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AP Board Class 8 Hindi Chapter 8 चावल के दाने कहानी Textbook Solutions PDF: Download Andhra Pradesh Board STD 8th Hindi Chapter 8 चावल के दाने कहानी Book Answers |
Andhra Pradesh Board Class 8th Hindi Chapter 8 चावल के दाने कहानी Textbooks Solutions PDF
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Board | AP Board |
Materials | Textbook Solutions/Guide |
Format | DOC/PDF |
Class | 8th |
Subject | Hindi |
Chapters | Hindi Chapter 8 चावल के दाने कहानी |
Provider | Hsslive |
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AP Board Class 8th Hindi Chapter 8 चावल के दाने कहानी Textbooks Solutions with Answer PDF Download
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प्रश्न 1.
चित्र में क्या – क्या दिखायी दे रहा हैं?
उत्तर:
चित्र में बैलगाडी, एक आदमी, पेड, पहाड, मकान, आदमी के सिर पर घास का गट्ठा आदि दिखायी दे रहे हैं।
प्रश्न 2.
कौन क्या कर रहा है?
उत्तर:
किसान गाडी पर घास का गट्ठा लेकर खडा है। बैल गाडी चला रहा है।
प्रश्न 3.
किसान के सिर पर बोझा देखकर तुम्हें क्या लगता है?
उत्तर:
किसान के सिर पर बोझा देखकर मुझे यह लगता है कि वह कडी मेहनत करनेवाला है।
सुनो – बोलो
प्रश्न 1.
पाठ में दिये गये चित्रों के बारे में बातचीत करो।
उत्तर:
चित्र में एक ओर राजा अपने सिंहासन पर बैठा हुआ है। बाजू में सैनिक खडा हुआ है। उन दोनों के आगे चावल का थैला रखा हुआ है। दूसरी ओर तेनालीराम खडा हुआ है। तेनालीराम और राजा के बीच में ‘शतरंज की बिसात है।
प्रश्न 2.
कहानी का शीर्षक तुम्हें कैसा लगा और क्यों?
उत्तर:
कहानी का शीर्षक मुझे अच्छा लगा | क्योंकि सारी कथा चावल के दाने से संबंधित है। चावल के दाने से जीवन का महत्व समझाना भी और एक कारण है।
प्रश्न 3.
तेनालीराम ने ईनाम में सोना क्यों नहीं लिया होगा?
उत्तर:
तेनालीराम यह निरूपण करना चाहता होगा कि छोटी -छोटी चीजें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं और एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है। इसके साथ – साथ चावल के एक दाने से जीवन का महत्व समझाना चाहा होगा । इसलिए तेनाली ‘सोना’ नहीं लिया होगा।
प्रश्न 4.
श्रीकृष्णदेवराय की जगह अगर तुम होते, तो क्या करते?
उत्तर:
श्रीकृष्णदेवराय स्वयं ज्ञानी और ज्ञानी लोगों का आदर और सम्मान करनेवाले थे | मैं भी उनकी (राजा) तरह तेनाली राम की चतुरता को प्रशंसा करके उनका सम्मान करता।
प्रश्न 5.
कहानी का सारांश अपने शब्दों में बताओ।
उत्तर:
तेनाली के रहनेवाले तेनालीराम बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। उनकी मुलाकात राजा कृष्णदेवराय से न होने के कारण वे एक दिन उनकी राजधानी हंपी पहुँचे । राजदरबार में पेश करने के बाद तेनाली राम ने राजा को एक सुंदर कविता सुनाई । राजा को कविता पसंद आने से ईनाम माँगने को कहा | तब तेनालीराम ने कहा कि “क्षमा करें महाराज ! मेरा आपसे एक निवेदन है।” राजा की अनुमति से तेनाली राम वहाँ के शतरंज की बिसात की ओर इशारा करते हुये कहा कि “महाराज ! यदि आप चावल का एक दाना उस शतरंज के पहले खाने में रख दें और अगले खाने में पिछले खाने का दुगुना रखते जायें तो मैं उसे ही अपना ईनाम समझूगा”| राजा फिर आश्चर्य से पूछता है कि तुम्हें यकीन है कि “सिर्फ चावल के दाने चाहिए, सोना नहीं।”| तेनालीराम ने विनम्रता से “हाँ” कहा ।।
महाराज ने सेवक को आदेश देने से चावल के दाने रखने शुरू कर दिये । पहले खाने में एक दाना दूसरे में 2 दाने, तीसरे में चार, चौथे में 8 इस प्रकार दसवें खाने तक पहुँचने पर 512 दाने रखे गये और बीसवें खाने तक पहुंचने पर 5, 24, 288 दाने रखे गये। इस प्रकार शतरंज के आधी बिसात यानी 32 खाने तक पहुँचने तक दानों की संख्या 214 करोड से भी ज़्यादा तक पहुंच चुकी थी । कुछ देर के बाद ऐसी हालत पहुँच गई कि पूरा राजभंडार का अनाज तेनालीराम के हवाले करने के सिवाय कोई दूसरा मार्ग न रहा।
तब तेनालीराम ने राजा से कहा कि “महाराज मैं आपसे कुछ नहीं चाहता मैं तो आपको यह दिखाना चाहता था कि छोटी-छोटी चीजें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है | मेरी हार्दिक कामना है कि आप इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए और अधिक विजय प्राप्त करें।”
चावल के एक दाने से जीवन का महत्व समझाने के कारण राजा खुश होकर तेनालीराम को अपने अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
पढ़ो
अ) नीचे दिये गये वाक्य पढ़ो। ग़लती पहचानो । सुधारो। अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखो।
प्रश्न 1.
एक दिन वे राजा अकबर से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे।
उत्तर:
एक दिन वे राजा श्रीकृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे।
प्रश्न 2.
पहले खाने में 8 दाने रखे गये।
उत्तर:
पहले खाने में एक दाना रखा गया।
प्रश्न 3.
राजा को उनका भाषण पसंद आया।
उत्तर:
राजा को उनकी कविता पसंद आई।
आ) पाठ के आधार पर नीचे दी गयी पंक्तियाँ सही क्रम में लिखो।
1. तेनालीराम हंपी पहुंचे।
2. उन्होंने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
3. “हाँ, महाराज!” – तेनालीराम ने विनम्रता से कहा।
4. उन्हें राजदरबार में पेश किया गया।
5. “तो ऐसा ही होगा।” – महाराज ने सेवक को आदेश दिया।
उत्तर:
- तेनालीराम हंपी पहुँचे।
- उन्हें राजदरबार में पेश किया गया।
- ‘हाँ, महाराज’! – तेनालीराम ने विनम्रता से कहा।
- “तो ऐसा ही होगा।” – महाराज ने सेवक को आदेश दिया ।
- उन्होंने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
इ) नीचे दी गयी घटना पढ़ो।
सम्राट अकबर ने एक बार बीरबल से प्रश्न किया – “बीरबल ! ऊपर वाले यानी अल्लाह का न । कब होता है?’ बीरबल ने राजा के प्रश्न का तुरंत उत्तर देते हुए कहा – “जिस समय राजा का न ! ग़लत हो जाता है।”
यह सुनकर राजा अपने फैसलों में और अधिक सतर्क हो गये और उन्होंने मन-ही-मन बीरबल आभार व्यक्त किया ।
अब इन प्रश्नों के उत्तर दो।
1. इस घटना के पात्रों के नाम बताओ।
उत्तर:
इस घटना के पात्रों के नाम अकबर और बीरबल हैं।
2. अकबर ने क्या प्रश्न किया?
उत्तर:
अकबर ने यह प्रश्न किया कि “बीरबल ! ऊपरवाले यानी अल्लाह का न्याय कब होता है?
3. अकबर ने किसे और क्यों आभार व्यक्त किया?
उत्तर:
बीरबल का समाधान “जिस समय राजा का न्याय ग़लत हो जाता है ” सुनकर अकबर ने बीरबल । आभार व्यक्त किया।
ई) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखो।
प्रश्न 1.
तेनालीराम हंपी क्यों गये?
उत्तर:
तेनालीराम राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी गये।
प्रश्न 2.
तेनालीराम ने राजा से क्या निवेदन किया?
उत्तर:
राजा के सामने रखे शतरंज की बिसात की ओर इशारा करते हुए तेनालीराम ने राजा से इस प्रर । निवेदन किया कि “महाराज! यदि आप चावल का एक दाना शतरंज के पहले खाने में रख दें और । अगले खाने में पिछले खाने का दुगना रखते जायें, तो उसे ही अपना ईनाम समशृंगा।”
प्रश्न 3.
श्रीकृष्णदेवराय ने तेनालीराम का सम्मान किस तरह किया?
उत्तर:
राजा श्रीकृष्णदेवराय ने तेनालीराम का सम्मान करके अपने अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया। क्या । अष्टदिग्गजों में एक व्यक्ति बनना आसान बात नहीं।
लिखो
अ) नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखा
प्रश्न 1.
तेनालीराम के व्यक्तित्व के बारे में लिखो।
उत्तर:
तेनालीराम चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। समस्या का हल वे बडी हास्यात्मक ढंग से ढूँढते थे। अपनी चतुराई से सुझाव देकर राजा का मार्ग – दर्शन करते थे।
प्रश्न 2.
तेनालीराम की जगह यदि तुम होते तो इनाम के रूप में क्या लेते?
उत्तर:
तेनालीराम की जगह यदि मैं होता तो इनाम के रूप में पहले खाने में एक रुपया, अगले खाने में दुगुने रुपये ऐसा रखकर देने के लिए कहता इस प्रकार मैं चावल के बदले रुपये लेता ।
प्रश्न 3.
इस पाठ से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
इस पाठ से हमें यह संदेश मिलता है कि छोटी – छोटी चीजों का भी अधिक महत्व होता है। सफलता पाने के लिए पहले कदम को ही सोचकर रखना चाहिए।
आ) “चावल के दाने” पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर:
तेनाली के रहनेवाले तेनालीराम बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। उनकी मुलाकात राजा कृष्णदेवराय से न होने के कारण वे एक दिन उनकी राजधानी हंपी पहुँचे । राजदरबार में पेश करने के बाद तेनाली राम ने राजा को एक सुंदर कविता सुनाई । राजा को कविता पसंद आने से ईनाम माँगने को कहा ! तब तेनालीराम ने कहा कि “क्षमा करें महाराज मेरा आपसे एक निवेदन है।” राजा की अनुमति से तेनालीराम वहाँ के शतरंज की बिसात की ओर इशारा करते हुये कहा कि “महाराज ! यदि आप चावल का एक दाना उस शतरंज के पहले खाने में रख दें और अगले खाने में पिछले खाने का दुगना रखते जायें तो मैं उसे ही अपना ईनाम समझूगा”। राजा फिर आश्चर्य से पूछा कि तुम्हें यकीन है कि “सिर्फ चावल के दाने चाहिए, सोना नहीं।” तेनालीराम ने विनम्रता से “हाँ” कहा ।
महाराज ने सेवक को आदेश देने से चावल के दाने रखने शुरू कर दिये । पहले खाने में एक दाना दूसरे में 2 दाने, तीसरे में चार, चौथे में 8 इस प्रकार दसवें खाने तक पहुँचने पर 512 दाने रखे गये और बीसवें खाने तक पहुँचने पर 5, 24, 288 दाने रखे गये। इस प्रकार शतरंज के आधी बिसात यानी 32 खाने तक पहुँचने तक दानों की संख्या 214 करोड़ से भी ज़्यादा तक पहुंच चुकी थी। कुछ देर के बाद ऐसी हालत पहुँच गई कि पूरा राजभंडार का अनाज तेनालीराम के हवाले करने के सिवाय कोई दूसरा मार्ग न रहा ।
तब तेनालीराम ने राजा से कहा कि “महाराज मैं आपसे कुछ नहीं चाहता । मैं तो आपको यह दिखाना चाहता था कि छोटी-छोटी चीजें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है मेरी हार्दिक कामना है कि आप इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए और अधिक विजय प्राप्त करें।”
चावल के एक दाने से जीवन का महत्व समझाने के कारण राजा खुश होकर तेनालीराम को अपने अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
शब्द भंडार
अ) नीचे दिये गये संख्या-शब्द पढ़ो। समझो । ग़लत संख्या शब्द पर गोला लगाओ। और सही शब्द लिखो।
उत्तर:
सही शब्द : 25 – पच्चीस, 28 – अट्ठाईस, 32 – बत्तीस, 36 – छत्तीस, 44 – चौंतालीस, 47 – सैंतालीस
आ) इन्हें भी समझो।
इ) पाठ में आयी संख्याओं को उत्तर – पुस्तिका में लिखो | वाक्य प्रयोग करो।
जैसे : -2 – मेरे पास दो रुपये हैं।
उत्तर:
4 = मैं चार दिन हैदराबाद में रहूँगा।
8 = मुझे आठ रुपये चाहिए।
16 = दसवीं कक्षा की परीक्षाएँ सोलह दिन के बाद शुरू होंगे।
512 = मेरे पास अभी पाँच सौ बारह रुपये कम हैं।
5,24,288 = हमारे शहर में पाँच लाख चौबीस हज़ार दो सौ अट्ठासी लोग रहते हैं।
214 करोड = अंतरिक्ष में दो सौ चौदह करोड से अधिक ग्रह और उपग्रह हैं।
सृजनात्मक अभिव्यक्ति
अ) नीचे दिये गये वार्तालाप को आगे बढाओ ।
तेनालीराम – महाराज ! प्रणाम |
श्रीकृष्णदेवराय – प्रणाम ! बताओ, तुम कौन हो?
तेनालीराम – मैं तेनाली में रहता हूँ, मुझे तेनालीराम कहते हैं महाराज !
श्रीकृष्णदेवराय – तो तुम दरबार में क्यों आये हो तेनालीराम बताओ –
तेनालीराम – मैं एक कविता सुनाने आया हूँ महाराज !
श्रीकृष्णदेवराय – अच्छा ! तो सुनाओ । (तेनालीराम कविता सुनाता है।)
प्रशंसा
अ) तेनालीराम की बुद्धिमता के बारे में बताओ।
उत्तर:
तेनालीराम तेनाली के रहने वाले थे। वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। वे अच्छी तरह कविता करते थे। उनकी चतुराई से प्रभावित होकर श्री कृष्णदेवराय ने उन्हें अपने दरबार के अष्टदिग्गजों में एक कवि बना दिया। ये ‘विकटकवि’ के नाम से मशहूर थे। तेनालीराम बडे बुद्धिमान और चतुर थे।
एक दिन किसी कारणवश श्रीकृष्णदेवराय को तेनालीराम पर गुस्सा आया। उन्होंने सज़ सुनायी कि तेनालीराम अपना मुख न दिखाये। दूसरे दिन तेनालीराम एक मुखौटा पहनकर आये। इसका कारण जानकर श्रीकृष्णदेवराय और सभी दरबारी हँस पडे। यह उनकी बुद्धिमता से संबंधित एक घटना थी।
परियोजना कार्य
अ) अपनी पाठशाला की पुस्तकालय से तेनालीराम की एक और कहानी पढ़ो और उसका भाव सुनाओ।
उत्तर:
राजा श्रीकृष्णदेवराय को फूलों से बहुत लगाव था। कृष्णदेवराय स्वयं घूम-घूमकर उपवनों की देख रेख का प्रबंध देखते थे । राजा का फूलों से लगाव देखकर राज्य के मंत्री अनोखी फूलों के बीज और पौधे मँगवाते रहते थे। राजा उन्हें मुँह माँगा पुरस्कार देते थे।
एक दिन बातों ही बातों में जलमंत्री ने कृष्णदेवराय को बताते हैं कि – महाराज समीप के उपवन में एक इंद्रधनुषी गुलाब निकला है । उसकी शोभा निराली है। कृष्णदेवराय उत्सुकता से कहते हैं – चलो अभी चलते हैं। तब जलमंत्री बोले – नहीं महाराज ! मैं पहले उपवन के माली से बात करलूँगा, फिर निश्चित समय पर सब चलेंगे।
उस समय तेनालीराम भी वहीं थे । उन्हें कुछ आश्चर्य हुआ| लाल , पीले, गुलाबी, सफ़ेद – इन गुलाबों को तो देखा है। कहीं कहीं काले गुलाब भी होते हैं। पर इंद्रधनुषी गुलाब ! सातों रंग एक गुलाब में। तेनाली सोच में पड गये।
दूसरे दिन सभी मंत्री और मित्रों के साथ कृष्णदेवराय दर्शनीय फूल को देखने चल पडे । सभी लोग इंद्रधनुषी गुलाब को देखकर दंग रह गये। एक – एक पंखुडी अलग – अलग रंग में। तभी मंत्री ने सुझाव दिया कि महाराज माली को कुछ पुरस्कार भी तो दें।तब राजा ने कहा हाँ ! हाँ एक हज़ार सिक्के दिए जाते हैं । तेनालीराम कुछ चिंतित लग रहे थे । वे बडे ध्यान से गुलाब को देख रहे थे। तभी उनकी दृष्टि उस पौधे की एक कली पर गई। कली बाहर से हरी थी पर उससे झाँकते पंखुडी सफ़ेद । तेनालीराम सब कुछ समझ गए। वे बोले बिना न रह सकें। “महाराज रुकिये ! अभी पुरस्कार न दें”| माली और जलमंत्री कुछ भयभीत होने लगे । तेनाली ने पास रखा जल का डोल उठाया और सारा पानी फूल पर उंडेल दिया । गुलाब का सारा रंग धुलकर नीचे बह गया । “देखा महाराज कहाँ गई इंद्रधनुषी गुलाब की शोभा ! क्या, दिया जाय इन्हें पुरस्कार ! अब आप ही सोच लें।
भाषा की बात
अ) नीचे दिया गया अनुच्छेद पढ़ो।
तेनालीराम तेनाली के रहने वाले थे । वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे । यह घटना उन दिनों की – है, जब उनकी मुलाक़ात राजा श्रीकृष्णदेवराय से नहीं हुई थी। एक दिन वे राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे । उन्होंने सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर सत्कार करते हैं।
ऊपर दिये गये अनुच्छेद से संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्द ढूँढो।
उत्तर:
संज्ञा : तेनालीराम, तेनाली, कृष्णदेवराय, हंपी
सर्वनाम : वे, यह
विशेषण : चतुर, ज्ञानी, आदर, सत्कार
आ) अब इन शब्दों से वाक्य प्रयोग करो।
उत्तर:
- तेनालीराम चतुर आदमी थे। तेनाली गुंटूरु जिले के रहनेवाले थे।
- कृष्णदेवराय स्वयं पंडित थे और पंडितों का आदर करते थे।
- हंपी में एकशिला रथ है।
- राम और रहीम मद्रास गये। वे मद्रास में कई सामान खरीदें।
- यह किताब राम का है। लोमडी चतुर जानवर है।
- कबीर संत होने के साथ – साथ ज्ञानी भी थे।
- पढ़े-लिखे आदमी को हर जगह आदर और सत्कार मिलते हैं।
चावल के दाने Summary in English
Tenali Rama who lived in Tenali was a wise and learned person. When he could not meet Srikrishnadevaraya, he arrived in Hampi, the capital city. After entering the court, he read a lovely poem to Krishnadevaraya.
The king liked the poem and he offered Tenali Rama a reward. Showing a chess-board laid there Tenali Rama requested the king to give 1 grain of rice for the first square, 2 for the second one, 4 for the third one, 8 for the fourth one, 16 for the fifth one and so on – doubling the number of grains continuously up to the 64th square. The king asked Tenali Rama surprisingly if he wanted only the grains of rice but not gold. Tenali Rama answered ‘yes’.
Ordered by the king, a servant siarted keeping grains of rice in squares. He laid 1 grain of rice in the first square, 2 in the second one, 4 in the third one. Thus he had to lay 512 grains in the tenth square and 5,24,288 in the twentieth one. When he came to the 32nd square, he had to lay the grains more than 214 crores. After a little while, entire treasure of the king had to be given to Tenali Rama.
Then Tenali Rama told the king that he had required nothing and he wanted to show the king the value of small things. He said that one needed to take the first step to achieve a great success. His heartfelt wish was that the king should go ahead and achieve many a success.
The king felt happy, for Tenali Rama showed him the value of life with a little grain of rice and he offered Tenali Rama a place in his Ashtadiggajas.
अर्थवाहयता – प्रतिक्रिया
1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
तेनालीराम तेनाली के रहने वाले थे। वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे। यह घटना उन दिनों की है, जब उनकी मुलाकात राजा श्रीकृष्णदेवराय से नहीं हुई थी। एक दिन वे राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुंचे। उन्होंने सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर, सत्कार करते हैं।
प्रश्न :
1. तेनालीराम कैसे व्यक्ति थे?
उत्तर:
2. राजा श्रीकृष्णदेवराय की राजधानी का नाम क्या है?
उत्तर:
राजा श्रीकृष्णदेवराय की राजधानी का नाम हंपी है।
3. राजा किनका आदर, सत्कार करते थे?
उत्तर:
राजा ने ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर, सत्कार करते थे।
4. “ज्ञानी’ शब्द का विलोम शब्द क्या है?
उत्तर:
ज्ञानी x अज्ञानी / मूर्ख
5. यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
यह गद्यांश ‘चावल के दाने’ पाठ से दिया गया है।
2. निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर वैकल्पिक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। सही विकल्प से संबंधित अक्षर चुनकर कोष्ठक में रखिए।
भारत पर्यों का देश है। यहाँ वर्ष भर अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं। सभी भारतीय अपने पर्यों को असीम हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं। इन पर्यों में रक्षाबंधन एक पवित्र और प्रसिद्ध पर्व है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसलिए इसे श्रावणी भी कहा जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र अर्थात् राखियाँ बाँधती हैं, इसलिए यह पर्व रक्षा बंधन के नाम से विशेष प्रसिद्ध है।
प्रश्न :
1. भारत कैसा देश है?
A) संकीर्ण
B) पर्यों का
C) आधुनिक
D) धार्मिक
उत्तर:
B) पर्यों का
2. रक्षा बंधन कब मनाया जाता है?
A) श्रावण मास
B) आश्विन मास
C) माघ मास
D) पौष मास
उत्तर:
A) श्रावण मास
3. रक्षा बंधन किन का त्यौहार है?
A) माता-पिता
B) भाई-बहन
C) दादा-दादी
D) मामा-मामी
उत्तर:
B) भाई-बहन
4. ‘श्रावणी’ किसे कहते है?
A) दीवाली
B) दशहरा
C) रक्षा बंधन
D) संक्रांती
उत्तर:
C) रक्षा बंधन
5. ‘पर्व’ शब्द का अर्थ पहचानिए।
A) त्यौहार
B) पवित्र
C) हर्ष
D) पावन
उत्तर:
A) त्यौहार
अर्थग्राह्यता -प्रतिक्रिया
पठित – गद्यांश
नीचे दिये गये गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखिए।
1. तेनालीराम हंपी पहुँचे। उन्हें राजदरबार में पेश किया गया। राजा ने उन्हें एक कविता सुनाने को कहा। तेनाली ने एक सुंदर कविता सुनायी। राजा को उनकी कविता पसंद आयी।
प्रश्न :
1. तेनालीराम कहाँ पहुँचे ?
उत्तर:
तेनाली राम हॅपी पहुँचे।
2. तेनालीराम ने राजा को क्या सुनाया?
उत्तर:
तेनाली राम ने राजा को एक सुंदर कविता सुनाई।
3. तेनालीराम को कहाँ पेश किया गया?
उत्तर:
तेनाली राम को राज दरबार में पेश किया गया।
4. राजा को तेनाली की कविता कैसी लगी?
उत्तर:
राजा को तेनाली की कविता पसंद आयी।
5. उपर्युक्त यह गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त यह गद्यांश ‘चावल के दाने’ नामक पाठ से दिया गया है।
2. महाराज ने सेवक को आदेश दिया। सेवकों ने शतरंज की बिसात पर चावल के दाने रखने शुरू कर दिये। पहले खाने में एक दाना, दूसरे में 2 दाने, तीसरे में 4 दाने, चौथे में 8 दाने, पाँचवे में 16 दाने, इस तरह गिनती बढ़ती गयी। दसवें खाने तक पहुँचने पर 512 दाने रखे गये और बीसवें खाने तक पहुँचने पर 5,24,288 दाने रखे गये। इस प्रकार शतरंज की आधी बिसात यानी 32 खाने तक पहुँचने तक दानों की संख्या 214 करोड़ से भी ज़्यादा तक पहुंच चुकी थी।
प्रश्न :
1. महाराज ने किसे आदेश दिया?
उत्तर:
महाराज ने सेवक को आदेश दिया।
2. दसवें खाने तक पहुँचने पर कितने दाने रखे गये?
उत्तर:
दसवें खाने तक पहुँचने पर 512 दाने रखे गये।
3. सेवकों ने क्या करना शुरू कर दिये?
उत्तर:
सेवकों ने शतरंज की बिसात पर चावल दाने रखने शरू कर दिये।
4. बीसवें खाने तक पहुँचने पर कितने दाने रखे गये?
उत्तर:
बीसवें खाने तक पहुँचने पर 5,24,288 दाने रखे गये।
5. उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त गद्यांश ‘चावल के दाने’ नामक से लिया गया है।
3. तभी तेनाली ने उन्हें रोका और कहा – “महाराज ! मैं आपसे कुछ नहीं चाहता । मैं तो सिर्फ़ आपको दिखाना चाहता था कि छोटी – छोटी चीजें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं । एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है । मेरी हार्दिक कामना है कि आप इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए और अधिक विजय प्राप्त करें ।”
प्रश्न :
1. एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले क्या करना आवश्यक है?
उत्तर:
एक महान विजय हासिल करने के लिए पहले कदम उठाना आवश्यक है।
2. उन्हें किसने रोका?
उत्तर:
उन्हें तेनाली ने रोका।
3. तेनाली राम राजा कृष्णदेवराय को क्या दिखाना चाहता था?
उत्तर:
तेनाली राम राजा कृष्णदेवराय को दिखाना चाहता था कि छोटी – छोटी चीजें भी कितनी महत्वपूर्ण होती हैं।
4. इस अनुच्छेद में “महाराज” कौन हैं?
उत्तर:
इस अनुच्छेद में महाराज श्रीकृष्णदेवराय
5. “कामना” शब्द का विलोम क्या है?
उत्तर:
‘कामना’ शब्द का विलोम है “निष्कामना’
4. तेनालीराम तेनाली के रहने वाले थे । वे बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे । यह घटना उन दिनों की है, जब उनकी मुलाकात राजा श्रीकृष्णदेवराय से नहीं हुई थी । एक दिन वे राजा कृष्णदेवराय से मिलने उनकी राजधानी हंपी पहुँचे । उन्होंने सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर, सत्कार करते हैं।
प्रश्न :
1. तेनाली राम कहाँ के रहनेवाले थे?
उत्तर:
तेनाली राम तेनाली के रहनेवाले थे।
2. कृष्णदेवराय की राजधानी क्या थी?
उत्तर:
कृष्णदेवराय की राजधानी हँपी थी।
3. तेनालीराम ने कृष्णदेवराय के बारे में क्या सुना था?
उत्तर:
तेनाली राम ने कृष्णदेवराय के बारे में सुना था कि राजा ज्ञानी लोगों का बड़ा आदर, सत्कार करते हैं।
4. तेनालीराम कैसे व्यक्ति थे?
उत्तर:
तेनालीराम बहुत चतुर और ज्ञानी व्यक्ति थे।
5. यह घटना किन दिनों की है?
उत्तर:
यह घटना उन दिनों की है, जब उनकी मुलाकात राजा श्रीकृष्णदेवराय से नहीं हुई थी।
5. यह सुनकर राजा श्रीकृष्णदेवराय तेनालीराम से बहुत खुश हुए, जिसने उन्हें चावल के एक दाने से जीवन का महत्व समझा दिया था । उन्होंने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
प्रश्न :
1. राजा का नाम क्या था?
उत्तर:
राजा का नाम श्रीकृष्णदेवराय था।
2. श्रीकृष्णदेवराय किनसे बहुत खुश हुए?
उत्तर:
श्रीकृष्णदेवराय तेनालीराम से बहुत खुश हुए।
3. चावल के एक दाने से जीवन का महत्व किसने समझाया था?
उत्तर:
चावल के एक दाने से जीवन के महत्व को तेनाली राम ने समझाया था।
4. श्रीकृष्णदेवराय ने तुरंत क्या किया?
उत्तर:
श्रीकृष्णदेवराय ने तुरंत तेनाली को सम्मान के साथ अष्टदिग्गजों में शामिल कर लिया।
5. यह उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से दिया गया है?
उत्तर:
यह उपर्युक्त गद्यांश ‘चावल के दाने पाठ से दिया गया है।
अपठित – गद्यांश
निम्न लिखित गद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।
1. डॉ. अंबेडकर राजनैतिक आज़ादी के साथ सामाजिक और आर्थिक आज़ादी भी चाहते थे। उनको कमज़ोर वर्ग के प्रति सहानुभूति थी। वे उनके दुखों को दूर करने का प्रयत्न करते थे। दर असल वे पीड़ित मानवता के प्रवक्ता थे। वे सच्चे राष्ट्रप्रेमी और समाज सुधारक थे।
प्रश्न :
1. कमज़ोर वर्ग के प्रति सहानुभूति किन्हें थी?
A) राजाजी को
B) गाँधीजी को
C) डॉ. अंबेड्कर को
D) नानक को
उत्तर:
C) डॉ. अंबेड्कर को
2. डॉ. अंबेड्कर किसके प्रवक्ता थे?
A) पीडित मानवता के
B) हिंसा के
C) विज्ञान के
D) अशांति के
उत्तर:
A) पीडित मानवता के
3. सच्चे राष्ट्रप्रेमी और समाज सुधारक कौन थे?
A) नेहरू
B) तिलक
C) बोस
D) अंबेडकर
उत्तर:
D) अंबेडकर
4. डॉ. अंबेडकर राजनैतिक आज़ादी के साथ – साथ किस आजादी को चाहते थे?
A) धार्मिक
B) नैतिक
C) सामाजिक तथा आर्थिक
D) समानता रूपी
उत्तर:
C) सामाजिक तथा आर्थिक
5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक निम्न में से क्या होगा?
A) आज़ादी
B) डॉ. अंबेड्कर
C) डॉ. राधाकृष्णन
D) डॉ. मेहता
उत्तर:
B) डॉ. अंबेड्कर
2. आज के दिन इसी समय मैंने अपने दोस्त कैलाश के साथ किशनसिंह होटल में तीन नबंर की चाय | पी थी। किशन सिंह की बनाई चाय के नंबर हुआ करते थे – एक नंबर की चाय हलकी, दो नंबर की मध्यम तेज़ और तीन नंबर की स्पेशल हुआ करती थी।
प्रश्न :
1. किस होटल में चाय पी थी?
A) किशोर सिंह
B) किलाडी सिंह
C) किरण सिंह
D) किशन सिंह
उत्तर:
D) किशन सिंह
2. चाय किसने बनायी?
A) किसान सिंह
B) किशनसिंह
C) किशोर सिंह
D) ये सब
उत्तर:
B) किशनसिंह
3. किशन सिंह की बनाई चाय के कितने नबंर हुआ करते थे?
A) दो
B) तीन
C) चार
D) पाँच
उत्तर:
B) तीन
4. तीन नंबर की चाय कैसी हुआ करती थी?
A) मध्यम
B) हलकी
C) स्पेशल
D) तेज़
उत्तर:
C) स्पेशल
5. इस अनुच्छेद में एक दोस्त का नाम आया है – वह कौन है?
A) किशनसिंह
B) किशोर
C) कैलाश
D) विनोद
उत्तर:
C) कैलाश
3. किसी गाँव में एक गरीब औरत रहती थी। वह मटके बनाकर बेचती थी। वह मटके लेकर शहर जाती थी। वहाँ उन्हें बेचती थी। मटके बेचकर वह शहर से घरेलू ज़रूरत की चीजें खरीदकर लाती थी। एक दिन वह मटके लेकर शहर जा रही थी। वह रास्ते में एक छायादार पेड के नीचे आराम करने के लिए बैठ गई । उसने अपनी पोटली खोली और उसमें से रोटियाँ निकाल कर खाई।
प्रश्न :
1. गरीब औरत क्या काम करती थी?
A) भीख माँगती थी।
B) कागज चुनती थी।
C) मटके बेचती थी।
D) तरकारी बेचती थी।
उत्तर:
C) मटके बेचती थी।
2. गरीब औरत उन्हें कहाँ बेचती?
A) शहर में
B) गाँव में
C) रेल में
D) बस में
उत्तर:
A) शहर में
3. गरीब औरत कहाँ बैठ गई?
A) घर में
B) चौराहे में
C) जंगल में
D) पेड के नीचे
उत्तर:
D) पेड के नीचे
4. गरीब औरत शहर से क्या लाती थी?
A) कपडे
B) घरेलू चीज़े
C) बरतन
D) चावल
उत्तर:
B) घरेलू चीज़े
5. उसने पेड़ के नीचे क्या किया?
A) सोई
B) रोटियाँ खाई
C) फल खाई
D) चावल खाई
उत्तर:
B) रोटियाँ खाई
4. अब्दुल हमीद एक दिन अपने पिता के साथ दुकान में बैठा था। उसके गाँव का एक सिपाही कपडे मिलाने उसकी दुकान पर आ पहुँचा। अब्दुल हमीद फ़ौज की वरदी पहने उस सैनिक को देखता रहा। उसक पिता खाना खाने घर चले गये तो अब्दुल हमीद ने कहा : “भैया ! तुम तो इस वरदी में बहुत अच्छे लग रहे हो।”
प्रश्न :
1. अब्दुल हमीद किसके साथ दुकान में बैठा था?
A) माता के साथ
B) दोस्त के साथ
C) भाई के साथ
D) पिता के साथ
उत्तर:
D) पिता के साथ
2. सिपाही दुकान पर क्यों पहुँचा?
A) कपडे सिलवाने
B) कपडे बेचने
C) हमीद को देखने
D) उसके पिता से मिलने
उत्तर:
A) कपडे सिलवाने
3. अब्दुल हमीद किसे देखता रहा?
A) पिता को
B) कपडे को
C) लोगों को
D) फौजी वरदी पहने सैनिक को
उत्तर:
D) फौजी वरदी पहने सैनिक को
4. पिता घर क्यों चले गये?
A) खाना खाने के लिए
B) सोने के लिए
C) आराम करने के लिए
D) पत्नी से मिलने के लिए
उत्तर:
A) खाना खाने के लिए
5. “सैनिक” शब्द में प्रत्यय क्या है?
A) सै
B) निक
C) इक
D) सैनि
उत्तर:
C) इक
5. बगदाद शहर में एक नाई रहता था। वह तरह – तरह के बाल काटना जानता था। इसलिए उसकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। एक दिन नाई दुकान के बाहर खडा था। उसे एक लकडहारा आता दिखाई दिया। नाई को रसोई के लिए लकड़ियाँ चाहिए इसलिए उसने लकडहारे को पुकारा।
प्रश्न :
1. नाई कहा रहता था?
A) अलंपुरी में
B) बगदाद
C) अहमदाबाद
D) घजियाबाद
उत्तर:
B) बगदाद
2. नाई क्या जानता था?
A) तरह – तरह के लकडी काटना
B) कपडे सीना
C) बाजे बजाना
D) तरह – तरह के बाल काटना
उत्तर:
D) तरह – तरह के बाल काटना
3. नाई की दुकान पर हमेशा क्या लगी रहती थी?
A) मेला
B) भीड
C) शोर
D) सन्नाटा
उत्तर:
B) भीड
4. एक दिन उसे कौन दिखाई दिया?
A) लकडहारा
B) ग्वाला
C) भेडिया
D) किसान
उत्तर:
A) लकडहारा
5. उसने लकडहारे को क्यों पुकारा?
A) लकडी खरीदने
B) लकडी बेचने
C) लकडहारे को देखने
D) बाल काटने
उत्तर:
A) लकडी खरीदने
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