिकोण का दर्शन होता है।
प्रश्न 5.
इस कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण भारत की परिकल्पना की है। इस कविता का केन्द्रीय भाव जनवादी-सपनों को लेकर है। कविता के मानस में आजाद हिंदुस्तान का ऐसा चित्र है जिसकी उर्वर भूमि में मान-सम्मान, स्वतंत्रता, ज्ञान और खुशियों के फूल खिलेंगे। यह कविता संबोधन शैली में लिखी गई है। इस कविता के द्वारा कवि जनता में स्फूर्ति जगाना चाहता है।
प्रश्न 6.
कवि की राष्ट्रीय-भावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी काव्य प्रतिभा के द्वारा जन-जन में राष्ट्रीय भावना जगाने का कार्य किया है।
भारत आजाद होगा। जन-जन में हर तरह के अभाव का सर्वनाश हो जाएगा यानि खात्मा हो जाएगा।
जन-जीवन प्रसन्नचित्त दिखाई पड़ेगा और क्लेश रहित जीवन में आनंद का राज रहेगा।
गीतों से गुजित घर-आँगन और खेत-खलिहान होंगे। जन-जीवन गीतों से आप्लावित रहेगा। सभी लोग प्रसन्न होकर लोक मंगलकारी भावनाओं के बीच रहेंगे। आपस में प्रेम, सहयोग और त्याग की भावना फूलेगी-फलेगी।
ज्ञान-विज्ञान कि किरणें घर-घर पसरेंगी। उदासी नहीं रहेगी। नवजागरण और आजादी के कारण सबमें नव प्राणों का संचार होगा। सभी एकता के सूत्र में बँधे रहेंगे। सबमें प्रेम, समन्वय, सहयोग और सेवा भावना बढ़ेगी। अभावग्रस्तता से मुक्ति मिलेगी। जन-जन में आशा विश्वास और नव चेतना की लौ जलेगी।
केदारनाथ अग्रवाल की इस कविता में समग्र राष्ट्रीय जीवन की समुन्नति और विद्या-ज्ञान से युक्त, मान-सम्मान की अभिलाषा प्रदर्शित हुई है।
प्रश्न 7.
“मैं कहता हूँ। फिर कहता हूँ’ में कवि के किस भाव का अभिव्यक्ति हुई है?
उत्तर- पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने जोर देकर आशा और विश्वास के साथ अपने मन के उद्गार को दृढ़ता के साथ व्यक्त किया है।
कवि कहता है कि जब आजाद हिन्दुस्तान होगा तब हर जन में नव प्राणों का संचार होगा। खुशियों एवं श्रीसंपन्नता से परिपूर्ण जीवन अभाव मुक्त रहेगा। किसी भी प्रकार र का कोई ताप नहीं रहेगा। इसी कारण कवि विश्वास के साथ कहता है कि अपना भारत सबका भारत सबल और श्रीसंपन्न भारत होगा जहाँ भखमरी बेकारी बेरोजगारी का दर्शन भी नहीं होगा। सबका जीवन उमंग से परिपूर्ण और फलों सा बिहँसता. खिलता नजर आएगा। जन-जीवन अभाव से मक्त होकर मोरों की तरह नृत्यु प्रस्तुत करेगा। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल नजर आएगा। घर-घर में विद्या-ज्ञान की लौ जलेगी और सबके चेहरे पर प्रसन्नता दिखेगी मान-सम्मान से युक्त जीवन गीतों से भरपूर होगा।
प्रश्न 8.
‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कविर केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत की परिकल्पना की है उसका सुंदर चित्र खींचा है। कवि को दृढ विश्वास है कि भारत अवश्य आजाद होगा। आजाद भारत में सर्वत्र.खशहाली रहेगी। कहीं भी किसी प्रकार का अभाव, पीड़ा या वैमनस्य नहीं रहेगा।
जब भारत स्वतंत्र हो जाएगा तब यह एक सर्वशक्तिमान सार्वभौम सत्ता के रूप में विश्व पटल पर आगे आएगा। सबको हर तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। लेकिन आजादी मिले तब तो………? कवि आजाद भारत के सुखद-स्वरूप की ‘कल्पना करता है। विविध प्राकृतिक रूपों द्वारा कवि ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम, आजाद भारत का स्वरूप और सामाजिक-एकता पर विशेष बल देते हुए भारत के
लोकतंत्र की मंगलकामना किया है।
कवि कहता है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति होने पर जीवन में अभाव से मुक्ति पाने पर, जीवन में सब कुछ संसाधनों की सहज रूप में प्राप्ति होने पर भारत का जन-जन मोर-नाच यानि मयूर नृत्य करने लगेगा। सभी तापों से मुक्ति और जीवन में खुशहाली लाने की ही कवि की मंगल कामना है। इस प्रकार कवि अपनी कविताओं में अत्यधिक हर्ष, खुशियाली, शांति, अमन चैन की मंगल कामना करता है। इसी प्रकार जब भारत धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा तब खुश होकर मयूर की तरह वहाँ के लोग नृत्य करने लगेंगे। यहाँ कवि ने जीवन में सौंदर्य
और खुशियाली की कामना की है। सारा भारत जन के रूप में प्रयुक्त है। जन जागरूक रहेगा तभी परिवार, समाज और राष्ट्र में शांति रहेगी। मोरों-सा नर्तन में भारतीय जन समुदाय की प्रसन्नता, खुशियाली और श्रीसंपन्नता होने की कामना से युक्त भाव छिपा हुआ है।
प्रश्न 9.
इस कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
महाकवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी प्रसिद्ध कविता (सारा) पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा में अत्यंत ही सत्य भाव का वर्णन करते हुए जीवन में शांति, अमन-चैन, खुशियाली और श्रीसंपन्नता से युक्त होने की मंगल कामना किया है।
कवि इसी जन्म और जीवन में सर्वजन के मान-सम्मान की कामना करता है। कवि गीतों की खेती यानि जीवन में शांति और सद्व्यवहार के साथ प्रसन्नचित्त होकर जीने की कामना करता है। वह सारे भारत की चिंता करता है। वह सारे भारत के गोगों की दयनीय दशा और गलामी से मुक्ति दिलाने के लिए अपनी इस काव्य-कति की रचना की है। कवि गीतों की खेती करने के माध्यम से यह शिक्षा देना चाहता है कि भारत का हर घर-आँगन और खेत-खलिहान गीतों से गुंजायमान रहे।
कवि भारत में दुख देखना नहीं चाहता है। यहाँ के जन क्लेश मुक्त और उमंग से भरा हुआ जीवन बितायो फूलों की खेती सारे भारत में होगी, कवि की यह सुखद कामना है। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल और हँसता, खिलता हुआ दीखे।
कवि को इच्छा है कि आजाद भारत में प्रज्ञाहीन नेत्रवाले नहीं रहे। यानि जिनकी आँखों में दीप बुझे हैं यानि जीवन में घोर उदासी है उन्हें अवश्य प्रकाश मिलेगा। ज्ञान और विद्या से युक्त उनका जीवन होगा।
कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि आजाद भारत के जन-जन में नये प्राणों का संचार होगा। नवजागरण का शंखनाद होगा। सर्वत्र आनंद युक्त और स्वस्थता से पूर्ण वातावरण रहेगा। किसी से भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहेगा। भारत की जनता प्रसन्नता और खुशहाली में अपने को पाकर मयूर-नृत्य करने लगेगी, यानि जीवन सर्व साधन से परिपूर्ण और सुखमय रहेगा।
प्रश्न 10.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:-
(क) क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा;
हमको तुमको त्रान मिलेगा…..।
उत्तर-
प्रस्तुत कविताएँ केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारत की खुशियाली और श्रीसंपन्नता की कामना किया है। कवि कहता है कि जिस भारत में चारों तरफ क्लेश ही क्लेश है, गुलामी में सारे लोग जी रहे हैं वह क्लेश अब शीघ्र दूर हो जाएगा। भारत स्वाधीन होगा। घर-घर में खुशियों की बहार छा जाएगी। यानि जब भारत आजाद होगा तब मर-घर में दीप जलंग, खुशियाँ मनायी जाएगी। सब जनता गलामी से मक्ति पा जो सभी लोग प्रसत्रचिन नजर आएंगे। सबके चेहरे पर अतिशय प्रसन्नता दीखेगी। भारत व जन-समुदाय में नव-जागरण का शंख गूंजे।। नयी चेतना से यहाँ की जनता प्रबुद्ध बनेगी। नवज्ञान की किरणों से घर-घर आलोकित होगा। सभी को विद्या और ज्ञान के प्रकाश में जीने का अवसर मिलेगा! सभी तापों से जनता मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार उपरोक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने भारतीय आजादी की कामना अपने सपनों का भारत बनें इसकी कल्पना एवं चिर-सुखी चिर प्रसन्न भारत रहे, इसकी मंगलकामना करते हुए काव्य रचना किया है। यही उसकी सुखद लोकहितकारी कामनाएँ हैं।
प्रश्न 10.
(ख) निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या करें:
दीप बुझे हैं ‘जिन आँखों के
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा…।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ कविवर केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग भारतीय जनता के सुख-दुख से जुड़ा हुआ है।
कवि केदारनाथ जी ने अपनी उपरोक्त काव्य पंक्तियों के द्वारा इच्छा व्यक्त किया है कि भारत की जनता की आँखों में जो दीप बुझ चुके हैं, यानि उनके आँखों में जो उदासी दिखाई पड़ती है वह शीघ्र ही पूरी होगी।
कहने का मूल भाव है कि गुलाम भारत में जनता की स्थिति अत्यंत ही दुखद और चिंतनीय है। सर्वत्र उदासी, चिंता, पीड़ा और सारी चीजों का अभाव दिखाई पडता है लेकिन यह स्थिति बहत दिनों तक नहीं रहेगी। शीघ्र ही भारत आजाद होगा। सर्वत्र ज्ञान की किरणें अपनी आभा से जन-मन को आलोकित करेंगी। सभी तापों से मुक्ति दिलाएँगी। ज्ञान प्रकाश में सभी प्रसन्न एवं खुशहाल दीखेंगे। किसी भी प्रकार का.कष्ट या अभाव नहीं रहेगा। भारत शीघ्र ही आजाद होगा। घर-घर खुशियाँ मनायी जाएँगी। घर-घर ज्ञान का दीप जल उठेगा। सर्वत्र अमन-चैन और खुशहाली का राज दिखेगा। जनता सभी कष्टों से मुक्ति पाकर चिर प्रसन्नता और चिर नवीनता को प्राप्त करेगी।
इन पंक्तियों में कवि ने भारत की आजादी को शीघ्र पाने और भारतीय जनता की सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति की मंगलकामना किया है।
नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।
1. इसी जनम में
इस जीवन में
हमको तुमको मान मिलेगा
गीतों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में हमारे कैसे हिंदुस्तान की तस्वीर प्रस्तुत की गई है
(ग) गीतों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(घ) ‘हमको तुमको मान मिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल। कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आजाद भारत के स्वरूप और उसके सुप्रभाव का वर्णन किया है। कवि की आँखों में आजाद भारत का सपना बसा है। कवि का विश्वास है कि आजाद भारत में सभी व्यक्तियों के सुंदर सपने साकार होंगे। भारत के नागरिकों को जन्म-जन्मांतर के लिए मान-सम्मान मिलेगा। सभी विचाराभिव्यक्ति में स्वतंत्र होंगे और सभी खुशियों के गीत गाएँगे। शिक्षा का व्यापक स्तर पर . प्रचार-प्रसार होगा। लोगों के ज्ञान की आँखें खुलेंगी। समाज स्वस्थ और सुंदर होगा। सभी तरह के भेदभाव मिट जाएँगे। लोगों की जीवन-दृष्टि परिष्कृत हो जाएगी।
(ग) ‘गीतों की खेती’ का मतलब है-सुखद और मधुर भावों की अभिव्यक्ति। ‘गीतों की खेती’- प्रतीकात्मक शब्द है। यह मन की प्रसन्नता और आह्लाद का प्रतीक है। कहा भी गया है। मन उमगे, तो गावे गीत, अर्थात् मन में उमंग, उत्साह और उल्लास है तो उसकी अभिव्यक्ति गीतों के रूप में ही होती है। कवि को यह विश्वास है कि आजाद भारत में सभी लोग हँसी और खुशी के गीत गाएँगे।
(घ) कवि की आँखों में आजाद भारत का स्वप्न है। उसकी यह दृढ मान्यता है कि आजाद भारत में समता और समानता का भाव गतिशील रहेगा। वहाँ ऊँच-नीच, गरीब-अमीर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच कोई भेदभाव नहीं रहेगा। कोई गरीबों, दलितों और छोटे लोगों का शोषण नहीं करेगा। समाज में सभी लोग मान-सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे। सभी लोग अमीरी-गरीबी, छोटे-बड़े तथा सामाजिक और धार्मिक भिन्नता के लघु बंधन से मुक्त सम्मान से जी सकेंगे।
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि के कथन का आशय यह है कि जब हमारा _देश अँगरेजों की दासता से मुक्त होकर आजाद देश की गरिमा से भूषित होगा, तब उस समय इस देश के लोग हर्ष और उल्लास की मनः स्थिति में प्रेम के गीत गाएँगे। – सभी लोग मान-सम्मान से जीने का अनुकूल अवसर पाएँगे। सामाजिक और नागरिक स्तर पर धर्म, जाति और धन के नाम पर कोई भिन्नता नहीं होगी।
2. क्लेश जहाँ है
फूल खिलेगा
हमको तुमको त्राण मिलेगा
फूलों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) ‘क्लेश जहाँ है फूल खिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि ने यहाँ किस त्राण की चर्चा की है?
(घ) ‘फूलों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कैसा आश्वासन और विश्वास दे रहा है?
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल, कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश का अर्थ यह है कि गुलाम देश को क्लेश और कष्ट की कंटक भूमि माना जाता है। यही स्थिति हमारे गुलाम भारत देश की भी थी। उन दिनों हमारे देश के लोग बहुविध कष्टों से पीड़ित और आक्रांत थे, लेकिन कवि का यह विश्वास है कि आजादी मिलने के बाद आज जहाँ कष्ट, कठिनाई और पीड़ा का दर्द जमा हुआ है, कल वहीं हँसी-खुशी, उल्लास-उमंग तथा गरिमा-गौरव के बहुरंगे फूल खिलेंगे, अर्थात् वहाँ खुशियाँ-ही-खुशियाँ रहेंगी।
(ग) त्राण का अर्थ है-छुटकारा, मुक्ति, आजादी आदि। कवि ने इस पद्यांश में यह बताया है कि गुलाम भारत के लोग बहुविध कष्टों के बंधन में जकड़े थे। उन्हें इससे मुक्ति दिलाने का एक ही रास्ता था कि इस देश को अँगरेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाएँ। तब ही उस स्वतंत्र भारत के लोगों को ढेर सारे कष्टों-विपत्तियों तथा ताप और संतापों से त्राण, अर्थात मुक्ति मिल सकेगी और सुख्ख के उपभोग का अवसर मिल पाएगा।
(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि सभी लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिला रहा है कि जब यह देश आजाद होगा, तब यहाँ के वासियों का जीवन सुख-शांति, प्रेम और उल्लास का सुखद जीवन होगा। क्लेश-काँटे की जगह जीवन के तल पर फूल मुस्कान लुटाएँगे, लोगों को नानाविध कष्टों से मुक्ति मिलेगी और संपूर्ण राष्ट्रीय जीवन के तल पर लोग आँसू की नहीं, बल्कि फूलों की खेती कर अपने-अपने जीवन को सुगंधिमय कर पाएंगे।
(ङ) कवि ने इस पद्यांश में लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिलाया है कि आजाद भारत में सभी लोगों को सुख-शांति से जीने का समान अवसर मिलेगा। जहाँ दुःख है वहाँ सुख के फूल खिलेंगे। लोगों को दुःख से मुक्ति मिलेगी। सर्वत्र खुशी के फूल सौंदर्य-सौरभ बिखरेते रहेंगे।
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