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Saturday, February 5, 2022

इयत्ता दहावी बूढ़ी काकी मराठी स्वाध्याय PDF

 

इयत्ता दहावी बूढ़ी काकी मराठी स्वाध्याय PDF
इयत्ता दहावी बूढ़ी काकी मराठी स्वाध्याय PDF


या लेखात, आम्ही बूढ़ी काकी विषयासाठी इयत्ता दहावी मराठी सोल्यूशन्स देऊ. इयत्ता दहावी मधील विद्यार्थी पाठ्यपुस्तकांमध्ये उपस्थित असलेल्या व्यायामांसाठी प्रश्न आणि उत्तरे डाउनलोड आणि कॉपी करण्यास सक्षम असतील.

इयत्ता दहावी बूढ़ी काकीाच्या पुस्तकात महाराष्ट्र बोर्डाच्या अभ्यासक्रमातील सर्व प्रश्नांचा समावेश आहे. येथे सर्व प्रश्न पूर्ण स्पष्टीकरणासह सोडवले आहेत आणि डाउनलोड करण्यासाठी विनामूल्य उपलब्ध आहेत. महाराष्ट्र बोर्ड इयत्ता दहावी बूढ़ी काकीाचे पुस्तक खाली दिले आहे. आम्‍हाला आशा आहे की आमच्‍या इयत्‍ता दहावी वीच्‍या बूढ़ी काकीाचे पुस्‍तक तुमच्‍या अभ्यासात मदत करेल! जर तुम्हाला आमचे इयत्ता दहावी चे पुस्तक आवडले असेल तर कृपया ही पोस्ट शेअर करा.


इयत्ता दहावी बूढ़ी काकी स्वाध्याय

मंडळाचे नाव

Maharashtra Board

ग्रेडचे नाव

दहावी

विषय

बूढ़ी काकी

वर्ष

2022

स्वरूप

PDF/DOC

प्रदाता

hsslive.co.in

अधिकृत संकेतस्थळ

mahahsscboard.in


समाधानासह महाराष्ट्र बोर्ड आठवा स्वाध्याय कसे डाउनलोड करायचे?

महाराष्ट्र बोर्ड दहावी स्वाध्याय PDF डाउनलोड करण्यासाठी खालील स्टेप्स फॉलो करा:

  1. वेबसाइट- Hsslive ला भेट द्या. 'स्वाध्याय' लिंकवर क्लिक करा.
  2. महा बोर्ड दहावी स्वाध्याय PDF पहा.
  3. आता महाराष्ट्र बोर्ड दहावी स्वाध्याय तपासा.
  4. डाउनलोड करा आणि भविष्यातील संदर्भांसाठी जतन करा.

इयत्ता दहावी बूढ़ी काकी स्वाध्याय उपाय

इयत्ता दहावी स्वाध्याय मधील विद्यार्थी खालील लिंक्सवरून बूढ़ी काकीाचे उपाय डाउनलोड करू शकतील.


कृति

(कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 (अ) के लिए

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

प्रश्न 1.

 स्वभाव के आधार पर पात्र का नाम
१.  क्रोधी  ………………….
२.  लालची  ………………….
३.  शरारती  ………………….
४.  स्नेहिल  ………………….

उत्तर:

 स्वभाव के आधार पर पात्र का नाम
१.  क्रोधी रूपा
२.  लालची बुद्धिराम
३.  शरारती दोनों लड़के
४.  स्नेहिल लाड़ली

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए:

उत्तर:

प्रश्न 3.
बुद्धिराम का काकी के प्रति दुर्व्यवहार दर्शाने वाली चार बातें :
१) ………………….
४) ………………….
२) ………………….
४) ………………….
उत्तर :
(i) बूढ़ी काकी की संपत्ति अपने नाम लिखाते समय किए गए लंबे-चौड़े वादों को बुद्धिराम द्वारा न निभाना।
(i) बूढ़ी काकी को भरपेट भोजन न देना।
(iii) भोजन कर रहे मेहमानों के बीच रेंगती हुई बूढ़ी काकी के पहुँच जाने पर बुद्धिराम द्वारा निर्दयतापूर्वक पकड़कर उनकी कोठरी में ले जाकर पटक देना।
(iv) बूढ़ी काकी के व्यवहार से रुष्ट होने के कारण तिलक उत्सव में सभी मेहमानों और घरवालों के भोजन कर लेने के बाद भी बुद्धिराम द्वारा उन्हें खाने के लिए न पूछना।

प्रश्न 4.
कारण लिखिए :
a. बूढ़ी काकी ने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी _____________________
b. लाड़ली ने पूड़ियाँ छिपाकर रखीं _____________________
c. बुद्धिराम ने काकी को अँधेरी कोठरी में धम से पटक दिया _____________________
d. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे _____________________
उत्तर:
a. बूढ़ी काकी के परिवार में अब एक भतीजे के सिवाय और कोई नहीं था, इसलिए उन्होंने भतीजे के नाम सारी संपत्ति लिख दी।
b. बुद्धिराम और रूपा दोनों ने ही बूढ़ी काकी को उनकी निर्लज्जता के लिए दंड देने का निश्चय कर लिया था। इसलिए बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा।
c. बूढ़ी काकी रेंगती हुई भोजन कर रहे मेहमान मंडली के बीच पहुँच गई थी। इससे कई लोग चौंककर उठ खड़े हुए थे। बुद्धिराम को इससे गुस्सा आया और उसने काकी को वहाँ से उठाकर कोठरी में ले जाकर धम से पटक दिया।
d. अंग्रेजी पढ़े नवयुवक उदासीन थे, क्योंकि वे गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।

प्रश्न 5.
सूचना के अनुसार शब्द में परिवर्तन कीजिए :

उत्तर :

अभिव्यक्ति

‘बुजुर्ग आदर-सम्मान के पात्र होते हैं, दया के नहीं इस सुवचन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि आज जो व्यक्ति बुजुर्ग है वह हमेशा बूढ़ा और असहाय नहीं था। वह भी पहले युवा था। उसने अपने परिवार का पालन-पोषण और उसकी देखरेख की थी। उसने तरह-तरह की समस्याओं का सामना किया था और उन्हें अपने तरीके से हल किया था। उसे जीवन जीने का अनुभव है। लेकिन वृद्ध हो जाने पर किसी-किसी परिवार में बुजुर्गों को किनारे कर दिया जाता है। उनकी सलाह या सुझाव को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता। इस तरह के व्यवहार से बुजुर्गों को अपने सम्मान पर ठेस लगती महसूस होती है।

किसी-किसी परिवार में तो बुजुर्गों के खाने-पीने की भी किसी को चिंता नहीं रहती। घर के लोग अपने में मगन रहते हैं और बुजुर्गों का कोई ख्याल नहीं रखता। बुजुर्गों को खाने-पीने के लिए उनका मुँह ताकना पड़ता है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि हम इन बुजुर्गों की संतान हैं। उनको पर्याप्त सम्मान देना और उनकी हर प्रकार से देखरेख करना हमारा फर्ज है। बुजुर्गों की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद से ही परिवार फूलता-फलता और खुशहाल रहता है। इसलिए बुजुर्गों को हमें सदा आदर-सम्मान देना चाहिए और उनकी देखरेख करनी चाहिए।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :

मूल क्रिया  प्रथम प्रेरणार्थक रूप  द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
भूलना  ……………………….  ……………………….
पीसना  ……………………….  ……………………….
माँगना  ……………………….  ……………………….
तोड़ना  ……………………….  ……………………….
बेचना  ……………………….  ……………………….
कहना  ……………………….  ……………………….
नहाना  ……………………….  ……………………….
खेलना  ……………………….  ……………………….
खाना  ……………………….  ……………………….
फैलना  ……………………….  ……………………….
बैठना  ……………………….  ……………………….
लिखना  ……………………….  ……………………….
जुटना  ……………………….  ……………………….
दौड़ना  ……………………….  ……………………….
देखना  ……………………….  ……………………….
जीना  ……………………….  ……………………….

उत्तर :

प्रश्न 2.
पठित पाठों से किन्हीं दस मूल क्रियाओं का चयन करके उनके प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप निम्न तालिका में लिखिए :

मूल क्रिया  प्रथम प्रेरणार्थक रूप  द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….
……………………….  ……………………….  ……………………….

उत्तर :

उपयोजित लेखन

मेरा प्रिय वैज्ञानिक’ विषय पर निबंध लेखन कीजिए।
उत्तर :
यों तो दुनिया में एक-से-एक बड़े वैज्ञानिक हैं, पर मेरे प्रिय वैज्ञानिक तो सर जगदीशचंद्र बोस ही हैं। सर जगदीशचंद्र बोस की बात ही निराली है। उन्होंने यह सिद्ध करके बता दिया कि पेड़-पौधे भी हमारी तरह साँस लेते हैं और उन्हें पानी और भोजन की आवश्यकता होती है। उनमें भी जान होती है। यदि पेड़-पौधों को सताया या कष्ट दिया जाए, तो वे बीमार हो जाते हैं और उनकी प्रकृति के विरुद्ध उन्हें भोजन दिया जाए अथवा जहरीला रसायन दिया जाए, तो वे मर जाते हैं। वैसे पेड़-पौधों के संपर्क में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मालूम होता है कि पेड़-पौधों को नुकसान पहुँचाने या विषैले पदार्थों के संपर्क में आने से वे क्षतिग्रस्त या मृत हो सकते हैं, पर इस बात को सिद्ध किया था सर जगदीशचंद्र बोस ने।

अपने शोध को सिद्ध करने के लिए उन्होंने खुद चुंबकीय क्रेश्कोग्राफ नामक यंत्र तैयार किया। उन्होंने इस यंत्र की सहायता से सब के सामने अपने प्रयोग से यह सिद्ध कर दिया कि पेड़-पौधों में जीवन होता है और प्राणियों की तरह उनमें भी विभिन्न क्रियाएँ होती हैं। इस प्रकार के सूक्ष्म रहस्य का उद्घाटन करने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे। वे सच्चे अर्थों में एक महान वैज्ञानिक थे। ऐसे महान वैज्ञानिक पर हमें गर्व है।

Hindi Lokbharti 10th Textbook Solutions Chapter 10 बूढ़ी काकी Additional Important Questions and Answers

गद्यांश क्र.1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :


उत्तर:

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(i) बूढ़ी काकी का शारीरिक स्वास्थ्य –
(ii) बूढ़ी काकी के परिवार में अब बचा एकमात्र सदस्य –
(iii) बुद्धिराम ने इस तरह लिखाई बूढ़ी काकी की संपत्ति –
(iv) बूढ़ी काकी के रोने का ढंग –
उत्तर:
(i) बूढ़ी काकी के नेत्र, हाथ, पैर आदि सभी अंग जवाब दे चुके थे।
(ii) उनका भतीजा बुद्धिराम।
(iii) खूब लंबे-चौड़े वादे करके।
(iv) बूढ़ी काकी गला-फाड़कर रोती थीं।

प्रश्न 3.
आकृति में दिए गए रिक्त स्थानों में उत्तर लिखकर आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
कहते हैं, बुढ़ापा बचपन का ही एक रूप है। वृद्धावस्था : में मनुष्य की हरकतें बच्चों जैसी हो जाती हैं। इस अवस्था में मनुष्य के अंग-प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। दिमाग कमजोर हो जाता है। दाँत गिर जाते हैं और मनुष्य का मुँह बच्चों की तरह पोपला हो जाता है। इतना ही नहीं, बच्चों की तरह ही वृद्धों को भी मान-अपमान की परवाह नहीं होती। जिस तरह लोग बच्चों की बातों पर ध्यान नहीं देते, उसी तरह वृद्धों की बातों पर भी कोई ध्यान नहीं देता। उनकी इच्छा-अनिच्छा का भी कोई महत्त्व नहीं होता। इस तरह वृद्धावस्था और बचपन की अधिकांश बातों में समानता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है।

गद्यांश क्र.2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

प्रश्न 3.
कारण लिखिए :
(i) उत्सव के दिन बूढ़ी काकी को अपनी स्थिति पर रोना आया, पर वे रो नहीं सकीं।
उत्तर:
(i) उत्सव के दिन बूढ़ी काकी को अपनी स्थिति पर रोना आया, पर वे रो नहीं सकीं, क्योंकि उन्हें रूपा का डर था।

प्रश्न 4.
त्तर लिखिए :
मुखराम के तिलक उत्सव की तैयारियाँ :
उत्तर:
मुखराम के तिलक उत्सव की तैयारियाँ :
(i) पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ निकल रही थीं।
(ii) एक बड़े हंडे में मसालेदार तरकारी पक रही थी।

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य के जीवन की चार अवस्थाएँ होती हैं – बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था और बुढ़ापा। अपने जीवन में मनुष्य की तरह-तरह की कामनाएँ होती हैं और उनकी पूर्ति करने का वह भरसक प्रयास करता है। बचपन से लेकर युवावस्था तक मनुष्य को अपनी कामनाओं की जल्द से जल्द पूरी होने की उतनी चिंता नहीं रहती, जितनी बुढ़ापे में। वृद्धावस्था में मनुष्य के जीवन के गिने-चुने वर्ष ही बचे होते हैं। इसलिए उसका प्रयास यह होता है कि अपने बचे-खुचे दिनों में वह अपनी सारी कामनाएं पूरी कर ले। ऐसे में उसे किसी भी तरह अपने उद्देश्य को पूरा कर लेना उचित जान पड़ता है। उसके लिए उसे बुरे-भले, मान-अपमान की परवाह नहीं होती। उसका लक्ष्य येनकेन प्रकारेण अपनी इच्छा पूरी करना होता है। इस प्रकार बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है।

गद्यांश क्र.3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :

उत्तर :

प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
‘लड़कों का बूढों से स्वाभाविक विवेष होता ही है’ इस विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का अंतर होता है। लड़कों और बूढ़ों में हर बात को लेकर अंतर होना स्वाभाविक है। अधिकांश बूढ़ों की आदत होती है कि वे हर बात को अपने ढंग से सोचते हैं। वे उसमें अपने जमाने की विचारधारा थोपने की कोशिश करते हैं। इसका कारण यह है कि किसी चीज के बारे में उनकी एक धारणा बनी होती हैं। हर बात को वे अपने पैमाने पर कसने की कोशिश करते हैं। जब कि नई पीढ़ी के लड़कों की सोच अलग ढंग की होती हैं। उन्हें पुराने दकियानूसी विचार पसंद नहीं आते। इसलिए बात-बात पर दोनों के विचारों में टकराव होता है। इस तरह लड़कों और बूढ़ों में स्वाभाविक विद्वेष होता है।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई । सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर:

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

उत्तर:

प्रश्न 3.
कारण लिखिए :
(i) घरवालों ने भोजन किया, परंतु बूढ़ी काकी को किसी ने नहीं पूछा –
(ii) रात के ग्यारह बज गए थे। लाड़ली की आँखों में नींद न थी –
उत्तर:
(i) लाड़ली उन पूड़ियों को बूढ़ी काकी के पास ले जाना चाहती थी, ताकि वे उन्हें खा सके।
(ii) बूढ़ी काकी को पूड़ियाँ खिलाने की खुशी लाड़ली को सोने न देती थी।

गद्यांश क्र.5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :


उत्तर :

प्रश्न 2.
कारण लिखिए :
(i) रूपा का हृदय सन्न हो गया –
(ii) रूपा बैठी स्वर्गीय दृश्य का आनंद लेने में निमग्न थी –
उत्तर:
(i) रूपा का हृदय सन्न हो गया, क्योंकि उसने देखा कि बूढ़ी काकी पत्तलों पर से पूड़ियों के टुकड़े उठा-उठाकर खा रही हैं।
(ii) रूपा बैठी स्वर्गीय दृश्य का आनंद लेने में निमग्न थी, क्योंकि बूढ़ी काकी भोले बच्चों की तरह सब कुछ भूलकर बैठी हुई खाना खा रही थीं और उनके एक-एक रोएँ से सच्ची सदिच्छाएँ निकल रही थीं।

प्रश्न 3.
रिश्ता पहचानिए :
(i) बूढ़ी काकी, रूपा की लगती हैं –
(ii) रूपा, बूढ़ी काकी की लगती हैं –
उत्तर:
(i) बूढ़ी काकी, रूपा की लगती हैं – चचेरी सास।
(ii) रूपा, बूढ़ी काकी की लगती है – बहू।

कृति 2 : (स्वमत अभिव्यक्ति)

प्रश्न.
शादी-ब्याह अथवा पारिवारिक समारोहों में प्रीतिभोज में अनाप-शनाप खर्च करना कितना उचित’ विषय पर अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
हमारे देश में शादी-ब्याह तथा छोटे-मोटे पारिवारिक समारोहों में प्रीतिभोज में लोगों को खिलाने-पिलाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है। समर्थ व्यक्तियों को इस तरह का खर्च करना ज्यादा नहीं अखरता, पर आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए इस तरह के ३ खर्च का भार उठाना मुश्किल होता है। पर सामाजिक बंधनों तथा अपने ३ नाम के लिए ऐसे समारोह आयोजित करना आज एक फैशन हो गया । हैं। यह फैशन दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है। कुछ लोग तो अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए कर्ज लेकर लोगों को बुलाकर खिलाते-पिलाते ३ हैं। बाद में यह कर्ज चुकाना उनके लिए समस्या बन जाता है और उन्हें अपनी जायदाद बक बेचनी पड़ जाती है। लोगों को इस तरह के उत्सवों में अनावश्यक रूप से पैसे उड़ाने से बाज आना चाहिए। इस तरह के उत्सवों-समारोहों में अनाप-शनाप खर्च करना अपने ऊपर एक तरह का आर्थिक बोझ लादना है, जिससे कोई लाभ नहीं होता।

उपक्रम/कृति/परियोजना

श्रवणीय
बड़ों से कोई ऐसी कहानी सुनिए जिसके आखिरी हिस्से में कठिन परिस्थितियों से जीतने का संदेश मिल रहा हो।

संभाषणीय
वृद्धाश्रम’ के बारे में जानकारी इकट्ठा करके चर्चा कीजिए।

लेखनीय
‘भारतीय कुटुंब व्यवस्था’ पर भाषण के मुद्दे लिखिए।
उत्तर:
भारतीय कुटुंब व्यवस्था के मुद्दे :

  • कुटुंब किसे कहते हैं?
  • प्राचीन भारतीय कुटुंब।
  • आधुनिक कुटुंब।
  • कुटुंब व्यवस्था में बदलाव के कारण।
  • कुटुंब व्यवस्था के आधार।
  • कुटुंब बनने-टूटने के कारण।
  • कुटुंब की आवश्यकता।
  • संयुक्त कुटुंब एवं एकल कुटुंब से लाभ-हानि।
  • वसुधैव कुटुंबकम्।

पठनीय
‘चलती-फिरती पाठशाला’ उपक्रम के बारे में जानकारी इकट्ठी करके पढ़िए और सुनाइए।

बूढ़ी काकी Summary in Hindi

विषय – प्रवेश : ‘बूढ़ी काकी’ कथा उन दयनीय व्यक्तियों की व्यथा है, जिन्हें परिस्थितिवश मजबूरी में अपनी पूरी संपत्ति किसी अन्य व्यक्ति को सौंपनी पड़ती है और खुद उसकी दया पर जीना पड़ता है। बूढ़ी काकी अपने पति और जवान बेटों की मृत्यु के पश्चात अपने एकमात्र भतीजे बुद्धिराम के वादों पर विश्वास करके अपनी सारी संपत्ति उसके नाम लिख देती हैं। लेकिन थोड़े दिनों के बाद ही ऐसी स्थिति हो जाती है कि उसे पेट भर भोजन मिलना भी मुश्किल हो जाता है। एक बार तो बूढ़ी काकी के जीवन में ऐसी घटना घटती है, जिसके बारे में जानकर दिल दहल उठता है।

बुद्धिराम के बेटे के तिलक समारोह में सभी मेहमान और घर के सभी लोग भोजन कर सोने चले जाते हैं, पर बूढ़ी काकी को खाने के लिए कोई नहीं पूछता। भूख से व्याकुल बूढ़ी काकी रात के अंधेरे में कूड़े में फेंकी गई पत्तलों पर छूटे जूठन को बीन–बीनकर खाकर अपना पेट भरती हैं। बुद्धिराम की पत्नी रूपा यह दृश्य देखती है, तो उसकी रूह काँप उठती है और वह इस अधर्म के लिए ईश्वर से क्षमा करने की प्रार्थना करती है और बूढ़ी काकी को परोसकर भरपेट भोजन कराती है और उससे अपनी भूल के लिए बुरा न मानने के लिए कहती है।


इयत्ता दहावी हिंदी स्वाध्याय उपाय

निष्कर्ष

आम्हाला आशा आहे की महाराष्ट्रावरील हा लेख तुम्हाला 'दहावी बूढ़ी काकी स्वाध्याय' मदत करेल. तुम्हाला काही प्रश्न असल्यास, त्यांना खाली टिप्पणी विभागात मोकळ्या मनाने पोस्ट करा. आम्ही लवकरात लवकर तुमच्याकडे परत येऊ.
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