इयत्ता आठवी हिंदी अंधायुग मराठी स्वाध्याय PDF |
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इयत्ता आठवी हिंदी अंधायुग स्वाध्याय
मंडळाचे नाव |
Maharashtra Board |
ग्रेडचे नाव |
आठवी |
विषय |
हिंदी अंधायुग |
वर्ष |
2022 |
स्वरूप |
PDF/DOC |
प्रदाता |
|
अधिकृत संकेतस्थळ |
mahahsscboard.in |
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इयत्ता आठवी हिंदी अंधायुग स्वाध्याय उपाय
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Hindi Sulabhbharti Class 8 Solutions Chapter 6 अंधायुग Textbook Questions and Answers
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो:
कृति करो:
Question 1.
Answer:
संजाल पूर्ण करो:
Question 1.
Answer:
उत्तर लिखो:
Question 1.
Answer:
कविता में प्रयुक्त पात्र:
- युयुत्सु
- अश्वत्थामा
- वृद्ध
भाषा बिंद
पाठों में आए मुहावरों का अर्थ लिखकर उनका अपने स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करो:
Answer:
पढ़ो और समझो:
स्वयं अध्ययन
‘कर्म ही पूजा है’, विषय पर अपने विचार सौ शब्दों में लिखो।
उपयोजित लेखन:
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दो।
Answer:
एक गाँव – दर्जी की दुकान – प्रतिदिन हाथी का दुकान से ,होकर नदी पर नहाने जाना – दर्जी का हाथी – को केला, खिलाना – एक दिन दर्जी को मजाक सूझना – दर्जी दवारा हाथी को सुई चुभाना- परिणाम – शीर्षक
जैसी करनी, वैसी भरनी
गणेशपुर नामक गाँव में एक किसान के घर एक पालत हाथी रहता था। वह बड़ा चालाक था। उसका नियम था कि प्रतिदिन सबेरे के समय तालाब पर पीने जाता था। उस रास्ते में एक दर्जी की दुकान पड़ती थी। वह रोज उसे खाने के लिए केले देता था। हाथी इस उपकार का बदला चुकाने के लिए तालाब से लौटते समय दर्जी को एक कमल का फूल देता था। इस प्रकार दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। एक दिन दर्जी ने मन में सोचा क्यों न आज हाथी के साथ मजाक करूँ।
जब हाथी प्रतिदिन के नियमानुसार केले लेने आया, तो दर्जी ने केला के बदले हाथी की सूंड में सुई चुभा दी। हाथी खून का चूंट पीकर तालाब पर चला गया। रास्ते में मन-ही-मन बदला लेने की युक्ति सोचने लगा। तालाब से लौटते समय वह अपनी सूंड में कीचड़ भर लाया और दर्जी की दुकान में डाल दिया। दुकान में रखे सारे नए कपड़े खराब हो गए। दर्जी अपनी हानि देखकर पछताने लगा। सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जैसा बीज बोओगे, वैसा फल पाओगे।
कल्पना पल्लवन
Question 1.
‘मनुष्य का भविष्य उसके हाथों में है।’ अपने विचार लिखिए।
Answer:
मनुष्य स्वयं अपने भाग्य का निर्माता होता है। वह चाहे तो अच्छे कार्यों द्वारा अपने जीवन को स्वर्ग के जैसा सुंदर बना सकता है और यदि चाहे तो अपने जीवन को नर्क बना सकता है। मनुष्य को जो मानव जन्म मिला है वह बहुत ही दुर्लभ जन्म है। अत: मनुष्य को अपने जीवन में मनुष्यता का पालन करते हुए स्वयं के जीवन को खुशहाल व सफल बनाना चाहिए। मनुष्य अपने जीवन में सद्गुण एवं जीवनमूल्यों को अपनाकर स्वयं का चरित्र उज्ज्व ल बना सकता है। संसार में ऐसे कई महापुरुष हुए हैं जिन्होंने स्वयं के जीवन को अपने कार्य द्वारा महान बनाया है।
विद्यार्थी जीवन में प्रत्येक विद्यार्थी को पढ़ाई में ध्यान लगाना चाहिए और अच्छे संस्कारों को अपनाना और उन पर चलना चाहिए। इससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है। यदि वे बचपन से कुसंगति में फंस गए तो स्वयं के जीवन को नर्क के समान यातना व पीड़ादायी बनाएंगे। यह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह फूल को चुने या काँटी को।
Question 2.
कर्म ही पूजा है। इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
गीता में लिखा है कि कर्म ही पूजा है। कर्म से बढ़कर व्यक्ति का अन्य कोई धर्म नहीं है। इसलिए कर्म करना मनुष्य का पहला लक्ष्य होना चाहिए। कर्म करने से व्यक्ति को बड़ा आनंद मिलता है। पक्के इरादे से किया गया कर्म ज्यादा सफल होता है। मनुष्य के कर्म को ही संसार में याद किया जाता है। उसकी मृत्यु के उपरांत वह सिर्फ अपने अच्छे कर्मों के कारण याद किया जाता है। इसलिए छात्रों को भी आलस्य त्यागकर अध्ययन का कर्म करते रहना चाहिए। हमें स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी आदि की तरह जीवन में कर्म करते रहना चाहिए। कर्म सफलता का आधार है। कर्म ही श्रेष्ठ है।
आज संसार में कई ऐसे देश हैं, जो समृद्ध व संपन्न हैं; प्रगत एवं विकसित हैं। वहाँ पर विद्या, धन, बुद्धि व ऐश्वर्य हैं। इसका एक ही कारण है, वह यह है कि वहाँ पर रहने वाले लोगों ने कर्म को ही अपना लक्ष्य मान लिया है। कर्मवीरों के लिए समय बहुत ही महत्त्वपुर्ण होता है। इसलिए वे समय को कभी भी व्यर्थ नहीं गंवाते। जिस काम को जिस समय करना हैं, उसे उसी समय कर देते हैं। उसे कल पर नहीं छोड़ते हैं। जहाँ काम करना हो, वहाँ काम करते हैं, बातों में समय व्यर्थ नहीं करते। आज का काम कल पर नहीं छोड़कर वे अपने दिनों को व्यर्थ नहीं करते। समय का सदुपयोग करना यही उनका कर्तव्य होता है। कोशिश या मेहनत करने से वे कभी-भी जी नहीं चुराते हैं। कर्म करने से ही व्यक्ति के जीवन को सौंदर्य प्राप्त हो जाता है। सबकी भलाई के लिए कर्म करते जीना ही जीवन का सच्चा मूलमंत्र है।
Hindi Sulabhbharti Class 8 Solutions Chapter 6 अंधायुग Additional Important Questions and Answers
समझकर लिखिए
Question 1.
Answer:
संजाल पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
निम्नलिखित पद्यांशों का भावार्थ लिखिए।
Question 1.
युयुत्सु ……………………. मरण के बाद।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ. धर्मवीर भारती लिखित ‘अंधायुग’ गीतिनाट्य से ली गई हैं। यह प्रसंग उस समय का है जब श्रीकृष्ण की जीवन-यात्रा समाप्त हो गई थी। युयुत्सु अश्वत्थामा से कहता है कि प्रभु की मृत्यु के बाद दूसरों का वध करने वालों को मुक्ति जरूर मिली होगी। उनका उद्धार हो जाएगा, लेकिन अब जो यह अंधा युग आने वाला हैं. इसमें मानव की रक्षा कौन करेगा? आखिर भगवान
कृष्ण ने एक कायर की भाँति मृत्यु को स्वीकार किया है।
Question 2.
अश्वत्थामा मस्तक पर।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ. धर्मवीर भारती लिखित ‘अंधायुग’ गीतिनाट्य से ली है। अश्वत्थामा युयुत्सु से कहता है, “भगवान श्रीकृष्ण मेरे शत्रु थे। मुझे इस बात का पता नहीं कि उन्होंने कायर की भाँति मृत्यु को स्वीकार किया था या नहीं? लेकिन मृत्यु के समय उनके स्वर्ण मस्तक पर शांति छाई हुई थी।
निम्नलिखित वाक्य सत्य है या असत्य लिखिए।
Question 1.
श्रीकृष्ण ने सभी का दायित्व अपने सिर पर लिया था।
Answer:
सत्य
Question 2.
श्रीकृष्ण ने सभी पर उत्तरदायित्व नहीं सौंपा।
Answer:
असत्य
कविता की पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए।
Question 1.
अब तक मानव भविष्य को मैं जिलाता था …..
Answer:
लेकिन इस अंधे युग में मेरा एक अंश निष्क्रिय रहेगा, आत्मघाती रहेगा और विगलित रहेगा।
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
समझकर लिखिए।
Question 1.
प्रभु अंत समय इससे बात करे रहे थे।
Answer:
शिकारी से
Question 2.
प्रभु ने अंत समय जो बाते की वह बातें इसने सुनी थी।
Answer:
वृद्ध ने
निम्नलिखित पद्यांशों का भावार्थ लिखिए।
Question 1.
वृद्ध ……………………. उठूगाम बारम्बार……. उलूंगा मैं बार-बार।
Answer:
‘प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ. धर्मवीर भारती के ‘अंधायुग’ गीतिनाट्य से ली गई हैं। वृद्ध ने कहा, “ अंत समय में श्रीकृष्ण ने सभी से कहा कि यह उनका मरण नहीं है बल्कि यह तो शरीर का रूपांतरण है। अब तक उन्होंने सभी की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली थी और अब वे सभी को अपनी-अपनी जिम्मेदारी सौंपकर इस संसार से अपने धाम चले जाएंगे। अब तक वे मानव भविष्य को जिलाते रहे, लेकिन आने वाले इस अंधे युग में उनका एक अंश संजय, युयुत्सु व अश्वत्थामा की भाँति निष्क्रिय रहेगा; आत्मघाती रहेगा; पिघला हुआ रहेगा क्योंकि इन सबकी उन्होंने अपने ऊपर जिम्मेदारी ली हैं।
समझकर लिखिए।
Question 1.
प्रभु का दायित्व इसमें स्थित रहेगा।
Answer:
मानव मन के वृत्त में।
Question 2.
प्रभु के दायित्व को आधार बनाकर मानव यह करेगा।
Answer:
नूतन निर्माण करेगा।
संजाल पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
पद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
Question 1.
मानव पिछले ध्वसों पर………..
Answer:
नूतन निर्माण करेगा।
Question 2.
निर्भयता साहस ममता व रस के क्षण में……..
Answer:
प्रभु बार बार सक्रिय व जीवित हो उठेंगे।
समझकर लिखिए।
Question 1.
श्रीकृष्ण ने अपना दायित्व इन्हें सौंप दिया है
Answer:
पृथ्वी के हर प्राणी को ।
कृति ग (३) निम्नलिखित पदयांशों का भावार्थ लिखिए।
Question 1.
बोले ……………………. उलूंगा मैं बार बार।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ. धर्मवीर भारती के ‘अंधायुग’ गीतिनाट्य से ली गई हैं। प्रभू ने कहा कि अब उनका दायित्व सभी मानव लेंगे। उनका दायित्व मानव मन में स्थित रहेगा। इसके सहारे मानव सभी परिस्थितियों की मर्यादा को तोड़ते हुए अपने पिछले विनाश के स्थान पर नवनिर्माण करेगा। मानव मर्यादायुक्त आचरण का पालन करते हुए हमेशा नया निर्माण करना होगा। सभी को सृजन, साहस, निर्भयता एवं ममत्वपूर्ण व्यवहार करने होंगे। जब ऐसा होगा तब श्रीकृष्ण बार-बार सक्रिय व जीवित हो उठेंगे।
संजाल पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
कविता की पंक्तियाँ पूर्ण कीजिए।
Question 1.
उसके इस ………….. सार्थकता पा जाएगा?
Answer:
उसके इस नये अर्थ में क्या हर छोटे-से-छोटा व्यक्ति विकृत, अर्धबर्बर, आत्मघाती, अनास्थामय अपने जीवन की सार्थकता पा जाएगा?
समझकर लिखिए।
Question 1.
इसके हाथ में हैं मानव जीवन
Answer:
मनुष्य के
Question 2.
मनुष्य यदि चाहे तो
Answer:
जीवन को नष्ट करे अथवा जीवन प्रदान करें।
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
निम्नलिखित पद्यांशों का भावार्थ लिखिए।
Question 1.
अश्वत्थामा …………. पा जाएग।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ.धर्मवीर भारती के ‘अंधायुग’ गीतिकाव्य से ली गई हैं। अश्वत्थामा वृद्ध से पूछता है कि जैसे श्रीकृष्ण ने बताया वैसे उनके इस नए अर्थ के अनुसार छोटे से छोटा व्यक्ति क्या अपने जीवन की सार्थकता पाने में सफल सिद्ध हो सकता है? आखिर, भविष्य का मानव विकृत, हिंसक, आत्मघाती व ईश्वर के प्रति अनास्था रखने वाला होगा।
Question 2.
वृद्ध ………जीवन लो।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डॉ. धर्मवीर भारती के ‘अंधायुग’ गीतिकाव्य से ली गई हैं। वृद्ध अश्वत्थामा को इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहता है कि निश्चय ही, मनुष्य भले ही अच्छा रहे या बुरा आखिर मानव जीवन उसी के ही हाथ में है। वह चाहे तो उसे नष्ट कर दे अथवा जीवन प्रदान करें।
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